pollution for essay in hindi

प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण पर निबंध, essay on pollution in hindi

Hindi Essay and Paragraph Writing – Pollution (प्रदूषण)

प्रदूषण पर निबंध – इस लेख में प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण के स्रोत, प्रदूषण के परिणाम, प्रदूषण को रोकने के उपाय के बारे में जानेंगे | जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व मिलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते है, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में प्रदूषण पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में प्रदूषण  पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250, 350, और 1500 शब्दों में अनुच्छेद और निबंध दिए गए हैं।

  • प्रदूषण पर 10 लाइन
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में
  • Also See: World Environment Day Slogans, Quotes, and Sayings

प्रदूषण पर 10 लाइन 10 lines on Pollution in Hindi

  • वर्तमान समय में प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो हर किसी के जीवन पर प्रभाव डाल रहा है।
  • प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है- वातावरण में किसी तत्व का असंतुलित मात्रा में विद्यमान होना। 
  • प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण लगातार वनों की कटाई और बढ़ती हुई जनसंख्या है। 
  • वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण, ये सभी प्रदूषण के विविध रूप हैं।
  • इन प्रदूषणों के कारण ही जलीय जीव-जंतु, पशु-पक्षी और वन्य जीव विलुप्त हो रहे हैं और लोगों को विभिन्न गंभीर प्रकार की बीमारियां हो रही है।
  • इन प्रदूषणों से नदी-झील, सागर-महासागर, पर्वत भी प्रभावित हो रहे हैं।
  • बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण प्रदूषण भी है।
  • प्रदूषण की समस्या केवल एक देश का नही है बल्कि पूरे विश्व की समस्या है।
  • भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण हर साल विश्व स्तर पर लगभग 7 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से तकरीबन 4 मिलियन लोगों की मौत घरेलू वायु प्रदूषण के कारण होती है।
  • भारत में हर साल 2 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 

Short Essay on Pollution in Hindi प्रदूषण पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

प्रदूषण पर निबंध/अनुच्छेद – प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है, एक प्रकार का हानिकारक पदार्थ है जो हवा, पानी, धूल-मिट्टी आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य को नुकसान पहुंचाता है बल्कि जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी नुकसान पहुंचाता है। आज, इसके परिणामस्वरूप, पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

प्रदूषण आज के समय में एक बहुत ही गंभीर समस्या है और इससे हर किसी का जीवन प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण बढ़ने का प्राथमिक कारण निरंतर वनों की कटाई और बढ़ती जनसंख्या है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण, इसके मुख्य प्रकार है। वायु, जल, भूमि में प्रदूषण हानिकारक तत्वों के मिलने से फैलता है और जबकि ध्वनि प्रदूषण, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर के ध्वनि से उत्पन्न होता है। इन प्रदूषणों के बढ़ने से लोगों को विभिन्न गंभीर प्रकार की बीमारियां हो रही है, और बहुत से जीव-जंतु, पशु-पक्षी मर रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने बेहतर भविष्य सुरक्षित करने के लिए प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करें।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

प्रदूषण एक हानिकारक पदार्थ है जो हवा, पानी और धूल जैसे कई विभिन्न माध्यमों से मनुष्यों, जानवरों, पौधों और पर्यावरण को धीरे-धीरे खराब और नुकसान पहुंचा रहा है। आज प्रदूषण के कारण ही प्राणियों की जान खतरे में है। इसी कारण बहुत से जीव-जंतु, पशु-पक्षी और वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। ये प्रदूषण तब होता है जब प्रकृति के विभिन्न भागों में असंतुलन होता है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण इसके विभिन्न प्रकार हैं। वाहनों और कारखानों से निकलने वाली हानिकारक गैस वायु प्रदूषण का कारण बन रही है, जिसके परिणामस्वरूप मनुष्यों और जानवरों को श्वसन संबंधी बीमारियाँ हो रही हैं। जल प्रदूषण कारखानों, उद्योगों और सीवरेज से निकलने वाले कचरे को सीधे नदियों में छोड़े जाने के कारण होता है। भूमि प्रदूषण उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग से होता है। रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्या का कारण बन रही हैं। आज प्रदूषण को रोकने और स्वस्थ वातावरण प्राप्त करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की बहुत आवश्यकता है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

प्रदूषण वर्तमान में एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह समस्या  सिर्फ एक देश की नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या है। जिसकी चपेट में धरती पर रहने वाले सभी जीव जंतु और अन्य निर्जीव पदार्थ भी आ गए है। इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिख रहा है। प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति में संतुलन न होना, जीवन के लिए सभी जरूरी चीजों का दूषित हो जाना। जैसे- शुद्ध हवा न मिलना, शुद्ध जल न मिलना, शुद्ध भोजन व वातावरण न मिलना। प्रदूषण के मुख्य चार प्रकार है- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण । इनमें से वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है। इस प्रदूषण का मुख्य कारण कारखानों, उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्रोतों से निकलने वाले हानिकारक धुएं से इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां होती हैं। जल प्रदूषण तब होता है जब कारखानों, उद्योगों और सीवरेज से निकलने वाले हानिकारक कचरे सीधे तौर पर नदियों, झीलों और महासागरों के पानी में बहा दिया जाता है और यह प्रदूषण जलीय जीवों को काफी नुकसान पहुंचाता है और मनुष्यों को स्वच्छ पानी तक पहुंच से वंचित कर देता है। भूमि प्रदूषण उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक पदार्थों के अत्यधिक उपयोग के कारण होता है, जिससे खेती की गई फसलें प्रदूषित हो जाती हैं। नतीजतन, इन दूषित फसलों के सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। ध्वनि प्रदूषण भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि से होती  है जो की सुनने की समस्या और कभी कभी बहरेपन का कारण बनती हैं। इन प्रदूषण के लिए मनुष्य जिम्मेदार है क्योंकि मनुष्य अपने लाभ के लिए दिन रात प्रकृति को हानि पहुंचा रहा है। इसलिए मनुष्य को ही प्रदूषण के रोकथाम के लिए प्रयास करने चाहिए।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 300 शब्दों में

प्रदूषण से तात्पर्य पर्यावरण में किसी भी पदार्थ की असंतुलित मात्रा में उपस्थिति से है। यह वैज्ञानिक प्रगति का एक नकारात्मक परिणाम है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं और प्राणियों की अकाल मृत्यु का आधार बन रही है। प्रदूषण प्रकृति के विभिन्न घटकों का संतुलन बिगड़ने से होता है। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण– ये सभी प्रदूषण के विविध रूप हैं। नदी-नाले, सागर-महासागर, पर्वत और ओज़ोन परत भी इसी प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। अत्यधिक वनों का कटाव, आधुनिकीकरण की समस्या और शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या की समस्या आदि वायु प्रदूषण बढ़ने के सबसे बड़े कारण हैं। प्रकृति के अधिकतम शोषण से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। ऋतु चक्र में बदलाव आ गया है और शुद्ध वायु का मिलना कठिन होता जा रहा है। बड़े-बड़े कारखानों से निकलने वाला धुआं वायु को प्रदूषित कर रहा है और शहरों और महानगरों से निकलने वाला कचरा साफ पानी के स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है। इसके अतिरिक्त, कारखाने गंदा पानी नदियों में छोड़ रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण में वृद्धि हो रही है।  यातायात के आधुनिक साधन जहां एक तरफ वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है, आकाश में उड़ते हवाई जहाज, तेज रफ्तार वाले जेट विमान, दिन-रात बजते हुए लाउडस्पीकरों से जो ध्वनी उत्पन्न होती है उससे हमारी सुनने की क्षमता को नुकसान पहुँच रहा है। भूमि प्रदूषण आज के समय की एक और नई समस्या है। खेतों से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए रासायनिक खादों का अधिकाधिक प्रयोग धरती को बंजर बना रहा है। यह प्रदूषण सभी प्राणियों के लिए हानिकारक है, यह हवा, पानी और धूल जैसे विभिन्न माध्यमों से मनुष्यों, जानवरों, पक्षियों, पेड़ों और पौधों को नुकसान पहुँचाता है। आज इसी प्रदूषण के कारण सभी प्राणियों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। इसलिए प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शीघ्रता से कार्य करना चाहिए। इसके लिए वनों की कटाई को रोकना और जल स्रोतों के प्रदूषण को नियंत्रित करना आवश्यक है। यदि मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर ले तो प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यदि नहीं, तो परिणाम अप्रत्याशित होंगे।

Long Essay on Pollution in Hindi प्रदूषण  पर निबंध (1500 शब्दों में)

  pollution essay in hindi – प्रदूषण पर निबंध.

In the post will discuss the major causes of Pollution, Pollution Meaning, effects, and measures to prevent pollution

Essay on Pollution in Hindi is an important topic for Class 7th,8th, 9th, 10th, 11th, and 12th. Here we have compiled important points on pollution Essay in Hindi which is a useful resource for school and college students.

Here are some Important Points for प्रदूषण पर निबंध i.e is covered in this Article

  • Essay on Pollution in Hindi
  • प्रस्तावना (Preface)
  • प्रदूषण का अर्थ (What is Pollution (Meaning))
  • प्रदूषण के कारण (Reason for Pollution)
  • प्रदूषण के स्त्रोत (Sources of Pollution)
  • प्रदूषण के परिणाम (Consequences of Pollution)
  • प्रदूषण को रोकने के उपाय (Steps to Reduce Pollution)
  • उप-संहार / सारांश

प्रदूषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi

  • प्रदूषण का अर्थ है दोष युक्त,अपवित्र  एवं अशुद्ध | अपने नाम के स्वरूप  प्रदूषण न केवल मानव जाति  बल्कि  समस्त  प्राणियों के लिए हानिकारक है | यह बात आज का मानव भली -भाँति  जानता भी है और समझता भी है |
  • लेकिन यह ज्ञान केवल किताबों तक और बातों तक सीमित है , व्यावहारिक  रूप में मानव की प्रगति की चाहत और सुख सुविधाओं की वृद्धि की इच्छा  में उसके द्वारा किये गए नित नए प्रयोगों  ने इस प्रदूषण में दिन- प्रतिदिन वृद्धि की है |
  • इस  प्रदूषण की सीमा केवल  धरती  ही नहीं बल्कि संपूर्ण वातावरण (वायु , जल , ध्वनि) सम्मिलित है | इस विस्तार सीमा के कारण अब प्रदूषण केवल भूमि प्रदूषण न होकर वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण भी है |

Top प्रस्तावना – Preface

  • यदि जल दूषित है तो जल प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |
  • वायु प्रदूषित है तो सांस  लेना ही दुर्भर हो जायेगा भाव कि जीवन ही खतरे में है | शुद्ध वायु प्राणो के लिए , श्वास प्रक्रिया  के लिए बहुत ही आवश्यक है।

इसी तरह मिट्टी हमारी मूल भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति  के लिए जरूरी है | खाने – पीने के लिए अनाज , शुद्ध हवाओं के लिए पेड़ पौधे  भी हमें इसी से मिलते हैं|  इसके बगैर हम प्राणी जगत और मानव जाती के विकास के बारे में सोच भी नहीं सकते | और यदि वातावरण में शोर अधिक मात्रा में है तो यह ध्वनि प्रदूषण है जो कि  मानसिक असंतुलन का कारण बनता है  |

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प्रदूषण का अर्थ – Meaning of Pollution

भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो असंतुलित होते है | और यह असंतुलन ही प्रदूषण है | इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी प्रभावित होते हैं | इसके अतिरिक्त जो कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का कारण है| अतः  हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

प्रदूषण के कारण  – Reason For Pollution

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

प्रदूषण के स्त्रोत – Sources of Pollution

प्रदूषण के स्त्रोतों को  निम्न  श्रेणियों  में बाँटा जा सकता है  : 1.घरेलू बेकार पदार्थ,जमा  हुआ  पानी,कूलरो  मे पड|  पानी , पौधो मे जम|  पानी 2. रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ 3. प्लास्टिक 4. गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि। 5. उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश । 6.  गंदा पानी 7. पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी। 8. ध्वनि। 9. ऊष्मा। 10. जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम – Consequences of Pollution

  • आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण | कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है | और इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता | विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं | अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है |
  •  अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं | जैसे कि  मच्छर, मख्खियाँ  इत्यादि | कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती |
  • पीने   का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है | ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है |धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है |

प्रदूषण को रोकने के उपाय – Measures to Prevent pollution

दैनिक जीवन में कुछ छोटे बदलाव करके  इसे कम करने की दिशा में योगदान कर सकते हैं। 1.बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है। 2.भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए | 3.पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है। 5.कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें । 6. अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं। 7.कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह   प्रदूषण का एक कारण है। डिजिटल प्रयोग  अच्छा विकल्प  है। 8. पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें। 9.प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें । 10.घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए। 11.खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके । 12. हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोक।| ज। सके  । 13. यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  | 14.हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। उपसंहार

उप-संहार / सारांश – Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा | न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी | प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा | जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे | जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे | विकास का  केवल  एक रास्ता शहर नही  गाँव  की  जीवन  शैली पर चलो प्रकृति से दूर नही , विपरीत नही बल्कि  इसके साथ्  हो  चलो जीवन आसान नही श्रमिक  और कृषक से हो चलो श्रमिक  और कृषक से हो चलो शुद्धता  जो चाहिये तो जीवन शैली बदल चलो ,प्र्दूषन को दूर कर प्रकृति से दूर नही, पास हो चलो, पास हो चलो |

प्रदूषण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इन सवालों के जवाब आपको प्रदूषण पर अपने निबंध में शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु प्रदान करेंगे।

प्रदूषण वास्तव में क्या है? पर्यावरण में मौजूद संदूषण या रसायन, या पर्यावरण में उनका परिचय, जिसे प्रदूषण कहा जाता है। इन प्रदूषकों या पदार्थों की उपस्थिति या परिचय जीवित प्राणियों और प्राकृतिक दुनिया के लिए हानिकारक या असुविधाजनक हो सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न रूप क्या हैं? प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं, जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण ।

प्रदूषित वायु में योगदान करने वाले कारक क्या हैं? वायु प्रदूषण कई अलग-अलग कारकों का परिणाम है, जिसमें ऑटोमोबाइल और औद्योगिक गतिविधियों से उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधन का जलना और जंगलों का विनाश शामिल है।

प्रदूषित जल के कुछ परिणाम क्या हैं? पानी का प्रदूषण जलीय जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है, जो तब पारिस्थितिक तंत्र को परेशान कर सकता है, और जो पानी वे पीते हैं उसे दूषित करके लोगों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल सकते हैं।

मृदा संदूषण वास्तव में क्या है? मिट्टी में जहरीले यौगिकों की उपस्थिति, जो पौधों, जानवरों और अंततः इन संसाधनों पर निर्भर मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकती है, को मृदा प्रदूषण कहा जाता है।

“ध्वनि प्रदूषण” से वास्तव में क्या अभिप्राय है? ध्वनि जो अत्यधिक, अवांछित, या परेशान करने वाली है जो मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ वन्यजीवों के स्वास्थ्य और प्राकृतिक पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता रखती है, ध्वनि प्रदूषण कहलाती है।

औद्योगीकरण किन विशिष्ट तरीकों से प्रदूषण की समस्या को बढ़ाता है? वायु, जल और भूमि में हानिकारक रसायनों और अपशिष्ट उत्पादों का निर्वहन सबसे आम तरीकों में से एक है जिससे औद्योगीकरण प्रदूषण का कारण बनता है। “प्रकाश प्रदूषण” का वास्तव में क्या अर्थ है? “प्रकाश प्रदूषण” शब्द कृत्रिम प्रकाश की अधिकता या इसके गलत दिशा को संदर्भित करता है, दोनों के मनुष्यों के स्वास्थ्य के साथ-साथ वन्य जीवन और पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य पर हानिकारक परिणाम हो सकते हैं।

प्रदूषण कम करने के समग्र लक्ष्य में व्यक्ति कैसे योगदान दे सकते हैं? कचरे में कमी , ऊर्जा का संरक्षण , सार्वजनिक परिवहन या हाइब्रिड वाहन का उपयोग, और पारिस्थितिक रूप से अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा देने के सभी तरीके हैं जिनमें व्यक्ति प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे सकते हैं।

प्रदूषण को रोकने और साफ करने में सरकार की क्या भूमिका है? प्रदूषण के स्तर को कम करने और प्रदूषण को रोकने के लक्ष्यों के साथ सरकार द्वारा कानूनों और विनियमों की स्थापना और पालन, प्रदूषण नियंत्रण के दो सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

pollution for essay in hindi

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

Hindi Yatra

प्रदूषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi

Essay on Pollution in Hindi : दोस्तों आज हमने प्रदूषण पर निबंध लिखा है. वर्तमान में प्रदूषण के कारण मानव जीवन और अन्य प्राणियों के जीवन पर बहुत अधिक बुरा प्रभाव पड़ा है. प्रदूषण के कारण असमय मृत्यु होना तो जैसे आम बात ही हो गई है.

इसलिए प्रदूषण को रोकना बहुत आवश्यक है सभी विद्यार्थियों को प्रदूषण के बारे में जानकारी होना आवश्यक है.

इसलिए Essay on Pollution कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध को हमने सभी कक्षा के विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है.

Essay on Pollution in Hindi

Get Some Essay on Pollution in Hindi under 100, 250, 500 and 2000 words

Short Essay on Pollution in Hindi 100 Words

प्रदूषण यह एक धीमा जहर है जो कि दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को नष्ट करता जा रहा है. प्रदूषण को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण..

वायु प्रदूषण वाहनों से निकलने वाले धुए, कल कारखानों, उड़ती हुई धूल इत्यादि कारणों से होता है. ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने से और अन्य शोर उत्पन्न करने वाली वस्तुओं से होता है.

जल प्रदूषण नदियों और तालाबों में फैक्ट्रियों का अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक कचरा व अन्य वस्तुएं डालने से होता है.

अगर हमें पर दूसरों को कम करना है तो अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे और लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरूक करना होगा तभी जाकर हम अच्छे भविष्य की कामना कर सकते है.

Paragraph on Pollution in Hindi 250 Words

प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है यह सिर्फ हमारे देश की नहीं यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है जिसकी चपेट में पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु और अन्य निर्जीव पदार्थ भी आ गए है. इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहा है.

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति का संतुलन खराब होना जीवन के लिए जरूरी चीजों का दूषित हो जाना जैसे स्वच्छ जल नहीं मिलना, स्वच्छ वायु नहीं मिलना और प्रदूषित माहौल का पैदा होना.

पृथ्वी का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है और वातावरण में भी परिवर्तन आ रहा है कभी अत्यधिक वर्षा हो रही है तो कभी सूखा पड़ रहा है ऋतु परिवर्तन असमय हो रहा है जो की यह दर्शा रहा है कि भविष्य में कितनी बड़ी समस्या दस्तक दे रही है.

प्रदूषण के कारण तरह-तरह की विकराल बीमारियां जन्म ले रही है जिसे कैंसर, डायबिटीज, अस्थमा, हृदय की बीमारी इत्यादि के कारण मानव की आयु कम हो गई है.

यह भी पढ़ें – जनसंख्या वृद्धि पर निबंध – Essay on Population in Hindi

वर्तमान में हर घर में कोई ना कोई बीमार है और दवाईयां लेकर अपना जीवन यापन कर रहा है. प्रदूषण के कारण जीव जंतु में इसकी चपेट में आ गए हैं जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां तो विलुप्त हो चुकी है और कुछ विलुप्त होने की कगार पर है.

हमारे जीवन प्रणाली कुछ इस प्रकार की हो गई है कि हमें पैसों और तरक्की के अलावा कुछ और दिखाई नहीं दे रहा है.

हमें प्रदूषण को बढ़ने से रोकना होगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान नहीं होगा हमें प्रदूषण को कम करने के लिए सबसे पहले लोगों को जागरूक करना होगा.

किसी भी प्रकार के प्रदूषण को अगर कम करना है तो हमारा पहला कदम पेड़ों की कटाई रोकना होना चाहिए और जितना हो सके पेड़ लगाने होंगे.

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प्रस्तावना –

वर्तमान में प्रदूषण ने बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया है. इसके कारण बड़े महानगरों में जीवन बहुत कठिन हो गया है यहां पर हर दिन कोई ना कोई नई बीमारी जन्म ले रही है.

प्रदूषण इतनी तेजी से फैल रहा है कि आजकल तो ऐसा लग रहा है कि यह हमारे जीवन का हिस्सा सा बन गया है. प्रदूषण के कारण केवल मनुष्य का ही जीवन प्रभावित नहीं हुआ है इसके कारण वन्य जीव जंतुओं और पृथ्वी के वातावरण में भी बदलाव आया है.

प्रदूषण के प्रकार –

प्रदूषण को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मुख्यतः तीन भागों में बाटा गया है इसके अलावा भी बहुत प्रकार के प्रदूषण होते है –

वायु प्रदूषण – हवा में प्रदूषित कारको के मिश्रण के कारण वायु प्रदूषण होता है वायु प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआं, कल कारखानों और चिमनीओं से निकलने वाला धुआं, धूल उड़ने से, वस्तुओं के सड़ने से उत्पन्न हुई दुर्गंध, पटाखों इत्यादि कारणों से वायु प्रदूषण फैलता है.

जल प्रदूषण – जल में कई प्रकार के हानिकारक केमिकल्स, जीवाणु इत्यादि मिलने के कारण जल प्रदूषण होता है जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत फैक्ट्री और कारखानों से निकलने वाला प्रदूषित जल का नदियों और तालाबों में मिलना, गटर लाइन को नदियों में छोड़ना, जल में प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थ डालने के कारण जल प्रदूषण फैलता है.

ध्वनि प्रदूषण – सुनने की एक सीमा से अधिक तीखी और असहनीय आवाज ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आता है. ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत – लाउडस्पीकर, वाहनों का हॉर्न, मशीनों की आवाज, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि है जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण फैलता है.

प्रदूषण की रोकथाम के उपाय –

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नहीं अधिक मात्रा में पेड़ लगाने चाहिए साथ ही जहां पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है वहां पर रोक लगानी चाहिए. वायु प्रदूषण को फैलाने वाले उद्योग धंधों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे कम प्रदूषण हो.

जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें साफ सफाई की ओर अधिक ध्यान देना होगा हम नदियों तालाबों में ऐसे ही कचरा डाल देते है. जल प्रदूषण के लिए जो भी फैक्ट्रियां और कारखाने जिम्मेदार है उनको बंद कर देना चाहिए.

ध्वनि प्रदूषण अधिकतर मानव द्वारा ही किया जाता है इसलिए अगर हम स्वयं हॉर्न बजाना बंद कर दें और मशीनों की नियमित रूप से अगर देखभाल करें तो उन से आवाज नहीं आएगी और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी.

उपसंहार –

हमारी पृथ्वी पर प्रदूषण जिस तरह से बढ़ रहा है आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी पृथ्वी का पूरा वातावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन संकट में पड़ सकता है.

अगर हमें प्रदूषण को कम करना है तो सर्वप्रथम हमें स्वयं को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण के कारण हो रही हानियों के बारे में अवगत कराना होगा.

जब तक हमारे पूरे देश के लोग जागरुक नहीं होंगे तब तक किसी भी प्रकार के प्रदूषण को कम करना मुमकिन नहीं है.

Essay on Pollution in Hindi 2000 Words

रूपरेखा –

प्रदूषण आज भारत की ही नहीं संपूर्ण विश्व की समस्या है बढ़ते हुए प्रदूषण को देखकर सभी देश इससे चिंतित है. आज संसार की लगभग सभी वस्तुएं चाहे वह सजीव है या निर्जीव किसी न किसी रूप में प्रदूषित होती जा रही है.

जल, वायु, मृदा तथा संपूर्ण भूमंडल प्रदूषण की चपेट में आ गया है. आए दिन प्रदूषण के कारण कोई ना कोई समस्या या फिर नई बीमारियां उत्पन्न होती रहती है.

कारखानों से गैस रिसने, परमाणु संयंत्रों से रेडियोधर्मिता के बढ़ने, नदियों, तालाबों, समुद्रों में कारखानों और फैक्ट्रियों से निकले विषाक्त केमिकल्स और गंदे पानी के मिलने से पूरा वातावरण प्रदूषित हो रहा है.

आज हम सिर्फ अपनी प्रगति की ओर ध्यान दे रहे है लेकिन प्रकृति की जरा भी चिंता नहीं कर रहे है. विज्ञान ने आज बहुत तरक्की कर ली है लेकिन प्रदूषण को रोकने में आज भी सफल नहीं हो पाई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व के सभी देशों को बार-बार चेतावनी दी जा रही है लेकिन फिर भी प्रदूषण के बढ़ने पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा रही है.

हमारे भारत देश को तो जात-पात और आरक्षण से ही फुर्सत नहीं मिल रही है तो वह पर्यावरण के बारे में क्या सोचेगा.

प्रदूषण क्या है –

हमारे स्वच्छ वातावरण में किसी भी प्रकार की गंदगी का घूमना प्रदूषण की श्रेणी में आता है प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे जल, हवा, ध्वनि, मृदा प्रमुख है.

इनमें से अगर कोई भी घटक प्रदूषित होता है तो उसका सीधा असर पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं, मनुष्यों और निर्जीव वस्तुओं पर बुरा असर पड़ता है.

प्रदूषण के प्रकार और दुष्प्रभाव –

जल प्रदूषण –

वर्तमान में जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या है वर्तमान में हमारे सभी प्रमुख नदियां जैसे गंगा यमुना चंबल इत्यादि सभी गंदगी से अटी पड़ी है इनमें तरह-तरह का प्लास्टिक और अन्य कचरा पड़ा हुआ है.

कुछ स्थानों पर तो ऐसा लगता है कि नदी में जल की जगह कचरा बह रहा है, कुछ लोग अपनी नित्य क्रिया, कपड़े धोने, जानवरों को नहलाना भी नदियों के पास करते है जिसके कारण उनका जल दूषित हो जाता है.

इससे भी बड़ी चिंता का विषय यह है कि कल कारखानों और फैक्ट्रियों से निकला जहरीला और केमिकल युक्त पानी भी नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है.

एक ताजा आंकड़े के अनुसार हमारे देश में प्रदूषित जल पीने की वजह से प्रति घंटे लगभग 73 लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.

जल प्रदूषण को बढ़ाने में हमारी सरकारें भी कम नहीं है क्योंकि गटर से निकलने वाला पानी अक्सर नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण पूरा जल प्रदूषित हो जाता है.

जो जल को जहरीला बना देता है जिसके कारण नदी में रहने वाले जीवों का जीवन संकट में पड़ जाता है और यही जहरीला जल हमें पीने को मिलता है जिसके कारण तरह-तरह की बीमारियां फैलती है.

वायु प्रदूषण –

वायु प्रदूषण चिंता का विषय है क्योंकि विश्व में सबसे विश्व में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष दश में हमारे देश के ही शहर आते है.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश में वायु प्रदूषण किस तेजी से बढ़ रहा है. हमारे देश में हर साल वायु प्रदूषण की वजह से 12.4 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.

वायु प्रदूषण सामान्यतः वाहनों से निकलने वाले धुएं, कल कारखानों और चिमनियो का धुँआ, कोयले का धुँआ, घरों से निकलने वाला धुआं, फसलों की पराली जलाने से निकला धुँआ इत्यादि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण है.

वायु प्रदूषण का एक अन्य प्रमुख कारण यह भी है कि दिन प्रतिदिन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है और शहरीकरण बढ़ रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.

वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा कैंसर चर्म रोग आंखों में जलन हृदय संबंधी बीमारियां हो जाती है जिसके कारण मानव और अन्य जीव जंतुओं की असमय मृत्यु हो जाती है.

वायु प्रदूषण से हमारा वातावरण भी प्रभावित होता है पेड़ पौधे मुरझा जाते है जिसके कारण और अत्यधिक वायु प्रदूषण होने लग जाता है

ध्वनि प्रदूषण –

ध्वनि प्रदूषण लाउडस्पीकर, हॉर्न, वाहनों की खड़ खड़ाहट, मशीनों की आवाज, हवाई जहाज की आवाज, कंस्ट्रक्शन का कार्य, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि कारणों से ध्वनि प्रदूषण होता है,

लेकिन ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत मानव जनित कार्यों से ही होता है. मानव अगर सीमित ध्वनि से ज्यादा की आवाज में अधिक समय तक रहता है तो वह बहरा भी हो सकता है साथ ही वह अपना मानसिक संतुलन भी हो सकता है.

वर्तमान में लोग हर जगह शादियों, पार्टियों, किसी भी प्रकार के प्रचार में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं जो कि ध्वनि प्रदूषण को बहुत अधिक बढ़ा देता है.

ध्वनि प्रदूषण के कारण बच्चे और बूढों को अधिक परेशानी होती है. ध्वनि प्रदूषण जीव-जंतुओं की दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या को भी प्रभावित करता है.

मृदा प्रदूषण –

मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण मानव के द्वारा किए गए कार्य ही हैं क्योंकि मानव अपनी थोड़े से लोभ के लिए प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को बढ़ावा देता है.

मानव फैक्ट्रियों और कल कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ या तो मृदा में गाड़ देते है या फिर ऐसे ही फेंक देते है जिसके कारण वहां की भूमि धीरे धीरे बंजर होने लग जाती है.

वर्तमान में प्लास्टिक के कारण बहुत अधिक मृदा प्रदूषण हो रहा है क्योंकि प्लास्टिक से हर वक्त जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो की पूरी भूमि को जहरीला बना देते है.

खेतों में इस्तेमाल होने वाली यूरिया खादो का उपयोग भी बहुत अधिक बढ़ गया है जिसके कारण भूमि प्रदूषित हो जाती है.

इन सब का असर मानव स्वास्थ्य पर ही होता है क्योंकि भूमि से उत्पन्न होने वाला अनाज और सब्जियों में जहरीले केमिकल्स मिल जाते है जिससे मानव स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसीलिए आज तरह-तरह की बीमारियां फैल रही है.

प्रकाश प्रदूषण –

दिन और रात प्राकृतिक क्रिया है अगर इनमें कोई बदलाव आता है तो वह पूरी प्रकृति को प्रभावित करता है. वर्तमान में विज्ञान की प्रगति के कारण बिजली का बहुत अधिक उपयोग हो रहा है.

और आजकल अधिक रोशनी वाली लाइटो का उपयोग किया जाता है जिसके कारण रात में भी दिन जैसा लगता है. बढ़ते हुए शहरीकरण के कारण रात में भी बहुत अधिक उजाला रहता है. जिसके कारण वन्य जीव जंतुओं को बहुत अधिक परेशानी होती है उनकी पूरी दिनचर्या इसके कारण बिगड़ जाती है. प्रकाश प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है इसके कारणों से पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है.

रेडियोधर्मिता प्रदूषण –

रेडियोएक्टिव विकिरणों से फैलने वाला प्रदूषण रेडियोधर्मिता प्रदूषण कहलाता है. यह प्रदूषण आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक खतरनाक होता है.

इसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति या अन्य कोई जीव जंतु कि कुछ ही समय में मृत्यु हो जाती है.

यह प्रदूषण सामान्यत है परमाणु बम, परमाणु बिजली घर से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ से होता है. यह प्रदूषण जहां भी फैलता है वहां पर जीवन का नामोनिशान मिट जाता है.

थर्मल प्रदूषण –

वर्तमान में थर्मल प्रदूषण बहुत अधिक तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि जैसे जैसे लोगों की जरूरत है बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे तरह-तरह की फैक्ट्रियां लग रही है जिनमें जल का उपयोग कई प्रकार के पदार्थों और अन्य वस्तुओं को ठंडा रखने में किया जाता है.

जिसके कारण वह जल बहुत अधिक गर्म हो जाता है और वह सीधा नदियों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण अचानक जल के तापमान में बदलाव हो जाता है. इससे नदियों में रहने वाले जीवो की मृत्यु हो जाती है.

प्रदूषण संतुलन के उपाय –

पेड़ लगाना –

हमारी पृथ्वी को अगर प्रदूषण से बचाना है तो हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे और जो भी लोग पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रही है उन पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें रोकना होगा.

पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हमें ऑक्सीजन देते हैं अगर पेड़ ही नहीं होंगे तो हमें ऑक्सीजन नहीं मिलेगी और हमारा जीवन समाप्त हो जाएगा.

आज ही प्रण ले अपने हर जन्मदिन पर कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं.

प्लास्टिक का उपयोग बंद करना –

वर्तमान में हमारे जीवन के साथ प्लास्टिक कैसे जुड़ गया है जैसे जल और हवा हो, हर वस्तु में प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. प्लास्टिक से हजारों वर्षों तक जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो कि जल, वायु एवं पूरे वातावरण को प्रदूषित करता है.

हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा, सरकार भी प्लास्टिक पर पाबंदी लगा रही है लेकिन जब तक हम जागरूक नहीं होंगे तब तक प्लास्टिक का उपयोग बढ़ता रहेगा.

कार पुलिंग को बढ़ावा दे –

वाहनों की संख्या बढ़ने के कारण ईंधन की खबर भी बहुत अधिक हो गई है और इसके कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण हो रहा है. आजकल हर व्यक्ति अपना वाहन लेकर चलता है जो कि वायु प्रदूषण की समस्या को और बढ़ा देता है.

अगर हम पब्लिक वाहनों का उपयोग करें और अगर एक ही ऑफिस में जाते हैं तो एक कार में ही बैठकर जाएंगे से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण भी कम होगा.

ऊर्जा का सही इस्तेमाल करें –

हमें ऊर्जा का सही इस्तेमाल करना होगा बिना वजह ऊर्जा का उपयोग करने से हर प्रकार का प्रदूषण घटता है क्योंकि जितने भी प्रकार के हम इंजन देखते है उन्हें बनाने में बहुत प्रदूषण फैलता हैऔर अपशिष्ट पदार्थ भी निकलता है जो कि जहरीला होता है.

नदियों को साफ करें –

हम सबको मिलजुल कर नदियों तालाबों और समुद्रों को साफ करना होगा, क्योंकि वही से हमें पीने के लिए जल मिलता है और अन्य प्राणियों को भी जल मिलता है.

अगर यही जल जहरीला होने लगा तो तरह-तरह की बीमारियां फैल जाएंगी जो की महामारी का रूप भी ले सकती है इसलिए हमें कूड़ा करकट नदियों और तालाबों में नहीं डालना चाहिए.

वाहनों/मशीनों का रखरखाव पर ध्यान दें –

वाहनों और मशीनों का रखरखाव करना बहुत जरूरी है अगर इनका रखरखाव नहीं किया जाए तो इनसे बहुत अधिक मात्रा में ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी होता है.

हम कुछ रुपए बचाने के लिए अपने पर्यावरण को प्रदूषित कर देते है यह बहुत ही चिंता का विषय है इसलिए हमेशा समय समय पर वाहनों और मशीनों का रखरखाव जरूरी है.

यूरिया खाद का उपयोग कम करे –

किसानों द्वारा खेतों में अधिक पैदावार के लिए यूरिया खाद का उपयोग किया जा रहा है जो की फसल की पैदावार तो अच्छी कर देती है लेकिन भूमि को बंजर कर देती है और साथ ही उस फसल में भी कई प्रकार के जहरीले पदार्थ आ जाते है.

जो सीधे हमारे शरीर में जाते हैं और हमारा स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसलिए किसानों को यूरिया खाद का उपयोग कम करना चाहिए और प्राकृतिक खाद का उपयोग करना चाहिए.

कड़े नियम कानून बनाएं –

भारतीय सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं लेकिन उन कानूनों कि सही से पालना नहीं होने के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों की पालना सही से हो रही है या नहीं.

भारतीय सरकार को प्रदूषण के खिलाफ और कड़े कानून बनाने चाहिए क्योंकि अगर प्रकृति ही नहीं रहेगी तो हम भी नहीं रहेंगे इसलिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी है.

प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाएं –

हम सबको मिलजुल कर प्रदूषण के प्रति जागरुकता फैलाने होगी क्योंकि ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग यह जानते हैं कि क्या करने से प्रदूषण फैलता है फिर भी वे इस और ध्यान नहीं देते और प्रदूषण फैलाते है.

हमें लोगों को समझाना होगा कि अगर हम यूं ही प्रदूषण फैलाते रहे तो आगे आने वाली पीढ़ी का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा. साथ ही प्रदूषण के कारण हमारा पूरा पर्यावरण भी नष्ट हो रहा है.

इसलिए हमें शहर शहर गांव गांव जाकर लघु नाटको और अन्य तरीकों से लोगों को प्रदूषण के बारे में बताना होगा तभी जाकर प्रदूषण को रोका जा सकता है.

हमारे देश में पर्यावरण प्रदूषण के निराकरण के लिए सरकार ने कई कदम उठाए है, हमारी सरकार ने मध्य प्रदेश में प्रदूषण संस्थान की स्थापना की है जोकि प्रत्येक वर्ष सरकार को प्रदूषण संबंधी जानकारियां देंगी.

जो भी व्यक्ति या संस्थान प्रदूषण बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है उन पर सख्त कार्यवाही की जा रही है. वर्तमान में छोटे छोटे शहरों में भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे है. साथ ही प्रत्येक वर्ष वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाए जा रहे.

अगर हम सब भी पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सहयोग करें तो वह दिन दूर नहीं जब पर्यावरण में संतुलन आ जाएगा और मानव जीवन के साथ साथ अन्य प्राणियों का जीवन भी खतरे से बाहर हो जाएगा.

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Pollution in Hindi  आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

Table of Content

पर्यावरण प्रदुषण पर निबंध ENVIRONMENTAL POLLUTION ESSAY IN HINDI

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

जनसंख्या वृद्धि increased population.

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय how to control pollution in hindi, निष्कर्ष conclusion.

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प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English : Pollution Essay In Hindi: Air, earth, water, Soil are important elements of life on earth.

but in the present world Pollution is a global problem. its rising day by day by our cause and their bedside effects face our upcoming generation.

pradushan par nibandh in this 150, 200, 250, 300, 500, 800 and 1000 words Essay On Pollution for students and kids.

they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 talking about Essay On Pollution In Hindi And English language for free and you can download this Pollution in India essay pdf file.

let us begin Pollution In Hindi in our second part of the paragraph before this read  Pollution essay English.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

Introduction- by the term pollution, we mean the rotten stage or the destruction of the purity of some things.

these days, it is mainly used for the pollution of natural environment i.e Earth, water, noise and Air.

Main Cause Of pollution In our Life

water pollution-  wastage of oil refineries and atomic plants is dumped into the rivers and the seas. nearly the wastage and leftover of all of our mills and factories is drained into the river.

dirty water containing fifth form our houses add to the pollution. this water lacks oxygen. thus the river water is polluted and the fish and allied creatures living in the water die away.

air pollution-

we Along with other living beings pollute the air when we outhale our breathing.

the smoke coming out of the Chemical of factories, mills, workshops, hearths and airways system modern navigate the system, generator sets, railway engines ass to it. like other persons you also must be owning a vehicle.

the smoke coming out of their silencers make matter from bad to worse. dr. vibes have written that every year nearly sixty-ton carbon goes up and gathers in the atmosphere.

the air pollution may cause lungs cancer, asthma and other slow dangerous directly concerned out system.

nitrogen oxide cause diseases of lungs, hearts, skin, and eyes. ozone cause pain chest, cough, and eye disease. even sometimes non-curable skin diseases are caused by it.

noise pollution-  the roaring vehicles, thundering machines and allied loud sound cause noise pollution.

dr. vibasi has observed that the noise of 95 decibels may increase systolic blood pressure and diastolic blood pressure up to 7 ml. and 3 ml. respectively.

Earth pollution – discharge of urine and excreta as well as spitting here and there, throwing the garbage on streets instead of putting in the dustbin,

the blowing of wind full of garbage, dirt and sand, the falling of garbage in bites here and there from the overloaded municipal carts and trucks add to earth pollution.

Pollution Solution-  it is our duty to use water carefully according to our needs so that the least possible water be polluted.

instead of falling the polluted water into rivers and seas, it should be stored in the barren piece of land away from the populated area.

the use of fuel given out smoke should be minimized. the engine’s such a way as the pollution exhaust be negligible.

machinery bearing the I.S.I. mark of trusted firms should be brought into use to reduce noise pollution.

in the context of earth pollution, human waste should be kept in the dustbin. for spitting, bathing and discharging etc. only proper places should be used.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi

सामान्य अर्थ में प्रदूषण का अर्थ बर्बाद तथा किसी भी वस्तु के बिगड़े हुए स्वरूप को कहा जाता है. जिसके कारण उस वस्तु के मौलिक तत्वों का विनाश हो जाता है. विभिन्न प्रकार के ये प्रदूषण आज मुख्य रूप से विद्यमान है. भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि.

प्रदूषण का के मुख्य कारण

जल प्रदूषण-

तेल रिफाइनरियों और परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले जल व अपशिष्टों को नदियों और समुद्रों में फेंक दिया जाता है। लगभग सभी मिलों और कारखानों का अपशिष्ट और बचे हुए नदी को नदी में निकाला जाता है।

इसके अतिरिक्त घरों से निकलने वाले नाले भी इन जल स्रोतों में मिला दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है तथा उसमें रहने वाले जलीय जीव मर जाते है.

वायु प्रदुषण-

कल कारखानों, मीलों, वाहनों तथा हवाई जहाजो से निकलने वाला धुआं हमारे वायु मंडल को दूषित करता है. किसी बाहरी कारक के कारण वायु के भौतिक तत्वों में बदलाव आना ही वायु प्रदूषण कहलाता है. मुख्य रूप से धुआ सबसे अधिक वायु प्रदूषण को फैलाता है.

पुराने तथा डीजल से चलने वाले वाहन सबसे अधिक प्रदूषण फैलाते है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि हर साल लगभग साठ टन कार्बन ऊपर जाता है और वातावरण में इकट्ठा होता है। वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा जैसे रोग वायु प्रदूषण के फलस्वरूप फैलते है.

नाइट्रोजन ऑक्साइड फेफड़ों, दिल, त्वचा, और आंखों की बीमारियों का कारण बनता है। ओजोन छाती में दर्द , खांसी, और आंख की बीमारी का कारण बनती है।

ध्वनि प्रदूषण-

तेज गर्जन करने वाले वाहन, वातानुकूलित मशीनों और जनरेटर से निकलने वाली कर्णकटू ध्वनि ही ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि 95 डेसिबल का शोर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को क्रमशः 7 मिलीलीटर, 3 मिलीलीटर तक बढ़ा सकता है।

भूमि प्रदूषण –

मूत्र और उत्सर्जन के निर्वहन के साथ-साथ यहां-वहां थूकने, कूड़े करकट को कचरापात्र  में डालने की बजाए सड़कों पर कचरा फेंकना, गंदगी और रेत से भरी हवा चलने, इधर उधर कचरा डालना ओवरलोडेड नगरपालिका गाड़ियां और ट्रक भूमि प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

हमारी जरूरतों के हिसाब से पानी का सावधानीपूर्वक उपयोग करना हमारा कर्तव्य है ताकि कम से कम जल प्रदूषित हो। प्रदूषित पानी को नदियों और समुद्रों में गिरने के बजाय, इसे आबादी वाले इलाके से दूर भूमि के बंजर भाग में प्रवाहित करना चाहिए।

अधिक प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के उपयोग को कम किया जाना चाहिए। समय समय पर अपनी गाडी के इंजन की मरम्मत करवानी चाहिए.

नई बिल्डिंग अथवा फैक्ट्री को आबादी से दूर तथा शौर को कम करने वाले संयंत्रो का उपयोग करना चाहिए. कचरा हमेशा कचरा पात्र में ही डाले. गंदे पानी को जल स्रोतों में कभी न डाले, यदि ऐसा कोई करता है तो इसकी शिकायत करे.

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Pollution Problem And Solution Essay In Hindi

प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – Pollution Problem And Solution Essay In Hindi

प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – essay on pollution problem and solution in hindi.

“आज हमारा वायुमण्डल अत्यधिक दूषित हो चुका है, जिसकी वजह से मानव का जीवन खतरे में आ गया है। आज यूरोप के कई देशों में प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है, जिसके कारण वहाँ कभी–कभी अम्ल–मिश्रित वर्षा होती है। ओस की बूंदों में भी अम्ल मिला रहता है। यदि समय रहते हुए हमने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो एक दिन विश्व में संकट छा जाएगा।”

–’खनन भारती से उद्धृत

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – Pradooshan Kee Samasya Aur Samaadhaan Par Laghu Nibandh

  • प्रदूषण का अर्थ,
  • विभिन्न प्रकार के प्रदूषण– (क) वायु–प्रदूषण, (ख) जल–प्रदूषण, (ग) रेडियोधर्मी प्रदूषण, (घ) ध्वनि–प्रदूषण, (ङ) रासायनिक प्रदूषण,
  • प्रदूषण पर नियन्त्रण,

प्रदूषण का अर्थ– प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं में होनेवाला वह अवांछनीय परिवर्तन है, जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जन्तुओं, पौधों, औद्योगिक संस्थानों तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुंचाता है।

जीवधारी अपने विकास और व्यवस्थित जीवनक्रम के लिए एक सन्तुलित वातावरण पर निर्भर करते हैं। सन्तुलित वातावरण में प्रत्येक घटक एक निश्चित मात्रा में उपस्थित रहते हैं। कभी–कभी वातावरण में एक अथवा अनेक घटकों की मात्रा कम अथवा अधिक हो जाया करती है या वातावरण में कुछ हानिकारक घटकों का प्रवेश हो जाता है। परिणामत: वातावरण दूषित हो जाता है, जो जीवधारियों के लिए किसी–न–किसी रूप में हानिकारक सिद्ध होता है। इसे ही प्रदूषण कहते हैं।

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण–प्रदूषण की समस्या का जन्म जनसंख्या की वृद्धि के साथ–साथ हुआ है। विकासशील देशों में औद्योगिक एवं रासायनिक कचरे ने जल ही नहीं, वायु और पृथ्वी को भी प्रदूषित किया है। भारत जैसे देशों में तो घरेलू कचरे और गन्दे जल की निकासी का प्रश्न ही विकराल रूप से खड़ा हो गया है।

विकसित और विकासशील सभी देशों में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण विद्यमान हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

(क) वायु–प्रदूषण–वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें एक विशेष अनुपात में उपस्थित रहती हैं। जीवधारी अपनी क्रियाओं द्वारा वायुमण्डल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बनाए रखते हैं। अपनी श्वसन प्रक्रिया द्वारा हम ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते रहते हैं।

हरे पौधे प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन निष्कासित करते रहते हैं। इससे वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बना रहता है, किन्तु मानव अपनी अज्ञानता और आवश्यकता के नाम पर इस सन्तुलन को बिगाड़ता रहता है। इसे ही वायु–प्रदूषण कहते हैं।

वायु–प्रदूषण का मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे श्वास सम्बन्धी बहुत–से रोग हो जाते हैं। इनमें फेफड़ों का कैंसर, दमा और फेफड़ों से सम्बन्धित दूसरे रोग सम्मिलित हैं। वायु में विकिरित अनेक धातुओं के कण भी बहुत–से रोग उत्पन्न करते हैं। सीसे के कण विशेष रूप से नाडीमण्डल सम्बन्धी रोग उत्पन्न करते हैं।

कैडमियम श्वसन–विष का कार्य करता है, जो रक्तदाब बढ़ाकर हृदय सम्बन्धी बहुत–से रोग उत्पन्न कर देता है। नाइट्रोजन ऑक्साइड से फेफड़ों, हृदय और आँखों के रोग हो जाते हैं। ओजोन नेत्र–रोग, खाँसी ए की दुःखन उत्पन्न करती है। इसी प्रकार प्रदूषित वायु एग्जीमा तथा मुँहासे आदि अनेक रोग उत्पन्न करती है।

(ख) जल–प्रदूषण–सभी जीवधारियों के लिए जल बहुत महत्त्वपूर्ण और आवश्यक है। पौधे भी अपना भोजन जल के माध्यम से ही प्राप्त करते हैं। जल में अनेक प्रकार के खनिज तत्त्व, कार्बनिक–अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं। यदि जल में ये पदार्थ आवश्यकता से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाते हैं तो जल प्रदूषित होकर हानिकारक हो जाता है।

केन्द्रीय जल– स्वास्थ्य इंजीनियरिंग अनुसन्धान संस्थान’ के अनुसार भारत में प्रति 1,00,000 व्यक्तियों में से 360 व्यक्तियों की मृत्यु आन्त्रशोथ (टायफाइड, पेचिश आदि) से होती है, जिसका कारण अशुद्ध जल है। शहरों में भी शत–प्रतिशत निवासियों के लिए स्वास्थ्यकर पेयजल का प्रबन्ध नहीं है।

देश के अनेक शहरों में पेयजल किसी निकटवर्ती नदी से लिया जाता है और प्रायः इसी नदी में शहर के मल–मूत्र और कचरे तथा कारखानों से निकलनेवाले अवशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित कर दिया जाता है, परिणामस्वरूप हमारे देश की अधिकांश नदियों का जल प्रदूषित होता जा रहा है।

(ग) रेडियोधर्मी प्रदूषण–परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षण के फलस्वरूप जल, वायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण निरन्तर बढ़ता जा रहा है। यह प्रदूषण आज की पीढ़ी के लिए ही नहीं, वरन् आनेवाली पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक सिद्ध होगा। परमाणु विस्फोट के समय उत्पन्न रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमण्डल की बाह्य परतों में प्रवेश कर जाते हैं, जहाँ पर वे ठण्डे होकर संघनित अवस्था में बूंदों का रूप ले लेते हैं और बहुत छोटे–छोटे धूल के कणों के रूप में वायु के झोंकों के साथ समस्त संसार में फैल जाते हैं।

द्वितीय महायुद्ध में नागासाकी तथा हिरोशिमा में हुए परमाणु बम के विस्फोट से बहुत–से मनुष्य अपंग हो गए थे। इतना ही नहीं, इस प्रकार के प्रभावित क्षेत्रों की भावी सन्तति भी अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो गईं।

(घ) ध्वनि–प्रदूषण–अनेक प्रकार के वाहन; जैसे मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर बाजे एवं कारखानों के सायरन व विभिन्न प्रकार की मशीनों आदि से ध्वनि–प्रदूषण उत्पन्न होता है। ध्वनि की तरंगें जीवधारियों की क्रियाओं को प्रभावित करती हैं।

अधिक तेज ध्वनि से मनुष्य के सुनने की शक्ति का ह्रास होता है और उसे ठीक प्रकार से नींद भी नहीं आती। यहाँ तक कि ध्वनि–प्रदूषण के प्रभावस्वरूप स्नायुतन्त्र पर कभी–कभी इतना दबाव पड़ जाता है कि पागलपन का रोग उत्पन्न हो जाता है।

(ङ) रासायनिक प्रदूषण–प्रायः कृषक अधिक पैदावार के लिए कीटनाशक, शाकनाशक और रोगनाशक दवाइयों तथा रसायनों का प्रयोग करते हैं। इनका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। आधुनिक पेस्टीसाइड्स का अन्धाधुन्ध प्रयोग भी लाभ के स्थान पर हानि ही पहुँचा रहा है।

जब ये रसायन वर्षा के जल के साथ बहकर नदियों द्वारा सागर में पहुँच जाते हैं तो ये समुद्री जीव–जन्तुओं तथा वनस्पति पर घातक प्रभाव डालते हैं। इतना ही नहीं, किसी–न–किसी रूप में मानव–शरीर भी इनसे प्रभावित होता है।

प्रदूषण पर नियन्त्रण– पर्यावरण में होनेवाले प्रदूषण को रोकने व उसके समुचित संरक्षण के लिए विगत कुछ वर्षों से समस्त विश्व में एक नई चेतना उत्पन्न हुई है। औद्योगीकरण से पूर्व यह समस्या इतनी गम्भीर कभी नहीं हुई थी और न इस परिस्थिति की ओर वैज्ञानिकों व अन्य लोगों का उतना ध्यान ही गया था, किन्तु औद्योगीकरण और जनसंख्या दोनों ही की वृद्धि ने संसार के सामने प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न कर दी है।

प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी दोनों ही स्तरों पर प्रयास आवश्यक हैं। जल–प्रदूषण के निवारण एवं नियन्त्रण के लिए भारत सरकार ने सन् 1974 ई० से ‘जल–प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम’ लागू किया है।

इसके अन्तर्गत एक ‘केन्द्रीय बोर्ड’ व सभी प्रदेशों में ‘प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड’ गठित किए गए हैं। इन बोर्डों ने प्रदूषण नियन्त्रण की योजनाएँ तैयार की हैं तथा औद्योगिक कचरे के लिए भी मानक निर्धारित किए हैं।

उद्योगों के कारण उत्पन्न होनेवाले प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय यह लिया है कि नए उद्योगों को लाइसेंसू दिए जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निस्तारण की समुचित व्यवस्था तथा पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति भी प्राप्त करनी ग्री। इसी प्रकार उन्हें धुएँ तथा अन्य प्रदूषणों के समुचित ढंग से निष्कासन और उसकी व्यवस्था का भी दायित्व लेना होगा।

वनों की अनियन्त्रित कटाई को रोकने के लिए कठोर नियम बनाए गए हैं। इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं कि नए वनक्षेत्र बनाए जाएँ और जनसामान्य को वृक्षायण के लिए प्रोत्साहित किया जाए। पर्यावरण के प्रति जागरूकता से ही हम आनेवाले समय में और अधिक अच्छा एवं स्वास्थ्यप्रद जीवन व्यतीत कर सकेंगे और आनेवाली पीढ़ी को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्ति दिला सकेंगे।

उपसंहार– जैसे–जैसे मनुष्य आपदी वैज्ञानिक शक्तियों का विकास करता जा रहा है, प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। विकसित देशों द्वारा वातावरण का प्रदूषण सबसे अधिक बढ़ रहा है।

यह एक ऐसी समस्या है, जिसे किसी विशिष्ट क्षेत्र या राष्ट्र की सीमाओं में बाँधकर नहीं देखा जा सकता। यह विश्वव्यापी समस्या है, इसलिए सभी राष्ट्रों का संयुक्त प्रयास ही इस समस्या से मुक्ति पाने में सहायक हो सकता है।

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प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi 500 Words | PDF

Essay on pollution in hindi.

Essay on Pollution in Hindi 500 + Words (Download PDF) प्रदूषण पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। – प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं। प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है, तो आइये इस निबंध के माध्यम से हम तीन प्रकार के प्रमुख प्रदुषण के बारे में जानते है – Essay on Pollution in Hindi

मनुष्य ने अपने सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति पर विजय पाने के लिए उसके संतुलन को बिगाड़ना शुरू कर दिया है। प्रकृति पर हमला करने के लिए मनुष्य को विभिन्न रोगों के रूप में दंड मिला है। प्राचीन काल में जब मनुष्य और प्रकृति एक थे, तब शायद कोई बीमारी नहीं थी।

धीरे-धीरे जैसे-जैसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता गया, बीमारियां भी बढ़ती गईं। आज विज्ञान ने ऐसे उद्योगों, कारखानों, औजारों को जन्म दिया है, जिन्होंने प्रकृति के तत्वों में विकार पैदा हो गए हैं। प्रकृति के हर तत्व में प्रदूषण पैदा कर मनुष्य ने अपने लिए समस्याएं खड़ी कर लिया हैं।

प्रदूषण का मतलब

पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पर्यावरण है, जो आपस में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखता है। मानव शरीर को शुद्ध हवा और पानी की जरूरत होती है। मानव कान सीमित ध्वनि सुन सकता है। सभी इंद्रियां सीमित अनुभव करती हैं। यदि उन सभी में विकार उत्पन्न होता है, तो वे हमारे लिए प्रदूषण हैं।

आज वैज्ञानिक आविष्कारों ने प्रकृति की देन में एक भयानक अव्यवस्था पैदा कर दी है। वायु, जल, ध्वनि आदि हमारे दैनिक जीवन के लिए प्रदूषित हो गए हैं। अत्यधिक ध्वनि और प्रकाश कान और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सभी को इस तरह से दूषित करना प्रदूषण कहलाता है। आज प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि यह हमारे लिए एक भयानक और मुख्य समस्या बन गया है।

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वैसे तो प्रदूषण कई प्रकार के होते है, लेकिन उनमें से तीन प्रमुख प्रदूषण हैं – जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण।

प्रकृति ने हमें एक आवश्यक उपहार जल दिया है जिसके बिना हम लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारी नदियों में शुद्ध पानी बह रहा है। शुद्ध जल पृथ्वी के नीचे जमा हो रहा है। प्रकृति के सभी जल स्रोत मनुष्य के लिए बिल्कुल शुद्ध बने हुए हैं।

मनुष्य ने जल को भी शुद्ध नहीं रहने दिया है। पानी का मुख्य स्रोत नदी में नालों के माध्यम से शहरों और कस्बों का गन्दा पानी डाला जाता है। कारखानों और फैक्ट्रियों का पानी नदियों में डाला जाता है, जिससे नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि बिना सफाई के नहीं पिया जा सकता।

वायु प्रदुषण

प्रकृति ने हवा को बिल्कुल शुद्ध बनाया था, लेकिन आजकल परिवहन के साधन इतने बढ़ गए हैं कि वे हर समय जहरीला धुआं छोड़ते हैं जो वातावरण को प्रदूषित करता है। कारखानों, उद्योगों और व्यवसायों के विकास ने वायु प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

बड़े महानगरों में शाम के समय इतना वायु प्रदूषण होता है कि चारों तरफ धुंआ भर जाता है, जिसका असर सांस लेने की प्रक्रिया के साथ-साथ आंखों पर भी पड़ता है। प्रकृति द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण आवश्यक उपहार को मनुष्य ने इतना खराब कर दिया है कि आज यह एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके लिए दुनिया के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं।

ध्वनि प्रदूषण

आज विज्ञान ने लाउडस्पीकर के आविष्कार से ध्वनि को प्रदूषित कर दिया है। बसों, कारों, ट्रेनों और अन्य साधनों की आवाज़ ने बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरों में कई संगीत वाद्ययंत्र भी एक बड़ी कर्कश ध्वनि बनाते हैं।

इसके अलावा मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों से भी तेज ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण हमारे शरीर के कोमल ऊतकों को प्रभावित करता है। कानों पर बुरा असर पड़ता है। सिरदर्द और भारीपन बना रहता है। इस प्रकार ध्वनि प्रदूषण के कारण अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोग उत्पन्न होते हैं।

ये भी देखें – Essay on environmental pollution in Hindi

इस समय सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण है, जिससे सब कुछ दूषित हो रहा है। वायु प्रदूषण को रोकना नितांत आवश्यक है। यदि वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नहीं किए गए, तो दुनिया में आपदा आ जाएगी। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे पहले हमें प्रकृति के श्रृंगार के रूप में पेड़ों की कटाई को रोकना होगा। पेड़ इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं जो हवा को शुद्ध करने का काम करते हैं। इसलिए हर क्षेत्र में पौधरोपण करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वायु प्रदूषण से बचना चाहिए।

उद्योग और कारखाने बस्ती से दूर रहें। इलेक्ट्रिक ट्रेनों, बसों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शहरों में इलेक्ट्रिक रेलवे का विस्तार किया जाना चाहिए। नदियों के पानी को शुद्ध रखने के लिए गंदे पानी की नालियों को खेतों में डाल देना चाहिए। ध्वनि प्रसारण उपकरणों की आवाज कम कर देनी चाहिए। इस संबंध में सरकार और वैज्ञानिकों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए और लोगों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए।

शुद्ध वायु, शुद्ध जल, शुद्ध भोजन, शुद्ध मौसम मनुष्य के लिए आवश्यक तत्व हैं। आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने स्थान पर प्रदूषण रोकना चाहिए। हम अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार पौधे लगाने चाहिए। अनावश्यक पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। गंदगी फैलाने की कोशिश न करें।

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Q&A. on Pollution in Hindi

प्रदूषण का कारण क्या है.

उत्तर – वायु प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं।

हम प्रदूषण को कैसे कम कर सकते हैं?

उत्तर – प्रदूषण को कम करने के कई उपाय है जैसे –

  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना।
  • पटाखों के प्रयोग से बचें।
  • उपयोग में न होने पर लाइट बंद कर दें।
  • एयर कंडीशनर की जगह पंखे का प्रयोग करें।
  • प्लास्टिक बैग को नहीं।
  • रीसायकल और पुन: उपयोग।
  • चिमनी के लिए फिल्टर का प्रयोग करें।
  • जंगल की आग और धूम्रपान में कमी।

प्रदूषण पृथ्वी को कैसे प्रभावित कर रहा है?

उत्तर – वायु प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है।

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केंद्र एव राज्य की सरकारी योजनाओं की जानकारी in Hindi

प्रदूषण पर निबंध | Essay On Pollution in Hindi | Pradushan Par Nibandh, 10 Lines

Essay On Pollution in Hindi

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में | Essay on Pollution in Hindi : वर्तमान समय में प्रदूषण से पूरे विश्व के लोग परेशान है एवं इससे होने वाली विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं इन समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए विश्व के सभी देश कई सारे उपाय का व्यवस्था कर रहे हैं |

जिससे प्रदूषण पर रोक लगाया जा सके विभिन्न देशों की तरह हमारा देश भी प्रदूषण समस्या से मुक्ति पाने के लिए कई सारे उपाय कर रहे हैं सबसे पहले हम जानेंगे प्रदूषण क्या होता है

साथ ही साथ साथ प्रदूषण के प्रकार  इससे होने वाले प्रभाव एवं इसके रोकथाम से संबंधित जानकारी को इस आर्टिकल में मैं आप लोगों को दूंगा एवं प्रदूषण पर निबंध लिखने की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे इसलिए आप लोगों से निवेदन है कि हमारी इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़े-

प्रदूषण पर निबंध (300 शब्द) Pradushan Par Nibandh

कुछ वर्ष पहले जब हम लोग अपने किसी परिवार के घर जाते थे तो वहां चारों तरफ हरियाली, एवं पेड़ पौधे एवं चिड़ियों का आवाज करना यह सारी चीज देखने को मिलती थी और मैदाने में एवं बगीचों में हम लोग खेलते थे वर्तमान समय में यह सब सारी चीज देखने को बहुत कम मिलती है

इस तरह के दृश्य अभी के बच्चों के लिए सपना ही हो गया पर्यावरण का निर्माण पेड़ पौधे जीव जंतु, पशु पक्षी, मनुष्य, जल, हवा, भूमि आदि  मिलकर होता है  इन सभी का पर्यावरण में एक महत्वपूर्ण स्थान है

प्रदूषण का प्रभाव

प्रदूषण का पृथ्वी के प्रत्येक वर्ग जीव जंतु मनुष्य एवं हर एक प्राणी पर हानिकारक प्रभाव होता है वातावरण में प्रदूषण होने के कारण मानव शरीर को विभिन्न तरीकों से हानिकारक प्रभाव करता है पर्यावरण में बढ़ती प्रदूषण के कारण मनुष्य का शरीर विभिन्न रोगों का शिकार हो रहा है बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी वर्ग इस प्रदूषण के प्रभाव के  चपेट में है

प्रदूषण के कारण हवा पानी भूमि सभी प्रदूषित हो गए हैं जिसके कारण हम लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल पाता है और यह दूषित पानी पीने से हमें कई तरह के रोग होते हैं

विभिन्न प्रकार के कल कारखानों से रासायनिक धुएं निकलती है जो हवा के साथ मिल  जाती है और जब हम लोग सांस लेते हैं तब वही हवा हमारे शरीर में हृदय रूपी रोग उत्पन्न करती है

हम लोग के द्वारा जगह-जगह कचरा फेंकी जाती है जिसके कारण मच्छर एवं मक्खियों का जन्म होता है और जिनके काटने से हमें कई प्रकार के रोग होते हैं

अगर हम लोगों को अपने भविष्य के पीढ़ी के जीवन को सुरक्षित करना है तो उन्हें एक स्वच्छ पर्यावरण देना होगा इसके लिए हम लोगों को प्रकृति के द्वारा दिए गए संसाधनों का सही उपयोग करना होगा प्रदूषण पर नियंत्रण करना या हमारे देश के नहीं बल्कि पूरे पृथ्वी हे लोगो की कार्य है ताकि पृथ्वी पर आने वाले पीढ़ी आरामदायक जीवन यापन कर सके |

प्रदूषण पर निबंध (500 शब्द) | Essay on Pollution in Hindi

सौरमंडल में कई प्रकार की ग्रह उपलब्ध होते हैं लेकिन पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जिसमें हवा मिट्टी पानी जैसी प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध होते हैं इनका खराब तरीके से उपयोग करने का मतलब अपने जीवन को खतरे में डालने के बराबर है दिन प्रतिदिन प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है अर्थात आपको अगर प्रदूषण पर कंट्रोल करना होगा तो सभी मनुष्य को एक साथ मिलकर अपना योगदान देना होगा

प्रदूषण पर्यावरण के कारण

प्रदूषण पर्यावरण के कुछ मुख्य कारण नीचे दिए गए हैं इसको अपने ध्यानपूर्वक पढ़े:-

1- आधुनिकीकरण : वर्तमान समय में दिन प्रतिदिन आधुनिकीकरण बड़ी तेजी के साथ हो रहा है लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है

2- वनों की कटाई : वर्तमान समय में वनों की कटाई बड़ी तेजी के साथ हो रही है इसका मुख्य कारण है जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसके कारण पेड़ पौधों की कमी दिन पर दिन होती जा रही है और पेड़ पौधे ही पर्यावरण को शुद्ध करते हैं क्योंकि पेड़ के पर्यावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है और ऑक्सीजन  को  निकलते  हैं

3- प्राकृतिक कारण : कभी-कभी  पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाएँ होती है जैसे कि मलाशय, बाढ़, भूकंप आदि| इन सभी आपदाओं के कारण प्रदूषण बढ़ता है इन आपदाओं के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, आदि होते हैं

4- परिवहन विस्तार : वर्तमान समय आप लोग देख रहे होंगे कि परिवहन का विस्तार जल मार्ग वायु मार्ग सड़क मार्ग तीनों मार्गो में भारी मात्रा में हुआ है जिसके कारण इन परिवारों के द्वारा जो धुएं निकलते हैं उन दिनों से हमारा वायु प्रदूषण होता है और यह प्रक्रिया दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसके कारण हम लोग के सामने एक बहुत बड़ा संकट पर्यावरण प्रदूषण उत्पन्न हुआ है

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय अथवा सुझाव

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय अथवा सुझाव कुछ इस प्रकार है जिसके द्वारा आप लोग पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में कुछ हद तक सफल रहेंगे जो निम्न है:-

●  जंगलों के कटाई पर रोक लगनी चाहिए

●  गंदी बस्तियों पर रोक लगनी चाहिए उचित आवास का व्यवस्था कर देनी चाहिए

●  वृक्षारोपण के लिए लोगों के अंदर जागरूकता पैदा करना होगा

●  पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा कई प्रकार के नियम लागू करनी चाहिए

●  पर्यावरण संबंधित शिक्षा स्कूलों में आरंभ करनी चाहिए

● साइकिल को प्राथमिकता देनी चाहिए

● खेतों में  रासायनिक खादो का उपयोग  काम करके जैविक खेती   को बढ़ावा देना चाहिए

पर्यावरण प्रदूषण का भविष्य पर प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव हमारे जीवन में काफी घातक हो सकते हैं पर्यावरण प्रदूषित होने से हमें सांस लेने में समस्या होगी जिसके लिए हम लोगों को प्रत्येक व्यक्ति को हमेशा अपने साथ ऑक्सीजन किट लेकर घूमना पड़ेगा स्वच्छ पानी पीने के लिए हमें भारी मात्रा में इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी

इसके अलावा मनुष्य का जीवन काल कम हो जाएगा और साथ ही साथ कई खतरनाक बीमारियों का शिकार भी हो जाएंगे हमें अपने जीवन यापन करने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा

पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण किसी देश विशेष की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है वर्तमान समय में नए-नए आधुनिकीकरण के कारण हमें तो आराम एवं आनंददायक महसूस होता है लेकिन दूसरी तरफ इसका प्रभाव काफी खतरनाक है क्योंकि इसके द्वारा हमारा परिवार में प्रदूषण बढ़ते जा रहे हैं इसलिए हम सभी को मिलकर इस पर्यावरण में प्रदूषण को रोकने के लिए उचित कदम उठानी होगी

प्रदूषण पर  हिंदी निबंध (750 शब्द) | Hindi Essay On Pollution

प्रकृति के द्वारा हम लोगों को कई तरह के संसाधन प्राप्त हुए हैं जैसे  इनमें पेड़ पौधे,वायु, जल, नदिया, पहाड़ ,जंगल, पशु पक्षी, जीव जंतु, आदि आते हैं  इन सभी संसाधनों का सुरक्षा करना हम लोगों का यानी मनुष्य का कर्तव्य है हम लोग इन प्राकृतिक संसाधनों के साथ जैसा व्यवहार करेंगे वैसा फल मिलेगा अगर हम लोग इन प्राकृतिक संसाधनों के साथ खराब व्यवहार करेंगे तो प्रदूषण बढ़ेगा और इस पृथ्वी पर निवास कर रहे हैं प्रत्येक वर्ग के लोगों को इसका भुगतान करना पड़ेगा

प्राकृतिक आपदाओं एवं घटनाओं एवं महामारियों के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है क्योंकि यह सारी चीज प्रदूषण के कारण होती है उदाहरण के लिए मैं आप लोगों को कोरोना जैसी महामारी बीमारी का उदाहरण लेते हैं जब हमारे देश में कोरोना का संकट था तब उसे समय हमारे देश की  सभी फैक्ट्री ,कल कारखाने ,यातायात के साधन अर्थात वाहन, बंद थी तब उसे समय हमारे देश का प्रदूषण काफी हद तक कम हो गया था अर्थात हम कह सकते हैं अगर हम प्राकृतिक संसाधनों का सुरक्षा करेंगे तभी प्राकृतिक संसाधन हमारी सुरक्षा करेगी

प्रदूषण क्या है ? What is Pollution

प्रदूषण क्या है मैं आप लोगों को सरल भाषा में बताता हूं कि जब हमारे प्राकृतिक संसाधनों में जैसे हवा पानी मिट्टी मैं कुछ खराब तत्व मिलकर उसे दूषित कर देते हैं  और इसका प्रभाव पेड़ पौधे जीव जंतु एवं मनुष्य आदि प्राकृतिक संसाधन  के  स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव पड़ता है तो उसी को प्रदूषण कहते हैं प्रदूषण एक गंभीर समस्या मानव जीवन के लिए खड़ी कर सकती है

अर्थात यह हम लोग का कर्तव्य है कि प्राकृतिक संसाधनों का सुरक्षा करना है  हम लोग के द्वारा किए गए जाने अनजाने में प्राकृतिक संसाधनों के साथ छेड़छाड़ को  सुधार करना पड़ेगा ताकि प्रदूषण के समस्या से हमें काफी राहत प्रदान हो पेड़ पौधे को ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करना होगा क्योंकि हम लोगों के द्वारा बीते कुछ वर्षों में पेड़ पौधे के कटनी और जंगलों की सफाई ज्यादा हुई है इसी तरह और भी कोई उपाय है जिसके द्वारा हम प्रदूषण को कंट्रोल कर सकते हैं

प्रदूषण के कारण

हमारी पृथ्वी पर प्रदूषण होने के कई कारण होते हैं इन्हीं कारणो  के कारण प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है यह प्रदूषण होने के कुछ बड़े कारण निम्नलिखित है जैसे:-

●  कम वृक्षारोपण

●   जंगल को  तेजी से काटना

●  प्रकृति के साथ छेड़छाड़

●  कल कारखाने ,वाहन एवं मशीनों के कारण

●  कीटनाशक दवाइयां का बढ़ता उपयोग

●  तेजी से बढ़ रहा है शहरीकरण

●  बढ़ती जनसंख्या

● वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग

●  बढ़ता औद्योगिकरण

 ऊपर दिए गए करण के द्वारा प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है इसके अलावा भी कई छोटे-छोटे कारण है जो हमारे प्रदूषण को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाते हैं |

इन प्रमुख निबंधों को भी पढ़ें:-

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5.
6.
7.

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण कई प्रकारों में होते हैं इनमें से कुछ प्रकारों के द्वारा बीते कुछ वर्षों में प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है तो लिए मैं आप लोगों को प्रदूषण के प्रकार  के बारे में संक्षेप में निम्न रूप से बता रहा हूं  जो इस प्रकार के हैं:-

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण को प्रदूषण के प्रकारों में से सबसे खतरनाक प्रकार माना जाता है प्रदूषण का मुख्य कारण हमारे उद्योग धंधे एवं वाहनों के द्वारा जो धुआं निकलता है वह सीधे हवा में में घुल कर हमारे सेहत पर सीधा प्रभाव करता है दिन प्रतिदिन उद्योग धंधे एवं वाहनों ने वायु में प्रदूषण को काफी वृद्धि कर दी है वायु प्रदूषण के कारण लोगों के दिल एवं फेफड़े संबंधित कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं

उद्योग धंधों एवं घरों से जो कचरा निकालते हैं वह नदी एवं पानी के  अन्य श्रोताओं में मिल जाते हैं जिससे जल प्रदूषण हो जाता है पहले हमारी नदियां साफ़-सूत्री एवं पवित्र मानी जाती थी लेकिन वर्तमान समय में इन नदियों में विभिन्न कल कारखानों का गंदा पानी एवं कचरा कूड़ा करकट एवं रासायनिक कचरा प्लास्टिक के पदार्थ पानी में घुल जाना यह जल प्रदूषण को बढ़ावा देता है

भूमि प्रदूषण

जो कचरा कल कारखाने एवं घरेलू माध्यम से निकलते हैं वह पानी में पूरी तरह से घुल नहीं पाते हैं और वह  जमीन के ऊपर फैला रहता है जबकि सरकार के द्वारा इनका पुनः दोबारा उपयोग एवं रीसायकल करने की व्यवस्था की जाती है लेकिन इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नहीं होता हैं इस कारण इन चीजों के कारण भूमि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है

इसलिए इस भूमि प्रदूषण के कारण मच्छर मक्खियों विभिन्न प्रकार के कीट पतंग का जन्म होता है जो मनुष्य एवं अन्य जीव जंतुओं के लिए बीमारी का कारण बनता है इस कारण इन चीजों के कारण भूमि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण का मतलब कल कारखानों में होने वाली तेज आवाज से होता है अर्थात इन कल कारखानों में तरह-तरह के मशीनों की तरह-तरह की आवाज़ के तेजी के साथ  निकलती है जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है इसके अलावा भी हमारे रास्ते में जो वाहन चलाते हैं उनके द्वारा जो आवाज निकलती है,  एवं पटाखों के  फूटने से, एवं लाउडस्पीकर के द्वारा जो आवाज निकलती है, इन सब के द्वारा भी ध्वनि प्रदूषण होता है ध्वनि प्रदूषण मनुष्य के दिमाग पर प्रभाव डालता है जिसके कारण मनुष्य मानसिक रूपी रोग से ग्रसित हो जाता है साथ ही साथ सुनने की क्षमता भी काम हो जाती है

प्रदूषण से हानियां

प्रदूषण से कई प्रकार की हानियां होती है जैसे जल अगरअगर प्रदूषित हो जाए तो तो जल प्रदूषण हो जाता है अर्थात इसके जल को पीने से हमें कई प्रकार के रोग हो सकते हैं एवं प्रदूषित हवा हो जाए तो हमें सांस लेने में तकलीफों का सामना करना पड़ेगा एवं अगर भूमि प्रदूषित हो जाए तो  विभिन्न प्रकार के मच्छर एवं मक्खी का जन्म होगा जो हमारे लिए हानिकारक हो सकते हैं क्योंकि इनके काटने से हम लोग बीमार ग्रसित हो सकते हैं ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है अर्थात उसको मानसिक संबंधित रोग हो जाते हैं साथ ही साथ सुनने की शक्ति भी कम हो जाती है

इसलिए हम लोग को यह कर्तव्य बनता है कि स्वच्छ हवा के लिए ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण का कार्य किया जाए नदियां तालाब में जिन जानवरों को मारो नहलाते हैं इस पर रोक लगाना चाहिए क्योंकि उनको इन नदी और तालाब में नहाने से पानी प्रदूषित हो जाता है जिस कारण से जल प्रदूषण में बढ़ावा मिल रहा है

प्रदूषण से बचाव का उपाय

वर्तमान समय में देश के प्रत्येक व्यक्ति प्रदूषण के के संकट से परेशान है प्रदूषण से  कैसे अपने आप को बचाव करें एवं प्रदूषण मुक्त होने के लिए क्या-क्या उपाय करें? यह प्रश्न प्रत्येक व्यक्ति के मन में है तो लिए मैं आप लोगों को प्रदूषण से बचाव का उपाय बताता हूं सबसे पहले हम लोगों को अपनेआप में बदलाव लाना पड़ेगा  प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग उतना ही करें जितना हमें जरूरत हो ताकि हमारे भविष्य की पीढ़ी के लिए यह संसाधन उपलब्ध हो 

हम लोगों को प्राकृतिक संसाधनों का सुरक्षा करना यह भावना अपने मन में रखना होगा हम लोग को ज्यादा से ज्यादा वृक्ष रोपण करना होगा,  अपने आसपास सफाई रखनी होगी, मशीनों का कम इस्तेमाल करके, प्लास्टिक से बने बैग  का इस्तेमाल न करना, अपने आसपास के नदियों तालाबों का सफाई रखना, और कचरा  को  जमीन पर जहां तहां ना फेंकना यह सारी चीज कर कर हम प्रदूषण से मुक्त हो सकते हैं

इस आर्टिकल के ऊपर जो बातें लिखी गई है उसको पढ़कर हम लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि पर्यावरण को प्रदूषण होने से बचाने के लिए हम लोगों को साथ मिलकर कार्य करना होगा हम लोगों से प्रत्येक व्यक्ति अगर छोटे से छोटे कार्य प्रदूषण रोकने के लिए करेंगे तो समाज में एक नया परिवर्तन लाया जा सकता है |

प्रदूषण पर निबंध PDF Download | Download Pollution Hindi Essay in PDF

प्रदूषण पर पर निबंध कैसे लिखें इसकी जानकारी में आप लोगों को पीडीएफ फाइल के रूप में उपलब्ध करवा रहे हैं जिसको आप लोग अपने मोबाइल में PDF डाउनलोड करके आसानी पूर्वक देख सकते हैं |

PDF Download:

प्रदूषण पर 5 Lines | Pollution Essay in Hindi 5 lines

●  प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई  प्रकार के बीमारियों का बीमारियों का निर्माण करता है

●  प्रदूषण बहुत ही कम समय में पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है

●  उर्वरकों और कीटनाशकों दवाइयां के ज्यादा उपयोग से मृदा प्रदूषण होता है और मिट्टी बंजर हो जाती है।

●   वर्तमान समय में बढ़ रहे आधुनिकीकरण की कारण के उनकी मात्रा अधिक बढ़ गई है

●  कूड़ा कचरा  को जहां तहां फेंक देने से प्रकृति दूषित होती जा रही है |

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 शब्दों | Pollution Essay in hindi

प्रदूषण हमारे पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन को नष्ट करने वाले तत्व है प्रदूषण मनुष्य के  दैनिक जीवन को काफी कभी प्रभावित करता है साथी साथ पृथ्वी पर निवास करें सभी जीव जंतुओं के जीवन यापन पर भी काफी प्रभाव डालता है प्रदूषण को हम लोग कई रूपों में देख सकते हैं अर्थात इसको कई रूप में बांट सकते हैं जैसे वायु प्रदूषण जल प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण भूमि प्रदूषण आदि है

प्रदूषण से कैसे बचे

प्रदूषण से बचने के लिए हमें कई सारे उपाय करने होंगे जैसे कि पता है वायु प्रदूषण से हम लोगों को सांस लेने की समस्या उत्पन्न हो रही है अर्थात सांस संबंधित बीमारियां हो जाती है हम लोगों को अपने आसपास साफ सफाई रखनी होगी, एवं ज्यादा से ज्यादा वृक्ष रोपण करना होगा ,इसके साथ ही साथ वाहनों का इस्तेमाल कम करना होगा, एवं मशीनों का इस्तेमाल भी, काम करना होगा अपने आसपास के नदियां तालाबों को साफ़ सफाई रखना होगा, और ज्यादा तेज से जो आवाज निकलती है उसे पर नियंत्रण करना होगा एवं सरकार जो नियम बनाएगी उसे नियम का पालन करना होगा

प्रदूषण पर निबंध 10 Lines | Pradushan Par Nibandh 10 Lines

pollution for essay in hindi

●  प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए सबसे गंभीर  समस्या है।

●  प्रदूषण के इतनी तेजी के बढ़ने का मुख्य कारण मनुष्य है

●  प्रदूषण सभी  जीव जंतु के लिए हमेशा  हानिकारक होता है

●  प्रदूषण कारण कैंसर हृदय संबंधित रोग चमड़ा रोग दमा, आदि जैसी गंभीर बीमारियां होती है

●  वृक्षारोपण करना ,एवं जल संसाधनों को स्वच्छ रखना, प्लास्टिक उपयोग का प्रतिबंध लगाना, प्रदेशों के प्रदूषण को कम कम करने की उपाय हैं

●  घरेलू एवं कल कारखानों के कचरे को नदी में  बहाने से नदी का पानी दूषित हो जाता है

●  प्लास्टिक का ज्यादा उपयोग से प्लास्टिक प्रदूषण का जन्म हुआ है

●  प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण जल प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण भूमि प्रदूषण है

● प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के कारण प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की जान चली जाती है

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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आज हम पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लेकर आये हैं। यह प्रदूषण पर निबंध बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है। अक्सर स्कूल, कॉलेज में विद्यार्थियों को प्रश्न पूछे जाते हैं: पर्यावरण प्रदूषण के बारे में हिंदी में लिखिए, Write essay on pollution in Hindi, पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द में लिखिए आदि। निचे दिए गये निबंध को हमने 100, 200, 300 शब्द, 500 words और 1000 शब्दों में लिखा है जिसे class 5,6,8, या क्लास 10, class 12 आदि का कोई भी विद्यार्थी लिख सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में

प्रकृति में फैलने वाली गंदगियाँ ही प्रदूषण का कारण बनती हैं। जब ये गंदगियाँ और अशुद्धियाँ पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं तो उसे ही पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। हमारे पर्यावरण में अलग-अलग तरह से प्रदूषण हो सकते हैं जैसे: वायु, जल, ध्वनी, मृदा प्रदूषण आदि।

प्रदूषण से हवा, पानी, मौसम चक्र और जलवायु खराब होते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान होता है और हम रोगों के शिकार हो जाते हैं। प्रदूषण फैलने के कई कारण हैं जैसे: पेड़ों की कटाई, औद्योगीकरण, रसायनों का प्रयोग आदि।

ज्यादातर हम इंसानों की वजह से ही पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण रोकना हम इंसानों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा ताकि हम ऐसी कोई भी गतिविधि न करें जिससे प्रदूषण फैले और प्रकृति को नुकसान हो।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में

आज के समय में मनुष्य आधुनिकता की ओर लगातार बढ़ रहा है और इसी होड़ में हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मानव अपनी सुख-सुविधाओं को पूरा करने के लिए लगातार ऐसी गतिविधियाँ कर रहा है जिससे पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। प्रदूषण प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रही हैं और इससे भविष्य में भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे:

वायु प्रदूषण:  वातावरण में उपस्थित वायु को दूषित करना वायु प्रदूषण कहलाता है। जहरीली गैस और धुआं हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण को जन्म देती है। प्रदूषित वातावरण में सांस लेने से गंभीर बीमारियाँ होती हैं।

जल प्रदूषण:  जल में गंदगियाँ फैलाने जल प्रदूषण होता है। कल-कारखानों से निकली गंदगियाँ जल स्त्रोत में बहा दिए जाते हैं परिणामस्वरूप पानी उपयोग के लिए हानिकारक हो जाता है।

भूमि/मृदा प्रदूषण:  खेती में खतरनाक रसायनों का लगातार उपयोग, प्लास्टिक और अजैविक कचरे से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। इन सभी की वजह से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है।

प्रदूषण रोकने के उपाय

  • पेड़ कटाई पर लगाम लगानी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए। 
  • कल-कारखानों से निकलने वाले हानिकारक अपशिष्टों को नष्ट करना चाहिए। 
  • हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। 
  • रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए
  • पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह विद्युत से चलने वाले वाहनों को प्राथिमिकता देनी चाहिए। 
  • निजी वाहनों के बजाए ज्यादा-से-ज्यादा सार्वजानिक परिवहनों का उपयोग करना चाहिए।  

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – 300 शब्द

विज्ञान के क्षेत्र में आज हम बहुत ही तेजी से तरक्की कर रहे हैं, आधुनिक विज्ञान ने जहाँ हमारी जीवनशैली को सुविधाओं से युक्त बना दिया है वहीं इससे हमें पर्यावरण प्रदूषण जैसा भयानक अभिशाप भी मिला है। आज पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, खतरनाक रसायनो के उपयोग ने प्रकृति में असंतुलन पैदा कर दिया है। समय रहते इस ओर यदि ध्यान न दिया गया तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

  • जनसँख्या वृद्धि: पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण हम इंसान है जो अपनी सुविधाओं के लिए प्रदूषण फैलाते रहते हैं। मनुष्य की बढती जनसंख्या और उनके जीवनयापन, सुख-सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन पर्यावरण प्रदूषण को कई गुना बढ़ा रहा है।
  • औद्योगीकरण:  बड़े उद्योग, कल-कारखाने अपशिष्ट पदार्थों को पानी में और हवा में जहरीली गैस छोड़ते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के लिए औद्योगीकरण एक बहुत बड़ा कारण है।
  • आधुनिकीकरण:  आधुनिक सुख-सुविधाओं ने हमें अँधा बना दिया है हम अप्राकृतिक चीजों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। मोटर-वाहन, एसी, फ्रिज, प्लास्टिक, केमिकल युक्त पदार्थ आदि के उपयोग से लगातार प्रदूषण फ़ैल रहा है।
  • रसायनों का प्रयोग: अधिक मुनाफा कमाने के लालच में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग बढ़ रहा है जिससे मिट्टी प्रदूषित होकर अनउपजाऊ हो रही है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण का परिणाम बेहद खतरनाक है इससे लगातार वातावरण का तापमान बढ़ रहा है, जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं, मौसम का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से हम इंसानों के सेहत पर भी असर पड़ रहा है अलग-अलग प्रकार के रोग पैदा हो रहे हैं। प्रदूषण से मनुष्य, पशु-पक्षी और प्रकृति को बहुत नुकसान हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण निबंध – 500 शब्द (Essay on Pollution in Hindi)

आज के समय में प्रदूषण एक गंभीर विषय है। प्रदूषण से प्रकृति को भारी नुकसान हो रहा है इसका रोकथाम बहुत ही जरुरी है। कई बार हमें यह प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नही देते उदाहरण के लिए, आप हवा में मौजूद प्राकृतिक गैसों (ऑक्सीजन, कार्बन-डाइऑक्साइड) को देखने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, हालांकि वे अभी भी मौजूद हैं। धीरे-धीरे वातावरण में प्रदूषक जो हवा को मार रहे हैं और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को बढ़ा रहे हैं, वे मनुष्यों और पूरी धरती के लिए बहुत ही घातक हैं। प्रदूषण रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाने की जरूरत है अन्यथा इसके भयानक दुष्परिणाम हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारक

प्रदूषण एक धीमा जहर है जो हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को दिन-ब-दिन नष्ट करता रहता है, इसे मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है: वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण।

वायु प्रदूषण वाहनों, कारखानों से निकलने वाले धुएं, उड़ती धूल आदि के कारण होता है।

ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने और अन्य ध्वनि उत्पन्न करने वाली वस्तुओं के कारण होता है।

जल प्रदूषण कारखानों के अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक के कचरे और अन्य चीजों को नदियों और तालाबों में डालने से होता है।

प्रदूषण के रोकथाम के उपाय

  • वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक मात्रा में पेड़-पौधे लगाने चाहिए, साथ ही जहां पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही हो, वहां इन्हें रोका जाना चाहिए। वायु प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग व्यवसायों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे प्रदूषण कम हो।
  • जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें स्वच्छता पर अधिक ध्यान देना होगा। हम नदियों और तालाबों में कचरा फेंकते हैं, जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार फैक्ट्रियां बंद होनी चाहिए।
  • ध्वनि प्रदूषण ज्यादातर मनुष्य द्वारा ही किया जाता है, इसलिए यदि हम स्वयं हॉर्न का उपयोग बंद कर दें और यदि हम नियमित रूप से मशीनों की देखभाल करते हैं, तो वे कोई ध्वनि उत्पन्न नहीं करेंगे और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी।
  • वाहनों और मशीनों का रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है यदि उनका रखरखाव नहीं किया जाता है, तो वे बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।
  • यदि हम एक ही कार्यालय में जाते हैं तो हम सार्वजनिक वाहनों का उपयोग कर सकते हैं या कार साझा करने से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण कम होगा।
  • हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना है, सरकार भी प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा रही है, लेकिन प्लास्टिक का उपयोग तब तक बढ़ता रहेगा जब तक हम जागरूक नहीं हो जाते।

जिस तरह से हमारी धरती पर प्रदूषण बढ़ रहा है, आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी धरती का पूरा पर्यावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन बर्बाद हो जाएगा।

अगर हमें प्रदूषण कम करना है तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना होगा। अगर हमें प्रदूषण कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे और लोगों को भी पेड़ लगाने के प्रति जागरूक करना होगा तभी हम एक अच्छे भविष्य की कामना कर सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 1000 शब्दों में

जहां एक ओर आज मानव प्रगति कर रहा है और संसार काफी आधुनिक हो गया है। वहीं दूसरी ओर लगातार पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। यह पृथ्वी और पर्यावरण हम सबके लिए बहुत ज्यादा कीमती है इसलिए हम सब का यह कर्तव्य हो जाता है कि हम इनकी रक्षा करें।

तो ऐसे में सवाल यह है कि आखिर पर्यावरण प्रदूषण क्यों होता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें अपने आसपास होने वाली गतिविधियों को देखना होगा। इस तरह से हम पर्यावरण प्रदूषण को अच्छे से समझ सकते हैं और प्रकृति की रक्षा भी कर सकते हैं। अगर आप इसके बारे में सारी जानकारी जानना चाहते हैं तो पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। इस पोस्ट में हम आपको सारी जरूरी बातों की जानकारी देंगे।

पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है ?

सबसे पहले हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि पर्यावरण प्रदूषण का मतलब होता है जब मनुष्य द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों से दूषित चीजें पर्यावरण में जाकर मिल जाती हैं। इसकी वजह से हर व्यक्ति की दिनचर्या काफी हद तक प्रभावित होती है और उसे उसके कार्य करने में बाधा होती है।

लेकिन पर्यावरण प्रदूषण को फैलाने के जिम्मेदार मनुष्य ही होते हैं जो कि हर दिन ऐसे बहुत सारे काम करते हैं जिससे कि प्रदूषक तत्व वातावरण में फैल जाते हैं। इस प्रकार से प्रदूषण की वजह से अनेकों बीमारियां भी जन्म लेने लगती हैं और हर व्यक्ति का जीवन इससे काफी अधिक प्रभावित होता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते प्रदूषण को रोकने का काम किया जाए जिससे कि सभी स्वस्थ जीवन जी सकें। 

पर्यावरण प्रदूषण फैलने के मुख्य कारण 

प्रकृति ने मनुष्य को बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन दिए हैं लेकिन अपने स्वार्थी स्वभाव के कारण वह उन्हें नष्ट करते जा रहे हैं। कोई भी व्यक्ति इस बात को नहीं समझना चाहता कि अगर यह पूरा पर्यावरण ही प्रदूषित हो गया तो ऐसे में भविष्य में जो पीढ़ियां आएंगीं उनके स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से बुरा प्रभाव पड़ेगा।

इस प्रकार से एक दिन ऐसा भी आ जाएगा जब इस संसार में जीवित रहने के लिए पृथ्वी पर कोई भी प्राकृतिक संसाधन नहीं रहेगा। इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि पर्यावरण प्रदूषण के जो भी मुख्य कारण हैं उन्हें जानकर उन्हें दूर करने की कोशिश की जाए। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं – 

  • लोगों द्वारा वाहन का बहुत ज्यादा प्रयोग करने से
  • हर जगह औद्योगिक गतिविधियों में तीव्रता होने से
  • जनसंख्या के बढ़ने की वजह से
  • कल-कारखानों और कृषि अपशिष्टों के कारण से
  • शहरीकरण और औद्योगीकरण में तेजी की वजह से
  • हद से ज्यादा वैज्ञानिक साधनों का इस्तेमाल करने से
  • पेड़ों को अंधाधुंध काटने से और घनी आबादी वाले इलाकों में हरियाली ना होने की वजह से
  • सड़कों और बांधों का निर्माण करने से
  • खनिज पदार्थों के अत्यधिक दोहन की वजह से 

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार 

वैसे तो पर्यावरण प्रदूषण के बहुत सारे प्रकार हैं जिनकी वजह से हमारा वातावरण काफी अधिक नकारात्मक हो गया है। लेकिन इसके जो मुख्य प्रकार हैं उनके बारे में जानकारी इस तरह से है – 

वायु प्रदूषण 

हर व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए स्वच्छ वायु की आवश्यकता होती है। इतना ही नहीं पृथ्वी पर जितने भी पेड़ पौधे और जानवर हैं उनके लिए भी हवा बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन सांस लेने के लिए बहुत जरूरी होती है। लेकिन लोग अब अपनी भौतिक जरूरतों की पूर्ति करने के लिए वायुमंडल में मौजूद सभी गैसों के बैलेंस को खत्म करने में लगे हुए हैं। विशेषतौर से शहरों की हवा तो बहुत ही ज्यादा जहरीली और घुटन वाली होती जा रही है। वायु प्रदूषण के पीछे सबसे प्रमुख घटक है वाहनों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों का धुआं, जीवाश्म ईंधन को जलाना इत्यादि।

जल प्रदूषण 

वैसे तो हर कोई कहता है कि जल हमारा जीवन है लेकिन फिर भी आज मानव उसे प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। हर कोई जानता है कि पानी के बिना कोई भी जीव जिंदा रहने की सोच भी नहीं सकता फिर चाहे वह मनुष्य हो, पशु पक्षी हो या फिर पेड़ पौधे। जितने भी पानी के प्राकृतिक सोर्स हैं उनमें प्रदूषक तत्व जैसे खनिज, अपशिष्ट पदार्थ, गैस, कचरा आदि मिल जाते हैं। ऐसे में जल पीने योग्य नहीं रह जाता क्योंकि उसमें गंदगी की वजह से वायरस पैदा हो जाते हैं। ऐसे में अगर कोई भी दूषित जल को पी लेता है तो वह उसके लिए काफी हानिकारक होता है। 

ध्वनि प्रदूषण 

ध्वनि प्रदूषण भी पर्यावरण को प्रदूषित करने में काफी हद तक जिम्मेदार है। हद से ज्यादा शोर किसी को भी पसंद नहीं होता लेकिन कई बार बहुत से लोग अपने मनोरंजन के लिए इस बात की परवाह नहीं करते कि कोई दूसरा व्यक्ति इससे परेशान हो सकता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि हद से ज्यादा तेज आवाज व्यक्ति की सुनने की क्षमता को धीरे-धीरे बहुत ज्यादा कम कर देता है। इतना ही नहीं एक समय ऐसा भी आता है जब व्यक्ति की सुनने की शक्ति पूरी तरह से खत्म हो जाती है। शोर की वजह से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर तो कोई बुरा असर नहीं होता लेकिन तेज आवाज सहन कर पाना अत्यधिक मुश्किल होता है। ध्वनि प्रदूषण की वजह से इंसान किसी भी काम पर फोकस नहीं कर पाता और बहुत से कामों में उसे असफलता का मुंह देखना पड़ता है। 

पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उपाय 

जिस प्रकार से पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने का कार्य मनुष्य कर रहे हैं तो पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए भी इंसान को ही आगे आना होगा। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास किए जाएं। पर्यावरण प्रदूषण इस समस्या को कम करने के कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं जैसे कि – 

  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोक देना चाहिए। इसके अलावा अपने आसपास वृक्ष जरूर लगाएं ‌
  • पर्यावरण प्रदूषण को लेकर युवाओं में जागरूकता फैलानी चाहिए। 
  • अपने आसपास गंदगी और कूड़े के ढेर को इकट्ठा ना होने दें। 
  • पेट्रोलियम के साथ-साथ कोयला जैसे उत्पादों का भी इस्तेमाल कम से कम करें। 
  • कारखाने शहर से दूर बनाएं जाने चाहिएं जिससे कि उनमें से निकलने वाला धुआं वायु में घुल कर लोगों में बीमारी ना फैला सके।
  • यातायात के लिए ऐसे वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए जो कम धुआं छोड़ते हों।
  • नदियों में कचरा ना फेंके। 
  • जितना ज्यादा हो सके कपड़े और जूट के बने हुए थेलों का इस्तेमाल करें और प्लास्टिक बैगों को ना कहें। 

निष्कर्ष 

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस लेख में हमने आपको बताया कि पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है और इससे जुड़ी दूसरी जरूरी बातें भी बताईं। इसमें कोई शक नहीं कि लोगों में जागरूकता फैला कर हम अपने पर्यावरण को काफी हद तक स्वच्छ बना सकते हैं। इसके लिए केवल एक व्यक्ति को नहीं बल्कि हर इंसान को प्रयास करना होगा। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई सारी बातों की जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। 

प्रदूषण पर निबंध :

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हमें उम्मीद है की प्रदूषण पर लिखा गया यह निबंध (Essay on Pollution in Hindi) आपके काम आएगा। आपको यह निबंध कैसा लगा हमें कमेंट करके जरुर बताएं।

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प्रदूषण शब्द सुनते ही हमारे मन में तरह-तरह के सवाल उमड़-घुमड़ करने लगते हैं और हम इस कदर चिंतित हो उठते हैं कि अब तो इस समस्या का कोई न कोई हल तो अवश्य ही ढूंढ निकालेंगे। हमारा देश हमेशा से ही प्राकृतिक आपदाओं, वैश्विक महामारियों, प्रदूषण आदि जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करता आया है। शहरों में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण शहरों पर इस कदर हावी हो चुका है कि अब वहाँ रह रहे लोगों के लिए इसके बचकर निकल पाना मतलब शेर के पिंजरे से जिंदा बचकर आने के बराबर है।

आप हमारे इस पेज से हिंदी में प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution In Hindi), प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के प्रकार, प्रदूषण से होने वाले नुकसान, प्रदूषण के बचाव आदि चीज़ों के बारे में जान सकते हैं। हमारे इस लेख “प्रदूषण पर निबंध हिंदी में” का मुख्य उद्देश्य हमारे पाठकों के बीच प्रदूषण के संबंधित सही और सभी जानकारी पहुँचना है, ताकि आप प्रदूषण जैसे मुद्दे को गंभीरता से लें और जागरूक हो सकें। इसके अलावा स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र हमारे इस प्रदूषण पर लेख से सहायता लेकर निबंध प्रतियोगिताओं में भी भाग ले सकते हैं।

प्रदूषण का संबंध प्रकृति से जुड़ी किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं। यह तो सत्य है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं। इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी रक्षा तभी करेगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे।

प्रदूषण का अर्थ

आज के समय में प्रकृति को जो सबसे अधिक नुकसान पहुँचा सकता है वो प्रदूषण है। प्रदूषण का आसान सा मतलब है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित हो जाना। इन प्राकृति संसाधनों के दूषित हो जाने के कारण हम न तो ताजी हवा में सांस ले रहे हैं, न स्वच्छ पानी पी रहे हैं, न शुद्ध खाना खा रहे हैं और न ही शांत वातावरण में रह रहे हैं, जिसका हम अधिकार रखते हैं। हरियाली, हरे-भरे बाग-बगीचे, चिड़ियों की चहचहाहट, नदियों का साफ और नीला जल मानो आने वाले समय में महज़ एक सपना बनकर ही न रह जाए। मनुष्य से लेकर पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, जल, वायु, अग्नि आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर हमारे पर्यावरण को बनाते हैं। इन सभी चीजों का पर्यावरण निर्माण में विशेष योगदान रहता है परंतु आज इन सभी चीजों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।

प्रदूषण क्या है?

प्रदूषण को समझने के लिए हमें सबसे पहले यह पता होना चाहिए कि आख़िर प्रदूषण है क्या? आसान शब्दों में इसे समझें, तो जब हवा, पानी, मिट्टी आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे गंदा और दूषित करने लगते हैं और मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि प्राकृतिक चीज़ों के स्वास्थ्य पर जब उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है, तो उसे ही हम प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण के कारण प्राकृतिक असंतुलन पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है और यह मानव जीवन के लिए भी गंभीर समस्या खड़ी कर सकता है।

ये सब देखते हुए यह हमारी ही जिम्मेदारी बनती है कि हमने जाने-अंजाने में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को जो नुकसान पहुँचाया है, अब उसमें जल्द-से-जल्द सुधार करते हुए प्रदूषण की समस्या को धीरे-धीरे खत्म किया जाए। पेड़ों और जंगलों को नष्ट करने से तो हमें रोकना है लेकिन उससे ज़्यादा ज़रूरत हमें अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करने की है। ऐसे ही प्रयासों से प्रदूषण की इस समस्या पर धीरे-धीरे काबू पाया जा सकता है। इसी तरह और भी बहुत से उपाय हैं, जिनसे हम सभी मिलकर प्रदूषण को कम करने की हर संभव कोशिश कर सकते हैं और एक नए अभियान की शुरुआत कर सकते हैं। अब बात करते हैं प्रदूषण के कारणों, प्रकारों और बचावों के बारे में।

प्रदूषण के कारण

प्रदूषण होने के पीछे कई बड़े कारण हमारे सामने आते हैं। ये वो कारण हैं जिसने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण ने प्रकृति और मानव जीवन में ज़हर के समान दूषित और जहरीले तत्वों को घोलकर हमें मौत के नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के बड़े कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं, जैसे-

  • वनों को तेजी से काटना
  • कम वृक्षारोपण
  • बढ़ती जनसंख्या
  • बढ़ता औद्योगिकीकरण
  • प्रकृति के साथ छेड़छाड़
  • कारखाने, वाहन और मशीनें
  • वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
  • कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
  • तेजी से बढ़ता शहरीकरण
  • प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती खपत

ये सभी वो कारण हैं जिन्होंने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इनके अलावा न जाने और कितने ही ऐसे छोटे-बड़े कारण हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना एक आम इंसान के बस में नहीं है। एक सबसे गंभीर कारण है और वो है देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। ये वो कारण है जिसकी वजह से तेजी से पेड़ों की कटाई की जा रही है, औद्योगिकीकरण को और तेज़ किया जा रहा, मशीनों के प्रयोग में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है, गांवों को धीरे-धीरे खत्म करके उन्हें शहर में बदला जा रहा है, लोग रोज़गार के लिए अपने गांवों को छोड़कर शहरों में जा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का उपयोग लोग असीमित मात्रा में कर रहे हैं जिस वजह से प्रदूषण का स्तर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन हम मानव जाति के लोग अपनी ज़रूरतों के लालच में इन्हें बढ़ी ही बेरहमी से खत्म कर रहे हैं।

प्रदूषण के प्रकार

अब हम बात करते हैं प्रदूषण के प्रकारों के बारे में। प्रदूषण के इन प्रकारों के कारण भी पिछले कई सालों में प्रदूषण का स्तर बहुत ज़्यादा बढ़ गया है। प्रदूषण के कई अलग-अलग प्रकार हैं जिसकी वजह से प्रदूषण की समस्याओं में इज़ाफा हुआ है और ये प्रदूषण के बढ़ने के लिए ज़िम्मेदार भी हैं। प्रदूषण के प्रकार निम्नलिखित हैं. जैसे-

  • वायु प्रदूषण – वायु प्रदूषण को प्रदूषण के सबसे खतरनाक प्रकारों में एक माना जाता है क्योंकि यह सीधा हवा में घुलकर हम सभी की सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है। वायु प्रदूषण के होने का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इनमें से निकलने वाले हानिकारक और जहरीले धुएं से लोगों को सांस लेने के लिए काफी मुश्किल और तकलीफ का सामना करना पड़ता है। लगातार बढ़ते हुए उद्योगों और वाहनों के कारण वायु प्रदूषण की मात्रा में काफी वृद्धि हुई है। वायु प्रदूषण के कारण लोगों को दिल और फेफड़ों से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। किसी भी प्रकार की जलने वाली आग से जो धुआं निकलता है, वह धुआं भी वायु प्रदूषण को बढ़ाता है और सभी जीवों को नुकसान पहुँचाता है।
  • जल प्रदूषण- जिन कारखानों में और घरों में हम काम करते हैं और वहाँ से जो कूड़ा-कचरा निकलता है उसे हम राह चलते कहीं पर भी फैंक देते हैं जो कई बार नालियों में बहता हुआ नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में जाकर मिल जाता है। इसे ही हम जल प्रदूषण कहते हैं। कभी शुद्ध, साफ-सुथरी और पवित्र मानी जानें वाली हमारी यह नदियां अब प्रदूषित होती जा रही हैं और कई तरह की बीमारियों का भी घर बन गई हैं। इसकी एक नहीं बल्कि बहुत सी वजह है जैसे प्लास्टिक पदार्थ, रासायनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के कचरों का पानी में मिल जाना। अगर ये कचरा एक बार जल में मिल जाता है तो फिर यह जल्दी से घुल नहीं सकता, जिस वजह से जल प्रदूषण होता है।
  • मृदा या भूमि प्रदूषण- जो कचरा फैक्ट्रियों और घरों से निकलकर पानी में घुल नहीं पाता है और फिर वह जमीन पर ही फैला रहता है, वो ही मृदा प्रदूषण की समस्या को बढ़ाता है। हालांकि इस कचरे को दोबारा प्रयोग में लाने के लिए विभिन्न स्तर पर कोशिश की जाती है। भूमि प्रदूषण की वजह से मच्छर, मक्खियाँ और दूसरे तरह के कीड़े पनपने लगते हैं, जिस वजह से मनुष्यों और दूसरे जीव-जंतुओं में अलग-अलग तरह की गंभीर बीमारियाँ होने लगती हैं और उनकी मृत्यु भी हो जाती है।
  • ध्वनि प्रदूषण- ध्वनि प्रदूषण का सीधा संबंध शोर या तेज़ आवाज़ से होता है। ध्वनि प्रदूषण कारखानों में चलने वाली तेज़ आवाज़ वाली मशीनों औक दूसरी तेज़ आवाज़ करने वाली चीज़ों से पैदा होता है। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण सड़क पर चलने वाली गाड़ियों, पटाखे फूटने की आवाज़ और लाउड स्पीकर के कारण भी अधिक होता है। ध्वनि प्रदूषण होने की वजह से मनुष्यों में मानसिक तनाव बढ़ जाता है, उनकी सुनने की क्षमता कम हो जाती है और कभी-कभी तो उनकी सुनने की ताकत की चली जाती है।

प्रदूषण से क्या हानि होती है?

प्रदूषण के बढ़ने से हमें कई अलग-अलग प्रकार की हानियों और नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जैसे- भूकंप, बाढ़, तूफान, भूस्खलन, जंगलों में आग, सूखा, महामारी आदि। ये हानियाँ और नुकसान सिर्फ प्रदूषण से ही नहीं हो रही बल्कि प्रदूषण के अलावा मनुष्य प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ कर रहा है, वह भी इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। प्रदूषण की वजह से मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। लोग शुद्ध और खुली हवा में सांस नहीं ले पा रहे हैं। लोगों का अशुद्ध भोजन खाना पड़ रहा है, गंदा जल पीना पड़ रहा है जिसके कारण कई तरह की गंभीर बीमारियां मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक परिणाम पैदा कर रही हैं। पर्यावरण-प्रदूषण की वजह से अब न तो समय पर वर्षा हो रही है और न ही सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक से चल रहा है। बढ़ती हुई प्राकृतिक घटनाओं का कारण भी प्रदूषण ही है। प्रदूषण की मार मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, नदियों, समुद्रों आदि सभी चीज़ों पर पड़ रही है। प्रदूषण से जो गंभीर हानि हो रही है, उसकी भरपाई करने में कितना समय लगेगा ये कोई नहीं जानता।

प्रदूषण से बचाव के उपाय

वर्तमान में हर व्यक्ति एक ही बात को लेकर चिंतित है कि कि प्रदूषण से कैसे बचा जाए? या प्रदूषण से बचाव के क्या उपाय हैं? यह सवाल तो सबके पास है लेकिन इसका जवाब आज भी नहीं मिल पाया है। अगर जवाब मिल भी गया है, तो क्या हम उस बात पर अमल करते हैं जो प्रदूषण को कम करने और प्रकृति को बचाए रखने के लिए सहायक है। प्रदूषण से तभी बचा जा सकता है जब हम सबसे पहले अपने अंदर बदलाव लाएंगे। प्रकृति को बिना कोई नुकसान पहुँचाए प्राकृतिक चीज़ों का ज़रूरत के हिसाब से इस तरह से उपयोग करेंगे कि यह भावी पीढ़ी के लिए भी सुरक्षित रह सकें।

हमें अपने भीतर यह भावना रखनी होगी कि जो कुछ भी प्रकृति से हमें मिला है, उसे किसी न किसी रूप में हम प्रकृति को वापिस ज़रूर करेंगे। ऐसा हम अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, अपने आसपास साफ-सफाई रखकर, संसाधनों का सीमित मात्रा में उपयोग करके, मशीनों का कम इस्तेमाल करके, प्लास्टिक की जगह कपड़ों से बने थैलों का इस्तेमाल करके, नदियों को साफ रखकर और जीव-जंतुओं की रक्षा करके ही कर सकते हैं। इसी तरह ही हम प्रकृति की रक्षा और उसके साथ न्याय दोनों ही कर सकेंगे और प्रदूषण से खुद को और लोगों को बचा सकेंगे।

उपरोक्त सभी बातों को पढ़कर हम निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए हमें मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करने की ज़रूरत है, तभी देश में कोई बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। हमेशा किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक छोटे रूप में ही होती है। प्रकृति को कुदरत और ईश्वर दोनों ने ही मिलकर इस उम्मीद से रचा है कि हम मनुष्य उसके साथ बिना कुछ गलत किए उसकी हमेशा रक्षा करेंगे और उसकी शुद्धता, सुंदरता और नवीनता को बरकरार रखेंगे।

यह निबंध भी पढ़ें-

  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • जल प्रदूषण पर निबंध
  • ध्वनि प्रदूषण पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

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Table of Contents

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई दिशा की ओर बढ़ते हुए, हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए आदर्श तकनीकी और नैतिक मूल्यों को मिलाने का संकल्प बनाना होगा। विशेषज्ञता के साथ, हमें व्यक्तिगत संवेदनशीलता और सामाजिक सहयोग के साथ तकनीकी उपायों का अध्ययन करना होगा ताकि हम एक प्रदूषणमुक्त भविष्य की ओर अग्रसर ह सकें।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 156 शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही थी। इसमें तीन शहर थे जिनकी हवा बहुत खराब थी, जिसका मतलब है कि उन शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक था। इसके अलावा, 21 अन्य शहरों की हवा की गुणवत्ता भी खराब श्रेणी में थी। प्रदूषण एक जटिल समस्या है जिसका समाधान विज्ञानिक दृष्टि से होना चाहिए, क्योंकि यह पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण का मतलब है – प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना, जिससे वायुमंडल, जल, और खाद्य में दोषिति होती है। प्रदूषण कई प्रकार का होता है, जिसके विस्तार से वर्णन Essay on Pollution in Hindi में किया गया है।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi) प्रदूषण आजकल एक गंभीर समस्या बन चुका है। उद्योगीकरण और शहरीकरण की तेजी ने पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है, जिसमें हवा, पानी, और मिट्टी शामिल हैं। वनों की कटाई और औद्योगिकीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है। प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके कारण हमें सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याएँ, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन, आदि का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और जागरूकता के साथ देखना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द (Pollution Essay 200 Words in Hindi)

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं।

यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे, वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं।

इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी

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प्रदूषण पर निबंध 300 शब्द (Pollution Essay 300 Words in Hindi)

बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।

आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।

प्रदूषण का अर्थ (Meaning of Pollution)

प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनों में मिलते हैं, तो इसके कारण कई नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होते हैं। प्रदूषण मुख्य रूप से मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होता है और यह हमारे पर्यावरणीय संरचना को प्रभावित करता है। प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभावों के कारण मानवों के लिए छोटी-बड़ी बीमारियों से लेकर जीवन के अस्तित्व को खतरे में डालने वाली समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। मानवों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए पेड़ों की अनधिकारी कटाई की है, जिसके कारण पर्यावरण में असंतुलन हुआ है। प्रदूषण इस असंतुलन का मुख्य कारण भी है।

प्रदूषण है क्या ? ( What is Pollution ?)

जब वायु, जल, मृदा, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों में अनचाहे तत्व घुलकर उन्हें इस प्रकार के रूप में गंदा कर देते हैं, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगते हैं, तो उसे प्रदूषण कहा जाता है। प्रदूषण से प्राकृतिक संतुलन पर हानि पहुँचती है और मानव जीवन के लिए एक खतरा पैदा होता है।

मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी अदरकऱी से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया है, जिससे पर्यावरण को हानि पहुँची है, उसे अब उतनी ही अकलमंदी से प्रदूषण की समस्या का समाधान ढूंढ़ना होगा। वनों के अधिक अनिवार्य कटाई भी प्रदूषण के कारकों में शामिल है, लेकिन इसे रोकने के लिए वृक्षारोपण की अधिक प्रक्रिया की आवश्यकता है। ऐसे कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

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अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो हमें इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। प्रदूषण को नियंत्रित करना हमारे देश के साथ-साथ पूरे विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि पूरी पृथ्वी पर जीवन का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। यही से हम सभी के लिए जीवन की सुरक्षा और पर्यावरण का संरक्षण संभव होगा।

प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द (Pollution Essay 500 Words in Hindi)

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, और ध्वनि जैसे तत्वों का संतुलन महत्वपूर्ण है। यदि इनका संतुलन बिगड़ जाता है, तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ सकता है, और यही प्रदूषण का मुख्य कारण होता है। इस असंतुलन से फसलों, पेड़ों और अन्य चीजों पर भी असर पड़ता है।

इसके अलावा, हमारे द्वारा फेंके गए कचरे और कूड़े का भी पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और यह भी प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि “प्रदूषण” एक ऐसा अवांछित परिवर्तन होता है जिससे मानवों और अन्य जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता और उपयोगिता को नष्ट किया जाता है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक महत्वपूर्ण मापक है जिसे सरकारी विभाग वायु प्रदूषण की स्तिथि को जांचने के लिए उपयोग करते हैं, ताकि लोग अपनी वायु गुणवत्ता को समझ सकें। AQI के बढ़ जाने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। यह सूचकांक लोगों को बताता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डाल सकती है। AQI को पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों की मॉनिटरिंग के लिए उपयोग किया जाता है, जिसमें ग्राउंड लेवल ओज़ोन, पार्टिकुलेट मैटर, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शामिल हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

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प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है –

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। इसके अलावा, कारखानों, उद्योगों, प्लास्टिक और पत्तियों के जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने और रेफ्रीजरेशन उद्योग के सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है।

ध्वनि प्रदूषण: सड़कों पर बढ़ी वाहनों की संख्या और ध्वनि प्रदूषण में भारी योगदान करते हैं। यह शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए खतरनाक है और तनाव और चिंता के कारण हो सकता है।

जल प्रदूषण: कचरे को नदियों और समुद्रों में डालने के कारण जल प्रदूषण होता है। यह समुद्री जीवों के लिए हानिकारक है और पीने योग्य पानी की कमी का कारण बन सकता है।

मृदा प्रदूषण: कृषि और उद्योगों में रासायनिक उपायोग के कारण मिट्टी दूषित होती है, जिससे कृषि और प्रजनन में समस्याएँ होती हैं।

विशेष जानकारी: परमाणु युग में रेडियोधर्मी पदार्थों के उपयोग से रेडियोधर्मी प्रदूषण बढ़ा है, जिसके कारण तनाव और तंत्रिका रोग जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है। यह गर्मी को पृथ्वी के चारों ओर फैलाने वाले प्रदूषण के कारण होता है, जिसमें मनुष्य द्वारा जीवाश्म ईंधन जलाना, प्लास्टिक जलाना, वाहनों से निकलने वाली हानिकारक गैसेस, और जंगलों के जलने का शामिल होता है। यह प्रदूषण गर्मी को बढ़ावा देता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा देता है। कार्बन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों का स्तर भी खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिसके परिणामस्वरूप आने वाली पीढ़ियाँ ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का सामना करेंगी।

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन ऐसे में हम सभी नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि हम इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं –

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: त्योहार मनाते समय पटाखों का इस्तेमाल न करें। यह ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है और हमारे स्वास्थ्य पर भी दुश्मनीकारक प्रभाव डालता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें: वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें और सार्वजनिक परिवहन का प्रयास करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें: हमें अपने घर के आस-पास क्षेत्र को साफ-सुथरा रखना हमारी जिम्मेदारी है। कचड़ा कूड़ा फेंकने की बजाय, हमें कूड़ेदान में फेंकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग करें: कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, इन्हें ठीक से डिकम्पोज करें या रिसाइकल के लिए भेजें।

पेड़ लगाएं : पेड़ों की कटाई वातावरणिक प्रदूषण में वृद्धि का कारण बन रही है, इसलिए हमें अधिक पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने का प्रयास करना चाहिए।

प्रदूषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और हमें इसे समाधान के लिए साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि हम सभी और आने वाली पीढ़ियाँ, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें।

Below are the related topics to pollution in English available at IL

  • Paragraph on Pollution in English
  • Essay on Pollution in English
  • Essay on Causes of Pollution
  • Article on Pollution
  • Types of Pollution

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • प्रदूषण विवादित प्राकृतिक संसाधनों को शामिल करने की प्रक्रिया है।
  • प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • प्राकृतिक प्रकोपों के साथ-साथ मानव गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगलों के जलने और ज्वालामुखी जैसी घटनाएं हैं।
  • प्रदूषण एक ग्लोबल समस्या है, राष्ट्रीय नहीं।
  • प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग करना, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं, जैसे कि सौर पैनल।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध FAQs

हिंदी में प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें.

प्रदूषण पर निबंध लिखने के लिए, आप प्रदूषण के प्रकार, कारण, प्रभाव, और निवारण के उपायों पर चर्चा कर सकते हैं।

प्रदूषण की समस्या पर निबंध कैसे लिखें?

प्रदूषण की समस्या पर निबंध लिखने के लिए, आपको इसके कारण, प्रभाव, और समाधान के बारे में विस्तार से लिखना होगा।

प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?

प्रदूषण का मुख्य कारण है वाहनों, उद्योगों, और अन्य जैविक और अजैविक कारकों से निकलने वाले विषाणु, धूल, ध्वनि, और अन्य जलवायु प्रदूषक।

प्रदूषण का हम पर क्या प्रभाव पड़ता है?

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है, जैसे की डायरिया, ब्रॉन्काइटिस, और अन्य बीमारियाँ। इसके अलावा, यह पर्यावरण को भी हानि पहुंचाता है।

प्रदूषण के बारे में आप कैसे लिखते हैं?

मैं प्रदूषण के खतरों, उसके प्रकारों, और निवारण के उपायों के बारे में लिखता हूँ।

प्रदूषण को 100 शब्दों में क्या कहते हैं?

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिसमें वायु, पानी, और भूमि के प्रदूषक वातावरण को हानि पहुंचाते हैं। यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करता है।

प्रदूषण का निष्कर्ष क्या है?

प्रदूषण को रोकने के लिए हमें सभी मिलकर काम करना होगा। हमें वायु, जल, और भूमि प्रदूषण को कम करने के लिए सावधानी से उपायों पर विचार करना होगा।

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Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध

September 23, 2017 by essaykiduniya

Get information about Pollution in Hindi. Here you will get Paragraph & Short Essay on Pollution in Hindi Language / Pradushan par Nibandh / Pradushan ke Karan in Hindi for students of all classes in 150, 250, 500, 600 and 1000 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में प्रदूषण पर निबंध मिलेगा।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध

Essay on pollution in hindi language – प्रदूषण पर निबंध ( 150 words ).

हमारे चारों ओर की चीज़ों को पर्यावरण कहा जाता है। यह जीवित प्राणियों और वनस्पतियों की दुनिया के साथ भूमि, पानी, हवा का संयोजन है। प्रकृति द्वारा बनाए गए पर्यावरण में एक अद्भुत संतुलन रहा है, और यह पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखता है। लेकिन मनुष्य जो की सबसे बुद्धिमान प्राणी है, ने अपने लाभ के लिए प्रकृति का शोषण करने की कोशिश की है। उन्होंने संसाधनों का उपयोग अपने तरीके से करने के लिए आविष्कारक कौशल लागू किया है। इसने प्रदूषण के कारण पारिस्थितिक संतुलन वितरित किया है। हमारी तथाकथित प्रगति और समृद्धि के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने की हमारी इच्छा ने हमें अपने पर्यावरण को नष्ट कर दिया है जिससे हमारे लिथोस्फीयर, वायुमंडल, जलमंडल और जीवमंडल को काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हम निश्चित रूप से भविष्य में परेशानी में होंगे। इसलिए, हमें किसी भी कीमत पर अपने पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 250 Words ) 

यह सही कहा जाता है कि मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन मनुष्य ही है वह इतना स्वार्थी हो गया है कि वह प्रकृति का शोषण कर रहा है। आज मनुष्य द्वारा बनाई गई सबसे गंभीर समस्या पर्यावरण प्रदूषण है। दूर के अतीत में कोई भी समस्या पर गंभीरता से ध्यान नहीं देता, लेकिन आज यह एक भयानक समस्या बन गई है। प्रदूषण की समस्या के लिए औद्योगिकीकरण की तेजी से प्रगति के साथ आधुनिक जीवन शैली को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। हर जगह हम अपने साँस को दबाने के अंधेरे बादलों को देख सकते हैं। सड़कों में वाहनों से भीड़ होती है जो जहरीली गैसों का उत्सर्जन करती हैं। कारखानों और कार्यशालाओं की चिमनी से निकलने वाले धुएं के कारण स्थिति बढ़ गई है।

व्यस्त सड़क पर कुछ मिनट के लिए भी चलना मुश्किल है। यह लोगों की एक आम शिकायत है कि उनकी आँखें अंधी हैं, कान बहरे हुए हैं और नाक की रासायनिक धूल और धुआं लापरवाह वनों की कटाई के परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग और अनियमित मानसून में हुई है। आक्सीजन इन दिनों दुर्लभ हो रहा है। दिन दूर नहीं हैं जब हमें श्वास लेने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाना होगा। रसायन उर्वरकों, कीटनाशकों और दवाइयों के अत्यधिक उपयोग ने हमारी धरती को जहरीली बना दिया है। पीने के पानी खतरनाक रसायनों से भरे हुए हैं।

वायु प्रदूषण भी चर्चा करने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि विज्ञान ने कई घातक बीमारियों का इलाज पाया है लेकिन प्रदूषण ने घातक रोगों की सूची में कई बीमारियों को शामिल किया है। इन बीमारियों को कभी भी नहीं सुना था। अब स्थिति ऐसे पास से आई है जहां मनुष्य, पशु और वनस्पति का हर अस्तित्व राज्य में है। हमें जागना और प्रदूषण को रोकना चाहिए अन्यथा यह बहुत देर हो जाएगी।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 500 Words )

प्रदूषण का अर्थ है वातावरण या वायुमंडल का दूषित होना। प्रदूषण की समस्या आधुनिक वैज्ञानिक युग की देन है। इस समस्या से विश्व के अधिकांश देश ग्रसित हैं। प्रकृति ने मानव की जीवन-प्रक्रिया को स्वस्थ बनाए रखने के लिए, उसे शुद्ध वायु, जल और वनस्पति तथा भूमि प्रदान की है। परंतु जब किन्हीं कारणों से ये सब दूषित हो जाती हैं तो मानव तथा अन्य प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए विभिन्न प्रकार से हानिकारक हो जाती हैं।

प्रदूषण चार प्रकार का होता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण। आधुनिक वैज्ञानिक युग में आर्थिक प्रगति के नाम पर अनेक प्रकार के छोटेबड़े कल-कारखानों और उद्योगों का विकास मानव ने अपनी भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए कर लिया है। जनसंख्या वृद्धि के कारण ग्राम, नगर और महानगरों ने बढ़ना आरंभ कर दिया है। वन क्षेत्र को काटकर आवास की समस्या हल की जा रही है। उत्पादन और सुरक्षा के लिए ऐसे यंत्रों का निर्माण किया जा रहा है जो रात-दिन ध्वनि और धुआँ उगलते रहते हैं। नदियों पर बा रहे हैं। परिवहन की सुविधा उपलब्ध होने के कारण ग्रामीण राज उगलते रहते हैं। नदियों पर बाँध बनाए जा बड़ी संख्या में नगरों-महानगरों की ओर आ रहे हैं। महानगरों के लोग ओर आ रहे हैं। महानगरों के लोग अपने उद्योगधंधा का गांव की ओर बढ़ा रहे हैं। इससे प्रदूषण को बढ़ावा मिल रहा है।

कल-कारखानों का दुषित और अनियंत्रित जल-मल बाहर निकलकर दुयु गैस फैलाला है। कारखानों की धुआँ गलती हुई चिमनियाँ दूर-दूर तक वातावरण को दूषित करती हैं, इनसे वायुमंडल दषित हो जाता है। इससे सॉस और फेफड़ा के रोग पनपते हैं, आँखें खराब होती हैं। वाहनों और मशीनों के शोर, यातायात के साधनों के हार्मों की चिल्ल-पों, चीखते लाउडस्पीकर, तेज आवाज़ में चलते टेलीविज़न, रेडियो, टेपरिकार्डर आदि से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। सुनाई देना कम हो जाता है, रक्तचाप बढ़ जाता है। शारीरिक व मानसिक रोग पनपते हैं। इससे मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जा स्रोतों में नहाने, कपडे धोने, मल-मूत्र त्यागने, जानवरों के नहलाने, शवा की राख बहाने आदि से भी जल प्रदूषित हो जाता है जिससे हैजा, आंत्रशोथ तथा पेचिश जैसे रोग हो जाते हैं। उपज बढ़ाने के लिए भूमि में विभिन्न प्रकार की रासायनिक खादों को मिलाया।

जा रहा है जिससे भूमि प्रदूषण होता है। ऐसी प्रदूषित भूमि में उत्पन्न होने वाला खाद्यान्न, साग-सब्ज़ियाँ भी प्रदूषित हो जाती हैं। इनके खाने से मानव के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। हमारे देश में ही नहीं, विश्व के अन्य देशों में भी प्रदूषण की समस्या निर्बाध रूप से बढ़ रही है। यह ठीक है कि विज्ञान की प्रगति के साथ औद्योगीकरण का विकास भी अनिवार्य हो गया है। यही रास्ता है जिस पर चलकर कोई देश आर्थिक रूप से संपन्न हो सकता है। किंतु फिर भी हमें आधुनिक सभ्यता के पर्याय ध्वनि विस्तारक यंत्र, आँखों को चौंधियाती बत्तियाँ, रसायनों से बने खाद्य और वस्त्र, औषधियाँ और सौंदर्य प्रसाधन, परिवहन के साधनों की अनिवार्यता पर अंकुश लगाना पड़ेगा।

इसके अतिस्क्ति मानव निर्मित कृत्रिम वातावरण व प्रकृति द्वारा प्रदत्त वातावरण में संतलन कायम करना होगा। वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना पड़ेगा। वन क्षेत्र बढाने के लिए वृक्ष लगाने होंगे। जनसंख्या पर नियंत्रण करना पड़ेगा। खतरनाक रसायनों को कम-से-कम प्रयोग करना पड़ेगा। अणुबमों के विकास तथा परीक्षण पर रोक लगानी पड़ेगी, तभी आधुनिक सभ्यता में जीने वाला मानव स्वस्थ और सुखी जीवन व्यतीत कर सकेगा।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 600 Words )

प्रदूषण मानव जाति के लिए सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है| प्रदूषण को बहुत बड़ी मात्रा में पर्यावरण में जहरीले और अवांछित पदार्थों के अलावा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। तीन तरह के प्रदूषण-हवा, पानी और मिट्टी है विभिन्न ऑटोमोबाइल और उद्योगों द्वारा वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसे विषाक्त गैसों का उत्सर्जन, जीवन देने वाले ऑक्सीजन की असंतुलन का कारण बनता है। इस प्रकार हवा प्रदूषित हो जाता है और सांस लेने के लिए अयोग्य है। उद्योगों से अपशिष्ट जल और उनके तरल पदार्थों को नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है।

वे जल प्रदूषण करने के अलावा समुद्री जीवन को भी मारते हैं, तटीय और नदी के पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाते हैं और पेयजल संसाधनों को नष्ट करते हैं। मक्खियों जो इन प्रदूषकों पर फ़ीड अपने शरीर पर जहर बरकरार रखता है। जब मनुष्य इन मछलियों का उपभोग करते हैं तो उन्हें जहर मिलता है।  पर्यावरण प्रदूषण एक बहुत गंभीर विषय है| कृषि में उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक और गैर-जिम्मेदार उपयोग से मिट्टी प्रदूषण का कारण बनता है। यह केवल इसलिए है क्योंकि पौधे केवल उर्वरक या कीटनाशक का एक निश्चित मात्रा ले सकता है अतिरिक्त मात्रा मिट्टी में जाती है जिससे मिट्टी के पुनरुत्थान की शक्तियों को नष्ट हो जाता है और इसे बांझकर बना दिया जाता है। बारिश के दौरान अक्सर यह अतिरिक्त उर्वरक और कीटनाशक के पास के तालाबों और नहरों में प्रवाह होता है, जो इस प्रकार ज़हर हो जाते हैं।

नवीनतम प्रदूषक जो हवा, पानी और मिट्टी की धमकी दे रहा है वह परमाणु अपशिष्ट और उत्सर्जन है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में कोई भी दुर्घटना मिट्टी, वायु, अनाज, पानी इत्यादि में उत्पन्न होती है, जिससे उन्हें सभ्यता के लिए अयोग्य बनाते हैं। वैसे, सबकुछ नष्ट नहीं हुआ है। हाल ही में तकनीकी प्रगति ने प्रदूषण को नियंत्रित करने और पारिस्थितिकी को अपने मूल गुणवत्ता में लौटाना संभव बना दिया है। इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिटीटेटर्स या औद्योगिक उत्सर्जन, ऑटोमोबाइल उत्सर्जन के लिए उत्प्रेरक कन्वर्टर्स, औद्योगिक अपशिष्ट जल और तरल पदार्थों के लिए पौधों को रीसाइक्लिंग और कृषि प्रयोजनों के लिए जैव उर्वरक और कीटनाशकों आदि आदि कुछ ऐसे उपाय हैं जो प्रकृति को अपनी पवित्रता प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। इन उपायों की उपस्थिति में अब जो जरूरी है वह जनता है और राजनीतिक दृढ़ संकल्प को छूटेगा, ताकि हम एक बार फिर साफ वातावरण में रह सकें।

शोर प्रदूषण का भी पर्यावरण और लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अनुसंधान से पता चलता है कि कई बीमारियां शोर प्रदूषण से जुड़ी हैं, जैसे कि सुनवाई हानि, उच्च रक्तचाप, कोरोनरी हृदय रोग और भाषण हस्तक्षेप। औद्योगिक शोर भी पशुओं के जीवन को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, जहाज़ों की आवाज़ के कारण व्हेल नेविगेशन प्रणाली टूट जाती है| इसके अलावा, औद्योगिक शोर जंगली प्रजातियों को अधिक जोर देने के लिए संवाद करता है जिससे अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है और उनकी जीवन अवधि कम हो जाती है। जनसंख्या और तकनीकी प्रगति का विकास पृथ्वी के पारिस्थितिक अवस्था पर आधारित है।

प्राकृतिक स्रोतों, कारखानों और पौधों का काम, और मानव गतिविधि के अन्य उत्पादों का निष्कर्षण परिणामस्वरूप विभिन्न पर्यावरणीय समस्याओं में होता है। पानी, वायु और ध्वनि का प्रदूषण हमारे पर्यावरण पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रदूषण के प्रभाव में एसिड बारिश, हानिकारक बीमारियों और लोगों और जानवरों की बीमारियों और ग्लोबल वार्मिंग शामिल है। पर्यावरण प्रदूषण वैश्विक समस्या है जो पर्यावरण संरक्षण और पुनर्वास के लिए कट्टरपंथी कार्यों की मांग करता है। इसके अलावा, वैश्विक समुदाय के एकजुट प्रयासों द्वारा इस समस्या का वैश्विक स्तर पर हल किया जाना चाहिए।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 1000 Words )

‘प्रदूषण’ शब्द को लैटिन शब्द ‘प्रदूषण’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘गंदी बनाना’ प्रदूषण पर्यावरण को बनाने की प्रक्रिया है, अर्थात्, भूमि, पानी और हवा में हानिकारक पदार्थों को जोड़कर गंदा। पर्यावरण में प्रदूषण असंतुलन का कारण बनता है। इस असंतुलन ने जीवन के सभी रूपों के बहुत अस्तित्व को खतरा बताया है यह पूरी दुनिया के लिए खतरा है| पर्यावरण निष्पादन सूचकांक 2012 में भारत 132 देशों में से कम 125 में स्थान रखता है। यह रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच के साथ मिलकर येल और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की जाती है। पर्यावरण प्रदूषण औद्योगिक समाज की एक गंभीर समस्या है औद्योगिक विकास और हरित क्रांति ने पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

लोगों ने पूरे जीवन की जीवन-प्रणाली को अपने संसाधनों में परिवर्तित कर दिया है और प्राकृतिक पारिस्थितिक संतुलन में काफी परेशान किया है। मानवीय लालच को संतुष्ट करने के लिए संसाधनों का अति प्रयोग, दुरुपयोग और कुप्रबंधन के कारण गंभीर गिरावट और कमी ‘का कारण रहा है। पर्यावरण प्रदूषण को हमारे परिवेश के प्रतिकूल परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया गया है। यह मानवीय गतिविधियों का उप-उत्पाद है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण में होने वाले बदलावों के लिए जिम्मेदार हैं। ये परिवर्तन भूमि, वायु या पानी के शारीरिक, रासायनिक या जैविक विशेषताओं में हो सकते हैं जो मानव जीवन और अन्य जीवित चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं। जनसंख्या विस्फोट, तेजी से औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, अनियोजित शहरीकरण, वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति आदि पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।

भारत के कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 35 प्रतिशत गंभीर पर्यावरणीय प्रदूषण के अधीन है। पृथ्वी के तीन-चौथाई पानी होते हैं, फिर भी पिटबुल पानी की कमी होती है भारत में, नदियों, झीलों, तालाबों और कुओं जैसे पानी के सभी स्रोत प्रदूषित हैं और पीने के लिए अयोग्य हैं। उर्वरकों के बढ़ते उपयोग के परिणामस्वरूप, नदियों, समुद्र और महासागर हानिकारक प्रदूषक के साथ दूषित हो गए हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि हर साल 500 टन से अधिक पारा महासागर में प्रवेश करता है। तेल की सफ़ाई, औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों, सीवेज और उर्वरकों ने जल जीवन को भी धमकी दी है। औद्योगिकीकरण ने शहरीकरण के लिए नेतृत्व किया है।

काम की तलाश में शहरों में ग्रामीण आबादी का उत्थान एक अस्वस्थ वातावरण बनाता है। यह झुग्गी क्षेत्रों की भीड़-भाड़ और स्थापना के लिए प्रेरित हुआ है। कस्बों और शहरों में धुएं, गंदगी, धूल, बकवास, गैसों, गंध और शोर से भरे हुए हैं। वायु प्रदूषण प्रदूषण का सबसे खतरनाक रूप है। यह उद्योगों से गैस उत्सर्जन, थर्मल पावर स्टेशन, घरेलू दहन, आदि से निकलता है। वायु प्रदूषण के कारण, हवा की संरचना पूरी दुनिया में बदल रही है। ज्यादातर गैस और वायु प्रदूषण ईंधन के जलने से उत्पन्न होते हैं। कोयले की जलन कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि उत्पन्न करती है, जो अम्ल वर्षा के लिए जिम्मेदार हैं।

क्लोरोफ्लोरोकार्बन, जो प्रणोदक और रेफ्रिजरेंट के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, ओजोन की कमी के कारण होता है। परमाणु विस्फोट और परमाणु परीक्षण, जो दिन से बढ़ रहे हैं, हवा में रेडियोधर्मी सामग्री फैलाएं। यह रेडियोधर्मी प्रदूषण के कारण मानव में कैंसर, असामान्य जन्म और उत्परिवर्तन हो सकता है। आगरा में ताजमहल , मथुरा रिफाइनरी से उत्सर्जित धुएं से प्रभावित है। रिपोर्टों का अनुमान है कि रिफाइनरी से हानिकारक उत्सर्जन के कारण स्मारक बीस वर्षों के अंतराल के भीतर विलीन हो जाएगा।

जल प्रदूषण में पानी की गुणवत्ता में भारी प्रभाव पड़ता है। यह पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को परेशान करता है और स्वास्थ्य संबंधी खतरों का कारण बनता है। पानी अकार्बनिक और जैविक या जैविक पदार्थों की मौजूदगी या इसके अलावा के द्वारा प्रदूषित हो जाता है। नदियों में फेंकने वाले औद्योगिक अपशिष्ट जल को जल प्रदूषण के स्तरों में जोड़ देते हैं। शोर भी प्रमुख प्रदूषकों में से एक है। मेगा शहरों में सामान्य शोर स्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है शोर मुख्यतः लाउडस्पीकर, एयरक्राफ्ट और अन्य मोटर वाहन, जुलूस और रैलियों के कारण होता है|

मृदा प्रदूषण आम तौर पर कृषि पद्धतियों से और अमानवीय आदतों से ठोस और अर्द्ध ठोस अपशिष्टों के निपटान से निकलता है। खतरनाक सामग्री और सूक्ष्म जीवों द्वारा मिट्टी को अत्यधिक प्रदूषित किया जाता है, जो खाद्य श्रृंखला या पानी में प्रवेश करते हैं और कई स्वास्थ्य खतरा पैदा करते हैं ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में जलवायु परिवर्तन हुआ है।

प्रदूषण की वृद्धि के कारण ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हुई है। प्राकृतिक और मानव गतिविधि दोनों के परिणामस्वरूप ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी के तापमान में ग्लोबल वार्मिंग औसत वृद्धि है जलवायु परिवर्तन का शब्द अक्सर ग्लोबल वार्मिंग शब्द के साथ एक दूसरे शब्दों में प्रयोग किया जाता है। ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ टोपी तेजी से पिघल शुरू हो गई है इससे समुद्र और महासागरों के जल स्तर के उदय में वृद्धि हुई है। अंटार्कटिका में ‘घास अंकुरण’ और संयुक्त अरब अमीरात के रेगिस्तान में बर्फबारी, ग्लोबल वार्मिंग के सभी चेतावनी संकेत हैं। ये ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण होते हैं|

भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है, लेकिन जंगलों के विनाश के कारण जलवायु परिवर्तन में बदलाव आया है। इससे वन्य जीवन की कई दुर्लभ प्रजातियों के विलुप्त होने का भी कारण बन गया है। प्रदूषण विभिन्न प्रकार के रोगों का कारण बनता है वायु प्रदूषण एलर्जी, अस्थमा, फेफड़े के कैंसर और ब्रोंकाइटिस का कारण बनता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण श्वसन समस्याओं, पक्षाघात, कैंसर और अन्य बीमारियों का कारण है। अत्यधिक शोर प्रदूषण के कारण बधिरता, चिंता, तनाव, दिल की धड़कन की दर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि हो सकती है। ओजोन परत की कमी के कारण त्वचा रोग भी हो सकते हैं। प्रदूषण के इस खतरे से लड़ने के लिए, जोरदार प्रयास किए जाने चाहिए। प्रदूषण विरोधी कानून को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। जल प्रदूषण को रोकने के लिए, सीवेज और कारखाना कचरे को उचित तरीके से इलाज और साफ करने से पहले साफ किया जाना चाहिए। हर जगह और वाहनों को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।

जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य के बीच सीधा संबंधों की जागरूकता, इन समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपटने और विनाश से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। दुनिया के सभी देशों को पर्यावरण पर नियंत्रण रखने के लिए जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए प्रदूषण। इस दिशा में एक कदम संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन है, जो दुनिया के सभी सदस्य देशों को एक मेज पर मंथन करने के लिए लाता है, और जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीके अपनाता है।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध (  Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध )को पसंद करेंगे।

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essay on pollution : प्रदूषण पर हिन्दी निबंध

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पर्यावरण प्रदूषण: नियंत्रण के उपाय पर निबंध

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प्रदूषण पर निबंध – Pollution / Pradushan Essay in Hindi Pdf Download

Pradushan Essay in Hindi

प्रदूषण तब होता है जब पर्यावरण में कुछ जीवित चीजों को हानिकारक या जहरीला तत्त्व आ जाते है। जल निकायों में प्रदूषित पानी या कचरा प्रदूषण का एक प्रकार है। दूसरे शब्दों में, प्रदूषण का मतलब कार्बन मोनोऑक्साइड आदि जैसे प्रदूषकों के उत्सर्जन के कारण पर्यावरण में अचानक परिवर्तन होता है। पीने के पानी में सीवेज एक और प्रकार का प्रदूषण है, जिसमें रोगाणु होते हैं और वायरस। 3 प्रकार के प्रदूषण हैं: जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, और शोर प्रदूषण। अगर आपको भी pradushan par nibandh in hindi, प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध, पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध इन हिंदी, आदि की जानकारी देंगे|

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में

प्रस्तावना : विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले है, वहां कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर हैं। प्रदूषण का अर्थ : प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना। प्रदूषण कई प्रकार का होता है! प्रमुख प्रदूषण हैं – वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण । वायु-प्रदूषण : महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर-वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमे हुए पाती है। ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है। जल-प्रदूषण : कल-कारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल-प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का दुर्गंधित जल सब नाली-नालों में घुल मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियां पैदा होती है। ध्वनि-प्रदूषण : मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर-गाड़ियों की चिल्ल-पों, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दिया है। प्रदूषणों के दुष्परिणाम: उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है। प्रदूषण के कारण : प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है। सुधार के उपाय : विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।

निबंध in hindi

प्रस्तावना वर्तमान युग में तरक्की के कारण पृथ्वी वह मुख्य समस्या बनकर उभरा है जो पृथ्वी के वातावरण को प्रभावित कर रहा है। इसमें कोई शक नही है कि प्रदूषण हमारे पर्यावरण और समान्य जीवन स्तर को प्रभावित कर रहा है। हमारा प्राकृतिक पर्यावरण हमारे मूर्खतापूर्ण कार्यों के कारण दिन-प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है, जिससे हम खुद भी प्रभावित हो रहे है। प्रदूषण के प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण कुछ ऐसे मुख्य प्रदूषण है, जिनके कारण पर्यावरण दिन-प्रतिदिन प्रभावित होता जा रहा है। इन्हीं मुख्य प्रदूषणों के विषय में नीचे विस्तार से जानकारी दी गयी है। जल प्रदूषण जल प्रदूषण वह बड़ी समस्या है जो प्रत्यक्ष रुप से जलीय जीवन को प्रभावित करता है क्योंकि जलीय जीव अपने आहार तथा पोषण के लिए पूर्ण रुप से पानी पर निर्भर करते है। लगातार जलीय जीवों के विलुप्त होने कारण मनुष्यों के रोजगार और भोजना श्रृंखला पर भी खतरा मंडराने लगा है। कारखानों से निकला हानिकारक रसायन, सीवेज, फार्म से निकले कचरों को सीधे तौर पर नदियों, झीलों और समुद्र जैसे जल स्त्रोंतों में निस्तारित कर दिया जाता है। जिससे यह पानी दूषित हो जाता है और कई तरह की बीमारियां उत्पन्न करता। भूमि प्रदूषण भूमि प्रदूषण काफी ज्यादे मात्रा में कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग के कारण होता है। इनके उपयोग से पैदा होने वाली फसलों का सेवन करने से सेहत पर कई तरह के हानिकारक प्रभाव उत्पन्न होते है। ध्वनि प्रदूषण हैवी मशीनरी, टेलीवीजन, रेडियों और स्पीकर आदि ध्वनि प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत है। जिसके कारण बहरेपन की भी समस्या हो सकती है, ध्वनि प्रदूषण के कारण बुजुर्ग व्यक्ति सबसे अधिक प्रभावित होते है और इसके कारण उनमें हृदयघात और तनाव जैसी बीमारियां भी उत्पन्न हो जाती है। निष्कर्ष हर प्रकार का प्रदूषण हमारे लिए काफी खतरनाक होता है और हमें इसके काफी गंभीर परिणाम भुगतने होते है। इसके अलावा हमें पर्यावरण का ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि हम प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बनाये रख सके। इस समस्या से निपटने के लिए हम सबको संयुक्त प्रयास करने की आवश्यकता है, जिससे हम पृथ्वी पर स्वच्छ और अप्रदूषित वातावरण बनाये रख सके। इस प्रदूषण को रोककर हम अपने ग्रह पर निवास करने वाले कई सारे मासूम जीवों के लिए वातावरण को उनके अनुकूल बनाकर उन्हें बचा पायेंगे।

प्रदूषण की समस्या पर निबंध

The environmental pollution essay

प्रस्तावना आज के समय में प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुका है। इसने हमारे पृथ्वी को पूर्ण रुप से बदल कर रख दिया है और दिन-प्रतिदिन पर्यावरण को क्षति पहुंचाते जा रहे है, जोकी हमारे जीवन को और भी ज्यादे मुश्किल बनाते जा रहा है। कई तरह के जीव और प्रजातियां प्रदूषण के इन्हीं हानिकारक प्रभवों के कारण धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहीं है। प्रदूषण को इसके प्रकृति के आधार पर कई वर्गों में बांटा गया है, विभिन्न प्रकार के प्रदूषण हमारे ग्रह को विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुंचा रहे है। इन्हीं प्रदूषणों के प्रकार, इनके कारणों, प्रभावों और रोकथाम के विषय में नीचे चर्चा कि गयी है। प्रदूषण के प्रकार यह है मुख्य प्रकार के प्रदूषण उनके कारण तथा उनके द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभाव, जोकि हमारे पर्यावरण और दैनिक जीवन को कई तरह से प्रभावित करते है। 1.वायु प्रदूषण वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है। वायु प्रदूषण का प्रभाव सिर्फ मानव स्वास्थ्य तक ही सीमित नही है बल्कि की पर्यावरण पर भी इसके काफी विपरीत प्रभाव होते है, जिससे की ग्लोबल वार्मिंग जैसी भयावह समास्याएं उत्पन्न हो जाती है। 2.जल प्रदूषण उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है। यह प्रदूषक पानी में मिलकर हमारे स्वास्थ्य को भी खराब करते है। इसके साथ ही जल प्रदूषण की यह समस्या जलीय जीवन के लिए भी एक गंभीर समस्या बन गयी है, जिसके कारण प्रत्येक दिन कई सारे जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है। 3.भूमि प्रदूषण वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है। इसके साथ ही भारी मात्रा में उत्पन्न होने वाले कचरे से भूमि विषाक्त भी हो जाती है। लगातार कीटनाशकों और दूसरे रसायनों का इस्तेमाल करने के कारण भी भूमि प्रदूषण में वृद्धि होती है। इस तरह के प्रदूषण को भूमि प्रदूषण के नाम से जाना जाता है। 4.ध्वनि प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है। 5.प्रकाश प्रदूषण प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। 6.रेडियोएक्टिव प्रदूषण रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है। रेडियोएक्टिव तत्व पर्यावरण को काफी हानिकारक रुप से नुकसान पहुंचाते है, यह प्रदूषक जल स्त्रोतों में मिलकर उन्हें प्रदूषित कर देते हैं, जिससे यह हमारे उपयोग योग्य नही रह जाते है। 7.थर्मल प्रदूषण थर्मल प्रदूषण का तात्पर्य जल स्त्रोतों के तापमान में एकाएक होने वाले परिवर्तन से है। यह कोई मामूली परिवर्तन नही है क्योंकि यह पूरे पर्यावरण तंत्र का संतुलन बिगाड़ने की क्षमता रखता है। कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। शीतलक के रुप में इस्तेमाल किया गया यह पानी जब एकाएक जल स्त्रोतों में वापस छोड़ा जाता है, तब यह पानी में मौजूद आक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है क्योंकि गैसे गरम पानी में कम घुलनशील होती है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। 8.दृश्य प्रदूषण मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि। दृष्य प्रदूषण के लगातार संपर्क में आने से आंखों की थकान, तनाव, अवसाद जैसी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। इसी अनियोजित और अनियमित निर्माण के कारण दृश्य प्रदूषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है। विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

The environmental pollution essay

Introduction In the modern world of technological advancement, pollution has become a serious environmental issue affecting the lives on earth. Pollution is undoubtedly affecting the whole environment and ecosystem and thus the normal quality of life. Our naturally beautiful environment on the earth is deteriorating day by day just by the foolish acts of human beings and the irony is that they themselves are getting affected by their deeds. Types of Pollution Some of the most important types of the pollution are air pollution, water pollution, soil pollution and noise pollution. Major types of pollution are given as below: Air Pollution The main cause of air pollution is the heavy emissions of harmful and poisonous gases coming from the increasing number of vehicles, factories and open burning. Most of the air pollution is carried out by the transportation system on daily basis. Carbon dioxide and carbon monoxide are the toxic gases polluting the air and reducing the oxygen level in the environment. Some other habits like open burning of household garbage and leftovers of crops etc are also worsening the air quality. Air pollution causes respiratory disorders including lung cancer among human beings. Water Pollution Water pollution is also a big issue directly affecting the marine life as they only depend on the nutrients found in the water for their survival. Gradual disappearance of the marine life would really affect the livelihood of human beings and animals. Harmful wastes from factories, industries, sewage systems, farms etc are directly dumped into the main sources of water like rivers, lakes and oceans making the water contaminated. Drinking contaminated water can cause various water borne diseases. Soil Pollution Soil pollution is caused by the excessive use of fertilizers, fungicides, herbicides, insecticides and other chemical compounds. This contaminates the crop produced on the soil and this when consumed can cause severe health hazards. Noise Pollution The source of noise pollution is the noise created from the heavy machinery, vehicles, radio, TV, speakers etc which causes hearing problems and sometimes deafness. Noise pollution highly affects the elderly people and might also lead to heart attacks and depression. Conclusion Each and every type of pollution is dangerous and might result in a very serious consequence. We should take care of our environment to maintain the natural ecosystem. It requires a joint effort from everyone to get control over the issue of pollution so that we can get a healthy and unpolluted environment. Preventing pollution is also very important to save other innocent species on earth and make the environment suitable for them.

Pollution essay in english

Environmental pollution occurs when pollutants contaminate the natural surroundings. Pollution disturbs the balance of our ecosystems, affect our normal lifestyles and gives rise to human illnesses and global warming. Pollution has reached its peak due to the development and modernization in our lives. With the development of science and technology, there has been a huge growth of human potentials. People have become prisoners of their own creations. We waste the bounties of our nature without a thought that our actions cause serious problems. We must deepen our knowledge of nature`s laws and broaden our understanding of the laws of the human behavior in order to deal with pollution problems. So, it is very important to know different types of pollutions, their effects and causes on humanity and the environment we live in. Types, causes, and effects of pollution Air pollution is one of the most dangerous forms of pollution. A biological, chemical, and physical alteration of the air occurs when smoke, dust, and any harmful gases enter into the atmosphere and make it difficult for all living beings to survive as the air becomes contaminated. Burning of fossil fuels, agriculture related activities, mining operations, exhaust from industries and factories, and household cleaning products entail air pollution. People release a huge amount of chemical substances in the air every day. The effects of air pollution are alarming. It causes global warming, acid rains, respiratory and heart problems, and eutrophication. A lot of wildlife species are forced to change their habitat in order to survive. Soil pollution occurs when the presence of pollutants, contaminants, and toxic chemicals in the soil is in high concentration that has negative effect on wildlife, plants, humans, and ground water. Industrial activity, waste disposal, agricultural activities, acid rain, and accidental oil spill are the main causes of soil pollution. This type of contamination influence health of humans, affects the growth of plants, decreases soil fertility, and changes the soil structure. Water pollution is able to lead our world on a path of destruction. Water is one of the greatest natural resources of the whole humanity. Nothing will be able to live without water. However, we do not appreciate this gift of nature and pollute it without thinking. The key causes of the water pollution are: industrial waste, mining activities, sewage and waste water, accidental oil leakage, marine dumping, chemical pesticides and fertilizers, burning of fossil fuels, animal waste, urban development, global warming, radioactive waste, and leakage from sewer lines. There is less water available for drinking, cooking, irrigating crops, and washing. Light pollution Light pollution occurs because of the prominent excess illumination in some areas. Artificial lights disrupt the world`s ecosystems. They have deadly effects on many creatures including mammals, plants, amphibians, insects, and birds. Every year many bird species die colliding with needlessly illuminated buildings. Moreover, artificial lights can lead baby sea turtles to their demise. Noise pollution takes place when noise and unpleasant sounds cause temporary disruption in the natural balance. It is usually caused by industrialization, social events, poor urban planning, household chores, transportation, and construction activities. Noise pollution leads to hearing problems, health issues, cardiovascular issues, sleeping disorders, and trouble communicating. Moreover, it affects wildlife a lot. Some animals may suffer from hearing loss while others become inefficient at hunting. It is very important to understand noise pollution in order to lower its impact on the environment. Radioactive pollution is the presence of radioactive substances in the environment. It is highly dangerous when it occurs. Radioactive contamination can be caused by breaches at nuclear power plants or improper transport of radioactive chemicals. Radioactive material should be handled with great care as radiation destroys cells in living organisms that can result in illness or even death.

जल प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण आज की दुनिया की एक गंभीर समस्या है । प्रकृति और पर्यावरण के प्रेमियों के लिए यह भारी चिंता का विषय बन गया है । इसकी चपेट में मानव-समुदाय ही नहीं, समस्त जीव-समुदाय आ गया है । इसके दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहे हैं । प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है-गंदगी । वह गंदगी जो हमारे चारों ओर फैल गई है और जिसकी गिरफ्त में पृथ्वी के सभी निवासी हैं उसे प्रदूषण कहा जाता है । प्रदूषण को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण । ये तीनों ही प्रकार के प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं। वायु और जल प्रकृति-प्रदत्त जीवनदायी वस्तुएँ हैं । जीवों की उत्पत्ति और जीवन को बनाए रखने में इन दोनों वस्तुओं का बहुत बड़ा हाथ है । वायु में जहाँ सभी जीवधारी साँस लेते हैं वहीं जल को पीने के काम में लाते हैं । लेकिन ये दोनों ही वस्तुएं आजकल बहुत गंदी हो गई हैं । वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण इसमें अनेक प्रकार की अशुद्ध गैसों का मिल जाना है । वायु में मानवीय गतिविधियों के कारण कार्बन डायऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसे प्रदूषित तत्व भारी मात्रा में मिलते जा रहे हैं । जल में नगरों का कूड़ा-कचरा रासायनिक पदार्थों से युक्त गंदा पानी प्रवाहित किया जाता रहा है । इससे जल के भंडार; जैसे-तालाब, नदियाँ,झीलें और समुद्र का जल निरंतर प्रदूषित हो रहा है । ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है – बढ़ती आबादी के कारण निरंतर होनेवाला शोरगुल । घर के बरतनों की खट-पट, मशीनों की खट-पट और वाद्‌य-यंत्रों की झन-झन दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है । वाहनों का शोर, उपकरणों की चीख और चारों दिशाओं से आनेवाली विभिन्न प्रकार की आवाजें ध्वनि प्रदूषण को जन्म दे रही हैं । महानगरों में तो ध्वनि-प्रदूषण अपनी ऊँचाई पर है । प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में विचार करें तो ये बड़े गंभीर नजर आते हैं । प्रदूषित वायु में साँस लेने से फेफड़ों और श्वास-संबंधी अनेक रोग उत्पन्न होते हैं । प्रदूषित जल पीने से पेट संबंधी रोग फैलते हैं । गंदा जल, जल में निवास करने वाले जीवों के लिए भी बहुत हानिकारक होता है । ध्वनि प्रदूषण मानसिक तनाव उत्पन्न करता है । इससे बहरापन, चिंता, अशांति जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है । आधुनिक वैज्ञानिक युग में प्रदूषण को पूरी तरह समाप्त करना टेढ़ी खीर हो गई है । अनेक प्रकार के सरकारी और गैर-सरकारी प्रयास अब तक नाकाफी सिद्ध हुए हैं । अत: स्पष्ट है कि जब तक जन-समूह निजी स्तर पर इस कार्य में सक्रिय भागीदारी नहीं करता, तब तक इस समस्या से निबटना असंभव है । हरेक को चाहिए कि वे आस-पास कूड़े का ढेर व गंदगी इकट्‌ठा न होने दें । जलाशयों में प्रदूषित जल का शुद्धिकरण होना चाहिए । कोयला तथा पेट्रोलियम पदार्थों का प्रयोग घटा कर सौर-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा, बायो गैस, सी.एन.जी, एल.पी.जी, जल-विद्‌युत जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों का अधिकाधिक दोहन करना चाहिए । हमें जंगलों को कटने से बचाना चाहिए तथा रिहायशी क्षेत्रों में नए पेड़ लगाने चाहिए । इन सभी उपायों को अपनाने से वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण को घटाने में काफी मदद मिलेगी । ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ ठोस एवं सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है । रेडियो, टी.वी. , ध्वनि विस्तारक यंत्रों आदि को कम आवाज में बजाना चाहिए । लाउडस्पीकरों के आम उपयोग को प्रतिबंधित कर देना चाहिए । वाहनों में हल्के आवाज वाले ध्वनि-संकेतकों का प्रयोग करना चाहिए । घरेलू उपकरणों को इस तरह प्रयोग में लाना चाहिए जिससे कम से कम ध्वनि उत्पन्न हो । निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि प्रदूषण को कम करने का एकमात्र उपाय सामाजिक जागरूकता है । प्रचार माध्यमों के द्वारा इस संबंध में लोगों तक संदेश पहुँचाने की आवश्यकता है । सामूहिक प्रयास से ही प्रदूषण की विश्वव्यापी समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है ।

वायु प्रदूषण पर निबंध

यह जानकारी जैसे Hindi, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font , 100 words, 150 words, 200 words, 400 words में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

भूमिका : मनुष्य प्रकृति की एक सर्वश्रेष्ठ रचना है। जब तक मनुष्य प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करता है तब तक उसका जीवन सभी और सहज बना रहता है। लेकिन विज्ञान के इस युग में मानव को जहाँ पर कुछ वरदान मिले हैं वहीं पर अभिशाप भी दिए हैं। प्रदुषण प्राणी के लिए एक ऐसा अभिशाप है जो विज्ञान की कोख से जन्मा है जिसे सहने के लिए ज्यादातर लोग मजबूर हैं। प्रदुषण आज के समय की एक गंभीर समस्या बन चुकी है। जो लोग प्रकृति और पर्यावरण प्रेमी हैं उनके लिए यह बहुत ही चिंता का विषय है। प्रदुषण से केवल मनुष्य समुदाय ही नहीं बल्कि पूरा जीव समुदाय प्रभावित हुआ है। इसके दुष्प्रभावों को चारो तरफ देखा जा सकता है। पिछले कुछ सालों से प्रदुषण बहुत अधिक मात्रा में बढ़ा है कि भविष्य में मनुष्य जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल हो जायेगा। प्रदुषण का अर्थ एवं स्वरूप : प्रदुषण का अर्थ होता है – गंदगी या प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। स्वच्छ वातावरण में ही जीवन का विकास संभव होता है। जब हमारे वातावरण में कुछ खतरनाक तत्व आ जाते हैं तो वे वातावरण को दूषित कर देते हैं। यह गंदा वातावरण हमारे स्वास्थ्य के लिए अनेक तरह से हानिकारक होता है। इस तरह से ही वातावरण के दूषित होने को ही प्रदुषण कहते हैं। औद्योगिक क्रांति की वजह से पैदा होने वाले कूड़े-कचरे के ढेर से प्रथ्वी की हवा और जल प्रदूषित हो रहे हैं। वायु प्रदुषण :- वायु हमारे जीवन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्त्रोत होती है। जब वायु में हानिकारक गैसें जैसे कार्बन-डाई-आक्साइड और कार्बन-मोनो-आक्साइड मिलते हैं तो वायु को प्रदूषित कर देते हैं इसे ही वायु प्रदुषण कहते हैं। बहुत से कारणों से जैसे- पेड़ों का काटा जाना , फैक्ट्रियों और वाहनों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदुषण होता है। वायुप्रदुषण की वजह से अनेक तरह की बीमारियाँ भी हो जाती हैं जैसे – अस्थमा , एलर्जी , साँस लेने में समस्या होना आदि। जब मुम्बई की औरतें धुले हुए कपड़ों को छत से उतारने के लिए जाती हैं तो उन पर काले-काले कणों को जमा हुआ देखती हैं। जब ये कण साँस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं जिसकी वजह से मनुष्य को असाध्य रोग हो जाते हैं। वायु प्रदुषण को रोकना बहुत ही आवश्यक है। जल प्रदुषण : जल के बिना किसी भी प्रकार से जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जब इस जल में बाहरी अशुद्धियों की वजह से दूषित हो जाता है इसे ही जल प्रदुषण कहते हैं। जब बड़े-बड़े नगरो और शहरों के गंदे नालों और सीवरों के पानी को नदियों में बहा दिया जाता है और यही पानी हम पीते हैं तो हमें हैजा, टाइफाइड , दस्त जैसे रोग हो जाते हैं।

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Essay on Plastic Pollution: छात्रों और बच्चों के लिए प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध

pollution for essay in hindi

  • Updated on  
  • जून 26, 2024

Essay on Plastic Pollution

आज के दौर में प्लास्टिक हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। खरीदारी से लेकर भोजन तक, हर जगह प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। लेकिन क्या आप जानते है कि प्लास्टिक में मौजूद रसायन हमारे वातावरण और स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है और इसका अत्यधिक उपयोग प्लास्टिक प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है जो हमारे ग्रह, वन्यजीवों और मानव स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है। यह प्रदूषण आज के दौर में सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है। ऐसे में लोगों को इसके बारे में जागरूक करने के लिए तरह तरह के अभियान चलाये जाते हैं। वहीं कई बार प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थियों को प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस ब्लॉग में आपको 100, 200 और 500 शब्दों में प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Essay on Plastic Pollution in Hindi) के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं।

This Blog Includes:

प्लास्टिक प्रदूषण क्या होता है, प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में, प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में, प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध 500 शब्दों में, प्लास्टिक प्रदूषण पर स्लोगन, प्लास्टिक प्रदूषण से जुड़े कुछ फैक्ट्स.

प्लास्टिक प्रदूषण एक पर्यावरणीय समस्या है जो प्लास्टिक के उपयोग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। प्लास्टिक एक अविश्वसनीय औद्योगिक उत्पाद है जो बहुत सारे उपयोगों के लिए इस्तेमाल होता है, जैसे कि खाद्य संचार, वस्त्रों, इलेक्ट्रॉनिक्स, औषधि पैकेजिंग, आदि। प्लास्टिक की बढ़ती मांग के कारण, इसका उत्पादन और उपयोग भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है। प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का उपयोग करने के बाद उसे कचरे के रूप में भूमि पर या जल स्रोतों में फेंकना और इस प्लास्टिक कचरे का इकठ्ठा होना ही प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है।

छात्र 100 शब्दों में प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Essay on Plastic Pollution in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

प्लास्टिक प्रदूषण, आज दुनिया के सामने सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है। प्लास्टिक प्रदूषण, हमारे ग्रह, वन्यजीवों और मानव स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है और दमा, पलमोनेरी कैंसर (फेफड़ों के द्वारा जहरीली गैसों में साँस लेने के कारण होता है), लिवर इन्फेक्शन, गुर्दे की बीमारी, बर्थ डिसॉर्डर, गर्भावस्था संबंधित विकार, हार्मोनल विकार जैसी कई बिमारियों का कारण बनता है। अब सवाल आता है कि प्लास्टिक प्रदूषण को कैसे रोकें? इसके लिए हम व्यग्तिगत स्तर पर प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर सकते हैं। इसकी जगह हम विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ ही हम रीयूज़ की आदत अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकते हैं। प्लास्टिक बैग फेंकने से पहले जितनी बार भी हो सके उनका पुनरुपयोग कर सकते हैं। इस प्रकार हम प्लास्टिक कचरे को कम करने में और प्लास्टिक प्रदूषण के रोकथाम में अपनी महात्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

छात्र 200 शब्दों में प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Essay on Plastic Pollution in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

प्लास्टिक प्रदूषण प्लास्टिक के कचरे से उत्पन्न होता है। प्लास्टिक एक नॉन- बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है जो सैंकड़ो वर्षों तक पृथ्वी पर रहकर वातावरण को नुक्सान पहुंचाता है। आज के समय में यह विकराल रुप धारण कर चुका है और दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।

प्लास्टिक एक लीच की तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। मनुष्य प्लास्टिक पर इस तरीके से निर्भर हो गए है कि वह चाहकर भी प्लास्टिक को छोड़ नहीं पा रहे है। सूरज की रोशनी, हवा और समुद्री लहर की बजह से प्लास्टिक कचरा छोटे छोटे कणों का आकर ले लेता है। फिर यह हमारे पर्यावरण के वायु मंडल, जल स्रोत आदि में रह जाता है। इन मइक्रोप्लास्टिक का आकर बहुत ही छोटा होता है, जिसके कारण यह हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है, चाहे वो साँस लेते समय हो या फिर पानी के माध्यम से हो।

माइक्रोप्लास्टिक जल स्त्रोतों से हमारे घर तक पहुंचाए जाने वाले पेयजल प्रणालियों में और हवा में प्रवेश करते\। जाने अनजाने में इन मइक्रोप्लास्टिक का सेवन हम इंसान भी कर रहें हैं, जिसके कारण हम बीमार भी पड़ सकते हैं और हमे गंभीर बिमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

दुनिया भर में प्रदूषण की समस्या में दिनोंदिन बढ़ोतरी होती जा रही है। इसमें भी प्लास्टिक एक समस्या है जो सबसे अधिक चिंताजनक है क्योंकि यह एक ऐसा पदार्थ होता है जिसे नष्ट होने में काफी समय लगता है। केवल इतना ही नहीं इसके कारण पानी से लेकर हवा और भूमि सभी प्रदूषित होते हैं। हमें प्लास्टिक रिसाइकिलंग के बारे में गंभीरता से सोचना होगा और व्यक्तिगत रूप से भी अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करना पड़ेगा, तभी हमारी पृथ्वी सुरक्षित रहेगी। स्पष्ट रूप से हमें इस दिशा में और अधिक गंभीरता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है।

यह भी देखें – प्रदूषण पर निबंध

छात्र 500 शब्दों में प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Essay on Plastic Pollution in Hindi) ऐसे लिख सकते हैं – 

प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का जमीन या जल में इकट्ठा होना प्लास्टिक प्रदूषण कहलाता है। प्लास्टिक प्रदूषण कई तरीकों से हो सकता है। एक तरफ, प्लास्टिक के उत्पादन के लिए उपयोग की जाने वाली कचरे के धातुओं के उपयोग में परिवर्तन के कारण और दूसरी ओर, उपयोगिताओं के बाद नष्ट होने पर प्लास्टिक अप्रचलित हो जाता है। इन अप्रचलित प्लास्टिक आवागमनों के कारण यह प्रदूषण पानीमार्ग के माध्यम से नदियों, समुद्रों, झीलों और अन्य जल निकायों में पहुंचता है। यह प्रदूषण मानव स्वास्थ्य, जीवन पशुओं, मार्गनिर्देशक प्रणी, और जलीय प्रदेशों आदि के लिए हानिकारक होता है। 

प्लास्टिक प्रदूषण कई कारणों से होता है। प्लास्टिक सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ है। यह किफायती होने के साथ इन्हे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। प्लास्टिक के वस्तुओं के बढ़ते उपयोग के कारण ही प्लास्टिक प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है। प्लास्टिक एक नान- बायोडिग्रेडबल पदार्थ है। इससे उत्पन्न कचरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह जल और भूमि में विघटित नहीं होता है। यह वातावरण में सैकेड़ो वर्षो तक बना रहता है, जिससे यह भूमि, जल और वायु प्रदूषण का कारण बनता है। प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक से बने अन्य उत्पाद छोटे-छोटे टुकड़ो में टूट जाते हैं। यह मिट्टी और पानी के स्त्रोतो में मिल जाते है। परिणामस्वरूप, प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।

प्लास्टिक अन्य जीवन रूपों को प्रभावित कर सकता है। जल में प्लास्टिक के पड़ जाने से जलजीवन, मत्स्य, और अन्य जलीय प्राणियों को नुकसान पहुंच सकता है। जब प्लास्टिक कचरा जल निकायों में पहुंचता है, तो यह जलमार्गों को प्रदूषित करता है। प्लास्टिक कचरे की वजह से नदियों, समुद्रों और झीलों का पानी गंदा हो जाता है, जिससे जलजीवन और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्लास्टिक प्रदूषण के कारण वनस्पतियों और महत्वपूर्ण प्राणियों को नुकसान पहुंचता है। प्लास्टिक के टुकड़े, छोटे उपकरण और प्लास्टिक वगैरह के साथ जंगली जानवरों के गले बंध सकते हैं या उनके पांव में फंस सकते हैं, जिससे उन्हें खाने-पीने और आकारीय गतिविधियों में समस्याएं हो सकती हैं। प्लास्टिक के उपयोग से उत्पन्न होने वाले केमिकल्स और विषाणुओं के कारण, मानव स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पडता है। सांस लेने या प्लास्टिक उत्पादों के संपर्क में आने के कारण स्वास्थ्य समस्याएं जैसे एलर्जी, श्वसन संबंधी समस्याएं, हार्मोनल असंतुलन, कैंसर आदि हो सकता हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए हमें व्यक्तिगत स्तर पर पहल करने की ज़रूरत है। प्लास्टिक के उपयोग को कम करना, प्लास्टिक से बेहतर निपटारा, विकल्प उत्पादों का उपयोग, जनसंचार के माध्यम से जागरूकता फैलाना , वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी उन्नति से प्लास्टिक के विकास को कम करना, प्रदूषण नियंत्रण नीतियों को सख्ती से लागू करना , सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन आदि से हम प्लास्टिक प्रदूषण को कम कर सकते हैं।

यह भी देखें – सिंगल यूज प्लास्टिक पर पोस्टर

प्लास्टिक प्रदूषण पर कुछ बेस्ट स्लोगन्स कुछ इस प्रकार हैं –

  • प्लास्टिक न सड़ती है, न गलती है सिर्फ़ सदियों तक प्रदूषण करती है 

pollution for essay in hindi

  • नई पीढ़ी न करेगी माफ़ जब पर्यावरण का होगा नाश  
  • पेपर बैग का करें इस्तेमाल प्रदूषण में करें न योगदान 
  • घर से थैला खुद ले जाएं पॉलिथीन को न अपनाएं 
  • सिंगल यूज़ प्लास्टिक को न कहें पर्यावरण संरक्षण को हाँ कहें 
  • बीमारी और मौत से बचें प्लास्टिक प्रदूषण की गंभीरता को समझें 

pollution for essay in hindi

  • पॉलिथीन का व्यापार न करें लालच में पृथ्वी बीमार न करें 
  • पॉलिथीन से सबको बचाना है जूट और कपड़ा विकल्प बनाना है 
  • पॉलिथीन का करें न उपयोग फैलाती है यह जानलेवा रोग 

प्लास्टिक प्रदूषण से जुड़े कुछ फैक्ट्स निम्नलिखत हैं –

  • विश्व में प्रति वर्ष 400 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है।
  • अमेरिका हर साल 42 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन करता है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है
  • हर साल 8 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक महासागरों में प्रवेश करता है। 
  • महासागरीय प्लास्टिक प्रदूषण 2040 तक 29 मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ने की राह पर है 
  • हर साल प्लास्टिक में फंसने से 100,000 जानवर मर जाते हैं। 
  • मनुष्य हर सप्ताह 5 ग्राम प्लास्टिक निगलता है। 
  • प्लास्टिक 2030 तक अमेरिका में कोयले की तुलना में अधिक GHG उत्सर्जन रिलीज़ करेगा
  • COVID-19 ने महासागर में 25,900 टन प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ा दिया है। 
  • औसतन, प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग सिर्फ 25 मिनट के लिए किया जाता है। 
  • एक प्लास्टिक को गलने में कम से कम 100 से 500 साल लगते हैं। 
  • आए दिन समुद्र में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण के कारण समुद्री जीवों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है और वो लुप्त होने की कगार पर हैं। 

प्लास्टिक प्रदूषण से कैंसर, दमा, दिमाग सम्बन्धी बीमारियाँ हो सकती हैं। 

माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं जिनकी लंबाई 5 मिलीमीटर से कम होती है। समुद्र में माइक्रोप्लास्टिक वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बन चुका है।

हर साल अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग फ्री दिवस 3 जुलाई को मनाया जाता है।

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प्रदूषण पर 10 वाक्य (10 Lines on Pollution in Hindi)

मानव जितनी तेजी से इस धरती पर अपना वर्चस्व जमाते हुए विकास की ऊंचाइयों को छू रहा है उतनी ही तेजी से इस धरती को प्रदूषण के बोझ तले दबा रहा है। प्रदूषण से प्रकृति के साथ साथ सभी जीव जन्तु भी प्रभावित हो रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण आज विश्व भर के सभी देशों के लिए एक चुनौती के रूप मे उभर रहा है। हमारी दिन प्रति दिन बढ़ती आवश्यकताएं ही प्रदूषण के बढ़ने का कारण हैं। जिस प्रकार से आए दिन नए नए कारखानों, मिलों की स्थापना हो रही है उसी प्रकार से प्रदूषण भी अपने आप को कई तरह के बीमारियों के रूप में स्थापित कर रहा है।

प्रदूषण पर 10 वाक्य (Ten Lines on Pollution in Hindi)

चलिए आज इन 10 लाइन्स के माध्यम से हम प्रदूषण को समझतेहैं।

Pradushan par 10 Vakya – Set 1

1) 2 दिसंबर को प्रदूषण नियंत्रण दिवस के रूप में उद्घोषित किया गया है।

2) प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक साबित होता है।

3) ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण आदि प्रदूषण के प्रकार हैं।

4) कारखानों से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों को नदियों तालाबों में छोड़ने से जल प्रदूषण होता है।

5) मंदिरों, मस्जिदों के लाउडस्पीकर ध्वनि प्रदूषण का कारण बनते हैं।

6) हमारे द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली प्लास्टिक की थैली भी प्रदूषण का कारण बनती है।

7) वाहनों और कारखानों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण होता है।

8) वायु प्रदूषण से अनेक प्रकार के सांस की बीमारियां होती हैं।

9) ध्वनि प्रदूषण कानों के अनेक रोगों का कारण बनती है।

10) प्रदूषण की समस्या विश्व भर के सभी देशों में विद्यमान है।

Pradushan par 10 Vakya – Set 2

1) विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों की तुलना में भारत का प्रदूषण स्तर 5.5 गुना अधिक है।

2) भारत में प्रतिवर्ष 62 मिलियन टन कूड़ा उत्पन्न होता है।

3) महासागरों में 5.25 ट्रिलियन प्लास्टिक कचरे होने का अनुमान है।

4) लैंडफिल के कारण भारत में लगभग 20% मीथेन गैस उत्सर्जन होता है।

5) भारत में हर दिन 1.50 लाख मीट्रिक टन से अधिक ठोस कचरा पैदा होता है।

6) दीपावली जैसे त्योहारों पर पटाखों के धुएं भी वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण साबित होते हैं।

7) वर्तमान समय से बहुत सी बीमारियां विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से ही होती हैं।

8) मृदा प्रदूषण से किसानों के लिए उपजाऊ मिट्टी की कमी हो रही है।

9) एयर कंडीशनर से निकलने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे गैसों से ओजोन परत की क्षति होती है।

10) जल प्रदूषण के कारण आज कल किसी भी नदी तलब का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है।

बढ़ती जनसंख्या की बढ़ती निरर्थक आवश्यकताओं और लापरवाहियों के कारण प्रदूषण का स्तर अपने चरण सीमा पर पहुंच चुका है। आज हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली किसी भी वस्तु में से कुछ न कुछ अपशिष्ट पदार्थ अवश्य निकलता है और अंततः यही अपशिष्ट पदार्थ किसी न किसी रूप में प्रदूषण का कारण बनाता है। आज सभी मानव जाति को प्रदूषण से इस प्रकृति को बचाने के लिए अपनी उचित मात्रा में ही किसी भी चीज का इस्तेमाल करना चाहिए। सभी को इस प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा तब जाकर प्रदूषण की इस विशाल संकट से खुद को बचा पाएंगे।

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