स्वच्छ भारत की संकल्पना न सिर्फ भारत सरकार का एक सार्थक प्रयास है बल्कि सभी भारतियों की यह एक नैतिक जिम्मेदारी है । और इसीलिए इस स्वच्छता अभियान को गांधी जी के जन्म दिन 2 अक्टूबर से जोड़ा गया है क्योंकि गाँधी जी स्वच्छता को देशभक्ति के सामान मानते थे । महात्मा गांधी इस बात पर बहुत बल देते थे सफाई का कार्य मनुष्य स्वयं करें क्योंकि जो सफाई नहीं करता वह पाप करता है । गांधी जी ने हमेशा सभी को अपना कार्य करने की शिक्षा दी । दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष करते हुए भी लोगों को साफ सफाई जैसी अच्छी आदत को करने की शिक्षा दी । साफ सफाई का हमारे स्वास्थ्य से घनिष्ठ नाता होता है तभी तो जब हम गंदगी के संपर्क में आते है तो उसका सीधा कुप्रभाव हमारे स्वास्थ्य (health) पर पड़ता है। अत: अपनी और अपने घर की साफ सफाई (obscure cleaning) के साथ – साथ हमें अपने आस – पास की साफ सफाई पर भी खास ध्यान देना चाहिए। साफ – सफाई या स्वच्छता हमारी मूलभूत कर्तव्यों में से ही एक है। लेकिन ध्यातव्य है कि साफ – सफाई की महत्ता केवल सामूहिक जीवन में ही नहीं बल्कि आर्थिक, सामाजिक और नैतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है । समाज के सर्वांगीण हित की दृष्टि से सफाई के बुनियादी तथ्यों तक पहुंचना बेहद जरुरी है पर विडम्बना यह है कि इन बुनियादी तथ्यों तक पहुंचने के लिए सामायिक जागरूकता, सामान्य नागरिक संचेतना, शिक्षा में स्वच्छता को औचित्य्पूर्ण सम्मानजनक स्थान आदि कई अनगिनत बातों को महत्व नहीं दिया जाता है । जबकि भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रति वर्ष करोंड़ों रुपये सरकारी तौर पर खर्च होते है फिर भी न जाने कितने ही बच्चों का जीवन कचरा बीनते हुए ही खत्म हो जाता है । सच तो यह है कि बढ़ती जनसंख्या के साथ कचरा प्रबंधन भी एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है । इसलिए उपयोग की गई वस्तु का रिसाइकल कर आमजन के लिए रोजगार के नये रास्ते खोले जा सकते है। इसके अलावा कचरे से वर्मी कम्पोस्ट जैसे प्राकृतिक उर्वरको आदि का निर्माण किया जा सकता है । इससे जहाँ रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, वही सही तरीके से कचरा निष्पादन से लोगों के स्वास्थ्य पर भी उनका बुरा असर नहीं पड़ेगा और हमारे स्वास्थ्य खर्चे में भारी कमी हो सकती है । गंदगी समाज और खुद अपने आप दोनों को लिए हानिकारक होती है । घर हो, ऑफिस हो, कोई पालतू जानवर हो या आपका अपना स्कूल, कुआ, तालाब, नदी आदि सहित स्वच्छता एक स्वस्थ आदत है जो स्वच्छ पर्यावरण और स्वस्थ जीवनशैली के लिए हर किसी के पास होनी चाहिए। स्वयं और राष्ट्रहित के लिए स्वच्छता के निम्न उपाय कारगर है – –> स्वच्छ भारत की नीतियों का अनुसरण करते हुए अपने देश को स्वच्छ रखने में पूर्ण सहयोग प्रदान करें। –> गीले एवं सूखे कचड़े हेतु हरे एवं नीले के डस्टबिन का प्रयोग करें। –> देश भर में चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान में बढ़ – चढ़ कर सहयोग प्रदान करें। –> खुले में शौच न करें , खुले में शौच करना एक दंडनीय अपराध है। –> प्रतिबंधित पोलिथीन का प्रयोग न करें , यह भी दंडनीय अपराध है। –> सिर्फ घर पर और खाने के पहले ही हाथ न धोएं। –> Workplace पर भी हाथ धोने की अच्छी आदत डाले। –> इसी तरह office में landline phone को कई लोग छूते है इसलिए phone का इस्तेमाल करने के बाद हाथ जरुर धोएं। –> ऐसे ही अन्य सामान भी घरों में होते है जैसे टीवी , एयरकंडीशनर , music system और दूसरी electronic device के remote, दरवाजों के handle और light switch, car स्टेयरिंग , बच्चों के खिलौने , घर और computer या laptop की keyboard, kitchen का sink इत्यादि के इस्तेमाल के बाद सफाई जरुरी है। –> समुचित और नियमित सफाई के लिए यह गौरतलब है कि हर जगह की सफाई के लिए अलग तरह के उपकरणों , कीटनाशकों और खास तरह के तौर तरीकों को अपनाने की जरुरत रहती है। –> Fridge में महज गैस्केट से ही नहीं बल्कि door handle और shelf से भी गंदगी फैलती है। इसलिए इसे रोजाना नहीं तो कुछ दिनों पर साफ़ करते रहे। –> पालतू जानवरों के साथ खेलने के बाद हाथ जरुर धोएं। –> अपने घर और office की दीवारों और खिड़कियों की भीतरी दीवारों और कोनों की सफाई खास तौर पर करें। अकसर देखने में आता है कि लोग ऊपरी सफाई करते है पर अंधेरे कोनो पर ध्यान नहीं देते हैं। यही सबसे ज्यादा बीमारियों के कीटाणु पलते बढ़ते है। और इनका सफाया करने में किसी तरह की कोताही बरतना बीमारियों को दावत देना ही है। –> जब बीमार हो तो रुमाल की जगह टिश्यू पेपर (Tissue paper) का इस्तेमाल करें। आखिरकार सबसे बड़ी सम्पत्ति आप की सेहत ही है । कहा भी जाता है कि स्वास्थ्य ही धन है और स्वास्थ्य है तो सबकुछ है । इसलिए इस धन को प्राप्त करने के लिए उपर्युक्त साफ – सफाई को नजरअंदाज मत कीजिए । साफ सफाई की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार या प्रशासन की ही नहीं है। इसमें देश के प्रत्येक नागरिक की भूमिका अहम् है। अगर लोग इसके प्रति जागरूक नहीं होंगे तो स्वच्छता अभियान सफल होना संभव नहीं है। ********************************************************************************************* सम्बंधित लेख (Related Post) स्वच्छता और स्वास्थ्य पर निबंध स्वच्छता अभियान पर कविता, Quotes और नारे स्वच्छता पर प्रेरक कहानी निवदेन – Friends अगर आपको ‘ स्वच्छता पर निबंध Essay & Speech on Clean India Mission for cleanliness in Hindi Language अच्छा लगा हो तो हमारे Facebook Page को जरुर like करे और इस post को share करे | और हाँ हमारा free email subscription जरुर ले ताकि मैं अपने future posts सीधे आपके inbox में भेज सकूं | 3 thoughts on “ स्वच्छता एवं साफ सफाई पर निबंध Essay And Speech on Cleanliness In Hindi ”Nice and amazing post probably the best one i read after i read 5 articles…a master piece n its truly veryyy helpful to me…..thank u soo very much , keep going … very nice i like it. 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HindiinHindiEssay on cleanliness in hindi स्वच्छता पर निबंध. Check out Essay on Cleanliness in Hindi or Essay on Sanitation in Hindi. What should we do to make India Clean? Today we are going to write an essay on cleanliness in Hindi and from this essay, you can take useful examples to write an essay on cleanliness in Hindi (Swachata ka Mahatva Essay in Hindi Language) स्वच्छता पर निबंध (Essay on Swachata ka Mahatva in Hindi) in a better way. Essay on Cleanliness in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Essay on Cleanliness in HindiEssay on Cleanliness in Hindi 300 Words स्वच्छता मानव समुदाय का एक आवश्यक गुण है क्योकि यह एक क्रिया है जिससे हमारा शरीर, दिमाग, कपड़े, घर, आसपास और कार्यक्षेत्र साफ और शुद्ध रहते है। अपने आस-पास स्वच्छता रखना खुद को शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वच्छ रखना है, जो हमे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाता है। हमे हर समय खुद को शुद्ध, स्वच्छ और अच्छे कपडे पहन कर रखने चाहिए क्योकि यह समाज में आपके अच्छे चरित्र को दिखाता है। साफ-सुथरा रहना मनुष्य का प्राकृतिक गुण है। अपनी खुद की स्वच्छता से मनुष्य का स्वास्थ्य ढीक रहता है जिससे उसकी आयु बीमार लोगो के मुकाबले ओर बढ़ती है। इसी लिए हम सब को हमारी धरती के जीवन को संभव बनाने के लिये इसके पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों को शुद्ध बनाये रखना चाहिए। स्वच्छता के कारण ही हम मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक तरह से स्वस्थ रहते है। अपने भी अपने घर में यह देखा होगा कि पूजा करने से पहले माता-पिता स्वच्छता को लेकर बहुत सख्त होते है। माता-पिता स्वच्छता को हमारी आदत बनाना चाहते है किन्तु उनका तरीका गलत है क्योकि वो हमे स्वच्छता के उद्देश्य और फायदे तो बताते ही नहीं। हर अभिवावक को तार्किक रुप से स्वच्छता के फायदे जरूर बताने चाहिए ताकि सब स्वच्छता कि एहमियत को समझ सके। हमे रोज अपने नहाना चाहिए, नाखुनों को काटना चाहिए साफ और इस्त्री किये हुए कपड़े ही पहनने चाहिए। हमे खाना खाने से पहले और बाद में साबुन से हाथ धोने चाहिए। हमे बहार के ज्यादा मसालेदार खाने से बचना चाहिए। हमे स्वस्थ जीवन शैली और जीवन के स्तर को बनाए रखने के लिए अपने आसपास के पर्यावरण का ख्याल रखना चाहिए। हम अपने आस-पास के वातावरण को शुद्ध रखकर ही बहुत बीमारियों से बच सकते है। गंदगी से कई तरह के कीटाणु, बैक्टेरिया वाइरस तथा फंगस आदि पैदा होते है, जो हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते है और बीमार हो जाते है। हमे अपने माता-पिता से सीखना चाहिए कि कैसे हम अपने घर और आस-पास के वातावरण को कैसे ओर शुद्ध बना सकते है। Other Hindi Essay Essay on Bal Swachhta Abhiyan in Hindi Swachh Bharat Abhiyan essay in Hindi Essay on importance of water in Hindi Mohalle Ki Safai Ke Liye Patra in Hindi Thank you for reading. Don’t forget to give us your feedback. अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे। Share this:- Click to share on Facebook (Opens in new window)
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वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा बाहरी खतरा, कई देश साफ हवा के मानकों को तय करने में विफल दक्षिण एशिया में प्रदूषण में व्यापक गिरावट दर्ज किए जाने के कारण वैश्विक प्रदूषण में थोड़ी कमी आई है, लेकिन दुनिया भर के तीन-चौथाई से ज्यादा देशों ने या तो राष्ट्रीय प्रदूषण मानक निर्धारित नहीं किए हैं या उन्हें पूरा नहीं कर रहे हैं। 2022 में वैश्विक प्रदूषण थोड़ा कम रहा, लेकिन वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एक्यूएलआई) के नए आंकड़ों के अनुसार जीवन प्रत्याशा पर प्रदूषण का बोझ बना हुआ है। अगर वैश्विक पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (पीएम2.5) के प्रदूषण को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m³) के मानक को पूरा करने के लिए स्थायी रूप से कम कर दिया जाए तो औसत मानव जीवन प्रत्याशा में 1.9 वर्ष या संयुक्त रूप से पूरी दुनिया के जीवन प्रत्याशा में 14.9 अरब जीवन वर्ष की वृद्धि होगी। पार्टिकुलेट पॉल्यूशन (बहुत छोटे और महीन कणों से होने वाला प्रदूषण) मानव स्वास्थ्य के लिए वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा बाहरी खतरा है। जीवन प्रत्याशा पर इसका दुष्प्रभाव धूम्रपान से होने वाले नुकसान के बराबर है। साथ ही शराब के ज्यादा सेवन से होने वाले नुकसान से 4 गुना से अधिक, कार दुर्घटनाओं जैसी सड़क दुर्घटनाओं से होने वाले नुकसान से 5 गुना से अधिक और एचआईवी/एड्स से 6 गुना अधिक नुकसानदेह है। प्रदूषण की समस्या का स्तर दुनिया भर में बहुत अलग-अलग है। पृथ्वी पर सबसे प्रदूषित स्थानों में रहने वाले लोग ऐसी हवा में सांस लेते हैं जो सबसे कम प्रदूषित स्थानों में रहने वालों को उपलब्ध हवा की तुलना में छह गुना अधिक प्रदूषित है। इसके परिणामस्वरूप सबसे प्रदूषित स्थानों पर रहने वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा में 2.7 वर्ष की कमी हुई है। शिकागो यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ईपीआईसी) के निदेशक माइकल ग्रीनस्टोन ने अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (एक्यूएलआई) तैयार किया है। वह कहते हैं, "वायु प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बनी हुई है, कुछ स्थानों पर यह जीवन के कई वर्ष, कुछ क्षेत्रों में तो 6 वर्षों से भी अधिक, कम कर रहा है। उच्च प्रदूषण सांद्रता से यह पता चलता है कि ज्यादातर जगहों पर नीति निर्धारण संबंधी इच्छाशक्ति की कमी है या मौजूदा नीतियों को सफलतापूर्वक लागू नहीं किया जा रहा है।" दुनिया की एक तिहाई आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहां मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा। अगर ये देश अपने मानकों को पूरा करते हैं, तो यहां के 2.5 अरब लोग औसतन 1.2 साल अधिक जीवित रहेंगे। दुनिया के जिन 94 देशों ने वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए मानक तय किए हैं उनमें से 37 देश उन्हें पूरा नहीं कर रहे हैं। वहीं आधे से ज्यादा देशों और क्षेत्रों ने कोई मानक तय ही नहीं किया है। कुल मिलाकर, दुनिया भर के 77 प्रतिशत देश और क्षेत्र या तो अपने राष्ट्रीय मानक को पूरा नहीं करते या उनके पास कोई राष्ट्रीय मानक ही नहीं है। वहीं, जिन देशों में कोई मानक नहीं है, उनमें से 1 प्रतिशत से भी कम सरकारें प्रदूषण संबंधी पूरी तरह सुलभ और सार्वजनिक आंकड़े उपलब्ध कराती हैं और दो-तिहाई देशों के पास कोई सरकारी प्रदूषण निगरानी नहीं है। अपर्याप्त आंकड़ों के आधार पर प्रदूषण मानक निर्धारित करना और उन्हें लागू करना मुश्किल है। इस चुनौती का सामना करने में मदद करने के लिए, इस साल ईपीआईसी ने ईपीआईसी एयर क्वालिटी फंड की शुरूआत की है जो स्थानीय समूहों और संगठनों को मॉनिटर लगाने और समुदायों, जो सबसे अधिक लाभान्वित हो सकते हैं, को सुलभ और सार्वजनिक आंकड़े उपलब्ध कराने में सहायता करेगा। एक्यूएलआई की निदेशक तनुश्री गांगुली कहती हैं, "महत्वाकांक्षी मानक तय करना इस समस्या के हल का एक पहलू है लेकिन इन मानकों को प्राप्त करने में मदद करने वाली नीतियों और निगरानी तंत्रों को लागू करना भी उतना ही अहम है। कुछ देश इसमें सफल हो रहे हैं और यह इस बात का सबूत है कि वायु प्रदूषण का हल निकल सकता है। "ईपीआईसी के स्वच्छ वायु कार्यक्रम की निदेशक क्रिस्टा हसेनकोफ कहती हैं, "अत्यधिक प्रदूषित देश, जिनके पास वायु गुणवत्ता संबंधी बहुत कम आंकड़े हैं या कोई आंकड़ा नहीं है, ऐसे देशों को अक्सर इस समस्या की सही स्थिति की जानकारी लगातार नहीं मिल पाती है क्योंकि कम आंकड़े उपलब्ध होने से इस मुद्दे पर कम ध्यान जाता है या इससे संबंधित नीति तैयार की कोशिश कम होती है, जिससे आंकड़ों की मांग कम होती है। अच्छी बात है कि हवा की गुणवत्ता संबंधी थोड़ी से सुलभ और सार्वजनिक आंकड़े भी अगर लगातार उपलब्ध कराए जाएं तो ये इस चक्र को खत्म करने का बड़ा मौका देंगे। इस तरह के आकड़ों को राष्ट्रीय मानक तय करने और उन्हें सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक माना गया है।" दुनियाभर में वायु प्रदूषण की स्थिति और जीवन प्रत्याशा बढ़ने की उम्मीद दक्षिण एशिया 2022 में वैश्विक प्रदूषण में कमी लगभग पूरी तरह से दक्षिण एशिया के कारण आई जहां स्थिति पूरी तरह से बदल गई और प्रदूषण में की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। एक दशक से ज्यादा समय से प्रदूषण में लगातार वृद्धि के बाद, इस क्षेत्र में प्रदूषण में एक साल में 18 प्रतिशत की कमी आई। हालांकि इस गिरावट के कारणों को निर्णायक रूप से निर्धारित करना मुश्किल है, लेकिन सामान्य से अधिक बारिश जैसे मौसम संबंधी कारणों ने इसमें अहम भूमिका निभाई है और यह केवल समय ही बताएगा कि नीतिगत परिवर्तनों का कोई प्रभाव पड़ रहा है या नहीं। इस बड़ी गिरावट के बाद भी, यह दुनिया का सबसे प्रदूषित क्षेत्र बना हुआ है और यह उच्च प्रदूषण के कारण जीवन वर्षों को होने वाले कुल नुकसान में से 45 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार प्रदूषण को स्थायी रूप से कम कर दिया जाए, तो इन देशों में रहने वाले औसत व्यक्ति के जीवन में 3.5 वर्ष की वृद्धि होगी। मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. साल 2022 भी इसमें कोई अपवाद नहीं रहा जिस वर्ष प्रदूषण में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यदि प्रदूषण का यह उच्च स्तर जारी रहता है, तो इस क्षेत्र के निवासियों की जीवन प्रत्याशा में औसतन लगभग 1.3 वर्ष की कमी होने का खतरा है। वहीं क्षेत्र के कतर जैसे सबसे प्रदूषित देश, जो दक्षिण एशियाई देशों के बाद दुनिया का चौथा सबसे प्रदूषित देश है, के लोगों को 3 से 4 वर्ष तक का नुकसान होने की आशंका है। वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है, इसके बावजूद सऊदी अरब और मिस्र को छोड़ इस क्षेत्र के किसी भी देश में राष्ट्रीय प्रदूषण मानक नहीं है। मध्य और पश्चिम अफ्रीका उप-सहारा अफ्रीका में वायु प्रदूषण उतना ही बड़ा स्वास्थ्य खतरा है जितना कि एचआईवी/एड्स, मलेरिया और असुरक्षित पानी से होने वाली रोग जैसे इस क्षेत्र की चर्चित बिमारियां. वायु प्रदूषण से क्षेत्र के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में लोगों की आयु 5 साल तक कम हो रही है। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, रवांडा, बुरुंडी, कैमरून और इक्वेटोरियल गिनी दुनिया के दस सबसे प्रदूषित देशों में शामिल हैं। फिर भी, इस क्षेत्र के कई देशों के पास न केवल कोई मानक नहीं है, बल्कि उचित मानक निर्धारित करने में मदद करने के लिए जरूरी निगरानी और पारदर्शी प्रदूषण डेटा नेटवर्क्स भी नहीं हैं। दुनिया भर में वायु प्रदूषण कम करने की चुनौती कठिन लग सकती है, लेकिन चीन ने उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। इसके द्वारा 2014 में "प्रदूषण के खिलाफ युद्ध" शुरू करने से एक साल पहले यानी कि 2013 की तुलना में 41 प्रतिशत तक प्रदूषण कम किया गया है। अगर यह कमी बरकरार रहती है, तो इन सुधारों के कारण औसत चीनी नागरिक की आयु में 2 साल की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। हालांकि, दुनिया के कुल वायु प्रदूषण में चीन का योगदान अभी भी 20 प्रतिशत है। यदि चीन प्रदूषण संबंधी डब्ल्यूएचओ के मानक को पूरा करता है, तो इसके औसत नागरिकों की जीवन प्रत्याशा में 2.3 वर्ष की वृद्धि हो सकती है। दक्षिण पूर्व एशिया दक्षिण एशिया की तरह, 2022 में दक्षिण पूर्व एशिया के अधिकांश हिस्सों में भी प्रदूषण में गिरावट देखी गई। दो दशकों से प्रदूषण स्तर खतरनाक ढंग से उच्च और काफी हद तक अपरिवर्तित बना हुआ है। लगभग सभी दक्षिण-पूर्व एशियाई ऐसी हवा में सांस लेते हैं जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार असुरक्षित माना जाता है और जिससे औसत जीवन प्रत्याशा 1.2 वर्ष कम हो जाती है। लैटिन अमेरिका लैटिन अमेरिका के कई हिस्सों, जैसे कोलंबिया, में वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा को होने वाला नुकसान हिंसा से होने वाला नुकसान के बराबर है। हालांकि पूरे क्षेत्र में औसत वायु गुणवत्ता असुरक्षित लेकिन अपेक्षाकृत निम्न स्तर पर है। वहीं इलाके के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों, जो ग्वाटेमाला, बोलीविया और पेरू में स्थित हैं वहां प्रदूषण स्तर दक्षिण एशिया के समान है। यदि इन क्षेत्रों की वायु गुणवत्ता डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुरूप हो, तो औसत निवासी की जीवन प्रत्याशा में 4 वर्ष तक की वृद्धि होगी। संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राज्य अमेरिका में, अमेरिकी 1970, स्वच्छ वायु कानून पारित होने से पहले, की तुलना में 67.2 प्रतिशत कम पार्टिकुलेट पॉल्यूशन के संपर्क में हैं और इस कारण उनका जीवन 1.5 वर्ष लंबा हो गया है। फिर भी, देश का 94 प्रतिशत हिस्सा अभी भी डब्ल्यूएचओ के मानक (5 µg/m3) को पूरा नहीं करता है। इस वर्ष ईपीए ने पार्टिकुलेट पॉल्यूशन के लिए ज्यादा सख्त मानक (10 µg/m3) लागू किया है। यदि यह मानक प्राप्त कर लिया जाता है तो कुल 1.9 अरब जीवन वर्ष की वृद्धि होगी। 2022 में, शीर्ष 20 सबसे प्रदूषित काउंटियों में से 10 कैलिफोर्निया में स्थित थे और ऐसा जंगल की आग के कारण था। यूरोप यूरोप में, यूरोपियन यूनियन्स एयर क्वालिटी फ्रेमवर्क डायरेक्टिव जैसी नीतियों ने 1998 के बाद से प्रदूषण को लगभग 30.2 प्रतिशत कम करने में मदद की है, जिससे निवासियों की जीवन प्रत्याशा में 5.6 महीने की वृद्धि हुई है। फिर भी, यूरोप का 96.8 प्रतिशत हिस्सा अभी भी डब्ल्यूएचओ मानक को पूरा नहीं करता है। 2022 में, यूरोपीय संघ ने अपने 25 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (µg/m³) के मानक को 2030 तक घटाकर 10 µg/m³ करने का प्रस्ताव रखा लेकिन 75 प्रतिशत आबादी यह मानक पूरा नहीं कर पाएगी। ज्यादा प्रदूषित क्षेत्र पूर्वी यूरोप में हैं, जहां के निवासी प्रदूषित हवा के कारण अपने पश्चिम के पड़ोसियों की तुलना में 4.8 महीने कम जीवन जी रहे हैं। यदि यूरोपीय संघ के सभी देश प्रस्तावित मानक को पूरा करते हैं, तो कुल 56.4 अरब जीवन वर्ष की वृद्धि होगी। Related StoriesHiHindi.Com HiHindi Evolution of media स्वच्छता की परिभाषा और महत्व | Cleanliness Importance Definition In Hindiस्वच्छता की परिभाषा और महत्व | Cleanliness Importance Definition In Hindi: मानव जीवन के लिए स्वच्छता बहुत आवश्यक हैं. गंदगी तथा कचरे से अनेक प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं. बच्चे, जवान, वृद्ध बीमारियों से दुःख पाते है. जिससे उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती हैं. आज के इस लेख में हम आपकों बता रहे है स्वच्छता का अर्थ स्वच्छता की परिभाषा स्वच्छता का महत्व के बारे में विस्तार से जानेगे. स्वच्छता की परिभाषा महत्व Cleanliness Importance Definition Hindiअस्वच्छता से पर्यावरण प्रदूषित होता हैं. गंदगी के कारण अनेक प्रकार की प्रतिकूल दशाएं भी उत्पन्न हो जाती हैं. इन सभी प्रतिकूल दशाओं से बचने के लिए एवं इन बीमारियों को मिटाने तथा पर्यावरण संरक्षण हेतु मानव के लिए स्वच्छता की आवश्यकता होती हैं. स्वच्छता क्या है (what is cleanliness in hindi)वे सभी प्रावधान, सुविधाएं सेवाएं जो मानव के मल मूत्र एवं कचरे आदि का निस्तारण करने में भूमिका अदा करते हैं. यह प्रक्रिया स्वच्छता कहलाती हैं. - सभी प्रकार की गंदगी को दूर कर, निरोग एवं आरामदायक जीवन जीना स्वच्छता हैं.
- मानव जीवन मूल्यों में एक मूल्य स्वच्छ रहना भी है. स्वच्छता भारतीय संस्कृति का प्रतीक हैं.
- भारतीय दर्शन में शरीर आत्मा मन बुद्धि व पर्यावरण को शुद्ध रखना, मानव जीवन का महत्वपूर्ण कार्य बताया गया है.
- बिमारी फैलाने वाले कचरे में पारिवारिक और कारखानों का दूषित जल, मानव व पशुओं का ठोस कचरा व कृषि सम्बन्धी कचरे शामिल हैं.
- स्वच्छता पूर्ण रूप से एक बड़ा विचार है. इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनेक प्रकार से परिभाषित किया हैं.
- पर्यावरण को दूषित करने का एक कारण कचरे का खराब नियंत्रण भी हैं.
स्वच्छता की परिभाषा विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार (definition of cleanliness in hindi)विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्वच्छता को कई प्रकार से परिभाषित किया हैं. - लोगों को स्वच्छता के लिए शौचालयों व दूषित पानी को स्वच्छ करने के साधनों व उपायों को करने की आवश्यकता है.
- स्वच्छता का सामान्य आशय उन प्रावधानों सुविधाओं और सेवाओं से है जो मानव के मल मूत्र और कचरे का सुरक्षित निस्तारण करते हैं.
- बहुत से व्यवसायी लोग इस बात पर सहमत है कि स्वच्छता पूर्ण रूप से एक बड़ा विचार है कि इसमें निम्नलिखित बातों में सम्मिलित हैं.
- मानव मल मूत्र कचरे आदि का सुरक्षित संग्रहण, भंडारण उपचार निस्तारण तथा पुनः प्रयोग.
- ठोस कचरे का पुनः प्रयोग और पुनः चक्रण का प्रबंधन
- पारिवारिक दूषित जल की निकासी और निस्तारण और पुनः प्रयोग पुनः चक्रण के उपाय.
- तूफान के पानी की निकासी व्यवस्था
- औद्योगिक कचरे का संग्रहण व निस्तारण प्रबंधन
- खतरनाक कचरा जैसे रासायनिक कचरा, रेडियोएक्टिव कचरा और अस्पतालों का कचरा आदि का संग्रहण व निस्तारण प्रबंधन.
मानव जीवन में स्वच्छता का महत्व (Importance of cleanliness in human life)मानव जीवन मूल्यों में एक मूल्य स्वच्छ रहना भी शामिल हैं. स्वच्छता भारतीय संस्कृति का प्रतीक हैं. भारतीय दर्शन में शरीर आत्मा, मन, बुद्धि तथा पर्यावरण का शुद्ध रखना मानव जीवन का महत्वपूर्ण कार्य बताया गया है. स्वच्छता पूर्ण रूप में एक बड़ा विचार है. वर्तमान में शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की प्रक्रियाओं ने कचरे की मात्रा को बढ़ावा दिया हैं. कचरे या गंदगी का पैदा होना वर्तमान में एक मुख्य समस्या बन गई है. मानव के द्वारा स्वच्छता रखने से कचरे व गंदगी का निस्तारण तो होता ही है साथ में अनेक प्रकार की बीमारियों व संक्रामक रोगों से भी मुक्ति मिल जाती है. स्वच्छता से हानिकारक कीट उत्पन्न नहीं हो पाते जिससे बीमारियों के फैलने पर रोक लग जाती हैं. स्वच्छता के कारण मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है जिससे मानव की औसत आयु बढ़ती है. स्वच्छता से पर्यावरणीय दशाएं अनुकूल बनी रहती है. किसी भी प्रकार का पर्यावरण प्रदूषण स्वच्छता से नियंत्रित हो जाता हैं. स्वच्छता से शरीर शुद्ध रहता है, जिसमें बौद्धिक विकास होता है. स्वच्छ दशाओं से खाद्य जाल, खाद्य श्रंखला संतुलित बनती है जो पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखती हैं. उपरोक्त सभी कारणों से मानव जीवन में स्वच्छता महत्वपूर्ण स्थान है. स्वच्छता का महत्व एवं घर की साफ सफाई | Cleanliness Health And Hygiene In Hindiस्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता आवश्यक है. घर वह स्थान होता है, जहाँ हमारा परिवार निवास करता है. परिवार के सभी सदस्यों को प्रसन्न चित व स्वस्थ रखने के लिए हमे अपने आवास और आसपास के स्थान को स्वच्छ रखना चाहिए. स्वच्छता का महत्व और अपने घर की साफ सफाई के लिए हमे निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए. - मकान की नालियाँ साफ सुथरी व ढकी हुई हो.
- शौचालय व स्नानघर प्रतिदिन अच्छी तरह से साफ़ किये जाने चाहिए. क्योंकि यहाँ कीटाणु पनपने की सम्भावना सर्वाधिक होती है.
- घर की नालियों में कीटनाशकों का नियमित छिड़काव किया जाना चाहिए.
- कमरों में से दूषित हवा निकलने के लिए रोशनदान की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए.
- समस्त कूड़ा करकट प्रतिदिन एक कूड़ेदान में एकत्र करने चाहिए. यह कूड़ादान ढक्कन वाला होना चाहिए.
- रसोईघर में धुंए के निकास के लिए चिमनी की व्यवस्था होनी चाहिए.
- घर में प्रतिदिन फिनायल आदि डालकर पोछा लगाया जाना चाहिए ताकि मक्खी मच्छर न फ़ैल सके.
- घर का समस्त कूड़ा करकट बाहर नही फेकना चाहिए, इसे नगर परिषद् के सफाई कर्मचारी के सुपुर्द किया जाना चाहिए.
- गली मुहल्ले की नालियाँ भी साफ करवानी चाहिए.
- नगर परिषद से सम्पर्क कर समय समय पर कीटनाशकों फिनाइल, बीएचसी पाउडर आदि का छिडकाव करवाना चाहिए.
- सामुदायिक स्वास्थ्य के लिए आवासीय बस्तियाँ योजनाबद्ध रूप से बसी होनी चाहिए, जिससे सभी आवासों के लिए समुचित हवा, पानी, रोशनी, जल निकास व शौचालय आदि की व्यवस्था हो.
- गंदे जल के निकास की नालियाँ व गटर ढके हुए हो.
- आवासीय बस्तियों में जल के गड्डे नही होने चाहिए, क्योंकि इन स्थानों पर मच्छर पनपने की संभावना अधिक रहती है.
- जल स्रोत साफ स्वच्छ होने चाहिए, कुएँ ढकें हो, जिनमें समय समय पर जीवाणुनाशक दवाइयाँ डाली जाती रहे.
- हैण्डपंप, कुएँ व बावडियों आदि के आस-पास का स्थान स्वच्छ रखना चाहिए. इन स्रोतों में कपड़े व बर्तन धोना, स्वयं नहाना, जानवरों को नहलाना आदि कार्य नही करने चाहिए.
- पानी की टंकियो की नियमित सफाई की जानी चाहिए.
- बस्ती में वृक्षारोपण करना चाहिए.
- मरे हुए जानवरों को जलस्रोत या बस्तियों से दूर उचित स्थान पर डालना चाहिए.
- हर घर के बाहर या कुछ घरों के बिच कचरा पात्र रखे जाए.
- समुदाय के लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करनी चाहिए.
- लोगों को गंदगी से होने वाली बीमारियों व संक्रामक रोगों के बारे में जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे अपने आस-पास के क्षेत्र को साफ सुथरा रख सके.
- भारत सरकार ने 15 अगस्त 2014 को स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत 2 अक्टूबर 2019 तक Swachh Bharat Abhiyan चलेगा.
स्वच्छता क्या है- स्वच्छ शब्द का अर्थ है अत्यंत साफ, विशुद्ध, उज्ज्वल व स्वस्थ. ता प्रत्यय जोड़ने पर भाववाचक स्वच्छता का आशय सब प्रकार से साफ़ सफाई निर्मलता एवं पवित्रता हैं. मन ह्रदय, शरीर तथा वस्त्रों की घर बाहर, पानी, वायु, भूमि आदि की निर्मलता या सफाई रखना ही स्वच्छता हैं. स्वच्छता अच्छे स्वास्थ्य, अच्छे संस्कार एवं सुसभ्यता की निशानी हैं. स्वच्छता के प्रकार- स्वच्छता के अनेक प्रकार हैं. जैसे मन और शरीर की स्वच्छता, घर आंगन की स्वच्छता, पेयजल और भूमि की स्वच्छता, वायुमंडल और पर्यावरण की स्वच्छता, ये सब स्वच्छता के भेद हैं. महात्मा गांधी ने अपने पत्रों के माध्यम से स्वच्छता के महत्व पर सुंदर विचार व्यक्त किये थे. इसी आशय से हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान का शुभारम्भ किया हैं. स्वच्छता के लाभ- स्वच्छता का सीधा सम्बन्ध हमारी सभ्यता एवं स्वास्थ्य से हैं. खान पान में स्वच्छता रखने से शरीर स्वस्थ रहता है. घरों के आसपास, सडकों, नालियों, पोखरों, नदियों आदि में गंदगी न फैलने से सारा वातावरण स्वच्छ रहता हैं. फलस्वरूप मानव तथा अन्य प्राणियों की आयु एवं स्वास्थ्य का स्तर बढ़ जाता हैं. स्वच्छता हमारा योगदान- हमें अपने देश को स्वच्छ बनाए रखने के लिए घर से लेकर सार्वजनिक स्थानों तक सर्वत्र स्वच्छ रखना चाहिए. खुले में शौच नहीं करना चाहिए, गंदगी नही फैलानी चाहिए. पेयजल को स्वच्छ रखना चाहिए. परन्तु हमें स्वयं ऐसा नहीं करना चाहिए और दूसरों को भी ऐसा करने से रोकना चाहिए. इसमें परस्पर सहयोग एवं सहभागिता का प्रयास जरुरी हैं. उपसंहार – स्वच्छता मानव सभ्यता का एक श्रेष्ठ संस्कार हैं. स्वच्छता से समस्त पर्यावरण को स्वच्छ रखने की चेतना बढ़ती हैं. भारत में स्वच्छता अभियान एक अच्छी योजना हैं. सुनागरिक होने के नाते हमें स्वच्छता के प्रसार प्रचार में योगदान करना चाहिए. One commentThnxx ,it helped me a lot. Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked * स्वच्छ विद्यालय पर निबंध – Essay on Cleanliness in School in Hindiदोस्तो आज हमने Essay on Cleanliness in School in Hindi लिखा है स्वच्छ विद्यालय पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है. इस लेख में हमने विद्यालय को स्वच्छ कैसे रखे इस बारे में बताया है विद्यालय में स्वच्छता हमारे जीवन में किस प्रकार महत्व रखती है यह हमने निबंध की सहायता से बताया है. दोस्तों हमारे जीवन में साफ-सफाई बहुत जरूरी है चाहे वह घर पर हो, चाहे स्कूल में हो या फिर कहीं पर भी हमें हर जगह को साफ सुथरा रखना चाहिए यह किसी और के लिए नहीं हमारे लिए ही फायदेमंद है. साफ-सफाई का मतलब यह नहीं होता है कि आपने एक दिन सफाई कर दी और फिर महीनों तक सफाई नहीं की इसका मतलब यह होता है कि हमें नियमित रूप से साफ सफाई करनी चाहिए. Essay on Cleanliness in School in Hindi for class 1 to 4वर्तमान समय में साफ सफाई बहुत जरूरी है क्योंकि आजकल साफ-सफाई नहीं रहने की वजह से बहुत सी ऐसी बीमारियां फैल रही है जिनका इलाज संभव नहीं है. बीमारियों से बचने के लिए हमें स्वच्छता को अपनाना होगा. हम विद्यार्थी हैं इसलिए याद आते समय हम स्कूल में ही रहते हैं इसलिए हम जिस स्कूल में जाते हैं वह साफ सुथरा होना बहुत जरूरी है. Get some essay on Cleanliness in School in Hindi हमारे आसपास का वातावरण स्वच्छ नहीं होने के कारण आए दिन कई गंभीर एलर्जी इंसान और जानवरों को हो रही है. विद्यालय में साफ सफाई के लिए कर्मचारी होते हैं लेकिन अगर हम विद्यार्थी भी स्वच्छता के प्रति अगर सचेत हो जाएं तो विद्यालय में जरा भी गंदगी नहीं फैलेगी. हमें हमेशा फटे हुए कागज और अन्य कूड़ा करकट हमेशा कूड़ेदान में ही डालना चाहिए कभी भी इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए क्योंकि इससे हमारे और हमारे मित्रों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. हमें सदैव हमारे विद्यालय को साफ सुथरा रखना चाहिए. Essay on Cleanliness in School in Hindi for Class 5 to 8स्कूलों में साफ सफाई को बढ़ाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 25 सितंबर 2014 में स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान उद्घाटन किया था. इस अभियान के तहत सभी स्कूलों में साफ सफाई अनिवार्य कर दी गई थी. विद्यालय में साफ सफाई बहुत जरूरी है क्योंकि हमारे देश के भविष्य विद्यार्थी रोज स्कूल में जाते हैं और लगभग अपना पूरा दिन वही बिताते है अगर विद्यालय की साफ सुथरा नहीं होगा तो विद्यार्थियों में स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां हो सकती है. विद्यालय में प्रत्येक वर्ष रंग-रोगन होना चाहिए जिससे विद्यालय की दीवारें खराब नहीं होंगी और उनमें काई भी नहीं जमेगी. जिससे बीमारियों वाले बैक्टीरिया उत्पन्न होने की संभावना खत्म हो जाएगी. यह भी पढ़ें – स्वच्छ भारत अभियान निबंध Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi विद्यालय में प्रत्येक कक्ष के आगे कूड़ादान होना चाहिए जिससे कक्षा से निकलने वाला घोड़ा सीधा कूड़ेदान में ही डालें सके. विद्यालय में पानी की टंकियों की सफाई प्रतिमाह होनी चाहिए जिससे टंकियों में बचा हुआ पानी प्रदूषित नहीं होगा. प्रत्येक विद्यार्थी को विद्यालय की ड्रेस को नियमित रूप से साफ करना चाहिए. विद्यालय विद्यार्थी का दूसरा घर होता है इसलिए विद्यार्थियों को भी विद्यालय में साफ सफाई रखने में सहयोग देना चाहिए. स्कूलों में प्रत्येक वर्ष ऐसी प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाना चाहिए जिसमें विद्यार्थियों को साफ सफाई के बारे में बताना चाहिए. विद्यालय का वातावरण स्वच्छ और स्वस्थ हो इसके लिए हमें विद्यालय में चारों ओर पेड़ पौधे लगाने चाहिए. प्रत्येक विद्यालय को विद्यार्थियों द्वारा रैली निकलवाई जानी चाहिए जिसमें स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने चाहिए. स्कूलों के मैदानों की साफ-सफाई प्रतिदिन होनी चाहिए क्योंकि बच्चे रोज वहीं पर खेलते हैं अगर मैदानों की साफ सफाई नहीं होगी तो वहां पर पढ़ने वाले विद्यार्थी बीमार हो सकते है. Essay on Cleanliness in School in Hindi for Class 9 to 12विद्यालय में साफ-सफाई का बहुत महत्व होता है क्योंकि यह विद्यार्थी के लिए दूसरे घर और एक मंदिर के समान होता है जहां विद्या की देवी मां सरस्वती का वास होता है. स्वच्छता को लेकर हमें सदैव सजग रहना चाहिए. स्वच्छता को बढ़ाने के लिए हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया है जिसके अंतर्गत हमारे पूरे देश में साफ-सफाई की जानी है और लोगों को भी साफ सफाई में सहयोग देना है. इस अभियान से कई मंत्री, एनजीओ और साधारण लोग जुड़े हुए है. इस अभियान के कारण हमारे देश में स्वच्छता को बढ़ावा मिला है. इस अभियान से सभी वर्ग के लोग जुड़ते हैं और अपने आसपास की सफाई पर विशेष ध्यान दे रहे है. स्वच्छ भारत अभियान से अब सभी विद्यालयों को भी जोड़ा गया है जिसका उद्घाटन मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने किया है. विद्यालय में संस्था बहुत अहम है क्योंकि यह हमारे देश का एक विशेष हिस्सा है. यहां पर हमारे देश को आगे बढ़ाने वाली भावी पीढ़ी पढ़ती है. अगर विद्यालय में ही स्वच्छता नहीं होगी तो प्रतिदिन कोई ना कोई विद्यार्थी बीमार पड़ता रहेगा जिससे उसकी पढ़ाई में बाधा आएगी. विद्यालयों में सफाई बहुत ही गंभीर विषय है क्योंकि आमतौर पर देखा गया है कि कई विद्यालयों में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है. यह भी पढ़ें – Mera Vidyalaya Essay in Hindi – मेरा विद्यालय पर निबंध कई विद्यालयों की खबर समाचार पत्र पत्रिकाओं में आती रहती है कि वहां पर मिलने वाला खाना प्रदूषित होने के कारण कई बच्चे बीमार पड़ गए. ऐसा सिर्फ साफ सफाई में लापरवाही बरतने से होता है. अभिभावकों को भी समय समय पर स्कूल में जाकर देखना चाहिए कि वहां पर साफ सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है या नहीं क्योंकि जब तक स्कूलों में साफ सफाई नहीं होगी तब तक वहां पर शिक्षा संभव नहीं है. स्कूलों में वैसे तो साफ सफाई के लिए कर्मचारी रखे हुए होते हैं लेकिन हम विद्यार्थियों को भी स्कूल की साफ सफाई में सहयोग करना चाहिए. आइए जानते हैं कि स्कूलों में इस प्रकार से हम साफ-सफाई कर सकते है- शिक्षकों को विद्यार्थियों को साफ सफाई के महत्व के बारे में बताना चाहिए और समय-समय पर साफ सफाई के बारे में कई प्रतियोगिताएं आयोजित करवानी चाहिए. साफ सफाई के महत्व के बारे में निबंध लेखन, कविता, चित्रकला, नाटक और वाद विवाद प्रतियोगिता के माध्यम से विद्यार्थियों को स्वच्छता के बारे में सरल माध्यम से बताया जा सकता है. स्कूलों में प्रतिवर्ष रंगाई और पुताई का काम होना चाहिए जिससे स्कूल साफ सुथरा दिखाई दे. स्कूलों में बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए और प्रत्येक शौचालय की नियमित रूप से साफ सफाई होनी चाहिए. विद्यालय में समय समय पर पानी की पाइपों और टंकियों की सफाई होनी चाहिए क्योंकि अगर पानी ही प्रदूषित होगा तो सभी विद्यार्थी बीमार पड़ सकते है. टंकी की सफाई की दिनांक विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर अंकित की जानी चाहिए जिससे अभिभावकों को पता चल सके कि टंकी की सफाई कितने समय के अंतराल में हो रही है. विद्यालय के वातावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए पेड़ पौधे और फूलों के बगीचे लगाने चाहिए जिससे विद्यालय का वातावरण सुगंधित और प्रदूषण रहित होगा और विद्यार्थियों का स्वास्थ्य भी उत्तम बना रहेगा. विद्यालय के पेड़-पौधे से प्रतिदिन पत्ते गिरते रहते हैं जिससे कूड़ा करकट फैल जाता है इसलिए प्रतिदिन पेड़ पौधों की पत्तियों को इकट्ठा करके इन से खाद बनानी चाहिए और पौधों में डाल देनी चाहिए इससे बड़ा भी नहीं फैलेगा और पेड़ पौधों को खाद भी मिल जाएगी. शिक्षकों को समय-समय पर विद्यालय में आने वाले पानी की जांच करवानी चाहिए. विद्यालय में समय समय पर कीटनाशक दवाई का छिड़काव किया जाना चाहिए जिससे वहां पर पनप रहे कीटाणु और मच्छरों को हटाया जा सके. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो कई प्रकार की बीमारियां फैल सकती है. विद्यालयों की सभी कमरे हवादार होने चाहिए जिससे विद्यार्थियों को घुटन महसूस नहीं हो और वहां का वातावरण भी स्वच्छ बना रहे. विद्यालय में प्रत्येक कक्ष के पास एक छोटा कूड़ा दान लगवाना चाहिए जिससे उस कक्षा से निकलने वाला कूड़ा करकट उसी कूड़ेदान में डाला जा सके और इससे पूरे विद्यालय में कूड़ा करकट भी नहीं फैलेगा. विद्यालय के मैदान में छोटी घास लगवानी चाहिए जिससे वहां पर मिट्टी नहीं उड़े. विद्यार्थियों को भी स्कूल को स्वच्छ रखने में सहयोग करना चाहिए उन्हें कचरा यहां वहां नहीं फैलाना चाहिए हमेशा कूड़ेदान में ही डालना चाहिए. विद्यार्थियों को भी साथ रहना चाहिए हमेशा साफ-सुथरी वेशभूषा पहननी चाहिए जिसे भी कम से कम बीमार पड़े और रोज स्कूल जा पाए. यह भी पढ़ें – हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Cleanliness in School in Hindi पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। Image Credit – www.dnaindia.com 13 thoughts on “स्वच्छ विद्यालय पर निबंध – Essay on Cleanliness in School in Hindi”Hamko English me chahiea 5 translation school ko safaie rakhne ke liea chote children ke liea Arun kumar ji aap eske liye english essay ki website par visit kare. 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Leave a Comment Cancel replyपर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंधBy विकास सिंहविषय-सूचि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (200 शब्द)प्रस्तावना:. मानव स्वास्थ्य को मानव स्थिति के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक पहलुओं के संबंध में कल्याण की स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है। बीमारी की अनुपस्थिति के कारण किसी व्यक्ति को केवल स्वस्थ नहीं कहा जा सकता है; वह या वह वास्तव में स्वस्थ होने के लिए सभी तरह से अच्छा करने की जरूरत है। कई कारक हमारे स्वास्थ्य का निर्धारण करने में भूमिका निभाते हैं – जैविक, पोषण, मनोवैज्ञानिक और रासायनिक। ये कारक आंतरिक और बाहरी स्थितियों से प्रभावित हो सकते हैं। बाह्य रूप से, हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा कारक हमारा पर्यावरण है। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य:हमारा पर्यावरण केवल उस हवा में नहीं है जिसे हम सांस लेते हैं, हालांकि यह एक प्रमुख घटक है; यह उस पानी से होता है जिसे हम पीते हैं, यह उस मिटटी में होता है जिसे हम अपने आसपास पाते हैं एवं उस भोजन में होता है जिसे हम खाते है। प्रत्येक भाग हमें प्रभावित करता है और इस प्रकार हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। वाहनों, कारखानों और आग से उत्सर्जन के साथ, हमारी वायु आपूर्ति विषाक्त रसायनों से भरी हुई है जो फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग और अस्थमा का खतरा पेश करती है। हम जो भोजन करते हैं, वह कीटनाशकों में शामिल होता है जो मिट्टी को कम उपजाऊ बनाता है और हमारे लिए कैंसरकारी हो सकता है। मानव शरीर को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता होती है लेकिन हमारे जल स्रोत मानव और औद्योगिक कचरे से भरे होते हैं जो गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों को पैदा करते हैं। निष्कर्ष:हमें यह याद रखने की जरूरत है कि हमें अपने पर्यावरण के साथ तालमेल में रहना होगा। हम इसमें जो डालेंगे वह हमारे पास वापस आ जाएगा। जब तक हम कुछ नहीं करेंगे, पृथ्वी बहुत जल्द एक रहने के लिए योग्य हो जायेगी। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (400 शब्द)डब्ल्यूएचओ द्वारा परिभाषा के अनुसार, “मानव स्वास्थ्य पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है और न केवल बीमारी और दुर्बलता की अनुपस्थिति”। यह आंतरिक के साथ-साथ बाहरी कारकों से प्रभावित होता है। आंतरिक कारकों में मानव शरीर के अंदर की समस्याएं जैसे कि प्रतिरक्षा की कमी, हार्मोनल असंतुलन और आनुवंशिक या जन्मजात विकार शामिल हैं। बाहरी कारकों में आमतौर पर तीन प्रकार के स्वास्थ्य खतरे शामिल होते हैं: पराबैंगनी और रेडियोधर्मी विकिरण, ध्वनि प्रदूषण, कार्बन मोनोऑक्साइड और सीएफसी जैसे शारीरिक खतरे; औद्योगिक खतरों, भारी धातुओं, कीटनाशकों और जीवाश्म ईंधन दहन जैसे रासायनिक खतरों; और परजीवी, बैक्टीरिया और वायरस जैसे जैविक खतरे। इसका स्पष्ट अर्थ है कि हमारा स्वास्थ्य काफी हद तक, हमारे पर्यावरण पर निर्भर है और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक ज्यादातर मनुष्यों द्वारा बनाए गए हैं। हम अपने ईको-सिस्टम में जो जारी करते हैं वह अंततः हमें वापस मिल जाता है। पर्यावरण मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है:चूंकि हम जीवित रहने के लिए पर्यावरण पर पूरी तरह से निर्भर हैं, इसलिए यह कहना सुरक्षित है कि पर्यावरण में कोई भी परिवर्तन मानव कल्याण को प्रभावित करेगा। हालाँकि, इन दोनों के बीच वास्तविक संबंध हमारे विश्वास से अधिक जटिल है और इसका आकलन करना हमेशा आसान नहीं होता है। सबसे स्पष्ट प्रभाव जो हमने देखा है वह बिगड़ते पानी की गुणवत्ता, वायु प्रदूषण और विषम परिस्थितियों से हैं। विकिरण विषाक्तता भी मानव स्वास्थ्य के लिए घातक परिणाम है। इन मुद्दों की प्रतिक्रिया हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को साफ करने का एक समग्र प्रयास रही है। जबकि यह कुछ देशों के लिए काम किया है, ज्यादातर विकसित दुनिया में, यह दुनिया के विकासशील देशों में अच्छी तरह से लागू नहीं किया गया है। देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौते वायुसेना में सीएफसी के उत्सर्जन और उनके द्वारा ओजोन परत को हुए नुकसान जैसी कुछ और तात्कालिक चिंताओं को दूर करने में कामयाब रहे हैं। कॉरपोरेट जगत अपने कार्बन पदचिह्न को कम करने और हरित ’समाधान की ओर भी प्रयास कर रहा है। हालाँकि, कई चिंताएँ हैं जिन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया जा सका है और जैव विविधता जैसे नियंत्रण से बाहर हो रही हैं; हर दिन औसतन एक प्रजाति मर जाती है। इसके अलावा, भोजन की उचित आपूर्ति बनाए रखना कठिन होता जा रहा है, ताकि दुनिया भूखे न रहे। हम अपने आस-पास के वातावरण में होने वाले किसी भी बदलाव के प्रभावों के प्रति प्रतिरक्षित होने के लिए बस अपने परिवेश में बहुत अच्छी तरह से जुड़े होने चाहिए। समस्या यह है कि क्योंकि स्वास्थ्य और पर्यावरण के बीच संबंध जटिल है, इसलिए हम बड़े बदलाव करने के लिए प्रेरित नहीं हुए हैं; हम अकाट्य प्रमाणों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जब तक हम इसे प्राप्त करें, तब तक बहुत देर हो सकती है। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (500 शब्द)अस्वास्थ्यकर पर्यावरण अस्वस्थ जीवन:, पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव:, मानसिक स्वास्थ्य:, जल संदूषण प्रभाव:, संकल्प के लिए दृष्टिकोण:. - पृथ्वी पर निम्नांकित और प्राकृतिक प्रणालियाँ जो दबाव में हैं, पारिस्थितिकी तंत्र, जो कि रोग के प्रकोप, भोजन की कमी और प्राकृतिक आपदाओं जैसी आपदाओं की संभावना है।
- अपर्याप्त स्वच्छता, खराब स्वच्छता और असुरक्षित पानी जो घातक बीमारियों, खराब मानसिक स्वास्थ्य और यहां तक कि आर्थिक उत्पादकता को बुरी तरह से प्रभावित करने का कारण हैं।
- गरीब पोषण शारीरिक गतिविधि के गिरते स्तर के साथ संयुक्त, गैर-संचारी रोगों के प्रसार के लिए अग्रणी।
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, एक स्वस्थ वातावरण का मतलब स्वस्थ लोगों से है। यह कहना नहीं है कि बीमारी और कुपोषण को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा लेकिन इन घटनाओं की घटनाओं में कमी आएगी और हर साल लाखों मानव जीवन नहीं खोएंगे। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध, environment and human health essay in hindi (600 शब्द)मानव स्वास्थ्य या मानव कल्याण दो मुख्य कारकों से प्रभावित होता है – व्यक्तिगत लक्षण या आंतरिक कारक और पारिस्थितिक कल्याण या बाहरी कारक। हालांकि, ज्यादातर समय, जब मानव स्वास्थ्य की स्थिति पर शोध किया जाता है, इन दो कारकों की एक दूसरे से अलगाव में जांच की जाती है। यदि कोई सही मायने में इस सवाल का जवाब देना चाहता है – पर्यावरण व्यक्तिगत स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है – किसी को मिलकर दोनों कारकों को देखना होगा। जलवायु परिवर्तन की चेतावनी और उनके प्रति सरकारी उदासीनता के मद्देनजर यह अब विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गया है। स्वास्थ्य पर पर्यावरण का प्रभाव:स्वास्थ्य संबंधी पर्यावरणीय अध्ययन या पर्यावरण से संबंधित स्वास्थ्य अध्ययनों में कमी के साथ, विशेष रूप से पश्चिम में उन लोगों ने, विशेष एलर्जीनिक, संक्रामक या विषाक्त एजेंटों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपना ध्यान केंद्रित किया है। वे व्यापक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं जो मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभावों को भी कवर करते हैं। कुछ शोधकर्ता इस बात से सहमत हैं कि मानव स्वास्थ्य का अध्ययन करते समय अध्ययन किए जा रहे लोगों के पर्यावरण के प्रभाव को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। यह प्रभाव इस तथ्य में देखा जा सकता है कि भूगोल के अनुसार स्वास्थ्य असमानताएं मौजूद हैं। वास्तव में, स्वास्थ्य सामाजिक और भौतिक वातावरण से प्रभावित होता है। अतिरिक्त शोध से यह भी पता चला है कि लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और हरित स्थानों के प्रसार के बीच सीधा संबंध है; हरे रंग की जगह के लिए अधिक निकटता, बेहतर मानसिक स्वास्थ्य। पर्यावरणीय प्रभाव में सामाजिक-आर्थिक अंतर:पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, यह रिश्ता अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से काम करता है। दूसरे शब्दों में, इस बात पर निर्भर करता है कि आप दुनिया में कहां हैं, तत्काल स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं और उन चिंताओं को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक विविध हो सकते हैं। विकासशील देशों में शिशु मृत्यु दर, कुपोषण और संक्रामक रोगों जैसे मुद्दों पर अधिक ध्यान दिया जाता है। इन देशों में तात्कालिक पर्यावरण संबंधी चिंताएँ स्वच्छता, स्वच्छता, खनन, अयस्क प्रसंस्करण, तेल उत्पादन और जल की गुणवत्ता हैं। हालांकि, जब कोई विकसित राष्ट्रों को देखता है, तो स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं कैंसर, फेफड़े की बीमारी और हृदय रोग जैसे मुद्दों पर घूमती हैं। इन देशों में उद्योगों के आसपास अर्थव्यवस्थाएं बनी हैं और वे उद्योग अपने खतरनाक कचरे को जिम्मेदारी से नहीं हटाते हैं, जिससे आसपास के जल निकायों और मिट्टी को दूषित होता है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, यह कोई आश्चर्य नहीं है कि उन रोगों के पीछे के कारणों की तुलना में बीमारियों पर अधिक जोर दिया जाता है। कारण अलग-अलग होते हैं; बीमारियां जरूरी नहीं हो सकती हैं। विश्व भर में स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय प्रभाव के उदाहरण:दुर्भाग्य से, दुनिया का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं है जो पर्यावरणीय क्षति से मुक्त हो, यहां तक कि ध्रुवीय क्षेत्र भी नहीं। यदि कोई देख रहा है, तो एक लगभग हमेशा उन पर्यावरण संबंधी मुद्दों से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का पता लगाएगा। यह मदद नहीं करता है कि चीन और भारत जैसे देश बहुत तेज़ी से विकसित हो रहे हैं। उनकी गति ऐसी है कि पर्यावरण संबंधी चिंताएँ विकास को बनाए रखने में सक्षम नहीं हैं। मानव अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि अपवाह और सिर्फ सादे पुराने डंपिंग दोनों देशों में पारिस्थितिकी के साथ कहर खेल रहे हैं। फिर पूर्वी यूरोपीय देश हैं, जिनमें से कई पूर्व सोवियत संघ के राज्य हैं। पिछले दशकों में, भारी धातु और नाइट्रेट जैसे खतरनाक कचरे को बिना किसी योजना या एहतियात के फेंक दिया गया था। परिणाम भूजल और सतही जल बुरी तरह से दूषित है, न कि मिट्टी की निचली गुणवत्ता का उल्लेख करने के लिए। अंत में कुछ कार्रवाई की जा रही है जहां ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जा रही है और ऐसे स्थानों में मिट्टी और सतह के पानी को फिर से बनाने, पुनः प्राप्त करने और पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया गया है; हाल्नाकी इस कदम को उठाने में बहुत देर लगाई गयी है लेकिन अभी भी बहुत देर नहीं हुई है और हमारे वातावरण को बचाया जा सकता है। यदि कोई वास्तव में जानना चाहता है कि स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय प्रभाव कैसा दिखता है, तो उन्हें हमें बुलबुले से बाहर निकलना होगा और पूरे पर्यावरण पर ध्यान देना होगा नाकि बीएस घर के आसपास के वातावरण को। उन्हें एक व्यक्ति के साथ-साथ एक पर्यावरणीय दृष्टिकोण से स्वास्थ्य विकारों का अध्ययन करना चाहिए। [ratemypost] इस लेख से सम्बंधित अपने सवाल और विचार आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं। विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं. 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Required fields are marked * Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. जर्मनी अफ्रीका में महामारी को रोकने के लिए 100,000 एमपॉक्स वैक्सीन खुराक दान करेगाLandslide in kerala: वायनाड भूस्खलन- प्राकृतिक हादसा या मानव जनित, paris olympic 2024: “जलवायु आपातकाल” के बीच ऐतिहासिक आयोजन, 25 जुलाई को मनाया जायेगा संविधान हत्या दिवस – अमित शाह. पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in HindiEssay on Environment in Hindi पर्यावरण, पर हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है। पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है। इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें। और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं – पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindiपर्यावरण, जिससे चारों तरफ से संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं। पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है। एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए। “ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ” पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है। वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है। लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है। वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए। आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले। वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा। पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandhप्रस्तावना पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है। हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के महत्व को समझना चाहिए। पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaningपर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण का महत्व – Importance of Environmentपर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है। वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है। मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है। इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए। पर्यावरण और जीवन – Environment And Lifeपर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है। इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं। पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है। पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। उपसंहार पर्यावरण के प्रति हम सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं। पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है। पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandhपर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए। पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है। एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है। उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay- उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
- पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
- पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
- वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
- दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
- लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।
विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Dayलोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है। पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए। - Slogans on pollution
- Slogan on environment
- Essay in Hindi
I hope these ” Essay on Environment in Hindi” will like you. If you like these “Paryavaran Par Nibandh” then please like our Facebook page & share on Whatsapp. 15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay. Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee…….. I love this essay… Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per Leave a Comment Cancel ReplyYour email address will not be published. Required fields are marked * Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Gyan ki anmol dhara Grow with confidence...- Computer Courses
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10 lines on Cleanliness in Hindi LanguageIn this article, we are providing 10 Lines on Cleanliness in Hindi. In these few / some lines on Cleanliness, you will get information about Cleanliness ( Hindi ) for students and kids. हिंदी में स्वच्छता पर 10 लाइनें, Short 10 lines essay on Cleanliness, Safai ke upar 10 lines. Read Also- Essay on Cleanliness in School in Hindi 1. स्वच्छता का अर्थ होता है अपने घरों ओर आस पास साफ-सफाई रखना । 2. स्वच्छ और सुंदर भारत का सपना महात्मा गांधी जी ने देखा था । 3. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी जी ने “स्वच्छ भारत अभियान” कि शुरुआत करके महात्मा गांधी जी का स्वच्छ भारत का सपना पूरा किया है । 4. स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत “महात्मा गांधी जयंती” के दिन 2 अक्टूबर, 2014 को की गई थी । 5. स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा स्वच्छ राज्य छत्तीसगढ़ था । 6. स्वच्छता एक बहुत अच्छी आदत है, जो हर किसी में होनी चाहिए । 7. “स्वच्छता ही सेवा” है यह स्लोगन गांधी जी ने स्वच्छता का महत्व समझाते हुए दिया था । 8. पूरे विश्व के अंदर स्वच्छता के मामले पहले स्थान पर आयरलैंड आता है और इस सूची के अंदर भारत 98वे स्थान पे है। 9. भारत को विश्व स्तर पर स्वच्छता के प्रति जागरुक देशों में शामिल किया गया है। 10. स्वच्छता को इसलिए इतना महत्व दिया जाता है क्योंकि स्वच्छता से ही बीमारियों से बचा जा सकता है । 10 Lines on Swachh Bharat Abhiyan in Hindi Swachh Bharat Abhiyan Slogans in Hindi- स्वच्छ भारत अभियान पर नारे ध्यान दें – प्रिय दर्शकों lines on Cleanliness in Hindi (article) आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे । Leave a Comment Cancel ReplyYour email address will not be published. Required fields are marked * - गर्भधारण की योजना व तैयारी
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ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (Essay On Noise Pollution In Hindi)In this Article ध्वनि प्रदूषण पर 10 लाइन (10 Lines On Noise Pollution In Hindi)ध्वनि प्रदूषण पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on noise pollution in hindi 200-300 words), ध्वनि प्रदूषण पर निबंध 400-500 शब्दों में (essay on noise pollution in 400-500 words), ध्वनि प्रदूषण के बारे में रोचक तथ्य (interesting facts about noise pollution in hindi), ध्वनि प्रदूषण के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from a noise pollution essay), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (faqs). दुनिया जितनी तेजी से विभिन्न क्षेत्रों में विकास कर रही है उतना ही ज्यादा प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है। जो कहीं न कहीं हमारे जीवन को आसान बनाने के साथ ही हमें नुकसान पहुंचा रहा है। हम जिस समस्या की बात कर रहे हैं वह है ध्वनि प्रदूषण। इस लेख में ध्वनि प्रदूषण पर निबंध के अलग-अलग सैंपल दिए गए हैं जिसमें पर्यावरण पर इसका किस प्रकार प्रभाव पड़ रहा है बताया गया है। हम जब एक दूसरे से बातचीत करते हैं तो ध्वनि उत्पन्न होती है और बाद में ये ध्वनि कानों से टकराकर आवाज का रूप लेती है। लेकिन जब ध्वनि सीमा से अधिक तेज हो जाती है तो यह हमारे कानों, दिल और किसी अस्वस्थ व्यक्ति को किस हद तक नुकसान पहुंचा सकती है यह सब निबंध में दिया गया है। वाहनों का शोर, ब्लास्ट, स्पीकर की तेज आवाज आदि ध्वनियां मानव जाति को हानि पहुंचा रही हैं और ध्वनि प्रदूषण का बड़ा कारण बनती हैं। किसी भी वस्तु, वाहन और सामान की ध्वनि जो हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है, उस ध्वनि को शोर कहा जाता है और यह ध्वनि प्रदूषण का कारक है। शोर वह आवाज है जो किसी को भी पसंद नहीं आती, फिर चाहे वो ट्रेन की आवाज हो, गाड़ियों का हॉर्न या लाउडस्पीकर पर बजने वाले गाने। अगर आवाज कानों में चुभ रही है, तो यह शोर ही कहलाती है। ध्वनि प्रदूषण की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिसके लिए केवल सरकार को ही नहीं बल्कि हम सबको उच्च कदम उठाने की जरूरत है। अगर बच्चे को कम शब्दों में ध्वनि प्रदूषण पर निबंध या अनुच्छेद लिखना है तो नीचे ध्वनि प्रदूषण के बारे में दी गई 10 लाइन के निबंध का यह नमूना उसके काम आ सकता है। - जो शोर कानों को सहन न हो सके उससे ध्वनि प्रदूषण होता है।
- ध्वनि प्रदूषण इंसानों द्वारा निर्मित प्रदूषण है।
- ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहर में ध्वनि प्रदूषण अधिक होता है।
- जब ध्वनि की तीव्रता 65 डेसीबल से अधिक हो, तो उसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है।
- ध्वनि प्रदूषण के कुछ मुख्य स्रोत में वाहन, निर्माण कार्य में लगने वाली मशीनें, औद्योगिक उपकरण, घरेलू उपकरण आदि हैं।
- लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित इंसानों और यहां तक कि जानवरों के सुनने की क्षमता प्रभावित हो जाती है।
- ध्वनि प्रदूषण की वजह से चिड़चिड़ापन, तनाव, हृदय रोग, अनिद्रा, मस्तिष्क में खून का रिसाव आदि समस्याएं हो सकती हैं।
- ध्वनि प्रदूषण से जानवरों में आक्रामकता बढ़ती है और यह पक्षियों, व्हेल, डॉल्फिन, चमगादड़ आदि के लिए भी घातक है।
- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) के अनुसार ध्वनि प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है।
- तेज आवाज वाली मशीनों का कम से कम उपयोग, नियंत्रित लाउडस्पीकर, हॉर्न के इस्तेमाल को कम करने आदि उपायों से ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
ध्वनि प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही और यह व्यक्ति को मानसिक व शारीरिक रूप दोनों से प्रभावित कर रही है। यदि आप बच्चे के लिए ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे पर एक अच्छा निबंध चाहते हैं, या शार्ट पैराग्राफ चाहते हैं तो हिंदी में दिए गए इस सैंपल निबंध को पढ़ें। रोजमर्रा की जिंदगी में हम कई आवाजें सुनते हैं और हमें इन आवाजों का सामना हर दिन करना पड़ता है, लेकिन जब यह आवाजें असहनीय हो जाएं और कानों को चुभने लगें तो ये शोर का रूप ले लेती हैं। यही शोर ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है। ध्वनि प्रदूषण ज्यादातर इंसानों के द्वारा ही निर्मित किया गया है जैसे गाड़ियों के हॉर्न, लाउडस्पीकर, फैक्ट्री की मशीनों का शोर आदि। अगर कोई आवाज आपके कानों तक पहुंच रही है लेकिन उसकी तीव्रता 65 डेसीबल से कम है तो वह आवाज सामान्य तरह आप झेल सकते हैं लेकिन वो अगर 65 डेसीबल के ऊपर गयी तो खतरनाक साबित हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार 65 डेसीबल (डीबी) से ऊपर के शोर को ध्वनि प्रदूषण माना जाता है, वहीं 75 डीबी पर शोर हानिकारक और 120 डीबी पर दर्दनाक हो जाता है। इस प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। सुनने शक्ति कम हो जाती है और कभी-कभी कुछ लोग पूरी तरह बहरे हो जाते हैं। इससे दिल पर भी बुरा असर पड़ता है और वे मानसिक रूप से अस्थिर होने लगते हैं। ध्वनि प्रदूषण सिर्फ मनुष्यों को ही बल्कि सभी जीवों पर प्रभाव डालता है। इस प्रदूषण को बढ़ाने के बहुत से कारण हैं जिनमें से सबसे अधिक वाहन, घरों-सड़कों आदि का निर्माण, लाउडस्पीकर, कॉन्सर्ट आदि शामिल हैं। जो लोग शोर के करीब लगातार रहते हैं, उनके स्वास्थ्य पर अधिक प्रभाव पड़ता है जैसे हवाई अड्डे या रेलवे स्टेशन के करीब रहना। ध्वनि प्रदूषण की समस्या हर दिन बढ़ती जा रही है और सरकार भी इसको कम करने के उपाय अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रही है। हमें भी इस समस्या को कम करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए और तेज आवाज वाली वस्तुएं उपयोग करने से बचना चाहिए। अगर आपका बच्चा भी निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाहता है और उसमें उसे देश की गंभीर समस्या ध्वनि प्रदूषण के बारे में निबंध लिखने को दिया गया है, तो वह हमारे द्वारा लिखे गए लंबे निबंध के नमूने की मदद से खुद एक बेहतरीन निबंध लिख सकता है। आइए ध्वनि प्रदूषण पर दिए गए हिंदी निबंध को पढ़ते हैं। ध्वनि प्रदूषण क्या है? (What Is Noise Pollution?)विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार जो भी आवाज 65 डेसीबल से ऊपर होती है वह शोर के अंतर्गत आती है और इसी से ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। यह प्रदूषण न सिर्फ इंसानों के जीवन को प्रभावित करता है बल्कि जानवरों को भी नुकसान पहुंचाता है। यदि शोर 75 डीबी से ज्यादा होता है तो वह बेहद खतरनाक रूप ले लेता है, जिससे हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। आम जीवन में हर कोई कई शोर और तेज आवाजों को सुनता है लेकिन ऐसे में इसके कारण उत्पन्न होने वाले खतरे को पहचान पाना बहुत मुश्किल है। अनचाहा शोर मनुष्य को चिड़चिड़ा बना सकता है और मानसिक रूप से काफी प्रभावित करता है। इसलिए जितना हो सके इसको रोकने का उपाय जरूर अपनाना चाहिए ताकि आप अपनी सुनने की क्षमता को न खोएं और साथ ही इसका दुष्परिणाम आपके स्वास्थ पर न पड़े। ध्वनि प्रदूषण के कारण (Reasons Of Noise Pollution)ध्वनि प्रदूषण बढ़ने के वैसे तो बहुत से कारण हैं, लेकिन कुछ प्रमुख कारण ये रहे – - सडकों पर वाहन चलाते समय बेवजह हॉर्न बजाना ध्वनि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है।
- शादियों और त्योहारों में तेज आवाज में बजने वाले गाने, रॉक संगीत के कॉन्सर्ट इसका कारण बनते हैं।
- लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले लाउडस्पीकर से भी यह प्रदूषण बढ़ता है।
- कारखानों में ऐसी मशीनों का प्रयोग होता है जो काफी तेज आवाज करती हैं।
- बादल गरजना, सुनामी, चक्रवात, तूफान आदि ध्वनि प्रदूषण का प्राकृतिक रूप हैं।
- चुनाव के दौरान निकाली जाने वाली रैलियों में काफी शोर होता है।
ध्वनि प्रदूषण के बुरे परिणाम (Consequences Of Noise Pollution)ध्वनि प्रदूषण के बुरे परिणाम निम्नलिखित हैं – - तेज ध्वनि के कारण इंसान बहरा हो सकता है।
- अधिक शोर में रहने की वजह से मानसिक समस्या बढ़ जाती है और सिरदर्द भी काफी होता है।
- यह प्रदूषण न सिर्फ इंसानों पर प्रभाव डालता है बल्कि पक्षी व अन्य जीव भी इससे प्रभावित होते हैं।
- लगातार शोर वाले वातावरण में रहने से तनाव और उच्च रक्तचाप हो सकता है।
- ध्वनि प्रदूषण हमें कई तरह की कान की बीमारियों से घेर देता है।
- इस प्रदूषण के कारण लोग अधिक चिड़चिड़े हो जाते हैं और उनमें सहन करने की क्षमता कम होने लगती है।
- इसके कारण माइग्रेशन, दिल का दौरा और अनिद्रा जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।
ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय (Ways To Prevent Noise Pollution)देश में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए जरूरी उपाय अपनाने चाहिए क्योंकि इससे मानव जाति स्वस्थ रहेगी। यह रहे वे उपाय जिनसे जिनसे ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है। - सड़क पर गाड़ियां चलाते समय बिना वजह के हॉर्न नहीं बजाना चाहिए।
- जितना हो सके लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कम से कम करें।
- शादी और पार्टियों में गाने बजाने का समय सीमित कर दें।
- कारखानों को शहरों के रिहायशी इलाके से दूर स्थापित करें।
- जितना हो सके शोर-शराबे वाली जगहों से दूर रहना चाहिए।
- अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाएं क्योंकि पेड़ शोर को अवशोषित करते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद दुनिया का दूसरा सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषित शहर है, जहां शोर का स्तर 114 डीबी है।
- हियरिंग हेल्थ फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक बहरा होना विश्व स्तर पर दूसरी सबसे आम स्वास्थ्य समस्या है।
- ध्वनि प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है।
- 50% शिक्षकों ने कक्षा के शोर दौरान बात करने से अपनी आवाज को हानि पहुंचाई है।
- सुनने की क्षमता खोने वाले यदि बचाव रखें और शोर के संपर्क में न रहें, तो वे पूरी तरह से सही हो सकते हैं।
ध्वनि प्रदूषण काफी संजीदा समस्या है जो दुनिया भर में तेजी से बढ़ती जा रही है, इसलिए इस निबंध की मदद से आपके बच्चे को इस समस्या के बारे में ज्ञात होगा और वो इसकी गंभीरता समझेगा। इतना ही नहीं वो आगे लोगों को भी इसे कम करने लिए प्रेरित कर सकता है। सिर्फ यही नहीं विद्यालय में ध्वनि प्रदूषण पर पूछे गए सवालों का भी सही जवाब देने में सक्षम हो सकता है। 1. भारत में पहली बार ध्वनि प्रदूषण नियम कब पारित किया गया था?भारत में ध्वनि प्रदूषण नियम पहली बार 14 फरवरी 2000 को पारित किया गया था। 2. ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए सड़क के किनारे उगाए जाने वाले पौधों को क्या नाम दिया गया है?ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए सड़कों के किनारे लगाए जाने वाले हरे पौधे ग्रीन मफलर कहलाते हैं। 3. शोर को किस इकाई में मापा जाता है?शोर मापने की इकाई डेसीबल है। यह भी पढ़ें: प्रदूषण पर निबंध जल प्रदूषण पर निबंध RELATED ARTICLES MORE FROM AUTHORबैडमिंटन पर निबंध (essay on badminton in hindi), मेरी रुचि पर निबंध (essay on my hobby in hindi), पुस्तक पर निबंध (essay on book in hindi), बेटी दिवस पर कविता (poem on daughter’s day in hindi), गणेश चतुर्थी पर निबंध (ganesh chaturthi essay in hindi), शिक्षक दिवस 2024 पर कविता, popular posts. - Cookie & Privacy Policy
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जल ही जीवन है (निबंध) | Essay on ‘Water is Life’ in Hindiजल ही जीवन है (निबंध) | Essay on ‘Water is Life’ in Hindi! क्षिति, जल, पावक, गगन और समीर ये पाँच तत्व हमारे धर्मग्रंथों में मालिक कहे गए हैं तथा हमारी शारीरिक रचना में इनकी समान रूप सै भूमिका होती है । इनमें वायु और जल ये दो ऐसे तत्व हैं जिनके बिना हमारे जीवन की कल्पना एक क्षण भी नहीं की जा सकती । जीवों को जिस वस्तु की जरूरत जिस अनुपात में है, प्रकृति में वे तत्व उसी अनुपात में मौजूद हैं । पर आज जल और वायु दोनों पर संकट के काले बादल आच्छादित हैं तो समझना चाहिए कहीं न कहीं हमने मूलभूत भूलें की हैं । जल एक तरल पदार्थ है जो अपने ठोस और गैस रूप में भी मौजूद है । अवस्था परिवर्तन करने का जल का यह स्वभाव उसके उपयोग के आयामों को विस्तृत कर देता है । जल यदि बरफ बनकर न रह पाता तो गंगा जैसी सदानीरा नदियाँ न होतीं और जल यदि गैस बनकर वाष्पित न हो पाता तो धरती पर वर्षा होने की संभावना न बचती । ADVERTISEMENTS: ओस के कणों की तुलना कवि व शायर न जाने किन-किन रूपों में करते हैं, उनके काव्य जगत् का यह हिस्सा रीता ही रह जाता । लेकिन मानव का यह गुणधर्म है कि जिस वस्तु को वह व्यवहार में लाता है, उसे दूषित कर ही देता है । यही कारण है कि आज नदी जल भूमिगत जल कुएँ-बावड़ी का जल, समुद्र का जल और यहाँ तक कि वर्षा का जल भी कम या अधिक अनुपात में दूषित हो चुका है । जल प्रदूषण पर गोष्ठियाँ तथा सेमीनार हुए जा रहे हैं परंतु इस विश्वव्यापी समस्या का कोई ठोस हल अभी तक सामने नहीं आ पाया है । हाल में यह प्रयास भी हो रहा है कि इस नैसर्गिक सपदा का पेटेट करा लिया जाए । अर्थात् किसी खास नदी या बाँध के जल पर किसी खास बहुराष्ट्रीय कंपनी का अधिकार हो और वे इस जल को बोतलों में बंद कर बाजार में मिनरल वाटर के नाम से बेच सकें । सुनने में आया है कि सरकार भी इस पर राजी थी मगर पर्यावरणविदों ने बखेड़ा खड़ा कर दिया तो उसने चुप्पी साध ली । पर जिस तरह से प्रत्येक वस्तु पर बाजारवाद हावी हो रहा है उसे देखकर कहा नहीं जा सकता कि कब तक नदियाँ तथा अन्य जलाशय उक्त कंपनियों के चंगुल से बचे रह सकेंगे । सरकारें भी अपने बढ़ते खर्च की भरपाई के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही हैं । जल के अनेक उपयोगों में सबसे महत्वपूर्ण है पेयजल । घरेलू उपयोग का जल भी पेयजल जैसी शुद्धता का होना आवश्यक माना गया है । मगर पेयजल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता हमारे देश में दिनोंदिन घटती जा रही है । जल के भूमिगत स्त्रोतों के स्तर में ट्यूबवेलों की बढ़ती संख्या तथा जल संग्रहण की ठीक प्रणाली न होने के कारण स्थाई गिरावट दर्ज की गई है । पहले लोग नदियों का जल बेधड़क पी लिया करते थे परंतु आज स्थितियाँ पूरी तरह बदल गई हैं । शहर के निकट की नदी या झील में उस शहर का सारा गंदा पानी बेहिचक उड़ेल दिया जाता है जिससे प्रदूषण के साथ-साथ झीलों और सरोवरों के छिछलेपन की समस्या भी उत्पन्न हो गई है । जल प्रदूषण के कारण जल के विभिन्न भंडारों के जलजीवों का जीवित रह पाना भी कठिन होता जा रहा है । गरीब और जनसंख्या बहुल देशों में तो जल की समस्या और भी जटिल रूप में है । ये देश जल का उपयोग तो बढ़ा रहे हैं लेकिन जल संचय और इसके रखरखाव में जो धन चाहिए वह इनके पास नहीं है । हमारे देश के जलसंकट को दूर करने के लिए दूरगामी समाधान के रूप में विभिन्न बड़ी नदियों को आपस में जोड़ने की बातें कही गई हैं । इसका बहुत लाभ मिलेगा क्योंकि नदियों का जल जो बहकर सागर जल में विलीन हो जाता है, तब हम उसका भरपूर उपयोग कर सकते है । इस प्रणाली से निरंतर जलसंकट झेल रहे क्षेत्रों के लोग पर्याप्त मात्रा में जल प्राप्त कर सकते हैं । जिस तरह इंदिरा गाँधी नहर बन जाने से राजस्थान की अतृप्त भूमि की प्यास बुझ सकी, ऐसे ही अन्य प्रयासों से देश भर में खुशहाली और हरियाली लाई जा सकती है । अन्यथा कावेरी नदी के जल के बँटवारे को लेकर जिस प्रकार का अंतहीन विवाद दक्षिण भारत के दो राज्यों के मध्य है, उसी तरह अन्य स्थानों पर भी जल को लेकर घमासान मच सकता है । जलसंकट से जुड़ा एक पहलू यह भी है कि जब पहाड़ों पर हरियाली घटती है तो वहाँ बरफ के जमाव तथा वहाँ की नमी में कमी आ जाती है । इसी तरह मैदानों और पठारों पर जब वनस्पतियाँ घटने लगती हैं तो यहाँ औसत वर्षा की मात्रा में क्रमिक रूप से ह्रास होने लगता है । इसका सीधा असर भूमिगत जल के स्तर पर पड़ता है क्यौंकि जहाँ वर्षा कम होगी, तालाबों, गड्ढों और झीलों में जल जमाव कम होगा, वहाँ भूमिगत जल का स्तर भी घटेगा । इस तरह देखें तो पर्यावरण का एक पहलू उसके दूसरे पहलू से जुड़ा हुआ है । ज्यों-ज्यों मानव पर्यावरण की उपेक्षा करेगा त्यों-त्यों उसे जलसंकट, वायुसंकट जैसे कई संकटों का सामना करना पड़ेगा । कहा जाता है की जल की बूँद-बूँद कीमती है । यदि ऐसा है तो इसकी बूँद-बूँद को रक्षा का प्रयन्त करना चाहिए । नलों को आधे-अधूरे तरीके से बंद करना, सार्वजनिक नलों को टूटी-फूटी दशा में छोड़ देना आदि कुछ ऐसे कार्य हैं जिनसे जल की खूब बर्बादी होती है । कुएँ, हाथपंप आदि के चारों ओर के स्थानों को गंदा रखने से भी जल प्रदूषित होता है । इस स्थिति में उपयोग में लाया गया गंदा जल इन भंडारों के स्वच्छ जल को भी गदा कर देता है । चूँकि पेयजल की मात्रा धरती पर सीमित है अत: इसका दुरुपयोग कुछ लोगों के लिए भले ही हितकर हो, आम लोगों को भारी खामियाजा उठाना पड़ता है । Related Articles: - महानगरीय जीवन पर निबंध | Essay on Metropolitan Life in Hindi
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जीवन पर निबंध (Life Essay in Hindi)एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र जीवन के लिए बहुत आवश्यक होता है। जहां कही भी जीवन हो, वहां एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता होती है, जो जीवन के विकास के अनुकुल हो। नीचे दिए गए निबंध में जीवन के विभिन्न पहलुओं को हम अलग-अलग दृष्टिकोण से देखने की कोशिश करेंगे। जीवन पर छोटे और बड़े निबंध (Short and Long Essays on Life in Hindi, Jivan par Nibandh Hindi mein)निबंध 1 (250 शब्द) – जीवन की सुंदरता और उसके महत्व. कुछ चीजें जो बढ़ सकती है और कई गुना तक बदलाव होता है, उसे जीवन माना जाता है। हम जीवन की कई किस्मों से घिरे हुए है, लेकिन उनमें से मानव जीवन इन सबमें प्रमुख और सबसे अधिक गुणों वाला है। इस ग्रह पर मनुष्य में अन्य जीवन को प्रभावित करने की शक्ति है। जीवन की सु ंद रता क्या है ? जीवन की सुंदरताका असली महत्व यह है कि यह दूसरों के लिए कितना मूल्य रखती है। दूसरों की मदद करने में बिताया गया जीवन, एकांत में बिताए गए जीवन से काफी अधिक मूल्यवान होता है। जीवन की सच्ची सुंदरताका महत्व इस बात पर निहित होता है कि वह दूसरों की देखभाल और मदद के लिए किस प्रकार खर्च किया जाता है। प्रेम का बिखराव जीवन में दूसरों के लिए जितना अधिक होगा वह उतना ही अधिक सुंदर होगा। जीवन एक उस खड़े पेड़ की तरह है, जो प्रकृति के तत्वों पर, पंक्षियों और राहगीरों का सामना करता है और यह एक अकेले रह रहे आदमी की अपेक्षा अधिक सुंदरहोता है, जो अपने आस-पास के लोगों के लिए अपनी आंखे बंद किया रहता है। जीवन महत्वपूर्ण क्यों है ? हर एक जीवन महत्वपूर्ण है और यह आपस में एक दूसरे से जुड़े होते है। प्रत्येक प्रजाति, चाहे वो मनुष्य हो, पशु हो या पक्षी इस दुनिया में अपने उद्देश्य की पूर्ति करते है और सभी एक दूसरे को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से प्रभावित करते है। भले ही वो चाहे एक छोटी प्रजाति की हो और इस ग्रह से लुप्त हो जाती है लेकिन यह दूसरे जीवों को भी प्रभावित करती है। यदि हिरण लुप्त हो गया तो बाघ बचा रहेगा, और एक ऐसी श्रृखला की शुरुआत होगी जो एक दिन इस ग्रह को बेजान कर देगा और सारा ग्रह बदल जाएगा। इसलिए हम सभी के जीवन के लिए यही हित में है कि हम सभी जीवन प्रजाती के रूपों को महत्व दें और ग्रह के प्रत्येक जीवों को भी बराबर महत्व दें और उसकी रक्षा करें। निबंध 2 (400 शब्द) – जीवन एक सुंदर तोहफा और यात्रा हैजीवन की दार्शनिक परिभाषा अपनी जैविक परिभाषा से व्यापक रुप में भिन्न है। जीव विज्ञान जीवन के भौतिक पहलुओं को ही मानता है, जबकि दर्शन उन गुणों को मानता है जो जीवन को दूसरों के लिए योग्य बनाता है। इस निबंध में हम जीवन को समझने की कोशिश करेंगे, और जैविक और दार्शनिक दोनों बिन्दुओं से इसे देखने की कोशिश करेंगे। जीवन एक सु ंद र उपहार है हम में से अधिकांश लोगों का मत है कि जीवन एक सुंदरउपहार है। जीवन को एक सुंदरउपहार के रुप में देखा जाता है क्योंकि इसके कारण दूसरों के लिए इसका मूल्य होता है। इस ग्रह का प्रत्येक जीवन एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए होता है। पेड़, पशु, पक्षि, मनुष्य, कीड़े, सभी अपने-अपने तरीके से ग्रह और अन्य जीवन के विकास में योगदान करते है। इसके अलावा, मानव जीवन एक बहुत बड़ा उपहार है क्योकि यह मौजूदा जीवन रूपों में सबसे शक्तिशाली है। मनुष्य के पास सपने देखने, काम करने और लक्ष्य हासिल करने जैसी असाधारण क्षमता होती है, और इस ग्रह पर इस तरह की कोई अन्य प्रजाति नहीं है। इसके अलावा मनुष्य अच्छे और बुरे दोनों कारणों से ग्रह के प्रत्येक जीवन को प्रभावित करता है। मानव जीवन एक उपहार है क्योंकि यह अन्य कमजोरों और कमजोर जीवन को बचाने के लिए और उसका संरक्षण करने के लिए होता है। यह दार्शनिक जीवन की सौहार्द या सुंदरता थी। अब जीवन की भौतिक सुंदरता पर ध्यान देते है। मनुष्यों को असाधारण रुप से निपुण अंगों और कुशल मस्तिष्क के साथ बनाया गया है, जिससे उन्हें दूसरों से श्रेष्ट माना जाता है। इन शक्तियों कि वास्तविक सुंदरता जीवन के सभी अच्छे कारणों से कितने जीवन को प्रभावित करता है यह उसपर निर्भर करता है। जीवन एक सफर है जीवन की पूर्वावश्यकताओं में से एक है जीवन का विकास। जहां जीवन है वहां विकास है। जैसे विकास की अवस्थाएं होती है वैसे ही जीवन की यात्रा चलती है। आइए हम मानव जीवन के उदाहरण पर विचार करें। जब बच्चा पैदा होता है, तो वह छोटा होता है और उनका शारीरिक और मानसिक रुप से विकास नहीं हुआ होता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है वैसे ही बच्चा बढ़ता रहता है। इसी तरह अन्य सभी प्रजातियों के साथ भी होता है। समय के साथ-साथ जीवन बढ़ता है और अधिक प्रमुख हो जाता है। प्रत्येक वर्ष बीतने के साथ ही बच्चे समझदार और बड़े होते जाते है, और वो जल्दी ही एक स्मार्ट युवा हो जाते है। अन्य जीवन रूपों के साथ भी ऐसा ही होता है। यहां बहुत सारी नई चीजे है, और सभी अनुभव बढ़ने के साथ-साथ ही सीखते है। इसलिए यह कहना गलत नही होगा कि जीवन विकास और अनुभवों की यात्रा है और सभी को समझदार और मूल्यवान बनाने के लिए है। यह हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि जीवन एक बहुत मूल्यवान उपहार है, लेकिन यह केवल मानव जीवन ही नहीं है, यहां तक की सबसे कमजोर प्रजातियों का जीवन भी बहुत मूल्यवान होता है, जैसे कि ऋषियों में से एक बुद्धिमान ऋषि का जीवन होता है। निबंध 3 (600 शब्द) – जीवन का सच्चा मूल्यजो कुछ भी स्वयं से बढ़ता है और उसका स्वयं का मेटाबोलिज्म (चय-पचय) होता है, उसे जीवित या जीवन के रुप में माना जाता है। मनुष्य, जानवर, कीड़े, सुक्ष्म जीव, पौधे ये सभी जीवित है या इनमें जीवन होता है। ग्रह पर बहुतायत मात्रा में जीवन उपलब्ध है, लेकिन इनकी गुणवत्ता क्या मायने रखती है? जीवन की गुणवत्ता, विशेषता विभिन्न इंद्रियों द्वारा पहचाना जाता है, इसके बारे में हम इस निबंध में चर्चा करेगें। जीवन का सच्चा मूल्य हम अपने चारों ओर विभिन्न प्रकार के जीवन से घिरे हुए है। पौधों, जानवरों, कीड़ों, पक्षियों, उभयचरों आदि सहित अन्य अरबों प्रजातियां इस ग्रह पर है, प्रत्येक और हर एक का जीवन, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, सबका एक महत्वपूर्ण स्थान है, इनका अपना ही एक मूल्य है और ये इस पारिस्थितिकी तंत्र में अपने तरीके से अपना योगदान देते है। लेकिन कुछ अलग मूल्यों और गुणों के कारण मानव जीवन को दूसरों की तुलना में अधिक मूल्यवान माना जाता है, जो अस्तित्व में एक दूसरे के मूल्यों से जोड़ता है। मानव अस्तित्व के सही और सच्चे मूल्यों को समझने के लिए, सिर्फ खाने और काम करने का अलावा हमें जीवन को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है। जीवन का सच्चा अर्थ है कि दूसरों की रक्षा करें और उसकी हमेशा मदद करें। सौभाग्य से मनुष्यों को असाधारण बुद्धि और दिमाग के साथ निपुणता के उपहार एक साथ दिया गया है, और ऐसा कोई अन्य प्राणी इस ग्रह पर नहीं है। केवल मनुष्य ही आवश्यकता के समय के साथ एक दूसरे की सहायता कर सकता है, और साथ ही साथ अन्य जीवित प्राणीयों की आवश्यकता पड़ने पर मदद करने की क्षमता रखता है। मानव जीवन का यही सबसे बड़ा मूल्य है, जो मनुष्य धारण किए हुए है। दूसरे शब्दों में कहें तो जीवन का सच्चा मूल्य दूसरों के लिए कितने मदद का मूल्य अपने अंदर रखता है। एक ऐसे पेड़ के उदाहरण पर चर्चा करते है जो दशकों से सूरज और बारिश से अपनी टहनियां को दूर रखता आ रहा है। उस पेड़ का जीवन निश्चित रुप में काफी मूल्यवान है। इसी प्रकार पेड़ की तरह अपने जीवन के मूल्यक को प्राप्त करना चाहते है तो हमेशा दूसरों की सेवा, प्यार और देखभाल करने में अपने जीवन को खर्च करे। जीवन में मूल्यों को कैसे जोड़े ? अब जब हमने जीवन के सही मूल्यों के बारे में जान लिया है कि इसका सही मूल्य क्या है, तो अब हम उनके परिवर्तनों के बारे में चर्चा करेगें जिससे की हम अपने जीवन को अधिक मूल्यवान बनाने के लिए उन्हें अपना सकें। जीवन में मूल्यों को जोड़ना सबकुछ नही है, बल्कि अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन करना है। आपको बस दूसरों को देखने और अपने देखने के तरीकों में बदलाव करना पड़ेगा। नीचे कुछ बदलाव के बारे में चर्चा की है जिन्हें आप अपने जीवन के मूल्यों में जोड़ने के लिए अपना सकते है। आप खुद को केवल अपने तक ही सीमित न रखें, बल्कि दूसरों तक भी पहुंचे या दूसरों के संम्पर्क में भी रहे। उनसे जुड़कर आप उनकी समस्याओं, आकांक्षाओं इत्यादि के बारे में जानें। अपने पड़ोसियों से बात करे और उन्हें सामाजिक बनायें। जितना अधिक आप समाजिकरण करेगें आपके मूल्यों में उतनी ही वृद्धि होती रहेगी। अपने जीवन को और अधिक मूल्यवान बनाने के लिए एक और तरीका है कि आप दूसरों को अधिक सम्मान दे – चाहे वह छोटा हो या बड़ा, अमीर हो या गरीब, बलवान हो या कमजोर सभी को सम्मान दें। यदि आप दूसरे सभी के साथ सम्मान का व्यवहार करेंगे तो आप न केवल अपने जीवन को सम्मान के लायक बनाएंगे बल्कि आप दूसरों के सम्मान को भी अर्जित कर सकेंगे। आपको हमेशा दूसरों की पीड़ा और जरूरतों के प्रति विचारशील होने की आवश्यकता है, केवल इंसानों के प्रति ही नहीं बल्कि जानवरों के लिए भी यही भाव रखना चाहिए। उनकी मदद करें, समर्थन करें और उनकी समस्याओं के प्रति दया भाव रखें। - दूसरे के जीवन को भी महत्व दें
आप जितना ही अधिक मूल्य अन्य के जीवन को देगें, उतना ही अधिक मूल्य आप खुद के लिए भी जोड़ेंगे। यह एक तरह से लेन-देन का रिश्ता होता है। अन्य के जीवन से मेरा मतलब है मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं, पौधों, पक्षियों आदि के जीवन से हैं। एक साहसी व्यक्ति खड़े होकर अपने जीवन और साथ ही दूसरों के जीवन के लिए भी बोल सकता है। इसके विपरीत किसी में साहस की कमी का मतलब है कि अपने जीवन को डर और निराशा में बिताना। ऐसे जीवन का मतलब न तो खुद के लिए कोई महत्व है और न ही यह दूसरों के लिए किसी काम का है। जीवन की परिभाषा बहुत ही विशाल है, और यह कई मामलों में एक दूसरे से बहुत ही अलग हो सकती है, लेकिन जीवन का सारांश यह है कि – “जीवन का अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि यह कितनी लंबी है, लेकिन यह कितना मूल्यवान है ये हम ही तय करते है”। संबंधित पोस्टमेरी रुचि पर निबंध (My Hobby Essay in Hindi)धन पर निबंध (Money Essay in Hindi)समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)बाघ पर निबंध (Tiger Essay in Hindi)Leave a comment. Your email address will not be published. Required fields are marked * 45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step todayHere’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more. Verification Code An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify Thanks for your comment ! Our team will review it before it's shown to our readers. Essay on Student Life: छात्र ऐसे लिख सकते हैं विद्यार्थी जीवन पर निबंध- Updated on
- अगस्त 29, 2024
एक छात्र का जीवन युवावस्था, परिवर्तन और कई सारे अंतहीन अवसरों से भरा समय होता है। इस दौरान छात्र अपनी पढ़ाई, दोस्ती और व्यक्तिगत विकास में बदलाव और अहम चुनौतियों का अनुभव करते हैं। छात्र अपने जीवन के शुरूआती चरणों में कई ऐसे सबक सीखते हैं जिन्हें वे जीवन भर याद रखते हैं। यह समझ साथियों, शिक्षकों और माता-पिता के बीच सम्बन्ध के बढ़ावा देती है, जिससे एक सहायक वातावरण को बढ़ावा मिलता है। विद्यार्थी जीवन पर विद्यालय में निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसमें विद्यार्थी जीवन पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस ब्लॉग में Essay on Student Life in Hindi के कुछ सैंपल दिए गए हैं आप जिनकी मदद ले सकते हैं। This Blog Includes:विद्यार्थी जीवन पर 100 शब्दों में निबंध, विद्यार्थी जीवन पर 200 शब्दों में निबंध, विद्यार्थी जीवन का सार, विद्यार्थी जीवन का महत्त्व. Essay on Student Life in Hindi 100 शब्दों में इस प्रकार है: एक छात्र का जीवन कुछ नया सीखने, नए सपने देखने और उन्हें पूरा करने के रोमांचक सफ़र से भरा होता है। इसमें सुबह-सुबह की कक्षाएं, देर रात तक पढ़ाई और आजीवन दोस्त बनाने के अवसर शामिल होते हैं। एक स्कूल छात्रों को दैनिक गतिविधियों के साथ अकादमिक संतुलन बनाना सिखाता है, जिससे उन्हें एक व्यक्ति के रूप में विकसित होने में मदद मिलती है। हर दिन नई चीजें सीखने, तलाशने और सामाजिक रुप से विकसित होने के लिए नए अवसर प्रदान करता है। इन वर्षों के दौरान बनी यादें उनके भविष्य को आकार देती हैं। छात्र जीवन का समय ज्ञान प्राप्त करने और स्वतंत्रता का अनुभव करने का समय होता है लेकिन इसके साथ यह संघर्ष करना भी सिखाता है। अध्ययन और मौज-मस्ती के साथ छात्र जीवन व्यक्ति के लिए एक अनमोल हिस्सा बन जाता है। यह भी पढ़ें: आदर्श विद्यार्थी विद्यार्थी जीवन एक छात्र के लिए कई बदलाव लाता है। यह वह समय है जब छात्र बचपन से युवावस्था की ओर बढ़ता है। वह शिक्षा और व्यक्तिगत विकास की मुश्किलों से निपटता है। अपनी पढ़ाई में शैक्षणिक चुनौतियों के बीच छात्र अक्सर अपने साथियों के साथ मजबूत दोस्ती बनाते हैं। ये दोस्ती मुश्किल भरे समय के दौरान उन्हें सहायता प्रदान करती है। छात्रों को अकादमिक रूप से अच्छा प्रदर्शन करने और आगे के लिए महत्वपूर्ण विकल्प बनाने के दबाव का भी सामना करना पड़ता है। विद्यार्थी जीवन नई चीजों को आजमाने का भी समय होता है। छात्र क्लबों और नए कार्यों में शामिल होते हैं। छात्र स्कूल से हटकर कई बार सामुदायिक सेवा में भाग लेते हैं। वे विभिन्न गतिविधियों से जुड़ते हैं जो उन्हें अपनी प्रतिभाओं को खोजने में मदद करते हैं। ऐसा करना उनके जीवन में आवश्यक भी होता है क्योंकि ये अनुभव उनके भविष्य को आकार देने में योगदान देते हैं। वे दोस्तों के साथ स्थायी बंधन बनाते हैं, एक हेल्पिंग नेटवर्क बनाते हैं जो अक्सर उनके छात्र जीवन पूरा होने के बाद भी लंबे समय तक बना रहता है। जीवन का यह समय चुनौतियों और खोजों के मिश्रण के साथ, छात्रों को दुनिया का सामना करने के लिए तैयार करता है। यह उन्हें एक अच्छे व्यक्तित्व के रूप में विकसित होने में मदद करता है। सभी चुनौतियों को पार करते हुए छात्र अपने भविष्य की नींव रखते हैं। इससे छात्र जीवन वास्तव में उनके लिए एक यादगार और महत्वपूर्ण समय बन जाता है। यह भी पढ़ें: आदर्श विद्यार्थी के 10 अच्छे गुण विद्यार्थी जीवन पर 500 शब्दों में निबंधविद्यार्थी जीवन पर 500 शब्दों (Essay on Student Life in Hindi) में निबंध नीचे दिया गया है- विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे अविस्मरणीय चरणों में से एक है। यह उनके भविष्य की नींव रखता है। इस दौरान वे न केवल किताबों से सीखते हैं बल्कि सामाजिक रूप से भी विकसित होते हैं। यह चरण उनके व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है और उन्हें आकार देता है कि वे क्या बनते हैं। विद्यार्थी जीवन छात्रों को नए अवसर प्रदान करता हैं उन्हें अच्छे बुरे की समझ प्रदान करता है और जीवन भर याद रखने वाले पल भी देता है। विद्यार्थी जीवन एक अनूठा दौर होता है। यह सीखने की खुशी और बड़े होने के उत्साह को संतुलित करता है। यह हमें अनुशासन और कड़ी मेहनत का महत्व सिखाता है, जो एक सफल भविष्य की नींव रखता है। सुबह जल्दी उठना, कक्षाओं में जाना और होमवर्क को मैनेज करना ऐसी आदतें डालता है जो हमें जिम्मेदार व्यक्ति बनने में मदद करती हैं। विद्यार्थी जीवन मज़ेदार और यादगार पलों से भी भरा होता है, जैसे बस स्टॉप पर भागना, अपना होमवर्क भूल जाने पर नोटबुक ढूँढ़ना या दोस्तों के साथ पिकनिक और ट्रिप का मज़ा लेना। ये अनुभव हमारे सामाजिक कौशल को आकार देते हैं, हमें टीमवर्क, दोस्ती और अलग-अलग रिश्तों को कैसे संभालना है, यह सिखाते हैं। परीक्षाएँ तनावपूर्ण होती हैं, लेकिन हमें समय प्रबंधन कौशल विकसित करने में मदद करती हैं। परिणामों की प्रतीक्षा करना नर्वस कर सकता है, लेकिन यह हमें धैर्य और सफलता और असफलता को कैसे संभालना है, यह भी सिखाता है। किसी मित्र के अंकों के बारे में उत्सुक होना या थोड़ा प्रतिस्पर्धी महसूस करना हमें खुद को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करता है। विद्यार्थी जीवन सीखने और मौज-मस्ती का मिश्रण है। यह हमें आगे आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करता है और साथ ही हमें अपनी युवावस्था का आनंद लेने की आज़ादी देता है। इस दौरान सीखे गए सबक और बनी यादें हमेशा हमारे साथ रहती हैं और हमें एक अच्छे इंसान बनने में मदद करती हैं। छात्र जीवन हर किसी की यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। छात्रों और देश दोनों का भविष्य छात्र के रूप में उनके अनुभवों पर निर्भर करता है। इसलिए छात्रों के लिए सही मार्गदर्शन प्राप्त करना आवश्यक है, क्योंकि छात्र जीवन उनके भविष्य की नींव रखता है। यदि यह नींव मजबूत है, तो यह एक मजबूत भविष्य की ओर ले जाती है। एक कमजोर नींव एक सफल जीवन के रास्ते से डगमगा सकती है। दूसरे शब्दों में छात्र जीवन उन्हें महत्वपूर्ण मानवीय गुणों को विकसित करने में मदद करता है। बहुत से लोग यह महसूस नहीं करते हैं कि वे छात्र जीवन का अनुभव करने के लिए कितने भाग्यशाली हैं, क्योंकि कई बच्चे इसका सपना देखते हैं लेकिन कभी मौका नहीं पाते हैं। इसलिए यदि आपके पास शिक्षा प्राप्त करने का अवसर है, तो आपको इसका अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। छात्र जीवन में कई प्रकार की मुश्किलें भी होती है, लेकिन यह सार्थक होता है। यह उन्हें बढ़ने और ईमानदारी, धैर्य, दृढ़ता और अन्य जैसे गुणों को प्राप्त करने में मदद करता है। कुल मिलाकर सभी लोगों का विद्यार्थी जीवन लगभग परिपूर्ण होता है। इसके उतार-चढ़ाव के बावजूद अंत में उनके लिए यह सब सार्थक होता है। उनका विद्यार्थी जीवन उनके भविष्य को बहुत प्रभावित करता है। इसलिए उन्हें न केवल शिक्षा में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी अच्छे विद्यार्थी बनने का लक्ष्य रखना चाहिए। यह बाद में सफल जीवन जीने के लिए रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करता है। विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के जीवन के सबसे यादगार चरणों में से एक है। विद्यार्थी जीवन का चरण उनके जीवन की नींव रखता है। विद्यार्थी जीवन में वे केवल किताबों से नहीं सीखते। वे भावनात्मक, शारीरिक, दार्शनिक और सामाजिक रूप से विकसित होना सीखते हैं। विद्यार्थी जीवन, एक ऐसा चरण जो युवावस्था के सार को समाहित करता है, परिवर्तन, आत्म-खोज और असीम अवसरों का काल है। यह एक ऐसा समय है जब एक छात्र परिवर्तन से गुजरता है और शिक्षा, दोस्ती और व्यक्तिगत विकास में चुनौतियों का सामना करता है। छात्र समय पर पहुँचें और सभी कक्षाओं, बैठकों, शैक्षणिक गतिविधियों और विशेष कार्यक्रमों के लिए तैयार रहें। असाइनमेंट पूरा करने में गुणवत्ता और उत्कृष्टता पर ध्यान दें। कक्षा के बाहर जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय आवंटित करें। सम्बंधित आर्टिकल्स उम्मीद है आपको Essay on Student Life in Hindi का यह ब्लॉग पसंद आया होगा। इसी तरह के निबंध के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। Team Leverage Eduप्रातिक्रिया दे जवाब 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जल का महत्व पर 10 अनमोल विचार. Importance of water in Hindi पर 10 अनमोल विचार नीचे दिए गए हैं-. जल संरक्षण कोट्स. "पानी पृथ्वी का खून है इसे यूं ही ना बहाएं ...
स्वच्छता पर निबंध | Essay on Cleanliness in Hindi! स्वच्छता मानव समुदाय का एक आवश्यक गुण है ।यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाव के सरलतम उपायों में से एक प्रमुख उपाय ...
Water is Life Essay. भगवान ने जब इस दुनिया को बनाया तो उसके साथ में सबसे चमत्कारिक चीज बनायीं। उस अमूल्य चीज को सभी जानते है मगर जानते हुए भी उसपर ध्यान नहीं देते ...
Essay on Cleanliness in School in Hindi for class 1 to 4. वर्तमान समय में साफ सफाई बहुत जरूरी है क्योंकि आजकल साफ-सफाई नहीं रहने की वजह से बहुत सी ऐसी बीमारियां फैल रही है जिनका इलाज संभव ...
पर्यावरणीय प्रभाव में सामाजिक-आर्थिक अंतर: पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है ...
Essay on Environment in Hindi, & Paryavaran par Nibandh For Any Class Students, Kids. Read Paragraph On Pollution Essay - पर्यावरण पर निबंध ... Environment And Life. पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात ...
In this article, we are providing 10 Lines on Cleanliness in Hindi. In these few / some lines on Cleanliness, you will get information about Cleanliness ( Hindi ) for students and kids. हिंदी में स्वच्छता पर 10 लाइनें, Short 10 lines essay on Cleanliness, Safai ke upar 10 lines.
ध्वनि प्रदूषण पर 10 लाइन (10 Lines On Noise Pollution In Hindi) अगर बच्चे को कम शब्दों में ध्वनि प्रदूषण पर निबंध या अनुच्छेद लिखना है तो नीचे ध्वनि प्रदूषण के बारे में दी गई 10 ...
मानव जीवन और कंप्यूटर-क्रांति पर निबंध | Essay on Human Life and Computer Revolution in Hindi ; मेरा जीवन लक्ष्य पर निबंध |Essay on My Aim of Life in Hindi ; सादा जीवन पर निबंध | Essay on Simple Life in Hindi
जीवन पर छोटे और बड़े निबंध (Short and Long Essays on Life in Hindi, Jivan par Nibandh Hindi mein) निबंध 1 (250 शब्द) - जीवन की सुंदरता और उसके महत्व
Essay on Student Life in Hindi 100 शब्दों में इस प्रकार है: एक छात्र का जीवन कुछ नया सीखने, नए सपने देखने और उन्हें पूरा करने के रोमांचक सफ़र से भरा होता है ...