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Relationship Between Teacher And Students Notes In Hindi PDF

Relationship between teacher and students notes in hindi.

आज हम Relationship Between Teacher And Students Notes In Hindi, शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच सम्बन्ध के बारे में जनेंगे जिनको पढ़कर आपके ज्ञान में वृद्धि होगी और यह नोट्स आपकी आगामी परीक्षा को पास करने में मदद करेंगे | ऐसे और नोट्स फ्री में पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट पर रेगुलर आते रहे, हम नोट्स अपडेट करते रहते है | तो चलिए जानते है, शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच सम्बन्ध के बारे में विस्तार से |

  • दोस्ती हो या प्यार या रिश्ता, सभी तभी आगे बढ़ते हैं। तब वे और भी मजबूत हो जाते हैं जब दिल में एक दूसरे के लिए प्यार हो, एक-दूसरे के प्रति सम्मान हो और एक-दूसरे के दिल से जुड़ाव हो और यही काम अगर हम शिक्षा में करें तो शिक्षक और छात्रों के बीच संबंध/बंधन जितना बेहतर होगा, कक्षा शिक्षण को उतना ही प्रभावी बनाया जा सकता है।
  • जहां बच्चे खुलकर अपनी बातें कहते हैं | अपनी समस्याओं को शिक्षक के सामने खुलकर रखें। और शिक्षक को उनकी समस्या का समाधान कर समाधान देना चाहिए। वे बच्चों को आगे बढ़ा सकते हैं, उनकी देखभाल कर सकते हैं और पढ़ाई से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। तो आइए विस्तार से जानते हैं कि टीचर और स्टूडेंट्स के रिश्ते/बॉन्डिंग को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।

Relationship Between Teacher And Students

(शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच सम्बन्ध).

शिक्षकों और छात्रों के बीच संबंध शिक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह प्रभावी शिक्षण और सीखने की नींव बनाता है। यहां कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं जो सकारात्मक शिक्षक-छात्र संबंध की विशेषता बताते हैं:

  • विश्वास और सम्मान (Trust and Respect): विश्वास और सम्मान किसी भी स्वस्थ रिश्ते में मौलिक हैं, जिसमें शिक्षकों और छात्रों के बीच का रिश्ता भी शामिल है। शिक्षकों को एक सहायक और सम्मानजनक वातावरण स्थापित करना चाहिए जहां छात्र अपने विचारों, विचारों और चिंताओं को व्यक्त करने में सहज महसूस करें।
  • संचार (Communication): एक सफल शिक्षक-छात्र संबंध के लिए प्रभावी संचार आवश्यक है। शिक्षकों को अपने छात्रों की जरूरतों के प्रति सुलभ और चौकस होना चाहिए और खुले संवाद को प्रोत्साहित करना चाहिए। सक्रिय रूप से सुनना और स्पष्ट, संक्षिप्त स्पष्टीकरण समझ को बढ़ावा देने और संबंध बनाने में मदद करते हैं।
  • समर्थन और मार्गदर्शन (Support and Guidance): शिक्षक अपने छात्रों को समर्थन और मार्गदर्शन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें छात्रों की व्यक्तिगत शक्तियों और कमजोरियों को संबोधित करते हुए शैक्षणिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान करना चाहिए। छात्रों की क्षमता को पहचानना और उसका पोषण करना आत्मविश्वास को प्रेरित कर सकता है और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
  • निष्पक्षता और समानता (Fairness and Equity): शिक्षकों को सभी छात्रों के साथ निष्पक्ष और समान व्यवहार करना चाहिए। उन्हें एक समावेशी और निष्पक्ष शिक्षण वातावरण बनाना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक छात्र को सफल होने का समान अवसर मिले। विविधता को पहचानने और उसका जश्न मनाने से छात्रों में अपनेपन की भावना को बढ़ावा मिल सकता है।
  • सहानुभूति और करुणा (Empathy and Compassion): एक दयालु और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण शिक्षकों को कक्षा के अंदर और बाहर दोनों जगह अपने छात्रों की चुनौतियों को समझने में मदद करता है। सहानुभूति प्रदर्शित करने से विश्वास पैदा हो सकता है और जरूरत पड़ने पर छात्रों को मदद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। शिक्षकों को अपने छात्रों के लिए एक सुरक्षित और सहायक स्थान बनाने का प्रयास करना चाहिए।
  • सकारात्मक सुदृढीकरण (Positive Reinforcement): प्रोत्साहन और सकारात्मक सुदृढीकरण छात्रों को उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर सकता है। उनकी छोटी-बड़ी उपलब्धियों को पहचानने से आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है। छात्रों को सुधार और विकास में मदद करने के लिए रचनात्मक प्रतिक्रिया भी प्रदान की जानी चाहिए।
  • सीमाएँ और व्यावसायिकता (Boundaries and Professionalism): मजबूत रिश्ते बनाते समय, शिक्षकों के लिए उचित सीमाएँ और व्यावसायिकता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। शिक्षकों को व्यवहार और आचरण के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देश स्थापित करने चाहिए और कक्षा में सहायक होने और अधिकार बनाए रखने के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए।

एक सकारात्मक शिक्षक-छात्र संबंध सीखने के लिए अनुकूल माहौल को बढ़ावा देता है, जहां छात्र मूल्यवान, सम्मानित और प्रेरित महसूस करते हैं। इसका छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन, व्यक्तिगत विकास और समग्र कल्याण पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

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What should be the relationship between teacher and student?

(शिक्षक और छात्र के बीच कैसा रिश्ता होना चाहिए).

एक शिक्षक और छात्र के बीच के रिश्ते में दोस्ती, पालन-पोषण और मार्गदर्शन के तत्व हो सकते हैं। हालाँकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि शिक्षक की प्राथमिक भूमिका सीखने को सुविधाजनक बनाना और शैक्षिक मार्गदर्शन प्रदान करना है।

  • मित्रता (Friendship): जबकि एक शिक्षक-छात्र संबंध मैत्रीपूर्ण गुणों को प्रदर्शित कर सकता है, यह सहकर्मी से सहकर्मी मित्रता के समान नहीं है। शिक्षक एक गर्मजोशी भरा और सहायक माहौल बना सकते हैं जो खुले संचार, विश्वास और आपसी सम्मान को प्रोत्साहित करता है। हालाँकि, शिक्षकों को अपनी व्यावसायिक भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ बनाए रखनी चाहिए, जिसमें सीमाएँ निर्धारित करना और उचित प्राधिकार बनाए रखना शामिल है।
  • पालन-पोषण (Parenting): कुछ मामलों में, एक शिक्षक माता-पिता के समान पालन-पोषण और सहायक भूमिका निभा सकता है। वे छात्रों को उनके व्यक्तिगत विकास में मार्गदर्शन, सलाह और सहायता प्रदान कर सकते हैं। शिक्षक सलाह दे सकते हैं, छात्रों की चिंताओं को सुन सकते हैं और चुनौतियों से निपटने में उनकी मदद कर सकते हैं। हालाँकि, यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि शिक्षक माता-पिता के विकल्प नहीं हैं और उन्हें पूर्ण माता-पिता की जिम्मेदारियाँ नहीं निभानी चाहिए।
  • मार्गदर्शक (Guide): एक शिक्षक की प्राथमिक भूमिकाओं में से एक छात्रों को उनकी शैक्षिक यात्रा में मार्गदर्शन करना है। वे निर्देश प्रदान करते हैं, अवधारणाओं को स्पष्ट करते हैं और शैक्षणिक मामलों पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। शिक्षक छात्रों को लक्ष्य निर्धारित करने, अध्ययन कौशल विकसित करने और उनके सीखने के पथ पर आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं। वे ज्ञान प्रदान करने, आलोचनात्मक सोच को सुविधाजनक बनाने और सीखने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

अंततः, एक शिक्षक और छात्र के बीच का रिश्ता पेशेवर होना चाहिए, जो शिक्षा और व्यक्तिगत विकास पर केंद्रित हो। हालाँकि दोस्ती, पालन-पोषण और मार्गदर्शन के तत्व मौजूद हो सकते हैं, लेकिन अनुकूल सीखने के माहौल को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें स्पष्ट सीमाओं और व्यावसायिकता के साथ संतुलित किया जाना चाहिए।

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गीता के अनुसार शिक्षक-छात्र का रिश्ता

(teacher-student relationship as per geeta).

प्राचीन हिंदू ग्रंथ भगवद गीता में, शिक्षक-छात्र संबंध को वास्तव में महत्वपूर्ण और करीबी के रूप में दर्शाया गया है। पाठ शिक्षक (गुरु) और शिष्य (शिष्य) के बीच एक मजबूत बंधन के महत्व पर जोर देता है। भगवद गीता की शिक्षाओं के अनुसार शिक्षक-छात्र संबंध के कुछ प्रमुख पहलू यहां दिए गए हैं:

  • पारस्परिक भागीदारी (Mutual Participation): भगवद गीता इस बात पर जोर देती है कि शिक्षा एक सहयोगात्मक प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक और शिष्य दोनों शामिल होते हैं। यह सक्रिय जुड़ाव को बढ़ावा देता है और छात्र को सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। शिक्षक एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, ज्ञान प्रदान करता है, जबकि शिष्य पूछताछ और ग्रहणशील शिक्षा के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है।
  • घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध (Close and Friendly Relationship): भगवद गीता में शिक्षक और शिष्य के बीच के संबंध को अक्सर घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण रूप में दर्शाया गया है। शिक्षक को एक संरक्षक और एक विश्वसनीय सलाहकार के रूप में देखा जाता है, जो छात्र को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करता है। उनके बीच आपसी सम्मान, विश्वास और प्यार का माहौल है।
  • ज्ञान का संचरण (Transmission of Wisdom): भगवद गीता में शिक्षक शिष्य को आध्यात्मिक और दार्शनिक ज्ञान प्रसारित करने के लिए जिम्मेदार है। शिक्षक की भूमिका महज़ जानकारी देने से कहीं आगे तक जाती है; वे छात्र को आत्म-बोध, नैतिक विकास और जीवन के उद्देश्य की गहरी समझ की ओर मार्गदर्शन करते हैं।
  • व्यक्तिगत परिवर्तन (Personal Transformation): भगवद गीता में शिक्षक-छात्र संबंध का उद्देश्य शिष्य का समग्र विकास है। शिक्षक का मार्गदर्शन छात्र को न केवल बौद्धिक ज्ञान प्राप्त करने में बल्कि सद्गुणों को विकसित करने, एक अनुशासित जीवन शैली विकसित करने और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में भी सहायता करता है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भगवद गीता की शिक्षाओं को उनके सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भ में समझा जाना चाहिए। जबकि एक शिक्षक और एक छात्र के बीच घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध की अवधारणा पर प्रकाश डाला गया है, शिक्षक-छात्र संबंधों की विशिष्ट सांस्कृतिक, सामाजिक और व्यावसायिक गतिशीलता को ध्यान में रखते हुए, इन सिद्धांतों को समकालीन शैक्षिक सेटिंग्स में अनुकूलित करना महत्वपूर्ण है।

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प्रकृतिवाद के अनुसार शिक्षक-छात्र संबंध

(teacher-student relationship as per naturalism).

प्रकृतिवाद के शैक्षिक दर्शन में, शिक्षक-छात्र संबंध को अक्सर एक मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में वर्णित किया जाता है। प्रकृतिवाद एक पोषण और सहायक वातावरण बनाने के महत्व पर जोर देता है जो छात्र के समग्र विकास को बढ़ावा देता है। यहां बताया गया है कि शिक्षक-छात्र संबंध को प्राकृतिक दृष्टिकोण से कैसे देखा जाता है:

  • मित्र (Friend): प्रकृतिवाद में, शिक्षक को छात्र के मित्र के रूप में देखा जाता है। शिक्षक छात्र के साथ सकारात्मक संबंध बनाता है, एक गर्मजोशी भरा और सहयोगी माहौल बनाता है। वे एक सुलभ और मैत्रीपूर्ण व्यवहार स्थापित करते हैं, जो खुले संचार और विश्वास को प्रोत्साहित करता है। शिक्षक छात्र के व्यक्तित्व, रुचियों और भलाई को महत्व देता है।
  • दार्शनिक (Philosopher): शिक्षक, एक दार्शनिक के रूप में, छात्रों को उनके आसपास की दुनिया की खोज और समझने में मार्गदर्शन करता है। वे आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करते हैं और छात्रों को अपने दृष्टिकोण और अंतर्दृष्टि विकसित करने में मदद करते हैं। शिक्षक जिज्ञासा को प्रोत्साहित करता है, प्रश्न पूछने को प्रोत्साहित करता है, और सार्थक चर्चाओं में संलग्न होकर और विचारोत्तेजक सीखने के अनुभव प्रदान करके बौद्धिक विकास को सुविधाजनक बनाता है।
  • मार्गदर्शक (Guide): शिक्षक, एक मार्गदर्शक के रूप में, छात्रों को उनकी शैक्षिक यात्रा में सहायता करता है। वे दिशा, समर्थन और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। शिक्षक छात्रों को लक्ष्य निर्धारित करने, कौशल विकसित करने और सीखने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद करता है। वे शैक्षणिक मामलों पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, समस्या-समाधान की सुविधा प्रदान करते हैं और स्व-निर्देशित सीखने को प्रेरित करते हैं। शिक्षक एक रोल मॉडल के रूप में कार्य करता है, जो छात्रों को सूचित विकल्प और निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता है।

प्रकृतिवाद में, छात्र-केंद्रित शिक्षण वातावरण बनाने पर जोर दिया जाता है जहां शिक्षक एक सहायक और सुविधा प्रदान करने वाली भूमिका निभाता है। शिक्षक का उद्देश्य छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देना, उन्हें गंभीर रूप से सोचने, उनकी रुचियों का पता लगाने और स्वायत्तता की भावना विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना है। व्यावसायिक संबंध बनाए रखते हुए, शिक्षक छात्र को शैक्षणिक, बौद्धिक और व्यक्तिगत रूप से बढ़ने में मदद करने के लिए एक मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।

Why is it important to have a good relationship between teachers and students?

(शिक्षकों और छात्रों के बीच अच्छे संबंध होना क्यों महत्वपूर्ण है).

शिक्षकों और छात्रों के बीच अच्छे संबंध होना कई कारणों से महत्वपूर्ण है:

  • प्रभावी शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया (Effective Teaching-Learning Process): शिक्षकों और छात्रों के बीच एक सकारात्मक संबंध शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया को बढ़ाता है। जब छात्र सहज और सम्मानित महसूस करते हैं, तो उनके कक्षा में सक्रिय रूप से शामिल होने, प्रश्न पूछने और चर्चाओं में भाग लेने की अधिक संभावना होती है। यह इंटरैक्शन बेहतर समझ, ज्ञान को बनाए रखने और शैक्षणिक विकास को बढ़ावा देता है।
  • सकारात्मक कक्षा वातावरण (Positive Classroom Environment): एक अच्छा शिक्षक-छात्र संबंध सकारात्मक कक्षा वातावरण में योगदान देता है। जब आपसी विश्वास, सम्मान और खुला संचार होता है, तो छात्र अपने विचारों और विचारों को व्यक्त करने में सुरक्षित महसूस करते हैं। एक सकारात्मक माहौल छात्रों के बीच सहयोग, सहयोग और अपनेपन की भावना को बढ़ावा देता है, जिससे सीखने का अनुभव अधिक उत्पादक और आनंददायक होता है।
  • छात्रों की बढ़ती भागीदारी (Increased Student Participation): एक मजबूत शिक्षक-छात्र संबंध कक्षा में छात्रों की बढ़ती भागीदारी को प्रोत्साहित करता है। जब छात्र अपने शिक्षक द्वारा मूल्यवान और समर्थित महसूस करते हैं, तो वे पाठों में सक्रिय रूप से शामिल होने, अपने दृष्टिकोण साझा करने और कक्षा की गतिविधियों में योगदान करने के लिए अधिक प्रेरित होते हैं। यह सक्रिय भागीदारी गहन शिक्षा और आलोचनात्मक सोच कौशल की सुविधा प्रदान करती है।
  • शैक्षिक विकास (Educational Development): शिक्षकों और छात्रों के बीच अच्छा संबंध छात्रों के शैक्षिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। जब सकारात्मक तालमेल होता है, तो शिक्षक छात्रों की व्यक्तिगत शक्तियों, कमजोरियों और सीखने की शैलियों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। यह समझ शिक्षकों को छात्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए व्यक्तिगत मार्गदर्शन, समर्थन और अनुरूप निर्देश प्रदान करने की अनुमति देती है, जिससे शैक्षणिक प्रदर्शन और विकास में सुधार होता है।

इसके अतिरिक्त, एक सकारात्मक शिक्षक-छात्र संबंध छात्रों के समग्र विकास पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है। यह सामाजिक-भावनात्मक कौशल को बढ़ावा दे सकता है, आत्मविश्वास बढ़ा सकता है और सीखने के प्रति छात्रों के दृष्टिकोण को बढ़ा सकता है। जिन छात्रों का अपने शिक्षकों के साथ सकारात्मक संबंध होता है, उनके प्रेरित, प्रेरित और समर्थित महसूस करने की अधिक संभावना होती है, जिसका उनकी शैक्षिक यात्रा और भविष्य की सफलता पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

कुल मिलाकर, शिक्षकों और छात्रों के बीच एक अच्छा रिश्ता प्रभावी शिक्षण, सकारात्मक कक्षा गतिशीलता, छात्र जुड़ाव में वृद्धि और समग्र शैक्षिक विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है।

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How to build an effective teacher-student relationship?

(प्रभावी शिक्षक-छात्र संबंध कैसे बनाएं).

एक प्रभावी शिक्षक-छात्र संबंध बनाने के लिए प्रयास और सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। आपके छात्रों के साथ मजबूत संबंध को बढ़ावा देने में मदद के लिए यहां कुछ रणनीतियाँ दी गई हैं:

  • प्रत्येक छात्र का नाम तुरंत जानें (Know each student’s name quickly): जितनी जल्दी हो सके अपने छात्रों के नाम सीखने और याद रखने का प्रयास करें। उन्हें संबोधित करते समय उनके नाम का उपयोग करने से पहचान और व्यक्तिगत संबंध की भावना पैदा होती है।
  • प्रत्येक छात्र को व्यक्तिगत रूप से जानें (Get to know each student individually): अपने छात्रों की अद्वितीय शक्तियों, रुचियों और पृष्ठभूमि को समझने के लिए समय निकालें। बातचीत में शामिल हों, प्रश्न पूछें और सक्रिय रूप से उनके विचारों और अनुभवों को सुनें। यह एक व्यक्ति के रूप में उनमें आपकी वास्तविक रुचि को दर्शाता है।
  • कक्षा में उत्साह के साथ पढ़ाएँ (Teach with enthusiasm in class): अपने शिक्षण में जुनून और ऊर्जा लाएँ। विषय वस्तु के बारे में उत्साह दिखाएं, आकर्षक शिक्षण विधियों का उपयोग करें, और छात्रों को सीखने में प्रेरित और रुचि बनाए रखने के लिए अपनी निर्देशात्मक रणनीतियों में बदलाव करें।
  • हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण रखें (Always keep a positive attitude): कक्षा में सकारात्मक और उत्साहवर्धक आचरण बनाए रखें। आशावाद दिखाएं, छात्रों की उपलब्धियों का जश्न मनाएं और रचनात्मक प्रतिक्रिया प्रदान करें जो उनके विकास और सुधार पर प्रकाश डालती है।
  • कक्षा में हाल की किसी घटना पर चर्चा करें (Discuss in class a recent incident): वर्तमान घटनाओं, प्रासंगिक विषयों, या घटनाओं के बारे में खुली चर्चा के अवसर बनाएँ जो आपके छात्रों के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। उन्हें अपने दृष्टिकोण साझा करने और सम्मानजनक बहस में शामिल होने, समावेशिता और आलोचनात्मक सोच की भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • छात्रों को सकारात्मक टिप्पणियाँ दें (Give positive comments to students): छात्रों के प्रयासों, उपलब्धियों और सकारात्मक व्यवहार के लिए वास्तविक प्रशंसा और मान्यता प्रदान करें। उनकी शक्तियों को उजागर करें और उनकी प्रगति को स्वीकार करें, जिससे उनका आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान बढ़े।
  • ऐसा वातावरण बनाएं जहां कोई भी प्रश्न पूछने में संकोच न करे (Create an environment where no one will hesitate to ask questions): एक सुरक्षित और सहायक कक्षा वातावरण को बढ़ावा दें जहां छात्र प्रश्न पूछने और स्पष्टीकरण मांगने में सहज महसूस करें। जिज्ञासा और बौद्धिक अन्वेषण की संस्कृति को प्रोत्साहित करें।
  • छात्रों के साथ प्रशंसा और सम्मान के साथ व्यवहार करें (Treat students with praise and respect): अपने छात्रों को सक्रिय रूप से सुनकर, उनकी राय को महत्व देकर और उनके साथ दया और सहानुभूति के साथ व्यवहार करके उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित करें। अपनी बातचीत में समानता और निष्पक्षता की भावना को बढ़ावा दें।
  • प्रत्येक छात्र की देखभाल और समर्थन करें (Show care and support to each student): अपने छात्रों की भलाई और शैक्षणिक सफलता के लिए वास्तविक देखभाल प्रदर्शित करें। मार्गदर्शन प्रदान करें, आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त सहायता प्रदान करें, और उन छात्रों के लिए सुलभ रहें जिन्हें अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
  • सज़ा देने या गलत भाषा का प्रयोग करने से बचें (Avoid punishing or using ill-language): सकारात्मक अनुशासन रणनीतियों का उपयोग करें जो सज़ा का सहारा लेने के बजाय संघर्षों को समझने और हल करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने या अपमानजनक टिप्पणियां करने से बचें जो छात्रों के आत्मसम्मान को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • छात्रों के बीच सहायक व्यवहार सिखाएं (Teach supportive behavior among the students): छात्रों के बीच सहयोग, सहानुभूति और सम्मान की कक्षा संस्कृति को बढ़ावा दें। टीम वर्क, सहयोगात्मक शिक्षा और एक-दूसरे की सफलताओं का जश्न मनाने को प्रोत्साहित करें।
  • सीखने को मज़ेदार बनाएं (Make learning fun): सीखने को आनंददायक और आकर्षक बनाने के लिए इंटरैक्टिव गतिविधियों, गेम और रचनात्मक असाइनमेंट को शामिल करें। ऐसे तत्वों को शामिल करें जो विभिन्न शिक्षण शैलियों को पूरा करते हैं और सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करते हैं।
  • निष्पक्ष रहें (Stay unbiased): सभी छात्रों के साथ निष्पक्ष और समान व्यवहार करें, चाहे उनकी पृष्ठभूमि, क्षमताएं या प्राथमिकताएं कुछ भी हों। पक्षपात और पक्षपात से बचें, एक समावेशी शिक्षण वातावरण सुनिश्चित करें जो विविधता को महत्व देता हो।

एक प्रभावी शिक्षक-छात्र संबंध बनाने में आपके छात्रों की भलाई और सफलता के लिए समय, निरंतरता और वास्तविक देखभाल की आवश्यकता होती है। इन रणनीतियों को लागू करके, आप एक सकारात्मक कक्षा वातावरण बना सकते हैं जो सार्थक संबंधों को बढ़ावा देता है और शिक्षण और सीखने के अनुभव को बढ़ाता है।

सकारात्मक शिक्षक-छात्र संबंध के लाभ

(benefits of a positive teacher-student relationship).

दरअसल, एक सकारात्मक शिक्षक-छात्र संबंध छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए कई लाभ लाता है। यहां कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

  • शैक्षणिक सफलता को बढ़ावा देता है (Promotes Academic Success): शिक्षकों और छात्रों के बीच सकारात्मक संबंध का शैक्षणिक प्रदर्शन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। जब छात्र अपने शिक्षकों से जुड़ाव महसूस करते हैं, तो वे सक्रिय रूप से सीखने में संलग्न होने, जरूरत पड़ने पर मदद मांगने और शैक्षणिक जोखिम लेने के लिए अधिक प्रेरित होते हैं। यह जुड़ाव और समर्थन बेहतर शैक्षणिक उपलब्धि में योगदान देता है।
  • छात्रों में आत्मविश्वास विकसित होता है (Confidence is Developed in Students): एक सकारात्मक शिक्षक-छात्र संबंध छात्रों के आत्मविश्वास और उनकी क्षमताओं में विश्वास को बढ़ावा देता है। जब छात्र अपने शिक्षकों द्वारा मूल्यवान, सम्मानित और समर्थित महसूस करते हैं, तो उनके चुनौतियों का सामना करने, अपने विचार व्यक्त करने और कक्षा में सक्रिय रूप से भाग लेने की अधिक संभावना होती है। आत्मविश्वास की यह भावना उनके समग्र शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
  • कक्षा में एक सकारात्मक माहौल बनता है (A Positive Atmosphere is Created in the Classroom): एक सकारात्मक शिक्षक-छात्र संबंध एक सामंजस्यपूर्ण और सहायक कक्षा के माहौल को बढ़ावा देता है। जब शिक्षकों और छात्रों में परस्पर सम्मान और विश्वास होता है, तो यह एक सुरक्षित और समावेशी शिक्षण वातावरण की नींव तैयार करता है। छात्र अपने विचार व्यक्त करने, प्रश्न पूछने और अपने अनुभव साझा करने में सहज महसूस करते हैं। यह सकारात्मक माहौल छात्रों के बीच सहयोग, सहानुभूति और सकारात्मक सामाजिक संपर्क को बढ़ावा देता है।
  • व्यावसायिक विकास में मदद करता है (Helps in Professional Development): शिक्षकों के लिए, छात्रों के साथ सकारात्मक संबंध स्थापित करना उनके व्यावसायिक विकास में योगदान दे सकता है। जब शिक्षक अपने छात्रों के साथ मजबूत संबंध बनाते हैं, तो उन्हें उनकी व्यक्तिगत ज़रूरतों, रुचियों और सीखने की शैलियों के बारे में जानकारी मिलती है। यह समझ शिक्षकों को अपने निर्देश को अनुकूलित करने और प्रभावी शिक्षण रणनीतियों को लागू करने की अनुमति देती है। यह शिक्षकों को अपनी प्रथाओं पर विचार करने और अपनी शिक्षण विधियों में लगातार सुधार करने का अवसर भी प्रदान करता है।

कुल मिलाकर, एक सकारात्मक शिक्षक-छात्र संबंध एक अनुकूल सीखने का माहौल बनाता है जो शैक्षणिक सफलता को बढ़ावा देता है, छात्रों में आत्मविश्वास पैदा करता है, सकारात्मक कक्षा के माहौल को बढ़ावा देता है और शिक्षकों के पेशेवर विकास का समर्थन करता है। यह समग्र शैक्षिक अनुभव को बढ़ाता है और छात्रों के समग्र विकास में योगदान देता है।

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पुलों का निर्माण: समग्र विकास के लिए मजबूत शिक्षक-छात्र संबंधों को बढ़ावा देना

(building bridges: fostering strong teacher-student relationships for holistic growth).

एक समय की बात है, एक जीवंत भारतीय गाँव में, सुश्री शर्मा नाम की एक समर्पित और भावुक शिक्षिका रहती थीं। उन्हें अध्यापन से बहुत प्यार था और वे वास्तव में अपने छात्रों की भलाई और सफलता की परवाह करती थीं। उनकी कक्षा एक जीवंत और स्वागत योग्य स्थान थी, जहाँ छात्र मूल्यवान और पोषित महसूस करते थे।

  • उनके छात्रों में राहुल नाम का एक डरपोक और अंतर्मुखी लड़का था। राहुल अविश्वसनीय रूप से प्रतिभाशाली थे लेकिन उन्हें अपनी क्षमताओं पर भरोसा नहीं था। सुश्री शर्मा ने राहुल की क्षमता को पहचाना और उसे आगे बढ़ने में मदद करना अपना मिशन बना लिया। उसने गर्मजोशी और सहानुभूति के साथ उससे संपर्क किया और उसे कक्षा चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लेने और अपने अद्वितीय दृष्टिकोण साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • सुश्री शर्मा (Ms. Sharma), राहुल के साथ मजबूत रिश्ते को बढ़ावा देने के महत्व को समझती थीं। उन्होंने उसकी रुचियों, शक्तियों और चुनौतियों को समझने के लिए समय लिया। उसने उसके आत्म-संदेह को दूर करने में मदद करने के लिए व्यक्तिगत सहायता प्रदान की, अतिरिक्त मार्गदर्शन और संसाधन प्रदान किए।
  • अपनी बातचीत के दौरान, सुश्री शर्मा को राहुल के पेंटिंग के प्रति जुनून का पता चला। उन्होंने उसे अपनी कलात्मक प्रतिभा का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया और उसकी कलाकृति को एक स्थानीय कला प्रदर्शनी में प्रदर्शित करने की भी व्यवस्था की। राहुल की क्षमताओं में सुश्री शर्मा के अटूट विश्वास ने उनमें आत्मविश्वास की एक नई भावना पैदा की और उन्होंने उनकी कलात्मक क्षमता को अपनाना शुरू कर दिया।
  • जैसे-जैसे स्कूल वर्ष आगे बढ़ा, सुश्री शर्मा ने कक्षा में एक सकारात्मक माहौल तैयार किया, जहाँ छात्रों को अपने विचार व्यक्त करने और एक-दूसरे का समर्थन करने में सहज महसूस हुआ। छात्रों ने एक घनिष्ठ समुदाय बनाया, एक-दूसरे की उपलब्धियों का जश्न मनाया और जरूरत पड़ने पर मदद का हाथ बढ़ाया।
  • सुश्री शर्मा का समर्पण शिक्षा से परे तक फैला हुआ था। वह समझती थी कि उसके छात्रों की भावनात्मक भलाई भी उतनी ही महत्वपूर्ण थी। उन्होंने खुले संचार को प्रोत्साहित किया, अपने छात्रों की चिंताओं को ध्यान से सुना और व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करने पर मार्गदर्शन प्रदान किया।
  • सुश्री शर्मा के अटूट समर्थन और मार्गदर्शन से, राहुल का कलात्मक कौशल निखरा। उन्होंने एक राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लिया और प्रथम पुरस्कार जीता। उनका नया आत्मविश्वास उनके जीवन के अन्य पहलुओं में फैल गया और उन्होंने अकादमिक रूप से भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
  • स्कूल वर्ष के अंत में, छात्रों ने सुश्री शर्मा को उनके अटूट समर्थन और प्यार के लिए दिल से आभार व्यक्त किया। उन्होंने उनके जीवन पर उनके गहरे प्रभाव को स्वीकार किया और उनके द्वारा बनाए गए सुरक्षित और प्रेरणादायक वातावरण की सराहना की।
  • सुश्री शर्मा (Ms. Sharma )और उनके छात्रों के बीच का रिश्ता आपसी सम्मान, विश्वास और देखभाल का था। अपने समर्पण और पोषण दृष्टिकोण के माध्यम से, सुश्री शर्मा ने अपने छात्रों के जीवन को बदल दिया, उन्हें उनकी वास्तविक क्षमता का एहसास करने में मदद की और उनमें सीखने के लिए आजीवन प्यार पैदा किया।
  • और इसलिए, सुश्री शर्मा और उनके छात्रों की कहानी एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करती है कि एक सकारात्मक शिक्षक-छात्र संबंध भारतीय परिवेश में युवा शिक्षार्थियों के जीवन पर कितना गहरा प्रभाव डाल सकता है।
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Wednesday 3 June 2020

छात्र और शिक्षक अनोखा रिश्ता पर निबंध student teacher relationship essay in hindi.

essay on relation between teacher and student in hindi

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Essay on Teacher – Student Relationship in Hindi

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शिक्षक पर निबंध (Teacher Essay in Hindi)

एक विद्यार्थी के जीवन में शिक्षक एक ऐसा महत्वपूर्ण इंसान होता है जो अपने ज्ञान, धैर्य, प्यार और देख-भाल से उसके पूरे जीवन को एक मजबूत आकार देता है। यहाँ दिये गये प्रत्येक निबंध एक विद्यार्थी के जीवन में एक शिक्षक के महत्व को रेखांकित करता है साथ ही उसकी भूमिका को भी स्पष्ट करेगा। ये निबंध बेहद सरल और अलग-अलग शब्द सीमाओं में दिये गये हैं जिसका उपयोग विद्यार्थी अपनी आवश्यकतानुसार कर सकते हैं।

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शिक्षक पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Teacher in Hindi, Shikshak par Nibandh Hindi mein)

शिक्षक पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

शिक्षक के पेशे को सबसे अच्छे और आदर्श पेशे के रुप में माना जाता है क्योंकि शिक्षक किसी के जीवन को बनाने में निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देते हैं। उनके समर्पित कार्य की तुलना किसी अन्य कार्य से नहीं की जा सकती। शिक्षक वो होते हैं, जो अपने सभी विद्यार्थियों का ध्यान रखते हैं। वो उनके खाने की आदत, स्वच्छता का स्तर, दूसरों से व्यवहार और पढ़ाई की ओर एकाग्रता की जाँच करते हैं।

शिक्षक की भूमिका

शिक्षक स्कूलों में हर चौथे महीने में स्वास्थ्य कैंप का आयोजन करते हैं जिससे विद्यार्थियों का वजन, कद, बौद्धिक स्तर, रक्तचाप, हृदय गति, फेफड़ों की क्षमता, खून की जाँच, पेशाब की जाँच, छोटी माता प्रतिरक्षण, एमएमआर के लिये प्रतिरक्षा, चेचक, डीपीटी बूस्टर खुराक, पोलियो ड्रॉप आदि की नियमित जाँच हो सके और उनका स्वास्थ्य रिकार्ड रखा जाये।

शिक्षक और विद्यार्थी का सम्बन्ध

एक शिक्षक और एक विद्यार्थी का सम्बन्ध अनूठा होता है। विद्यार्थी श्रद्धा भाव रखकर ज्ञान रूपी अमृत प्राप्त करता है और शिक्षक अभिभावक की तरह ज्ञान प्रदान करता है। शिक्षक केवल अपने विद्यार्थियों को खुश और सफल देखना चाहते हैं। एक अच्छा शिक्षक कभी अपना धैर्य नहीं खोता और हर विद्यार्थी के अनुसार पढ़ाता है।

शिक्षक हमें साफ कपड़े पहनने के लिये, स्वस्थ भोजन खाने के लिये, अपने माता पिता का ध्यान देने के लिये, दूसरों से अच्छा व्यवहार करने के लिये, जीवन में कभी झूठ नहीं बोलने के लिये, सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिये, अपने स्कूल, कॉपी, किताबों, दूसरी चीजों का ध्यान देने के लिये, पढ़ाई में एकाग्रता के लिये प्रार्थना करने के लिये, किसी भी दुविधा को लेकर अपने विषय शिक्षक से चर्चा करने के लिये आदि बहुत सी अच्छी बातों के लिये प्रेरित करते हैं।

इसे यूट्यूब पर देखें – Essay on Teacher in Hindi

Shikshak par Nibandh – निबंध 2 (300 शब्द)

विजय और सफलता पाने के लिये जीवन में शिक्षा को सबसे शक्तिशाली हथियार के रुप में माना जाता है। अपने देश के भविष्य और युवाओं के जीवन को बनाने और उसे आकार देने के लिये इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और कार्य को करने के लिये शिक्षकों को दिया जाता है। शिक्षा की ओर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को शिक्षक निभाता है और बच्चों के वर्तमान और भविष्य को बनाता है। अपने पूरे जीवन भर ढेर सारे विद्यार्थियों को निर्देशित और शिक्षित करने के द्वारा अच्छे समाज का निर्माण करने में शिक्षक एक महान कार्य करता है।

जीवन में सही रास्ता चुनने के लिये शिक्षक को भगवान द्वारा धरती पर भेजा जाता है साथ ही साथ बुरी परिस्थिति में सही फैसला करने में उन्हें सक्षम बनाता है। शिक्षक बच्चों को उनके बचपन से ही नेतृत्व करते हैं और उन्हें मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रुप से काबिल बनाते हैं। शिक्षक किसी सामान्य व्यक्ति की तरह होते हैं जो हमारे बीच में से ही होते हैं लेकिन वो अपने विद्यार्थियों के लिये पढ़ाने का एक अलग कार्य चुनते हैं।

मेरी सबसे प्रिय शिक्षिका कला और विज्ञान की हैं जो अपने चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान लिये रहती हैं और हमें खुश रखती हैं। अपने पढ़ाने की रणनीति में वो ढेर सारी रणनीति को जोड़ती हैं जो हम बहुत पसंद करते हैं। हम सभी को उनके पढ़ाने का तरीका बहुत पसंद है और हम सभी उनके विषय में अच्छा प्रतिशत लाते हैं। वो हमें जीवन की सच्चाई से रुबरु कराती हैं, अपने जीवन के अनुभव बताती हैं और मुश्किल परिस्थितियों से आसानी से निकलने का तरीका सिखाती हैं।

वो हमारी सबसे प्रिय शिक्षिका हैं तथा सभी बच्चों को एक बराबर तरीके से समझती हैं। वो हमारे बीच में किसी से अलग व्यवहार नहीं करती और हमेशा अच्छा करने के लिये प्रेरित करती हैं। हमलोग घर पर अपने अभिभावकों से उनकी अच्छाईयों का गुणगान करते हैं। वो जानती हैं कि हमलोग केवल उन्हीं के विषय में बहुत रुचि लेते हैं इसलिये, एक दिन उन्होंने कहा कि हम सभी को हर विषय में ध्यान देना चाहिये जिससे कोई भी हमें किसी भी क्षेत्र में हरा न सके। हमें हर पहलू में मजबूत बनना चाहिये इसी वजह से हमें हर विषय को एक बराबर पढ़ना चाहिये।

शिक्षक पर निबंध – 3 (400 शब्द)

हमारे लिये एक शिक्षक भगवान की तरफ से एक अनमोल तोहफा है। एक शिक्षक ईश्वर की तरह है क्योंकि ईश्वर पूरे ब्रह्माण्ड का निर्माता होता है जबकि एक शिक्षक को एक अच्छे राष्ट्र का निर्माता माना जाता है। शिक्षक समाज में बहुत प्रतिष्ठित लोग होते हैं जो पढ़ाने के अपने जादू के माध्यम से आम लोगों की जीवन शैली और दिमागी स्तर को बढ़ाने की जिम्मेदारी उठाते हैं। अपने बच्चों के लिये माता-पिता एक शिक्षक से बहुत उम्मीद रखते हैं। एक शिक्षक की भूमिका कक्षा से खेल के मैदान और हरेक विद्यार्थी के लिये बदलती रहती है। हरेक के जीवन में शिक्षक बहुत महत्वपूर्ण इंसान होता है जो हमारे जीवन में अलग-अलग कार्य करता प्रतीत होता है।

कक्षा में आने से पहले, एक अच्छा शिक्षक रोज के शिक्षा के अपने लक्ष्य को सुनिश्चित करता है। हर शिक्षक के पढ़ाने की अपनी अलग खासियत होती है। वो अपने ज्ञान, कौशल और व्यवहार में हर विषय के लिये बदल सकते हैं। वो अपना सबसे बेहतरीन प्रयास करते हैं और जीवन में हमको हमारे लक्ष्य तक पहुंचने में बहुत मदद करते हैं। सभी के जीवन में स्कूली जीवन सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि यही वो समय होता है जब लोग जीवन की मूल बातें और अलग-अलग विषय सीखते हैं। हम सभी अपना लक्ष्य स्कूल के समय में ही तय कर लेते हैं जो हमारे राष्ट्र के विकास का फैसला करता है। हरेक विद्यार्थी स्कूल में अपने दिमाग को खोल के रखता है और खेल, क्विज़, समूह चर्चा, बहस, निबंध लेखन, भाषण, पर्यटन, यात्राऔर अध्ययन यात्रा आदि जैसे अतिरिक्त गतिविधियों में भाग लेने के द्वारा अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ाते हैं।

अच्छा शिक्षक अपने विद्यार्थियों का अच्छा दोस्त भी होता है जो उन्हें सही रास्ता प्राप्त करने में मदद करता है। स्कूल और कॉलेजों में बहुत सारे शिक्षक होते हैं लेकिन कोई एक शिक्षक सभी विद्यार्थियों का पसंदीदा होता है। अनोखे शिक्षण और सिखाने की प्रक्रिया के अपने सामूहिक भूमिका के माध्यम से शिक्षक हमारे शिक्षा का लक्ष्य तय करते हैं। हमारे शिक्षकगण हमको हमेशा सौहार्द में कार्य करने के लिये प्रेरित करते हैं। हमारे शिक्षक हमें समझते हैं और हमारी समयस्याओं को व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों तरीके से सुलझाते हैं। वो हमें जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया अपनाना सिखाते हैं।

एक अच्छा शिक्षक वो होता है जो अपने पूरे जीवन में विद्यार्थियों को केवल देता है लेकिन कुछ भी लेता नहीं है बल्कि वो अपने विद्यार्थियों की सफलता से बहुत खुश हो जाता है। एक बेहतरीन शिक्षक वो होता है जो अपने राष्ट्र के लिये एक बेहतरीन भविष्य की पीढ़ी उपलब्ध कराता है। केवल उचित शिक्षा से ही सामाजिक समस्याएँ, भ्रष्टाचार आदि को खत्म किया जा सकता है जो अंतत: एक राष्ट्र को वास्तविक विकास और वृद्धि की ओर ले जायेगा।

निबंध 4 (600 शब्द)

शिक्षक वह होते हैं जो अपनी ज्ञान कीज्योति से हमें प्रकाशित करते हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं। यह किसी भी आयु वर्ग के लोग हो सकते हैंऔर इनका हमारे जीवन को सफल बनाने में बहुत बड़ा योगदान होता है। इतिहास में जितने भी महान पुरुष हुए सभी के शिक्षकों का भी जिक्रहमें मिलता है।शिक्षक जिसे हम गुरु कह कर भी बुलाते हैं, और हमारे अभिलेखों में गुरु को वंदनीय एवं पूजनीय बताया गया है। हम प्रत्येक गुरुपूर्णिमा के अवसर पर इनकी पूजा भी करते हैं।

हमारे पुराणों में गुरु को भगवान से बढ़ कर बताया गया है, वो इस लिये क्यों कि यह माना जाता है कि धरती पर मनुष्य जब आया तो उसे भगवान का बोध नहीं था, वह गुरु ही है जिसने मनुष्य को भगवान से अवगत कराया। इस लिये पहले गुरु की पूजा की जाती है और उसके बाद भगवान की। हमारे हिंदू मान्यताओं में शिक्षक को भगवान से भी उपर माना जाता है।

शिक्षक की उपयोगिता

किसी भी समाज कोविकसित करने के लिये, यह महत्वपूर्ण है कि वहां के लोग शिक्षित हों और एक शिक्षक ही ऐसे समाज का निर्माण कर सकता है। अर्थात शिक्षक को हम किसी देश के प्रगति का सूचकमान सकते हैं। वे बच्चों को शिक्षित करते हैं और अपनी ज्ञान की आभा से उन्हे चमकना सिखाते हैं, जिससे बच्चे क्षितिज से निकलते नन्ही किरणों से सफर तय कर के, नभ तल पर आकर सूर्य की तरह चमकना सीख जाते हैं और देश का नाम रौशन करते हैं।

मनुष्य चाहे जितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, उसे कभी न कभी एक मार्गदर्शक कि आवश्यकता जरूर पड़ती है और आपका मार्गदर्शक ही आपका शिक्षक व गुरु है। गुरु की सीमा केवल स्कूली पुस्तकों मात्र तक सीमित नहीं होती, जरूरत पड़ने पर वे सच्चे दोस्त भी बन जाते हैं और आपकी हर प्रकार से सहायता करते हैं।

किसे आप शिक्षक कह सकते हैं

ऐसे तो हर वह शक्सशिक्षक कहलाता है जिससे आप कुछ सीखते हैं, चाहे वह आपकी मां ही क्यों न हो। मां किसी भी व्यक्ति की पहली शिक्षक होती है जो उसे चलना, बोलना जैसी मूलभूत आवश्यकताएं सिखाती हैं। अध्यापक वह व्यक्ति है जो आपको स्कूल में शिक्षा देते हैं, गुरु जो जीवन संबधी ज्ञान देते हैं और शिक्षक इन दोनो के मिश्रण को कहते है, जो आवश्यकता पड़ने पर हर प्रकार से आपको अज्ञान के अंधेरे से बाहर निकालते हैं।

हम अपने शिक्षकों का जितना भी गुणगान करें कम ही है और छात्रों के जीवन मे उनके स्कूली शिक्षकों का बहुत योगदान होता है, वे उन्हे सदैव याद रखते हैं।महात्मा गांधी, गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनैतिक गुरु मानते थे, ठीक इसी प्रकार भले किसी के जीवन में गुरु अलौकिक रूप से उपस्थित रहते हैं, परंतु उसके शिष्य के अच्छे प्रदर्शन से गुरु की चर्चा खुद ब खुद होने लगती है।

शिक्षक की आवश्यकता सर्वत्रहोती है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। उनकी शिक्षा कि झलक हमेंउनके क्षात्रों मे मिल जाती है। एक अच्छा गुरु सदैव अपने शिष्य को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करता है। हमें सदैव अपने गुरु का आदर करना चाहिये और सच्चे मायनों मे गुरु का आदर तभी हो सकता है, जब हम उनके बताए गए मार्ग पर चलें। एक शिक्षक होना बहुत कठिन कार्य है और नमन है सभी शिक्षकों को जिसने मेरे जीवन में अहम भुमिका निभाई। आज कल के दौर में फोन और सोशल मीडियाकी मदद से लोग आपस में जुड़े रहते हैं और अपने शिक्षकों से जुड़े रहने के यह सबसे अच्छे माध्यम हैं। कुछ लोग जो शिक्षक का पेशा चुनते हैं वाकई में काबिले तारीफ होते हैं। जो अपने कंधो पर देश को भविष्य संवारने का दायित्व लेकर चलते हैं। नमन है ऐसे हौसलों को नमन है सभी शिक्षकों को।

Essay on Teacher in Hindi

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FAQs: Frequently Asked Questions

उत्तर – शिक्षकों के सम्मान के लिए शिक्षक दिवस (Teachers Day) मनाया जाता है।

उत्तर – शिक्षक बच्चों को जीवन में अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं।

उत्तर – सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका थीं।

उत्तर – हाल में रणजीत सिंह डिसले को ग्लोबल टीचर प्राइज 2020 (Global Teacher Award 2020) से पुरस्कृत किया गया है।

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अंग्रेज़ी वार्तालाप # 11 – Conversation between Teacher and Student

Conversation between Teacher and Student… यह Conversation Exercise नीचे दी गयी “Spoken English Guru English Conversations Book” से ली गयी है। यदि आप यह पुस्तक खरीदना चाहते हैं तो नीचे दिये गये पुस्तक के चित्र पर क्लिक करें –

Spoken English Guru English Conversation Book

शिक्षक : सुप्रभात प्रदीप! Teacher:  Good Morning Pradeep!

  विद्यार्थी: सुप्रभात मैम! Student:  Good Morning Ma’am!

  शिक्षक : आपकी छुट्टियां कैसी रही? Teacher:  How were your holidays?

  विद्यार्थी: बहुत जबरदस्त! मैं अपने परिवार के साथ दिल्ली घूमा। Student:  Awesome! I visited Delhi with my family.

  शिक्षक : आपको वहाँ सबसे ज्यादा क्या पसंद आया? Teacher:  What did you like the most in there?

  विद्यार्थी: कुतुब मीनार। Student:   The Qutub Minar.

  शिक्षक : मुझे इसके बारे में कुछ बताओ? Teacher:  Let me know something about it?

विद्यार्थी: कुतुब मीनार ईंटों से बनी दुनिया का सबसे लंबी मीनार है। यह आश्चर्यजनक था। यह दिल्ली के मेहरौली इलाके में स्थित है। Student:   The Qutub Minar is the tallest minaret in the world made up of bricks. It was amazing ma’am. It’s located in Mehrauli area in Delhi.

  शिक्षक :  इसके बारे में कुछ और बताओ? Teacher:  Anything else about it?

  विद्यार्थी: मेरे पापा जी ने मुझे बताया कि इसका निर्माण कुतुब-उद्दीन ऐबक द्वारा शुरू किया गया था और उसके बेटे इल्तुतमिश द्वारा पूरा किया गया। Student:   My father told me that its construction was started by Qutub-ud-din Aibak and completed by his son Iltutmish.

  शिक्षक :   बहुत अच्छे, आपने वाकई में अच्छा नॉलेज लिया। Teacher:  That’s great, you really gained good knowledge.

विद्यार्थी: धन्यवाद मैम। Student:  Thank you ma’am.

  शिक्षक :  क्या आपने अपना होमवर्क भी पूरा किया? Teacher:  Did you complete your homework as well?

Conversation between teacher and student continues….

विद्यार्थी: हाँ मैम, मैंने सब कुछ खत्म कर दिया, बस दो टॉपिक्स को छोड़कर जो मैं अच्छी तरह से समझ नहीं पाया: डिरेक्ट इनडिरेक्ट नरेशन और इन्फिनिटिव्स के पैसिव वॉइस। ये दो छूटे हैं, बाकी सब कुछ पूरा हो गया है। Student:  Yes ma’am, I finished everything just except the two topics that I couldn’t understand well: Direct-Indirect Narration & Passive of Infinitives. These two are pending, rest is done.

शिक्षक :  मैंने स्पोकन इंग्लिश गुरु यूट्यूब चैनल वीडियो के माध्यम से इन विषयों को सीखने के लिए कक्षा में सभी को बताया था। Teacher:  I had told everyone in the class to learn these topics through Spoken English Guru YouTube channel videos.

  विद्यार्थी: ओह! यह  मेरे दिमाग से निकल गया। मैं आज शाम को देख लूंगा। Student:  Oh! It just slipped from my mind. I’ll watch it in the evening today.

  शिक्षक :   देखो, चैनल प्लेलिस्ट पर जाना। आपको वहाँ दोनों पाठ मिलेंगे।  Teacher:  See, go to channel playlist. You will find both the lessons there.

  विद्यार्थी: ठीक है, मैम। मैं ढूँढ लूँगा। Student:  Yes ma’am. I’ll find it.

  शिक्षक: अच्छा, राहुल कहाँ है? Teacher: Well, where is Rahul?

  विद्यार्थी: मैम, वो शायद घर पर है। उसकी मम्मी ने कल मुझे बताया कि उसे सर्दी लग गयी है। Student: Ma’am, he is probably at home. His mother told me yesterday that he had got cold.

शिक्षकः ओह, ठीक है! मैं उसकी मम्मी से बात करुँगी । आप घर जाओ और बाकी का होमवर्क पूरा  करो। Teacher:  Oh I see! I’ll talk to his mom. You go home and complete the rest of the homework.

  विद्यार्थी: धन्यवाद मैम। Student:  Thank you ma’am.

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8 thoughts on “अंग्रेज़ी वार्तालाप # 11 – Conversation between Teacher and Student”

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क्या How के साथ were का use होता है सर ? How were your holidays? क्या ये सही है?

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It’s not about “HOW”, we have to put was/were as per the subject only. What’s the subject here – “Your holidays” {Plural}.

How were your holidays? – correct (more offs than a day) How was your holiday? – correct (only one day off)

Hope you got the point.

Yes, Now I got it. Really you explain grammar concepts so well that it becomes simpler. I am grateful to you dear Sir?

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Sir I want to speak english

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thank you so much sir!

sir,how may I practice of participles,like perfect participle.from which web may I get exercises?

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I new English lessnor you can me help i want to English Teacher.

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Thank you sir

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  • भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
  • यह डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है।
  • वह एक दार्शनिक, शिक्षक और भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे।
  • एक छात्र के जीवन में शिक्षक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • शिक्षक समाज की रीढ़ हैं।
  • शिक्षक दिवस पर हम अपने शिक्षकों को पुरस्कृत करके या उनके बारे में दो शब्द कहकर उन्हें सम्मान देते हैं।
  • स्कूल और कॉलेजों में शिक्षक दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
  • इस दिन छात्र विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
  • छात्र शिक्षकों के प्रति अपना प्यार व्यक्त करने के लिए शुभकामनाएं और उपहार देते हैं।
  • शिक्षक दिवस शिक्षक और छात्र के बीच विशेष बंधन का उत्सव है।

Are you feeling lost and unsure about what career path to take after completing 12th standard?

Say goodbye to confusion and hello to a bright future!

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन (5 सितंबर, 1888) को पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

देश में पहली बार 1962 को शिक्षक दिवस मनाया गया था और तभी से पुरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। इसी साल मई में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने देश के दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर पदभार संभाला था। 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन और शिक्षकों के समाज के प्रति योगदान को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है

हर साल, भारत डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को उनके योगदान और उपलब्धियों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाता है। 5 सितंबर, 1888 को जन्मे डॉ. राधाकृष्णन ने न केवल भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया, बल्कि एक विद्वान, दार्शनिक और भारत रत्न से सम्मानित भी थे।

शिक्षक दिवस पर निबंध लिखने की सरल प्रक्रिया इस लेख में बताई गई है, छात्र यहां दिए गए सैंपल का उपयोग करके शिक्षक दिवस पर हिंदी में निबंध लिखना सिख सकते हैं। 

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शिक्षक और छात्रः बदलते संबंध

बातचीत का अभाव, स्वार्थी उद्देश्य और लाभ, ये सभी शिक्षक-छात्र संबंधों के हिस्से में नहीं होते हैं, क्योंकि ये संबंध स्वार्थी हितों से अलग होते हैं। इन सभी के लिए कोई अवधि नहीं होती है। लेकिन कुछ दिन पहले, मैंने एक समाचार पत्र पढ़ा था जिसमें मैंने जो कुछ भी सोचा था वह उसके विपरीत ही था। ठाकुर विद्या मंदिर विद्यालय के एक प्रधानाचार्य और शिक्षक ने अपने पूर्व छात्रों को अपनी पत्नी की हत्या के लिए 50, 000 रुपये दिए। प्राधानाचार्य अपनी पत्नी को मारना चाहते थे, क्योंकि उनकी पत्नी ने उन पर उसी स्कूल की महिला छात्रों के साथ संबंध रखने के लिए संदेह किया था। उन छात्रों ने उनकी पत्नी को मार दिया और उनका शव फेंकने से पहले उसके शरीर को टुकड़ों में काट दिया था। जिसने निर्दयता की सीमा को पार कर दिया। नैतिक महत्व और मानकों में भी गिरावट आ गयी है, इस कारण अच्छे संबंध भी अप्रभावित नहीं टिक पा रहे हैं। हमें ऐसे शिक्षकों के बारे में विचार करना होगा, जो नैतिक मान्यता को स्थापित करने की बजाय इस तरह के अनैतिक संबंधों और ऐसे कुकर्मों को करते हैं। शिक्षकों और छात्रों के बारे में इस तरह की अधिक से अधिक खबरें आ रही हैं, हमें इस तथ्य से सहमत होना होगा कि शिक्षा का नैतिक मूल्य से कोई लेना देना नहीं है और इस तथ्य को भी सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षक-छात्र संबंध की परिभाषा बदल रही है या बिगड़ रही है।

एक पारंपरिक भारतीय व्यवस्था में गुरु-शिष्य का रिश्ता एक बहुत ही पवित्र रिश्ता माना जाता था, जहाँ गुरु या शिक्षक अपने छात्रों में, आध्यात्मिक, वैदिक, नैतिक और अकादमिक शिक्षाओं को संचारित करते थे। गुरु शब्द का अर्थ एक अंधेरे में फंसे हुए व्यक्ति को ज्योतिमान करना (गु का अर्थ है, अंधकार और रू का अर्थ प्रकाश) है। संपूर्ण उस समय शिक्षा का उद्देश्य उच्च नैतिक महत्व से संतुलित व्यक्तित्व में तथा अज्ञानता को एक ज्ञानता में बदलना होता था। इसके बदले में छात्र अपने गुरुओं के घर के कार्यों में सहायता करते थे और जो समर्थ होता था वह गुरू दक्षिणा के रूप में धन का भुगतान करता था। यह पारस्परिक संबंध शिक्षक के ज्ञान और छात्र की आज्ञाकारिता पर आधारित था। ऐसे गुरु-शिष्य संबंध में, एक सक्षम गुरु के कंधों पर सब कुछ छोड़ दिया जाता था, जो एक निर्माता के रूप में अभिनय करके, अपने शिष्यों या छात्रों को एक नई आकृति प्रदान करता था।

लेकिन आज का परिदृश्य अब पहले की तरह नहीं रहा। यह पूरी तरह से बदल गया है। स्कूल जा रहे बच्चों के साथ, छेड़छाड़ और बलात्कार जैसे मामले और अन्य स्कूल संबंधी अपराधों के कई आत्मघाती मामले स्पष्ट रूप से दर्शा रहे हैं कि बहुत कुछ बदल चुका है। अगर हम समाचार पत्रों की हेडलाइंसों को देखते हैं तो हमें इस प्रकार की कई सुर्खियां दिखाई पड़ती हैं। चेन्नई में एक 10 वीं कक्षा की छात्रा ने शिक्षक द्वारा पिटाई और निर्वस्त्र होने से क्षुब्ध होकर आत्महत्या कर ली थी। दिल्ली में एक शिक्षक द्वारा एक छात्र पर डस्टर फेंकने के कारण उस छात्र ने अपनी आँखे खो दीं थीं और हाल यह हो गया है कि छात्र भी अपने शिक्षकों को नहीं छोड़ते। अपने शिक्षकों को मारने वाले छात्रों की खबरों को भी पूरे भारत में सुना गया है। कुछ अमीर छात्र बहुत ही अक्खड़ होते हैं और वे पैसों के घमंड़ में आकर अपने शिक्षकों का सम्मान भी नहीं करते हैं तथा अपने गुरू की बात पर ध्यान भी नहीं देते, कि वे क्या कह रहे हैं।

यह सिर्फ एक ही नहीं बल्कि कई कारकों का संयोजन है जो इस परिवर्तन को उत्पन्न करने का कारण है। आजकल, शिक्षण अब एक कर्तव्य नहीं, बल्कि पैसा कमाने का स्त्रोत बन गया है। स्कूलों और कॉलेजों के बाद शिक्षक निजी ट्यूशन (शिक्षण) केन्द्र चलाते हैं और ट्यूशन की कक्षाओं में प्रवेश लेने के लिए छात्रों को उकसाते भी हैं। यह सबसे सम्मानित शिक्षक-छात्र संबंधों को भी अपमानित कर रहा है, क्योंकि पैसा हमारे चरित्र को गंदा कर देता है। हम सब पैसे के पीछे भाग रहे हैं इसलिए शिक्षक भी ऐसा ही करते हैं। स्कूलों में उन्हें अच्छा पैसा नहीं दिया जाता है, इसलिए उन्हें ट्यूशन लेने के अतिरिक्त कोई दूसरा विकल्प दिखाई नहीं पड़ता है। इसके साथ ही, ग्रामीण स्कूलों और कुछ शहरी विद्यालयों की बुनियादी सुविधाओं की गुणवत्ता बहुत ही अनैतिक हो गई है। सुविधाओं की कमी इस समस्या को और बढ़ावा दे रही है। इसे रोकने के लिए, शिक्षकों को अच्छा पैसा दिया जाना चाहिए और बुनियादी सुविधाओं की गुणवत्ता में सुधार किया जाना चाहिए या प्रत्येक स्कूल को एक ही स्तर पर लाया जाना चाहिए।

आजकल इंटरनेट की दुनिया है। समाज को इससे कई फायदे होने के साथ-साथ नुकसान भी उठाने पड़ते है। सब कुछ इतना सीधा और आसानी से प्राप्त होने लगा है कि शिक्षक और छात्र सिर्फ एक माउस के क्लिक से अश्लीलता वाले विचारों को देख सकते हैं और यही गंदी सोच इन्हें बुरे कर्मों की तरफ ले जाती है।

कुछ माता-पिता अपने बच्चों पर बहुत अधिक ध्यान देते हैं और हमेशा यदि वे  कुछ गलत करें तो उन्हें रोकते हैं। लेकिन कुछ माता-पिता अपने बच्चों को उन सम्मानों को नहीं सिखाते हैं जो उन्हें अपने शिक्षकों को देना चाहिए। कुछ माता-पिता अपने बच्चों को महंगे फोन और अन्य ऐसे गैजेट (यंत्र) भी दे देते हैं जिससे वे अकड़ कर चलते हैं। इसलिए, बहुत से बच्चे अब शिक्षा के लिए, बल्कि केवल पैसे की धौंस दिखाने के लिए स्कूल जा रहे हैं। यही कारण है कि स्कूल जाने वाले बच्चों के साथ एमएमएस जैसी कई अनैतिक घटनाएं हो रही हैं। इसके अतिरिक्त बाहर काम करने वाले माता-पिता के पास अपने बच्चों के लिए समय कम होता है। वे इससे चिंतित रहते हैं कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं और किसके साथ वे अपना समय बिता रहे हैं। माता-पिता अपने समय को छोड़कर अपने बच्चों को सब कुछ देने का प्रयास करते हैं। लेकिन माता-पिता को माहौल के समय के महत्व का एहसास होना चाहिए।

बच्चे अपने शिक्षकों के साथ एक दिन में 6-7 घंटे बिताते हैं। इस समय के दौरान, शिक्षक बच्चों को न केवल शिक्षा और ज्ञान देते हैं, बल्कि ऐसा व्यक्ति बनाते हैं, जो नैतिक महत्व को स्थापित करे। जोकि विद्यार्थियों द्वारा गृहण किया जाता है। अधिकांश छात्र अपने शिक्षकों को अपना आदर्श मानते हैं। शिक्षक वह है जो अपने छात्रों को एक स्वरूप प्रदान करता है। शिक्षक शब्द अपमान के बदले सम्मान की भावना को प्रकट करता है। वर्तमान-दिनों के शिक्षक-छात्र संबंध को भी प्राचीन भारत के गुरु-शिष्य संबंध की तरह बनाने के लिए हर तरह के प्रयास किए जाने चाहिए।

  • गुरू-शिष्य का पवित्र रिश्ता
  • शिक्षक और छात्र

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  • डायबिटीज को नियंत्रित रखने वाले 6 आहार
  • मैन बुकर पुरस्कार से सम्मानित भारतीय मूल के लेखक
  • दिमाग तेज करने के 5 तरीके
  • ऑर्गेनिक फूड के फायदे और नुकसान
  • भारत में लांच होने वाले हैं ये शीर्ष 5 स्मार्टफोन

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essay on relation between teacher and student in hindi

शिक्षक पर निबंध | Essay on Teacher in Hindi

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शिक्षक पर निबंध | Essay on Teacher in Hindi!

शिक्षक बच्चों को ज्ञानवान और सुसंस्कृत बनाते हैं । बच्चा घर से निकल कर विद्‌यालय में प्रवेश लेता है तो शिक्षक की शरण में जाता है । विद्‌यालय में शिक्षक ही बच्चों के अभिभावक होते हैं । वे बच्चों को जीवन जीने की शिक्षा देते हैं । बच्चा शिक्षक का अनुगृहीत होता है एवं उन्हें अपना नमन अर्पित करता है ।

शिक्षक बच्चों के अंदर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं एवं उनके अंदर के अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर देते हैं । बच्चे शिक्षक के समीप श्रद्धाभाव से जाते हैं ताकि वे ज्ञान के समुद्र में गोते लगा सकें । कहा भी गया है कि ‘ श्रद्‌धावान् लभते ज्ञानम्। ‘ अर्थात् श्रद्‌धावान् को ज्ञान प्राप्त होता है । यदि विद्‌यार्थी के अंदर श्रद्‌धा होती है तो शिक्षक उसे अपना समस्त ज्ञान देते हैं ।

शिक्षक का दायित्व बहुत बड़ा है । वह मानव-समाज को सही दिशा दे सकता है । आज के बच्चे कल का भविष्य होते हैं । यदि बच्चे पढ़े-लिखे होंगे तो वे देश का नाम रौशन करेंगे । यदि वे सुसंस्कृत होंगे तो देश सभ्य बनेगा । यदि शिक्षक बच्चों में अच्छे संस्कार डालेंगे तो उससे देश को लाभ होगा । शिक्षा चारों तरफ फैले, कोई भी बच्चा अशिक्षित न रहे इसका भार शिक्षकों पर है । शिक्षक चाहें तो ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जिसमें ऊँच-नीच, जातिगत भेदभाव, ईर्ष्या, वैमनस्य आदि दुर्गुणों का कोई स्थान न हो । कबीरदास जी कहते हैं –

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काई खोट ।

अंतर हाथ सहारि दे, बाहर मारे चोट ।।

ADVERTISEMENTS:

अर्थात् गुरु कुम्हार और शिष्य घड़ा है । जिस प्रकार कुम्हार यत्न से घड़े को सुघड़ बनाता है उसी तरह गुरु भी विद्‌यार्थियों के दोषों का परिमार्जन करता है । गुरु की कठोरता बाहरी होती है, अंदर से वह दयावान ‘और विद्‌यार्थी का शुभचिंतक होता है । इसलिए गुरु की डाँट-फटकार पर ध्यान नहीं देना चाहिए । गुरु विद्‌यार्थी का हमेशा भला चाहता है ।

आज प्राचीन गुरु-शिष्य परंपरा भले ही समाप्त दिखाई दे रही हो, शिक्षक का कर्त्तव्य अपनी जगह कायम है । शिक्षा प्राप्त करने के लिए आज भी लगन, परिश्रम, त्याग, नियमबद्धता, विनम्रता जैसे गुणों को धारण करने की आवश्यकता होती है । शिक्षक विद्‌यार्थियों को ऐसे गुणों से युक्त बनाते हैं । वे उनका मार्गदर्शन करते हैं । वे विद्‌यार्थियों की उलझन मिटाते हैं । उनमें साहस, धैर्य, सहिष्णुता, ईमानदारी जैसे गुणों का संचार करते हैं ।

आज शिक्षा का फलक बड़ा हो गया है । इसमें नैतिक शिक्षा के साथ-साथ विषय ज्ञान और तकनीकी शिक्षा का समावेश हो गया है । अत : आवश्यक है शिक्षक विषय-ज्ञान और तकनीकी-ज्ञान में निपुण हों । इसके लिए शिक्षकों को उचित ट्रेनिंग दी जानी चाहिए । ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जो योग्य हों । अज्ञानी शिक्षक विद्‌यार्थियों का भला नहीं कर सकते । जिन्हें स्वयं सही-गलत का पता नहीं, वे विद्‌यार्थियों को क्या शिक्षा दे सकते हैं ।

योग्य शिक्षक विद्‌यार्थियों का उचित मार्गदर्शन करते हैं । वे नियमित समय पर विद्‌यालय आते हैं । वे अपनी ऊर्जा केवल शिक्षा देने में व्यय करते हैं । वे कमजोर विद्‌यार्थियों का विशेष ध्यान रखते हैं । वे सादा जीवन और उच्च विचार के सिद्‌धांत का अनुसरण करते हैं । वे विषय-वस्तु को इतने सरल एवं प्रभावी ढंग से समझाते हैं कि बच्चे उनकी बातों को हृदय में धारण कर सकें । अध्ययनशीलता शिक्षकों का एक आवश्यक गुण है । वे निरंतर अध्ययन करते रहते हैं ताकि नई बातें सीखकर विद्‌यार्थियों को बता सकें । ऐसे योग्य शिक्षकों को समाज में उचित सम्मान मिलता है ।

योग्य शिक्षकों को सरकार सम्मानित करती है । शिक्षकों के सम्मान में प्रतिवर्ष 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस दिन विद्‌यालयों में विशेष समारोह होते हैं जिनमें बच्चों की भागीदारी होती है । राष्ट्रपति योग्य शिक्षकों को पदक और पुरस्कार देते हैं । राष्ट्र उन शिक्षकों को नमन करता है जो अज्ञानांधकार को दूर करने में सहायक होते हैं ।

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Teacher And Student Relationship (Essay Sample)

Teacher and student relationship.

Teachers hold the highest regard for students; ideally, students are encouraged to respect their teachers and emulate them. Teachers play important roles in molding student’s personality and the type of relationship teacher develop with students will determine the student’s academic and personal growth in the future. Developing a positive teacher-student relationship means creating an encouraging learning environment where students are free to interact with both teachers and their peers.  Effective communication alone does not offer effective building blocks to a strong teacher-student relationship; the learning environment plays a key role nurturing student’s abilities.

One of the most challenging aspects of nurturing a good teacher-student relationship is the different personality traits of students. Some students are hardworking but are introverts, while other students are naturally aggressive, hence distracting others affecting the learning environment. Students have varied abilities; other students might not fit in a highly competitive learning environment. Teachers need to address such challenges by not only being extremely patient. Teachers need to be lenient at the same time be strict, any excess of any of the two might hinder students from learning effectively.

The effective teacher-student relationship evolves and needs time, teacher act as mothers for students during their early years in school.  They guide them and encourage them to be positive about life. As students progress to secondary level, teachers focus more on academic achievement forgetting about the life values.  Concentrating on academic achievements alone and not instilling moral values might affect student personality. There is the need for teachers to make adjusted in their teaching approaches to accommodate student varied need. Students come from mixed cultural and social backgrounds; therefore, teachers need incorporate the different values to make students feel part of the learning process.

Giving individualized student attention means allocating appropriate time to address different needs of students. Having a better understanding of students means understanding their values, their weak areas, and challenges and addressing them individually. Being able to develop a level of understanding with every student, they will feel valued, and this would boost their self-esteem. All these positive behavior will be reflected in their grades and their general behavior.

Teachers need to make students feel accepted by being warm and nurturing, and teachers need to be aware of student’s thoughts and feelings and make them feel important.  All these require being present within them throughout the day. The size of the class and the number of students in a class is vital in enhancing good student’s teacher relationship. A larger class would mean spending more time with many students that can be difficult .Teachers need to provide individualized attention to each student; therefore, a small class would be a better environment for both teachers and students.

Building a positive relationship with students makes students positive about school in general. Students become free to make mistakes and seek help whenever necessary. It is not surprising that research studies reveal that constructive teacher student relationship has positively affected student academic performance. The natures of relationship teachers have with their students have largely affected student’s socioeconomic status and their professional development.  Teacher’s relationship with students matters more. Any teacher who wants to make a real and lasting difference among his students need to put more effort in building high-performance students through effective interaction and creating a conducive learning environment for all his students.

essay on relation between teacher and student in hindi

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Essay on Relationship Between Teacher and Student

Students are often asked to write an essay on Relationship Between Teacher and Student in their schools and colleges. And if you’re also looking for the same, we have created 100-word, 250-word, and 500-word essays on the topic.

Let’s take a look…

100 Words Essay on Relationship Between Teacher and Student

Introduction.

The relationship between a teacher and a student is a unique bond. It’s a blend of respect, trust, and mutual learning.

The teacher-student relationship is crucial for a student’s growth. Teachers guide students, shaping their minds and futures.

Teachers provide knowledge and foster curiosity. Students, in turn, bring enthusiasm and fresh perspectives.

A strong teacher-student relationship can inspire a lifelong love of learning. It’s a partnership that benefits both parties.

250 Words Essay on Relationship Between Teacher and Student

The dynamic of teacher-student relationship, the role of the teacher.

The teacher, in this relationship, is not just an information provider, but a mentor and a guide. They are responsible for creating an environment conducive to learning, where students can freely express their ideas and concerns. They are also tasked with instilling in their students a love for learning, critical thinking skills, and values such as respect and responsibility.

The Role of the Student

On the other hand, the student is an active participant in this relationship. They are not just passive receivers of information, but are expected to engage with the material, ask questions, and contribute their unique perspectives. The student’s role also includes showing respect towards their teacher and taking responsibility for their own learning.

The Impact of this Relationship

The relationship between a teacher and a student can significantly impact the student’s academic success and personal development. A positive relationship can boost the student’s self-esteem, motivation, and engagement in the learning process. Conversely, a negative relationship can hinder a student’s academic progress and affect their attitude towards learning.

In conclusion, the teacher-student relationship is a complex, multifaceted dynamic that plays a crucial role in the educational process. It is a reciprocal relationship that requires effort and understanding from both parties to be fruitful.

500 Words Essay on Relationship Between Teacher and Student

The essence of the teacher-student relationship.

The teacher-student relationship is a fundamental aspect of education, shaping not only the academic outcomes of students but also their social and emotional development. This relationship is a dynamic and reciprocal process, where both parties influence and are influenced by each other. It is based on mutual respect, trust, understanding, and shared objectives.

Role of a Teacher in Shaping the Relationship

Student’s responsibility in the relationship.

On the other hand, students have a responsibility to respect their teachers and engage actively in the learning process. They need to be open to feedback, show commitment to their studies, and participate actively in class. This active engagement not only enhances their learning experience but also strengthens their relationship with the teacher.

Impact on Learning Outcomes

The quality of the teacher-student relationship significantly impacts learning outcomes. A positive relationship can motivate students to learn, improve their academic performance, and develop critical thinking skills. It can also reduce classroom issues such as disruptive behavior, fostering a more effective learning environment.

Emotional and Social Development

The power of positive relationships.

Positive teacher-student relationships are powerful tools that can transform the educational experience. They can instill a lifelong love of learning, empower students to overcome challenges, and equip them with the skills necessary for success in the 21st century. Therefore, fostering these relationships should be a priority for all educators.

In conclusion, the teacher-student relationship is a cornerstone of effective education. It requires mutual respect, understanding, and shared commitment from both parties. It influences not only academic outcomes but also students’ emotional and social development. As such, cultivating positive teacher-student relationships is essential for a holistic educational experience.

Apart from these, you can look at all the essays by clicking here .

Happy studying!

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Essay on Teacher and student relationships

शिक्षक अपने माता-पिता के बाद छात्रों के लिए सबसे अधिक सम्मान रखते हैं। सभी संस्कृतियों और धर्मों का उपदेश है कि छात्रों को अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और उनसे सीखने की कोशिश करनी चाहिए कि न केवल अकादमिक पाठ्यक्रम में बल्कि जीवन के मूल्य भी हैं। छात्रों के व्यक्तित्व के निर्माण में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और उनके साथ जो संबंध विकसित होता है वह छात्र के शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास को निर्धारित करता है।

एक सकारात्मक शिक्षक छात्र संबंध को सीखने के माहौल को प्रोत्साहित करके विकसित किया जा सकता है जहां छात्र जो कुछ भी पूछना चाहता है उसे पूछने के लिए स्वतंत्र महसूस करता है और शिक्षक इस तरह से प्रतिक्रिया करता है जो छात्र द्वारा समझ में आता है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि एक मजबूत शिक्षक छात्र संबंध का निर्माण खंड प्रभावी संचार है। दोनों के बीच मौजूद सम्मान का स्तर भी एक सकारात्मक शिक्षक छात्र संबंध विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके संबंधों को मजबूत करने में एक बड़ी बाधा एक कक्षा में छात्रों की विभिन्न श्रेणियां हैं। कुछ विद्यार्थी कठिन परिश्रमी होते हैं और सीखने के लिए कक्षा में आते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो स्वभाव से आक्रामक होते हैं और कक्षा में क्या हो रहा है, इस पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होता है।

वे लगातार दूसरों का ध्यान भटकाते हैं और कक्षा के सीखने के माहौल को भी खराब करते हैं। इस बाधा को दूर करने के लिए शिक्षकों को बेहद धैर्य रखने की जरूरत है। उन्हें उदारता और सख्ती के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए क्योंकि दोनों में से किसी की भी अधिकता कुल अराजकता का कारण बन सकती है। प्रत्येक छात्र की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करना शिक्षक की जिम्मेदारी है ताकि उनकी प्रगति की निगरानी की जा सके और छात्रों के बीच ध्यान को तदनुसार विभाजित किया जा सके।

शिक्षक-छात्र संबंध समय के साथ विकसित होता है। जब प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक आमतौर पर छात्रों के लिए एक माँ के रूप में कार्य करता है और उन्हें हर छोटी चीज़ के बारे में मार्गदर्शन करता है। माध्यमिक और उत्तर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों का दृष्टिकोण अधिक पेशेवर हो जाता है। वे छात्रों को जीवन का सही मूल्य सिखाने के बजाय पाठ्यक्रम को पूरा करने के बारे में अधिक चिंतित हैं। यह वह जगह है जहां अधिकांश शिक्षक छात्र संबंध पीड़ित होते हैं। एक शिक्षक एक शिक्षक से एक प्रशिक्षक के रूप में बदल जाता है, जिसके पास छात्रों को यह सिखाने की एकमात्र जिम्मेदारी होती है कि पाठ्यक्रम की किताबों में क्या है और इससे आगे कुछ नहीं। मजबूत छात्र शिक्षक संबंधों के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षक यह समझें कि कक्षा में छात्र विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि से आते हैं।

इससे शिक्षकों को प्रत्येक छात्र की आवश्यकता के अनुसार अपने व्यवहार को संशोधित करने की आवश्यकता बढ़ जाती है। इस तरह शिक्षक प्रत्येक छात्र के साथ समझ का स्तर विकसित करने में सक्षम होगा और छात्रों को लगेगा कि वे महत्वपूर्ण हैं जो उनके आत्म सम्मान को बढ़ावा देंगे। यह उनके ग्रेड और समग्र व्यवहार में भी परिलक्षित होगा। एक छात्र शिक्षक संबंध कितना प्रभावी हो सकता है, यह निर्धारित करने में कक्षा का समग्र आकार भी महत्वपूर्ण है। कक्षा का आकार जितना बड़ा होगा, शिक्षकों के लिए छात्रों पर व्यक्तिगत ध्यान देना उतना ही कठिन होगा, इसलिए स्कूल प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कक्षा का आकार छोटा रखा जाए जिससे शिक्षक-छात्र संबंधों के लिए बेहतर सीखने का माहौल विकसित हो सके।

समाज में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के साथ यह आवश्यक है कि लोग एक दूसरे के साथ अपने संबंधों को सुधारें। इन रिश्तों के बीच, एक छात्र शिक्षक संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसकी उचित देखभाल की आवश्यकता है ताकि छोटे बच्चे बड़े होकर समाज के शिक्षित और जिम्मेदार नागरिक बन सकें।

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छात्र और शिक्षक पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - गुरु (शिक्षक) का स्थान ईश्वर के ऊपर - प्राचीन काल से गुरु का महत्व - छात्रों पर शिक्षक का प्रभाव - छात्र और शिक्षक का दायित्व - उपसंहार।

शिक्षक का छात्र जीवन में अधिक महत्व है। शिक्षक छात्र जीवन में वह व्यक्ति होता है, जो उन्हें अच्छी शिक्षा के साथ बहुत सी अन्य महत्वपूर्ण चीजों को सिखाता है। एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों के लिए बहुत अधिक मायने रखता है। वह उनके जीवन में विकास की प्रारम्भिक अवस्था से हमारे परिपक्व होने तक बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह उन्हें और उनके भविष्य को देश के जिम्मेदार नागरिक बनाने की ओर मोड़ देते हैं।

  • गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूँ पांय।
  • बलिहारी गुरु आपने, जिन ग्रोविदद दियो मिलाय ॥

निष्ठावान शिक्षक ही छात्र के जीवन में सुधार सकता है और शिक्षक के द्वारा ही छात्र जीवन में शिखर को छू पाने में सफल हो सकता है । शिक्षक और छात्र दोनों के मन में भावना का होना अति आवश्यक है। एक ओर तो बेचारा शिक्षक पूरे मनोवेग से छात्रों को पढ़ाने का प्रयास करे और दूसरी ओर छात्रों का ध्यान अन्य बातों में लगा रहे तो न शिक्षक को हो पढ़ाने में आनंद आयेगा और न छात्रों का ही भला हो पायेगा।

छात्र को भी ज्ञान अर्जन के लिए सम्पूर्ण समर्पण भाव से ध्यान देने की ही आवश्यकता होती है, तभी जीवन में उन्नति प्राप्त हो सकती है। प्राचीनकाल में शिष्यों का समर्पण एक उदाहरण बनकर आज भी हमारे सम्मुख है। गुरु द्रोणाचार्य पांडवों को भनुर्विद्या में निपुण कर रहे थे और भोल का बालक एकलव्य गुर द्रोणाचार्य द्वारा पाण्डवों को सिखायी जा रही धनुष विद्या को दूर खड़ा देखा करता था। एक ही मन से द्रोणाचार्य को अपना गुरु स्वीकार लिया और वह भी धनुप का स्वत: ही अभ्यास करने लगा । पारंगत होने पर एकलव्य ने जब अपनी विद्या का प्रदर्शन किया तो द्रोणाचार्य ने एकलव्य से उसके गुरु का नाम जानना चाहा। तब एकलव्य ने बताया कि मैंने मन से आपको गुरु स्वीकार कर यह धनुप विद्या स्वयं हो सीखी है | इस पर गुरु दक्षिण में एकलब्य ने अपने सीधे हाथ का अँगूठा काटकर द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा में भेंट कर दिया। यही नहीं मुनि वशिप्ठ और विश्वामित्र ने राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न को शिक्षित किया और संदीपन गुरु ने श्रीकृष्ण को ज्ञान के साथ- साथ सहज और सरल जीवन जीने का पाठ भी पढ़ाया । शिक्षक, गुरु या अध्यापक कुम्हार की भाँति कहे गये हैं, जिस प्रकार कुम्हार अपनों गीली मिट्टी को जो चाहे आकार देने में सक्षम होता है उसी प्रकार गुरु शिक्षक का अध्यापक अपने शिल्प को आकार दे सकता है। अरस्तू ने अपने शिष्य सिकन्दर को विश्व जीतने के लिए उकसाया तो चन्द्रगुप्त को चाणक्य ने शिक्षित करके देश का इतिहास ही बदल दिया।

छोटे बच्चे के मन पर अध्यापक का जैसा गहरा प्रभाव पड़ता है, वैसा किसी अन्य का नहीं पड़ता । इसलिए अध्यापक का आदर्शवान होना परम आवश्यक है। अध्यापक ही ऐसा एक केद्ध-बिन्दु है जहाँ से बौद्धिक परम्पराएँ तथा वैज्ञानिक और तकनीकी कुशलता एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को संचारित करती हैं । यह अध्यापक या शिक्षक ही होता है जो सभ्यता के दीपक को प्रज्ज्वलित करने में अपना योगदान करता है। शिक्षक, अध्यापक या गुरु व्यक्ति का मार्ग दर्शन ही नहीं करता, अपितु समूचे राष्ट्र का भाग्य निर्माता भी होता है।

शिक्षक यदि योग्य होगा तो छात्र भी योग्य ही बनेंगे। शिक्षक के व्यक्तित्व का प्रभाव छात्र पर निश्चित रूप से पड़ता है। चरित्रवान और नीतिवान अध्यापक के विद्यार्थी भी चरित्र और नीति में प्रवीण होंगे। शिक्षण, निरीक्षण, मार्गदर्शन, मूल्यांकन और सुधारात्मक कार्यों के साथ-साथ योग्य अध्यापक ही विद्यार्थियों, अभिभावकों और समुदाय से सदैव अनुकूल सम्बन्ध स्थापित करने के दायित्व को भी निभाता है। अध्यापक द्वारा शिक्षित छात्र जब परीक्षा में सफल होते हैं तो सबसे अधिक गर्व अध्यापक को ही होता है।

विद्यार्थी का कर्त्तव्य है कि वह गुरु के चरणों की धूल अपने मस्तक पर धारण करे, लेकिन आज के सन्दर्भ में यदि हम देखें तो इसका यह भी अर्थ है कि विद्यार्थी अपने अध्यापक का सम्मान करे। अध्यापक या शिक्षक का कार्य तो केवल शिक्षा देना है, मगर विद्यार्थी का कार्य अध्यापक से भी बढ़ कर होता है, विद्यार्थी या छात्र का यह दायित्व हो जाता है कि सम्मानपूर्वक वह शिक्षा को भी ग्रहण करे साथ ही शिक्षक का भी पूरा सम्मान करे । यह कटु सत्य है कि ताली बजाने के लिए दोनों हाथों की आवश्यकता पड़ती है । एक हाथ से कभी भी ताली नहीं बजायी जा सकती।

छात्र यदि विनप्र होगा तो वह अपने अध्यापक से अच्छी शिक्षा प्राप्त कर पाने में सक्षम रहेगा, लेकिन यदि छात्र उदण्ड है तो वह सदैव विरस्कृत ही होता रहेगा, इसमें हानि छात्र की होती है। अध्यापक ने जो भी शिक्षा देनी है वह सामूहिक रूप से सभी छात्रों को कक्षा में देगा और यह छात्रों पर निर्भर करता है कि वह उस, अध्यापक की शिक्षा को कितना ग्रहण कर पाते हैं । पूरी कक्षा में अध्यापक किसी भी छात्र से शिक्षा देते समय अर्थात पढ़ाते समय कोई भो भेदभाव नहीं रखते, फिर भी परीक्षा परिणाम में कुछ छात्र असफल हो जाते हैं, इसमें दोष उन छात्रों का है जिन्होंने मन लगाकर न तो अध्यापक की बात ही सुनी और न ही मन लगा अध्ययन, चिन्तन और मन ही किया। लेकिन किसी भी छात्र के असफल होने का दु:ख छात्र से अधिक अध्यापक को होता है, क्योंकि अध्यापक को मन-ही-मन यह लगता है कि शायद मुझसे छात्रों को ठीक प्रकार से बताने या समझाने में कोई कमी रह गयी है।

शिक्षक और छात्र का सम्बन्ध तो दूध और पानी की भाँति होता है, जैसे दूध में मिला पानी भी दूध ही कहलाता है उसी प्रकार एक अच्छे चरित्रवान शिक्षक का छात्र भी अच्छा चरित्रवान हो कहलाने का अधिकारी होता है। जहाँ अध्यापक का दायित्व छात्र को शिक्षा देना हैं, वही छात्र का भी कर्त्तव्य है अध्यापक द्वारा दी गयी उस महत्त्वपूर्ण शिक्षा को ग्रहण कर जीवन में उन्नति पाता हुआ सदैव शिखर पर पहुँच कर अपने अध्यापक, अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के नाम को ऊँचा करने का गौरव प्राप्त करे।

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  • Teacher Essay for Students in English

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Importance of Teachers in Our Lives

Teachers are those who make children knowledgeable and cultured. A teacher is a beautiful gift given by god because god is a creator of the whole world and a teacher is a creator of a whole nation. A teacher is such an important creature in the life of a student, who through his knowledge, patience and love give a strong shape to a student’s whole life. 

A teacher shares academic knowledge, ethical values and assimilates moral values that help us shape our personality as better human beings. They represent an open book and try to share their life experience for a better tomorrow. A teacher has many qualities, they are efficient in their student’s life and success in every aspect. A teacher is very intelligent. They know how the mind of students gets concentrated in studies.

 During teaching, a teacher uses creativity so that students can concentrate on their studies. They are a repository of knowledge and have the patience and confidence to take responsibility for the future of the student. They only want to see their students successful and happy. Teachers are very prestigious people in the society, who through their magic of education, take the responsibilities of raising the lifestyle and mind level of the common people. 

Parents expect a lot from teachers. Teachers are the second parents who help the students balance their lives and spend the maximum childhood time. Just as our parents influence our childhood years, our teachers help shape us into the people we want to become when we grow up, having a huge impact on our lives. Students have complete faith in their teachers. In younger years, Students used to listen to their teachers more than anyone else as they used to spend more time with them than anyone else. 

The role of the teacher varies from class to game. A teacher is an important creature in everyone’s life who appears to do different things in our life. They are the creator of a wonderful future for our nation. 

Importance of a Teacher

A teacher has an important place not only in student life but also in every phase of life. They have all qualities which they distribute in their students. They know that not everyone has the same ability to receive, so a teacher observes all the abilities of each of their students and in the same way, they teach children. A teacher is a great listener of knowledge, prosperity, and light, from which we can benefit greatly throughout our life. Every teacher helps their students in choosing their path. Teachers teach their students how to respect elders. They tell their students the difference between respect and insult and many more. A teacher equips his/her student with the knowledge, skills, and positive behavior honored which the student never feels lost. The teacher makes them aware of how to use time and the restriction of time. A good teacher makes a good impression on his students. When any student makes a mistake, the teacher teaches them a lesson and also makes them realize their mistake. They teach us to wear clean clothes, eat healthy food, stay away from the wrong food, take care of parents, treat others well, and help us in understanding the importance of completing work. 

A teacher has many qualities which hold a special place in every student’s life. Teachers embrace various roles they are our friends when we get sad, our parents when we are hurt, and always good advisers. Teachers reward their students for their good work while sometimes punishing them for realizing the mistake to understand that this is not right for their lives.

Children’s future and present both are made by the teacher. He also enhances a good society by creating a good student throughout his life. Only a teacher knows what kind of association his student lives in and what kind of association he holds.

Teachers are great role models. The teachers influence students’ decidedness. For example, India’s most respectable President, Dr. APJ Abdul Kalam, achieved his position as a great aerospace engineer because of his teacher. Mr. Siva Subramania Iyer’s teachings on how birds fly influenced Dr. Kalam’s contribution to society.

Not only in the education field, but there are also numerous examples in sports too, where teachers played a vital role in shaping the career of the athletes. A notable example is batting maestro Sachin Tendulkar, who credits his coach and teacher, Mr. Ramakant Achrekar, for success. Like this, there are numerous examples in various fields of dance, music, acting, arts, science where teachers act as a pivotal role in shaping the life of their disciples.

Relation of Student and the Teacher

The relationship between the teacher and the student was very sacred in ancient times as education was so perfect. There are so many stories written in our scriptures that revolve around student and teacher relationships. Out of all those, the supreme sacrifice made by Eklavya is of prime importance and showcases a student’s dedication towards his teacher. 

Alas, This relation is lacking in recent times. Nowadays, it is considered a mere profession. It has become a business or source of income compared to earlier days where it was considered a noble profession. We should be conscious enough not to stain this noble profession and should not create an example that lifts people’s trust in teachers.

In India, we gave great importance to the teacher. According to the Indian concept, the teacher is the spiritual and intellectual father of the teacher. No education is possible without the help of the teacher. He is regarded as the “Guru” – a speculator, a companion, and a guide.

In ancient India, the transmission of knowledge was oral, and the teacher was the sole custodian of knowledge. The relationship between the teacher and the students was amiable and deep in ancient times. 

Hard Work is the Key to be a Teacher

It takes a lot of hard work to be a good teacher. First of all, always respect the elders and also obey them. Concentration should be increased toward society and education. To be a good teacher, one has a sense of unity in the heart, does not discriminate against anyone, everyone should be seen with a glance. They always encourage students, they never criticize their students. Develops a good interpersonal relationship with a student. One should always tell good things to their younger ones and always treat the classmate well, always take inspiration from the teacher.

The teacher has a huge contribution to our life. No one can developmentally, socially, and intellectually in their life without a teacher. Many teachers slap students, many give punishment but in the end, the teacher is never bad. It only depends on the way they teach, which is different for everyone and this creates a different image in the student’s mind. They do whatever just to make our future bright.

Every year, some teachers get honored. Teachers’ day is celebrated every year on 5 September, in memory of Dr. S. Radhakrishnan, India’s second President. India is a home ground of some great teachers like Dr. S. Radhakrishnan, Dr. APJ Abdul Kalam, Premchand, Swami Vivekanand, who have given some great lessons of life which are still in trend. On this day a special ceremony takes place in the school, in which students participate enthusiastically. A nation always honors all those teachers who help in eradicating ignorance of darkness. A teacher is an ocean of knowledge, we should keep acquiring knowledge on a subject for as long as possible.

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FAQs on Teacher Essay for Students in English

1. Why are Teachers are Important?

Teacher are building block of the nation. Children’s future and present both are made by the teacher. He also enhances a good society by creating a good student throughout his life.

2. What Makes a Good Teacher?

It takes a lot of hard work to be a good teacher. They always have to study and gain knowledge. To be a teacher good one have a sense of unity in the heart, do not discriminate against anyone, everyone should be seen with a glance.

3. What Should Be the Qualities to Be a Good Teacher?

Given are some qualities to be a good teacher

They always encourage students, they never criticize their students.

Develops a good interpersonal relationship with a student.

Imparts moral values and values of life.

Develop self-confidence in students.

4. When is Teacher’s Day celebrated and after whom?

Every year, teachers’ day is celebrated on 5th September, in memory of Dr. S. Radhakrishnan, India’s second President.

5. Give an example reflecting how a teacher shaped the life of their disciple.

One of the prominent examples is of our Ex-President, Dr. APJ Abdul Kalam. Dr. APJ Abdul Kalam achieved his position as a great aerospace engineer because of his teacher, Mr. Siva Subramania Iyer who introduced him to the science behind birds being able to fly.

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