environment consciousness essay in hindi

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण, पर  हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर  प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।

इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।

और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Environment essay

पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi

पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से  संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।

एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।

“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”

पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।

वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।

लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।

आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।

वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh

प्रस्तावना

पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही  स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के  महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning

पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों  तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment

पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक  सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।

वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और  जीवन – Environment And Life

पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।

इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

उपसंहार

पर्यावरण के प्रति हम  सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं।  पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh

पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay

  • उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को  मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।

  • Slogans on pollution
  • Slogan on environment
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15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”

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Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye

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Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye

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bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.

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Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..

I love this essay…

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Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per

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पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

आज हम इस आर्टिकल में पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000) लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, पर्यावरण का अर्थ, पर्यावरण का महत्व, विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण से लाभ और हानि, पर्यावरण और जीवन, पर्यावरण प्रौद्योगिकी प्रगति और प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण के उपाय के बारे में लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi)

प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और विकास के नाम पर उसे खतरे में डाल दिया है। विज्ञान की बढ़ती प्रकृति ने एक और तो हमारे लिए सुख- सुविधा में वृद्धि की है तो दूसरी ओर पर्यावरण को दूषित करके मानव के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

पर्यावरण का अर्थ Meaning of Environment 

“अमृत बांटें कर विष पान, वृक्ष स्वयं शंकर भगवान।”पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है पर +आवरण जिसका अर्थ है हमारे चारों ओर घिरे हुए वातावरण।

पर्यावरण और मानव का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है। पर्यावरण से मनुष्य की  भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण का महत्व Importance of Environment in Hindi

पर्यावरण से ही हम हैं, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव- जंतु, प्राकृतिक, वनस्पतियों, पेड़- पौधे, जलवायु, मौसम सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित है।

पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है, और जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ  उपलब्ध कराता है।

विश्व पर्यावरण दिवस World Environment Day 

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

5 जून 1973 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया था। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

पर्यावरण से लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Environment in Hindi

पर्यावरण से लाभ advantages of environment in hindi.

पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है। पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण में जैविक,  अजैविक, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित वस्तु का समावेश होता है।

प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।जो हवा हम हर पल सांस लेते हैं, पानी जिस के सिवा हम जी नहीं सकते और जो हम अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं, पेड़ पौधे उनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है।

यह सब प्राकृतिक चीजें हैं जो पृथ्वी पर जीवन संभव बनाती हैं। वह पर्यावरण के अंतर्गत ही आती हैं। पेड़-पौधों की हरियाली से मन का तनाव दूर होता है, और दिमाग को शांति मिलती है। पर्यावरण से ही हमारे अनेक प्रकार की बीमारी भी दूर होती है।

पर्यावरण मनुष्य, पशुओं और अन्य जीव चीजों को बढ़ाने और विकास होने में मदद करती है। मनुष्य भी पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण का एक घटक होने के कारण हमें भी पर्यावरण का एक संवर्धन करना चाहिए।

पर्यावरण पर हमारा यह जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण की वास्तविकता को बनाए रखना होगा।

और पढ़ें: जल संरक्षण पर निबंध

पर्यावरण से हानि Disadvantages of Environment in Hindi

आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण पर्यावरण की प्रकृति नष्ट हो रही है। हर जगह जहां घने वृक्ष हैं उन्हें काट कर वहां बड़ी इमारत बनाए जा रहे हैं।

गाड़ी की धुआ, फैक्ट्री मे मशीनों की आवाज, खराब रासायनिक जल इन सब की वजह से, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण हो रहा है। यह एक चिंता का विषय बन चुका है यह अत्यंत घातक है। जिसके कारण हमें अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और हमारा शरीर हमेशा बिगड़ रहा है।

वही आज जहां विज्ञान में तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार है। आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी करण और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।

मनुष्य  अपने स्वार्थ के चलते पेड़ पौधों की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है, यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वाल्मिग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए।

  • पेड़ों का महत्व समझ कर हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमें  छाया प्रदान करते हैं। घने वृक्ष पशु पक्षी का भी निवास स्थान है। इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

पर्यावरण और जीवन Environment and life in Hindi

पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भर है। पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुंत तरक्की कर ली हो।

लेकिन प्रकृति में जो हमें उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है। इसीलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।

वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व है, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है, और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं। पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण Environment, Technology, Progress and Pollution in Hindi

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीकी ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे ना सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है। लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की है जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय Environmental protection measures in Hindi

  • उद्योग से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धोएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए। 
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों को निपटाने के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझने के लिए जागरूकता फैलाने चाहिए।

हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। यह पर्यावरण संतुलन के लिए ही बनाया गया एक उपक्रम है।

इस तरह हमें अपने पर्यावरण को बचाना चाहिए। लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाना चाहिए। स्वच्छ पर्यावरण एक शांतिपूर्ण और स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है। 

पर्यावरण पर 10 लाइन 10 Line on Environment in Hindi

  • पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परिधान +आवरण इसका अर्थ होता है हमारे चारों ओर् घिरे हुये वातावरण।
  • पर्यावरण और मानव का संबंध घनिष्ठ है।
  • पर्यावरण से ही हम हैं हर किसी के जीवन  के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है।
  • पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।
  • पर्यावरण आसिफ जलवायु में संतुलन बनाए रखता है बल्कि, जीवन के लिए सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराता है।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
  • पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है।
  • प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।
  • पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।
  • घने वृक्ष पशु-पक्षी का निवास स्थान है। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमेशा या प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

पर्यावरण के प्रति हम सब को जागरूक होने की आवश्यकता है। पेड़ों की हो रही है अंधाधुन कटाई पर सरकार द्वारा सख्त कानून बनाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना और हमारा कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में ही रहकर स्वास्थ्य मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।आशा करते हैं आपको हमारा पर्यावरण पर निबंध अच्छा लगा होगा।

1 thought on “पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)”

आपने पर्यावरण पर जो निबंध लिखा है सचमुच ही हृदय को छू लेने वाला है। अगर जन-जन में यह क्रांति फैलाई जाए की मनुष्य जहां- जहां घर बनाते हैं वहां 6 फुट का जगह छोड़ना चाहिए और एक आम और नीम का पेड़ जरूर लगाना चाहिए।

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पर्यावरण पर निबंध – 10 lines(Environment Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

environment consciousness essay in hindi

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण का अर्थ है एक ऐसा परिवेश जहां हम मिलते हैं, हम रहते हैं और हम सांस लेते हैं। यह जीवित प्राणियों के लिए बुनियादी आवश्यक चीजों में से एक है। पर्यावरण शब्द में सभी जैविक और अजैविक चीजें शामिल हैं जो हमारे आसपास मौजूद हैं। Essay on Environment यह हवा, पानी, भोजन और भूमि जैसी मूलभूत चीजें प्रदान करता है जो हमारी भलाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह ईश्वर द्वारा मनुष्य को दिया गया एक उपहार है जो मानव जीवन को पोषित करने में मदद करता है।

पर्यावरण का महत्व  (Importance of Environment)

  • यह जीवित चीजों को स्वस्थ और हार्दिक बनाए रखने में एक जोरदार भूमिका निभाता है।
  • यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह भोजन, आश्रय, वायु प्रदान करता है और मानव की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • इस वातावरण के अतिरिक्त प्राकृतिक सौंदर्य का स्रोत है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

पर्यावरण पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Environment 10 Lines in Hindi)

  • हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, उसे पर्यावरण कहा जाता है।
  • पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखना सभी का दायित्व है।
  • सभी जीवित और निर्जीव जीव पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।
  • वृक्षारोपण, पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग, प्रदूषण कम करने और जागरूकता पैदा करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
  • एक स्वस्थ वातावरण सभी जीवित प्रजातियों के विकास और पोषण में मदद करता है।
  • हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी को ‘नीला ग्रह’ के नाम से जाना जाता है। फिर फिर, यह एकमात्र ऐसा है जो जीवन को बनाए रखता है।
  • पर्यावरण प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग, अम्लीय वर्षा और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास होता है।
  • पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली किसी भी गतिविधि में कभी भी प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
  • सभी को यह मानना ​​चाहिए कि पौधों और पेड़ों को बचाना उनका कर्तव्य है। पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक के प्रयोग से बचें।
  • प्रकृतिक वातावरण
  • औद्योगिक वातावरण
  • सामाजिक वातावरण

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पर्यावरण पर निबंध 100 शब्द (Essay On Environment 100 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण वह परिस्थिति है जिसमें पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधन रहने के अनुकूल होते हैं। मनुष्य, जानवर, पेड़, महासागर, चट्टानें पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन हैं और मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। वे एक जीव के लिए रहने की स्थिति प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। पर्यावरण को भौतिक और जैविक में वर्गीकृत किया गया है। पहली श्रेणी में वायुमंडल (वायु), जलमंडल (जल), और स्थलमंडल (ठोस) शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में मनुष्य जैसे सभी जीवित प्राणी शामिल हैं। पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए इन दोनों श्रेणियों की एक साथ आवश्यकता है। इनमें से किसी भी श्रेणी के अभाव में पृथ्वी पर जीवित रहने का कोई अवसर नहीं होगा।

पर्यावरण पर निबंध 150 शब्द (Essay On Environment 150 Words in Hindi)

वह परिवेश जिसमें पृथ्वी पर जीवन मौजूद है, पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण में हवा, पानी, सूरज की रोशनी, पेड़, जानवर और इंसान शामिल हैं। वे पृथ्वी के जीवित और निर्जीव प्राणी हैं। पेड़, मनुष्य और जानवर जीवित जीव हैं। सूर्य, जल और वायु निर्जीव जीव हैं जो मनुष्य के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रत्येक प्राणी एक दूसरे के लिए एक प्राकृतिक संसाधन है। उदाहरण के लिए, हिरण एक प्राकृतिक संसाधन है जिसे शेर खा सकता है। इन प्राकृतिक संसाधनों में से किसी एक के अभाव में पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व नहीं हो पाएगा।

हालांकि, पर्यावरण में वायुमंडल और जलमंडल के घटक होते हैं जो जीवित प्राणियों के जीवन को प्रभावित करते हैं। वायुमंडल में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसी गैसें मौजूद हैं। जलमंडल सभी जल निकायों को कवर करता है, प्रत्येक जीवित प्राणी इन घटकों की विशेषताओं के अनुसार बनाया गया है। उदाहरण के लिए, जलीय जंतु पानी के भीतर सांस लेने के लिए बनाए जाते हैं। हवाई जानवर हवा में सांस लेने के लिए बने होते हैं

पर्यावरण पर निबंध 200 शब्द (Essay On Environment 200 Words in Hindi)

पर्यावरण पृथ्वी का प्राकृतिक परिवेश है जो किसी जीव को जीवित रहने में सक्षम बनाता है। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है। इसमें मनुष्य, पौधे और जानवर जैसे जीवित प्राणी शामिल हैं। वायु, जल और भूमि निर्जीव हैं। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा इस तरह से डिजाइन की गई है कि सब कुछ एक दूसरे पर निर्भर है। मनुष्य सभी प्राणियों में सबसे प्रभावशाली प्राणी है जो पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हो सकता है। उसे सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। न केवल मनुष्य बल्कि पौधों और जानवरों को भी सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। वायु के बिना पृथ्वी पर जीवन नहीं होगा। पर्यावरण की बर्बादी के लिए सिर्फ इंसान ही जिम्मेदार है।

पर्यावरण को विभिन्न परतों जैसे वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल में विभाजित किया गया है। वायुमंडल कई गैसों जैसे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से बना है। सभी जल निकाय जलमंडल बनाते हैं। लिथोस्फीयर पृथ्वी का आवरण है जो चट्टान और मिट्टी से बना है। जीवमंडल में जीवन मौजूद है।

पर्यावरण पर निबंध 250 शब्द (Essay On Environment 250 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पृथ्वी परिवेश से बनी है जिसमें सभी सजीव और निर्जीव अपना जीवन व्यतीत करते हैं। प्रकृति की भौतिक, जैविक और प्राकृतिक शक्तियाँ एक साथ मिलकर ऐसी परिस्थितियाँ बनाती हैं जो एक जीव को जीने में सक्षम बनाती हैं। ऐसी परिस्थितियों को पर्यावरण कहते हैं। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है।

सभी जैविक (जीवित) और अजैविक (निर्जीव) संस्थाएं पर्यावरण का निर्माण करती हैं। जैविक चीजों में शामिल हैं- मनुष्य, पौधे, जानवर और कीड़े। उन्हें पर्यावरण के जैविक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक जैविक प्राणी का अपना एक निश्चित जीवन चक्र होता है। उदाहरण के लिए, मनुष्य पृथ्वी पर सबसे मजबूत जीवित जीव है। उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पौधों और जानवरों की जरूरत है। उनके बिना उसका जीवन-चक्र अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

जबकि, अजैविक घटकों में वायुमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल और जीवमंडल शामिल हैं। वे पर्यावरण की परतें हैं। इन परतों को पर्यावरण के भौतिक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वायुमंडल हवा की वह परत है जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों से बनी होती है। सभी जल निकाय जैसे नदियाँ और महासागर मिलकर जलमंडल बनाते हैं। स्थलमंडल पृथ्वी का सबसे ठोस, सबसे बाहरी भाग है। यह क्रस्ट से बना है जो पृथ्वी की सतह पर मेंटल, चट्टानों और मिट्टी को ढकता है। सबसे महत्वपूर्ण परत जीवमंडल है जहां जीवन मौजूद है। इसमें जलीय, स्थलीय और हवाई पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। पेड़ों की जड़ प्रणाली से लेकर गहरे पानी के नीचे के जीवन तक जीवमंडल की विशेषता है।

इन सभी जीवों का अस्तित्व एक दूसरे के साथ उनके निरंतर संपर्क पर निर्भर है। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा व्यवस्थित है और एक बार बर्बाद होने पर नष्ट हो सकती है। आज पर्यावरण का क्षरण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिससे मानव को निपटना है।

पर्यावरण पर निबंध 300 शब्द (Essay On Environment 300 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – कई तरह से हमारी मदद करने के लिए हमारे आस-पास के सभी प्राकृतिक संसाधनों को पर्यावरण में शामिल किया जाता है, यह हमें आगे बढ़ने और बढ़ने का एक बेहतर माध्यम देता है। यह हमें इस ग्रह पर रहने के लिए सभी चीजें देता है। हालांकि, अपने पर्यावरण को बनाए रखने के लिए, हमें सभी मदद की ज़रूरत है, ताकि यह हमारे जीवन का पोषण करे और हमारे जीवन को बर्बाद न करे। मानव निर्मित तकनीकी आपदा के कारण हमारे पर्यावरण के तत्व दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं।

केवल पृथ्वी ही एक ऐसी जगह है जहाँ पूरे विश्व में जीवन संभव है और पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के लिए हमें अपने पर्यावरण की मौलिकता को बनाए रखने की आवश्यकता है। विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है जो हर साल 5 जून को कई वर्षों तक मनाया जाता है ताकि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के लिए दुनिया भर में जनता के बीच जागरूकता फैलाई जा सके। हमें इस वातावरण में भाग लेना चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण संरक्षण के तरीके और सभी बुरी आदतें हमारे पर्यावरण दिवस को नुकसान पहुंचा सकें।

हम अपने पर्यावरण को पृथ्वी पर हर व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे-छोटे कदमों से बहुत ही आसान तरीके से बचा सकते हैं; कचरे की मात्रा को कम करने के लिए, कचरे को ठीक से बदलने के लिए, पॉली बैग के उपयोग को रोकने के लिए, पुरानी वस्तुओं को नए तरीके से पुनर्चक्रण करने के लिए, टूटी हुई वस्तुओं की मरम्मत और पुनर्चक्रण, रिचार्जेबल बैटरी या फ्लोरोसेंट रोशनी का उपयोग करना। बारिश के पानी को बचाने, पानी की बर्बादी को कम करने, ऊर्जा बचाने और बिजली के उपयोग को कम करने के लिए अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें।

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पर्यावरण पर निबंध 500 शब्द (Essay On Environment 500 Words in Hindi)

पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमारे चारों ओर प्राकृतिक है। आज यह प्राकृतिक पर्यावरण मानवीय गतिविधियों से खतरे में है। पेड़, जंगल, झीलें, नदियाँ, प्राकृतिक पर्यावरण के कुछ प्रमुख घटक हैं, जबकि सड़कों, कारखानों और कंक्रीट के ढांचे आदि का निर्माण पर्यावरण के अतिक्रमण के उदाहरण हैं। मानवीय हस्तक्षेप के कारण हमारे चारों ओर का प्राकृतिक वातावरण समाप्त होता जा रहा है।

पर्यावरण अनमोल है

‘पर्यावरण अनमोल है’; इस दावे को प्रमाणित करने के लिए कम से कम दो मुख्य स्पष्टीकरण हैं। पहला यह है कि आज हम जिस प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं, जैसे नदियों, झीलों, जंगलों, पहाड़ियों, भूजल संसाधनों आदि को वर्तमान अवस्था में आने में हजारों या लाखों साल लग गए हैं। पर्यावरण की बहुमूल्यता को प्रमाणित करने का दूसरा तर्क यह है कि यह स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए अति आवश्यक है। मुझे थोड़ा विस्तार से बताएं।

कोई भी वनाच्छादित क्षेत्र जिसे आप जानते हैं वह आपके बचपन से रहा है, शायद हजारों वर्षों में विकसित हुआ है। एक प्राकृतिक जंगल को अपनी पूर्ण महिमा में आने और उस सभी जैव विविधता का समर्थन करने में इतने सालों लगते हैं। लेकिन जब किसी जंगल को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए काटा जाता है, तो चीजें कभी भी वैसी नहीं रहतीं, भले ही जंगल को फिर से बढ़ने का उचित मौका दिया जाए। अफसोस की बात है कि जैव विविधता के नुकसान की भरपाई कभी नहीं की जा सकती, चाहे हम कितनी भी कोशिश कर लें।

यही स्थिति पर्यावरण के अन्य तत्वों के साथ भी है। जिस भूजल का हम प्रतिदिन उपयोग करते हैं, वह हजारों वर्षों की अवधि में निर्मित हुआ है। इसका मतलब है कि भूजल के किसी भी अपशिष्ट को फिर से भरने में सदियों लगेंगे।

जीवन और पर्यावरण

हम रोज़मर्रा के कामों में इतने मशगूल हैं कि हमें उस हंगामे के पीछे की असली ताकत का एहसास नहीं होता, जो हमें चुनौतियों का सामना करने की ताकत देता है। हम सोचते हैं कि हमारी इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं हमें प्रेरित करती हैं, लेकिन यह केवल आधा सच है। महत्वाकांक्षाएं और कुछ नहीं बल्कि मन के लक्ष्य हैं जो हम अपने लिए निर्धारित करते हैं, लेकिन हम उन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं, केवल इसलिए कि हमारा पर्यावरण स्वास्थ्य में हमारा समर्थन करता है।

यह हमें जीवन के लिए सभी आवश्यक आवश्यकताएं प्रदान करता है – ऑक्सीजन, पानी, भोजन, वायु और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन। हम एक निर्दिष्ट सीमा से अधिक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। क्योंकि, अगर हम ऐसा करते हैं, तो पृथ्वी पर कोई जीवन नहीं होगा, एक कठिन जीवन के बारे में भूल जाओ।

सौभाग्य से, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उसमें अभी भी 20% ऑक्सीजन सांद्रता द्वारा होती है, जबकि मनुष्यों को सांस लेने या अधिक विशिष्ट होने के लिए – ‘जीने के लिए’ लगभग 19.5% ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हालाँकि, जिस दर से हम अपने पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं, टेबल जल्दी से पर्याप्त रूप से बदल सकते हैं, मरम्मत के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेंगे।

महासागरों से समुद्री ऑक्सीजन की हानि पहले से ही मछलियों और अन्य समुद्री प्रजातियों के अस्तित्व के लिए खतरा है। समुद्र में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारक जलवायु परिवर्तन और पोषक तत्व प्रदूषण हैं। जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों का परिणाम है और यह समग्र रूप से पर्यावरण के लिए भी खतरा है।

ये परिवर्तन संभवत: अलार्म कॉल हैं जो पर्यावरण को होने वाले नुकसान के खिलाफ मानवता को चेतावनी देते हैं। स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण के बिना, ग्रह पर किसी भी तरह के जीवन के बारे में सोचना भी बेकार होगा। अगर पर्यावरण को नुकसान होता रहा तो पृथ्वी की सारी सुंदरता गायब हो जाएगी।

यह संदेह से परे है कि ग ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक है और जब तक अपने मूल रूप और आकार में रहता है, जीवन फलता-फूलता रहेगा। लेकिन, अगर यह एक निश्चित स्तर से अधिक क्षतिग्रस्त हो जाता है तो धीरे-धीरे भूमि और समुद्री जीवन समाप्त हो जाएगा, जिससे ग्रह बेजान हो जाएगा। इसलिए पर्यावरण को होने वाले नुकसान की जांच करना और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

पर्यावरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पर्यावरण क्यों महत्वपूर्ण है.

पर्यावरण हर किसी के जीवन में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। यह सभी जीवों का एकमात्र घर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्यावरण हवा, भोजन, पानी और आश्रय प्रदान करता है।

मानव द्वारा किन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है?

मनुष्य पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों का प्रमुख उपभोक्ता है। वे जानवरों और पौधों से खाद्य उत्पाद प्राप्त करते हैं। वस्त्र मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। वह फिर से उन्हीं उल्लिखित संसाधनों से कपड़े प्राप्त करता है।

मनुष्य पर्यावरण को कैसे खराब करेंगे?

मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग प्राकृतिक पर्यावरण के क्षरण का प्रमुख कारण है। आदमी की जरूरत ने दुनिया भर के आधे से ज्यादा जंगलों का सफाया कर दिया है। फलस्वरूप आज बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आम हो गई हैं।

एक पारिस्थितिकी तंत्र क्या है?

एक पारिस्थितिकी तंत्र एक बड़ा समुदाय है जिसमें जीवन के कुछ या सभी रूप एक साथ मिलकर जीवन यापन करते हैं। पृथ्वी पर एक स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र है। पेड़, पौधे, झाड़ियाँ बड़े और छोटे जानवर, कीड़े एक साथ रहते हैं और एक दूसरे पर निर्भर हैं। वन जानवरों का प्राकृतिक आवास है। जानवरों को उनके प्राकृतिक घर से बाहर निकालना उनके पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ी आपदा होगी।

वनों की कटाई क्या है?

निर्माण, कृषि भूमि और शहरीकरण जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए दुनिया भर में पेड़ों को काटना। यह प्राकृतिक पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।

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पर्यावरण पर निबंध | essay on environment in hindi.

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Read this essay on Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध.

  • पर्यावरण संरक्षण

ADVERTISEMENTS: (adsbygoogle=window.adsbygoogle||[]).push({}); 1. पर्यावरण का परिचय:

पर्यावरण हमारी पृथ्वी पर जीवन का आधार है, जो न केवल मानव अपितु विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तुओं एवं वनस्पति के उद्भव, विकास एवं अस्तित्व का आधार है ।

सभ्यता के विकास से वर्तमान युग तक मानव ने जो प्रगति की है उसमें पर्यावरण की महती भूमिका है और यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि मानव सभ्यता एवं संस्कृति का विकास मानव-पर्यावरण समानुकूलन एवं सामंजस्य का परिणाम है । यही कारण है कि अनेक प्राचीन सभ्यतायें प्रतिकूल पर्यावरण के कारण गर्त में समा गईं तथा अनेक जीवों तथा पादप-समूहों की प्रजातियाँ विलुप्त हो गई और अनेक पर यह संकट गहराता जा रहा है ।

पर्यावरण से तात्पर्य है वह वातावरण जिससे संपूर्ण जगत् या ब्रह्माण्ड या जीव जगत् घिरा हुआ है, दूसरे शब्दों में संपूर्ण पृथ्वी का जीवन एक आवरण से आवृत्त है जो इसे परिचालित भी करता है और स्वयं भी प्रभावित होता है । पर्यावरण अंग्रेजी के शब्द ‘एनवायरमेन्ट’ का अनुवाद है जो दो शब्द अर्थात् ‘एनवायरन’ और ‘मेन्ट’ से मिलकर बना है जिसका अर्थ आवृत्त करना है अर्थात् जो चारों ओर से घेरे हुए है वह पर्यावरण है ।

शाब्दिक दृष्टि से इसका अर्थ ‘सराउन्डिंग्स’ है जिसका तात्पर्य है ‘चारों ओर से घेरे हुए’ । यहाँ प्रश्न होता है कि किसे घेरे हुए तथा किस चीज द्वारा घेरे हुए । संपूर्ण पृथ्वी वायु मण्डल से आवृत्त है, इसी प्रकार धरातलीय जीव स्थल, जल, वायु एवं इनके विभिन्न घटकों के आवृत्त हैं ।

संपूर्ण जीव मण्डल जैविक एवं अजैविक घटकों द्वारा आवृत है । संपूर्ण जीव मण्डल बृहत रूप में स्थल मण्डल, जल मण्डल और वायु मण्डल से संबंधित है और यही भौगोलिक पर्यावरण का मूल है । पर्यावरण किसी एक तत्व का नाम नहीं अपितु अनेक तत्वों का सामूहिक नाम है जो संपूर्ण जीव जगत् को नियंत्रित करते हैं तथा एक दूसरे से अंतर संबंधित हैं और जिनका प्रभाव सामूहिक रूप से होता है ।

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इसी कारण कुछ विद्वानों ने इसे ‘मिल्यु’ से संबोधित किया है जिसका अर्थ है चारों ओर के वातावरण का समूह । सामूहिक रूप से ही पर्यावरण के अनेक तत्व क्रियाशील होकर क्षेत्र विशेष के पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं ।

इसी कारण कुछ विद्वानों ने पर्यावरण हेतु ‘हेबीटाट’ शब्द का प्रयोग किया है जिसका अर्थ है ‘आवास’ । आवास से तात्पर्य है भौतिक एवं रासायनिक परिस्थितियों (जैसे- स्थान, अध:स्तर, जलवायु आदि) का एक विशिष्ट समुच्चय जो किसी विशिष्ट प्रजाति के समूह (वृहत् अथवा सूक्ष्म) की आवास-परिस्थितियों का बोध कराता है ।

प्रत्येक क्षेत्र विशेष की भौतिक प्रकृति में विशेष पादप समूहों एवं जीव-जंतुओं का विकास होता है जो वहाँ की परिस्थितियों के अनुकूल होता है, यहाँ तक कि मानव के व्यवसाय, यथा- कृषि, पशुचारण, उद्योग आदि के विकास में भी इसकी महती भूमिका होती है ।

इसी से संपूर्ण जीव मण्डल में विभिन्न दशाओं के अनुसार ‘जीवोम’ अथवा ‘बायोम’ का विकास होता है । वर्तमान में ‘पर्यावरण’ शब्द को सर्वमान्य स्वीकार किया गया है । पर्यावरण शब्द को विश्वकोष में परिभाषित करते हुए लिखा गया है- ”पर्यावरण के अंतर्गत उन सभी दशाओं, संगठन एवं प्रभावों को सम्मिलित किया जाता है जो किसी जीव अथवा प्रजाति के उद्भव, विकास एवं मृत्यु को प्रभावित करती हैं ।”

स्पष्ट है कि पर्यावरण के अंतर्गत विभिन्न तत्वों को सम्मिलित किया जाता है । ये सभी तत्व निरंतर क्रिया-प्रतिक्रिया करते रहते हैं । इसी के फलस्वरूप क्षेत्र में जीवन विकसित होता जाता है अन्यथा समाप्त हो जाता है ।

इसी तथ्य को स्पष्ट करते हुए ‘एनसाइक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका’ में पर्यावरण को इस प्रकार परिभाषित किया है- ”पर्यावरण उन सभी बाह्य प्रभावों का समूह है जो जीवों को भौतिक एवं जैविक शक्ति से प्रभावित करते रहते हैं तथा प्रत्येक जीव को आवृत्त किये रहते हैं ।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि पर्यावरण अनेक तत्वों का प्रमुखत: प्राकृतिक तत्वों का समूह है जो जीव-जगत् को न केवल एकाकी रूप में अपितु सामूहिक रूप में प्रभावित करता है । मानव हो या अन्य जीव-जंतु सभी पर्यावरण की उपज हैं, उनकी उत्पत्ति, विकास एवं वर्तमान स्वरूप ही नहीं अपितु भावी अस्तित्व भी पर्यावरण की परिस्थिति पर ही निर्भर है ।

पर्यावरण शब्द को प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञानों में विविध रूपों में प्रयुक्त किया गया है, जैसे- प्राकृतिक पर्यावरण, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक पर्यावरण आदि । इसी प्रकार जैविक एवं अजैविक पर्यावरण तथा भौगोलिक पर्यावरण का भी प्रयोग होता है ।

इन सभी के विश्लेषण में न जाकर यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि मौलिक रूप से पर्यावरण का स्वरूप प्राकृतिक है अर्थात् प्राकृतिक तत्वों के प्रभाव एवं उपयोग से ही आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक पर्यावरण का जन्म होता है और उसी से ये नियंत्रित एवं परिचालित होते हैं । अत: वर्तमान अध्ययन में प्राकृतिक पर्यावरण को आधार माना गया है जिसमें अनेक तत्वों के साथ-साथ मानव स्वयं भी एक कारक के रूप में कार्य करता है, इसे दूसरे शब्दों में भौगोलिक पर्यावरण भी कह सकते हैं ।

2. पर्यावरण की संकल्पना:

वास्तव में पर्यावरण कोई एक तत्व नहीं अपितु अनेक तत्वों का समूह है और यह सभी तत्व अथवा घटक एक प्राकृतिक संतुलन की स्थिति में रहते हुए एक ऐसे वातावरण का निर्माण करते हैं कि जिसमें मानव, जीव-जंतु, वनस्पति आदि का विकासक्रम अनवरत चलता रहे ।

किंतु यदि इन तत्वों में एक भी तत्व में कमी आ जाती है अथवा उसकी प्राकृतिक क्रिया में अवरोध आ जाता है तो उसका बुरा प्रभाव दूसरे तत्वों पर पड़ता है, जिससे एक नई विषम परिस्थिति का जन्म होता है । इस विषमता से जलवायु, वनस्पति, जीव-जंतु एवं मानव पर प्रतिकूल प्रभाव होता है ।

पर्यावरण, मानव एवं उसके द्वारा विकसित आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों से ही एक प्रदेश के पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण होता है और जब तक यह संतुलित रहता है प्रगति होती जाती है किंतु जैसे ही इसमें व्यतिक्रम आता है, न केवल प्रगति विकास अवरुद्ध हो जाता है अनेक प्रकार की प्राकृतिक विपदाओं का जन्म होता है जो जीव-जगत के अस्तित्व के लिए भी संकट का कारण बन जाता है ।

अनियंत्रित प्रौद्योगिकी और लक्ष्य विहीन विज्ञान का दुष्परिणाम:

आज विश्व को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की अनेक उपलब्धियों पर गर्व है । मनुष्य चाँद-तारों और समुद्र की गहराइयों तक पहुँच रहा है, कृषि का विस्तार हो रहा है, उद्योगों से नित-नई वस्तुओं का निर्माण हो रहा है, अणु एवं ‘जीन’ के रहस्यों का पता लगाया जा चुका है, ऊर्जा का परमाणु स्रोत, कम्प्यूटर प्रणाली का विकास, उपग्रह शोध आदि अनेकानेक साधनों से जहाँ उसने अनेक सुख-सुविधाओं का विकास किया है, वहीं पर्यावरण के अनेक पक्षों को हानि पहुँचा कर पारिस्थितिकी-तंत्र को असंतुलित भी कर रहा है ।

21वीं सदी के प्रारम्भ में आज हम सभी इस तथ्य से परिचित हो चुके हैं कि पर्यावरण को नष्ट करने वाले निर्बाध विकास और उस विकास को बढ़ावा देने वाली अनियंत्रित प्रौद्योगिकी से विश्व के न केवल भविष्य अपितु वर्तमान पर भी संकट के बादल छाने लगे हैं ।

मानव जाति उस अत्यंत जटिल और समन्वित पारिस्थितिकीय श्रृंखला का एक अंग है जो अपने में वायु, पृथ्वी और जल तथा अत्यधिक समृद्ध और विविध रूपों में वनस्पति एवं अन्य जीव-जंतुओं को समेटे हुए हैं । इस श्रृंखला की किसी महत्वपूर्ण कड़ी को क्षति पहुँचाने वाले मनुष्य के किसी भी कार्य से समूचे पारिस्थितिक-तंत्र को खतरा पैदा हो जाता है ।

3. पर्यावरण प्रदूषण:

समूचे विश्व के सामने आज पर्यावरण के प्रदूषण की समस्या अनेक विकराल रूपों में सामने आ रही है । तात्कालिक लाभों के लालच में मानव ने स्वयं अपने भविष्य को दीर्घकालीन संकट में डाल दिया है । बढ़ती जनसंख्या, अनियंत्रित औद्योगिकीकरण और शहरीकरण ने अपने आकर्षक प्रगति की चकाचौंध के साथ ही वायु, जल, मृदा को व्यापक रूप से प्रदूषित किया है और ज्यों-ज्यों प्रगति और विकास होता चला जा रहा है, पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि हो रही है ।

पर्यावरण प्रदूषण का यह प्रकोप स्थानीय एवं क्षेत्रीय न होकर विश्वव्यापी होता जा रहा है, जलवायु परिवर्तन, पृथ्वी के तापमान में वृद्धि की प्रवृत्ति, भूमि की उत्पादन क्षमता में कमी, क्लोरोफ्लोरो कार्बन से ओजोन परत का विरल होना, असमय बाढ़, अकाल, भूकंप का आना एवं विश्व जैव संपदा के विलुप्त होने का संकट, आदि अनेक पक्ष पर्यावरण प्रदूषण के व्यापक स्वरूप को प्रदर्शित करते हैं ।

4. विकास और पर्यावरण:

विकास एवं पर्यावरण को एक दूसरे का विरोधी माना जाने लगा है । किंतु यह धारणा भ्रामक है । विकास की आधुनिक अवधारणाओं के माध्यम से ही विश्व की जनसंख्या को प्रश्रय दिया जा सकता है । प्रमुख आवश्यकता यह सुनिश्चित करने की है कि हमारी विकास परियोजनाओं से पर्यावरण संतुलन को क्षति नहीं पहुँचे क्योंकि इस प्रकार की क्षति से न केवल विकास की गति अवरुद्ध होगी अपितु स्वयं मानव का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा ।

पर्यावरण एवं विकास की समस्याओं को अलग करके नहीं देखा जा सकता । पर्यावरण एवं विकास की वर्तमान अवधारणा सतत् अथवा संधृत विकास है अर्थात् विनाश रहित विकास हो, विकास ऐसा हो जिससे पर्यावरण को हानि न हो । इसके लिये एक नवीन दृष्टिकोण, ठोस नीति एवं विश्व सहयोग की आवश्यकता है ।

5. पर्यावरण संरक्षण:

आज यह तथ्य विश्व के सभी देश स्वीकार कर चुके हैं कि पर्यावरण एक साझी विरासत है और इसकी रक्षा का दायित्व किसी एक देश अथवा कुछ देशों का नहीं अपितु संपूर्ण विश्व समुदाय का है । पर्यावरण एवं प्रदूषण के खतरों के संबंध में अनेक विद्वानों ने विचार व्यक्त किये तथा अनेक देशों में प्रयत्न होते रहे किंतु इसके संबंध में विश्व का ध्यान सर्वप्रथम जून, 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुए अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन से आकृष्ट हुआ जिसमें भारत सहित 58 देशों ने भाग लिया तथा विश्व के 119 देशों ने पहली बार ”एक ही पृथ्वी” का सिद्धांत स्वीकार किया ।

इसी सम्मेलन से संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ । यहाँ पारित स्टॉकहोम घोषणा-पत्र पर्यावरण संरक्षण से संबंधित गतिविधियों का ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसमें पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण के 26 सिद्धांत वर्णित किये गये हैं ।

इस सम्मेलन के पश्चात् संपूर्ण विश्व में पर्यावरण की चेतना का प्रारंभ हुआ तथा अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक स्तरों पर पर्यावरण कार्यक्रमों का न केवल आयोजन होने लगा अपितु इस दिशा में ठोस प्रयत्न भी किये गये ।

अनेक देशों में कानून द्वारा पर्यावरण को संरक्षित करने के प्रयास किये जा रहे हैं तो नित नये शोध द्वारा पर्यावरण की विभिन्न समस्याओं का निदान निकाला जा रहा है और यह आज स्पष्ट हो चुका है कि पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने का युद्ध टुकड़ों में नहीं लड़ा जा सकता, हमें विकास करना है और पारिस्थितिकी-संतुलन को भी बनाये रखना है ।

स्टॉकहोम सम्मेलन की 20वीं वर्षगाँठ पर अर्थात् 5 से 15 जून तक ब्राजील के नगर रियो-डी-जेनेरियो में 3 जून से 15 जून तक विश्व पर्यावरण सम्मेलन आयोजित हुआ जिसे ‘रियो सम्मेलन’ अथवा ‘पृथ्वी सम्मेलन-1992’ की संज्ञा दी गई । इस सम्मेलन में एक बार पुन: 165 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों, प्रधानमंत्रियों प्रतिनिधि-मण्डलों, पर्यावरणविदों, पत्रकारों आदि ने हिस्सा लिया ।

इसमें न केवल अपने-अपने देशों के पर्यावरण प्रतिवेदनों को प्रस्तुत किया गया अपितु विगत 20 वर्षों में हुए पर्यावरण प्रयत्नों की समीक्षा की गईं और विश्व के सम्मुख उपस्थित पर्यावरण चुनौतियों पर जैसे- पृथ्वी के तापमान में वृद्धि, ओजोन परत में छेद, संसाधन संरक्षण, विकास बनाम पर्यावरण, जैविक संसाधनों की विविधता एवं संरक्षण आदि पर विचार प्रस्तुत किये गये एवं एजेण्डा-21 के अंतर्गत 21वीं सदी में पर्यावरण संरक्षण को नई दिशा देने हेतु निर्देश तैयार किये गये ।

तात्पर्य यह है कि संपूर्ण विश्व पर्यावरण प्रदूषण एवं पारिस्थितिक असंतुलन के प्रति सचेष्ट है । भारत में इस दिशा में पर्याप्त कार्य सरकारी एवं गैर-सरकारी स्तरों पर हो रहे हैं । आवश्यकता है जन मानस को पर्यावरण संबंधी विविध आयामों की जानकारी देने की, उनको सचेष्ट करने की, जिससे कि वे पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा सकें ।

इसी उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत पुस्तक की रचना की गई है जिसमें पर्यावरण एवं पारिस्थितिक-तंत्र की व्याख्या करने के साथ-साथ प्रदूषण के विविध प्रकारों जनसंख्या का पर्यावरण पर प्रभाव, संसाधनों का संरक्षण, विकास एवं पर्यावरण, पर्यावरण प्रबंधन आदि का विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है तथा अंत में भारत की पर्यावरणीय समस्याओं का संक्षेप में विवेचन है । सर्वप्रथम पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी का अर्थ एवं उसके घटकों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तावना स्वरूप प्रस्तुत है ।

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Environment essay in hindi

Environment पर निबंध, कहानी, जानकारी | Environment essay in hindi

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यहां, हमने पर्यावरण (Environment) निबंध प्रदान किया है। और परीक्षा के दौरान पर्यावरण (Environment) पर निबंध कैसे लिखना है, इस बारे में एक विचार प्राप्त करने के लिए छात्र इस पर्यावरण (Environment) निबंध के माध्यम से जा सकते हैं। और फिर, वे अपने शब्दों में भी एक निबंध लिखने का प्रयास कर सकते हैं।

Table of Contents

पर्यावरण पर एस्से (Essay on Environment)

हर साल 5 जून को हम सभी विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाते हैं। पृथ्वी पर उपस्थित सभी सजीव और निर्जीव पर्यावरण का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारे Environment में पौधे, जीव, जल, वायु और अन्य जीवित चीजें मौजूद हैं। हमारा पर्यावरण जलवायु परिवर्तन, भूआकृतिक उपायों और जलीय उपायों से प्रभावित होता है। मनुष्य और जानवरों का जीवन पूरी तरह से जलवायु पर निर्भर है। 

हमारा पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन का समर्थन करता है। हम जो कुछ भी सांस लेते हैं, महसूस करते हैं और ऊर्जा पर्यावरण से आती है। Environment को एक आवरण माना जाता है जो पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में मदद करता है। सभी ग्रहों में, यह हमारा ग्रह पृथ्वी ही है जो जीवन का समर्थन करता है।

पर्यावरण का महत्व (Importance of Environment)

आए दिन हमें पर्यावरण को होने वाले खतरों के बारे में सुनने को मिलता है। हमारे पर्यावरण में जंगलों से लेकर समुद्र तक सब कुछ शामिल है, जो हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। यह वनों की कटाई, प्रदूषण, मिट्टी का कटाव आदि हो सकता है, जिसे गंभीरता से संबोधित करने की आवश्यकता है।

1. लोगों की आजीविका पर्यावरण पर निर्भर करती है

अरबों लोग अपनी आजीविका के लिए Environment पर निर्भर हैं। उदाहरण के लिए, 1.5 अरब से अधिक लोग भोजन, दवा, आश्रय आदि के लिए वनों पर निर्भर हैं। फसल खराब होने पर किसान जंगल की ओर रुख करते हैं। लगभग दो अरब लोग कृषि से जीविकोपार्जन करते हैं, और अन्य तीन अरब लोग समुद्र पर निर्भर हैं।

2. पर्यावरण की ताकत खाद्य सुरक्षा

जैव विविधता के नुकसान के कारण कई नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं, लेकिन कमजोर खाद्य सुरक्षा व्यापक है। यदि हम अपने कीमती जानवरों और पौधों की प्रजातियों को खो देते हैं, तो हम कीटों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इसके कारण, हमारे स्वास्थ्य को मधुमेह और हृदय रोग जैसी संबंधित बीमारियों का अधिक खतरा होता है। इसलिए, हमें हर इंसान के लिए भोजन सुनिश्चित करने के लिए अपने महासागरों और जंगलों की रक्षा करनी चाहिए।

3. पेड़ हवा को साफ करते हैं

प्रदूषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और हर साल 7 मिलियन लोग प्रदूषण के कारण मर जाते हैं। प्रदूषित हवा हमारे स्वास्थ्य और जीवन काल को प्रभावित करती है, जिसमें व्यवहार संबंधी समस्याएं, विकास संबंधी देरी और अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियां शामिल हैं। पेड़ ऑक्सीजन छोड़ते समय कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे वायु प्रदूषकों को हटाने के लिए एक फिल्टर के रूप में काम करते हैं।

4. पर्यावरण कई बीमारियाँ लाता है

हमें यह भी पता चला कि कोविड-19 सबसे अधिक संभावना एक जूनोटिक (zoonotic) बीमारी है। रोग तब फैलते हैं जब मनुष्य अन्य जानवरों की प्रजातियों के क्षेत्र को परेशान करते हैं। शोध के अनुसार, लगभग 60% मानव संक्रमण जानवरों से उत्पन्न होते हैं। बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू भी पशुओं से जुड़ी बीमारियां हैं।

पर्यावरण के लाभ (Benefits of the Environment)

हमारा Environment हमें अत्यधिक लाभ प्रदान करता है, जिसे हम अपने पूरे जीवन काल में चुका नहीं सकते हैं। पर्यावरण में जानवर, पानी, पेड़, जंगल और हवा शामिल हैं। पेड़ और जंगल हवा को फ़िल्टर करते हैं और हानिकारक गैसों को अंदर लेते हैं, और पौधे पानी को शुद्ध करते हैं, प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हैं और कई अन्य।

Environment अपने कामकाज पर नियमित रूप से नजर रखता है क्योंकि यह पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण प्रणालियों को विनियमित करने में मदद करता है। यह पृथ्वी पर संस्कृति और जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने में भी मदद करता है। पर्यावरण प्रतिदिन होने वाले प्राकृतिक चक्रों को नियंत्रित करता है। ये प्राकृतिक चक्र जीवित चीजों और पर्यावरण को संतुलित करते हैं। यदि हम इन प्राकृतिक चक्रों को बिगाड़ते हैं, तो यह अंततः मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों को प्रभावित करेगा।

हज़ारों सालों से, Environment ने इंसानों, जानवरों और पौधों को फलने-फूलने और बढ़ने में मदद की है। यह हमें उपजाऊ भूमि, हवा, पशुधन, पानी और जीवित रहने के लिए आवश्यक चीजें भी प्रदान करता है।

पर्यावरणीय गिरावट का कारण

मानव गतिविधियाँ पर्यावरणीय क्षरण का प्राथमिक कारण हैं क्योंकि अधिकांश मनुष्य किसी न किसी तरह से Environment को नुकसान पहुँचाते हैं। मनुष्यों की गतिविधियाँ जो पारिस्थितिक क्षरण का कारण बनती हैं, वे हैं प्रदूषण, दोषपूर्ण पर्यावरण नीतियां, रसायन, ग्रीनहाउस गैसें, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन क्षरण आदि।

औद्योगिक क्रांति और जनसंख्या विस्फोट के कारण पर्यावरण संसाधनों की मांग में वृद्धि हुई है, लेकिन अत्यधिक उपयोग और दुरुपयोग के कारण उनकी आपूर्ति सीमित हो गई है। अक्षय और गैर-नवीकरणीय संसाधनों के व्यापक और गहन उपयोग के कारण कुछ महत्वपूर्ण संसाधन समाप्त हो गए हैं। संसाधनों के विलुप्त होने और तेजी से बढ़ती जनसंख्या से हमारा पर्यावरण भी अस्त-व्यस्त है।

विकसित दुनिया द्वारा उत्पन्न कचरा Environment की अवशोषण क्षमता से परे है। इसलिए, विकास प्रक्रिया के परिणामस्वरूप पर्यावरण प्रदूषण, पानी और वातावरण हुआ, अंततः पानी और वायु की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा। इसके परिणामस्वरूप श्वसन और जल जनित रोगों की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है।

निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि Environment ही है जो हमें जीवित रखता है। पर्यावरण के कंबल के बिना, हम जीवित नहीं रहेंगे।

इसके अलावा, जीवन में पर्यावरण के योगदान को चुकाया नहीं जा सकता है। इसके अलावा पर्यावरण ने हमारे लिए जो कुछ किया है, उसे हमने ही नुकसान पहुंचाया है।

FAQ (Frequently Asked Questions)

Environment का उचित रखरखाव मनुष्य को कैसे मदद करता है.

मनुष्य अपनी अधिकांश दैनिक आवश्यकताओं को पर्यावरण से प्राप्त करता है। इसके अलावा, पर्यावरण प्रदूषण से बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।

हम अपने आसपास के Environment की रक्षा कैसे कर सकते हैं?

पहला कदम हमारी मानसिकता को बदलना है, और सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा डालना बंद करना है। प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए कदम उठाएं क्योंकि यह हमारे पर्यावरण के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। साथ ही ‘ Reduce, Reuse और Recycle ‘ के नारे को याद रखें और पर्यावरण की रक्षा की दिशा में एक साहसिक कदम उठाएं। और हर कीमत पर, जल, मिट्टी और वायु के प्रदूषण से बचें।

Environment प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं?

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग, पर्यावरण संरक्षण में कमी, प्राकृतिक संसाधनों का विनाश पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।

निबंध लिखते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए?

1. यह व्याकरणिक के रूप से सही हो।  2. इसमें पूर्ण वाक्य का इस्तेमाल करे। 3. इसमें किसी भी तरह का abbreviations का उपयोग नहीं करे।

आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।

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पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi हमारा जीवन पूरी तरह पर्यावरण पर निर्भर हैं, हमारे आस पास के परिवेश में उपलब्ध समस्त प्राकृतिक संसाधन इनवायरमेंट के अंतर्गत आते हैं.

बढ़ती आबादी के चलते इसका दोहन और दुरूपयोग बढ़ा है और पर्यावरण को तीव्र गति से नुक्सान पहुचाया जा रहा हैं. इसके संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस भी मनाया जाता हैं

आज के आर्टिकल में हम इनवायरमेंट पर कुछ सरल निबंध पढ़ेगे.

जिस पृथ्वी में हम रहते हैं वहांँ आस पास की सभी वस्तुएँ और प्राकृतिक सम्पदा महत्वपूर्ण होते हैं जो हमारे पर्यावरण की नींव बनाए रखते हैं। पर्यावरण के अंतर्गत समस्त चीजें आ जाती हैं जो जीवन यापन में ज़रूरी होती हैं। पर्यावरण के बिना जीवन असंभव है।

दोस्तों प्रस्तुत निबंध में हम पर्यावरण के बारे में बतायेगें जो मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। पर्यावरण का रखरखाव ज़रूरी होता है क्योंकि पर्यावरण स्वच्छ होगा तो मनुष्य जीवित रह पाएगा अन्यथा उसका कोई वजूद नहीं रहेगा। पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं पर्यावरण है तो मनुष्य है।

“पर्यावरण” से तात्पर्य है हमारे आसपास का समस्त वातावरण जिसमें सभी जैविक (जिनमें जीवन होता है) व अजैविक तत्व (जिनमें जीवन नहीं होता है) शामिल होते हैं। एक ऐसा आवरण जिससे हम चारों ओर से घेरे हुए हैं जो जीवन जीने के लिए आवश्यक है।

पर्यावरण का महत्व

पर्यावरण जो हमें जीवन जीने में मदद करता है। पर्यावरण वो सारे संसाधन उपलब्ध कराता है जो सजीव प्राणी के लिए ज़रूरी होते हैं जिनके बिना जीवन जिया नहीं जा सकता  है।

पर्यावरण की महत्वपूर्णता को बरकरार रखने के लिए प्रत्येक वर्ष पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 5 जून को “पर्यावरण दिवस” मनाया जाता है।

पर्यावरण वह सभी वस्तुएँ जो मानव जीवन के लिए ज़रूरी होते हैं उपलब्ध कराता है एवं जलवायु में असंतुलन की स्थिति को नियंत्रित करता है।

पर्यावरण पर प्रभाव

पर्यावरण इस धरती के लिए बहुत उपयोगी है लेकिन आजकल के आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी और औद्योगीकरण के अधिक प्रयोग से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं।

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है क्योंकि मनुष्य द्वारा पेड़ पौधों को काटा जा रहा है और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास हो रहा है। 

मनुष्य द्वारा पर्यावरण के प्रति लापरवाही की वजह से व अनेक कारणों से जलमंडल, वायुमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल पर प्रभाव पड़ रहा है।

पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग और तापमान में बढ़ोत्तरी की समस्या उत्पन्न हो रही है। पर्यावरण की ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए सबको जागरुक होने की ज़रूरत है और पर्यावरण के बचाव में एकजुटता एवं सहयोग की ज़रूरत है।

पर्यावरण का संरक्षण

मनुष्य के लिए पर्यावरण महत्वपूर्ण है अतः इसके संरक्षण के लिए हमें अनेक बातों का ध्यान रखकर पालन करना चाहिए। पर्यावरण दूषित ना हो जिसके लिए अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए।

पर्यावरण को स्वच्छ व साफ-सुथरा रखना चाहिए। पेड़ पौधों को काटने से रोकना चाहिए। ऐसे नियम बनाने चाहिए जिनसे ज़हरीले और दूषित करने वाले पदार्थ नियंत्रित किए जा सकें।

पर्यावरण है तो मनुष्य जीवन है। पर्यावरण को बचाए रखने के लिए पर्यावरण के प्रति हमें जागरूक होना चाहिए। अपनी ज़िम्मेदारी को समझ कर पर्यावरण की रक्षा में सहभागी बनना चाहिए ताकि हम मनुष्य स्वस्थ स्वच्छ साफ पर्यावरण में रह सकें।

दोस्तों पर्यावरण हमारी पृथ्वी को एक सुंदर वातावरण देता है। स्वच्छ पर्यावरण में साँस लेना हर इंसान की ज़रूरत है। इस निबंध में पर्यावरण के बारे में उचित जानकारी पढ़ने को मिलेगी जो पर्यावरण के महत्व को दर्शाती है।

पर्यावरण पर निबंध -2

पर्यावरण हमारी पृथ्वी का बहुमूल्य स्वरूप है। जीवन की उत्पत्ति पर्यावरण के कारण ही संभव हो पाई है। पर्यावरण मनुष्य के लिए जितना महत्वपूर्ण है उतनी ही ज़रूरी है पर्यावरण की सुरक्षा।

पर्यावरण अर्थात हमारे आस पास का सम्पूर्ण वातावरण व सम्बन्धित प्राकृतिक संसाधन एवं वस्तुएँं। जीवन यापन में शामिल सभी तत्व पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं जिनमें वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल, जीव मंडल हैं।

दोस्तों पर्यावरण मनुष्य के लिए उपहार स्वरूप है। पर्यावरण के कारण ही मनुष्य जीवन सम्भव है। प्रस्तुत लेख में पर्यावरण से संबंधित जानकारी को सहज रूप से लिखा गया है जिसे  पढ़कर पर्यावरण की महत्वपूर्णता पता चलेगी। 

पर्यावरण महत्व एवम् विश्व पर्यावरण दिवस

पर्यावरण मनुष्य को ज़रूरी वस्तुएंँ उपलब्ध कराता है जिसके कारण मनुष्य जीवित व स्वस्थ रह सकता है। स्वच्छ वायु, पानी, स्थान, भोजन आदि मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ स्वच्छ पर्यावरण से ही संभव है।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने एवं पर्यावरण के बचाव स्वरूप हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा एवम् स्वच्छता के मध्य भी जागरूकता फैलाता है। 

पर्यावरण सुरक्षा

पर्यावरण किसी एक मनुष्य की धरोहर नहीं है बल्कि सभी मनुष्य जाति के लिए पर्यावरण का सुरक्षित होना ज़रूरी है। पेड़ पौधे लगाने चाहिए। पेड़ पौधे की कटाई पर रोक लगानी चाहिए।

दूषित करने वाले पदार्थ एवम् ज़हरीले धुएँ से बचाव के नियम चलाने चाहिए। पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाकर उनका पालन करना चाहिए।

पर्यावरण मानव जीवन के लिए ज़रूरी है साथ ही ज़रूरी है पर्यावरण की सुरक्षा। अनेक कार्यों को प्रयोग में लाकर पर्यावरण की सुरक्षा की जा सकती है। 

दोस्तों पर्यावरण की उपयोगिता जितनी ज़रूरी है उतनी ही ज़रूरी है पर्यावरण की देखभाल व सुरक्षा और पर्यावरण के प्रति जागरूकता। इस निबंध में पर्यावरण के बारे में सहज रूप से बताया गया जो पर्यावरण संबंधी जागरूक पक्ष बताता है।

पर्यावरण पर भाषण Environment Speech in Hindi

पर्यावरण पर भाषण Our Environment Speech in Hindi : मानव के जीवन का अस्तित्व पर्यावरण से जुड़ा हैं. हमारी पृथ्वी पर जीवन की सम्भावनाएं भी पर्यावरण की मौजूदगी से संभव हुई हैं.

बच्चों को पर्यावरण के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए आज हम निबंध एवं भाषण के माध्यम से एनवायरमेंट के बारे में विस्तार से जानेगे.

Environment Day Speech in Hindi यह शोर्ट भाषण ५ जून के पर्यावरण दिवस के विषय पर दिया गया हैं. स्कूल और कॉलेज के छोटे बड़े स्टूडेंट्स इस लेख की रूपरेखा का उपयोग अपने पसंद के भाषण के लिए कर सकते हैं. परीक्षा अथवा स्कूल के कार्यक्रम में इसकी प्रस्तुती कर सकेगे.

मंचआसीन आदरणीय प्रिंसिपल महाशय, विद्वान् गुरुजनों मुख्य अतिथि महोदय एवं मेरे समस्त स्टूडेंट साथियों. सुप्रभात, इस प्रांगण में विराजमान सभी महानुभावों का मैं ह्रदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूँ.

मुझे इस भव्य सम्मेलन को देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई आज हम पर्यावरण के विषय पर जागरूक हो रहे है ये सभा इसका प्रत्यक्ष उदहारण हैं. आप सभी के समक्ष पर्यावरण पर भाषण देने का मौका देने के लिए आयोजन समिति को साधुवाद कहना चाहूँगा.

यहाँ विराजमान कुछ बुजुर्ग जन चार पांच दशक पूर्व के जीवन की सच्चाई से परिचित हैं. मैंने भी अपने दादाजी से उस दौर के बारे में काफी सुना हैं. जब मानव की तरक्की के कथित साधन कम थे.

जीवन के निर्वहन में कई बाधाएं हुआ करती थी. जैसे कृषि, जल, आवागमन, सूचना प्रोद्योगिकी आदि के कोई साधन नहीं के बराबर थे. मगर एक बात बड़ी अच्छी थी. हमारा पर्यावरण संरक्षित था.

मानव सदा से महत्वकांक्षी, स्वार्थी तथा औरों पर विजय पाकर विजेता बनने का स्वभाव का रहा हैं. दुर्भाग्य से अब इसने प्रकृति पर विजय पाने की जिद्द ठानी हैं. कथित विकास और एशो आराम के नाम पर पर्यावरण को खत्म किया जा रहा हैं.

प्रकृति अपने नियमों के बंधन का पालन करते हुए आगे बढ़ती हैं, मगर मनुष्य ने पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ने की हर हद को पार करने कवायद शुरू कर दी है. जो मानव अस्तित्व के खात्मे का कारण बन सकती हैं.

मानव अपने काल को अपने ही हाथों से पाल पोसकर बड़ा कर रहा है जो एक दिन सभी को निगल जाएगा. आज वक्त आ चूका है कि हम पर्यावरण संरक्षण के नाम पर दिखावे की बजाय इसे बचाने के लिए प्रयास शुरू कर दे.

हमारे आस पास जो कुछ है उसका सम्मिलित नाम ही पर्यावरण हैं. जल, वायु, पेड़,पहाड़ भूमि सभी इसके अंग हैं. हमें पर्यावरण ने वह सब कुछ दिया जो जीवन के लिए आवश्यक था.

हमारी लालच की प्रवृत्ति इतनी बढ़ी की. हम प्रकृति की पूजा के बदले उन्हें प्रदूषण और वनों की कटाई उपहार स्वरूप दे रहे हैं. मनुष्य के इन्ही कर्मों का फल ग्लोबल वार्मिंग, बीमारियों, जल संकट के रूप में मिला हैं.

यदि आप प्रकृति का संतुलन बिगड़ा है और संसाधन सिमित रह गये है तो मानव समुदाय ही इसका जिम्मेदार हैं. अपने जीवन को अधिक सुखमय बनाने की लालसा के कारण आज हालात इतने बुरे हुए हैं.

खासकर पश्चिम के विकसित देशों ने औद्योगिक विकास के नाम पर वनों की अंधाधुंध कटाई के बाद वायु, जल, भूमि को इतनी प्रदूषित किया है कि ओजोन परत में भी छिद्र कर दिया.

हमें भौतिकता के इस दौर को छोडकर पुनः प्रकृति की ओर लौटना होगा. तभी पर्यावरण बचेगा तथा मानव समुदाय भी बचा रह पाएगे. यह जरुरी है कि हम प्रकृति को संतुलित करने के लिए संसाधनों का सिमित मात्रा में ही उपयोग करे.

यदि हम पर्यावरण के बढ़ते खतरे के कारणों का अध्ययन करे तो असीमित रूप से बढ़ी जनसंख्या इसका मूल कारण है. आवास, ईधन तथा अन्य मानव आवश्यकताओं के लिए वनों की कटाई अनवरत होती रही. इससे वन उजड़ते चले गये और वायुमंडल की गैसों का संतुलन बिगड़ गया.

पर्यावरण को बचानें एवं इसके संतुलन को स्थापित करने में वृक्षारोपण अहम भूमिका निभा सकता हैं. हमें चाहिए कि जितने पेड़ों की कटाई आवश्यक हो उनके स्थान पर नयें पौधे लगाए तथा घनी मानव बस्ती में छोटा वन एवं उपवन बनाकर ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित कर सकते हैं.

प्रकृति के पारिस्थितिकी तंत्र में सभी छोटे बड़े जीवों, पेड़ पौधों का बना रहना जरुरी हैं. किसी जाति की संख्या कम होने अथवा किसी की बढ़ जाने से यह संतुलन बिगड़ जाएगा और ऐसा होने पर भयानक दुष्परिणाम भुगतने पड़ेगे.

आज प्रत्येक शहर की सड़क पर वाहनों की लम्बी कतार उससे होने वाले वायु एवं ध्वनि प्रदूषण ने कई बीमारियों को जन्म दिया हैं. यूरेनियम विस्फोट से अर्जित परमाणु ऊर्जा मानव की प्रकृति को प्रदूषित करने की चाल हैं. वह अपनी जीवन शैली के विविध रूपों से जल, वायु, मृदा तथा ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने में योगदान दे रहा हैं.

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहला कदम हमें व्यक्तिगत स्तर पर उठाना चाहिए. हम स्वयं ऐसे उपायों को अपनाएं जिससे पर्यावरण के प्रदूषण को कम करने मदद मिल सके. इस अभियान की सफलता के लिए व्यापक स्तर पर जनजागरूकता की भी आवश्यकता हैं.

विशेषकर स्कूल में अध्ययनरत बच्चों को पर्यावरण के विषय में अलग से जानकारी देनी होगी. वनों की कटाई से कारण बाढ़, अकाल, जल संकट, तापमान वृद्धि, सुनामी जैसी आपदाओं का प्रभाव मनुष्य को भुगतना पड़ रहा हैं.

संतुलित पर्यावरण से स्वास्थ्य के अनगिनत लाभ हैं. स्वच्छ वायु, जल के होने से बीमारियों से बचाव संभव हैं. शरीर के समग्र स्वास्थ्य के अच्छा बनाने के लिए मृदा, भूमि, तापीय तथा ध्वनि व विकिरण प्रदूषण भी हानिकारक हैं.

यदि हम निरंतर प्रकृति के अंगो को यूँ ही दूषित करते गये तो एक दिन ये हमारे लिए उपयोगी नहीं रह पाएगे. तथा इनके अभाव में जीवन निर्वाह संभव नहीं हैं. मानव शरीर जिन पांच तत्वों से मिलकर बना हैं किसी एक की गुणवत्ता में कमी आने से भयंकर विकार उत्पन्न हो जाएगे.

अभी तक पर्यावरण के असंतुलन की वह स्थिति नहीं है जहाँ से इसमें सुधार नहीं किया जा सकता हैं. हम अभी सजगता से काम ले तो निश्चय ही मानव जाति के हित में यह सबसे बड़ा कदम हो सकता हैं. हम अपने पर्यावरण को बचाने के तरीके खोजकर इन्हें लोगों तक पहुचाने होंगे.

नवीकरण संसाधनों के संतुलित उपयोग यथा जल, विद्युत्, गैस, पेट्रोल आदि के बचाव तथा वृक्षारोपण की आदत डालकर हम इसमें अपना सक्रिय योगदान दे सकते हैं. सरकार भी अपने स्तर पर वनों की कटाई को रोकने तथा प्रदूषण कम करने के लिए कानून बनाए.

आखिर में सभी से यही निवेदन करना चाहूगा कि हम सभी जिस स्तर पर पर्यावरण को बचाने में योगदान कर सकते हैं अवश्य करे. लोगों तक पर्यावरण को बचाने के सरल तरीके प्रचारित कर उन्हें भी भागीदारी के लिए प्रेरित करे. तभी हम भावी पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य एवं स्वर्ग सी धरा दे सकेगे.

One comment

Hallo Please mother’s Day par nibhand chaiya kal tak

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पर्यावरण  पर संक्षिप्त में  निबंध || Short Essay on Environment in Hindi

  • April 15, 2023

पर्यावरण पर निबंध

हमारे चारों ओर पाए जाने वाले  पेड़ – पौधे ,  हवा ,  जल या स्थल  आदि के  वातावरण को  पर्यावरण  कहते हैं। ' पर्यावरण ' शब्द ' परि ' और ' आवरण ' शब्दों के सहयोग से बना है।

' परि‌ ' का अर्थ  चारों ओर  और ' आवरण ' का अर्थ  घिरा होना , होता है।  पर्यावरण  हमारी अमूल्य धरोहर है। इसे सहयोग कर रखना हमारी जिम्मेदारी है।  पर्यावरण  स्वास्थ्य जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पर्यावरण का  मानव  जीवन में महत्वपूर्ण योगदान होता है। ऐसी बहुत सी आवश्यकता है जो मानव  पर्यावरण  द्वारा पूरा करते हैं।  पर्यावरण  हमें शुद्ध  जल  शुद्ध  हवा  आदि प्रदान करती है। पर्यावरण सभी जीवो के लिए आवश्यक है। पर्यावरण के अभाव में सभी जीवो का जीवन संकट में पड़ने लगता है। अतः इसीलिए हमें  पर्यावरण  को कोई नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। साथ ही हमें पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।

स्वच्छ पर्यावरण से लाभ

स्वच्छता हमारी आवश्यकता है। स्वच्छ  पर्यावरण  हमें कई तरह के  बीमारियों  से बचाती है। स्वच्छ  पर्यावरण  हमें शुद्ध हवा शुद्ध  जल  तथा स्वच्छ  वातावरण  प्रदान करती है। और यह सभी चीजें जीवो के लिए अति आवश्यक है। पेड़–पौधे की हरियाली से मन का तनाव दूर होता है। और मन को शांति मिलती है।  पर्यावरण मनुष्य, पशु–पक्षियों  तथा अन्य जीवो को बढ़ाने और विकास होने में मदद करती हैं।  पर्यावरण  के कारण ही आज धरती पर मानव  जीवन  संभव है। यदि आज हम जीवित हैं तो उसमें बहुत बड़ा योगदान पर्यावरण का है। स्वच्छ पर्यावरण हमें बेहतर, निरोग, आनंद जीवन जीने में सहायता करती है।

पर्यावरण का महत्त्व

पर्यावरण  सभी जीवो के जीवन का महत्वपूर्ण  अंग  है।  प्रकृति  के बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।  वायु, अग्नि, अकाश, जल-थल  आदि ये सभी तत्वों से ही मनुष्य का जीवन है। जितना हमारे लिए  भोजन  करना पानी पीना आवश्यक है। उतना ही हमारे लिए स्वच्छ पर्यावरण आवश्यक है। यदि मनुष्य अपना जीवन स्वच्छ एवं रोगमुक्त व्यतीत करना चाहता है तो  पर्यावरण का  स्वच्छ   होना आवश्यक‌ है।

प्रदूषित पर्यावरण से हानी

प्रदूषित पर्यावरण  से जीव–जंतुओं, पेड़–पौधे एवं  औद्योगिक संस्थाओं  को बहुत हानि होती है।  दूषित हवा ,  पानी ,  मिट्टी , दलदल,   मरूभूमि, नदियों का उफहान  कार बहना और अधिक गर्मी में सूख जाना,  जंगलों  को काटने से लेकर शुद्ध पेयजल का संकट, गंदे पानी का उचित रूप से निकास नहीं होना कारखाने से निकला हुआ दूषित पदार्थ आदि पर्यावरण प्रदूषण के अंतर्गत आते हैं। इसके कारण पृथ्वी पर मानव जीवन एवं अन्य जीवो का जीवन संकट में पड़ जाता है। औद्योगिकीकरण के युग में बड़े-बड़े शहरों में नालियों से गंदा पानी  मल- मूत्र  कारखानों से राख या  रासायिन गैसों  आदि निकलती रहती है जिससे   स्वच्छ वायु, स्वच्छ जल  एवं  स्वच्छ पर्यावरण  दूषित हो जाता है। पर्यावरण दूषित होने के कारण कई तरह की घातक बीमारियां उत्पन्न होती है। अतः इसीलिए पर्यावरण को स्वच्छ रखना चाहिए। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या आज पूरे संसार में विकराल रूप लेकर उपस्थित है। यदि इसे रोका नहीं गया तो पूरी सृष्टि का विनाश संभव है।

पर्यावरण प्रदूषण से बचने के उपाय

पर्यावरण प्रदूषण से बचने हेतु सबसे पहले अपने आसपास  पेड़-पौधे, झारियां  आदि लगाए जाना चाहिए।

कारखाने से निकलने वाले  धुएं  को  चिमनी द्वारा   कार्बन  के रूप में बाहर कर लेना चाहिए। बेकार रासायनिक पदार्थों को नालियों में बहा कर नष्ट कर देना चाहिए।

लगातार बढ़ते हुए जनसंख्या पर रोक लगाना चाहिए। पर्यावरण प्रदूषण का यह भी एक कारण है।

अपने आसपास कूड़ा- कचरा नहीं फैलाना चाहिए। अपने घरों से निकलने वाली मेले जल के नालियों में  कीटनाशक दवाइयों  का छिड़काव करते रहना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को स्वच्छता के लिए  जागरूक  करना चाहिए।

आत:इस प्रकार के प्रयासों से हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ संपूर्ण एवं सुरक्षित रख सकते हैं

पर्यावरण  संपूर्ण जीव जगत का स्वामी है। पर्यावरण के बिना संपूर्ण जीव जगत का कोई अस्तित्व नहीं है। पर्यावरण हमारे जीवन का  मूल्य धरोहर  है।

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पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध

environment consciousness essay in hindi

By विकास सिंह

environment and human health essay in hindi

विषय-सूचि

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (200 शब्द)

प्रस्तावना:.

मानव स्वास्थ्य को मानव स्थिति के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक पहलुओं के संबंध में कल्याण की स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है। बीमारी की अनुपस्थिति के कारण किसी व्यक्ति को केवल स्वस्थ नहीं कहा जा सकता है; वह या वह वास्तव में स्वस्थ होने के लिए सभी तरह से अच्छा करने की जरूरत है।

कई कारक हमारे स्वास्थ्य का निर्धारण करने में भूमिका निभाते हैं – जैविक, पोषण, मनोवैज्ञानिक और रासायनिक। ये कारक आंतरिक और बाहरी स्थितियों से प्रभावित हो सकते हैं। बाह्य रूप से, हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा कारक हमारा पर्यावरण है।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य:

हमारा पर्यावरण केवल उस हवा में नहीं है जिसे हम सांस लेते हैं, हालांकि यह एक प्रमुख घटक है; यह उस पानी से होता है जिसे हम पीते हैं, यह उस मिटटी में होता है जिसे हम अपने आसपास पाते हैं एवं उस भोजन में होता है जिसे हम खाते है। प्रत्येक भाग हमें प्रभावित करता है और इस प्रकार हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

वाहनों, कारखानों और आग से उत्सर्जन के साथ, हमारी वायु आपूर्ति विषाक्त रसायनों से भरी हुई है जो फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग और अस्थमा का खतरा पेश करती है। हम जो भोजन करते हैं, वह कीटनाशकों में शामिल होता है जो मिट्टी को कम उपजाऊ बनाता है और हमारे लिए कैंसरकारी हो सकता है। मानव शरीर को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है लेकिन हमारे जल स्रोत मानव और औद्योगिक कचरे से भरे होते हैं जो गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों को पैदा करते हैं।

निष्कर्ष:

हमें यह याद रखने की जरूरत है कि हमें अपने पर्यावरण के साथ तालमेल में रहना होगा। हम इसमें जो डालेंगे वह हमारे पास वापस आ जाएगा। जब तक हम कुछ नहीं करेंगे, पृथ्वी बहुत जल्द एक रहने के लिए योग्य हो जायेगी।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (400 शब्द)

डब्ल्यूएचओ द्वारा परिभाषा के अनुसार, “मानव स्वास्थ्य पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है और न केवल बीमारी और दुर्बलता की अनुपस्थिति”। यह आंतरिक के साथ-साथ बाहरी कारकों से प्रभावित होता है। आंतरिक कारकों में मानव शरीर के अंदर की समस्याएं जैसे कि प्रतिरक्षा की कमी, हार्मोनल असंतुलन और आनुवंशिक या जन्मजात विकार शामिल हैं।

बाहरी कारकों में आमतौर पर तीन प्रकार के स्वास्थ्य खतरे शामिल होते हैं: पराबैंगनी और रेडियोधर्मी विकिरण, ध्वनि प्रदूषण, कार्बन मोनोऑक्साइड और सीएफसी जैसे शारीरिक खतरे; औद्योगिक खतरों, भारी धातुओं, कीटनाशकों और जीवाश्म ईंधन दहन जैसे रासायनिक खतरों; और परजीवी, बैक्टीरिया और वायरस जैसे जैविक खतरे।

इसका स्पष्ट अर्थ है कि हमारा स्वास्थ्य काफी हद तक, हमारे पर्यावरण पर निर्भर है और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक ज्यादातर मनुष्यों द्वारा बनाए गए हैं। हम अपने ईको-सिस्टम में जो जारी करते हैं वह अंततः हमें वापस मिल जाता है।

पर्यावरण मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है:

चूंकि हम जीवित रहने के लिए पर्यावरण पर पूरी तरह से निर्भर हैं, इसलिए यह कहना सुरक्षित है कि पर्यावरण में कोई भी परिवर्तन मानव कल्याण को प्रभावित करेगा। हालाँकि, इन दोनों के बीच वास्तविक संबंध हमारे विश्वास से अधिक जटिल है और इसका आकलन करना हमेशा आसान नहीं होता है। सबसे स्पष्ट प्रभाव जो हमने देखा है वह बिगड़ते पानी की गुणवत्ता, वायु प्रदूषण और विषम परिस्थितियों से हैं। विकिरण विषाक्तता भी मानव स्वास्थ्य के लिए घातक परिणाम है।

इन मुद्दों की प्रतिक्रिया हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को साफ करने का एक समग्र प्रयास रही है। जबकि यह कुछ देशों के लिए काम किया है, ज्यादातर विकसित दुनिया में, यह दुनिया के विकासशील देशों में अच्छी तरह से लागू नहीं किया गया है। देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौते वायुसेना में सीएफसी के उत्सर्जन और उनके द्वारा ओजोन परत को हुए नुकसान जैसी कुछ और तात्कालिक चिंताओं को दूर करने में कामयाब रहे हैं।

कॉरपोरेट जगत अपने कार्बन पदचिह्न को कम करने और हरित ’समाधान की ओर भी प्रयास कर रहा है। हालाँकि, कई चिंताएँ हैं जिन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया जा सका है और जैव विविधता जैसे नियंत्रण से बाहर हो रही हैं; हर दिन औसतन एक प्रजाति मर जाती है। इसके अलावा, भोजन की उचित आपूर्ति बनाए रखना कठिन होता जा रहा है, ताकि दुनिया भूखे न रहे।

हम अपने आस-पास के वातावरण में होने वाले किसी भी बदलाव के प्रभावों के प्रति प्रतिरक्षित होने के लिए बस अपने परिवेश में बहुत अच्छी तरह से जुड़े होने चाहिए। समस्या यह है कि क्योंकि स्वास्थ्य और पर्यावरण के बीच संबंध जटिल है, इसलिए हम बड़े बदलाव करने के लिए प्रेरित नहीं हुए हैं; हम अकाट्य प्रमाणों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जब तक हम इसे प्राप्त करें, तब तक बहुत देर हो सकती है।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (500 शब्द)

अस्वास्थ्यकर पर्यावरण अस्वस्थ जीवन:, पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव:, मानसिक स्वास्थ्य:, जल संदूषण प्रभाव:, संकल्प के लिए दृष्टिकोण:.

  • पृथ्वी पर निम्नांकित और प्राकृतिक प्रणालियाँ जो दबाव में हैं, पारिस्थितिकी तंत्र, जो कि रोग के प्रकोप, भोजन की कमी और प्राकृतिक आपदाओं जैसी आपदाओं की संभावना है।
  • अपर्याप्त स्वच्छता, खराब स्वच्छता और असुरक्षित पानी जो घातक बीमारियों, खराब मानसिक स्वास्थ्य और यहां तक ​​कि आर्थिक उत्पादकता को बुरी तरह से प्रभावित करने का कारण हैं।
  • गरीब पोषण शारीरिक गतिविधि के गिरते स्तर के साथ संयुक्त, गैर-संचारी रोगों के प्रसार के लिए अग्रणी।

प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, एक स्वस्थ वातावरण का मतलब स्वस्थ लोगों से है। यह कहना नहीं है कि बीमारी और कुपोषण को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा लेकिन इन घटनाओं की घटनाओं में कमी आएगी और हर साल लाखों मानव जीवन नहीं खोएंगे।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (600 शब्द)

मानव स्वास्थ्य या मानव कल्याण दो मुख्य कारकों से प्रभावित होता है – व्यक्तिगत लक्षण या आंतरिक कारक और पारिस्थितिक कल्याण या बाहरी कारक। हालांकि, ज्यादातर समय, जब मानव स्वास्थ्य की स्थिति पर शोध किया जाता है, इन दो कारकों की एक दूसरे से अलगाव में जांच की जाती है। यदि कोई सही मायने में इस सवाल का जवाब देना चाहता है – पर्यावरण व्यक्तिगत स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है – किसी को मिलकर दोनों कारकों को देखना होगा। जलवायु परिवर्तन की चेतावनी और उनके प्रति सरकारी उदासीनता के मद्देनजर यह अब विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गया है।

स्वास्थ्य पर पर्यावरण का प्रभाव:

स्वास्थ्य संबंधी पर्यावरणीय अध्ययन या पर्यावरण से संबंधित स्वास्थ्य अध्ययनों में कमी के साथ, विशेष रूप से पश्चिम में उन लोगों ने, विशेष एलर्जीनिक, संक्रामक या विषाक्त एजेंटों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित किया है। वे व्यापक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं जो मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभावों को भी कवर करते हैं।

कुछ शोधकर्ता इस बात से सहमत हैं कि मानव स्वास्थ्य का अध्ययन करते समय अध्ययन किए जा रहे लोगों के पर्यावरण के प्रभाव को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। यह प्रभाव इस तथ्य में देखा जा सकता है कि भूगोल के अनुसार स्वास्थ्य असमानताएं मौजूद हैं। वास्तव में, स्वास्थ्य सामाजिक और भौतिक वातावरण से प्रभावित होता है।

अतिरिक्त शोध से यह भी पता चला है कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और हरित स्थानों के प्रसार के बीच सीधा संबंध है; हरे रंग की जगह के लिए अधिक निकटता, बेहतर मानसिक स्वास्थ्य।

पर्यावरणीय प्रभाव में सामाजिक-आर्थिक अंतर:

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, यह रिश्ता अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से काम करता है। दूसरे शब्दों में, इस बात पर निर्भर करता है कि आप दुनिया में कहां हैं, तत्काल स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं और उन चिंताओं को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक विविध हो सकते हैं।

विकासशील देशों में शिशु मृत्यु दर, कुपोषण और संक्रामक रोगों जैसे मुद्दों पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इन देशों में तात्कालिक पर्यावरण संबंधी चिंताएँ स्वच्छता, स्वच्छता, खनन, अयस्क प्रसंस्करण, तेल उत्पादन और जल की गुणवत्ता हैं। हालांकि, जब कोई विकसित राष्ट्रों को देखता है, तो स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं कैंसर, फेफड़े की बीमारी और हृदय रोग जैसे मुद्दों पर घूमती हैं। इन देशों में उद्योगों के आसपास अर्थव्यवस्थाएं बनी हैं और वे उद्योग अपने खतरनाक कचरे को जिम्मेदारी से नहीं हटाते हैं, जिससे आसपास के जल निकायों और मिट्टी को दूषित होता है।

इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, यह कोई आश्चर्य नहीं है कि उन रोगों के पीछे के कारणों की तुलना में बीमारियों पर अधिक जोर दिया जाता है। कारण अलग-अलग होते हैं; बीमारियां जरूरी नहीं हो सकती हैं।

विश्व भर में स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय प्रभाव के उदाहरण:

दुर्भाग्य से, दुनिया का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं है जो पर्यावरणीय क्षति से मुक्त हो, यहां तक ​​कि ध्रुवीय क्षेत्र भी नहीं। यदि कोई देख रहा है, तो एक लगभग हमेशा उन पर्यावरण संबंधी मुद्दों से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का पता लगाएगा। यह मदद नहीं करता है कि चीन और भारत जैसे देश बहुत तेज़ी से विकसित हो रहे हैं। उनकी गति ऐसी है कि पर्यावरण संबंधी चिंताएँ विकास को बनाए रखने में सक्षम नहीं हैं।

मानव अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि अपवाह और सिर्फ सादे पुराने डंपिंग दोनों देशों में पारिस्थितिकी के साथ कहर खेल रहे हैं। फिर पूर्वी यूरोपीय देश हैं, जिनमें से कई पूर्व सोवियत संघ के राज्य हैं। पिछले दशकों में, भारी धातु और नाइट्रेट जैसे खतरनाक कचरे को बिना किसी योजना या एहतियात के फेंक दिया गया था। परिणाम भूजल और सतही जल बुरी तरह से दूषित है, न कि मिट्टी की निचली गुणवत्ता का उल्लेख करने के लिए।

अंत में कुछ कार्रवाई की जा रही है जहां ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जा रही है और ऐसे स्थानों में मिट्टी और सतह के पानी को फिर से बनाने, पुनः प्राप्त करने और पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया गया है; हाल्नाकी इस कदम को उठाने में बहुत देर लगाई गयी है लेकिन अभी भी बहुत देर नहीं हुई है और हमारे वातावरण को बचाया जा सकता है।

यदि कोई वास्तव में जानना चाहता है कि स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय प्रभाव कैसा दिखता है, तो उन्हें हमें बुलबुले से बाहर निकलना होगा और पूरे पर्यावरण पर ध्यान देना होगा नाकि बीएस घर के आसपास के वातावरण को। उन्हें एक व्यक्ति के साथ-साथ एक पर्यावरणीय दृष्टिकोण से स्वास्थ्य विकारों का अध्ययन करना चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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10 Lines on Environment in Hindi। पर्यावरण पर 10 लाइन निबंध

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पर्यावरण को अंग्रेजी भाषा में Environment कहा जाता है। पर्यावरण का सरंक्षण लोगो का प्रथम कर्तव्य है क्युकी पर्यावरण सीधे लोगो के जीवन को प्रभावित करने का कार्य करता है। आज हम “ पर्यावरण पर 10 लाइन्स निबंध ” लेकर आपके समक्ष आये है इस आर्टिकल में आप ’ 10 Lines on Environment in Hindi ’ में पढ़ेंगे।

  • पर्यावरण सभी प्रकार के जीवो को प्रभावित करता है।
  • पृथ्वी पर स्थित स्थल, वायु, जल, जीव और जंतु आदि से मिलकर पर्यावरण बना है।
  • पर्यावरण का स्वस्थ एवम स्वच्छ होना पृथ्वी के जीवो के लिए अति आवश्यक है।
  • पर्यावरण के दूषित होने से मनुष्य और अन्य जीवो को अनेक समस्याएं और बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • विश्व में पर्यावरण दिवस हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है।
  • प्रथम विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1973 को मनाया गया था।
  • पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण को शुद्ध और स्वच्छ रखने के प्रयासों पे चर्चा की जाती है।
  • पर्यावरण को सबसे ज्यादा हानि वाहन और कारखानों के धुंए, रासायनिक कचरा और मनुष्यो द्वारा फैलाये कचरे से है।
  • पर्यावरण को प्रभाव करने वाले मुख्य प्रदूषण वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, मृदा प्रदुषण और ध्वनि प्रदूषण है।
  • पर्यावरण को सुरक्षित रखना सभी मनुष्यो का कर्तव्य है।

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हमें आशा है आप सभी को Environment in Hindi पर छोटा सा लेख पसंद आया होगा। आप इसे लेख को Environment Essay in Hindi के रूप में भी प्रयोग कर सकते है।

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Essay on Environment Consciousness

Explore the importance of environment consciousness (Essay on Environment Consciousness) in today’s world through this insightful essay. Discover how understanding and caring for our environment can mitigate challenges like climate change, pollution, and biodiversity loss. Learn about the benefits of adopting eco-friendly practices and how individuals, businesses, and communities can promote a sustainable future. Overcome barriers and find inspiration to make a positive impact on our planet’s well-being. Read now for a comprehensive exploration of environment consciousness and its role in shaping a greener, healthier world.

Essay on Environment Consciousness || Essay on Environment Consciousness in Hindi

Cultivating Environment Consciousness: Nurturing a Sustainable Future

Introduction:.

Imagine a world where people care deeply about the environment, where they understand how their actions affect nature, and where they work together to protect our planet. This is what we mean by “environment consciousness.” It’s like having a special awareness about the world around us and realizing that we all have a responsibility to take care of it. In today’s world, this idea is more important than ever.

Right now, our planet is facing some big problems. These problems include things like climate change, pollution, cutting down too many trees (called deforestation), and animals and plants disappearing from the Earth (biodiversity loss). These issues might seem overwhelming, but by becoming more environmentally conscious, we can make a positive difference.

The reason why environment consciousness is so crucial is because it helps us protect not only the environment but also ourselves and future generations. We want the air we breathe to be clean, the water we drink to be safe, and the forests, oceans, and animals to thrive. By understanding and caring for the environment, we’re making sure that our planet remains a healthy and beautiful place to live, not just for us, but for our children and grandchildren too.

I. Understanding Environment Consciousness:

A. what does environment consciousness mean.

  • Environment: The word “environment” comes from the Old French word “environer,” meaning “to encircle” or “surround.” This term evolved from the Latin “ambiens,” which also means “surrounding.” In the context of the natural world, “environment” refers to the surroundings or conditions in which living organisms exist.
  • Consciousness: The term “consciousness” traces its roots to the Latin word “conscientia,” which means “knowledge within oneself” or “awareness.” It stems from “conscius,” meaning “knowing with” or “being privy to.” Over time, “consciousness” has come to denote the state of being aware, awake, and perceptive.

When combined, “environment consciousness” refers to a state of heightened awareness, understanding, and consideration of one’s surroundings and the impact of human actions on the natural world. It signifies a deep recognition of the interconnectedness between human activities and the health of the environment, often motivating individuals to adopt sustainable practices for the well-being of both ecosystems and future generations.

Environment consciousness is about knowing and caring about the big problems our planet faces. It includes understanding things like pollution, climate change, and how we use Earth’s resources. It’s like having a special “environment radar” that helps us make better choices.

B. Learning and Knowing:

Learning about the environment is really important. When we go to school, we can study things that help us understand how our actions affect the planet. Also, the things we see and hear in the news or on TV can shape how we think about the environment. Sometimes, people organize events or campaigns to tell everyone about these problems and how we can solve them.

II. Benefits of Environment Consciousness:

A. saving resources:.

Our planet has limited resources like water, energy, and trees. If we use too much, there might not be enough left for the future. Environment consciousness helps us use resources wisely, so there’s enough for everyone.

B. Fighting Climate Change:

The Earth is getting warmer because of things people do, like burning fossil fuels (like coal and oil). This is called climate change, and it’s causing problems like extreme weather and rising sea levels. Being environmentally conscious means using cleaner sources of energy and making choices that reduce these problems.

C. Protecting Animals and Plants:

All living things are connected in a big web of life. When we harm one part of this web, it can affect everything else. Environment consciousness reminds us that we need to take care of animals and plants, so they can continue to live and thrive.

III. How Can We Care More About the Environment?

A. small actions matter:.

Even the things we do every day, like using less plastic or walking instead of driving, can add up to make a big difference. Each small action counts.

B. Companies and Governments:

Big companies and governments can also help by making eco-friendly products and passing laws to protect the environment. When they do this, it creates a better world for all of us.

C. Working Together:

When communities come together, amazing things can happen. Planting trees, cleaning up parks, and organizing events for a cleaner environment are great examples of how people can make a positive impact when they work together.

IV. Overcoming Challenges:

A. money matters:.

Some people think that taking care of the environment is expensive. But in the long run, it can actually save money by preventing problems like pollution and resource shortages.

B. Different Cultures and Ways of Thinking:

People from different backgrounds might have different ideas about the environment. It’s important to understand and respect these differences while finding ways to protect the planet together.

C. Changing Our Habits:

Sometimes, it’s hard to change the way we do things. But by learning and practicing new habits, we can overcome these challenges and become more environmentally conscious.

Conclusion:

Being environment conscious means being a good friend to the Earth. It’s about understanding that we are all connected to nature and that our choices have an impact. By caring for the environment, we’re ensuring a healthier and happier world for ourselves and the generations that follow. Let’s remember that every small step we take, like recycling or using less electricity, adds up to create a big and positive change. Together, we can make a difference and create a more sustainable and beautiful future for our planet.

Long Essay on Environment Consciousness

In an era defined by mounting environmental challenges, the concept of environment consciousness has emerged as a guiding light, illuminating a path toward a sustainable and harmonious future. At its essence, environment consciousness entails a heightened awareness of our surroundings, an acknowledgment of the intricate interconnectedness of life on Earth, and a deep recognition of our responsibility as custodians of the planet. With issues like climate change, pollution, deforestation, and the alarming loss of biodiversity looming large, fostering environment consciousness has evolved from a mere aspiration to an urgent necessity. This essay embarks on a journey to explore the profound significance of environment consciousness, its manifold benefits, strategies for its promotion, and the potential hurdles that must be surmounted to secure the well-being of both present and future generations.

A. Definition and Components of Environment Consciousness:

At its core, environment consciousness embodies an acute awareness of pressing environmental issues that endanger the delicate balance of our ecosystems. It signifies a keen recognition of the far-reaching consequences of human actions on the natural world, coupled with a profound commitment to adopting sustainable practices that mitigate these adverse effects. This holistic approach challenges us to reevaluate our roles from passive inhabitants to active stewards, bound by the responsibility to protect and preserve our planet for generations to come.

B. The Role of Education and Awareness:

Education serves as a potent catalyst for nurturing environment consciousness. By integrating environmental education into school curricula and community programs, we empower individuals with the knowledge and tools to make informed decisions that prioritize the health of the planet. The media, as a powerful influencer, plays a pivotal role in shaping environmental perspectives, underlining the importance of accurate and responsible reporting. Additionally, public awareness campaigns wield the potential to galvanize collective action, effectively thrusting environmental concerns to the forefront of public discourse.

A. Preservation of Natural Resources:

Environment consciousness paves the way for responsible resource management, reducing overconsumption and waste that strain the Earth’s finite resources. By adopting sustainable consumption patterns and making mindful choices, individuals contribute to the preservation of invaluable resources, ensuring their availability for present and future generations.

B. Mitigation of Climate Change:

The adoption of environment consciousness fosters a proactive approach to climate change mitigation. Embracing renewable energy sources, reducing carbon emissions through conscious lifestyle choices, and supporting policies that prioritize sustainability collectively form a potent arsenal against the existential threat of climate change.

C. Biodiversity Conservation:

Heightened environment consciousness underscores the significance of biodiversity conservation. By acknowledging the intricate web of life and the interconnectedness of species and ecosystems, individuals and communities become staunch advocates for habitat preservation and restoration, safeguarding the intricate tapestry of life that sustains us.

III. Promoting Environment Consciousness:

A. individual actions and choices:.

Individuals play a pivotal role in cultivating environment consciousness through their everyday choices. Embracing sustainable consumption patterns, reducing the use of single-use plastics, and opting for eco-friendly transportation options constitute tangible steps toward minimizing one’s environmental footprint.

B. Corporate and Governmental Responsibility:

Corporate entities and governments share the onus of promoting environment consciousness through environmentally friendly business practices and stringent regulations. By adopting sustainable policies, businesses can become catalysts for positive change, while governments can create a regulatory framework that incentivizes and enforces responsible environmental practices.

C. Community Involvement:

Community engagement is a cornerstone of the environment consciousness movement. Participating in local environmental initiatives, such as tree planting drives and clean-up campaigns, not only contributes to immediate improvements but also fosters a sense of shared responsibility and empowerment within communities.

IV. Overcoming Challenges to Environment Consciousness:

A. economic barriers:.

One of the primary challenges is dispelling the misconception that sustainability is economically burdensome. Highlighting the long-term economic benefits of environmentally friendly practices can help overcome this barrier, showcasing how responsible choices can yield positive financial outcomes.

B. Cultural and Social Factors:

Recognizing and respecting cultural and social diversities is crucial for effectively promoting environment consciousness. Tailoring environmental messaging to resonate with different communities and bridging the gap between traditional practices and modern sustainability is essential.

C. Psychological and Behavioral Barriers:

Understanding and addressing cognitive biases that hinder pro-environmental actions is vital. Implementing strategies to encourage behavior change, such as habit formation and positive reinforcement, can help individuals overcome psychological barriers to adopting sustainable practices.

As the journey through the contours of environment consciousness draws to a close, it is evident that the path toward a sustainable future requires a concerted and collaborative effort. The world stands at a critical juncture, where the collective actions of individuals, businesses, and governments hold the power to shape the destiny of our planet. The urgent need to cultivate environment consciousness cannot be overstated. It is a call to action, an invitation to embrace a profound awareness of our interconnectedness with nature and to rise above the challenges that threaten our environment. By fostering environment consciousness, we pave the way for a future defined by harmony, resilience, and a shared commitment to safeguarding the well-being of the planet and its inhabitants for generations to come. As we embark on this transformative journey, let us remember that the time to act is now, and our choices today will shape the contours of tomorrow.

Extra Tips 4 Extra Marks :

Practice essay writing online.

The term “environment consciousness” is composed of two main parts: “environment” and “consciousness.”

  • Etymology: The word “environment” originates from the Old French term “environner,” which means “to surround.” It entered the English language in the mid-19th century.
  • Definition: “Environment” refers to the surroundings or conditions in which a living organism exists. It encompasses the natural and human-made elements that influence an individual, community, or ecosystem.
  • Etymology: “Consciousness” comes from the Latin word “conscientia,” which means “knowledge within oneself” or “awareness.” It has been used in English since the late 16th century.
  • Definition: “Consciousness” refers to the state of being aware of and able to perceive one’s thoughts, sensations, feelings, and surroundings. In the context of “environment consciousness,” it signifies being aware of the environment and its importance.

Therefore, “environment consciousness” implies a state of heightened awareness and recognition of the surroundings and conditions that influence living organisms, as well as an understanding of the impact of human actions on the natural world. It involves being cognizant of the need for responsible practices to ensure the well-being of both the environment and future generations.

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पर्यावरण और विकास पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environment and Development in Hindi, Paryavaran aur Vikas par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द).

पर्यावरण और आर्थिक विकास एक-दूसरे से परस्पर जुड़े हुए है, वही दूसरी तरफ एक देश की आर्थिक तरक्की भी पर्यावरण को प्रभावित करती है। उसी तरह पर्यावरण संसाधनो में गिरावट भी आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। ऐसे कई सारी पर्यावरण नीतियां है। जिन्हे अपनाकर हम अपने पर्यावरण को भी बचा सकते है और अपनी आर्थिक उन्नति भी सुनिश्चित कर सकते है।

पर्यावरण और आर्थिक विकास

आर्थिक विकास एक देश के उन्नति के लिए बहुत आवश्यक है। एक देश तभी विकसित माना जाता है जब वह अपने नागरिको को पार्याप्त मात्रा में रोजगार मुहैया करवा पाये। जिससे वहा के निवासी गरीबी से छुटकारा पाकर एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सके। इस तरह का विकास आय में असमानता को कम करता है। जितना ज्यादे मात्रा में एक देश आर्थिक तरक्की करता है, उसके राजस्व कर में भी उतनी ही वृद्धि होती है और सरकार के बेराजगारी और गरीबी से जुड़ी कल्याण सेवाओं के खर्च में उतनी ही कमी आती है।

पर्यावरण एक देश के आर्थिक उन्नति में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक राष्ट्र के विकास का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ा होता है। प्राकृतिक संसाधन जैसे कि पानी, जीवाश्म ईंधन, मिट्टी जैसे प्राकृतिक संसाधनो की उत्पादन क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रो में आवश्यकता होती है। हालांकि, उत्पादन के परिणामस्वरूप पर्यावरण द्वारा प्रदूषण का भी अवशोषण होता है। इसके अलावा उत्पादन के लिए संसाधनों के ज्यादे इस्तेमाल के वजह से पर्यावरण में संसाधनों की कमी की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।

प्राकृतिक संसाधनो के लगातार हो रहे उपभोग तथा बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण पर्यावरण संसाधनो की गुणवत्ता खराब हो जायेगी, जिससे ना सिर्फ उत्पादन की गुणवत्ता प्रभावित होगी। बल्कि की इसके उत्पादन में लगे मजदूरो में भी तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होंगी  और इसके साथ यह उनके लिए भी काफी हानिकारक सिद्ध होगा, जिनके लिए यह बनाया जा रहा है।

आर्थिक विकास का आंनद लेने के लिए यह काफी जरूरी है कि हम पर्यावरण संसाधनो के संरक्षण को विशेष महत्व दे। पर्यावरण और आर्थिक विकास के संतुलन के मध्य संतुलन स्थापित करना काफी आवश्यक है, इस प्रकार से प्राप्त हुई तरक्की का आनंद ना सिर्फ हम ले पायेंगे बल्कि की हमारी आने वाली पीढ़ीया भी इससे लाभान्वित होंगी।

निबंध – 2 (400 शब्द)

सतत विकास स्थिरता के तीन स्तंभो पर टिका हुआ है – आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक यह तीन चीजे इसकी आधारशिला है। पर्यावरणीय स्थिरता का तात्पर्य वायु, जल और जलवायु से है, सतत विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू उन गतिविधियों या उपायों को भी अपनाना है जो स्थायी पर्यावरणीय संसाधनों में मदद कर सके। जिससे ना केवल हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकेंगे बल्कि आने वाली पीढ़ीयों की भी आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित कर सकेंगे।

पर्यावरण और सतत विकास

सतत विकास की अवधारणा 1987 में बनी ब्रुटलैंड कमीशन से ली गयी है। इस वाक्यांश के अनुसार सतत विकास वह विकास है जिसके अंतर्गत वर्तमान की पीढ़ी अपनी जरूरतो को पूरा करे, लेकिन इसके साथ ही संसाधनो की पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा सुनिश्चित करे। जिससे आने वाले समय में भविष्य की पीढ़ी के मांगो को भी पूरा किया जा सके। 2015 के यूनाइटेड नेशन सतत विकास शिखर सम्मेलन ( यू.एन. सस्टेनबल डेवलपमेंट समिट) में विश्व प्रमुखो ने सतत विकास के लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किए है, वे कुछ इस प्रकार से है-

1.पूरे विश्व से गरीबी का खात्मा किया जाये।

2.सभी को पूरे तरीके से रोजगार और अच्छा कार्य प्रदान करके सतत आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दिया जाये।

3.महिलाओं के लैगिंग समानता और सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करना।

4.पानी की स्थिरता को बनाए रखना और सभी के लिए स्वच्छता के उपायो को सुनिश्चित करना।

5.बिना उम्र का भेदभाव किये सभी के लिए स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना।

6.सभी के लिए आजीवन पढ़ने और सीखने के अवसर को बढ़ावा देना।

7.स्थायी कृषि व्यवस्था को बढ़ावा देना और सभी के लिए पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

8.देशो के बीच असमानता कम करना।

9.सभी के लिए सुरक्षित और सतत मानव आवास प्रदान करना।

10.जल स्त्रोतों का संरक्षण करना और उनका सतत विकास करना।

11.सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्स्थापित करना।

12.वस्तुओं का सही उत्पादन और उपभोग करना।

13.सभी को सतत ऊर्जा मुहैया करवाना।

14.नविचार को बढ़ावा देना और सतत औद्योगिकरण का निर्माण करना।

15.जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों को अपनाना।

16.स्थलीय तथा वन पर्यावरण तंत्र को पुनरस्थापित किया जाये, जिससे मिट्टी में हो रही गिरावट को रोका जो सके।

17.प्रभावी और जिम्मेदार संस्थानो का निर्माण करना, जिससे सभी को हर स्तर पर न्याय मिल सके।

ऊपर दिए गये लक्ष्यो का निर्धारण गरीबी के उन्मूलन के लिए किया गया है, इसके साथ ही 2030 तक जलवायु परिवर्तन तथा अन्याय से लड़ने के लिए भी इन कदमो को निर्धारित किया गया है। यह फैसले इसलिए लिये गये है ताकी हम अपने भविष्य के पीढ़ी के जरुरतो के लिए अपने इन प्राकृतिक संसाधनो को संजोकर रख सके।

सतत विकास की अवधारणा हमारे संसाधनो के उपभोग से जुड़ी है। अगर प्राकृतिक संसाधनो का उनके पुनरभंडारण से पहले इसी तरीके से तेजी से उपयोग होता रहा। तो यह हमारे पर्यावरण का स्तर पूरी तरह से बिगाड़ देगा और अगर इसपर अभी से ध्यान नही दिया गया तो इस प्रदूषण के कारण हमारे प्राकृतिक संसाधन पर्याप्त मत्रा में नही बच पायेंगे, जिससे आनेवाले समय में यह हमारे विनाश का कारण बन जायेगा। इसलिए यह काफी आवश्यक है, जब हम अपने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सतत विकास के लक्ष्य को पाने का प्रयास करे।

Essay on Environment And Development in Hindi

निबंध – 3 (500 शब्द)

सतत विकास के अंतर्गत प्राकृतिक संसाधनो के संरक्षण का प्रयास किया जाता है, जिससे उन्हे आने वाली पीढ़ीयों के जरुरतो को पूरा करने के लिए बचाया जा सके। सबसे जरुरी यह है कि हमे अपने आने वाले पीढ़ीयो के सुरक्षा के लिए हमे सतत विकास को इस प्रकार से बरकरार रखने की आवश्यकता है जिससे पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके।

पर्यावरण सुरक्षा और सतत विकास

वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण से जुड़ी कुछ मुख्य समस्याएं है। ग्लोबल वार्मिंग का तात्पर्य पृथ्वी में हो रहे स्थायी जलवायु परिवर्तन, औद्योगिक प्रदूषण पृथ्वी पर बढ़े रहे पर्यावरण प्रदूषण, ग्रीन हाउस गैसो के उत्सर्जन और ओजोन परत में हो रहे क्षरण आदि कारणो से पृथ्वी के तापमान में होने वाली वृद्धि के समस्या से है। वैज्ञानिको ने भी इस तथ्य को प्रमाणित किया है की पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है और इसे रोकने के लिए यदि आवश्यक कदम नही उठायें गये तो यह समस्या और भी ज्यादे गंभीर हो जायेगी, जिसके नकरात्मक प्रभाव हमारे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर होंगे।

प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से हो रहा दोहन भी एक प्रमुख चिंता बन गया है। जनसंख्या ज्यादे होने के कारण पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों पुनर भंडारण होने के पहले ही उनका खपत हो जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या कृषि उत्पादों के उत्पादन की कम दर तथा प्राकृतिक संसाधनों में होती कमी के कारण उत्पन्न हो रही है। अगर ऐसा ही रहा तो  आने वाले समय में जल्द ही धरती की जनसंख्या न केवल भोजन की कमी का सामना करेगी, बल्कि किसी भी विकास प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संसाधनों की कमी से भी जूझना होगा।

खाद्य और कृषि उत्पादन की कमी को दूर करने के लिए, इनके उत्पादन में रसायनों का उपयोग किया जाता है। यह न केवल मिट्टी के गुणवत्ता को कम करता है, बल्कि मानव स्वास्थ्य को भी नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। अगर यह प्रक्रिया इसी तरह जारी रहती है तो पृथ्वी के लोगो को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इन बीते वर्षो में पृथ्वी के पर्यावरण और इसके संसाधनों को इन्ही कारणो से कई नुकसान हुए हैं। यदि पर्यावरण संकट के समाधान के लिए महत्वपूर्ण कदम नही उठाये गये तो इस समस्या के और ज्यादे भयावह होने की संभावना है।

ग्लोबल वार्मिंग के समस्या को रोकने के लिए वनो और झीलो की सुरक्षा भी आवश्यक है। पेड़ो को तब तक नही कटा जाना चाहिये जब तक बहुत ही आवश्यक ना हो। इस समय हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की पआवश्यकता है, हमारे इतने बड़े आबादी द्वारा उठाया गया एक छोटा सा कदम भी पर्यावरण की सुरक्षा में अपना अहम योगदान दे सकता है। यह पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता, और वन्य जावो के सुरक्षा के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा पृथ्वी के प्रत्येक निवासी को ओजोन परत के क्षरण को रोकने के लिए अपने ओर से महत्वपूर्ण योगदान देने की आवश्यकता है।

ओजोन परत के क्षरण के लिए जिम्मेदार पदार्थो का उपयोग ज्यादेतर रेफ्रीजरेटरो और एयर कंडीशनरो में होता है जिसमें हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC) और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC)  रेफ्रीजरेंट के तौर पर इस्तेमाल किये जाते है। यह वह मुख्य तत्व है जिनके कारण ओजोन परत का क्षरण हो रहा है।

इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण है कि हम HCFC  और CFC का उपयोग रेफ्रीजरेंट के तौर ना करे, इसके अलावा हमें ऐरोसोल पदार्थो का भी उपयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि इनके द्वारा भी HCFC  और CFC का उपयोग किया जाता है। ऊपर दिए गये उपायो को अपनाकर और सावधानी बरतकर हम पर्यावरण में कार्बन के उत्सर्जन को कम कर सकते है।

सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, यह काफी जरुरी है कि हम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठायें। इस तरीके से यह सिर्फ ना वर्तमान के जनसंख्या के लिए लाभकारी होगा बल्कि की आने वाले पीढीया भी इसका लाभ ले सकेंगी और यही सतत विकास का मुख्य लक्ष्य है। इसलिए सतत विकास पर्यावरण की रक्षा के लिए यह काफी अहम है।

निबंध – 4 (600 शब्द)

पर्यावरण संरक्षण से अर्थ है पर्यावरण और इसके निवासियों की सुरक्षा, बचाव, प्रबंधन और इसके हालात को सुधारना। सतत विकास का मुख्य लक्ष्य भविष्य के पीढ़ी के लिए पर्यावरण और संसाधनो का संरक्षण और इसका इस तरह से उपयोग करना कि हमारे उपयोग के बाद भी यह भविष्य के पीढ़ी के बचा रह सके। इसलिए यह सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह काफी आवश्यक है कि हम पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करे।

पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास

पर्यावरण संरक्षण के दो तरीके है- प्राकृतिक संसाधनो की सुरक्षा करना या इस तरीके से रहना जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो। पर्यावरण का तात्पर्य वायु, जल और भूमि तथा मनुष्यो के साथ इसके परस्पर संबध है। अगर एक व्यापक पहलू में कहे तो इसमें पेड़, मिट्टी, जीवाश्म ईंधन, खनिज आदि शामिल है। पेड़ बाढ़ और बारिश से मिट्टी के कटाव की होने वाली घटना को कम करते है, इसके साथ ही अनके द्वारा हवा को भी स्वच्छ किया जाता है।

जल का उपयोग ना सिर्फ मनुष्यों द्वारा, बल्कि कृषि, पौधों और जानवरों जैसे जीवित प्राणियों के अस्तित्व और विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। सभी जीवित प्राणियों के साथ-साथ कृषि उत्पादन के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसलिए पेड़, मिट्टी और पानी के हर स्रोत के संरक्षण की आवश्यकता है। ये तीनो तत्व जीवित प्राणियों के अस्तित्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि यह संसाधन इसी प्रकार प्रदूषित होते रहे तो यह ना सिर्फ हमें नुकसान पहुंचायेंगे, बल्कि की हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक बड़ा संकट बन जायेगें।

पर्यावरण संरक्षण का अर्थ सिर्फ प्राकृतिक संसाधनो का संरक्षण नही है। इसका तात्पर्य ऊर्जा के संसाधनो का संरक्षण करना भी है जैसे कि सौर और पवन ऊर्जा यह दो प्रकार की नवकरणीय उर्जायें जीवाश्म ईंधन और गैस जैसे गैर-नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतो की रक्षा करने में हमारी सहायता करेगा। अगर सभी तरह के गैर नवकरणीय ऊर्जा को नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से बदल दिया जाये, तो यह पृथ्वी के पर्यावरण के लिए काफी सकरात्मक सिद्ध होंगे। क्योंकि गैर नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों को पुनर स्थापित होने में काफी समय लगता है, यही कारण है कि हमे नवकरणीय ऊर्जा स्रोतों को इस्तेमाल करना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण के अलावा इस्तेमाल हो रहे संसाधनो के पुनःपूर्ति के लिए भी प्रयास किये जाने चाहिए। इसके लिए वनीकरण तथा जैविक रुप से बनी हुई गोबर की खाद का उपयोग करना आदि कुछ ऐसे अच्छे उपाय है। जिनके द्वारा हम प्राकृतिक स्रोतों के पुनःपूर्ति का प्रयास कर सकते है। ये उपाय निश्चित रूप से पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने में हमारी मदद करेंगे।

इसके अलावा पर्यावरण के प्रदूषण को कम करने के लिए और कई महत्वपूर्ण कदम उठाये जाने चाहिए। जिसके अंतर्गत तेल और गैस से चलने वाले वाहनो के जगह इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनो का उपयोग किया जाना चाहिए। इसी तरह कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए साईकल चलाने, वाहनो के शेयरिंग या पैदल चलने जैसे उपायों को अपनाया जा सकता है। इसके अलावा जैविक खेती इस सकरात्मक पहल का एक और विकल्प है, इसके द्वारा मिट्टी तथा खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता बनी रहे और रासायनिक खेती के कारण पर्यावरण तथा हमारे सेहत पर होने वाली हानि को कम किया जा सके।

धूम्रपान छोड़ना और रसायनिक उत्पादो का उपयोग बंद करना ना सिर्फ हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा बल्कि की पर्यावरण पर भी इसके सकरात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे। एक व्यक्ति द्वारा नल के पानी को बंद करके या वर्षा के पानी को इकठ्ठा करके, कपड़े या बर्तन धोने जैसे अलग-अलग कामों में इस्तेमाल करके भी हम जल संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है। जल इलेक्ट्रानिक उत्पाद उपयोग में ना हो तो इनका उपयोग बंद करके और उर्जा बचाने वाले इलेक्ट्रानिक उत्पादो का उपयोग करके भी हम ऊर्जा बचा सके है। इसके अलावा एक व्यक्ति के रुप में हम वस्तुओं की पुनरावृत्ति तथा पुनरुपयोग करके और पुरानी वस्तुओं का उपयोग करके तथा प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग ना करके भी हम पर्यावरण संरक्षण में अपना सकरात्मक योगदान दे सकते है।

सतत विकास को सिर्फ पर्यावरण का संरक्षण करके प्राप्त किया जा सकता है। इससे ना सिर्फ हमारे पर्यावरण को होने वाले नुकसान में कमी आयेगी बल्कि की यह हमारे आने वाली भविष्य की पीढ़ीयों के लिए प्राकृतिक संसाधनो की उपलब्धता को सुनिश्चित करेगा।

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Essay on Environmental Consciousness

Students are often asked to write an essay on Environmental Consciousness in their schools and colleges. And if you’re also looking for the same, we have created 100-word, 250-word, and 500-word essays on the topic.

Let’s take a look…

100 Words Essay on Environmental Consciousness

Understanding environmental consciousness.

Environmental consciousness is about being aware of the natural world and our impact on it. It involves understanding the importance of conservation, recycling, and reducing our carbon footprint.

The Importance of Environmental Consciousness

Our actions affect the environment. By being environmentally conscious, we can help preserve the planet for future generations. This includes simple actions like recycling, using less water, and reducing energy consumption.

Our Role in Environmental Consciousness

Everyone can contribute to environmental consciousness. Small actions like picking up litter, planting trees, or using public transport can make a big difference. It’s our responsibility to protect our planet.

250 Words Essay on Environmental Consciousness

Introduction.

Environmental consciousness refers to the awareness and understanding of the relationship between individuals and their surroundings. It embodies the choices and actions taken to preserve and improve the health of our planet. In the current era, this consciousness is not a luxury but a dire necessity.

Driving Factors

The role of education.

Education plays a pivotal role in fostering environmental consciousness. By integrating environmental topics into the curriculum, students can comprehend the implications of their actions on the environment. This knowledge empowers them to make informed decisions and promote sustainable practices.

Individual and Collective Responsibility

Environmental consciousness is both an individual and collective responsibility. On an individual level, adopting eco-friendly habits, like reducing waste and conserving energy, can make a significant difference. Collectively, communities and governments can implement policies and regulations that protect the environment.

In conclusion, environmental consciousness is a critical aspect of our existence. It is a collective endeavour that requires the participation of every individual, community, and nation. By fostering this consciousness, we can ensure a sustainable and healthy planet for future generations.

500 Words Essay on Environmental Consciousness

The environment is the foundation of life, offering the resources we need to survive and thrive. However, our actions often neglect the health of our planet, leading to devastating consequences such as climate change, deforestation, and pollution. This essay explores the concept of environmental consciousness, its importance, and how it can be cultivated among individuals and societies.

Environmental consciousness refers to the awareness and understanding of the environmental issues that our planet faces and the commitment to take action to mitigate these problems. It is not just about knowing what’s happening to our environment, but also about feeling a sense of responsibility to protect it. This consciousness is crucial because it motivates individuals and societies to make environmentally-friendly choices that can help sustain the planet for future generations.

Moreover, environmental consciousness can influence policy-making. Governments and corporations are more likely to implement eco-friendly policies and practices when their constituents or consumers demand it. Therefore, a society’s level of environmental consciousness can significantly impact the health of the planet.

Promoting Environmental Consciousness

Promoting environmental consciousness is a multifaceted task that requires collective efforts. Education is a powerful tool in this regard. By integrating environmental education into school curriculums, we can equip the younger generation with the knowledge and skills they need to make sustainable choices.

Moreover, individuals can promote environmental consciousness through their daily actions and decisions. By choosing to live sustainably, we can influence others in our community and contribute to a larger cultural shift towards environmental responsibility.

Environmental consciousness is more than just an understanding of environmental issues; it is a commitment to protect and preserve our planet. As we face unprecedented environmental challenges, it is crucial that we cultivate this consciousness in ourselves and in our societies. Through education, media, and individual actions, we can promote environmental consciousness and drive the changes necessary to ensure a sustainable future. Remember, every action counts, and our collective efforts can make a significant difference.

Apart from these, you can look at all the essays by clicking here .

Happy studying!

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