असाइनमेंट कैसे लिखे? | असाइनमेंट लिखने का तरीका | Assignment likhne ka tarika
|| असाइनमेंट कैसे लिखे? | असाइनमेंट लिखने का तरीका | Assignment likhne ka tarika | असाइनमेंट लिखने के नियम (Assignment rules for students in Hindi | Assignment matlab kya hota hai ||
Assignment likhne ka tarika:- विद्यार्थी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है असाइनमेंट और यह हर विद्यार्थी को करना ही होता है। अब यह जो असाइनमेंट होता है वह उसे अपनी कक्षा में बैठकर नहीं करना होता है बल्कि उसे अपने घर बैठकर इसे पूरा करना होता है। यह किसी भी अध्यापक के द्वारा अपने विद्यार्थी को घर पर दिया गया अध्ययन कार्य होता है। इसके लिए छात्र को उस विषय पर अच्छे से रिसर्च करनी होती है और उसके बाद ही उसे लिखना होता (Assignment kaise likhe) है।
अब जिन छात्रों ने पहले असाइनमेंट पर काम नहीं किया है या उन्हें इसके बारे में इतनी जानकारी नहीं है तो अवश्य ही वह खुद को मिले इस काम को देखकर घबरा गए होंगे और उन्हें समझ नहीं आ रहा होगा कि आखिरकार किया जाये तो क्या किया जाए। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ असाइनमेंट के विषय के ऊपर ही बात करने वाले (How to write assignment in Hindi) हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि असाइनमेंट को कैसे लिखा जा सकता है या असाइनमेंट लिखने का क्या तरीका है, वह सब आप इस लेख के माध्यम से जानेंगे।
असाइनमेंट क्या होता है? (Assignment kya hota hai in Hindi)
असाइनमेंट लिखने के तरीके को जानने से पहले यह जान लेना जरुरी है कि आखिरकार यह असाइनमेंट होता क्या है और यह किस विषय पर दिया जा सकता है। तो यहाँ हम आपको एक बात पहले ही बता दें कि यह एक तरह से लेख ही होता है लेकिन विस्तृत रूप में और पूरी रिसर्च के साथ लिखा गया। आपने लेख पहले भी स्कूल या कॉलेज की परीक्षा में लिखे होंगे और यह आपने अपने दिमाग के अनुसार बड़ा करके लिख दिए होंगे जबकि असाइनमेंट के साथ ऐसा नहीं हो सकता है। इसके लिए आपको उस विषय के बारे में पूरी तरह से रिसर्च करनी होगी और फिर ही उसे लिखना (Assignment matlab kya hota hai) होगा।
तो यह असाइनमेंट किसी भी विषय पर दिया जा सकता है लेकिन वह आपके द्वारा पढ़े जा रहे विषय से ही संबंधित होगा ताकि आपको उसका लाभ मिल सके। यहाँ हम यह कहना चाह रहे हैं कि अब यदि आपको विज्ञान के अध्यापक ने किसी विषय पर असाइनमेंट दिया है तो वह आपको सामाजिक विज्ञान के विषय पर लिखने को असाइनमेंट नहीं दे सकता है। अब विज्ञान से जुड़े विषय पर जो असाइनमेंट मिल सकता है वह यह है कि सूर्य के नौ ग्रहों के बारे में जानकारी दीजिये या ब्लैक होल क्या होता है या फिर चुम्बकीय किरणों के बारे में जानकारी या कुछ (Assignment kya hai) और।
इस तरह यह असाइनमेंट किसी भी विषय पर हो सकता है लेकिन आप जिस भी कक्षा में पढ़ रहे हैं या जिस भी कॉलेज में जिस भी विषय पर स्टडी कर रहे हैं, आपको उसी विषय से संबंधित किसी विषय पर ही असाइनमेंट करने को दिया जाएगा। अब यह तो आपके अध्यापक पर निर्भर कार्य है कि वह किस छात्र को किस विषय पर असाइनमेंट करने को देता है।
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असाइनमेंट क्यों दिया जाता है?
अब आपको यह भी जानना होगा कि आखिरकार इस असाइनमेंट को देने का क्या औचित्य होता है या इसे देने से क्या कुछ हो जाता है। तो यहाँ हम आपको बता दें कि विद्यार्थी जीवन में आपसे जो भी कार्य करवाया जाता है या आपको जो भी करने को कहा जाता है, उनमे से हरेक चीज़ का अपना अलग महत्व होता है और वैसा ही कुछ इस असाइनमेंट के साथ है।
अब आप जो भी पढ़ने जाते हैं, उस पर अध्यापक आपको ज्ञान देता है और वही आपको उस विषय से संबंधित हरेक चीज़ को समझाता है जबकि असाइनमेंट के साथ ऐसा नहीं होता है। इस असाइनमेंट के जरिये अध्यापक आपको आपकी स्टडी से संबंधित एक विषय पकड़ा देता है और अब आपको अपनी समझ के अनुसार ही उस विषय पर रिसर्च करनी होती है और उस पर एक रिपोर्ट तैयार कर अपने अध्यापक को देनी होती है जिसका वह मूल्याङ्कन करता है।
एक तरह से आपकी जानकारी को बढ़ाने और विषयों पर रिसर्च कर उस पर अपनी जांच रिपोर्ट लिखने की क्षमता का विकास करने के उद्देश्य से ही आपको यह असाइनमेंट दिया जाता है। आइये अब हम बात करते हैं असाइनमेंट को अच्छी तरह से लिखने के तरीकों के बारे में।
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असाइनमेंट बनाने के लिए क्या चाहिए? (Assignment bnane ke liye kya kya chahiye)
अब जब आपको असाइनमेंट मिल चुका है तो उसे बनाने के लिए आपको क्या कुछ चाहिए होगा, यह भी एक महत्वपूर्ण विषय होता है। तो इसके लिए कुछ चीज़ों को आपको बाजार से जाकर लेना होगा क्योंकि उसके बिना असाइनमेंट नहीं बन सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि आप सोच रहे हैं कि आप अपनी कॉपी के पेज पर ही असाइनमेंट को कर देंगे तो आप गलत हैं क्योंकि इसके लिए A4 साइज़ के पेज चाहिए होते हैं जो फोटोकॉपी या प्रिंट वाली दुकान से मिलते हैं, आइये जाने।
- A4 साइज़ के पेपर
- सूचना एकत्र करने के माध्यम जैसे कि पुस्तकें या इंटरनेट इत्यादि।
असाइनमेंट लिखने का तरीका (Assignment likhne ka tarika)
अभी तक आप असाइनमेंट के बारे में बहुत कुछ जान चुके हैं और यह आपको किस उद्देश्य के तहत दिया जाता है, इसकी जानकारी भी आपने ले ली है। तो अब बारी आती है असाइनमेंट को लिखने के बारे में जो इस कड़ी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है। अब यदि आपने इसमें कोई कोताही बरती तो समझ जाइये कि आपकी सारी मेहनत बेकार चली (Assignment kaise banaye in Hindi) जाएगी। ऐसे में आपको असाइनमेंट लिखने का सही तरीका पता होना चाहिए।
बहुत से बच्चे अपने असाइनमेंट में अच्छी बातें तो लिखते हैं और उन्होंने मेहनत भी अच्छी की होती है लेकिन उसे गलत फॉर्मेट में लिखने या सही से चीज़ें नहीं लिखे जाने पर अध्यापक के द्वारा उनके अंक काट लिए जाते हैं और डांट लगायी जाती है वह (Write assignment in Hindi) अलग। ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि आपके असाइनमेंट को सबसे अधिक अंक मिले और उसमे कोई गलती ना हो तो अब आपको यह लेख बहुत ही ध्यान के साथ पढ़ना चाहिए। आइये जाने असाइनमेंट लिखने का सही तरीका।
- सबसे पहले तो आप यह देख लें कि आपको अपने असाइनमेंट के लिए कितने पेज की जरुरत पड़ने वाली है क्योंकि कभी यह कम पड़ जाते हैं तो कभी ज्यादा। ऐसे में आप बाजार से एक मौके ज्यादा पेज ले आइये क्योंकि बच भी जाएंगे तो कहीं और या बाद के किसी असाइनमेंट में काम आ (Assignment likhne ka style) जाएंगे।
- अब आप सभी पेज पर स्केल व पेंसिल से हरेक साइड मार्जिन बना लें जो कि एक अच्छे असाइनमेंट की पहचान होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि पेज के हर ओर आपको लगभग एक सेंटीमीटर का स्पेस छोड़ देना चाहिए ताकि वहां से पेज फट भी जाए या बाद में उसे स्टेपल किया जाए तो वहां लिखे अक्षर छुप ना (Assignment likhne ka tarika in Hindi) जाएं।
- अब आपको यह भी ध्यान रखना है कि असाइनमेंट में किसी भी विषय की हैडिंग को काले पेन से लिखना होगा और जो भी उस हैडिंग के अंदर का कंटेंट होगा, उसे आपको नीले पेन से लिखना होगा। कहने का अर्थ यह हुआ कि मान लीजिये कि आप ब्लैक होल क्या है, इस विषय पर लिख रहे हैं तो आपको ब्लैक होल की विशेषता इस हैडिंग को काले पेन से और उसकी विशेषताओं में जो भी लिखने जा रहे हैं, उसे नीले पेन से लिखना होगा।
- अब आप अपने असाइनमेंट में सीधे विषय के ऊपर ही लिखना मत शुरू कर दीजिये क्योंकि पहला पेज इसके लिए नहीं होता है। असाइनमेंट के पहले पेज को उसका कवर पेज भी कहा जा सकता है जिसे आपको सुन्दर रूप देना होता है।
- इस कवर पेज पर आपको अपनी जानकारी जैसे कि आपका नाम, कक्षा का नाम, स्कूल का नाम, अध्यापक का नाम, विषय का नाम, असाइनमेंट के विषय का नाम इत्यादि सब जानकारी लिखनी होती है। आज के समय में लोग असाइनमेंट के पहले पेज को कंप्यूटर से भी निकालने लगे हैं और वो भी विषय से संबंधित फोटो के साथ। तो आप भी ऐसा कर सकते हैं और अपने असाइनमेंट को एक सुन्दर रूप दे सकते हैं।
- अब यदि आपका असाइनमेंट दो से तीन पेज का ही है तो आप दूसरे पेज से ही असाइनमेंट के विषय के ऊपर लिखना शुरू कर सकते हैं लेकिन आमतौर पर कोई असाइनमेंट इतना छोटा मिलता नहीं है और वह न्यूनतम 10 पेज का तो होता ही है। वह इसलिए क्योंकि असाइनमेंट दिया ही छात्रों को गहन अध्ययन व खोज के लिए जाता है ताकि छात्र उस विषय पर अपनी रिसर्च करके उस पर अपना आंकलन लिख सकें।
- इसलिए आपको असाइनमेंट के कवर पेज को डिजाईन करने के बाद उसके दूसरे पेज पर अपने असाइनमेंट के सभी टॉपिक की टेबल देनी चाहिए। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपको यहाँ क्रमानुसार अपने असाइनमेंट की सभी हैडिंग लिखनी चाहिए। इसके लिए आप एक पेज को खाली छोड़ सकते हैं और जब आपका असाइनमेंट हो जाए तो इस पेज को बना सकते हैं।
- अब यदि आप असाइनमेंट के दूसरे वाले पेज पर विषय की हैडिंग के साथ साथ यह भी बता देंगे कि वह असाइनमेंट के किस पेज पर है तो यह आपके असाइनमेंट को अध्यापक के सामने प्रभावी बनाने का कार्य करेगा। इसलिए इन छोटी छोटी बातों को ध्यान मे रखकर आप अध्यापक से ज्यादा नंबर बटोर सकते हैं।
- अब तीसरे पेज से आपको असाइनमेंट के विषय के ऊपर लिखना शुरू कर देना होगा। अब इसके लिए आपको जो भी विषय मिला है और आपने उस पर जो भी रिसर्च की है फिर चाहे वह रिसर्च कंप्यूटर से की गयी हो या मोबाइल से या पुस्तकों से या किसी से पूछ कर, यह आप पर निर्भर करता है।
- यह आपको ही तय करना होगा कि आपको उस विषय पर क्या क्या हैडिंग बनानी है, उस पर क्या कुछ लिखना है और यह हम आपको नहीं सिखा सकते हैं क्योंकि इसका कोई निर्धारित प्रारूप नहीं होता है। हालाँकि इसको लेकर कुछ नियम हो सकते हैं जिनके बारे में हम आपको नीचे बता देंगे।
- असाइनमेंट के अंत में आपको लिखे गए विषय के ऊपर एक आंकलन लिखना चाहिए। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपने पूरे असाइनमेंट में जो भी लिखा है, उसका एक निष्कर्ष आपको अंत में लिखना होता है जो आपके असाइनमेंट को पूर्ण रूप देता है।
तो इस तरह से आप अपने असाइनमेंट को सही तरीके से लिख सकते हैं। यदि आप हमारे द्वारा बताये गए तरीके को ध्यान में रखकर अपने असाइनमेंट को लिखते हैं तो अवश्य ही आपको अपने अध्यापक से वाहवाही मिलेगी और आप अपनी कक्षा में प्रशंसा के पात्र बनेंगे। इसी के साथ ही हम आपको असाइनमेंट लिखने के कुछ नियम भी बता देते हैं ताकि आप अपने असाइनमेंट को और ज्यादा प्रभावी बना सकें।
असाइनमेंट लिखने के नियम (Assignment rules for students in Hindi)
अभी तक आपने असाइनमेंट लिखने के तरीकों के बारे में जान लिया है लेकिन इसी के साथ ही असाइनमेंट लिखने के कुछ नियम भी होते हैं जो आपके असाइनमेंट को पूरी कक्षा में सबसे ज्यादा प्रभावी बनाने का कार्य करते हैं ताकि आप सभी के सामने एक मिसाल बन (Assignment rules in Hindi) सकें। ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि आपके अध्यापक के द्वारा पूरी कक्षा में आपकी प्रशंसा की जाए और आपकी पीठ थपथपाई जाए तो आपको असाइनमेंट लिखने के नियमों के बारे में भी जान लेना चाहिए। आइये जाने असाइनमेंट लिखने के नियमों के बारे में।
- असाइनमेंट लिखने के नियमों में सबसे पहले तो आप इस जरुरी नियम का ध्यान रखें कि आप अपने असाइनमेंट में कहीं भी लाल रंग के पेन का इस्तेमाल नहीं करेंगे। ना ही किसी चित्र की सजावट में या ना ही किसी हैडिंग में और ना ही कहीं और। वह इसलिए क्योंकि जब अध्यापक आपके असाइनमेंट की जांच करेगा तो वह लाल पेन से करेगा और इस स्थिति में उलझन वाली स्थिति हो सकती है और आपके अंक काट लिए जा सकते हैं।
- असाइनमेंट में मुख्य तौर पर केवल काले व नीले रंग के पेन का ही उपयोग किया जाना चाहिए। हालाँकि यदि आप चित्रकारी या डायग्राम भी बना रहे हैं तो उसके लिए अलग अलग रंगों का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन केवल और केवल चित्रकारी में ही, ना की शब्दों में।
- असाइनमेंट में हर पेज पर नंबर लिखा जाना बहुत ही ज्यादा जरुरी होता है और वह नंबर आप एक पेज पर दोनों ओर लिखें अर्थात उसके आगे पीछे। इस नंबर के जरिये आप असाइनमेंट के दूसरे पेज पर बनायी गयी टेबल में हैडिंग के सामने यह भी बता सकते हैं कि उस हैडिंग से जुड़ा कंटेंट किस पेज नंबर पर दिया गया है।
- आजकल तो छात्रों में पेज को व्यर्थ करने का चलन बहुत बढ़ गया है और अध्यापक भी इसको प्राथमिकता देते हैं। यही कारण है कि अधिकतर लोग आपको पेज की एक ओर लिखने को ही कहेंगे लेकिन यह कोई नियम नहीं है। यदि ऐसा ही नियम होता तो समाचार पत्र, पुस्तकें इत्यादि सभी एक पेज पर ही छपी हुई आती। इसलिए आप पेज को व्यर्थ कर पर्यावरण को हानि पहुँचाने की बजाये, उसकी दोनों ओर लिखेंगे तो बेहतर रहेगा।
- असाइनमेंट में ना तो बहुत ही ज्यादा बड़े अक्षरों में लिखा जाना चाहिए और ना ही अत्यधिक छोटे अक्षरों में। इसे आप संतुलित भाषा में सही तरह से लिखेंगे तो यह ज्यादा प्रभावी रहेगा।
- आप अपने असाइनमेंट में केवल लिखते ही ना जाए। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपने किसी विषय के ऊपर हैडिंग लिख दी और अब आप उस पर पैराग्राफ ही पैराग्राफ लिखते जा रहे हैं तो यह गलत है। आप उस हैडिंग के अंदर ही अन्य छोटी छोटी हैडिंग बना सकते हैं, पॉइंट्स बना सकते हैं, पैराग्राफ को तोड़ सकते हैं इत्यादि। इसका उदाहरण आप हमारे द्वारा लिखे गए इसी लेख से ही ले सकते हैं।
- आपको अपने असाइनमेंट में अपने विषय से हटकर कुछ भी नहीं लिखना है और ना ही कोई अन्य उदाहरण देना है। अब आप जो भी लिख रहे हैं तो वह आपके विषय से ही संबंधित होना चाहिए या किसी ना किसी चीज़ से उसे लिंक किया हुआ होना चाहिए।
- आप अपने असाइनमेंट में उसका रेफरेंस भी देंगे तो यह बहुत ही बढ़िया बात होगी। कहने का अर्थ यह हुआ कि आपको वह उक्त जानकारी कहाँ से मिली, उसके बारे में जानकारी देना, आपके असाइनमेंट को और ज्यादा प्रभावी बनाने का कार्य करता है।
- अंत में आपको निष्कर्ष से पहले उस विषय के बारे में आपके क्या विचार हैं या आपने उसका किस तरह से आंकलन किया है या आप उस विषय पर क्या सोचते हैं, यह भी लिख देंगे तो यह असाइनमेंट को एक तरह से पूर्ण रूप देने का ही कार्य करेगा।
तो इसी तरह के नियमों को ध्यान में रखकर आप एक सर्वश्रेष्ठ असाइनमेंट बनाने की दिशा में आग बढ़ सकते हैं। हालाँकि इस बात का ध्यान रखें कि आज के इस लेख में हमने आपको असाइनमेंट लिखने के तरीके और नियमों के बारे में ही जानकारी दी है जिनका पालन आप कर भी लेंगे किन्तु आपको जो भी अंक मिलेंगे, वह आपके द्वारा उस विषय पर की गयी रिसर्च और उस पर आपके द्वारा लिखे गए कंटेंट पर ही निर्भर करने वाले हैं।
असाइनमेंट लिखने का तरीका – Related FAQs
प्रश्न: असाइनमेंट कैसे तैयार किया जाता है?
उत्तर: असाइनमेंट तैयार करने के बारे में संपूर्ण जानकारी को हमने इस लेख के माध्यम से देने का प्रयास किया है जो आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: असाइनमेंट के पहले पेज में क्या लिखना चाहिए?
उत्तर: इसके बारे में उचित जानकारी आपको ऊपर के लेख को पढ़ कर मिल जायेगी इसीलिए ऊपर का लेख ध्यान से अंत तक पढ़िए।
प्रश्न: असाइनमेंट के लिए कवर पेज कैसे बनाएं?
उत्तर: असाइनमेंट का कवर पेज बनाने की जानकारी हमने ऊपर के लेख में दी है जो आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: आप एक असाइनमेंट कैसे शुरू करते हैं?
उत्तर: इसकी जानकारी आपको ऊपर के लेख में मिलेगी जो आपको पढ़ना चाहिए।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने असाइनमेंट लिखने के तरीके के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। साथ ही हमने आपको असाइनमेंट क्या होता है यह क्यों दिया जाता है इसको बनाने के लिए क्या कुछ चाहिए और इसको बनाने के क्या कुछ नियम हैं इत्यादि जानकारी भी इस लेख के माध्यम से दी है ताकि आपके मन में किसी तरह की शंका शेष ना रह जाए। आशा है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा।
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What is Assignment in Hindi – असाइनमेंट कैसे बनाएं
Assignment छात्र जीवन का एक अभिन्न अंग है । आप चाहे किसी भी स्कूल या कॉलेज में पढ़ाई करते हों, आपको समय समय पर असाइनमेंट करने को जरुर मिलता होगा । खासकर कि सीबीएसई स्कूलों में भर भर के असाइनमेंट करने को मिलते हैं । सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इन्हीं असाइनमेंट के आधार पर आपको अंक भी दिए जाते हैं ।
ऐसे में आपके लिए आवश्यक हो जाता है कि आप सही ढंग से असाइनमेंट तैयार करके जमा करें । आज के इस लेख में हम इसी विषय पर विस्तारपूर्वक आपको जानकारी देंगे और बताएंगे कि आप असाइनमेंट कैसे बनाएं ? इसके अलावा इससे संबंधित अन्य जानकारियां जैसे यह क्या होता है, इसके फायदे क्या हैं और इसकी विशेषताएं क्या होती हैं, इन प्रश्नों का उत्तर भी दिया जायेगा ।
अगर आपको भी असाइनमेंट करने के लिए मिला है तो आपके लिए यह Assignment in Hindi का आर्टिकल काफी सहायक साबित होगा । आर्टिकल में दी गई जानकारियां अगर आप सही से समझकर अप्लाई करते हैं तो आपको अवश्य ही पूरे मार्क्स मिलेंगे ।
Assignment क्या है ?
Assignment को हिंदी में दत्त कार्य कहा जाता है, जोकि छात्र को उसके शिक्षक द्वारा दिया गया कार्य है जिसे एक निर्धारित समय में पूरा करना होता है । छात्रों को किसी विषय पर असाइनमेंट देने का उद्देश्य उन्हें विषय संबंधित जानकारियों से अवगत कराना होता है । आमतौर पर इसे गृहकार्य के तौर पर दिया जाता है ।
आमतौर पर असाइनमेंट शिक्षण क्षेत्र में ही इस्तेमाल किया जाता है लेकिन व्यवसाय और निर्माण क्षेत्र में भी इसका उपयोग होता है । उदाहरण के तौर पर अगर आप किसी कम्पनी में नौकरी करते हैं तो आपको कंपनी का SWOT Analysis या PESTLE Analysis करने का असाइनमेंट मिल सकता है ।
इसी प्रकार से एक छात्र को उसके शिक्षक अपने विषय से संबंधित कोई कार्य दे सकते हैं । विज्ञान का शिक्षक छात्र को जहां पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति विषय पर असाइनमेंट दे सकता है तो वहीं एक इतिहास का शिक्षक अपने छात्र को हड़प्पा सभ्यता पर । असाइनमेंट शिक्षकों को छात्रों का बेहतर आकलन करने में मदद करते हैं । खासकर कि बीएड असाइनमेंट इन हिंदी अक्सर छात्रों को दिए जाते हैं ।
असाइनमेंट की विशेषताएं
अगर आप एक असाइनमेंट बनाने की तैयारी में हैं तो आपको सबसे पहले असाइनमेंट की विशेषताएं समझ लेनी चाहिए । इससे आप एक बेहतरीन असाइनमेंट तैयार कर सकेंगे ।
- असाइनमेंट किसी पाठ का हिस्सा होना चाहिए
- इसे छात्र के सोचने समझने की क्षमता के अनुरूप दिया जाना चाहिए
- असाइनमेंट को दिए गए विषय की हर बारीकियां कवर करनी चाहिए
- असाइनमेंट की भाषा, लेखन शैली और हैंडराइटिंग सीधी, सरल और सुंदर होनी चाहिए
- एक असाइनमेंट में जरूरत पड़ने पर तस्वीरों, ग्राफ, आंकड़ों और मानचित्र का इस्तेमाल किया जाना चाहिए
असाइनमेंट के फायदे
एक Assignment का फायदा छात्र और शिक्षक दोनों को ही मिलता है । आगे आपको असाइनमेंट करने का कार्य मिला है और आप सोच रहे हैं कि आखिर इससे होगा क्या ? तो असाइनमेंट का महत्व जरूर जानें:
- असाइनमेंट लिखना छात्र के Writing Skills को बेहतर करता है
- असाइनमेंट से शिक्षक को छात्र का आंकलन करने में मदद मिलती है
- एक असाइनमेंट छात्र के सोचने समझने और Critical Thinking Skills को विकसित करता है
- इसकी मदद से छात्र विषय को ज्यादा गंभीरता से अध्ययन करता है
- इसकी मदद से छात्र में रचनात्मक कौशल का विकास होता है और उसे शोध कार्य का असली अर्थ समझ आता है
- असाइनमेंट छात्र की परीक्षा में बेहतर अंक लाने में मदद करते हैं
Assignment कैसे बनाएं ?
अबतक आप अच्छे से समझ चुके हैं कि असाइनमेंट की विशेषताएं और फायदे क्या होते हैं । अब बारी है यह समझने की कि एक assignment कैसे लिखें । सबसे बड़ी समस्या छात्रों के लिए यही आती है कि वे शोधादि तो कर लेते हैं लेकिन उन्हें एक असाइनमेंट को सही और व्यवस्थित क्रम में लिखने नहीं आता है । तो चलिए हम आपको विस्तार से बताते हैं कि एक असाइनमेंट कैसे बनाएं ।
1. सबसे पहले Assignment Front Page बनाएं
एक Assignment लिखने का पहला पड़ाव होता है कि आप इसका फ्रंट पेज तैयार करें । Assignment First Page में ही आपको आपके स्कूल/कॉलेज का नाम, शिक्षक का नाम, कक्षा, रोल नंबर, विषय आदि की जानकारी देनी होती है । हमने विस्तार से असाइनमेंट फर्स्ट पेज कैसे बनाएं लेख में इस विषय पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी है ।
पहले पृष्ठ में आपको सभी जरूरी जानकारियां लिखनी है और थोड़ा बहुत डेकोरेशन भी करना है । खासकर कि आप borderline decoration जरूर करें, जोकि देखने में अच्छा और प्रोफेशनल लगता है । साथ ही अपने Handwriting का भी खासा ध्यान रखें और विभिन्न रंगों की कलम इस्तेमाल करें । साथ में पंक्तियों के बीच सही गैप देना भी जरूरी होता है ।
2. विषय की अच्छे से जानकारी इकट्ठी करें
आपको आपके शिक्षक द्वारा जो भी विषय दिया गया है, उसपर आपको अच्छे से रिसर्च करनी चाहिए । इंटरनेट, किताबों, रिसर्च पेपर्स, डॉक्यूमेंट्री आदि की मदद से आप विषय की अच्छे से जानकारी हासिल कर सकते हैं । इंटरनेट पा कुछ बेहद ही अच्छी साइटें हैं जहां आपको आपके विषय से संबंधित जानकारियां बड़ी ही आसानी से मिल जायेंगी ।
Topic Research करते समय अपनी कक्षा का भी ध्यान रखें, अगर आप 10वीं कक्षा से ऊपर के छात्र हैं तो आपको बच्चों के स्तर की रिसर्च नहीं करनी है । आपकी रिसर्च अच्छे लेवल की होनी चाहिए, आपको ढेरों रिसर्च पेपर पढ़ना चाहिए और साथ ही Notes बनाते रहना चाहिए । विकिपीडिया के अलावा आपको Research Gate, Google Scholar, JSTOR जैसी साइटों से जानकारी इकट्ठी करनी चाहिए ।
3. तस्वीरें, आंकड़े और मानचित्र भी असाइनमेंट में जोड़ें
अगर आप अपने Assignment Work को प्रोफेशनल और अट्रैक्टिव दोनों बनाना चाहते हैं तो जरूरी है कि सिर्फ Text Based Information के अलावा तस्वीरें, आंकड़े और मानचित्र भी इकट्ठा करें । खासकर कि आंकड़े यानि Statistics/Figures । इससे आपने जो भी टॉपिक रिसर्च किया है, उसे बल मिलेगा ।
इसके अलावा आंकड़ों के साथ जानकारी देना आपको ज्यादा अंक प्राप्त करने में भी आपकी मदद करेगा । इसके बाद अगर आप History, Geography और Science विषयों के लिए असाइनमेंट तैयार कर रहे हैं तो तस्वीरों का इस्तेमाल अवश्य करें । मानचित्र का इस्तेमाल भी Social Science के विषयों में करना न भूलें ।
4. कभी भी दूसरे के असाइनमेंट को कॉपी न करें
एक Assignment तैयार करते समय ध्यान रखें कि आपको अपने दिए गए विषयों पर रिसर्च करना है, Copy Paste नहीं । यानि आप जो भी जानकारी इकट्ठी कर रहे हैं, उसे अपने शब्दों में अपने हिसाब से लिखकर तैयार करें । अक्सर ऐसा होता है कि छात्र इंटरनेट पर पड़ी जानकारियां ज्यों की त्यों छाप देते हैं और बाद में जब उनकी चोरी पकड़ी जाती है तो पछताते हैं ।
आपको यह समझना चाहिए कि जितने स्मार्ट आप हैं, उससे कहीं ज्यादा स्मार्ट हैं आज के समय के शिक्षक/प्रोफेसर । जिस इंटरनेट से आप जानकारियां कॉपी कर रहे हैं, उसी इंटरनेट पर ढेरों Plagiarism Tools भी हैं जिसकी मदद से बड़ी ही आसानी से आपकी चोरी पकड़ी जायेगी । इसके बाद न सिर्फ आपके नंबर काट लिए जायेंगे बल्कि आपकी छवि भी खराब होगी ।
5. व्याकरण सहित हैंडराइटिंग पर भी ध्यान दें
एक अच्छे assignment की विशेषता यह होती है कि उसमें व्याकरण संबंधित अशुद्धियां नहीं होती हैं और लिखावट अच्छी होती है । इसलिए आपको असाइनमेंट लिखते समय व्याकरण अशुद्धियों से बचना चाहिए । इसके अलावा जितना हो सके, अच्छी हैंडराइटिंग में लिखने का प्रयास करना चाहिए ।
अक्सर यह देखा गया है कि छात्रों रिसर्च भले ही कितना ही बेहतर क्यों न हो, लेकिन खराब हैंडराइटिंग और अशुद्धियों की वजह से उचित अंक नहीं मिल पाते । यही नियम परीक्षाओं में भी लागू होता है, इसलिए अगर आपको अपनी हैंडराइटिंग सुधारनी चाहिए । इसके लिए आप Handwriting कैसे सुधारें लेख पढ़ सकते हैं ।
6. उचित मात्रा में डेकोरेशन करें
ज्यादा फुल पत्तियां लगाने के बजाय आपको उचित मात्रा में Assignment Decoration करना चाहिए । इसके अलावा अलग अलग रंगों के कलम इस्तेमाल करना भी न भूलें । इससे आपका असाइनमेंट देखने में ज्यादा रोचक लगेगा और यकीन मानिए, आपको इसके अलग से अंक जरूर मिलेंगे । हालांकि Over Decoration से बचना भी चाहिए ।
अलग अलग रंगों के टेप, ग्लिटर पेपर, आर्टिफिशियल बटन और फूल आदि खरीदकर तभी असाइनमेंट में लगाएं जब आपके शिक्षक की यह मांग हो । अन्यथा ज्यादा डेकोरेशन से बचें क्योंकि कई शिक्षक सिर्फ और सिर्फ आपके रिसर्च पर ध्यान देते हैं और ज्यादा डेकोरेशन पर अंक भी काट लिए जाते हैं ।
Assignment Format
एक Assignment और Project File में कुछ खास अंतर नहीं होता है, खासकर कि अगर हम शिक्षा के क्षेत्र में देखें तो ये दोनों एक ही माने जाते हैं । इसलिए इन दोनों का फॉर्मेट भी एक जैसा ही होता है । इसलिए जैसा फॉर्मेट एक प्रोजेक्ट फाइल का होगा, वैसा ही असाइनमेंट का भी:
- Certificate
- Acknowledgement
- Main Content
- Bibliography
पूरे असाइनमेंट फॉर्मेट को हमने Project File in Hindi आर्टिकल में कवर किया है । इस आर्टिकल में आपको हर पेज की जानकारी, फॉर्मेट और उदाहरण भी मिल जायेगा ।
1. असाइनमेंट का मतलब क्या होता है ?
असाइनमेंट का मतलब दत्त कार्य होता है, जिसे आमतौर पर शिक्षा के क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है । एक शिक्षक अपने छात्रों को असाइनमेंट देते हैं ताकि वे छात्र का आंकलन कर सकें ।
2. असाइनमेंट कैसे लिखा जाता है ?
असाइनमेंट लिखने के लिए सबसे पहले इंटरनेट, किताबों, रिसर्च पेपर्स, डॉक्यूमेंट्री आदि से जानकारी इकट्ठी की जाती है, नोट्स बनाएं जाते हैं और इसके पश्चात एक निश्चित फॉर्मेट का पालन किया जाता है ।
3. शिक्षा में असाइनमेंट का अर्थ क्या है ?
शिक्षा में Assignment का अर्थ दत्त कार्य होता है । इसके अलावा इसे कार्यभार और सत्रीय कार्य भी कहा जाता है । इसे परियोजना कार्य से जोड़कर देखा जाता है ।
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Translation of assignment – English–Hindi dictionary
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- He took this award-winning photograph while on assignment in the Middle East .
- His two-year assignment to the Mexico office starts in September .
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- He fell in love with the area after being there on assignment for National Geographic in the 1950s.
(Translation of assignment from the Cambridge English–Hindi Dictionary © Cambridge University Press)
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असाइनमेंट meaning in hindi
[सं-पु.] - किसी विशेष घटना या समाचार से संबंधित समाचार के संकलन हेतु संवाददाता को सौंपी गई जिम्मेदारी।
Words just after it
असाइनमेंट - मतलब हिंदी में.
Get definition, translation and meaning of असाइनमेंट in hindi. Above is hindi meaning of असाइनमेंट. Yahan असाइनमेंट ka matlab devanagari hindi dictionary bhasha mai (असाइनमेंट मतलब हिंदी में) diya gaya hai. What is Hindi definition or meaning of असाइनमेंट ? ( Assignment ka hindi arth, matlab kya hai?).
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Assignment: मीनिंग : Meaning of Assignment: in Hindi - Definition and Translation
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Information provided about assignment::
Assignment: meaning in Hindi : Get meaning and translation of Assignment: in Hindi language with grammar,antonyms,synonyms and sentence usages by ShabdKhoj. Know answer of question : what is meaning of Assignment: in Hindi? Assignment: ka matalab hindi me kya hai (Assignment: का हिंदी में मतलब ). Assignment: meaning in Hindi (हिन्दी मे मीनिंग ) is समनुदेशन.
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English Hindi Dictionary | अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश
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- शब्द प्रचलन
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assignment का हिन्दी अर्थ
Assignment के हिन्दी अर्थ, संज्ञा , assignment शब्द रूप, assignment की परिभाषाएं और अर्थ अंग्रेजी में, assignment संज्ञा.
- appointment , designation , naming
- "the appointment had to be approved by the whole committee"
- "the first task is the assignment of an address to each datum"
- duty assignment
- "hazardous duty"
grant , grant
assignment के समानार्थक शब्द
assignment के लिए अन्य शब्द?
assignment के उदाहरण और वाक्य
assignment के राइमिंग शब्द
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Assignment का हिन्दी मतलब.
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"assignment" के बारे में
assignment का अर्थ हिन्दी में, assignment का इंगलिश अर्थ, assignment का उच्चारण और उदाहरण वाक्य। assignment का हिन्दी मीनिंग, assignment का हिन्दी अर्थ, assignment का हिन्दी अनुवाद
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- हिमाचल प्रदेश
- जम्मू-कश्मीर
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- धर्म-अध्यात्म
- पॉजीटिव न्यूज
Assignment Meaning in Hindi
writing assignment
Written assignment, वनइंडिया की सेवाएं.
- कूपन | रीचार्ज | बस | सर्वे | जॉब्स | रियल स्टेट
Translation of "assignment" into Hindi
काम, नियुक्ति, निर्धारण are the top translations of "assignment" into Hindi. Sample translated sentence: I wanna know why you messed with my station assignment. ↔ मैं तुम्हें अपने स्टेशन काम के साथ गड़बड़ क्यों जानना चाहता हूँ.
the act of assigning, or an assigned task [..]
English-Hindi dictionary
I wanna know why you messed with my station assignment .
मैं तुम्हें अपने स्टेशन काम के साथ गड़बड़ क्यों जानना चाहता हूँ.
After a night in Yokohama, we caught the train to our missionary assignment in Kobe.
योकाहामा में एक रात बिताने के बाद, हमने अपनी नियुक्ति की जगह, यानी कोबे जाने के लिए ट्रेन पकड़ी।
Less frequent translations
- सौंपा हुआ कार्य
- विक्रय-पत्र
- समर्पण-पत्र
Show algorithmically generated translations
Automatic translations of " assignment " into Hindi
Phrases similar to "assignment" with translations into hindi.
- assigned नियुक्त
- assigned configuration असाइन्ड कॉन्फ़िगरेशन
- written assignment लिखने का काम
- assignation आवंटन · गुप्त भेंट · गुप्त मिलन · गुप्त मुलाकात · बँटवारा · संविभाजन
- assigned program आबंटित प्रोग्राम
- writing assignment लिखने का काम
- assigned task आवंटित कार्य
- assign अभिहस्तांकित करना · असाइन करें · देना · नियुक्त · नियुक्त करना · निरूपण करना · निर्दिष्ट करना · निर्धारित · निर्धारित करना · निश्चित करना · बतलाना · बाटना · समनुदेशित करना · सौपना
Translations of "assignment" into Hindi in sentences, translation memory
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Text translation, source text, translation results, document translation, drag and drop.
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Knowledge Of All Things
Hindi Mein kaise Likhen | How To Write In Hindi | Useful Tips For Writing in Hindi (हिंदी में कैसे लिखें) एक आसान गाइड (2023)
How To Write In Hindi | Hindi Mein kaise Likhen | Useful Tips For Writing in Hindi | हिंदी में कैसे लिखें | हिंदी में लेखन के लिए कुछ उपयोगी टिप्स
आज की डिजिटल युग में, हिंदी भाषा का महत्व और प्रचलन निरंतर बढ़ता जा रहा है। इंटरनेट पर हिंदी में सामग्री की मांग तेजी से बढ़ रही है और अधिकांश उपयोगकर्ताओं को भी हिंदी में लेखने की आवश्यकता महसूस हो रही है। हालांकि, कुछ लोग इस विषय में अनिवार्यता के कारण संशय से ग्रस्त हो जाते हैं। इस आर्टिकल में, हम आपको Hindi Mein kaise Likhen | How To Write In Hindi | हिंदी में कैसे लिखें | Useful Tips For Writing in Hindi | हिंदी में लिखने के लिए कुछ उपयोगी टिप्स और तकनीकों के बारे में बताएंगे जो आपको इस काम में सहायक साबित होंगे।
Table of Contents
Hindi Mein kaise Likhen – How To Write In Hindi (हिंदी में कैसे लिखें)
(simple sentence structure) शुरुआत में सरल वाक्य संरचना.
हिंदी में लेखन की शुरुआत सरल वाक्य संरचना( Simple Sentence Structure ) से करें। यदि आप नए लेखक हैं और हिंदी में लिखने का अनुभव नहीं है, तो सरलता से लिखने से आपको स्वतंत्रता मिलेगी।
(Clear Language) स्पष्ट भाषा का उपयोग करें
ज्यादा शब्दांतरण से बचकर स्पष्ट भाषा ( Clear Language ) का उपयोग करें। अधिकतर लोग सरल और स्पष्ट भाषा को पसंद करते हैं जो समझने में आसान हो।
(Sentence Length) वाक्य लंबाई पर ध्यान दें
हिंदी में लेखन के दौरान वाक्य लंबाई ( Sentence Length ) पर विशेष ध्यान देना चाहिए। लंबे वाक्य बनाने से बचें और सार्थक वाक्यों का प्रयोग करें।
(Practice) प्रैक्टिस करें
हिंदी में लेखन कौशल को सुधारने के लिए नियमित अभ्यास ( Practice ) करें। जितनी अधिक संभावित हो, रोज़ लिखने का समय निकालें ताकि आपकी लेखनी का स्तर बेहतर होता जाए।
(News and Read) समाचार और पढ़ाई करें
समाचार और पुस्तकों को पढ़कर भी हिंदी( News and Read ) लेखन कौशल को सुधारा जा सकता है। धीरे-धीरे आपकी समझ और ज्ञान विस्तार होगा जिससे आपका लेखनी का प्रभाव बढ़ेगा।
(Other Languages) अन्य भाषाओं का उपयोग न करें
हिंदी में लेखन करते समय, अन्य भाषाओं( Other Languages ) के शब्दों का उपयोग न करें। हिंदी में उन शब्दों का चयन करें जो उपयुक्त हों और आपके लेखन को मजबूती दें।
(Good Vocabulary) अच्छे शब्दसंग्रह का प्रयोग करें
आपके पास एक अच्छे शब्दसंग्रह ( Good Vocabulary ) का होना चाहिए जिससे आपको समझ नहीं आने वाले शब्दों का सही उपयोग हो सके।
(Creative Writing) रचनात्मक लेखन करें
हिंदी में लेखन को रचनात्मक बनाने से आपके लेखन का आकर्षक( Creative Writing ) होना संभव है। इससे पाठक आपके लेख को आकर्षित होकर आगे बढ़ने के लिए उत्साहित होते हैं।
(Paragraphs) अनुच्छेदों का उपयोग
लंबे अनुच्छेदों के स्थान पर छोटे और सुव्यवस्थित अनुच्छेदों ( Paragraphs )का उपयोग करने से आपका लेखन अधिक पठनीय और समझदार लगता है।
(Thoughts) विचारों को सुव्यवस्थित करें
लेखन के दौरान विचारों को सुव्यवस्थित रखने ( Thoughts ) पर ध्यान देना चाहिए। विचारों को एक अनुक्रम में रखने से आपके लेख का ढांचा सुव्यवस्थित और अनुवर्ती होता है।
(Debate) वाद-विवाद में सक्रिय रहें
हिंदी में लेखन के दौरान वाद-विवाद ( Debate ) में सक्रिय रहें। पाठक उत्सुकता से उत्तर देने की प्रतीक्षा करते हैं और इससे आपके लेख का रुचिकर भाग बनता है।
(Numbers and Figures) संख्याएँ और आंकड़े
लेखन के दौरान संख्याएँ और आंकड़ों ( Numbers and Figures ) का उपयोग करना पठनीयता में सुधार लाता है। यह उपयोगकर्ताओं के लिए लेखन को अधिक रुचिकर और स्पष्ट बनाता है।
(Use of Examples) उदाहरणों का प्रयोग
हिंदी में लेखन के दौरान उदाहरणों का प्रयोग करने ( Use of Examples ) से पाठकों को आपके दृष्टिकोण को समझने में मदद मिलती है। उदाहरण से समझाने से पाठकों को आपके लेख का संवादी स्वरुप प्राप्त होता है।
इस आर्टिकल में, हमने हिंदी में कैसे लिखें के बारे में विस्तार से चर्चा की। सरल वाक्य संरचना, स्पष्ट भाषा, रचनात्मक लेखन, संख्याएँ, उदाहरणों का प्रयोग आदि टिप्स का पालन करके आप हिंदी में लेखन में माहिर बन सकते हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि अभ्यास ही सफलता का रहस्य है। अपनी रचनात्मकता को स्वतंत्रता से बहार निकालें और हिंदी में अद्भुत लेखन का आनंद लें!
यह भी पढ़ें –
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Aadhar Card Me Naam Kaise Sahi Kare
Delhi Free Bus Pass
FAQs अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Hindi Mein kaise Likhen)
क्या हिंदी में लेखन आवश्यकता है.
हां, हिंदी में लेखन आज के समय में आवश्यकता है क्योंकि इंटरनेट पर हिंदी सामग्री की मांग तेजी से बढ़ रही है और भारतीय उपयोगकर्ता भी हिंदी में सामग्री पढ़ना पसंद करते हैं।
हिंदी में लेखन के लिए सबसे महत्वपूर्ण टिप्स कौन से हैं?
हिंदी में लेखन के लिए सबसे महत्वपूर्ण टिप्स हैं: सरल भाषा का उपयोग करें स्पष्टता बनाए रखें वाक्य लंबाई पर ध्यान दें प्रैक्टिस करें
विचारों को सुव्यवस्थित करने के लिए कौन सा तरीका सबसे अधिक उपयुक्त है?
विचारों को सुव्यवस्थित करने के लिए बुलेट पॉइंट्स और अनुच्छेदों का उपयोग सबसे अधिक उपयुक्त है। इससे आपके लेख का ढांचा सुव्यवस्थित और आकर्षक लगता है।
हिंदी में रचनात्मक लेखन क्यों महत्वपूर्ण है?
हिंदी में रचनात्मक लेखन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पाठकों को आकर्षित करता है और उन्हें लेखक के विचारों का सम्मान करने के लिए प्रेरित करता है। इससे पाठक लेखक के साथ जुड़ जाते हैं और लेख को पूरा पढ़ने का इच्छुक होते हैं।
अच्छे शब्दसंग्रह के अभाव में हिंदी में लेखन कैसे सुधारें?
अच्छे शब्दसंग्रह के अभाव में, आपको नए और विभिन्न शब्दों का उपयोग करना चाहिए। इंटरनेट पर शब्दसंग्रहों की मदद से आप नए और सार्थक शब्द सीख सकते हैं जो आपके लेख को बेहतर बनाएंगे।
How To Write In Hindi
Hindi Mein kaise Likhen
Useful Tips For Writing in Hindi
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Hindi got its name from the Persian word Hind, which means ”land of the Indus River”. It is spoken by more than 528 million people as a first language and around 163 million use it as a second language in India, Bangladesh, Mauritius and other parts of South Asia.
Hindi is written with the Devanagari alphabet , developed from the Brahmi script in the 11th century AD. It contains 36 consonants and 12 vowels . In addition, it has its own representations of numbers that follow the Hindu-Arabic numeral system.
- 14 Independent Vowels (१३ स्वर): अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः, ऋ, ॠ
- 36 Consonants (३६ व्यंजन): क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह
- 3 Joint Words (संयुक्त अक्षर): क्ष, त्र, ज्ञ
- Full Stop (पूर्ण विराम): ।
- Numbers in Hindi (हिंदी में नंबर) : १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, ०, .
To give you an example, if you type in "Swagatam" it will be converted to "स्वागतम्" .
Additionally, you will get a list of matching words on the dropdown menu when you press backspace or click on the word.
Our Hindi transliteration also supports fuzzy phonetic mapping. This means you just type in the best guess of pronunciation in Latin letters and our tool will convert it into a closely matching Hindi word.
Hindi transliteration is a process of phonetically converting similar-sounding characters and words from English to Hindi. For Example, you can type in " Aap kaise hain? " in Latin to get " आप कैसे हैं? ".
You can use our online Hindi input tool to transliterate unlimited Hindi words for FREE. Our online software is supported on both desktop and mobile devices such as Apple iPhone , Xiaomi Redmi Note , Samsung and more.
Hindi translation is a process of converting word or sentence from one language to Hindi and vice versa. For instance, typing " Hindi is spoken by 366 million people across the world. " in English will be translated into " दुनिया भर में ३६६ मिलियन लोगों द्वारा हिंदी बोली जाती है। ".
Our site uses machine translation powered by Google. You can use our online software to translate English to Hindi , Hindi to English , Hindi to Marathi , Hindi to Malayalam and many other languages for FREE.
Additionally, you can seek help from a professional translator for accurate translation. Use this link to order a professional translation by a human translator.
Hindi Unicode is a set of unique numeric values that is assigned to display Hindi characters , letters, digits and symbols. You can view the complete set of Hindi Unicode Character Code charts by visiting The Unicode Consortium .
Fig 1. Hindi Keyboard Layout for Kurti Dev and Delvys Font
Fig 2. The Hindi Keyboard Layout for Devanagari Kurti Dev Font
Currency | Unit | Indian Rs. |
---|---|---|
U. S Dollar | 1 Dollar ($) | |
UK Pound | 1 Pound (£) | |
Euro | 1 Euro | |
Saudi Riyal | 1 S. Riyal | |
Bahrain Dinar | 1 Dinar | |
Qatari Riyal | 1 Q. Riyal |
Welcome | swagatam स्वागतम् |
Hello | Namaste नमस्ते |
Thank you | Dhanyabaad धन्यवाद |
Yes | Haan हाँ |
No | No नहीं |
Maybe | Shaayad शायद |
Excuse me | kshama keejiy! क्षमा कीजिय! |
Sorry | maaf keejiye माफ़ कीजिये |
I love you | main tumase pyaar karata hoon मैं तुमसे प्यार करता हूँ |
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- Mathematics /
1 से 200 तक हिंदी गिनती (1 to 200 Counting in Hindi)
- Updated on
- फरवरी 28, 2024
बहुत से लोगों को हिंदी में गिनती नहीं आती हैं जिसकी वजह से उन्हें कई बार दिक्कत का सामना भी करना पड़ता है। इसलिए इस ब्लॉग में हिंदी गिनती के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई हैं। इस लेख में हिंदी गिनती 1 से एक शंख तक नीचे दी गई हैं। अगर आप हिंदी गिनती को नहीं पहचान पाते हैं, तो नीचे Hindi Ginti को उनके हिंदी नाम के साथ दिया गया हैं, जो आपको हिंदी गिनती जानने में मदद करेगा।
This Blog Includes:
1 से 20 तक हिंदी में गिनती, 21 से 40 तक हिंदी में गिनती, 41 से 60 तक हिंदी में गिनती, हिंदी गिनती 61-80, हिंदी गिनती 81-100, हिंदी में गिनती 101-120, हिंदी में गिनती 121-140, हिंदी में गिनती 141-180, हिंदी में गिनती 181-200, 100 से एक शंख तक हिंदी गिनती , हिंदी गिनती चार्ट, हिंदी में गिनती जानना या सीखना क्यों ज़रूरी है, हिंदी में गिनती faqs.
Hindi Ginti 1-20 की सम्पूर्ण जानकारी निम्नलिखित है :
0-Zero | ० – शून्य | Shunya |
1-One | १- एक | Ek |
2-Two | २- दो | Do |
3-Three | ३- तीन | Teen |
4-Four | ४- चार | Char |
5-Five | ५- पांच | Panch |
6-Six | ६- छ: | Cheh |
7-Seven | ७- सात | Saat |
8-Eight | ८- आठ | Aath |
9-Nine | ९ – नौ | Nao |
10-Ten | १०- दस | Das |
11-Eleven | ११- ग्यारह | Gyaarah |
12-Twelve | १२- बारह | Baarah |
13-Thirteen | १३- तेरह | Tehrah |
14-Fourteen | १४- चौदह | Chaudah |
15-Fifteen | १५- पंद्रह | Pandrah |
16-Sixteen | १६- सोलह | Saulah |
17-Seventeen | १७- सत्रह | Satrah |
18-Eighteen | १८- अठारह | Atharah |
19-Nineteen | १९- उन्नीस | Unnis |
20-Twenty | २०- बीस | Bees |
Hindi Ginti 21-40 की सम्पूर्ण जानकारी निम्नलिखित है :
21 | Twenty One | २१ – इक्कीस | Ikis |
22 | Twenty two | २२ – बाईस | Bais |
23 | Twenty three | २३ – तेइस | Teis |
24 | Twenty four | २४ – चौबीस | Chaubis |
25 | Twenty five | २५ – पच्चीस | Pachis |
26 | Twenty six | २६ – छब्बीस | Chabis |
27 | Twenty seven | २७ – सताइस | Satais |
28 | Twenty eight | २८ – अट्ठाइस | Athais |
29 | Twenty nine | २९ – उनतीस | Unatis |
30 | Thirty | ३० – तीस | Tis |
ये भी पढ़ें : परीक्षा की तैयारी कैसे करे?
31 | Thirty one | ३१ – इकत्तीस | Ikatis |
32 | Thirty two | ३२ – बत्तीस | Batis |
33 | Thirty three | ३३ – तैंतीस | Teintis |
34 | Thirty four | ३४ – चौंतीस | Chautis |
35 | Thirty five | ३५ – पैंतीस | Paintis |
36 | Thirty six | ३६ – छत्तीस | Chatis |
37 | Thirty seven | ३७ – सैंतीस | Setis |
38 | Thirty eight | ३८ – अड़तीस | Adhtis |
39 | Thirty nine | ३९ – उनतालीस | Untaalis |
40 | Forty | ४० – चालीस | Chalis |
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Hindi Ginti 41-60 की सम्पूर्ण जानकारी निम्नलिखित है :
41 | Forty one | ४१ – इकतालीस | Iktalis |
42 | Forty two | ४२ – बयालीस | Byalis |
43 | Forty three | ४३ – तैतालीस | Tetalis |
44 | Forty four | ४४ – चवालीस | Chavalis |
45 | Forty five | ४५ – पैंतालीस | Pentalis |
46 | Forty six | ४६ – छियालिस | Chyalis |
47 | Forty seven | ४७ – सैंतालीस | Setalis |
48 | Forty eight | ४८- अड़तालीस | Adtalis |
49 | Forty nine | ४९ – उनचास | Unachas |
50 | Fifty | ५० – पचास | Pachas |
51 | Fifty one | ५१ – इक्यावन | Ikyavan |
52 | Fifty two | ५२ – बावन | Baavan |
53 | Fifty three | ५३ – तरेपन | Tirepan |
54 | Fifty four | ५४ – चौवन | Chauwan |
55 | Fifty five | ५५ – पचपन | Pachpan |
56 | Fifty six | ५६- छप्पन | Chappan |
57 | Fifty seven | ५७ – सतावन | Satavan |
58 | Fifty eight | ५८- अठावन | Athaavan |
59 | Fifty nine | ५९ – उनसठ | Unsat h |
60 | Sixty | ६० – साठ | Saath |
Hindi Ginti 61-80 की सम्पूर्ण जानकारी निम्नलिखित है :
61 | Sixty one | ६१ – इकसठ | Iksath |
62 | Sixty two | ६२ – बासठ | Baasath |
63 | Sixty three | ६३ – तिरसठ | Tirsath |
64 | Sixty four | ६४ – चौंसठ | Chausath |
65 | Sixty five | ६५ – पैंसठ | Pensath |
66 | Sixty six | ६६- छियासठ | Chiyasath |
67 | Sixty seven | ६७ – सड़सठ | Sadhsath |
68 | Sixty eight | ६८ – अड़सठ | Asdhsath |
69 | Sixty nine | ६९ – उनहत्तर | Unahtar |
70 | Seventy | ७० – सत्तर | Sattar |
71 | Seventy one | ७१ – इकहत्तर | Ikahtar |
72 | Seventy two | ७२ – बहत्तर | Bahatar |
73 | Seventy three | ७३ – तिहत्तर | Tihatar |
74 | Seventy four | ७४ – चौहत्तर | Chauhatar |
75 | Seventy five | ७५ – पचहत्तर | Pachhatar |
76 | Seventy six | ७६- छिहत्तर | Chiyahatar |
77 | Seventy seven | ७७ – सतहत्तर | Satahatar |
78 | Seventy eight | ७८- अठहत्तर | Adhahatar |
79 | Seventy nine | ७९ – उन्नासी | Unnasi |
80 | Eighty | ८० – अस्सी | Assi |
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Hindi Ginti 81-100 की सम्पूर्ण जानकारी निम्नलिखित है :-
81 | Eighty one | ८१ – इक्यासी | Ikyasi |
82 | Eighty two | ८२ – बयासी | Byaasi |
83 | Eighty three | ८३ – तिरासी | Tirasi |
84 | Eighty four | ८४ – चौरासी | Chaurasi |
85 | Eighty five | ८५ – पचासी | Pachasi |
86 | Eighty six | ८६ – छियासी | Chiyaasi |
87 | Eighty seven | ८७ – सतासी | Sataasi |
88 | Eighty eight | ८८ – अट्ठासी | Athasi |
89 | Eighty nine | ८९ – नवासी | Nauasi |
90 | Ninety | ९० – नब्बे | Nabbe |
91 | Ninety one | ९१ – इक्यानवे | Ikyaanave |
92 | Ninety two | ९२ – बानवे | Baanave |
93 | Ninety three | ९३ – तिरानवे | Tiranave |
94 | Ninety four | ९४ – चौरानवे | Chauraanave |
95 | Ninety five | ९५ – पचानवे | Pachaanave |
96 | Ninety six | ९६ – छियानवे | Chiyaanave |
97 | Ninety seven | ९७ – सतानवे | Sataanave |
98 | Ninety eight | ९८ – अट्ठानवे | Athaanave |
99 | Ninety nine | ९९ – निन्यानवे | Ninyaanave |
100 | Hundred | १०० – एक सौ | Ek Sau |
Hindi Ginti 101-120 की सम्पूर्ण जानकारी निम्नलिखित है:-
101 | One hundred one | १०१ – एक सौ एक | Ek sau ek |
102 | One hundred two | १०२ – एक सौ दो | Ek sau do |
103 | One hundred three | १०३ – एक सौ तीन | Ek sau teen |
104 | One hundred four | १०४ – एक सौ चार | Ek sau chaar |
105 | One hundred five | १०५ – एक सौ पांच | Ek sau panch |
106 | One hundred six | १०६- एक सौ छह | Ek sau chah |
107 | One hundred seven | १०७ – एक सौ सात | Ek sau saat |
108 | One hundred eight | १०८ – एक सौ आठ | Ek sau aath |
109 | One hundred nine | १०९ – एक सौ नौ | Ek sau nau |
110 | One hundred ten | ११० – एक सौ दस | Ek sau das |
111 | One hundred eleven | १११ – एक सौ ग्यारह | Ek sau gyarah |
112 | One hundred twelve | ११२ – एक सौ बारह | Ek sau barah |
113 | One hundred thirteen | ११३ – एक सौ तेरह | Ek sau terah |
114 | One hundred fourteen | ११४ – एक सौ चौदह | Ek sau chodah |
115 | One hundred fifteen | ११५ – एक सौ पन्द्रह | Ek sau pandrah |
116 | One hundred sixteen | ११६ – एक सौ सोलह | Ek sau solah |
117 | One hundred seventeen | ११७ – एक सौ सत्रह | Ek sau satrah |
118 | One hundred eighteen | ११८ – एक सौ अठारह | Ek sau atharah |
119 | One hundred nineteen | ११९ – एक सौ उन्नीस | Ek sau unnis |
120 | One hundred twenty | १२० – एक सौ बीस | Ek sau bees |
Hindi Ginti 121-140 की सम्पूर्ण जानकारी निम्नलिखित है:-
121 | One hundred twenty one | १२१-एक सौ इक्कीस | Ek sau Ikis |
122 | One hundred twenty two | १२२-एक सौ बाइस | Ek sau bais |
123 | One hundred twenty three | १२३-एक सौ तेईस | Ek sau teis |
124 | One hundred twenty four | १२४-एक सौ चौबीस | Ek sau chaubis |
125 | One hundred twenty five | १२५-एक सौ पच्चीस | Ek sau pachis |
126 | One hundred twenty six | १२६-एक सौ छबीस | Ek sau chabis |
127 | One hundred twenty seven | १२७-एक सौ सत्ताइस | Ek sau satais |
128 | One hundred twenty eight | १२८-एक सौ अठाईस | Ek sau athais |
129 | One hundred twenty nine | १२९-एक सौ उनतीस | Ek sau unatis |
130 | One hundred thirty | १३०-एक सौ तीस | Ek sau tis |
131 | One hundred thirty one | १३१-एक सौ इक्कतीस | Ek sau ikatis |
132 | One hundred thirty two | १३२-एक सौ बत्तीस | Ek sau batis |
133 | One hundred thirty three | १३३-एक सौ तैंतीस | Ek sau teintis |
134 | One hundred thirty four | १३४-एक सौ चौतीस | Ek sau chautis |
135 | One hundred thirty five | १३५-एक सौ पैंतीस | Ek sau paintis |
136 | One hundred thirty six | १३६-एक सौ छत्तीस | Ek sau chatis |
137 | One hundred thirty seven | १३७-एक सौ सैंतीस | Ek sau setis |
138 | One hundred thirty eight | १३८-एक सौ अठतीस | Ek sau adhtis |
139 | One hundred thirty nine | १३९-एक सौ उनतालीस | Ek sau untaalis |
140 | One hundred forty | १४०-एक सौ चालीस | Ek sau chalis |
Hindi Ginti 141-180 की सम्पूर्ण जानकारी निम्नलिखित है:-
141 | One hundred forty one | १४१-एक सौ इकतालीस | Ek sau iktalis |
142 | One hundred forty two | १४२-एक सौ बयालीस | Ek sau byalis |
143 | One hundred forty three | १४३-एक सौ तेतालीस | Ek sau tetalis |
144 | One hundred forty four | १४४-एक सौ चौवालीस | Ek sau chavalis |
145 | One hundred forty five | १४५-एक सौ पैंतालीस | Ek sau pentalis |
146 | One hundred forty six | १४६-एक सौ छियालीस | Ek sau chyalis |
147 | One hundred forty seven | १४७-एक सौ सैतालीस | Ek sau setalis |
148 | One hundred forty eight | १४८-एक सौ अड़तालीस | Ek sau adtalis |
149 | One hundred forty nine | १४९-एक सौ उनचास | Ek sau unachas |
150 | One hundred fifty | १५०-एक सौ पचास | Ek sau pachas |
151 | One hundred fifty one | १५१-एक सौ इक्यावन | Ek sau ikyavan |
152 | One hundred fifty two | १५२-एक सौ बावन | Ek sau baavan |
153 | One hundred fifty three | १५३-एक सौ तिरेपन | Ek sau tirepan |
154 | One hundred fifty four | १५४-एक सौ चौपन/ चउवन/ चौवन | Ek sau chauwan |
155 | One hundred fifty five | १५५-एक सौ पचपन | Ek sau pachpan |
156 | One hundred fifty six | १५६-एक सौ छप्पन | Ek sau chappan |
157 | One hundred fifty seven | १५७-एक सौ सत्तावन | Ek sau satavan |
158 | One hundred fifty eight | १५८-एक सौ अठ्ठावन | Ek sau athaavan |
159 | One hundred fifty nine | १५९-एक सौ उनसठ | Ek sau unsadh |
160 | One hundred sixty | १६०-एक सौ साठ | Ek sau saadh |
161 | One hundred sixty one | १६१-एक सौ इकसठ | Ek sau iksadh |
162 | One hundred sixty two | १६२-एक सौ बासठ | Ek sau baasad |
163 | One hundred sixty three | १६३-एक सौ तरेसठ | Ek sau tirsadh |
164 | One hundred sixty four | १६४-एक सौ चौसठ | Ek sau chausadh |
165 | One hundred sixty five | १६५-एक सौ पैंसठ | Ek sau pensath |
166 | One hundred sixty six | १६६-एक सौ छियासठ | Ek sau chiyasath |
167 | One hundred sixty seven | १६७-एक सौ सड़सठ | Ek sau sadhsath |
168 | One hundred sixty eight | १६८-एक सौ अड़सठ | Ek sau asdhsath |
169 | One hundred sixty nine | १६९-एक सौ उनहत्तर | Ek sau unahtar |
170 | One hundred seventy | १७०-एक सौ सत्तर | Ek sau sattar |
171 | One hundred seventy one | १७१-एक सौ इकहत्तर | Ek sau ikahtar |
172 | One hundred seventy two | १७२-एक सौ बहत्तर | Ek sau bahatar |
173 | One hundred seventy three | १७३-एक सौ तिहत्तर | Ek sau tihatar |
174 | One hundred seventy four | १७४-एक सौ चौहत्तर | Ek sau chauhatar |
175 | One hundred seventy five | १७५-एक सौ पचहत्तर | Ek sau pachhatar |
176 | One hundred seventy six | १७६-एक सौ छिहत्तर | Ek sau chiyahatar |
177 | One hundred seventy seven | १७७-एक सौ सतहत्तर | Ek sau satahatar |
178 | One hundred seventy eight | १७८-एक सौ अठहत्तर | Ek sau adhahatar |
179 | One hundred seventy nine | १७९-एक सौ उनासी | Ek sau unnasi |
180 | One hundred eighty | १८०-एक सौ अस्सी | Ek sau assi |
Hindi Ginti 181-200 की सम्पूर्ण जानकारी निम्नलिखित है:-
181 | One hundred eighty one | १८१-एक सौ इक्यासी | Ek sau ikyasi |
182 | One hundred eighty two | १८२-एक सौ बयासी | Ek sau byaasi |
183 | One hundred eighty three | १८३-एक सौ तिरासी | Ek sau tirasi |
184 | One hundred eighty four | १८४-एक सौ चौरासी | Ek sau chaurasi |
185 | One hundred eighty five | १८५-एक सौ पचासी | Ek sau pachasi |
186 | One hundred eighty six | १८६-एक सौ छियासी | Ek sau chiyaasi |
187 | One hundred eighty seven | १८७-एक सौ सतासी | Ek sausataasi |
188 | One hundred eighty eight | १८८-एक सौ अठासी | Ek sau athasii |
189 | One hundred eighty nine | १८९-एक सौ नवासी | Ek sau nauasi |
190 | One hundred ninety | १९०-एक सौ नब्बे | Ek sau nabbe |
191 | One hundred ninety one | १९१-एक सौ इक्यानवे | Ek sau Ikyaanave |
192 | One hundred ninety two | १९२-एक सौ बानवे | Ek sau baanave |
193 | One hundred ninety three | १९३-एक सौ तिरानवे | Ek sau tiranave |
194 | One hundred ninety four | १९४-एक सौ चौरानवे | Ek sau chauraanave |
195 | One hundred ninety five | १९५-एक सौ पचानवे | Ek sau pachaanave |
196 | One hundred ninety six | १९६-एक सौ छियानवे | Ek sau chiyaanave |
197 | One hundred ninety seven | १९७-एक सौ सतानवे | Ek sau sataanave |
198 | One hundred ninety eight | १९८-एक सौ अठानवे | Ek sau adhaanave |
199 | One hundred ninety nine | १९९-एक सौ निन्यानवे | Ek sau ninyaanave |
200 | Two Hundred | २००-दो सौ | Do sau |
नीचे 100 से एक शंख तक हिंदी गिनती दी गई है जो अगर आपको आ गई तो आप कोई भी संख्या चाहे वो कितनी भी बड़ी क्यों ना हो आप उसे लिख लोगे :
- १०० – (एक) सौ/शत
- १००० – एक सहस्र/हज़ार
- १०००० – दस सहस्र/दस हज़ार
- १००००० – एक लाख/लक्ष
- १०००००० – दस लाख/लक्ष
- १००००००० – एक करोड़
- १०००००००० – दस करोड़
- १००००००००० – एक अरब
- १०००००००००० – दस अरब
- १००००००००००० – एक खरब
- १०००००००००००० – दस खरब
- १००००००००००००० – एक नील
- १०००००००००००००० – दस नील
- १००००००००००००००० – एक पद्म
- १०००००००००००००००० – दस पद्म
- १००००००००००००००००० – एक शंख
भारत हिंदी भाषी देश है, यहाँ सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है। इसलिए हमें हिंदी में गिनती सीखनी चाहिए और बच्चों को भी हिंदी गिनती सीखाना चाहिए। गिनती गणित की आधारशिला मानी जाती है। गणित में जोड़/ बाकि/ गुणा/ भाग का आधार गिनती ही है। गिनती और Hindi Ginti को सिखाने से बच्चो में गणित की समझ बढ़ती है। हमारी दिनचर्या में गणित उसका हिस्सा है, सब्जी खरीदने से लेकर बिजनेस तक गणित का महत्वपूर्ण रोल है।
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Hindi Ginti की शुरुआत संस्कृत से हुई है, हिन्दी का ‘साठ’ संस्कृत के ‘षष्टिः’ से उत्पन्न हुआ है; ‘अस्सी’ संस्कृत के ‘असीति’ से उत्पन्न हुआ है। इसी प्रकार देख सकते हैं कि हिन्दी की गिनती के सभी शब्द संस्कृत से व्युत्पन्न हैं।
५ – पांच
१५०० पंद्रह सौ
२५००-पचीस सौ
१५००० पंद्रह हज़ार
४००००- चालीस हज़ार
१२०००- बारह हज़ार
० – शून्य १ – एक २ – दो ३ – तीन ४ – चार ५ – पाँच ६ – छः ७ – सात ८ – आठ ९ – नौ १० – दस
२८- अट्ठाइस
आशा करते हैं कि Hindi Ginti के इस ब्लॉग के माध्यम से आप हिंदी गिनती लिखना सीखें होंगे। यदि आप इसी तरह के और भी ब्लॉग्स पढ़ना चाहते हैं तो Leverage Edu Hindi Blogs के साथ बनें रहें।
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सभी ब्लॉग मे 1 से कर के 100 तक ही गिनती है । पर आपके इस पोस्ट मे 1 से 200 तक है । इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद । आपका पोस्ट बहुत अच्छा है ।
हमारे लेख को सराहने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। इसी तरह के आकर्षक ब्लॉग के लिए हमारी वेबसाइट पर बनें रहें।
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हिंदी गिनती – संख्या व शब्दों में (1 से 100 तक) – Hindi Numerals in Numbers and Words (1 to 100)
Tags: Hindi numbers · Hindi numbers in figures and words · गिनती · मानक रूप · संख्याएं शब्दों में · हिंदी गिनती · हिंदी संख्याएं
हिंदी में 1 से 100 तक की गिनती की हर संख्या के विभिन्न प्रचलित शाब्दिक स्वरूपों को ध्यान में रखते हुए हर संख्या का एक इष्टतम शब्दरूप निम्न तालिका में प्रस्तुत है। हिंदी में संख्याओं को शब्दों में लिखने में एकरूपता की कमी है और एक ही संख्या को शब्दों में लिखने में कई कई विकल्प प्रचलन में हैं। । हर संख्या का शब्दों में एक ही रूप प्रचलन में हो इस ध्येय से राजकीय मानकों, विभिन्न शब्दकोशों, प्रकाशनों आदि का अध्ययन कर यह तालिका बनाई गई है।
हिंदी गिनती (1-100) – संख्या व शब्दों में
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 | एक दो तीन चार पॉंच छ: सात आठ नौ दस ग्यारह बारह तेरह चौदह पंद्रह सोलह सत्रह अठारह उन्नीस बीस इक्कीस बाईस तेईस चौबीस पच्चीस छब्बीस सत्ताईस अठ्ठाईस उनतीस तीस इकतीस बत्तीस तैंतीस चौंतीस पैंतीस छत्तीस सैंतीस अड़तीस उनचालीस चालीस |
41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 | इकतालीस बयालीस तियालीस चौवालीस पैंतालीस छियालीस सैंतालीस अड़तालीस उनचास पचास इक्यावन बावन तिरपन चौवन पचपन छप्पन सत्तावन अट्ठावन उनसठ साठ इकसठ बासठ तिरसठ चौंसठ पैंसठ छियासठ सतसठ अड़सठ उनहत्तर सत्तर इकहत्तर बहत्तर तिहत्तर चौहत्तर पचहत्तर छिहत्तर सतहत्तर अठत्तर उनासी अस्सी |
81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 | इक्यासी बयासी तिरासी चौरासी पचासी छियासी सत्तासी अठ्ठासी नवासी नब्बे इक्यानवे बानवे तिरानवे चौरानवे पचानवे छियानवे सत्तानवे अठानवे निन्यानवे सौ |
यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि संख्याऔं के शब्द रूप अंग्रेज़ी की तुलना में हिंदी में अधिक संक्षिप्त व उन्नत हैं। अगर अंग्रेज़ी पद्धति पर ही हिंदी में शब्दरूप लिखे जावें तो उदाहरण के तौर पर “पच्चीस” को “बीस पाँच”, “छप्पन” को “पचास छ:” व “नवासी” को “अस्सी नौ” लिखना होगा।
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Patra Lekhan in Hindi – पत्र लेखन (Letter Writting) – हिन्दी
February 16, 2023 by Prasanna
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पत्र-लेखन – Letter-Writing in Hindi
पत्र- व्यवहार ऐसा साधन है जो दूरस्थ व्यक्तियों की भावना को एक संगम भूमि पर ला खड़ा करता है और दोनों में आत्मीय सम्बन्ध स्थापित करता है। सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ लेखक जेम्स हाडल का कथन सत्य ही है कि “जिस प्रकार कुंजियाँ मंजूषाओं के पत्र लेखन एक कला है जो दो व्यक्तियों के विचारों को साहित्यिक तकनीक में समेट कर प्रस्तुत करती है। पत्र मनुष्य के विचारों का आदान-प्रदान सरल, सहज, लोकप्रिय तथा सशक्त माध्यम से करता है।
पत्र के प्रकार
पत्र व्यक्ति के सुख-दुःख का सजीव संवाहक होने के साथ यह पत्र-लेखक के व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब भी होता है। निजी जीवन से लेकर व्यापार को बढ़ाने अथवा कार्यालय/संस्थानों में परस्पर सम्पर्क का साधन पत्र ही है। पत्र की इन सभी उपयोगिताओं को देखते हुए पत्रों को मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जाता है जो निम्नलिखित हैं-
अनौपचारिक पत्र
औपचारिक पत्र.
पत्र की विशेषताएँ पत्र लेखन एक कला है। पत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-
- भाषा की संक्षिप्तता पत्र लेखन में अपने भावों एवं विचारों को संक्षिप्त रूप में अभिव्यक्त किया जाना चाहिए। पत्र में अनावश्यक रूप से विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए। पत्र में व्यर्थ के शब्दों से भी बचा जाना आवश्यक है।
- क्रमबद्धता पत्र लेखन करते समय क्रमबद्धता का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक है, जो बात पत्र में पहले लिखी जानी चाहिए उसे पत्र में प्रारम्भ में तथा बाद में लिखी जाने वाली बात को अन्त में ही लिखा जाना चाहिए।
- भाषा की स्पष्टता एवं सरलता पत्र की भाषा पूरी तरह सरल व स्पष्ट होनी चाहिए। भाषा में स्पष्टता का गुण न होने पर पत्र पढ़ने वाला पत्र-लेखक के भावों को समझ नहीं पाएगा। स्पष्टत: पत्र लिखते समय प्रचलित शब्दों एवं सरल वाक्यों का प्रयोग किया जाना चाहिए। कठिन भाषा से पत्र नीरस हो जाता है।
- प्रभावपूर्ण शैली पत्र की भाषा शैली प्रभावपूर्ण होनी चाहिए जिससे पाठक पत्र-लेखक के भावों को सरलता से समझ सके। पत्र की भाषा मौलिक होनी चाहिए। अनावश्यक शब्दों एवं भाषा का प्रयोग करके आकर्षक पत्र नहीं लिखा जा सकता।
- उद्देश्यपूर्ण पत्र इस प्रकार लिखा जाना चाहिए जिससे पाठक की हर जिज्ञासा शान्त हो जाए। पत्र अधूरा नहीं होना चाहिए। पत्र में जिन बातों का उल्लेख किया जाना निश्चित हो उसका उल्लेख पत्र में निश्चित तौर पर किया जाना चाहिए। पत्र पूरा होने पर उसे एक बार अन्त में पुनः पढ़ लेना चाहिए।
पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें
पत्र लिखित समय ध्यान देने योग्य बातें निम्नलिखित हैं
- पत्र लिखते समय प्रारम्भ में पत्र-लेखक व पत्र-प्राप्तकर्ता का नाम व पता दिनांक के साथ लिखा जाना चाहिए।
- पत्र में अनावश्यक बातों का विस्तार न देकर संक्षिप्त में अपनी बात प्रभावपूर्ण तरीके से कही जानी चाहिए।
- पत्र का विषय स्पष्ट होना चाहिए।
- पत्र लिखते समय कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कहने की कोशिश करनी चाहिए।
- पत्र की भाषा मधुर, आदरसूचक एवं सरल होनी चाहिए।
- पत्र की समाप्ति इस प्रकार होनी चाहिए कि पत्र का सन्देश स्पष्ट हो सके।
सगे- सम्बन्धियों, मित्रों, रिश्तेदारों, परिचितों आदि को लिखे गए पत्र अनौपचारिक पत्र कहलाते हैं, इन्हें व्यक्तिगत पत्र भी कहा जाता है। इनमें व्यक्तिगत प्रवृत्तियों, सुख-दुःख, हर्ष, उत्साह, बधाई, शुभकामना आदि का वर्णन किया जाता है। अनौपचारिक पत्रों की भाषा आत्मीय व हृदय को स्पर्श करने वाली होती है।
अनौपचारिक पत्र के भाग
- प्रेषक का पता अनौपचारिक पत्र लिखते समय सर्वप्रथम प्रेषक का पता लिखा जाता है। यह पता पत्र के बायीं ओर लिखा जाता है।
- तिथि-दिनांक प्रेषक के पते के ठीक नीचे बायीं ओर तिथि लिखी जाती है। यह तिथि उसी दिवस की होनी चाहिए, जब पत्र लिखा जा रहा है।
- सम्बोधन तिथि के बाद जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसे सम्बोधित किया जाता है। सम्बोधन का अर्थ है किसी व्यक्ति को पुकारने के लिए प्रयुक्त शब्द। सम्बोधन के लिए प्रिय, पूज्य, स्नेहिल, आदरणीय आदि सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
- अभिवादन सम्बोधन के बाद नमस्कार, सादर चरण-स्पर्श आदि रूप में अभिवादन लिखा जाता है।
- विषय-वस्तु अभिवादन के बाद मूल विषय-वस्तु को क्रम से लिखा जाता है। जहाँ तक सम्भव हो अपनी बात को छोटे-छोटे परिच्छेदों में लिखने का प्रयास करना चाहिए।
- स्वनिर्देश/अभिनिवेदन इसके अन्तर्गत प्रसंगानुसार ‘आपका’, ‘भवदीय’, ‘शुभाकांक्षी’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
- हस्ताक्षर पत्र में अभिनिवेदन के पश्चात् अपना नाम लिखा जाता है अथवा हस्ताक्षर किए जाते हैं।
कार्ड या लिफाफे पर पता लिखना
इसके अतिरिक्त पता लिखना भी पत्र का आवश्यक भाग है। पत्र पाने वाले (प्रेषिती) का पता, कार्ड या लिफाफे पर इस प्रकार लिखा जाता है-सबसे पहले प्रेषिती का नाम, दूसरी पंक्ति में मकान संख्या, गली-मुहल्ला आदि, तीसरी पंक्ति में गाँव, शहर और डाकघर का नाम लिखा जाता है। अन्तिम पंक्ति में जिले और राज्य का उल्लेख रहता है। जैसे- श्री रामलखन वर्मा – आर. पी. वाजपेयी ग्राम-मौजीपुर – 15- विकास नगर पोस्ट-क्योंटी बादुल्ला (बिसवाँ) – सीतापुर (उ.प्र.) जिला-सीतापुर (उत्तर प्रदेश) – पिन-261001
अनौपचारिक पत्र के सम्बोधन, अभिवादन तथा अभिनिवेदन
अनौपचारिक पत्रों के उदाहरण
पिता द्वारा पुत्र को
♦ छात्रावास में पढ़ रहे पिता द्वारा मनीऑर्डर भेजे जाने हेतु एक पत्र लिखिए। पोखर खाली, अल्मोड़ा। दिनांक 10-4-20xx प्रिय बेटा अजय, शुभाशीष।
यहाँ सब कुशल पूर्वक हैं, आशा है तुम भी सकुशल होगे। आज ही तुम्हारा पत्र मिला मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तुम्हारी लिखित परीक्षा के दो प्रश्न-पत्र हो गए हैं और तुमने दोनों प्रश्न-पत्रों को बहुत अच्छे ढंग से किया है। मैंने आज ही ₹ 500 का मनीऑर्डर तुम्हारे नाम भेज दिया है। आशा है पत्र के साथ वह भी मिल जाएगा। अपनी पढ़ाई का विशेष ध्यान रखना और इन पैसों का सदुपयोग ही करना। तुम्हारी माताजी ने तुम्हारे लिए प्यार और भाई-बहनों ने नमस्ते कहा है।
तुम्हारा पिता
मित्र को आमन्त्रण पत्र
♦ काव्य गोष्ठी में आमन्त्रित किए जाने पर मित्र को धन्यवाद प्रकट करते हुए एक पत्र लिखिए 5 विकास नगर, सीतापुर। दिनांक 4-3-20xx मित्रवर राकेश जी,
सप्रेम नमस्ते। आपका पत्र आज प्राप्त हुआ। यह बहुत ही खुशी की बात है कि आप अपने निवास स्थान पर कवि गोष्ठी कराने जा रहे हैं। मैं वहाँ अवश्य ही आऊँगा। स्थानीय कवियों के अतिरिक्त और कौन-कौन से कवि आ रहे हैं? मयंक जी को आमन्त्रित किया है या नहीं? यदि किसी चीज़ की आवश्यकता हो तो मुझे अवश्य लिखें; मैं उसकी व्यवस्था कर लूगाँ। यहाँ पर सब कुशल मंगल है। आशा है कि आप भी स्वस्थ एवं सानन्द होंगे।
आपका मित्र मुनीश कुमार
सलाह सम्बन्धी पत्र
♦ अपनी छोटी बहन को समय का सदुपयोग करने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए। 18, जीवन नगर, गाजियाबाद। दिनांक 19-3-20xx प्रिय कुसुमलता,
शुभाशीष। आशा करता हूँ कि तुम सकुशल होगी। छात्रावास में तुम्हारा मन लग गया होगा और तुम्हारी दिनचर्या भी नियमित चल रही होगी। प्रिय कुसुम, तुम अत्यन्त सौभाग्यशाली लड़की हो जो तुम्हें बाहर रहकर अपना जीवन संवारने का अवसर प्राप्त हुआ है, परन्तु वहाँ छात्रावास में इस आज़ादी का तुम दुरुपयोग मत करना। बड़ा भाई होने के नाते मैं तुमसे यह कहना चाहता हूँ कि तुम समय का भरपूर सदुपयोग करना। तुम वहाँ पढ़ाई के लिए गई हो। इसलिए ऐसी दिनचर्या बनाना जिसमें पढ़ाई को सबसे अधिक महत्त्व मिले। यह सुनहरा अवसर जीवन में फिर वापस नहीं आएगा। इसलिए समय का एक-एक पल अध्ययन में लगाना| मनोरंजन एवं व्यर्थ की बातों में ज़्यादा समय व्यतीत न करना। अपनी रचनात्मक रुचियों का विस्तार करना। खेल-कूद को भी पढ़ाई जितना ही महत्त्व देना। आशा करता हूँ तुम मेरी बातों को समझकर अपने समय का उचित प्रकार सदुपयोग करोगी तथा अपनी दिनचर्या का उचित प्रकार पालन करके परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करोगी। शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा भाई, कैलाश
मित्र को बधाई पत्र
♦ अपने मित्र को वार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान पर उत्तीर्ण होने के उपलक्ष्य में बधाई पत्र लिखिए। 40/3, नेहरू विहार, झाँसी। दिनांक 16-3-20xx प्रिय मित्र शेखर,
15 मार्च, 20xx के समाचार-पत्र में तुम्हारी सफलता का सन्देश पढ़ने को मिला। यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई कि तुमने जिला स्तर पर 12वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
प्रिय शेखर, मुझे तुम से यही आशा थी। तुम्हारी पढ़ाई के प्रति निष्ठा और लगन को देखकर मुझे पूर्ण विश्वास हो गया था कि 12वीं कक्षा की परीक्षा में तुम अपने विद्यालय तथा परिवार का नाम अवश्य रोशन करोगें। परमात्मा को कोटि-कोटि धन्यवाद कि उसने तुम्हारे परिश्रम का उचित फल दिया है।
मेरे दोस्त, अपनी इस शानदार सफलता पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं उस परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि जीवन में सफलता इसी प्रकार तुम्हारे चरण चूमती रहे तथा तुम जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर रहो। मुझे पूरी आशा है कि इसके पश्चात् होने वाली कॉलेज की आगामी परीक्षाओं में भी तुम इसी प्रकार उच्च सफलता प्राप्त करोगे तथा जिनका परिणाम इससे भी शानदार रहेगा। मेरी शुभकामनाएँ सदैव तुम्हारे साथ हैं।
शुभकामनाओं सहित। मोहन राकेश
निमन्त्रण पत्र
♦ अपने पुत्र के विवाह में शामिल होने के लिए अपने सम्बन्धियों को निमन्त्रण-पत्र लिखिए। || श्री गणेशाय नमः।। भेज रहा हूँ स्नेह-निमन्त्रण प्रियवर! तुम्हें बुलाने को। हे मानस के राजहंस! तुम भूल न. जाना आने को।
श्री/श्रीमती………….. परमपिता परमेश्वर की कृपा से मेरे ज्येष्ठ पुत्र चि. गिरीश का विवाह पिथौरागढ़ निवासी श्री बंशीधर तिवारी की सौभाग्याकांक्षिणी सुपुत्री प्रभा के साथ दिनांक 8-4-20XX को होना निश्चित हुआ है। आप सपरिवार पधारकर वर-वधू को आशीर्वाद देकर अनुगृहीत करें।
दर्शनाभिलाषी प्रमोद जोशी सतीश जोशी एवं समस्त परिवार
कुशल क्षेम सम्बन्धी पत्र
♦ अपने परिवार से दूर रहकर नौकरी कर रहे पिता का हाल-चाल जानने के लिए पत्र लिखिए। 20/3, रामनगर, कानपुर। दिनांक 15-3-20xx पूज्य पिताजी, सादर चरण-स्पर्श
कई दिनों से आपका कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। हम सब यहाँ कुशलपूर्वक रहकर भगवान से आपकी कुशलता एवं स्वास्थ्य के लिए सदा प्रार्थना करते हैं। पिताजी, मैंने घर की सारी ज़िम्मेदारियाँ सम्भाल ली हैं। घर एवं बाहर के अधिकांश काम अब मैं ही करता हूँ। सलोनी आपको बहुत याद करती है। वह हर समय पापा-पापा की रट लगाए रहती है। इस बार घर आते समय उसके लिए गुड़ियों का उपहार लेते आइएगा। आप अपनी सेहत का ख्याल रखना। समय पर खाना, समय पर सोना। यदि आपको स्वास्थ्य में तनिक भी गड़बड़ी महसूस हो तो डॉक्टर से परामर्श कर तुरंत ही अपना उचित इलाज करवाना।
आपके पत्र के जवाब के इन्तज़ार में। विजय मोहन
मित्र को शोक पत्र
♦ अपने मित्र को उनकी पुत्र-वधू की असामयिक मृत्यु होने पर शोक प्रकट करते हुए शोक-पत्र लिखिए। 15, स्वरूप नगर, पीलीभीत। दिनांक 1-4-20xx प्रिय बिष्ट जी,
आपकी पुत्र-वधू की असामयिक मृत्यु की सूचना पाकर अपार दुःख हुआ। मृत्यु पर किसी का वश नहीं है। आप धैर्य धारण करें। मेरी परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शान्ति तथा शोक संतप्त परिवार को शोक वहन करने की शक्ति प्रदान करें।
भवदीय उमेश सिंह
प्रधानाचार्य, पदाधिकारियों, व्यापारियों, ग्राहक, पुस्तक विक्रेता, सम्पादक आदि को लिखे गए पत्र औपचारिक पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा निजी या पारिवारिक सम्बन्ध नहीं होता। इसमें शालीन भाषा तथा शिष्ट शैली का प्रयोग किया जाता है। औपचारिक पत्र के अन्तर्गत शिकायती पत्र, व्यावसायिक पत्र, सम्पादकीय पत्र तथा आवेदन पत्र का वर्णन किया गया है।
औपचारिक पत्र के भाग
- पत्र भेजने वाले (प्रेषक) का पता औपचारिक पत्र लिखते समय सर्वप्रथम पत्र – भेजने वाले का पता लिखा जाता है। प्रेषक का पता बायीं ओर लिखा जाता है।
- तिथि/दिनांक प्रेषक के पते के ठीक नीचे जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है उस दिन की दिनांक लिखी जाती है।
- पत्र प्राप्त करने वाले का पता दिनांक के बाद जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसका पता, पद आदि का वर्णन किया जाता है।
- विषय जिस सन्दर्भ में पत्र लिखा जा रहा है, उसे संक्षिप्त में विषय के रूप में लिखा जाता है।
- सम्बोधन सभी औपचारिकताओं के बाद पत्र-प्राप्तकर्ता के लिए महोदय, महोदया, मान्यवर आदि सम्बोधन के रूप में लिखा जाता है।
- विषय-वस्तु सम्बोधन के पश्चात् पत्र की मूल विषय-वस्तु को लिखा जाता है। विषय-वस्तु में प्रत्येक बात के लिए अलग-अलग अनुच्छेदों का प्रयोग किया जाता
- अभिवादन के साथ समाप्ति पत्र की समाप्ति पर पत्र प्राप्तकर्ता का अभिवादन किया जाता है।
- स्वनिर्देश/अभिनिवेदन पत्र के अन्त में पत्र लिखने वाले का नाम आदि का वर्णन किया जाता है तथा आवश्यकता पड़ने पर हस्ताक्षर भी किए जाते हैं।
औपचारिक पत्र के सम्बोधन, अभिवादन तथा अभिनिवेदन
औपचारिक पत्रों के उदाहरण
शिकायती पत्र किसी विशेष कार्य, समस्या अथवा घटना की शिकायत करते हुए सम्बन्धित अधिकारी को लिखा गया पत्र ‘शिकायती पत्र’ कहलाता है। शिकायती पत्र लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस सम्बन्ध में शिकायत की जा रही है, उसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए। शिकायत हमेशा विनम्रता के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए।
♦ अपने मुहल्ले के पोस्टमैन की कार्यशैली का वर्णन करते हुए पोस्टमास्टर को शिकायती पत्र लिखिए। 15, दूंगाधारा, अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)। दिनांक 13-4-20xx सेवा में, पोस्ट मास्टर, उप-डाकघर पोखर खाली, अल्मोड़ा। महोदय, मैं आपका ध्यान मुहल्ला दूंगाधारा के पोस्टमैन की कर्तव्य-विमुखता की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। इस मुहल्ले के निवासियों की शिकायत है कि यहाँ डाक कभी भी समय से नहीं बँटती है। अतः यहाँ के निवासियों को बड़ी असुविधा है। आपसे निवेदन है कि इस मामले की जानकारी प्राप्त करके उचित कार्यवाही करने की कृपा करें, ताकि इस समस्या का निराकरण हो सके।
भवदीय प्रमोद पन्त
♦ माल प्राप्त न होने पर रेल विभाग के प्रबन्धक को शिकायत करते हुए पत्र लिखिए। राज क्लॉथ एम्पोरियम, नन्द नगरी, दिल्ली। दिनांक 26-5-20xx सेवा में, मण्डल रेल प्रबन्धक, दिल्ली रेल मण्डल, दिल्ली।
विषय माल की प्राप्ति न होने के सम्बन्ध में।
महोदय, हमने दिनांक 15 मई, 20XX को दिल्ली रेलवे स्टेशन स्थित पार्सल घर से चार बण्डल सूती कपड़ा मै. बजाज एण्ड कम्पनी, कानपुर को भेजने के लिए पैसेन्जर रेलगाड़ी से बुक करवाया था, जिसका R/R नं. 55/XX है। यह माल अभी तक अपने गन्तव्य तक नहीं पहुंचा है। आपसे अनुरोध है कि कृपया जाँच-पड़ताल कर एक हफ्ते के अन्दर हमें यह बताएं कि इस माल का क्या हुआ। यदि माल गलती से कहीं ओर पहुँच गया हो, तो माल को शीघ्रातिशीघ्र उक्त गंतव्य तक पहुँचाने की व्यवस्था करें।
भवदीय, हस्ताक्षर …….. (दीपक श्रीवास्तव) प्रबन्धक राज क्लॉथ एम्पोरियम
♦ माल की खरीदारी पर अधिक वसूली होने पर कम्पनी के प्रबन्धक को शिकायत करते हुए पत्र लिखिए। शंकर एण्ड सन्स, कपूरथला, पंजाब। दिनांक 20-420xx सेवा में, दीपमाला एण्ड कम्पनी, स्टेशन रोड, लखनऊ।
विषय माल की खरीदारी पर अधिक वसूली होने पर शिकायत हेतु।
महोदय, हमें आपका दिनांक 5 मार्च, 20XX का पत्र 15 मार्च, 20XX को प्राप्त हुआ था, जिसमें उल्लेख था कि यदि हम आपके यहाँ से ₹1000 से अधिक का माल खरीदते हैं, तो हमें 25% की छूट और मुफ्त पैकिंग व माल भाड़े की सुविधा प्रदान की जाएगी। परन्तु खेद है कि हमारे द्वारा ₹8000 के माल की खरीद के बावजूद भी आपने अपने दिनांक 3 अप्रैल के बिल सं. 115 द्वारा हमसे पैकिंग और माल भाड़े के शुल्क की वसूली के साथ ही हमें केवल 20% छुट ही प्रदान की। यद्यपि हमने माल प्राप्त कर लिया, परन्तु हमें आपके द्वारा की गई अतिरिक्त वसूली के लिए क्रेडिट नोट प्राप्त करने के सम्बन्ध में पूछताछ का अधिकार है। हमारे विचार से यह त्रुटि आपके बिलिंग और डिस्पैच विभाग की लापरवाही से हुई होगी। उचित कार्रवाई हेतु प्रेषित।
भवदीय, हस्ताक्षर ………….. (शिव शंकर) प्रोप्राइटर शंकर एण्ड सन्स
व्यावसायिक-पत्र आजकल व्यापार तथा व्यवसाय में काफी वृद्धि होने के कारण व्यावसायिक-पत्रों में भी वृद्धि होती जा रही है। दो व्यापारिक संस्थाओं अथवा व्यापारिक संस्था और ग्राहक के मध्य होने वाला पत्र-व्यवहार व्यावसायिक पत्राचार कहलाता है। व्यावसायिक पत्र-लेखन भी एक कला है, इसकी विशिष्ट शैली होती है। इन पत्रों में शिष्टता, सहजता, सहृदयता के दर्शन होते हैं। व्यापारिक पत्रों में सामान मँगवाने, उनकी जानकारी, शिकायतें तथा शिकायतों के निवारण जैसे विषय होते हैं।
व्यावसायिक-पत्रों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
♦ आपको कुछ पुस्तकों की आवश्यकता है। नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी के व्यवस्थापक को सूचित करते हुए शीघ्र पुस्तक भिजवाने हेतु एक पत्र लिखिए। 19-कौशलपुरी, कानपुर। दिनांक 15-5-20xx सेवा में, सर्वश्री व्यवस्थापक, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी (उ.प्र.)।
विषय पुस्तकें मंगवाने हेतु।
महोदय, निवेदन है कि मुझे निम्नलिखित पुस्तकों की आवश्यकता है। कृपया इन्हें शीघ्र ही वी.पी. डाक द्वारा ऊपर लिखे पते पर भेज दें। वी.पी. आते ही छुड़ा ली जाएगी।
पुस्तक का नाम – लेखक – प्रतियाँ हिन्दी शब्दानुशासन – आचार्य किशोरीदास वाजपेयी – एक प्रति हिन्दी व्याकरण – पं. कामताप्रसाद गुरु – एक प्रति हिन्दी का सरल भाषा विज्ञान – गोपाल लाल खन्ना – एक प्रति चरित चर्चा और जीवन दर्शन – डॉ. सम्पूर्णानन्द – एक प्रति हिन्दी साहित्य का इतिहास – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल – एक प्रति
सधन्यवाद। भवदीय नन्द कुमार
♦ पुस्तक भण्डार के प्रबन्धक की ओर से पुस्तकों के ऑर्डर की आपूर्ति में असमर्थता प्रकट करते हुए पत्र लिखिए। विद्या पुस्तक भण्डार, विद्या विहार, दिल्ली। दिनांक 20-5-20xx सेवा में, बुक प्वाइण्ट, मुखर्जी नगर, दिल्ली।
विषय पुस्तकों के ऑर्डर की आपूर्ति में असमर्थता हेतु।
महोदय, आपके दिनांक 13 मई, 20XX के ऑर्डर के लिए धन्यवाद, किन्तु हमें खेद के साथ कहना पड़ रहा है। कि आपने जिन पुस्तकों का ऑर्डर दिया है, उनका स्टॉक खत्म हो चुका है।
हमने ये पुस्तकें पुनर्मुद्रण हेतु भेजी हुई हैं, जो सम्भवतः 15 दिन में बिक्री हेतु तैयार हो जाएँगी। हमने आपका ऑर्डर अपनी ‘ऑर्डर फाइल’ में सुरक्षित रख लिया है, जैसे ही पुस्तकें तैयार हो जाएँगी, आपको भेज दी जाएँगी।
असुविधा के लिए खेद है। सदैव आपकी सेवा में तत्पर।
धन्यवाद। भवदीय, हस्ताक्षर ……….. (विशाल गुप्ता) विक्रय प्रबन्धक (विद्या पुस्तक भण्डार)
♦ सामान का ऑर्डर प्राप्त करने के लिए कम्पनी के प्रबन्धक की ओर से डीलर को पत्र लिखिए। माधवराम सोप कं., खारी बावली, दिल्ली। दिनांक 28-4-20XX सेवा में, साहनी सोप डीलर, भजनपुरा, दिल्ली।
विषय सामान का ऑर्डर प्राप्त करने हेतु।
महोदय, गत कई महीनों से हमें आपका कोई ऑर्डर प्राप्त नहीं हुआ है। इसका कोई कारण हमारी समझ में नहीं आ रहा है। आप हमारे नियमित ग्राहक हैं। प्रतिमाह हम आपसे हज़ारों रुपयों के माल का ऑर्डर प्राप्त करते हैं। हमने कभी आपको किसी प्रकार की शिकायत का मौका नहीं दिया। हो सकता है, जाने अनजाने में हमसे कोई भूल हो गई हो। जिससे आप अप्रसन्न हों। आप हमें अपनी शिकायत बताइए, हम उसे दूर करने की हर सम्भव कोशिश करेंगे। परन्तु आपसे पुनः आग्रह है कि आप इस तरह माल का ऑर्डर देना बन्द न करें। आशा है, हमें पूर्व की तरह पुनः आपसे सहयोग प्राप्त होगा। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि ग्राहकों की सन्तुष्टि ही हमारा परम ध्येय है। आपके सहयोग की अपेक्षा में।
भवदीय, हस्ताक्षर (रामसिंह) प्रबन्धक (माधवराम सोप कं.)
सम्पादकीय-पत्र
समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएँ हमारे ज्ञानवर्द्धन, बौद्धिक तुष्टि और मनोरंजन के साधन हैं। इनमें हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित अनेक सूचनाएँ, विज्ञापन और सुझाव भी प्रकाशित होते रहते हैं।
हमें लेख, कविता और कहानी आदि प्रकाशित कराने, सामाजिक एवं राजनीतिक समस्याओं को प्रकाशित कराकर जन-जन तक पहुंचाने के लिए सम्पादक से सम्पर्क करना पड़ता है। इसके लिए हमें उन्हें पत्र लिखना पड़ता है, ऐसे पत्र ‘सम्पादकीय-पत्र’ कहलाते हैं। ऐसे पत्र एक विशिष्ट शैली में लिखे जाते हैं। यह पत्र सम्पादक को सम्बोधित होते हैं, जबकि मुख्य विषय-वस्तु ‘जन सामान्य’ को लक्षित करके लिखी जाती है। सम्पादकीय-पत्र के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं
♦ अपने शहर में उत्पन्न पानी की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए किसी समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए। 12, पन्त सदन, दूंगाधारा, अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) दिनांक 15-1-20xx सेवा में, सम्पादक महोदय, दैनिक ‘स्वतन्त्र भारत’ विधानसभा मार्ग, लखनऊ (उ.प्र.) विषय अल्मोड़ा में पानी की समस्या।
महोदय, आपके दैनिक समाचार-पत्र में ‘अल्मोड़ा में पानी की समस्या’ पर अपने विचार प्रकाशनार्थ भेज रहा हूँ। आशा है आप इसे प्रकाशित कर हमें अनुगृहीत करेंगे।
पिछले दो सप्ताह से यहाँ पानी की बड़ी समस्या हो गई है। नलों में पानी नहीं आता है। यदि आता भी है तो बहत कम मात्रा में आता है। एक बाल्टी पानी के लिए काफ़ी समय बर्बाद हो जाता है। स्रोतों पर बड़ी भीड़ होती है, पानी की पूर्ति न होने से घण्टों इन्तज़ार करना पड़ता है। आजकल अल्मोड़ा में ऐसा लग रहा है जैसे पानी का अकाल पड़ गया हो।
जल विभाग के कर्मचारियों से सम्पर्क करने पर कोई सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिलता है। कर्मचारी बात को लापरवाही से टाल देते हैं। अतः अधिकारी वर्ग से निवेदन है कि नगरवासियों की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति की उचित व्यवस्था कराने की कृपा करें, जिससे समय पर पानी मिल सके।
भवदीय मुकेश श्रीवास्तव
♦ देश में बढ़ रही कन्या-भ्रूण हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए। 142, पटेल नगर, नई दिल्ली। दिनांक 15-3-20xx सेवा में, सम्पादक महोदय, नवभारत टाइम्स, नई दिल्ली।
विषय कन्या भ्रूण हत्या की बढ़ती प्रवत्ति के सन्दर्भ में।
महोदय, आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से मैं देश में बढ़ रही कन्या भ्रूण हत्या की प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ। अनेक लोग गर्भ में ही लिंग परीक्षण करवाकर कन्या भ्रूण होने की स्थिति में इसे मार डालते हैं, गर्भ में ही कन्या भ्रूण की हत्या कर दी जाती है। ऐसा करने वाले केवल गरीब या, निर्धन एवं अशिक्षित लोग ही नहीं होते, बल्कि समाज का पढ़ा-लिखा एवं धनी तबका भी इसमें बराबरी की हिस्सेदारी करता है। समाज का यह दृष्टिकोण अत्यन्त रूढ़िवादी एवं पिछड़ा है, जिसे किसी भी स्थिति में बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए। समाज के बौद्धिक एवं तार्किक लोगों का कर्तव्य है कि वे सरकार एवं प्रशासन के साथ मिलकर कन्या-भ्रूण हत्या को अन्जाम देने वाले या उसका समर्थन करने वाले लोगों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करें, जिससे समाज का सन्तुलन एवं समग्र विकास सम्भव हो सके।
धन्यवाद। भवदीया ऋतिका
♦ पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत हेतु प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए। 624, मुखर्जी नगर, दिल्ली। दिनांक 12-6-20XX सेवा में, सम्पादक महोदय, नवभारत टाइम्स, दिल्ली।
विषय समाचार पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले भ्रामक विज्ञापन हेतु।
महोदय, इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले भ्रामक विज्ञापनों की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। आज हमें दूरदर्शन, पत्र-पत्रिकाओं आदि सभी जगह विभिन्न विज्ञापन देखने को मिलते हैं। कुछ विज्ञापनों के माध्यम से हमें नई-नई जानकारी प्राप्त होती है तो कई ऐसे विज्ञापन भी देखने को मिलते हैं जिनके द्वारा आज की युवा पीढ़ी भ्रमित हो रही है। ऐसे विज्ञापनों में नाममात्र भी सच्चाई नहीं होती। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि ऐसे विज्ञापनों में विज्ञापनदाता का पता आदि भी किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाती। अतः इस प्रतिष्ठित पत्र के माध्यम से मेरा सरकार से अनुरोध है कि वह इस सन्दर्भ में जल्द ही सख्त से सख्त कदम उठाए।
भवदीया वैशाली
आवेदन-पत्र या प्रार्थना पत्र किसी फर्म-अधिकारी या किसी मन्त्रालय, विभाग या कार्यालय के अधिकारी को लिखे जाते हैं। स्कूल अथवा कॉलेज के प्रबन्धक अथवा प्रधानाचार्य को लिखे गए पत्र भी आवेदन-पत्र कहलाते हैं। चूँकि, आवेदन-पत्र अधिकारियों को लिखे जाते हैं। अत: इन्हें ‘आधिकारिक-पत्र’ भी कहा जाता है। आवेदन-पत्रों का प्रारूप अन्य पत्रों से भिन्न होता है। आवेदन-पत्र के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
♦ राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ा में हिन्दी आशुलिपिक पद के लिए आवेदन पत्र लिखिए। 3, शान्ति निकेतन, नैनीताल-2 (उत्तराखण्ड)। दिनांक 17-1-20xx सेवा में, निदेशक, राजकीय संग्रहालय, अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)।
विषय नौकरी पाने के सम्बन्ध में।
महोदय, आपके 15 जनवरी, 20XX के दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार मैं ‘हिन्दी आशुलिपिक’ के पद के लिए अपनी सेवाएँ प्रस्तुत करता हूँ। मेरी योग्यता तथा अनुभव इस प्रकार हैं-
शैक्षिक योग्यताएँ 1. हाईस्कूल यू.पी. बोर्ड – प्रथम श्रेणी – 2005 2. इण्टरमीडिएट यू.पी. बोर्ड – द्वितीय श्रेणी – 2007 3. बी.ए. कुमाऊँ वि.वि. – द्वितीय श्रेणी – 2009 4. आई.टी.आई. (हिन्दी आशुलिपि) – बी ग्रेड – 2012
व्यावहारिक योग्यताएँ 1. हिन्दी आशुलिपि गति 120 शब्द प्रति मिनट। 2. हिन्दी टंकण गति 30 शब्द प्रति मिनट। 3. अंग्रेजी टंकण गति 40 शब्द प्रति मिनट।
अनुभव मैंने विगत 18 महीनों तक उपनिदेशक पशुपालन विभाग नैनीताल के कार्यालय में हिन्दी आशुलिपिक के पद पर कार्य किया है। योग्यता और अनुभव के अतिरिक्त मुझे पाठ्येतर कार्यकलापों में बड़ी रुचि रही है। मैं फुटबाल का अच्छा खिलाड़ी हूँ और कॉलेज की टीम का विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व कर चुका हूँ।
यदि उक्त पद पर सेवा करने का सुअवसर मिला तो मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि अपने कार्य एवं व्यवहार से सदैव आपको सन्तुष्ट रदूंगा। प्रमाण-पत्रों की अनुप्रमाणित प्रतिलिपियाँ इस आवेदन-पत्र के साथ संलग्न हैं।
संलग्नक संख्या 7 भवदीय सुरेश सक्सेना
♦ आप औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में कार्यरत् हैं। किसी ज़रूरी काम पर जाने के कारण उपार्जित अवकाश के लिए आवेदन करते हुए निदेशक को पत्र लिखिए।
हेतमापुर ग्राम, भिटौली (फतेहपुर), बाराबंकी (उ.प्र.) दिनांक 3-3-20xx सेवा में, निदेशक महोदय, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, बरेली।
विषय ज़रूरी काम आ जाने पर अवकाश हेतु।
महोदय, सविनय निवेदन है कि मझे गाँव में अपने पैतक मकान की मरम्मत करवानी है। आगामी बरसात में और अधिक क्षतिग्रस्त होने पर उसके गिर जाने की आशंका है। इसलिए उसकी मरम्मत अत्यावश्यक है, अतएव आपसे अनुरोध है कि मुझे दिनांक 4-3-20xx से 5-4-20xx तक 30 दिनों का उपार्जित अवकाश (E.L) प्रदान कर कृतार्थ करें। साथ ही दिनांक 3-3-20xx को कार्यकाल के उपरान्त मुख्यालय छोड़ने की भी अनुमति प्रदान करें। सधन्यवाद। आपका विश्वासपात्र धीरेन्द्र अवस्थी
♦ अपने गाँव में पाठशाला खुलवाने हेतु जिला परिषद के अध्यक्ष को पत्र लिखिए। नारायणपुर, बहराइच (उ.प्र.)। दिनांक 15-4-20xx सेवा में, अध्यक्ष महोदय, जिला परिषद्, बहराइच।
विषय अपने गाँव में पाठशाला खुलवाने हेतु।
महोदय, सविनय निवेदन है कि हमारे गाँव में एक प्राइमरी पाठशाला की बड़ी आवश्यकता है। गाँव के आस-पास दो मील तक कोई विद्यालय न होने से बहुत से बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। सुदूर विद्यालय जाने में छोटे-छोटे बच्चों को बड़ी परेशानी होती है। हमारे गाँव की जनसंख्या भी अच्छी है। अतः आपसे प्रार्थना है कि हमारे गाँव में एक प्राइमरी पाठशाला स्थापित करने की कृपा करें, ताकि हमारे गाँव के तथा आस-पास के ग्रामवासी बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सकें। हमें आशा ही नहीं, वरन् पूर्ण विश्वास है कि आप इस विषय पर सहानुभूतिपूर्ण विचार करके हमारे गाँव में एक प्राइमरी पाठशाला स्थापित कराएँगे।
भावदीय दिनेश
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एक अच्छा निबंध कैसे लिखते हैं? निबंध लेखन का तरीक़ा/प्रारूप
निबंध वह रचना है जो किसी विषय पर विचारपूर्वक एवं क्रमबद्ध रूप से लिखी जाती है। निबंध-लेखन एक कला है। किसी अन्य कला में प्रवीण होने के लिए जिस तरह निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह विभिन्न विषयों पर अपने विचारों को लिखित रूप में अभिव्यक्त करने के लिए निरंतर अभ्यास द्वारा ही कोई अच्छा निबंध लिख सकता है। और आज हम इसी के बारे में बात करेंगे कि निबंध लेखन का तरीक़ा क्या है और एक अच्छा निबंध कैसे लिखें?
निबंध लेखन का तरीक़ा
निबंध लेखन का एक विस्तृत भाग होता है जो किसी विशेष दृष्टिकोण, विश्लेषण, व्याख्या, तथ्य अथवा प्रक्रियाओं के समुच्चय की वैधता के लिए एक प्रकरण का निर्माण करता है। किसी विषय पर निबंध लिखने से पहले अपने ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर ही एक प्रारूप बनाना चाहिए।
निबंध तर्कपूर्ण, वर्णात्मक, विश्लेषणात्मक, अन्वेषणात्मक अथवा समीक्षात्मक हो सकते हैं; लेकिन उन सभी का एक विषय प्रस्तुत करने, संरक्षण प्रदान करने एवं पाठक के लिए एक दृष्टिकोण रखने का सामान्य उद्देश्य होता है। अतः एक निबंध की श्रेष्ठता न केवल प्रस्तुत तथ्यों की वैधता में निहित होती है, बल्कि इन तथ्यों के चयन, समालोचनात्मक मूल्यांकन, संगठन तथा प्रस्तुति पर भी निर्भर होती है।
एक अच्छा निबंध कैसे लिखें?
- अच्छा निबंध लिखने के लिए सबसे पहले तो उस विषय पर अपने ज्ञान एवं अनुभव के बारे में सोचना चाहिए।
- एक अच्छे निबंध में विचारों में क्रमबद्धता होती है और यही क्रमबद्धता किसी भी निबंध को प्रभावी बनाती है।
- निबंध को हर हाल में विषय-केंद्रित होना चाहिए। विषय से भटकाव किसी भी निबंध का सबसे बड़ा दोष माना जाता है।
- निबंध का प्रारम्भ हमेशा विषयवस्तु के परिचय से करें।
- परिचय के बाद निबंध के मध्य भाग को लिखें, इसमें विषयवस्तु को अनावश्यक विस्तार न दें।
- उपसंहार में सारांश के साथ निबंध को समाप्त करें।
- निबंध उसी विषय पर लिखना अधिक अच्छा होता है, जिसकी अच्छी जानकारी हो।
- वर्तनी की दृष्टि से शुद्ध शब्दों का प्रयोग करना चाहिए तथा इनकी अनावश्यक आवृत्ति से बचना चाहिए।
- वाक्य-विन्यास ठीक रखते हुए विराम-चिन्हों का उचित प्रयोग करना चाहिए।
- व्याकरण-सम्मत स्पष्ट भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
- निबंध की भाषा-शैली सीधी, सरल, सुबोध तथा विषय के अनुकूल रखनी चाहिए।
- लम्बे-लम्बे क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से यथासंभव बचना चाहिए, क्योंकि इनसे भाषा प्रवाह में बाधा पहुँचती है और निबंध अस्वाभाविक लगने लगता है।
- निबंध का आकार न बहुत छोटा और न ही बहुत लम्बा होना चाहिए।
- सभी विचारों को पूर्णता के साथ स्पष्ट रूप से व्यक्त करना चाहिए।
- मध्य-भाग लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि एक अनुच्छेद में एक ही भाव हो। विभिन्न अनुच्छेदों को भी विचारों की भाँति सही क्रम में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- विषयवस्तु का वास्तविक प्रसार मध्य-भाग में ही करना चाहिए।
- निबंध का सारांश उपसंहार में ही लिखना चाहिए तथा इसमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अंतिम वाक्य के साथ निबंध की पूर्णता का आभास हो।
इसे भी पढ़ें: निबंध कितने प्रकार के होते हैं?
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