जंगल पर निबंध (Jungle Essay In Hindi)
जंगल पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। पेड़ो का विशाल पैमाने पर विस्तार ही वन कहलाता है। पौराणिक काल में ऋषि मुनि जंगलो में बैठकर तपस्या किया करते थे। पहले पृथ्वी के बहुत बड़े हिस्से में वन को गिना जाता था।
ऐसे वनो में रोजवुड, महोगनी, ऐनी, फ़र्न जैसे प्रजातियां पाए जाते है। अर्ध सदाबहार वन में साइडर, होलक, कैल जैसे वृक्ष पाए जाते है। उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन को मानसूनी वन भी कहा जाता है, क्यों कि इसी मौसम में यह वन हरे- भरे हो जाते है।
पेड़ जलीय वाष्प छोड़ता है, जिसके कारण यह बूंदे वर्षा करवाने में मदद करती है। जंगल जीव जंतुओं के रहने की जगह है। वनो में विभिन्न प्रकार के औषधि वाले पेड़ पाए जाते है। कई बीमारियों के लिए औषधि, तरुओं की छाल से बनाये जाते है। वृक् प्रकृति में निश्चित संतुलन बनाये रखता है।
वनो का संरक्षण है आवश्यक
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वनों का महत्व पर निबंध Forest Essay In Hindi
यह पोस्ट Forest Essay In Hindi वनों का महत्व पर निबंध (Importance Of Forest In Hindi) के बारे में है।वनों पर निबंध और वनों का महत्व के बारे में हमें जानना चाहिए। प्राकृतिक संपदा जंगलो में सबसे ज्यादा है। जंगल पर निबंध (Jungle Essay In Hindi) और इनको बचाने के तरीकों को बताने का प्रयास है।
साधारण शब्दों में कहे तो जंगल ( Forest ) एक भूमि है जो घने पेड़ पौधों से भरी हुई है। इसमें जीव जंतु और विभिन्न प्रजाति के वृक्ष पाए जाते है। जंगल छोटा और बड़ा दोनों ही होते है। जंगलो में जीवो और पेड़ो में विविधता देखने को मिलती है। धरती की सुंदरता वनों से ही है। धरती पर हरियाली वनों के कारण ही है। प्राचीन समय में ऋषि मुनि जंगलों में ही तपस्या किया करते थे।
गर्मियों में तेज धूप से बचने के लिए पेडों की छाव तलाशी जाती है। पेड़ की अमृत रूपी छाया में आकर सुकून मिलता है। वनों में जीवों को भी यही सुकून चाहिए। वृक्ष जीवन के लिए जरूरी है और धरती पर ज्यादातर वृक्ष वनों में ही मिलते है। सोचिए अगर आपको रहने के लिए दो ऑप्शन दिए जाए, एक मरुस्थल और दूसरा वन तो आप किसे चुनेंगे। जाहिर सी बात है आप वन चुनेंगे।
जंगलों में विविधता और वन्य जीवन Jungle Essay In Hindi –
जंगल (Forest) में परिस्थिति तंत्र व्यापक स्तर पर फैला हुआ है। जंगल में विभिन्न प्रकार के जंगली जीव पाये जाते है। इनमें मांसाहारी और शाकाहारी दोनों प्रकार के जानवर होते है। शेर, चीता, तेंदुआ, लोमड़ी, भेड़िया, भालू जैसे मांसाहारी जंगली जीव मिलते है। हिरण, खरगोश, हाथी जैसे शाकाहारी जानवर भी जंगल मे पाये जाते है। पेड़ पौधों पर निवास करने वाले सुंदर रंगबिरंगे पक्षी भी बहुतायत में जंगलो में पाये जाते है। तोता, मैना, गिद्ध, गौरेया, उल्लू जैसे पक्षी जंगलो में चहकते हुए मिल जाते है।
जंगलों में जीवो की विभिन्नता होती है। एक तरफ हाथी जैसा विशाल जानवर होता है, तो दूसरी तरफ मामूली सी छोटी चींटी होती है। वनों में शिकार और शिकारी एक साथ रहते है। जंगल में मांसाहारी जानवर छोटे शाकाहारी जानवरों को खाते है। जंगल का राजा शेर छोटे शाकाहारी जीवों हिरण, खरगोश इत्यादि का शिकार करता है। घटने वनों से जीवों की संख्या में कमी आयी है। कई वन्य प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है और कई विलुप्ति की कगार पर है।
वनों या जंगलों के वृक्षों में भी विभिन्नता होती है। कही पर ऊंचे ऊंचे वृक्ष है, तो कही पर छोटी घास या झाड़ी होती है। पेड़ पौधों से कंद मूल, फल इत्यादि प्राप्त होते है और जंगल इनका खजाना है।
जंगल या वन का महत्व पर निबंध Importance Of Forest In Hindi –
पृथ्वी पर जीवन के लिए जंगलों का होना अति आवश्यक है। जंगलो के कारण ही धरती पर वर्षा होती है। शुद्ध हवा के लिए जंगल जरूरी है। जंगल कई जानवर और पक्षियों का घर है। मनुष्य स्वार्थी है और इसी कारण वह जंगलों को उजाड़ रहा है। लगातार हो रही पेडों की कटाई के कारण वनभूमि कम हो गई है। जंगल सिमट रहे है और शहर बढ़ रहे है।
- जंगलों ( Forest ) में कई प्रकार के औषधीय पौधे भी मिलते है जिनसे आर्युवेदिक दवाइयां बनाई जाती है।
- वनों को काटकर उसकी लकड़ी से फर्नीचर बनाया जाता है। चीड़, देवदार जैसे वृक्ष वनों में ही मिलते है। लेकिन वृक्षो की अंधाधुंध कटाई गलत है, हमें इसे रोकना होगा नही तो परिणाम गंभीर होंगे।
- वन पृथ्वी के वायुमंडल को संतुलित रखते है। ग्लोबल वार्मिंग को कम करते है। धरती के वातावरण के तापमान को यह कम करने में सहायक है।
- वनों की कमी होने से धरती पर कई नदियां सुख गई है और कई नदियों में पानी कम हो गया है। नदियों को बचाने के लिए वन संरक्षण जरूरी है।
- पर्यावरण संतुलन के लिए वनों का संरक्षण जरूरी है। मनुष्य की जरूरत और निर्भरता वनों पर है।
- वन मृदा अपरदन को रोकते है। भूमि के कटाव को कम करते है। इससे उपजाऊ भूमि बनी रहती है।
- जनसंख्या विस्फोट के कारण निवास के लिए भूमि कम पड़ रही है। इसलिए वनों की कटाई होती है।
- मनुष्य वनों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ लेता रहता है। वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण , मृदा प्रदूषण इत्यादि से वन हमें बचाते है। वन पर्यावरण प्रदूषण के खतरे को कम करते है।
वनों पर निबंध Jungle Par Nibandh –
वनों का बचाव और संरक्षण जरूरी है। वनों का संरक्षण होगा तो वनस्पति और वन्य जीवों का भी संरक्षण होगा। भारत में वन संरक्षण का अधिनियम भी बना हुआ है। वन नीति के अनुसार भारत के भूभाग पर 33 फीसदी वन होना चाहिए।
भारत में कई प्रकार के वन पाये जाते है। गंगा नदी के पास के सुन्दर वन, हिमालय क्षेत्र के सदाबहार वन, मानसूनी वन, राजस्थान क्षेत्र के शुष्क वन इत्यादि कई प्रकार के जंगल भारत देश के विभिन्न इलाकों में है। भारत के 21 फीसदी भाग पर जंगल मौजूद है।
वनों की कटाई नही रुकी तो आने वाला समय मानव जाति के लिए विकट होने जा रहा है। रेगिस्तानी भूमि में लगातार बढ़ौतरी हो रही है। वनों की कटाई करने पर सख्त कानून होने चाहिए। जीवन के लिए ऑक्सिजन जरूरी है, ऑक्सीजन पेड़ पौधों से मिलती है। वन पेड़ पौधों से ही बनते है। जागरूकता ही समझदारी है।
यह भी पढ़े –
- पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध
- वृक्षों का महत्व पर निबंध
- प्रकृति का महत्व पर निबंध
नोट – वनों का महत्व पर निबंध Forest Essay In Hindi का यह आर्टिकल Importance Of Forest In Hindi आपको कैसा लगा। यह पोस्ट “Jungle Essay In Hindi” पसंद आयी हो तो इसे शेयर भी करे।
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वन और वन्य जीवन संरक्षण पर निबंध Essay on Conservation of Forest and Wildlife in Hindi
संरक्षण के प्रयासो द्वारा पेड़, पौधो, पक्षियों की प्रजातीयां सुरक्षित रहती है एवम फलति फूलती है, जो हमारे पर्यावरण के लिए बहुत लाभदायक है। जंगली जानवरों की प्रजातीयां भी सुरक्षित रहे तो यह भी अति उपयोगी है।
Table of Content
वन और वन्य जीवन के संरक्षण से हमें क्या लाभ है? What are the Benefits of Conservation of Forest and Wildlife?
चूंकी मनुष्य प्रलोभी है, हर कार्य में अपना स्वार्थ देखता है, वन्यजीवन संरक्षण के बारे में भी जब सोचते है तो यही सवाल हमारे मन मे आते है। पानी, हवा, मिट्टि – तीनो ही पर्यावरण के अभिन्न अंग है। पानी जिसे हम पीते है और अनगिनत कार्यों में इस्तेमाल करते है, जिसके बिना हमारे जीवन की कल्पना करना भी संभव नही है।
हवा, जिसमें घुला होता है पेड़ो द्वारा निर्मित ऑक्सिजन, जिससे हमारी साँसे चलती है। मिट्टि, वो उपजाऊ मिट्टि जिसमें हम तरह तरह के अनाज, दाले, फल, सब्ज़ीयाँ आदी उगाते है, इन सभी से हमारे शरीर को पोषण मिलता है, स्वास्थ बना रहता है और नित नए व्यंजनो का स्वाद चखते है।
पर्यावरण में ही प्रकृती की सच्चि सुंदरता है – हरे हरे लहलहाते बाग़, भिन्न भिन्न प्रकार के पशु पक्षियों की प्रजातीयाँ जो मन मोहती है – यही तो वास्तविक लालित्य है। अगर यही नही बचा तो हमारे पास क्या शेष रह जाऐगा, सूखी बेजान बंजर ज़मीन और ख़राब आबोहवा, मनुष्य द्वारा बनाई गई वस्तुऐ तो सब कृत्रिम है, उनमें वो आँखो को ठंडक देने वाला रंग रूप कहाँ !!
वन और वन्य जीवन के संरक्षण की आवश्यकता क्यों? Why Conservation of Forest and Wildlife
पशुओ के मुलायम रुए से बने वस्त्र बहुत आर्कषित करते है, चाहे इसके लिए किसी बेज़ूबान की जान ही क्यों न लेनी पड़े, इस बात से मनुष्य को कोई फर्क नहीं पड़ता। मनुषय यह नहीं सोचता के इनमें भी जान है, इनको भी कष्ट होता है, बस आँखे मूंद के अपना स्वार्थ पूरा करने में लगा है।
सन 2003 ई. में कानून को संशोधित करके भारतीय वन्य जीव संरक्षण (संशोधित) अधिनियम 2002 में बदल दिया गया। यह कानून पशु, पक्षि, पौधो की प्रजातीयों के अवैध शिकार एवम व्यापार को रोकने का भरपूर प्रयास करता है।
अवैध कार्यकलाप वन विभाग में मौजूदा भ्रष्टाचार को दर्शाते है, अगर निपुणता से कार्य करे तो यह सब संभव ही न हो। सरकार द्वारा कई राज्यों में राष्ट्रीय उद्दान एवम वन्यजीव अभ्यारण स्थापित किए जा चुके है, जो कि सुचारू रूप से आज भी कार्यरत है, लक्ष्य एक ही था और है – वनो और वन्यजीवन को सुरक्षित करना, बचाए रखना। इन समस्याओं को कम करने के लिए सरकार के साथ साथ बहुत सारे गैरसरकारी विभाग भी बढ़ चढ़कर आगे आते है।
वन और वन्यजीवन के विनाश से पड़ने वाले प्रभाव Impact of the destruction of forests and wildlife
वनों एवम वन्यजीवन की महत्वता को देखते हूए, इसके रख रखाव और संरक्षण को अत्यधिक प्राथमिकता देनी चाहिए। यह तथ्य भी स्पष्ट होना चाहिए के वन्यजीवन संरक्षण किसी एक के प्रयासो से संभव नही है, सभी की कड़ी मेहनत से ही अच्छे परिणाम आएंगे।
केवल सरकार के सक्रिय होने से कुछ नही होगा, हमें देश का नागरिक होने के नाते अपना कर्तव्य समझना होगा। आज हम विज्ञान के क्षेत्र में इतना आगे बढ़ चुके है, तकनीकी रूप से इतने सक्षम है, क्या हम अपनी बुद्धिमता को पर्यावरण को सुरक्षित करने हेतू उपयोग नही कर सकते।
पर्यावरण, जिसके दम पर हमारा जीवन है, अगर उसको ही अपने हाथो से नष्ट करेंगे तो फिर अंत तो दुर्भाग्यपूर्ण ही होगा।
वन और वन्यजीवन की रक्षा कैसे कैसे? How to Save and Conserve our Forest and Wildlife
कहने का तात्पर्य यह है के हम भी अपनी छोटी छोटी कोशिशों से अपनी भुमिका निभा सकते है, जैसे के –
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- Essays in Hindi /
Essay on Nature: विद्यार्थियों के लिए प्रकृति पर परीक्षाओं में आने वाले निबंध
- Updated on
- जून 27, 2024
प्रकृति हमारी धरती और मानवीय उद्धार दोनों के लिए अत्यंत महत्व रखती है। प्रकृति के बारे में जानना छात्रों को चाहिए है कि उनके कार्य पर्यावरण को कैसे प्रभावित करते हैं, जिससे पर्यावरण के और रख-रखाव को बढ़ावा मिलता है। वहीँ छात्र जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव को कम करने के तरीकों के बारे में सीखते हैं। वे यह भी समझ पाते हैं कि प्रकृति के संपर्क में आने से तनाव, चिंता और अवसाद कम होता है। जिससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। कई बारी छात्रों को कक्षाओं या परीक्षाओं में Essay on Nature in Hindi पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है। इस बारे में अधिक जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।
This Blog Includes:
प्रकृति पर 100 शब्दों के निबंध, प्रकृति पर 200 शब्दों के निबंध, प्रकृति का हमारे जीवन में महत्व, प्रकृति का संरक्षण कैसे करें.
हमारे आस-पास के सुंदर और आकर्षक नदी, पहाड़, बड़े मैदान और जंगल आदि प्रकृति का हिस्सा हैं। आस पास के अच्छे वातावरण से हम खुश रहते हैं और स्वस्थ जीवन के लिए एक प्राकृतिक वातावरण प्रदान करती है। यह हमें विभिन्न प्रकार के फूल, आकर्षक पक्षी, जानवर, हरे पौधे, नीला आकाश, भूमि, बहती नदियाँ, समुद्र, जंगल, हवा, पहाड़, घाटियाँ, पहाड़ियाँ प्रदान करती है। कुदरत ने हमारी भलाई के लिए इस अद्भुत प्रकृति का निर्माण किया है। हम अपने दैनिक जीवन में जो कुछ भी उपयोग करते हैं वह प्रकृति से आता है। इसलिए हमें ध्यान रखना चाहिए कि इसे खराब या नुकसान न पहुंचाएं।
हमें प्रकृति की सुंदरता को संवार के करना चाहिए और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखना चाहिए। प्रकृति हमें रहने-जीने के लिए एक सुंदर वातावरण देती है। इस कारण से इसे साफ रखना और नुकसान से बचाना हमारा कर्तव्य है। आज की दुनिया में, कई स्वार्थी और हानिकारक मानवीय गतिविधियों ने प्रकृति को बहुत परेशान किया है। हमारा जीवन प्रकृति पर निर्भर करता है हम सभी को प्रकृति की सुंदरता को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
200 शब्दों में Essay on Nature in Hindi नीचे दिया गया है-
प्रकृति हमारे आस-पास की हर चीज़ है जो एक सुंदर और स्वच्छ वातावरण बनाती है। हम अपने जीवन के हर एक पल में प्रकृति का अनुभव करते हैं और उसका आनंद लेते हैं, इसके परिवर्तनों को देखते हैं, इसकी आवाज़ें सुनते हैं और इसे अपने चारों ओर महसूस करते हैं। हमें शरीर के लिए आवश्यक ताज़ी हवा में सांस लेने और सुबह की सुंदरता का आनंद लेने के लिए सुबह की सैर के लिए बाहर जाकर प्रकृति का पूरा लाभ उठाना चाहिए। सुबह से लेकर शाम तक पूरे दिन प्रकृति अपना रूप बदलती रहती है। सूर्योदय के समय चमकीला नारंगी और फिर पीला रंग होता है, और सूर्यास्त के समय आसमान गहरा नारंगी और फिर धीरे-धीरे गहरा होता जाता है।
प्रकृति हमें वह सब कुछ प्रदान करती है जिसकी हमें अपने जीवन में ज़रूरत होती है। प्रकृति से हम सब कुछ प्रदान करने के बाद हम प्रकृति को वापसी में कुछ भी नहीं देते हैं। हमारी आधुनिक तकनीकी दुनिया में प्रकृति पर उनके प्रभाव पर विचार किए बिना रोज़ नए आविष्कार किए जाते हैं। पृथ्वी पर जीवन के जारी निरंतर अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए प्रकृति के द्वारा दिए गए संसाधनों की रक्षा और संरक्षण करना हमारी ज़िम्मेदारी है। यदि वर्तमान समय में हम प्रकृति के संरक्षण के लिए कार्रवाई नहीं करते हैं, तो हम आने वाली पीढ़ियों को खतरे में डाल रहे हैं। हमें प्रकृति के महत्व और मूल्य को समझना चाहिए और इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
प्रकृति पर 500 शब्दों के निबंध
500 शब्दों में Essay on Nature in Hindi नीचे दिया गया है-
प्रकृति मानवता के लिए अत्यंत महत्व रखती है। यह एक अनमोल वरदान है जो हमारे जीवन को समृद्ध बनाती है। वर्तमान में कई लोग इसके महत्व को समझने में विफल रहते हैं। पूरे इतिहास में प्रकृति ने अनगिनत कवियों, लेखकों और कलाकारों को प्रेरित किया है, जिन्होंने अपने कामों के माध्यम से इसकी सुंदरता का उल्लेख किया है। प्रकृति के प्रति उनका गहरा सम्मान उनकी कविताओं और कहानियों में स्पष्ट रूप से बताया गया है, जो आज भी हमें प्रेरित करती हैं।
प्रकृति हमारे आस-पास की हर चीज़ को अपने अंदर समेटे हुए है। हम जो पानी पीते हैं, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, सूरज की गर्मी, पक्षियों के गीत, चाँदनी की शांति और भी बहुत कुछ जो हमारे जीवन को सुखद बनाते हैं। यह एक गतिशील और विविध वातावरण है, जिसमें जीवित जीव और प्राकृतिक तत्व दोनों ही मौजूद हैं। हमारे जीवन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए आधुनिक युग के लोगों को अतीत के सबक पर ध्यान देना चाहिए। हमें बहुत देर होने से पहले प्रकृति को महत्व देना सीखना होगा। प्रकृति की रक्षा करना आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी भविष्य सुनिश्चित करता है।
प्रकृति मनुष्य के आने से बहुत पहले से अस्तित्व में है। यह पूरे इतिहास में मानव जाति का पोषण और सुरक्षा करती रही है। यह हमें एक सुरक्षा कवच प्रदान करती है जो हमें नुकसान से बचाती है और हमारे अस्तित्व को बनाए रखती है। प्रकृति के बिना मानवता के लिए जीवित रहना असंभव सा है। यह एक ऐसा तथ्य है जिसे लोगों को स्वीकार करना चाहिए। प्रकृति में हमारी रक्षा करने की शक्ति है, इसमें व्यापक विनाश लाने की क्षमता भी है। प्रकृति का हर पहलू, चाहे पौधे, जानवर, नदियाँ, पहाड़ या चंद्रमा, मानव जीवन के लिए आवश्यक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हमारा स्वास्थ्य और कल्याण प्रकृति द्वारा प्रदान किए जाने वाले पौष्टिक भोजन और स्वच्छ पानी पर निर्भर करता है। हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक वर्षा और धूप जैसे महत्वपूर्ण तत्व प्रकृति से ही उत्पन्न होते हैं। इसके अलावा हम जिस हवा में सांस लेते हैं और जिस लकड़ी का हम उपयोग करते हैं, वह प्रकृति की देन है। तकनीकी प्रगति के बीच, कई लोग प्रकृति के महत्व को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। भविष्य की पीढ़ियों के लिए उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता है।
प्रकृति को प्रभावी ढंग से संरक्षित करने के लिए भविष्य में होने वाली क्षति को रोकने के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। इसमें एक सबसे महत्वपूर्ण कदम वनों की कटाई को पूरी तरह से रोकना है। पेड़ों को काटने से गंभीर परिणाम होते हैं, जैसे मिट्टी का कटाव बढ़ना और वर्षा में कमी होना। उद्योगों को समुद्र के पानी को प्रदूषित करने से भी सख्ती से बचना चाहिए। यह पानी की कमी में महत्वपूर्ण योगदान देता है। वाहनों एयर कंडीशनर और ओवन के अत्यधिक उपयोग से क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) निकलते हैं जो ओजोन परत को नष्ट कर रहे हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग, थर्मल विस्तार होता है और ग्लेशियर पिघलते हैं।
इन मुद्दों से निपटने के लिए व्यक्ति सार्वजनिक परिवहन या कारपूलिंग का विकल्प चुनकर निजी वाहन का उपयोग कम कर सकते हैं। सौर ऊर्जा में निवेश करना एक और लाभकारी कदम है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों को फिर से भरने का मौका मिलता है। इन उपायों को अपनाकर, हम प्रकृति के संरक्षण में योगदान दे सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी पर्यावरण सुनिश्चित कर सकते हैं।
हमारी इस प्रकृति में पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने की असाधारण क्षमता है। यह मानवता को पनपने में सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसे सुरक्षित रखना हमारी ज़िम्मेदारी बनती है। हमें स्वार्थी कार्यों को रोकना चाहिए और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे ग्रह पर जीवन अनिश्चित काल तक फलता-फूलता रहे।
प्रकृति की सुंदरता उसकी ताजगी, खुलेपन, धीमी हवा और गर्म धूप में निहित है – जो हमारे दिमाग के लिए राहत है। प्रकृति उन सभी चीज़ों से बनी है जो हम अपने चारों ओर देखते हैं, पेड़, फूल, पौधे, जानवर, आकाश, पहाड़, जंगल और बहुत कुछ। प्रकृति में हमें कई रंग मिलते हैं जो धरती को खूबसूरत बनाते हैं।
पर्वतों की लम्बी श्रृंखला, विशाल महासागर, कल-कल करती नदियाँ, घने जंगल, पशु-पक्षी और कीड़े-मकोड़े प्रकृति की देन हैं।
हमारे जंगल, नदियाँ, महासागर और मिट्टी हमें भोजन, साँस लेने की हवा और फसलों की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराते हैं। हम अपने स्वास्थ्य, खुशी और समृद्धि के लिए कई अन्य वस्तुओं और सेवाओं के लिए भी इन पर निर्भर हैं। इन प्राकृतिक संपत्तियों को अक्सर दुनिया की ‘प्राकृतिक पूंजी’ कहा जाता है।
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वन्यजीव संरक्षण पर निबंध (Wildlife ConservationEssay in Hindi)
“वन्यजीव संरक्षण” यह शब्द हमें उन संसाधनों को बचाने की याद दिलाता है जो हमें प्रकृति द्वारा उपहार के रूप में प्रदान किए गए हैं। वन्यजीव उन जानवरों का प्रतिनिधित्व करता है जो पालतू या समझदार नहीं हैं। वे सिर्फ जंगली जानवर हैं और पूरी तरह से जंगल के माहौल में रहते हैं। ऐसे जानवरों और पौधों की प्रजातियों का संरक्षण जरूरी है ताकि वे विलुप्त होने के खतरे से बाहर हो सकें, और इस पूरी क्रिया को ही वन्यजीव संरक्षण कहा जाता है। इस विषय पर हम आपके लिए अलग-अलग शब्द संख्या में कुछ निबंध लेकर आये हैं ताकि आपका दृष्टिकोण पूर्ण रूप से स्पष्ट हो सके।
वन्यजीव संरक्षण पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Wildlife Conservation in Hindi, Vanyajiv Sanrakshan par Nibandh Hindi mein)
वन्यजीव संरक्षण पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).
उपयुक्त तरीकों को लागू करने से विलुप्त होने या लुप्त होने से वन्यजीवों की प्रजातियों की सुरक्षा की जा सकती है और इसे ही वन्यजीव संरक्षण कहा जाता है। जंगली जानवर और पौधे उस पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जहाँ वे रहते हैं। वन्यजीव प्राणी और पौधे हमारी प्रकृति में सुंदरता को जोड़ते हैं। उनकी विशिष्टता, कुछ पक्षियों और जानवरों की सुंदर आवाज, वातावरण और निवास स्थान को बहुत ही मनभावन और अद्भुत बनाती है।
वन्यजीव संरक्षण की आवश्यकता
पेड़ों और जंगलों की भारी कटाई से वन्यजीवों के आवास नष्ट हो रहे हैं। मानव के विचारहीन कर्म वन्यजीव प्रजातियों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के लिए जिम्मेदार हैं। शिकार करना या अवैध रूप से शिकार का कार्य भी एक दंडनीय अपराध है, किसी भी वन्यजीव की प्रजाति को अपने आनंद के उद्देश्य से नहीं मारा जाना चाहिए।
वन्यजीव संरक्षण के उपाय
जंगली जानवर और पौधे पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके महत्व को नकारा नहीं जा सकता। ऐसे कई कारक हैं जो वन्यजीव प्राणियों के लिए खतरा हैं। बढ़ता प्रदूषण, तापमान और जलवायु परिवर्तन, संसाधनों का अत्यधिक दोहन, अनियमित शिकार या अवैध शिकार, निवास स्थान की हानि, आदि वन्यजीवों की समाप्ति के प्रमुख कारण हैं। वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में सरकार द्वारा कई कार्य और नीतियां तैयार और संशोधित की गईं हैं।
यह मनुष्य की एकमात्र और सामाजिक जिम्मेदारी है, व्यक्तिगत आधार पर, हर किसी को चाहिए कि हम अपने अक्षय संसाधनों के संरक्षण के लिए प्रयास करें। वे बहुमूल्य हैं और इनका बुद्धिमानी से उपयोग किया जाना चाहिए।
निबंध 2 (400 शब्द) – वन्यजीवों के घटने का कारण
जंगली पौधों और जानवरों की प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए की गयी कार्रवाई को वन्यजीव संरक्षण कहा जाता है। मानव द्वारा विभिन्न योजनाओं और नीतियों को अमल में लाकर इसे हासिल किया जाता है। वन्यजीव हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण कारक है, उनके अस्तित्व के बिना, पारिस्थितिक संतुलन एक असंतुलित स्थिति में बदल जाएगी। जिस तरह से इस धरती पर मौजूद हर एक प्राणी को अपने अस्तित्व का अधिकार है और इसलिए उन्हें एक उचित निवास स्थान और उनकी शर्तों का अधिकार मिलना चाहिए।
लेकिन वर्तमान में हो रही परिस्थितियां पूरी तरह से अलग हैं। मनुष्य अपनी इच्छाओं को लेकर इतना अधिक स्वार्थी हो गया है कि वो यह भूल गया कि अन्य जीवों को भी यही अधिकार प्राप्त है। विभिन्न अवैध प्रथाओं, उन्नति, आवश्यकताओं ने एक ऐसी स्थिति का निर्माण किया है जो काफी चिंताजनक है।
वन्यजीवों की कमी के कारण
वन्यजीवों के विनाश के लिए कई कारक हैं जिनमे से कुछ को हमने यहाँ सूचीबद्ध किया है:
- निवास स्थान की हानि – कई निर्माण परियोजनाओं, सड़कों, बांधों, आदि को बनाने के लिए जंगलों और कृषि भूमि की अनावश्यक तरह से कटाई विभिन्न वन्यजीवों और पौधों के निवास स्थान की हानि के लिए जिम्मेदार है। ये गतिविधियाँ जानवरों को उनके घर से वंचित करती हैं। परिणामस्वरूप या तो उन्हें किसी अन्य निवास स्थान पर जाना पड़ता है या फिर वे विलुप्त हो जाते है।
- संसाधनों का अत्यधिक दोहन – संसाधनों का उपयोग बुद्धिमानी से करना होता है, लेकिन यदि इसका अप्राकृतिक तरीके से उपयोग किया जाता है, तो उसका अत्यधिक इस्तेमाल होता है। जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल तमाम तरह की प्रजातियों के विलुप्त होने को बढ़ावा देगा।
- शिकार और अवैध शिकार – मनोरंजन के लिए जानवरों का शिकार करना या उनका अवैध तरह से शिकार का कार्य वास्तव में घिनौना है क्योंकि ऐसा करने का मतलब है अपने मनोरंजन और कुछ उत्पाद प्राप्त करने के आनंद के लिए जानवरों को फंसाना और उनकी हत्या करना। जानवरों के कुछ उत्पाद बेहद मूल्यवान हैं, उदाहरण के लिए, हाथी दांत, त्वचा, सींग, आदि। जानवरों को बंदी बनाने या उनका शिकार करने और उन्हें मारने के बाद उत्पाद हासिल किया जाता है। यह बड़े पैमाने पर वन्यजीवों के विलुप्त होने के लिए अग्रणी है, जिसका एक उदाहरण कस्तूरी हिरण है।
- रिसर्च पेर्पस के लिए जानवरों का उपयोग करना – अनुसंधान संस्थानों की प्रयोगशाला में परीक्षण परिणामों के लिए कई जानवरों का चुनाव किया जाता है। इन प्रजातियों को बड़े पैमाने पर अनुसंधान के लिए इस्तेमाल में लाया जाना भी इनके विलुप्त होने के लिए जिम्मेदार है।
- प्रदूषण – पर्यावरण की स्थिति में अनावश्यक बदलाव जिसको परिणामस्वरूप हम प्रदूषित कह सकते है। और ऐसा ही वायु, जल, मृदा प्रदूषण के साथ भी है। लेकिन हवा, पानी, मिट्टी की गुणवत्ता में परिवर्तन की वजह से पशु और पौधों की प्रजातियों की संख्या में कमी होना काफी हद तक जिम्मेदार है।
दूषित जल से समुद्री जैव विविधता भी काफी प्रभावित होती है; पानी में मौजूद रसायन समुद्री जलचरों की कार्यात्मक गतिविधियों को बिगाड़ते हैं। मूंगा-चट्टान तापमान परिवर्तन और दूषितकरण से काफी ज्यादा प्रभावित होती है।
वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए। सरकार द्वारा पहले से ही संरक्षण उद्देश्यों के लिए काम कर रही कई नीतियां, योजनाएं और पहल जारी हैं। जंगली जानवरों और पौधों को अपने स्वयं के आवास के भीतर संरक्षित करना आसान है उन्हें अनुवान्सिक तौर पर संरक्षण उपाय करने के बाद संरक्षित किया जाना चाहिए। वे जानवर और पौधे जो अपने स्वयं के निवास स्थान में सुरक्षित नहीं रह पा रहे हैं या विलुप्त हो रहे क्षेत्रों का सामना कर रहे हैं, उन्हें प्रयोगशालाओं के भीतर या पूर्व-भरण-पोषण उपायों के बाद कुछ भण्डारों में संरक्षित किया जाना चाहिए।
निबंध 3 (600 शब्द) – वन्यजीव संरक्षण: कारक, प्रकार, महत्व और परियोजनाएं
वन्यजीव संरक्षण, विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन की एक प्रक्रिया है। वन्यजीव हमारी पारिस्थितिकी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वे जानवर या पौधे ही हैं जो हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की सहायक प्रणाली हैं। वे जंगल वाले माहौल में या तो जंगलों में या फिर वनों में रहते हैं। वे हमारे पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद कर रहे हैं। अमानवीय क्रियायें वन्यजीव प्राणियों के लुप्त या विलुप्त होने में सबसे बड़ी भूमिका निभा रही हैं। भारत जैव विविधता में समृद्ध है, लेकिन इसके नुकसान के लिए भी कई कारक हैं।
वन्यजीवों के विनाश के लिए अग्रणी कारक
- संसाधनों का अत्यधिक इस्तेमाल
- प्राकृतिक निवास का नुकसान
- निवास स्थान को टुकड़ों में बंटाना
- शिकार और अवैध शिकार
- जलवायु परिवर्तन
वन्यजीव संरक्षण के प्रकार
- इन-सीटू संरक्षण – इस प्रकार के संरक्षण में, पौधों और जानवरों की प्रजातियां और उनके आनुवंशिक सामग्री को उनके निवास स्थान के भीतर ही सुरक्षित या संरक्षित किया जाता है। इस प्रकार के क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्र कहा जाता है। वे राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य, जीवमंडल भंडार, आदि होते हैं।
- एक्स-सीटू संरक्षण – संरक्षण की इस तकनीक में पौधों और जानवरों की प्रजातियों को सुरक्षित या संरक्षण करने के साथ-साथ उनके आवास के बाहर की आनुवंशिक सामग्री भी शामिल है। यह जीन बैंकों, क्रायोप्रेज़र्वेशन, टिशू कल्चर, कैप्टिव ब्रीडिंग और वनस्पति उद्यान के रूप में किया जाता है।
वन्यजीव संरक्षण का महत्व
- पारिस्थितिकी संतुलन
- सौंदर्य और मनोरंजन मूल्य
- जैव विविधता को बनाए रखने के लिए बढ़ावा देना
भारत में वन्यजीव संरक्षण के प्रयास
- प्रोजेक्ट टाइगर : यह परियोजना 1973 में भारत सरकार द्वारा बाघों की घटती जनसंख्या के संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक पहल के साथ शुरू की गई थी। बंगाल के बाघ बढ़ती मानव गतिविधियों और प्रगति के परिणामस्वरूप अपनी संख्या और आवासों में काफी तेजी से कम होते जा रहे थे। इसलिए उनके निवास स्थान और उनकी संख्या को बचाने के लिए एक परियोजना की पहल की गई। परियोजना को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा प्रशासित किया गया था।
परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाघों के आवास को विनाश से बचाना था। साथ ही साथ दूसरे, बाघों की संख्या में वृद्धि सुनिश्चित करना।
हमारे रॉयल बंगाल टाइगर्स को बचाने के लिए परियोजना में सकारात्मक दृष्टिकोण था, क्योंकि इस प्रयास के बाद उनकी संख्या 1000-5000 के लगभग बढ़ गई थी। प्रारंभिक स्तर पर, 9 संरक्षित क्षेत्र थे जो 2015 तक बढ़कर 50 हो गए। यह वास्तव में राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण की दिशा में एक सफल प्रयास था।
- प्रोजेक्ट एलीफेंट : सड़क, रेलवे, रिसॉर्ट, इमारत, आदि के निर्माण जैसी विकास संबंधी गतिविधियां कई जंगलों और चराई के स्थानों को साफ करने के लिए जिम्मेदार हैं, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न जंगली जानवरों के निवास स्थान का विनाश होता है। हाथियों के साथ भी कुछ ऐसा ही देखा गया। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1992 में हाथियों की संख्या को संरक्षित करने, उनके आवास के रखरखाव, मानव-पशु संघर्ष को कम करने के साथ-साथ शिकार और अवैध शिकार को कम करने के लिए हाथी परियोजना का शुभारंभ किया गया था।
यह परियोजना केंद्रीय स्तर पर शुरू की गई थी, लेकिन इसकी पहल राज्यों द्वारा की गई थी, इस परियोजना के तहत विभिन्न राज्यों को आवश्यकताओं के अनुसार धन भी प्रदान किया गया था। 16 राज्य मुख्य रूप से इस अधिनियम को लागू कर रहे थे।
- मगरमच्छ संरक्षण परियोजना : यह परियोजना साल 1975 में राज्य स्तरों पर शुरू की गई थी। इस परियोजना का उद्देश्य मगरमच्छों के आवास के होते विनाश को रोकना था और इस प्रकार उनकी संख्या को बढ़ाने में मदद करना था। मगरमच्छों के शिकार और हत्या पर नजर रखी जानी चाहिए। इस पहल के परिणामस्वरूप, वर्ष 2012 तक उनकी संख्या को 100 से बढ़ाकर 1000 कर दिया गया।
- यूएनडीपी सागर कछुआ संरक्षण परियोजना : यूएनडीपी द्वारा शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्य कछुओं की आबादी की घटती संख्या का उचित प्रबंधन और संरक्षण करना था।
जनसंख्या विस्फोट और शहरीकरण के ही परिणाम हैं कि वनों को काटकर इसे इमारतों, होटलों, या मानव बस्तियों में बदलने की गतिविधियों में वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप जंगल में रहने वाले विभिन्न प्रजातियों के निवास स्थान में कमी आई है। उन्हें उन स्थानों को छोड़ना पड़ता था और नए आवास की तलाश करनी होती थी जो कि आसान नहीं होता है। नए निवास स्थान की खोज, भोजन के लिए बहुत सारी प्रतियोगिता, कई प्रजातियों को लुप्त होने की कगार पर ले जाती है।
वन्यजीव जानवर और पौधे प्रकृति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। किसी भी स्तर पर नुकसान होने पर इसके अप्राकृतिक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। वे पारिस्थितिक संतुलन के लिए जिम्मेदार हैं और मानव जाति के निर्वाह के लिए, यह संतुलन बनाए रखना चाहिए। इसलिए सरकार द्वारा संरक्षण प्रयासों के साथ, यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है, कि हम व्यक्तिगत रूप से वन्यजीवों के संरक्षण में अपना योगदान करें।
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वनों का महत्व पर निबंध | Vano Ka Mahatva Essay In Hindi Language
वनों का महत्व पर निबंध Vano Ka Mahatva Essay In Hindi Language आज हम वनों पर निबंध ( Importance of Forests) में वनों की आवश्यकता महत्व पर्यावरण संरक्षण में योगदान, वनों के लाभ.
वन कटाई से हानि इसे रोकने के उपाय व कानून के बारे में यह वन महत्व का निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 ,9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में छोटा बड़ा निबंध एस्से यहाँ आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं.
वनों का महत्व पर निबंध
आदिकाल से ही मनुष्य ने प्रकृति को खूब हरा भरा बनाया था. उस समय वातावरण स्वच्छता और स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वोत्तम था. वन इस वातावरण के जनक थे. अतः वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए पृथ्वी पर वनों का होना आवश्यक हैं.
वनों से लाभ – वन संसार को वन्य संपदा , स्वच्छ वातावरण तथा जीवन प्रदान करते है, वन ही वन्य जीवो का घर होता है ,वन ही बादलों को बरसने के लिए प्रेरित करते है तथा वन ही बाढ,अकाल आदि से बचाव करते है
मानव शवसन में आक्सीजन लेता है जो वनों से ही प्राप्त होती है ,इस प्रकार वन सम्पूर्ण पर्यावर्णीय संतुलन को बनाये रखते है जिससे धरती पर जीवन विद्यमान है .
मधुर सुस्वादु फलों से लदे होने वाले वृक्ष हमारे जीवनदाता भी हैं. वन बरसात के जल को पृथ्वी में सरक्षित करते हैं. इससे एक तो भूमि का कटाव नही होता हैं, दुसरे भूमि के अंदर जल प्रचुर मात्रा में संगृहीत हो जाता हैं.
यदि वन जल का संरक्षण नही करे तो बहता हुआ जल समुद्र में चला जाएगा और भूजल का अभाव हो जाएगा. इससे भूमि का कटाव भी आरम्भ होगा और भूमि का उपजाऊपन भी समाप्त होगा.
वनों को काटना, बर्बादी को निमंत्रण- वनों का हमारे जीवन में इतना महत्व होते हुए भी मनुष्य व्यक्तिगत स्वार्थ के वशीभूत होकर, वृक्ष काटकर वन उजाड़ने में लगा हुआ हैं. इस प्रकार वनों को उजाड़कर एक ओर तो वह वन्य पशुओं को बेघर कर रहा हैं,
वही दूसरी ओर स्वयं भी वन सम्पदा से वंचित हो रहा हैं. वह अतिवृष्टि, अनावृष्टि और भूकम्प आदि को स्वयं निमंत्रण दे रहा हैं. शुद्ध वायु के अभाव में जीवन कितना नरकीय हैं, इसे भुक्तभोगी ही जानता हैं.
उपसंहार- अतः जीवन के लिए वनों की उपयोगिता को समझते हुए हमें वृक्षों की सुरक्षा और वनों का संरक्षण करना चाहिए.
वनों का महत्व निबंध Essay on Importance of Forests In Hindi
केवल भारत में ही नही विश्व भर में वनों का विशेष महत्व हैं. वैसे भारत में वृक्षों का इतना महत्व हैं, कि यहाँ वृक्षों की पूजा की जाती हैं. जिनमें पीपल एवं बरगद के वृक्ष मुख्य हैं.
जंगल एक राष्ट्र की संपदा होते हैं. प्राचीन समय में ऋषि मुनियों द्वारा जंगलों में अपनी कुटियाँ आश्रम बनाते थे और वहां पर अपने शिष्यों को शिक्षा देते थे.
विश्व में वनों की अत्यंत उपयोगिता हैं. जंगल हमारे लिए बहुत लाभदायक हैं. जंगल हमें बहुत सारी वस्तुएं देते हैं. ये हमें घर, फर्नीचर और ईधन के लिए लकड़ी देते हैं, ये विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट फल देते हैं,
वृक्ष कई प्रकार के होते हैं जैसे फलवाले वृक्ष, औषधीय वृक्ष और उद्योग में काम आने वाले वृक्ष. चीड़, भूर्ज, पीपल व देवदार आदि वृक्ष पहाड़ो पर उगते हैं. और साल सागौन एवं बबूल के वृक्ष समतल धरातल पर उगते हैं.
हमें रबर भी वृक्षों से ही मिलती हैं. जो हमारे बहुत काम आती हैं. हम तारपीन का तेल, राल तथा औषधीय जड़ीबूटिया वनों से ही प्राप्त करते हैं.
अत्यधिक उद्योग धंधे वनों पर ही निर्भर हैं. बांसों के जंगल से हमें कागज बनाने के लिए लुगदी मिलती हैं. इसके अतिरिक्त हमें वनों से लाख मिलती हैं. जो बहुत से उद्योगों में काम में ली जाती हैं.
चारकोल, टोकरी एवं रस्सी बनाने के लिए हमें कच्चा माल जंगलों से ही मिलता हैं. इन जंगलों से ही अनेकों उद्योग धंधे चल रहे हैं जिनसे लाखों करोड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा हैं.
ये वृक्ष और अन्य पौधे हमें ऑक्सीजन और भोजन देते हैं जो हमारे जीवन के लिए अत्यावश्यक हैं. वृक्ष केवल मनुष्यों के लिए ही आवश्यक नही हैं, पशु पक्षी तथा अन्य जीव जन्तुओं के लिए भी आवश्यक हैं.
चिड़ियाँ वृक्षों पर घौसला बनाती हैं. और अन्य जानवर वृक्षों की पत्तियां व फल खाकर जीवित रहते हैं तथा वृक्ष इन पशु पक्षियों को शरण भी देते हैं. वृक्ष इनके रहने के लिए एक प्राकृतिक सुलभ साधन हैं.
जंगलों का सबसे बड़ा लाभ यह हैं कि ये भू क्षरण को रोकते हैं. अत्यधिक वर्षा अच्छे किस्म की मूल्यवान मिट्टी को अक्सर अपने साथ बहा ले जाती हैं ये वृक्ष ही हैं जो मिट्टी को बहने से रोकते हैं.
इसके अतिरिक्त वृक्ष अचानक आने वाली बाढ़ को रोकने में मदद करते हैं और वृक्ष ही अकाल नही पड़ने देते अर्थात वर्षा लाते हैं.
निष्कर्षतः वृक्ष हमारे जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा एवं देखभाल करके हमें उन्हें काटने से बचाना चाहिए,
यदि हम भूमि को बंजर होने से बचाना चाहते हैं तो हमें वृक्ष उगाने चाहिए.इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार वन महोत्सव आयोजित करती हैं.
यदि हम अधिक से अधिक वृक्ष लगायेगे तो हमें ईधन और खाद सस्ती उपलब्ध होगी तथा इससे हमारा खाद्य उत्पादन भी बढ़ेगा इसलिए विश्व में वनों का सर्वाधिक महत्व हैं.
वनों के लाभ
वनों में अनेक प्रकार के पेड़ पौधों का भंडार होता हैं जो विभिन्न प्रकार से मानवों के लिए उपयोगी हैं. पीपल का वृक्ष का हमारे लिए आध्यात्मिक महत्व तो हैं ही साथ ही साथ इसके अत्यंत गुणकारी भी हैं. क्योंकि यह प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देकर मानव मात्र का कल्याण करता हैं.
वैसे तो सभी वृक्ष दिन के समय ऑक्सीजन छोड़ते हैं. जो जीवन के लिए आवश्यक तत्व हैं. परन्तु पीपल के वृक्ष में ऑक्सीजन प्रदान करने का अनुपात अन्य वृक्षों की तुलना में अधिक होता हैं. इसके अतिरिक्त नीम, बबूल, तुलसी, आंवला व शमी आदि वृक्षों का औषधि के रूप में विशेष महत्व हैं.
वन मनुष्य के लिए ही नही अपितु समस्त जीव जन्तुओं के लिए आवश्यक हैं. इनसे प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती हैं. आज वनों के अधिकाधिक कटाव से अनेक महत्वपूर्ण जन्तु लुप्त हो गये हैं.
अनेक जन्तुओं के लुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया हैं. वनराज सिंह की संख्या में निरंतर कमी आ रही हैं, जंगली हाथियों की संख्या भी निरंतर घट रही हैं. यही हाल अन्य जन्तुओं का भी हैं.
वन ऋतुचक्र एवं प्रकृति में संतुलन बनाए रखने में सक्षम होते हैं. वन अधिक वर्षा के समय मिट्टी के कटाव को रोकते हैं. तथा उसकी उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने में सहयोग करते हैं.
पेड़ पौधे अपनी जड़ों के द्वारा पृथ्वी के जल को अवशोषित करते हैं जो पुनः वाष्पित होकर वायुमंडल में बादल का रूप लेते हैं. जिसके परिणामस्वरूप वर्षा होती हैं और यह चक्र निरंतर चलता रहता हैं.
कटते जंगल घटता मंगल पर निबंध
प्रस्तावना- मानव जीवन को मंगलमय एवं स्वस्थ बनाए रखने के लिए केवल धन और भोजन ही पर्याप्त नहीं है. परन्तु इसके लिए शुद्ध वातावरण अर्थात स्वास्थ्यवर्धक भौगोलिक परिवेश भी अपेक्षित है.
परन्तु वर्तमान काल में मानव के कल्याण की बात तो हर कोई करता है, लेकिन उनके आधारभूत प्राकृतिक साधन वनों का विन्स्ग रोकने का प्रयास कोई नहीं करता हैं. फलस्वरूप जंगलों की बेहताशा कटाई से मानव कल्याण तथा पर्यावरण की समस्या उत्पन्न हो गई हैं.
पर्यावरण के रक्षक वन – पर्यावरण की रक्षा करने वाले अर्थात पर्यावरण को शुद्ध रखने वाले प्राकृतिक साधनों में हरियाली, वृक्षावली तथा वनों का विशेष महत्व हैं. वन विभिन्न प्राकृतिक क्रियाओं जे द्वारा पर्यावरण की रक्षा करते हैं.
अशुद्ध वायु को शुद्ध कर उसे स्वास्थ्य के अनुकूल बनाते है. वृक्षों की पत्तियां वातावरण में अशुद्ध वायु अर्थात कार्बनडाई ऑक्साइड को ग्रहण कर ऑक्सीजन का उद्वमन करती है.
वनों के आकर्षण से बादल जल बरसाते है और धरती उपजाऊ बन जाती है. इस प्रकार वन तथा वृक्षावली पर्यावरण के रक्षक माने जाते हैं.
कटते जंगल एक समस्या- वर्तमान में जनसंख्या वृद्धि के कारण जंगल तीव्र गति से कट रहे हैं. लोगों के आवास योग्य मकानों के लिए ईधन, ईमारती लकड़ी, फर्नीचर, उद्योग धंधों की जरूरतों के लिए वनों को काटा जा रहा हैं.
उद्योगों की स्थापना तथा सड़कों के निर्माण में वनों की भूमि का विदोहन तीव्र गति से हुआ हैं. मकानों के लिए पत्थर, गारा आदि की पूर्ति के लिए वन उजाड़े गये हैं. इन सभी कारणों से आज कटते जंगल पर्यावरण के लिए एक भारी समस्या बन गये हैं.
कटते वनों की रोकथाम के प्रयास – वर्तमान में कुछ सामाजिक संगठन पर्यावरण प्रदूषण निवारक संस्था तथा कुछ सरकारी विभाग वनों की सुरक्षा एवं वृक्षारोपण अभियान चला रहे हैं.
उतराखंड में चिपको आंदोलन तथा कर्नाटक में अप्पिको आंदोलन के द्वारा वनों की कटाई का विरोध किया जा रहा हैं.
राजस्थान में विश्नोई समाज ने वृक्षों की कटाई के विरोध में कई बलिदान दिए हैं. देश के अन्य राज्यों में भी वृक्ष मित्र सेना द्वारा वनों की कटाई का विरोध हो रहा है. वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा कठोर कानून बनाकर वनों की कटाई रोकी जा रही हैं.
समाधान एवं उपाय- कटते जंगलों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा अनेक कानूनी उपाय किये जा सकते हैं. सामाजिक संगठन चिपको आंदोलन की तरह अपने अपने क्षेत्र में आंदोलन चलाकर जन जागरण के द्वारा वनों के विनाश को रोक सकते हैं.
सरकार इस सम्बन्ध में कठोर दंड व्यवस्था प्रारम्भ करे और वृक्षारोपण को प्राथमिकता देकर पर्यावरण की स्वच्छता पर पूरा ध्यान दे, इस प्रकार के अन्य उपाय करने से धरती को वृक्षावलियों से हरा भरा रखा जा सकता हैं.
उपसंहार- वर्तमान में वनों की अंधाधुंध कटाई होने से पर्यावरण प्रदूषण का भयानक रूप उभर रहा है. इस दिशा में कुछ मानवता वादी चिंतकों एवं पर्यावरणविद वैज्ञानिकों का ध्यान गया हैं.
उन्होंने कटते जंगल और घटते मंगल को एक ज्वलंत समस्या मानकर उसके निवारण के सुझाव भी दिए हैं.
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nice usefull and memorable
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वन और जंगल में अंतर (Difference Between Forest and Jungle)
वन और जंगल में अंतर (Difference Between Forest and Jungle in hindi) : वन किसे कहते हैं? (What is Forest in hindi), वन का महत्व, भारत में वनों के प्रकार, जंगल किसे कहते हैं? (what is the Jungle in hindi), जंगल का महत्व, जंगल के प्रकार आदि महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।
Table of Contents
वन किसे कहते हैं (What is Forest in hindi)
वन वह क्षेत्र होता है जहां छोटे-छोटे पेड़-पौधों की संख्या सर्वाधिक होती है। इसके साथ ही वनों में कुछ पेड़-पौधे ऐसे भी पाए जाते हैं जिनका घनत्व जंगल की तुलना में लगभग बराबर ही होता है परंतु इसका क्षेत्र जंगलों की तुलना में छोटा होता है। आमतौर पर वनों में जंगली जानवरों एवं जंगली पेड़ों की संख्या बेहद कम होती है क्योंकि अधिकांश वनों का निर्माण पौधारोपण के माध्यम से किया जाता है जिसे समय-समय पर वन विभाग द्वारा संरक्षित भी किया जाता है। इसके अलावा वनों में केवल कुछ ही प्रजाति के जानवरों को रखे जाने की व्यवस्था की जाती है जिसकी निगरानी वन विभाग द्वारा समय-समय पर की जाती है।
वन का महत्व (Importance of Forest in hindi)
पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार वन पृथ्वी के वातावरण में ऑक्सीजन की पूर्ति करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को भी कम करने में सहायता प्रदान करते हैं। वन जनजातीय आबादी के जीवन का एकमात्र आधार माने जाते हैं क्योंकि इसके माध्यम से जानवरों को पर्याप्त भोजन प्राप्त होता है। केवल इतना ही नहीं यह वनों पर आश्रित लोगों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अलावा वन के कई अन्य महत्व भी होते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:-
- यूंतो वनों का क्षेत्रफल जंगलों की तुलना में छोटा होता है परंतु यह पृथ्वी के वातावरण को संतुलित रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एक परिपक्व वन पृथ्वी के वातावरण को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्रदान करता है जिसके कारण वातावरण की शुद्धता के स्तर में वृद्धि होती है।
- वन मुख्य रूप से वर्षा को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं जिसके कारण प्रतिवर्ष समय पर मानसून का आगमन संभव होता है। माना जाता है कि मानसून का सर्वाधिक प्रभाव क्षेत्रीय कृषकों पर पड़ता है क्योंकि अधिकतर किसान वर्ग के लोग वर्षा पर ही आश्रित रहते हैं। समय पर वर्षा होने से उनकी फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती है।
- देश के किसी बड़े भू-भाग पर वनों को संरक्षित करने से भूमि के कटाव की समस्या एवं बाढ़ पर नियंत्रण होता है। दरअसल, वन में मौजूद पेड़-पौधे मृदा को तेज पानी के बहाव से बचाने का कार्य करते हैं जिससे भूमि कटाव जैसी समस्या से बचाव होता है। इसके साथ ही यह बाढ़ पर नियंत्रण भी रखते हैं।
- वन पृथ्वी के वातावरण में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के स्तर को कम करके उसे नियंत्रित करने का कार्य करते हैं। वनों के द्वारा वायु की गुणवत्ता में सुधार होता है जिससे वायु प्रदूषण के स्तर में गिरावट आती है। इसके अलावा यह मठमैले पानी को छानकर शुद्ध जल को प्रवाहित करने में सहायता प्रदान करते हैं जिसके कारण जल प्रदूषण का स्तर कम होता है।
- वनों के माध्यम से विभिन्न प्रकार की लकड़ी के उत्पादों को प्राप्त किया जाता है जिससे कागज, रबर, चंदन, वनस्पतिक औषधि आदि के निर्माण कार्य किए जाते हैं। इसके अलावा यह जनजातीय आबादी के लिए पर्याप्त लकड़ी, भोजन, फल एवं आयुर्वेदिक दवा जैसे जरूरी संसाधनों की भी उचित व्यवस्था करते हैं।
भारत में वनों के प्रकार (Types of Forests in India in hindi)
भारत में विभिन्न प्रकार के वन पाए जाते हैं जिसके कारण देश की जलवायु कई प्रकार से प्रभावित होती है। भारत में पाए जाने वाले वन कुछ इस प्रकार हैं:-
- सदाबहार वन (evergreen forest)
- शंकुधारी वन (coniferous forest)
- आर्द्र सदाबहार वन (moist evergreen forest)
- शुष्क सदाबहार वन (dry mangrove forest)
- अर्द्ध सदाबहार वन (semi-evergreen forest)
- कांटेदार वन (thorn forest)
- नम पर्णपाती वन (moist deciduous forest)
मैंग्रोव वन (Mangrove Forest)
सदाबहार वन (evergreen forest).
सदाबहार वन वह होते हैं जो बारहों मास हरे-भरे रहते हैं। इन्हें विषुवतीय सदाबहार तराई वन के नाम से भी जाना जाता है। यह मुख्य रूप से भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में स्थित होते हैं। भारत में इन्हें पश्चिमी घाट पूर्वोत्तर एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित उच्च वर्षा वाले इलाकों में पाया जाता है। सदाबहार वनों की विशेषता यह है कि इनमें मॉनसून कई महीनों तक रहता है जिसके कारण इनमें मौजूद पेड़-पौधे तेजी से विकसित होते हैं। इसके अलावा इस प्रकार के वन में वृक्ष एक दूसरे से चिपके हुए रहते हैं एवं वह वृक्ष एक प्रकार के छत का निर्माण करते हैं जिसके कारण धरातल तक सूर्य का प्रकाश पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता है। यही कारण है कि वनों में छोटे पौधों का विकास अत्यधिक मात्रा में नहीं हो पाता है। इस प्रकार के वनों में ऑर्किड्स (orchids) तथा फर्न (fern) अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं एवं इनमें मौजूद वृक्षों की छाल अधिकतर काई (Moss) से लिपटी हुई रहती है। सदाबहार वनों में जीव-जंतु एवं कीटों की संख्या अधिक होती है।
सदाबहार वनों की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Evergreen Forests)
- देवदार के पेड़ (pine trees)
- यव के पेड़ (yew tree)
- सिकोइया (sequoia)
- सरु (cypress) आदि।
शंकुधारी वन (Coniferous Forest)
शंकुधारी वन मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले वन होते हैं जिसमें ग्रीष्म ऋतु में कम गर्मी एवं शीत ऋतु में अधिक सर्दी होती है। इसके अलावा इनमें पर्याप्त मात्रा में वर्षा भी होती है जिससे जीव-जंतुओं का जीवन बेहद प्रभावित होता है। इस प्रकार के वनों में पाए जाने वाले वृक्ष सामान्यतः लंबे व सीधे होते हैं एवं इनकी पत्तियां अन्य पेड़ों की पत्तियों की तुलना में अधिक नुकीली होती हैं। इसके अलावा शंकुधारी वन में पाए जाने वाले पेड़ों की शाखाएं धरती की ओर झुकी हुई रहती हैं जिसके कारण इन पर बर्फबारी का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है।
शंकुधारी वनों की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Coniferous Forests)
- ब्लैक स्प्रूस (black spruce)
- रेडवुड (redwood)
- व्हाइट पाइन (white pine)
- शुगर पाइन (sugar pine)
- पोंडरोसा पाइन (ponderosa pine)
- जेफरी पाइन (jeffrey pine) आदि।
आर्द्र सदाबहार वन (Moist Evergreen Forest)
आर्द्र सदाबहार वन मुख्य रूप से अंडमान निकोबार दीप समूह, पश्चिमी घाट एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्रों के साथ-साथ दक्षिणी भारत में भी पाए जाते हैं। इस प्रकार के वन में प्रतिवर्ष लगभग 200 सेमी. से अधिक वर्षा होती है जिसके कारण यहां का सामान्य तापमान लगभग 22 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है। आर्द्र सदाबहार वन में पाए जाने वाले वृक्षों का आकार सीधा व लंबा होता है एवं इनकी जड़ें त्रिपदीय आकार की होती हैं जिसके कारण या तेज तूफान में भी स्थिर बने रहते हैं। इसके अलावा इस प्रकार के वन में पाए जाने वाले वृक्षों की लंबाई 60 मीटर या उससे अधिक होती है। ऐसे वनों में वृक्षों से पत्ते गिरने, फूल गिरने एवं फल लगने का कोई भी निश्चित समय नहीं होता है। यह वन बारहों मास हरे भरे रहते हैं जिसके कारण इन्हें आर्द्र सदाबहार वन कहा जाता है।
आर्द्र सदाबहार वन की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Moist Evergreen Forest)
- कटहल के पेड़ (jackfruit tree)
- सुपारी के पेड़ (areca nut tree)
- आम के पेड़ (mango tree)
- जामुन के पेड़ (berry trees)
- रोजवुड (Rosewood)
- ईबोनी (ebony)
- ऐनी (Anne) आदि।
शुष्क सदाबहार वन (Dry Mangrove Forest)
शुष्क सदाबहार वन मुख्य रूप से उत्तर दिशा में शिवालिक पहाड़ियों एवं हिमालय की तलहटी से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। यह भारत में दक्षिण में आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक के तटीय इलाकों में पाए जाते हैं। इस प्रकार के वन की जलवायु सामान्यतः शुष्क मानसून, दीर्घकालीन ग्रीष्म ऋतु एवं भीषण सर्दी की होती है। शुष्क सदाबहार वन में पाए जाने वाले वृक्ष मुख्य रूप से सुगंधित फूलों एवं कठोर पत्तेदार होते हैं जिसमें कुछ पर्णपाती वृक्ष भी शामिल होते हैं।
शुष्क सदाबहार वन की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Dry Evergreen Forest)
- जैतून का पेड़ (olive tree)
- अनार का पेड़ (pomegranate tree)
- ओलिएंडर का पेड़ (oleander tree) आदि।
अर्द्ध सदाबहार वन (Semi-Evergreen Forest)
अर्द्ध सदाबहार वन भारत के पश्चिमी तट, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह एवं पूर्वी हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इस प्रकार के वनों में आर्द्र पर्णपाती वनों का मिश्रण पाया जाता है। ऐसे वन मुख्य रूप से घने होते हैं एवं इनमें विभिन्न प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं। अर्द्ध सदाबहार वन कम वर्षा वाले भू-भागों में भी मौजूद होते हैं।
अर्द्ध सदाबहार वनों की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Semi-Evergreen Forests)
- सफेद देवदार के पेड़ (white pine tree)
- होली के पेड़ (holly tree)
- कैल के पेड़ (Kale tree) आदि।
कांटेदार वन (Thorn Forest)
कांटेदार वन मुख्य रूप से शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां वार्षिक वर्षा लगभग 50 सेमी या उससे भी कम होती है। यह दक्षिण पश्चिमी पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इस प्रकार के वन की मृदा काली मिट्टी से संबंधित होती है। कांटेदार वन में पाए जाने वाले वृक्षों की ऊंचाई सामान्यतः 10 मीटर से कम होती है एवं इनमें विभिन्न प्रकार के घास एवं झाड़ियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
कांटेदार वनों की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Thorn Forests)
- बबूल के पेड़ (acacia tree)
- बेर के पेड़ (plum tree)
- खजूर के पेड़ (palm tree)
- नीम के पेड़ (azadirachta indica )
- कोकोस के पेड़ (cocos tree) आदि।
नम पर्णपाती वन (Moist Deciduous Forest)
नम पर्णपाती वन भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्रों, पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलानों, हिमालय की तलहटी एवं उड़ीसा जैसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इस प्रकार के वन में प्रतिवर्ष 100-200 सेमी के बीच वर्षा होती है। नम पर्णपाती वन में पाए जाने वाले वृक्षों की शाखाएं अति विस्तृत होती है तथा यह वृक्ष गर्मियों एवं सर्दियों के मौसम में अपने पत्ते गिरा देते हैं जिस पर मार्च से अप्रैल माह के बीच नई पत्तियां आती है। ऐसे वनों में घनिष्ठता अधिक होती है।
नम पर्णपाती वनों की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Moist Deciduous Forests)
- साल के पेड़ (Sal tree)
- शीशम के पेड़ (rosewood tree)
- आंवले के पेड़ (gooseberry tree)
- महुआ का पेड़ (mahua tree)
- सागौन का पेड़ (teak tree)
- चंदन का पेड़ (sandalwood tree) आदि।
मैंग्रोव वन मुख्य रूप से नदियों के डेल्टा तथा तटों के किनारे पाए जाते हैं। इस प्रकार के वनों को तटीय वन एवं दलदली वन के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत में गंगा, ब्रह्मपुत्र एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह के डेल्टा क्षेत्रों में सर्वाधिक मात्रा में पाए जाते हैं। मैंग्रोव वन में सीमित संख्या में ही पौधे होते हैं। ऐसे वनों में मौजूद वृक्ष नदियों द्वारा बहकर आई हुई मृदा के कारण अधिक वृद्धि करते हैं।
मैंग्रोव वनों की प्रमुख प्रजातियां (Major Species of Mangrove Forests)
- मैंग्रोव खजूर (mangrove date palm)
- ताड़ के पेड़ (Palm trees)
- बुलेटवुड (bullet wood) आदि।
जंगल किसे कहते हैं (what is the Jungle in hindi)
जंगल वह क्षेत्र होता है जहां अनेकों प्रकार के वृक्ष, वनस्पति, पौधे आदि पाए जाते हैं। आमतौर पर जंगल का क्षेत्र वनों की तुलना में अधिक होता है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार एक जंगल का क्षेत्रफल कई वनों के क्षेत्रफल के बराबर होता है। एक विशाल जंगल में कई प्रकार के पेड़-पौधे, जंगली जानवर एवं विभिन्न प्रजातियों के जीव-जंतुओं की बहुतायत होती है। यह पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग माने जाते हैं। जंगल में विशेष रूप से कई प्रकार की वनस्पतियाँ स्वयं उग जाती हैं जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की औषधियों के निर्माण कार्य में किया जाता है। यह जीवन का एक बड़ा स्रोत माने जाते हैं। इसके अलावा यह पृथ्वी की जलवायु को एक सम्मान बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते हैं।
जंगल का महत्व (Importance of Jungle in hindi)
बीते कई दशकों से जंगलों को संरक्षित करने एवं अधिक से अधिक वृक्षों का विकास करने की प्रक्रिया पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जाता रहा है क्योंकि यह पृथ्वी के वायुमंडल के लिए अत्यंत आवश्यक माने जाते हैं। इसके अलावा जंगल को सुरक्षित करने के कई अन्य प्रमुख कारण भी है जो कुछ इस प्रकार हैं:-
- वातावरण नियंत्रण (climate control)
- वायुमंडल का शुद्धिकरण (purification of the atmosphere)
- आजीविका का साधन (means of livelihood)
- पशु एवं पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास (Natural habitat for animals and birds)
वातावरण नियंत्रण (Climate Control)
जंगल में मौजूद वृक्ष एवं मिट्टी वायुमंडलीय तापमान को वाष्पीकरण की प्रक्रिया के द्वारा विनियमित करने का कार्य करते हैं जिसके कारण जलवायु का स्तर स्थिर रहता है। एक विशाल जंगल के भीतर अन्य क्षेत्रों की तुलना में तापमान कम अर्थात ठंडा रहता है। इसमें मौजूद पेड़-पौधे हरियाली को व्यापक रूप से संरक्षित करने का कार्य करते हैं जिससे वातावरण नियंत्रण की प्रक्रिया में सहायता होती है।
वायुमंडल का शुद्धिकरण (Purification of the Atmosphere)
माना जाता है कि जंगल में मौजूद भारी संख्या में पेड़-पौधे वायुमंडल का शुद्धिकरण करने में एक विशेष भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके वायुमंडल में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन को उत्सर्जित करने का कार्य करते हैं जिससे वायुमंडल में शुद्ध हवा प्रवाहित होती है। दरअसल, पेड़-पौधों की पत्तियों की सतह पर एक प्रकार का छिद्र पाया जाता है जिसे स्टोमा (stoma) या स्टोमेटा (stomata) के नाम से जाना जाता है। यह छिद्र कार्बन डाइऑक्साइड को पत्तियों की सतह से भीतर की ओर प्रवेश करने में मदद करता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड ऑक्सीजन में परिवर्तित होकर बाहर निकलती है जिससे वायुमंडल का शुद्धिकरण होता है।
आजीविका का साधन (Means of Livelihood)
जंगल विश्व भर के सैकड़ों लोगों का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका का साधन माना जाता है। वर्तमान समय में भी जंगल में पाए जाने वाले कई प्राकृतिक संसाधनों के माध्यम से आदिवासी प्रजातियों का जनजीवन प्रभावित होता है। इसके अलावा जंगल में मौजूद पेड़ों की सहायता से कागज, ईंधन, खाद आदि वस्तुओं की भी उचित व्यवस्था की जाती है। इसीलिए समय-समय पर जंगलों का संरक्षण करने हेतु केंद्रीय एवं राजकीय प्रशासन प्रत्यक्ष रूप से कार्य करते रहते हैं।
पशु एवं पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास (Natural Habitat for Animals and Birds)
एक विशाल जंगल को विभिन्न प्रकार के पशु एवं पक्षियों का एक प्राकृतिक आवास माना जाता है। इसमें जानवरों की कई प्रजातियां निवास करती हैं जिसकी सहायता से जैव विविधताओं को बनाए रखने में सहायता मिलती है। इसके साथ ही जंगल में जंगली जानवरों एवं पक्षियों के लिए एक स्वस्थ वातावरण भी होता है जिससे यह जानवर एवं पशु-पक्षी आसानी से अपना जीवन यापन करते हैं। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के अनुसार जंगल पशुओं के लिए एक बेहतर साधन होता है।
जंगल के प्रकार (Types of Jungle in hindi)
जंगल के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं:-
प्राकृतिक जंगल (Natural Jungle)
- अप्राकृतिक जंगल (Unnatural Jungle/park)
प्राकृतिक जंगल वह होते हैं जिनका निर्माण स्वयं प्रकृति के माध्यम से होता है। इस प्रकार के जंगलों का क्षेत्रफल अत्यधिक होता है एवं इनमें मुख्य रूप से पशु-पक्षियों की कई महत्वपूर्ण प्रजातियां पाई जाती हैं। प्राकृतिक जंगल मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों पर स्थित होते हैं। भारत में लगभग 72 मिलियन हेक्टर के भू-भाग में जंगल के क्षेत्र फैले हुए हैं। इसके अलावा विश्व का सबसे विशाल जंगल अमेज़न (Amazon) एवं कांगो (Congo) को माना जाता है जो कई अरब एकड़ में फैला हुआ है। अमेज़न जंगल इतना विशाल है कि यह लगभग 9 देशों की सीमाओं को छूता है।
अप्राकृतिक जंगल (Unnatural Jungle/Park)
अप्राकृतिक जंगल वह होते हैं जिनका निर्माण मानव द्वारा पशु एवं पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों का संरक्षण करने हेतु किया जाता है। इसके अलावा इसमें प्राकृतिक सुंदरता को ध्यान में रखते हुए कुछ विशेष प्रकार के परिवर्तन भी किए जाते हैं। अप्राकृतिक जंगलों का क्षेत्रफल सामान्य जंगलों से छोटा होता है। इस प्रकार के जंगलों में पर्यटकों को लुभाने की अपार संभावनाएं होती हैं। इसके साथ ही इस प्रकार के जंगलों में वानस्पतिक औषधियों एवं खेती के लिए एक विशेष स्थान होता है जिसकी सहायता से कई प्रकार की दवाओं का निर्माण किया जाता है।
वन और जंगल में अंतर (Difference Between Forest and Jungle in hindi)
वन और जंगल में निम्नलिखित अंतर होते हैं:-
- वन का क्षेत्रफल छोटा होता है जबकि जंगल का क्षेत्रफल विशाल या बड़ा होता है।
- वन में सूर्य का प्रकाश लगभग सभी क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में पहुंचता है जबकि अत्यधिक घने होने के कारण जंगलों के अधिकतर क्षेत्रों में सूर्य का प्रकाश पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता है।
- वन शब्द की उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द से हुई है जबकि जंगल शब्द वास्तव में संस्कृत के शब्द ‘जांगला’ से लिया गया है।
- वन आमतौर पर केवल पर्वतीय क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं जबकि जंगल विश्व भर में मौजूद होते हैं।
- विश्व भर में मौजूद सभी देश के पास अपना-अपना एक वन होता है जिसके कुछ नियम होते हैं जबकि जंगलों पर किसी भी प्रकार का नियम लागू नहीं होता है।
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वन/वन संरक्षण पर निबंध- Essay on Forest, conservation, save trees, plant trees, deforestation in Hindi
- वन/वन संरक्षण पर निबंध
वन/वन संरक्षण पर निबंध – वन प्राणियों के लिए कितने आवश्यक हैं, ये सभी को पता है। कहा भी गया है कि वन ही जीवन है। इतना समझने के बावजूद भी दिन-प्रतिदिन वनों की अंधाधुंध कटाई होती है। यह समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है। इस लेख में हम इसी गंभीर समस्या पर निबंध ले कर आए हैं। आशा करते हैं कि यह निबंध जितना आपकी परीक्षाओं में सहायक होगा, उतना ही आपको वनों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने में भी प्रेरक सिद्ध होगा।
संकेत बिंदु – (Content)
प्रस्तावना वन शब्द की उत्पत्ति वनों के प्रकार वनों का महत्त्व वनों की सार्वकालिक उपयोगिता वनों से मानव को लाभ (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) वनों की कटाई की समस्या भारत में वनों की स्थिति वन संरक्षण आवश्यक उपसंहार प्रस्तावना जंगल मूल रूप से भूमि का एक टुकड़ा है जिसमें बड़ी संख्या में वृक्ष और पौधों की विभिन्न किस्में शामिल हैं। प्रकृति की ये खूबसूरत रचनाएँ जानवरों की विभिन्न प्रजातियों के लिए घर का काम करती हैं। घने पेड़ों, झाड़ियों, श्लेष्मों और विभिन्न प्रकार के पौधों द्वारा कवर किया गया, एक विशाल भूमि क्षेत्र को वन के रूप में जाना जाता है। दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के वन हैं। ये अपने-अपने प्रकार की मिट्टी, पेड़ों और वनस्पतियों और जीवों की अन्य प्रजातियों के आधार पर वर्गीकृत किए गए हैं। जंगल पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वे ग्रह की जलवायु को बनाए रखने में मदद करते हैं, वातावरण को शुद्ध करते हैं, वाटरशेड की रक्षा करते हैं। वे जानवरों के लिए एक प्राकृतिक आवास और लकड़ी के एक प्रमुख स्रोत हैं जो कि हमारे दिन-प्रतिदिन जीवन में उपयोग किए जाने वाले कई उत्पादों के उत्पादन के लिए उपयोग की जाती है। वन पृथ्वी पर जैव विविधता को बनाए रखता है और इस प्रकार वन ग्रह पर एक स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
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वन शब्द की उत्पत्ति
वन शब्द की उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द से हुई है जिसका मतलब है कि बड़े पैमाने पर पेड़ों और पौधों का प्रभुत्व होना। इसे अंग्रेजी के एक ऐसे शब्द के रूप में पेश किया गया था जो कि जंगली भूमि को संदर्भित करता है जिसको लोगों ने शिकार के लिए खोजा था। इस भूमि पर पेड़ों द्वारा कब्जा हो भी सकता है या नहीं भी हो सकता। कुछ लोगों ने दावा किया कि जंगल शब्द मध्यकालीन लैटिन शब्द ‘फोरेस्टा’ से लिया गया था जिसका अर्थ था खुली लकड़ी। मध्यकालीन लैटिन में यह शब्द विशेष रूप से राजा के शाही शिकार के लिए प्रयुक्त मैदानों को संबोधित करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
वनों के प्रकार
दुनिया भर के वनों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। यहाँ विभिन्न प्रकार के वनों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है, जिससे आपको इन वनों के बारे में मूल जानकारी प्राप्त हो सके। ये वन पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र का एक हिस्सा बनाते हैं – (1) ऊष्णकटिबंधीय वर्षा वन – ये बेहद घने जंगल हैं और इनमें बड़े पैमाने पर सदाबहार वृक्ष शामिल होते हैं, जो हर साल हरे भरे रहते हैं। इन वनों में वर्ष भर में बहुत अधिक बारिश होती है लेकिन फिर भी तापमान यहाँ अधिक है क्योंकि ये भू-मध्य रेखा के निकट स्थित हैं। (2) उप-उष्णकटिबंधीय वन – ये जंगल उष्णकटिबंधीय जंगलों के उत्तर और दक्षिण में स्थित हैं। ये जंगल ज्यादातर सूखा जैसी स्थिति का अनुभव करते हैं। यहाँ के पेड़ और पौधें गर्मियों में सूखे के अनुकूल होते हैं। (3) पर्णपाती वन – ये जंगल मुख्य रूप से उन पेड़ों के घर हैं, जो हर साल अपने पत्ते खो देते हैं। पर्णपाती वन ज्यादातर उन क्षेत्रों में हैं, जो हल्की सर्दियों और गर्मियों को अनुभव करते हैं। ये यूरोप, उत्तरी अमेरिका, न्यूजीलैंड, एशिया और ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पाए जा सकते हैं। वालनट, ओक, मेपल, हिकॉरी और चेस्टनट पेड़ अधिकतर यहाँ पाए जाते हैं। (4) टेम्पेरेट वन – टेम्पेरेट वनों में पर्णपाती और शंकुधारी सदाबहार पेड़ों का विकास होता है। पूर्वोत्तर एशिया, पूर्वी उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी पूर्वी यूरोप में स्थित इन जंगलों में पर्याप्त वर्षा होती है। (5) मोंटेन वन – ये बादल वनों के रूप में जाने जाते हैं, ऐसा इसलिए है क्योंकि इन जंगलों में अधिकतर बारिश धुंध से होती है, जो निचले इलाकों से होती है। ये ज्यादातर उष्णकटिबंधीय, उप उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण क्षेत्रों में स्थित हैं। इन जंगलों में ठंड के मौसम के साथ-साथ गहन धूप का अनुभव होता है। इन वनों के बड़े भाग पर कोनीफर्स का कब्जा है। (6) बागान वन – ये मूल रूप से बड़े खेत हैं, जो कॉफी, चाय, गन्ना, तेल हथेलियों, कपास और तेल के बीज जैसे नकदी फसलों का उत्पादन करते हैं। बागान वन के जंगलों में लगभग 40% औद्योगिक लकड़ी का उत्पादन होता है। ये टिकाऊ लकड़ी और फाइबर के उत्पादन के लिए विशेष रूप से जानी जाती हैं। (7) भूमध्य वन – ये जंगल भूमध्यसागरीय, चिली, कैलिफ़ोर्निया और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के समुद्र तट के आसपास स्थित हैं। इनमें सॉफ्टवुड और दृढ़ लकड़ी के पेड़ों का मिश्रण है और लगभग सभी पेड़ सदाबहार हैं। (8) शंकुधारी वन – ये जंगल ध्रुवों के पास पाए जाते हैं, मुख्य रूप से उत्तरी गोलार्ध और वर्ष भर में ठंड और हवा के मौसम का अनुभव करते हैं। ये दृढ़ लकड़ी और शंकुवृक्ष के पेड़ों के विकास का अनुभव करते हैं। पाइंस, फर, हेमलॉक्स और स्प्रूस का विकास यहाँ एक आम दृश्य है। शंकुवृक्ष के पेड़ सदैव सदाबहार होते हैं और यहाँ सूखे जैसी स्थिति को अच्छी तरह से अनुकूलित किया जाता है।
वनों का महत्त्व
कहा जाता है कि प्रकृति और मानव-सृष्टि के सन्तुलन का मूल आधार वन ही हैं। वन पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जंगलों को संरक्षित करने और अधिक पेड़ों का विकास करने की आवश्यकता पर अक्सर जोर दिया जाता है। ऐसा करने के कुछ प्रमुख कारण निम्नानुसार हैं – (i) वन तरह-तरह के फल-फूलों, वनस्पतियों, वनौषधियों और जड़ी-बूटियों की प्राप्ति का स्थल तो हैं ही, धरती पर जो प्राण-वायु का संचार हो रहा है उसके समग्र स्रोत भी वन ही हैं। (ii) वन धरती और पहाड़ों का क्षरण रोकते हैं। नदियों को बहाव और गतिशीलता प्रदान करते हैं। (iii) वन बादलों और वर्षा का कारण हैं। (iv) तरह-तरह के पशु-पक्षियों की उत्पत्ति, निवास और आश्रय स्थल हैं। (v) छाया के मूल स्रोत हैं। (vi) इमारती लकड़ी के आगार हैं। (vii) मनुष्य की ईंधन की आवश्यकता की भी बहुत कुछ पूर्ति करने वाले हैं। (viii) अनेक दुर्लभ मानव और पशु-पक्षियों आदि की जातियाँ-प्रजातियाँ आज भी वनों की सघनता में अपने बचे-खुचे रूप में पाई जाती हैं। (ix) यह सामान्य सा ज्ञान है कि पौधे ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। वे अन्य ग्रीनहाउस गैसों को भी अवशोषित करते हैं जो वातावरण के लिए हानिकारक होती हैं। (x) पेड़ और जंगल हमें पूरी हवा के साथ-साथ वातावरण की भी सफ़ाई करने के लिए मदद करते हैं। (xi) वृक्ष जंगलों से निकल रही नदियों और झीलों पर छाया का निर्माण करते हैं और उन्हें सूखने से बचाए रखते हैं। (xii) लकड़ी के अन्य सामानों में टेबल, कुर्सियां और बिस्तरों के साथ फर्नीचर के विभिन्न टुकड़े बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। वन विभिन्न प्रकार के जंगल के स्रोत के रूप में सेवा करते हैं। (xiii) दुनिया भर के लाखों लोग सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिए जंगलों पर निर्भर हैं। वनों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए लगभग 10 मिलियन लोग प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं। इस प्रकार वनों के और भी अनेक जीवन्त महत्त्व एवं उपयोग गिनाए जा सकते हैं।
सार्वकालिक उपयोगिता
यह स्पष्ट है कि आरम्भ से लेकर आज तक तो वनों की आवश्यकता-उपयोगिता बनी ही रही है, आगे भी बनी रहेगी, किन्तु मानव शिक्षित, ज्ञानी होते हुए भी लगातार वनों को काट कर प्रकृति का, धरती का, सारी मानवता का सन्तुलन बिगाड़ कर सभी कुछ तहस-नहस करके रख देना चाहता है। अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति में मग्न होकर, हम यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वनों का निरन्तर कटाव जारी रखकर हम वनों को उचित संरक्षण एवं संवर्द्धन न देकर प्रकृति और मानवता का तथा अपनी ही आने वाली पीढ़ियों का कितना बड़ा अहित कर रहे हैं। जीवन को अमृत पिलाने में समर्थ धरती को रूखा-सूखा और बेजान बना देना चाहते हैं। वन बने रहें, तभी धरती पर उचित मात्रा में वर्षा होगी, नदियों की धारा प्रवाहित रहेगी, पहाड़ों और धरती का क्षरण नहीं होगा। सूखा या बाढ़ और भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती रहेगी। आवश्यक प्राण-वायु और प्राण-रक्षक औषधियाँ-वनस्पतियाँ आदि निरन्तर प्राप्त होती रहेंगी। अनेक खनिज प्राप्त हो रहे हैं, वे भी होते रहेंगे, अन्यथा उनके स्रोत भी बन्द हो जाएँगे। वनों की उपयोगिता जैसी सदियों पहले थी आज भी वैसे ही है और आने वाले प्रत्येक वर्ष में ऐसी ही रहेगी।
वनों से मानव को लाभ
प्राचीन काल से ही वनों की उपयोगिता के बारे में सभी जानते हैं। वनों से मिलने वाले लाभों से भी सभी वाकिफ़ हैं। वनों के कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ होते हैं। प्रत्यक्ष लाभ तो सभी को सामने दिखाई देते हैं परन्तु अप्रत्यक्ष लाभ के बारे में किसी-किसी को ज्ञान होता है। वनों से प्रत्यक्ष लाभ – प्रारम्भ में वन मानव को भोजन, वस्त्र, घर सब कुछ प्रदान करते थे। फिर भी मानव ने वनों का कटान कर अपनी खेती, व बस्ती बनाई। लेकिन मानव को वनों से भोजन पकाने के लिए तथा घर बनाने के लिए लकड़ी व खाने के लिए फल मिलते रहे। मनुष्य ने अपनी सुख-सुविधा के लिए वनों पर आधारित अनेक उद्योग-धन्धे खोल लिए हैं। रबर, लाख, गोद, दियासलाई, कागज, पैकिग बोर्ड, भलाई, रेलवे आदि उद्योग वनों पर आधारित है। फर्नीचर बनाने के कारखाने वनों से ही चलते हैं। वनों के पेड़ों का सुन (गोद व लीसा) निकाल कर मानव अपनी स्वार्थ-सिद्धि करता है। वनों से अप्रत्यक्ष लाभ – वन मानव को जीवन प्रदान करते हैं। वन तो प्राणीमात्र के ऐसे सच्चे मित्र हैं कि वे उनके खतरों को स्वयं ग्रहण कर उन्हें लाभ प्रदान करते हैं। श्वास जीव मात्र का जीवन है। जब हम श्वास लेते हैं तो ओक्सीजन वायु हमारे हृदय में जाती है और हम में प्राण धारण करती है और जब हम अपने श्वास बाहर छोड़ते हैं उस समय कार्बन-डाइऑक्साइड गैस को बाहर निकालते हैं। इस श्वास प्रक्रिया में पेड़ हमारी बड़ी सहायता करते हैं। पेड़ जीवों की रक्षा के लिए ऑक्सीजन छोड़ते है और कार्बन डाइआंकसाइड को ग्रहण करते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड मानव के लिए हानिकारक है। पेड़ के न होने से वायु में उसकी मात्रा बढ़ती जाती है, जिससे जीवमात्र के लिए खतरा पैदा हो जाता है। पेड़ों के अभाव में ऑक्सीजन का अभाव भी होने लगेगा जिससे जीवमात्र का अस्तित्व भी मिटने लगेगा। पेड़ों के द्वारा वर्षा अधिक होती है। पेड़ बादलो को अपनी ओर खींचते हैं। पेड़ हमे प्रदूषण से बचाते है। प्रदूषण से कई प्रकार के रोग पैदा होते है, वायुमण्डल दूषित हो जाता है, ओंक्सीजन नष्ट हो जाती है। पेड़ इस प्रदूषण को मिटा देते है, वे दूषित वायु को स्वयं ग्रहण कर स्वच्छ वायु हमें प्रदान करते हैं। इस स्थिति में पेड़ से बढ्कर हमारा मित्र और कौन हो सकता है। इसलिए पेड़ों की रक्षा करना हमारा धर्म है।
वनों की कटाई की समस्या
वनों की कटाई की समस्या किसी एक की समस्या नहीं है अपितु सम्पूर्ण प्राणी जगत की समस्या है। यदि इस समस्या से निपटने के लिए कुछ नहीं किया गया तो पूरा प्राणी जगत समाप्त हो जायगा। वनों की कटाई जंगल के बड़े हिस्से में इमारतों के निर्माण जैसे उद्देश्यों के लिए पेड़ों को काटने की प्रक्रिया है। इस जमीन पर फिर से पेड़ों को लगाया नहीं जाता। आंकड़े बताते हैं कि औद्योगिक युग के विकास के बाद से दुनिया भर के लगभग आधे जंगलों को नष्ट कर दिया गया है। आने वाले समय में यह संख्या बढ़ने की संभावना है क्योंकि उद्योगपति लगातार निजी लाभ के लिए वन भूमि का उपयोग कर रहे हैं। लकड़ी और वृक्षों की अन्य घटकों से विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन के लिए बड़ी संख्या में वृक्षों को भी काटा जाता है। वनों की कटाई के कारण पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन्हीं कारणों से मिट्टी का क्षरण, जल चक्र का विघटन, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता का नुकसान होता है। वनों की कटाई की ओर यदि कोई ध्यान नहीं दिया गया तो यह बहुत विकराल रूप धारण कर लेगा। वन जीवन के लिए बहुत ही अहम् है जब तक हम सभी इस बात को नहीं समझ लेते वनों की कटाई रुकना असंभव है। हम वनों को काट कर अपना ही नहीं अपनी आने वाली पीढ़ियों का जीवन भी खतरे में डाल रहे हैं। प्राय: वनों के समाप्त होने का मुख्य कारण इनका अंधाधुंध काटा जाना है। बढ़ती हुई जनसंख्या की उदरपूर्ति के लिए कृषि हेतु अधिक भूमि उपलब्ध कराने के लिए वनों का काटा जाना बहुत ही साधारण बात है। वनों को इस प्रकार नष्ट करने से कृषि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, स्वस्थ वातावरण (पर्यावरण) के लिए 33 प्रतिशत भूमि पर वन होने चाहिए। इससे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है। दुःख और चिंता का विषय है कि भारत में सरकारी आँकड़ों के अनुसार मात्र 19.5 प्रतिशत क्षेत्र में ही वन हैं । गैर-सरकारी सूत्र केवल 10 से 15 प्रतिशत वन क्षेत्र बताते हैं। हम यदि सरकारी आँकड़े को ही सही मान लें तो भी स्थिति संतोषजनक नहीं है। चिंता का विषय यह है कि वनों के समाप्त होने की गति वनरोपण की अपेक्षा काफी तेज है। इन सारी स्थितियों को ममझने के वाद हमें कारगर उपायों पर विचार करना होगा।
भारत में वनों की स्थिति
भारत ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, कनाडा, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, रूसी संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया और सूडान के साथ दुनिया के शीर्ष दस वन-समृद्ध देशों में से एक है। भारत के साथ ये देश दुनिया के कुल वन क्षेत्र का लगभग 67% हिस्सा है। अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र उन राज्यों में से हैं जिनके पास भारत में सबसे बड़ी वन क्षेत्र भूमि है। भारत में वानिकी एक प्रमुख ग्रामीण उद्योग है। यह बड़ी संख्या में लोगों के लिए आजीविका का एक साधन है। भारत संसाधित वन उत्पादों की एक विशाल श्रृंखला का उत्पादन करने के लिए जाना जाता है। इनमें केवल लकड़ी से बने उत्पाद शामिल नहीं होते बल्कि गैर-लकड़ी के उत्पादों की पर्याप्त मात्रा भी शामिल होती हैं। गैर-लकड़ी के उत्पादों में आवश्यक तेल, औषधीय जड़ी-बूटियों, रेजिन, फ्लेवर, सुगंध और सुगंध रसायन, गम्स, लेटेक्स, हस्तशिल्प, अगरबत्तियां और विभिन्न सामग्री शामिल है।
वन संरक्षण आवश्यक
हमारे शास्त्रों में पेड़ लगाने को बड़ा पुण्य कार्य बताया गया है। एक पेड़ लगाना एक यज्ञ करने के बराबर है। वनों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभों को देखकर उनका संरक्षण करना हमारा कर्त्तव्य है। इस शताब्दी में वनों के विनाश के कारण होने वाले खतरो को भी विज्ञान समझ गया है, इसलिए आधुनिक वैज्ञानिकों ने प्रत्येक सरकार को वनों के संरक्षण की सलाह दी है। इसलिए संसार की प्रत्येक सरकारो ने अपने यहाँ वन संरक्षण की नीति बनाई है। अत्यावश्यक कार्यो के लिए हमें वनों का उपभोग करना चाहिए। वनों की कटाई से जहाँ प्रत्यक्ष लाभ होता है वहाँ अप्रत्यक्ष हानि होती है। वनों से प्रत्यक्ष लाभ कुछ ही व्यक्तियों को होता है लेकिन अप्रत्यक्ष हानि सारे जीव-जगत को होती है। इसलिए वनों का संरक्षण अत्यावश्यक है। वनों के संरक्षण के लिए सरकार भी उत्तरदायी है। क्योंकि वनों के अस्तित्व का सार्वकालिक महत्त्व एवं आवश्यकता है, इसलिए हर प्रकार से उनका संरक्षण होते रहना भी परमावश्यक है। केवल संरक्षण ही नहीं, क्योंकि कम-अधिक हम उन्हें काट कर उनका उपयोग करने को भी बाध्य हैं। इस कारण उन का नव-रोपण और परिवर्द्धन करते रहना भी बहुत जरूरी है। प्रकृति ने जहाँ जैसी मिट्टी है, जहाँ की जैसी आवश्यकता है, वहाँ वैसे ही वन लगा रखे हैं। हमें भी इन बातों का ध्यान रख कर ही नव वक्षारोपण एवं सम्वर्द्धन करते रहना है ताकि हमारी धरती, हमारे जीवन का सन्तुलन एवं शोभा बनी रहे। हमारी वे सारी आवश्यकताएँ युग-युगान्तरों तक पूरी होती रहें जिनका आधार वन हैं। इनकी रक्षा और जीविका भी आवश्यक थी, जो वनों को संरक्षित करके ही संभव एवं सुलभ हो सकती थी। आज भी वस्तु स्थिति उसमे बहुत अधिक भिन्न नहीं है। स्थितियों में समय के अनुसार कुछ परिवर्तन तो अवश्य माना जा सकता है। पर जो वस्तु जहाँ की है, वह वास्तविक शोभा और जीवन शक्ति वहीं से प्राप्त कर सकती है। इस कारण वन संरक्षण की आवश्यकता आज भी पहले के समय से ही ज्यों की त्यों बनी हुई है। इस सारे विवेचन-विश्लेषण से यह स्पष्ट हो जाता है कि वन संरक्षण कितना आवश्यक, कितना महत्त्वपूर्ण और मानव-सृष्टि के हक में कितना उपयोगी है या हो सकता है। लोभ-लालच में पड़कर अभी तक वनों को काट कर जितनी हानि पहुँचा चुके हैं। जितनी जल्दी उसकी क्षतिपूर्ति कर दी जाए, उतना ही मानवता के हित में रहेगा, ऐसा हमारा दृढ़ विश्वास है।
वन मानव जाति के लिए एक वरदान है। वन प्रकृति का एक सुंदर सृजन हैं। भारत को विशेष रूप से कुछ सुंदर जंगलों का आशीष मिला है जो पक्षियों और जानवरों की कई दुर्लभ प्रजातियों के लिए घर हैं। वनों के महत्व को पहचाना जाना चाहिए और सरकार को वनों की कटाई के मुद्दे पर नियंत्रण के लिए उपाय करना चाहिए। पेड़ लगाने के बराबर संसार में कोई पुण्य कार्य नहीं है, क्योंकि पेड़ से अनेकों जीवो का उद्धार होता है, दुश्मन को भी वह उतना ही लाभ पहुँचाते है। वन पर्यावरण का एक अनिवार्य हिस्सा है। हालांकि दुर्भाग्य से मनुष्य विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पेड़ों को काट रहा है, जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। पेड़ों और जंगलों को बचाने की आवश्यकता को और अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इस प्रकार मानव जाति के अस्तित्व के लिए वन महत्वपूर्ण हैं। ताजा हवा से लेकर लकड़ी तक जिसका इस्तेमाल हम सोने के लिए बिस्तर के रूप में करते हैं – यह सब कुछ जंगलों से प्राप्त होता है। इसलिए मानव को रोगों से, प्रदूषण से बचाने के लिए पेड़ों की सख्या बढ़ानी चाहिए। हमारी सरकार को भी वनों की सुरक्षा करनी चाहिए और उनकी वृद्धि के लिए नए पेड़ लगाने चाहिए। जीव जगत की वृद्धि के साथ पेड़ों की भी वृद्धि होनी चाहिए।
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जंगली (वन्य) जीव पर निबंध / Essay on Wild Animals in Hindi
जंगली (वन्य) जीव पर निबंध – Essay on Wild Animals in Hindi!
संसार के विभिन्न भागों में बड़े-बड़े जंगल पाए जाते हैं । इन जंगलों में जंगली जीव निवास करते हैं । जंगली जीवों को अपने आवास से भोजन एवं सुरक्षा प्राप्त होती है । लेकिन जैसे-जैसे जंगल कटते जा रहे हैं वैसे-वैसे इनकी संख्या में कमी आती जा रही है |
जंगल में बड़े आकार वाले भयानक एवं हिंसक जीवों का निवास होता है । हाथी जंगल का एवं भूमि का सबसे बड़ा जीव है लेकिन यह शाकाहारी होता है । शेर, बाघ, भालू, चीता, लोमड़ी, अजगर आदि बड़े शरीर वाले जीव मांसाहारी होते हैं । शेर को जंगल का राजा माना जाता है क्योंकि यह बहुत शक्तिशाली होता है तथा इसकी चाल बड़ी रोबीली होती है । वन में हाथी ही एकमात्र जीव है जो इसका सामना करने की सामर्थ्य रखता है । इसीलिए मनुष्य हाथी पर सवार होकर जंगल भ्रमण पर निकलते हैं । हाथियों को देखकर शेर उनके पास नहीं आता है ।
जंगल में जहाँ बड़े खूँखार जीव रहते हैं वहीं जिराफ हिरन नीलगाय बंदर जैसे शाकाहारी जीवों की संख्या भी कम नहीं होती । शाकाहारी जंगली जीव वन में उपलब्ध हरी पत्तियों फलों एवं घास खाकर जीवित रहते हैं । मांसाहारी हिंसक जीव अपेक्षाकृत छोटे या कम शक्तिशाली जीवों का शिकार करते हैं एवं उनका मांस खाते हैं । इस प्रकार जंगल में आहार की एक संतुलित शृंखला है जो जंगल के अस्तित्व को बनाए रखने में मदद करती है ।
वन्य प्राणियों में विभिन्न प्रकार के पक्षियों एवं सरीसृपों का भी प्रमुख स्थान होता है । जंगलों में तोता, मोर, कौआ,कबूतर, चील, बाज, मैना, गौरैया जैसे सभी प्रमुख पक्षी निवास करते हैं । इनके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के साँप, बिच्छू, गिलहरी एवं भयंकर आकृति वाले कीड़े यहाँ बड़ी संख्या में रहते हैं । मधुमक्खियाँ तितलियाँ भौरई बर्रे जैसे उड़ने वाले कीट-पतंगे वन की शोभा बढ़ाते हैं ।
ADVERTISEMENTS:
जंगल में चारों ओर हरियाली होती है । यहाँ भांति- भांति के पेड़ होते हैं जिन पर पक्षियों, बंदरों, गिलहरियों, साँपों आदि का निवास स्थान होता है । बंदर पेड़ की शाखाओं पर रहता है, पक्षी पड़ा पर घोंसला बनाते हैं, साँप पेड़ के कोटरों में रहते हैं । हाथी, नीलगाय, जिराफ, हिरन जैसे जीव किसी अनुकूल स्थान पर अपने-अपने समूहों में रहते हैं । शेर गुफा में रहना पसंद करता है । पानी के लिए जंगली जीव जंगल के झरनों, तालाबों या नदियों पर निर्भर होते हैं ।
जंगली जीव न केवल जंगल की शोभा बढ़ाते हैं, अपितु इसकी रक्षा भी करते हैं । परंतु औद्योगीकरण एवं अन्य मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पिछले कुछ दशकों में जंगलों का भारी विनाश हुआ है । परिणामस्वरूप जंगली जीवों का जीवन संकटग्रस्त हो गया है । कई जंगली जीव तो ऐसे हैं जिनकी जाति ही नष्ट होती जा रही है ।
ज्यों-ज्यों वन सिकुड़ते जा रहे हैं, त्यों-त्यों इनके अस्तित्व पर खतरा मँडराता जाता है । विलुप्त होते जा रहे जंगली जीवों को बचाने के लिए सरकार ने कठोर नियम बनाए हैं । दुर्लभ जंगली जीवों के शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है । इन्हें समुचित आवास उपलब्ध कराने तथा संरक्षित रखने के लिए देश भर में वन्य जीव अभयारण्यों तथा प्राणी उद्यानों की स्थापना की गई है ।
कुछ लालची लोग अपने तात्कालिक लाभ के लिए दुर्लभ जंगली जीवों को मार देते हैं । बाघों को उनकी खाल के लिए, हाथियों को उनके दाँत के लिए, कस्तुरी मृगों को कसूरी के लिए तथा कुछ जन्तुओं को मांस के लिए मौत की नींद सुला दिया जाता है । कुछ जंगली जीव जब स्वभाववश वन से बाहर निकलकर खेतों में भटकते हैं तो ग्रामीण लोग उन्हें मार डालते हैं । इस तरह की गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगाने की आवश्यकता है ।
जंगली जीवों की सुरक्षा का सर्वोत्तम उपाय है वनों के क्षेत्रफल में वृद्धि करना । यदि विस्तृत वन क्षेत्र होंगे तो वन्य प्राणी उसमें स्वच्छंदतापूर्वक निवास कर सकते हैं । अत: इस दिशा में गंभीरतापूर्वक कार्य करने की आवश्यकता है ।
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10 Lines on Jungle in Hindi । जंगल पर 10 लाइन निबंध
जंगल अर्थात वन धरती की एक ऐसी भूमि जो पेड़-पौधे, वनस्पति, जानवर और कई प्रकार के पक्षियों के निवास का स्थान मानी जाती है। अंग्रेज़ी में वन को फॉरेस्ट के नाम से जाना जाता है। जंगल शब्द सुनते ही दिमाग में एक दृश्य उभर आता है – वह घना जंगल और अनगिनत लंबे पेड़। वह शेर की दहाड़, तो दूसरी तरफ कोयल की कूक। सोचने में यह दृश्य कितना मनभावन लगता है। हम सभी के मन में कई बार यह विचार आता होगा कि आखिरकार वन का निर्माण कैसे हुआ होगा? दरअसल वन की उत्पत्ति का इतिहास बहुत ही पुराना है। आज से करोड़ो साल पहले पृथ्वी की उत्पत्ति हुई। फिर धरती पर पानी ने अपना कदम रखा और फिर धीरे-धीरे भूमि के साथ-साथ वन भी अपना विस्तार करने लगे। जंगल का मानव के साथ बहुत पुराना रिश्ता है। हमारे सभी ऋषि- मुनि वनों में आकर गहरी तपस्या किया करते थे।
आज से लाखों साल पहले जब कोई प्रकार का साधन नहीं था तब वन ही मानव-जाति का आश्रय हुआ करता था। मानव जंगल में ही वास करते थे और सारे जरूरत के संसाधन जंगल से ही प्राप्त किया करते थे। फिर धीरे-धीरे समय बदलने के साथ ही साथ इंसानों में भी बदलाव आने लगे। वह वनो को छोड़कर अलग से जमीन पर कच्चे घरो का निर्माण करने लगे। जैसे-जैसे मानव की जनसंख्या बढ़ने लगी जंगल भी उतनी ही तेजी से घटने लगे। अब आज के जमाने का आधुनिक मानव जंगल से मिलने वाले संसाधनो की वजह से ही इतना तेजी से विकास कर रहा है। मगर हम सभी इंसान इतना स्वार्थी हो चले है कि हम यह भूल गए है कि जिन वनों ने हमारे पूर्वजों को निवास के लिए स्थान दिया आज हम सभी मिलकर उन्हीं को ही उजाड़ने में लगे है। पेड़ो की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। इसी के चलते वनों में आग लग रही है, तूफान और बाढ़ जैसी घटनाएं बढ़ रही है, समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रही है और जानवरों के आश्रय उजड़ रहे है। अगर समय चलते जंगलो को बचाया नहीं गया तो एक दिन ऐसा भी आएगा जब धरती पर मनुष्य का जीवन भी संकट में आ जाएगा। परन्तु हम इंसान इस प्रलय को हकीकत में बदलने से रोक सकते है। यह कहावत बिल्कुल सही है कि जब जागो तब सवेरा। अभी भी कुछ ज्यादा नहीं बिगड़ा है। हम सभी मिलकर देश के जागरूक नागरिक के तौर पर काम करे और जंगलों को उजड़ने से बचाए। आज इस लेख में आप “ 10 Lines on Jungle in Hindi” पढ़ेंगे।
Table of Contents
10 Lines on Jungle in Hindi
- जंगल अर्थात धरती की वह भूमि जहां पेड़ पौधे, जानवर और वनस्पति उच्च घनत्व में निवास करते है।
- इस पृथ्वी के 30% भाग पर केवल जंगल फैले हुए है।
- इंसान वनो को काटकर उसी जमीन पर अपने प्रभुत्व का दायरा बढ़ाया जा रहा है।
- वन मनुष्य के लिए वरदान से कम नहीं है।
- आज औद्योगिकरण के चलते दुनियाभर में वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से फैल रहा है।
- अगर वन है तो कल है अगर कल है तो हम भी है।
- वन मानव को जरूरी प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध करवाते है।
- जंगल दूषित हवा को अवशोषित करती है और बदले में हमे ताजी हवा प्रदान करती है।
- जंगलों में पाई जाने वाली वनस्पति से आयुर्वेदिक दवाइयों का निर्माण किया जाता है।
- वन कुदरत की तरफ से एक अनमोल उपहार है। इनका संरक्षण हमारा दायित्व है।
5 lines on Jungle in Hindi
- 21 मार्च 2013 को पहला अंतरराष्ट्रीय वन दिवस मनाया गया था।
- वन हम सभी मनुष्यों, जीव – जंतु और पेड़ पौधों को आक्सीजन प्रदान करती है।
- भारत में सबसे अधिक वनक्षेत्र वाला राज्य मध्यप्रदेश है।
- ब्राजील में स्थित अमेजन जंगल विश्व का सबसे बड़ा जंगल है।
- समस्त विश्व के लोगो की अजीविका किसी ना किसी तौर पर जंगलों पर टिकी है।
हमें आशा है आप सभी लोगों को Jungle in Hindi पर लिखा यह छोटा सा लेख पसंद आया होगा । आप इस लेख को 10 Lines on Forest in Hindi के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं।
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FAQ on 10 Lines on Jungle in Hindi
Question. जंगल की उत्पत्ति कब और कैसे हुई? Ans. संसार की रचना होते ही सबसे पहले अस्तित्व में आया पानी और फिर अस्तित्व में आई भूमि। थोड़े समय बाद में ही उस खाली पड़ी धरती पर पेड़ और पौधे पनपने लगे। उसके ठीक बाद जब जीवित प्राणियों की उत्पत्ति हुई तब से वन ही उनके आश्रय का ठिकाना बन गये। जंगल शब्द संस्कृत से ही बना है जिसका अर्थ है अपने आप उग जाने वाली वनस्पति। कई लोग यह भी मानते है कि वन शब्द फ्रांसीसी शब्द से आया है जिसका अर्थ है वन धरती का एक ऐसा भाग है जहां पर बड़े पैमाने में पेड़ और पौधे आपस में वास करते है।
Question. . भारत में कितने प्रकार के वन है? Ans. समूचे भारत में ग्यारह प्रकार के वन है। ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार(यह असम के ऊपरी इलाकों या हिमालय के ढालों में पाए जाते हैं), ऊष्ण कटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन(यह हिमालय में पाए जाते हैं), ऊष्ण कटिबंधीय कटीले वन(यह मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान जैसे स्थानों में पाए जाते हैं), उपोष्ण पर्वतीय वन(यह उत्तराखंड, अरूणाचल प्रदेश और हिमालय में पाए जाते हैं), शुष्क पर्णपाती वन, हिमालय के आद्र वन(यह जम्मू-कश्मीर हिमाचल प्रदेश और उत्तरी बंगाल में पाए जाते हैं), हिमालय के शुष्क शीतोष्ण वन(यह जम्मू-कश्मीर, लाहौल – स्पीति और सिक्किम जैसी जगहों पर पाए जाते है), पर्वतीय आद्र शीतोष्ण वन, अल्पाइन वन, मरूस्थल वन(अरावली के पश्चिम में राजस्थान और उतरी गुजरात में पाए जाते हैं) डेल्टाई वन है(यह तटीय प्रदेशों में पाए जाते है)।
Question. . वन मनुष्य के लिए कैसे लाभदायक है? Ans. जंगल मनुष्य के लिए बहुत ही बहुमूल्य चीज है। आज हम सभी मनुष्य किसी ना किसी प्रकार से जंगल पर आश्रित है। वन ही हमें हमारे घरों के लिए इमारती लकड़ी मिलती है। वन हमें जड़ी बूटियां प्रदान करती है। वनों पर मनुष्य की किसी ना किसी तौर पर आजीविका भी टिकी हुई है। हमें प्राप्त होने वाला पानी भी हमें वनों से ही प्राप्त होता है।
Question. . जंगल कितने परतों से बना हुआ होता है? Ans. वन अलग अलग परतों से बना होता है। इन परतों का नाम कुछ इस प्रकार है – जंगल की जमीन, अंडरस्टोरी, चंदवा और आकस्मिक परत है।
Question. . वनों का संरक्षण कैसे हो सकता है? Ans. जितनी तेजी से पेड़ काटे जा रहे है उतनी ही ज्यादा जरूरत हो चली है कि हम सभी मिलकर ज्यादा से ज्यादा वनों का संरक्षण करें। हमारे छोटे से प्रयास भी सकारात्मक बदलाव ला सकते है। जैसे हम लकड़ी से बनी चीजों का कम से कम उपयोग ले सकते है। आम पेपर का ज्यादा उपयोग ना करके हम बम्बू ट्री पेपर का इस्तेमाल कर सकते है। हालांकि हमारे देश की सरकार भी वनों के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही है। हमारे शास्त्रों के अनुसार अपने हाथों से एक पेड़ लगाना भी सौ पुण्य के बराबर है। तो क्यों ना हम सभी मिलकर एक कदम वन संरक्षण की और बढ़ाए और समस्त धरती को हरा भरा बनाए।
10 lines on Jungle in Hindi Language
In this article, we are providing 10 Lines on Jungle in Hindi. In these few / some lines on Forest, you will get information about Jungle in Hindi for students and kids for classes 2nd 3rd, 4th, 5th, 6th, 7th, 8th, 9th, 10th 11th, 12th. हिंदी में जंगल पर 10 लाइनें, Short 10 lines Essay on Forest in Hindi .
10 lines on Jungle in Hindi
1. दुनिया में जंगलों का बहुत महत्व है क्योंकि यह हमें जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन प्रदान करते हैं ।
2. जंगल अनेक लाखों पौधे, जीव जंतु, और जानवरों के लिए एक रहने का अमूल्य स्त्रोत है ।
3. दुनिया भर में जंगलों की संख्या 60% से अधिक है ।
4. जंगलों से मिलने वाली वनस्पति से आयुर्वेदिक दवाइयां बनाई जाती है ।
5. दुनिया का सबसे बड़ा जंगल अमेज़न का जंगल है, जो ब्राजील में स्थित है ।
6. विश्व वानिकी दिवस हर साल 21 मार्च को मनाया जाता है, इसकी शुरुआत सन् 1971 में हुई थी ।
7. वनों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए लगभग 10 मिलियन लोग प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं।
8. दुनिया में सफेद बाघ पश्चिम बंगाल के सुंदरवन में पाये जाता है ।
9. जंगलों का महत्व इसलिए है क्योंकि एक व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए उसके आसपास कम से कम 20 बड़े पेड़ों की जरूरत होती है ।
10. शोधकर्ताओं के अनुसार हर साल पूरी दुनिया में 15 अरब से 20 अरब पेड़ काटे जाते हैं ।
10 Lines on Save Trees in Hindi
10 Lines on Importance of Trees in Hindi
10 lines on Neem Tree in Hindi
ध्यान दें – प्रिय दर्शकों Lines on Jungle in Hindi (article) आपको अच्छा लगा तो जरूर शेयर करे ।
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मित्रों, आज की हिंदी स्टोरी में आप मेरी पहली जंगल सफारी का सच जानेंगे। इस आर्टिकल को आप जंगल सफारी पर आसान निबंध के तौर पर भी लिख सकते हैं। चलिए, मेरे साथ आप भी मेरी जिम कॉर्बेट जंगल सफारी यात्रा का हिस्सा बनिए और कमेन्ट में बताइए कि मेरी हिन्दी कहानी आपको कैसी लगी।
जिम कॉर्बेट सफारी हिंदी कहानी | Jim Corbett Safari Adventure | A Visit to Jungle Safari Essay in Hindi |
प्रकृति प्रेमी होने के कारण बहुत समय से जंगल सफारी पर जाने की इच्छा थी। इस बार यह इच्छा पूरी होती दिख रही थी। मेरे चचेरे भाई की शादी जिम कॉर्बेट में बने तरंगी रिजॉर्ट में रखी गई। जैसे ही मुझे पता लगा तो मैंने मन ही मन फैसला कर लिया कि पापा को कहकर इस बार जंगल की सैर पर जरूर जाऊंगा। वहां पहुंचने के बाद अगले ही दिन मैंने होटल में पूछताछ शुरू कि जिम कॉर्बेट में जंगल सफारी कैसे करें।
“अनुभव से ही ज्ञान बढ़ता है। “ Madam RG
उसके बाद गूगल पर थोड़ी खोज करने के बाद मुझे पता लगा कि इसके लिए इंटरनेट पर ऑनलाइन ही बुकिंग करवानी पड़ती है।राष्ट्रीय पार्क वालों की जीप आकर अपने आप ही हमें वहाँ से ले जाएगी। वैसे होटल वालों ने कहा कि वे भी हमारे लिए बुकिंग करवा देंगे। लेकिन वो ज़्यादा पैसे मांग रहे थे। इसलिए मैंने ऑनलाइन पैसे जमा करके बुकिंग करवा दी और अगले दिन सुबह 6:00 का समय भी निर्धारित कर दिया। सुबह हम सभी 5:00 बजे उठ गए थे 6:00 बजे से कुछ समय पहले ही जीप होटल के दरवाजे के बाहर आ गई। हम सभी उस में बैठ कर चल दिए। जीप बहुत ही तेजी से दौड़ी जा रही थी और सुबह का मौसम बेहद सुहावना था। ऐसा लग रहा था जैसे प्रकृति ने बहुत ही पावरफुल ऐसी (AC) चलाए हुए हैं। ओपन जीप होने की वजह बार बार पीछे करने के बावजूद भी बाल संभल ही नहीं रहे थे।
जब हम नेशनल पार्क के गेट पर पहुंचे तो वहां पर एक गाइड भी आकर ड्राइवर के साथ वाली सीट पर बैठ गया। उसने हमें सुरक्षा के लिए कुछ हिदायतें दी। जंगल सफारी के लिए नियम –
- किसी भी हालत में जीप से बाहर नहीं उतरना है।
- जंगल में कोई भी सामान फेंकना या वहां से कुछ भी लेना मना है।
- कच्ची पगडंडी पर निकले हुए पेड़-पौधों की टहनियों को भी छूने से मना किया ।
- कच्चा रास्ता होने के कारण गाड़ी हिलती डुलती रहेगी। इसलिए दरवाजे की तरफ वाली जेब में मोबाइल, कैमरा या और कोई कीमती सामान रखने के लिए मना किया। क्योंकि वह जेब से निकलकर रास्ते में गिर सकता था। ऊपर से वहां पर मोबाइल में नेटवर्क नहीं आ रहा था तो मोबाइल गिरने पर उसे भी मुश्किल हो जाता है।
- गाइड ने किसी भी जानवर के नज़र आने पर हमें शांति बनाए रखने को कहा। शोर सुनकर अक्सर जानवर जंगल में अंदर की ओर छुप जाते हैं।
पास की ही दुकान से दो पानी की बोतल और दो तीन चिप्स के पैकेट लेकर हम सभी ने अपना जंगल सफारी का सफर शुरू किया। रात भर बारिश होने के कारण कच्चा रास्ता और भी ज्यादा खराब हो गया था। ड्राइवर ने बताया कि जीप के अलावा कोई और गाड़ी उस कच्चे रास्ते पर जाएगी तो वहीं फंस जाएगी। हालांकि जीप जैसी मजबूत गाड़ी भी कई जगह बहुत हिचकोले खा रही थी। जंगल में अंदर घुसते ही प्रकृति की अद्भुत सुंदरता का अनुभव होने लगा था। वहां के पेड़ों की पत्तियाँ कुछ ज्यादा ही हरी थी। वे आकार में बड़ी भी थी। गाइड ने बताया कि यहां के जंगलों में ज्यादातर सागवान के वृक्ष पाए जाते हैं। गाइड बहुत ही समझदार और नॉलेजेबल इंसान था। उसने बताया कि सरकार अब इन सागवान के वृक्षों की संख्या कम करने पर विचार कर रही है, क्योंकि इन से कोई खास फायदा नहीं मिलता।
बीच-बीच में हम लोग शादी की बातें कर जोर जोर से हंसने और बात करने लगते थे तो गाइड हमें चुप रहने का संकेत करता था। इसलिए अब हम चुपचाप बैठ गए और मैं पीछे की तरफ जीप में खड़ा हो गया। थोड़ी देर में हिरणों का एक झुंड दिखाई दिया। हम उन्हें देख रहे थे और वे हमें। जिस प्रकार हिरण के बच्चे हमें ध्यानपूर्वक देख रहे थे, ऐसा लगा मानो वे भी किसी सवारी पर आए हैं। उनका एक छोटा बच्चा जब तक आंखों से ओझल ना हो गए तब तक हमें देखता ही रहा।
मेरे छोटे भाई ने जिज्ञासावश गाड़ी वाले से पूछा कि उसने कभी यहां असली का शेर देखा है। तो उसने बताया कि 2 दिन पहले ही उसने एक शेर देखा था। इसलिए वह हमें उसी तरफ ले गया जहां उसने वह शेर देखा था। रास्ते में और भी जीप दिखाई दे रही थी। सभी लोग इसी उम्मीद में थे कि जंगल का राजा कहीं दिखाई दे जाए।
गाइड ने हमें बताया कि इस जंगल में सभी तरह के वृक्ष हैं। आम के पेड़ पर कुछ लंगूर बंदर दिखाई दिए। दूर से देखने पर ऐसा लगा जैसे उनमें से कुछ बंदर आम खा रहे थे। गाइड ने बताया कि यह बंदर पेड़ों पर ऊंचाई पर बैठे रहते हैं और जमीन पर चलने वाले जानवरों को मांसाहारी जानवरों के खतरे से आगाह करते रहते हैं। इसलिए ड्राइवर ने हमें चुप रहने को कहा ताकि वह एनिमल कॉल (animal call) को सुन सके और हमें कोई खतरनाक जानवर जैसे कि शेर, चीता आदि देखने का मौका मिल जाए।
बारिश की वजह से रास्ते में एक जगह बहुत ज्यादा कीचड़ हो गया था, जहां पर एक जीप के पहिए धंस गए थे और वह निकल नहीं पा रही थी। दो-तीन और जीप चालक वहां पर इकट्ठा हो गए और उन सभी ने उस जीप के ड्राइवर को गाड़ी निकालने की अलग-अलग तरकीब बताई। जैसे तैसे करके वह जीप उसमें से बाहर निकल आई। इसके बाद हमारे ड्राइवर ने भी सावधानी से गाड़ी आगे बढ़ाई। तकरीबन 500 मीटर आगे जाने के बाद अचानक उसने जीप रोक दी। पूछने पर उसने बताया कि देखिए यहां पर शेर के पैरों के निशान है। इसे देखकर यह पता लगता है कि शेर अभी-अभी यहां से गया है। पहले तो उसकी बात सुनते ही लगा कि शायद शेर देखने को मिल जाए। बाद में सोचने पर लगा कि कहीं झूठ तो नहीं बोल रहा। क्या पता ये तो इनका रोज का ही काम होता हो।
इन्हें तो इसी प्रकार से आने वाले यात्रियों को लुभाना होता है। अगर शेर इस प्रकार से रास्ते पर खुला घूमेगा तो वह खुली जीप में सफर कर रहे यात्रियों पर आसानी से हमला कर सकता है। इस प्रकार जंगल कर्मचारियों की नौकरी के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है। तभी ड्राइवर ने कहा कि देखो! उस तरफ क्या है। बहुत देर तक आँखें गड़ाने के बाद एक छोटी सी चिड़िया दिखाई दी। एक छोटी सी नीली-हरी चिड़िया। तो उसने बताया कि है यह सबसे छोटी किंगफिशर बर्ड है। जिसके नाम पर विजय माल्या ने अपनी इतनी बड़ी कंपनी का नाम रखा था किंगफिशर। मैंने उससे पूछा कि किंगफिशर में ऐसी कौन सी खासियत है जिसकी वजह से विजय माल्या ने अपनी कंपनी का नाम किंगफिशर रखा। तो उसने कहा कि उसे यह नहीं पता, और मुझे गूगल पर सर्च करने को कहा। पर वहाँ पर भी कुछ नहीं मिला। लगता है इसका जवाब मांगने तो विजय माल्या के गोवा वाले बंगले पर जाना पड़ेगा। (गोवा की यात्रा के दौरान कैब ड्राइवर ने वहाँ पर किंगफिशर के मालिक विजय माल्या का आलीशान बंगला बाहर से ही दिखाया था। )
तकरीबन एक डेढ़ घंटा जीप में सैर करके वापिस होटल आ गए। बाकी जीपों से उतरते हुए सभी लोग एक दूसरे से यही पूछ रहे थे – “क्या आपको कोई जानवर दिखाई दिया”। सभी मायूस होकर कह रहे थे कि बिना बात के समय और पैसा बर्बाद किया। इससे अच्छा तो होटल के स्विमिंग पूल में मुफ़्त में मज़ा करते और शादी वालों की मेहमान नवाज़ी का लुत्फ उठाते। अंत में अपने मन को यही कहकर समझाया कि ‘ अनुभव महज वो नाम है जो हम अपनी गलतियों को देते हैं’।
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अपठित गद्यांश प्रश्न
ऊपर दी गई जिम कॉर्बेट यात्रा के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
- जंगल सफारी से आप क्या समझते हैं?
- लेख में भारत के किस राष्ट्रीय पार्क का उल्लेख किया गया है?
- लेखक ने जंगल सफारी के लिए सुबह का ही समय क्यों चुना?
- गाइड ने पेड़-पौधों को छूने से क्यों मना किया?
- गाइड द्वारा बताए गए कोई दो नियम लिखें।
- एनिमल कॉल से लेखक का क्या तात्पर्य है?
- लेखक को ऐसा क्यों लगा कि ड्राइवर शेर के बारे में मनगढ़त कहानी सुना रहा है?
- भारत में 2016-17 में विजय माल्या किस कारण सुर्खियों में थे?
अपठित गद्यांश
यदि आप भी Essayshout पर अपनी कहानी या कविता साझा करना चाहते हैं, तो कमेन्ट में लिखें। लेखों को उचित पुरस्कार दिया जाएगा।
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Very interesting n presentable
thanks for reading and commenting!
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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध
By विकास सिंह
विषय-सूचि
हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (Importance of hindi language)
हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में काफी अधिक है।
हिंदी भाषा में 11 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं और इसे “देवनागरी” नामक एक लिपि में लिखा जाता है। हिंदी एक समृद्ध व्यंजन प्रणाली से सुसज्जित है, जिसमें लगभग 38 विशिष्ट व्यंजन हैं। हालाँकि, ध्वनि की इन इकाइयों के रूप में स्वरों की संख्या निर्धारित नहीं की जा सकती है, बड़ी संख्या में बोलियों की मौजूदगी के कारण, जो व्यंजन प्रदर्शनों की सूची के कई व्युत्पन्न रूपों को नियोजित करती हैं।
हालाँकि, व्यंजन प्रणाली का पारंपरिक मूल सीधे संस्कृत से विरासत में मिला है, जिसमें अतिरिक्त सात ध्वनियाँ हैं, जिन्हें फारसी और अरबी से लिया गया है।
हिंदी भाषा किन क्षेत्रों में बोली जाती है?
500 मिलियन से अधिक बोलने वालों के साथ, चीनी के बाद हिंदी दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी को भारत के “राजभाषा” (राष्ट्रभाषा) के रूप में अपनाने से पहले इसमें काफी बदलाव आया है।
इंडो-आर्यन भाषाई वर्गीकरण प्रणाली के सिद्धांत के अनुसार, हिंदी भाषाओं के मध्य क्षेत्र में रहती है। 1991 की जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदी को “देश भर में एक भाषा” के रूप में भारतीय आबादी के 77% से अधिक द्वारा घोषित किया गया था। भारत की बड़ी आबादी के कारण हिंदी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।
1991 की भारत की जनगणना के अनुसार (जिसमें हिंदी की सभी बोलियाँ शामिल हैं, जिनमें कुछ भाषाविदों द्वारा अलग-अलग भाषाएं मानी जा सकती हैं – जैसे, भोजपुरी), हिंदी लगभग 337 मिलियन भारतीयों की मातृभाषा है, या भारत के 40% लोगों की है। उस वर्ष जनसंख्या। एसआईएल इंटरनेशनल के एथनोलॉग के अनुसार, भारत में लगभग 180 मिलियन लोग मानक (खारी बोलि) हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में मानते हैं, और अन्य 300 मिलियन लोग इसे दूसरी भाषा के रूप में उपयोग करते हैं।
भारत के बाहर, नेपाल में हिंदी बोलने वालों की संख्या 8 मिलियन, दक्षिण अफ्रीका में 890,000, मॉरीशस में 685,000, अमेरिका में 317,000 है। यमन में 233,000, युगांडा में 147,000, जर्मनी में 30,000, न्यूजीलैंड में 20,000 और सिंगापुर में 5,000, जबकि यूके, यूएई, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी हिंदी बोलने वालों और द्विभाषी या त्रिभाषी बोलने वालों की उल्लेखनीय आबादी है जो अंग्रेजी से हिंदी के बीच अनुवाद और व्याख्या करते हैं।
हिंदी भाषा का विकास (growth of hindi language)
1947 के विभाजन के बाद भारत सरकार द्वारा समर्थित संक्रांति दृष्टिकोण से हिंदी की वर्तमान बनावट बहुत प्रभावित है। स्वतंत्रता से पहले अपने मूल रूप में, हिंदी ने उर्दू के साथ मौखिक समानता की काफी हद तक साझा की है। हिंदी और उर्दू को अक्सर एक ही इकाई के रूप में संदर्भित किया जाता था जिसका शीर्षक था “हिंदुस्तानी”।
इसके साथ ही कई अन्य भाषाओं जैसे अवधी, बघेली, बिहारी (और इसकी बोलियाँ), राजस्थानी (और इसकी बोलियाँ) और छत्तीसगढ़ी। हालाँकि, यह दृष्टिकोण वस्तुतः प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान और सार्वजनिक सूचना के माध्यम की वकालत करता है, जो वाराणसी बोली की तर्ज पर भारतीय विद्वानों द्वारा विकसित एक संस्कृत-उन्मुख भाषा को रोजगार देता है।
लिपि:
देवनागरी लिपि
महत्वपूर्ण लेखक:
रामधारी सिंह ‘दिनकर’, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन, हरिवंश राय बच्चन, नागार्जुन, धर्मवीर भारती, अशोक बजाज, अशोक बजाज, अशोक बजाज चंद्र शुक्ला, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद, फणीश्वर नाथ रेणु, हरिशंकर परसाई, रामवृक्ष बेनीपुरी, चक्रधर शर्मा गुलेरी, विष्णु प्रभाकर, अमृत लाल नागर, भीष्म साहनी, सूर्यकांत निराला आदि को हिंदी के सबसे मशहूर लेखकों में गिना जाता है ।
हिंदी स्थानीयकरण और सूचना प्रौद्योगिकी
हिंदी टाइपिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले कई लोकप्रिय फॉन्ट हैं; यूनिकोड, मंगल, क्रुतिदेव, आदि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की एक टीम पहले से ही मशीनी अनुवाद सॉफ्टवेयर को विकसित करने और हिंदी को मानकीकृत करने के लिए काम कर रही है, हालाँकि वे इसके माध्यम से कोई बड़ा तोड़ नहीं बना पाए हैं।
हिंदी भाषा की बढ़ती प्रोफ़ाइल के प्रति हाल की चेतना ने लाखों हिंदी बोलने वालों को आशा दी है और आशा है कि आने वाले समय में हिंदी को मान्यता मिलेगी और संयुक्त राष्ट्र आधिकारिक भाषा बन जाएगी। यह समय हिंदी केंद्र, हिंदी विश्वविद्यालयों, हिंदी गैर सरकारी संगठनों और लाखों हिंदी भाषियों को हिंदी की रूपरेखा बढ़ाने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। हिंदी सिनेमा और बॉलीवुड ने पहले ही अच्छा योगदान दिया है, इसी तरह हिंदी मीडिया ने भी चमत्कार किया है।
वैश्विक मोर्चे पर हिंदी के बढ़ते महत्व के आधार पर, अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद और हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद के लिए भविष्य उज्ज्वल है। हालाँकि, भारतीय को अंग्रेज़ी शब्दकोश और अंग्रेज़ी से हिंदी शब्दकोश में ऑनलाइन हिंदी विकसित करने और ऑनलाइन हिंदी भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने के प्रयासों की आवश्यकता है।
[ratemypost]
विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
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धन्यवाद !
Finally I got a nice speech
thank you vikas singh bhai
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