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  • Jivan Parichay (जीवन परिचय) /

Indira Gandhi Biography: भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जीवनी

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  • Updated on  
  • जून 12, 2024

Indira Gandhi biography in hindi

इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर सन् 1917 में हुआ। जो पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी पत्नी कमला नेहरू की इकलौती संतान थी। इंदिरा गांधी बचपन से ही राजनीति की बातें और वातावरण देखकर बड़ी हुई क्योंकि उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस सरकार के एक प्रमुख सदस्य थे और उनके पितामह उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से एक धनी बैरिस्टर थे तथा स्वतंत्र संग्राम के एक लोकप्रिय नेता रहे। महात्मा गांधी के नेतृत्व में जवाहरलाल नेहरू का प्रवेश स्वतंत्रता आंदोलन में हुआ। इसके कारण इंदिरा गांधी का संपूर्ण विकास और देखरेख मां द्वारा किया गया। इसी दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनके पिता मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय राजनीति में उलझते चले गए। सन् 1936 में मां कमला नेहरू लंबे समय तक बीमार रहने के बाद कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई थी। 5 वर्ष की उम्र में इंदिरा ने अपनी गुड़िया जलाने का फैसला किया क्योंकि वह इंग्लैंड से लाई हुई थी। इंदिरा गांधी बचपन से ही देशभक्ति की भावना हृदय में रखती थी। 12 वर्ष की उम्र में इंदिरा गांधी ने कुछ बच्चों की वानर सेना बनाई और उसका नेतृत्व किया जिसका नाम बंदर ब्रिगेड रखा गया था। जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में  छोटी सी भूमिका निभाई थी। Indira Gandhi biography in hindi से संबंधित अन्य बिंदु नीचे दिए गए हैं ।

This Blog Includes:

इंदिरा गांधी की शिक्षा, फिरोज गांधी से विवाह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष , राष्ट्रीय सुरक्षा, हरित क्रांति, इंदिरा गांधी की हत्या, मैं इंदिरा पापा नेहरू, इंदिरा की प्राणज्योति.

Indira Gandhi biography in hindi उनकी शिक्षा के बिना अधूरी हैI इंदिरा गांधी ने पुणे विश्वविद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की। 1934 और 35 में उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद शांतिनिकेतन में विश्व भारतीय विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, जोकि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित था, इसके पश्चात वह इंग्लैंड चली गई रविंद्र नाथ टैगोर ने इंदिरा गांधी को “प्रियदर्शनी” नाम दिया था। इंग्लैंड जाने पर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में भाग लिया लेकिन वह इसमें सफल नहीं रही और ब्रिस्टल के बैडमिंटन स्कूल में कुछ महीने बिताने के बाद 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इंदिरा गांधी ने सोमरविल कॉलेज  ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। उन्होंने प्रमुख भारतीय, यूरोपीय तथा ब्रिटिश स्कूलों में अध्ययन किया।

अपने पिता जवाहरलाल नेहरू की मर्जी के खिलाफ इंदिरा गांधी ने फिरोज गांधी से शादी की।  इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी की मुलाकात 1930 में आजादी की लड़ाई के दौरान मां कमला नेहरू एक कॉलेज के सामने धरना देते वक्त बेहोश हो गई थी उस समय फिरोज गांधी ने उनकी बहुत देखभाल की थी इसीलिए फिरोज गांधी अक्सर मां कमला नेहरू का हाल-चाल लेने घर आते जाते थे  इस दौरान इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बीच नजदीकियां बढ़ी फिरोज गांधी से इंदिरा गांधी की शादी 1942 में हुई लेकिन जवाहरलाल नेहरू इस शादी के खिलाफ थे फिरोज गांधी के संघर्ष में महात्मा गांधी के साथ थे, वह पारसी थे जबकि इंदिरा गांधी हिंदू। उस समय अंतरजातीय विवाह इतना आम नहीं था ऐसे में महात्मा गांधी ने इस जोड़ी को समर्थन दिया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी को साथ में जेल भी हो गई। शादी करना, इंदिरा गांधी के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस तरह इसे Indira Gandhi biography in Hindi में उल्लेख किया गया है

यह भी पढ़ें: हरिवंश राय बच्चन

Indira Gandhi biography in hindi का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जब वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बनी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बनने से उनके जीवन में बहुत सारे बदलाव आए। 1959 और 1960 के दौरान कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के. कामराज ने शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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Indira gandhi biography in hindi को आगे बढ़ाते हुए हम उन नीतियों पर नज़र डालते हैं जिनका उन्होंने अनुसरण किया I सन् 1966 में जब श्रीमती गांधी प्रधानमंत्री बनीं। मोरारजी देसाई उन्हें “गूंगी गुड़िया” कहा करते थे।

1969 इंदिरा गांधी का देसाई के साथ काफी तर्क वितर्क हुआ और काफी मुद्दों पर असहमति होने के कारण कांग्रेस सरकार दो भागों में विभाजित हो गई,उसी वर्ष जुलाई 1969 को उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। प्रधानमंत्री गांधी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को नई दिशा दी।

हरित क्रांति in indira gandhi biography in hindi का एक महत्वपूर्ण अध्याय है I शास्त्री और इंदिरा गांधी हरित क्रांति को भारत में लाए नेहरू युग में अंतिम वर्ष में खाद्यान्न में संकट आने लगा और खाद्यान्न में कमी आने के कारण राज्य में दंगे होने लगे इसलिए 1966 में इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद को संभालने के बाद कृषि पर अपना पूरा ध्यान एकत्रित कर लिया और हरित क्रांति को सरकार की एक प्राथमिकता बना डाला। भारतीय किसानों के लिए गेंहू और चावल की फसल को उपजाऊ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और मदद की गई और हरित क्रांति के द्वारा रासायनिक खादों और नई तकनीक पर जोर दिया गया।

Indira gandhi

सतवंत सिंह और बेअंत सिंह दोनों ने अक्टूबर 1984 को अपनी सर्विस हथियारों के द्वारा 1, सफदरजंग रोड, नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी। गांधी को उनके सरकारी कार से अस्पताल ले जाया जा रहा परंतु रास्ते में ही दम तोड़ दिया था, लेकिन घंटों तक उनकी मृत्यु घोषित नहीं की गई। उनका अंतिम संस्कार 3 नवंबर को राज घाट के समीप हुआ।

इंदिरा गांधी पर कविता

– रजनी विजय सिंगला

– जगदम्बा प्रसाद मिश्र ‘गौरव’

यह ज़रूर पढ़ें : बिल गेट्स की सफलता की कहानी

राजीव गांधी

इंदिरा गाँधी

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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इंदिरा गांधी जी का प्रेरणादायी सफर

इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी जी देश की प्रथम और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री थी, जो कि अपने राजनैतिक कौशल और सूझबूझ के लिए भी पहचानी जाती थी। उन्होंने उस समय देश का प्रधानमंत्री के रुप में नेतृत्व किया जब महिलाओं को घर से बाहर निकलने तक की इजाजत नहीं दी जाती थी।

तमाम चुनौतियों का सामना कर वे न सिर्फ देश के पीएम के पद पर आसीन हुई, बल्कि अपनी राजनैतिक प्रतिभा से उन्होंने देश के लिए कई अहम फैसले लिए। इंदिरा गांधी जी के शासनकाल में ही बांग्लादेश का निर्माण हुआ।

तो आइए जानते हैं अपनी राजनैतिक निष्ठुरता एवं दृढ़ता के लिए पहचाने जाने वाली इंदिरा गांधी जी के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में-

भारत की लौह महिला इंदिरा गांधी जी का प्रेरणादायी सफर – Indira Gandhi Biography in Hindi

Indira Gandhi

एक नजर में –

इंदिरा फिरोज गांधी
19 नवंबर, 1917, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश
जवाहर लाल नेहरू
कमला नेहरू
राजीव गांधी,
,
, वरुण गांधी,
31 अक्टूबर, 1984

जन्म एवं प्रारंभिक जीवन –

इंदिरा गांधी जी 19 नवंबर, 1917 को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद शहर में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी और कमला नेहरू जी के यहां प्रियदर्शनी के रुप में जन्मीं थी।

इंदिरा गांधी जी आर्थिक रुप से संपन्न, देश के जाने-माने राजनैतिक परिवार एवं देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत परिवार से संबंध रखती थी, उनके दादा मोतीलाल नेहरू और उनके पिता जवाहरलाल नेहरू जी दोनों ने ही देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वहीं अपने परिवार को देख इंदिरा गांधी जी के अंदर देशभक्ति की भावना बचपन से ही आ गई थी। इंदिरा गांधी जी की माता का नाम कमला नेहरू था। वहीं जब इंदिरा गांधी 18 साल की थी, तब उनकी मां कमला नेहरू जी की तपेदिक बीमारी के कारण मृत्यु हो  गई।

पढ़ाई-लिखाई –

इंदिरा गांधी जी के पिता की राजनैतिक व्यस्तता और मां का स्वास्थ्य खराब होने के कारण इंदिरा गांधी जी को शुरुआत में शिक्षा का अनुकूल माहौल नहीं मिला थी, जिसकी वजह से उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई घर पर रहकर ही की थी।

उनके पिता और देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने उनकी पढ़ाई के लिए घर पर ही शिक्षकों का बंदोबस्त किया था।

इसके कुछ समय बाद उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से अपनी हाईस्कूल की पढ़ाई की एवं फिर साल 1934-35 में इंदिरा गांधी जी ने शान्ति निकेतन में एडमिशन लिया और यहां पर ही उनका नाम रवीन्द्रनाथ टैगोर जी द्वारा प्रियदर्शिनी रखा गया।

फिर इसके बाद वे लंदन चली गईं जहां उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सोमेरविल्ले कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई की। वहीं इसी दौरान उनकी मुलाकात फिरोज गांधी से भी हुई थी।

अपनी पढ़ाई के दौरान इंदिरा गांधी ने कुछ खास हासिल नहीं किया, वे एक औसत दर्जे की विद्यार्थी थीं। उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी।

शादी एवं वैवाहिक जीवन –

अपने अद्भुत राजनैतिक प्रतिभा के लिए पहचाने जाने वाली महान राजनेता इंदिरा गांधी जी जब अपने पढ़ाई के दिनों के दौरान नेशनल कांग्रेस की सदस्य बनी तभी उनकी मुलाकात फिरोज गांधी से हुई।

उस दौरान फिरोज गांधी एक जर्नलिस्ट होने के साथ-साथ यूथ कांग्रेस के प्रमुख सदस्य भी थे, जो कि गुजरात के एक पारसी परिवार से थे।

फिर दोनों की मुलाकातें प्रेम में बदल गईं और साल 1942 के दौरान उन्होंने फिरोज गांधी से शादी कर ली थी।

हालांकि, इंदिरा गांधी के इस फैसले से उनके पिता जवाहर लाल नेहरू बिल्कुल भी सहमत नहीं थे, लेकिन बाद में अपनी बेटी की जिद के सामने उन्हें इन दोनों के रिश्ते को स्वीकार करना पड़ा था।

वहीं इस शादी का सार्वजनिक तौर पर भी काफी विरोध हुआ था, क्योंकि उस दौरान इंटरकास्ट विवाह होना इतना आम नहीं था।  शादी के बाद इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी को 2 बच्चे हुए। पहले राजीव गांधी हुए और फिर इसके करीब ढाई साल बाद संजय गांधी का जन्म हुआ। वहीं साल 1960 में एक कार्डियक गिरफ्तारी के बाद फिरोज गांधी की मृत्यु हो गई थी।

स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका –

इंदिरा गांधी जी अंदर बचपन से ही देशभक्ति की भावना निहित थी। दरअसल, उनके पिता और दादा जी दोनों ही देश के महान स्वतंत्रता सेनानी थे।

शुरू से ही देशप्रेम की भावना से प्रेरित परिवार में जन्म लेने से इंदिरा गांधी जी पर इसका गहरा असर पड़ा था। वे अपने पढ़ाई के दौरान ही इंडियन लीग की सदस्य बन गईं थीं और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के बाद जब वे साल 1941 में भारत वापस लौंटी तो फिर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गईं।

यही नहीं स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें जेल की यातनाएं भी सहनी पड़ी थी। इंदिरा गांधी एक देशप्रेमी थी। देशसेवा उनमे कूट-कूट के भरी थी। वह हमेशा कहती थी,

“आपको गतिविधि के समय स्थिर रहना और विश्राम के समय क्रियाशील रहना सीख लेना चाहिये।”

मतलब इंसान को कोई भी काम करते समय वो सचेत दिमाग से करना चाहिये। जीवन में क्रियाशील होने के साथ-साथ विश्राम भी जरुरी होता है ताकि हम हमारे दिमाग को और अधिक क्रियाशील बना सके।

राजनैतिक करियर –

इंदिरा गांधी जी का परिवार देश के सबसे प्रमुख एवं प्रसिद्ध राजनैतिक परिवारों में से एक है, इसलिए इंदिरा गांधी जी की भी शुरु से हीराजनीति की तरफ दिलचस्पी कोई हैरान करने वाली बात नहीं है।

जब उनके पिता जी जवाहर लाल नेहरू जी स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रुप में नियुक्त हुए थे। तब से ही उनके घर में आजादी के महानायक महात्मा गांधी समेत कई बड़े राजनेताओं का उनके घर में आना-जाना था, जिसकी मेजबानी अक्सर इंदिरा गांधी जी ही करती थी।

इस दौरान कई बार वे अपने पिता जी और राजनैतिक आगंतुकों द्वारा देश के विकास एवं बेहतर भविष्य के लिए हो रही बातचीत को भी ध्यानपूर्वक सुनती थी, जिसके चलते धीमे-धीमे उनका मन भी राजनीति की तरफ लगने लगा था।

वहीं साल 1951 और 1952 के बीच हुए लोकसभा चुनावों के दौरान इंदिरा गांधी जी ने अपने पति फिरोज गांधी जी के कई चुनावी रैली और सभाओं का आयोजित करने की जिम्मेदारी अच्छी तरह संभाली थी।

इसके बाद साल 1955 में इंदिरा गांधी जी को कांग्रेस पार्टी की कार्यकारिणी के रुप में शामिल कर लिया था। यही नहीं इंदिरा गांधी जी की राजनैतिक समझ को परखते हुए नेहरू जी भी न सिर्फ अपनी बेटी इंदिरा से कई अहम मुद्दों पर राजनैतिक सलाह लेते थे, बल्कि उन पर अमल भी करते थे।

इसके बाद साल 1959 में इंदिरा गांधी जी कांग्रेस की प्रेसीडेंट के रुप में नियुक्त हुईं।

फिर साल 1964 में अपने पिता एवं देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी की मौत के बाद उन्हें लाल बहादुर शास्त्री जी के सरकार के समय सूचना और प्रसारण मंत्री बना दिया गया था।

इस पद की जिम्मेदारी भी इंदिरा गांधी जी ने बखूबी निभाई एवं आकाशवाणी के कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया। साल 1965 में  भारत-पाकिस्तान के युद्ध के दौरान आकाशवाणी राष्ट्रीयता की भावना को मजबूत करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इसके अलावा इस युद्ध के दौरान उन्होंने सकुशल नेतृत्व किया एवं सीमाओं पर जाकर भारतीय सेना के जवानों का हौसला भी बढ़ाया।

देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रुप में –

इंदिरा गांधी जी महिला सशक्तिकरण का भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण रही हैं।

उन्होंने प्रधानमंत्री के रुप में देश का 4 बार कुशल नेतृत्व किया एवं देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। साल 1966 से 1977 तक लगभग 11 साल वे लगातार 3 बार प्रधानमंत्री के पद पर कार्यरत रहीं।

फिर साल 1980 से 1984 में उन्हें चौथी बार देश का प्रधानमंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ।

आपको बता दें कि पहली बार 1966 में देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की अचानक मौत के बाद, कांग्रेस के अध्यक्ष के. कामराज जी ने इंदिरा गांधी जी को देश के प्रधानमंत्री बनने की सलाह दी।

हालांकि इस दौरान कांग्रेस पार्टी के जाने-माने एवं कद्दावर नेता मोरारजी देसाई खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, फिर पार्टी द्धार वोटिंग के बाद इंदिरा गांधी जी को देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रुप में नियुक्त किया गया।

इस तरह 24 जनवरी 1966 को इंदिरा गांधी जी ने देश की प्रधानमंत्री के रुप में शपथ ली। फिर इसके करीब एक साल बाद 1967 में हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी जी फिर से पीएम उम्मीदवार के रुप में खड़ी हुईं।

इस चुनाव में वे ज्यादा बहुमत तो हासिल नहीं कर पाईं लेकिन चुनाव जीतने में सफल रहीं और फिर से उन्हें देश के प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने का मौका मिला। हालांकि, इस दौरान मोरार जी देसाई और इंदिरा गांधी जी को लेकर कांग्रेस पार्टी के अंदर कई आपसी मतभेद हो गए।

दरअसल, पार्टी के कुछ बड़े नेता जहां इंदिरा गांधी जी का समर्थन कर रहे थे तो कुछ मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री के रुप में चाहते थे, जिसके चलते साल 1969 में कांग्रेस पार्टी दो अलग-अलग गुटों में बंट गई।

प्रधानमंत्री के अपने कार्यकाल के दौरान इंदिरा गांधी जी ने देश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए। उन्होंने साल 1969 में भारत के 14 सबसे बड़े बैंकों के राष्ट्रीयकरण करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1971 में इंदिरा गांधी जी द्वारा मध्याविधि चुनाव की घोषणा –

साल 1971 में इंदिरा गांधी जी ने कांग्रेस की बिगड़ती हालत को देख एवं देश में अपनी स्थिति और अधिक मजबूत करने के लिए मध्याविधि चुनाव को घोषणा कर विपक्ष को बड़ा झटका दे दिया।

अपनी राजनैतिक कौशल के लिए पहचानी जानी वाली इंदिरा गांधी जी ”देश से गरीबी हटाओ” के नारे के साथ इस चुनाव में उतरीं और देश में चुनावी महौल बनाकर 518 में से 352 सीटें हासिल कर अपनी सरकार बनाने में सफल रहीं।

इस चुनाव के बाद देश में इंदिरा गांधी जी की स्थिति काफी मजबूत हो गई थी।

भारत-पाक के युद्ध में का सकुशल नेतृत्व

इंदिरा गांधी जी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान 1971 में  बांग्लादेश के मुद्दे को लेकर जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, उस दौरान देश में काफी तनाव बढ़ गया और इंदिरा गांधी जी को भी काफी बड़े संकट से जूझना पड़ा।

हालांकि इस दौरान उन्होंने सूझबझ और समझदारी से काम लेते हुए देश का सकुशल नेतृत्व किया। आपको बता दें कि युद्ध के दौरान जब स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाक का समर्थन देना शुरु कर दिया और चीन पहले से ही पाकिस्तान को हथियार सप्लाई कर उसका समर्थन कर रहा था।

इसके बाद इंदिरा गांधी के नेतृत्व ने भारत ने सोवियत संघ के साथ ”शांति, दोस्ती और सहयोग की संधि” पर हस्ताक्षर किए।

इस दौरान पूर्वी पाकिस्तान से भारी संख्या में शरणार्थियों ने भारत में प्रवेश करना शुरु कर दिया।

इस दौरान इंदिरा गांधी जी ने न सिर्फ लाखों शरणार्थियों को भारत में शरण दी बल्कि पश्चिमी पाकिस्तान से लड़ने के लिए सैन्य सहायता भी प्रदान की।

इंस दौरान इंदिरा गांधी जी ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के महत्व को समझते हुए बांग्लादेश के निर्माण को समर्थन देने की घोषणा की। वहीं इसके बाद 16 दिसंबर को पश्चिमी पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके चलते बांग्लादेश का निर्माण हुआ।

इस युद्ध में भारत की जीत से इंदिरा गांधी जी की छवि एक लोकप्रिय राजनेता के रुप में बन गई एवं उनकी स्थिति देश में इतनी अधिक मजबूत हो गई कि वे स्वतंत्र फैसले लेने के लिए भी सक्षम हो गईं।

वहीं इस युद्ध के बाद इंदिरा गांधी जी ने खुद को पूरी तरह देश की सेवा और विकास में समर्पित कर दिया।

उन्होंने साल 1972 में बीमा और कोयला उद्योग का भी राष्ट्रीयकरण कर जनता का ध्यान अपनी तरफ खींचा एवं एक सक्रिय एवं कुशल राजनेता के रुप में समाज कल्याण, अर्थ जगत समेत भूमि सुधार के लिए कई सुधार काम किए।

देश में आपातकाल लागू करना एवं सत्ता छिनना –

इंदिरा गांधी जी ने अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान देश के विकास के लिए कई नई योजनाएं लागू की थी एवं कई काम करवाए थे, लेकिन 1975 के दौरान देश में महंगाई, बेरोजगारी, आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार, की समस्याए काफी बढ़ गई थी, जिसके चलते कई विपक्षी दलों और देश की जनता ने इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन किए थे।

वहीं इसी दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इंदिरा गांधी जी के चुनाव से संबंधित एक केस पर फैसला सुनाते हुए उनका चुनाव रद्द करने के साथ 6 साल तक उनका चुनाव लड़ने से भी बैन लगा दिया।

जिसके बाद देश के राजनैतिक हालात और भी अधिक खराब हो गए और लोगों के अंदर उनके खिलाफ और अधिक प्रतिशोध भर गया।

फिर 26 जून, 1975 के दिन इंदिरा गांधी जी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की बजाय देश में आपातकाल की घोषणा कर दी। जिसके तहत उन्होंने मोरारजी देसाई, जयप्रकाश नारायण समेत तमाम विपक्षी नेता और उनके राजनैतिक दुश्मनों को गिरफ्तार कर लिया गया।

यही नहीं आपातकाल के दौरान आम नागरिकों के संवैधानिक अधिकार भी छीन लिए गए एवं मीडिया पर भी प्रतिबंध लगा दिया, रेडियो अखबार और टीवी पर सेंसर लगा दिए गए।

फिर इसके बाद साल 1977 की शुरुआत में इंदिरा गांधी जी ने आपातकाल को हटाते हुए चुनाव की घोषणा कर दी।

इस दौरान राजनैतिक कैदियों की रिहाई कर दी गईं एवं फिर से मीडिया से बैन हटा दिया था एवं जनता को मौलिक अधिकार वापस देने के साथ राजनैतिक सभाओं और चुनाव प्रचार की आजादी दे गई।

हालांकि इस चुनाव के दौरान आपातकाल और नसबंदी अभियान के चलते आम जनता में उनके खिलाफ काफी क्रोध बढ़ गया था।

वहीं उस दौरान जनता ने आपातकाल और नसबंदी अभियान के बदले में इंदिरा गांधी जी को समर्थन नहीं किया। जिसके परिणाम स्वरुप, मोरारजी देसाई और जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में ”जनता पार्टी” एक सशक्त एवं मजबूत होकर सामने आईं एवं चुनाव में 542 में 330 सीटें हासिल कीं, जबकि इंदिरा गांधी जी के खेमे में सिर्फ 153 सीटें ही आईं।

जनता पार्टी की आंतरिक कलह और इंदिरा गांधी जी की सत्ता में फिर से वापसी:

साल 1979 में जनता पार्टी के अंदर आंतरिक कलह की वजह से यह सरकार गिर गई जिसका फायदा इंदिरा गांधी जी को हुआ।

दरअसल, जनता पार्टी के राजनेताओं ने इंदिरा गांधी जी को संसद से बाहर निकालने के मकसद से इंदिरा गांधी जी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे एवं भ्रष्टाचार के आरोप में इंदिरा गांधी जी को जेल भी भेजा गया था।

वहीं जनता पार्टी की यह रणनीति और इंदिरा गांधी जी के प्रति ऐसा रवैया जनता को रास नहीं आया और फिर भारी संख्या में आम जनता इंदिरा गांधी जी के समर्थन में आ गई और फिर साल 1980 के चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 592 में से 353 सीटें हासिल की और इंदिरा गांधी ने बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की और  एक बार फिर उन्हें देश के प्रधानमंत्री के रुप में देश का नेतृत्व करने का मौका मिला।

नाम पर धरोहर –

नई दिल्ली में उनके नाम पर इंदिरा गांधी मेमोरियल म्यूजियम बना हुआ है।

इसके अलावा इंदिरा गांधी जी के नाम पर इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी(अमरकंटक), इंदिरा गांधी टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वीमेन, इंदिरा गांधी इंस्टिटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू), इंदिरा गांधी इंस्टीटयूट ऑफ डेंटल साइंस समेत कई शिक्षण संस्थान हैं।

यही नहीं देश के कई शहरों में बहुत सी सड़कों और चौराहों के नाम भी इंदिरा गांधी जी के नाम पर है।

इसके अलावा देश की राजधानी दिल्ली के इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम भी इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है और देश के सबसे मुख्य समुद्री ब्रिज पंबन ब्रिज का नाम भी इंदिरा गांधी रोड ब्रिज है।

पुरस्कार और सम्मान –

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी को साल 1971 में देश के सर्वोच्च सम्मान ”भारत रत्न ” से सम्मानित किया गया था।

साल 1972 में उन्हें बांग्लादेश को आजाद करवाने के लिए मेक्सिकन अवॉर्ड से नवाजा गया।

साल 1976 में उन्हें नागरी प्रचारिणी सभा के द्वारा हिन्दी में साहित्य वाचस्पति सम्मान से नवाजा गया था।

इसके अलावा उन्हें मदर्स अवार्ड, हॉलैंड मेमोरियल प्राइज से भी सम्मानित किया गया था।

ऑपरेशन ब्लू स्टार और हत्या –

1981 में एक सिख आतंकवादी समूह ”खालिस्तान” की मांग को लेकर अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर एवं हरिमिंदर साहिब परिसर के अंदर प्रवेश कर गए थे।

मंदिर परिसर में हजारों लोग होने के बाबजूद भी इंदिरा गांधी जी ने सेना के जवानों को इन आतंकवादियों से निपटने के लिए सिखों के प्रमुख धार्मिक स्थल ऑपरेशन ब्लू स्टार करने की इजाजत दे दी।

वहीं ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान हजारों बेकसूरों और मासूमों की जान चली गईं एवं सिख समुदाय की धार्मिक आस्था को काफी ठेस पहुंची।

इस ऑपरेशन के बाद इंदिरा गांधी जी के खिलाफ विद्रोह की भावना भड़क उठी एवं देश में संप्रदायिक तनाव की स्थिति बन गई, यही नहीं सिख समुदाय के कई लोगों ने इस दौरान सरकारी पदों से इस्तीफा दे दिया एवं सरकारी पुरस्कार एवं उपाधियां वापस कर विरोध जताया।

इस तरफ एक बार फिर से इंदिरा गांधी जी की राजनैतिक छवि काफी खराब हो गई एवं इसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

दरअसल, गोल्डन टेंपल में हुए भयावह नरसंहार का बदला लेने के लिए इंदिरा गांधी जी के दो सिख बॉडीगार्ड सतवंत सिंह और बित सिंह ने 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी।

निस्कर्ष-

देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के प्रधानमंत्री बनने का सफर काफी प्रेरणादायक है। इसके साथ ही उन्होंने जिस तरह काफी चुनौतियों का सामना कर खुद को दुनिया की सबसे सशक्त एवं मजबूत महिला के रुप में पहचान दिलवाई वो सराहनीय है।

यही नहीं प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए इंदिरा गांधी जी ने देश के आर्थिक, औद्योगिक, विज्ञान और कृषि समेत कई क्षेत्रों में विकास काम करवाए एवं भारत को एक मजबूत राष्ट्र के रुप उभारने में मदत की।

इंदिरा गांधी जी के देश के लिए किए गए योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

21 thoughts on “इंदिरा गांधी जी का प्रेरणादायी सफर”

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so nice story thank you for giving me information.

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Sir apne btya nahi indira g kitni language janti thi

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hello sir good information very helpful knowledge thank you sir

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firoj parsi tha to shadi ke bad endira ji gandhi se parsi kyu nahi huee gandhi laga kar bhartiyo ko bevkoof banaya aur ab tak bana hi rahe hai rahul rajeev gandhi kaise ye to parsi huye

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क्योंकि अगर पारसी किसी दूसरे धर्म मे शादी करता है तो उन्हें पारसी नही माना जाता है, इसलिए सिर्फ कुछ लाख पारसी ही दुनिया मे बचे है अब ।

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प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी की जीवनी परिचय |Indira Gandhi Biography in Hindi

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आज हम उस राजनेता के बारे में बात करने जा रहे है, जो भारत के चौथी और प्रथम महिला प्रधान मंत्री थी। वह एक ऐसी महिला थी जो सिर्फ भारत के राजनेतिक में पूरे अपना छप छोरी थी. इसलिए उन्हें लौह महिला के नाम से भी जाना जाता है. इन्हीं के सासन में ही एकमात्र आपातकालीन लागू किया गया और सभी राजनेतिक प्रतिद्वंदी जेल भेजा गया. भारतीय संविधान के मूल स्वरूप का संशोधन जितना उनके कार्यकाल में किया गया उतना कभी नहीं किया हुआ।

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इंदिरा गाँधी की जीवनी ( Indira Gandhi biography in Hindi)

संक्षिप्त परिचय.

नाम 

इंद्रा गांधी 

उपनामलौह महिला

पेश

राजनेतज्ञ

प्रसिद्धि

प्रधानमंत्री के रूप

जन्म

19 नवंबर 1917

जन्म स्थान 

इलाहबाद,उत्तर प्रदेश

उम्र

67 वर्ष (मृत्यु के समय)

स्कूल

पुणे विश्वविद्यालय

कॉलेज

सांतिनिकेतन में विश्व भारतीय विश्वविद्यालय

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय

सोमरविल कॉलेज ऑक्सफोर्ड

वैवाहिक स्थिति

विवाहित

पति

फ़िरोज़ गांधी

नागरिकता

भारतीय

धर्म

हिंदू

जाति 

पंडित

गृनगर

इलाहबाद,उत्तर प्रदेश

इंदिरा गाँधी जन्म और प्रारंभिक जीवन (Indira Gandhi Birth and early life)

19 नवंबर 1917 को इंद्रा गांधी का जन्म हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम में योग देने वाले मोती लाल नेहरू के परिवार में हुए था. बचपन का नाम “इंद्रा प्रेदर्शनी” था. इनके दादा जी का नाम मोती लाल नेहरू और पिता जी का नाम पंडित जबहारलाल नेहरू जो दोनो एक वकील थे और स्वतंत्रता संग्राम में भी इनका बहुत योगदान रहा था.

इंद्रा गांधी मां का नाम कमला नेहरू है. इनका परिवार पहले से ही आर्थिक एवं बौद्धिक दोनो से बहुत संपन्न थे. यह जबाहरलाल नेहरू की एकलौती संतान थी. अपने पिता के बाद इंदिरा गांधी दूसरा सर्वाधिक आर्यकाल के लिए कार्यरत रहने वाले प्रधानमंत्री है.

इंद्रा गांधी पर बचपन से देश भक्ति का काफी प्रभाव रहा, जब भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन में विदेशी उत्पादों का बहिष्कार क्या जा रहा था. उन्होंने भी राष्ट्रवाद आंदोलन में भाग लिया और उनके पास एक प्यारी सी गुड़िया थी, जो वह भी विदेशी ही था इसलिए उन्होंने फैसला किया की हम इस गुड़िया को जला देंगे. इस समय व मात्र 5 वर्ष की थी.

इन्हे भी पढ़े:- लाल बहादुर शास्त्री जी की जीवनी पढ़े

इंदिरा गांधी का वानर सेना (Indira Gandhi vanar Sena)

इंदिरा गांधी जब 12 साल की थी, उन्होंने कुछ बच्चों को लेकर एक वानर सेना बनाएं, उसका नाम बंदर ब्रिगेड रखा गया. और इंदिरा गांधी ने स्वयं सेना का नेतृत्व किया. जिसने हिंदू महाकाव्य रामायण में भगवान राम की सहायता की थी. उन्होंने भी उसे चढ़ा बच्चों को लेकर बंदर सेना बनाइए, और उन्होंने बच्चों के साथ मिलकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम के में महत्वपूर्ण भूमिका निवाई थे. कुछ दिन बाद इस सेना में 60,000 युवा क्रांतिकारियों को शामिल किया गया. ब्रिटिश शासन के कारण सब काटना बहुत ही जोक सिंह का काम था पर इंदिरा गांधी ने यह सब किया और स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ली.

इंदिरा गाँधी की शिक्षा (Indira Gandhi Education)

1935 मैं इंदिरा गांधी मैट्रिक की परीक्षा पुणे विश्वविद्यालय से पास की. स्कूल के शिक्षा पूर्ण होने के बाद उन्होंने सांतिनिकेतन में विश्व भारतीय विश्वविद्यालय में प्रवेश ली. इस विश्वविद्यालय को रवींद्रनाथ टाइगर के द्वारा निर्माण किया था. विश्व विद्यालय की पढ़ाई करने के पश्चात वह इंग्लैंड चली गई, इंग्लैंड जाने के बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में प्रवेश की लेकिन ऑक्सफोर्ड प्रवेश परीक्षा में वह सफल नहीं रही, कुछ महीने बाद उन्होंने ब्रिस्टल स्केल के बैडमिंटन स्कूल की प्रवेश परीक्षा में सफल रही. उसके बाद उन्होंने सोमरविल कॉलेज ऑक्सफोर्ड में नामांकन करवाई

1936 में इंदिरा गांधी के मां कलाम नेहरू को एकदम भी तुम्हारी हो गई थी, पढ़ाई के दिनों में ही इंदिरा गांधी स्विजरलैंड आकर अपने बीमार माता के साथ कुछ दिन बिताए. जब उसकी मां कमला नेहरू बीमार थी उस समय जवाहरलाल नेहरू भारतीय जेल में थे। 

इंद्रा गांधी का परिवार (Indira Gandhi Family)

पिता (Father)

जवाहरलाल नेहरु

माता (Mother)

कमला नेहरु

पति (Husband)

फ़िरोज़ गांधी

पुत्र (Sons)

राजीव गांधी और संजय गांधी

पुत्र वधुएँ (Son-in-law)

सोनिया गांधी और मेनका गांधी

पौत्र (Grand sons)

राहुल गांधी और वरुण गांधी

पौत्री (Grand daughter)

प्रियंका गांधी 

इंद्रा गांधी का विवाह और पारिवारिक जीवन (Indra Gandhi Marriage & Family Life)

इंदिरा जब इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी के सदस्य बनी, तब उनकी मुलाकात फिरोज गांधी से हुआ. फिरोज गांधी उस समय एक पत्रकार से और यूथ कांग्रेस के प्रमुख सदस्य थे. 1940 में इंदिरा ने अपने पिता जवाहरलाल नेहरू के मना करने के बावजूद भी इंदिरा ने फिरोज गांधी से विवाह कर ली थी.

इंदिरा और फिरोज गांधी का विवाह तो हुआ था! फिरोज गांधी और महात्मा गांधी कोई भी रिश्ता नहीं था. सिर्फ वे दोनों स्वतंत्रता संग्राम में साथ थे, फिरोज गांधी एक तो एक पारसी था. जबकि इंदिरा एक हिंदू परिवार से थी. उस समय अलग-अलग जातियों में विवाह करना इतना आसान नहीं था. धरासर इस जोड़ी को लोग नापसंद कर रहे थे. परंतु महात्मा गांधी इस जोड़ी को खुलकर समर्थन दिया और उन्होंने सार्वजनिक बयान दिया, जिसमें मीडिया से विनती भी शामिल थी. कहा जाता है कि राजनीतिक छवि बनाए रखने के लिए महात्मा गांधी ने इंदिरा और फिरोज को “गांधी” का टाइटल लगाने के लिए कहे थे.

हमारे देश की स्वतंत्रता के बाद इंदिरा गांधी के पिता जवाहर लाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री बने थे, उस समय इंदिरा और अपने दोनो बेटे को लेकर अपने पिताजी के साथ दिल्ली चली गई. पर फिरोज गांधी इलाहाबाद में ही रुक गए थे, क्योंकि वह दी नेशनल हेरल्ड में एडिटर का काम कर रहा था, इस न्यूज़ को इंदिरा गांधी के मोतीलाल नेहरू ने शुरू किया था।

इन्हे जरूर पढ़े:- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवनी पढ़े>>

इंदिरा का राजनीतिक करियर (Indra Gandhi Political Career)

इंदिरा गांधी ऐसे भी एक राजनीतिक परिवार से बिलॉन्ग करती थी इसलिए इंदिरा गांधी को राजनीतिक में आना कोई ज्यादा मुश्किल और आश्चर्यजनक नहीं था.

 इंदिरा गांधी ने 1951-52 में अपने पति फिरोज गांधी के लिए उन्होंने बहुत सी चुनाव में सभा आयोजित की और उस चुनाव अभियान का नेतृत्व किया. उस वक्त फिरोज गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ रहे थे. जल्द ही सरकार के भ्रष्टाचार के विरोध फिरोज खान एक बड़ा चेहरा बन गया, उन्होंने बहुत सारे सरकार भ्रष्टाचार भ्रष्टाचारियों का का असलियत सामने लाया. जिसमें मुख्य बीमा कंपनी और वित्त मंत्री कृष्णा मचारी का नाम शामिल था. परंतु 8 दिसंबर 1960 को हृदयाघात के कारण फिरोज गांधी का मृत्यु होगी गया.

इंद्रा गांधी कांग्रेस प्रेसिडेंट के रूप में (Indira Gandhi as Congress President)

1969 में इंदिरा गांधी को इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी के प्रेसिडेंट के रूप में नियुक्त किया था. 27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू की निधन के बाद इंदिरा गांधी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया और वह इस चुनाव में जीत भी गई. 

इंद्रा गांधी प्रधानमंत्री के रूप में ( Indra Gandhi As Prime Minister of India)

चार बार भारत के प्रधानमंत्री रही है, इंदिरा गांधी लगातार तीन बार 1966-1977 और फिर चौथी बार 1980-1984तक

1966 मैं भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की निधन के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी भारत के राष्ट्रपति चुनी गई थी.

1967 में इंदिरा गांधी बहुत ही कम बहुमत से भारत के प्रधानमंत्री बनी थी.

1971 में शेर उन्होंने भारी बहुमत से जीत कर प्रधानमंत्री बनी.

1980 में शेर एक बार फिर इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बने और 1984 तक पद पर रही.

11 जनवरी 1966 को इंदिरा गांधी भारत के प्रधानमंत्री बनी. प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने 1969 में श्याम प्रेमियों तेल कंपनियों और चार्जर भारत के सबसे बड़े बैंक को राष्ट्रीयकरण के प्रस्ताव को पास करवाना था. 1947 में भारत के पहले भूमिगत विस्फोट परमाणु का नेतृत्व किया.

इंदिरा गांधी ने पार्टी और देश में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए लोकसभा को भंग कर 1971में मध्यावधि चुनो की घोषण की. हॉट 518 सीटे में से 352 सिटी कांग्रेस को मिली. जब इंदिरा गांधी की स्थिति देश में मजबूत हो गई तब इंदिरा गांधी सुशांत फैसले के लिए आजाद कर दी.

भारत-पकिस्तान युद्ध 1971 में इंदिरा गाँधी की भूमिका (India-Pakistan War in 1971)

1971 मैं जब बांग्लादेश के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान में युद्ध छिड़ा और पहले की तरह इस बार भी पाकिस्तानियों को हार का मुंह देखना पड़ा. 13 दिसंबर को हमारे देश की सेना ने ढाका शहर को सभी दिशाओं से घेर लिया और 16 दिसंबर को जनरल नियाजी ने 93000 पाकिस्तानी सेनानियों के साथ अपना हथियार डाल दिया. उसके बाद पाकिस्तान के दूसरे प्रधानमंत्री बने और उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समक्ष शांति प्रस्ताव रखा और इंदिरा गांधी ने स्वीकार कर लिया और दोनों देशों के बीच शिमला समझौता हो गया।

आपातकाल (1975–1977)

इंदिरा गांधी हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों का विकास के लिए कार्यक्रम लागू करने की कोशिश कर रही थी पर देश के अंदर एक नई समस्या, महंगाई बढ़ रही थी. पाकिस्तान और इंडिया के बीच युद्ध के कारण यह आर्थिक स्थिति पर हुई थी. इस बीच सूखा और अकाल ने इसे और गंभीर बना दिया और इस कारण सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया गया था.

सरकार महंगाई की समस्या से सोच ही रहे थे कि स्पीच उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने इंदिरा गांधी के चुनाव पर एक मूकदम दर्ज किया. उनका चुनाव रद्द कर दिया गया और उन्हें 6 वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंध लगा दिया गया. इंदिरा गांधी ने सर्वोच्च न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ अपील दर्जी कया. उसके बाद 26 जून 1975 को सुबह देश में आपातकालीन की घोषणा कर दी गई और उसमें जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, और हजारों छोटे-बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. के बाद सरकार ने अखबार रेडियो और टीवी पर संसद लगा दिया गया और मौलिक अधिकार को भी लगभग समाप्त कर दिया जाए.

जनवरी 1970 में इंदिरा गांधी ने लोकसभा चुनाव कराए जाने की घोषणा की और और इसके साथ उन्होंने राजनीतिक कैदियों को आजाद किया गया मीडिया और अखबार बालों को फिर से स्वतंत्र कर दिया गया.

सैयद इंदिरा गांधी की स्थिति ठीक नहीं हो पाई थी. जनता का समर्थन विपक्ष जनता पार्टी को मिलने लगा था और उसके सहयोगी दलों को 542 में से 530 सीटें प्राप्त हुआ और इंदिरा गांधी को मात्र 154 सीट प्राप्त हुआ

 23 मार्च 1977 को भारतीय जनता पार्टी का सरकार बना. आंतरिक कला और मतभेद के कारण यह पार्टी 1979 में सरकार गिर गई

जनता पार्टी का सरकार गिरने का आरोप इंदिरा गांधी पर लगाया. गया और उन पर काफी कमीशन जांच भी नियुक्त किया गया. और इंदिरा गांधी को कुछ दिन जेल में रहना पड़ा

एक तरफ जनता पार्टी सरकार के आंतरिक कलह के कारण उनका मोर्चा विफल हो रही थी दूसरी ओर इंदिरा गांधी के साथ हो रहे गलत व्यवहार के कारण जनता को इंदिरा गांधी पर सहानुभूति पढ़ रही थी

जनता पार्टी सरकार चलाने में असमर्थ रहे और मध्यावधि चुनाव को झेलना पड़ा था. इंदिरा गांधी ने आपातकालीन के लिए जनता से क्षमा याचना मांगी जिसके परिणाम स्वरूप उनके पार्टी को 592 में से 353 सीट प्राप्त हुए और इंदिरा गांधी फिर से प्रधानमंत्री बन गई।

इंद्रा गांधी का ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार और हत्या (Operation Blue Star and assassination of Indira Gandhi)

भिंडरावाले को ऐसा लग रहा था की पंजाब का अलग अस्तित्व बना देगा स्थिति बहुत गंभीर हो गई थी और ऐसा लग रहा था कि नियंत्रण केंद्र सरकार के हाथों से निकलता जा रहा है, भिंडरावाले को ऐसा लग रहा था कि हथियार के बल पर हम अलग अस्तित्व बना सकते हैं

 सितंबर 1981में भिंडरावाले का आतंकी समूह हरि मंदिर साहिब परिसर के वेदर तैनात हो गए. इंदिरा गांधी ने आतंकवादियों का सफाया करने का प्रयास से धर्म स्थल में प्रवेश करने का आदेश दिया. इस कार्यवाही में हजारों लोगों का जान गया और सिख समुदाय के लोग इंदिरा गांधी के विरोध काफी आक्रोश था

ऑपरेशन ब्लू स्टार आरंभ होने के 5 महीने बाद 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी को दो अंग रक्षोको ने गोली मारकर हत्या कर दी।

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इंदिरा गांधी की जीवनी

भारत की प्रथम और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था। इंदिरा गांधी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू की पुत्री थीं।

एक स्वतंत्रता सेनानी के बच्चे के रूप में, वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी शामिल हुई थीं। उन्होंने युवा लड़कों और लड़कियों की मदद से वानर सेना बनाई जो कांग्रेस समिति के सदस्यों के संदेशों के प्रसार और प्रतिबंधित प्रकाशनों का परिसंचरण करने में मदद किया करते थे। इंदिरा गांधी ने शांतिनिकेतन में शिक्षा प्राप्त करने के लिए दाखिला लिया और बाद में ऑक्सफोर्ड चली गईं। वहां यूरोप में एक पारसी कांग्रेस कार्यकर्ता फिरोज गांधी से उनकी मुलाकात हुई। 1942 में उन्होंने फिरोज गाँधी से विवाह कर लिया था। जिनसे उनके दो बेटे राजीव गांधी और संजय गांधी हुए।

भारत की स्वतंत्रता के बाद, इंदिरा गांधी ने भारत के कल्याण के लिए अपना कार्य जारी रखा। उन्होंने विभिन्न राहत शिविर आयोजित किए, शरणार्थियों को चिकित्सा सेवा प्रदान की। उन्होंने भारतीय राजनीति में हिस्सा लेना शुरू कर दिया और अपने पिता की विश्वासपात्र और सचिव बन गईं। वह 1951 के चुनाव के दौरान जवाहरलाल नेहरू और अपने पति फिरोज गांधी के साथ चुनाव अभियान में सफल रहीं। वह 1959 और 1960 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित की गईं। अपने पिता जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद, इंदिरा गांधी ने चुनाव लड़ा और लाल बहादुर शास्त्री की सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री का पद संभला। लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद, संघ के समर्थन से उन्होंने कांग्रेस संसदीय समिति के मतदान में जीत हासिल की और 19 जनवरी 1966 को भारत की पांचवीं और प्रथम महिला प्रधानमंत्री बन गईं।

इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लगाया था। ऐसा माना जाता था कि उनके द्वारा भारतीय संविधान के आपातकालीन प्रावधान का इस्तेमाल स्वयं को विशेष  शक्ति देने के लिए किया गया था। आपातकाल उन्नीस महीने तक रहा। 1977 के आगामी चुनावों में, इंदिरा गांधी ने अपनी सीट गंवा दी थी। जनता पार्टी द्वारा बनाई गई सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और 1980 में मध्य-अवधि में चुनाव आयोजित किए गए। इस चुनाव के बाद कांग्रेस सत्ता में आ गई और इंदिरा गांधी फिर से भारत की प्रधानमंत्री बन गईं। उन्हें 1983-84 के लिए लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1984 में, उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार लागू किया। इस ऑपरेशन के तहत, सेना को सबसे पवित्र सिख मंदिर, स्वर्ण मंदिर भेजा गया था, क्योंकि भारत सरकार का मानना ​​था कि मंदिर परिसर जर्नैल सिंह भिंडरवाले जैसे अपराधियों को आश्रय देने के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था। स्वर्ण मंदिर पर सेना के हमले के परिणामस्वरूप कई नागरिक भी मारे गए थे। इससे कई सिख क्रोधित हो गए और 31 अक्टूबर 1984 को दो सिख अंगरक्षकों ने इंदिरा गांधी की हत्या कर दी।

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Indira Gandhi Biography in Hindi – इंदिरा गाँधी की जीवनी

भारत की एक ऐसी शक्तिशाली महिला प्रधानमन्त्री जिनके बारे में तो आप जानतें ही होगें? इस बायोग्राफी पोस्ट में आप इनके सम्पूर्ण जीवन के बारे में बिस्तार से जानेगे, तो चलिए शुरू करते हैं Indira Gandhi Biography in Hindi से जुडी सभी जानकारी के बारे में हिन्दी में।

इन्दिरा गाँधी का जीवन परिचय –

इन्दिरा गाँधी भारत की पहली महिला प्रधानमन्त्री थीं, इनको प्रियदर्शिनी गाँधी के नाम से भी जाना जाता है, यह लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री थीं। इनका जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद, ब्रिटिश भारत (वर्तमान में प्रायगराज) में हुआ था। भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री श्री जवाहर लाल नेहरू इनके पिता थे और कमला नेहरू इनकी माता थीं। इन्होने फ़िरोज़ गाँधी से विवाह किया था, इनके दो बेटे थे, जिनका नाम राजीव गाँधी और फ़िरोज़ गाँधी था, जिनके बारे में आप अच्छी तरह से जानतें होगें। सोनिया गाँधी और मेनका गाँधी इनकी बहुएं हैं, राहुल गाँधी , प्रियंका गाँधी और वरुण गाँधी इनके पोते हैं।

कार्यकाल और पद –

  • 1959 और 1960 के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं।
  • वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 बार भारत की प्रधानमन्त्री रहीं
  • 14 जनवरी1980 – 15 जनवरी 1982 के बीच भारत की रक्षामंत्री भी रहीं
  • 27 जून 1970 – 4 फ़रवरी 1973 के बीच भारत की गृहमन्त्री भी रही
  • 16 जुलाई 1969 – 27 जून 1970 के बीच इंदिरा जी भारत की वित्तमंत्री भी रहीं थी।
  • चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं।

Indira Gandhi Biography in Hindi – संछिप्त परिचय

  • वास्तविक नाम – इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी
  • प्रचलित नाम – आयरन लेडी
  • प्रोफेशन – राजनीतिज्ञ
  • जन्म – 19 नवंबर 1917 को नेहरू परिवार में
  • पिता का नाम – पूर्व प्रधानमन्त्री पंडित नेहरू
  • माता का नाम – कमला नेहरू
  • संताने – राजीव गाँधी (पूर्व प्रधानमन्त्री) और फ़िरोज़ गाँधी
  • विदेश तथा घरेलू नीति एवं राष्ट्रिय सुरक्षा के लिए कार्य किया।
  • परमाणु कार्यक्रम पर भी कुछ कार्य किये थे।
  • हरित क्रांति में भी समर्थन किया था।
  • 1971 के चुनाव में विजय और द्वितीय कार्यकाल
  • भ्रष्टाचार आरोप और चुनावी कदाचार का फैसला
  • आपातकालीन स्थिति (1975-1977)
  • ओपरेशन ब्लू स्टार और हत्या

इंदिरा गांघी की शिक्षा –

इन्दिरा गाँधी के बारे में कहा जाता है कि उस ज़माने में जब देश में शिक्षा का अस्तर काफी कम हुआ करता था, तब भी इन्होने काफी अच्छी शिक्षा ली थी, तब भारत में महिला शिक्षा नाममात्र हुआ करती थी। 1934–35 में इन्दिरा ने अपनी स्कूली शिक्षा समाप्त कर ली थी, यह सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड (इंग्लैंड) से पढ़ी थीं, बताया जाता है की ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में बैठीं थीं मगर यह उसमे विफल रहीं बाद में यह ब्रिस्टल के बैडमिंटन स्कूल में कुछ महीने रहीं थी, बाद में इन्होने फिर से वर्ष 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। इसके पहले इन्होने विश्व-भारती विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया था। शिक्षा पूरी होने के बाद इंदिरा गाँधी भारत वापस आ गयीं जहाँ इन्होने 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म ब्रह्म-वैदिक समारोह में फिरोज़ से विवाह किया था।

इन्दिरा गाँधी का राजनितिक सफर –

सबसे पहले यह कांग्रेस की अध्यक्ष बनी थीं। उसके बाद यह लगातार तीन बार देश की प्रधानमन्त्री थीं। यह भारत की पहली महिला प्रधानमन्त्री थीं। चौथी बार प्रधानमन्त्री बनी उसी दौरान इनकी हत्या हुई थी।

इन्दिरा गाँधी पुरस्कार और सम्मान –

वर्ष इंदिरा को 1953 में यूएसए में मदर्स अवार्ड भी दिया गया। 1967 और 1968 में फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के पोल के मुताबिक इंदिरा फ्रेंच लोगों की सबसे पसंदीदा नेता थीं। 1971 में यूएसए के विशेष गेलप पोल सर्वे के मुताबिक इंदिरा दुनिया के सबसे सम्मानीय महिला थी। इन्होने अपने समय में सशक्त महिला के लिए भी कई कार्य किये थे। वर्ष 1971 में इनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

इनके नाम से देश में कई म्यूजियम, मेमोरियल, हॉस्पिटल, एजुकेशनल इंस्टिट्यूट, एयरपोर्ट, रिसर्च सेण्टर, आई. आई टी, ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू), समुद्री ब्रिज पंबन जैसे कई संस्थान हैं।

रोचक जानकारी –

इनको लोगों द्वारा आयरन लेडी भी कहा जाता है। इन्होने देश के लिए बहुत कुछ किया है, इनके योगदान के बारे में विस्तार से जानने के लिए विकिपीडिया देखें। वर्ष 1971 में इंदिरा को बहुत बडे संकट का सामना करना पड़ा। इनके शासनकाल में भारत पाकिस्तान का युद्ध भी हुआ था जिसके बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ।

इंदिरा गांघी की हत्या (मृत्यु)

इन्दिरा गाँधी के बहुसंख्यक अंगरक्षकों सतवंत सिंह और बेअन्त सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 को इनकी हत्या कर दी थी, उसके बाद देश में दंगे हो गए थे बाद में राजीव गाँधी को देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया था।

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Indira Gandhi Biography in Hindi | इंदिरा गांधी जीवन परिचय

इंदिरा गांधी

वास्तविक नाम इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी
उपनाम ज्ञात नहीं
व्यवसाय पूर्व भारतीय राजनीतिज्ञ
राजनीतिक पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
राजनीतिक यात्रा • वर्ष 1950 के दशक में, उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री (पंडित जवाहरलाल नेहरू) की अनौपचारिक रूप से एक निजी सहायक के रूप में सेवा की।
• वर्ष 1950 के दशक के अंत में, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
• वर्ष 1964 में, उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया और लाल बहादुर शास्त्री की कैबिनेट में सुचना एवं प्रसारण मंत्री के तौर पर कार्य किया।
• वर्ष 1966 में, लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद उन्हें मोरारजी देसाई की पार्टी के नेता के रूप में नियुक्त किया गया।
• वह जनवरी 1966 से मार्च 1977 तक भारत की प्रधानमंत्री रही थीं।
• वर्ष 1980 में, इंदिरा गांधी फिर से भारत की प्रधानमंत्री बन गईं और अक्टूबर 1984 में उनके सुरक्षा गार्डों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।
लम्बाई से० मी०-
मी०-
फीट इन्च-
आँखों का रंग काला
बालों का रंग धूसर
जन्मतिथि 19 नवंबर 1917
जन्मस्थान इलाहाबाद, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत
मृत्यु तिथि31 अक्टूबर 1984
मृत्यु स्थल1 सफदरजंग रोड, नई दिल्ली
मृत्यु का कारणहत्या
आयु (मृत्यु के समय)
राशि वृश्चिक
हस्ताक्षर
राष्ट्रीयता भारतीय
गृहनगर इलाहाबाद, भारत
स्कूल/विद्यालय Modern School, Delhi
St. Cecilia's Public School, Delhi
St Mary's Christian Convent School, Allahabad
International School of Geneva
École nouvelle de la Suisse romande, Lausanne, Switzerland
Pupils' Own School in Poona and Bombay
महाविद्यालय/विश्वविद्यालयविश्व भारती महाविद्यालय (पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी)
Somerville College, Oxford (पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी)
Badminton School, Bristol, England
शैक्षिक योग्यता पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी
परिवार - पंडित जवाहरलाल नेहरू (पूर्व भारतीय राजनीतिज्ञ, भारत के पहले प्रधानमंत्री)

- कमला नेहरू (स्वतंत्रता सेनानी)

- 1
- कोई नहीं
धर्म हिन्दू
जाति ब्राह्मण
विवाद • जून 1975 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जगमोहनलाल सिन्हा ने उन्हें चुनाव प्रचार के दौरान चुनावी भ्रष्टाचार में दोषी पाया। अदालत ने उन्हें लोकसभा सीट से बहिष्कृत कर दिया और उनके चुनाव को निरस्त कर दिया। साथ ही अगले छह वर्षों तक उनके चुनाव लड़ने पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया। इस दौरान उन्हें कई आरोपों में संलिप्त पाया गया जैसे :- राज्य बिजली विभाग से चोरी से बिजली का उपयोग करना, चुनाव अभियान के लिए सरकार की मशीनरी का दुरुपयोग करना तथा मतदाताओं को रिश्वत देना शामिल था। हालांकि, उन्होंने उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन न्यायधीश वी. आर. कृष्णा अय्यर ने इस फैसले को बरकरार रखा और उन्होंने आदेश दिया कि उनको सांसद के रूप में मिले सभी विशेषाधिकारों को बंद कर दिया जाए और उन्हें मतदान से बहिष्कृत कर दिया जाए।
• वर्ष 1975 से लेकर 1977 तक इंदिरा गांधी द्वारा घोषित 21 महीनों का आपातकाल काफी विवादों में रहा। इस दौरान सविंधान के अनुच्छेद 352 का उपयोग करते हुए। इंदिरा गांधी ने स्वयं को असाधारण शक्तियां प्रदान कर दी थी। इन शक्तियों का प्रयोग करते हुए, उन्होंने एक बड़े स्तर पर मानवाधिकारों का हनन किया। आपातकाल के नाम पर इंदिरा गांधी ने तकरीबन समूचे विपक्षी दल के नेताओं को भारत के विभिन्न कारागारों में ठूंस दिया था। इस दौरान उनके ऊपर ये भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने बेटे संजय गांधी की सलाह पर जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर एक बड़े स्तर पर लोगों को जबरदस्ती नपुंसक बनाया।
• वर्ष 1984 में, ऑपरेशन ब्लू स्टार को शुरू किया गया, जहां भिंडरावाला अपने साथियों के साथ हरमंदिर साहिब परिसर / स्वर्ण मंदिर, अमृतसर के भीतर छुपा हुआ था। सूत्रों के अनुसार इस कार्यवाई के दौरान कई जानें हताहत हुई और गुरुद्वारा परिसर को कुछ क्षति पहुँची। जिसके चलते इंदिरा गांधी के खिलाफ रोष उत्पन्न हो गया।
वैवाहिक स्थिति मृत्यु के समय विधवा
बॉयफ्रैंड्स एवं अन्य मामले M.O. मथाई (पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निजी सचिव)

धीरेंद्र ब्रह्मचारी (योग शिक्षक)

दिनेश सिंह (गणित के प्रोफेसर)

मोहम्मद यूनुस (भारतीय विदेश सेवा अधिकारी)

फिरोज गांधी
पति फिरोज गांधी (पूर्व भारतीय राजनीतिज्ञ, पत्रकार)
बच्चे : राजीव गांधी (पूर्व भारतीय राजनीतिज्ञ)

संजय गांधी (पूर्व भारतीय राजनीतिज्ञ)

: कोई नहीं

इंदिरा गांधी

इंदिरा गांधी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • क्या इंदिरा गांधी धूम्रपान करती थीं ? नहीं
  • क्या इंदिरा गांधी शराब पीती थीं ? ज्ञात नहीं
  • इंदिरा गांधी ने अपना बचपन एकांत में बिताया था क्योंकि बहुत कम उम्र में उनके छोटे भाई की मृत्यु हो गई थी। उनके पिता ज्यादातर अपने राजनीतिक दौरे पर रहते थे, जबकि उनकी माँ तपेदिक बीमारी से पीड़ित रहती थीं, जिनका कुछ समय बाद निधन हो गया था।
  • जब वह यूरोप में थीं, तो अपने खराब सेहत की वजह से काफी चिन्तित रहती थीं, क्योंकि उन्हें देखने के लिए डॉक्टरों का आना-जाना लगा रहता था। वर्ष 1940 के दशक में जब नाजी सेनाओं ने यूरोप पर कब्जा कर लिया था, तब उनका स्विट्जरलैंड में इलाज चल रहा था। हालांकि, उन्होंने इंग्लैंड वापस जाने की बहुत कोशिश की, परन्तु वह असफल रहीं, जिसके चलते उन्हें दो महीने वहीं यूरोप में गुजारने पड़े। आख़िरकार बहुत जद्दोजहद से वर्ष 1941 में, इंग्लैंड आ गई और बाद में वह ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई छोड़कर भारत लौट आईं। हालांकि, वर्ष 2010 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डिग्री से सम्मानित किया और बाद में, उन्हें दस (Oxasians) में से एक के रूप में सम्मानित किया गया, जिन्हे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शानदार एशियाई स्नातकों में गिना जाता है।
  • सिर्फ 12 साल की उम्र में, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने के लिए बेहद बेताब थी, लेकिन उसके लिए कम से कम 18 वर्ष की उम्र का होना आवश्यक था।
  • बचपन में उन्होंने अपने मित्रों के साथ मिलकर “बंदर ब्रिगेड” नामक एक समूह बनाया। समूह का नाम एक प्राचीन भारतीय महाकाव्य कविता से प्रेरित था, जहां कई बंदरों (वनार) ने रावण से निपटने के लिए भगवान श्री राम चंद्र जी की मदद की थी। ब्रिगेड का उद्देश्य पुलिस अधिकारियों की जासूसी करना था।
  • आधिकारिक तौर पर वर्ष 1950 के दशक में इंदिरा ने (पंडित जवाहरलाल नेहरू जो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे) एक निजी सहायक के रूप में कार्य किया, जिसके चलते वह एक राजनीतिज्ञ बन गई। प्रारंभ में, उन्हें राजनीतिक दुनिया में एक “गूंगी गुड़िया” माना जाता था।
  • वर्ष 1950 के दशक में, इंदिरा गांधी का विवाह फिरोज जहांगीर घांदी (जिनका जन्म एक पारसी परिवार में हुआ था) के साथ हुआ। हालांकि, बाद में भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के सुझाव पर फिरोज जहांगीर घांदी का नाम बदलकर फिरोज गांधी किया गया। कुछ जानकारों का मानना है कि नेहरू ने यह सुझाव अपनी राजनीतिक छवि को सुरक्षित रखने के लिए किया था।
  • कुछ लोग कहते हैं कि उनके बेटे संजय का जन्म एक राजनीतिज्ञ मोहम्मद यूनुस से हुआ था। संजय इस बात से वाकिफ था और जिसके चलते वह अपनी मां को ब्लैकमेल करता था।
  • वर्ष 1966 में, अपने पिता की मृत्यु के बाद, उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया, इस प्रकार वह राष्ट्र की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं।
  • इंदिरा गांधी के नेतृत्व में वर्ष 1960 के दशक में भारत में हरित क्रांति का उदय हुआ। जिसके चलते देश में कृषि विज्ञान तकनीक का विस्तार हुआ। जिसके कारण कृषि उपज में भारी वृद्धि हुई। इस क्रांति के शुरुआती दौर में, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को काफी लाभ प्राप्त हुआ।
  • वर्ष 1971 में, भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ। जिसमें पाकिस्तानी सेना ने समपर्ण कर दिया, जिसके फलस्वरूप इंदिरा गांधी और पाकिस्तानी राष्ट्रपति के मध्य शिमला समझौता हुआ। इस समझौते के तहत कश्मीर विवाद को सुलझाया गया और जिसके कारण बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना।
  • अक्टूबर 1984 में, इंदिरा गांधी को उन्हीं के दो अंगरक्षकों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने गोली मार कर हत्या कर दी। जिसके बाद भारत में सिख दंगे भड़क उठे।

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इंदिरा गांधी : जीवन परिचय

  • 09 Nov 2020
  • 21 min read
  • सामान्य अध्ययन-I

31 अक्तूबर, 2020 को देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की 36वीं पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री मोदीजी ने श्रद्धांजलि अर्पित की। गौरतलब है कि इसी दिन देश ने अपने प्रिय नेता को खो दिया था, जो न कि सिर्फ देश अपितु पूरे विश्व के लिये एक अपूर्णीय क्षति थी। इस दिन को याद करते हुए श्रीमती इंदिरा गांधी के जीवन पर चर्चा करना अपेक्षित हो जाता है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर, 1917 को एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। इंदिराजी ने इकोले नौवेल्ले, बेक्स (स्विट्जरलैंड); इकोले इंटरनेशनल, जिनेवा; पूना और बंबई में स्थित प्यूपिल्स ओन स्कूल; बैंडमिंटन, ब्रिस्टल; विश्व भारती, शांति निकेतन और समरविले कॉलेज ऑक्सफोर्ड जैसे प्रमुख संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की थी। प्रभावशाली शैक्षिक पृष्ठभूमि के कारण उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा विशेष योग्यता प्रमाण दिया गया था। श्रीमती गांधी शुरू से ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रही थी। बचपन में उन्होंने ‘बाल चरखा संघ ’ की स्थापना की थी और असहयोग आंदोलन के दौरान कॉन्ग्रेस पार्टी की सहायता के लिये 1930 में बच्चों के सहयोग से ‘ वानर सेना ’ का निर्माण किया था। सिंतबर 1947 में वे जेल भी गई थी। 1947 में इंदिरा गांधी ने महात्मा गांधीजी के मार्गदर्शन में दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में भी कार्य किया था।

26 मार्च, 1942 को इंदिरा गांधी की शादी फिरोज़ गांधी से हुई। 1955 में श्रीमती इंदिरा गांधी कॉन्ग्रेस कार्य समिति और केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनी। 1956 में वे अखिल भारतीय युवा कॉन्ग्रेस और एआईसीसी महिला विभाग की अध्यक्ष बनी। इंदिरा गांधी वर्ष 1959 से 1960 तक भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष पद पर आसीन रही एवं जनवरी 1978 में उन्होंने पुन: यह पद ग्रहण किया।

1964 से 1966 तक वे सूचना और प्रसारण मंत्री के पद पर रही एवं इसके बाद जनवरी 1966 से मार्च 1977 तक वे भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत रहीं । उन्होंने विदेश मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला था।  वर्ष 1970 से 1973 तक उन्होंने गृहमंत्रालय और 1972 से 1977 तक अंतरिक्ष मामले मंत्रालय का प्रभार भी संभाला। जनवरी 1980 में उन्होंने पुन: प्रधानमंत्री के पद को प्राप्त किया। उन्होंने योजना आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। जनवरी 1980 में श्रीमती इंदिरा गांधी को रायबरेली (उत्तर प्रदेश) और मेडक (आंध्र प्रदेश) से सातवीं लोकसभा के लिये चुना गया था। श्रीमती इंदिरा गांधी ने रायबरेली की सीट का परित्याग कर मेडक में प्राप्त सीट का चयन किया।

भारत रत्न पुरस्कार
मैक्सिकन अकादमी पुरस्कार (बांग्लादेश की स्वतंत्रता हेतु)
1976 साहित्य वाचस्पति (हिंदी) पुरस्कार (बागरी प्रचारिणी सभा द्वारा)
1953 मदर पुरस्कार (अमेरिका)
इसावेला डी ‘एस्टे पुरस्कार (इटली)
हॉलैंड मेमोरियल पुरस्कार (येल विश्वविद्यालय)
1967-1968
फ्रांस की सबसे लोकप्रिय महिला
1971 पशुओं के संरक्षण हेतु (अर्जेंटीना सोसायटी द्वारा सम्मानित)
द इयर्स ऑफ चैलेंज (1966-69)
द इयर्स ऑफ एंडेवर (1969-72)
‘इंडिया’ (लंदन) 1975
इंडे (लौस्सैन) 1979

इंदिरा गांधी एवं आपातकाल

आज़ादी के महज़ 28 साल बाद ही देश को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के फैसले के कारण आपातकाल के दंश से गुजरना पड़ा था। 25-26 जून की रात को आपातकाल के आदेश पर राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर के साथ ही देश में आपातकाल लागू हो गया था।

1971 के लोकसभा चुनाव में श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी राजनारायण को पराजित किया था। परंतु चुनाव परिणाम निकलने के चार साल बाद राजनारायण द्वारा हाईकोर्ट में चुनाव परिणाम को चुनौती दी गई । 12 जून, 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी के चुनाव को निरस्त करते हुए उन पर छह साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा दिया। इसके साथ ही श्रीमती इंदिरा गांधी के चिर प्रतिद्वंद्वी राजनारायण सिंह को चुनाव में विजयी घोषित कर दिया गया।

राजनारायण सिंह के अनुसार इंदिरा गांधी द्वारा चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया, तय सीमा से अधिक पैसा खर्च किया गया और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिये गलत तरीकों का इस्तेमाल किया गया। अदालत ने इन आरोपों को सही ठहराया , हालाँकि श्रीमती गांधी द्वारा इस्तीफा देने से इंकार कर दिया गया था। इसी समय गुजरात में चिमनभाई पटेल के विरूद्ध विपक्षी जनता मोर्चे को भारी विजय मिली थी। इस दोहरी हार से इंदिरा गांधी इतनी असहज हो गई थी कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की घोषणा करते हुए 26 जून को आपातकाल लागू कर दिया। आपातकाल लागू करने की वजह अनियंत्रित आंतरिक स्थितियाँ बताई गई। धारा-352 के तहत सरकार को असीमित अधिकार संबंधी प्रावधान दिये गए-

  • इंदिरा गांधी को इच्छानुसार समय तक सत्ता में रहने का अधिकार
  • लोकसभा-विधानसभा हेतु चुनाव की आवश्यकता नहीं
  • मीडिया और अखबार की स्वतंत्रता समाप्त
  • सरकार को किसी भी प्रकार के कानून को पारित करने का अधिकार

मीसा एवं डीआईआर

इसके तहत देश में एक लाख से ज्यादा लोगों को जेल में डाल दिया गया।

संजय गांधी का पाँच सूत्रीय कार्यक्रम

संजय गांधी ने देश को आगे बढ़ाने के नाम पर पाँच सूत्रीय एजेंडे परिवार नियोजन, दहेज प्रथा का अंत, वयस्क शिक्षा, पेड़ लगाना, जाति प्रथा उन्मूलन पर कार्य करना आरंभ किया।

दिल्ली का तुर्कमान गेट मामला

सुंदरीकरण के नाम पर संजय गांधी ने एक ही दिन में दिल्ली के तुर्कमान गेट की झुग्गियों को साफ करवा दिया था।

परंतु आपातकाल लगने के 19 महीने में इंदिरा गांधी को इस गलती का एहसास हुआ एवं 18 जनवरी, 1977 को उन्होंने मार्च में लोकसभा चुनाव कराने की घोषणा की। 16 मार्च को संपादित इस चुनाव में इंदिरा गांधी एवं संजय गांधी पराजित हुए एवं 21 मार्च को आपातकाल खत्म हो गया।

आपातकाल के प्रभाव

आपातकाल के दौरान नागरिकों के संवैधानिक अधिकार, मीडिया की स्वतंत्रता आदि के अभाव में भारतीय लोकतंत्र अपने मूल स्वरूप से अलग हो चुका था। सरकार ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप करते हुए संसदीय संप्रभुता को न्यायपालिका की स्वतंत्रता से ज्यादा महत्त्व दिया। यह संविधान के मूल ढाँचे के खिलाफ था। इसी दौरान संविधान की उद्देशिका में समाजवाद एवं पंचनिरपेक्ष शब्द भी जोड़े गए। इस प्रकार 42वाँ संविधान संशोधन, संविधान का अब तक का सबसे बड़ा संशोधन बन गया।

आपातकाल के बाद श्री मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने। 42वें संविधान संशोधन के ऐसे प्रावधान, जो लोकतंत्र के मूलभूत आदर्शों के विरूद्ध थे, 1978 में 44वें संविधान संशोधन द्वारा बदल दिये गए, जैसे- प्रधानमंत्री द्वारा लिये जाने वाले प्रमुख फैसलों में कैबिनेट की सहमति की अनिवार्यता, न्यायपालिका की सर्वोच्चता आदि।

देखा जाए तो 1975 की आपातकाल की घोषणा भारतीय लोकतंत्र की दुखद घटना थी, लेकिन इस आपातकाल ने संविधान के उन स्तंभों को बहुत मज़बूत भी किया, जिससे भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति दोबारा न हो सके।

  • भारतीय संविधान में आपात उपबंधों को तीन भागों में बाँटा गया है- राष्ट्रीय आपात (अनुच्छेद- 352), राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता/राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद- 356) और वित्तीय आपात (अनुच्छेद- 360) ।

भारतीय संविधान में आपात उपबंध

  • आपात उपबंध भारत शासन अधिनियम- 1935 से लिये गए हैं।
  • भारतीय संविधान के भाग XVIII में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकाल से संबंधित उपबंध उल्लिखित हैं।
  • ये प्रावधान केंद्र को किसी भी असामान्य स्थिति से प्रभावी रूप से निपटने में सक्षम बनाते हैं।
  • संविधान में इन प्रावधानों को जोड़ने का उद्देश्य देश की संप्रभुता , एकता , अखंडता , लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था तथा संविधान की सुरक्षा करना है।

उद्घोषणा-   अनुच्छेद 352 में निहित है कि ‘ युद्ध ’ - ‘ बाह्य आक्रमण ’ या ‘ सशस्त्र विद्रोह ’ के कारण संपूर्ण भारत या इसके किसी हिस्से की सुरक्षा खतरें में हो तो राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपात की घोषणा कर सकता है।

  • मूल संविधान में ‘ सशस्त्र विद्रोह ’ की जगह ‘ आंतरिक अशांति ’ शब्द का उल्लेख था।
  • 44 वें संविधान संशोधन अधिनियम , 1972 द्वारा ‘ आंतरिक अशांति ’ को हटाकर उसके स्थान पर ‘ सशस्त्र विद्रोह ’ शब्द किया गया।
  • जब आपातकाल की घोषणा युद्ध अथवा बाह्य आक्रमण के आधार पर की जाती है , तब इसे बाह्य आपातकाल के नाम से जाना जाता है।
  • दूसरी ओर , जब इसकी घोषणा सशस्त्र विद्रोह के आधार पर की जाती है तब इसे ‘ आंतरिक आपातकाल ’ के नाम से जाना जाता है।
  • राष्ट्रीय आपात की उद्घोषणा संपूर्ण देश अथवा केवल इसके किसी एक भाग पर लागू हो सकती है।
  • मिनर्वा मिल्स मामले ( 1980) में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा को अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

उद्घोषणा की प्रक्रिया एवं अवधि

  • अनुच्छेद 352 के आधार पर राष्ट्रपति तब तक राष्ट्रीय आपात की उद्घोषणा नहीं कर सकता जब तक संघ का मंत्रिमंडल लिखित रूप से ऐसा प्रस्ताव उसे न भेज दे।
  • यह प्रावधान 44 वें संविधान संशोधन अधिनियम , 1978 द्वारा जोड़ा गया।
  • ऐसी उद्घोषणा का संकल्प संसद के प्रत्येक सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थिति व मतदान करने वाले सदस्यों को 2/3 बहुमत द्वारा पारित किया जाना आवश्यक होगा।
  • राष्ट्रीय आपात की घोषणा को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाता है तथा एक महीने के अंदर अनुमोदन न मिलने पर यह प्रवर्तन में नहीं रहती , किंतु एक बार अनुमोदन मिलने पर छह माह के लिये प्रवर्तन में बनी रह सकती है।

उद्घोषणा की समाप्ति

  • राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की उद्घोषणा को किसी भी समय एक दूसरी उद्घोषणा से समाप्त किया जा सकता है।
  • ऐसी उद्घोषणा के लिये संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी।
  • इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति के लिये ऐसी उद्घोषणा को समाप्त कर देना आवश्यक होता है जिसे जारी रखने के अनुमोदन प्रस्ताव को लोकसभा निरस्त कर दे।

1. केंद्र-राज्य संबंध पर प्रभाव

( अ) कार्यपालक

  • केंद्र को किसी राज्य को किसी भी विषय पर कार्यकारी निर्देश देने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।
  • यद्यपि , राज्य सरकारों को निलंबित नहीं किया जाता।

( ब) विधायी

  • संसद को राज्य सूची में वर्णित विषयों पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
  • यद्यपि , किसी राज्य विधायिका की विधायी शक्तियों को निलंबित नहीं किया जाता।
  • उपरोक्त कानून , आपातकाल की समाप्ति के बाद छह माह तक प्रभावी रहते हैं।
  • यदि संसद का सत्र नहीं चल रहा हो तो राष्ट्रपति , राज्य सूची के विषयों पर भी अध्यादेश जारी कर सकता है।

( स) वित्तीय

  • राष्ट्रपति , केंद्र तथा राज्यों के मध्य करों के संवैधानिक वितरण को संशोधित कर सकता है।
  • ऐसे संशोधन उस वित्त वर्ष की समाप्ति तक जारी रहते हैं , जिसमें आपातकाल समाप्त होता है।

2. लोकसभा तथा राज्य विधानसभा के कार्यकाल पर प्रभाव

  • लोकसभा के कार्यकाल को इसके सामान्य कार्यकाल ( 5 वर्ष) से आगे बढ़ाने के लिये संसद द्वारा विधि बनाकर इसे एक समय में एक वर्ष के लिये (कितने भी समय तक) बढ़ाया जा सकता है।
  • इसी प्रकार , संसद किसी राज्य विधानसभा का कार्यकाल भी प्रत्येक बार एक वर्ष के लिये (कितने भी समय तक) बढ़ा सकती है।
  • उपरोक्त दोनों विस्तार आपातकाल की समाप्ति के बाद अधिकतम छह माह तक के लिये ही लागू रहते हैं।

3. मूल अधिकारों पर प्रभाव

  • आपातकाल के समय मूल अधिकारों के स्थगन का प्रावधान जर्मनी के वाइमर संविधान से लिया गया है।
  • अनुच्छेद 358 तथा 359 राष्ट्रीय आपातकाल में मूल अधिकार पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन करते हैं।
  • अनुच्छेद 358, अनुच्छेद 19 द्वारा दिये गए मूल अधिकारों के निलंबन से संबंधित है।
  • जबकि अनुच्छेद 359 अन्य मूल अधिकारों के निलंबन (अनुच्छेद 20 तथा 21 द्वारा प्रदत्त अधिकारों को छोड़कर) से संबंधित है।
  • अनुच्छेद 358 के अनुसार , जब राष्ट्रीय आपत की उद्घोषणा की जाती है तब अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त छह मूल अधिकार स्वत: ही निलंबित हो जाते हैं।
  • जब राष्ट्रीय आपातकाल समाप्त हो जाता है तो अनुच्छेद 19 स्वत: पुनर्जीवित हो जाता है।
  • अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त 6 मूल अधिकारों को युद्ध अथवा बाह्य आक्रमण के आधार पर घोषित आपातकाल में ही निलंबित किया जा सकता है।
  • अनुच्छेद 359 के अंतर्गत मूल अधिकार नहीं अपितु उनका लागू होना निलंबित होता है। (अनुच्छेद 20 व 21 को छोड़कर)
  • यह निलंबन उन्हीं मूल अधिकारों से संबंधित होता है जो राष्ट्रपति के आदेश में वर्णित होते हैं
  • अनुच्छेद 359 के अंतर्गत निलंबन आपातकाल की अवधि अथवा आदेश में वर्णित अल्पावधि हेतु लागू हो सकता है और निलंबन का आदेश पूरे देश अथवा किसी भाग पर लागू किया जा सकता है।

अब तक की गई ऐसी घोषणाएँ

  • अब तक तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा की जा चुकी है- 1. अक्तूबर 1962   से जनवरी 1968 तक-चीन द्वारा 1962 में अरुणाचल प्रदेश के नेफा ( North-East Fronfier Agency) क्षेत्र पर हमला करने के कारण। 2. दिसंबर 1971 से मार्च 1977 तक पाकिस्तान द्वारा भारत के विरुद्ध अघोषित युद्ध छेड़ने के कारण। 3. जून 1975 से मार्च 1977 तक आंतरिक अशांति के आधार पर।

सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि 1975 का यह आपातकाल मनमाने नियम के खतरे के खिलाफ एक चेतावनी के रूप में कार्य करता है, जो 1970 के दशक के बाद से नहीं देखा गया। आपातकाल द्वारा मिलने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण सबक यह है कि भारत के लोग हालाँकि शांतिप्रिय हैं, परंतु वे कभी भी सत्तावाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह तथ्य कि लोगों ने शांति से एक निरंकुश शासन को उखाड़ फेंका था, जो न केवल भारतीय मतदाताओं की परिपक्वता को दर्शाता है, बल्कि भारत के संसदीय लोकतंत्र के लचीलेपन को भी दिखाता है। स्वतंत्रता लोकतंत्र की जीवन रेखा है और संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकारों के गला घोंटे जाने पर वह जनता तक जरूर सुनाई देती है। कुल मिलाकर देखा जाए तो इंदिरा गांधी का जीवन विश्व में भारतीय महिला को एक सशक्त महिला के रूप में पहचान दिलाता है। हालाँकि उनके व्यक्तित्व को दो पक्षों द्वारा समझा जाता है क्योंकि उनके समर्थकों के साथ ही विरोधियों की भी संख्या काफी है। उनके द्वारा लिये गए कई राजनीतिक और सामाजिक फैसले भी अक्सर चर्चा का विषय रहे हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भारत ने विकास के कई आयाम स्थापित किये थे और उन्होंने विश्व पटल पर भारत की छवि को बदल कर रख दिया।

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इंदिरा गांधी का जीवन परिचय | जीवनी- Indira Gandhi Biography in Hindi

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इंदिरा गांधी का जीवन परिचय | जीवनी- Indira Gandhi Biography in Hindi

Information about Indira Gandhi in Hindi

नाम – इंदिरा फिरोज गांधी जन्म – 19 नव्हंबर 1917 जन्म स्थान – इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) पिता का नाम- पंडित जवाहरलाल नेहरु माता का नाम- कमला जवाहरलाल नेहरु मृत्यु- 31 अक्टूबर 1984

इतिहास घटनाओं और तिथियों का लेखा-जोखा ही नहीं अपितु उन चरित्रों का पुण्य-स्मरण भी होता है जो इतिहास को नया मोड़ देते हैं, उसे गतिशील बनाते हैं। स्वर्गीय श्रीमती इन्दिरा गांधी भारतीय इतिहास को निश्चय ही इस प्रकार के अनेक मोड़ देने में समर्थ हुई हैं जिनसे उनका व्यक्तित्व भी दीप्त हो उठता है। विश्व-राजनीति के इतिहास में भी उन्हें सदैव स्मरण किया जायेगा।

Indira Gandhi Biography in Hindi

Indira Gandhi Ka Jeevan Parichay in Hindi इन्दिरा गांधी का जन्म 19 नवम्बर सन् 1917 में इलाहाबाद में हुआ। माता श्रीमती कमला नेहरू और पिता श्री जवाहर लाल नेहरू के घर में इन्दिरा का पालन-पोषण बहुत ही लाड़-प्यार से हुआ। पण्डित मोतीलाल नेहरू की पौत्री के लिए अभाव नाम की कोई चीज़ न थी। श्रीमती विजय लक्ष्मी पण्डित इन्दिरा की बुआ थी।

Indira Gandhi Education  बालिका इन्दिरा की शिक्षा-दीक्षा का प्रबन्ध आरम्भ में शान्ति निकतेन में हुआ। इसके पश्चात् स्विट्ज़रलैण्ड तथा ऑक्सफोर्ड में इन्होंने शिक्षा प्राप्त की। सन् 1942 में श्री फिरोज गांधी के साथ प्रणय सूत्र में बंधी। जब भारत छोड़ो आन्दोलन आरम्भ हुआ तो नव-दम्पति भी कारावास में लगभग तेरह महीनों तक रहे। संजय गांधी और राजीव गांधी इनके दो पुत्र हुए। बचपन में ही इन्दिरा को राजनीति का पाठ पढ़ने को मिला जबकि इनके घर में स्वतंत्रता संग्राम की योजनाओं की गतिविधियों की चर्चा होती। सात वर्ष की आयु में इन्दिरा ने बानर सेना’ का गठन किया जो स्वतंत्रता के संघर्ष में भाग लेती। सन् 1938 में वे कांग्रेस की सदस्य बनी और सन् 1950 में कांग्रेस महासमिति की सदस्य। इसके बाद वे सन् 1964 में लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमण्डल में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनी।

प्रधानमन्त्री के रूप में- Indira Gandhi as Prime Minister

लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु के पश्चात् जब कि भारतीय शोक सागर में डूबे थे एक बार फिर प्रश्न उठा कि देश का प्रधानमन्त्री कौन ? श्री कामराज के अथक प्रयत्नों से श्रीमती गांधी ने 24 जनवरी, 1966 को प्रधानमन्त्री का पद सम्भाला और तब से 11 वर्ष 56 दिन तक श्रीमती गांधी देश की प्रधानमन्त्री रहीं। इस बीच लोक सभा के दो बार चुनाव हुए। पहला चुनाव 1967 में हुआ और दूसरा मध्यावधि चुनाव 1971 में हुआ। 1967 में तो श्रीमती गांधी को बहुमत से विजय नहीं मिली पर 1971 में अभूतपूर्व सफलता मिली। इतनी बड़ी सफलता तो पहले श्री नेहरू को भी नहीं मिली थी। 1971 में उनका नारा था ‘गरीबी हटाओ समाजवाद लाओ। इन 11 वर्ष और 56 दिनों में श्रीमती गांधी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। दिसम्बर 1971 में भारत-पाक संघर्ष हुआ और इस संघर्ष में पाक को करारी हार खानी पड़ी। यही नहीं पाक के दो टुकड़े भी हो गए और बंगला देश स्वतन्त्र हो गया।

1973 से शासन में कुछ ढीलापन आने लगा। संजय गांधी उभरने लगा। भले ही संजय गांधी की नीतियां उचित थीं पर फिर भी देशवासियों को वे बहुत पसन्द न आईं। इसलि देशवासियों में तो असन्तोष था ही पार्टी में भी असन्तोष पैदा होने लगा। इधर महंगाई बढ़ने लगी, भारत की परिस्थितियां श्रीमती गांधी के प्रतिकूल होने लगीं।

जून 1975 में इलाहाबाद के उच्च न्यायालय ने श्रीमती गांधी को चुनाव के सम्बन्ध में दोषी ठहराया और कहा कि श्रीमती गांधी त्यागपत्र दे दें। विपक्षी पार्टियों ने इस बात को हवा दी। इस तरह देश में दो दल बन गए। एक दल वह था जो चाहता था कि श्रीमती गांधी त्यागपत्र दे और दूसरा दल वह था जो चाहता था कि श्रीमती गांधी त्यागपत्र न दे। 26 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा हो गई। अखबारों पर सैंसर बढ़ाए गए, बड़े-बड़े नेताओं को पकड़ा गया। माना कि श्रीमती गांधी जी ने उन दिनों बहुत अच्छे काम किए पर बहुत-सी ऐसी घटनायें हुई जिन के प्रति लोगों के हृदय में क्रोध था। उत्तर भारत में ये घटनायें अधिक हुई, दक्षिणी भारत में नहीं।।

1977 में लोकसभा का छठा चुनाव आ गया। श्री फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु और श्री जगजीवनराम के त्यागपत्र ने लोगों में असन्तोष पैदा कर दिया। नतीजा यह हुआ कि श्रीमती गांधी तो हार ही गई। उत्तर भारत में तो उसे लोकसभा की कोई सीट नहीं मिली। दक्षिण भारत में कांग्रेस को अवश्य कुछ सीटें मिलीं। इस तरह कांग्रेस पार्टी की छठे चुनाव में करारी हार हुई।

केन्द्र में जनता पार्टी ने शासन की बागडोर संभाली और श्री मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। लेकिन आन्तरिक कलह के कारण जुलाई 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार का पतन हुआ। इसके पश्चात् देश के नए प्रधानमन्त्री बने श्री चरण सिंह लेकिन चरणसिंह सरकार शक्ति परीक्षण में असफल हो गई और तब राष्ट्रपति ने लोकसभा भंग कर दी और मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी। तीन जनवरी और 6 जनवरी, 1980 को लोकसभा का चुनाव हुआ। श्रीमती गांधी फिर बहुमत से विजयी हुई।

जनवरी, 1980 से श्रीमती गांधी ने पुनः प्रधानमन्त्री के पद को संभाला। देश में व्याप्त समस्याओं को दूर करने के लिए उन्होंने बीस सूत्रीय कार्यक्रम आरम्भ किया। इस बीच 23 जून 1980 को उनके पुत्र संजय गांधी का दुःखद निधन हुआ। यद्यपि इस आघात ने उन्हें गहरी वेदना दी परन्तु देश के प्रति अपने कर्तव्य को पहचानते हुए उन्होंने इस जहर को भी धीरे-धीरे पचा लिया। एक ओर देश की समस्याओं का वे सामना करती रहीं तो दूसरी और विश्व में भारत की गरिमा बढ़ाने के लिए भी अनेक कार्य करती रहीं। सन् 1982 में दिल्ली में ‘नवम् एशियाड’ की विशाल एवं सफल आयोजन करवाना उन जैसी साहसी और समर्पित महिला से ही संभव था।

सन् 1983 में दिल्ली में निर्गुट देशों का सम्मेलन आयोजित हुआ तथा वे इस निर्गुट आन्दोलन की अध्यक्ष चुनी गई। इसी काल में राकेश शर्मा ने अन्तरिक्ष यात्रा करके उनके तथा भारत के गौरव में भी वृद्धि की। दक्षिणी ध्रुव पर भारतीय अभियान दल ने भी उनके प्रधानमंत्रित्वकाल में ही अपना शोध कार्य आरम्भ किया।

इंदिरा गांधी की मृत्यु –  Indira Gandhi Death Biography in Hindi

आतंकवाद की समस्या से निबटने के लिए ही उन्हें दुःखी मन से पंजाब में अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर में 3 जन 1984 को सैनिक कार्यवाही करवानी पड़ी। 31 अक्तूबर को साढ़े नौ बजे उन्हीं के अंगरक्षकों में से दो आतंकवादियों ने उनके ही निवास स्थान पर जब वे बाहर जा रही थी, गोली मार कर उनकी नृशंस हत्या कर दी। उनके शरीर पर सोलह गोलियाँ लगीं। अंगरक्षकों ने, विश्वासपात्रों ने ही विश्वाघात कर के इतिहास को कलंकित कर दिया। उनकी हत्या के समाचार से सारा विश्व स्तब्ध रह गया। विश्व के राष्ट्राध्यक्षों एवं नेताओं ने उन्हें भावपूर्ण शोकांजलि अर्पित की तथा उनके अन्तिम संस्कार में भाग लेने के लिए, उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए विदेशों से बहुत बड़ी संख्या में प्रतिनिधि आए। राष्ट्र ने उन्हें भावभीनी, अश्रुपूर्ण विदाई दी। उनकी अन्तिम इच्छा के अनुसार उनकी अस्थियों का विसर्जन हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों पर किया गया। वे प्रकृति की पुत्री थी, प्रकृति से, पहाड़ों से उन्हें प्यार था। उनके पुत्र राजीव गांधी ने अस्थियों को आँसू भरी आंखों से इन खामोश चोटियों पर सम्मानपूर्वक बिखेरा।

श्रीमती गांधी का व्यक्तित्व   Indira Gandhi Biography in Hindi –  श्रीमती गांधी के चरित्र में कुछ ऐसे गुण हैं जिनके आगे भारतीय ही नहीं विश्व के सभी नागरिक सिर झुकाते रहे हैं। श्रीमती गांधी में नेता होने की पूरी शक्ति थी। वह जो कुछ भी कहती थी अधिकार भरी वाणी से कहती थी। बड़ी से बड़ी विपत्ति में वह साहस नहीं खोतीं थीं। अपने विरोधियों से निपटना तथा अपनी बात को मनवाया वे खूब जानती थीं। मोरारजी देसाई, जगजीवन राम, वाई. वी. चौहान, जो भी अपने आप को बहुत बड़ा समझते थे, सभी को श्रीमती गांधी के सामने हार माननी पड़ी इससे स्पष्ट है कि उसमें नेता होने के सभी गुण थे।

श्रीमती गांधी बुद्धिमती भी बहुत थीं। वे अमेरिका और रूस दोनों से सहायता लेती पर कोई प्रतिज्ञा नहीं करतीं। विश्व के देशों के आगे भारत का सिर इसीलिए ऊंचा है कि उन की बुद्धि का प्रभाव ही ऐसा रहा है।

श्रीमती गांधी नीति-निपुण भी थीं। इनके प्रधानमन्त्री काल में कांग्रेस दो बार दो भागों में बंटी पर फिर भी पार्टी ने और जनता ने इसी का साथ दिया। पाकिस्तान के दो भाग करना, स्वतन्त्र बंगला देश बनाना, बंगला देश के शरणार्थियों को अपने देश भेजना यह इन की नीति-निपुणता के परिणाम हैं। 1977 में हुए चुनावों को और उस मन्त्रिमण्डल को तोड़ना, जनता पार्टी में फूट डालना 1980 में मध्यावधि चुनावों का होना, फिर से कांग्रेस पार्टी का सत्ता में आना सब श्रीमती गांधी की नीति-निपुणता ही है। इन बातों के अतिरिक्त श्रीमती गांधी एक अच्छी वक्ता, अच्छी लेखिक तथा देशभक्त थीं। इस तरह श्रीमती गांधी के चरित्र में अनेक गुण थे। उनका ध्यान सदा पिछड़े वर्ग को उन्नत करने में, ग्रामीणों का सुधार करने में लगा रहा।

श्रीमती इन्दिरा गांधी केवल भारत की ही नहीं अपितु विश्व स्तर की महान् नेता थी। उनका बाह्य व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली था तथा उनकी वाणी में गंभीरता और ओज था। उनकी निर्णय लेने तथा उसे पूरा करने की क्षमता ही उनकी विलक्षणता थी। यद्यपि अनेक बार उन्हें संकटों का सामना करना पड़ा तथापि वे धैर्यपूर्वक सब कुछ सहती तथा संकटों से छुटकारा भी प्राप्त करती। विश्व में शान्ति स्थापित करने के लिए तथा गुट निरपेक्ष आन्दोलन को सफल बनाने के लिए उन्होंने अनथक प्रयास किया। पार्थिव शरीर काल में विलीन हो जाता है परन्तु व्यक्ति के कार्य तथा गुण इतिहास में अमर रहते हैं। इन्दिरा गांधी भी इतिहास का अमिट अध्याय बन गई हैं।

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इंदिरा गांधी पर निबंध- Essay on Indira Gandhi in Hindi

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इंदिरा गांधी की जीवनी – Biography of Indira Gandhi in Hindi

Biography of Indira Gandhi in Hindi ( इंदिरा गांधी की जीवनी ): भारत के राजनीतिक आकाश में, श्रीमती इंदिरा गांधी अमलान ज्योतिषी हैं. नेहरू परिवार जैसी परंपराएं भारतीय राजनीति में व्याप्त हो गई हैं, पारंपरिक रूप से पूरी दुनिया में दुर्लभ हैं. ‘प्रियदर्शनी इंदिरा’ का नाम भारतीय राजनीति में उनकी प्रसिद्धि के लिए भारत के इतिहास में सोने में अंकित किया जाना चाहिए. महिलाएं केवल ब्राइड्समेड्स नहीं हैं, वह एक सामाजिक कार्यकर्ता, एक नेत्री और एक ही समय में शासक हो सकती हैं, श्रीमती इंदिरा गांधी ने इस बात के धमाकेदार सबूत दिए हैं.

Biography of Indira Gandhi in Hindi – इंदिरा गांधी की जीवनी

जन्म और बचपन.

इंदिरा प्रियदर्शिनी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था. वह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और श्रीमती कमला नेहरू की इकलौती बेटी हैं.

उस समय, राष्ट्र के पिता महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व कर रहे थे. इंदिरा का जन्मस्थान प्रसिद्ध आनंद भवन उस समय स्वतंत्रता सेनानियों का मिलन स्थल था. महात्मा गांधी के प्रभाव और बाकी प्रमुख नेताओं ने इंदिरा के जीवन को प्रभावित किया. कम उम्र से, उन्होंने अपना जीवन देश को समर्पित कर दिया.

उनकी बचपन की शिक्षा पहली बार स्विट्जरलैंड के एक स्कूल में हुई थी. कमला नेहरू की मृत्यु के बाद, वह घर लौट आए. इसके बाद वे शिक्षा के लिए शान्तिनिकेतन गए. थोड़े समय वहां रहने के बाद उन्हें इंग्लैंड के प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भर्ती हो गए. महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर, उन्होंने बच्चों के साथ 1929 में अंग्रेजों के खिलाफ ‘वानरसेना’ का गठन किया. पुलिस स्टेशन के बाहर ‘ वानरसेना’ की टीम ने खेल खेला करके अधिकारियों को पुलिस के विभिन्न षड्यंत्रों के बारे में बताया.

शांतिनिकेतन का अध्ययन करते समय, वह प्रसिद्ध मणिपुरी नृत्य में रुचि रखते थे. उन्हें संगीत, नृत्य और कला का गहरा शौक था.

विवाह और राजनीतिक जीवन

1941 में, उन्होंने फिरोज गांधी से शादी की. फिरोज एक मुसलमान था. सबसे पहले, उनके पिता, जवाहरलाल नेहरू ने इंदिरा को ऐसी हिंदू-विरोधी गतिविधियों को रोकने की अनुमति देने से इनकार कर दिया; लेकिन महात्मा गांधी ने फिरोज को पुत्र के रूप में अपनाने के कारण और सामाजिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा. शादी के बाद, वह अपने पति के साथ लखनऊ में बस गईं. 1942 में, महात्मा गांधी के आग्रह पर वे ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में योग दिए. इसलिए उन्होंने लंबे तेरह महीने जेल में बिताए.

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15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया और जवाहरलाल भारत के पहले प्रधानमंत्री बने. उसी दिन से, वह अपने पिता के साथ जुड़ गए और प्रत्यक्ष राजनीति में भाग लिए. उन्होंने विभिन्न देशों में राजनीति, संस्कृति और विदेश नीति के बारे में जानने के लिए अपने पिता के साथ विदेश यात्र कर रही थी.

1955 में, वे कांग्रेस कार्यकारी समिति में शामिल हो गए. चार साल बाद, उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में शपथ ली. इस अवधि के दौरान उनके हस्तक्षेप ने गुजरात, महाराष्ट्र विवाद और केरल में अस्थिर राजनीतिक स्थिति को हल किया.

1960 में फिरोज की मृत्यु हो गई. उन्होंने शांति और सामाजिक सुरक्षा के लिए काम करना शुरू किया.

1964 में जवाहरलाल की मृत्यु ने उनके जीवन में एक गहरा प्रभाव पड़ा. बाद में उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और जनसंपर्क मंत्रालय संभाला.

प्रधान मंत्री और देशभक्ति काम   

1967 में लाल बहादुर की मृत्यु ने प्रधानमंत्री के रूप में कांग्रेस पार्टी के लिए कई समस्याएं पैदा कीं. आखिरकार, श्रीमती गांधी को निर्विवाद नेत्री  के रूप में चुना गया और उन्होंने भारत के प्रधान मंत्री के रूप में पदभार संभाला.

फिर उनकी प्रसिद्धि विदेशों में फैल गई. 1967 के चुनाव के बाद, उन्होंने कांग्रेस पार्टी का फिर से नेतृत्व किया. इस दौरान, उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण देने के लिए सम्मानित किया गया. विश्व में शांति और स्थिरता लाने में उनकी भूमिका सराहनीय है.

1971 में फिर से आम चुनाव हुए. उनके नेतृत्व में, कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की. इस प्रकार, 1977 तक, उन्हें प्रधान मंत्री फिर से चुना गया. उनके कार्यों से प्रभावित होकर, तत्कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने उन्हें ‘भारत रत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया.

नागा समस्या, बिहार समस्या, असम समस्या, बैंक राष्ट्रीयकरण और बांग्लादेश युद्ध, कई जटिल समस्याओं को बहुत प्रभावी ढंग से हल करने में सक्षम थी इंदिरा गाँधी. उन्होंने 1975 में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी क्योंकि देश की आंतरिक स्थिति विकट थी. इस दौरान देश में काफी प्रगति हुई; लेकिन आपात स्थितियों का लाभ उठाते हुए, विभिन्न तिमाहियों ने भ्रष्टाचार के विभिन्न रूपों का सहारा लिया. नतीजतन, बीस सूत्री कार्यक्रम सफल नहीं रहा. अधिकारियों ने सत्ता से बाहर का काम किया और जनता के असंतोष को भड़काया. परिणामस्वरूप, उनका अपमान किया जाने लगा. इसलिए 1977-80 में वह इन तीन सालों के लिए सत्ता से बाहर थे. 1980 में देश में फिर से आम चुनाव हुए. इस बार उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की.

उन्होंने देश से गरीबी उन्मूलन के लिए “गरीबी हटाओ” का आह्वान किया. भारत की गरीब जनता इंदिरा गांधी को कभी नहीं भूलेगी.

समूह सम्मेलन में उनकी भूमिका अविस्मरणीय है. उन्होंने दुनिया में शांति लाने के लिए अथक प्रयास की थी.

31 अक्टूबर 1984 को उनको गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया ने उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त किया.

उपसंहार                          

श्रीमती इंदिरा गांधी की अमर प्रतिभा को दुनिया के लोग हमेशा याद रखेंगे. प्रशासन में उनकी भूमिका अत्यंत सराहनीय है. उनकी मृत्यु में, भारतीय लोगों ने एक प्रिय नेत्री को खो दिया. उनका मजबूत नेतृत्व और गतिविधियां हमेशा बरकरार रहेंगी.

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The Biography of Indira Gandhi | इन्दिरा गाँधी की जीवनी

By: Utkarsh Chaturvedi

Early life – शुरुवाती जिंदगी

Education of indira gandhi – इन्दिरा गाँधी की शिक्षा, career of indira gandhi -इन्दिरा गाँधी का कैरियर, emergency and post emergency tenure – इमरजेंसी  और उसके बाद का कार्य काल, biography of indira gandhi – part 1 इंदिरा गाँधी का जीवन- iron lady of india & former prime minister, family of indira gandhi – इन्दिरा गाँधी का परिवार, assassination of indira gandhi and her legacy – इन्दिरा गाँधी की हत्या और उनकी विरासत, some books by indira gandhi – इन्दिरा गाँधी द्वारा लिखी गयीं कई किताबें.

इन्दिरा प्रियदर्शनी गाँधी , भारतीय नेता और राष्ट्रीय कांग्रेस की मुख्या थीं। वे भारत की पहली और अभी तक की अकेली महिला प्रधान मंत्री थीं। इन्दिरा गाँधी, भारत के पहले प्रधान मंत्री, जवाहर लाल नेहरू की बेटी थीं।  इन्दिरा गाँधी, दूसरी सबसे लम्बे समय तक प्रधान मंत्री के कार्यकाल  संभाल ने वाली बनीं। उनसे पहले उनके पिता, सबसे लम्बे समय तक प्रधान मंत्री रहे थे। वे लाल बहादुर शास्त्री की कैबिनेट में सुचना एवं प्रधानमंत्री भी रहीं।

पिता/ Fatherजवाहरल लाल नेहरू
पति/ Husbandफ़िरोज़ गाँधी
पुत्र/ Sonsराजीव गाँधी, संजय गाँधी
पोते/ Grand sonsराहुल गाँधी, वरुण गाँधी

इन्दिरा गाँधी का जन्म, 19 नवंबर, 1917 को अलाहबाद में हुआ था। उनका जन्म कश्मीरी पंडितों के परिवार में हुआ था। वे जवाहर लाल नेहरू और कमला नेहरू की पहली बेटी थीं। उनके भाई जन्म के कुछ दिन में ही मर गए थे। इसके बाद, उनका बचपन बहुत अकेला बीता। कमला नेहरू, हमेशा बीमार रहती थीं और जवाहर लाल नेहरू, अपने राजनैतिक कामों में व्यस्त रहते थे। इन्दिरा गाँधी की शुरुवाती पढ़ाई भी घर में हुई। उनकी पढ़ाई होम ट्यूटर द्वारा ही हुई।

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The Biography of Indira Gandhi - इन्दिरा गाँधी की जीवनी

इन्दिरा गाँधी ने 1934 में अपनी मैट्रिकुलेशन की परीक्षा पास की। इन्दिरा गाँधी, पढ़ने के लिए विश्व भारती, शांति निकेतन में गयी थीं। वहाँ रबिन्द्र नाथ टैगोर ने उनका नाम प्रियदर्शनी रख दिया था। जिसके बाद इन्दिरा गाँधी को हम “इन्दिरा प्रियदर्शनी गाँधी “   से भी जानते हैं।

इसके बाद वे अपनी बीमार माँ, कमला नेहरू के पास यूरोप चली गयीं और अपनी आगे की पढ़ाई, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से करने का निर्णय लिया। अपनी माँ की मृत्यु के बाद इन्दिरा गाँधी ने सोमरविले कॉलेज में पढ़ने का फैसला लिया। उन्होंने कॉलेज का एंट्रेंस एग्जाम दो बार दिया, लेकिन वो दोनों ही बार उसे पास करने में असमर्थ रहीं। वे इतिहास , इकॉनमी आदि जैसे विषयों में तोह अच्छा कर रहीं थी लेकिन लैटिन जो की उस एग्जाम की एक प्रमुख भाषा थी  उसे पास करने में असमर्थ थीं।

जब वे यूरोप गयीं तो काफी बीमार रहने लगीं और उनको स्वस्थ होने के लिए स्विट्ज़रलैंड जाना पड़ता था जिसके कारण उनकी यूनिवर्सिटी को  को बीच बीच में छोड़ना पड़ता था। साल 1941 वे किसी तरह इंग्लैंड गयीं और वहाँ से  भारत आ गयीं। इन्दिरा गाँधी ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़।  बाद में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी  पोलिटिकल एंड इंटेल्लेक्टुअल स्टेटस को देखते हुए ,उनको डिग्री से सम्मानित किया।

यहाँ पढ़ें : मोतीलाल नेहरू की जीवनी

इन्दिरा गाँधी ने अपनी शादी के बाद अपने पिता प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू को उनके पहले कार्यकाल में असिस्ट किया। और साल 1950 के आखिर तक उन्होंने कांग्रेस की अध्यक्ष बनके उसकी बागडोर अपने हाथों में लेली। उनकी अगवाई वाली कांग्रेस पार्टी में, 1959 में केरल की सत्ता धारी कम्युनिस्ट को उखाड़ फेंका। सन् 1964 में ,  जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद उन्हें राजय सभा का सदस्य बनाया गया और उन्होंने, उस वक़्त के प्रधान मंत्री लाल बहादुर की कैबिनेट में सुचना एवं प्रचार मंत्री बनीं।

इन्दिरा गाँधी साल 1966 में लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु के बाद ,पहली बार प्रधान मंत्री बनीं।  उनके साथ मोरारजी जी देसाई, डिप्टी प्रधान मंत्री बनें लेकिन मीडिया और अपोज़िशन उनको कांग्रेस पार्टी की  ” गूंगी गुड़िया “ कहने लगे। 1967 में गाँधी का सही में टेस्स हुआ जब, 1967 के लोकसभा के चुनावों में उनको काम सीटें हासिल हुई क्यूंकि उस वक़्त तक चीज़ों के दाम बढ़ गए थे , बेरोज़गारी पूरे देश में फ़ैल गयी थी और साफ़ सफाई को भी नहीं सुधारा गया था। लेकिन इन्दिरा गाँधी, रायबरेली से चुन कर लोक सभा में आ गयीं। इन्ही कुछ कारणो से पार्टी ने अपनी सत्ता, कई राज्यों से गवा दी।

1971 में वे सोशलिस्ट पॉलिसी को लेकर आगे बढ़ीं और 1971 में होने वाले आम चुनावों में गरीबी हटाओ जैसा गंभीर मुद्दा लेकर प्रचार किया।  इसका फ़ायदा न सिर्फ उनको शहरों में हुआ इसके साथ साथ बाकि गाँव में भी इनका फ़ायदा इन्दिरा गाँधी और पूरी कांग्रेस पार्टी को हुआ। 

इन्दिरा गाँधी को सबसे ज्यादा फ़ायदा 1971 के  इन्डो पाक वॉर से हुआ जिसके बाद, बांग्लादेश का गठन हुआ। इसके बाद पूरे देश में सिर्फ इन्दिरा गाँधी की लहर दौड़ गयी। उस वक़्त के ऑपोज़ीशन  के नेता अटल बिहारी बाजपेयी  ने इन्दिरा गाँधी को दुर्गा की उपमा दी। अटल बिहारी बाजपेयी भी आगे जाकर भारत के प्रधान मंत्री बनें।

यहाँ पढ़ें : जवाहरलाल नेहरू की जीवनी

1975 में अलाहबाद हाई कोर्ट नें इन्दिरा गाँधी का लोकसभा चुनाव को वोयड मान लिया क्योंकि उनपर गलत तरह से सीट जीतने का इल्ज़ाम लगा। पूरे 4 साल तक चले ट्रायल में आखिर कार इन्दिरा गाँधी को दोषी साबित किया गया। कोर्ट  ने उनकी पार्लिअमेंटरी सीट को वापिस लेलिया और अगले 6 साल तक उनको किसी भी तरह के ऑफिस को होल्ड करने से बैन कर दिया।

उन्होंने कोर्ट का ऑर्डर मानने से साफ़ इंकार कर दिया और सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की बात कही।  उन्होंने कांग्रेस के फण्ड रेज़िंग पर लगे सारे इल्ज़ामों को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि पार्टियाँ  ऐसे ही करती हैं।

1975 में इन्दिरा गाँधी ने कई अपोज़िशन के नेताओं को अरेस्ट करने दे दिया, जो उस वक़्त इन्दिरा गाँधी का विरोध कर रहे थे। उन्होंने और उनकी कैबिनेट ने उस वक़्त के राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद को पूरे देश में, जो अलाहबाद कोर्ट के ऑर्डर बाद जो असंवैधानिक गतिविधियों  हो रहीं हैं उन्हें देखते हुए, इमरजेंसी लगाने का प्रस्ताव रखा।  राष्ट्रपति ने भारत में चल रही गतिविधियों को देखते हुए इमरजेंसी की घोषणा करदी।

1977 में दो बार इमरजेंसी को बढ़ाने,  इन्दिरा गाँधी ने  की मांग की। उनको अभी भी ये ही लग रहा था की वे जनता के बीच उतनी ही पॉपुलर हैं, जितनी वे पहले थीं लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं था। इन्दिरा गाँधी का ये भ्रम भी जल्दी ही टूट गया जब 1977 के चुनावों में उनको जनता अलाइंस द्वारा हार का सामना करना पड़ा। उस वक़्त जनता अलाइंस ने चुनाव “डेमोक्रेसी या डिक्टेटरशिप” के मोटो से लड़ा।

कांग्रेस में भी दरार आगयी और सारे बड़े और दिग्गज नेता कांग्रेस की उस वक़्त की नीतियों से दूर होने लगे। उस बार कांग्रेस को बस मात्रा 153 ही सीटें आयी। यहां तक की इंदिरा गाँधी और संजय गाँधी अपनी अपनी सीटों से हार गए और कांग्रेस को ऑपोसिशन में बैठना पड़ा।

कांग्रेस की हार के बाद यशवंतरो चवण को पार्लियामेंट्री कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। साल 1978 में उन्होंने चिकमंगलूर सीट से बई इलेक्शन जीते और लोक सभा की सदस्य बन गयीं। उस वक़्त के गृह मंत्री, चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा गाँधी और संजय गाँधी को कई आपरादिक मामलों में गिफ्तार करने का ऑर्डर देदिया, जिसमें एक आरोप ये भी था कि उन्होंने इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तार हुए जनता दाल  नेताओं को मारने की साजिश की थी। इसके बाद कांग्रेस के समर्थकों ने एयर इंडिया की फ्लाइट को हाई जैक कर लिया।

उनका ये कदम उनपर ही भारी पड़ गया। लेकिन उनकी गिरफ्तारी और लम्बे चले ट्रायल ने लोगों की सिम्पथी दोबारा हासिल कर ली।

कुछ समय बाद जनता अलाइंस, अंदरूनी फूट के कारण टूट गया और कोई बाहरी समर्थन ना मिलने के कारण उस वक्त्र के राष्ट्रपति रेड्डी ने 1979 में पार्लियामेंट को ख़त्म कर दिया। 1980 के आम चुनावों से पहले इंदिरा गाँधी ने जमा मस्जिद के शाही इमाम से मुलाक़ात की और मुस्लिम वोट पर चर्चा की। 

साल 1980 ने फिर से ऑपोसिशन का पत्ता साफ़ करदिया और अपनी सरकार बनाई। वे एक बार फिर से प्रधान मंत्री बनीं। उसी साल, संजय गाँधी की मौत  बाद इन्दिरा गांधी ने उनका सपना पूरा किया और मारुती को नेशनल कंपनी घोषित कर दिया और जापान की सुजुकी को भारत का न्योता दे दिया। संजय गाँधी की मौत  के बाद इन्दिरा गाँधी को सिर्फ राजीव गाँधी पर विश्वास रह गया था। और राजीव गाँधी को राजनीति में उतरना पड़ा।    

इंदिरा गाँधी ने 1941 में इंग्लैंड से लौटने के बाद फ़िरोज़ गाँधी से शादी करली। फ़िरोज़ गाँधी एक पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे लेकिन महात्मा गांधी से  प्रभावित होकर उन्होंने अपने नाम के आगे गाँधी लगाना शुरू किया। इंदिरा गाँधी ने साल 1944  में राजीव गाँधी और साल 1946 में संजय गाँधी को जन्म दिया। दोनों राजीव गाँधी और संजय गाँधी ने अपने राजनैतिक करियर में काफी कुछ हासिल किया। फ़िरोज़ गाँधी ने अपनी अंतिम साँसे साल 1960 में लीं।उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने की वजह हुई।

अक्टूबर 31, 1980 की सुबह जब इन्दिरा गाँधी अपने लॉन से होते हुए इंटरव्यू ख़त्म करके लौट रही थीं तब उनके दो बॉडीगार्डों ने ओपरेशन ब्लू स्टार के अंतर्गत उनकी गोली मार कर उनकी हत्या करदी। उनके बॉडीगार्ड, सतवंत सिंह और बिअंत सिंह ने अपनी सर्विस गन से इंदिरा गाँधी को गोली से छलनी कर दिया। इसके बाद अन्य बॉडीगार्डों ने बेअंत सिंह को गोली मार दी।

इन्दिरा गाँधी को एम्स कराया गया जहां उन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। बाद में सतवंत सिंह और केहर सिंह को इंदिरा गाँधी की  मौत की साजिश रचने और हत्या के आरोप में मृत्यु दंड की सज़ा दी गयी।

इन्दिरा गाँधी, नेहरू- गाँधी परिवार का ही हिस्सा थीं। उन्होंने दो ऐसे होनहार बच्चों को जन्म दिया जिन्होंने कांग्रेस और नेहरू-गाँधी परिवार को शिखरफ पे जाने में अपना हाथ बटाया। इन्दिरा गाँधी की याद में भी कई हॉस्पिटल, कॉलेज और स्मारकों का निर्माण कराया गया है।     

यहाँ पढ़ें : फ़िरोज़ गाँधी की जीवनी

  • इटरनल इंडिया, 1978.
  • Eternal India, 1978
  • मेरा सच,  1979
  • My Truth, 1979
  • पीपलस एंड प्रोब्लेम्स, 1982
  • Peoples and Problems, 1982  

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References 2020, The Biography of Indira Gandhi , Wikipedia 2020, इन्दिरा गाँधी की जीवनी , विकिपीडिया

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नमस्कार, मेरा नाम उत्कर्ष चतुर्वेदी है। मैं एक कहानीकार और हिंदी कंटेंट राइटर हूँ। मैं स्वतंत्र फिल्म निर्माता के रूप में भी काम कर रहा हूँ। मेरी शुरुवाती शिक्षा उत्तर प्रदेश के आगरा में हुई है और उसके बाद मैं दिल्ली आ गया। यहां से मैं अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा हूँ और साथ ही में कंटेंट राइटर के तौर पर काम भी कर रहा हूँ।

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कभी गूंगी गुड़ियाँ कहलाने वाली आयरन लेडी, कैसे बनी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री ? Indira Gandhi की पूरी कहानी

उन दिनों बदहाल और सबसे गरीब देशों में शुमार भारत का कमान संभालना आसान ना था। एक ओर जहां महंगाई मुंह फाड़े खड़ा था तो दूसरी ओर भारी बेरोजगारी से युवक टूटते जा रहे थे। इस विषम परिस्थितियों में भी उस आर्यन लेडी ने देश की कमान ही नहीं संभाली, बल्कि पाकिस्तान को मुंह तोड़ा जवाब दी और सफल परमाणु परीक्षण से देश को परमाणु संपन्न बनाई। जिसके के लिए पूरी दुनियाँ उन्हें सलाम करती है, फ्रेंड वो और कोई नहीं, बल्कि भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री Indira Gandhi है, जो अपने चट्टान जैसे इरादें और बुलंद हौसलों के लिए हमेशा याद की जाएंगी।

आज हम इस Hindi Biography द्वारा Indira Gandhi की संघर्षिल कहानी को जानेंगे –

Indira Gandhi Hindi Biography (Wiki)

इन्दिरा गांधी का जन्म इलाहाबाद में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के घर में हुआ था। उनकी माँ कमला नेहरू गृहणी थी। इन्दिरा गांधी अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी।

उनके दादा मोतीलाल नेहरू ने उनका नाम इन्दिरा रखा, पर उन्हें घर में इन्दु कहकर पुकारा जाता था।

चूंकि उनके पिता और दादा मोतीलाल नेहरू भारत के राजनीतिक में बड़े औहदेदार थे। जिसकारण उनके घर में बड़े-बड़े नेतायों का आना-जाना लगा रहता था।

जिसकारण वो छोटी सी उम्र से अनायास ही राजनीति की एबीसीडी सीखने लगी। इसी बीच घर में ही ट्यूटर द्वारा उनकी शुरुआती शिक्षा होने लगी।

उन्हीं दिनों गांधीजी ने स्वदेशी आंदोलन छेड़ दिया। उस वक्त इन्दिरा मात्र पाँच की थी। तब उन्होंने इस आंदोलन के समर्थन में इंग्लैंड मंगाई गुड़िया जला दी थी।

इन्दिरा पढ़ाई में ठीक ना थी, इसलिए उनके पिता ने Modern School, Delhi में दाखिला दिला दिया। पर उनकी स्कूली शिक्षा St Cecilia’s and St Mary’s Christian Convent School, Allahabad, International School of Geneva, The ECole Nouvelle और Pupils’ Own School Poona से पूरी हुई।

जब प्रियदर्शिनी कहलाई

इसके बाद वो रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा शांतिनिकेतन में स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश ली।

जहां एक इंटरव्यू के दौरान रवीद्रनाथ टैगोर ने प्रियदर्शिनी नाम दिया। जिसके बाद से वो इन्दिरा प्रियदर्शिनी नेहरू के नाम से जानी गयी।

माँ की सेवा

इन्हीं दिनों उनकी माँ तपेदिक से बीमार रहने लगी। जिस कारण उन्हें माता की देख-रेख की ज़िम्मेदारी निभानी पड़ी। इससे उनकी पढ़ाई भी छूट गई।

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यूरोप में पढ़ाई

फिर उनके पिता शिक्षा की अहमियत समझते हुए उन्हें पढ़ाई के लिए यूरोप भेज दिया। पहले वो कुछ दिनों तक Badminton School में पढ़ी। इसी समय भारत से दुख की खबर आई कि उनकी माँ का देहांत हो गया। इससे बहुत दुखी हुई, पर अपनी पढ़ाई जारी रखने का निश्चय की, इसलिए उस स्कूल को छोड़ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की Somerville College में एड्मिशन के लिए चली गई, जहां दो बार Entrance Exam में फेल हुई।

वो History, Political Science और Economics में अच्छे मार्क्स अर्जित कर लेती थी, पर हमेशा Latin विषय में फेल हो जाती है।

Latin एक Compulsory Subject था, जिसके कारण अन्य Subjects में पास होने के बावजूद एड्मिशन नहीं मिल सका।

बरहाल वो अपनी कोशिशें जारी रखी और अंतत: तीसरे प्रयास में एड्मिशन पाने में सफल रही।

जब इन्दिरा को प्यार हुआ

अब वह नियमित रूप से पढ़ाई करने लगी। इसी कॉलेज में उनकी मुलाक़ात बचपन के मित्र और फ्युचर हसबेंड फिरोज गांधी से हुई। तभी से वे एक-दूसरे को चाहने लगे।

गिरता स्वास्थ्य

अब नये मौसम की मार से उनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे खराब होने लगा। जिसके इलाज के लिए उन्हें बार-बार स्विट्ज़रलैंड जाना पड़ा। जिससे पढ़ाई भी डिस्टर्ब होती रही। फिर उन्हें अपने स्वास्थ्य में कोई खास-सुधार नजर नहीं आ रहा था। इसलिए वो बीच में पढ़ाई छोड़ 1941 में इंग्लैंड होते हुए भारत लौट आई।

स्वास्थ्य ठीक होने के बाद वो आजादी की लड़ाई में कूद पड़ी। इस बीच फिरोज गांधी भी यूरोप से लौट आए थे। तब दोनों ने अपने प्यार को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने का निर्णय लिया।

लेकिन फिरोज गांधी का पारसी होने के कारण जवाहलाल नेहरू को यह रिश्ता मंजूर ना था। लेकिन इन्दिरा भी कहाँ पीछे हटने वाली थी। अंतत: जवाहरलाल नेहरू को बेटी की जिद के आगे इस रिश्ते को मंजूरी देनी पड़ी। फिर 16 मार्च 1942 को उन दोनों का विवाह हुआ।

आजादी के लिए संघर्ष

शादी के बाद भी इन्दिरा ने आजादी के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी, जिसके उन्हें सितंबर 1942 में गिरफ्तार कर लिया और मई 1943 में बरी कर दिया गया। गिरफ्तारी होना और बरी होना चलता रहा।

शरणार्थियों की सेवा

अंतत: 1947 में भारत को आजादी मिली। इसके ठीक बाद भारत विभाजन के भीषण दर्द से गुजरा। जिससे बड़ी संख्या में शरणार्थी पाकिस्तान से भारत आने लगे। जिनकी देखभाल की ज़िम्मेदारी इन्दिरा ने बखूबी निभाई।

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राजनैतिक प्रवेश

जब जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया तो वो उनकी अनौपचारिक निजी सहायक बन गई। जिससे वो जल्द ही राजनीति की बारीकियों को समझने लगी और साथ ही अपनी पैठ भी जमाने लगी।

इसका उन्हें जल्द फायदा हुआ, जब उन्हें 1955 में कॉंग्रेस पार्टी की कार्यकारिणी में शामिल कर लिया गया। लगातार बेहतर कार्यक्षमता और कुशल नेतृत्व के कारण उन्हें 1959 में मात्र 42 वर्ष की उम्र में कॉंग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुन लिया गया।

1964 में पिता के निधन के बाद उन्हें लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व वाली सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री का पद मिला। उन्होंने अपने जिम्मेदारियों को निर्वहन करते हुए आकाशवाणी को मनोरंजक और प्रतिष्ठित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सन 1965 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध में आकाशवाणी ने देश की एकता और भावना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण निभाई। खुद इन्दिरा गांधी सीमायों पर जाकर भारतीय सेना का मनोबल ऊंचा किया करती थी।

जब पहली बार प्रधानमंत्री बनी

1966 में लाल बहादुर शास्त्री की आकस्मिक निधन के बाद कॉंग्रेस अध्यक्ष के. कामराज ने प्रधानमंत्री के पद के लिए इन्दिरा गांधी का नाम सुझाया। पर कभी जवाहर लाल नेहरू के सहयोगी रहे मोरारजी देसाई ने भी इस पद के लिए अपने नाम को प्रस्तावित किया।

फिर इस गतिरोध को मतदान द्वारा दूर किया गया। इस मतदान में इन्दिरा भारी मतों से विजयी हुई और भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी। इससे मोरारजी देसाई नाराज हो गए और कॉंग्रेस को विखंडित करते हुए अपनी अलग पार्टी बना लिये।

जिसके कारण 1967 के आम-चुनाव में कॉंग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन इन्दिरा बेहद कम बहुमत से अपनी अस्थिर सरकार बनाने में सफल रही। अपने कार्यकाल के दौरान 1969 में उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण की।

जब दूसरी बार प्रधानमंत्री बनी

1971 में अपनी स्थिति मजबूत करने के उद्देश्य से लोकसभा को भंग कर चुनाव की घोषणा कर दी और गरीबी हटायों जुमले के साथ भारी बहुमत से चुनाव जीतने में सफल रही।

1971 की लड़ाई

उसी समय बांग्लादेश के चलते भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया। पर यह युद्ध केवल इन दो देशों के बीच ना था, बल्कि विश्व की दो महाशक्ति अमेरिका और सोवियत संघ रूस के मध्य भी था।

जिसमें रूस की जीत हुई। जिससे भारत ढाका को सफलतापूर्वक आजाद करा लिया।

इस युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार पाक सैनिकों ने अपने हथियार डाल दिये, जो किसी भी सेना की सबसे बड़ी हार है।

युद्ध समाप्ती के बाद पाकिस्तान की नई राष्ट्रपति बनी जुल्फीकार अली भुट्टो ने इन्दिरा गांधी के समक्ष शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा। जिसे इन्दिरा ने स्वीकार की और शिमला में यह समझौता पूर्ण हुआ। इसे ही इतिहास में शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है।

इस युद्ध से भारत पर काफी आर्थिक बोझ बढ़ गया और साथ ही विश्व पटल पर पेट्रोलियम की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई आसमान छूने लगी। जिससे देश में मंदी की दौर चलने लगा।

फिर भी वो देशहीत के लिये बीमा और कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण, भूमि सुधार जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य करने में सफल रही।

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जब देश ने देखा पहली बार आपातकाल की घोर काली-काली रातें

तभी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनके चुनावी जीत को रद्द कर दिया और उन्हें छह वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से बैन कर दिया। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। कोर्ट ने 14 जुलाई 1975 को सुनवाई की तारीख तय की।

पर जय प्रकाश नारायण और समर्थित विपक्षी पार्टी ने इन्दिरा सरकार को अस्थिर करने के उद्देश्य से अपने आंदोलनो को उग्र रूप दे दिया।

इस विकट परिस्थति को निपटने के लिए इन्दिरा गांधी ने 26 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा कर दी। इसके बाद सभी विरोधी नेतायों को जेल में ठूंस दिया गया।

देश के रेडियों, टीवी और अखबारों पर रोक लगा दिया और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया।

देश दो सालों तक इस आपातकाल का गुलाम बना रहा। फिर 1977 में इन्दिरा ने आपातकाल को निरस्त की और सभी राजनैतिक कैदियों को आजाद की। साथ ही लोकसभा चुनाव की घोषणा की।

विपक्ष की जीत

पर आपातकाल के कारण जनता काफी ज्यादा निराशा थी, जिसके कारण उनकी बहुत बुरी हार हुई।

उनके विपक्षी पार्टी के नेता मोरारजी देसाई ने देश का कमान संभाला और इन्दिरा गांधी के खिलाफ कई मुकदमें दायर किया। जिससे उन्हें जेल भी जाना पड़ा।

मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री के रूप में सफल नहीं रहे और मात्र तीन साल में अंतर्कलह के कारण उनकी सरकार गिर गई।

इस बीच इन्दिरा गांधी के जेल जाने और आपातकाल के लिए माफी मांगने से जनता उनके प्रति सहानुभूति भावनायों से भर गई। जिससे 1980 में हुए आम-चुनाव बड़ी जीत के रूप में फायदा मिला।

जब तीसरी बार बनी प्रधानमंत्री

इस तरह Indira Gandhi तीसरी बार भारत की प्रधानमंत्री बनी।

सिख अलगाववादी और ऑपरेशन ब्लू स्टार

1984 में जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में पंजाब में अलगाववादी पनपने लगे। उनकी चाहत थी कि वे पंजाब राज्य को खालिस्तान नाम से एक अलग देश के रूप बसाये।

अलगवादियों ने हरमंदिर साहिब को अपना मुख्यालय बना लिया था। तब Indira Gandhi ने हाथों से नियंत्रण खोता देख सैन्य कार्यवाही की अनुमति दी। इस ऑपरेशन का नाम ब्लू स्टार रखा गया, जो 1 जून से 8 जून 1984 तक चला। जिसमें सभी अलगवादियों को मार गिरा दिया गया।

इस ऑपरेशन में सैकड़ों आमजन की जाने भी गई। जिसके कारण सिख समुदाय में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया और सभी सिखों ने सरकारी नौकरी से त्याग पत्र दे दिया तो कईयों ने अवार्ड्स तक लौटा दिये।

इसी गुस्से के कारण 31 अक्तूबर 1984 को उनके दो सिख बॉडीगार्ड सतवन्त सिंह और बिंत सिंह ने दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास पर उन्हें गोलियों से भूँज दिया।

जबकि खुफियाँ एंजेन्सी ने पहले ही इसतरह के हमले को लेकर Indira Gandhi से अपनी आशंका प्रकट कर चुके थे। उन्होंने उन्हें सिख बोडिगार्ड्स को हटाने का सलाह भी दिये थे। पर इन्दिरा ने कहा “क्या हम धर्मनिरपेक्ष नहीं है ?” और सलाह मनाने से इंकार कर दी।

आनन-फानन उन्हें AIIMS में भर्ती किया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इस तरह भारत की एक राजनीतिक युग की समाप्ती हुई।

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Personal Life

कुछ निर्णयों के लिए Indira Gandhi को क्रूर माना जाता है, पर कुशल नेतृत्व और राजनीतिक संचालन में वो अपने पिता से भी अव्वल थी। इसलिए उन्हें विश्व-भर में याद किया जाता है।

आजादी के पहले देश में प्रेम विरले ही होता था। पर इलाहाबाद की इस प्रिसेज को विदेश में पढ़ाई के दौरान गुजरात के फिरोज गांधी, एक पारसी युवक से प्रेम हो गया था। बात शादी जा पहुंची।

पर पिता की ख़्वाहिश थी कि बेटी शादी करे तो कोई सजातीय युवक से। पर वो कहाँ मानने वाली थी, आखिर पिता को इस शादी के लिए अनुमति देनी पड़ी।

16 मार्च 1942 को विवाह सम्पन्न हुआ। शुरुआत के दो सालो तक शादी का यह बंधन ठीक चला। फिर दोनों में मतभेद और भारी नाराजगी ने जन्म लिया। इस बीच 1944 में राजीव गांधी और 1946 में संजय गांधी का जन्म हुआ।

8 सितंबर 1960 को वो जब अपने पिता के साथ विदेशी दौरे पर थी तब उनके पति का आकस्मिक निधन हो गया। इस तरह उनकी ग्रहस्ती खत्म हो गई और पूर्ण रूप से एक राजनीतिक महिला बन गई।

Name – Indira Gandhi Full Name – Indira Priyadarshini Gandhi Date of birth – 19 November 1917 Place of birth – Allahabad Date of death – 31 October 1984 Place of death –  New Delhi

Father – Jawaharlal Nehru Mother – Kamala Nehru Husband – Feroze Gandhi Sons – Rajiv Gandhi & Sanjay Gandhi

 कुछ चटपटी बातें

1.जब Indira Gandhi शुरुआत में राजनीति में आई थी, तो वो हमेशा चुप-सी रहती थी। इसलिए विरोधियों ने उन्हें गूंगी गुड़ियाँ कहा। आखिर जिसने पाकिस्तान को धूल चटाई, देश को दो साल तक आपातकाल के अंधेरे में रखी, परमाणु परीक्षण की। वो कैसे गूंगी गुड़ियाँ हो सकती है। शायद यहीं वजह थी कि विरोधियों को आपातकाल के समय जेल में ठूंस दिया गया।

2.देश को दो साल तक इमर्जैंसी की अंधकार में धकेलने वाली खुद Indira Gandhi को अंधेरे से डर लगता था। एक इंटरव्यू में कहती है, “मुझे अंधेरे से डर लगता था। रात को बेडरूम तक जाने में डरती थी। मैंने निश्चय किया इससे खुद छुटकारा पाना है।”

3.जब बांग्लादेश युद्ध चल रहा था। उस रात Indira Gandhi देर तक काम करती रही। पर अगले सुबह अपने कमरे को साफ करते नजर आई। शायद थकान दूर करने का उनका अनोखा तरीका था। काम से उत्पन्न थकान को काम से मिटाना। What An Idea Indira Gandhi G !!

  • Read Also :  शिवाजी महाराज : Life History, Wars, Victories

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Indira gandhi biography in hindi – इंदिरा गाँधी की जीवनी.

Read about Indira Gandhi Biography in Hindi. इंदिरा गाँधी की जीवनी। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए इंदिरा गाँधी की जीवनी परिचय हिंदी में। Indira Gandhi Biography in Hindi language will teach you how to live life. Learn Indira Gandhi short biography in Hindi in more than 300 words.

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Indira Gandhi Biography in Hindi

भारत की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची बनाई जाए, तो पहला नाम इंदिरा गांधी का आता है। इतिहास में उनका नाम भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में दर्ज है, पर उनकी उपलब्धियाँ यहीं तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पदों पर काम किया और देश-दुनिया के नामी-गिरामी नेताओं से अपनी नीतियों का लोहा मनवाया। 20वीं शताब्दी की सबसे सशक्त शख्सियतों में से एक इंदिरा गांधी देश के पहले प्रधानमंत्री पं० जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं। उनका जन्म 19 नवंबर, 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ। इंदिरा का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के केंद्र में था। उनके दादा मोतीलाल नेहरू और पिता जवाहरलाल नेहरू को स्वतंत्रता संग्राम की धुरी कहा जा सकता है। उनकी माँ कमला नेहरू भी एक तेजस्वी महिला थीं। इंदिरा घर में सबकी लाडली थीं। उन्हें प्यार से सब प्रियदर्शिनी पुकारते थे। महात्मा गांधी और अन्य देशभक्तों का उनके घर आनाजाना लगा रहता था। इंदिरा ने बचपन से ही अपने घर में यही माहौल देखा था, इसलिए उनके भीतर भी देशभक्ति का जज्बा पनपने लगा था।

इंदिरा के देशभक्त माता-पिता नहीं चाहते थे कि वे अंग्रेजों के स्कूल में पढ़े, इसलिए इंदिरा की शिक्षा भारत और यूरोप के गैर-अंग्रेजी स्कूलों में हुई। पुणे विश्वविद्यालय के बाद उन्हें शांतिनिकेतन में पढ़ने भेजा गया। यहाँ उन्होंने अनुशासित जीवन जीने का महत्त्व समझा। इसके बाद उन्होंने स्विट्जरलैंड और ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई की। भारत लौटने के बाद उन्होंने मार्च, 1941 में फिरोज़ गांधी से विवाह कर लिया। इसी बीच 1942 में महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ने पर वे अपने पति फिरोज गांधी के साथ उसमें शामिल हो गईं और जेल गईं।

15 अगस्त, 1947 को भारत आज़ाद हुआ और पं० जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने। 1964 में उनकी मृत्यु के बाद लालबहादुर शास्त्री ने यह पद सँभाला और इंदिरा सूचना और प्रसारण मंत्री बनीं। शास्त्री जी की मृत्यु के बाद 1966 में इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने देश के विकास और प्रगति के लिए कृषि, विज्ञान, अंतरिक्ष आदि क्षेत्रों में खूब काम किया। उनके 20 सूत्रीय कार्यक्रम, 1969 में प्रमुख बैंकों के राष्ट्रीयकरण और 1971 में पाकिस्तान के विरुद्ध निर्णायक युद्ध के लिए इंदिरा को हमेशा याद किया जाएगा। 31 अक्तूबर, 1984 पूरे देश के लिए बेहद दुःखद दिन था। इस दिन जब इंदिरा अपने कार्यालय जा रही थीं, तब उन्हीं के अंगरक्षकों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। इंदिरा के सम्मान में इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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biography indira gandhi in hindi

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Early life and rise to prominence

First period as prime minister, fall from power and return to office.

Indira Gandhi

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  • What policies have historically been supported by the Indian National Congress?
  • Is the Indian National Congress’s Gandhi family related to Mahatma Gandhi?
  • What is Jawaharlal Nehru known for?
  • What were Jawaharlal Nehru’s accomplishments?

The assassination of President Abraham Lincoln at Ford's Theatre, Washington, D.C., April 14th, 1865; from a lithograph by Currier and Ives.

Indira Gandhi

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Indira Gandhi (born November 19, 1917, Allahabad, India—died October 31, 1984, New Delhi) was an Indian politician who was the first female prime minister of India , serving for three consecutive terms (1966–77) and a fourth term from 1980 until she was assassinated in 1984.

(Read Indira Gandhi’s 1975 Britannica essay on global underprivilege.)

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Indira Nehru was the only child of Jawaharlal Nehru , who was one of the chief figures in India’s struggle to achieve independence from Britain, was a top leader of the powerful and long-dominant Indian National Congress (Congress Party), and was the first prime minister (1947–64) of independent India. Her grandfather Motilal Nehru was one of the pioneers of the independence movement and was a close associate of Mohandas (“Mahatma”) Gandhi . She attended , for one year each, Visva-Bharati University in Shantiniketan (now in Bolpur, West Bengal state) and then the University of Oxford in England . She joined the Congress Party in 1938.

In 1942 she married Feroze Gandhi (died 1960), a fellow member of the party. The couple had two children, Sanjay and Rajiv . However, the two parents were estranged from each other for much of their marriage. Indira’s mother had died in the mid-1930s, and thereafter she often acted as her father’s hostess for events and accompanied him on his travels.

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The Congress Party came to power when her father took office in 1947, and Gandhi became a member of its working committee in 1955. In 1959 she was elected to the largely honorary post of party president. She was made a member of the Rajya Sabha (upper chamber of the Indian parliament) in 1964, and that year Lal Bahadur Shastri —who had succeeded Nehru as prime minister—named her minister of information and broadcasting in his government.

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On Shastri’s sudden death in January 1966, Gandhi was named leader of the Congress Party—and thus also became prime minister—in a compromise between the party’s right and left wings. Her leadership, however, came under continual challenge from the right wing of the party, led by former minister of finance Morarji Desai . She won a seat in the 1967 elections to the Lok Sabha (lower chamber of the Indian parliament), but the Congress Party managed to win only a slim majority of seats, and Gandhi had to accept Desai as deputy prime minister.

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Tensions grew within the party, however, and in 1969 she was expelled from it by Desai and other members of the old guard. Undaunted, Gandhi, joined by a majority of party members, formed a new faction around her called the “New” Congress Party. In the 1971 Lok Sabha elections the New Congress group won a sweeping electoral victory over a coalition of conservative parties. Gandhi strongly supported East Pakistan (now Bangladesh ) in its secessionist conflict with Pakistan in late 1971, and India’s armed forces achieved a swift and decisive victory over Pakistan that led to the creation of Bangladesh. She became the first government leader to recognize the new country .

In March 1972, buoyed by the country’s success against Pakistan, Gandhi again led her New Congress Party group to landslide victories in a large number of elections to state legislative assemblies. Shortly afterward, however, her defeated Socialist Party opponent from the 1971 national election charged that she had violated the election laws in that contest. In June 1975 the High Court of Allahabad ruled against her, which meant that she would be deprived of her seat in the parliament and would be required to stay out of politics for six years. She appealed the ruling to the Supreme Court but did not receive a satisfactory response. Taking matters into her own hands, she declared a state of emergency throughout India, imprisoned her political opponents, and assumed emergency powers . Many new laws were enacted that limited personal freedoms. During that period she also implemented several unpopular policies, including large-scale sterilization as a form of birth control .

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Public opposition to Gandhi’s two years of emergency rule was vehement and widespread, and after it ended in early 1977, the released political rivals were determined to oust her and the New Congress Party from power. When long-postponed national parliamentary elections were held later in 1977, she and her party were soundly defeated, whereupon she left office. The Janata Party (precursor to the Bharatiya Janata Party ) took over the reins of government, with newly recruited member Desai as prime minister.

In early 1978 Gandhi and her supporters completed the split from the Congress Party by forming the Congress (I) Party—the “I” signifying Indira. She was briefly imprisoned (October 1977 and December 1978) on charges of official corruption. Despite those setbacks , she won a new seat in the Lok Sabha in November 1978, and her Congress (I) Party began to gather strength. Dissension within the ruling Janata Party led to the fall of its government in August 1979. When new elections for the Lok Sabha were held in January 1980, Gandhi and Congress (I) were swept back into power in a landslide victory. Her son Sanjay, who had become her chief political adviser, also won a seat in the Lok Sabha. All legal cases against Indira, as well as against Sanjay, were withdrawn.

Sanjay Gandhi’s death in an airplane crash in June 1980 eliminated Indira’s chosen successor from the political leadership of India. After Sanjay’s death, Indira groomed her other son, Rajiv, for the leadership of her party. She adhered to the quasi-socialist policies of industrial development that had been begun by her father. She established closer relations with the Soviet Union , depending on that country for support in India’s long-standing conflict with Pakistan.

During the early 1980s Indira Gandhi was faced with threats to the political integrity of India. Several states sought a larger measure of independence from the central government, and Sikh separatists in Punjab state used violence to assert their demands for an autonomous state. In 1982 a large number of Sikhs, led by Sant Jarnail Singh Bhindranwale , occupied and fortified the Harmandir Sahib (Golden Temple) complex at Amritsar , the Sikhs’ holiest shrine. Tensions between the government and the Sikhs escalated, and in June 1984 Gandhi ordered the Indian army to attack and oust the separatists from the complex. Some buildings in the shrine were badly damaged in the fighting, and at least 450 Sikhs were killed (Sikh estimates of the death toll were considerably higher). Five months later Gandhi was killed in her garden in New Delhi in a fusillade of bullets fired by two of her own Sikh bodyguards in revenge for the attack in Amritsar. She was succeeded as prime minister by her son Rajiv , who served until 1989.

इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय | Indira Gandhi Biography In Hindi

Indira Gandhi Biography In Hindi

Indira Gandhi Biography In Hindi :  भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में पहचान रखने वाली इंदिरा गांधी का जीवन परिचय काफी दिलचस्प है। इंदु से इंदिरा और फिर प्रधानमंत्री बनने तक का उनका सफर न केवल प्रेरणादायक है बल्कि भारत में महिला सशक्तिकरण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय भी है। Indira Gandhi Biography In Hindi में जानेगे की वह 1966 से 1977 तक और 1980 से अपनी मृत्यु तक देश के प्रधानमंत्री पद पर रहे।

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आइये लेख को अंत तक पढ़ते है और जानते है,  Indira Gandhi Biography In Hindi ,  Indira Gandhi Biography ,  Indira Gandhi Education ,  इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय ,  Indira Gandhi Political Career ?

इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय | Indira Gandhi Biography In Hindi

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Indira Gandhi Biography In Hindi

  • 1.1 इंदिरा गांधी ने वानर सेना का गठन किया था
  • 1.2 इंदिरा गांधी शिक्षा | Indira Gandhi Education
  • 1.3 विवाह एवं पारिवारिक जीवन
  • 1.4 इंदिरा का राजनीतिक करियर | Indira Gandhi Political Career
  • 1.5 इंदिरा कांग्रेस अध्यक्ष बनीं
  • 1.6 भारत के प्रधान मंत्री के रूप में पहला कार्यकाल | Indira Gandhi Biography In Hindi
  • 1.7 भारत – पाक युद्ध 1971 इंदिरा की भूमिका
  • 1.8 आपातकाल लगाना
  • 1.9 भारतीय प्रधान मंत्री के तोर पर दूसरा कार्यकाल
  • 1.10 इंदिरा गांधी हत्या
  • 1.11 इंदिरा गांधी के नाम पर विरासत
  • 1.12 इंदिरा गांधी पुरस्कार
  • 1.13 इंदिरा और फिरोज के बीच कैसे थे रिश्ते
  • 2 FAQ : इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय | Indira Gandhi Biography In Hindi
  • 3 निष्कर्ष : इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय | Indira Gandhi Biography In Hindi

इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय | Indira Gandhi Biography

  • जन्मतिथि -19 नवंबर 1917
  • जन्म स्थान – इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
  • पिता – जवाहरलाल नेहरू
  • माता – कमला नेहरू
  • पति – फ़िरोज़ गांधी
  • बेटे – राजीव गांधी और संजय गांधी
  • दामाद – सोनिया गांधी और मेनका गांधी
  • पोते – राहुल गांधी और वरुण गांधी
  • पोती – प्रियंका गांधी

इंदिरा का जन्म देश की आजादी में योगदान देने वाले मोतीलाल नेहरू के परिवार में हुआ था। इंदिरा के पिता जवाहरलाल एक सुशिक्षित वकील और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सक्रिय सदस्य थे। वह नेहरूजी की इकलौती संतान थीं, इंदिरा अपने पिता के बाद दूसरी सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं। इंदिरा में बचपन से ही देशभक्ति की भावना थी, उस समय भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन की एक रणनीति में विदेशी ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार करना भी शामिल था। और उस छोटी सी उम्र में इंदिरा ने होली में विदेशी वस्तुओं को जलाते हुए देखा था, जिससे प्रेरित होकर 5 साल की इंदिरा ने भी अपनी पसंदीदा गुड़िया को जलाने का फैसला किया, क्योंकि वह भी इंग्लैंड में बनी थी।

इंदिरा गांधी ने वानर सेना का गठन किया था

जब इंदिरा गांधी 12 वर्ष की थीं, तब उन्होंने कुछ बच्चों के साथ वानर सेना का गठन किया और उसका नेतृत्व किया। महाकाव्य रामायण में भगवान राम की सहायता करने वाली वानर सेना से प्रेरित होकर इसका नाम मंकी ब्रिगेड रखा गया। उन्होंने बच्चों के साथ मिलकर भारत की आज़ादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई। बाद में इस समूह में 60,000 युवा क्रांतिकारियों को भी शामिल किया गया, जिन्होंने कई आम लोगों को संबोधित किया, झंडे बनाए, संदेश दिए और प्रदर्शनों के बारे में आम जनता को सूचित किया।

इंदिरा गांधी शिक्षा | Indira Gandhi Education

इंदिरा ने पुणे यूनिवर्सिटी से मैट्रिक पास की और कुछ पढ़ाई पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन से की, जिसके बाद वह स्विट्जरलैंड के समरविले कॉलेज, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और लंदन में पढ़ाई के लिए चली गईं।

1936 में, उनकी मां कमला नेहरू तपेदिक से बीमार पड़ गईं, इंदिरा ने अपनी पढ़ाई के दौरान अपनी बीमार मां के साथ स्विट्जरलैंड में कुछ महीने बिताए, कमला की मृत्यु के समय जवाहरलाल नेहरू एक भारतीय जेल में थे।

विवाह एवं पारिवारिक जीवन

जब इंदिरा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्य बनीं तो उनकी मुलाकात फ़िरोज़ गांधी से हुई। फ़िरोज़ गांधी उस समय एक पत्रकार और युवा कांग्रेस के एक महत्वपूर्ण सदस्य थे। 1941 में, अपने पिता की अस्वीकृति के बावजूद, इंदिरा ने फ़िरोज़ गांधी से शादी कर ली। इंदिरा ने पहले राजीव गांधी को जन्म दिया और उसके दो साल बाद संजय गांधी को।

इंदिरा की शादी फ़िरोज़ गांधी से ज़रूर हुई थी, लेकिन फ़िरोज़ और महात्मा गांधी के बीच कोई रिश्ता नहीं था। आजादी की लड़ाई में फिरोज उनके साथ थे, लेकिन उनका धर्मपारसी  होने की वजह से और इंदिरा हिंदू थीं। और उस समय में अंतरजातीय शादिया करना आम नहीं होता था। दरअसल, इस जोड़ी को सार्वजनिक रूप से पसंद नहीं किया जा रहा था, इसलिए महात्मा गांधी ने इस जोड़ी का समर्थन किया और सार्वजनिक बयान दिए, जिसमें मीडिया से उनका अनुरोध भी शामिल था, “मैं अपमानजनक पत्रों के लेखकों से अपना गुस्सा निकालने का आग्रह करता हूं।” मैं आपको इस शादी में आकर नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने का आग्रह करता हूं”  

आजादी के बाद इंदिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने, तब इंदिरा अपने पिता के साथ दिल्ली आ गईं। उनके दोनों बेटे उनके साथ थे लेकिन फ़िरोज़ ने तब इलाहाबाद में रहने का फैसला किया था, क्योंकि फ़िरोज़ उस समय मोतीलाल नेहरू द्वारा शुरू किए गए समाचार पत्र द नेशनल हेराल्ड में संपादक के रूप में काम कर रहे थे।

इंदिरा का राजनीतिक करियर |  Indira Gandhi Political Career

नेहरू परिवार वैसे भी भारत की केंद्र सरकार में मुख्य परिवार था, इसलिए इंदिरा का राजनीति में प्रवेश बहुत कठिन और आश्चर्यजनक नहीं था।

1951-52 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने अपने पति फ़िरोज़ गांधी के लिए कई चुनावी सभाएं आयोजित कीं और उनके समर्थन में चुनाव अभियान का नेतृत्व किया। उस वक्त फिरोज रायबरेली से चुनाव लड़ रहे थे. जल्द ही फ़िरोज़ सरकार के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ एक बड़ा चेहरा बन गये। उन्होंने कई भ्रष्टाचार और भ्रष्ट लोगों का पर्दाफाश किया, जिनमें बीमा कंपनी और वित्त मंत्री टीटी कृष्णामाचारी का नाम भी शामिल था. वित्त मंत्री तब जवाहरलाल नेहरू के करीबी माने जाते थे।

इस तरह फ़िरोज़ राष्ट्रीय स्तर की राजनीति की मुख्यधारा में सामने आये और अपने कुछ समर्थकों के साथ उन्होंने केंद्र सरकार से अपना संघर्ष जारी रखा, लेकिन 8 सितंबर 1960 को दिल का दौरा पड़ने से फ़िरोज़ की मृत्यु हो गई।

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इंदिरा कांग्रेस अध्यक्ष बनीं

1959 में इंदिरा को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। वह जवाहरलाल नेहरू की मुख्य सलाहकार टीम में शामिल थीं। 27 मई, 1964 को जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद इंदिरा ने चुनाव लड़ने का फैसला किया और वह जीत भी गईं। लाल बहादुर शास्त्री की सरकार में उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय दिया गया।

भारत के प्रधान मंत्री के रूप में पहला कार्यकाल | Indira Gandhi Biography In Hindi

11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद, उन्होंने अंतरिम चुनावों में बहुमत हासिल किया और प्रधान मंत्री का पद संभाला।

प्रधान मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियाँ रियासतों के पूर्व शासकों द्वारा रियासतों के पर्स के उन्मूलन के लिए प्रस्तावों का पारित होना और 1969 में चार प्रीमियम तेल कंपनियों के साथ भारत के चौदह सबसे बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण था। उन्होंने देश में खाद्य आपूर्ति को ख़त्म करने के लिए रचनात्मक कदम उठाए और 1974 में भारत के पहले भूमिगत विस्फोट के साथ देश को परमाणु युग में ले गए।

भारत – पाक युद्ध 1971 इंदिरा की भूमिका

दरअसल, 1971 में इंदिरा को एक बड़े संकट का सामना करना पड़ा था. युद्ध तब शुरू हुआ जब पश्चिमी पाकिस्तान की सेनाएँ उनके स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए बंगाली पूर्वी पाकिस्तान में चली गईं। उन्होंने 31 मार्च को हुई भीषण हिंसा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई, लेकिन प्रतिरोध जारी रहा और लाखों शरणार्थी पड़ोसी भारत में आने लगे।

इन शरणार्थियों की देखभाल के लिए भारत में संसाधनों का संकट पैदा हो गया, जिससे देश के भीतर तनाव भी बहुत बढ़ गया। हालाँकि भारत ने वहाँ संघर्ष कर रहे स्वतंत्रता सेनानियों का समर्थन किया। स्थिति तब और अधिक जटिल हो गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन चाहते थे कि अमेरिका पाकिस्तान का साथ दे, जबकि चीन पहले से ही पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति कर रहा था, और भारत ने सोवियत संघ के साथ “शांति, शांति” समझौते पर हस्ताक्षर किए। “मैत्री और सहयोग की संधि” पर हस्ताक्षर किए गए।

पश्चिमी पाकिस्तान की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में नागरिकों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया, मुख्य रूप से हिंदुओं को निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 10 मिलियन पूर्वी पाकिस्तानी देश छोड़कर भाग गए और भारत में शरण मांगी। शरणार्थियों की बड़ी संख्या ने इंदिरा गांधी को पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ आजादी के लिए आज़मी लीग के संघर्ष का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया।

भारत ने सैन्य सहायता प्रदान की और पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ लड़ने के लिए सेना भी भेजी। 3 दिसंबर को जब पाकिस्तान ने भारत के बेस पर बमबारी की तो युद्ध शुरू हो गया, तब इंदिरा को बांग्लादेश की आजादी का महत्व समझ आया और उन्होंने वहां के स्वतंत्रता सेनानियों को शरण देने और बांग्लादेश के निर्माण में सहयोग देने की घोषणा की. 9 दिसंबर को निक्सन ने अमेरिकी जहाजों को भारत की ओर भेजने का आदेश दिया, लेकिन 16 दिसंबर को पाकिस्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया।

अंततः 16 दिसंबर 1971 को ढाका में पश्चिमी पाकिस्तान बनाम पूर्वी पाकिस्तान का युद्ध समाप्त हुआ। पश्चिमी पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण के कागजात पर हस्ताक्षर किए, जिससे एक नए देश का जन्म हुआ, जिसका नाम बांग्लादेश रखा गया। पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में भारत की जीत ने एक चतुर राजनीतिक नेता के रूप में इंदिरा गांधी की लोकप्रियता को पहचान दी। इस युद्ध में पाकिस्तान का आत्मसमर्पण न केवल बांग्लादेश और भारत की, बल्कि इंदिरा की भी जीत थी। इसी कारण युद्ध की समाप्ति के बाद इंदिरा ने घोषणा की कि मैं ऐसी व्यक्ति नहीं हूं, जो किसी भी दबाव में काम करती हो, चाहे वह कोई व्यक्ति हो या कोई देश हो।

आपातकाल लगाना

1975 में विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बढ़ती महंगाई, अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को लेकर इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ बहुत प्रदर्शन किया।

उसी वर्ष, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि इंदिरा गांधी ने पिछले चुनाव के दौरान अवैध तरीकों का इस्तेमाल किया था और इसने वर्तमान राजनीतिक स्थिति को बढ़ावा दिया था। 26 जून, 1975 को इस्तीफा देने के बजाय, श्रीमती गांधी ने “देश में अशांत राजनीतिक स्थिति के कारण” आपातकाल की घोषणा कर दी।

आपातकाल के दौरान, उन्होंने अपने सभी राजनीतिक शत्रुओं को जेल में डाल दिया, उस समय नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को रद्द कर दिया गया और प्रेस को भी सख्त सेंसरशिप के तहत रखा गया। गांधीवादी समाजवादी जया प्रकाश नारायण और उनके समर्थकों ने भारतीय समाज को बदलने के लिए छात्रों, किसानों और श्रमिक संगठनों को ‘संपूर्ण अहिंसक क्रांति’ में एकजुट करने की मांग की। बाद में नारायण को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

1977 की शुरुआत में इंदिरा ने आपातकाल हटाते हुए चुनाव की घोषणा की, उस समय आपातकाल और नसबंदी अभियान के बदले में जनता ने इंदिरा का साथ नहीं दिया।

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भारतीय प्रधान मंत्री के तोर पर दूसरा कार्यकाल

इंदिरा ने जनता पार्टी के सहयोगियों के बीच आंतरिक कलह का फायदा उठाया था। उस दौरान इंदिरा गांधी को संसद से बाहर निकालने की कोशिश में जनता पार्टी सरकार ने उनकी गिरफ़्तारी का आदेश दिया। हालाँकि, उनकी यह रणनीति उन लोगों के लिए विनाशकारी साबित हुई और इससे इंदिरा गांधी को सहानुभूति मिली। और आख़िरकार 1980 के चुनावों में कांग्रेस भारी बहुमत के साथ सत्ता में लौटी और इंदिरा गांधी एक बार फिर भारत की प्रधान मंत्री बनीं। दरअसल, उस समय जनता पार्टी स्थिर स्थिति में भी नहीं थी, जिसका पूरा फायदा कांग्रेस और इंदिरा को मिला।

सितंबर 1981 में एक सिख आतंकवादी समूह “खालिस्तान” की मांग कर रहा था और यह आतंकवादी समूह अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में प्रवेश कर गया था। मंदिर परिसर में हजारों नागरिकों की मौजूदगी के बावजूद, इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाने के लिए सेना को पवित्र मंदिर में प्रवेश करने का आदेश दिया। सेना ने टैंकों और भारी तोपखाने का सहारा लिया, हालांकि सरकार ने इस तरह से आतंकी खतरे को कम करने की बात कही थी, लेकिन इसने कई निर्दोष नागरिकों की जान ले ली।

इस ऑपरेशन को भारतीय राजनीतिक इतिहास में एक अनोखी त्रासदी के रूप में देखा गया। हमले के असर से देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया. कई सिखों ने विरोध में सशस्त्र और नागरिक प्रशासनिक कार्यालयों से इस्तीफा दे दिया और कुछ ने अपने सरकारी पुरस्कार भी लौटा दिए। इस पूरे घटनाक्रम से तात्कालिक परिस्थितियों में इंदिरा गांधी की राजनीतिक छवि भी धूमिल हुई।

इंदिरा गांधी हत्या

31 अक्टूबर 1984 को गांधीजी के अंगरक्षकों सतवंत सिंह और बिन्त सिंह ने सवर्ण मंदिर में हुए नरसंहार का बदला लेने के लिए कुल 31 गोलियां मारकर इंदिरा गांधी की हत्या कर दी। यह घटना नई दिल्ली के सफदरगंज रोड पर हुई.

1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान वह श्रीनगर में छुट्टियां मना रही थीं।सुरक्षा अधिकारी द्वारा यह बताए जाने पर कि पाकिस्तानी उनके होटल के बहुत करीब आ गए हैं, यह जानने के बावजूद वह वहीं रुक गईं। गांधी जी ने वहां से जाने से इनकार कर दिया, इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हुआ, जिससे वह विश्व मंच पर भारत की एक सशक्त महिला के रूप में पहचानी जाने लगीं।

कैथरीन फ्रैंक अपनी पुस्तक “द लाइफ ऑफ इंदिरा नेहरू गांधी” में लिखती हैं कि इंदिरा का पहला प्यार शांतिनिकेतन में उनके जर्मन शिक्षक थे, तब वह जवाहरलाल नेहरू के सचिव एम.ओ.मथाई के करीबी थे। संबंधित हो। इसके बाद उनका नाम योग शिक्षक धीरेंद्र ब्रह्मचारी और अंत में कांग्रेस नेता दिनेश सिंह के साथ जुड़ा। लेकिन इन सबके बावजूद भी इंदिरा के विरोधी उनकी राजनीतिक छवि को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके और उनकी प्रगति को रोक नहीं सके।

1980 में एक विमान दुर्घटना में संजय की मौत के बाद गांधी परिवार में तनाव बढ़ गया और 1982 तक इंदिरा और मेनका गांधी के बीच कड़वाहट काफी बढ़ गई. इसी वजह से इंदिरा ने मेनका को घर से निकलने के लिए कहा, लेकिन मेनका ने बैग के साथ घर से निकलते वक्त की फोटो भी मीडिया को दे दी. और जनता के सामने इस बात का ऐलान भी कर दिया कि उन्हें नहीं पता कि उन्हें घर से क्यों निकाला जा रहा है. वह अपनी मां से ज्यादा अपनी सास इंदिरा को फॉलो करती रही हैं। मेनका अपने बेटे वरुण को भी अपने साथ ले गई थीं और इंदिरा के लिए अपने पोते से दूर रहना मुश्किल था। 

20वीं सदी में महिला नेताओं की संख्या कम थी, जिसमें इंदिरा का नाम भी शामिल था. लेकिन फिर भी इंदिरा की एक दोस्त थीं मार्गरेट थैचर. दोनों की मुलाकात 1976 में हुई. और ये जानते हुए भी कि इमरजेंसी के दौरान इंदिरा पर तानाशाही का आरोप लगा और वो अगला चुनाव हार गईं, मार्गरेट ने इंदिरा का साथ नहीं छोड़ा। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर इंदिरा की परेशानियों को अच्छी तरह समझती थीं. थैचर भी इंदिरा की तरह बहादुर और मजबूत प्रधानमंत्री थीं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आतंकी हमले की आशंका के बावजूद वह इंदिरा के अंतिम संस्कार में पहुंची थीं। इंदिरा की असामयिक मृत्यु पर उन्होंने राजीव को एक संवेदनशील पत्र भी लिखा।

जब इंदिरा प्रधानमंत्री बनीं तो कांग्रेस में ही एक ऐसा वर्ग था, जो एक महिला के हाथ में सत्ता बर्दाश्त नहीं कर सकता था, फिर भी इंदिरा ने ऐसे सभी लोगों और पारंपरिक सोच के कारण राजनीति में आने वाली सभी बाधाओं का सामना किया।

इंदिरा ने देश में कृषि के क्षेत्र में काफी सराहनीय काम किया था, इसके लिए उन्होंने कृषि से संबंधित कई नई योजनाएं बनाईं और कार्यक्रम आयोजित किए। मुख्य उद्देश्य विभिन्न फसलें उगाना और खाद्य पदार्थों का निर्यात करना था। उनका लक्ष्य देश में रोजगार संबंधी समस्या को कम करना और खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना था। इन्हीं सब से हरित-क्रांति की शुरुआत हुई।

इंदिरा गांधी ने भारत को आर्थिक और औद्योगिक रूप से सक्षम राष्ट्र बनाया था, इसके अलावा उनके कार्यकाल में भारत ने विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में भी काफी प्रगति की थी। उस दौरान पहली बार किसी भारतीय ने चांद पर कदम रखा था, जो देश के लिए बेहद गर्व की बात थी।

इंदिरा गांधी के नाम पर विरासत

नई दिल्ली स्थित उनके घर को एक संग्रहालय में बदल दिया गया है, जिसे इंदिरा गांधी मेमोरियल संग्रहालय के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा उनके नाम पर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल भी हैं।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (अमरकंटक), इंदिरा गांधी महिला तकनीकी विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (रायपुर) जैसे कई विश्वविद्यालय हैं। यहां कई शैक्षणिक संस्थान हैं जैसे इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च (मुंबई), इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंदिरा गांधी ट्रेनिंग कॉलेज, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंस आदि।

देश की राजधानी दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम भी इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। देश के सबसे मशहूर समुद्री पुल पंबन ब्रिज का नाम भी इंदिरा गांधी रोड ब्रिज है। इसके अलावा देशभर के कई शहरों में कई सड़कों और चौराहों का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है।

इंदिरा गांधी पुरस्कार

इंदिरा गांधी को 1971 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 1972 में उन्हें बांग्लादेश को आज़ाद कराने के लिए मैक्सिकन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। फिर 1973 में एफएओ द्वारा दूसरा वार्षिक पदक (2nd वार्षिक मेडल, एफएओ) दिया गया और 1976 में नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा हिंदी में साहित्य वाचस्पति पुरस्कार दिया गया।

कूटनीति में बेहतर काम के लिए इंदिरा को 1953 में अमेरिका में मदर्स अवॉर्ड के अलावा इटली का इस्लबेला डी’एस्टे अवॉर्ड भी दिया गया। उन्हें येल विश्वविद्यालय के हॉलैंड मेमोरियल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

1967 और 1968 में फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के सर्वेक्षणों के अनुसार, वह फ्रांसीसी लोगों द्वारा सबसे अधिक पसंद की जाने वाली महिला राजनीतिज्ञ थीं।

1971 में अमेरिका के विशेष गैलप पोल सर्वे के अनुसार वह दुनिया की सबसे सम्मानित महिला थीं। उसी वर्ष अर्जेंटीना सोसायटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ एनिमल्स ने भी उन्हें डिप्लोमा ऑफ ऑनर से सम्मानित किया।

इंदिरा गांधी का जीवन ही भारत की महिलाओं को विश्व में एक सशक्त महिला के रूप में पहचान दिलाने में सफल रहा। हालाँकि, उनके व्यक्तित्व को दो पक्षों से समझा जाता है और उनके समर्थकों के साथ-साथ विरोधियों की संख्या भी काफी है। उनके लिए लिए गए कई राजनीतिक और सामाजिक फैसले भी अक्सर चर्चा का विषय बने रहते हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भारत ने विकास के कई आयाम स्थापित किए थे और उन्होंने भारत की छवि को विश्व पटल पर ऊंचा किया था। इसे बदल दिया था।

इंदिरा और फिरोज के बीच कैसे थे रिश्ते

इंदिरा गांधी की जीवनी में हमें ये लिखा मिलता है कि इंदिरा और फिरोज के बीच रिश्ते बहुत अच्छे नहीं थे. उनके मतभेद इतने बढ़ गए थे कि इंदिरा और फिरोज अलग-अलग रहने लगे थे। यहां तक कि फिरोज को एक मुस्लिम महिला से प्यार हो गया था। उस समय इंदिरा दूसरी बार गर्भवती थीं। लेकिन अपने आखिरी दिनों में इंदिरा फिरोज के काफी करीब थीं और दोनों के रिश्ते में लड़ाई-झगड़े होते रहे। उनके राजनीतिक मतभेद कई जगहों और किताबों में लिखे मिलते हैं।

FAQ : इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय | Indira Gandhi Biography In Hindi

इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुआ था।
इंदिरा का राजनीतिक 1951 से शुरू हुई थी।

निष्कर्ष : इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय | Indira Gandhi Biography In Hindi

Indira Gandhi Biography In Hindi  लेख में इंदिरा गाँधी के जीवन के बारे में बताया गया है। कैसे उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के तोर पर काम किया। उम्मीद है  Indira Gandhi Biography In Hindi  लेख सबको पसंद आया होगा। कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बताये।

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Indira Gandhi

Indira Gandhi was India's third prime minister, serving from 1966 until 1984, when her life ended in assassination. She was the daughter of Jawaharlal Nehru, India's first prime minister.

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(1917-1984)

Quick Facts

Political rise, war and domestic successes, authoritarian leanings and imprisonment, assassination, who was indira gandhi.

The lone child of Jawaharlal Nehru , India’s first prime minister, Indira Gandhi ascended to the position after his death in the mid-1960s. Gandhi survived party in-fighting, emerging as a popular leader thanks in part to efforts to revitalize the farming industry. Ousted from power in 1977, Gandhi was reelected prime minister in 1980, and served in the role until her assassination in 1984.

FULL NAME: Indira Feroze Gandhi BORN: November 19, 1917 BIRTHPLACE: Prayagraj, India DEATH: October 31, 1984 ASTROLOGICAL SIGN: Scorpio

The only child of Jawaharlal Nehru, the first prime minister of independent India, Indira Gandhi was born on November 19, 1917. A stubborn and highly intelligent young woman, she attended schools in India, Switzerland and England, including Somerville College, Oxford.

With her father among the leaders of the Indian independence movement, Gandhi weathered his absences when he was imprisoned. Additionally, she endured the loss of her mother to tuberculosis in 1936. She found comfort with a family friend, Feroze Gandhi, but their relationship was a controversial one due to his Parsi heritage. Eventually the couple earned Nehru's approval, and they married in 1942.

After Nehru was named India's first prime minister in 1947, Gandhi became something of her father's hostess, learning to navigate complex relationships of diplomacy with some of the great leaders of the world.

Gandhi joined the Congress Party's working committee in 1955, and four years later she was elected the party's president. Following the death of her father in 1964, she was appointed to Rajya Sabha, the upper level of Indian parliament, and was named minister of information and broadcasting. When her father’s successor, Lal Bahadur Shastri, died abruptly in 1966, she ascended to the post of prime minister.

Seemingly on shaky ground following the Congress Party's narrow win in the 1967 election, Gandhi surprised her father’s old colleagues with her resilience. In 1969, after she acted unilaterally to nationalize the country's banks, Congress Party elders sought to oust her from her role. Instead, Gandhi rallied a new faction of the party with her populist stance, and cemented her hold on power with a decisive parliamentary victory in 1971.

That year, India was drawn into a bloody conflict between East and West Pakistan, with some 10 million Pakistanis seeking refuge in India. Following the surrender of Pakistani forces in December, Gandhi invited Pakistani President Zulfikar Ali Bhutto to the city of Simla for a summit. The two leaders signed the Simla Agreement, agreeing to resolve territorial disputes in a peaceful fashion and paving the way for recognition of the independent nation of Bangladesh.

During this time, India was achieving tangible success through advancements of the Green Revolution. Addressing the chronic food shortages had that mainly affected the poor Sikh farmers of the Punjab region, Gandhi spurred growth through the introduction of high-yield seeds and irrigation, eventually producing a surplus of grains. Additionally, the prime minister led her country into the nuclear age with the detonation of an underground device in 1974.

Despite these advancements, Gandhi was criticized for authoritarian tendencies and government corruption under her rule. In 1975, the Allahabad High Court found her guilty of dishonest election practices, excessive election expenditure and of using government resources for party purposes. Instead of resigning, Gandhi declared a state of emergency and imprisoned thousands of her opponents.

Unable to permanently stave off challenges to her power, Gandhi stepped down with her defeat in the 1977 election. She was briefly jailed in 1978 on charges of corruption, but the following year she won election to the Lok Sabha, the lower level of parliament. In 1980, she returned to power as prime minister.

That same year, Gandhi's son Sanjay (b. 1946), who had been serving as her chief political adviser, died in a plane crash in New Delhi. The prime minister then began preparing her other son, Rajiv (b. 1944), for leadership.

During the early 1980s, Gandhi faced increasing pressure from secessionist factions, particularly from Sikhs in Punjab. In 1984, she ordered the Indian army to confront Sikh separatists at their sacred Golden Temple in Amritsar, resulting in several hundred reported casualties, with others estimating the human toll to be significantly higher.

On October 31, 1984, Gandhi was shot and killed by two of her bodyguards, both Sikhs, in retribution for the attack at the Golden Temple. She was immediately succeeded by son Rajiv, who was left to quell deadly anti-Sikh riots, and her body was cremated three days later in a Hindu ritual.

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1. What is Indira Gandhi's full name?

a) Indira Nehru Gandhi

b) Indira Priyadarshini Gandhi 

c) Indira Gandhi Nehru

d) Indira Devi Gandhi

Answer: b) 

2. Who was Indira Gandhi's father?

a) Jawaharlal Nehru

b) Subhash Chandra Bose

c) Mahatma Gandhi

d) Sardar Vallabhbhai Patel

Answer: a) 

3. How many times did Indira Gandhi serve as the Prime Minister of India?

b) Four

Answer: c) 

4. Which year did Indira Gandhi declare a state of emergency in India?

b) 1975  

5. Indira Gandhi was assassinated in which year?

c) 1986

Answer: d) 

6. Which operation, conducted during Indira Gandhi's tenure, led to a Sikh insurgency?

a) Operation Blue Star

b) Operation Green Hunt

c) Operation Cobra

d) Operation Vijay

7. Indira Gandhi played a crucial role in the liberation of which country?

a) Sri Lanka

c) Bangladesh

d) Pakistan

8. When did Indira Gandhi become the Prime Minister of India for the first time?

c) 1964

9. Indira Gandhi was awarded the Bharat Ratna in which year?

10. Which political party did Indira Gandhi lead?

a) Bharatiya Janata Party (BJP)

b) Bahujan Samaj Party (BSP)

c) Communist Party of India (CPI)

d) Indian National Congress (INC)

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Indira Gandhi Biography Hindi | इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय

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जब भी संसार की सबसे सशक्त महिलाओं को याद किया जाता है तो इंदिरा गाँधी जी को जरूर याद किया जाता है. Indira Gandhi Biography In Hindi में आप जानेंगे इंदिरा गाँधी की जीवनी यानी जीवन परिचय. जिसमें उनके बारे में आपको बहुत कुछ पता चलेगा. कुछ बातें तो ऐसी भी होंगी जो पहले कभी किसी ने नहीं सुनी.

इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय बहुत ही प्रेरणादायक है. प्यार से जिन्हें उनके घर वाले इंदु नाम से पुकारते थे, वो कैसे परिस्थितियों का मुकाबला करते हुए भारत देश की प्रधानमंत्री बन गयी ये सब आप आज जानेंगे. भारत देश में इंदिरा गाँधी जी को सर्वोच्च सम्मान हासिल है. हर इंसान उनकी इज्ज़त करता है.

भारत देश के आज़ाद होने के बाद हमारी तीसरी प्रधानमंत्री Indira Gandhi जी ही थी. वो लगभग 15 साल तक देश की प्रधानमंत्री रहीं और देश के लिए कई अहम् फैसले लिए.

ऐसा नहीं है की उनके साथ कोई विवाद नहीं हुआ, बहुत सी बातें हुयी जिन्होंने इंदिरा गाँधी जी को भी दुखी कर दिया था. जैसे आपको याद होगा आपातकाल का वो दौर जो 1975 से 1977 के बीच रहा था. उस समय वो काफी विवादों में रहीं. लेकिन उसके बाद से ही उन्हें महिला सशक्तिकरण के दौर के लिए भी याद किया जाता है.

इंदिरा गाँधी की जीवनी

Indira Gandhi जी की History वाकई काफी लोगों को  Motivate करने वाली हो सकती है. कई विदेशी नेताओं ने भी उस वक़्त कहा था की हमें आज तक उसके जितनी शक्तिशाली महिला नहीं देखी. शक्तिशाली होने का मतलब ये नहीं की वो बलवान थी, बल्कि उनके फैसलों और कार्यों के कारण उनकी इमेज ऐसी ही बन गयी थी.

Indira Gandhi Biography In Hindi – इंदिरा गाँधी की जीवनी

इंदिरा गाँधी जी का जन्म 19 नवम्बर 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ था. उनके पिता जी का नाम जवाहर लाल नेहरु और माता जी का नाम कमला था. इंदिरा जी का जीवन परिचय जानने वाले को पता है की उनमें अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना बचपन से ही थी.

इसका सबसे बड़ा कारण था उनका जन्म मोतीलाल नेहरु के परिवार में होना, जो की उनके दादा जी थे. उनका परिवार एक ऐसा परिवार था जिसके कई सदस्य स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनों में भाग लेते रहे. उनके पिताजी का नाम जवाहर लाल नेहरु था जो की एक वरिष्ठ वकील थे. उनका भी बड़ा योगदान रहा है भारत की स्वतंत्रता में.

उनकी देशभक्ति का अंदाजा एक ख़ास वाकये से लगाया जा सकता हैं. जब इंदिरा गाँधी जी बहुत ही छोटी थी, 5 से 6 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने विदेशी वस्तुओं को बहिस्कार करने में अपना योगदान दिया था. उनका कुछ प्यारा सा विदेशी सामान जैसे एक इंगलैंड से लायी गयी Doll और कुछ अन्य सामान को उन्होंने उस वक़्त जला डाला था.

बचपन में सभी उन्हें इंदु नाम से बुलाते थे. वैसे उनका पूरा नाम “इंदिरा प्रियदर्शिनी गाँधी” था. वो ब्राह्मण परिवार से थीं और उनका धर्म हिन्दू था. Indira Gandhi Biography Hindi पब्लिश करने का हमारा मकसद यही है की भारत देश के ज्यादा से ज्यादा लोग इंदिरा गांधी जी के जीवन से प्रेरणा ले सकें.

उनकी राशी वृश्चिक थी और उन्होंने कॉलेज तक की पढाई की थी. Indira Gandhi किसी न किसी तरह से देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान चाहती थी. इसके लिए उन्होंने बहुत से बच्चों को साथ लेकर एक बड़ी टीम बनायीं. उस वक़्त उनकी उम्र महज 12 या 13 साल थी, उनकी इस सेना को वानर सेना का नाम दिया गया था.

वो सब बच्चे यानी उनकी टीम घर घर जाकर विदेशी सामान का इस्तेमाल ना करने और स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित करते थे. वो अपने माता पिता की केवल अकेली संतान थी. हालांकि सन 1924 में उनका एक भाई भी हुआ, लेकीन होने के 2 दिन बाद ही उनकी म्रत्यु हो गयी थी.

Education And Lifestyle – Indira Gandhi Biography In Hindi

इंदिरा गाँधी जी बचपन से  पढाई लिखाई में तेज थी. वो बुद्धिमान होने के साथ साथ बहुत ही उदार भी थीं. उनकी पढाई लिखाई कई जगहों पर हुयी जैसे भारत, स्विट्ज़रलैंड और इंग्लैंड में. आपको बतादें की इंदिरा जी ने Oxford कॉलेज से भी पढाई की है. वो हमेशा अपने सहपाठियों के साथ भी उदार ही रहीं. उनका व्यवहार शालीन रहा.

Indira Gandhi जी की Education शुरुआत में इलाहाबाद में ही हुयी. उसके बाद उन्होंने दंसवी क्लास पुणे शहर से पूरी की. कॉलेज की पढाई शुरू करने के लिए वो पश्चिम बंगाल गयी और उन्होंने वहां शान्तिनिकेतन विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया. लेकिन उसी बीच एक अड़चन आकर उनके सामने खड़ी हो गयी.

असल में उनकी माता जी कमला नेहरु की तबियत अचानक ज्यादा बिगड़ गयी जो की यूरोप के एक हॉस्पिटल में Admit थीं. इस वजह से उन्हें वहां से पढाई छोड़कर निकलना पड़ा. कुछ ही दिन बाद उनकी माता जी की म्रत्यु हो गयी. ये सन 1936 की बात है, उस समय उनके पिताजी भारत की ही किसी जेल में बंद थे.

जब उनकी माता जी ठीक नहीं हो पा रही थी तो उनको स्विट्ज़रलैंड में भी Admit करवाया गया, वहां इंदिरा गाँधी जी भी उनके साथ रही. वहां पर भी उन्होंने अपनी पढाई की शुरुआत करने की कोशिश की थी लेकिन वो असफल रही. क्योंकि थोड़े ही दिन बाद उनकी माता का देहांत हो गया था.

अब इंदिरा जी वापिस अपने वतन यानी हिंदुस्तान लौट आई थीं. कुछ दिन यहाँ बिताने के बाद उन्होंने फैसला किया की अब वो इंग्लैंड से अपने College की पढाई पूरी करेंगी. लेकिन वहां भी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और उनकी खुद की तबियत अचानक बिगड़ने लगी.

उसके बाद इंदिरा जी अपने देश वापिस लौट आई और उन्होंने पढाई छोड़ने का फैसला करना पड़ा. उन्हें हमेशा इस बात का दुःख रहा की वो अपनी कॉलेज की पढाई को पूरा नहीं कर पायी. अपनी पढाई लिखाई के दौरान उन्हें बहुत सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था. जब हम Indira Gandhi Ki Biography पढ़ते हैं तो मालूम पड़ता है की वो कितनी मजबूत थीं.

Indira Gandhi Biography In Hindi

अब इंदिरा गाँधी जी जवान थीं और उन्होंने गुजरात के रहने वाले Firoz Gandhi जी से शादी करली. माना जाता है की वो दोनों एक दुसरे को बचपन से ही जानते थे. साथ ही ये भी बताया जाता है की पंडित जवाहर लाल नेहरु जी उनके इस फैसले से बिलकुल भी खुश नहीं थे.

लेकिन महात्मा गांधी जी का समर्थन मिलने के कारण जवाहर लाल नेहरु जी भी सहमत हो गए थे. उन्होंने अपने  मन से इस बात को निकाल दिया. इंदिरा गाँधी जी की शादी के 2 साल बाद 1944 में उन्हें पहली संतान हुयी. जिसका नाम उन्होंने राजीव गाँधी रखा. उनके बाद एक और संतान हुयी जिन्हें हम संजय गाँधी के नाम से जानते हैं.

जब राजीव गाँधी 16 साल के हुए यानी 1960 में उनके पिता फ़िरोज़ गाँधी की दिल की किसी बीमारी के चलते म्रत्यु हो गयी थी. अब बात करते हैं इंदिरा जी के राजनीतिक सफ़र की. इंदिरा जी का पूरा परिवार शुरू से ही राजनीती में दिलचस्पी रखता था. उनके पिता जी जवाहर लाल नेहरु देश आज़ाद होने के बाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे.

Indira Gandhi Politics Histrory In Hindi – इंदिरा गाँधी जी का राजनितिक सफ़र

इंदिरा गाँधी जी का राजनीति में शुरू से ही Intrest था. उन्होंने कई बार इस बारे में अपने पिता के सामने इच्छा व्यक्त की. बचपन से ही वो कई आंदोलनों में भाग लेने की इच्छा रखती थीं. Indira Gandhi Biography In Hindi में अब जानते हैं की उनके राजनीतिक  जीवन कैसे हुयी और वो कहाँ तक पहुँच पायी.

जैसे ही हमारा देश आज़ाद हुआ, हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में जिनको चुना गया वो थे इंदिरा के पिता जवाहर लाल नेहरु जी. उसके बाद इंदिरा जी भी अपने दोनों बच्चों राजीव और संजय के साथ अपने पिता के पास दिल्ली आ गयीं. उस समय उनके इलाहबाद में ही थे और वो “The National Herald” newspaper के साथ काम कर रहे थे.

उसके बाद 1951-52 में लोकसभा चुनावों से इंदिरा गाँधी ने अपनी सक्रियता दिखाना शुरू किया. क्योंकि उस समय उनके पति फ़िरोज़ खान राय बरेली से चुनाव लड़ रहे थे. उन्होंने उनका काफी प्रचार प्रसार किया और सभाएं आयोजित की.

फ़िरोज़ खान के साथ वो राजनीतिक कार्यों में हमेशा सक्रीय रही. आखिरकार 1959 में उस समय की सबसे बड़ी चुनावी पार्टी Indian National Congress Party का अध्यक्ष चुना गया. इसके बाद तो वो पूरी तरह से राजनीति के रंग में रंग गयीं. पार्टी के लिए हर तरह का फैसला लेना अब उनके ही जिम्मे था.

समय बीतता गया और 27 मई 1964 को जवाहर लाल नेहरु जी इस दुनिया को अलविदा कह गए. इंदिरा जी ने उनसे और  महात्मा गाँधी जी से राजनीति के काफी दांव पेंच सीख लिए थे. इसलिए कुछ ही साल बाद उन्होंने खुद चुनाव लड़ने का फैसला किया. उन्होंने चुनाव लड़ा और विजयी हुयी.

उस समय देश में लाल बहादुर शास्त्री जी की सरकार चल रही थी. उन्होंने इंदिरा गाँधी जी को Information And Broadcasting मंत्रालय सौंप दिया. उसके कुछ समय बाद ही लाल बहादुर शास्त्री जी को एक समझौते के लिए ताशकंद जानना था. दुर्भाग्य से अज्ञात कारणों के चलते शास्त्री जी की वही पर म्रत्यु हो गयी.

अब देश को उनका विकल्प चुनना था. उस समय कांग्रेस पार्टी 2 गुटों में विभाजित थी. प्रधान मंत्री के पद के लिए कई उम्मीदवारों के नामों पर विचार किया गया. आखिरकार अंतरिम चुनाव में जीत हासिल करके Indira Gandhi जी देश की पहली महिला प्रधान मंत्री बन गयी.

उसके बाद इंदिरा गाँधी जी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और देश के विकास के हित में कई फैसले लिए. सन 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में मिली जीत का का श्रेय काफी हद तक इंदिरा गांधी जी को दिया जाता है. उनके द्वारा लिए गए फैसले और पडौसी मुल्कों में उनकी साख के चलते पाकिस्तान पस्त हो गया था.

उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए जिन्हें आज भी याद किया जाता है. जैसे देश के 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण, कई बड़े उद्योगों का राष्ट्रीकरण, तेल कंपनियों का राष्ट्रीयकरण और हरित क्रांति जैसी योजनायें. जिनसे देश को आगे बढ़ने में काफी मदद मिली और देश आत्मनिर्भर बना.

एक बात का जिक्र किये बगैर Indira Gandhi Ki Biography यानी जीवनी पूरी नहीं हो सकती. और वो है आपातकाल की स्थिति. पकिस्तान के साथ युद्ध के बाद हुए चुनावों में विरोधियों ने उनके ऊपर कई आरोप लगाये. उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया और बताया की इंदिरा जी ने अनुचित साधनों का प्रयोग किया है.

उनके ऊपर मुकदमा भी दर्ज हो गया था. विरोधियों के भाषणों के कारण देश की जनता में भी इंदिरा जी के खिलाफ रोस बढ़ रहा था. न्यायालय ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया और उन्हें अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने से रोक दिया गया. और उस समय के लिए इंदिरा जी को आदेश दिया गया था की वो अपने विवेक से सीट छोड़ दें.

लेकिन 26 जून 1975 को इस्तीफा देने के बजाय उन्होंने एक हैरान कर देने वाला फैसला लिया. उन्होंने देश में आपातकाल लागू कर दिया. उन्होंने अपने  भाषण में कहा की इस समय देश में काफी अशांति है. इसी के चलते उन्हें ये कड़ा फैसला लेना पड़ रहा है. इससे विरोधियों में और ज्यादा खलबली मच गयी.

उन्होंने जगह जगह प्रदर्शन करने शुरू कर दिए. इसके चलते इंदिरा गाँधी जी और भी खतरनाक मूड में आ गयी. उनका रुख विरोधियों के प्रति बहुत ज्यादा आक्रामक हो गया था. उन्होंने अपने सारे राजनितिक विरोधियों को जेल की हवा खिला दी थी. देश में उथल पुथल का माहौल बन गया था. प्रेस पर भी पाबंदी लगा दी गयी थी.

आखिरकार 2 साल बाद 1977 में इंदिरा जी ने आपातकाल के ख़तम होने का फरमान दिया और चुनावों की घोषणा की. उस समय उन्हें आपातकाल और नसबंदी अभियान के चलते जनता ने उन्हें दरकिनार कर दिया और उनके लगातार प्रधानमंत्री बने रहने का सपना टूट गया.

लेकिन इंदिरा जी तो ठहरी संघर्षशील महिला, वो संघर्ष करती रही और 1980 में एक बार फिर से देश की प्रधानमंत्री बन गयीं. सन 1981 में एक और बड़ी घटना घटी जब एक सिख आतंकवादी समुदाय ने खालिस्तान बनाने की मांग की. वो लोग स्वर्ण मंदिर में घुस गए थे. जहाँ बहुत सारी भोली भाली जनता भी मौजूद थी.

इस स्थिति में इंदिरा गाँधी ने कड़ा फैसला लेते हुए सेना द्वारा उन पर बड़ी कारवाई करवाई. सेना ने उस समय काफी ज्यादा गोले बारूद का इस्तेमाल किया था. जिसके चलते बहुत सारे निर्दोष लोगों को अपना जीवन खोना पड़ा. इसके चलते सिखों में इंदिरा गाँधी के प्रति द्वेष की भावना पैदा हो गयी. खैर समय गुजरता गया.

Indira Gandhi Death In Hindi – इंदिरा गाँधी जी की मृत्यु

आखिरकार 31 दिसम्बर 1984 का वो काला दिन आ गया जिस दिन इंदिरा गाँधी जी को इस दुनिया से अलविदा होना पड़ा. इंदिरा जी के खुद के ही बॉडी गार्ड्स सतवंत सिंह और बेंत सिंह ने उन पर कुल 31 गोलियां चलाई. जिससे इंदिरा गाँधी जी की मृत्यु हो गयी.

स्वर्ण मंदिर में हुए नरसंहार के कारण ही उनके बॉडी गार्ड्स में भी आक्रोश था. जिसके चलते उन्होंने ऐसे काम को अंजाम दे दिया. गोलियां मारने के बाद उन्होंने अपने हथियार फेंक दिए और आत्म समर्पण कर दिया. इंदिरा जी के दुसरे बॉडी गार्ड्स इस घटना से हैरान थे.

वो सतवंत सिंह और बेंत सिंह को पकड़कर अन्दर ले गए, जहाँ उन्होंने किसी बात को लेकर बेंत सिंह को वहीँ पर गोली मार दी. जिससे उसकी मौत हो गयी. सतवंत सिंह को बाद में तिहाड़ जेल में डाल दिया गया और उन्हें बाद में फांसी की सजा सुनाई गयी.

तो कुछ ऐसा रहा इंदिरा गाँधी जी के जीवन का सफ़र. सन 1999 में BBC ने एक Online Poll आयोजित किया जिसमें उन्हें “Woman Of The Millenium” घोषित किया था. और वास्तव में वो उसकी हकदार थी भी.

अभी जल्दी ही Bollywood Actress कंगना रानौत Indira Gandhi जी पर एक फिल्म लेकर आ रही हैं जिसका नाम है “Emergency”. इस फिल्म में हमें इंदिरा गाँधी जी के व्यक्तित्व और कार्यों के बारे में कई नयी बातें भी पता चलेंगी. कुछ ही महीनों बाद फिल्म सिनेमाघरों में आएगी.

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ये थी Indira Gandhi Biography In Hindi – इंदिरा गाँधी की जीवनी , जिसमें आपने इनका जीवन परिचय और History जानी. पोस्ट आपको पसंद आई हो तो इसे Like और Share जरूर करें ताकि दुसरे भी इसका लाभ ले सकें. हमारे साथ जुड़ने के लिए हमारे Facebook Page को Like करें व हमें Subscribe कर लें. धन्यवाद.

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