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भारतीय किसान पर निबंध। Essay on Indian Farmer in Hindi

भारतीय किसान पर निबंध, यह सत्य है कि किसान राष्ट्र के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनका योगदान भोजन की आपूर्ति में होता है, जिससे राष्ट्र की आर्थिक वृद्धि होती है। इसके बावजूद, वे कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जो उनके जीवन को कठिन बना रहे हैं।

आधुनिक तकनीक की कमी किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिलने का कारण बनती है। सरकारें अब इस समस्या का सामना कर रही हैं और कृषि में तकनीकी सुधार करने के लिए पहल कर रही हैं, ताकि किसानों को अधिक उत्पाद मिल सके और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो।

मिट्टी की खराब गुणवत्ता भी एक महत्वपूर्ण चुनौती है, क्योंकि यह फसलों की पैदावार को प्रभावित कर सकती है। सरकारें अब मिट्टी स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए उपाय कर रही हैं ताकि किसानों को अधिक उत्पाद मिल सके और वे अच्छी मूल्य पर अपनी उत्पादों को बेच सकें।

सरकारी सहायता की कमी भी एक चुनौती है, लेकिन कुछ स्थानों पर सरकारें अब किसानों के लिए योजनाएं चला रही हैं जो उन्हें अधिक सहायता प्रदान कर सकती हैं। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है और उन्हें जीवन यापन करने के लिए अधिक संभावनाएं मिल रही हैं।

भारतीय किसान

किसान भारतीय समाज की रीढ़ हैं और उनका योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हालांकि, वे अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं, फिर भी उन्हें विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी जीवनशैली में संघर्ष होता है।

किसानों को अपने और अपने परिवार के लिए उचित भोजन नहीं मिल पाना एक सामाजिक समस्या है जो दूर करने की जरूरत है। कई किसान गरीबी और आर्थिक कमी के कारण अच्छे आहार की कमी महसूस करते हैं, जिससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। सरकारें और सामाजिक संगठनें इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और किसानों को उचित मूल्य पर उनके उत्पादों को बेचने में मदद करने के लिए योजनाएं बना रही हैं।

किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए सामाजिक संगठनों और सरकारों के सहयोग से ही यह समस्या हल हो सकती है। किसानों को न्यायपूर्ण मूल्य मिलना चाहिए ताकि वे अधिक उत्पाद करने के लिए प्रेरित हों और उनका जीवनस्तर सुधर सके।

साथ ही, तकनीकी सुधार और समृद्धि की दिशा में कदम बढ़ाने से भी किसानों को फायदा हो सकता है। सुधारित खेती तकनीक और कृषि यंत्रणाएं उन्हें अधिक उत्पादक्षमता में मदद कर सकती हैं।

इस समस्या के समाधान के लिए सभी समाज के सदस्यों को सक्रिय रूप से जुटना और साझेदारी करना आवश्यक है ताकि भारत के किसानों को उचित समर्थन और सुरक्षा मिल सके।

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किसानों का महत्व

1970 के दशक से पहले, भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था और हमें इसे दूसरे देशों से आयात करना पड़ता था। इस स्थिति का सामना करते हुए, प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने “जय जवान जय किसान” का नारा दिया, जो आज भी याद किया जाता है। इस से ही हरित क्रांति की शुरुआत हुई और भारत ने खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता प्राप्त की।

हरित क्रांति ने खेती में तकनीकी उन्नति, उर्वरकों का प्रचलन, बीजों की सुधार, और नई किस्मों का उत्पादन को प्रोत्साहित किया। इससे खेती में उत्पादक्षमता बढ़ी और खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता मिली। भारत ने दुनिया में अपनी अच्छी खेती के लिए पहचान बनाई और आत्मनिर्भरता में कदम बढ़ाया।

हालांकि, इसके बावजूद, किसानों की स्थिति अभी भी चुनौतीपूर्ण है। वे गरीबी में अपना जीवन बिता रहे हैं और स्व-रोजगार में अधिकतर किसान खेती पर ही निर्भर हैं। सरकारों को उनकी समस्याओं का समाधान करने, उन्हें और उनके परिवारों को सहायता प्रदान करने, और उन्हें आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। किसान पर निबंध

किसानों की भूमिका

किसानों की भूमिका समृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण है, और उन्हें अर्थव्यवस्था की प्रमुख प्रेरक शक्ति कहा जा सकता है। यहां कुछ कुंजीपुर्ण पहलुओं को समझाया जा सकता है जो दिखाते हैं कि किसानों का योगदान क्यों महत्वपूर्ण है:

  • आधिकारिक योगदान: किसान अर्थव्यवस्था में अधिकारिक रूप से अपना योगदान देते हैं, जो खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को सुनिश्चित करने में मदद करता है।
  • आदान-प्रदान का स्रोत: किसान विभिन्न अन्नदाता सामूहिकों के लिए आदान-प्रदान का स्रोत होते हैं, जिससे लोग अपनी आदान-प्रदान की जरूरतें पूर्ण कर सकते हैं।
  • रोजगार सृष्टि: खेती एक बड़े स्तर पर रोजगार सृष्टि करती है, जिससे गाँवों में अधिक लोग रोजगार प्राप्त कर सकते हैं और अपने परिवारों का पालन-पोषण कर सकते हैं।
  • आर्थिक सहारा: किसानों की खेती से आर्थिक सहारा मिलता है और उन्हें व्यापारिक क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत बनाता है।
  • विकास का आधार: देशों के विकास में, खेती और कृषि उत्पादन का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
  • पर्यावरण संरक्षण: किसान अपनी भूमि की देखभाल करता है और उसे धान्य, फल, और सब्जियों की उत्पादन में सही रूप से प्रयुक्त करता है, जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है।
  • सामाजिक समर्थन: किसानों को समर्थन प्रदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि वे अच्छे तरीके से खेती कर सकें और आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें।

किसानों की वर्तमान स्थिति

किसान पूरे देश की जनता का पेट भरते हैं, लेकिन खुद को दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त, किसान कर्ज और आपराधिक दबाव के कारण आत्महत्या कर रहे हैं, जिससे उन्हें अपने परिवार का पोषण नहीं कर सकते और न उन्हें समृद्धि से जीने का सामर्थ्य हो सकता है। कई किसान आय के स्थिर स्रोत की खोज के लिए शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं ताकि वहां से अपने परिवार को उचित आहार उपलब्ध करा सकें।

हालांकि, यदि किसानों की आत्महत्या और पलायन की स्थिति बनी रही तो भारत को फिर से खाद्य आयातक बनने का खतरा है। बड़े पैमाने पर प्रचार के बजाय, किसानों की आत्महत्या का मुद्दा चर्चा में है। लेकिन क्या ये प्रयास हमारे अन्नदाता की रक्षा करने के लिए पर्याप्त हैं, यह खुद से सवाल पूछने की आवश्यकता है।

किसानों की समस्या और उनकी आत्महत्या एक गंभीर मुद्दा है, और इसे हल करने के लिए समृद्धि पर सही कदम उठाना आवश्यक है। यह कई कारणों से हो सकता है जैसे कि अधिक कर्ज, मौसम की परेशानी, खेती के लिए सही मूल्य न मिलना, और सामाजिक-आर्थिक दुर्बलता। किसान पर निबंध

इस समस्या का हल निम्नलिखित कदमों के माध्यम से किया जा सकता है:

  • कर्ज की समस्या का समाधान: सरकारें किसानों के लिए कर्जमुक्ति योजनाएं चला सकती हैं जो उन्हें आर्थिक दुबलता से बाहर निकाल सकती हैं। विशेषकर, किसानों के लिए सस्ते ऋणों और उचित कर्जमुक्ति योजनाओं की आवश्यकता है।
  • अधिक उत्पादक्षमता: किसानों को अधिक उत्पादक्षमता में मदद करने के लिए तकनीकी उन्नति और सहायक उपकरणों की प्रदान की जानी चाहिए। इससे उनकी आय बढ़ सकती है और वे अपने कर्ज को चुका सकते हैं।
  • मूल्य निर्धारण में सुधार: किसानों को उचित मूल्य मिलने के लिए समर्थन प्रदान किया जाना चाहिए। इससे वे अधिक सहारा प्राप्त कर सकते हैं और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
  • सामाजिक सुरक्षा योजनाएं: सरकारें सामाजिक सुरक्षा योजनाएं चला सकती हैं जो किसानों को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं।
  • किसान में जागरूकता और मानसिक स्वास्थ्य समर्थन: किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य समर्थन प्रदान करने के लिए सामाजिक और सार्वजनिक संगठनों के साथ काम किया जा सकता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में किसानों का योगदान

आधुनिक समय में, किसानों का बड़ा योगदान है भारतीय अर्थव्यवस्था में। उनका काम राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में महत्वपूर्ण है। किसानों का यह योगदान लगभग 17% है, लेकिन यह दुखद है कि भारत में भी किसानों की स्थिति बहुत बुरी है। वे सुख-सुविधाओं से वंचित रहते हैं, जो हम सभी के लिए दुखद है।

किसानों का योगदान हमारी रोजगार और आहार की जरूरतों को पूरा करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे खेतों में मेहनत करके फसलों को उगाने और उन्हें बाजार में पहुंचाने में अपनी जीवन की पूरी कड़ी मेहनत करते हैं। इसके बावजूद, इस अहम क्षेत्र में किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

आधुनिक तकनीक की कमी, मिट्टी की गुणवत्ता में समस्या, अपर्याप्त सरकारी सहायता आदि कुछ मुख्य चुनौतियां हैं, जिनसे किसानों को निपटना पड़ता है। इन समस्याओं के कारण किसानों के बीच बड़े पैमाने पर संकट और गरीबी का सामना करना पड़ता है।

हालांकि, सरकारें अब इन समस्याओं का समाधान करने के लिए कदम उठा रही हैं और इससे किसानों की स्थिति में सुधार हो रहा है। फसल की पैदावार बेहतर हो रही है और इससे कई किसानों की आजीविका में सुधार हो रहा है।

प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि 

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-किसान) भारत में भूमिधारक किसानों और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। इसका उद्देश्य किसानों की स्थिति में सुधार करना है और उन्हें अच्छे जीवन की सुविधा प्रदान करना है।

इस योजना के तहत, भूमिधारक किसानों के परिवारों को प्रति वर्ष 6000 रुपये की राशि सहायता के रूप में प्रदान की जाती है। इससे सीधे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और वे अपनी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होते हैं।

इस योजना के अंतर्गत, सरकार द्वारा किसानों को 100% वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है जिससे उन्हें उचित फसल, अच्छा स्वास्थ्य , और उचित उत्पादन सुनिश्चित होता है। इस योजना के लाभ का प्राप्त होने के लिए किसान परिवारों की पहचान राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार की जाती है। एक बार पात्रता प्राप्त होने पर, धनराशि को सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजा जाता है।

निष्कर्ष (किसान पर निबंध)

किसान हमारे समाज की रीढ़ हैं और उनका योगदान हमारे देश के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे अपने मेहनत और कड़ी मेहनत के बावजूद अपने संजीवनी भूमि पर अनेक सारे कठिनाईयों का सामना करते हैं। लेकिन उन्हें अभी भी विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे तकनीकी सुधार, मिट्टी की गुणवत्ता, अदृश्य बाधाएं, और अपर्याप्त सरकारी सहायता। किसानों को समर्थन और सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकारों को उनकी समस्याओं का सजीव समाधान तैयार करना आवश्यक है ताकि हमारे अन्नदाता बिना किसी समस्या और चिंता के अपने कार्य को समर्थन कर सकें। किसान पर निबंध

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) के तहत, सरकार हर साल किसान परिवारों को 6000 रुपये की सहायता प्रदान कर रही है।

किसानों के लिए बीजों से लेकर खेती की तकनीकी सुधार के लिए कृषि विभाग ने विभिन्न प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता कार्यक्रम शुरू किए हैं।

सरकार अच्छे बीजों की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए किसानों को तकनीकी जानकारी और बीजों की वितरण में सहायता कर रही है।

सरकार कई योजनाओं के माध्यम से किसानों को समर्थन प्रदान कर रही है, जैसे कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, किसान बीमा योजना, और कृषि उपज मंडी योजना।

किसानों को ऋण प्राप्त करने के लिए बैंकों और कृषि विकास बैंकों से संपर्क स्थापित करके विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है।

किसानों को कृषि उत्पादों को सीधे खरीदारों और बाजारों से जोड़ने के लिए सरकार उन्हें विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सहायता प्रदान कर रही है।

कृषि से जुड़े संबंधों को मजबूत करके और उन्हें साइबर यातायात के माध्यम से जागरूक करके, सरकार किसानों को स्व-रोजगार के लिए प्रेरित कर रही है।

भारत सरकार ने कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की नीति अनुसार विभिन्न फसलों के लिए समर्थन मूल्यों की घोषणा की है ताकि किसानों को न्यायपूर्ण मूल्य मिल सके।

सरकार ने किसानों की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और किसान आवास योजना के माध्यम से बीमा सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास किया है।

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किसान पर निबंध 10 lines (Farmer Essay in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

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Farmer Essay in Hindi – वर्तमान सामाजिक-आर्थिक ढांचे में किसान समाज की रीढ़ हैं। हमारे द्वारा लिए जाने वाले लगभग सभी खाद्य पदार्थ किसानों द्वारा उत्पादित किए जाते हैं। इसलिए देश की पूरी आबादी किसानों पर निर्भर है। किसान दुनिया के सभी देशों की रीढ़ हैं चाहे उनका स्थान कोई भी हो। किसानों के अथक परिश्रम से अर्थव्यवस्था फल-फूल सकती है। वे ग्रह पर सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। हालाँकि, हमारे कल्याण के लिए कठोर गतिविधियों के बावजूद, अधिकांश देशों में किसानों के पास अपने लिए उचित जीवन यापन नहीं है।

लेखन कौशल सबसे महत्वपूर्ण कौशलों में से एक है जो सभी के पास होना चाहिए, और जिसे हर छात्र को विकसित करने की आवश्यकता है। लेखन के कई प्रकार होते हैं, लेकिन जो एक छात्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, वह है निबंध लेखन कौशल। क्योंकि निबंध में छात्रों को अपने विचारों और विचारों को रचनात्मक तरीके से व्यक्त करना होता है। और इसलिए, हिन्दी के लेखन और रचना खंड में, निबंध लेखन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Farmer Essay in Hindi – इसलिए, हिंदी भाषा में किसान विषय पर निबंध लिखने में छात्रों की मदद करने के लिए, छात्र इस निबंध को एक मॉडल के रूप में उपयोग कर सकते हैं और समझ सकते हैं कि किसान के विषय पर एक अच्छा निबंध कैसे लिखा जाए।

किसान 10 लाइन पर निबंध (Essay on Farmer 10 Lines in Hindi)

  • खाद्य पदार्थ सभी मनुष्यों के लिए आवश्यक हैं, और किसान उन्हें उगाते हैं।
  • भारत गांवों की भूमि है, और भारत में अधिकांश लोग खेती में शामिल हैं।
  • किसान जो उगाता है, वही खिलाता है।
  • श्री लाल बहादुर शास्त्री ने किसान के संबंध में नारा दिया, “जय जवान और जय किसान।”
  • सभी कार्य भूमिकाओं को निभाने के बावजूद किसान को समाज का निम्न वर्ग माना जाता है।
  • किसान समाज का निर्माता है।
  • उनका बहुत व्यस्त और मेहनती शेड्यूल है।
  • उनके खेत की देखभाल करना और फसल बोना काम नहीं है; किसान करता है, लेकिन क्षेत्र में खाद, खाद और खाद देना भी उनका कर्तव्य है।
  • किसान फसलों की खेती करके अनाज को मंडियों में बेचता है, जहां से वह अपनी रोजी-रोटी कमाता है।
  • किसान पूरी तरह से ट्रेंडिंग तकनीक के साथ विकसित हो रहा है और विभिन्न कार्यों को लागू कर रहा है, जिससे उन्हें बहुत लाभ मिल रहा है।

किसान पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Farmer in Hindi)

एक किसान दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण और मूल्यवान व्यक्ति है। किसान उस व्यक्ति के लिए खड़ा है जिसका पेशा खेती है। वे भोजन और कच्चे संसाधनों के लिए या तो अपनी जमीन पर या अन्य लोगों की संपत्ति पर खेतिहर मजदूरों के रूप में काम करके जीवित जीवों की खेती करते हैं और उनका पालन-पोषण करते हैं।

खेती की प्रकृति के आधार पर, हमारे पास कई प्रकार के किसान हैं। उदाहरण के लिए, कुछ किसान पशुपालन, डेयरी फार्मिंग, बागवानी, फसल खेती और कई अन्य प्रकार की खेती के विशेषज्ञ हैं। उनके प्रयास देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, जिम्मेदार नागरिकों के रूप में, हमें राष्ट्र और हमारे समाज के जीवन के तरीके को संरक्षित करने के लिए उनके श्रम और प्रतिबद्धता का सम्मान करना चाहिए।

किसान पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Farmer in Hindi)

व्यक्तियों के रूप में, हम देख सकते हैं कि वर्तमान सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में, किसान देश की उन्नति के लिए सबसे महत्वपूर्ण समूह हैं। समाज में उनकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भागीदारी का विकास पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। किसान कृषि उद्योग में काम करते हैं। देश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा भी किसानों पर निर्भर करता है।

किसान वैश्विक आबादी का आधे से अधिक हिस्सा बनाते हैं और अधिकांश विकासशील देशों में रहते हैं। किसानों को अपने श्रम में बहुत लगातार और धैर्यवान होना पड़ता है। फ़सल काटने के लिए उन्हें कई दिन, महीने और शायद साल भी इंतज़ार करना पड़ता है। ट्रैक्टर, पानी पम्पिंग उपकरण, उर्वरक छिड़काव उपकरण आदि सहित किसान विभिन्न चरणों में फसलों का उत्पादन करने के लिए विभिन्न प्रकार के उपकरणों का उपयोग करते हैं। वे इन उपकरणों की सहायता से अविश्वसनीय रूप से प्रभावी ढंग से काम करते हैं।

किसानों की कृषि उत्पादकता जलवायु परिस्थितियों से काफी प्रभावित होती है। जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने पर फसल उत्पादन से स्वस्थ फसल होती है; अन्यथा, फसलों के उत्पादन के लिए किसानों के प्रयास व्यर्थ होंगे।

इस प्रकार, कई विकासशील देशों में किसान राष्ट्रीय राजस्व के लिए आवश्यक हैं। खेती का सबसे कठिन पहलू श्रम है। हमें उनके द्वारा किए गए प्रयास का सम्मान करना चाहिए। उनका होना हमारा सौभाग्य है।

किसान पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay on Farmer in Hindi)

किसान वह है जो फसल उगाता और बेचता है। किसान आमतौर पर एक खेत पर काम करते हैं, जो जमीन का एक टुकड़ा होता है जहां वे फसल उगाते हैं या जानवर रखते हैं। खेती एक कठिन काम है क्योंकि किसानों को मौसम, कीट और अन्य समस्याओं से निपटना पड़ता है। हालाँकि, यह एक बहुत ही फायदेमंद काम हो सकता है क्योंकि किसानों को उनके श्रम का फल देखने को मिलता है। भारतीय किसान दुनिया के सबसे मेहनती लोगों में से हैं। उन्हें अत्यधिक गर्मी और मानसून से निपटना पड़ता है, लेकिन फिर भी वे देश को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन का उत्पादन करने में कामयाब होते हैं। भारत में एक किसान का जीवन आसान नहीं है, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है।

भारतीय किसान दुनिया के सबसे मेहनती लोगों में से हैं। वे यह सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं कि उनकी फसल स्वस्थ हो और अच्छी फसल हो। चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, वे अपने परिवारों और अपने समुदायों को प्रदान करने के लिए अथक रूप से काम करना जारी रखते हैं। वे भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और हमारे देश की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

वे जो कुछ भी करते हैं, उसके लिए हम उनके आभारी हैं। किसानों के बिना, हमारे पास वह भोजन नहीं होगा जिसकी हमें जीवित रहने के लिए आवश्यकता है। वे हमें आवश्यक पोषण प्रदान करने के लिए दिन-रात अथक परिश्रम करते हैं, और वे हमारे सम्मान के पात्र हैं। अगली बार जब आप भोजन का आनंद लेने के लिए बैठें, तो उन किसानों के बारे में सोचें जिन्होंने इसे संभव बनाया और उन्हें धन्यवाद दें।

किसान पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Farmer in Hindi)

किसान किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की ताकत और रीढ़ होते हैं। हम जो भोजन करते हैं और जो भोजन हमें स्वस्थ और मजबूत रखता है वह किसानों द्वारा प्रदान किया जाता है। हम किसानों की मदद से इस ग्रह पर जीवित रहने में सक्षम हैं और इस प्रकार वे हमारे जीवन के सबसे मूल्यवान और महत्वपूर्ण लोग हैं। आंकड़ों के अनुसार, किसान भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग 17% योगदान करते हैं। किसानों का समाज में बहुत महत्व है, लेकिन इतना उपयोगी होते हुए भी उनके पास जीवन यापन का उचित साधन नहीं है।

भारत में, किसानों को वह दर्जा नहीं मिलता जिसके वे हकदार हैं और इसलिए हर हफ्ते या महीने में, हम किसानों द्वारा आत्महत्या के कई मामले सुनते हैं। वे बहुत कठिन और कठिन जीवन जीते हैं और फिर भी उन्हें वे विशेषाधिकार नहीं मिलते जिनके वे वास्तव में हकदार होते हैं। आमतौर पर सब्जियों और फलों के व्यापार में लगे बिचौलियों को अधिकांश पैसा मिल जाता है और किसान अपने मूल अधिकारों से वंचित हो जाते हैं।

हाल ही में, कई किसान आत्महत्या कर रहे हैं क्योंकि उनके पास जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है और इसलिए वे ऐसी जघन्य चीजें करने का सहारा लेते हैं। कई बार ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से उनकी फसल नष्ट हो जाती है और उन्हें सरकार से किसी प्रकार की प्रतिपूर्ति नहीं मिलती है। यह अंततः उन्हें गरीब और संसाधनों में दुर्लभ बना देता है और उनके जीवन को दयनीय बना देता है।

हाल ही में सरकार ने किसानों और उनके जीवन को बचाने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। सरकार ने उन्हें सभी प्रकार के ऋणों से मुक्त कर दिया है और उन्हें सालाना 6000 रुपये का भुगतान भी किया जाता है ताकि वे अपने पेशे के अलावा कुछ अतिरिक्त कमाई कर सकें। साथ ही, सरकार ने विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में उनके बच्चों के लिए सीटें आरक्षित करने के लिए कदम उठाए हैं ताकि वे शिक्षा से वंचित न रहें। ये सभी उपाय उन्हें बेहतर और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करने के लिए किए जाते हैं। हालाँकि उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए और भी बहुत कुछ किया जा सकता है, हालाँकि, ये छोटे कदम उन्हें एक ऐसा जीवन जीने में मदद कर सकते हैं जिसके वे हकदार हैं।

किसान पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Farmer in Hindi)

किसान हमारे समाज की रीढ़ हैं। वे वही हैं जो हमें वह सब भोजन प्रदान करते हैं जो हम खाते हैं। नतीजतन, देश की पूरी आबादी किसानों पर निर्भर करती है। चाहे वह सबसे छोटा देश हो या सबसे बड़ा। उनकी वजह से ही हम ग्रह पर रह पा रहे हैं। इस प्रकार किसान दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण लोग हैं। हालांकि किसानों का इतना महत्व है फिर भी उनके पास उचित जीवन यापन नहीं है।

किसानों का महत्व

हमारे समाज में किसानों का बहुत महत्व है। वे ही हमें खाने के लिए भोजन उपलब्ध कराते हैं। चूंकि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन यापन के लिए उचित भोजन की आवश्यकता होती है, इसलिए समाज में यह एक आवश्यकता है।

विभिन्न प्रकार के किसान हैं। और उन सभी का समान महत्व है। पहले वे किसान हैं जो गेहूँ, जौ, चावल आदि जैसी फसलें उगाते हैं। चूँकि भारतीय घरों में अधिकतम खपत गेहूँ और चावल की होती है। अत: खेती में गेहूँ और चावल की खेती अधिक होती है। इसके अलावा, इन फसलों को उगाने वाले किसानों का प्रमुख महत्व है। दूसरे, वे हैं जो फलों की खेती करते हैं। इन किसानों को विभिन्न प्रकार के फलों के लिए मिट्टी तैयार करनी होती है। क्‍योंकि ये फल मौसम के अनुसार ही उगते हैं। इसलिए किसानों को फलों और फसलों के बारे में अच्छी जानकारी होनी चाहिए। कई अन्य किसान हैं जो विभिन्न प्रकार के पौधे उगाते हैं। इसके अलावा, अधिकतम फसल प्राप्त करने के लिए उन सभी को बहुत मेहनत करनी पड़ती है।

किसानों के अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग 17% का योगदान है। वह सबसे अधिक है। लेकिन फिर भी एक किसान समाज के हर ऐशो-आराम से वंचित है।

भारत में किसानों की स्थिति

भारत में किसानों की स्थिति गंभीर है। हम हर हफ्ते या महीने में किसानों की आत्महत्या की खबरें सुन रहे हैं। इसके अलावा, किसान सभी पिछले वर्षों से एक कठिन जीवन जी रहे हैं। समस्या यह है कि उन्हें पर्याप्त वेतन नहीं मिल रहा है। चूंकि अधिकांश पैसा बिचौलियों को मिलता है, इसलिए किसान के हाथ कुछ नहीं लगता। इसके अलावा, किसानों के पास अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए पैसे नहीं हैं। कई बार तो स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि उन्हें ठीक से खाना तक नहीं मिल पाता है। इस प्रकार किसान अकाल में चले जाते हैं। नतीजतन, वे आत्महत्या का प्रयास करते हैं।

इसके अलावा, किसानों की सबसे खराब स्थिति का दूसरा कारण ग्लोबल वार्मिंग है। चूंकि ग्लोबल वार्मिंग हमारे ग्रह को हर तरह से प्रभावित कर रही है, इसलिए यह हमारे किसानों को भी प्रभावित करती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में देरी हो रही है। चूंकि विभिन्न फसलों के पकने का अपना मौसम होता है, इसलिए उन्हें पोषण नहीं मिल रहा है। फसलों को बढ़ने के लिए उचित धूप और बारिश की जरूरत होती है। इसलिए यदि फसलें नहीं मिल रही हैं तो वे नष्ट हो जाती हैं। खेतों के नष्ट होने का यह एक मुख्य कारण है। नतीजा यह होता है कि किसान आत्महत्या कर लेते हैं।

किसानों को बचाने के लिए, हमारी सरकार उन्हें विभिन्न विशेषाधिकार प्रदान करने का प्रयास कर रही है। हाल ही में सरकार ने उन्हें सभी ऋणों से मुक्त कर दिया है। इसके अलावा, सरकार रुपये की वार्षिक पेंशन का भुगतान करती है। उन्हें 6000। इससे उन्हें अपने पेशे के अलावा कम से कम कुछ कमाई करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, सरकार उनके बच्चों को कोटा (आरक्षण) प्रदान करती है। यह सुनिश्चित करता है कि उनके बच्चों को उचित शिक्षा मिले। आज की दुनिया में सभी बच्चों को उचित शिक्षा मिलनी चाहिए। ताकि उन्हें बेहतर जिंदगी जीने का मौका मिले।

अंत में, खेती एक ऐसा पेशा है जो कठिन परिश्रम और प्रयास करता है। इसके अलावा हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए हमें अपने देश के किसानों की मदद के लिए पहल करनी चाहिए।

किसान पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. किसान हमारे जीवन में किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

उत्तर: किसान वह है जो हम सभी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वे ही हैं जो हमें भूख लगने पर भोजन देते हैं। किसानों के बिना हम किसी भी भोजन का उपभोग नहीं कर सकते हैं। किसान फसल, पशुपालन करता है और समाज के लिए सब कुछ जोश से करता है।

प्रश्न 2. आप एक किसान के जीवन का वर्णन कैसे कर सकते हैं?

उत्तर: किसान को कृषि के रूप में भी जाना जाता है। वे मुख्य रूप से खेती करने, पशुओं को पालने में लगे हुए हैं। वे उपभोग के लिए आवश्यक कच्चे माल का उत्पादन करते हैं। किसान वह है जो फसल उगाने के दौरान कई कठिनाइयों का सामना करता है, जैसे कि कीट का हमला, सूखा और बाढ़। किसान का जीवन काफी कठिन होता है। बहुत से किसान निम्न मध्यवर्गीय समाज के हैं।

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By: savita mittal

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गांधी कहते थे–“ भारत का हृदय गांवों में बसता है , गाँवों की उन्नति से ही भारत की उन्नति सम्भव है। गाँवों सेवा और परिश्रम के अवतार ‘कृषक’ रहते हैं।” वास्तविकता भी यही है कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की घरी है। की कुल श्रमशक्ति का लगभग 61% भाग कृषि एवं इससे सम्बन्धित उद्योग-धन्धों से अपनी आजीविका चलाता ब्रिटिशकाल में भारतीय कृषक अंग्रेजों एवं जमींदारों के अत्याचारों से परेशान एवं बेहाल थे।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद स्थिति में अधिक सुधार हुआ, किन्तु जिस प्रकार कृषकों के शहरों की ओर पलायन एवं उनकी आत्महत्या की सुनने को मिलती है, उससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी स्थिति में आज भी अपेक्षित सुधार नहीं हो सका है। स्थिति विकट हो चुकी है कि कृषक अपने बच्चों को आज कृषक नहीं बनाना चाहते।

कवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखी गई ये पंक्तियाँ आज भी प्रासंगिक है। “” सी में पचासी जन यहाँ निर्वाह कृषि पर कर रहे, पाकर करोड़ों अर्द्ध भोजन सर्द आहे भर रहे। जब पेट की ही पड़ रही, फिर और की क्या बात है, ‘होती नहीं है भक्ति भूखे’ उक्ति यह विख्यात है।”

विश्व के महान् विचारक सिसरो ने भी कहा है-“किसान मेहनत करके पेड़ लगाते हैं पर स्वयं उन्हें ही उनके फल लब नहीं हो पाते।” निःसन्देह खून-पसीना एक कर दिन-रात खेतों में मेहनत करने वाले कृषकों का जीवन अत्यन्त उठोर व संघर्षपूर्ण है। अधिकतर भारतीय कृषक निरन्तर घटते भू-क्षेत्र के कारण गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे 1 दिन-रात खेतों में परिश्रम करने के बाद भी उन्हें तन ढकने के लिए समुचित कपड़ा नसीब नहीं होता।

सर्दी हो या गर्मी, हर हो या बरसात उन्हें दिन-रात बस खेतों में ही परिश्रम करना पड़ता है। इसके बावजूद उन्हें फसलों से उचित आय नहीं हत हो पाती। बड़े-बड़े व्यापारी कृषकों से सस्ते मूल्य पर खरीदे गए खाद्यान्न, सब्जी एवं फलों को बाजारों में ऊँची दरी हरेच देते हैं। इस प्रकार, कृषकों का श्रम लाभ किसी और को मिल जाता है और वे अपनी किस्मत को कोसते हैं।

किसानों की ऐसी दयनीय स्थिति का एक कारण यह भी है कि भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर है और मानसून की निश्चितता के कारण प्राय: कृषकों को अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। समय पर सिंचाई नही होने के कारण भी उन्हें आशानुरूप फसल की प्राप्ति नहीं हो पाती। इसके अतिरिक्त आवश्यक उपयोगी वस्तुओं की कंमतों में वृद्धि के कारण कृषकों की स्थिति और भी दयनीय हो गई है तथा उनके सामने दो वक्त की रोटी की समस्या जुड़ी हो गई है। कृषि में श्रमिकों की आवश्यकता सालभर नहीं होती, इसलिए वर्ष के लगभग तीन-चार महीने कृषकों को बाली बैठना पड़ता है। इस कारण भी कृषकों के गाँवों से शहरों की ओर पलायन में वृद्धि हुई है।

Indian Farmer Essay in Hindi

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देश के विकास में कृषकों के योगदान को देखते हुए कृषकों और कृषि क्षेत्र के लिए कार्य योजना का सुझाव देने हेतु वर्ष 2004 में डॉ. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कृषक आयोग’ का गठन किया गया। वर्ष 2006 में आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कृषकों के लिए एक विस्तृत नीति के निर्धारण की संस्तुति की गई। इसमें कहा गया किसरकार को सभी कृषिगत उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए तथा यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कृषकों को विशेषत: वर्षा आधारित कृषि वाले क्षेत्रों में न्यूनतम समर्थन मूल्य उचित समय पर प्राप्त हो सके।

राष्ट्रीय कृषक आयोग की संस्तुति पर भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषक नीति, 2007 की घोषणा की । इसमें कृषकों के कल्याण एवं कृषि के विकास के लिए अनेक बातों पर बल दिया गया है। इसमें कही गई बातें इस प्रकार है-सभी कृषिन्न उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित किया जाए। मूल्यों में उतार-चढ़ाव से कृषकों की सुरक्षा हेतु मार्केट रिस्क स्टेबलाइजेशन फण्ड की स्थापना की जाए।

सुखे एवं वर्षा सम्बन्धी विपत्तियों से बचाव हेतु ‘एग्रीकल्चर रिस्क पण्टु स्थापित किया जाए। सभी राज्यों में राज्यस्तरीय किसान आयोग का गठन किया जाए। कृषकों के लिए बीमा योजना का विस्तार किया जाए। कृषि सम्बन्धी मामलों में स्थानीय पंचायतों के अधिकारों में वृद्धि की जाए। राज्य सरकारों द्वारा कृषि हेतु अधिक संसाधनों का आवण्टन किया जाए।

प्राय: यह देखा जाता था कि कृषकों को फसलों, खेती के तरीकों एवं आधुनिक कृषि उपकरणों के सम्बन्ध में उचित जानकारी उपलब्ध नहीं होने के कारण खेती से उन्हें उचित लाभ नहीं मिल पाता था। इसलिए कृषको को कृषि सम्बन्धी • बातों की जानकारी उपलब्ध कराने हेतु वर्ष 2004 में किसान कॉल सेण्टर की शुरुआत की गई। इसके अतिरिक्त कृषि सम्बन्धी कार्यक्रमों का प्रसारण करने वाले ‘कृषि चैनल’ की भी शुरुआत की गई है।

केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण विकास बैंक के माध्यम से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ‘रूरल नॉलेज सेण्टर्स’ की भी स्थापना की है। इन केन्द्रों में आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी व दूरसंचार तकनीक का उपयोग किसानों को बांछित जानकारियाँ उपलब्ध कराने के लिए फेंक जाता है।

कृषकों को वर्ष के कई महीने खाली बैठना पड़ता है, क्योंकि वर्षभर उनके पास काम नहीं होता। इसलिए ग्रामीण लोगों को गाँव में ही रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी अधिनियम के अन्तर्गत, 2006 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना का शुभारम्भ किया गया। 2 अक्टूबर, 2009 से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (MANREGA) का नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (MANREGA) कर दिया गया है।

यह अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक परिवार के एक वयस्क सदस्य को वर्ष में कम-से-कम 100 दिन के रोजगार की गारण्टी देता है। इस अधिनियम में इस बात को भी सुनिश्चित किया गया है कि इसके अन्तर्गत 33% लाभ महिलाओं को मिले।

इस योजना से पहले भी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार प्रदान करने के लिए अनेक योजनाएँ प्रारम्भ की गई थी, किन्तु उनमें भ्रष्टाचार के मामले अत्यधिक उजागर हुए। अतः इससे बचने के लिए रोजगार के इच्छुक व्यक्ति का रोजगार-कार्ड बनाने का प्रावधान किया गया है। ग्राम पंचायत जो रोजगार कार्ड जारी करती है, उस पर उसकी पूरी जानकारी के साथ-साथ उसका फोटो भी लगा होता है। पंजीकरण कराने के 15 दिनों के भीतर रोजगार न मिलने पर निर्धारित दर से सरकार द्वारा बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाता है।

रोज़गार के इच्छुक व्यक्ति को पाँच किलोमीटर के दायरे के भीतर रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। यदि कार्यस्थल पाँच किलोमीटर के दायरे से बाहर हो, तो उसके स्थान पर अतिरिक्त भत्ता देने का भी प्रावधान है। कानून द्वारा रोजगार की गारण्टी मिलने के बाद न केवल ग्रामीण विकास को गति मिली है, बल्कि ग्रामीणों का शहर की ओर पलायन भी कम हुआ है। आज कोबिड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है, लेकिन मनरेगा इस सकट से उबारने के लिए प्रभावशाली भूमिका अदा कर रही है।

कृषकों को समय-समय पर धन की आवश्यकता पड़ती है। साहूकार से लिए गए ऋण पर उन्हें अत्यधिक ब्याज देना पड़ता है। कृषकों की इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, उन्हें साहूकारों के शोषण से बचाने के लिए वर्ष 1998 में ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ योजना की भी शुरुआत की गई। इस योजना के फलस्वरूप कृषकों के लिए वाणिज्यिक बैंको क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों से त्राण प्राप्त करना सरल हो गया है। वर्ष 2016 में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने को राहत पहुँचाने की दिशा में यह एक निर्णायक एवंसक प्रधानक चहल है। इसी प्रकार कृषकों के हितों को ध्यान में रखते हुए क 2019 में प्रधानमन्त्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की गई है।

अर्थव्यवस्था को सही अर्थों में प्रगति की राह पर अग्रसर कर सकेंगे और तभी डॉ. रामकुमार वर्मा की ये पंक्तियाँ सार्थक सिद्ध होगी कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इसलिए अर्थव्यवस्था में सुधार एवं देश की प्रगति के लिए किसानों की प्रगति है। इस सन्दर्भ में प्रो. मूलर की कही बात महत्त्वपूर्ण है- “भारत की दीर्घकालीन आर्थिक विकास की लड़ाई कृषकद्वारा जीती या हारी जाएगी।”

केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई विभिन्न प्रकार की योजनाओं एवं नई कृषि नीति के फलस्वरूप कृषको की स्थिति में सुधार हुआ है, किन्तु अभी तक इसमें सन्तोषजनक सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है। आशा है विभिन्न प्रकार के सरकारी प्रयासों एवं योजनाओं के कारण आने वाले वर्षों में कृषक समृद्ध होकर भारतीय “सोने चाँदी से नहीं किन्तु तुमने मिट्टी से किया प्यार, हे ग्राम देवता नमस्कार”।

reference Indian Farmer Essay in Hindi

indian farmer essay hindi

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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दा इंडियन वायर

भारतीय किसान पर निबंध

indian farmer essay hindi

By विकास सिंह

essay on indian farmer in hindi

भारत किसानों की भूमि है। इसे इसलिए कहा जाता है क्योंकि अधिकांश भारतीय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि गतिविधियों में शामिल होते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि किसान हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।

निम्नलिखित निबंधों में मैंने भारतीय किसानों द्वारा पेश की जा रही समस्याओं पर चर्चा करने की कोशिश की है और इस पर अपनी राय भी दी है। आशा है कि आपको मेरे निबंध मददगार मिलेंगे।

भारतीय किसान पर निबंध, essay on indian farmer in hindi (200 शब्द)

किसी ने सही कहा है, “भारत गांवों की भूमि है और किसान देश की आत्मा हैं।” मैं भी यही महसूस करता हूं। किसान बहुत सम्मानित हैं और हमारे देश में खेती को एक महान पेशा माना जाता है। उन्हें “अन्नदाता” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “अन्न देने वाला”। इस तर्क के अनुसार, भारत में किसानों को एक खुशहाल और समृद्ध होना चाहिए, लेकिन विडंबना यह है कि वास्तविकता इसके विपरीत है।

यही कारण है कि किसानों के बच्चे अपने माता-पिता के पेशे को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं। एक सरकारी आंकड़े के अनुसार, लगभग ढाई हजार किसान रोजी-रोटी की तलाश में खेती छोड़ कर शहरों की ओर पलायन करते हैं। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो एक समय आ सकता है जब कोई किसान नहीं बचेगा और हमारा देश “खाद्य अधिशेष” से बदल जाएगा, जो अब हम “भोजन की कमी” के लिए कर रहे हैं।

मैं सोचता था कि जब वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं, तो किसान को लाभ होता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि अधिकांश पैसा मध्यम पुरुषों द्वारा हड़प लिया जाता है। अतः किसान हमेशा पराजित होता है। जब कोई बंपर फसल होती है, तो उत्पादों की कीमत गिर जाती है और कई बार उसे अपनी उपज सरकार को औने-पौने दामों पर या बिचौलियों को बेचनी पड़ती है और जब सूखा या बाढ़ आती है, तो हम सभी जानते हैं कि क्या होता है गरीब किसान।

किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। अगर कुछ तत्काल नहीं किया जाता है, तो बचाने के लिए कुछ भी नहीं रहेगा।

भारतीय किसान पर निबंध, essay on indian farmer in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना :.

मुझे लगता है कि किसान हमारे देश के लिए वैसी ही भूमिका निभाता है जैसा कि मानव शरीर के लिए रीढ़ की हड्डी निभाता है। समस्या यह है कि यह रीढ़ (हमारे किसान) कई समस्याओं से पीड़ित है। कभी-कभी, उनमें से कई एक दिन में दो वर्ग भोजन भी नहीं कर सकते हैं। सभी कठिनाइयों के बावजूद जो वे सामना करते हैं, इसके अनुसार वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनमें से कुछ नीचे चर्चा की गई है।

भारतीय किसान का महत्व:

वे देश के खाद्य निर्माता हैं: 

1970 के दशक के उत्तरार्ध से पहले भारत अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त खाद्यान्न का उत्पादन करने में सक्षम नहीं था। दूसरे शब्दों में, भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं था। हम विदेशों से (मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका से) बड़ी मात्रा में खाद्यान्न आयात करते थे। यह कुछ समय के लिए अच्छा रहा लेकिन बाद में यूएसए ने हमें व्यापार पर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।

उन्होंने खाद्यान्न की आपूर्ति पूरी तरह से बंद करने की धमकी भी दी। तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने चुनौती स्वीकार की और “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया और कुछ कठोर उपाय किए, जिसके परिणामस्वरूप हरित क्रांति आई और उसकी वजह से हम खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो गए और यहां तक ​​कि शुरू भी हो गया। अधिशेष का उत्पादन करता है।

भारत ने तब से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हमारे किसानों ने हमें कभी निराश नहीं किया, भले ही वे कई समस्याओं का सामना कर रहे हों। वे बढ़ती आबादी की मांग को पूरा करने में सक्षम हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदानकर्ता में से एक:   भारतीय अर्थव्यवस्था में किसानों का योगदान लगभग 17% है। उसके बाद भी वे गरीबी का जीवन जीते रहे। इसके कई कारण हैं। यदि हम विभिन्न बाधाओं को दूर करने में सक्षम हैं, तो एक अच्छा मौका है कि यह प्रतिशत में सुधार होगा।

सभी किसान स्वंय सेवक हैं: किसान रोजगार के लिए किसी अन्य स्रोत पर निर्भर नहीं हैं। वे स्वयं कार्यरत हैं और दूसरों के लिए रोजगार भी पैदा करते हैं।

निष्कर्ष:

हम आजादी के बाद एक लंबा सफर तय कर चुके हैं लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना है। मुझे यकीन है, अगर हम ईमानदारी से काम करते हैं, तो हम उन समस्याओं को दूर करने में सक्षम होंगे जो हम आज का सामना कर रहे हैं और भगवान हमारे गांवों को तैयार करने के लिए उतने ही सुंदर और समृद्ध बन जाएंगे जितने कि बॉलीवुड फिल्मों में दिखाए जाते हैं।

भारतीय किसान का जीवन पर निबंध, essay on life of indian farmer in hindi (400 शब्द)

मेरे जैसे व्यक्ति, जो अपने पूरे जीवन के लिए शहरों में रहे हैं, गाँव के जीवन के बारे में बहुत गलत विचार रखते हैं। उनका मानना ​​है कि बॉलीवुड फिल्मों में जो दिखाया जाता है। मैं अलग नहीं था। मैंने यह भी सोचा कि गांवों में महिलाएं अपने डिजाइनर लहंगे में घूमती हैं। वे पानी लाने के लिए कुएँ पर जाते हैं और खुशी-खुशी यहाँ-वहाँ जाते हैं। मेरा यह भी मानना ​​था कि शाम को वे “सूर्य मितवा” या “मेरे देश की धरती” जैसे फिल्मी गीतों पर एक साथ नृत्य करते हैं।

एक भारतीय किसान का जीवन:

एक दिन मैंने अपने पिताजी से कहा, “इन गाँव के लोगों का जीवन कितना अच्छा है …”। इस पर मेरे पिताजी जोर से हंसे और मुझे सुझाव दिया कि हमारे पैतृक गाँव की यात्रा करें जो लखनऊ में है। पिछली बार जब मैं अपने गाँव गया था, तब मैं 4 साल का था। मुझे अपनी पिछली यात्रा से बहुत कम विवरण याद थे या यह कहना बेहतर था कि मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि एक गाँव कैसा दिखता था।

मैंने ऑफिस से एक हफ्ते की छुट्टी ली और अपने पिता के साथ ट्रेन में सवार हो गया। मैं वास्तव में बहुत उत्साहित था। रेलवे स्टेशन पर हमें हमारे रिश्तेदार (मेरे चचेरे भाई) ने बधाई दी थी जो हमें रिसीव करने आए थे। मैंने उनसे पूछा, “हम घर कैसे जाएंगे”? इस पर उन्होंने अपनी बैलगाड़ी दिखाई। इस पर मेरी प्रतिक्रिया थी, “क्या!”। मेरे पिताजी ने मुझसे कहा, “बेटा, यह तो शुरुआत है …”।

सबसे पहले घर पहुंचने पर, मैंने अपने पेट का जवाब देने का फैसला किया। तो, मैंने पूछा, “शौचालय कहाँ है”? इस पर मुझे एक खुले मैदान में ले जाया गया। मुझे बताया गया कि गांव में शौचालय नहीं है और महिलाओं सहित सभी ग्रामीणों को खुले मैदान में जाना पड़ता है। उसके बाद मैंने चारों ओर नज़र रखने का फैसला किया। मुझे पुराने और फटे कपड़ों (निश्चित रूप से डिजाइनर नहीं) में पुरुषों और महिलाओं के साथ मिट्टी और बांस से बने टूटे हुए घर मिले, जो खेतों में बहुत मेहनत करते हैं ताकि उनके सिरों को पूरा किया जा सके।

एक प्रयुक्त हल और एक बैल की एक जोड़ी बैल हर घर में रहने वालों की कड़ी ज़िंदगी का प्रमाण है। अधिकतम घरों में बिजली का कनेक्शन नहीं था और यहां तक ​​कि जिन घरों में बिजली का कनेक्शन था उनमें तेल के लैंप का उपयोग किया गया था क्योंकि बिजली दुर्लभ थी। किसी के पास गैस कनेक्शन नहीं था, इसलिए भोजन लकड़ी या कोयले की आग पर पकाया जाता था जो धुआं उत्पन्न करता था और जिससे फेफड़ों के विभिन्न रोग होते थे।

मुझे एक बूढ़ी औरत खांसती हुई मिली। मैंने उससे पूछा, “क्या आप अपनी दवाइयाँ ले रहे हैं”? इस पर उसने एक रिक्त रूप दिया और कहा, “बेटा, मेरे पास दवा खरीदने या निजी अस्पताल में जाने के लिए पैसे नहीं हैं।” अन्य व्यक्तियों ने मुझे बताया कि पास में कोई सरकारी क्लिनिक नहीं है। यह सुनकर मैं सचमुच भावुक हो गया। भारतीय किसानों की दुर्दशा अकल्पनीय है क्योंकि वे मूलभूत आवश्यकताओं के अभाव में पूरे वर्ष अथक परिश्रम करते हैं।

मैंने अपने चचेरे भाई के साथ जुड़ने का फैसला किया जो खेतों में काम कर रहा था। जब मैं वहाँ पहुँचा, तो मैंने उसे और कुछ किसानों को कुछ आदमियों के साथ बहस करते हुए पाया। मुझे बताया गया कि वे बैंक अधिकारी थे और किसानों को एक औपचारिक नोटिस (ईएमआई का भुगतान न करने) देने आए थे। मेरे चचेरे भाई ने मुझे बताया कि गांव में कोई भी निकाय इस बार ईएमआई का भुगतान करने में सक्षम नहीं था क्योंकि उनके पास इस बार खराब फसल थी।

मैंने अपना खाना खाया और सोने चला गया। कुछ समय बाद, मैं पानी पीने के लिए उठा। मुझे बंटू (मेरा चचेरा भाई का बेटा) मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ता हुआ मिला। मैंने पूछा, “इसकी देर है, सो जाओ।” इस पर उन्होंने जवाब दिया, “अंकल, मेरा कल एक टेस्ट है”। यह सुनकर मुझे लगा कि सब कुछ नहीं खोया है और अभी भी उम्मीद की एक किरण बाकी है।

हमारे गाँव और किसान वैसे नहीं हैं जैसा मैंने सोचा था लेकिन मुझे इस बात का एहसास है कि एक दिन यह गाँव बन जाएगा जैसा कि बॉलीवुड फिल्मों में दिखाया जाता है।

भारतीय किसान पर निबंध, essay on indian farmer in hindi (500 शब्द)

प्रस्तावना:.

भारत में विविध संस्कृति है। भारत में, लगभग 22 प्रमुख भाषाएँ और 720 बोलियाँ बोली जाती हैं। हिंदू, इस्लाम, ईसाई, सिख जैसे सभी प्रमुख धर्मों के लोग यहां रहते हैं। यहां के लोग हर तरह के व्यवसायों में लगे हुए हैं लेकिन कृषि यहां का मुख्य व्यवसाय है। यही कारण है कि भारत को “कृषि प्रधान देश” के रूप में भी जाना जाता है।

एक भारतीय किसान की भूमिका:

यही कारण है कि हमारी आबादी का एक बड़ा प्रतिशत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। यह कहना गलत नहीं होगा कि किसान हमारे राष्ट्र की रीढ़ हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था के पीछे भी वे ताकत हैं। फिर भी भारतीय किसानों के साथ सब ठीक नहीं है। वे गरीबी और बदहाली का जीवन जीते रहे। फिर भी वे राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसानों की कुछ महत्वपूर्ण भूमिकाओं के बारे में नीचे चर्चा की गई है।

खाद्य सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा है:  जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भोजन जीवन की मूलभूत आवश्यकता है। यही कारण है कि पुराने समय में, खाद्यान्न को बड़ी मात्रा में किलों में संग्रहीत किया जाता था, ताकि युद्ध के समय में, जब दुश्मन द्वारा बाहरी आपूर्ति बंद कर दी जाएगी, तब भी खाने के लिए भोजन होगा। वही तर्क आज भी मान्य है। जैसा कि हम खाद्यान्न के मामले में “आत्मनिर्भर” हैं, कोई भी देश हमें ब्लैकमेल या धमकी नहीं दे सकता है। हमारे किसानों की मेहनत के कारण ही यह संभव हो पाया।

भारतीय अर्थव्यवस्था के चालक:  भारतीय अर्थव्यवस्था में किसानों का योगदान लगभग 17% है। 2016-17 में भारतीय कृषि निर्यात लगभग 33 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

भारतीय किसानों की हालत सही नहीं है:

निर्यात के मूल्य के कारण भारतीय किसानों को समृद्ध होने की उम्मीद होती है, लेकिन वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है। वे आत्महत्या कर रहे हैं, पेशे को छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, और एक दिन में 2 वर्ग भोजन का प्रबंधन भी नहीं कर पा रहे हैं।

बहुत सी चीजें हैं जिन्हें दोष दिया जाना है लेकिन एक बात सुनिश्चित है कि यदि समस्या जल्द ही ख़त्म नहीं हुई तो हम “खाद्य निर्यातक देश” से एक “खाद्य आयातक देश” बन सकते हैं जो अब हम हैं।

बड़े पैमाने पर आंदोलन और किसान आत्महत्याओं के कारण किसान समस्याओं के मुद्दे को उजागर किया गया है, लेकिन “क्या हम पर्याप्त कर रहे हैं”? यह दस लाख डॉलर का सवाल है जिसका हमें जवाब देना है। जब हमारे “अन्नदाता” को आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा है, तो वास्तव में यह चिंता की बात है।

आखिरी में मैं केवल यह कहना चाहूंगा कि, समय आ गया है कि हमें तत्काल कुछ करना होगा अन्यथा चीजें निश्चित रूप से सबसे खराब हो जाएंगी।

भारतीय किसान समस्या पर निबंध, essay on problems of indian farmers in hindi (600 शब्द)

यह एक बहुत ही संवेदनशील विषय है जिसे बहुत सावधानी से संभाला जाना चाहिए लेकिन क्या हम इसे ठीक से संभाल रहे हैं? यह एक मिलियन डॉलर का सवाल है। चूंकि समस्या जटिल है, इसलिए समाधान भी सीधा नहीं है, लेकिन अगर हम वास्तव में अपने देश को उथल-पुथल में जाने से बचाना चाहते हैं तो हमें इस समस्या को हल करना होगा।

हम चेतावनी के संकेत के लिए सावधान नहीं थे जो काफी समय से आ रहे हैं। अब, जब समस्या ने राक्षसी अनुपात लिया है, हम एक त्वरित समाधान की तलाश कर रहे हैं। मुझे दृढ़ता से लगता है कि इसका कोई त्वरित समाधान नहीं है।

जैसे-जैसे समस्या को बढ़ने में समय लगा है, उसी तरह से निपटाने में भी समय लगेगा। तो, यह उच्च समय है, हमें छाती पीटने में लिप्त होने के बजाय कुछ ठोस करना शुरू करना चाहिए।

समस्या की गंभीरता:

समस्या की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगभग 3 लाख (सरकारी अनुमान, अन्य स्रोतों का कहना है कि यह 10 गुना अधिक है) किसानों ने 1995 से आत्महत्या की है। इन आत्महत्याओं का मुख्य कारण किसानों द्वारा लिए गए ऋणों को चुकाने में असमर्थता है। उसके द्वारा विभिन्न कारणों से। इस सूची में अव्वल रहने का संदिग्ध भेद महाराष्ट्र को जाता है।

एक अन्य अनुमान (सरकारी डेटा) के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत किसान कर्ज में हैं। अधिकतम गरीब हैं और कई गरीबी रेखा से नीचे जीने को मजबूर हैं। लगभग 95% किसान आधिकारिक MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से नीचे की उपज बेचने के लिए मजबूर हैं और उनकी औसत वार्षिक आय इक्कीस हजार रुपये से कम है।

यही कारण है कि कई किसान खेती छोड़ रहे हैं और अन्य व्यवसायों में जाने की कोशिश कर रहे हैं और यही कारण है कि कोई भी किसान बनना नहीं चाहता है।

कृषि के खराब होने का कारण:

ग्लोबल वार्मिंग (बाढ़ और सूखे) के कारण जलवायु में परिवर्तन :  ग्लोबल वार्मिंग और कुछ अन्य कारणों के कारण, पृथ्वी की जलवायु बदल रही है। यही कारण है कि बाढ़ और सूखे की आवृत्ति और गंभीरता बढ़ी है, जिससे बड़े पैमाने पर फसल क्षति हुई है।

सिंचाई सुविधाओं का अभाव:  अधिकतम किसान बारिश पर निर्भर होते हैं क्योंकि उनके पास सिंचाई के उचित साधन नहीं होते हैं, जैसे, डीजल पंप सेट, नहर या बांध का पानी आदि। इसका मतलब है कि अगर यह खराब मानसून है तो उनकी फसल खराब होगी।

छोटी भूमि जोतना:  भारत में अधिकतम किसानों के पास भूमि के छोटे से बहुत छोटे भूखंड हैं, जिस पर वे खेती करते हैं। यह खेती को लाभहीन बनाता है।

महंगे बीज और उर्वरक:  कई किसानों के पास अच्छी गुणवत्ता के बीज और उर्वरक खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। इसलिए, वे हीन गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करते हैं और इसी कारण प्रति एकड़ उत्पादन में कमी आती है।

ऋण आसानी से उपलब्ध नहीं है : खेती, किसी भी अन्य व्यवसाय की तरह निवेश की आवश्यकता होती है, जो गरीब किसानों के पास नहीं है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्थिति और कागजी कार्रवाई बहुत अधिक है। इसलिए, उन्हें निजी धन उधारदाताओं के पास जाना पड़ता है, जो उच्च ब्याज दर लेते हैं और अगर किसी कारण से फसल विफल हो जाती है, तो उनके लिए ऋण चुकाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

नए वैज्ञानिक तरीकों की जागरूकता का अभाव: अधिकांश किसानों की शिक्षा बहुत कम है या वे निरक्षर हैं। इसलिए, वे नई खेती और खेती के वैज्ञानिक तरीकों से अवगत नहीं हैं। यही कारण है कि सरकार ने टोलफ्री हेल्पलाइन नंबर शुरू किए हैं, जिस पर किसान अपनी समस्याएं पूछ सकते हैं।

विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार : विभिन्न स्तरों पर भ्रष्टाचार के कारण विभिन्न योजनाओं और योजनाओं का कार्यान्वयन प्रभावित होता है और इसलिए इसका लाभ किसानों तक नहीं पहुंचता है।

किसानों की दशा सुधारने के उपाय:

उचित बीमा:  चूंकि कई कारणों से फसल खराब हो सकती है, इसलिए किसानों को उचित बीमा सुविधाएं काफी फायदेमंद होंगी। यह बेहतर होगा कि सरकार द्वारा आंशिक या पूरे प्रीमियम का भुगतान किया जा सके क्योंकि कई किसान गरीब हैं और वे प्रीमियम का भुगतान नहीं कर सकते हैं।

नुकसान भरपाई:  समय-समय पर सरकार फसल खराब होने की स्थिति में किसानों को मुआवजा प्रदान करती है। मुझे लगता है कि यह एक अस्थायी उपाय है और स्थायी समाधान नहीं है।

आसान ऋण की उपलब्धता:  यह महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। यदि किसानों को आसान ऋण प्रदान किया जाता है, तो उनकी स्थिति में निश्चित रूप से सुधार होगा क्योंकि वे बाजार से अच्छी गुणवत्ता के बीज खरीदने में सक्षम होंगे।

भ्रष्टाचार में कमी:  यदि हम भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में सक्षम हैं तो विभिन्न योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचेगा और उनकी स्थिति में सुधार होगा।

मैं इस बात से सहमत हूं कि इस समस्या का कोई आसान समाधान नहीं है, लेकिन अगर हम अच्छी समझ के साथ काम करना शुरू करते हैं, तो एक मौका है कि एक दिन हमारे भारतीय किसान भी उतने ही समृद्ध हो जाएंगे जितना कि अमेरिकी किसान अब हैं।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Nice😍🤩🤩🙂😇😇

Oh bhai bhai na 2000 words ka lekha joh ke bohot badi baat h

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भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English

नमस्कार दोस्तों आज हम भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English पढ़ेगे. भारत के किसान के जीवन, उनकी समस्याएं महत्व आदि पर आधारित सरल भाषा में हिंदी और अंग्रेजी में इंडियन फार्मर पर शोर्ट निबंध यहाँ दिया गया हैं.

Essay On Indian Farmer In Hindi & English-भारतीय किसान पर निबंध

भारतीय किसान पर निबंध Essay On Indian Farmer In Hindi And English

Indian farmer essay In English & Hindi Language:-  our country’s economy is agriculture-based. so for the development, India must be a focus on Indian farmers and help them by the government.

Essay On Indian Farmer In Hindi describe short information about our farmer condition in modern India.

whats Indian farmer’s problems? why they suicide in large number every year, in some states.  

Essay On Indian Farmer In Hindi And English helps to students they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9. children and kids improve their knowledge about Indian farmers in Hindi by reading this various length essay 100, 150, 200, 250, 300, 400 and 500 words essay.

Essay On Indian Farmer In English

a farmer is a very useful person in our life. he meets our basic needs of life. he grows corn to eat and cotton for clothes to wear.

he groves many things on his farms and send them to us. he does a valuable service silently. he is the backbone of society.

he is a very simple man. he is simple in the dress. he is good at heart. he wears hand-woven clothes and handmade shoes. he lives in kachchahuts. he is true to the picture of Indian culture.

his life is very hard. he works from morning till evening. he knows no rest. whether it is scorching heat or biting cold, he works in the field.

he plows the fields, sows the seeds and waters in the fields. he removes the weeds. he looks after the crops. he is happy to see his ripe crops.

he reaps the crops and thrashes them. then he sells the corn in the market and thus earns his livelihood. but his labor is dependent upon nature. nature is sometimes cruel to him.

he is illiterate. he is easily duped by money lenders. his condition is miserable. the government is doing a lot to improve the condition of the farmers. the future of India depends upon farmers. so the government must do a lot of them.

Essay On Indian Farmer In Hindi

किसान हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, भारतीय किसान देश के सवा सौ करोड़ लोगों की मुलभुत आवश्यकताओं को पूरा करता है.

यह हमारे लिए पहनने का कपड़ा बनाने के लिए कपास, खाने के लिए चावल, बाजरा, मक्का, गेहू जैसे फसलें उगाता है. तथा इसे हम तक पहुचाता है.

राष्ट्र के विकास के लिहाज से किसान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. किसान ही हमारे देश व समाज की रीढ़ की हड्डी है, जिनकें बल पर हमारी अर्थव्यवस्था खड़ी है.

भारतीय किसान बेहद साधारण व सरल इंसान के रूप में जीवन जीता है, उनका दिल सभी के लिए अच्छा होता है. यह हस्त निर्मित जूते एवं कपड़े उपयोग में लेता है. किसान का घर कच्चा होता है. भारतीय संस्कृति का असली स्वरूप गाँवों के किसान के जीवन में आज भी जिन्दा है.

इसका जीवन बेहद मुश्किलों से भरा होता है, किसान सुबह से शाम तक अपने खेत में निरंतर काम करता है. सर्दी, गर्मी हो या खराब मौसम सभी हालातों में किसान अपनी लग्न व मेहनत से खेत में लगा रहता है.

बारिश के होते ही, वह अपने खेत को बोता है तथा फसल की देखरेख करने के लिए खरपतवार हटाता है. इनकों सबसें अधिक खुशी लहलहाती फसलों को देखकर ही होती है.

फसल के पकने के साथ ही किसान इसकी कटाई करता है. तत्पश्चात इसकी थ्रेसिंग कर बाजार में बेच देता है. तब जाकर उसे अपनी आजीविका चलाने का कुछ सहारा मिलता है.

भारतीय किसान एवं कृषि मानसून पर आधारित है. कई बार अकाल या प्राकृतिक प्रकोप के कारण उनके मेहनत बेकार भी चली जाती है, तथा सारी फसल सूख जाती है.

भले ही किसान अधिक पढ़ा लिखा न हो, मगर वह अपना हिसाब किताब अच्छी तरह से रखता है. आज के समय में किसानों की स्थति बेहद खराब है. सरकारे इनके हालत में सुधार के लिए प्रयत्न भी कर रही है.

भारत का भविष्य हमारे किसान पर निर्भर करता है, इसलिए हमारी सरकार को किसानों के लिए और कुछ करने की आवश्यकता है. ताकि किसान की स्थति में कुछ सुधार आ सके.

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Essay on indian farmer in hindi भारतीय किसान पर निबंध.

Essay on Indian Farmer in Hindi for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. भारतीय किसान पर निबंध। In this article, we are going to post information about Indian farmer in Hindi, Indian farmer life and problems faced by farmer in Hindi.

hindiinhindi Indian Farmer Essay in Hindi

Essay on Indian Farmer in Hindi 200 Words

विचार – बिंदु – • भारतीय किसान का महत्त्व • सादगी-पसंद • परिश्रमी जीवन • हृष्ट-पुष्ट • गरीबी • दुर्दशा के कारण • सुधार के उपाय।

भारत की संस्कृति कृषक-संस्कृति है। भारतीय किसान सीधा-सादा जीवन-यापन करता है। सादगी का यह गुण उसके तन से ही नहीं, मन से भी झलकता है। सच्ची बात को सीधे-सादे शब्दों में कहना उसका स्वभाव है। भारतीय किसान बड़ा कठोर जीवन जीता है। वह शरीर से हृष्ट-पुष्ट रहता है। माँ धरती और प्रकृति की गोद में खेलने के कारण न उसे बीमारियाँ घेरती हैं, न मानसिक परेशानियाँ। भारत के अधिकतर किसान ग़रीबी में जीते हैं। उनके पास थोड़ी जमीन है। छोटे किसान दिन-भर मेहनत करके भी भरपेट खाना नहीं जुटा पाते। अधिकतर किसान निरक्षर है। अज्ञान के कारण वे अंधविश्वासों में आस्था रखते हैं। इस कारण वे परिवार को सीमित रखने का महत्त्व नहीं समझते।

परिणामसवरुप उनका परिवार बढ़ता जाता है और ज़मीन कम होती जाती है। फिर उनके जीवन में खुशहाली कैसे आए? अज्ञानता के कारण ही व्यापारी लोग उन्हें आसानी से लूट लेते हैं। आवश्यकता है कि किसानों को उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक सस्ते दामों पर उपलब्ध कराए जाएँ। उनके बच्चों को सस्ती शिक्षा दी जाए। उनके उत्पादन को ऊँचे दामों पर बेचने का प्रबंध किया जाए।

Indian Farmer in Hindi Essay 600 Words

भारतीय किसान की त्रासद स्थिति

मानव ने अपने पशुतुल्य जीवन को छोड़कर जिस समय एक स्थायी जीवन को ग्रहण किया था उसी समय उसने कृषि को अपने जीवन का अपरिहार्य अंग स्वीकार कर लिया था। कृषि ने ही मानव को पशु-जगत से भिन्न एक मानव-जगत् में स्थापित किया। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि संसार में मानव का आविर्भाव कृषि-व्यवस्था के परिणामस्वरूप ही अविर्भाव हुआ।

भारतीय संस्कृति, सभ्यता और साहित्य का एक बड़ा हिस्सा किसान-जीवन की नाना स्थिति-परिस्थितियों के विविध आयामी चित्रणों से भरा पड़ा है। आदिकाव्य रामायण में भी मानव के इस आदिम-पेशे का यथोचित वर्णन मिलता है। कालिदास ने तो ‘मेघदूत’ नामक अपने श्रृंगार और प्रेमपरक काव्य में, किसान जीवन की विराट मार्मिकता को पूरी तरह से उभार कर ही रख दिया। किन्तु किसान का जीवन मात्र प्राकृतिक-जीवन की मधुरता, स्वच्छंदता, सहजता और सौन्दर्य से भरा हुआ ही नहीं होता अपितु गरीबी, शोषण और विकराल अभावग्रस्तता का भी जीवन होता है। भक्ति-काल के सर्वश्रेष्ठ कवि महात्मा तुलसीदास ने कृषक जीवन की इस विडम्बनापूर्ण स्थिति को पूरी वास्तविकता और सच्चाई के साथ अनुभूत किया था। एक स्थान पर कृषक जीवन की त्रासद-स्थिति का वर्णन करते हुए महात्मा तुलसीदास ने लिखा है:

‘खेती न किसान को, भिखारी को न भीख बलि,

बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी।

जीविका विहीन लोग सीधामान सोच बस,

कहैं एक एकन सों कहा जाई का करी?

जो किसान अपने अथक परिश्रम के द्वारा अन्न उत्पन्न करते हैं और उससे सकल संसार का पेट भरते हैं वही किसान स्वयं अपने पेट के लिए दो जून की रोटी को तरसते हैं। उन्हें भरपेट भोजन भी प्राप्त नहीं होता। उनके बीबी: बच्चे भूख से बिलखते रहते हैं। वस्तुत: इस स्थिति को देखकर तो हृदय यह पुकार उठता है कि कृषक जीवन वस्तुत: गरीबी, भुखमरी और दरिद्रता का जीवन रहा है। कितने आश्चर्य की बात है कि जो दूसरों की भूख शान्त करता है, वह स्वयं सदैव भुखमरी के भवंरजाल में फंसा रहता है। लाख प्रयत्न करने पर भी वह इस भंवरजाल से कभी निकल नहीं पाता। उपन्यास सम्राट प्रेमचंद ने भी अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘गोदान’ में कृषक-जनों की दारूण एवं मार्मिक स्थिति का चित्रण करते हुए लिखा है:

“तीन लडके बचपन में ही मर गए। उसका मन भी कहता था, अगर उनकी दवा-दारू होती तो वे बच जाते, पर वह एक धेले की दवा भी न मंगवा सकी थी। उसकी उम्र भी अभी क्या थी। छत्तीसवां साल तो था, पर सारे बाल पक गये थे, चेहरे पर झुर्रियां पड़ी थीं। सारी देह ढल गयी थी, वह सन्दर गेहँआ रंग साँवला गया था और आँखों से भी कम सूझने लगा था। पेट की चिन्ता ही के कारण कभी तो जीवन का सुख न मिला।’

यह एक महान कथाकार का बेहद सजगता से किया गया समाज-अध्ययन है। यह उस समय के किसान की दारूण स्थिति का लेखा-जोखा है, जब भारत में ब्रिटिश अपने उपनिवेश अपने चरम पर था। ब्रिटिश नीतियां तो निश्चित रूप से भारत की अर्थ-व्यवस्था को पूर्णतः बर्बाद करने वाली और आर्थिक शोषण के द्वारा अपने देश को समृद्ध करने वाली थीं। किन्तु ऐसा नहीं कहा जा सकता कि आज भारतीय कृषक की स्थिति बहुत अच्छी है। महात्मा गांधी ने धनिक वर्ग को चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि भारतीय समाज को शान्तिपूर्ण मार्ग पर सच्ची प्रगति करनी है, तो धनिक वर्ग को निश्चित रूप से स्वीकार कर लेना होगा कि किसान के साथ भी वैसी ही आत्मा है जैसी उनके पास है और अपनी दौलत के कारण वे गरीब से श्रेष्ठ नहीं हैं।”

आज भी कृषक समाज बेतहाशा गरीबी और दरिद्रता का त्रासद जीवन जी रहा है। वह निरन्तर आत्म-हत्या और आत्महंता प्रवृत्तियों से ग्रस्त होता जा रहा है। आज आवश्यकता यह है कि सरकार अपनी संवेदनशीलता का परिचय दे और कृषक जीवन को बेहतर बनाने के लिए सच्चे अर्थों में प्रयास करें।

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भारतीय किसान पर निबंध

आज के इस लेख में हम भारतीय किसान निबंध इन हिंदी (Essay on Indian Farmer in Hindi) आप तक पहुंचाने वाले हैं। इस निबंध में भारतीय किसान के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

भारत में किसान को भगवान का दर्जा दिया जाता है। वर्तमान समय में भारत में लगभग 60% लोग खेती पर निर्भर है और इन लोगों द्वारा की गई खेती से भारत के हर व्यक्ति को खाना मिलता है।

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भारत में किसान का महत्व काफी अधिक है। किसान के बिना देश भूख से मर जाएगा और भविष्य में भी भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि आज के समय में आज की युवा जनरेसन खेती करने से दूर जा रही है।

आज के समय में जो व्यक्ति किसान की भूमिका निभा रहे हैं, वे देश के लिए सबसे सम्मानजनक व्यक्ति है। हमारा देश भारत जिसे कृषि प्रधान देश भी कहा जाता है। यहां की अधिकतर जनसंख्या खेती-बाड़ी पर निर्भर है और खेती-बाड़ी करके ही यहां के लोग अपना गुजारा चलाते हैं।

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भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian Farmer in Hindi)

आज भले ही विज्ञान कितनी तेजी से विकास क्यों ना कर रहा हो लेकिन भारत के किसान आज भी सादगी पूर्ण जीवन जीते हैं। भारत के किसान के कड़े मेहनत और संघर्ष से हर एक भारतीय युवाओं एवं बच्चों को परिचित होने की जरूरत है।

इसलिए आज के इस लेख में हम 100, 150, 200, 250, 300, 500 और 1000 शब्दों में भारतीय किसान पर निबंध हिंदी में (Bhartiya Kisan Par Nibandh) लेकर आए हैं।

भारतीय किसान पर निबंध 100 शब्दों में

भारत और भारत के किसानों का संबंध काफी गहरा है। क्योंकि भारत की ज्यादातर जनसंख्या किसान ही है, खेतों से उनका संबंध वर्षों से हैं। भारतीय किसान किसान का जीवन सादगी से भरा हुआ है।

वह सादा खाना खाता है, सादे कपड़े पहनता है और सादा जीवन व्यतीत करता है। समय की कमी के कारण उसकी आवश्यकता भी काफी सीमित है। एक किसान को वर्षा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं चाहिए होता है।

वह हर साल अच्छे वर्षा की उम्मीद रखता है ताकि उसकी अच्छी फसल हो सके। लेकिन प्रकृति भी कभी कबार उसके साथ खेल खेलती हैं। कभी वर्षा ही नहीं होती तो कभी अत्यधिक वर्षा होती है।

कम वर्षा के कारण कभी उसकी फसल ही नहीं उग पाती वहीं अत्यधिक वर्षा के कारण फसल ही बर्बाद हो जाती है। यूं कहे कि किसान का जीवन उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है।

लेकिन, भारतीय किसान इतने कमजोर नहीं कि वे प्रकृति के सामने घुटने टेक देंगे, हार मान जाएंगे। किसान के संघर्ष के सामने प्रकृति भी झुक जाती हैं। क्योंकि किसान हर एक परिस्थितियों का सामना करना जानता है।

हर दिन खेतों में काम करके उसका शरीर जितना मजबूत हो चुका है, उतना ही मजबूत उसका दिल भी हो चुका है। इसलिए भारत के किसान सभी तरह के संघर्ष को झेलने के लिए तैयार रहते हैं।

भारतीय किसान पर निबंध 150 शब्दों में

धरती के समूचे प्राणियों के जीवन के लिए अन्न उपजाने वाला भारतीय किसान बहुत परोपकारी एवं मेहनती होता है। किसान साल भर अपने खेतों में मेहनत करता है।

लेकिन जब उसके खेत में हरे हरे फसल लहलहा ने लगते हैं तब उसकी सारी मेहनत और थकान गायब हो जाती है। एक किसान के लिए हरे भरे लहराते फसल को देखना ही सबसे बड़ा सुख है।

वह गर्मी के कड़कती धूप में भी काम करता है और सावन के बरसते बारिश में भी काम करता है। यू कंहे किसान जीवन भर मेहनत करता है। किसानों का जीवन संघर्ष से भरा हुआ है, जो किसान पूरे देश को अन्न देता है। किसी दिन उसी किसान के घर भोजन नहीं बन पाता।

एक किसान देशभर को फल, साग, सब्जी आदि चीजें देता है लेकिन उसकी मेहनत के सामने उसका पारिश्रमिक कुछ भी नहीं है। जिस कारण किसानों को कई बार कर्ज में डूब जाना पड़ता है और यही कारण है कि हर साल कितने ही किसान फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेते हैं, जो देश के लिए बहुत ही शर्म की बात है।

जिस किसान के कारण पूरे देश के लोग पेट भर कर खाना खा पाते हैं, जिन्हें भोजन प्राप्त हो पाता है वही किसान जब दुख में हो, वे अपना जीवन गरीबी में व्यतीत करें, संघर्षपूर्ण जीवन जिए तो उससे बड़ी दुख की बात एक देश के लिए क्या हो सकता है।

हालांकि अब भारत सरकार भी किसानों के उन्नति एवं खेती के अतिरिक्त अन्य आय के स्त्रोत के लिए कई प्रकार की योजना चला रही है, जिसमें से एक पीएम किसान योजना किसानों के लिए आशीर्वाद के समान ही हैं।

भारतीय किसान पर निबंध 200 शब्दों में

देश की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तम्भ भारत के किसान है। देश के विकास में भारत के किसान के योगदान के सामने पूरा देश नमन करता है। भारत के किसान तो करुणा के सागर हैं। जो किसान देश के लोगों के लिए अन्न उपजाता है, उसी किसान को कितने बार भोजन नहीं नसीब हो पाता।

भारत के किसानों की खेती पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर रहती है। प्रकृति ने साथ दिया तो अच्छी फसल होगी यदि प्रकृति ने धोखा दिया तो उनका फसल बर्बाद हो सकता है। एक किसान का जब फसल बर्बाद हो जाता है या जिस वर्ष वह खेती नहीं कर पाता, उस पूरे साल का हर एक दिन उस किसान के लिए संघर्ष से भरा रहता है।

क्योंकि बहुत से किसान खेती करने के लिए कर्ज लिए रहते हैं और उन्हें यही उम्मीद रहती है कि फसल अच्छी होगी तो वह समय पर कर्ज चुका देंगे। लेकिन प्रकृति जब उनके साथ खेल खेलती हैं तो वे अपने ईमानदारी से चुक जाते हैं। कर्ज न चुका पाने के कारण वे मौत को गले लगा लेते हैं।

भारत में प्राचीन काल से ही भारत के किसानों के साथ काफी शोषण होता रहा है। लेकिन अब किसानों का जीवन भी धीरे-धीरे सुधर रहा है। भारतीय किसानों के जीवन को सुधारने में भारत सरकार भी मदद कर रही हैं।

उनके लिए कई योजनाओं को लागू करके भारतीय किसानों के जीवन को सरल बना रही है। यहां तक कि आधुनिक कृषि तकनीकों के कारण भारतीय किसानों के लिए कृषि सरल हो रहा है।

हालांकि विज्ञान कितना भी विकास कर ले लेकिन भारत के किसानों का जीवन हमेशा सादगी से ही भरा रहेगा, उन्हें सादगी पूर्ण जीवन जीना ही पसंद है।

शहरों में लोग ऐसी में सोते हैं, फ्रिज का ठंडा पानी पीते हैं लेकिन भारत के किसानों के लिए पेड़ की छांव ही उनके लिए ऐसी है और कुएं का ठंडा पानी ही फ्रीज के पानी के समान है।

Essay on Indian Farmer in Hindi

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भारतीय किसान पर निबंध 250 शब्दों में (Bhartiya Kisan Nibandh)

भारत में रहने वाले सभी किसान अपने खेतों में काम करते हैं और खेती-बाड़ी करके अपना घर खर्चा चलाते हैं। किसान अनाज और फल सब्जियां उगाते हैं। किसान द्वारा उगाए जाने वाले अनाज और सब्जियों के माध्यम से ही सभी लोगों का पेट भरता है।

किसान जो खेत में रात-दिन मेहनत करता है, फसल कि रखवाली करता है, जिसकी वजह से ही किसान की फसल अच्छी होती है। भारतीय किसानों की स्थिति काफी दयनीय है। कई प्रकार की सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को नए-नए फायदे मिल रहे हैं।

भारत के किसानों को सरकार द्वारा थोड़ी राहत जरूर मिली है। लेकिन दूसरी तरफ फसल पकने पर किसानों को कम दाम में फसल बेचना पड़ता है क्योंकि फसल के भाव गिर जाते हैं।

भारत का किसान जो रोजाना सुबह सूरज उगने से पहले उठकर खेत जाता है। किसान द्वारा जो खेती की जाती है, उसकी मेहनत लगती है। क्योंकि बारिश की वजह से या फिर प्राकृतिक आपदा की वजह से नुकसान होने के चांस ज्यादा होते हैं। ऐसे में किसानों की मेहनत दांव पर लगी रहती है।

हर किसान धरती की पूजा करता है। क्योंकि भारतीय किसान के लिए धरती एक माता समाज है, जो उसे अन्य प्रदान करवाती है और इसी अन्य से देश का पेट भरता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसान अनाज नहीं उगाए तो भारत में भुखमरी का संकट आ जाएगा।

भारत में वर्तमान समय में जो किसान खेती करता है। कई लोग उन्हें गवार समझते हैं और उन्हें नीचा भी समझा जाता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल गलत है क्योंकि देश का सबसे सम्मान को व्यक्ति ही किसान है।

जब किसान को आप गलत समझना शुरू करोगे तो हो सकता है कि भविष्य में आप को भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है। किसान खेती करना छोड़ देगा तो देश में भुखमरी छा जाएगी।

Essay on Indian Farmer in Hindi

भारतीय किसान पर निबंध 300 शब्दों में

भारत के किसान तो भारत की आत्मा है। भारत के किसानों के कारण ही तो देश का विकास है। भारतीय किसान ना होते तो देश भूखे मर जाएगा‌। भारत के किसानों के लिए पूरा जीवन कृषि को समर्पित होता है, उनकी आय का प्रमुख स्त्रोत कृषि ही है।

किसानों के हाथों में इतनी ताकत होती है कि वे एक बंजर सी दिखने वाली जमीन में भी हरियाली ला देते हैं। भारतीय किसानों के लिए कृषि के अतिरिक्त पशुपालन उनकी आय का अतिरिक्त स्त्रोत है।

वे साल भर अपने खेतों में मेहनत करते हैं और देश के लोगों के लिए अन्न उपलब्ध कराते हैं। भारत के किसानों को हर एक परिस्थितियों में रहने की आदत हो चुकी है। उनके लिए गर्मी, वर्षा, ठंड एक समान है।

हर एक मौसम के विषमताओं में अपने आपको मजबूत रखने की क्षमता एक भारतीय किसान में है। यह किसान तो तपस्या, त्याग, इमानदारी, परिश्रम एवं लगन के अद्भुत मिसाल हैं।

भारतीय किसानों का महत्व

निसंदेह भारतीय किसानों के महत्व से नजर नहीं हटा सकते। क्योंकि भारत के किसानों का महत्व सर्वोपरि है। जीवन जीने के लिए भोजन की जरूरत पड़ती है और भोजन के लिए अनाज की आवश्यकता होती है।

यह अनाज भारतीय किसान ही उपजाते हैं। भारतीय किसान कडे धूप में, घनघोर वर्षा में, कड़कड़ाती ठंड में हर एक परिस्थितियों में खेत में काम करते हुए फसल उगाते हैं। तब जाकर हमें भोजन प्राप्त हो पाता है।

भारतीय किसान की स्थिति

भारत के किसानों का जीवन निरंतर गतिशील रहता है। जीवन में उनके लिए आराम शब्द का कोई महत्व नहीं। क्योंकि जीवन पर्यंत उनका संबंध केवल संघर्ष और कडे मेहनत से ही रहता है। वे केवल मेहनत करते हैं। उनका जीवन भी सादगी से ही भरा हुआ है।

सुबह सबसे पहले उठ जाते हैं और पशुओं को चारा देने में व्यस्त हो जाते हैं। उसके बाद अपने हल और कुदाल को लेकर चल जाते हैं, अपने मंजिल की ओर। उनका मंजिल सिर्फ एक ही है “खेत”।

कड़कड़ाती धूप में बिना चप्पल के ही वे काम करते हैं। मेले-फटे कपड़े, कंधे पर गमछा, चेहरे पर थकान और पसीना ही भारतीय किसानों की छवि है। भारतीय किसानों की स्थिति काफी दयनीय है।

कभी वे कर्ज के बोझ तले दबे रहते हैं तो कभी अकाल, सूखे तो कभी बाढ़ के चपेट में आ जाते हैं। लेकिन अब खुशी होती है कि भारतीय किसान भी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करना सीख रही है।

भारतीय किसानों के लिए लागू नई-नई योजनाओं के कारण उनके जीवन का भी विकास हो रहा है। भारत की युवा जितना काम करती है, उससे कहीं गुना ज्यादा भारतीय किसान काम करते हैं। इसलिए तो कहा जाता है “जय जवान जय किसान”।

निसंदेह सच है कि देश की अर्थव्यवस्था में किसान की महत्वपूर्ण भूमिका है। एक किसान से ही देश की प्रगति है। भारतीय किसान हर एक परिस्थिति और प्रकृति की विषमताओ से जूक्ष कर फसल उपजाते हैं, जिसके कारण देश में सबके घर पर चूल्हा जल पाता है।

हालांकि प्राकृति आपदाओं के कारण इन्हें कई बार परेशान होना पड़ता है, संघर्ष करने पड़ते हैं लेकिन, अब भारतीय किसान आधुनिक वैज्ञानिक साधनों को अपना रहे हैं, जिसकी मदद से फसल उपजाने की क्षमता बढ़ रही है।

भारतीय किसान पर निबंध 500 शब्दों में (Bhartiya Kisan Essay in Hindi)

भारत का किसान एक सम्मानजनक व्यक्ति है, जो कड़ी धूप में मेहनत करके हर भारतीय के लिए अनाज उगाता है और हर भर्तियों को खाने के लिए भोजन उपलब्ध करवाता है।

भारतीय किसान अपने खेतों में काम करके अनाज फल सब्जियां उगाते हैं और उन सभी से देश के सभी लोगों का पेट भरता है। खेती बाड़ी का काम करने वाला व्यक्ति कड़ाके की ठंड और कड़कती धूप में अनाज उगाकर अन्य लोगों के लिए भोजन उपलब्ध करवाते हैं।

आज के समय में जो गांव में लोग निवास करते हैं। उनका मुख्य व्यवसाय कृषि ही है और गांव में रहने वाले लोग मुख्य रूप से खेती पर ही निर्भर है।

किसान की परिभाषा और प्रकार

उन लोगों को किसान कहा जाता है, जो खेती का काम करते हैं। अनाज उत्पादन का काम करते हैं और उसी अनाज से बाकी सभी लोगों को भोजन मिलता है।

किसान तीन प्रकार के होते हैं:

  • सीमांत किसान

भारतीय किसान का महत्व

भारत में रहने वाले सभी किसानों का महत्व अत्यधिक है और अमूल्य भी है। किसानों के द्वारा तेज कड़क धूप और कड़ाके की ठंड में हर परिस्थिति को सहन करते हुए उगाए गए धन से देश के हर बच्चे का पेट भरता है और इसी वजह से भारत के किसान का महत्व और मूल्य है।

देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में भी भारतीय किसानों की मुख्य भूमिका रही है। देश में रहने वाले किसान अन्य का उत्पादन करते हैं और उनके द्वारा उगाए जाने वाले अनाज से हर देशवासी का जीवन पालन होता है।

भारतीय किसान की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रयास

सरकार हर संभव प्रयास करके किसानों की वर्तमान स्थिति को सुधारना चाहते हैं। किसान हर किसी को अनाज दिलाता है। लेकिन किसानों की खुद की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ी होती है। क्योंकि किसानों द्वारा उगाए गए अनाज को बिल्कुल कम दाम के साथ किसानों को बेचना पड़ता है।

ऐसे में उनकी गरीबी लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन पिछले कई सालों से सरकार द्वारा कई सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को जोड़ा जा रहा है और किसानों को लाभ प्रदान करवाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत देश के हर किसान को ₹6000 वार्षिक सहायता दी जा रही है। पहले को ऑपरेटिव बैंक से लोन मिलता था। लेकिन यह लोन राशि कम होती थी, इसलिए आज के समय में किसान क्रेडिट कार्ड हर किसान को दिया जा रहा है, जिसके माध्यम से व्यक्ति लोन ले सकता है।

फसल बीमा योजना सुविधा प्रदान करवा कर फसल खराब होने पर किसानों की बीमा से भरपाई हो सके। इसका प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहा है।

आज के समय में दिन-प्रतिदिन लोग खेती बाड़ी करने की बजाय अन्य काम धंधे पर जाना उचित समझते हैं। आज के समय में जो 60 फ़ीसदी लोग खेती कर रहे हैं। उन लोगों की भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही साथ देश के हर बच्चे तक अनाज पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

भारतीय किसान पर निबंध 1000 शब्दों में (Indian Farmer Essay in Hindi)

भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है। भारत में किसान हर समय खेतीवाड़ी में व्यस्त रहते है और वह साधारण कपड़े पहनना ज्यादा पसंद करते है। किसान अपना जीवन बहुत ही साधरण तरीके से जीता है और कड़ी धूप, तेज तूफान, वर्षा आदि होते हुये भी कड़ी मेहनत करके खेतों से अनाज उगाते है।

देश भर में चाहे लोग गरीब हो या अमीर हो लेकिन सब लोग किसान पर ही निर्भर होते है। क्योंकि अगर किसान खेती करना छोड़ देगा तो लोगों को अनाज नहीं मिलेगा और वह भूख से मरने लगेंगे।

देश भर के हर शहरो में किसानों द्वारा एक शहर दूसरे शहर तक अनाज भेजा जाता है। क्योंकि किसान कड़ी धूप, तेज ठंड मे भी खेतों पर काम करके देश भर के लोगों के बारे मे सोच कर फसल उगाने मे लगे रहते है कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे सबको भोजन मिले। इसलिए हम सभी को किसानो का आदर, सम्मान करना चाहिए क्योंकि हमारे लिये किसान कितना कुछ करते है।

भारतीय किसान का जीवन

अपने जीवन में बहुत सारी समस्याओं का सामना भारतीय किसान को करना पड़ता है। भारतीय किसान को अगर खेती करनी है तो वह धूप, छाव में कठोर मेहनत करने के लिये हमेशा तैयार रहता है।

किसान सुख-दुःख, नुकसान सब कुछ सहन करके खेती करता है। वह जितनी भी मेहनत करता है, उसके फल की प्राप्ति पाने के लिये वह भगवान के ऊपर सब छोड़ देता है, जो भी फल मिलेगा, किसान उसको ख़ुशी-ख़ुशी अपनाने के लिये तैयार रहता है।

भारतीय किसान के साथी हांसिया, खुरपी, बैल, हल आदि का सहारा लेकर किसान खेती करने में पूर्ण रूप से सफल होता है। किसान अपने खेत की जुताई बैलों के द्वारा करता है, किसानों के खेती करने में बैल भी बहुत सहायता करते है और बदलते समय के साथ आज कल लोग खेती करने के लिये ट्रैक्टर का प्रयोग करने लगे है।

आज के समय इतना विकास हो गया है कि किसान फसल को काटने के लिये हार्वेस्टर मशीन का उपयोग करने लगे है, जिससे फसल जल्दी काट जाती है और फसल साफ-सुथरी रहती है।

किसान का जनता के प्रति सेवा

जनता के प्रति निस्वार्थ भावना से किसान सेवा करता है। किसान अपने बारे मे कभी नहीं सोचता है, वह बिना किसी स्वार्थ के जनता को बहुत कुछ देता है।

किसान गांव में गाय, भैस पालते है और गाय, भैस का दूध निकाल कर स्वयं नहीं पीते है। वह दूध शहर में ले जाकर बेच देते है। किसान को किसी भी प्रकार की सुख सुविधा नहीं मिल पाती है, क्योंकि किसान जनता को सुख सुविधा देने मे इतना व्यस्त हो जाते है की अपने जीवन के लिये सोच नहीं पाते है।

भारतीय किसान दिवस

पूरे देश में किसान दिवस हर वर्ष 23 दिसबर को मनाया जाता है। किसान दिवस हर वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री चौधरी चरण को सम्मानित करने के लिये किसान दिवस के रूप मे मनाया जाता है। 28 जुलाई 1979 से लेकर 14 जनवरी 1980 तक पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री चौधरी चरण को देश की सेवा करने के लिये छोटे पद पर प्रधानमंत्री बनाया गया।

क्योंकि वह किसान परिवार से थे और किसानो के लिये पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री चौधरी चरण ने बहुत सारी योजनाएं शुरू की थी। उन्होंने किसानों के जीवन को लेकर लगन के साथ कड़ी मेहनत की और किसानो के जीवन मे नई उमंगे लाने के लिए बहुत से नियम बनाये।

पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री चौधरी चरण ने किसानों के लिये बहुत कुछ किया, इसलिए उनके जन्मदिन के पर उनके द्वारा बनायीं गई नीतियों को यादगार बनाने के लिये किसान दिवस मनाया जाता है।

भारतीय किसानों का हम सभी के जीवन बहुत महत्व है। भारतीय किसान हम सभी के लिये खेत में अनाज उगाता है और वह साधारण तरीके के कपड़े पहनकर अपना जीवन व्यतीत करता है। इसलिए किसान को बहुत से लोग गवार समझते है, किसान को बहुत नीचा दिखाते है और उनकी गरीबी का मज़ाक उड़ाते है।

हमें नहीं भूलना चाहिए कि देश का हर एक व्यक्ति किसान पर ही निर्भर रहता है। किसानों की वजह से ही जनता को अन्न का दाना नसीब होता है। हम सब का कर्तव्य कि देश के हर एक व्यक्ति को बराबर सम्मान देना चाहिए।

किसान देश की उन्नति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। किसान देश की जनता के लिये अनाज उगाता है, अगर किसान अनाज उगाना बंद कर दें तो लोगों का जीवित रह पाना मुश्किल हो जायेगा।

सरकार द्वारा किसान के लिये कुछ नई योजनाएं बनाई जाती है, जिन पर बिल्कुल रुकवाट ना डाले, जिससे किसानों को भी कुछ लाभ कमाने का अवसर मिले। किसान जनता के लिये कितना कुछ करता है, जनता का भी फ़र्ज़ हैं कि किसानों के लिये कुछ करें।

भारत देश को किसान प्रधान देश माना जाता है। क्योंकि भारत देश की जनसंख्या का ज्यादातर हिस्सा खेती पर निर्भर है। भारत देश में निवास करने वाले ज्यादातर लोग किसान है।

आज का यह आर्टिकल जिसमें हमने भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian Farmer in Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से संबंधित कोई सुझाव है तो वह हमें कमेंट के माध्यम से बता सकता है।

किसान की आत्मकथा पर निबंध

समय के महत्व पर निबंध

क्लीन इंडिया ग्रीन इंडिया पर निबंध

ईको-फ्रेंडली दिवाली पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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Very helpfull

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Very inspiring

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Nibandh

Indian Farmer Essay In Hindi

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रुपरेखा : किसान - किसान की दिनचर्या - किसान की सेवा निष्काम - भारतीय कृषक कर्मयोगी और धार्मिक - किसान की कमजोरियाँ - उपसंहार।

'किसान' कठोर परिश्रम, त्याग और तपस्वी जीवन का दूसरा नाम है। किसान का जीवन कर्मयोगी की भाँति मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की साधना में लीन रहते है। वीतराग संन्यासी की भाँति उसका जीवन परम संतोषी है। तपती धुप, कंडकती सर्दी और घनघोर वर्षा में तपस्वी की भाँति वह अपनी साधना में अडिग रहते है। सभी ऋतुएँ उसके सामने हँसती-खेलती निकल जाती हैं और वह उनका आनंद लेते है। यह उनकी जीवन की विशेषता है। सृष्टि का पालन विष्णु भगवान् का कार्य है । मानव-समाज का पालन किसान का धर्म है। इसीलिए कहते है की, किसान में हम भगवान् विष्णु के दर्शन कर सकते हैं। प्राणिमात्र के जीवन को पालने वाले किसान का तपस्या -पूर्ण त्याग, अभिमान रहित उदारता, थकान रहित परिश्रम उनके जीवन के अंग हैं। उसमें सुख की लालसा नहीं होती। कारण, दुःख उनका जीवन साथी है। संसार के प्रति अनभिज्ञता और अज्ञानता से उसमें आत्म-ग्लानि नहीं होती, न दरिद्रता में दीनता का भाव-बोध होता है। यही उनके जीवन के गुण हैं।

किसान अहर्निश कर्म-रत रहता है। वह ब्राह्म-मुहूर्त में उठता है, पुत्र सम बैलों को भोजन परोसता है, स्वयं हाथ-मुँह धो, हल्का नाश्ता कर कर्मभूमि 'खेत' में पहुँच जाता है । जहाँ सवेरे की किरणें उसका स्वागत करती हैं। वहाँ वह दिनभर कठोर परिश्रम करेगा। स्मान-ध्यान, भजन- भोजन, विश्राम, सब कुछ कर्मभूमि पर ही करेगा। साँझ के समय अपने बैलों के साथ हल सहित घर लौटते है। धन्य है किसान का ऐसा कर्मयोगी जीवन। चिलचिलाती धूप, पसीने से तर शरीर, पैरों में छाले डाल देने वाली तपन, उस समय सामान्य जन छाया में विश्राम करता है, किन्तु उस महामानव किसान को यह विचार ही नहीं आता कि धूप के अतिरिक्त कहीं छाया भी है। मूसलाधार वर्षा हो रही है, बिजली कड़क रही है, भयभीत जन-गण आश्रय ढूँढ रहा है, किन्तु यह देवता-पुरुष कर्मभूमि में अपनी फसल को रक्षा में संलग्न है। वरुण देवता की ललकार का सामना कर रहा है। वाह रे साहसिक जीवन। प्रकृति के पवित्र वातावरण और शुद्ध वायुमण्डल में रहते हुए भी वह दुर्बल है, किन्तु उनकी हड्डियाँ वज् के समान कठोर हैं। शरीर स्वस्थ है, व्याधि से कोसों दूर है। रात-दिन के कठोर जीवन में मनोरंजन के लिए स्थान कहाँ ? रेडियो पर सरस गाने-सुनकर, यदा-कदा गाँव में आई भजन-मण्डली के गीत सुनकर या कचहरी की तारीख भुगतने अथवा आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए शहर आने पर चलचित्र देखने में ही उसका मनोरंजन मुमकिन है । जहाँ किसान अपेक्षाकृत समृद्ध है, वहाँ दूरदर्शन भी मनोरंजन का साधन है।

किसान पक्का स्वार्थी होता है, इसमें सन्देह नहीं । उनकी गाँठ से रिश्वत के पैसे बड़ी मुश्किल से निकलते हैं, भाव-ताव में भी वह चौकस होते है। वह किसी के फुसलाने में नहीं आते। दूसरी ओर उसका सम्पूर्ण जीवन प्रकृति का प्रतिरूप है। वृक्षों से फल लगते हैं, उन्हें आम जनता खाती है। खेती में अनाज होता है यह संसार के काम आता है । गाय के थन में दूध होता है वह दूध नहीं पीता बल्कि दूसरे ही उसे पीते हैं। इसी प्रकार किसान के परिश्रम की कमाई में दूसरों का साझा है, अधिकार है। उनके स्वार्थ में परमार्थ है और उसकी सेवा निष्काम है।

एक ओर भारतीय कृषक कर्मयोगी है, दूसरे और धर्मभीरु अथवा धार्मिक भी है। गाँव के पंडित उनके लिए भगवान् का प्रतिनिधि है । उनकी नाराजगी उनके लिए अभिशाप है । इस शाप-भय ने इहलोक में उसे नरक भोगने को विवश कर रखा है । तीसरी ओर, वह कायदे-कानून से अनजान भी है, तो साहूकार अथवा बैंक का कर्जदार भी है निम्न वर्ग का किसान कर्ज में जन्म लेता है, साहूकारी-प्रथा में जीवन-भर पिसता है और कर्ज में डूबा ही मर जाता है। उनकी मेहनत की कमाई पर ये नर-गिद्ध ऐसे टूटते हैं कि उनका सारा माँस नोंच- नोंच कर उसे ठठरी बना देते हैं । ब्याज का एक-एक पैसा छुड़ाने के लिए वह घंटो म्हणत करते है।

इस तपस्वी के जीवन की कुछ कमजोरियाँ भी हैं। अशिक्षा के कारण बातों-बातों में लड़ पड़ना, लट्ट चलाना, सिर फोड़ना या फुड़वा लेना; वंशानुबंश शत्रुता पालना, किसी के खेत जलवा देना, फसल कटवा देना, जनता के प्रहरी पुलिस से मिलकर षड्यन्त्र रचना, मुकदमेबाजी को कुल का गौरव मानकर उस पर नेतहाशा खर्च करना, ब्याह-शादी में चादर से बाहर पैर पसारकर झूठी शान दिखाना, इसके जीवन के अंधेरे पल को प्रकट करने वाले तत्त्व हैं।

आज भारतीय किसान का जीवन संक्रमण काल से गुजर रहा है। एक ओर वह शिक्षित हो गया है, खेती के लिए नये उपकरणों और सघन खेती करने के साधनों का प्रयोग करता है। जिससे आर्थिक सम्पन्नता की ओर आगे है। रहन-सहन में नागरिकता की स्पष्ट छाप उसके जीवन पर प्रकट हो रही है, तो दूसरी ओर उसमें अनुशासनहीनता व उद्ण्डता और बेईमानी, चालाकी और आधुनिक जीवन की विषमताएँ, कुसंस्कार और कुरीतियाँ घर कर रही हैं । अब उसके बेटे-पोते किसानी से नाता तोड़कर बाबू बनने लगे हैं । खेतों की सुगंध युक्त हवा में उन्हें धूल अधिक दिखाई देने लगी है, जिससे वस्त्र खराब होने का भय है। इस कठोर परिश्रमी, धर्मभीरु और स्वाभिमानी भारतीय कृषक का जीवन भविष्य में किन विचिन्न प्राराओं में प्रवाहित होगा, यह कहना कठिन है। जिस दिन देश के किसानों के जीवन से परेशानी समाप्त होगी वह दिन सभी किसानों के लिए गौरव तथा प्रसन्नता का दिन होगा।

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Bhartiya Kisan Par Nibandh | Essay in Hindi- भारतीय किसान पर निबंध

In this article, we are providing Bhartiya Kisan Par Nibandh | Essay on Indian Farmer in Hindi भारतीय किसान पर निबंध हिंदी | Nibandh in 100, 150, 200, 250, 300, 500 words For Students & Children.

दोस्तों आज हमने Bhartiya Kisan Essay in Hindi लिखा है भारतीय किसान पर निबंध हिंदी में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है। Essay on Farmer in Hindi

Bhartiya Kisan Par Nibandh | Essay in Hindi- भारतीय किसान पर निबंध

Bhartiya Kisan Essay in Hindi for kids- भारतीय किसान पर निबंध ( 150 words )

भारतीय किसान का जीवन बहुत कठिन है। वह खेतों में दिन-रात कठोर परिश्रम करता है। तथा अनाज उगाकर सभी प्राणियों का पेट भरता है। सूर्योदय होते ही वह अपने हल बैल लेकर खेत पर चला जाता है तथा दिन-भर तपती धूप में भी वहीं काम करता रहता है। सर्दी-गर्मी बरसात सभी ऋतुओं में कठोर परिश्रम करने के बाद कहीं जाकर वह अपने तथा अपने परिवार के लिए दो-वक्त की रोटी जुटा पाता है।

भारतीय किसान का जीवन बहुत सादा है। वह बहुत सन्तोषी है । वह स्वयं रूखा-सूखा खाकर अपनो गुजारा कर लेता है। परन्तु संसार-भर को अन्न प्रदान करता है। यदि किसान अनाज न उगाए, तो हम भूखों मर जाएँ। किसान कभी अपने सुख-चैन तथा आराम की परवाह नहीं करता। वह तो अन्य लोगो की चिन्ता करता रहता है। इतना अधिक परिश्रम करने वाले भारतीय किसान की दशा बहुत शोचनीय है। फिर भी वह अपने कच्चे घर में अपने परिवार के साथ संतुष्ट जीवन व्यतीत करता है।

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Bhartiya Kisan Par Nibandh- भारतीय किसान पर निबंध ( 250 words )

भारत किसानों का देश है। हमारे देश में 80% लोग किसान हैं। ये गाँवों में रहते हैं। ये खेती पर आधारित हैं। खेती वर्षा पर निर्भर है। अधिक वर्षा, वर्षा का अभाव आदि के कारण उत्पादन घटता है। इसलिए किसानों की दयनीय स्थिति होती है। नकली बीज, नकली कृमि नाशक दवायें आदि के कारण किसानों की दशा और भी दुर्भर बन रही है।

भारत में किसान सुबह ही नींद से जाग उठते हैं। वे गाय – बैलों को चारा डालते हैं और पानी देते हैं। वे हल – बैल लेकर खेत में जाते है। कुछ किसान हल-बैल की जगह ट्रैक्टर का इस्तेमाल करते हैं। हमारे किसान कड़ी मेहनत करते हैं। वे सर्दी, गर्मी, बारिश की परवाह नहीं करते।

दुपहर में घर की स्त्रियाँ किसानों को खेतों में खाना ले जाती हैं। खाना खाकर किसान थोड़ी देर केलिए पेड़ की छाया में आराम लेते हैं। फिर वे खेती के कामों में लग जाते हैं। अब परिस्थिति में बहुत परिवर्तन आया है। खेती के आधुनिक विधानों के कारण अब किसानों को दिन-भर काम करने की जरूरत केवल कुछ ही दिन रहती है।

हमारे किसानों ने सश्य क्रांति के द्वारा उत्पादन बढ़या है। अब हमारा देश दूसरे देशों को भी अनाज आदि भेज सकता। इसीलिए हमारा किसान ‘अन्नदाता’ कहा जाता है। उसके महत्व को बताने के लिए हमारे भूत-पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान’ के साथ ‘जय किसान’ नारा भी जोड़ दिया था।

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Short Essay on Indian Farmer in Hindi

Bhartiya Kisan Par Nibandh

Essay on Indian Farmer in Hindi- भारतीय किसान पर निबंध ( 400 words )

भारत गाँवों का देश है। भारत की अस्सी प्रतिशत जनता गाँवों में ही रहती है। गाँव में अधिकतर किसान रहते हैं। बड़े-बड़े गाँवों में तो ब्राह्मण, दूकानदार, नाई, मोची, कुम्हार, अहीर आदि सब बसे हुए हैं। इसलिए बहुत से गाँव स्वावलम्बी बनते जा रहे हैं। उन्हें नगर पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं। किसान गाँव की जान होता है। उसे भारतीय लोग “अन्नदाता” कहते हैं।

भारत का किसान बहुत ही परिश्रमी व्यक्ति है। वह प्रातः से सायं तक कार्य में रत रहता है। वह सवेरे उठकर खेतों में चला जाता है। पुराने समय में वह अपने साथ खेतों में बैल ले जाता था। आजकल किसान ट्रेक्टर पर अपने खेतों में जाता है। किसान खेतों में हल चलाता है, बीज बोता है और पौधों को पानी देता है। पहले वह पशुओं की सहायता से रहट चलाकर खेतों को पानी देता था। आजकल वह ट्यूबवैल चला कर खेतों को पानी देता है।

जब नन्हें नन्हें अंकुर निकल आते हैं तो वह उनकी रखवाली करता है। कभी-कभी वह सारी रात खेतों में जाग कर पशुओं से अपने खेतों की रक्षा करता है। फसल को लहराता देख किसान का मन नाच उठता है। वह अपने साथियों की सहायता से फसल काटता है और नगर की मंडी में बेच आता है। उसके साथी उसके घर के सदस्य और पड़ोसी होते हैं।

दोपहर का भोजन वह प्रायः खेतों में ही करता है। उसकी पत्नी और उसके बच्चे जब दोपहर को किसी पेड़ के नीचे उसके साथ खाना खाते हैं तो उसे बड़ा आनन्द आता है। सूर्य छिपने पर वह घर लौटता है। घर लौट कर भी उसे कार्य करना पड़ता है। वह पशुओं को चारा डालता है। गौओं और भैंसों का दूध निकाल कर वह नगर में भेजता है।

पहले किसानों की दशा बहुत बुरी थी। वे सदा ऋणी रहते थे। वे दूसरों को अनाज, फल, सब्जियाँ, दूध, घी आदि देकर स्वयं भूखे रहते थे। अब गाँवों में परिवर्तन के साथ किसान के जीवन में भी परिवर्तन आया है। वह अब कच्चे मकानों के स्थान पर पक्के मकानों में रहता है। बिजली के गाँवों में आ जाने के कारण अब वह आकाशवाणी, दूरदर्शन पर खेती के और दूसरे कार्यक्रम सुनता तथा देखता है। गाँवों में स्कूल, हस्पताल, डाकघर आदि के खुल जाने से काफी कठिनाइयाँ दूर हो गई हैं। आधुनिक ढंग से खेती करने के कारण कई किसान अधिक अन्न उपजा. कर धनी बन गए हैं।

जरूर पढ़े- Essay on Agriculture in Hindi

Bhartiya Kisan Par Nibandh ( 500 words ) Long Hindi Essay on Indian Farmer

भूमिका

भारतवर्ष एक कृषि-प्रधान देश है। यहाँ की अधिकाँश जनता गाँवों में रहती है और खेती करती है। खेती करने वाले लोग किसान कहलाते है।

भारतीय किसान का परिचय

किसान वह व्यक्ति है जो कठिन परिश्रम से खेतों में अन्न उपजा कर संसार के सभी प्राणियों का पेट भरता है। संसार का धनी से धनी व्यक्ति भी इसी के सहारे रहता है। उसका जीवन तपस्या से भरा है, अभिमान से परे है तथा दूसरों का हित करने वाला है। वह स्वयं भूखा रहता है पर दूसरों को भूखा नहीं रहने देता। वह सुख-दुःख में एक समान रहता है। वह ऐसा साधक और कर्मयोगी है जिसे फल की कोई इच्छा नहीं होती। वह तो बस कर्म को ही प्रधानता देता है।

परिश्रमी जीवन

भारतीय किसान का जीवन बहुत ही परिश्रम का है। चाहे गर्मी हो या सर्दी उसे तो नियमित रूप से अपने काम पर जाना है तथा दिन-रात कठोर परिश्रम करना है। जब महानगर के धनाढ्य लोक कूलर, पंखों तथा वातानुकूलित मकानों में सुख से सो रहा होता है। तो वह तेज धूप में हल-बैल लिए, नँगे पाँव, नँगे सिर अपने खेत में जाकर काम करता है। भीषण वर्षा में भी वह अपने घर पर नहीं बैठता। अभी सूर्य की पौ भी नहीं फटती है कि उठ कर अपने खेतों में काम करने चल देता है।

अभावमय जीवन

इतना अधिक परिश्रम करने पर भी उसका जीवन अभावों से परिपूर्ण है। वह कच्चे मकानों में रहता है। सादा भोजन करता है। वह आमतौर पर घर का बुना हुआ खद्दर पहनता है। वह इतना निर्धन होता है कि अचानक आ जाने वाले छोटे-मोटे खर्चों को भी वहन नहीं कर सकता है। शादी-ब्याह का अवसर हो या बीज बोने का अवसर हो उसे महाजन से कर्ज लेना ही पड़ता है। जिसे वह पीढ़ी-दर-पीढ़ी उतार नहीं पाता है। वह प्रायः अशिक्षित रहता है जिसका अनेक लोग फायदा उठाते हैं।

दिनचर्या

वह प्रातः सूर्योदय से पहले ही हल तथा बैल लेकर खेत में चला जाता है। वहाँ हल चलाता है तथा खेत में पानी देता है। दोपहर को उसकी पत्नी उसके लिए भोजन लाती है। वह भोजन कर के थोड़ा विश्राम करता है। फिर सायंकाल तक पुनः काम पर जुट जाता है। सूर्य के अस्त होने पर वह अपने बैलों को लेकर घर लौट जाता है। भोजन करके वह चौपाल में चला जाता है जहाँ वह किसान भाइयों के साथ हुक्का पीता है तथा गपशप करता है।

उपसंहार

किसानों की दयनीय दशा को देखकर आजकल सरकार ने इनके सुधार के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए हैं जैसे चकबन्दी, सहकारी खेती, सस्ते दर पर ऋण, पानी व बिजली की व्यवस्था, अस्पताल व स्कूलों आदि की व्यवस्था। इनके कारण आज के किसान का जीवन-स्तर ऊँचा उठा है और वह अब खुशहाल रहने लगा है।

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इस लेख के माध्यम से हमने Bhartiya Kisan Par Nibandh | Long & Short Essay on Indian Farmer in Hindi का वर्णन किया है और आप यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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1 thought on “Bhartiya Kisan Par Nibandh | Essay in Hindi- भारतीय किसान पर निबंध”

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भारतीय किसान पर निबंध – Essay on Indian farmer in Hindi

भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian farmer in Hindi): भारत में 58 प्रतिशत लोग किसान हैं. किसान देश की रीढ़ हैं. किसान दिन-रात मेहनत करते हैं. उनके बिना, हमारा देश पूरी तरह से अधूरा है ; इसलिए तो किसान को देश की रीढ़ कहा जाता है.

यह बात सब जानते है की भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां की 75 से 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है. इसलिए कृषि को पैदा करने वाला किसान भारतीय प्रगति की रीढ़ की हड्ड़ी है. किसान सबके लिए अनाज पैदा करता है. अन्न के बिना मानव जीवन की अस्तित्व ही खतरे में है. अतः किसान सबका अन्न दाता, जीवन दाता है. भारत की समग्र अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में कृषि पर निर्भर है. इसलिए भारत के समग्र विकास के लिए कृषक का पूर्ण विकास आवश्यक है. लेकिन दुःख की बात है कि आज भी भारतीय किसान की दशा अत्यंत दयनीय है.

भारतीय किसान का जीवन

भारतीय किसान का जीवन अत्यंत कठोर है. उसके लिए सुख-दुःख, लाभ-हानि, सर्दी-गर्मी, वर्षा सब एक समान हैं. खेत ही उसके जीवन का अभिन्न अंग है. वह सच्चा कर्मयोगी है, जिसको फल प्राप्ति के लिए ईश्वर पर पूर्ण निर्भर रहना पड़ता है. क्योंकि खेतों में कठोर परिश्रम कर देना ही उसका परम कर्त्तव्य है लेकिन फल पूर्ण रूप से ऊपर वाले के हाथ में है. लेकिन वह अपने कर्तव्य का पालन सदैव करता रहता है. अर्थात भारतीय कृषि वर्षा पर ही निर्भर करती है. यदि वर्षा सही समय पर सही रूप में हो जाये तो कृषि सही होगी अन्यथा अतिवृष्टि व अनावृष्टि से किसान की मेहनत पर पानी फिर जाता है. इसलिए किसान के भाग्य का फैसला ऊपर वाले के हाथ में है. वह भीषण गर्मी में, ठिठुरती सर्दी में, मूसलाधार वर्षा में अपने ही खेतों में लगा रहता है. खेत ही उसका जीवन हैं. हल, बैल, हंसिया, कुदाल उसके संगी साथी हैं. भारतीय किसान कच्चे मिट्टी के मकानों में निवास करते हैं. पशु ही उनका परम धन है जो उनके टूटे-फूटे घरों में उनके साथ रहते हैं.     

bhartiya kisan par nibandh

अभावग्रस्त जीवन

भारत में किसानों की स्थिति अच्छी नहीं है. भारतीय किसान छल, प्रपंच से दुर बिल्कुल सीधा-साधा जीवन यापन करता है. वह शिक्षित नहीं होता है. उसके गांव में जो शिक्षित हो जाता है वह गांव छोड़कर शहर में चला जाता है, फिर गांव में रह जाता है वही पुराना, अभाव ग्रस्त, रूढ़ि ग्रस्त किसान जो अपनी प्राचीन परम्परागत पद्धति से ही कृषि करता है. उसके कठिन परिश्रम का फल अन्न, धनियों, पूंजीपतियों व सरकारी दलालों को मालो-माल बना देता है लेकिन भारतीय किसान वहीं दरिद्र नारायण बना रहता है. उसके पपास वही फटी धोती, फूटी कठोती, फटी पगड़ी ही रह जाती है. भूखा प्यासा किसान अपने कठोर परिश्रम में संलग्न हो जाता है. वह जन्म, मृत्यु, शादी और उत्सवों में इतना खर्च कर देता है कि जीवन भर धनियों का बंधक बन जाता है. कुरीतियां, रूढ़ियां, अंधविश्वास उसके दिल में घर कर जाते हैं जो उसे पीछे धकेलते रहते हैं.     

जय जवान जय किसान

हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किसानों का जीवन सुधारने के लिए और उनको प्रोस्ताहित करने के लिए देश का ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था. अब जब तक भारतीय किसानों की दशा नहीं सुधारी जाती तब तक भारतीय प्रगति भी अपूर्ण है. किसानों की स्थिति न सुधरने के कारण ही आजादी के इतने वर्षों के वाद भी देश प्रगति नहीं कर पाया है.

हमारे देश की सरकार किसानों की बेहतरी पर बहुत पैसा खर्च कर रही है. उन्हें अच्छे बीज, अच्छे उर्वरक और कम ब्याज वाले कृषि ऋण उपलब्ध कराया गया है. उनके शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और नैतिक विकास के लिए प्रयास जारी है. आशा है कि भारतीय किसान इसका लाभ उठाएंगे.

आपके लिए :-

  • किसान की आत्मकथा
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध
  • नारी शिक्षा पर निबंध
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध

ये था भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian farmer in Hindi). उम्मीद है भारतीय किसानों के बारे में ये निबंध आपको पसंद आया होगा. अंत में बस इतना कहूंगा की, आज भारत सरकार को भारत के विकास के लिए भारत के किसान की ओर ध्यान देना होगा. किसान को विशुद्ध आधुनिक किसान बनाकर उसको दरिद्रता से मुक्ति दिलानी होगी. अगर आपके मन में हमारे किसान भाइयों बहनों को लेकर कुछ सवाल है, तो आप हमें कमेंट में पूछ सकते हैं. मिलते है अगले निबंध में. धन्यवाद.

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किसान इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं पर निबंध (Why are Farmers Important Essay in Hindi)

हम सभी को अपनी भूख मिटाने और अपने जीवन के अस्तित्व को बचाने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। जब भी हम अपने खाने और उसे पैदा करने वाले के बारे में सोचते हैं तो मन में केवल एक ही तस्वीर आती है और वो है किसान की। किसान ही हमारे अन्नदाता हैं जो हमारे लिए अन्न पैदा करते है। शहरों में रहने वाले लोग किसानों के जीवन और उनके महत्त्व से थोड़े अनभिज्ञ हैं। वो इन किसानों को उतना महत्त्व नहीं देते।

किसान हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों हैं पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Why are Farmers Important in Hindi, Kisan hamare liye Mahatvapurna kyon hai par Nibandh Hindi mein)

हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है और मैंने इस निबंध में उनके महत्त्व के हर पहलू पर चर्चा करने की कोशिश की हैं। यह छात्रों के लिए अवश्य ही बहुत लाभकारी होगा।

किसान इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं पर निबंध – 1 (250-300 शब्द)

किसान भारत की अर्थव्यवस्था के रीढ़ की हड्डी है। भारत की 50% अर्थव्यवस्था किसानो पर निर्भर करती है। फिर भी वर्तमान में किसानों की स्थिति दयनीय है। किसानो को उनकी मेहनत का उचित लाभ नहीं मिल पाता है। हमारे राष्ट्र की आधी अर्थव्यवस्था को चलाने वाले तंत्र को मजबूत बनाना हम सभी का कर्तव्य है। किसान की शक्ति और आत्मविश्वास ही इस नीव को मजबूत बनाये रख सकता है।

आर्थिक महत्व

किसान की मेहनत से हमें फल, फूल , अनाज , सब्जियां , दूध इत्यादि मिलते है जिनसे हमें आर्थिक लाभ होता है। किसानों की ही देन है कि आज हम इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन कर पा रहे है। किसानो की ही देन है की आज हमारा देश गेहूँ, चावल, दाल, दूध आदि के उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। हमारी अर्थव्यवस्था के तीन भाग है – प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक। किसान जो भी उत्पादित करते है, वह द्वितीयक भाग में तैयार होता है और उसे लोगो तक पहुंचाया जाता है। इस तरह किसान हमारे अर्थव्यवस्था की नींव है।

पर्यावरणीय महत्व

किसान मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी नियमित करते है और हमारा वातावरण संतुलित रहता है। किसानों के द्वारा कृषि क्षेत्र में दिए गए योगदान से ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरणीय परिवर्तन, अल्पवृष्टि आदि पर नियंत्रण होता है। किसान हमारी प्रकृति के सबसे आज्ञाकारी संतान है। किसानों का होना प्रकृति के संरक्षण के लिए जरुरी है।

हम सभी को किसानों के महत्व को गंभीरता से समझने की जरुरत है। अगर देश का किसान समर्थ होगा तभी हमारा देश विकास कर सकता है।सरकार को कुछ नियम लाने की आवश्यकता है जो किसानो को उनका हक़ दिला सके। हम सभी को अर्थव्यवस्था में किसानों के महत्त्व को देखते हुए उन्हें प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, ताकि राष्ट्र का विकास हो सके।

किसान इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं पर दीर्घ निबंध (1500 शब्द)

हमारा भारत एक ऐसा देश है, जहां कृषि को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं की हमारे किसानों के माध्यम से ही हमारा देश और दुनिया के अन्य राष्ट्र भी फल फूल रहे है। लगभग 60% की आबादी हमारे देश में कृषि के रूप में हैं, जो अपने मेहनत से फसलों को पैदा करते है और पूरे राष्ट्र के भोजन की आवश्यकता को पूरा करते हैं।

हमारे देश में कृषि को एक महान पेशे के रूप में जाना जाता है, ऐसे पेशे में शामिल लोगों को अपनी आजीविका चलाने के लिए खेतों में काम करना पड़ता है, और ऐसे लोगों को ही किसान कहा जाता है। इन्हीं किसानों को देश का अन्नदाता कहा जाता है। किसान ही वह इंसान है, जो सूरज की तेज गर्मी, बारिश या तेज ठण्ड की परवाह किये बिना ही वह अपने खेतों पर फसलों को अपनी मेहनत से उगाने का काम करते हैं।

अपने परिश्रम से वह कई किस्म के अन्न, फल, सब्जियों इत्यादि को खेतों में उगाता हैं, और एक उचित मूल्य पर इसे बाजारों में बेचते हैं। किसानों की कड़ी मेहनत द्वारा उगाये इन खाद्य सामग्रियों और सब्जियों का उपयोग देश का हर व्यक्ति अपने खाने के रूप में करता है।

किसानो ं की जीवनशैली

किसानों का जीवन बहुत ही कठिनाइयों और मेहनत से भरा होता है। तरह-तरह की फसलों की अच्छी पैदावार के लिए किसान अपने खेतों में कड़ी मेहनत करता हैं। ताकि फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सके और फसलों की अच्छी पैदावार हो सके। किसान दिन-रात एक चौकीदार की तरह अपने खेतों की फसलों की देखभाल में लगा रहता हैं।

हर दिन वह सुबह उठकर कड़ी मेहनत से खेतों में काम करता हैं, और देर रात तक अपने खेतों की रखवाली करते हुए सोता हैं। थोड़े आराम और खाना खाने के वक्त ही किसान अपने काम को थोड़ा आराम देते हैं। हमारी तरह वो चैन की नींद भी नहीं ले पाते है, और न ही अपने भाग्य पर निर्भर रहते हैं। किसान अपने कड़े परिश्रम पर भरोसा करता हैं, और किसी अन्य पर नहीं। वह मौसम के किसी भी परिस्थिति की परवाह किये बिना खेतों में कड़ी मेहनत से अपना काम करता हैं।

किसान सारे राष्ट्र को कई किस्मों के भोजन देने के बावजूद भी वह बहुत ही सरल भोजन करते हैं, और एक सादगी भरा जीवन जीते हैं। वो खेतों में उगाये अपनी फसलों को बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं। अपनी अच्छी फसलों को बेचने के बावजूद भी उन्हें उनकी अच्छी कीमत नहीं मिलती है। यही छोटी सी कीमत ही उनके सालभर की मेहनत और उनकी कमाई के रूप में होती है।

किसान अपना पूरा जीवन फसलों को उगाने में लगा देते हैं और उनके मेहनत और परिश्रम का उचित फल भी नहीं मिल पाता। अपनी फसलों की अच्छी पैदावार के लिए वह साल भर उनकी देखभाल और मेहनत करने में लगा देते हैं, और धैर्यपूर्वक उस फसल के होने का इंतजार करते हैं। इस चक्र को वह बार-बार दोहराते हैं, पर उन्हें अपने मेहनत का सच्चा फल कभी भी नहीं मिल पाता।

भारत में किसानों की वास्तविक स्थिति

कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत को दुनिया में अन्नदाता के रूप में जाना जाता है। पूरी दुनिया में भारत की सराहना का श्रेय केवल हमारे किसानों को ही जाता है। किसान देश के ऐसे व्यक्ति के रूप में है जिनके कारण ही भारत को विश्व भर में कृषि प्रधान राष्ट्र के पहचान दिलाते हैं, पर वास्तविक रूप में किसान बहुत ही गरीब और पीड़ित अवस्था में रहने के लिए मजबूर हैं।

मुझे यह बताते हुए बड़ा दुःख हो रहा है कि भारत का किसान आर्थिक रूप से बहुत ही कमजोर हैं। सारा दिन खेतों में मेहनत कर फसल उगाने वाला यही किसान बड़ी मुश्किल से अपने परिवार को दो वक्त की रोटी दे पाता हैं। हम सभी ने पैसे की कमी और कर्ज से दबे होने के कारण कई किसानों की आत्महत्या की खबरों के बारे में अवश्य ही सुना होगा। जो हमारे देश का अन्नदाता है, उसे अपने बच्चों की पढाई, उनकी शादी, खेती के बीज व घर में खाने के लिए साहूकारों और बैकों से सूत पर पैसे लेने पड़ते है।

उनका पूरा जीवन उन्हीं कर्ज को खत्म करने में ही बीत जाता है। हमारे समाज में सम्मानजनक किसानों की ऐसी स्थिति वास्तव में काफी चिंताजनक और दर्दनाक है। हमारी सरकार को उनके लिए यह अवश्य सुनिश्चित करने की आवश्यकता है जिस सम्मान के वास्तविक रूप से वो हकदार हैं।

किसान हमारे लिए जरूरी क्यों हैं ?

देश के हर व्यक्ति के जीवन में किसान बहुत ही महत्त्व रखता हैं। कोई भी किसान के महत्त्व को नकार नहीं सकता। किसान हमारे जीवन में कितना महत्त्व रखते है मैंने निचे उसे सूचीबद्ध किया है।

  • राष्ट्र के खाद्य प्रदाता

किसान हमारे लिए विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों की आवश्यकता के अनुसार मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, इत्यादि करते हैं। इसके अलावा वो इन सभी चीजों को बाजारों में बेचने के लिए खुद ही जाते हैं। इस तरह किसान देश के हर व्यक्ति को भोजन प्रदान करते हैं। भोजन हर व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकता है।

हमें विभिन्न प्रकार के कार्य करने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है जिससे की हमें ऊर्जा मिलती है। जब भी हमें भूख लगती है हमें भोजन की आवश्यकता होती है, और यह भोजन हमें केवल किसान ही उपलब्ध कराते हैं। लेकिन किसानों द्वारा उपलब्ध कराये गए भोजन के इस महान कार्य को हम कभी सराहना नहीं करते हैं।

  • राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में योगदान

विभिन्न प्रकार के अन्न, फल, फूल, सब्जी, मांस, इत्यादि अनेक प्रकार के भोजन किसानों द्वारा पैदा किये और बाजारों में बेचे जाते हैं। ये सभी चीजें राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान करते है। इन्हीं किसानों द्वारा उगाये फसलों व अन्य भोजनों के कारण ही भारत दुनिया भर में एक कृषि अर्थव्यवस्था के रूप में जानी जाती है।

देश के कृषि उत्पादन मुख्य रूप से हमारे राष्ट्र के अर्थव्यवस्था में अपना मूल योगदान देती है। इसके अलावा कृषि उत्पादों का विदेशों में निर्यात भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। इस तरह से यह कहना गलत नहीं है कि किसान भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं।

  • लोगों के लिए एक प्रेरणा श्रोत

किसान स्वभाव से बहुत ही मेहनती, अनुशासित, समर्पित और सरल का होता हैं। किसान के जीवन में उसके हर क्षण का महत्त्व होता हैं, इसलिए वह अपने खेती का हर काम समय और सही ढंग से कर पाते हैं। यदि वो अपने जीवन में समय के पाबंद न रहे तो उन्हें खेती में उपज में कमी या फसलों की क्षति का सामना भी करना पड़ सकता हैं। वो हर बार अपने खेतों में कड़ी मेहनत करके फसल बोते हैं, और कई महीनों तक का लम्बा इंतजार करते हैं, जब तक की फसल पूरी तरह से पक न जाये। कृषि उत्पाद उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम है। एक किसान के ये सभी गुण हमें प्रेरणा देते हैं।

किसान देश के सभी लोगों के लिए अन्न का उत्पादन करता हैं। वे वही खाते हैं जो उनके पास बचा रह जाता है, इसलिए वो बहुत ही आत्मनिर्भर होते हैं। वो किसी और पर निर्भर हुए बिना जो उनके पास होता है उसी से अपने जीवन पालन करते है। वो किसी से मंगाते नहीं है इसलिए वो खुद में बहुत ही आत्मनिर्भर व्यक्ति होते हैं।

क्या किसानों की स्थिति वाकई दयनीय है ?

हम सभी के लिए किसान कितना महत्वपूर्ण है इसके बारे में सभी जानते है। भारत में किसानों की हालात खराब है। यह सुनना वास्तव में बहुत निराशाजनक है। भारत एक कृषि उत्पादक वाला देश है, जो हमारी अर्थव्यवस्था के जी.डी.पी. में 15% का योगदान देता है। इसको देखते हुए किसानों का देश की उन्नति में एक बहुत बड़ा योगदान हैं, और यदि किसानों के हालात खराब है तो यह बहुत दुख और उल्लेखनीय विषय हैं। भारत में किसानों द्वारा आज भी पुरानी कृषि तकनीक अपनाई जाती है।

सरकार को किसानों को खेती के आधुनिक तरीकों के बारे में बताने और उन्हें अपनाने को किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता हैं। जिससे उनकी उपज अधिक हो और उनकी मेहनत भी कम लगे। इससे किसानों के सामने आने वाली वित्तीय संकट से निपटने में उन्हें मदद मिलेगी। सरकार को उनके हित के लिए कई नए कार्यक्रमों और नीतियों का गठन करने की आवश्यकता हैं। जो देश भर के किसानों को लाभान्वित कर सकें। इससे हर किसानों की वर्तमान स्थिति में काफी सुधार आ सकता हैं।

किसानों के कार्य, खेती के गुण, उनके समर्पण की भावना उन्हें समाज का एक सम्माननीय व्यक्ति बनाते हैं। खेतों से जो भी उन्हें प्राप्त होता है उसे ही बेचकर वो साल भर अपना और अपने परिवार का गुजरा करते है और उसी में वो खुश और संतुष्ट रहते हैं। हमारे देश में कई ऐसे महान नेता हुए जिन्होंने किसानों के उत्थान के लिए सराहनीय कदम उठाये है, इस क्रम में हमारे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और लाल बहादुर शास्त्री के योगदान को कभी भुलाये नहीं जा सकते हैं। ये किसान परिवार से ही ताल्लुक रखते थे। इसलिए इन्होंने किसानों के वास्तविक मूल्य को समझा और उनके हित में कई सराहनीय कदम भी उठाये जो आज तक उन्हें लाभान्वित करती हैं।

Essay on Why are Farmers Important

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भारतीय किसान पर निबंध (Indian Farmer Essay In Hindi)

भारतीय किसान पर निबंध (Indian Farmer Essay In Hindi Language)

भारत के अधिकांश लोग खेती का कार्य करते है। खेती उनका मुख्य व्यवसाय है। इसी से वे अपना भरण पोषण करते है। कम शब्दो मे कहे तो देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि ही है। इन सब पहलुओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि कृषको के सहयोग से ही हम अनाज पाते है। यही वजह है कि इनको अन्नदाता के नाम से भी पुकारा जाता है।

भारत के किसान बिल्कुल साधारण जीवन जीते है। इतनी मेहनत के बावजूद ये अभावग्रस्त जीवन जीते है। लेकिन दुर्भाग्यवश यदि प्राकृतिक आपदा के कारण इनकी फसल नष्ट हो जाती है, तो इनको दूसरी फसल लगाने के लिए कर्ज लेने तक की नौबत आ जाती है।

लोग बड़े चाव से अपनी पूरी प्लेट भर लेते है और आधा खाकर छोड़ देते है, जोकि पूरी तरह से अन्न की बरबादी है। इसी को उगाने के लिए कृषक दिन रात परिश्रम करते है। उनको फसल का उच्च मुनाफा भी नही प्राप्त होता। ऐसे में अन्न की बरबादी करना कहा तक सही है।

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DETAILED Indian Farmer Essay in Hindi भारतीय किसान पर निबंध!

भारतीय किसान पर हिन्दी में निबंध ( Indian Farmer Essay in Hindi ): आज का टॉपिक है भारतीय किसान , जैसा के हम सब जानते है की भारत एक कृषि प्रधान देश है। आज भी ज्यादातर लोग गावों में जीवन व्यापन करते है। Read the whole article Essay On Indian Farmers in Hindi (Indian Farmer Par Nibandh Hindi Mein)।

आज हम जानेगे कैसे भारतीय किसान के बारे में, कैसे ये लोग अपना जीवन व्यापन करते है। भारतीय किसान का मुख्य व्यवसाय है कृषि, और इनकी जीवन चर्या के बारे में। जानने के लिए आर्टिकल को आखरी तक पड़े।

We are going to explore Short Indian Farmer Essay in Hindi or हिन्दी निबंध भारतीय किसान पर (Indian Farmer Nibandh) or Paragraph On Indian Farmer in Hindi for Class 2 and higher classes.

किसान त्याग और कड़ी मेहनत का पर्याय और आदर्श माने जाते है । एक किसान आजीवन अपनी मेहनत के बल पर मिटटी से सोना उगाने की बात को सार्थक करने में लगा रहता है।

तेज धुप हो या कपकपा देने वाली ठण्ड, गरम लू हो या फिर मुसलाधार बारिश वह अपनी इस साधना में अनवरत रूप से लीन रहता है । ईश्वर पर विश्वास और कड़ा श्रम करना ही उसके विकास का क्रम होता है।

भारत देश की लगभग सत्तर प्रतिशत आबादी गाँवों में निवास करती है । इनका मुख्य व्यवसाय कृषि है या फिर अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुडा हुआ है।

कहा भी जाता है की भारत की आत्मा गाँवों में निवास करने वाले किसान ही है । क्योंकि वह न सिर्फ हम लोगो के भोजन के लिए खाधान्न उपलब्ध कराते है साथ ही देश की संस्कृति और सभ्यता की बागडोर को संभालकर इसकी अखंड परंपरा को भी बनाये रखे हुए है । इस प्रकार खेती करना ही किसान के लिए भक्ति है और यही उसकी सबसे बड़ी शक्ति भी है।

आज के दौर में हमारा किसान देश के लिए आधुनिक पालन करता साक्षात् विष्णु ही है क्योंकि उसके बल पर ही देश भर में अन्न, फल, शाक आदि की आपूर्ति हो पा रही है।

और यह भी विचित्र सत्य है की उसे मूल्य के रूप में अपने पारिश्रमिक की पूर्ति भी वापस ठीक से नहीं मिल पा रही है । एक किसान का जीवन सदैव से ही अभाव भरा रहता है।

ज्यादातर किसान सादा जीवन जीने वाले होते है और इस समय की कमी की वजह से ही उसकी अपनी जरूरते भी सिमित ही होती है । उसकी सबसे बड़ी आवश्यकता पर्याप्त पानी का होना ही है । समय पर बारिश नहीं होने से किसान निराश हो जाता है।

एक तरह से देखा जाये तो किसान की दिनचर्या भी प्रतिदिन समान ही होती है । किसी सजग चोकीदार की तरह रोजाना ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठ जाना, उठते ही अपने पशुधन की सेवा करना, इसके बाद अपनी कर्मभूमि अर्थात खेतो की और प्रस्थान कर जाना ही उसका जीवन होता है।

इस प्रकार एक किसान का तो स्नान, भोजन और विश्राम भी एकांत में ही हो पता है । उसका शयन भी घर का त्याग कर कई बार पशुधन के साथ तो कई बार फसल की रखवाली करते हुए ही हो पता है।

एक किसान दिन भर कठोर मेहनत की साधना करता है और उस चिलचिलाती तेज धुप में भी अपने कर्तव्य से तनिक भी अडिग नहीं होता।

वह शाम को अपने कंधे पर हल रखकर बैलो को हांकता हुआ घर की और प्रस्थान करता है । उसकी यही दिनचर्या अधिक ठन्डे मौसम और बारिश में भी बनी रहती है और फिर भी लगभग हर दिन खेत पर कोई न कोई काम करने को बाकी रह ही जाता है।

इस प्रकार उसके जीवन में विश्राम करने का कोई निश्चित समय ही नहीं होता और वह बीमार होने पर भी शारीरिक श्रम करता रहता है।

एक किसान बहुत अधिक धेर्य धारण करने वाला और संतोषी प्रकृति का होता है । इतने गुण होने के बावजूद किसान के जीवन की जरूरते पूरी नहीं हो पाती है।

वह अभाव में ही जन्म लेता है और एक दिन अभाव में ही उसकी पहचान मिट जाती है। समय और धन की कमी उसे शिक्षा प्राप्त करने का अवसर ही नहीं देती जिससे कई प्रकार की कुरीतिया, अंधविश्वास और अशिक्षा उसके साथी बन जाते है।

जिसके फलस्वरूप वह जीवन मूल्यों को समझ नहीं पता है और सरकारी कर्मचारी, बड़े जमीदार और व्यापारी आदि उसका अज्ञानता की वजह से जीवन भर शोषण करते रहते है।

किन्तु आजादी मिलने के बाद से ही देश के आधुनिक किसान वर्ग में कुछ अंतर भी आया है । आजकल के किसानो के मलिन मुख पर अब ताजगी दिखाई देने लगी है।

कई क्षेत्रो में उसे जमीदारो के शोषण से मुक्ति मिल चुकी है । और सरकार ने भी किसानो की और ध्यान देना आरम्भ कर दिया है।

उनके अभावो को कम से कम करने के लिए कई प्रकार की योजनाये भी चलाई जा रही है । गाँवों में ही चौपाल के माध्यम से कृषि विशेषज्ञों द्वारा उसे कई प्रकार के अनुसन्धानो की जानकारी दी जा रही है ।

इसके अलावा उसे कम कीमत पर उच्च किस्म का बीज, खाद और आधुनिक कृषि यन्त्र उपलब्ध कराये जा रहे है । उन्हें कम से कम ब्याज दर पर ऋण भी मुहैय्या करा जा रहा है।

खेतो में भी सिचाई के लिए नहर और नलकूपों का विकास किया जा रहा है । उनकी शिक्षा के लिए गाँवों में रात्रिकालीन स्कूल भी खोले जा रहे है।

इन सब प्रयासों के चलते किसान के जीवन स्तर में काफी बदलाव आया है और इनकी आर्थिक स्थिती भी काफी हद तक अब सही हुई है।

आज का निबंध, भारतीय किसान पर निबंध or ( Indian Farmer Essay in Hindi ) आप सभी लोगों को पसंद आया होगा।

ख़ास तौर से यह Bhartiye Kishan Par निबंध स्कूल जाने वाले छात्रों जो कक्ष्या १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, उन सभी लोगों के लिए उपयोगी रहा होगा।

इस निबंध को दोस्तों में और सोशल मीडिया में जरूर शेयर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके।

जरूर पढ़ें : होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

किसान पर निबंध Essay on Farmer in Hindi

इस लेख में किसान पर निबंध (Essay on the farmer in Hindi) दिया गया है। यह निबंध कक्षा 3 से 10 तक विभिन्न रूपों में परीक्षाओं में पूछा जाता है। यहां पर किसान के ऊपर निबंध सरल रूप में दिया गया है जिसे किसी भी परीक्षा में बेझिझक लिखा जा सकता है।

Table of Content

किसान पर निबंध Essay on Farmer in Hindi (1000 words)

किसान अधिक शिक्षित नहीं होते तथा आर्थिक रूप से मजबूत भी नहीं होते किसान कृषि के अलावा पशुपालन पर निर्भर होते हैं। किसान हल और बैल के सहायता से भूमि को चीर कर उस में बीज बोते हैं तथा बड़े धैर्य के बाद वहां से अन्न निकालते हैं।

आजादी के बाद दशकों तक किसान हेय स्तर का जीवन जीते रहे और कभी रोग से, तो कभी कर्ज से अपनी जान गंवाते रहे। किसानों की आत्महत्या के आंकड़े बहुत ही चिंतनीय हैं।

किसान का शुरुवाती जीवन

भारत के किसानों की शिक्षा दीक्षा न के बराबर होती है, बचपन से ही किसानों के बच्चे खेतों में अपना समय देते हैं जिसके कारण वे पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं दूसरा सबसे बड़ा कारण पैसों की कमी है जिसके कारण किसान तथा उनका परिवार पोषण युक्त आहार नहीं ले पाता और तमाम बीमारियों से घिर जाता हैं।

अधिकतर किसानों का विवाह बहुत ही कम उम्र में कर दिया जाता है जिससे निर्वहन तथा सामाजिक दबाव उन पर बढ़ जाता है जिसके कारण उन्हें अपने अनाज को कम दाम पर बेचने के लिए बाध्य होना पड़ता है। एक किसान सबसे अधिक मेहनत करता है लेकिन परिणाम के रूप में उसे बहुत मामूली रकम पर संतुष्ट होना पड़ता है।

किसान के जीवन की मुलभुत दिक्कतें

किसान के जीवन की दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत सिंचाई के लिए पानी का अभाव है। कभी-कभी समय पर सिंचाई ना मिलने के कारण फसल नष्ट हो जाती हैं तो कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसान को बड़ी हानि का सामना करना पड़ता है।

चौथी सबसे बड़ी मूलभूत दिक्कत कृषि के साधनों के महंगे होने से उनके उपयोग से वंचित रहना है। किसान खेती के लिए आमतौर पर बैल तथा हल का उपयोग करते हैं जिसमें अधिक समय व श्रम लगता है।

वर्तमान में किसान के जीवन में परिवर्तन

वर्तमान सरकार ने किसानों की दिक्कतों को समझा और उन्हें दूर करने के लिए पर्याप्त कदम उठाया जिसमें किसानों के फसल का ध्यान रखना तथा फसल नष्ट होने पर उपयुक्त मुआवजा देना या उन्हें कम ब्याज दरों पर कर्ज मुहैया करवाना मुख्य है।

वर्तमान सरकार द्वारा किसानों के लिए तमाम योजनाएं निकाली गई हैं जिसमें किसानों को कम ब्याज दरों पर खेती की मशीनों को मुहैया कराना, मुआवजा की राशिओं को सीधे उनके बैंक खातों में भेजना तथा उनके फसल को सीधे-सीधे खरीदारों तक पहुंचाना शामिल है जिससे उन्हें सीधे लाभ दिया जा सके और भ्रष्टाचार तथा मुनाफाखोरी से किसानों की रक्षा की जा सके।

भारत के सभी नागरिकों के लिए 0 बैलेंस खाता (जन धन अकाउंट) उपलब्ध कराया गया जिसमें बिना किसी शुल्क के खातों को खोलना शामिल था। इन खातों का लाभ उन गरीब किसानों के लिए वरदान साबित हुआ जिनके पास कोई भी बैंक का खाता नहीं था।

 हाल में ही हुए सर्वे के अनुसार किसानों को इन योजनाओं का लाभ सीधे सीधे तौर पर प्राप्त होने का दावा किया गया लेकिन आज भी किसानों द्वारा की आत्महत्या की खबरें आए दिन सुनने को मिलती रहती हैं।

जिस प्रकार सीमाओं की सुरक्षा के लिए सैन्य बल अपना सर्वस्व समर्पण कर देते हैं, उसी प्रकार सीमाओं के अंदर रह रहे लोगों के लिए अन्न की व्यवस्था में किसान अपना सब कुछ दाव पर लगा देता है और बदले में उसे धन तो दूर एक अच्छी जिंदगी भी नसीब नहीं होती।

इसलिए किसानों के जीवन को और भी सुधारने की जरूरत है क्योंकि किसी भी देश की नींव वहां के किसानों को माना जाता है अगर नींव मजबूत नहीं हो तो महल भी मजबूत नहीं हो सकता।

निष्कर्ष Conclusion

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भारतीय कृषक पर निबंध |Indian Farmer in Hindi

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भारतीय कृषक पर निबंध | Essay on Indian Farmer in Hindi!

”जब तुम, मुझे पैरों से रौदंते हो

ADVERTISEMENTS:

तथा हल के फाल से विदीर्ण करते हो

धन-धान्य बनकर मातृ-रूपा हो जाती हूँ । ”

भारत एक कृषि प्रधान देश है । यहाँ के अधिकांश लोग आज भी अपनी जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं । दूसरे शब्दों में हमारी अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि ही है । इन परिस्थितियों में कृषक की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है ।

परंतु देश के लिए यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पाँच दशकों के बाद भी भारतीय कृषकों की दशा में बहुत अधिक परिवर्तन देखने को नहीं मिला है । स्वतंत्रता से पूर्व भारतीय कृषक की स्थिति अत्यंत दयनीय थी । तब देश अंग्रेजों के आधिपत्य में था जिनका मूल उद्‌देश्य व्यापारिक था ।

उन्होंने कृषकों की दशा में सुधार हेतु प्रयास नहीं किए । कृषकों की दशा में सुधार हेतु कई बार कानून पारित किए गए । परंतु वास्तविक रूप में उनका कभी भी पूर्णतया पालन नहीं किया गया । किसानों को अपने उत्पाद का एक बड़ा भाग कर के रूप में सरकार को देना पड़ता था। सूखा तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं के समय उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो जाती थी ।

कर अदा करने के लिए वे सेठ-साहूकारों से कर्ज लेते थे परंतु उसे वापस न करने की स्थिति में जीवन पर्यंत उसका बोझ ढोते रहते थे । अनेकों कृषकों को अत्यंत कम वेतन पर मजदूरी के लिए विवश होना पड़ता था ।

स्वतंत्रता के पश्चात् कृषकों की दशा में सुधार के लिए अनेक योजनाएँ कार्यान्वित की गईं । समय-समय पर विभिन्न सरकारों द्‌वारा कृषकों को अनेक सुविधाएँ प्रदान की गईं परंतु अनेक कारणों से इन सुविधाओं का लाभ पूर्ण रूप से उन तक नहीं मिल पाया। देश के विभिन्न क्षेत्रों के किसानों में भारी असंतोष है क्योंकि उन्हें सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में न तो बिजली मिल पाती है और न ही उन्नत किस्म के बीज आदि भी समय पर उपलब्ध होते हैं ।

भारतीय कृषक की सामान्य दशा का यदि अवलोकन करें तो हम पाते हैं कि हमारे अधिकांश कृषक निरक्षर हैं । यह कृषकों के पिछड़ेपन का एक प्रमुख कारण है । निर्धनता एवं अशिक्षा के कारण वे सरकार की कृषि संबंधी विभिन्न योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं ।

शिक्षा के अभाव में वे उन्नत बीज, कृषि के आधुनिक उपकरणों तथा उच्च वैज्ञानिक तरीकों से वंचित रह जाते हैं । भारतीय पारंपरिक रीति-रिवाज एवं बाह्‌य आडंबर आदि भी उसकी प्रगति के मार्ग की रुकावट बनते है ।

विगत कुछ वर्षों में विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में भारत ने विशेष प्रगति की है । संचार माध्यमों के विशेष प्रचार एवं प्रसार का सकारात्मक प्रभाव हमारी कृषि पर भी पड़ा है । दूरदर्शन तथा रेडियो आदि के माध्यम से हमारी सरकार एवं अन्य संस्थाएँ कृषकों को कृषि संबंधी जानकारी दे रही हैं तथा उन्हें उन्नत बीजों व विभिन्न वैज्ञानिकों तरीकों से अवगत करा रही हैं ।

इसके अतिरिक्त बैंकों आदि के माध्यम से किसानों को कम ब्याज दर पर कर्ज उपलब्ध कराया जा रहा है जिससे वे आधुनिक उपकरण तथा सिंचाई आदि का प्रबंध कर सकें ।

सरकार के इन अथक प्रयासों के सकारात्मक परिणाम आने प्रारंभ हो गए हैं । कुछ राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा आदि ने विशेष प्रगति की है । देश के अन्य राज्यों में भी सुधार दिखाई देने लगा है । निस्संदेह हम उज्जल भविष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

हमारे कृषकों की दशा में निरंतर सुधार से देश की अर्थव्यवस्था पर विशेस प्रभाव पड़ेगा । तब अवश्य ही एक स्वावलंबी, आत्मनिर्भर एवं अग्रणी भारत की हमारी परिकल्पना सरकार हो सकेगी ।

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Indian Farmer Essay in Hindi | भारतीय किसान पर निबंध हिंदी में

दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम भारतीय किसान पर निबंध {Indian Farmer Essay in Hindi} पढ़ेंगे। भारतीय किसान पर निबंध हिंदी में, Essay on Indian Farmer in Hindi, किसान पर निबंध, Essay On Farmer Hindi me, Essay on Kisan in Hindi, by Hindidp.

Table Of Contents

  • 1 Indian Farmer Essay in Hindi | Bhartiya Kisan Par Nibandh in Hindi
  • 2 अंतिम विचार – Essay on Indian Farmer in Hindi

Indian Farmer Essay in Hindi | Bhartiya Kisan Par Nibandh in Hindi

ब्रह्मा सृष्टि का निर्माण करते हैं, विष्णु पालन करते हैं। अन्न पैदा करने में किसान भी ब्रह्मा है। खेती इनके ईश्वरीय प्रेम का केंद्र है। इनका सारा जीवन पत्ते-पत्ते और फूल-फूल में बिखर रहा है।

केवल शाक-पात ही खा कर यह अपनी भूख की ज्वाला शांत करते हैं। इनके बच्चे मिट्टी में ही खेल-कूद कर बड़े हो जाते हैं। इनको और इनके परिवार को गांव से बड़ा प्रेम होता है। उसकी यह सेवा करते हैं। सांय-प्रातः, दिन-रात विधाता इनके ह्रदय में अदभुत अध्यात्मिक भावों की सृष्टि करता है।

गायें इनकी दूध देती है। स्त्रियां इनकी आज्ञाकारिणी है। मकान इनका पुण्य और आनंद का स्थान है। पशुओं को नहलाना, खिलाना-पिलाना, उनके बच्चे को अपने बच्चों की तरह सेवा करना, खुले आकाश के नीचे उनके साथ रातें गुजार देना क्या ही अमूल स्वाध्याय है।

यह किसान बड़े भोले-भाले हैं। किसान फकीर है, वीतराग सन्यासी है। उन्हें न मान का हर्ष है और ना अपमान का खेद, ना फटे कपड़े पहनने का दुख है और ना कभी अच्छे वस्त्र की प्रसनता।

न अज्ञानता से आत्म ग्लानि होती है और दरिद्रता से दीनता का आभास। यह कर्ज में ही जन्म लेते हैं, कर्ज में ही पलते हैं और कर्ज में ही मर जाते हैं।

चिलचिलाती धूप हो, सनसनाती बर्फीली हवा हो, तन-मन को कँपा देने वाली शीतलहरी हो, किसान अपने कर्म में व्यस्त है। मूसलधार वर्षा हो रही है, बिजली कड़क रही है, छतें बैठने लगी, दीवारें गिरने लगी, फिर भी यह अपनी धुन में मस्त है।

इतना सब सहते हुए भी जो सबके लिए अन्न उपजाता है, सबका अन्नदाता है, वह स्वयं सपरिवार भूखे रहने पर विवश है। कृषि प्रधान देश होने के नाते यहां की सरकार के द्वारा कृषि पर अधिक से अधिक ध्यान दिया जाना आवश्यक है।

अनिश्चित मौनसून, बाढ़ तथा सूखा, पुराने ढंग की खेती, काम उत्पादन देने वाले बीजों का प्रयोग, दोषपूर्ण वितरण-प्रणाली, उत्पादित सामानों के कम मूल्य, कमजोर पशुधन, घरेलू उद्योगों का अभाव, खेतों का विभाजन तथा अपखंडन एवं ग्रामीण ऋणगस्तता आदि भारतीय किसानों को कमजोर किए हुए हैं।

इन्हें दूर करने के लिए सरकार द्वारा लघु सिंचाई योजनाओं के अतिरिक्त बहुउद्देशीय योजनाएं भी लागू की गई है। इनसे सिचाई तो होगी ही तथा बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन, बाढ़ पर नियंत्रण तथा आर्थिक विकास से संबंधित योजनाओं, पशु एवं चरागाह-विकास, फल-फूल, मत्स्य-पालन, रेशम-उत्पादन विकास योजनाओं की व्यवस्था पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत की गई है।

इतना होने पर भी किसान की हालत में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है। सरकार को भारतीय किसान के कृषि स्तर को बढ़ाने के लिए और भी कई प्रकार की योजनओं को शुरू करने की आवश्यकता हैं।

अंतिम विचार – Essay on Indian Farmer in Hindi

दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में आपने भारतीय किसान पर निबंध {Indian Farmer Essay in Hindi} Essay on Indian Farmer in Hindi, किसान पर निबंध, Essay On Farmer Hindi me, Essay on Kisan in Hindi पढ़ा। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमें जरूर बताये ताकि हम इस आर्टिकल की गुणवत्ता को और भी बढ़ाये।

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COMMENTS

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    भारतीय किसान पर निबंध (Indian Farmer Essay in Hindi) - एक किसान हमें जीवित रहने के लिए आवश्यक भोजन प्रदान करने के लिए अथक परिश्रम करता है। कड़ी मेहनत के

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    किसान पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay on Farmer in Hindi) किसान वह है जो फसल उगाता और बेचता है। किसान आमतौर पर एक खेत पर काम करते हैं, जो जमीन का एक ...

  6. भारतीय किसान पर निबंध

    Article shared by: भारतीय किसान पर निबंध | Essay on Indian Farmers in Hindi! भारत गांवों का देश है । भारत की आत्मा गांवों और किसानों में बसती है । इसलिए भारत एक कृषि ...

  7. भारतीय कृषक पर निबंध

    भारतीय कृषक पर निबंध | Indian Farmer Essay in Hindi. गांधी कहते थे-"भारत का हृदय गांवों में बसता है, गाँवों की उन्नति से ही भारत की उन्नति सम्भव है। गाँवों सेवा और परिश्रम ...

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    Indian Farmer in Hindi Essay 600 Words. भारतीय किसान की त्रासद स्थिति. मानव ने अपने पशुतुल्य जीवन को छोड़कर जिस समय एक स्थायी जीवन को ग्रहण किया था उसी समय ...

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    भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian Farmer in Hindi) आज भले ही विज्ञान कितनी तेजी से विकास क्यों ना कर रहा हो लेकिन भारत के किसान आज भी सादगी पूर्ण जीवन जीते हैं। भारत के ...

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    Essay on Indian Farmer in Hindi- भारतीय किसान पर निबंध ( 400 words ) भारत गाँवों का देश है। भारत की अस्सी प्रतिशत जनता गाँवों में ही रहती है। गाँव में अधिकतर किसान रहते हैं। बड़े ...

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    भारतीय किसान पर निबंध (Essay on Indian farmer in Hindi). भारतीय किसान का जीवन अत्यंत कठोर है. उसके लिए सुख-दुःख, लाभ-हानि, सर्दी-गर्मी, वर्षा सब एक समान हैं.

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    किसान पर निबंध | Essay On Farmer Hindi me, हमारे जीवन में किसान की आवश्यकता, किसान की भूमिका, महत्त्व और किसान से जुड़ी मुख्य बातों के बारे में यहां जानें!

  16. किसान महत्वपूर्ण क्यों हैं पर निबंध

    किसान हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों हैं पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Why are Farmers Important in Hindi, Kisan hamare liye Mahatvapurna kyon hai par Nibandh Hindi mein) हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है और ...

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    भारतीय किसान पर निबंध (Indian Farmer Essay In Hindi) प्रस्तावना. भारत के अधिकांश लोग खेती का कार्य करते है। खेती उनका मुख्य व्यवसाय है। इसी से वे अपना भरण पोषण करते है। कम ...

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    भारत में पारिवारिक प्रणाली पर निबंध | Essay on Family System in India in Hindi August 28, 2018 भारत में विदेशी आक्रमण | Foreign Invasion in India | Hindi

  19. DETAILED Indian Farmer Essay in Hindi भारतीय किसान पर निबंध!

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    इस लेख में किसान पर निबंध (Essay on the farmer in Hindi) दिया गया है। यह निबंध कक्षा 3 से 10 तक विभिन्न रूपों में परीक्षाओं में पूछा जाता है। यहां पर किसान के ऊपर निबंध सरल ...

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    ADVERTISEMENTS: भारतीय किसान पर निबंध / Essay on Indian Farmer in Hindi! किसान माटी के समृत होते हैं। वे मिट्‌टी से सोना उपजाते हैं। वे अपने श्रम से संसार का पेट ...

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    भारतीय कृषक पर निबंध | Essay on Indian Farmer in Hindi! ''जब तुम, मुझे पैरों से रौदंते हो तथा हल के फाल से विदीर्ण करते हो धन-धान्य बनकर मातृ-रूपा हो जाती हूँ ।'' भारत एक कृषि ...

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    दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम भारतीय किसान पर निबंध {Indian Farmer Essay in Hindi} पढ़ेंगे। भारतीय किसान पर निबंध हिंदी में, Essay on Indian Farmer in