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100+ Moral Stories in Hindi | नैतिक कहानियां हिंदी में

  • by Rohit Soni
  • Hindi Story
  • 22 min read

Short Moral Stories in Hindi , मोटिवेशन, नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी में पढ़े। यहाँ पर कई सारी Short Story in Hindi में दी गई हैं। जिसे पढ़ने से मनोरंजन के साथ-साथ हमें अच्छी बातें भी सीखने को मिलती है।

Hindi short stories with moral for Kids 2023: को पढ़ने से बच्चों का दिमाग बढ़ता है। और भविष्य में उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है। जब भी कोई बच्चा कहानी पढ़ता या सुनता है तो उस कहानी से वह कई सारी अच्छी जानकारी को जान पाता है। चूकिं कहानी एक बार पढ़ने या सुनने मात्र से बहुत दिनो तक याद रहती है। इसलिए बच्चों को कहानी के माध्यम से पढ़ाना बहुत सरल हो जाता है।

Table of Contents

लालची शेर की कहानी: Short Stories in Hindi for Kids

लालची शेर की कहानी: Short Stories in Hindi for Kids

एल्डोरा नामक जंगल में एक लालची शेर रहता था। एक दिन उसे बहुत तेज भूख लगी थी, इसलिए वह जंगल में शिकार खोजने निकल पड़ा। कुछ दूर जाते ही उसे एक छोटा सा खरगोश दिखाई दिया। तो उसने सोचा कि उसे बहुत तेज भूख लगी है और यह खरगोश तो काफी छोटा है। इससे भूख नहीं मिटेगी। इसलिए उसे छोड़कर आगे निकल गया।

कुछ दूर और आगे जाने पर उसे एक हिरण का बच्चा मिला। जिसे देखकर शेर को फिर वही ख्याल आया की इससे तो उसकी भूख नहीं मिटेगी। इसलिए वह हिरण के बच्चे को छोड़कर, बड़े शिकार की तलाश में आगे निकल गया। चलते-चलते काफी देर हो गई और फिर अब की बार उसे एक बकरी मिली जो कि बड़ी थी लेकिन शरीर से कमजोर थी।

इसलिए शेर न सोचा की इसे भी खाने में कोई खास मजा नहीं आएगा। अतः उसको भी छोड़कर अगले शिकार की तलाश में निकल जाता है।

और इसी तरह करते-करते शाम हो जाती है। और लालची शेर एक अपने लालच के कारण कोई भी शिकार नहीं कर पाता है। इसलिए वह खाली हाथ ही अपने गुफा में वापस लौट आता है। और वह लालच करने की वजह से उस दिन भूखे पेट ही सो जाता है।

Moral of the Story

लालच के कारण ही शेर को भूखे पेट ही सोना पड़ा था। नहीं तो उसे कई शिकार मिले थे। अंतः इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, की लालच का परिणाम अच्छा नहीं होता है। इसलिए हमें लालच नहीं करना चाहिए।

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लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी: Moral Stories in Hindi in Short

लकड़हारा और सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी: Moral Stories in Hindi in Short

एक समय की बात है वैकुंठ नामक एक गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह बहुत ही ईमानदार था। रोजाना वह जंगल में जाता था लकड़ी काटता और शहर में बेचता। जो कुछ पैसे मिलते उससे वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। इस तरह से उसका जैसे-तैसे गुजारा हो रहा था।

एक दिन की बात है, वह लकड़हारा हर दिन की तरह जंगल में लकड़ी काटने गया। और वह नदी के किनारे एक पेड़ पर ऊपर चढ़कर लकड़ी काटने लगा। लेकिन लकड़ी काटने के दौरान उसकी कुल्हाड़ी हाथ से छूट कर नदी में गिर गई। वह तुरंत ही नीचे उतरा और नदी से अपनी कुल्हाड़ी निकालने की काफी कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। क्योंकि नदी काफी गहरी थी और पानी का बहाव भी बहुत तेज था।

थक हार कर वह वही पर बैठ कर रोने लगा। क्योंकि उसके पास नई कुल्हाड़ी लेने के लिए एक भी पैसे नहीं थे।

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लकड़हारे को रोता हुआ देखकर नदी के देवता प्रकट हुए और बोले बेटा क्या हुआ तुम ऐसे उदास क्यों हो। तो लकड़हारे ने सारी बात नदी के देवता को बताई। तो नदी के देवता बोले चिंता मत करो मैं अभी तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूंढकर लाता हूँ। और नदी में डुबकी लगाई और एक सुनहरी कुल्हाड़ी लेकर बाहर आए। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी।

लकड़हारे ने सुनहरी कुल्हाड़ी को देखते ही बोला की यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। यह तो किसी धनवान व्यक्ति की कुल्हाड़ी इसे मैं नहीं ले सकता। यह सुनकर नदी के देवता पुनः नदी में डुबकी लगाई और इस बार एक चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकले। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी कुल्हाड़ी। इस कुल्हाड़ी को देखकर फिर से लकड़हारा बोला प्रभु मैं एक गरीब लकड़हारा हूँ। मेरी तो लोहे की कुल्हाड़ी थी। यह भी किसी अमीर व्यक्ति कुल्हाड़ी है।

एक बार फिर से नदी के देवता पानी में डुबकी लगाई और इस बार लोहे की कुल्हाड़ी लेकर प्रकट हुए। और बोले लो बेटा यह रही तुम्हारी असली कुल्हाड़ी। लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी देख कर काफी खुश हो गया। और बोला प्रभु यही है मेरी कुल्हाड़ी। लोहे की कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी को भी नदी के देवता ने उस ईमानदार लकड़हारे को उपहार में दे दिया। इस तरह से उसकी ईमानदारी के कारण उसे उसकी कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी भी मिल गई।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी ही सबसे बड़ा धन है। कहानी में लकड़हारे को उसकी ईमानदारी की वजह से उसे उसकी कुल्हाड़ी के साथ सोने व चाँदी की कुल्हाड़ी भी प्राप्त हो गई। इसलिए हमें भी ईमानदार व्यक्ति बनना चाहिए।

दो मेंढ़कों की कहानी : Short Animal Stories in Hindi

दो मेंढ़कों की कहानी : Short Animal Stories in Hindi

एक बार दो मेंढक दोस्त सैर पर जा रहे थे। दोनों आपस में बाते करते हुए काफी दूर निकल जाते हैं। रास्ते में एक बड़ा सा गड्ढा था जिसमें जाकर दोनों मेंढक गिर जाते हैं। चूंकि उस गड्ढे के बारे में एक कहानी फैली हुई की जो भी कोई इस गड्ढे में गिर जाता है तो जिंदा नहीं बचता है। तो इस पर एक मेढक बोला कि यह बहुत बड़ा गड्ढा है इसमें जो भी गिरता है वह जिंदा वापस नहीं निकल पाता है। इसलिए अब हम दोनों का अंत निश्चित है। यह बोल कर वह वही आराम से लेट गया और मरने का इंतजार करने लगा।

लेकिन दूसरा मेढक उसकी बात को ना मानते हुए वहाँ से निकलने के लिए कोशिश करने लगा। काफी देर कोशिश करने के बाद वह उस गड्ढे से बाहर निकलने में सफल हो जाता है। और अपने घर चला जाता है। लेकिन उस मेढक की वही पर मृत्यु हो गई। जिसने कोशिश किए बिना पहले ही हार मान ली थी।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी बात पर हमें आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। और पहले से ही हार मानने के बजाय हमें अंत तक कोशिश करना चाहिए। क्योंकि कोशिश करने बालो की कभी हार नहीं होती है।

नीले सियार की कहानी: Panchatantra Short Stories

नीले सियार की कहानी: Panchatantra Short Stories

एक जंगल में हाथी, शेर, बाघ, चीता और अन्य सभी जानवर रहते थे। उसी जंगल में एक सियार भी रहता था। वह जंगल पर और सभी जानवरों पर राज करना चाहता था। लेकिन वह बड़े जानवरों से टक्कर नहीं ले सकता था। वह रोजाना प्लान बनाता था और असफल हो जाता था।

एक दिन वह जंगल से निकल कर शहर की ओर चला गया। जैसे ही वह शहर में पहुँचा तो उसके पीछे शहरी कुत्ते पीछे पड़ गए। वह भागते-भागते एक धोबी के घर में घुस गया। धोबी ने कपड़े पर नीला रंग चढ़ाने के लिए टंकी में नीला रंग घोल रखा था। तो उसी बड़े से टंकी में सियार कूद गया और छुप गया। रात भर उसी में छिपा रहा और जब सारे कुत्ते वहाँ से चले गए तो वह चुपके से निकल वापस जंगल आ गया।

सियार को बहुत तेज से प्यास लगी थी तो वह पानी पीने के लिए एक झील में गया। जैसे ही पानी पीने के झुका तो वह डर गया क्योंकि उसका पूरा शरीर नीला हो गया था। कुछ देर सोचने के बाद याद आया कि वह नीले पानी के टंकी में घुसा था जिसके कारण से उसके शरीर Color नीला पड़ गया है।

अब उसे एक तरकीब सूझी और वह जल्दी से जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा कर के एक ऊंचे से पत्थर पर बैठ गया। और सबसे बोला की मैं परमात्मा का दूत हूँ उन्होंने हमें आप सबकी रक्षा करने के लिए यहाँ भेजा। इसलिए सभी मेरी बात ध्यान से सुनो। आज से मैं इस जंगल का राजा हूँ और सभी मेरी बाते मानेंगे और मेरा आदर करेंगे। और जो कोई मेरी बात नहीं मानेगा उसे परमात्मा दण्ड देंगे। इसलिए अब हमारे लिए खाने पीने और ऐसों आराम की व्यवस्था की जाए।

इसकी बात सुनकर सभी डर गए। क्योंकि आज तक किसी ने भी नीले रंग का कोई जानवर नहीं देखा था। इसलिए सभी उसे परमात्मा का दूत मान लेते हैं। यहाँ तक की जंगल के राजा शेर भी उस सियार को अपना राजा मान लेता है। और उसकी हर बात को मानने लगे। उसके लिए खाने पीने की सारी व्यवस्थाएं की जाती है। और इस प्रकार से वह सियार जंगल में शान से ऐस की जिंदगी जीने लगा।

कुछ समय बाद बारिश का मौसम शुरु हो जाता है। और जोर से बारिश होने की बजह से नीले सियार का नीला रंग धुल जाता है। जिससे वह अपने असली रूप में आ जाता है। और सियार की असलियत जानकर शेर ने तुरंत ही उस पर हमला कर दिया और उसे मार डाला।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झूठ और छल ज्यादा देर तक नहीं चलता है। भले ही थोड़े समय तक खुशियां मिल जाए लेकिन अंत में सच्चाई सामने आ ही जाती है। और उसका फल जरूर भुगतना पड़ता है। इस सियार की तरह।

प्यासे कौए की कहानी: Motivation Story in Hindi

प्यासे कौए की कहानी: Motivation Story in Hindi

गर्मी के मौसम में एक कौआ को बहुत तेज की प्यास लगी। लेकिन दूर-दूर तक कहीं भी पानी नहीं दिखा। तो वह उड़ते-उड़ते एक गाँव में पहुँच गया। वहाँ पर एक घर के आंगन में एक बड़ा सा घड़ा रखा हुआ था। और वहाँ पर कोई भी आदमी नहीं था। कौआ घड़े के पास गया। उस घड़े में थोड़ा सा पानी था लेकिन वहाँ तक उसकी चोंच ही नहीं पहुँच पा रही थी। कौआ काफी प्रयास किया लेकिन वह पानी तक नहीं पहुंच पाया। लेकिन उसने हार नहीं मानी।

कौआ चालाक था उसने एक उपाय सोचा वह आस-पास के कंकड़ पत्थर को अपनी चोंच में पकड़ कर लाता और उस मटके में डाल देता। पुनः जाता और फिर से अपनी चोंच में कंकड़-पत्थर भरकर लाता घड़े में डाल देता और ऐसा करते-करते वह घड़ा कंकड़-पत्थर से भर गया और पानी ऊपर आ गया। इस तरह से कौआ पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेता है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिली की हमें हार नहीं मानना चाहिए बल्कि कई तरह से प्रयास करते रहना चाहिए। सफलता अवश्य मिलती है।

लालच बुरी बला: Story in Hindi in Short

लालच बुरी बला: Story in Hindi in Short

एक गांव में धनपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। वह खाने के तेल का व्यापार करता था। वह शहर से तेल लाता और पूरे गांव में ले जाकर बेच देता। और कुछ महीनों में ही उसका व्यापार काफी बढ़िया चलने लगा। जिससे उसका मुनाफा भी बढ़ गया। एक दिन उसके मन में लालच जाग गया उसने सोचा की अब तो लोग उससे आसानी से तेल ले लेते हैं। क्यों ना उन लोगों से अधिक मुनाफा कमाया जाए। और इस चक्कर में उसने तेल में मिलावट करना शुरु कर दिया।

अब वह शहर से तेल लाता और उसमें मिलावट करता और पूरे गांव में बेच देता। कुछ दिन तक सब ठीक चल रहा था लेकिन कुछ दिनों बाद गांव के लोग बीमार होने लगें। और देखते ही देखते सभी गांव के लोग बीमार पड़ गए। इलाज के दौरान डॉक्टर ने बताया कि आपके खाने पीने में मिलावट की गई है। जिसकी वजह से आप सभी बीमार हुए हैं।

गांव बालो ने बताया की धनपाल नाम के एक व्यापारी से तेल लेते थे। जिसके तेल का स्वाद कुछ दिनों से खराब हो गया है। शायद वही कुछ मिलावट कर रहा है। सभी गांव बाले इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने तुरंत ही उस तेल व्यापारी को पकड़ लिया और जेल में बंद कर दिया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच नही करना चाहिए। लालच बुरी बला है इसका परिणाम अंतिम में बुरा ही होता है। और हमें इसकी सजा जरूर मिलती है।

मूर्ख गधा की कहानी : Short Stories in Hindi

मूर्ख गधा की कहानी : Short Stories in Hindi

पालमपुर नाम के एक गाँव में एक बूढ़ा व्यापारी रहता था। वह नमक का व्यापार करता था। उसका शरीर कमजोर था इसलिए वह अपने साथ एक गधा लेकर जाता था। और उसके ऊपर नमक की बोरियां लादकर दूसरे गांव में व्यापार करने जाता था। दोनों गांव के बीच में एक नदी पड़ती थी। नदी पर कोई पुल नहीं थी उसमें उतरकर पार करना पड़ता था। एक दिन नदी पार करते समय व्यापारी का गधा नदी में लड़खड़ा कर गिर गया। और नमक की बोरियां पानी में भीग गई। व्यापारी ने उसे उठाया और आगे चल दिया।

क्योंकि सभी बोरियां पानी में भीग चुकी थी तो धीरे-धीरे कुछ नमक घुल कर बह गया। और इस वजह से बोरियां हल्की हो गई थी। इससे गधे को हल्का महसूस होने लगा। अगले दिन फिर से व्यापारी ने गधे के ऊपर नमक की बोरियां लादकर व्यापार करने चल दिया। रास्ते में वही नदी पड़ी, गधे को पिछली बात याद आई उसने सोचा, पानी में बैठने से उसके बोरियों का वजन कम हो जाता है। तो वह पानी में जाते ही फिर से बैठ गया। और फिर से बोरियों का वजन कम हो गया। अब यही प्रक्रिया वह गधा रोज दोहराने लगा जिससे व्यापारी परेशान हो गया।

और पास में रह रहे एक सज्जन व्यक्ति को सारा हाल बताया। उस आदमी ने व्यापारी को एक तरकीब बताई। कहा की एक दिन उस गधे की पीठ पर रुई की बोरियां लाद कर ले जाओ। जैसे ही गधा पानी में बैठेगा रुई में पानी भर जाएगा, जिससे उसका वजन बढ़ जाएगा। और गधा फिर कभी नहीं बैठेगा। व्यापारी ने ऐसा ही किया।

अगले दिन व्यापारी गधे की पीठ पर रुई की बोरियां लाकर चल देता है। जैसे ही वह गधा नदी में बैठता है उसकी सारी रुई से भरी बोरियों में पानी भर गया। अब उन बोरियों का वजन कई गुना अधिक बढ़ गया, जिस कारण से अब वह गधा ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। अब उसे अपनी गलती का एहसास हो गया। और इसके बाद वह गधा कभी भी उस नदी में नहीं बैठा था।

इस कहानी का नैतिक यही है कि कड़ी मेहनत के अलावा सफलता की कोई कुंजी नहीं है। सार्टकट बहुत समय तक नहीं चलता है।

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी : Good Short Moral Stories in Hindi

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी : Good Short Moral Stories in Hindi

एक गाँव में एक बहुत गरीब आदमी रहता था। वह बड़ी मुश्किल से  अपने परिवार का पालन पोषण कर पाता था। एक दिन उसके आँगन में सुनहरी मुर्गी कहीं से उड़ती हुई आई और बैठ गई। वह मुर्गी को देखकर बहुत खुश हुआ और उसे खाने के लिए थोड़ा सा दाना डाल दिया। वह मुर्गी अब उसी के घर में रहने लगी।

अगले दिन मुर्गी ने सुनहरे रंग का अंडा दिया। वह अंडा सोने का था जिसे देख कर वह आदमी बहुत प्रसन्न हुआ और उसे लेकर शहर में बेच दिया। और जो पैसे मिले उससे वह अपने परिवार का पालन पोषण करने लगा। इसी प्रकार से हर रोज वह सुनहरी मुर्गी एक सोने का अंडा देती थी। और उसे बेचकर वह गरीब आदमी बहुत अमीर हो गया। अब उसके मन में लालच बढ़ गया उसने सोचा कि जब यह हर दिन एक अंडा देती है तो इसका मतलब इसके पेट में कई सारे सोने के अंडे होंगे। क्यों ना मैं इस सुनहरी मुर्गी को काटकर इसके पेट से सारे सोने के अंडे एक साथ ही निकाल लूँ। और उसने ऐसा ही किया परन्तु, उस मुर्गी के पेट में एक भी सोने का अंडा नहीं था। और अब सुनहरी मुर्गी मर चुकी थी। और वह आदमी अपने लालच की वजह से सोने की अंडा देने वाली मुर्गी को खो दिया।

इस कहानी का मोरल यह है की हमें लालच नहीं करना चाहिए। अत्यधिक लालच हमसे गलत काम करवाती है और इससे हमारा ही नुकसान होता है। आपने देखा कि कैसे इस Story में लालच करने से वह आदमी सोने का अंडा देने वाली सुनहरी मुर्गी अपने ही हाथों से मार दिया। और उसे कुछ भी नहीं मिला।

झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 6

झूठा लड़का और भेड़िया की कहानी : Short Moral Stories in Hindi For Class 6

बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में लड़का रहता था। वह गाँव के पास ही जंगल में भेड़ चराने जाता था। रोज सुबह अपनी भेड़ो के लेकर जंगल पर चला जाता और शाम होते ही घर वापस आ जाता। इसी प्रकार से वह रोज करता, लेकिन वह बैठे-बैठे भेड़ों को रोज चरता हुआ देख कर ऊब चुका था। एक दिन जब वह भेड़ों को चरता देख रहा था तो उसे कुछ ज्यादा ही बोरियत महसूस होने लगी। वह अपना मनोरंजन करने के लिए वह नई-नई तरकीब सोचने लगा। इतने में उसे एक तरकीब सूझ गई।

वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा “बचाओ-बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया।”

उसकी यह बाते सुन कर गाँव वाले लाठी-डंडे लेकर मदद के लिए उसकी और दौड़ते हुए पहुंच गए। परन्तु गांव बालो ने देखा की वहाँ पर कोई भी भेड़िया नहीं है और वह लड़का पेट पकड़ कर जोर-जोर से हंस रहा है। ह, ह, ह, मैं तो मजाक कर रहा था। आप लोग कैसे दौड़ते हुए आएं है। गाँव बाले गुस्से से लाल-पीला हो गए और बोले हम लोग अपना काम छोड़कर तुमको बचाने आए हैं। और तुम मजाक कर रहे हो। गाँव ने कहाँ की अब ऐसा मत करना और वहाँ से चले गए।

एक दिन फिर से चरवाहा लड़का जोर-जोर से चिल्लाने लगा “बचाओ-बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया।”

उसकी बात सुन कर फिर गाँव बाले जंगल पहुँच गए लेकिन उन्होंने देखा की फिर लड़का जोर-जोर से हँसे जा रहा है। इस पर गाँव बाले उसे खूब खरी-खोटी सुनाया और कहाँ की तुम झूठ बोलकर हम गाँव बालो को परेशान करते हो अब हम दुबारा तुम्हें बचाने नहीं आएंगे। और सब वहाँ से लौट आए।

अगले दिन जब लकड़हारा जंगल में अपनी भेड़ो के लेकर चराने गया तो वहां पर सचमुच का भेड़िया आ गया। वह डर गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा। बचाओ-बचाओ सचमुच का भेड़िया आया, कोई बचाओ भेड़िया आया। गाँव बालों ने उसकी आवाज सुनी और कहा की इसका तो रोज का ही काम है मजाक करना। और किसी ने उसकी आवाज पर ध्यान नहीं दिया।

जब शाम हो गई और वह चरवाहा लड़का घर नहीं आया तो गाँव बाले जंगल की तरफ उसे खोजने गए। उन्होंने देखा की वह लड़का एक पेड़ पर बैठ कर रो रहा है। उसको किसी तरह से नीचे उतारकर सब ने पूछा क्या हुआ तो लड़के ने सारी बात बताई। कहा की यहाँ सचमुच का भेड़िया आया था उसने एक-एक करके हमारी सभी भेड़ो को खा गया।

इस पर गाँव के एक बूढ़े आदमी ने कहाँ की देखो बेटा तुम्हारी झूठ बोलने आदत की वजह से तुम पर कोई भरोसा नहीं किया। इसलिए आज तुम्हारे साथ ऐसा हुआ। लड़के को अपनी गलती का एहसास हो गया और कहाँ की अब वह कभी झूठ नहीं बोलेगा।

इस कहानी से हमें यह सीख मलती है कि झूठे व्यक्ति की बात पर कोई भी भरोसा नहीं करता है चाहे फिर वह सच ही क्यों ना बोल रहा हो। इसलिए हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। आपने देखा कि किस तरह से भेड़ चराने वाला चरवाहा के झूठ बोलने की वजह से उसकी सारी भेड़ का शिकार हो गया।

शेर और चतुर खरगोश की कहानी: Panchtantra ki kahani in Hindi

शेर और चतुर खरगोश की कहानी: Panchtantra ki kahani in Hindi

बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में कई सारे छोटे बड़े जानवर रहा करते थे। और उसी जंगल में एक शेर भी रहता था। जो रोजाना कई जानवरों को मारकर खा जाता था। इसलिए सभी अन्य जानवर उस शेर से बहुत परेशान थे और हमेशा डरते रहते की कभी उनकी मौत हो सकती है। एक दिन सभी जानवरों ने मिलकर एक सभा आयोजित किया और शेर के साथ यह प्रस्ताव रखा की उनमें से हर दिन एक जानवर उसके भोजन के लिए स्वयं आ जाएगा। इससे हम सब निश्चिंत होकर रहेंगे। और आपको भी शिकार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

यह प्रस्ताव शेर को पसंद आया और कहाँ ठीक है। परन्तु एक दिन भी खाली नहीं जाना चाहिए। समय पर भोजन के लिए एक जानवर को भेजना होगा।

सभी अपनी बारी आने पर शेर के सामने चले जाते। एक दिन खरगोश की बारी थी। वह शेर के पास जाने लगा, और जाते सोचने लगा की मरना तो है ही क्यों आराम से चरते खाते चलूं। कुछ दूर आगे जाते-जाते उसे कुआं दिखी तो वह कुआं के पास गया और कुएं के अंदर झांक कर देखना लगा। तब उसे कुएं में उसकी परछाई दिखाई दी जिसे देखकर उसे एक बढ़िया तरकीब सूजी। और वह मजे से शेर के पास जाने लगा।

जब तक खरगोश शेर के पास पहुँचा तो बहुत देर हो चुकी थी। इसलिए शेर भूख के मारे क्रोधित था और छोटे से खरगोश को देखकर उसका क्रोध और भी बढ़ गया। उसने कहा की मेरे लिए इतना छोटा जानवर भेजा है इससे मेरी क्या भूख मिटेगी। लगता है कि अब सभी जानवर को मेरा डर समाप्त हो गया है। परन्तु पहले तुम यह बताओ की तुमने यहाँ आने में इतनी देरी क्यों हुई।

तो खरगोश ने बताया कि मैं जब आ रहा था, तो रास्ते में एक दूसरा शेर मिल गया और मुझे खाने के लिए बोलने लगा। मैंने बताया की मैं अपने शेर राजा के लिए भोजन के लिए जा रहा हूँ मुझे जाने दो। तब उसने कहा की मैं तुम्हारे राजा से नहीं डरता मैं तुम्हें यहाँ से नहीं जाने दूंगा। तब मैं किसी तरह से वहाँ से भाग कर आपके पास आया हूँ।

इतना सुनते ही शेर बोला क्या मेरे इलाके में दूसरा शेर कौन है जिसे अपनी जान प्यारी नहीं है। क्या तुम मुझे उसके पास ले जा सकते हो। खरगोश बोला जी महाराज मैं ले जा सकता हूँ। और खरगोश ने शेर को उसी कुंआ के पास ले गया। और बोला महाराज इसी कुंआ में वह शेर रहता है। शेर ने तुरंत देखा तो उसे कुंए में उसकी ही परछाई दिखी जिसे वह सचमुच का शेर समझ लिया। और जोर से दहाड़ लगाता है, तो कुंए से उसकी आवाज टकराकर वापस आई तो उसे लगा की वह भी दहाड़ रहा है।

फिर क्या शेर गुस्से और तेज दहाड़ते हुए कुएं में छलांग लगा दी। और कुंए में डूब कर मर गया। इसके बाद खरगोश खुशी-खुशी अपने साथियों के पास लौट गया और सारी कथा सुनाई। अब सभी जानवर खरगोश की चतुराई की प्रशंसा की और सब आराम से रहने लगे।

हमें मुसीबत के समय में धैर्य से काम लेना चाहिए। और खरगोश की तरह ही अपने आप को बचाने की कोशिश करना चाहिए। आपने देखा की किस तरह से चतुर खरगोश ने न सिर्फ अपनी जान बचाई बल्कि अपने साथियों की भी शेर से जान बचा ली। दोस्तों धैर्य और सूझ-बूझ से हम बड़ी से बड़ी मुसीबतों से छुटकारा पा सकते है।

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FAQ For Short Story

Q: short story क्यों पढ़ना चाहिए.

Ans: हमें सार्ट और नैतिक कहानियां जरूर पढ़नी चाहिए। क्योंकि इससे हमें कम समय में अच्छी बाते सीखने को मिलती हैं, जो हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण होती है। और हमें आगे बढ़ने में सहायता करती हैं।

Q: कहानियाँ महत्वपूर्ण क्यों होती है?

Ans: कहानियाँ महत्वपूर्ण होती हैं, क्योंकि इससे हमें नई-नई उपयोगी, ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारियां सीखने को मिलती है।

Q: कहानी सुनाने वाले की विशेषता क्या होनी चाहिए?

Ans: कहानी सुनाना भी एक कला है। कहानी सुनाने के ढंग से कोई कहानी में जान आ जाती है। और कहानी सुनने वाले श्रोता को दिमाग में छप जाती है। यदि कहानी सुनाने वाले को कहानी ठीक से याद नहीं है तो वह अच्छी से अच्छी कहानी को भी चौपट कर सकता है। याद कर लेने से आत्मविश्वास बढ़ता है और कहानी कहने वाला विश्वास के साथ कहानी सुनाता है।

Q: कहानी की भाषा कैसी होनी चाहिए?

Ans: कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रभावशाली होनी चाहिए। उसमें बहुत अधिक कठिन शब्द तथा लंबे वाक्यों के प्रयोग से बचना चाहिए।

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Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya   पर हम उपयोगी , ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में  शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी  मिल सके। View Author posts

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Motivational story

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100 moral stories in hindi.

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मूर्ख स्वामी 

Short Moral Stories in Hindi

एक गाँव में नन्दू नामक एक धोबी रहता था। उसके पास एक गधा और एक कुत्ता था।

एक दिन धोबी के घर में तीन चोर घुस गये। धोबी खरटेि भर रहा था, अन्य घरवाले भी गहरी नींद में सोए हुए थे। यह देखकर चोरों ने अवसर का लाभ उठाना उचित समझा। उन्होंने घर की सभी कीमती वस्तुएँ इकट्ठी कर लीं। और जाने लगे।

गधा और कुत्ता यह सब देख रहे थे। गधे के मन में स्वामी के प्रति कर्तव्य भावना जाग उठीं। उसने कुछ कहने के लिए कुत्ते की ओर देखा।

कुत्ता चुपचाप आंखें मुदे पड़ा था । गधे को उसकी यह बात बहुत बुरी लगी। उसने कुत्ते से कहा।

“अरे भैय्या! यह सब देखकर भी तू खामोश है, तेरे मालिक का घर लुट रहा है और तू आँखें मूंद कर लेटा है, कैसा नौकर है तू, तेरे मन में मालिक के प्रति जरा भी कर्तव्यपरायणता नहीं है, तेरी जाति तो वफादारी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।”

गधे ने कुत्ते की सोई आत्मा को जगाने की कोशिश की।

पर कुत्ते पर कोई असर ना हुआ, वह शान्त भाव में बोला-“मुझे क्या आवश्यकता पड़ी है जो कि मैं भौंक-भौंक कर अपना गला खराब करूँ, यदि घर लुट रहा है तो लुटने दो। आराम से सो जाओ।”

कुत्ते की इस बात पर गधे का मन उसके प्रति ग्लानि महसूस करने लगा,

वह कुत्ते को उसकी हीनता का एहसास कराते हुए बोला-“अरे कुत्ते! तू इतना नीच कब से हो गया तूने तो अपनी जाति का नाम ही डुबो दिया ।”

“ओ गधे भय्या! तुझे क्या पता मैंने इस धोबी का कितना साथ दिया है और इसने मुझे क्या दिया, दो टुकड़े रोटी के, वो भी सूखे हुए अगर तुझे इससे इतनी हमदर्दी है तो तू ही जगा दे इसे, मैं तो सो रहा हूँ।” कहकर कुत्ते ने आंखें मुंद लीं।

गधा उसके इस व्यवहार पर झल्ला उठा। उसने स्वामी के माल की रक्षा हेतु स्वयं ही रम्भाना आरम्भ कर दिया।

गधे की रम्भाहट सुनकर धोबी गुस्से में भरकर उठा, और लाठी लेकर गधे पर पिल पड़ा।

गधा बेचारा पिटते-पिटते अधमरा हो गया तो धोबी फिर जाकर सो गया।

इधर माल चोर लेकर रफूचक्कर हो गये थे। धोबी के जाने के बाद कुत्ते ने धीरे से आंखें खोलीं। एक नजर अधमरे गधे पर डाली फिर धीरे से बोला-“आया मज़ा, स्वामी की सेवा करने की इतनी अच्छी मेवा किसी और को मिलते मैंने आज तक नहीं देखी।”

कुत्ते की बात सुनकर गधे का सिर नीचा हो गया।

परमात्मा अच्छा ही करता है

Moral Stories in Hindi For Childrens 

एक राजा था। उस राजा का भगवान् से भरोसा उठने लगा। राजा का एक मन्त्री था। उस मन्त्री का भगवान् पर इतना अटूट भरोसा करता था कि जब भी कोई अच्छी या बुरी बात होती मन्त्री यही कहता “भगवान् जो करता है, अच्छा ही करता है।” यों समझिए कि यह वाक्य मन्त्री का तकिया कलाम बन गया।

एक दिन राजा की उंगली कट गई। पट्टी बाँधी गई, दवा लगाई गई, पर राजा की दर्द के मारे जान निकली जा रही थी। सारे मन्त्री राजा का हालचाल पूछने के लिए गए। सबको राजा की उंगली कटने का दुःख हुआ। सबने अफसोस जाहिर किया। लेकिन उस मन्त्री ने यही कहा-“भगवान् जो करता है, अच्छे के लिए करता है।”

राजा की गुस्सा आ गया पर वह गुस्सा पीकर ही रह गया। राजा ने मन्त्री को मजा चखाने की ठान ली।

कुछ दिन बीते । एक दिन राजा ने जंगल में शिकार खेलने की योजना बनाई। उस मन्त्री को भी साथ चलने को कहा।

दोनों घोड़ों पर सवार हुए और जंगल की ओर चल दिए।

रास्ते में एक कुआं मिला। दोनों प्यासे थे। दोनों ने झाँककर देखा। कुआं सूखा था। राजा ने मौका पाकर मन्त्री को सूखे कुएँ में ढकेल दिया और फिर पूछा-“कहो मन्त्री जी कैसी रही?”

मन्त्री कुएँ के अन्दर से बोला-“भगवान जो करता है, अच्छे के लिए करता है।”

“तो अब यहीं कुएँ में मर और अपने भगवान् की माला जप, मैं तो चला ।”

यह कहकर राजा घोड़े पर सवार होकर राजमहल की ओर लौटने लगा। अभी कुछ ही दूर आगे चला होगा कि उसे तीर-भालों से लैस लुखार आदिवासियों ने घेरकरे रस्सियों से बाँध डाला। मोटे-तगड़े राजा को पाकर सब नाचने गाने लगे। असल में वे अपनी वन देवी के आगे बलि चढ़ाने के लिए एक तगड़े आदमी को खोज रहे थे। उन्हें तो गहनों वस्त्रों से सजा राजा मिल गया।

वे सब राजा को बलि की जगह पर ल गए। पुरोहित ने राजा के शरीर को बारीकी से परखा। राजा डर के मारे पसीने-पसीने होकर काँप रहा था। जल्लाद तलवार लेकर उस राजा के सामने खड़े हो गये थे।

पुरोहित की नजर उस राजा की कटी हुई उंगली पर गयी और वह चिल्लाया-“वन देवी को इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती। इसकी उंगली कटी हुई है। देवी को खंडित शरीर की बलि नहीं चाहिए ।”

उन आदिवासियों ने राजा को छोड़ दिया। राजा ने भगवान् को याद किया और धन्यवाद किया और मन-ही-मन सोचा-“मन्त्री ठीक कहता था। मैंने उस बेकसूर को नाहक कुएं में धकेला।”

राजा घोड़े पर सवार होकर कुएं के पास पहुँचा। अपनी पगड़ी की रस्सी बनाई और कुएँ में लटकाकर मन्त्री को बाहर निकाल लिया। अपनी गलती के लिए माफी माँगी।

लेकिन उसने यह फिर भी पूछा-“मेरी उंगली कटी हुई थी, इसलिए मुझे बचाकर भगवान् ने अच्छा किया। मगर तुम्हें अंधे कुएं में फेंकने की मुझे जो भगवान् ने सजा दी, उसमें क्या अच्छाई थी?”

मन्त्री खुश होकर बोला-“महाराज! मैं आपके साथ होता तो मेरी उस वन देवी को बलि चढ़ गई होती। आप तो उंगली कट जाने से बच गए, लेकिन मैं कैसे बचता?”

“भगवान् जो करता है अच्छा ही करता है।”

भगवान् न्याय करता है। अन्याय नहीं करता। वह जो भी करता है, अच्छा ही करता है।

ईनाम में मिली राजकुमारी

New Moral Stories in Hindi 

किसी नगर में सत्यार्थ नामक एक विद्यार्थी अपने परिवार के साथ रहता था। उसके पिता साहूकारी करते थे। विद्यार्थी बहुत ईमानदार और कर्तव्यपरायण था। उनके घर में लक्ष्मी विराज रही थी। हर ओर खुशहाली का साम्राज्य था।

मगर शायद ईश्वर को यह बात पसन्द नां आई कि वो लोग आराम चैन से जीवन गुजारें। एक दिन सत्यार्थ के साहूकार पिता थके हारे घर आए। घरवालों के पूछने पर उन्होंने बताया कि व्यापार में घाटा हो गया है और उन पर दूसरे साहूकारों का कर्ज चढ़ गया है। कहीं और से आमदनी नहीं है, अतः उन्हें अपना घर बेचकर कर्जा उतारना पड़ेगा।

यह सुनकर सत्यार्थ के घर वाले रोने लगे।

तब सत्यार्थ ने उन्हें समझाते हुए कहा-“मत रोओ! यह सुख-दु:ख तो चल वस्तु हैं और चल वस्तु के लिए कभी भी शोक नहीं करना चाहिए। आज अगर हमारी किस्मत में यही लिखा है, तो हो सकता है कि कल हमारी किस्त में इससे भी अच्छा घर हो।” सत्यार्थ के ना-ना प्रकार से समझाने पर उसके घर वाले खामोश हो गये।

फिर सत्यार्थ के पिता ने अनमने मन से घर बेच दिया और सत्यार्थ के मन में आया कि यदि वे अनैतिक कार्य करके कर्ज उतार दें तो इसमें क्या हानि है?

इतना सोचना था कि उनका मन मैला हो गया। उसी दिन से उन्होंने गलत काम करने शुरू कर दिये। अब वे दाल आटे में मिलावट करके बेचने लगे। इससे घर में बुराई ने स्थान ले लिया। घर में धन तो अवश्य आता मगर घर की बरकत पूरी तरह उड़ चुकी थी।

जब इस बात का पता सत्यार्थ को चला तो वह चिन्तित हो उठा। वह सारी रात इसी विषय पर सोचता रहा।

अगले दिन सुबह को जब उसे खाने के लिए कहा गया तो उसने मना कर दिया। पिता के पूछने पर उसने कहा- “पिताजी में अब इस का एक दाना भी नहीं खाऊंगा। क्योंकि यह खाना हराम और बेईमानी की कमाई है, इसे खाकर मैं अपना तन-मन दूषित नहीं करना चाहता।”

“बेटे! तुम्हारा एक-एक अक्षर सत्यता की मिसाल है, मगर इन विपत्ति के पलों को ऐसे ही गुजारना पड़ेगा।” पिता जी ने कहा।

“नहीं पिताजी, यह कदापि अच्छा नहीं है, यदि आप मेहनत लगन और ईमानदारी से काम करेंगे तो यह कर्जा आप कुछ ही दिनों में उतार सकते हैं, रही सुख-दु:ख की बात तो दु:ख हमारी परीक्षा है, और सुख उसका अच्छा परिणाम यदि दु:ख की परीक्षा को हमने अच्छे अंकों से पार कर लिया, उसके परिणाम के रूप में हमें सुख मिलते , अतः यदि हमें सुख चाहिए तो दु:ख की परीक्षा में पास होना पड़ेगा और इसके लिए हमें विवेक, सच्चाई और ईमानदारी से कड़ी मेहनत करनी होगी।”

सत्यार्थ के सत्य वचनों ने उसके पिता की आंखें खोल दीं। उन्होंने सभी गलत काम बन्द कर दिये।

सत्यार्थ ने भी अपनी पढ़ाई पूरी करके पिता के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। उसके भाई भी सुधर गये। और जल्दी ही उन्होंने अपनी ईमानदारी और सच्चाई के बल पर नया घर बना लिया और सारा कर्जा चुका दिया।

सत्यार्थ के पिता अपने बेटे पर गर्व महसूस कर रहे थे।

फिर एक दिन अचानक नगर में मुनादी कराई गई कि राजकुमार बीमार हैं, बड़े से बड़ा वैद्य भी उनकी बीमारी दूर ना कर सका है, अतः जो कोई भी राजकुमार की बीमारी दूर करेगा उसे मुंहमांगा ईनाम दिया जाएगा।

इधर एक दिन सत्यार्थ को राज्य की राजकुमारी के दर्शन हो गये। वह उस पर मोहित हो गया। उसके मन में राजकुमारी को पाने की लालसा जाग उठी।

जब उसने यह मुनादी सुनी तो उसने सोचा कि यदि वह किसी राजकुमार को ठीक कर दे तो ईनाम में राजकुमारी को पा सकता है।

यह सोचकर वह राजा के पास गया और राजकुमार को देखने का अनुरोध किया। राजा ने उसे आज्ञा दे दी।

आज्ञा पाकर उसने राजकुमार को देखा तो पाया कि उसके मन में बुराई आ गई है, इस कारण उसका स्वास्थ्य खराब हो गया है, मगर चूँकि रोग उसके दिल में था। अतः बाहरी दवाइयों से कैसे ठीक हो सकता था?

सत्यार्थ महल से निकल कर किसी बूटी की खोज में जंगल की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे एक साधु मिले। साधु ने सत्यार्थी से कहा-

“मैं तुम्हारे जंगल में आने का कारण जानता हूँ, अतः तुम्हें बता देना उचित समझता हूं कि कोई भी जड़ी-बूटी राजकुमार की बीमारी दूर नहीं कर सकती।”

यह सुनकर सत्यार्थ ने साधु से कहा-“महाराज! तब आप ही मुझे कोई ऐसा उपाय बताइये, जिससे राजकुमार ठीक हो जाए।”

“वह उपाय अत्यधिक सरल है, मगर मेरी शर्त है कि जो कुछ तुम्हें राजा से ईनाम स्वरूप मिलेगा उसमें से आधा मुझे देना होगा, बोलो मन्जूर है?” साधु ने कहा।

“ठीक है, मन्जूर है।” सत्यार्थ ने ‘हां’ कर दी।

साधु ने उपाय बताया–“जा से कहना कि वह अपने राज्य के सबसे ईमानदार बनिये के यहाँ के चावल राजकुमार को खिलाए, इससे वह ठीक हो जाएगा।”

“मगर पता….साधु महाराज: यह कैसे चलेगा कि कौनसा बनिया सबसे ज्यादा ईमानदार है?” सत्यार्थी ने पूछा।

“सुनो जब बनिए के यहाँ का चावल पकाया जाएगा तो जो बनिया बेईमान होगा, उसके चावल काले पड़ जाएंगे और जिसके चावल काले नहीं पड़ेंगे वही बनिया ईमानदार होगा, और हाँ, यह भी याद रखना कि ईनाम लेकर तुम इसी स्थान पर आ जाना।”

“ठीक है महाराज!” कहकर सत्यार्थ वापस लौट गया।

महल में पहुँचकर सत्यार्थ ने राजा से राज्य भर के बनियों के यहां के चावल मंगाए, मगर पकाने पर सभी का रंग काला पड़ गया। यह देखकर सत्यार्थ और राजा चिन्तित हो गये।

अचानक सत्यार्थ को याद आया कि क्यों ना वह अपने यहाँ के चावल पकवा कर देख ले। यह सोचकर उसने अपने घर से चावल मंगाकर पकवाए ।

सत्यार्थ को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसके घर के चावल काले नहीं हुए।

“इसका अर्थ यह हुआ कि हम पूरे राज्य में सबसे ज्यादा ईमानदार हैं।”

सत्यार्थ ने मन-ही-मन में कहा-“हे भगवान् ! आज तूने मेरी सुन ली, आज यह सिद्ध हो गया कि मेरे भाई और पिताजी कितने ईमानदार हैं।”

जल्द ही उसने खुद को सामान्य किया और राजकुमार को चावल खिलाने को कहा। राजकुमार को चावल खिलाए गए।

चावल खाते ही राजकुमार सही हो गया। उसके मन की बुराई समाप्त हो गई।

तब राजा ने सत्यार्थ को उसकी इच्छित वस्तु मांगने को कहा।

सत्यार्थ ने कहा- महाराज यदि दे सकते हैं तो राजकुमारी का हाथ मुझे सौंप दीजिए, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए मैं खुद कमाऊँगा और राजकुमारी को खिलाऊंगा।”

इतना सुनते ही राजा प्रसन्न हो उठा। वह बोला-“सत्यार्थ में भी यही चाहता था कि मुझे तुम जैसा दामाद मिले ।”

इतना कहकर राजा ने राज़कुमारी का हाथ सत्यार्थ के हाथ पर रख दिया ।

शादी से पहले सत्यार्थ राजकुमारी को लेकर उसी स्थान पर गया जहाँ पर उसे साधु मिला था। रास्ते में उसने राजकुमारी को सारी बातें बता दीं। फिर अन्त में -“राजकुमारी! यदि वह साधु तुम्हें मांगने लगा तो क्या तुम उसके साथ चली जाओगी?’

सत्यार्थ के प्रश्न का राजकुमारी ने कोई उत्तर नहीं दिया।

फिर उस स्थान पर।

वहां पहुंचकर सत्यार्थ ने देखा कि साधु पहले से ही उसका इन्तजार कर रहे थे। उसके वहां पहुंचते ही साधु ने कहा

“लाओ वत्स! ईनाम का आधा हिस्सा!”

सत्यार्थ ने कहा-“महाराज! ईनाम में मुझे जीती-जागती राजकुमारी मिली है।”

“हमें इससे कोई मतलब नहीं, हमें अपना आधा हिस्सा चाहिए।” साधु ने कुछ क्रोध जताया

“पर महाराज! राजकुमारी में से आधा हिस्सा मैं किस प्रकार आपको दे दू ?” सत्यार्थ सोच में पड़ गया फिर कुछ देर बाद बोला- “साधु महाराज! आप ऐसा कीजिए कि पूरी राजकुमारी ही ले लीजिए, इससे कम से कम राजकुमारी का जीवन तो बचा रहेगा।”

“नहीं! हमें आधा हिस्सा ही चाहिए, यह धर्म के विमुख है ।”

राजकुमारी जो अब तक चुपचाप उन दोनों की बातें सुन रही थी, यकायक बोल पड़ी–“स्वामी! साधु महाराज ठीक कह रहे हैं, यह धर्म के विमुख बात होगी, अतः आप ऐसा करिए कि मुझमें से दो टुकड़े कर लीजिए एक आप रख लेना और एक साधु महाराज रख लेंगे।”

राजकुमारी के मुंह से ऐसी बातें सुनकर सत्यार्थ तड़प उठा। मगर इससे पहले कि वह कुछ कह पाता, राजकुमारी ने रथ में रखी तलवार खींच ली और उसे सत्यार्थ की ओर बढ़ाकर बोली-“लीजिए स्वामी, देर मत कीजिए!”

सत्यार्थ ने राजकुमारी की पतिव्रतता देखी तो उसे अपना धर्म याद आया। उसने राजकुमारी के हाथ से तलवार ले ली और राजकुमारी को सामने खड़ा कर उसके टुकड़े करने के लिए तलवार उठा ली।

इधर साधु ने राजकुमारी की सच्चाई और साहस का जबरदस्त नमूना देखा तो वे भी हैरान रह गये। मौत को देखकर भी राजकुमारी जरा विचलित ना हुई ।

सत्यार्थ ने तेजी से तलवार को राजकुमारी की ओर बढ़ाया यह क्या मगर, सत्यार्थ के हाथ की तलवार फूलों का हार बनकर राजकुमारी के गले से लिपट गई। यह देखकर सत्यार्थ औरै राजकुमारी हैरान रह गये।

तभी साधु ने अपना नकली रूप बदला और विष्णु बन गए। साक्षात् विष्णु को सामने देख राजकुमारी और सत्यार्थ उनके पैरों में गिर पड़े। विष्णु ने कहा-“ सत्यार्थ! हम तो तुम्हारी परीक्षा ले रहे थे, जिसमें तुम खरे उतरे। तुमने अपने जीवन में अब तक बहुत से पुण्य के काम किये हैं अतः फलस्वरूप तुम्हें पतिव्रता स्त्री के रूप में राजकुमारी मिली है।” फिर दोनों को आशीर्वाद देकर विष्णु अन्तध्र्यान हो गये । सत्यार्थ राजकुमारी को साथ लेकर वापस लौट गया।

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Moral Stories in Hindi
SUMMARY

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आज ही क्यों नहीं ? - हिंदी कहानी - Moral Story In Hindi

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The author has depicted the stories to moral values and teach some valuable ideas very well. Thanks.

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very beautiful story collection,your all stories are very impactful.

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पुण्य कर्म करने वाले को ईश्वर अपनी शक्ति से अवश्य वरदान प्रदान करते हैं

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very nice stories for all kids..

Bahut achha kahaniya hai, thanks for sharing.keep it up

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By: savita mittal

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इस लेख में हम आपको हिंदी कहानियां मोरल स्टोरीज Moral stories in Hindi के बारे में बताने वाले है। इन कहानियों को आपने बचपन में अपने दादा दादी, नाना नानी से सुना होगा। हिंदी कहानियां मोरल के साथ जो आपको नैतिक शिक्षा तो देगी ही परन्तु साथ ही साथ जीवन की महत्त्वपूर्ण व मूलभूत बातें भी सिखाएंगी।

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essay moral stories in hindi

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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essay moral stories in hindi

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Top 10 Moral Stories in Hindi | नैतिक कहानियाँ जिनमे है सच्चाई, जीवन के मूल्य और आदर्श 

क्या आपको अपने बचपन की वो कहानियां याद हैं जिन्होंने आपके दिल और दिमाग पर गहरी छाप छोड़ी थी? आज हम लेकर आए हैं Top 10 Moral Stories in Hindi, जो न सिर्फ आपको अपने बचपन में वापस ले जाएगी बल्कि आपके बच्चों के लिए भी उतनी ही रोचक और शिक्षाप्रद होगी। और जब बात आती है बच्चों को शिक्षित करने की, तो Top 10 Moral Stories in Hindi with Pictures उन्हें और भी ज्यादा आकर्षक बना देती है। चित्रों के माध्यम से कहानियां जीवंत हो उठती हैं और बच्चे उन्हें बेहतर समझ पाते हैं।

आज के इस तेजी से बदलते युग में, जहां समय का अभाव है, Top 10 Short Moral Stories in Hindi आपके लिए एकदम सही विकल्प हो सकती हैं। ये कहानियां छोटी होती हैं, पर उनका संदेश बहुत बड़ा और प्रेरणादायक होता है। इन्हें पढ़ने में ज्यादा समय नहीं लगता, फिर भी ये कहानियां आपके और आपके परिवार के दिलों में गहराई तक उतर जाती हैं।

इन Top 10 Moral Stories in Hindi में आपको विभिन्न प्रकार के पात्र मिलेंगे - कभी एक चतुर खरगोश (R abbit and Tortoise Story in Hindi) , कभी एक शक्तिशाली शेर, तो कभी एक बुद्धिमान कौआ। हर कहानी अपने आप में अनोखी होती है और जीवन के किसी न किसी महत्वपूर्ण पहलू को उजागर करती है। चाहे वो सहयोग की भावना हो, ईमानदारी, या फिर दृढ़ निश्चय, ये कहानियां हर उम्र के पाठकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती हैं।

तो आइए, इन अद्भुत कहानियों के संग्रह को एक बार फिर से पढ़ें और अपने जीवन में इनकी सीखों को उतारें।

1. सच्चाई की जीत - Top 10 Moral Stories in Hindi

सच्चाई की जीत - Top 10 Moral Stories in Hindi

एक समय की बात है, एक धर्मात्मा राजा ने अपने राज्य में एक अनोखी चुनौती रखी। उन्होंने घोषणा की कि जो कोई भी सच्चाई के साथ पूरा जीवन जीता होगा, उसे अपार धन और सम्मान से नवाजा जाएगा। इस घोषणा से पूरे राज्य में हलचल मच गई। हर कोई इस इनाम को पाने के लिए उत्सुक था। उसी राज्य में एक गरीब लेकिन ईमानदार किसान रहता था। उसने अपने जीवन के हर कदम पर सच्चाई को अपनाया था। चाहे वह उसके खेती का काम हो या उसके पड़ोसियों के साथ उसका व्यवहार, वह हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चलता रहा।

एक दिन, किसान ने सोचा कि वह भी राजा की चुनौती का हिस्सा बनेगा। वह राजा के दरबार में गया और अपनी सादगी और ईमानदारी की कहानियाँ सुनाई। उसने बताया कैसे उसने अपने खेत में सोने की मुद्राएँ पाई थीं, परंतु उसने उन्हें उसके असली मालिक को लौटा दिया। कैसे उसने अपने पड़ोसी की भूलवश भेजी गई अनाज की बोरी उसे वापस कर दी थी।

राजा उसकी कहानियों से प्रभावित हुए। उन्होंने महसूस किया कि किसान ने न केवल शब्दों में, बल्कि कर्मों में भी सच्चाई को अपनाया था। राजा ने उसे इनाम के रूप में सोने के सिक्के, नई भूमि और राज्य में सम्मानित स्थान दिया और आश्वासन दिया कि उसकी सच्चाई और ईमानदारी का राज्य भर में गुणगान किया जाएगा। इस घटना से प्रेरित होकर, अन्य लोगों ने भी सच्चाई के मार्ग को अपनाने का संकल्प लिया।

यह घटना पूरे राज्य में सच्चाई और ईमानदारी के महत्व को उजागर करने वाली बन गई। लोगों ने समझा कि भले ही सच्चाई का मार्ग कठिन हो, परंतु उसके परिणाम हमेशा शुभ और संतोषजनक होते हैं।

नैतिक शिक्षा: सच्चाई हमेशा जीतती है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चाई का मार्ग चुनना हमेशा फलदायी होता है और अंत में, यही जीत की कुंजी होती है।

2. बंदर और मगरमच्छ - Short Moral Story in Hindi

बंदर और मगरमच्छ - Short Moral Story in Hindi

एक घने जंगल में, नदी के किनारे, एक बड़ा फलदार पेड़ था। इस पेड़ पर एक चतुर बंदर रहता था, जो रोज ताजे फल खाकर अपना पेट भरता था। नदी में रहने वाला एक मगरमच्छ, जिसका नाम गोटू था, अक्सर बंदर से मिलने आता और बंदर उसे भी फल खिलाता। धीरे-धीरे वे अच्छे दोस्त बन गए। लेकिन एक दिन, मगरमच्छ की पत्नी ने उससे बंदर का दिल लाने की फरमाइश की। वह कहती थी, "अगर बंदर इतने रसीले फल खाता है, तो उसका दिल भी बहुत स्वादिष्ट होगा।" मगरमच्छ अपनी पत्नी की बात सुनकर दुविधा में पड़ गया। वह अपने दोस्त बंदर को धोखा देने का विचार कर रहा था, लेकिन उसका मन भी इस बात से दुखी था।

अगले दिन, मगरमच्छ ने बंदर को अपनी पत्नी से मिलवाने का बहाना बनाकर नदी के पार आमंत्रित किया। बंदर, जो स्वभाव से भोला और दयालु था, तुरंत तैयार हो गया। जैसे ही वे नदी के बीचों-बीच पहुंचे, मगरमच्छ ने अपनी योजना का खुलासा किया। बंदर चौंक उठा, लेकिन उसने तुरंत अपनी बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल किया।

"ओह! मैं तो अपना दिल पेड़ पर ही छोड़ आया," बंदर ने कहा, "मुझे वापस पेड़ पर ले चलो, ताकि मैं अपना दिल ला सकूँ।" मगरमच्छ, जो थोड़ा सीधा-सादा था, बंदर की बातों में आ गया और उसे वापस पेड़ तक ले गया। जैसे ही वे पेड़ के पास पहुंचे, बंदर फुर्ती से पेड़ पर चढ़ गया और मगरमच्छ से बोला, "तुम मेरे सच्चे दोस्त थे, लेकिन तुमने धोखा देने की कोशिश की। दिल तो हमेशा शरीर में ही होता है, ये तो मैंने तुमसे बचने के लिए कहा था।"

मगरमच्छ को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह शर्मिंदा हो गया। उसने बंदर से माफी मांगी और वादा किया कि वह फिर कभी धोखा नहीं देगा। बंदर ने मगरमच्छ को माफ कर दिया, लेकिन उसने सावधानी बरतने का फैसला किया।

नैतिक शिक्षा: यह कहानी हमें सिखाती है कि धोखा देना कभी भी उचित नहीं होता, और सच्ची दोस्ती का महत्व बहुमूल्य होता है।

3. सच्चा मित्र - Top 10 Moral Stories in Hindi with Pictures

सच्चा मित्र - Top 10 Moral Stories in Hindi with Pictures

एक बहुत सुंदर जंगल में, दो गहरे मित्र रहते थे - राजू और विनोद। वे बचपन से ही साथ खेलते और बड़े हुए थे। एक दिन, वे जंगल में सैर करने के लिए निकले और हँसते-खेलते जंगल के गहरे भाग में चले गए। अचानक, उन्हें एक विशाल भालू नजर आया। भालू को देखकर राजू बिना विचारे एक पेड़ पर चढ़ गया और विनोद को नीचे छोड़ दिया।

विनोद, जो पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था, समझदारी दिखाते हुए जमीन पर लेट गया और साँस रोककर मरा हुआ होने का नाटक करने लगा। भालू धीरे-धीरे उसके पास आया और उसके कान के पास अपनी नाक लगाकर सूँघने लगा। विनोद एकदम शांत रहा। भालू को लगा कि वह मर चुका है, और वह चला गया।

जब भालू चला गया, तो राजू पेड़ से नीचे उतरा और विनोद से पूछा, "भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा?" विनोद ने उठते हुए जवाब दिया, "उसने मुझसे कहा कि सच्चे मित्र हमेशा साथ देतें हैं।" यह सुनकर राजू को अपने किए पर शर्मिंदगी हुई। उसे एहसास हुआ कि उसने अपने मित्र को अकेले खतरे में छोड़ दिया था।

इस घटना ने राजू को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया। उसने विनोद से माफी माँगी और वादा किया कि वह भविष्य में कभी भी उसे अकेला नहीं छोड़ेगा। विनोद ने उसे क्षमा कर दिया, और उनकी मित्रता पहले से भी ज्यादा मजबूत हो गई।

नैतिक शिक्षा: सच्चा मित्र वही है जो मुसीबत में साथ देता है। इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि संकट के समय में सच्चे मित्र की पहचान होती है। विनोद और राजू की कहानी हमें बताती है कि साहस और सच्ची दोस्ती हमेशा बाधाओं को पार करने में मदद करती हैं।

4. सोने की ईंटें 

सोने की ईंटें - Top 10 Moral Stories in Hindi

एक छोटे से सुंदर गाँव में एक ईमानदार और मेहनती किसान रहता था। उसका नाम रामू था। वह अपने खेतों में दिन-रात मेहनत करता और अपने परिवार का पालन-पोषण करता। एक दिन, जब वह अपने खेत में हल चला रहा था, उसे जमीन के नीचे कुछ चमकीली चीज़ें दिखाई दीं। जैसे ही वह नीचे झुका तो उसने देखा कि वे सोने की ईंटें थीं।

रामू के लिए यह एक अप्रत्याशित खजाना था। उसे लगा कि यह उसके सभी दुखों का अंत हो सकता है। लेकिन उसने उन ईंटों को बेचकर धनवान बनने की बजाय एक अलग ही फैसला किया। उसने सोचा कि यह खजाना उसके अकेले का नहीं है, बल्कि पूरे गाँव का है।

रामू ने गाँव के सभी लोगों को इकट्ठा किया और उन्हें बताया कि उसे खेत में सोने की ईंटें मिली हैं। उसने फैसला किया कि वह इन ईंटों को सभी गाँववालों के साथ साझा करेगा। इस निर्णय से गाँव वाले बहुत खुश हुए और रामू की उदारता की प्रशंसा की।

सोने की ईंटें पाकर, गाँववालों ने अपने जीवन में सुधार किया। वे अपने घरों को सुधारने लगे, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने लगे और गाँव में विकास के नए प्रोजेक्ट शुरू किए। गाँव का हर व्यक्ति रामू के इस निर्णय से प्रेरित हुआ और उसके सम्मान में अपने-अपने तरीके से योगदान देने लगा।

रामू के इस कार्य ने न केवल गाँव के लोगों के बीच आर्थिक संपन्नता लाई, बल्कि उनके बीच आपसी प्रेम और समर्थन की भावना भी मजबूत हुई। उसकी इस उदारता ने पूरे गाँव को एक परिवार की तरह जोड़ दिया।

नैतिक शिक्षा: साझा करने से न केवल धन, बल्कि प्यार और सम्मान भी बढ़ता है। रामू की कहानी हमें बताती है कि सच्ची समृद्धि तब होती है जब हम अपने संसाधनों को दूसरों के साथ बाँटते हैं और साथ मिलकर आगे बढ़ते हैं। 

5. जादुई पेड़ - Class 7 Top 10 Moral Stories in Hindi

जादुई पेड़ - Class 7 Top 10 Moral Stories in Hindi

एक सुंदर छोटे गाँव में, जहाँ सभी ग्रामीण मिलजुल कर रहते थे, वहाँ एक जादुई पेड़ था। यह पेड़ अद्भुत था और हर दिन अलग-अलग प्रकार के फल देता था। एक दिन सेब, तो दूसरे दिन आम, इस तरह यह पेड़ गाँव वालों के लिए एक वरदान साबित हुआ।

गाँव के लोग इस पेड़ की पूजा करते और उसके फलों का उपयोग सावधानी से करते। लेकिन गाँव में एक लालची व्यक्ति भी था, जिसका नाम था गोपाल। गोपाल हमेशा उस जादुई पेड़ के फलों को देखकर ललचाता था। उसने सोचा कि अगर वह पेड़ के सारे फल एक साथ उठा लेगा, तो वह अमीर बन जाएगा।

एक रात, गोपाल ने योजना बनाई और पेड़ के सारे फलों को चुरा लिया। उसने सोचा नहीं कि इससे पेड़ पर क्या असर होगा। अगले दिन, जब गाँव वाले पेड़ के पास पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि पेड़ सूख चुका है और उस पर एक भी फल नहीं था। सभी गाँव वाले बहुत दुखी हुए और उन्होंने गोपाल को उसके लालच के लिए फटकारा।

गोपाल ने तब महसूस किया कि उसके लालच ने न केवल उसे नुकसान पहुंचाया था, बल्कि पूरे गाँव को भी। वह पेड़, जो कभी उनके लिए आशीर्वाद था, अब एक सूखा तना बन चुका था। गोपाल ने अपनी गलती का एहसास करते हुए गाँव वालों से माफी मांगी और वादा किया कि वह फिर कभी लालच नहीं करेगा।

नैतिक शिक्षा: यह कहानी हमें यह सिखाती है कि लालच से हमेशा नुकसान होती है और संतोष ही सच्चा धन है। 

6. हाथी और चींटी - Panchatantra Top 10 Moral Stories in Hindi

हाथी और चींटी - Panchatantra Top 10 Moral Stories in Hindi

जंगल में एक विशाल हाथी रहता था, जिसे अपनी अत्यधिक ताकत पर बहुत घमंड था। उसका यह मानना था कि उसकी बड़ी और मजबूत देह उसे जंगल का सबसे शक्तिशाली प्राणी बनाती है। एक दिन, वह हाथी जंगल में घूमते हुए एक छोटी सी चींटी को देखकर हँसने लगा। उसने चींटी के छोटे आकार का मजाक उड़ाया और कहा, "तुम जैसे छोटे प्राणी मेरे सामने कुछ भी नहीं हैं।"

चींटी, जो अपनी बुद्धिमत्ता और चतुराई के लिए जानी जाती थी, ने हाथी को चुनौती दी। उसने कहा, "शायद मैं छोटी हूँ, लेकिन मैं तुम्हें दिखा सकती हूँ कि आकार ही सब कुछ नहीं होता।" हाथी ने चींटी की बात सुनकर और जोर से हँस दिया और चुनौती स्वीकार कर ली। 

अगले दिन, जंगल के सभी जानवर इस अनोखे मुकाबले को देखने के लिए इकट्ठा हुए। हाथी अपनी शक्ति और बड़े शरीर का प्रदर्शन करते हुए चींटी के पास आया। चींटी ने बिना किसी डर के हाथी की सूंड में प्रवेश किया और अंदर जाकर उसे गुदगुदी करने लगी। हाथी को बहुत खुजली होने लगी, वह बेचैन हो उठा और इधर-उधर भागने लगा।

हाथी के इस तरह परेशान होने को देखकर सभी जानवर हैरान रह गए। चींटी ने हाथी की सूंड से बाहर आकर उसे कहा, "देखा, तुम्हारी ताकत और आकार के आगे मेरी बुद्धिमत्ता और चतुराई ने कैसे काम किया।" हाथी ने अपनी हार स्वीकार की और चींटी से माफी मांगी। उस दिन हाथी ने सीखा कि असली ताकत शारीरिक आकार में नहीं, बल्कि व्यक्ति के चरित्र और बुद्धिमत्ता में निहित होती है। 

नैतिक शिक्षा: किसी पर भी आकार या ताकत के आधार पर घमंड नहीं करना चाहिए। हर प्राणी में कुछ विशेष होता है और हर कोई अपने तरीके से शक्तिशाली होता है।

7. नेकी का फल 

नेकी का फल

एक छोटे से गाँव में रामू नामक एक गरीब लड़का रहता था। रामू बहुत ही नेक और हरदिल अजीज था। एक दिन, वह लकड़ी इकट्ठा करने के लिए जंगल गया। जंगल में वह रास्ता भटक गया और उसे एक बूढ़ा आदमी मिला, जो बहुत भूखा और थका हुआ लग रहा था।

रामू के पास जो भी थोड़ा-सा खाना था, उसने उसे बूढ़े आदमी के साथ बाँट दिया। बूढ़े आदमी ने रामू की इस दयालुता की बहुत प्रशंसा की और उसे धन्यवाद दिया। कुछ समय बाद, वह बूढ़ा आदमी अचानक एक जादूगर में बदल गया। उसने रामू को बताया कि वह उसकी नेकी और दयालुता से बहुत प्रभावित हुआ है।

जादूगर ने रामू को एक चमत्कारिक खजाने का रास्ता दिखाया। वह खजाना रामू के लिए न सिर्फ धन-दौलत लेकर आया, बल्कि उसके और उसके परिवार के जीवन को भी बदल दिया। रामू ने उस खजाने का उपयोग अपने गाँव की भलाई के लिए भी किया। उसने गाँव में स्कूल और अस्पताल बनवाए और गाँववालों की मदद की।

रामू की कहानी ने पूरे गाँव को प्रेरित किया। लोगों ने समझा कि नेकी और दयालुता सिर्फ तात्कालिक ही नहीं, बल्कि बहुत दिनों तक लाभ पहुंचाती है। रामू का यह कार्य गाँव में नेकी और सहायता की एक नई लहर ले आया।

नैतिक शिक्षा: नेकी करने से हमेशा अच्छा फल मिलता है। इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि दयालुता और परोपकार की भावना हमेशा अच्छे परिणाम लाती है और यह न केवल व्यक्ति को, बल्कि समाज को भी समृद्ध बनाती है।

8.  झूठ की सजा - Top 10 Moral Stories in Hindi Short

एक सुदूर गाँव में राहुल नाम का एक लड़का रहता था। राहुल की एक बुरी आदत थी - वह हमेशा झूठ बोलता था। उसके झूठ के कारण गाँववाले उस पर विश्वास नहीं करते थे। एक दिन, राहुल ने मजाक में शेर आने की गलत सूचना दी। गाँव वाले घबराकर उसकी मदद के लिए दौड़े आए, लेकिन जब उन्हें पता चला कि यह एक मजाक था, तो वे बहुत नाराज हुए।

राहुल को उसके इस मजाक पर बहुत मजा आया और उसने फिर से ऐसा ही किया। लेकिन जब वास्तव में एक दिन एक शेर गाँव के पास आया, तो राहुल ने भागकर गाँववालों को सूचित किया। पर इस बार, किसी ने भी उसकी बात पर विश्वास नहीं किया। उन्होंने सोचा कि राहुल फिर से मजाक कर रहा है।

राहुल ने बहुत कोशिश की, लेकिन कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं आया। आखिरकार, वह शेर से बचने के लिए खुद ही भाग निकला। इस घटना ने राहुल को एहसास कराया कि उसके झूठ के कारण उसका कोई विश्वास नहीं करता। उसे समझ आ गया कि झूठ बोलने के कारण उसने अपनी विश्वसनीयता खो दी है।

उस दिन के बाद, राहुल ने कभी झूठ नहीं बोला। उसने गाँववालों से माफी माँगी और धीरे-धीरे उनका विश्वास और सम्मान वापस पाने की कोशिश की।

नैतिक शिक्षा: झूठ बोलने से विश्वास टूटता है। इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि झूठ बोलने के बुरे परिणाम होते हैं, और इससे लोगों का विश्वास खोने का खतरा होता है। राहुल की कहानी हमें यह बताती है कि सत्यनिष्ठा हमेशा जरूरी होती है और यही लोगों के दिलों में विश्वास और सम्मान बनाए रखती है।

9. चतुर खरगोश 

चतुर खरगोश

एक घने जंगल में, जहाँ विविध प्रकार के जानवर रहते थे, वहाँ एक बहुत ही चतुर खरगोश भी था। इस जंगल में एक शेर भी रहता था, जो अपनी ताकत और दहाड़ के लिए जाना जाता था। एक दिन, शेर ने फैसला किया कि वह खरगोश को अपना भोजन बनाएगा। जब खरगोश को यह पता चला, तो उसने एक योजना बनाई।

खरगोश ने शेर को समझाया कि जंगल में एक और शेर है, जो उससे भी ज्यादा ताकतवर और बड़ा है। शेर अपनी शक्ति पर बहुत घमंड करता था और उसने तुरंत उस दूसरे शेर से मिलने का निर्णय किया। खरगोश शेर को एक गहरे कुएँ के पास ले गया, जहाँ पानी में शेर की परछाई दिखाई दे रही थी।

शेर ने जब कुएँ में झाँककर देखा, तो उसे लगा कि वह दूसरा शेर ही है जो उसे घूर रहा है। वह उस परछाई पर दहाड़ने लगा, लेकिन परछाई भी उसी तरह दहाड़ रही थी। शेर समझ नहीं पाया कि वह तो अपनी ही परछाई को चुनौती दे रहा है। इस बीच, चतुर खरगोश वहाँ से चुपचाप निकल गया और उसने अपनी जान बचाई।

जब शेर को अहसास हुआ कि उसे धोखा दिया गया है, तो उसे अपने अहंकार पर पछतावा हुआ। उसने समझा कि केवल शक्ति ही सब कुछ नहीं होती, बुद्धि भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। खरगोश की चतुराई ने न केवल उसकी जान बचाई, बल्कि शेर को भी एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया।

नैतिक शिक्षा: बुद्धि शक्ति से भी बड़ी होती है। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कई बार शारीरिक शक्ति से ज्यादा, बुद्धि और सूझबूझ से समस्याओं का समाधान निकल सकता है। खरगोश की चतुराई ने उसे शक्तिशाली शेर से भी बचा लिया।

10. शेर और चूहा - Top 10 Moral Stories in Hindi for Students

शेर और चूहा - Top 10 Moral Stories in Hindi for Students

एक घने जंगल में, एक शक्तिशाली शेर रहता था, जिसे अपनी बलशाली दहाड़ और अपार शक्ति पर अत्यधिक घमंड था। वह सोचता था कि जंगल के सभी जानवर उससे डरते हैं और उसकी ताकत के आगे सब नतमस्तक होते हैं। एक दिन, जब वह शिकार की तलाश में था, अचानक वह एक शिकारी के बिछाए जाल में फंस गया।

शेर ने जाल से निकलने के लिए बहुत प्रयास किया, लेकिन वह असफल रहा। उसे लगा कि अब उसका अंत समीप है। तभी, एक छोटा चूहा वहाँ से गुजर रहा था। चूहे ने शेर की दुर्दशा देखकर उसे बचाने का फैसला किया। वह शेर के पास गया और जाल को काटने लगा। शेर ने सोचा कि इतना छोटा जीव कैसे उसे बचा पाएगा, लेकिन चूहे ने अपने छोटे-छोटे दांतों से जाल को काट दिया और शेर को आजाद कर दिया।

शेर ने चूहे को धन्यवाद दिया और कहा, "तुमने मेरी जान बचाई, भले ही तुम छोटे हो, लेकिन तुम्हारे साहस और दया ने बड़ा काम किया।" उस दिन शेर ने सीखा कि आकार या उपस्थिति के आधार पर किसी को कम नहीं आंका जा सकता। छोटा होने के बावजूद, चूहे ने उसे एक अनमोल सीख दी। शेर ने उस चूहे से वादा किया कि वह हमेशा उसका ध्यान रखेगा और कभी भी उसे या अन्य छोटे जानवरों को हल्के में नहीं लेगा। इस घटना ने शेर को यह सिखाया कि सच्ची ताकत किसी के शारीरिक आकार में नहीं, बल्कि उसके गुणों और कर्मों में होती है।

इस घटना के बाद, जंगल के सभी जानवरों ने देखा कि कैसे एक छोटा चूहा एक शक्तिशाली शेर की मदद कर सकता है। इससे उनमें आपसी समझ और सहयोग की भावना मजबूत हुई।

नैतिक शिक्षा: कभी भी किसी को उसके आकार या उपस्थिति के आधार पर कम नहीं आंकना चाहिए। हर जीव में अपनी विशेषता होती है, और हर कोई अपने तरीके से महत्वपूर्ण होता है।

11. कछुआ और खरगोश - R abbit and Tortoise Story in Hindi

कछुआ और खरगोश - Top 10 Moral Stories in Hindi 

एक शांत और हरे-भरे जंगल में, एक बुद्धिमान कछुआ और एक तेज-तर्रार खरगोश रहते थे। खरगोश, जो अपनी तेजी के लिए प्रसिद्ध था, अक्सर कछुए की धीमी चाल का मजाक उड़ाया करता था। वह हर मौके पर कछुए को नीचा दिखाने का प्रयास करता था।

एक दिन, खरगोश ने कछुए को एक दौड़ के लिए चुनौती दी। कछुआ, जो अपनी धैर्यशीलता और दृढ़ निश्चयी स्वभाव के लिए जाना जाता था, ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया। जंगल के सभी जानवर इस अनोखी दौड़ को देखने के लिए इकट्ठे हो गए। 

दौड़ का दिन आया। खरगोश ने शुरुआत में ही बहुत तेजी से दौड़ना शुरू किया और जल्द ही कछुए से काफी आगे निकल गया। उसने सोचा कि वह इतना आगे है कि थोड़ी देर के लिए आराम कर सकता है। इसलिए, वह एक पेड़ के नीचे सो गया। इस बीच, कछुए ने धीरे-धीरे लेकिन लगातार अपनी यात्रा जारी रखी। वह बिना रुके, बिना थके, स्थिर गति से चलता रहा।

जब खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा कि कछुआ उससे कहीं आगे निकल चुका था। वह घबराकर और तेजी से दौड़ने लगा, लेकिन तब तक कछुआ फिनिश लाइन पार कर चुका था। कछुए की जीत पर सभी जानवर खुश हुए और उसकी प्रशंसा की। खरगोश ने इस हार से एक महत्वपूर्ण सबक सीखा। उसे समझ में आया कि घमंड और आलस्य कभी भी सफलता का मार्ग नहीं होते। उसने कछुए से माफी मांगी और उसकी धैर्य और निरंतर प्रयास की प्रशंसा की।

नैतिक शिक्षा: लगातार मेहनत और धैर्य हमेशा घमंड और आलस्य पर विजय प्राप्त करते हैं। यह कहानी हमें बताती है कि धैर्य और लगातार प्रयास ही वास्तविक सफलता की कुंजी हैं।

आशा करतें है की ये Top 10 Moral Stories in Hindi (नैतिक और शिक्षाप्रद कहानियाँ) आपको और आपके बच्चों को बहुत पसंद आई होंगी और उन्हें इन कहानियों के माध्यम से बहुत कुछ सीखने को जरूर मिला होगा। 

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100+ Short Moral Stories in Hindi for Students

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सदियों से Moral Stories in Hindi या जिसे हम हिंदी में नैतिक कहानियाँ कहते हैं, वो भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही हैं, और हिंदी साहित्य कोई अपवाद नहीं है। हिंदी में बच्चों के लिए Hindi Moral Story से लेकर वयस्कों के लिए हिंदी में लघु नैतिक कहानियों तक, भाषा में कहानियों का एक विशाल संग्रह है जो मूल्यवान जीवन सबक प्रदान करता है।

नैतिकता के साथ हिंदी में Panchatantra Stories in Hindi और नैतिकता के साथ हिंदी में Akbar Birbal Stories in Hindi सबसे लोकप्रिय हैं, अक्सर उन्हें और अधिक आकर्षक बनाने के लिए चित्रों के साथ। हिंदी में प्रेरणादायक और प्रेरक नैतिक कहानियाँ छात्रों और वयस्कों को पूरा करती हैं, जबकि नैतिक मूल्यों वाली हिंदी कहानियाँ और नैतिक पाठों वाली हिंदी कहानियाँ मानव व्यवहार की एक झलक पेश करती हैं।

इस लेख में, हम Story with Moral in Hindi की दुनिया का पता लगाएंगे, जिसमें हिंदी में सर्वश्रेष्ठ नैतिक कहानियां और हिंदी में Short Motivational Stories in Hindi शामिल हैं जो समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं। तो बिना देरी के चलिए शुरू करते हैं।

Moral Stories in Hindi for Students (2024)

यहाँ पर हमने कुछ ऐसे Short Hindi Moral Stories को जगह दी है जो की आपको ज़रूर से पसंद आने वाली है। साथ में बहुत से रोचक Hindi moral stories for Kids भी आपको आगे पढ़ने को मिलेगी।

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वहीं ऐसी कहानियों में आपको पढ़ने में मज़ा तो आता है, वहीं इसमें बहुत कुछ नयी बातें सीखने को भी मिलती है। तो चलिए नयी नयी Hindi Short Stories पढ़ते हैं।

1. किसान और सांप की कहानी: Best Moral Story in Hindi

एक बार की बात है, भारत के एक छोटे से गाँव में एक किसान रहता था। एक दिन, जब वह अपने खेतों में काम कर रहा था, वह एक सांप से टकरा गया जो घायल था और चलने में असमर्थ था।

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सांप के लिए दया महसूस करते हुए, किसान ने इसे घर ले जाने का तय किया। क्यूँकि उसे लगा की सांप की स्वास्थ्य ठीक नहीं है इसलिए इसे ठीक से देखभाल करना सही रहेगा। जब तक वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो गया, उसने सांप की देखभाल की, उसे खाना खिलाया और उसके घावों की देखभाल की।

लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, किसान ने ये नोटिस करना शुरू किया कि सांप की आंखों में एक दुष्ट नजर है। वह सांप के आसपास असहज महसूस करने लगा, और सोचने लगा कि कहीं उसने उसे अपने घर के अंदर ले जाने में गलती तो नहीं कर दी।

एक दिन, जब किसान सो रहा था, साँप उसके ऊपर झपटा, वार करने के लिए तैयार हो गया। लेकिन जैसे ही उसने अपना सिर उठाया, किसान को लगा कि वो अब उसे काटने वाला है, अब उस किसान ने उसे गर्दन से पकड़ लिया और अपने घर से बाहर फेंक दिया।

जैसे ही साँप रेंगता हुआ दूर चला गया, वह किसान की ओर मुड़ा और बोला, “मैं साँप हो सकता हूँ, लेकिन मैं कृतघ्न नहीं हूँ। तुमने मेरी जान बचाई, और इसके लिए, मैं हमेशा तुम्हारा ऋणी रहूँगा।”

किसान को एहसास हुआ कि साँप के रूप के आधार पर उसका अनुमान लगाना गलत था। उन्होंने सीखा कि दयालुता के छोटे से छोटे कार्य का भी बड़ा प्रभाव हो सकता है, और यह कि हमें हमेशा दूसरों के साथ करुणा और सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए, चाहे वे कोई भी हों या वे कैसे दिखते हों।

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की किसी को उसके आक़ार से पहचानना ग़लत है। कोई दिखने में भले ही ख़तरनाक हो लेकिन ये ज़रूरी नहीं की उसका व्यवहार भी उतना ही ख़तरनाक हो।

2. लोमड़ी और अंगूर की कहानी: Chalak Lomdi Story in Hindi with Moral

एक बार की बात है, एक चतुर लोमड़ी थी जो हमेशा अपने अगले भोजन की तलाश में रहती थी। एक दिन की बात है, बाहर बहुत गर्मी पड़ रही थी, जब वह अपने खुराक की तलाश में भटक रही थी, तो उसने एक ऊँची शाखा से लटके रसीले अंगूरों का एक गुच्छा देखा।

fox grapes moral stories in hindi for class 7

लोमड़ी कूदी और उछली, लेकिन वह अंगूरों तक नहीं पहुंच सकी। कई कोशिशों के बाद लोमड़ी थक गई और उसे भूख लग गई। निराश महसूस करते हुए, उसने खुद से बुदबुदाते हुए चलने का फैसला किया, “वे अंगूर वैसे भी शायद खट्टे थे।”

कहानी की शिक्षा यह है कि जब हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते हैं, तो बहाने बनाना आसान होता है और खुद को समझाने की कोशिश करते हैं कि हम वास्तव में इसे पहले स्थान पर नहीं चाहते थे। लेकिन कभी-कभी, हमें यह पहचानने की आवश्यकता होती है कि हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे क्योंकि यह असंभव था।

बल्कि इसलिए कि हम अभी तक इसे प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे। हमें अपने लक्ष्यों को कभी नहीं छोड़ना चाहिए और इसके बजाय कड़ी मेहनत करते रहना चाहिए और अपनी आकांक्षाओं के प्रति प्रयास करना चाहिए। ऐसे आगे कुछ ओर कहानी भी आपको पढ़ने को मिलेगी जैसे की Moral stories in Hindi with a moral lesson।

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की कड़ी मेहनत से ही लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

3. चार दोस्त और शेर की कहानी: Dost Ki Madad Moral Story in Hindi

एक बार की बात है, चार दोस्त थे जो एक घने जंगल से गुजर रहे थे। ये चार दोस्त थे एक हिरण, एक चूहा, एक कौआ और एक कछुआ।

4 friends short moral stories in hindi for class 8

जब वे चल रहे थे, तब वे एक शेर से टकरा गए जो घायल था और हिलने-डुलने में असमर्थ था। उन चारों दोस्तों ने शेर की मदद करने और उसे ठीक करने के लिए उसकी देखभाल करने का फैसला किया।

कुछ समय बाद शेर पूरी तरह से ठीक हो गया और उसने अपने अगले भोजन के लिए शिकार करने का फैसला किया। शेर को ठीक होता देख उन्हें लगा की वो शेर उनपर झपटकर उनका शिकार कर सकता है। ये सोचकर ये सभी दोस्त डर गए कि शेर आसानी से उन पर पलट सकता है।

लेकिन शेर ऐसे बिलकुल भी नहीं था। उसे ये बिलकुल याद आया कि उसके दोस्तों ने उस पर कितनी मेहरबानी की थी, और उसने उनकी जान बख्शने का फैसला किया। उसने घोषणा की कि वह उन्हें कभी नुकसान नहीं पहुँचाएगा, और यह कि वे अपने क्षेत्र से अपनी इच्छानुसार आ और जा सकते हैं।

चारों दोस्तों ने ये सीखा कि दयालुता का सबसे छोटा कार्य भी बड़ा प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने महसूस किया कि किसी जरूरतमंद की मदद करने से उन्हें एक शक्तिशाली सहयोगी मिला है जो हमेशा उनकी तरफ रहेगा।

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की हमें हमेशा दूसरों की सहायता करना चाहिए।

4. चींटी और टिड्डा की कहानी: Moral Stories of Hindi

एक बार की बात है, एक चींटी थी जो पूरे दिन कड़ी मेहनत करती थी, भोजन इकट्ठा करती थी और आने वाली सर्दियों के लिए उसका भंडारण करती थी। चींटी जानती थी कि उसे हमेशा आगे के लिए तैयार रहना जरूरी है, ताकि जब ठंड के महीने आएं, तो उसके पास खाने के लिए पर्याप्त खाद्य हो।

ant moral stories in hindi for class 9

दूसरी ओर, एक टिड्डा था, जो अपना दिन गाते-बजाते बिताता था, और भविष्य के बारे में नहीं सोचता था। जब सर्दियाँ आईं, तो टिड्डी ने खुद को भूखा और ठंडा पाया, उसके पास कोई भोजन या आश्रय नहीं था।

टिड्डा चींटी के घर गया और कुछ खाने को माँगा, लेकिन चींटी ने मना कर दिया। उसने टिड्डे से कहा कि उसे गायन और वादन में अपना समय बर्बाद करने के बजाय कड़ी मेहनत और तैयारी करनी चाहिए थी।

टिड्डे ने एक मूल्यवान सबक सीखा: केवल क्षण में जीने के बजाय कड़ी मेहनत करना और भविष्य के लिए तैयार होना महत्वपूर्ण है। चींटी ने उसे दिखाया कि तैयार रहने से सारा फर्क पड़ सकता है, और कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से सफलता मिल सकती है।

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की हमें हमेशा आगे के लिए तैयार रहना चाहिए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।

5. लालची कुत्ता की कहानी: Lalchi Kutta Story Moral in Hindi

एक बार की बात है एक आवारा कुत्ता था जो हमेशा भूखा रहता था। एक दिन, जब वह सड़कों पर घूम रहा था, उसने जमीन पर मांस का एक टुकड़ा पड़ा देखा। कुत्ते ने जल्दी से मांस को अपने मुँह में पकड़ लिया और अपने पुरस्कार का आनंद लेने के लिए भाग गया।

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जब वह दौड़ रहा था, कुत्ते ने पास के एक तालाब में अपना प्रतिबिंब देखा। यह सोचकर कि मांस के एक बड़े टुकड़े के साथ एक और कुत्ता है, लालची कुत्ते ने मांस के दूसरे टुकड़े को हड़पने के लिए अपना मुंह खोल दिया। लेकिन जैसे ही उसने ऐसा किया, उसके मुंह में मांस का टुकड़ा तालाब में गिर गया और तल में डूब गया।

कुत्ते को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसके पास कुछ भी नहीं बचा। इतना लालची होने के लिए उसे शर्म और मूर्खता महसूस हुई।

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की लालच हमारे पतन का कारण बन सकता है।

6. लोमड़ी और बकरी की कहानी: The Fox and The Goat Story in Hindi

एक समय की बात है, जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। एक दिन, लोमड़ी इधर उधर घूम रही थी और गलती से वह एक गहरे कुएं में गिर गई। उसने कुएं से बाहर निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन असफल रही। तभी एक बकरी वहाँ पर पानी पीने के लिए कुएं पर आई।

Fox and Goat Story in Hindi

लोमड़ी को एक तरकीब सूझी। उसने बकरी से कहा, “कुएँ में उतरो, यहाँ का पानी बहुत मीठा है!” बकरी के मन में लालच आ गया और उसने तुरंत कुएं में छलांग लगा दी। यही तो लोमड़ी चाहती थी। चतुर लोमड़ी ने बकरी के सींगों पर पैर रखा और सुरक्षित कुएं से बाहर निकल गई।

बाहर निकलते ही वह बेचारी बकरी को कुएं में फंसा छोड़कर भाग गयी बकरी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने खुद से कहा, “मुझे चालाक लोमड़ी पर भरोसा नहीं करना चाहिए था और बिना सोचे-समझे कुएं में कूद जाना चाहिए था।”

बच्चों, इससे पता चलता है कि हमें किसी की मीठी बातों पर भरोसा करने से पहले अच्छी तरह सोच लेना चाहिए।

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की किसी को भी भरोसा करने से पहले अच्छी तरह सोच लेना चाहिए।

Moral Stories को हिंदी में क्या कहते हैं?

Moral Stories को हिंदी में नैतिक कहानियाँ कहा जाता है।

बच्चों के लिए नैतिक कहानी क्या है?

यदि आप भी अपने बच्चों के लिए नैतिक कहानी खोज रहे हैं तब आपको ऊपर बहुत सी कहानियाँ मिल जाएँगी जिसे की आप खुद से देखकर सिख सकते हैं।

आज आपने क्या सीखा?

मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख Moral Stories in Hindi  जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को ख़ास कर छोटे बच्चों को प्रेरणादायक कहानियों (short moral hindi stories) के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है।

इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी कहानियां भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं।

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हिंदी नैतिक कहानियां – Short Moral Stories in Hindi

बड़े-बुज़ुर्गों के द्वारा सुनाई जाने वाली यह छोटी-छोटी कहानियां हमें जीवन की बड़ी सीख सीखा जाती हैं। इन कहानियों से मिलने वाली शिक्षा का हमारे जीवन में बड़ा प्रभाव पड़ता है।

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Reported by Rohit Kumar

Published on 24 August 2024

हम सब अपने बचपन से ही अपने बड़ों से, जैसे कि माता-पिता, नाना-नानी, दादा-दादी, से बहुत सी कहानियों को सुनकर बड़े हुए हैं। प्राचीन काल से ही कहानियों का सुनना और सुनाना हमारे देश की परंपरा रही है। हमने देखा है कि अकसर गाँवों में, जहाँ मनोरंजन के लिए बहुत कम साधन होते हैं, वहां लोग नैतिक कहानियां (Moral Stories) और कविताओं को गाकर या सुनाकर बच्चों का मनोरंजन करते हैं। ये कहानियां न केवल मनोरंजक होती हैं, बल्कि ये शिक्षाप्रद भी होती हैं और हमें जीवन के मूल्यों और नैतिकता के प्रति जागरूक करती हैं।

हिंदी नैतिक कहानियां - Short Moral Stories in Hindi

आपको बता दें की हिंदी-साहित्य में कई ऐसे लेखक हुए हैं जिन्होंने शिक्षा लाभप्रद ऐसे छोटी-छोटी नैतिक कहानियां (Short Story) लिखी हैं। इन छोटी कहानियों में अकबर-बीरबल, तेनाली-रामा, पंचतंत्र आदि की कहानियां बहुत ही ज्यादा प्रचलित हैं। दोस्तों आप जानते हैं की बड़े-बुज़ुर्गों के द्वारा सुनाई जाने वाली यह छोटी-छोटी कहानियां हमें जीवन की बड़ी सीख सीखा जाती हैं। इन कहानियों से मिलने वाली शिक्षा का हमारे जीवन में बड़ा प्रभाव पड़ता है। आज हम आपको अपने आर्टिकल में हिंदी की कुछ ऐसे ही प्रेरणादायक नैतिक कहानियों (Short Moral Stories) का संग्रह यहां दे रहे हैं।

इन हिंदी नैतिक कहानियां (Hindi stories) पढ़कर आप अपना मनोरंजन भी कर पाएंगे और जीवन में काम आने वाली शिक्षा के बारे में जान पाएंगे।

1.लालची लोमड़ी की कहानी (The Greedy fox Story in Hindi ):

लालची लोमड़ी की कहानी

लालची लोमड़ी की कहानी में यह है की एक बार की बात है एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहा करती थी। गर्मियों के दिन थे और वह भूख से परेशान होकर जंगल में भटक रही थी। बहुत देर जंगल में भटकने के बाद लोमड़ी को एक खरगोश मिला। लेकिन खरगोश मिलने के बाद लोमड़ी ने खरगोश को खाने की बजाय उसे छोड़ दिया क्योंकि वह इतना छोटा था की उसे खाने से लोमड़ी का पेट कहाँ भरने वाला था।

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इसके बाद लोमड़ी आगे बढ़ी फिर से जंगल में भटकने लगी। कुछ देर जंगल में भटकने के बाद भूखी लोमड़ी को एक हिरण (Deer) दिखा हिरण को देखते ही लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। लोमड़ी हिरण को पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ने लगी। लोमड़ी ने अपनी पूरी ताकत से हिरण का पीछा किया पर हिरण लोमड़ी की पकड़ में नहीं आया।

अब लोमड़ी खाने की तलाश में बहुत ही थक चुकी थी। जब लोमड़ी के हाथ हिरन भी नहीं लगा तो लोमड़ी सोचने लगी की इससे अच्छा होता वह छोटे से खरगोश को ही खा लेती जिसको उसने छोड़ा था। कुछ देर आराम करने के बाद लोमड़ी खरगोश को ढूंढने के लिए फिर से जंगल में भटकने लगी।

जंगल में खरगोश को ढूंढते हुए लोमड़ी वहां पहुँची जहाँ उसने खरगोश (Rabbit) को देखा था। लेकिन लोमड़ी को वहां खरगोश नहीं दिखा। थक हारकर लोमड़ी को अपनी गुफा में लौटना पड़ा। जिसके बाद कई दिनों तक भूखी लोमड़ी अपनी गुफा में भूखा रहना पड़ा और बहुत दिन बीत जाने के बाद लोमड़ी को खाना मिला।

कहानी की सीख : उपरोक्त लोमड़ी की कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें लालच नहीं करना चाहिए। यदि लालच किये बिना संतोषी जीवन जीते हैं तो आप सुखी रहते हैं। हिंदी में लालच (Geedy) के प्रसिद्ध मुहावरा भी है की “लालच बुरी बला है”

2.प्यासे कौवे की कहानी (Story of Thirsty Crow):

प्यासे कौवे की कहानी

दोस्तों एक बार की बात है की बहुत तेज चिलचिलाती गर्मी पड़ रही थी। दोपहर का समय था। इस गर्मी भरी दोपहर में एक कौवा प्यास के मारे पानी की तलाश में भटक रहा था। बहुत से जगह ढूंढने के बाद भी कौवे को पानी नहीं मिला। पानी की तलाश में कौवा उड़ता ही जा रहा था।

पानी की तलाश में उड़ते हुए प्यासे कौवे की नज़र एक पानी से भरे घड़े पर पड़ी। कौवा घड़े के पास आया और पानी पीने के लिए प्यासे कौवे ने जैसे ही अपना मुँह घड़े के अंदर डाला तो देखा की पानी उसकी पहुँच से बाहर है। बहुत प्रयास करने के बाद भी कौवा अपनी चोंच पानी तक नहीं पहुंचा पा रहा था।

जब कौवे ने देखा की वह पानी तक अपनी चोंच नहीं पहुंचा पा रहा है तो कौवे ने इसके लिए एक तरकीब निकाली। कौवे ने घड़े के पास पड़े पत्थर और कंकड़ अपनी चोंच में लाकर घड़े में डालने लगा। एक-दो कंकड़ कौवा अपनी चोंच में दबाकर लाता और घड़े में डाल देता। पत्थर और कंकड़ डालने से घड़े का पानी ऊपर आने लगा। प्यासा कौवा बड़ी मेहनत से तब तक घड़े में पत्थर डालता रहा जब तक घड़े का पानी घड़े के ऊपरी सिरे तक नहीं आ गया।

कौवे की मेहनत रंग लाई और देखते ही देखते पानी घड़े के ऊपरी सिरे तक पहुंच गया जिसके बाद प्यासे कौवे ने पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई।

कहानी की सीख: ऊपर बताई गई कौवे की कहानी हमें यह सीख देती है की किसी भी परिस्थिति में अपना स्वभाव सकारात्मक रखें। यदि आप किसी कार्य को शुरू करने से पहले हार मान लेंगे तो हार निश्चित है। आपको बस अपने कार्य को सिद्ध करने के लिए ईमानदारी से मेहनत करते रहना है आपको सफलता जरूर मिलेगी।

3.सुनहरी कुल्हाड़ी और लकड़हारे की कहानी

सुनहरी कुल्हाड़ी और लकड़हारे की कहानी

बहुत साल पहले की बात है की एक नगर में किशन नाम का लकड़हारा (Woodcutter) रहा करता था। वह अपने गुजर बसर के लिए जंगल से लकड़ी काटकर लाता और नगर में बेचता था। इन लकड़ियों को बेचने से लकड़हारे को जो पैसे मिलते थे उससे वह अपने लिए खाना खरीदकर खा लेता था। यह उसकी रोज की दिनचर्या थी।

एक दिन की बात है की जंगल में लकड़हारा एक तेज बहती हुई नदी के पास एक पेड़ पर चढ़कर लकड़ी काट रहा था। पेड़ से लकड़ी काटते हुए कुल्हाड़ी लकड़हारे के हाथ से छूटकर नदी में जा गिरी।

कुल्हाड़ी ढूंढने के लिए लकड़हारा पेड़ से नीचे उतरा और कुल्हाड़ी ढूढ़ने लगा लेकिन बहुत प्रयास करने के बाद लकड़हारे को उसकी कुल्हाड़ी नहीं मिली। लकड़हारे ने सोचा की नदी में पानी बहुत गहरा है और बहाव भी तेज है। कुल्हाड़ी नदी में पानी के साथ बह गयी होगी।

उदास और मायूस होकर लकड़हारा नदी किनारे बैठकर रोने लगा। कुल्हाड़ी खो जाने से लकड़हारा काफी दुखी था। लकड़हारे यह सोचने लगा की उसके पास इतने पैसे भी नहीं हैं की वह नयी कुल्हाड़ी खरीद सके।

जब लकड़हारा दुखी होकर नदी किनारे बैठा हुआ था तब नदी से एक देवता स्वरुप मनुष्य प्रकट हुए और उन्होंने लकड़हारे को आवाज़ लगाई। देवता ने लकड़हारे से पूछा की तुम इतने दुखी क्यों हो और तुम रो क्यों रहे हो। देवता के पूछने पर अपनी कुल्हाड़ी खोने की पूरी कहानी बताई। लकड़हारे की बात सुनकर देवता ने कहा की मैं तुम्हारे लिए कुल्हाड़ी ढूंढकर लाऊंगा ये बात कहकर देवता ने लकड़हारे को उसकी मदद का भरोसा दिलाया।

इसके बाद देवता नदी में समा गए और कुछ देर के बाद नदी से बाहर निकले। लकड़हारे ने देखा की देवता के हाथ में तीन तरह की कुल्हाड़ियाँ हैं। पहली कुल्हाड़ी को दिखाकर जो सोने की बनी हुई थी देवता ने लकड़हारे से पूछा की बताओ क्या यह कुल्हाड़ी तुम्हारी है ? लकड़हारे ने जवाब दिया की नहीं भगवन यह सोने की कुल्हाड़ी मेरी नहीं इसके बाद देवता ने चांदी की कुल्हाड़ी को दिखाते हुए पूछा की क्या यह कुल्हाड़ी तुम्हारी है ?

लकड़हारे ने जवाब दिया की नहीं भगवान यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं। इसके बाद लकड़ी से बनी कुल्हाड़ी को दिखाते हुए देवता ने वही प्रश्न दोबारा किया। इस बार लकड़हारे ने जवाब दिया की जी हाँ यह लकड़ी से बनी कुल्हाड़ी मेरी हैं इसी से मैं पेड़ पर बैठकर लकड़ी काट रहा था। लकड़ी काटते समय यह मेरे हाथ से छूटकर नदी में गिर गई थी।

देवता के द्वारा लकड़हारे की ईमानदारी को देखकर बहुत अधिक प्रसन्न हुए। देवता ने कहा की किशन यदि तुम्हारी जगह कोई और होता तो वह लालच में आकर सोने या चांदी की कुल्हाड़ी ले लेता परन्तु तुमने ऐसा नहीं किया। हम तुम्हारी ईमानदारी से बहुत अधिक प्रसन्न हैं।

तुमने पवित्र और सच्चे मन से मेरे द्वारा पूछे गए सभी सवालों के जवाब दिए तो मैं तुम्हें उपहार के रूप यह तीनों कुल्हाड़ी भेंट करता हूँ। तुम यह तीनों कुल्हाड़ी भेंट स्वरुप अपने पास रख लो। लकड़हारा तीनों कुल्हाड़ी लेकर बहुत खुश था। वह तीनों कुल्हाड़ी लेकर अपने घर चला गया।

कहानी की सीख : उपरोक्त लकड़हारे की कहानी हमें सिखाती है की हमें कभी भी जीवन में ईमानदारी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।

halwa paratha story

एक बार की बात है की एक गाँव में दो भाई रहा करते थे बड़े भाई का नाम था अली और दूसरे भाई का नाम था अकरम। दोनों भाई अपने स्वभाव के कारण एक-दूसरे के बिलकुल विपरीत थे। बड़ा भाई अली हलवे पराठे की ठेली लगाता था। इसी तरह दूसरा छोटा भाई अकरम एक नंबर का आलसी था और कोई काम धंधा नहीं करता था। अकरम बस जल्द से जल्द अमीर बनने के सपने देखा करता था।

एक बार की बात है की छोटा भाई अकरम अपनी भाभी के लिए सूट लेकर आया। अकरम ने सूट भाभी को दिया जो अकरम की भाभी को बहुत पसंद आया। सूट दख अकरम की भाभी ने कहा अरे अकरम तू तो कुछ कमाता भी नहीं हैं फिर तेरे पास इतने पैसे कहाँ से आये। अकरम बोला, ” भाभी जान आप यह सब मत पूछा करो मैं तो सिर्फ जुगाड़ करता हूँ ” और इन जुगाड़ से मैं बहुत ही जल्दी अमीर बन जाऊंगा।

यह सब बातें सुनकर अकरम का बड़ा भाई अली बोला की तू इन जुगाड़ों से भले ही अमीर बन जाए पर ऐसे पैसों से कमाई गई तेरी अमीरी ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगी। इतने में अकरम बोला की भाईजान आप तो रहने दो आप ईमानदारी से काम करते हो लेकिन ईमानदारी से सिर्फ जरूरतें पूरी हो सकती हैं अमीर बनने का सपना नहीं इतना कहकर अकरम हमेशा अपने बड़े भाई का मुंह बंद करा देता था।

अली बाज़ार के बीच में हलवा पराठे की ठेली लगाता था। अली का बना हलवा अच्छी क्वालिटी का होता था जिसके कारण ग्राहकों की भीड़ हमेशा ही अली के ठेले पर लगी रहती थी। लोगों को अली का बनाया हलवा इतना पसंद आता था की लोग हलवा पैक कराकर अपने घर भी ले जाया करते थे। लेकिन इसमें अली को अपने मुनाफे में काफी नुकसान उठाना पड़ता था।

एक बार जब अली ने अपने पुरे महीने का हिसाब अपनी पत्नी फातिमा को दिया तो। अली की पत्नी फातिमा ने कहा की इस बार का मुनाफे का हिसाब पिछले महीने के हिसाब से कम है। इस पर अली की पत्नी फातिमा बोली की ऐसे तो हमारा गुजारा नहीं चल पायेगा। तब अली बोला की इस महीने तेल के दाम बढ़ चुके हैं इसलिये मुनाफ़ा थोड़ा कम हुआ है। यह सुनकर फातिमा बोली की आप भी अपने हलवे और पराठे के दाम बढ़ा दीजिये अच्छा मुनाफा होगा।

इस पर अली बोला की नहीं फातिमा मैं ऐसा नहीं कर सकता अगर मैं ऐसा करता हूँ तो ज्यादा लोग मेरा बना हुआ हलवा नहीं खरीद पाएंगे। इसके बाद फातिमा ने कहा की जैसा आप ठीक समझें। अली और फातिमा की यह बातें अली का छोटा भाई अकरम सुन रहा था।

एक दिन की बात है की फातिमा को एक फ़ोन आता है। फ़ोन पर बात करते ही वह रोने लगती है। जब अली फातिमा को देखता है की फातिमा रो रही है तो वह पूछता है की क्या हुआ फातिमा क्यों रो रही हो ?फातिमा बताती है की मेरी चाची अब इस दुनिया में नहीं रही। उनका इंतकाल हो चूका है। मुझे जल्द से जल्द चाचा के यहाँ जाना होगा।

यह सुनकर अली बोलता है रोओ मत फातिमा मैं भी तुम्हारे साथ चाचा के यहाँ चलता हूँ। इसके बाद अली अपने भाई अकरम से कहता है की जब तक मैं नहीं आता तब तक तुम हलवे पराठे की ठेली लगाना। और देखना की मेरे ग्राहकों को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। याद रखना की मैं हलवा बनाने के लिए दूकान से मंहगा और अच्छी गुणवत्ता का सामान खरीदता हूँ तुम सस्ते के चक्कर में मत पड़ना। इतना कहकर अली चला जाता है।

इसके बाद अकरम हलवे पराठे की ठेली लगना शुरू कर देता है। ग्राहक आकर आराम से हलवा पराठा खा रहे हैं। अकरम देखता है की पराठा बनाने के लिए तेल खत्म हो गया है। अकरम सोचता है अगली सुबह जाकर वह दूकान से सारा सामान खरीद लेगा।

अगली सुबह जब अकरम सामान लेने दूकान जाता है तो वह यह सोचकर सस्ता तेल ले लेता है की यह कौन सा उसके घर में उपयोग होने वाला है। रोज़ की तरह लोग ठेले पर आकर हलवा पराठा खाने लगते हैं। लेकिन कुछ देर बाद दो ग्राहक आते हैं हमने तुम्हारे यहाँ से हलवा खाया था और हमारी तबियत ख़राब हो गई। तुम्हारा बड़ा भाई अली कहाँ है हम उससे बात करते हैं की ये कैसा हलवा बनाया। यह सुनकर अकरम डर जाता है क्योंकि वह कई दिनों से सस्ता और मिलावटी तेल में बना हलवा पराठा बेच रहा था।

यह बात जब अली को पता चलती है तो वह अकरम को बहुत डांटता है और अकरम से कहता है की वह लोगों से माफ़ी मांगे। अकरम को अपनी गलती का एहसास जाता है और लोगों से माफ़ी मांगते हुए कहता है की वह आगे से ऐसा नहीं उसे अपने किये पर बहुत पछतावा है।

कहानी की सीख: कहानी हमें यह सिखाती है हमें अपने मतलब के लिए दूसरों को तकलीफ नहीं देनी चाहिए। ईमानदारी और मेहनत से कमाया पैसा जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।

5.भेड़िये और सारस की कहानी

भेड़िये और सारस की कहानी (story of wolf and stork)

एक बार की बात है जंगल में एक भेड़िया बहुत ही भूखा प्यासा भटक रहा था। बहुत देर भूखा प्यासा भटकने के बाद भेड़िये को शिकार के लिए एक जानवर दिखा और भेड़िये ने जानवर को मारकर खा लिया जब भेड़िया जानवर को खा रहा था तो भेड़िये के गले में जानवर की हड्डी फंस गई।

बहुत प्रयास करने के बाद भी भेड़िये के गले से हड्डी नहीं लगी। गली में हड्डी को लेकर परेशान होने के बाद इधर उधर घूमने लगा की कोई गले से हड्डी निकलने में मेरी मदद कर दे पर कोई भी जानवर भेड़िये की मदद करने को तैयार नहीं था।

बहुत देर तक भटकने के बाद भेड़िये को एक सारस(stork) मिला भेड़िये अपनी सारी समस्या सारस को बताई। इसके बाद सारस ने कहा की अगर मैं तुम्हारी मदद करूँ तुम मुझे क्या दोगे। जिसके बाद भेड़िये ने कहा अगर तुम मेरी मदद करते हो मैं तुम्हें इनाम दूंगा। इनाम के लालच में सारस भेड़िये की मदद को तैयार हो गया।

अब सारस ने अपनी लम्बी चोंच को भेड़िये के मुंह में डालकर गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाल दिया। जैसे ही सारस ने गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाला भेड़िया बहुत खुश हुआ और जाने लगा। यह देखकर सारस ने कहा की तुमने तो कहा था की मदद करने के बदले में मुझे इनाम दोगे। और तुम तो जा रहे हो यह तो गलत है।

इसके बाद भेड़िये ने सारस से कहा की तुमने मेरे मुंह में अपनी गर्दन डाली और इसके बाद तुम सही सलामत बचे हुए हो यही तुम्हारा इनाम है। यह सुनकर सारस बहुत दुखी हुआ।

कहानी की सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमें स्वार्थी लोगों का साथ नहीं देना चाहिए। जीवन में हमेशा स्वार्थी लोगों से सावधान रहें।
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6.दो मेढकों की कहानी

two frogs story

बहुत समय पहले की बात है की एक जंगल में मेंढकों का एक समूह रहता था। एक दिन सभी मेंढकों ने यह तय क्या की आज हम पुरे जंगल की यात्रा करते हैं। सभी मेंढक यात्रा करने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद यात्रा करते हुए समूह में से दो मेंढक गहरे गड्ढे में गिर जाते हैं। जिसके बाद दोनों मेढक बाहर निकलने का काफी प्रयास करते हैं लेकिन दोनों में से कोई भी बाहर नहीं निकल पाता।

यह सब देखकर गड्ढे के बाहर उन दोनों मेंढकों के साथी तेज आवाज में चिल्ला रहे थे। और आपस में बात करते हुए यह बोल रहे थे की तुम्हारी कोशिश करना बेकार है। तुम कितनी भी कोशिश कर लो गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाओगे।

गड्ढे में मौजूद दोनों मेंढकों में एक मेंढक गड्ढे के बाहर सभी मेंढकों की यह बाते सुन रहा था। यह बातें सुनकर गड्ढे में मौजूद मेंढक बहुत निराश हुआ और गड्ढे से बाहर निकलने का प्रयास छोड़ दिया और निराश होकर अपने प्राण त्याग दिए। परन्तु दूसरा मेंढक अभी भी पूरी तरह से गड्ढे बाहर निकलने की कोशिश करने में लगा हुआ था। और गड्ढे के बाहर मौजूद सभी मेंढक उसका मजाक बना रहे थे और हंस रहे थे।

बार-बार प्रयास करने के बाद दूसरे मेंढक ने एक लम्बी छलांग लगायी और गड्ढे से बाहर निकल गया। समूह के सभी मेंढक यह देखकर हैरान रह गए। जब सबने पूछा की उसने ये कैसे किया तो उस मेंढक ने जवाब दिया वह बहरा है और वह बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था की उसे लगा बाकी सभी मेंढक उसे उत्साहित करने के लिए उछल रहे हैं।

कहानी की सीख: उपरोक्त मेंढक की कहानी हमें सिखाती हैं हमें जीवन में किसी की भी नकारत्मक बात नहीं सुननी चाहिए। दूसरों की नकारत्मक बातों में ध्यान देने की बजाय अगर हम सकारात्मक सोच के साथ प्रयास करें तो अपने कार्य में सफल हो सकते हैं।

7. शेर और चूहे की कहानी

Lion-and-mouse-story

एक बार की बात है की एक जंगल में जंगल का राजा शेर और चूहा रहा करते थे। एक बार जब शेर गहरी नींद में सो रहा था तब एक चूहा बिल से निकलकर शेर के ऊपर उछल कूद करने लगा। चूहे के इस तरह उछल कूद करने से शेर की नींद खुल गई और शेर ने चूहे को पकड़ लिया।

शेर द्वारा चूहे के पकड़े जाने के बाद चूहा बहुत ही ज्यादा डर गया। चूहे को डरा देखकर शेर ने कहा की तुमने मेरी नींद ख़राब की है अब मैं तुम्हें खाकर अपनी भूख मिटाऊंगा। अपने को असहाय देखकर चूहे ने कहा की हे जंगल के राजा मुझ छोटे से प्राणी को खाने से आपकी भूख नहीं मिटेगी आप मुझे मत खाइये।

हे शेर राजा मैं विनती करता हूँ की आप मुझे छोड़ दो यदि कभी आपके ऊपर कभी कोई मुसीबत आती है तो मैं आपकी मदद कर सकता हूँ। यह सुनकर शेर हंसने लगा। तुम तो बहुत छोटे हो तुम क्या मेरी मदद करोगे। तुम्हारे विनती करने पर चलो आज तो मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ लेकिन अगली बार ऐसा करने पर मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा। यह कहकर शेर ने चूहे को छोड़ दिया।

कुछ दिन के बाद जब शेर खाने की तलाश में जंगल में भटक रहा था तो तभी शेर एक शिकारी द्वारा फैलाये गए जाल में फंस गया। शेर अपने आप को छुड़ाने के लिए बहुत प्रयास करने लगा। लेकिन अपने आप नहीं छुड़ा पाया। इसके कुछ देर बाद शेर जोर-जोर से दहाड़ मारने लगा। शेर की दहाड़ सुनकर चूहा वहां आ गया। जैसे ही चूहे ने शेर को जाल में फंसा हुआ देखा चूहा तुरंत ही शेर के पास पहुँच गया।

जब चूहे ने शेर को जाल में फंसा देखा तो चूहे ने फटाफट अपने तेज दांतों से जाल को काटना शुरू कर दिया। कुछ देर के बाद चूहे ने पूरा जाल काट दिया। जाल काटने के बाद शेर आजाद हो गया। चूहे की इस मदद से शेर बहुत ही भावुक हो गया। शेर ने चूहे को धन्यवाद दिया और दोनों उस दिन के बाद से अच्छे दोस्त बन गए।

कहानी की सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती सिर्फ शरीर के आधार पर किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए।

8. हाथी और सियार की कहानी

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एक जंगल में एक हाथी और एक सियार रहता था। जंगल में सियार भूख से इधर उधर भटक रहा था। वन में घूमते-घूमते सियार एक जगह पर आया जहाँ उसने हांथी को देखा। हांथी को देखते ही सियार के मुंह में पानी आ गया। सियार हांथी को खाने के बारे में सोचने लगा।

यह सोचकर सियार हांथी के पास गया। हाथी के पास जाकर सियार बोला हाथी इस जंगल में बहुत से जानवर रहते हैं , लेकिन कोई भी जानवर आपसे ज्यादा बड़ा और समझदार जानवर नहीं है। क्या आप जंगल का राजा बनना पसंद करोगे। सियार की यह बात हाथी को अच्छी लगी। हाथी ने सियार को जंगल का राजा बनने के लिए हाँ बोल दिया।

हाथी के हाँ बोलने पर सियार ने बोला आप मेरे साथ चलो। खुशी से फुला ना समा रहा हाथी सियार के साथ चल दिया। सियार हाथी को एक तालाब के पास ले गया। सियार बोला आप तालाब में नहाने के लिए उतर जाओ। तालाब में बहुत ही दलदल था। राजा बनने की खुशी में हाथी तालाब में उतर गया। तालाब में उतरते हाथी धंसने लगा।

हाथी सियार से बोला की ये तुम मुझे कैसे तालाब में ले आये, मैं इसमें धंसता ही जा रहा हूँ। सियार यह सुनकर जोर-जोर से हँसने लगा। सियार बोला की मैं तुम्हें अपना शिकार बनाना चाहता था इसलिए मैं तुम्हें इस तालाब में लाया।

यह सुनकर हाथी मायूस होकर रोने लगा। हाथी ने तालाब से बाहर निकलने का बहुत प्रयास किया। लेकिन बाहर नहीं निकल पाया। धीरे-धीरे हाथी दलदल में धंसने लगा। हाथी को दलदल में फंसा देख सियार हाथी को खाने के लिए तालाब में उतर गया। जिसके बाद सियार के साथ -साथ हाथी भी दलदल में फंसकर मर गया।

कहानी की सीख: उपरोक्त कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है वह स्वयं भी उस गड्ढे में गिरता है।

9.नन्हीं चिड़िया की कहानी

बहुत समय पहले की बात है। एक बहुत बड़ा घना जंगल हुआ करता था। एक बार की बात है जंगल में बहुत ही बड़ी भीषण आग लग गई। सभी जानवर आग देखकर डर गए और जान – बचाने हेतु इधर उधर भागने लगे।

आग लगने के कारण जंगल में बहुत ही ज्यादा भगदड़ मची हुई थी। हर कोई अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहा था। इस जंगल में एक नन्हीं सी चिड़ियाँ भी रहती थी। चिड़ियाँ ने देखा सभी जानवर बहुत भयभीत हैं। इस आग लगे हुए जंगल में मुझे जानवरों की मदद करनी चाहिए।

यह सोचकर नन्हीं सी चिड़िया एक नदी के पास चली गई। नदी में जाने के बाद चिड़ियाँ अपनी छोटी सी चोंच नदी की जल भर कर आग बुझाने का प्रयास करने लगी। चिड़ियाँ को देखकर एक उल्लू यह सोच रहा था की ये चिड़िया कितनी मुर्ख है। इतनी भीषण आग इसके द्वारा लाये पानी कहाँ बुझेगी।

यह देखकर उल्लू चिड़िया के पास गया की तुम बेकार ही मेहनत कर रही हो तुम्हारे लाये पानी से यह आग कहाँ बुझेगी। इस पर चिड़ियाँ ने बड़ी ही विनम्रता से जवाब दिया की मुझे बस अपना प्रयास करते रहना है चाहे आग कितनी भी भयंकर हो।

यह सुनकर उल्लू बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुआ और चिड़ियाँ के साथ आग बुझाने में लग गया।

कहानी की सीख: कहानी हमें यह सिखाती है की मुसीबत कितनी भी बड़ी हो हमें अपना प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए।

10.गधे और धोबी की कहानी

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एक निर्धन धोबी था। उसके पास एक गधा था। गधा काफी कमजोर था क्योंकि उसे बहुत कम खाने-पीने को दिया जाता था। एक दिन , धोबी को एक मरा हुआ बाघ मिला। धोबी ने सोचा की , मैं गधे के ऊपर इस बाघ की खाल को डाल दूँ और इस गधे को पड़ोसियों के खेत में चरने के लिए छोड़ दूँ।

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गधे को देखकर किसान समझेंगे की यह एक सचमुच का बाघ है। इससे डरकर दूर रहेंगे और गधा आराम से सारा खेत चर लेगा। धोबी ने यह योजना बनाकर तुरंत इस योजना पर काम किया।

एक रात की बात है की गधा खेत चर रहा था। तभी गधे को किसी गधी की रेंकने की आवाज सुनाई दी। इस आवाज को सुनकर गधा इतने जोश में आ गया की वह जोर-जोर से रेंकने लगा। गधे के चिल्लाने से गांव वालों गधे की असलियत का पता चल गया। और लोगों ने गधे की खूब पिटाई कर दी।

कहानी की सीख: ऊपर दी गई कहानी हमें सिखाती है की सच्चाई कभी नहीं छुपती। वह एक न एक दिन बाहर आ ही जाती है।

यह भी पढ़ें : हिंदी वर्णमाला (Hindi Alphabet Varnamala) | Hindi Varnamala Letter

11.एक बूढ़े आदमी की कहानी

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एक बार की बात है एक गांव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। पुरे गाँव में बूढ़े व्यक्ति को सब बद किस्मत मानते थे। पूरा गांव बूढ़े व्यक्ति को अपनी अजीबो गरीब हरकतों से परेशान करता था। सारा गाँव उस बूढ़े व्यक्ति से थक चूका था।

बूढ़ा व्यक्ति हमेशा ही सबसे नाराज़ रहता था। जिस कारण बूढ़े व्यक्ति का स्वाभाव हमेशा ही उदास और चिड़चिड़ेपन वाला हो गया था।

बूढ़ा व्यक्ति जितने दिन भी जीवित रहता वह उतना ही दुखी रहता। बूढ़े व्यक्ति के द्वारा बोले गए शब्द लोगों को तीर की तरह चुभते थे। हर कोई उस बूढ़े व्यक्ति से बात करने से बचता था। कहने की बात यह है की बूढ़े व्यक्ति का दुर्भाग्य हर किसी के लिए घातक हो गया था।

उस बूढ़े व्यक्ति से जो भी मिलता था उसके लिये सारा दिन अशुभ हो जाता था , लोगों को लगता था की बूढ़े व्यक्ति के बगल में रहना अस्वाभाविक और अपमानजनक है। बूढ़े व्यक्ति के पास होने से लोग बहुत ही ज्यादा दुखी हो जाते थे।

लेकिन एक दिन ऐसा हुआ ही बूढ़ा व्यक्ति सबको बहुत ही ज्यादा खुश नज़र आ रहा था। बात ऐसी थी की आज बूढ़ा व्यक्ति 80 साल का हो गया था। यह बात पुरे गाँव में आग की तरह फ़ैल गई। बूढ़ा व्यक्ति आज किसी से कोई शिकायत नहीं कर रहा था। लोगों ने पहली बार जीवन में बूढ़े व्यक्ति को इतना खुश देखा

सभी गाँव के लोग इकट्ठा हो गए। सबने में यह जानने की इच्छा थी की आज बूढ़ा व्यक्ति इतना खुश क्यों है एक आदमी से बूढ़े आदमी से पूछा तुम्हें क्या हुआ है ?आज इतना क्यों खुश हो।

जवाब देते हुए बूढ़ा व्यक्ति बोला : आज कुछ ख़ास नहीं। मैं अपने पुरे जीवन में 80 साल से खुशी की तलाश कर रहा था। पर मुझे कभी खुशी नहीं मिली। जीवन भर मेरी यह तलाश बेकार ही गई। लेकिन आज मैंने यह सोच लिया है की अब से मैं बिना खुशी की तलाश के जीवन जीऊंगा और में अब यही सोच कर खुश हूँ।

कहानी की सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिली की हमें जीवन में खुशी को ढूढ़ने के लिए उसके पीछे नहीं भागना चाहिए। जीवन आनंदमयी तरीके से जिओ तो खुशी अपने आप मिलेगी।

12. लोमड़ी और अंगूर की कहानी

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बहुत समय पहले की बात है की एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहा करती थी। एक दिन लोमड़ी भूख के मारे पुरे जंगल में इधर-उधर भटक रही थी। लोमड़ी ने पूरा जंगल छान मारा लेकिन लोमड़ी को खाने को कुछ नहीं मिला। पुरे जंगल में खाने की तलाश में भटकते हुए लोमड़ी थक हार कर एक पेड़ के नीचे बैठ गई।

बैठे-बैठे लोमड़ी को नींद आ गई। थोड़ी देर सोने के बाद लोमड़ी की आँखे खुली तो देखा की एक पेड़ पर पके और रसभरे अंगूर लटक रहे हैं। अंगूर को देखते ही लोमड़ी के मुंह में पानी आ गया। अंगूर खाने के लिए लोमड़ी उछल-उछल कर प्रयास करने लगी। लेकिन कई बार प्रयास करने के बावजूद अंगूर लोमड़ी के हाथ नहीं लगे। पेड़ पर अंगूर काफी ऊंचाई पर लगे हुए थे। थक हार कर लोमड़ी ने कहा की छोड़ो मैं अंगूर नहीं खाती अंगूर खट्टे हैं।

13. नगर में कितने तोते हैं लघु कथा

एक बार की बात है की अकबर बादशाह ने अपनी सभा में मौजूद सभी लोगों से एक बहुत ही अजीब सा सवाल पूछा की हमारे नगर में कितने तोते हैं ? यह सवाल सुनकर सभा में सभी लोग हैरान थे। तभी सभा में बीरबल दाखिल हुए। पूछा की क्या बात है ?

अकबर बादशाह ने अपना सवाल फिर से दोहराया तो इस पर बीरबल ने जवाब दिया की बादशाह अकबर हमारे नगर में बीस हजार पांच सौ तेईस (20,523) तोते हैं। सब बीरबल का यह जवाब सुनकर चौंक गए।

सभा में सब यह सोच रहे थे की बीरबल को यह जवाब कैसे पता। इसके बाद बीरबल ने बादशाह अकबर से कहा की बादशाह अकबर आप अपने आदमियों को तोते गिनने के लिए कहें।

बादशाह यदि आप आपके द्वारा भेजे गए आदमियों को तोते ज्यादा मिलते हैं तो इसका मतलब यह है की तोते के रिश्तेदार आस – पास के दूसरे शहर से मिलने आये होंगे। और यदि तोते कम मिलते हैं तो जरूर नगर के तोते अपने रिश्तेदारों से मिलने दूसरे नगर गए होंगे।

बीरबल का यह जवाब सुनकर बादशाह अकबर को बहुत अच्छा लगा। अकबर ने खुश होकर बीरबल को हीरे और मोती से जड़ी माला भेंट कर दी। इसके बाद अकबर ने बीरबल की बुद्धि की बहुत तारीफ़ की।

कहानी की सीख: उपरोक्त कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमारे द्वारा दिए गए किसी प्रश्न के उत्तर को समझाने के लिए तर्कपूर्ण सपष्टीकरण होना चाहिए।

14.जादुई बॉल की कहानी (magic ball story):

बहुत समय से पहले की बात है की एक बार एक छोटा लड़का था जिसका नाम श्याम था वह एक बगीचे में एक बरगद पेड़ के नीचे खेल रहा था। बच्चे को खेलते-खेलते बगीचे में एक क्रिस्टल बॉल मिली। यह एक जादुई क्रिस्टल बॉल थी जो किसी भी इच्छा को पूरा कर सकती थी।

बच्चा यह जानकर बहुत खुश हुआ की उसे जादुई बॉल मिल गई। बॉल मिलते ही बच्चे ने बॉल को अपने बैग में रख लिया। बच्चे ने सोचा जब तक उसकी इच्छाएं पूरी नहीं होती वह बॉल को अपने पास ही रखेगा।

ऐसा सोचते हुए बहुत दिन निकल गए और बच्चे को यह समझ नहीं आ रहा था की वह जादुई बॉल से क्या मांगे। एक दिन श्याम का एक दोस्त राम उसके पास पाया राम ने क्रिस्टल बॉल श्याम के पास देखी और बॉल बैग से निकाल ली। इसके बाद राम बॉल को लेकर पुरे गांव में घूमने लगा।

गाँव में बॉल को देखकर सब अपने लिए धन , महल और सोना चांदी मांगने लगे। लेकिन सभी को बस अपनी एक ही इच्छा पूरी करने का मौका मिल रहा था। अंत में सबको अपनी इच्छाओं को पूरी करने का पछतावा हो रहा था। क्योंकि लोगों को लग रहा था की उन्हें जो चाहिए था वो नहीं मिला।

गाँव के सभी लोग दुखी होकर श्याम के पास पहुंचे। श्याम ने सबकी हालत देखी और बॉल से इच्छा व्यक्त की सब कुछ पहले जैसा हो जाए। बॉल ने सब कुछ पहले जैसा कर दिया यह देख सबने श्याम को धन्यवाद किया। सब श्याम के सूझबूझ की तारीफ कर रहे थे।

कहानी की सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है बहुत ज्यादा धन, सोना और चांदी भी हमें खुशी और सुख नहीं दे सकता। जीएवं में हमें जितना मिला है उसी में संतोष करें। जीवन तभी सुखमय होगा।

15.बातूनी कछुए की कहानी

एक बार की बात है की एक तालाब में एक कछुआ और दो हंसों का जोड़ा रहा करता था। हंस और कछुए में बहुत ही गहरी दोस्ती थी। कछुआ बहुत ही बातूनी था वह हंसों से बहुत बाते करता और शाम होते ही अपने घर चला जाता।

एक बार की बात है जहाँ तालाब था वहां बारिश के मौसम में बारिश नहीं हुई तालाब सूखने लगा। कछुए को चिंता होने लगी की गर्मी के मौसम आते-आते तालाब पूरी तरह से सुख जाएगा। इस पर कछुआ हंसों के पास गया और कहा की तुम आस-पास के क्षेत्र में जाओ और ऐसा तालाब का पता लगाओ की जहाँ पानी हो जहां हम जाके रह सके।

हंसों ने पास के एक गाँव में एक पानी से भरा तालाब खोज लिया। ये बात उन्होंने कछुए को जाकर बता दी। इसके बाद कछुए ने हंसों से कहा की तुम मुझे भी वहां ले चलो। हंसों ने कहा की ठीक है हम एक लकड़ी लाते हैं हम तुम्हें उस पर बिठा देंगे और तुम्हें ले चलेंगे। बस एक शर्त यह है की तुम पुरे रास्ते अपना मुंह बंद रखोगे। यदि तुम मुंह खोलोगे तो तुम गिर जाओगे। कछुए ने वादा किया ठीक है।

इसके बाद दोनों हंसों ने लकड़ी एक-एक कोने से अपनी चोंच में दबा ली और लकड़ी को बीच में से कछुए ने अपने मुंह में पकड़ ली। जब दोनों हंस कछुए को लेकर आसमान में उड़ रहे थे तो तभी रास्ते में एक गाँव आया। गाँव में खेल रहे सभी बच्चे यह देख चिल्लाने लगे की कछुआ आसमान में उड़ रहा है।

यह देख कछुआ नीचे देखने लगा। कछुए को यह सब देख रहा नहीं गया। कछुए ने हंसों से बात करने के लिए जैसे ही मुंह खोला लकड़ी टूट गई और कछुआ हंसों से छूटकर गांव में गिर गया।

ज्यादा ऊंचाई से गिरने के कारण कछुए को बहुत चोट लगी और थोड़ी देर बाद कछुआ तड़पकर मर गया।

कहानी की सीख: कहानी से हमें यह सीख मिलती है की बुद्धिमान व्यक्ति शांत और चुप रहते हैं और मुर्ख व्यक्ति चंचल और अपने पर काबू नहीं रख पाते।

16.चींटी और कबूतर की कहानी

चींटी और कबूतर की कहानी (story of the ant and the pigeon)

एक जंगल में गर्मियों के दिन थे और एक चींटी पानी की तलाश में इधर-उधर घूम रही थी। प्यासी चींटी को काफी देर भटकने के बाद एक नदी देखी। नदी को देखकर चींटी बहुत खुश हुई। प्यासी चींटी पानी पीने के लिए एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ी और वह फिसल कर नदी में गिर गई।

नदी में गिरने के कारण चींटी नदी में डूबने लगी। नदी के पास में एक कबूतर रहता था वह पेड़ पर बैठकर यह सब देख रहा था कबूतर ने देखा की चींटी को तुरंत ही मदद की जरूरत है। कबूतर उड़कर गया और एक पेड़ से पत्ता तोड़कर ले आया। इसके बाद कबूतर ने पत्ता नदी में गिरा दिया। जिसके बाद चींटी तैरकर पत्ते पर चढ़ गई और पत्ता बहकर नदी के किनारे आ गया। जिसके बाद चींटी नदी किनारे आ गयी और चींटी की जान बच गयी।

इस घटना के चींटी और कबूतर में अच्छी दोस्ती हो गई। दोनों खुशी से साथ रहने लगे। फिर एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। शिकारी ने पेड़ पर कबूतर को बैठे देखा शिकारी ने कबूतर मारने के लिए बन्दूक से निशाना साधा।

लेकिन पास में मौजूद चींटी यह सब देख रही थी चींटी तुरंत ही शिकारी के पास गई। और चींटी ने पूरी ताकत से शिकारी के पैर पर काटा। जिससे शिकारी दर्द के मारे चिल्लाने लगा। शिकारी के हाथ से बंदूक गिर गई। शिकारी की आवाज़ सुनकर कबूतर ने शिकारी को देख लिया। कबूतर तुरंत ही वहां से उड़ गया।

जब शिकारी चला गया और इसके बाद कबूतर ने चींटी के पास जाकर उसका धन्यवाद किया। इस तरह से हम देखें चींटी और कबूतर एक दूसरे के काम आये।

कहानी की सीख: उपरोक्त कहानी से हमें यह सीख मिलती है की जीवन में किये गए नेकी और अच्छे काम कभी बेकार नहीं जाते। अच्छे काम करते रहिये इनका फल लौटकर जरूर आपके पास आता है।

17. चुगलखोर नंदू को दण्ड

चुगलखोर नंदू को दण्ड

नंदू चूहे में एक बुरी आदत थी, वह भी बहुत बोलने की हर समय वह कुछ न कुछ बोलता ही रहता था। उसकी माँ उसे समझाया करती थी कि बेटा बहुत बोलने की आदत ठीक नहीं है। व्यर्थ बोलने में बहुत-सी शक्ति खर्च होती है। काम की बात ही बोलो, पर नंदू था कि मानता ही न था।

धीरे-धीरे नंदू में चुगलखोरी की आदत भी आ गयी। वह इधर की उधर लगाने लगा, झूठ भी बोलने लगा। वह झूठ बोलकर, चुगलखोरी करके दूसरों में लड़ाई भी कराने लगा। ऐसा करने में उसे मजा आने लगा।

नंदू रोज ही कुछ न कुछ शरारत करने लगा। एक दिन उसने देखा कि मीतू बतख अपनी चोंच में खाना दबाये चली आ रही है। मीतू यह खाना अपने बच्चों के लिये ले जा रही थी। खाना देखकर नंदू को भी भूख लगने लगी। वह सोचने लगा कि वैसे तो मीतू कुछ देगी नहीं। इसलिये उसके पास पहुँच गया और बोला- “नमस्ते मीतू मौसी!”

‘नमस्ते बेटा! खुश रहो।’ मीतू कहने लगी। नंदू बोला- ‘मौसी! सारस मामा कह रहे थे कि तुम कुछ भी काम नहीं करती हो। तुम्हारा खाना भी वे ही खोजते है।’ यह सुनकर मीतू एकदम भड़क उठी और बोली-‘हाँ-हाँ! मैं तो निकम्मी हूँ, मैं क्यों ढूँढूगी अपना खाना?’

फिर वह अपने मुँह से जोर-जोर से बक-बक की आवाज निकालते हुए, आँखें नचाते हुए बोली-‘यह सोना सारस भी न जाने अपने आप को क्या समझता है। एक दिन खाना खिला दिया तो रोज-रोज गाता फिरता है। अभी देखती हूँ उसे जाकर।’ और वह पैर पटकती, अपना खाना छोड़कर तुरंत चल दी। नंदू चूहे ने बड़ी खुशी से वह खाना खाया। फिर संतोष से अपनी मूछों पर हाथ फिराया। इसके बाद वह मीतू बतख और सोना सारस की लड़ाई देखने चल दिया। सोना सारस को तो कुछ भी पता न था। मीतू बतख जोर-जोर से लड़ती ही जा रही थी। नंदू चूहे को उनकी इस लड़ाई में खूब मजा आया। ऐसी अनेक तरह की लड़ाइयाँ कराना नन्दू चूहे के लिये बड़ी मामूली सी बात थी। उसकी माँ उसे हमेशा समझाती थी- ‘नन्दू तुम जैसा काम करोगे वैसा ही तुम्हें फल मिलेगा। बुरे काम करने वालों को सदैव बुरा फल मिलता है।’ पर नन्दू को अभी तक कोई बुरा फल मिला न था। इसलिये वह बुरे काम छोड़ नहीं पाता था।

एक दिन नन्दू घूमते-घूमते महाराज सिंह की गुफा तक जा पहुँचा। महाराज बैठे आराम कर रहे थे। नन्दू को यहाँ भी शरारत सूझी। उसकी झूठ बोलने की आदत यहाँ भी न छूटी। उसने हाथ जोड़कर महाराज के आगे झुककर नमस्कार किया और बोला-‘राजन् ! आप जैसे प्रतापी राजा कभी-कभी ही भाग्य से मिलते हैं।’

सिंह ने अपने नथुनों को जोर से हिलाया और मूछों को गर्व से फड़फड़ाया।

नंदू आगे कहने लगा-‘महाराज ! कोई आपकी बुराई करे तो मुझसे सहन नहीं होता।’

‘किसमें है इतना साहस?’ शेर दहाड़ा।

नंदू ने दोनों हाथ जोड़ते हुए झुककर कहा- ‘महाराज ! आपका मंत्री भोलू भालू यह कह रहा था कि आप तो सारे ही दिन पड़े-पड़े आराम फरमाते रहते है। जनता के सुख-दुःख से आपको कोई मतलब नहीं है।”

‘अच्छा ! कहकर सिंह गरजा। उसने नन्दू को वहीं रुकने का आदेश दिया और एक सैनिक को हुक्म देकर भेजा भोलू भालू को बुलाने के लिये। नंदू मन में सोचने लगा कि आज मैं अच्छा फँसा। उसने तो सोचा था कि सिंह को भड़का कर वह तो चला जायेगा, पीछे सिंह और भालू दोनों आपस में लड़ते रहेंगे। पर सिंह ने तो उसे यहीं पर बैठने का आदेश दिया था। अब तो वहाँ से बाहर निकलना भी संभव न था।

तभी नंदू के दुर्भाग्य से मीतू बतख और सोना सारस भी वहीं आ पहुँचे। अब उन दोनों में सुलह हो गयी थी। नन्दू की वह चालाकी उन्हें पता लग गयी थी। वे उसकी चुगल खोरी की महाराज से शिकायत करने आये थे। मीतू बतख ने विस्तार से सारी घटना बतायी। उसे सुनकर सिंह को नन्दू चूहे पर बड़ा गुस्सा आया।

तभी दरबार में लोमड़ी, हाथी, ऊँट, भालू आदि और जानवर भी आ गये। वे भी कभी न कभी नन्दू की शरारतों को भुगत चुके थे। सभी ने नन्दू की बुराई की। भोलू भालू कह रहा था-‘महाराज ! मैंने तो कभी किसी से आपकी बुराई नहीं की। यह नन्दू ही सभी की बुराई करता फिरता है।’ ऊँट, हाथी, लोमड़ी आदि सभी ने अपनी-अपनी गर्दन हिलाकर इस बात का समर्थन किया।

अब सिंह को बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ गया। उसने नंदू को दंड सुनाया ! नंदू तुम्हारी इस आदत से सभी में झगड़ा होता है। दूसरों में लड़ाई करवाकर तुम तमाशा देखते हो, मुझे तुम पर गुस्सा तो इतना आ रहा है की तुम्हे फांसी पर चढ़ा दूँ। पर अभी ऐसा नहीं होगा। एक बार तुम्हे संभलने का मौका दिया जायेगा।

मैं सैनिकों को आदेश देता हूँ की तुम्हारी पुँछ और मूछों को काट लें। सिंह के सैनिकों ने आगे बढ़कर ऐसा ही कर दिया । मीतू बतख बोली-‘कितना ही समझाया था इस नंदू को, पर यह अपनी चुगलखोरी और झूठ बोलने की आदत छोड़ता ही न था । आखिर में इसे इसका दण्ड तो मिल गया। अब यह अपनी सब गलत आदतें छोड़ देगा।’ सोना सारस कर रहा था- ‘बुरे काम का फल निश्चित ही मिलता है। आज नहीं तो कल वह भुगतना पड़ता है।’ ‘न तो कोई प्राणी किसी का बुरा सोचें और न किसी का बुरा करें। हमेशा सबका भला सोचे और भला करें। इसी में बुद्धिमानी है।’ भोलू भालू ने कहा।

नंदू चूहे का सिर शर्म से झुक गया था। कटी पूँछ और कटी मूछों को लेकर माँ के सामने वह दहाड़े मारकर रो पड़ा।

माँ सिर पर हाथ फिराती हुई बोली-‘बेटा ! जो हुआ है उसे भूल जाओ। मूँछ और पूँछ तो दुबारा आ जायेंगी। अब तुम अच्छा बनने की कोशिश करो।’ ‘हाँ माँ।’ ऐसा कहकर नन्दू अपनी माँ से चिपटकर बिलख पड़ा।

कहानी की सीख: हमेशा बड़ों की बात माननी चाहिए, वे हमेशा हमारा भला ही चाहते हैं, दूसरा हमें कभी भी किसी की चुगली नहीं करनी चाहिए।

हिंदी की लघु कथाओं (Short Stories) से संबंधित प्रश्न एवं उत्तर (FAQs):

प्रसिद्ध दो बैलों की कथा किसकी रचना है ?

प्रसिद्ध लघु कथा दो बैलों की कथा हिंदी साहित्य के महान लेखक मुंशी प्रेमचंद की रचना है।

रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध कविता कौन सी है ?

रामधारी सिंह दिनकर 10 प्रसिद्ध कविताएँ इस प्रकार से है – अरुणोदय हिमालय तक़दीर का बँटवारा आग की भीख जवानी का झंडा दिल्ली वसंत के नाम पर प्रभाती

शेर और चूहे की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?

शेर और चूहे की कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की शरीर के आकर पर हमें किसी की क्षमता को नहीं आंकना चाहिए।

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2 thoughts on “हिंदी नैतिक कहानियां – Short Moral Stories in Hindi”

The story is very amazing and helpful

nice story i like it

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पढ़िए life changing motivational stories in Hindi me (जीवन बदल देने वाली कहानियां), यहां प्रस्तुत हर एक कहानी ( moral stories ) एक सन्देश लिए है जो की आपके जीवन और आपकी छुपी हुई अनोखी शख्सियत को सामने लाने की और इशारा करती है।

आप सोच रहे होंगे सिर्फ कहानियां पड़ने से भला सफलता कैसे मिलेगी । हाँ यह सच भी है सिर्फ कहानियां पड़ने से सफलता नहीं मिलती लेकिन कहानियां पढ़ने से एक सोच, एक समझ का जन्म होता है जो की आगे चलकर आपको अपने लक्ष्य को पाने में मदद करती है।

ऐसे बहुत से किस्से और कहानियां है जो की आज भी इतिहास में अमर हैं। यह हमने ऐसी ही जोरदार कहानियों का संग्रह किया है इनको पडें और हमें Comments के जरिये यह जरूर बताये की आपको यह कहानिया कैसी लगी।

  • एडिसन और इस्मत से लें प्रेरणा

विद्यार्थियों के लिए तीन प्रेरणादायक कहानियां, इसमे एक National CBSE Topper  की कहानी है जिसके गाँव में पड़ने के लिए लाइट की सुविधा भी नहीं थी लेकिन फिर भी उसने मेहनत और कड़े परिश्रम के दम पर पुरे भारत के सीबीएसई टोपर लिस्ट में अपना नाम पहले नंबर पर दर्ज कराया।

  • हमारी मांगे ही हमारे दुःख का कारण हैं

इस कहानी में आप जानेंगे क्यों इंसान ही सभी जीवों से ज्यादा दुखी है। यह कहानी कहती है की हमारी मांगे ही हमारे दुःख का कारण है । हमारी जो पाने की चाह है यही हमें दुःख के कटघेरे में ला कर खड़ा कर देती हैं। अगर आप भी अपने जीवन में दुःख से परेशान हैं तो यह कहानी जरूर पडें।

  • आपका नजरिया ही सुख दुःख को तय करता हैं

यह कहानी सुख के रहस्य को उजागर करती है। दुःख और कुछ नहीं हमारा नजरिया है। आपने भी बहुत बार पढ़ा होगा की सकारात्मक सोच रखे। यह कहानी भी यही सन्देश लिए है। यह दो शिष्यों की कहानी है दोनों शिष्यों को बराबर सुविधा मिलती है लेकिन फिर भी उनमे से एक दुखी और एक सुखी रहता है। यह कहानी भी हमारी जीवन शैली के बारे में हैं। इसे जरूर पडें और अपना नजरिया सही बनाये।

  • अहम् चिज हमारी अंदरूनी शख्सीयत है

यह हमारी सबसे प्रिय कहानी है जो की हमें असीम प्रेरणा देती है। इस कहानी में एक बच्चा एक व्यक्ति से कुछ पूछता है और उत्तर में वह व्यक्ति उस बच्चे से कुछ ऐसा कहता है जिसे सुनकर व पढ़कर आप अपना जीवन बदल सकते हैं। इस कहानी का एक सन्देश यह भी है की इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता की आप बाहर से कैसे है फर्क इस बात से पड़ता है की आप अंदर से कैसे हैं।

Hindi Inspirational Stories For Life Also For Kids

हीरों से भरा ख़ेत, अवसरों से भरी ज़िन्दगी हमारी

हीरो से भरा खेत यह कहानी जीवन में सफल होने के लिए बहुत ही सुन्दर सन्देश देती है । अक्सर हम कुछ पाने के लिए दुनिया घूम लेते है लेकिन अंत में वह अपने ही पास से मिलती है। हम सब अपने अंदर एक हिरा ले कर पैदा हुए हैं बात सिर्फ इतनी है की उसे अंदर से तराश कर बाहर कैसे निकाला जाये।

  • Positive Thinking Story Of David & Goliath

सकारात्मक सोच क्या होती है जानिये इस कहानी में सकारात्मक सोच के सही उदहारण को। ऐसी कोई परेशानी नहीं होती जिसे ख़त्म न किया जा सके। हर जोड़ का तोड़ होता है।

  • कोई साइन बोर्ड नही | Short Story On Goal Setting

जानिये इस कहानी के जरिये सफलता के लिए Goal Setting करना क्यों जरुरी होता है। बिना नक़्शे के आप कभी निश्चित जगह पर नहीं पहुँच सकते। जिंदगी में सफलता पाने के लिए जरुरी है की आप उसके सभी आयामो पर एक गहन चिंतन करे।

  • इन्होने किया बुरे वक़्त का मुकाबला। Bollywood Celerities

मानव जिंदगी में ऐसा कोई शख्स नहीं होता जिसने अपनी जिंदगी में बुरे दिन न देखे हो। और सच तो यह है की जो जितने बुरे दिन देखता है वह अपने जीवन में उतना ही सफल होता है। पढ़िए कलाकारों के जीवन के ख़राब समय के बारे में।

  • सफलता का सूत्र | आप सोने की तलाश में हैं या मिट्टी की

सफलता के लिए जरुरी है की आपको जो चाहिए सिर्फ वही नजर आये, उदहारण के लिए अगर आप सफल होना चाहते है तो हर छोटी से छोटी असफलता में से सफलता को देखे यानी उन चीजों को देखे जो की सकारात्मक हो। आगे पड़े पूरी कहानी।

  • पिता बर्तन बनाते हैं, बेटियां इतिहास बनाने चलीं

पढ़िए दो बेटियों की कहानी जिन्होंने अपने दम व कड़ी मेहनत के जरिये इंडियन हॉकी टीम में अपना नाम दर्ज कराया।

  • बाहरी सुंदरता | What is Real Beauty

सच्ची खूबसूरती क्या होती है, हम अक्सर उस चीज को ज्यादा महत्त्व देते जो की हमें खूबसूरत बनाती हो लेकिन हम उस चीज को उतना महत्व नहीं देते जो की हमारे जीवन में बहुत उपयोगी होती है।

  • परिस्थितियां दुःख का कारण नहीं है।

हमारी जिंदगी में जितनी भी परेशानियां आती है वह सच-मे परेशानियां नहीं होती वह एक अवसर होती है। व्यक्ति के जीवन में जितनी परेशानियां आएँगी वह उतना ही महान बन सकता है लेकिन इसके लिए जरुरत है तो सिर्फ एक ऐसे नजरिये और शख्सियत की जो की परेशानियों को अवसर में बदल सके।

  • भगवान की मदद और हमारी गालियां | Stop Blaming God For Your Problems

हम कहते है ईश्वर हमारी रक्षा नहीं करता लेकिन यह बात पूरी गलत है। परमात्मा हमें बहुत से मोके देता है, बहुत से सन्देश देता है लेकिन हम उन्हें नजर-अंदाज कर देते हैं। और फिर बाद में उसे ही दोष देने लगते हैं। इस पहलु पर यह कहानी जरूर पडें।

Ek Sadhe Sab Sadhe | Why Common Man Becomes Failure

बहुत से असफल व्यक्तियों के पीछे यही कारण होता है, हम अक्सर दोनों हाथों में ल ड्डू खाना चाहते हैं और इसी वजह से हम एक भी लड्डू नहीं खा पाते। सफलता पाने के लिए यह जरुरी होता है की आप एक समय पर एक ही कार्य करें। इस पहलु को उजागर करती हुई यह कहानी जरूर पडें।

  • श्रम और सफलता, Inspirational Life Struggle Story

पढ़िए कैसे बाबर को एक मकड़ी से प्रेरणा मिली, और इस प्रेरणा के बाद उसने कैसे इतिहास रचा।

अगर आप सबसे अलग बनना चाहते है तो इसके लिए आपको सबसे अलग कुछ करना होगा। पढ़िए जॉर्ज वाशिंगटन के जीवन की एक प्रेरणदायक कहानी।

  • सफल हो या असफल लेकिन प्रयास करना कभी न छोड़े

जानिये क्यों हमें प्रयास करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

  • यह वक़्त भी गुजर जायेगा

यह कहानी बहुत प्राचीन है लेकिन इसका सन्देश आज भी प्रेरणादायक है। दो दिन की ख़ुशी में, दो पल की ख़ुशी में हम यह भूल जाते हैं की हम कौन हैं। हम दो क्षण में अपनी औकात भूल जाते है। हम जिंदगी में यह भूल जाते है की हर ख़ुशी के पीछे एक गम होता है और हर गम के पीछे एक ख़ुशी होती है। हमारे जिंदगी जीने के इसी रवैय्ये पर यह बोलती कहानी जरूर पडें जो की आपको बुरे समय में भी खुश रहने की प्रेरणा देगी।

  • सुखद भविष्य की तैयारी  

Moral story – यह कहानी आपको थोड़ी अजीब लगेगी क्योंकि यह बड़ी आध्यात्मिक है। यह कहानी सन्देश देती है की क्या आपने अपने भविष्य की तैयारी की है। यानी हमारी मौत के बाद की दुनिया की तैयारी। इस कहानी को आपको जरूर पड़ना चाहिए ताकि आपको भी यह एहसास हो की जिंदगी सिर्फ यही नहीं है जो हम जी रहे है। हमारी मौत के बाद भी एक और जिंदगी है। जो की बड़ी दुखदायी होती है।

  • कौन सी जाती बताऊँ ?

दुनिया भर में फैले जातिवाद पर एक जोरदार तमाचा जड़ती कहानी। कौन सी जाती बताऊ यह कहानी कहती है की हम दिन में ही ना जाने कितनी जाती के हो जाते है। अगर आप भी जातिवाद के खिलाफ है तो यह “Racism moral story” जरूर पडें।

प्रेरणादायक मोटिवेशनल स्टोरीज

  • जीभ अच्छी भी और बुरी भी

हकीम लुक़मान जो की अपने समय की बड़े बुद्धिवादी पुरुष रहे है, एक बार उनके मालिक ने उनसे एक प्रश्न किया की “बताओ वह ऐसी कोन सी चीज है जो की अच्छी भी होती है और बुरी भी” लुक़मान अपनी सूझ बुझ से मालिक को ऐसा उत्तर देते है जिससे लुक़मान का यह किस्सा आज भी पूरी दुनिया में विख्यात हो गया। Short story with moral lesson जरूर पडें।

  • जब न्यूटन को नौकर ने सुझाया सही रास्ता

आइज़क न्यूटन जो की बड़े प्रसिद्द वैज्ञानिक थे। एक बार आइज़क न्यूटन के सामने एक ऐसी परेशानी आई जिसका बिलकुल सही और सठीक समाधान उनके नौकर ने बताया न्यूटन यह जानकार बड़े हैरान हुए की में इतना बड़ा वैज्ञानिक हूँ और फिर भी मेरे दिमाग में इस छोटी सी समस्या का समाधान क्यों नहीं आया ???

यह कहानी सन्देश देती है की हम सब एक दूसरे से भिन्न है, हम सब में तरह-तरह की काबिलियत होती है। जो आप कर सकते है शायद वह में न कर सकु।

  • देखा देखि करने का फल

अपने व्यक्तित्व से ना खुश एक कोवे की यह कहानी आज के युवाओ के लिए आंख खोल देने वाला सन्देश देती है। आज के युवाओ से पूछो की आप क्या बनना चाहते है तो वह कहेंगे में उसके जैसे बनना चाहत हूँ। कोई सलमान, कोई शाहरुख़, कोई सचिन तेंदुलकर तो कोई अरिजीत सिंह इनमे से हर कोई किसी न किसी के जैसा होना चाहत है।

लेकिन ऐसा कोई नहीं कहता की में “में” होना चाहत हूं। हां आप किसी को अपनी प्रेरणा का स्त्रोत बना सकते है लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता की आप उसके ही जैसे बने। और ऐसा करने से आप अपने व्यक्तित्व को खो बैठते है। आपको यह मानना होगा की आप अनोखे है, आप किसी के जैसे नहीं हो सकते है और न ही कोई आपके जैसे हो सकता है। यह कहानी जरूर पडें।

  • Veiragya कीचड़ में होते हुए भी कमल कैसे खिला हुआ रहता है “वैरागी जीवन”

यह कहानी बताती है की वैरागी व्यक्ति कैसे होते है। अगर आपको आध्यात्मिक कहानियां बहुत पसंद है तो आपको यह कहानी जरूर पड़ना चाहिए। यह कहानी हमें बहुत प्रिय है।

  • गूढ़-गूढ़ कहने से मुंह मीठा नहीं होता

आज की रट्टा मार दुनिया के लिए प्रेरणादायक सन्देश देती कहानी। लग भाग सभी लोगों ने गीता, क़ुरान पढ़ी होगी लेकिन आज फिर भी दुनिया से बुराई ख़त्म नहीं हुई क्यों ?? क्योंकि उन्होंने गीता को नहीं पढ़ा, उन्होंने सिर्फ गीता, क़ुरान में लिखे शब्दों को पड़ा रट्टा मारा। हमें पढ़ाई और अच्छी चीजें किस ढंग से सीखना चाहिए इस पहलु पर सही सिख देती महाभारत की यह कहानी जरूर पडें motivational story for students & entrepreneurs in hindi ।

जीवन की सच्ची प्रेरक कहानियां

  • दैत्य से बचना – इससे जीवन में होगा आपका सामना

धन, पद, यश मिलने पर इंसान इंसान नहीं रह जाता वह एक दैत्य बन जाता है, पैसों और धन के लालच में आज भी भाई-भाई लड़कर मर जाते है। और यह दिन सभी की जिंदगी में एक न एक बार जरूर आता है। इसी दिन के ऊपर यह दैत्य से बचना कहानी जरूर पडें human desire moral story।

  • कहीं देर न हो जाये

यह कहानी हमारे आलस्य को दर्शाती है, हम रोजाना जरुरी काम को कल पर टाल देते है और फिर एक दिन ऐसा वक़्त आता है जब हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते क्योंकि तब तक आप इस योग्य नहीं रह जाते की कुछ कर पाये। इस कहानी में मोरल को पर्यावरण से जोड़ा गया है, लेकिन इस कहानी की शिक्षा को आप जीवन के हर पहलु पर लेइ सकते हैं।

  • जब महान सिकंदर की मृत्यु हुई

सिकंदर जाते-जाते एक ऐसा कृत्य कर गए जो की यह सन्देश देता है की मैंने सब कुछ पा कर भी कुछ नहीं पाया, में एक सम्राट हो कर भी खाली हाथ जा रहा हूं। अगर आपकी चाह है की में बहुत पैसे कमाऊ तो आपको यह कहानी जरूर पड़ना चाहिए।

  • इंसान की खोपडी, वासना जो की कभी नहीं भरती

हम अपनी वासना को पूरी करने के लिए क्या कुछ नहीं करते लेकिन हमारी वासना कभी पूरी नहीं होती। इंसान की वासना जो की सब कुछ पाने पर भी खाली ही रह जाती है। एक फ़क़ीर की यह प्रेरणादायक कथा जरूर पडें।

  • बुरे मित्रो कि धुर्तता का परिणाम

अपने दोस्त को सोच समझकर चुने, आज की झूठी स्वार्थी दोस्ती के बारे बोलती यह प्राचीन कहानी जरूर पडें।

  • जो जस करई सो तस फल चाखा

इस जगत का आश्चर्यजनक नियम आप जैसे दूसरे के साथ करेंगे ठीक वैसे ही आपके साथ भी होगा। जो जैसे करता है उसे वैसे ही मिलता है। जब आप किसी के साथ अच्छा करते है और फिर भी आपको बुराई ही मिलती है, तो इसके पीछे यह नियम हो सकता है। 

  • दो के झगडे मे तीसरे का ही फायदा होता है

आज के युग में अक्सर लोग दो व्यक्तियों को आपस में लड़ाकर खुद मजे लूटते है। यह बहुत प्राचीन नीति है फुट डालो राज करो। हो सकता है जीवन में आपके साथ भी कोई यह नीति अपनाये इसलिए आपको यह कहानी जरूर पड़ना चाहिए।

आज के युग के दास्तां की इंस्पिरेशनल स्टोरीज

  • सच्ची भक्ति, ब्राह्मण और भील

आज के भक्त ऐसे हैं मानो वह भगवान् पर भक्ति कर के एहसान कर रहे हो। अगर आप भी एक भक्त ही है तो आज के भक्तों के चरित्र के बारे में यह बोलती कहानी जरूर पडें।

  • मुर्ख को सिख देने का फल

सिख भरी बाते हर किसी को नहीं देना चाहिए ऐसा करने से हमेशा आपको नुकसान ही होगा। मुर्ख व्यक्तियों को सिख देने पर हमेशा बुरा ही होता है।

उम्मीद है दोस्तों आपको बताई गई यह सभी inspirational stories with morals  and motivational stories for students से आपको भरपूर motivation मिला हो। हम निचे भी शार्ट में कुछ ऐसी थोड़ी कहानियां दे रहे हैं इनको भी पडें।

मानो मत जानो

सादा जीवन उच्च विचार यह कथन तो अपने भी बहुत बार सुना होगा लेकिन इसके उदहारण के बारे में शायद ही कभी आपने कुछ सुना हो। इस कथन का उदहारण देखने के लिए यह कहानी पडें।

  • Never Judge Anyone by Appearance

जो दीखता है वह होता नहीं, हम अक्सर लोगों को देखकर अपने मन से उसके बारे में तरह-तरह की व्याख्या कर लेते हैं जो की उस व्यक्ति के बारे में कम और आपके बारे में बहुत कुछ व्याख्या हो जाती है।

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Moral Stories in Hindi – हिंदी में नैतिक कहानियां

Moral Stories in Hindi – कहानियों और बचपन का एक अलग रिश्ता है। कहानियाँ जीवन के छोटे से छोटे पाठ को बहुत ही सरल और सहज तरीके से सिखाती हैं और इसी पाठ से बच्चों के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। भले ही बच्चों का मनोरंजन करने वाली बच्चों की नैतिक कहानियां हमारे दिमाग से फीकी पड़ गई हों, लेकिन उनसे सीखी हुई सीख हम सभी के दिलों में जिंदा रहेगी। इसके विपरीत आज के दौर में बच्चों का मनोरंजन किया जा सकता है। जब मैं बच्चों को टीवी का रिमोट या मोबाइल देता हूं तो भूल जाता हूं कि उन्हें नैतिकता सिखाने से ज्यादा जरूरी उनका मनोरंजन करना है। नैतिक कथाओं ने हमें अपने बड़ों से नैतिकता का पाठ पढ़ाया। यदि यह प्रश्न उठता है कि क्या उन नैतिक कथाओं का अब भी कोई अर्थ है, तो उत्तर हाँ है। कहानियों के इस भाग में, हमने आपके बच्चों के लिए ऐसी ही कुछ नैतिक कहानियाँ एकत्रित की हैं। जीवन में नैतिक मूल्यों का होना इन कहानियों का एक ऐसा जादू है, जो बच्चों को जीवन भर इसे भूलने नहीं देगा….

Table Of Contents

  • 1.1 लोमड़ी और खरगोश – The Fox and The Rabbit
  • 1.2 अखरोट का पेड़ – The Walnut Tree
  • 1.3 सत्संग और अहंकार – Good Company and Arrogance
  • 1.4 बुद्धिमान शेर – The Wise Lion
  • 1.5 बुरी आदतों से छुटकारा – Getting Rid of Bad Habits
  • 1.6 नेकी कर और दरिया में डाल – Do Good and Cast It into the River
  • 1.7 कौआ और लोमड़ी – The Crow and The Fox
  • 1.8 गधा और शेर – The Donkey and The Lion
  • 1.9 चलती का नाम गाड़ी – The Moving Vehicle
  • 1.10 आलसी बंदर – The Lazy Monkey
  • 2 नैतिक कहानी से हम क्या सीखते हैं?

Best 10+ Moral Stories in Hindi

बच्चों हम ने निचे Best 10+ Moral Stories in Hindi – दिया हैं, नीचे स्क्रॉल करते जाओ और हिंदी में नैतिक कहानियां पड़ते जाओ

Moral Stories in Hindi – हिंदी में नैतिक कहानियां

लोमड़ी और खरगोश – The Fox and The Rabbit

बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में एक खरगोश एक लोमड़ी को घुर रहा था लोमड़ी ने खरगोश से कहा की मुझे क्यों घुर रहे हो क्या तुम्हे अपने जीवन से प्यार नहीं है ।

इस पर खरगोश ने लोमड़ी से कहा की में देख रहा हु की क्या वास्तव में लोमड़ी चालाक होती है और चालाकी का मतलब क्या होता है । तो लोमड़ी ने खरगोश से कहा की तुम वाकई हिम्मत वाले हो इसलिए में तुम्हे नहीं मारूंगी ।

लोमड़ी ने खरगोश से कहा की आज से हम दोनों दोस्त है आज शाम को क्यों ना हम साथ मिलकर मेरे घर पर भोजन करे और उसी वक़्त इस विषय पर भी चर्चा करेंगे । इस पर खरगोश तेयार हो गया ।

शाम को खरगोश लोमड़ी के घर गया तो उसने देखा की खाने की टेबल पर कटोरी और प्लेट खाली पड़े है और भोजन कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है ।

यह देख कर खरगोश के दिमाग में आया की लोमड़ी ने अपनी चालाकी दिखाने की लिए ही उसे अपने घर खाने के लिए बुलाया है और लोमड़ी मुझे ही आज के भोजन के रूप में खाना चाहती है ।

लोमड़ी बाहर आती उससे पहले ही खरगोश ने मोका देखकर भागने की सोची और जल्दी से लोमड़ी के घर से भाग गया । खरगोश अब चालाकी का मतलब समझ चूका था ।

Moral Stories in Hindi for Class 1 | नैतिक कहानियाँ कक्षा 1 हिंदी में

अखरोट का पेड़ – The Walnut Tree

एक गांव में एक बूढ़े आदमी रहता था। उसके पास एक अखरोट का पेड़ था। वह पेड़ बहुत बड़ा था और अखरोट के फलों से भरा हुआ था।

एक दिन, एक युवक आदमी ने उस बूढ़े आदमी से पूछा, “बूढ़े आदमी, आपके अखरोट का पेड़ इतना बड़ा है, क्या आप इसे बेचना चाहते हैं?”

बूढ़ा आदमी ने उत्तर दिया, “नहीं, मैं इसे बेचना नहीं चाहता। यह मेरी प्रतिस्पर्धा है। मैं इसे अपने बच्चों के लिए छोड़ना चाहता हूं।”

युवक ने अजीबोग़रीब देखा और बूढ़े आदमी से पूछा, “लेकिन बूढ़े आदमी, आप तो अब अपने बच्चों के साथ नहीं रहते हैं। फिर यह अखरोट का पेड़ आपके लिए क्या महत्व है?”

बूढ़ा आदमी ने उत्तर दिया, “यह सच है कि मैं अब अपने बच्चों के साथ नहीं रहता हूं। लेकिन मैंने यह पेड़ मेरे बच्चों के लिए उगाया था, इसलिए मैं इसे उनके लिए छोड़ना चाहता हूं। मेरे बच्चे अब भी इस गांव में जाकर इस पेड़ से अखरोट तोड़ते हैं। वे उन्हें बेचते हैं और इस तरह अखरोट के फलों का उपयोग करते हैं।

बूढ़ा आदमी ने अपने बच्चों को यह सीखाया कि कभी भी अपने सपनों और उद्देश्यों के लिए संघर्ष करने से डरना नहीं चाहिए। उन्हें समझाया कि जब हम किसी चीज के लिए संघर्ष करते हैं, तो हमें उससे अधिक अच्छी चीज मिलती है।

यह कहानी हमें यह बताती है कि हमें अपने सपनों और उद्देश्यों के लिए संघर्ष करना चाहिए और उन्हें पूरा करने के लिए समर्पित रहना चाहिए। अपनी मेहनत और उत्साह के साथ, हम जीवन में सफलता के लिए आगे बढ़ सकते हैं।

Raste Mein Badha Ki Kahani – Short Moral Story for Adults in Hindi

सत्संग और अहंकार – Good Company and Arrogance

एक समय की बात है, एक युवक अहंकारी था और उसे अपने आप में बहुत ज्ञान होने का अहसास था। वह सोचता था कि उसे किसी भी शिक्षक या महात्मा की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उसे यह सब पहले से ही पता है।

एक दिन, वह एक सत्संग में जाने के लिए नहीं चला गया क्योंकि उसे लगा कि उसे और कुछ नहीं सीखना है। इस दौरान, उसे अपनी राय का अभिवादन किया गया और उससे यह कहा गया कि वह सत्संग में जाकर एक बार जरूर सुने। यह सुनने के लिए आपकी ज्ञान की जांच करेगा।

युवक ने इस सलाह को अनदेखा कर दिया और अपने अहंकार में न जाने क्या करते हुए घर वापस चला गया।

कुछ दिनों बाद, एक दिन उसे अपने दोस्तों के साथ एक बार फिर से सत्संग में जाने का मौका मिला। उस दिन, जब वह सत्संग में था, उसे बहुत अच्छा लगा क्योंकि वह लोग उसे अपनी असमर्थता के बारे में बताने लगे थे। यह सब सुनते हुए, उसका अहंकार धीमा होने लगा।

एक लम्बी सैर की तलाश में जाने का मौका मिला और उसने एक आदर्श व्यक्ति से मिलने का निर्णय लिया। यह आदर्श व्यक्ति उसके अध्यापक थे और उन्होंने उसके जीवन में बहुत से बदलाव किए थे।

युवक ने उसे देखा और उसके पास जाकर उनसे बात करने का निर्णय लिया। वह उनसे मिलने के लिए कुछ क्षणों के लिए बदल गया था। उसने उनसे सीखा कि अगर हम आदर्श व्यक्तियों से जुड़ते हैं तो हम उनसे कुछ न कुछ सीख सकते हैं।

उसका अहंकार खत्म हो गया था और वह अपने अध्यापक के साथ सफलता की ओर बढ़ता हुआ चला गया।

इस कहानी से हम यह सीखते हैं कि अहंकार एक बड़ी समस्या होती है जो हमें बाध्य करती है। हमें हमेशा समझ में आना चाहिए कि हम जितना भी ज्ञान हासिल कर लें, हमें हमेशा कुछ न कुछ सीखने की जरूरत होती है। सत्संग एक ऐसा माध्यम है जो हमें सही राह दिखाने में मदद कर सकता है और हमारी गलतियों को सुधारने में मदद कर सकता है।

Ek Budhe Vyakti Ki Kahani – Very Short Motivation Story in Hindi

बुद्धिमान शेर – The Wise Lion

एक जंगल में एक शेर रहता था जो बुद्धिमान था। वह हमेशा सोचता था कि अगर वह एक गाय का शिकार करता है, तो उसे दूसरे जानवरों का साथ भी खाना पड़ता है। उसने सोचा कि उसे एक चालाक योजना बनानी चाहिए।

एक दिन, उसने एक निशाने पर एक मुर्गी को देखा। उसने सोचा कि यदि वह मुर्गी को उठा लेता है तो सभी बकरी और गाय भी आगे निकलेंगे। उसने मुर्गी को पकड़ा और अपने गुफा में ले गया।

जब सभी जानवर शेर को मुर्गी के साथ देखने आए, तो शेर ने बोला, “मैंने यह मुर्गी मरे शेरों के लिए बचा लिया है। अब हम सभी उसका भोजन कर सकते हैं।”

सभी जानवरों ने शेर के बात से खुश होकर मुर्गी का भोजन किया। शेर को समझ में नहीं आया कि वह कितना चालाक था। उसने दूसरों को अपने अधीन कर लिया था, और सभी जानवर उसकी बात से खुश थे।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमेशा चालाकी का इस्तेमाल करने से पहले हमें उसकी समझ करनी चाहिए। हमेशा सच्चाई और ईमानदारी के मार्ग पर चलना चाहिए। जब हम चालाकी का इस्तेमाल करते हैं, तो हम अक्सर दूसरों को ठगते हैं और इससे हमारे संबंध बिगड़ सकते हैं। चालाकी से ज्यादा ईमानदारी और सच्चाई के लिए लोग हमेशा समझदारी से चुनाव करते हैं। इसलिए हमेशा सच्चाई और ईमानदारी का पालन करना चाहिए।

Murkh Gadha Ki Kahani – Simple Short Motivation Stories in Hindi

बुरी आदतों से छुटकारा – Getting Rid of Bad Habits

एक पिता ने संत से कहा मेरे बेटा बुरी आदतों में फंस गया है, संत ने लड़के को समझाया कि छोटे पौधे को उखाड़ सकते हैं, लेकिन पेड़ उखाड़ना संभव नहीं है

बुरी आदतों की वजह से जीवन में परेशानियां बढ़ने लगती हैं। गलत आदतों को जल्दी से जल्दी छोड़ देना चाहिए, वरना समस्याएं और ज्यादा गंभीर हो जाती हैं। इस बात को एक लोक कथा से समझ सकते हैं। जानिए ये कथा…

पुराने समय में एक व्यक्ति अपने गांव के विद्वान संत के पास गया और बोला कि गुरुजी मेरा बेटा बुरी आदतों में फंस गया है। उसकी अभी ज्यादा उम्र भी नहीं है, मैं सोच रहा था कि ये बड़ा हो जाएगा तो सुधर जाएगा, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला है।

संत से जो भी व्यक्ति मिलने आता था, वे उसकी समस्याओं का निराकरण करते थे। संत ने उस दुखी पिता से कहा कि तुम कल अपने बेटे को मेरे पास भेज देना। पिता ने अगले दि अपने बेटे को संत के पास भेजा।

लड़का संत के पास पहुंचा और प्रणाम किया। संत उसे लेकर अपने बाग में पहुंचे और टहलने लगे। कुछ देर बाद संत ने लड़के से कहा कि सामने वह छोटा सा पौधा दिख रहा है, उसे उखाड़ सकते हो?

लड़के ने कहा कि मैं इसे अभी उखाड़ देता हूं और बच्चे ने पौधा उखाड़ दिया। थोड़ी देर बाद संत ने बच्चे को थोड़ा बड़ा पौधा दिखाया और उसे उखाड़ने के लिए बोला। लड़के को थोड़ी ज्यादा ताकत लगानी पड़ी, लेकिन उसने पौधा उखाड़ दिया।

थोड़ी देर बाद संत ने बच्चे को एक पेड़ दिखाया और कहा कि इसे उखाड़ दो। बच्चे ने पेड़ के तना पकड़ा, लेकिन वह उसे हिला भी नहीं सका। लड़के ने संत से कहा कि इस पेड़ को उखाड़ना तो संभव नहीं है।

संत ने उस लड़के को समझाया कि छोटे पौधे को उखाड़ना बहुत आसान था, थोड़े बड़े को पौधे को उखाड़ने में थोड़ी ताकत लगानी पड़ी थी, लेकिन पेड़ को उखाड़ना संभव नहीं है। ठीक इसी तरह बुरी आदतों को जितनी जल्दी छोड़ देंगे, उतना अच्छा रहेगा। जब बुरी आदतें नई होती हैं तो उन्हें छोड़ना आसान होता है, लेकिन आदतें जैसे-जैसे पुरानी होती जाएंगी, उन्हें छोड़ पाना मुश्किल हो जाता है।

Do Mendhakon Ki Kahani – Short Animal Stories in Hindi

नेकी कर और दरिया में डाल – Do Good and Cast It into the River

बहुत समय पहले की बात है, भारत के उत्तर-पश्चिम भाग के एक सुदूर गाँव में शरीफ नाम का 17 साल का लड़का अपने माँ-बाप के साथ रहता था। माँ-बाप बांस के घरेलू उपकरण बनाकर बेचते थे।

लड़का एक धनी किसान की भेड़-बकरियाँ चराता था। वह उन्हें नई नई घास वाली जगह ले जाकर चरने के लिये छोड़ देता। स्वयं एक स्थान पर बैठकर बांसुरी बजाता या दिवास्वप्न में डूब जाता था।

उसके दो सपने थे। एक था मां-बाप के लिये एक महल बनवाना। दूसरा उस राज्य की राजकुमारी से विवाह करना। वह यह भी समझता था, ये दोनों ही बातें असंभव सी थी। फ़िर भी वह अपने मन को नहीं समझा पाता था।

एक दिन उसके एक साथी ने कहा, “मैंने सुना है मंदिर के पास एक फकीर बैठता है। वह बहुत पहुंचा हुआ है। उसने ग्राम वासियों की बड़ी मदद की है। सेठ साहूकार भी उससे सलाह लेने जाते हैं।”

शरीफ अपने दोस्त की बात सुनकर उस फकीर से मिला और पूछा, “मैं ऐसा क्या करूँ कि मेरी दो खास तमन्नाएं पूरी हो जायें।”

फकीर ने पूछा, “वे खास तमन्नाएं क्या है।”

शरीफ ने बताया, “एक तो मां-बाप के लिये एक महल बनवाना। दूसरा इस राज्य की राजकुमारी से विवाह करना।”

फकीर ने कहा, “नेकी कर दरिया में डाल।”

शरीफ ने पूछा, “क्या मतलब?”

फकीर का मतलब तो था ‘नेकी करो और भूल जाओ।’ किन्तु यह देखकर कि शरीफ को माँ-बाप के सुख और आराम की चिंता है, फकीर विशेष प्रसन्न हो गया था।

उसने शरीफ का काम आसान करने हेतु उससे कहा, “अधिक से अधिक नेक काम करो और जब भी कोई नेक काम करो एक बताशा गाँव के नजदीक से बहने वाले दरिया में बरगद के पेड़ के पास वाले किनारे पर डाल आया करो।”

शरीफ अब नेकी का कोई अवसर न गॅंवाता। अपनी सीमित आय में से भी गरीबों को दान देना, कमजोर की सहायता, बीमारों की सेवा उसका व्यसन बन गया। हर नेकी के बदले वह एक बताशा दरिया में फकीर के बताये स्थान पर डाल आता था। अगर वह रोज नहीं जा पाता था तो बहुत से बताशे एक साथ दरिया में डाल देता था।

शरीफ की नेकियों के चर्चे गाँव, शहर होते हुए राजधानी और राजदरबार तक पहुँच गये।

इधर फकीर के अलावा किसी को ज्ञात नहीं था कि दरिया के किनारे उस बरगद के पेड़ पर एक जिन्न रहता था जिसके करीब शरीफ दरिया में बताशे डालता था।

उस जिन्न को बताशे बहुत पसंद थे। जब शरीफ दरिया में बताशे डालता तो उन्हें डूबने या घुलने से पहले ही वह अपना एक हाथ लंबा करके बताशे उठा लेता और मुँह में डालकर मजे से चूसता।

इस प्रकार बहुत दिनों तक लगातार बताशे खाकर वह शरीफ से अति प्रसन्न हो गया।

उसके मन में शरीफ को पुरस्कृत करने का विचार आया और एक दिन वह शरीफ के सम्मुख प्रगट हो गया।

उसने शरीफ से कहा, “मैं जिन्न हूँ और तुम्हारे नेक कार्यों से खुश हूँ। मैं तुम्हारी कोई एक इच्छा पूरी कर पुरस्कृत करना चाहता हूँ।”

शरीफ ने बेहिचक जवाब दिया, “मैं अपने माता-पिता के लिए एक महल बनाना चाहता हूँ।”

जिन्न ने कहा, “ठीक है बन जायगा।”और वह गायब हो गया।

शरीफ अपने घर वापस चल दिया। घर पहुँच कर उसके आश्चर्य और खुशी का ठिकाना न रहा। उसका घर एक सर्वसुविधा सम्पन्न महल में तब्दील हो चुका था। उसके माँ-बाप चमत्कृत और खुश थे। शरीफ ने उन्हें जिन्न के बारे में बताकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया।

उधर शरीफ के द्वारा किए जाने वाले नेक कामों के कारण फैली उसकी ख्याति राजा और राजकुमारी तक पहुंची। राजा ने भी राज्य के अन्य लोगों को अच्छे कार्यों को करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से शरीफ को राजधानी में बुलाकर सम्मानित और पुरस्कृत करने का निर्णय किया। उसने अपना दूत भेज कर शरीफ को बुलवा भेजा।

जब शरीफ राजधानी में राजदरबार में पहुंचा तो उसकी बातों, व्यवहार और व्यक्तित्व से राजा और राजकुमारी दोनों प्रभावित हुए। राजकुमारी दमयंती विवाह योग्य थी। राजा को उसके लिए एक सुयोग्य वर की तलाश थी। उन्होंने राजकुमारी से पूछ कर शरीफ के समक्ष राजकुमारी से विवाह का प्रस्ताव रख दिया जिसे शरीफ ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

राजा ने एक जन समारोह में शरीफ को उसके नेक कार्यों के लिए सम्मान और पुरस्कार दिया। साथ ही राजकुमारी और शरीफ के विवाह की भी घोषणा कर दी।

राजा ने एक रथ भेजकर शरीफ के माता-पिता को राजमहल में बुला लिया और एक सप्ताह बाद शुभ मुहूर्त में दमयंती और शरीफ का विवाह सम्पन्न किया। सभी प्रसन्न थे। शरीफ की प्रसन्नता का पारावार न था। उसके दोनों सपने सच हुए थे। किन्तु वह समझ गया था ये उसके द्वारा किए गये नेक कार्यों का परिणाम था। अतः उसने नेक कार्य करते रहने का निश्चय किया और सुखपूर्वक राजकुमारी दमयंती और अपने माता-पिता के साथ महल में रहने लगा।

Lalchi Sher Short Hindi Story – Short Stories in Hindi for Kids

कौआ और लोमड़ी – The Crow and The Fox

एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी. वो बहुत ही भूखी थी. वह अपनी भूख मिटने के लिए भोजन की खोज में इधर– उधर घूमने लगी. उसने सारा जंगल छान मारा, जब उसे सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला, तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई. अचानक उसकी नजर ऊपर गई. पेड़ पर एक कौआ बैठा हुआ था. उसके मुंह में रोटी का एक टुकड़ा था.

कौवे के मुंह में रोटी देखकर उस भूखी लोमड़ी के मुंह में पानी भर आया. वह कौवे से रोटी छीनने का उपाय सोचने लगी. उसे अचानक एक उपाय सूझा और तभी उसने कौवे को कहा, ”कौआ भैया! तुम बहुत ही सुन्दर हो. मैंने तुम्हारी बहुत प्रशंसा सुनी है, सुना है तुम गीत बहुत अच्छे गाते हो. तुम्हारी सुरीली मधुर आवाज़ के सभी दीवाने हैं. क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे ?

कौआ अपनी प्रशंसा को सुनकर बहुत खुश हुआ. वह लोमड़ी की मीठी मीठी बातों में आ गया और बिना सोचे-समझे उसने गाना गाने के लिए मुंह खोल दिया. उसने जैसे ही अपना मुंह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया. भूखी लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया और वहां से भाग गई.

यह देख कौआ अपनी मूर्खता पर पछताने लगा. लेकिन अब पछताने से क्या होना था, चतुर लोमड़ी ने मूर्ख कौवे की मूर्खता का लाभ उठाया और अपना फायदा किया.

यह कहानी सन्देश देती है कि अपनी झूठी प्रशंसा से हमें बचना चाहिए. कई बार हमें कई ऐसे लोग मिलते हैं, जो अपना काम निकालने के लिए हमारी झूठी तारीफ़ करते हैं और अपना काम निकालते हैं. काम निकल जाने के बाद फिर हमें पूछते भी नहीं.

Sui Dene Wala Ped – Hindi Short Stories with Moral

गधा और शेर – The Donkey and The Lion

एक जंगल में करालकेसर नाम का एक शेर रहता था। उसके साथ हमेशा उसका सेवक धूसरक नाम का सियार भी रहा करता था। एक बार शेर की लड़ाई एक हाथी से हो गयी जिसमे वह इतना जख्मी हो गया कि उससे चला भी नहीं जा रहा था। शेर और सियार का भूख के मारे बुरा हाल था।

शेर ने अपनी जान की परवाह करते हुए सियार से कहा -“सुन सेवक तू किसी ऐसे जिव को मेरे पास लेकर आ जिसे मैं आसनी से मार सकूँ और मुझे ज्यादा मेहनत न करनी पड़े। ” शेर का आदेश सुनकर सियार किसी ऐसे जानवर को ढूंढने के लिए जंगल से होता हुआ एक गांव में पहुंचा। गांव में पहुंचकर उसे एक गधा दिखाई दिया। जो बहुत उदास सा नजर आ रहा था। सियार ने उससे जाकर पूछा – “अरे भाई तुम बड़े दिन बाद दिखाई दिए हो ।”

इसपर गधा कहता है -“अरे भाई एक धोबी मेरे ऊपर बोझा ढोता है और खाने के लिए कुछ भी नहीं देता।” इसपर सियार कहता है-“भाई तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारी बिरादरी की तीन दूसरी कन्याएँ को जंगल में हरी-हरी पन्ना जैसी घास के मैदान में ले गया। जहाँ वह बोझा ढोने से बच गई और आज अपना जीवन आराम से जी रहीं है। उनमे से एक विवाह योग्य हो गई है मैं उसका विवाह तुम्हारे साथ करवा दूंगा जिससे तुम बिना बोझा ढोये अपना जीवन आराम से व्यतीत कर सकते हो।”

यह सुनकर गधा सियार के साथ जाने को तैयार हो गया। दोनों जंगल में बातें करते हुए चलते हैं तभी वह शेर के पास पहुँच जाते है। जख्मी शेर गधे को देख उसपर झपटा मारने की कोशिश करता है पर भाग्यवश गधा बच निकलता है और गधे को भागते वक्त शेर का पंजा लग जाता है।

सियार शेर को कहता है -“तुम कैसे शेर हो जो खुद चलकर आए हुए जानकर को भी अपना शिकार नहीं बना पाए।” यह सुनकर शेर शर्मीली से मुस्कान के साथ कहता है -“अरे मैं तैयार नहीं था इसलिए वह बचकर चला गया।” सियार कहता है- “अच्छा ठीक है मैं एक बार ओर प्रयास करके उसे तुम्हारे पास लाता हूँ।” शेर ने कहा -” वह तुम्हारे साथ नहीं आएगा क्योंकि वह डर गया है।”

इसपर सियार कहता है -“तुम उसकी चिंता मत करो।” यह कहकर सियार फिर से गधे के पास चला जाता है और उसे गधा वहीँ पर घास चरता हुआ दिखाई देता है। गधा सियार को देखकर कहता है -“अरे भाई तुम मुझे अच्छी जगह ले गए। अगर मैं वहां से नहीं भागता तो जीवन समाप्त हो जाता। पता नहीं वो कौन सा जीव था जिसका इतना भारी पंजा मेरी पीठ पर पड़ा। “

सियार जवाब देता है – “अरे भाई वह वही कन्या थी जो उत्साह से तुम्हे मिलने के लिए उठी और तुम्हे भागता देख अपने पंजे से रोकने के कोशिश की। वह कन्या बहुत दुखी है क्योंकि तुम वहां से भाग आये हो इसलिए तुम मेरे साथ चलो। अगर तुम मेरे साथ नहीं गए तो वह अपने प्राण त्याग देगी इसलिए तुम मेरे साथ चलो।”

सियार की बात सुनकर वह गधा उसके साथ दोबारा जंगल की और चल दिया और गधे को इस बार शेर ने नहीं छोड़ा वह मारा गया। शेर गधे को मार कर स्नान करने के लिए चला गया। पीछे से सियार ने गधे का दिल और कान खा डाला। शेर वापिस आकर देखता है कि गधे के शरीर में कान और दिल नहीं है। यह देख शेर कहता है- “दुष्ट तूने मेरे भोजन को जूठा कर दिया।”

इसपर सियार कहता है – “स्वामी नहीं मैंने आपका भोजन जूठा नहीं किया। बल्कि इसमें कान और दिल नहीं था तभी तो यह जाकर दोबारा वापिस आ गया।

यह सुनकर शेर को सियार बात पर यकीं हो गया और दोनों ने भोजन का आनद लिया।

यह जानते हुए भी कि काम का बुरा परिणाम होगा, कोई उसे करता है तो वह मनुष्य गधा ही होता है।

Sher Aur Chuha Ki kahani – Short Hindi Story with Moral

चलती का नाम गाड़ी – The Moving Vehicle

“चलती का नाम गाड़ी” एक रोमांचक कहानी है जो एक चलती हुई गाड़ी के बारे में है। यह कहानी एक छोटी सी गाड़ी की है, जो बहुत ही पुरानी थी। इस गाड़ी का नाम था “ब्लैक बिटी”। यह गाड़ी अपने आप में एक खासत होती थी।

एक दिन, ब्लैक बिटी को लाल बत्तियों वाली बड़ी सी गाड़ी ने पीछे से धक्का दिया था और उसका एक टायर फट गया था। ब्लैक बिटी उस बड़ी सी गाड़ी को अपनी दुर्बलता की वजह से दोष दे रही थी, लेकिन उस समय उसे एक बुद्धिमान व्यक्ति ने बताया कि दुर्बलता हमेशा नहीं होती है।

वह व्यक्ति बताता है कि उसकी बेटी को भी ब्लैक बिटी से ज्यादा उम्र नहीं होती होगी, लेकिन उसकी बेटी ब्लैक बिटी से बहुत ज्यादा मजबूत है। इसका मतलब यह है कि दुर्बलता और उम्र कोई महत्वपूर्ण फर्क नहीं पड़ता।

ब्लैक बिटी की इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी दुर्बल नहीं मानना चाहिए। जीवन में कभी-कभी हम सफलता के रास्ते पर असफलता से गुजर जाते हैं, लेकिन असफलता से हार नहीं मानना चाहिए। हमें सफलता के लिए कोशिश करनी चाहिए और असफलता से सीख करनी चाहिए। ब्लैक बिटी ने इसे समझा और अपनी जिंदगी में नई उड़ान भरना शुरू कर दिया।

Lakadhara Aur kulhadi Story – Moral Stories in Hindi in Short

आलसी बंदर – The Lazy Monkey

एक जंगल में एक आलसी बंदर रहता था। उसे कुछ भी करने की चाह नहीं थी। वह दिन भर सोता रहता था और सभी जंगली जानवर उसे देखकर हँसते थे।

एक दिन जंगल में एक समूह बंदरों ने उसके पास से गुजरते हुए देखा कि वह सो रहा है। एक बंदर ने उसे कहा, “अरे आलसी बंदर, क्या तुम इतने आलसी हो कि तुम्हें उठकर खाना खाने के लिए भी कुछ नहीं करना पड़ता है?”

आलसी बंदर ने उत्तर दिया, “नहीं, मुझे कोई काम नहीं करना होता। मैं जंगल में सबसे आलसी बंदर हूँ।”

दूसरे बंदर ने कहा, “हम तुम्हें दिखाते हैं कि कैसे तुम्हें कुछ करना होगा। हम एक बड़ा पेड़ उखाड़ने जा रहे हैं और हमें तुम्हारी मदद चाहिए।”

आलसी बंदर ने कहा, “मैं नहीं जाऊँगा। मैं थक गया हूँ।”

बाकी बंदरों ने पेड़ को उखाड़ दिया और अपने घरों की ओर ले जाने लगे। आलसी बंदर जग गया था। वह चाहता था कि वह भी उन्हें मदद करता।

उसने अपने आप से कहा, “मैं अपनी आलसी आदत से छुटकारा पाना चाहता हूँ। मैंने अपने आप को जाना है कि आलसी होने से कुछ भी हासिल नहीं होता है। अब से मैं अपने काम को स्वस्थ मन और शरीर से करूँगा और आलसी नहीं रहूंगा।”

Hathi Aur Usake Doston ki kahani – Short Moral Stories in Hindi

नैतिक कहानी से हम क्या सीखते हैं?

नैतिक कहानियों से हम कई महत्वपूर्ण सीखें प्राप्त कर सकते हैं। कुछ महत्वपूर्ण सीखों में शामिल हैं:

  • नेकी कर दरिया में डाल: हमें यह सीख मिलती है कि हमें दुसरों की मदद करनी चाहिए और हमेशा नेक काम करना चाहिए बिना किसी उम्मीद के।
  • सत्संग और अहंकार: यह सीख हमें बताती है कि हमें गलती करने पर अपने गुरु और सही सलाह की तलाश करनी चाहिए इसके बजाय अपने अहंकार का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • बुरी आदतों से छुटकारा: हमें यह सीख मिलती है कि बुरी आदतों से छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन यदि हम अपनी इच्छाशक्ति का उपयोग करते हुए समय और संयम से काम करते हैं तो हम अपनी बुरी आदतों से छुटकारा पा सकते हैं।
  • दूसरों को समझना: यह सीख हमें बताती है कि हमें दूसरों की बातों को समझने और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
  • आलसीता: आप सही कह रहे हैं। यह कहानी हमें बताती है कि आलसीता अनेक समस्याओं का कारण बन सकती है। हमें हमेशा मेहनत करना चाहिए और आलसी नहीं होना चाहिए। हमें इस बात को समझना चाहिए कि जीवन में सफलता केवल मनचाही चीजों को प्राप्त करने से नहीं मिलती है। इसके लिए हमें मेहनत करनी पड़ती है, समय और संयति से काम करना पड़ता है। यह हमें सफलता की राह में मदद करेगा और हमें अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करेगा।

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हिंदी शिक्षाप्रद कहानियां| Hindi Moral Stories | Shikshaprad Kahaniya 

Hindi Moral Stories शिक्षाप्रद कहानियाँ

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बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा सहित 10 छोटी कहानियाँ | Top 10 short moral stories in Hindi for kids

Lalit Rohilla

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प्रिय पाठकों,

स्वागत है आपका हमारे कहानी ब्लॉग में! यहाँ हम आपके साथ एक सुंदर दुनिया के किस्से साझा करेंगे, जो न केवल मनोरंजन प्रदान करेंगे, बल्कि आपके जीवन में नए दृष्टिकोण और मूल्यों का परिप्रेक्ष्य भी देंगे। हमारे इस ब्लॉग का उद्देश्य आपके अधिकार में मनोबल बढ़ाना है और सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करना है।

यहाँ पर हम आपको विभिन्न प्रकार की कहानियों से मिलाएंगे – मोरल शिक्षा युक्त कहानियाँ, जीवन के उपयोगी सिख, साहित्यिक चुनौतियाँ, और अन्य रोचक विचारों से भरपूर कहानियाँ। हमारी कहानियों का लक्ष्य आपको ज्ञानवर्धन, आत्मा को समृद्धि और सकारात्मकता की दिशा में मार्गदर्शन करना है।

आपकी सहयोगी रहेगी हमारी यह कोशिश, और हम आपके प्यारे सुझावों और प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा करते हैं। इस यात्रा में हम साथ चलकर आपके दिलों को छूने वाली और आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली कहानियों को साझा करने का इंतजार कर रहे हैं।

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Story 1: दोस्ती की महत्व

किसी गाँव में दो दोस्त रहते थे, राजू और मोहन। वे हमेशा एक साथ खेलते थे और एक दूसरे के साथ हर पल बिताते थे। एक दिन राजू अपने माता-पिता के साथ गाँव से बाहर जा रहा था। मोहन रोने लगा और राजू समझाने लगा, “तुझे मेरी आवश्यकता नहीं है, तू अपने दोस्तों के साथ खुश रहेगा।”

समय बितते-बितते, राजू ने नए दोस्त बनाए, लेकिन वे सब सिर्फ मजाक के लिए थे। उसकी खुशियाँ असली दोस्ती की यादों में खो गई। एक दिन राजू को समझ में आया कि असली दोस्ती का महत्व कुछ और होता है। उसने मोहन से मिलकर माफी मांगी और उनकी असली दोस्ती फिर से शुरू हुई।

मोरल: असली दोस्ती में selfishness की जगह नहीं होती, वो हमारे सबसे क़रीबी होते हैं और हमारे hard time में हमारे साथ होते हैं।

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Story 2: गरीब किसान की मेहनत

एक गांव में एक गरीब किसान रहता था। उसका पूरा दिन खेतों में मेहनत करने में गुजरता था। उसकी मेहनत का परिणाम उसके खेतों में दिखाई देता था, परंतु उसके पड़ोसी किसान सिर्फ आलस्य में ही रहते थे।

गरीब किसान का पैड़ोसी किसान के साथ तुलना करते हुए अच्छे दिन आने की उम्मीद से खेतों की मेहनत छोड़ दी। पूरे वर्ष बाद, हालात बिगड़ गए और खेतों में भारी बारिश हुई।

गरीब किसान के खेत फसल से भरे हुए थे और उसकी मेहनत ने उसे उन बुरे समय में भी सहायता प्रदान की। जबकि पड़ोसी किसान के खेतों में कोई फसल नहीं आई और उन्होंने बड़ी परेशानियों का सामना किया।

मोरल: मेहनत केवल अच्छे दिनों के लिए ही नहीं की जाती, बल्कि बुरे दिनों में भी उसका फल मिलता है।

Story 3: ईमानदार किसान की कहानी

एक छोटे से गांव में एक किसान रहता था। उसकी मेहनत और ईमानदारी के बारे में सब जानते थे। एक बार, उसके खेत में खुदाई के दौरान सोना मिला। किसान ने अपने गांव के सरपंच को सूचित किया और सोने को सरपंच के पास ले गया।

सरपंच ने सोने को देखकर चिंतित होकर किसान से कहा, “तूने सोने को देखकर नहीं छिपाया? बहुत सारे लोग होते जो इसे छिपा लेते।” किसान ने उसका उत्तर दिया, “महाशय, मैं जानता हूँ कि सोने का मूल्य क्या है, लेकिन मेरी ईमानदारी सोने से भी महत्वपूर्ण है।”

सरपंच ने इसकी प्रशंसा की और उसके ईमानदारी की सराहना की।

मोरल: ईमानदारी और आत्मसमर्पण हमारी सच्ची पहचान होती है, और वे हमें सफलता की ऊँचाइयों तक ले जाते हैं।

Story 4: खरगोश और कछुआ की मित्रता

एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। वे मित्रता से रहते थे और एक-दूसरे की मदद करते रहते थे। एक बार खरगोश को पता चला कि उसका दोस्त, कछुआ उसके घर में आ रहा है।

खरगोश ने देखा कि कछुआ बहुत धीरे-धीरे चल रहा था और उसके पास कई सामान थे। खरगोश ने कछुआ से पूछा, “तुम इतने धीरे-धीरे क्यों चल रहे हो और इतना सामान क्यों ले रहे हो?”

कछुआ ने मुस्कराते हुए कहा, “मैं तुम्हारे जितना तेज नहीं चल सकता हूं इसीलिए तुम कुछ सामान लेकर मेरी मदद करो। हम मिलकर साथ चलेंगे और सामान बांटेंगे, तो हम जल्दी से अपने मंजिल तक पहुँच सकते हैं।”

खरगोश ने कछुआ की सोच को समझा और उन्होंने साथ मिलकर सामान बांटने में मदद की। दोनों ने मिलकर मंजिल पर पहुँचने में सफलता पाई।

मोरल: आपसी सहायता से हम अपने लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त कर सकते हैं।

Story 5: आलस्य का परिणाम

एक बार की बात है, एक गांव में एक लड़का रहता था जो बहुत ही आलस्यी था। वह सबकी मदद करने की बजाय खुद के काम में बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं लेता था। वह सिर्फ घूमने और खेलने में ही समय बिताता था।

एक दिन, उसके पिता ने उसे एक पेड़ की देखभाल के लिए कहा। लड़का ने आलस्य में आकर कुछ नहीं किया। समय बीतते-बीतते, पेड़ किसी बीमारी से मर गया। लड़के को अब खुद के काम से बहुत दुख हुआ और उसने समझा कि आलस्य का परिणाम बहुत बुरा होता है।

मोरल: कामकाज में आलस्य बर्बादी की ओर ले जाता है, जबकि मेहनत सफलता की कुंजी होती है।

Story 6: समझदार बच्चा

एक गांव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम राजू था। वह बच्चा बहुत ही समझदार और चतुर था। एक दिन, उसके दोस्त उससे चिढ़ने लगे और कहने लगे कि वह किसी भी चीज़ को आंखे बंद करके पहचान सकता है।

राजू ने यह सुनकर सोचा कि वह यह सचमुच में कर सकता है या नहीं। उसने अपने दोस्तों को एक छोटी सी परीक्षा दी और उन्हें विभिन्न वस्त्र पहनाने की सलाह दी।

जब उन्होंने आंखें बंद की और वस्त्र पहने, तो उसने बिना देखे ही उनके वस्त्रों के रंग को सही तरीके से पहचान लिया। उसके दोस्तों ने उसकी समझदारी को स्वीकार किया और उससे माफी मांगी।

मोरल: समझदारी और ज्ञान हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करते हैं।

Story 7: सहायता की महत्वपूर्णता

एक गांव में एक गरीब लड़का रहता था जिसका नाम रामू था। रामू का दिल बड़ा ही दयालु था और वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था। एक बार, गांव में अचानक बाढ़ आ गई और लोगों को बड़ी परेशानी हो गई।

रामू ने अपनी कमजोरियों के बावजूद भी अपनी मेहनत से मदद करने का निश्चय किया। वह दूसरे लोगों के साथ मिलकर बचाने के लिए कई प्रयास किए और उन्होंने बड़े ही संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त की।

उसकी मदद से बाढ़ से बचाये गए लोग उसकी सहायता का आभार जताते रहे और उसकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहे।

मोरल: दूसरों की मदद करना हमारे भीतर की मानवता की महत्वपूर्णता को दर्शाता है और यह समाज को साथ लाने में मदद करता है।

Story 8: सत्य की महिमा

एक गाँव में एक बड़ा सांप बसा था। लोग उससे डरते थे, क्योंकि वो बड़ा ही खतरनाक था। एक दिन एक छोटे से गोलू नामक बच्चे ने उस सांप को पालक से देखा।

गोलू बच्चे ने देखा कि सांप के मुख से धुंध निकल रहा था। उसने सांप से पूछा, “आप इतने दुखी क्यों हो? क्या कुछ गलत हो गया है?”

सांप ने उसको सच्चाई बताई कि उसकी दंतों में एक दरार हो गई है, जिसकी वजह से वो खाना नहीं खा पा रहा था। गोलू ने आगे बढ़कर एक बड़े वैद्य को बताया और उसने सांप के दंतों की चिकित्सा की। सांप के दंत ठीक हो गए और वो फिर से खुशहाल हो गया।

मोरल: सत्य का पालन करने से हमें कभी भी परेशानी नहीं होती। चाहे जितनी भी मुश्किलें क्यों न हो, हमें सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए।

Story 9: सही दिशा में प्रयास

एक गाँव में एक गरीब लड़का रहता था, जिसका नाम मोहन था। वह गरीबी के बावजूद भी पढ़ाई में रूचि रखता था। एक दिन, उसने एक अमीर व्यापारी से मिलकर उसे अपने बचपन की कहानी सुनाई।

अमीर व्यापारी ने कहा, “जब मैं बचपन में था, मेरे पास भी कुछ नहीं था। लेकिन मैंने सोचा कि मैं एक दिन अमीर बनूंगा। मैंने मेहनत की और अपने काम में ध्यान दिया। आज, मेरी मेहनत और सही दिशा में प्रयास ने मुझे यहाँ तक पहुँचाया है।”

मोहन ने इस कहानी से प्रेरणा ली और उसने भी अपने लक्ष्य की दिशा में प्रयास करना शुरू किया। वह मेहनत के साथ पढ़ाई करता रहा और सही दिशा में प्रयास करता रहा।

धीरे-धीरे, मोहन की मेहनत और उद्यमिता ने उसे सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उसने अपनी बचपन की इस कठिनाई को एक महत्वपूर्ण सीख माना कि मेहनत और सही दिशा में प्रयास से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।

मोरल: यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सही दिशा में प्रयास करने से हम किसी भी स्थिति को पार कर सकते हैं। हालात चाहे जैसे भी हो, मेहनत, उम्मीद और सही दिशा में प्रयास से हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

Story 10: आपसी सहायता का महत्व

एक छोटे से गांव में तीन सखी रहती थीं, जिनके नाम रिया, सिया और मिया थे। वे तीनों बहुत ही खुशहाल और सजीव जीवन जीती थीं, लेकिन उनकी दिनचर्या में आपसी सहायता की आदत थी।

एक दिन, गांव में बड़ी भूखमरी आई और लोगों को भोजन की कमी हो गई। रिया, सिया और मिया ने मिलकर मानवता की सेवा करने का निश्चय किया। वे खुद खाना बांटने और गरीबों को भोजन प्रदान करने में लग गए।

उनकी सहायता से गांव के लोगों का पेट भर गया और उनकी सेवा के लिए सभी ने उन्हें प्रशंसा और आभार दिखाया।

आपसी सहायता ने उन तीनों को समृद्धि का अहसास दिलाया, क्योंकि वे ने अपने साथी और समाज की मदद करके सबका हित किया।

मोरल: आपसी सहायता से ही समृद्धि और समाज में उत्कृष्टि होती है, और हमें एक दूसरे की मदद करने में अपना सुख और सफलता प्राप्त होता है।

साथ ही, यदि आपके पास किसी विशेष विषय पर कहानी की आवश्यकता हो या आपके मन में कोई प्रश्न हो, तो कृपया हमसे संपर्क करें।

धन्यवाद, Team AaravHindi.Com

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यह नैतिक कहानियां रोचक और मजेदार होने के साथ-साथ शिक्षावृद्ध भी है। यह Top 10 Moral Stories in Hindi बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी पसंद आने वाली हैं क्योंकि इन कहानियों से हमें जीवन जीने की सीख मिलती है।

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यहां पर हमने Short और Long दोनों प्रकार की Stories फोटो के साथ प्रदर्शित की है ताकि बच्चों को पढ़ने में अधिक रूचि आए। यदि आपको यह कहानियां अच्छी लगती हैं तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले।

अंधेर नगरी चौपट राजा – Top 10 Moral Stories in Hindi

अंधेर नगरी चौपट राजा - Top 10 Moral Stories in Hindi

एक गुरु और उसके कुछ चेले तपस्या करने हिमालय की ओर जा रहे थे। रास्ते में जब वे थक गए, तो एक नगर में विश्राम करने के लिए रुक गए। सभी को भूख भी लग रही थी। थोड़ी ही देर में चेला बदहवास हालत में दौड़ता-दौड़ता वापस आया।

हाँफते-हाँफते उसने बताया-“ गुरुजी, यह नगर तो बड़ा ही अजीब है। यहाँ तो चारों ओर सन्नाटा है। पूछने पर एक नागरिक ने बताया कि यहाँ लोग दिन में सोते हैं और रात को काम करते हैं क्योंकि नगर के राजा की यही आज्ञा है।”

गुरु जी ने कुछ सोचते हुए आदेश दिया-“ हमें यहाँ एक क्षण भी नहीं रुकना चाहिए। यह मूर्खों की नगरी है। कल सवेरे ही हम लोग यहाँ से प्रस्थान करेंगे।”

रात होते ही नगर में चहल-पहल शुरू हो गई। गुरु के साथ चेले भी नगर घूमने निकल पड़े। वे सभी यह देखकर हैरान हो गए कि वहाँ सभी कुछ एक टके में मिलता है। सोने का कंगन भी एक टके में और पूरी-भाजी भी एक टके में। 

एक चेला यह देखकर खुशी से फूला न समाया। उसने गुरु के आदेश कौ अवहेलना कर उसी नगर में रहने का निश्चय किया।

उन्हीं दिनों नगर के राजा ने एक चोर को फाँसी की सज़ा सुनाई। जल्लाद ने देखा कि फाँसी का फंदा तो बड़ा बन गया है और चोर की गरदन पतली है। राजा ने आदेश दिया कि चोर को छोड़ दिया जाए और जिस व्यक्ति की गरदन ठीक बैठे, उसे ही पकड़कर लाया जाए।

राजा के सैनिक मोटे आदमी की तलाश में निकले। ढूँढ़ते-ढूँढ़ते संयोग से चेला सामने आ गया। सैनिक उसे ही पकड़ लाए। चेले ने लाख दुहाई दी कि मैंने कोई अपराध नहीं किया है पर उसकी एक न सुनी गई। गुरु को यह समाचार मिला तो वे दौड़े-दौड़े आए गुरु ने राजा से कहा कि इस समय बहुत शुभ मुहूर्त है। 

जो भी फाँसी पर चढ़ेगा वह अगले जन्म में पूरी धरती का राजा बनेगा। यह सुनकर सभी फाँसी पर चढ़ने के लिए उतावला होने लगे। राजा ने कड्‌ककर ‘कहा-“ यदि इस मुहूर्त में ऐसा ही होगा तो सबसे पहले राजा का अधिकार है।”

यह कहकर वह तुरंत फाँसी पर चढ़ गया। गुरु ने समझदारी से चेले की जान बचाई। चेले ने गुरु के चरणों में पड़कर उनसे अपने किए की माफ़ी माँगी।

सीख – हमेशा गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए, भी हमेशा हमारे भले के लिए ही सोचते है।

गुरु  की आज्ञा – बेस्ट मोरल स्टोरी

गुरु  की आज्ञा - बेस्ट मोरल स्टोरी

गुरु अमरदास जी के अनेक शिष्य थे जिनमें से कई स्वयं को उनका उत्तराधिकारी बनने के योग्य मानते थे। एक दिन

गुरु ने सभी शिष्यों को पास बुलाया और कहा, ‘तुम सभी के  एक चबूतरा बनाओ, मैं उसे देखूंगा।’ शिष्यों ने बढ़िया चबूतरे बनाए। 

एक सुबह गुरु अमरदास ने चबूतरों का मुआयना किया और कहा कि उन्हें इनमें से कोई भी पसंद नहीं आया। गुरु ने सभी को नया चबूतरा बनाने को कहा। सभी शिष्यों ने फिर चबूतरे बनाए।  गुरु ने उन सभी चबूतरों को तोड़ने का आदेश दिया। 

कारण बताया कि उन्हें इनमें से |भी कोई चबूतरा पसंद नहीं आया। शिष्यों का धैर्य टूटने लगा। वे आपस में बातें करने लगे कि गुरु बूढ़े होने के कारण ठीक से विचार करने की क्षमता खो बैठे हैं। वे सभी निराश होने लगे। लेकिन गुरु के एक शिष्य रामदास चबूतरा बनाने में जुटे रहे। 

जब अन्य शिष्यों ने रामदास को चबूतरा बनाते देखा तो उन्होंने उनसे कहा, तुम क्‍यों चबूतरा बना रहे हो ? नासमझ गुरु के आदेश का पालन कर  तुम क्यों ना समझ पाए जाते हो। 

शिष्यों की बात सुनकर रामदास ने कहा भाइयों यदि गुरु नासमझ है तो फिर किसी का भी दिमाग दुरुस्त नहीं कहा जा सकता।  अब अगर गुरुदेव सारी उम्र मुझे चबूतरे बनवाते और तुड़वाते रहे तो भी मैं उसे अपना कर्तव्य समझकर करता रहूंगा।

गुरु ने उनसे 70 से अधिक सूत्रे बनवाएं और तुड़वा दिए  लेकिन रामदास जी को गुरु की आज्ञा के पालन में तनिक भी अलग से नहीं आया 1 दिन गुरु अमरदास जी आए और रामदास जी को गले लगाकर बोले “तू मेरा सच्चा शिष्य है और गद्दी का वास्तविक अधिकारी है।’

बाद में रामदासजी ने अन्य शिष्यों से कहा, “गुरु के आदेश पर विचार नहीं, अमल किया जाता है। गुरुजनों के तर्कहीन लगने वाले आदेश के अत्यंत गहरे अर्थ हो सकते हैं। हमें हमेशा गुरु से कुछ सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए।’

रामदास जी ने अपनी सेवाओं से मानव जाति को धन्य किया।

दो पड़ोसी – Moral stories in hindi

दो पड़ोसी - Moral stories in hindi

एक गांव में दो पड़ोसी थे। दोनों माली थे। दोनों के पास अपने-अपने बागान थे और वे उनमें तरह-तरह के

फलों के पौधे उगाते थे। यही बागान उनकी जीविका के साधन थे। उनमें से एक पड़ोसी बहुत सख्त था और अपने पौधों की जरूरत से ज्यादा देखभाल करता था। 

उसे लगता था कि पौधों की अगर ठीक देखभाल नहीं की गयी तो वे नष्ट हो सकते हैं, लेकिन दूसरा पड़ोसी पौधों कोर प्राकृतिक रूप से विकसित होने देने पर विश्वास करता था। वह पौधों की उतनी हीं देखभाल करता था, जितने कि उन्हें आवश्यकता थी, 

लेकिन वह अपने पौधे के तनों और टहनियों को काट-छांट न करके अपनी मनमर्जी दिशा में बढ़ने देता था।

इससे वे स्वाभाविक रूप से विकसित होते थे। एक शाम, बहुत भीषण तूफान आया, जिसमें भारी बारिश हुई। तूफान ने कई पौधों को नष्ट कर दिया। 

अगली सुबह, जब सख्त पड़ोसी उठा, तो उसने पाया कि उसके सारे पौधे उखड़ गए और बर्बाद हो गए  वही जब दूसरा पड़ोसी उठा तो उसने पाया कि उसके पौधे अभी भी मिट्टी में मजबूती से लगे हुए हैं इतनी तूफान के बावजूद। 

रिलैक्स पड़ोसी के पौधे खुद ही चीजों का प्रबंधन करना सीख गए थे इसलिए, इसने अपना काम किया, गहरी जड़ें उगायीं और मिट्टी में अपने  लिए जगह बनायी।

इस प्रकार, यह तूफान में भी मजबूती से खड़ा रहा। जबकि, उस  सख्त पड़ोसी ने अपने पौधों का जरूरत से ज्यादा ख्याल रखा था,  लेकिन शायद वह भूल गया सिखाना कि बुरे समय में खुद का ख्याल कैसे रखते हैं। 

संदेश : अभी या बाद में, आपको खुद से ही सबकुछ होगा। जब तक माता- पिता अत्यधिक सख्त होना बंद नहीं करते, तब तक कोई समझ के अनुरूप काम करना नहीं सीख पाता।

चालाक बन्दर और मूर्ख मगरमच्छ – Top 10 Moral Stories in Hindi

चालाक बन्दर और मूर्ख मगरमच्छ - Top 10 Moral Stories in Hindi

किसी नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था । उस पर एक बन्दर रहता था । उस पेड़ पर बड़े मीठे फल लगते थे । बन्दर उन्हे भरपेट खाता और मौज उड़ाता । वह अकेले ही मजे में दिन गुजार रहा था ।

एक दिन एक मगरमच्छ उस नदी में से पेड़ के नीचे आया । बन्दर के पूछने पर मगरमच्छ ने बताया की वह वहाँ खाने की तलाश में आया है । इस पर बन्दर ने पेड़ से तोड़कर बहुत से मीठे फल मगरमच्छ को खाने के लिए दिए। इस तरह बन्दर और मगरमच्छ में दोस्ती हो गई । 

अब मगरमच्छ हर रोज़ वहाँ आता और दोनों मिलकर खूब फल खाते । बन्दर भी एक दोस्त पाकर बहुत खुश था ।

एक दिन बात-बात मैं मगरमच्छ ने बन्दर को बताया की उसकी एक पत्नी है जो नदी के उस पार उनके घर में रहती है । 

तब बन्दर ने उस दिन बहुत से मीठे फल मगरमच्छ को उसकी पत्नी के लिए साथ ले जाने के लिए दिए । इस तरह मगरमच्छ रोज़ जी भरकर फल खाता और अपनी पत्नी के लिए भी लेकर जाता।

मगरमच्छ की पत्नी को फल खाना तो अच्छा लगता पर पति का देर से घर लौटना पसन्द नहीं था । एक दिन मगर की पत्नी ने मगरमच्छ से कहा कि अगर वह बन्दर रोज-रोज इतने मीठे फल खाता है तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा। 

मैं उसका कलेजा खाऊँगी। मगरमच्छ ने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं मानी । मगरमच्छ दावत के बहाने बन्दर को अपनी पीठ पर बैठाकर अपने घर लाने लगा । नदी बीच में उसने बन्दर को अपनी पत्नी की कलेजे वाली बात बता दी | 

इस पर बन्दर ने कहा कि वो तो अपना कलेजा पेड़ पर ही छोड़ आया है । वह उसे हिफाजत से पेड़ पर रखता है। इसलिए उन्हे वापिस जाकर कलेजा लाना पड़ेगा । मगरमच्छ बन्दर को वापिस पैड़ के पास ले गया | बन्दर छलांग मारकर पैड़ पर चढ़ गया। 

उसने हँसकर कहा कि- “जाओ मूर्खराजा, घर जाओ और अपनी“पत्नी से कहना कि तुम दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख हो । भला कोई भी अपना कलेजा निकालकर अलग रख सकता है ।”

सीख – बन्दर की इस समझदारी से हमे पता चलता है कि मुसीबत के वक्‍त हमें कभी धैर्य नहीं खोना चाहिए।

बैल और गधा – Long Moral Stories in Hindi

बैल और गधा - Long Moral Stories in Hindi

एक समय की बात है. काशी में कई वर्ष साथ रहकर दो पंडितों ने धर्म और शास्त्रों का अध्ययन किया. शिक्षा

पूरी होने के बाद दोनों विद्वान अपने- अपने गांव की ओर चल पड़े. तब यातायात के साधन तो थे नहीं, लोगों को

एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में कई-कई दिन लग जाते थे. 

लोग दिन में चलते थे और रात में विश्राम करते थे ये दोनों पंडित भी ऐसा ही कर रहे थे एक बार दोनों नगर के सबसे धनी व्यक्ति के यहां ठहरे . उसने उनके रहने की व्यवस्था की और फिर अपने लोगों से कहा कि दोनों महानुभावों के भोजन का भी बंदोबस्त किया जाए . 

इस बीच, समय पाकर धनी व्यक्ति दोनों के पास पहुंचा और उनसे चर्चा करने लगा. धनी व्यक्ति अनुभवी था. वह जान गया कि दोनों पंडितों में बहुत ज्यादा घमंड है, साथ ही दोनों(एक-दूंसेरे को (मूर्ख समझते हैं. उन्होंने दोनों से अलग- अलग बात कर एक दूसरे के बारे में भी पूछा . 

जो जवाब मिले, वो धनी व्यक्ति को दुखी कर गए . उसने मन में विचार किया कि ये दोनों काशी जैसी जगह पर वर्षों अध्ययन करके आए हैं, लेकिन एक-दूसरे का सम्मान करना नहीं सीखा . बहरहाल, भोजन का समय हो गया था. 

धनी व्यक्ति ने दोनों को बड़े आदरपूर्वक भोजन कक्ष में बुलाया . एक की थाली में चारा और दूसरे की थाली

में भूसा परोसा . यह देखकर दोनों पंडित आगबबूला हो गए. गुस्से में आकर कहने लगे कि क्या हम जानवर हैं जो यह चारा और भूखा खाएंगे? 

धनी होकर तुम हमारा अपमान कर रहे हो. यह लक्ष्मी द्वारा सरस्वती का अपमान है। इस पर उन्होंने बड़ी ही शांति से जवाब दिया- एक को थाली में चारा और दूसरे को भूसा परोसा गया है,

इसमें मेरा कोई कसूर  नहीं है जब मैंने आप में से एक से दूसरे के बारे में पूछा था त्तो उसने कहा था कि वह तो बैल है . वहीं दूसरे से पहले के बारे में पूछा था तो उसने कहा था कि वह गधा है दोनों ने ही एक दूसरे को बैल और गधा बताया, तो मैंने उसी हिसाब से चारा और भूखा थाली में परोस दिया. 

इतना सुनते ही दोनों ज्ञानियों की आंखें खुल चुकी थीं . उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया था. उन्होंने उनसे क्षमा मांगी, एक-दूसरे के प्रति ऐसी सोच रखने के लिए खेद भी जताया .

सीख – व्यक्ति में कितना भी ज्ञान आ जाए, उसे घमंड नहीं करना चाहिए . साथ ही दूसरों के प्रति बुरे भाव नहीं रखने चाहिए .

लालच बुरी बला – Short Story in Hindi With Moral

लालच बुरी बला - Short Story in Hindi With Moral

एक राजा अपने लिए समझदार और बुद्धिमान ईमानदार मंत्री की तलाश कर रहे थे। राजा ने कई लोगों का साक्षात्कार लिया लेकिन कोई भी व्यक्ति उन्हें मंत्री बनने के लायक नहीं लगा. वहीं जब यह बात राज्य के लालची सबसे बुद्धिमान व्यक्ति को पता लगी तो वो फौरन राजमहल चला गया। 

राजा से मिलकर उसने कहा, मैं इस गांव का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति हूं और मैं आपका मंत्री बनने के काबिल हूं। राजा ने उससे काफी कठिन सवाल किए और उसने समझदारी सें सवालों का जवाब दिया। राजा ने उसे मंत्री बना लिया। 

एक दिन मंत्री को रास्ते में एक बूढ़ा इंसान मिलता है जिसके पास तीन गठरी होती। बूढ़ा मदद मांगते हुए कहता है, क्या तुम मेरी एक गठरी उठा सकते हो? ये काफी भारी है। वह बुजुर्ग की मंदद करने के लिए हां कर देता है और एक गठरी उठा लेता है। 

मंत्री बुजुर्ग से पूछता  है कि आखिर इसमें क्या है जो ये इतनी भारी है? बुजुर्ग ने कहा, इस गठरी में सिक्के हैं। आगे

एक नदी आती है जिसे पार करना होता है. बुजुर्ग कहता है, क्या तुम मेरी दूसरी गठरी उठा सकते हो? 

क्योंकि दो गठरी लेकर मैं ये नदी पार नहीं कर सकता हूं। वह दूसरी गठरी उठा लेता है और ये गठरी भी भारी होती है। बुजुर्ग कहता है, इस गठरी में चांदी के सिक्के हैं। नदी पार करने के बाद एक पहाड़ आता है। 

बुजुर्ग ने कहा, मैं गठरी के साथ ये पहाड़ नहीं चढ़ सकता हूं. क्या तुम मेरी तीसरी गठरी भी उठा सकते हो। मंत्री बिना कुछ बोले तीसरी गठरी भी उठा लेता है. बुजुर्ग पहाड़ चढ़ते हुए उससे कहता है कि इस गठरी में सोने के सिक्के हैं, तुम इसको लेकर मत भागना, मैं तुम्हारा पीछा नहीं कर सकता हूं। 

थोड़ी दूर जाने के बाद मंत्री सोचता हैं कि अगर ये तीनों गठरी लेकर भाग जाऊं तो मैं धनवान बन जाऊंगा और ये बुजुर्ग तो मुझे कभी पकड़ भी नहीं पाएगा और वह तीनों गठरी लेकर भाग जाता है। घर जाकर वो जैसे ही तीनों गठरी खोलता है तो उसमें लोहे के सिक्के होते हैं।

वो हैरान रह जाता है. कुछ देर बाद उसके घर बुजुर्ग आ जाते हैं और उससे कहते हैं कि तुमने लालच में आकर मेरी तीनों गठरी चुरा ली। मंत्री गुस्से से कहता है कि तुमने झूठ बोला, इन गठरी में सोने और चांदी के सिक्के नहीं हैं।

बुजुर्ग हंसते हुए अपने असली वेश में आ जाते हैं। वह कोई और नहीं, बल्कि राजा रहते हैं। राजा कहते हैं, तुम बुद्धिमान थे इसलिए मैंने तुम्हें अपना मंत्री नियुक्त किया लेकिन तुम्हारे अंदर ईमानदारी बिलकुल नहीं है, इसलिए तुम मेरे मंत्री बनने के लायक नहीं हो। 

राजा की ये बात सुनकर उसको अपनी गलती पर खूब पछतावा हुआ।

सीख – लालच में आकर हम अपना ही नुकसान कर बैठते हैं, इसलिए हमेशा ईमानदार रहें ।

सेठ का पाजामा – Top 10 Moral Stories in Hindi

सेठ का पाजामा - Top 10 Moral Stories in Hindi

एक कंजूस सेठ था। वह रोजाना एक ही पाजामा पहनकर दुकान पर जाता था। पाजामा काफी पुराना हो गया था और जगह-जगह से फट गया था। घरवालों और परिचितों के बार-बार कहने पर उसने बड़ी हिम्मत करके अपनेलिए एक नया पाजामा सिलवाया।

घर आकर जब उसने पाजामा पहना तो वह चार अंगुल बड़ा था। सेठ अपनी पत्नी के पास आया और बोला कि यह पाजामा चार अंगुल बड़ा है, इसे काटकर छोटा कर दो। पत्नी ने कहा कि मैं अभी रसोई में काम कर रही हूं,बाद में करूंगी।

वह पाजामा लेकर अपनी पुत्रवधू के पास गया और उससे भी यही कहा,वह बोली कि मैं अभी घर की साफ-सफाई कर रही हूं। सेठ बेटी के पास पहुंचा तो वह भी पढ़ाई में व्यस्त थी। उसने भी उसे टाल दिया। सेठ पुराना पाजामा पहनकर ही दुकान चला गया। 

उसके जाने के बाद, जब सेठानी काम से  फ्री हुई तो उसे याद आया कि उसके पति ने पाजामा चार अंगुल छोटा करने को कहा था,अतः उसने पाजामे को काटकर ठीक कर दिया | कुछ देर बाद उसकी पुत्रवधू का काम भी खत्म हो गया उसे भी ससुर जी के पजामे को काटकर चार अंगुल छोटा करन याद था, उसने भी कर दिया । 

इसके बाद बारी थी बेटी की, उसने भी अपने पिता की आज्ञा का पालन किया।शाम को जब सेठ घर वापस लौटा तो

उसने पाया कि उसका पाजामा बारह अंगुल कटकर बेकार हो चुका था।

सार – किसी काम को करवाने के लिए सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वह काम किससे कराना है।

दो मूर्ख चोर – Hindi Moral Stories

दो मूर्ख चोर - Hindi Moral Stories

किसी गांव में एक दंपति रहते थे. उनके कोई संतान न थी. उसी गांव के पास दो चौर भी रहते थे। पूरा गांव उनसे परेशान था. चोर इतने शातिर थे कि गांववासियों की तमाम सावधानियों के बीच भी चोरी कर ही जाते।

एक बार वे पिछवाड़े से दंपति के घर में घुस गए. पति के दोनों नौकर बहादुर व शमशेर भी सोए हुए थे। चोर घर में सामान खोज ही रहे थे कि अचानक चोरों के हाथ से कोई वस्तु छूटकर गिर गई। आवाज के पास ही दूसरे कमरे में सोई पत्नी की नींद खुल गई . 

उसको चोरों के आने का अंदेशा हो गया . उसने तुरंत ही पास में सो रहे पति को जगाया और धीरे से चोंरों के आने के बारे में बताया. फिर धीरे से बोली, “जैसा पूछूं वैसा ही जवाब देना।’

पत्नी ने पति से तेज स्वर में पूछना शुरू किया, “अजी सुनते हो, तुम जल्द ही बाप बनने वाले हो। अगर बेटा हुआ तो

क्या नाम रखोगे उसका?!

पति बोला, ‘बहादुर नाम रखूंगा.. पत्नी ने नाम जोर से दोहराया, “क्या. ..बहादुर ?’ “अच्छा दूसरे बेटे का नाम क्या रखोगे?’ पति भी तेज स्वर में बोला, ‘शमशेर नाम रखूँंगा।’ पत्नी ने फिर जोर से नाम दोहराया, “क्या शमशेर?

अच्छा जरा बताओ तो, तीसरे का क्या नाम रखोगे?’  

पति फिर जोर से बोला, “चोर रखूंगा, चोर .” पति-पत्नी की बात सुनकर चोर मुस्करा रहे थे. उन्हें दोनों की बातों में आनंद आने लगा था. तभी उन्होंने सुना, पत्नी कह रही थी, ‘अजी यह तो बताओ कि तुम अपने तीनों बेटों को पुकारोगे कैसे?” 

पति जोर से बोला, “अरे इसमें क्या परेशानी है : एक साथ पुकारूंगा, बहादुर- शमशेर-चोर .’ “अरे, तुम्हारी इस चूहे

जैसी आवाज को हमारे शेर बच्चे सुन ही नहीं पाएंगे . जोर से पुकार कर बताओ न!” पत्नी ने कहा।

पति जोर-जोर से पुकारने लगा . “बहादुर-शमशेर-चोर . . .बहादुर- शमशेर-चोर!’ पति की ऊंची पुकार

सुनकर दोनों नौकर हड़बड़ा कर उठ बैठे और कमरे के पास आकर बोले, “मालिक, कहां हैं चोर?”

पत्नी ने हाथ से पास वाले कमरे की तरफ इशारा कर किया. फिर क्या था. दोनों ने लपक कर चोरों को पकड़ लिया और उनकी धुनाई कर डाली।

सीख – मुश्किल समय में तर्क और बुद्धि के प्रयोग से मुसीबतों से बाहर निकला जा सकता है

मूर्ख बगुला – Top 10 Moral Stories in Hindi

मूर्ख बगुला - Top 10 Moral Stories in Hindi

किसी वन में एक बहुत बड़ा वृक्ष था। उस पर बगुलों के अनेक परिवार रहते थे। उसी वृक्ष के कोटर में एक काला सर्प भी रहता था। अवसर मिलने पर वह बगुला बगुलों के उन बच्चों को मारकर खा जाया करता था।

जिनके पंख भी नहीं नहीं उगे होते थे. इस प्रकार बड़े आनंद से उसका जीवन व्यतीत हो रहा था. यह देखकर बगुले बड़े खिन्‍न रहते थे, किन्तु उनके पास कोई उपाय नहीं था। तब दु:खी होकर एक दिन एक बगुला नदी किनारे जाकर बैठ गया। 

रो-रोकर उसकी आंखें लाल हो गई थीं. बगुले को इस प्रकार रोता देखकर एक केकड़े ने उससे पूछा- मामा! आज आप इस प्रकार क्यों रो रहे हैं?” बंगुला बोला, (प्रिय! क्या बताऊं? हमारे वृक्ष के कोटर में रहने वाले सर्प ने मेरे सारे बच्चे मार खाए हैं। यही मेरा दु :ख है।

क्या तुम इसका कोई उपाय बता सकते हो ?’ केकड़ा सोचने लगा कि यह बगुला तो उसका जातिगत शत्रु है। अत : इसको कोई ऐसा उपाय सुझाया जाए जिससे इसके सारे साथी भी नष्ट हो जाएं। फिर उसने कहा, मामा! यदि यही बात है तो तुम मछलियों की हड्डियां नेवले के बिल से उस सांप के बिल तक बिखेर दो। 

नेवला उस मछली के मांस को खाता हुआ स्वयं ही सर्प के बिल तक पहुंच जाएगा . वहां पर वह सांप को मार खाएगा। बगुले की समझ में बात आ गई। उसने अपने साथियों को उपाय बताया और सबने मिलकर वह कार्य किया। 

तदनुसार नेवले ने न केवल मछलियों का मांस खाया, अपितु सर्प को भी मारकर खा गया। किन्तु उसके बाद नेवला वहां से गया नहीं। उसने एक-एक करके सारे बगुलों को भी समाप्त कर दिया।

सीख – कभी भी किसी की सलाह मानने से पहले उसके दूरगामी परिणाम पर विचार कर लेना चाहिए। यह जरूरी नहीं कि वह आपका हितचिंतक ही हो।

सेठजी का खाना – Hindi Moral Stories with Pictures

सेठजी का खाना - Hindi Moral Stories with Pictures

एक बार शहर के बड़े सेठजी ने हमें खाने पर बुलाया और अपने साथ हमें भी बिठाया। चांदी की थालियों में चांदी की

‘कटोरियां,उनमें भांति-भांति के खाने-हलुवा भी, खीर भी, पूरियां भी, फुलके भी, कितनी ही सब्जियां।

हमारी थाली के बाद सेठजी की थाली आई। उसमें पीली सी कोई पतली- सी (द्रव )वस्तु, उसके पास फुला हुआ छोटा सा अनचुपड़ा फुलका | मैंने समझा, सेठजी का असली खाना अभी आएगा, परन्तु वहां तो कुछ भी नहीं आया। सेठजी उसी एक फुलके को धीरे-धीरे खाते रहे, उस पतली-सी वस्तु में प्रत्येक ग्रास को भिगो-भिगोकर। 

मैंने पूछा, सेठजी आप खाना कब खाएंगे ? वह बोले- खा तो रहा हूं। यह फुलका, यह मूंग की दाल का पानी। बस ! इतना ही खा सकता हूँ। मैंने पूछ तो आप दूध अधिक पीते होंगे। वह बोले- नहीं जी, दूध तो मेरे पेट में गैस उत्पन्न कर देता है। 

मैंने कहा: दही, छाछ लेते होंगे ? बोले एक बार खाया था छः महीने जुकाम रहा था। मैंने कहा-छुहारे, पिस्ते, बादाम खाते होंगे आप ? वह बोले भगवान का नाम लो जी! ये तो बहुत गर्म वस्तुएं.हैं इन्हें ‘पचाएगा कौन? ये दुर्दशा है इन बड़े- बड़े सेठों की दो फुल के भी नहीं खा सकते। 

फिर सेठपन क्या हुआ ? किस काम का है ये? इन लोगों से पूछो इतना काम क्‍यों करते हो तो! धन कमाने के लिए। पूछो धन क्यों कमाते हो ?

खाना खाने लिए। फिर खाते क्‍यों नहीं हो ? बोलेंगे डॉक्टर  डॉक्टर  निश्चित निषेध कर दिया है। इस कमाई का आखिर क्या अभिप्राय है?

सीख:  –  कमाना महत्वपूर्ण नहीं महत्वपूर्ण है, खाना महत्वपूर्ण नहीं पचाना महत्वपूर्ण है ।

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11 Short Moral Stories in Hindi (हिंदी की नैतिक कहानियां)

सर्वश्रेष्ठ नैतिक कहानियाँ का संग्रह Short Moral Stories in Hindi for class 1 , 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 & 10th students। बच्चों के लिए नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ जो हम सबने अपने बचपन में जरूर पढ़ी होगी। #नैतिककहानियाँ #जीवनशिक्षा

बच्चों की पसंदीदा कहानियाँ Fascinating Short Stories with Moral in Hindi for kids ना ही केवल रोमांच से भरी होती है बल्कि बहुत च सिखने को भी मिलता है। ये कहानियाँ सभी के लिए प्रेणा का श्रोत ही सकती है। #हिंदीकहानियाँ

Short Moral Stories in Hindi for Class 1 (प्रेरणादायक कहानी)

These short Hindi Story with Moral lessons will be an inspiration for everyone. ये शार्ट स्टोरी किसी भी विद्यार्थी के लिए, बूढ़ा और जवान सभी के लिए उपयोगी हो सकती है। Short Moral Stories for Kids had been told by our grandmother when we were a child। सीधे चलते है पहले कहानी की और।

जरूर पढ़े | 5 Inspirational Short Moral Stories With Proverbs (& Idioms)

1# Short Stories in Hindi for Class 1, 2:: खरगोश और कछुआ की कहानी

The Hare and the Tortoise Short Moral Stories in Hindi for Class 1

यह छोटी से कहानी खरगोश और कछुआ पर आधारित है। एक समय की बात है, एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे, वे अच्छे दोस्त थे। खरगोश तेज दौड़ सकता था।

उसे अपनी गति (दौड़) पर गर्व था। वही कछुआ अपनी धीमी गति के लिए जाना जाता है इस कारन से अक्सर उसका मजाक बनाया जाता था।

यह सुनकर कछुआ छोटा महसूस करता था लेकिन वह चुपचाप सहन करता था। जैसे-जैसे ताने-बाने का सिलसिला बढ़ता गया, बार-बार ये सुनकर एक दिन उसने अपना धैर्य खो दिया और खरगोश को दौड़ को चुनौती दी।

यह सुनकर खरगोश अपने हसी रोक नहीं पाया और जोर-जोर से हसने लगा और कहा, “तुम्हारे साथ दौड़! तुम्हे एक दूरी तय करने में एक महीना लगेगा, जो मैं एक घंटे में पूरा कारलुंगा। ” उसने बेशक चुनौती को स्वीकार कर लिया।

दौड़ की पारदर्शिता के लिए एक लोमड़ी को एक न्यायाधीश के रूप में कार्य करने के लिए चुना गया। दूर स्थित पेड़ पे जो पहले पहुंचेगा उसे विजयी घोषित किया जायेगा। दौड़ को सुरु करने के लिए लोमड़ी ने वोला, “एक, दो, और तीन।”

और दोनों प्रतिदुंदी दौड़ के लिए चल पड़े। जल्द ही दोनों आखों की नज़र से ओझल हो गए। जब खरगोश ने पीछे मुड़के देखा तो उसने पीछे देखा कछुआ कहीं नहीं दिख रहा था, तेज दौड़ने से खरगोश को थोड़ा गर्मी लग रही थी। रास्ते में एक छायादार पेड़ देखा।

खरगोश ने अपने आप से कहा, “इतनी जल्दी क्यों? मुझे एक झपकी का आनंद लें लेना चाहिए। उन्होंने सोचा कि कछुआ को उस पेड़ तक पहुंचने में पूरा दिन लग जाएगा। ” इसलिए वह पेड़ के निचे लेट गया।

ठंडी हवा बहने लगी। इससे खरगोश निद्रा न चला गया। कछुआ अपने चल के अनुशार धीरे-धीरे और तेजी से आगे बढ़ता गया। उसने खरगोश को सोते हुए देखा। उसने उसे नहीं जगाया।

जब खरगोश उठा और उसने देखा कि कछुआ जीतने वाली रेखा अणि पेड़ के करीब पहुंच चुका था। यश देख कर वह बहुत तेजी से भागा, लेकिन वह उससे आगे नहीं निकल सका।

लोमड़ी ने कछुआ को विजेता घोषित किया। खरगोश दौड़ हार गया। उसने अपने आप को लज्जित महसूस किया।

कहानी का सार 👍 धीमे-धीमे चलने वाला और स्थिर व्यक्ति की अनंततः जीत होती है। घमंड का पतन होता है।

2# Interesting Moral Stories in Hindi for Class 1, 2:: चरवाहा लड़का और भेड़िया की कहानी

The shepherd boy and the Wolf Short Moral Stories in Hindi for Class 1

यह कहानी है चरवाहा लड़का और भेड़िया की। एक चरवाहा लड़का था। उसने अपने रहने की जगह एक पहाड़ी के पास थी। पहाड़ी उसके गांव के करीब थी। इस जगह पर अक्सर भेड़िया देखा जाता था।

इसलिए, गांव वालों ने बोला जैसे ही तुन्हे भेड़िया दिखे तो जोर से आवाज लगाना ताकि हम तुमहारी मदत के लिए आ सके।

लड़का कई दिनों तक भेड़ों के झुंड को देखता रहा लेकिन उसने उस बीच कभी भी भेड़ियों को पहाड़ियों पर आते नहीं देखा।

एक दिन, उसने अपने मनोरंजन के लिए वह जोर जोर से चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! मदद! मदद!” लोगों को बुलाया। पास काम कर रहे ग्रामीणों ने चीख पुकार सुनी और उसकी मदद को दौड़ पढ़े।

जब वे वहां पहुंचे, तब उन्होंने देखा यहां कोई भेड़िया नहीं है। यह सुनकर लड़का उन पर हसने लगा। उसने कहा कि वह मस्ती के लिए चिल्लाया था। लड़के की इस मूर्खतापूर्ण हरकत पर ग्रामीण उसपर गुस्सा हुए और चले गए।

एक दिन वास्तव में भेड़िया वहाँ आया। लड़का मदद के लिए जोर-जोर से चिल्लाता रहा, लेकिन कोई भी उसकी मदद के लिए नहीं आया। हर कोई यही सोचते रहे कि वह उनका फिर से मजाक उड़ा रहा है।

भेड़िये ने कई भेड़ों को मार डाला। लड़का इस कदर भयभीत हो गया उसको ये समझ नहीं आ रहा था की क्या करूँ। डर के कारन उसकी बुद्धि भी काम नहीं कर रही थी। यह मौका देख कर भेड़िये ने लड़के को दबोच लिया और उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिया ।

Moral of the story कहानी का सार 👍 एक बार झूठा, हमेशा एक झूठा।

3# Inspirational Short Moral Stories in Hindi for Class 1, 2:: लालची कुत्ता की कहानी

The Greedy Dog Short Moral Stories in Hindi for Class 1

एक बार एक कुत्ते को बहुत तेज भूख लग रही थी। वह भोजन की तलाश में निकल पड़ा। सबसे पहले वह एक कसाई की दुकान पर गया। कसाई वहां मौजूद नहीं था। उसने मांस का एक टुकड़ा उठाया और उसे अपने मुंह में पकड़ा और तेजी से भाग गया।

रास्ते में, उसे पानी के ऊपर बने एक पुल को पार करना था। पुल पर गुजरते समय, वह नीचे के पानी में देखने लगा। उसने उसे अपना प्रतिबिंब दिखाई दिया। उसने देखा की दूसरे कुत्ते के मुंह में भी मांस का एक बड़ा टुकड़ा रखाहै।

यह देख कर उसके मन मैं लालच आ गया, वह उस मांस के टुकड़े को भी लेना चाहता था। वह अपने ही प्रतिबिंब पर भौंकने लगा। जैसे ही उसने अपना मुंह खोला, उसका मांस का टुकड़ा नदी में गिर गया। कुत्ते को बहुत दुख हुआ।

उसने अपनी मूर्खता पर पश्चाताप हुआ, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उस दिन उसे बिना भोजन के ही रहना पड़ा। उसने अपने आप से कहा, “जो मेरे पास था, उससे ममुझे संतुष्ट होना चाहिए था। संतोष एक बड़ी बात है, और लालच वास्तव में एक अभिशाप है। ”

Moral of the story कहानी का सार 👍 लालच एक अभिशाप है।

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4# Short Stories in Hindi for Class 1, 2:: लोमड़ी और अंगूर की कहानी

The Fox and The Grapes Short Moral Stories in Hindi for Class 1

एक लोमड़ी थी उसे बहुत तेज भूख लगी थी। अपनी भूख को संतुष्ट करने के लिए खाने की तलाश में भटकते हुए उसे कई घंटों हो गए। फिर भी उसे कोई भोजन नहीं मिला।

वह एक बगीचे से गुजरा। उसने देखा कि दीवार पर अंगूरों का एक गुच्छा लटका हुआ है।

इन पके और रसीले अंगूरों को देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया, लेकिन वे लोमड़ी तक पहुंच से बहुत दूर थे। “वे बहुत अच्छे लग रहे थे,” लोमड़ी ने अपने आप से कहा , मझे इनका स्वाद अवय्श्य लेना चाहिए।

शायद मैं कुछ कर सकता हूं उसने एक तरकीब निकली अगर पूरी ताकत से ऊँची छलाँगें लगाई।

इसलिए वह जितना ऊपर जा सकता था उतनी कोशिश की, लेकिन वह उन अंगूरों तक नहीं पहुंच सका। वह बार-बार कूदता था, लेकिन यह असफल रहा। अंगूर उसकी पहुँच से दूर थे।

लगातार कोशिश करने के पश्च्यात वह थक गया और उसने प्रयास छोड़ दिया और यह कहकर चला गया, “यकीनन वे अंगूर खट्टे हैं, और मेरे खाने के लायक नहीं हैं।

Moral of the story कहानी का सार 👍 जब हम कोई कार्य नहीं कर सकते है तो हमें बेकार की बात नहीं करनी चाहिए।

5# Motivational Short Moral Stories in Hindi for Class 1, 2:: शहरी चूहा और देहाती चूहा की कहानी

The Country Mouse and the Town Mouse Short Moral Stories in Hindi for Class 1

यह कहानी है एक देसी चूहा (माउस) और उसके दोस्त के बारे में। एक समय की बात है जब एक माउस, एक गरीब आदमी की झोपड़ी में रहता था और उसके दोस्त शहर में थे।

उसने अपने शहरी दोस्त को कुछ दिन अपने गावँ आने का निमंत्रण दिया। शहरी चूहे ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया।

गावँ में रहने वाले चूहे ने उसके सामने साधारण भोजन के साथ सूखी रोटी के कुछ टुकड़ों को परोसा गया। शहर में रहने वाला चूहा जो अपना जीवन भव्य तरीके से रहने की आदत थी उसे इस प्रकार से किया गया सत्कार उसे पसंद नहीं आया।

उन्होंने कहा, “आप एक सामान्य जीवन जी रहे हैं। स्वादिष्ट व्यंजनों की बात नहीं है आपके पास तो पेट भरने के लिए पर्याप्त भोजन भी नहीं है। मेरे पास खाने के लिए शहर में बहुत सारी अच्छी स्वादिष्ट चीजें हैं।

अब मैं आपको मेरे साथ शहर आने का और लजीज भोजन के लिए आमंत्रित करता हूं। ” देसी चूहे अपने आप को छोटा महसूस किया लेकिन उससे अपनी नाराज़गी जाहिर नहीं की।

एक दिन देसी चूहा काम के शिलशीले के लिए शहर गया और अपने दोस्त के निमंत्रण जाने का विचार किया। टाउन माउस (चूहा) एक बड़े से आलिशान घर में रहता था।

यह अच्छा समय था उसने अपने दोस्त देसी चूहे को रसोई और डाइनिंग हाल दिखाया। और उसे कुछ स्वादिष्ट व्यंजन भी परोसे गए। उसने अपने दोस्त को शुक्रिया अदा किया इस भव्य स्वागत सत्कार के लिए।

जैसे ही दोनों दोस्त खाने लगे, वैसे ही एक बिल्ली अचानक दिखाई दी। दोनों ने जल्दबाजी बिल में गश गए। बिल्ली पूरा भोजन चट कर गई। देसी माउस जैसे तैसे अपने आप को बचा लिया।

उसका दिल डर से तेजी से धड़कने लगा। कुछ समय बाद जब वह अपने डर से उबर गया और उसके दिल ने सामान्य समान्य धड़कने लगा, तो उसने अपने दोस्त से कहा, “तुम तो यहां लगातार खतरे में जी रहे हैं।

मुझे तुम्हारा शहरी जीवन पसंद नहीं आया। मैं डर,जोखिम और अच्छे व्यंजनों की जगह में अपने घर की रूखी-सुखी रोटी खाना पसंद करूंगा।

Moral of the story कहानी का सार 👍 एक स्वतंत्र जीवन भय से भरे जीवन से बेहतर है।

6# Children Moral Stories in Hindi for Class 1, 2:: भेड़िया और सारस की कहानी

Wolf and the Crane Short Moral Stories in Hindi for Class 1

भेड़िया और सारस की लघु कहानी।अपना भोजन करते समय, एक भेड़िये के गले में हड्डी फंस गई। उसने इसे बाहर हड्डी को बहार निकलने की पूरी कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

उसके हर प्रयास के साथ ही हड्डी और निचे चली गयी । वह इसके कारण होने वाले दर्द को सहन नहीं कर पा रहा था, उसे लगा कि अब उसका दम घुट जाएगा।

वह किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में यहां-वहां भागता रहा, जो उसके गले मैं फंसी हड्डी निकाल सके।

जैसा कि किस्मत में होता है, भोजन की तलाश में एक सारस (क्रेन) आसमान धरती की ओरनिगाहें गड़ाए था। भेड़िये ने सोचा क्यों न इसकी मदत ली जाए उसने सारस से दया याचना की ताकि उसके गले में फांसी हड्डी बहार निकल सके।

उसने कहा कि वह बहुत दर्द में है। उसने कहा तुम्हे मेरी मदत के लिए भगवान द्वारा भेजा गया है। वह अकेला एकमात्र प्राणी था जो उसे उसकी परेशानी से छुटकारा दिला सकता था, क्योंकि उसके पास लम्बी चोंच थी।

उसने कहा इस मदत के लिए, वह जो भी मांगेगा, वह देगा। सारस (क्रेन) ने भेड़िया से इस मदत के लिए एक सर्त राखी। भेड़िया आसानी से सहमत हो गया।

हड्डी को उसके गले से बाहर निकालने में सारस (क्रेन) को ज्यादा समय नहीं लगा। उसने भेड़िया को अपना वादा पूरा करने और उसे इनाम देने को कहा।

भेड़िये ने हंसते हुए कहा, “अपने किस्मत (सितारों) को धन्यवाद दो क्यूंकि तुम्हारा सिर अभी भी सही सलामत तुम्हारे शरीर पर है। क्या आपने कभी किसी ऐसे पक्षी या जानवर के बारे में सुना है जो अपनी गर्दन को भेड़िये के मुंह में डालने के बाद भी सुरक्षित हो। तुम्हे तुम्हारा पर्याप्त इनाम मिल चुका है।

Moral of the story कहानी का सार 👍 मदद उसी की करो जो उसके लायक हो।

7# Short Stories in Hindi for Class 1, 2:: हरक्यूलिस और कार्टमैन की कहानी

Hercules and the Cartman Short Moral Stories in Hindi for Class 1

एक बार एक कार्टमैन कार्टमैन यानी बैल-गाड़ी वाला, अपनी भारी-भरकम गाड़ी को कीचड़ भरी सड़क पर ले जा रहा था। उसे यह लम्बा रास्ता तय कर रहा था। वह बैलों को हाक रहा था, ओर बैल भी अपनी पूरी ताकत से आगे की तरफ खींच रहे थे।

दुर्भाग्य वस गाड़ी का एक पहिया कीचड़ में धंस गया। बैल ने गाड़ी को कीचड़ से बाहर निकालने की पूरी कोशिश की लेकिन सब व्यर्थ रहा। कार्टमैन बैलों को जोर से पीटने लगा और कोसने लगा।

वह बैल-गाड़ी से नीचे उतर जाता और अपने कंधे को पहिये पर रखता है, तो वह सफल हो सकता था, बैलों की मदत से बैल-गाड़ी को कीचड़ से बाहर निकालने में।

लेकिन उसने खुद ही गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। उसने तुरंत ही ताकत के स्वामी देव हरक्यूलिस से प्रार्थना की, कि वह उसकी मदद के लिए आए। हरक्यूलिस ने उनकी प्रार्थना सुनी और प्रत्यक्ष प्रकट हो गए।

उन्होंने कहा, “ये आलसी इंसान, तुम्ह पहले नीचे क्यों नहीं उतरते को पहिया को कन्धा देने के लिए?” जैसे की सलाह के अनुशार कार्टमैन गाड़ी से उतर गया, और फिर हरक्यूलिस ने भी उनकी मदद की।

जल्द ही बैलगाड़ी कीचड़ से बहार निकल गए। यह देखकर कार्टमैन बहुत खुश हुआ। उसने हरक्यूलिस को धन्यवाद दिया स्वयं सहायता का पाठ पढ़ाने के लिए।

Moral of the story कहानी का सार 👍 भगवान उनकी मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं।

8# Famous Short Moral Stories in Hindi for Class 1, 2:: दो दोस्त और भालू की कहानी

Two Friends and the Bear story Moral Stories in Hindi for Class 1

एक बार… । तो …… एक जंगल में, एक कहानी जो दो दोस्तों की है। दोनों दोस्त जंगल में जा रहे थे उन्होंने देखा कि एक भालू उनकी तरफ आ रहा है। यह देखकर दोनों घबरा गए। और पास के एक बड़ा पेड़ था।

खतरे का सामना करने के बजाय, स्वार्थी दोस्त जल्दी से पेड़ पर चढ़ गया और दूसरे दोस्त को मरने के लिए छोड़ दिया। वह जानता था उसका साथी पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था।

गरीब साथी अपने बुद्धि के भरोसे था। उसका मस्तिष्क काम करने लगा और उसे एक तरकीब आए। वह जमीन पर लेट गया ताकि वह एक मरे हुए आदमी की तरह दिखने लगे और उसने अपनी सांस भी रोक ली।

उसने लोगों को कहते सुना था कि, भालू किसी भी मिर्त्य व्यक्ति को नहीं छूता। भालू उसके पास आया, उसे सर से पांव तक सूंघा, और उसे दो-तीन बार उसके शरीर को उल्टा-पुल्टा किया और अंत में भालू ने यह पाया की यह तो एक मृत शरीर है। वह उसे छोड़कर वहां से चला गया।

जब भालू दृष्टि से ओझल हो गया, तो स्वार्थी दोस्त पेड़ से नीचे उतरा। वह अपने दोस्त के पास गया और उससे पूछा कि भालू ने उसके कान में क्या फुसफुसाया।

अपने दोस्त को जवाब दिया “हाँ उसने बताया,” “भालू ने मेरे कान में फुसफुसाया कि हमें किसी ऐसे व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए जो झूठ बोलता हो और अपने दोस्त को मुसीबत में छोड़ देता है।”

Moral of the story कहानी का सार 👍 झूठे दोस्त पर भरोसा नहीं करना चाहिए। वे कभी भी आपको धोखा दे सकते है।

9# Hindi Short Moral Stories for Class 1, 2:: किंग रॉबर्ट ब्रूस और द स्पाइडर

King Robert Bruce and the Spider Short Moral Stories in Hindi for Class 1

रॉबर्ट ब्रूस… ।तो… ।।जिसका पीछा कर रहे अंग्रेजी सैनिकों से बचने के लिए उसने खुद को गुफा छुपा लिया। वह बहुत दुखी और निराश महसूस कर रहा था।

उसने संघर्ष ना करने का विचार किया, उसने खुद से कहा, अपने भाग्य के खिलाफ संघर्ष करने का कोई फायदा नहीं है। किस्मत मेरा साथ नहीं है; भगवान मेरी तरफ नहीं है। मेरा संघर्ष जिस में आशा की कोई किरण नहीं दिखाई दे रही।

जब वह अपने आप को कोश रहा था, उसने देखा कि एक मकड़ी अपने जाले से गिर रही है। मकड़ी ने फिर कोशिश की ऊपर चढ़ने की जैसे ही वह पहुंचने वाली थी अपने जाल के पास अचानक फिर से निचे गिर गई।

इसके बाबजूद भी उसने प्रयास करना बंद नहीं किया, यह फिर से कोशिश की और फिर निचे गिर गई।

लगातार सात बार निरंतर प्रयत्नों के पश्च्यात भी, हर बार वह नीचे गिर जाती। “यह देख कर राजा रॉबर्ट ब्रूस ने सोचा की अब मकड़ी कोशिश नहीं करेगी,” लेकिन कुछ पलों के बाद राजा ने देखा की, मकड़ी फिर से ऊपर चढ़ने लगी है।

और धीरे-धीरे और लगातार आगे बढ़ने की दृढ़शक्ति ने आखिरी उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचा दिया।

मकड़ी की अंतिम सफलता ने निराश राजा को प्रेणा मिली। उन्होंने खुद से कहा, “अगर एक छोटा, तुच्छ प्राणी, बार-बार असफल होने के बाद भी हार नहीं मानता है तो मैं फिर भी इंसान हूँ?

“उसने अपना दिल मजबूद किया और गुफा से बाहर आया, अपनी बिखरी हुई ताकतों को इकट्ठा किया। और अपने देश को अंग्रेजी के बंधन से मुक्त करने के लिए एक वीर की भाति प्रयास किया।

एक कठिन लड़ाई लड़ी गई, अंत में राजा ब्रूस ने लड़ाई जीत ली। उसने अपने देश को एक बार फिर अंग्रेजों की गुलामी से आजाद किया।

Moral of the story कहानी का सार 👍 कोशिश करो और फिर कोशिश करो दृढ़ता से अंत में सफल होती है।

10# Very Short Moral Stories in Hindi for Class 1, 2:: लकड़हारा और भगवान बुध की कहानी

The Wood Cutter and the God Mercury Short Moral Stories in Hindi for Class 1

एक बार एक लकड़हारा ………………… से ……………और बुध

लकड़हारा की कहानी जो जंगल में लकड़ी काटने गया था। पानी के देवता बुध ने उस पर दया की, उसके सामने प्रकट हुए और पूछा कि तुम क्यों रो रहे हो। लकड़हारे ने बताया कि उसने अपनी कुल्हाड़ी खो दी है जिसकी मदत से वह लकड़ी काटता था और अपना जीवन यापन किया करता था।

भगवान बुध ने लकड़हारे से कहा, “तुम नदी में डुबकी लगाकर अपनी कुल्हाड़ी क्यों नहीं निकाल लेते हो?” गरीब लकड़हारे ने जवाब दिया, “पानी का बेग तेज है और नदी गहरी है, अगर मैं खोए हुए कुल्हाड़ी को पुनर्प्राप्त करने का प्रयास करता हूं तो मैं नदी में डूब सकता हूं।” वह फिर से रोने लगा।

भगवान ने कहा, “तुम चिंता मत करो मैं तुम्हारे कुल्हाड़ी वापस लाऊंगा।” भगवान बुध ने नदी में डुबकी लगाई और स्वर्ण कुल्हाड़ी निकाली, उन्होंने लकड़हारे से कहा, “ये है तुम्हारी कुल्हाड़ी।”

लकड़हारे ने कहा, सर, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। यह बहुत चमकदार और पिली है, मेरी तो सामान्य और काले रंग की है। तब भगवान बुध ने फिर से नदी में डुबकी लगाई और इस बार उन्होंने एक चांदी की कुल्हाड़ी निकाली।

उन्होंने लकड़हारे से कहा, यहाँ कृपया आप अपनी कुल्हाड़ी ले लो, फिर से लकड़हारे ने इसे लेने से इंकार कर दिया ये कहकर की ये मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।

भगवान बुध ने तीसरी बार पानी में डुबकी लगाई। इस बार उन्होंने लोहे की कुल्हाड़ी निकाली, उसे देखते ही, लकड़हारा खुशी से चिल्लाया और कहा, “यह मेरी कुल्हाड़ी है, यह मेरी कुल्हाड़ी है”

लकड़हारे की ईमानदारी से भगवान बुध अत्यधिक प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा, “आप एक अच्छे ईमानदार व्यक्ति हैं”। सोने और चांदी का लालच भी आपको भटका नहीं सका। मैं आपको अपनी ईमानदारी के लिए सोने और चांदी की कुल्हाड़ी उपहार देता हूं। ” ऐसा कहकर देवता अदृश्य हो गए।

Moral of the story कहानी का सार 👍 ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।

11# Short Inspirational Moral Stories in Hindi for Class 1, 2:: भेड़िया और मैमना की कहानी

The Wolf and the Lamb Short Moral Stories in Hindi for Class 1

एक भेड़िया ………… से …………पानी

भेड़िया और मेमने की छोटी इन्स्पिरिंग कहानी। एक बार की बात है, भेड़िया ने मेमने को अपने भोजन का शिकार करने का मन बना लिया। वह मेमने के पास गया और कहा, “तुम पानी को गन्दा क्यों बना रहे हैं?” क्या तुम्हे यह नहीं देख रहा है की मुझे ये पानी पीना है?

मेमने ने विनम्रतापूर्वक कहा, क्षमा करें, श्रीमान, मैं पानी गन्दा नहीं कर सकता, यह मिट्टी आपके और से आ रही है। भेड़िया, थोड़ा सोच कर बोला “तुमने पिछले साल मुझे गाली दी थी।”

मेमने ने कहा, “मैं तब पैदा भी नहीं हुआ था।” मैं तो छह महीने का भी नहीं हूं, भेड़िया ने देखा की मेमना उसकी चुंगुल में नहीं आ रहा, वह अपने चाल में नाकाम हो रहा है।

उसने अपना आपा खो दिया और गुस्से में जोर से चिल्लाया, “या नहीं तो तुम्हारी माँ या पिता रहे होंगे।” इतना कहते हुए, वह भेड़ के बच्चे पर टूट पड़ा, उसे टुकड़ों में फाड़ दिया और अपना भोजन बना लिया।

Moral of the story कहानी का सार 👍 कोई भी बहाना दुष्ट व्यक्ति के लिए अच्छा होता है।

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Hindi Moral Story “Jaisa Karoge Waisa Bharoge”, “जैसा करोगे वैसा भरोगे” for Kids, Full length Educational Story for Students of Class 5, 6, 7, 8, 9, 10.

जैसा करोगे वैसा भरोगे, jaisa karoge waisa bharoge.

इस संसार में मनुष्य अपने कर्मों का फल भोगता है। अच्छे कार्यों का परिणाम अच्छा और बुरे कार्यों का परिणाम बुरा होता है। कहावत है

“बुरे काम का बुरा नतीजा” और कबीरदास ने कहा है “बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाय।” इसी प्रकार तुलसीदास ने भी कहा कि, “जो जस करे सो तस फल चाखा।” अंग्रेजी में भी कहावत है “जैसे को तैसा”।

इस तथ्य को प्रमाणित करने के लिए निम्नलिखित कहानी पेश है: एक वन में एक लोमड़ी व एक सारस रहते थे। वे दोनों पक्के मित्र थे। एक दिन लोमड़ी ने सारस का मजाक बनाने के लिए उसे अपने यहां भोजन पर बुलाया। सारस ने इसे मान लिया।

वह निश्चित समय पर भोजन के लिए पहुँचा। लोमड़ी ने प्रेम से उसका स्वागत किया। जब वे भोजन करने बैठे तो लोमड़ी ने एक चौड़ी थाली में पतली खीर रख दी। लोमड़ी तो स्वाद लेकर चाटने लगी किंतु सारस की चोंच लम्बी थी, वह खीर न खा सका। सारस को गुस्सा बहुत आया, लेकिन वह चुप रहा। वह मन ही मन अपने इस अपमान का बदला लेने का विचार करके भूखा ही लौट आया।

कुछ दिन बाद सारस ने लोमड़ी को भोजन पर बुलाया। लोमड़ी ठीक समय पर पहुँच गई। सारस ने लम्बी सुराही में मछलियां रख दीं। सारस मज़े से मछलियां खाता रहा और लोमड़ी उसका मुँह देखती रह गई।

शिक्षा-जैसा करोगे वैसा भरोगे।

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7 Best Hindi Panchatantra stories – पंचतंत्र की कहानियां

Today we are presenting in front of you Best Hindi Panchatantra stories for kids with moral values. पंचतंत्र की कहानियां हिंदी में पढ़ें नैतिक शिक्षा के साथ। ये कहानियां ज्ञान वर्धक होने के साथ साथ मजेदार भी हैं।

Let’s start reading:

Table of Contents

1. सच्चे मित्र ( हिरण , कबूतर और चूहा ) – Hindi panchatantra stories

This is the first story of this hindi panchatantra stories collection.

एक जंगल में एक कबूतर , चूहा और एक हिरण तीनों घनिष्ठ मित्र रहा करते थे। जंगल में बने सरोवर में पानी पीते फल खाते और वही सरोवर के आसपास घुमा फिरा करते थे।

एक समय की बात है 

जंगल में एक शिकारी , शिकार करने आया उसने हिरण को पकड़ने के लिए जाल बिछाया।

काफी प्रयत्न और मेहनत से शिकारी ने जाल को छिपाकर लगाने सफलता पा ली। शिकारी के जाल में  हिरण आसानी से फंस गया। इस पर कबूतर ने कहा घबराओ मत मित्र मैं देखता हूं शिकारी कहां है और कितनी दूर है मैं। मैं उसको रोकता हूं जब तक हमारा मित्र चूहा तुम्हारे जाल को कुतर देगा और तुम जल्दी से निकल जाओगे।

यही हुआ कबूतर ने शिकारी को ढूंढना शुरू किया।

वह दूर था कबूतर ने अपने प्राण को जोखिम में डालकर शिकारी के ऊपर वार करना शुरू कर दिया। कबूतर के प्रहार से  शिकारी को कुछ समझ में नहीं आया और वह परेशान होकर बचने लगा मगर कबूतर शिकारी को ज्यादा देर तक रोक नहीं पाया।

शिकारी ने जल्दी ही कबूतर पर काबू पा लिया और वह जाल की ओर आया।

यहां चूहे  ने जाल को लगभग काट दिया था अब हिरण आजाद होने वाला था , तभी शिकारी वहां पहुंचा इतने में कबूतर का एक झुंड वह जल्दी से आकर उस शिकारी के ऊपर ताबड़तोड़ आक्रमण कर दिया।

इस आक्रमण से  शिकारी घबरा गया।

थोड़ा सा समय उन कबूतर पर काबू पाने में लगा। इतने मे चूहे ने निडर भाव से जाल को कुतर दिया जिससे हिरण आजाद हो गया। अब क्या था हिरण और चूहा अपने अपने रास्ते भाग चलें। कुछ दूर भागे होंगे उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो उनका मित्र कबूतर शिकारी के चंगुल में आ गया था।

हिरण ने सोचा उसने मेरी जान बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल दी।

इस पर हिरण धीरे – धीरे लंगड़ाकर चलने लगा शिकारी को ऐसा लगा कि हिरण घायल है  उसके पैर में चोट लगी है इसलिए वह धीरे धीरे चल रहा है , वह भाग नहीं सकता।

शिकारी ने झट से कबूतर को छोड़ दिया और हिरण की तरफ दौड़ा।

शिकारी को आता देख  कबूतर उड़ कर आकाश में चल पड़ा हिरण जो अभी नकल कर रहा था वह भी तेज दौड़ कर भाग गया और चूहा दौड़ कर बिल में घुस गया।

इस प्रकार तीनों दोस्तों की सूझबूझ ने एक दूसरे की रक्षा की।

नैतिक शिक्षा –

आपसी सूझबुझ और समझदारी हो तो किसी भी मुसीबत का सामना किया जा सकता है।

Moral of this panchtantra stoy in english

  • With mutual cordination and intelligence anyone can face difficult situations.
  • It is very important to have belief and faith in your friends in difficult situations.
  • The friend who help you in difficult times is a true friend.
  • Always help each other in

You can also read Hindi stories for class 1, 2 and 3 ,   stories for class 4 , stories for class 8 , stories for class 9 ,   Akbar Birbal stories , and Motivational story in Hindi for students , with moral values in Hindi and English.

2. दो मित्र हाथी और खरगोश की कहानी –

( moral based hindi panchatantra kahani ).

एक जंगल में नंदू नामक एक हाथी रहता था और चिंटू खरगोश उसका दोस्त था। दोनों घनिष्ठ मित्र थे , वह जंगल में एक साथ घूमा करते थे। उन दोनों की दोस्ती के चर्चाएं होती थी।

एक दिन की बात है

मौसम अच्छा था , सुहावना था। हरी – हरी घास में चारों तरफ लहरा रही थी।

पेड़ों पर कोमल – कोमल पत्तियां आई हुई थी।

खरगोश और हाथी ने खूब पेट भर कर के खाना खाया। जब दोना  विश्राम कर रहे थे तो उन्हें खेल खेलने का मन किया। दोनों ने प्लान बनाया और खेल खेलने के लिए तैयार हो गए।

मगर पुराने खेल नहीं खेलना था , नए खेल खेलना था।

इस पर नंदू ने बोला हम ऐसा खेल खेलेंगे जो पुराने खेल से अच्छा हो।

वह खेल ऐसे होगा

पहले मैं बैठ जाऊंगा और तुम मेरे ऊपर से उछल कर दूसरी पार कूदोगे  फिर तुम बैठोगे मैं तुम्हारे ऊपर से कूद कर दूसरी तरफ निकलूंगा।

मगर इस खेल  में एक – दूसरे को स्पर्श  नहीं होना है।

बिना स्पर्श किये  दूसरी तरफ कूदना होगा।

चिंटू खरगोश डर रहा था किंतु मित्र का मन था इसलिए वह खेल खेलने को राजी हो गया।

पहले हाथी जमीन पर बैठ गया खरगोश दौड़ कर आया और हाथी के ऊपर से कूदकर दूसरी तरफ बिना स्पर्श किए कूद गया। अब हाथी की बारी थी खरगोश नीचे बैठा मगर डर के मारे यह सोच रहा था कि कहीं मेरे ऊपर कूद गया तो मेरा तो कचूमर निकल जाएगा।

मेरे तो प्राण निकल जाएंगे इस पर हाथी दौड़ता हुआ आया।

हाथी के  दौड़ने से दाएं बाएं लगे नारियल के पेड़ हिलने लगे और ऊपर से नारियल टूटकर दोनों पर गिरे।

हाथी कुछ समझा नहीं वहां से भाग गया।

खरगोश ने भी अपनी जान बचाकर वहां से भाग गया।

खरगोश भागता हुआ सोच रहा था मित्र हाथी से अच्छा यह नारियल है।

अभी मित्र मेरे ऊपर गिरता तो मेरा कचूमर निकल जाता।

नैतिक शिक्षा – 

सच्चा मित्र सभी को बनाना चाहिए मगर ऐसा खेल नहीं खेलना चाहिए जिससे हानि हो।

Moral of this panchtantra stories 

  • Do not play or get involved in those activities which will lead you to destruction.
  • Make friends but always be safe while choosing games.
  • Always be careful when you are away from home.

Hindi panchtantra stories

3. शरारती बंदर – Panchtantra ki kahani

This is the third story of this hindi panchatantra stories collection.

एक समय की बात है , एक जंगल में एक शरारती बंदर रहा करता था। वह बन्दर सभी को पेड़ों  से फल फेक – फेक करके मारा करता था। गर्मी का मौसम था पेड़ों पर खूब ढ़ेर सारे आम लगे हुए थे।

बंदर सभी पेड़ों पर घूम-घूमकर आमो का रस चूसता और खूब मजे करता।

नीचे आने – जाने वाले जानवरों पर वह ऊपर से बैठे-बैठे आम फेंक कर मारता  और खूब हंसता।

एक समय  हाथी उधर से गुजर रहा था।

बंदर जो पेड़ पर बैठकर आम खा रहा था , वह अपने शरारती दिमाग से लाचार था।

बन्दर ने  हाथी पर आम तोड़कर मारा।एक  आम  हाथी के कान पर लगी और एक आम उसके आंख पर लगी। इससे हाथी को गुस्सा आया। उसने अपना सूंढ़  ऊपर उठाकर बंदर को गुस्से में लपेट लिया और कहा कि मैं आज तुझे मार डालूंगा तू सब को परेशान करता है। इस पर बंदर ने अपने कान पकड़ लिए और माफी मांगी।

अब से मैं किसी को परेशान नहीं करूंगा और किसी को शिकायत का मौका नहीं दूंगा।

बंदर के बार बार माफी मांगने और रोने पर हाथी को दया आ गई उसने बंदर को छोड़ दिया।

कुछ समय बाद दोनों घनिष्ट मित्र हो गए।

बंदर अब अपने मित्र को फल तोड़ – तोड़ कर खिलाता और दोनों मित्र पूरे जंगल में घूमते थे।

  किसी को परेशान नहीं करना चाहिए उसका परिणाम बुरा ही होता है।

Moral of this panchtantra stories in english

  • Never disturb anyone if they are not willing.
  • Because these kinds of activities can lead you to more difficult situations where you will regret it.
  • Never make fun of any other person.

4. सुंदरवन की कहानी ( Best Hindi panchtantra stories for kids )

This is the fourth story of this hindi panchatantra stories collection.

सुंदरवन नामक एक खूबसूरत जंगल था। वहां खूब ढ़ेर सारे जानवर , पशु – पक्षी रहा करते थे। धीरे – धीरे सुंदरवन की सुंदरता कम होती जा रही थी।

पशु-पक्षी भी वहां से कहीं दूसरे जंगल जा रहे थे।

कारण यह था कि वहां पर कुछ वर्षों से बरसात नहीं हो रही थी।

जिसके कारण जंगल में पानी की कमी निरंतर होती जा रही थी। पेड़ – पौधों  की हरियाली खत्म हो रही थी , और पशु पक्षियों का मन भी वहां नहीं लग रहा था।

सभी वन को छोड़कर दूसरे वन में जा रहे थे कि गिद्धों ने ऊपर उड़ कर देखा तो उन्हें काले घने बादल जंगल की ओर आते नजर आए।

उन्होंने सभी को बताया कि जंगल की तरफ काले घने बादल आ रहे हैं , अब बारिश होगी।

इस पर सभी  पशु-पक्षी वापस सुंदरबन आ गए।

देखते ही देखते कुछ देर में खूब बरसात हुई।

बरसात ईतनी हुई कि वह दो-तीन दिन तक होती रही।

सभी पशु पक्षी जब बरसात रुकने पर बाहर निकले तब उन्होंने देखा उनके तालाब और झील में खूब सारा पानी था। सारे पेड़ पौधों पर नए-नए पत्ते निकल आए थे।

इस पर सभी खुशी हुए और सभी ने उत्सव मनाया।

सभी का मन प्रसन्नता बत्तख अब झील मैं तैर रहे थे हिरण दौड़-दौड़कर खुशियां मना रहे थे और ढेर सारे पप्पीहे – दादुर मिलकर एक नए राग का अविष्कार कर रहे थे।

इस प्रकार सभी जानवर , पशु – पक्षी खुश थे अब उन्होंने दूसरे वन जाने का इरादा छोड़ दिया था और अपने घर में खुशी खुशी रहने लगे।

धैर्य का फल मीठा होता है।

Moral of this story

  • When situations are not good then wait for the right time.
  • Take your time before doing any important work.
  • Gather right knowledge before taking any action.

5. चिंटू का भोलू 

This is the fifth story of this hindi panchatantra stories collection.

चिंटू एक छोटा सा बच्चा है।  उसके पास एक भोलू नाम का सफेद रंग का कुत्ता है। चिंटू और भोलू  दोनों अच्छे मित्र हैं।  भोलू , चिंटू के घर में रहता है। वह चिंटू की ढेर सारी मदद करता है। चिंटू स्कूल जाने के लिए तैयार होता है तो भोलु उसकी मदद करता है। उसके जूते उसकी बोतल आदि झटपट चिंटू को दे देता है। भोलू  घर में किसी दूसरे व्यक्ति को घुसने नहीं देता है।

पहले भों -भों  करके पूरे घर को बता देता है कोई आदमी आया है।

गोलू अपने भोलू को प्यार से खाना खिलाता है और उसके साथ खेलता है।

चिंटू जब पार्क में खेलता है तो भोलू  उसकी बोल को लाकर चिंटू को देता है।

भोलू  घर में सभी का मन बहलाता  है।

वह कभी चौकीदार का काम करता है , तो कभी घर के नौकर का।

चिंटू की मम्मी जब छत पर पापड़ या गेहूं , चावल सूखने के लिए बिछ आती है , तो भोलु वहां निगरानी करता है। वह किसी चिड़िया और कौवे को बैठने नहीं देता और समान को बर्बाद करने नहीं देता। चिंटू जब बाजार जाता तो भोलु भी उसके पीछे पीछे चलता और दूसरे आवारा कुत्तों आधी से चिंटू को बचाता।

नैतिक शिक्षा –  मित्रता किसी से भी करें उसको निभाए भी। मित्र आपकी सहायता करता है।

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6. चिड़ियाघर की सैर – Panchtanta story in Hindi

This is the sixth story of this hindi panchatantra stories collection.

अमन अपने माता-पिता के साथ चिड़ियाघर की सैर करने जाता है। अमन क्योंकि बच्चा है और वह अपनी मम्मी के गोदी में चलता है , इसलिए चिड़ियाघर में उसके लिए टिकट नहीं लगता। मम्मी – पापा ने अपना टिकट लिया और वह तीनों मिलकर चिड़ियाघर के अंदर चले। अमन ने चिड़ियाघर के अंदर देखा एक तालाब है उसमें ढेर सारे बत्तख और बगुला तैर रहे हैं।  उसे बहुत ही अच्छा लगा फिर उसने देखा एक बंदर है। वह छोटे-छोटे बंदरों को खिला रहा है , और उसके पीछे छोटे – छोटे बंदर भाग रहे हैं। वह उसके पापा होंगे। अमन ने फिर आगे एक भालू को देखा एक जिराफ  को देखा और ढेर सारे  शेर  को भी देखा वह तेज-तेज चिल्ला रहा था , छोटे-छोटे बच्चे डर कर भाग रहे थे।

फिर  चिंटू ने देखा एक हाथी का झुंड वहां पर खड़ा था और उसके छोटे – छोटे बच्चे भी वहां पर थे। वह आपस में खेल रहे थे और इस तमाशे को वहां खड़े ढेर सारे बच्चे देख रहे थे। अमन भी खड़ा हुआ और और हाथी के झुंड को दिखने लगाओ जब वहां से चले तो अमन अपनी मम्मी के गोदी में नहीं चल रहा था।

अमन ने देखा वहां छोटे-छोटे बच्चे आए हैं।

वह अपने पैर पर चल रहे थे कोई भी अपने मम्मी – पापा के गोदी में नहीं चल रहा था।

इस पर अमन  भी अपने छोटे-छोटे पैरों से चलने लगा इस पर अमन के मम्मी – पापा को बहुत खुशी हुई क्योंकि अब उसका बेटा चलना सीख रहा था।

अमन चिड़ियाघर में रेलगाड़ी से भी शैर  की और ऊंट की सवारी भी की।

  बच्चे अनुकरण से सीखते है , बच्चों के मन के विकास के लिए उन्हें दुनिया का रूप दिखाना चाहिए।

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7. हिरण का बच्चा – Hindi panchatantra stories

This is the seventh story of this hindi panchatantra stories collection.

एक जंगल में हिरण का परिवार रहता था। उस हिरण  एक प्यारा सा सुंदर सा बच्चा था। एक दिन खरगोश से दौड़ हुई , हिरण का बच्चा खरगोश से आगे भागने लगा। वह जंगल पार कर गया , खेत पार कर गया , नदी भी पार कर गया , पर पहाड़ पार नहीं कर पाया।

चट्टान से टकराकर गिर गया और जोर – जोर से रोने लगा।

बंदर ने उसकी टांग सहलाई पर चुप नहीं हुआ।फिर  भालू   दादा ने गोद में उठा कर खिलाया उससे भी चुप नहीं हुआ।और  सियार ने नाच किया उससे भी चुप नहीं हुआ , फिर हिरण की मां आई उसने उसे प्यार किया और कहा चलो उस पत्थर की पिटाई करते हैं। हिरण का बच्चा बोला नहीं ! वह भी रोने लगेगा।

उसके बाद मां हंसने लगी बेटा हंसने लगा , बंदर हंसने लगा , भालू हंसने लगा सब हंसने लगे।

बालकों में संवेदना बड़ों से अधिक होती है। उसे बढ़ावा दे।

Child is more powerful in terms of emotions then elders. So do not underestimate feelings and emotions of kids. They could talk more genius than others.

8. मित्र की आवश्यकता ( तीन कछुओं की कहानी )

एक तालाब में तीन कछुए थे। दो कछुए आपस में खूब लड़ाई करते थे। तीसरा कछुआ समझदार था , वह इन दोनों के लड़ाई में नहीं पड़ता था। एक दिन की बात है लड़ाई करने वाले कछुए में से एक पत्थर से गिरकर उल्टा हो गया था। कछुए का पैर आसमान की ओर था और पीठ जमीन पर लगी हुई थी। उस कछुए ने काफी प्रयत्न किया किंतु वह सीधा नहीं हो पाया। आज उसे पछतावा हो रहा था उसने जीवन में लड़ाई – झगड़े के अलावा और किया ही क्या था। उल्टा हुए उसे काफी समय हो गया कोई भी उसके पास नहीं आया।

तालाब में दोनों कछुए इंतजार कर रहे थे।

काफी समय बीत जाने के बाद भी जब वह तालाब में नहीं आया। दोनों कछुओं को संदेह हुआ। दोनों कछुए  ने ढूंढने का मन बनाया और तालाब से बाहर निकलकर उस की खोज करने लगे। तालाब से कुछ दूर एक पत्थर था , उसके उस पर वह कछुआ उल्टा गिरा हुआ था। दोनों कछुए दौड़ते हुए गए और उसे सीधा करके हालचाल पूछने लगे। वह कछुआ अपने किए पर शर्मिंदा था। जोर – जोर से रोने लगा और दोनों से फिर कभी लड़ाई न करने की बात कहकर माफी मांगने लगा।

तबसे तीनों कछुए तालाब में दोस्त बनकर रहने लगे।

एक दूसरे के साथ फिर कभी लड़ाई नहीं करते थे। क्योंकि उन्हें मालूम हो गया था कि एक – दूसरे की सहायता के बिना उनका जीना मुश्किल है।

नैतिक शिक्षा

अपने आसपास के लोगों से बैर नहीं करना चाहिए , क्योंकि समय पड़ने पर वही काम आते हैं।

Moral of this Panchtantra ki kahani

We should learn to cooperate and coordinate with others to maintain friendship. Because in problems our friends are first tohelp us out.

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25 thoughts on “7 Best Hindi Panchatantra stories – पंचतंत्र की कहानियां”

Very nicely written hindi panchtantra stories by the writer. I will suggest you write more stories.

Thanjs suresh mehta. We are improving and adding more stories in our website. You can read them in the latest posts section.

who wrote these stories?

The name of the writer is Nishikant himself. He has written all the stories.

If you want to add more Panchatantra stories then you can send us your article at our email address. We will add after review.

Thank you so much for these panchtantra stories. I am a big fan of your website.

आपको कहानिया पसंद आयी इस बात की हमें बहुत ख़ुशी है। आप अन्य कहानियां भी अवश्य पढ़ें। हिंदी स्टोरीज केटेगरी में सभी कहानिया उपलब्ध हैं। धन्यवाद।

Please add more stories of Panchatantra. Otherwise, these stories are very good and I loved them.

Thank you Tripti. We will add more Hindi Panchatantra stories in the future for sure.

मुझे दूसरी वाली कहानी सबसे ज्यादा पसंद आई। मैं चाहता हूं कि आप और भी पंचतंत्र की कहानियां अपने पोस्ट में जोड़ें। आपने जो बीच में फोटो लगाया है वह भी मुझे बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद

धन्यवाद देवेश जी। हम कोशिश करेंगे कि और भी कहानियां जोड़ पाए।

Nice stories please add more stories like this

सभी पंचतंत्र की कहानियां बहुत अच्छे तरीके से लिखी गई है जिसे पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा। कृपया और इसी प्रकार की कहानी जोड़ने का प्रयत्न करें। मैंने आपके पोस्ट को शेयर भी किया है।

Give pictures also with stories

बेहतरीन कहानियां पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. पंचतंत्र की कहानियां मुझे पढ़ना बहुत अच्छा लगता है क्योंकि उसके अंदर नैतिक शिक्षा छुपी होती है और आपने नैतिक शिक्षा को बहुत ही अच्छी तरीके से प्रदर्शित किया है. कृपया हो सके तो और पंचतंत्र की कहानियां जरूर लिखें.

हमें यह जानकर खुशी हुई कि आपको यह सभी पंचतंत्र की कहानियां बहुत अच्छे लगे. हम जरूर प्रयास करेंगे कि यहां पर और भी कहानियां लिखें. आप हमसे इसी प्रकार जुड़े रहे

मुझे यह सभी पंचतंत्र की कहानियां बहुत अच्छी लगी. मैं शुरू से ही पंचतंत्र की कहानियां पढ़ने का शौक रखता हूं और आपके इस वेबसाइट पर मुझे मेरे मनपसंद की कहानियां मिली है. आपको यह सभी कहानियां लिखने के लिए मैं बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं.

जो भी पंचतंत्र की कहानियां आपने यहां पर लिखी है मुझे सभी के सभी पसंद आए. मेरा आपसे अनुरोध है कि आप एक संग्रह बनाएं जिसमें सभी पंचतंत्र की कहानियां सम्मिलित हो और हम एक ही जगह पर सब कुछ पढ़ सकें.

I love Panchtantra stories since childhood. You have completely covered every aspect and very well described the moral of every Panchatantra story.

sab new kahani hai super

मुझे बचपन से ही पंचतंत्र की कहानियां पढ़ना और दूसरे लोगों को सुनाना अच्छा लगता है, आपसे अनुरोध है कि आप अन्य कहानियां भी जरूर प्रकाशित करें तथा अगर हो सके तो वीडियो भी जरूर बनाएं।

हमेशा से ही ये पंचतंत्र की कहानियां मेरी पसंदीदा रही हैं, बहुत ही मजेदार कहानियाँ हैं.

This was really nice Panchatantra story

This story was superb Can you please say me the name of writer Actually am writing it in my FA book

Please reply fast Thank you

The writer name is Nishikant ( Owner of Hindivibhag )

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10 Lines Short Stories with Moral in Hindi | 10 लाइन की कहानी

आज हम बच्चों के लिए छोटी-छोटी कहानियां लेकर आये हैं जो की बच्चों के लिए शिक्षाप्रद होंगी। 10 Lines Short Stories with Moral in Hindi के इस पोस्ट में हमने कई सारी 10 लाइन की कहानी moral के साथ दी है। ये कहानियां सुनने में मजेदार तो हैं ही इसके साथ ही ये बच्चों को अच्छी शिक्षा भी देती हैं। हमें उम्मीद है की आपको ये छोटी शिक्षाप्रद कहानियां पसंद आएंगी।

10 Lines Short Stories with Moral in Hindi

10 Lines Short Stories with Moral in Hindi

आइये अब हम बच्चों को शिक्षा देने वाली 10 ऐसी छोटी छोटी कहानियां पढ़ते हैं जो की 10 लाइन में लिखीं गयी हैं। बच्चों को कहानी सुनाने के बाद उससे मिलने वाली सीख के बारे में भी बच्चों को जरुर बताएं। हर कहानी के निचे Moral लिखी गयी है उसे जरुर पढ़ें।

मेहनती चींटी और आलसी टिड्डा

  • एक बार की बात है, एक खेत में एक चींटी और एक टिड्डा रहते थे।
  • चींटी हर दिन कड़ी मेहनत करती थी, भोजन इकट्ठा करती थी और उसे सर्दियों के लिए जमा करती थी।
  • दूसरी ओर टिड्डा भविष्य के बारे में न सोचते हुए अपना पूरा दिन खेलने और गाने में व्यतीत करता था।
  • एक दिन टिड्डे ने चींटी को कड़ी मेहनत करते हुए देखा और उससे पूछा कि जब खेत में खाने के लिए बहुत कुछ है तो वह भोजन क्यों जमा कर रही है।
  • चींटी ने उत्तर दिया, “मैं सर्दियों के लिए भोजन का भंडारण कर रही हूँ, ताकि जब भोजन की कमी होगी तो मेरे पास खाने के लिए पर्याप्त खाना होगा।”
  • टिड्डा हंसा और बोला, “इतनी मेहनत करके अपना समय क्यों बर्बाद करते हो? आओ और मेरे साथ खेलो!”
  • चींटी कड़ी मेहनत करती रही, जबकि टिड्डा पूरे दिन खेलता और गाता रहा।
  • जैसे-जैसे सर्दियाँ आने लगीं, टिड्डे को एहसास हुआ कि उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं है, जबकि चींटी के पास बहुत सारा खाना जमा है।
  • टिड्डे को अपने आलस्य पर शर्म आने लगी और वह चींटी के पास खाना मांगने गया।
  • चींटी ने टिड्डे को माफ कर दिया और अपना भोजन साझा किया, लेकिन उसे कड़ी मेहनत करने और भविष्य के लिए योजना बनाने के महत्व की याद दिलाई।

शिक्षा: कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में सफलता के लिए कड़ी मेहनत और तैयारी महत्वपूर्ण है। हमेशा मौज-मस्ती और मनोरंजन से अपना समय बर्बाद नही करना चाहिए और भविष्य के लिए योजना बनानी चाहिए।

अहंकारी राजा और गरीब आदमी – Short Story in Hindi

  • एक राजा था जो बहुत घमंडी था और सोचता था कि वह सबसे अच्छा है।
  • वह अक्सर अपने धन और शक्ति पर घमंड करता रहता था, और अपनी प्रजा को हेय दृष्टि से देखता था।
  • एक दिन राजा बाजार में टहल रहा था और उसने एक गरीब आदमी को भीख मांगते देखा।
  • राजा ने उस आदमी को अनदेखा किया और चलता रहा।
  • गरीब आदमी ने राजा को पुकारा और कहा, “महाराज, मैं गरीब हो सकता हूँ, लेकिन मेरे पास कुछ ऐसा है जो आपके पास नहीं है।”
  • राजा को आश्चर्य हुआ और उसने गरीब आदमी से पूछा कि उसके पास ऐसा क्या है जो राजा के पास नहीं है।
  • गरीब आदमी ने जवाब दिया, “मेरे पास लोगों का प्यार और सम्मान है। जिसे कोई भी धन या शक्ति नहीं खरीद सकती।”
  • राजा गरीब आदमी की बातों का अर्थ उसे समझ आ गया और उसे अपने घमंडी स्वभाव पर अफ़सोस हुआ।
  • उस दिन से, राजा ने अपनी प्रजा के साथ अधिक सम्मान और दया के साथ व्यवहार करना शुरू कर दिया।
  • राजा ने सीखा कि सच्ची महानता धन या शक्ति से नहीं, बल्कि दूसरों के प्यार और सम्मान से मापी जाती है।

शिक्षा: कहानी का सार यह है कि अहंकार और अभिमान हमें अपनी कमियों के प्रति अंधा बना सकता है और हमें दूसरों में मूल्य देखने से रोक सकता है। सच्ची महानता को भौतिक संपत्ति या सामाजिक स्थिति से नहीं मापा जाता है, बल्कि जिस तरह से हम दूसरों के साथ दया और सम्मान के साथ पेश आते हैं।

गोलू बना स्वार्थी से दयालु – 10 line short story in Hindi

  • एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में गोलू नाम का एक लड़का रहता था।
  • गोलू बहुत ही स्वार्थी था और वह सिर्फ अपने बारे में सोचता था।
  • एक दिन, गोलू एक बूढ़े व्यक्ति से मिला, जो रास्ता भटक गया था और उसे अपने घर का रास्ता खोजने में मदद की जरूरत थी।
  • अपने स्वार्थी स्वभाव के बावजूद, गोलू ने बूढ़े व्यक्ति की मदद करने का फैसला किया।
  • अपनी यात्रा के दौरान, बूढ़े व्यक्ति ने गोलू के साथ अपने जीवन की कहानियों और अनुभवों को साझा किया।
  • गोलू बूढ़े आदमी की दयालुता से द्रवित हो गया।
  • उसने महसूस किया कि दूसरों की मदद करने से उसे खुशी और संतुष्टि मिलती है, और उसने अपने तरीके बदलने शुरू कर दिए।
  • अब गोलू का स्वभाव पूरी तरह से बदल गया था।
  • गोलू एक दयालु और निस्वार्थ व्यक्ति के रूप में जाना गया और गाँव में हर कोई उनसे प्यार करता था।
  • बूढ़े व्यक्ति को आखिरकार अपने घर का रास्ता मिल गया, लेकिन गोलू पर उसका प्रभाव जीवन भर रहा।

Moral: कहानी की सीख यह है कि दयालु होना और दूसरों की मदद करना लोगों के जीवन में खुशियाँ ला सकता है और व्यक्ति को बेहतर इंसान बनने में मदद कर सकता है।

ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है – Short Story in Hindi for Kids

  • एक बार की बात है, एक गाँव में लिली नाम की एक लड़की रहती थी।
  • लिली को झूठ बोलने और लोगों को परेशान करने की आदत थी।
  • एक दिन, उसने लोगों को परेशान करने के लिए अपने पड़ोसी के बारे में झूठ बोला।
  • लेकिन उसका झूठ पकड़ा गया।
  • गाँव वाले उससे नाराज थे और कोई भी उसका दोस्त नहीं बनना चाहता था।
  • लिली को अपनी गलती का एहसास हुआ, लिली ने सच कबूल कर माफ़ी मांगने का फैसला किया।
  • गांव वाले उसकी ईमानदारी से प्रभावित हुए और उसे माफ कर दिया।
  • लिली ने सीखा कि परिस्थिति कितना भी कठिन हो हमेशा सच बोलना चाहिए।
  • वह ईमानदारी का जीवन जीने लगी और एक भरोसेमंद व्यक्ति के रूप में जानी जाने लगी।
  • गाँव के लोग उसकी ईमानदारी के लिए उसका सम्मान और प्रशंसा करते थे।

Moral: कहानी से शिक्षा मिलती है कि ईमानदारी हमेशा सबसे अच्छी नीति है और सच्चा होकर व्यक्ति दूसरों से सम्मान और विश्वास प्राप्त कर सकता है।

लालची राजा – Short Story in Hindi with Moral

  • एक बार की बात है, एक लालची राजा था जो धन और संसाधनों का संग्रह करता था।
  • राज्य में प्रजा गरीबी और भुखमरी से पीड़ित थी, जबकि राजा विलासिता का जीवन व्यतीत करता था।
  • एक दिन, एक बुद्धिमान ऋषि राज्य में आए और राजा को अपने कार्यों के परिणामों के बारे में बताया।
  • ऋषि ने समझाया कि राजा का लालच राज्य के पतन का कारण बनेगा।
  • राजा ने ऋषि की बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपने लालची तरीके से चलता रहा।
  • आखिरकार, राज्य पर एक प्राकृतिक आपदा आ पड़ी, धन संपत्तियां नष्ट हो गयीं।
  • राज्य को भारी नुकसान हुआ और लोग राजा के खिलाफ हो गए।
  • राजा के पास कुछ भी नहीं बचा था, और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
  • उसने अपने तरीके बदलने और अपने राज्य में लोगों की मदद करने का फैसला किया।
  • राजा के कार्यों ने उसे अपने लोगों का प्यार और सम्मान अर्जित किया और राज्य एक बार फिर समृद्ध हुआ।

Moral: कहानी से शिक्षा मितली है कि लालच से विनाश होता है, लेकिन दया और करुणा से समृद्धि और खुशी आती है।

लोमड़ी और अंगूर – 10 Line Moral Story in Hindi

  • एक तपती गर्मी के मौसम में एक दिन, एक भूखा लोमड़ी भोजन की तलाश में जंगल में भटक रही थी।
  • लोमड़ी ने एक बेल पर ऊंचाई में लटकते हुए पके हुए रसीले अंगूरों का एक गुच्छा देखा।
  • अंगूरों को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया।
  • वह उन्हें पकड़ने की कोशिश करने के लिए उछल पड़ी।
  • अंगूर बहुत ही ऊंचाई पर थे इसलिए लोमड़ी उस तक पहुँच नही पा रही थी।
  • लोमड़ी ने बार-बार कोशिश की, जितना हो सके उतनी ऊंची छलांग लगाई, लेकिन अंगूर तक नही पहुँच सकी।
  • कई प्रयासों के बाद, लोमड़ी थक गई और निराश हो गई।
  • लोमड़ी अपने आप से यह कहते हुए वहां से दूर चली गई, “वे अंगूर वैसे भी खट्टे थे। और मुझे खट्टे अंगूर पसंद नही है।”
  • लेकिन लोमड़ी वास्तव में निराश और असंतुष्ट महसूस कर रही थी।
  • उसे इतनी आसानी से हार मानने का पछतावा होने लगा, और सोचने लगी की काश उसने अंगूरों तक पहुँचने के लिए और अधिक मेहनत की होती।

Moral / शिक्षा: कहानी से सिक्षा मिलती है कि कभी-कभी जिन चीज़ों की हम इच्छा करते हैं वे आसानी से प्राप्त नहीं होते हैं, और हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता होती है।

कछुआ और खरगोश – Short Moral story in Hindi

  • एक बार एक घमंडी खरगोश ने धीमी गति से चलने वाले एक कछुए को दौड़ के लिए चुनौती दी।
  • खरगोश कछुए पर हँसा और बोला, “दौड़ में तुम मुझे हरा नहीं सकते। मैं जंगल का सबसे तेज़ जानवर हूँ!”
  • कछुआ ने दौड़ के लिए खरगोश के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
  • दौड़ शुरू हुई, और खरगोश तेजी से आगे निकल गया, और कछुआ काफी पीछे रह गया।
  • अपनी गति पर आत्मविश्वास होने की वजह से खरगोश ने दौड़ के बीच में झपकी लेने का फैसला किया।
  • इस बीच, कछुआ लगातार आगे बढ़ता रहा, कभी रुका या धीमा नहीं हुआ।
  • जब खरगोश उठा, तो उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि कछुआ लगभग समाप्ति रेखा पर पहुँच चुका था।
  • खरगोश जितनी तेजी से दौड़ सकता था दौड़ा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी – कछुआ दौड़ जीत चुका था।
  • अति आत्मविश्वास और दूसरों को कम आंकने के बारे में खरगोश ने एक मूल्यवान सबक सीखा।
  • कछुआ धीमा होने के बावजूद दृढ़ता और दृढ़ संकल्प के माध्यम से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम था।

शिक्षा: कहानी का सार यह है कि हमें अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहना और आगे बढ़ते रहना चाहिए, भले ही प्रगति धीमी हो। अति आत्मविश्वास और दूसरों को कम आंकना विफलता का कारण बन सकता है, और यह महत्वपूर्ण है कि सभी के साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाए और उनकी ताकत और क्षमताओं को स्वीकार किया जाए।

चरवाहा और भेड़िया – 10 Line story in Hindi

  • एक बार की बात है, एक छोटा लड़का था जो अपनी भेड़ों के साथ एक गाँव में रहता था।
  • एक दिन लडके को गाँव वालों के साथ मस्ती करने की सूझी।
  • वह चिल्लाते हुए गाँव में भागा, “भेड़िया! भेड़िया! एक भेड़िया मेरी भेड़ों पर हमला कर रहा है!”
  • लड़के के चिल्लाने से भयभीत गाँव वाले उसकी सहायता के लिए दौड़े, लेकिन पाया कि वहां कोई भेड़िया नहीं था।
  • लड़का अपने मज़ाक पर हँसा और अपनी भेड़ों को चराने के लिए वापस चला गया।
  • तभी से लड़के को झूठा कहा जाने लगा और उसने अपने गांव का भरोसा खो दिया।
  • कुछ दिनों बाद फिर से लड़का भागते हुए गाँव वालों के पास आया और चिल्लाया “भेड़िया! भेड़िया! एक भेड़िया मेरी भेड़ों पर हमला कर रहा है!”।
  • गाँव वाले, पिछली घटना को याद करके, लड़के पर विश्वास करने में हिचकिचा रहे थे और उसकी सहायता के लिए नहीं आए।
  • लेकिन इस बार वास्तव में एक भेड़िया भेड़ों पर हमला कर रहा था, लेकिन लड़के की मदद करने के लिए कोई नहीं आया।
  • लड़के को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने झूठ बोलने और दूसरों को गुमराह करने का परिणाम देख लिया था।

शिक्षा: कहानी का सार यह है कि झूठ बोलने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसलिए हमें हमेशा सच बोलना चाहिए। झूठ बोलना हमारी प्रतिष्ठा और रिश्तों को नुकसान पहुँचा सकता है, और ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के माध्यम से दूसरों के साथ विश्वास बनाना महत्वपूर्ण है।

बूढी महिला और घी का डिब्बा

  • गाँव के एक घर में एक बूढी महिला रहती थी।
  • वह बहुत गरीब थी और उसके पास धन की कमी थी।
  • उसके दो बेटे भी शहर में काम करते थे लेकिन उसे ध्यान नहीं देते थे।
  • दीपावली के समय उसने सोचा कि वह भी कुछ कमाने की कोशिश करेगी।
  • उसने बच्चों से थोड़े पैसे मांगे और उससे घी खरीद कर ले आई।
  • उसने घर में रखी लकड़ी से छोटा-छोटा डिब्बा बनाया और उसमें घी डाल दिया।
  • अगले दिन वह बॉक्स बेचने शहर गई। लोगों ने उसे डिब्बा के लिए अच्छी कीमत दी।
  • वह उस पैसे से और बॉक्स बनाने लगी। धीरे-धीरे उसका बिजनेस बढ़ता गया और उसके बच्चे उसकी मदद करने लगे।
  • उसकी कमाई बढ़ती गई और उसे समृद्धि मिली।
  • इससे वह खुश रहने लगी और उसके बच्चे भी उसे सम्मान देने लगे।

Moral : इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करनी चाहिए और कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।

सच्ची खुशी की तलाश – 10 लाइन की कहानी

  • एक बार की बात है, महेश नाम का एक युवा राजकुमार था। महेश एक धनी परिवार में पैदा हुआ था और उसके पास वह सब कुछ था जो वह चाहता था।
  • फिर भी वह दुखी और बेचैन था। एक दिन, महेश ने अपने महल को छोड़ने और सच्ची खुशी की तलाश में दुनिया की यात्रा करने का फैसला किया।
  • वह एक लंबी यात्रा में निकला और कई स्थानों पर गया और कई लोगों से मिला, लेकिन उसे अभी भी वह नहीं मिला जिसकी उसे तलाश थी।
  • आखिरकार, वह एक गरीब किसान के संपर्क में आया, जिसका जीवन सरल लेकिन संतुष्ट था।
  • किसान के पास एक छोटा सा परिवार, एक छोटा लेकिन आरामदायक घर और उनके जीने के लिए पर्याप्त भोजन था।
  • महेश किसान की खुशी से चकित था और उससे पूछा कि वह इतने कम संसाधनों में इतना संतुष्ट कैसे रहता है।
  • किसान ने उत्तर दिया, “खुशी सब कुछ पा लेने में नहीं है। सच्ची ख़ुशी तब मिलती है जब आप अपने पास जो भी है उसका सम्मान करते हैं और उसके लिए कृतज्ञ (आभारी) होते हैं।”
  • महेश ने महसूस किया कि वह गलत जगहों पर खुशी की तलाश कर रहा था और उसने घर लौटने का फैसला किया।
  • जब वह महल में लौटा, तो वह जीवन की साधारण चीजों का भी सम्मान करने लगा, वह अपने परिवार के साथ समय बिताने लगा और दूसरों की मदद करने लगा।
  • महेश की नई खुशी और संतोष पूरे राज्य में फैल गया, और वह देश में सबसे खुश राजकुमार के रूप में जाना जाने लगा।

शिक्षा: कहानी का सार यह है कि भौतिक संपत्ति में सच्चा सुख नहीं पाया जा सकता है। यह हमारे पास जो कुछ है उसके लिए आभारी होने और जीवन में साधारण चीजों में खुशी ढूँढने में सच्ची ख़ुशी मिलती है।

  • हंसाने वाली पहेलियां
  • Paheliyan with Answer in Hindi

हमें उम्मीद है की ये 10 लाइन की कहानियां (10 Lines Short Stories with Moral in Hindi) आपको पसंद आई होंगी। आप इस बारे में अपने विचार या सुझाव निचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं।

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