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LemonGrass Farming Business Idea: इस 'घास' की खेती से हर साल होती 4 लाख रुपये तक की इनकम, बस एक बार उगाओ और 6 साल तक कमाओ!

Lemongrass farming business idea: अगर आप लेमनग्रास यानी नींबू घास की खेती (how to do lemongrass farming) करते हैं, तो आपको तगड़ा मुनाफा हो सकता है। इसमें अगर 6 साल का औसत लिया जाए तो हर साल आपका अधिक से अधिक 50 हजार का खर्च (cost of lemongrass farming) होगा और 4 लाख रुपये की कमाई (profit in lemongrass farming) होगी। यानी लगभग 3.5 लाख रुपये का मुनाफा। अब भारत से लेमनग्रास का निर्यात भी होता है, जिसका पहले आयात करना पड़ता था।.

lemongrass farming business idea how to do lemongrass farming and what are its benefits now india exporting instead importing

भारत में लेमनग्रास का कितना बड़ा बिजनस?

भारत में लेमनग्रास का कितना बड़ा बिजनस?

मौजूदा वक्त में भारत में हर साल करीब 1000 टन लेमग्रास का उत्पादन होता है। इसमें से 300-400 टन का तो निर्यात ही कर दिया जाता है। अरोमा मिशन मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन के साथ तालमेल बिठाते हुए काम करता है। अरोमा मिशन के चलते बहुत सारे ऐसे किसानों ने भी लेमनग्रास की खेती शुरू कर दी है, जो अभी तक सिर्फ परंपरागत खेती ही किया करते थे। इससे किसानों को तगड़ा मुनाफा हो रहा है, जिसके चलते अधिक से अधिक किसान इससे जुड़ रहे हैं। लेमनग्रास को नींबू घास भी कहा जाता है। लेमनग्रास की खेती से आप सिर्फ एक हेक्टेयर (करीब ढाई एकड़) से ही साल भर में लगभग 3.5 लाख रुपये तक का मुनाफा हो सकता है।

कितना खर्च आता है लेमनग्रास की खेती में?

कितना खर्च आता है लेमनग्रास की खेती में?

अगर एक हेक्टेयर का अनुमान लेकर चलें तो लेमनग्रास की खेती में शुरुआत में 30 से 40 हजार रुपये की लागत आ जाती है। इसकी पहली फसल करीब 6 महीने में काटने लायक हो जाती है और उसके बाद साल में 4-5 बार आप इसकी फसल काट सकते हैं। एक बार लगाने के बाद आपको 5-7 साल तक दोबारा इसे लगाने की जरूरत नहीं होती। अगर औसत 6 साल मान लें, तो लागत को एक साल की लागत (40,000/6) करीब 7 हजार आती है।

20 हजार की लागत में 3.5 लाख का मुनाफा!

20 हजार की लागत में 3.5 लाख का मुनाफा!

एक हेक्टेयर से 12-13 टन घास निकलती है। अगर पहली बार को छोड़ दें तो दूसरी कटाई से हर साल करीब 5 बार फसल काटी जा सकती है यानी साल भर में लगभग 60-65 टन घास। एक टन से करीब 5 लीटर तेल निकलता है यानी एक हेक्टेयर से साल भर में लगभग 300-325 लीटर तेल मिल जाएगा। प्रति लीटर तेल की कीमत करीब 1200-1500 रुपये प्रति होती है, यानी 4 लाख से 5 लाख रुपये तक की कमाई। वहीं आपका खर्च सालाना 7 हजार रुपये लगा था। अगर इसमें सिंचाई, लेबर से कटाई, साल में 3-4 बार निराई-गुड़ाई का खर्च भी जोड़ लें तो अधिक से अधिक 50 हजार रुपये का खर्च होंगे। यानी सिर्फ 50 हजार रुपये की लागत में 4 लाख रुपये तक की कमाई वाला बिजनस। मतलब सिर्फ मुनाफा 3.5 लाख रुपये का होगा। हालांकि, अगर जमीन आपकी अपनी नहीं है और आपके पास तेल निकालने की मशीन नहीं है तो आपका मुनाफा थोड़ा कम हो जाएगा।

लेमनग्रास की खेती के हैं कई फायदे

लेमनग्रास की खेती के हैं कई फायदे

इस खेती का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये सूखे इलाकों में भी अच्छी पैदावार दे देती है। इसे बहुत अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। साल में 3-4 बार निराई-गुड़ाई काफी होती है। अगर पैदावार अच्छी और घनी हो जाती है तो निराई-गुड़ाई का खर्च और भी कम हो जाता है। इसमें रोपाई करने से पहले ही खाद डाली जाती है, उसके बाद खाद डालने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। वहीं इस फसल में रोग भी बहुत ही कम लगते हैं, जिस वजह से इसमें कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना होता है। इस फसल की सबसे अच्छी बात ये है कि इसे जंगली जानवर भी नहीं खाते, क्योंकि पत्तियों का स्वाद कड़वा होता है। यानी देखा जाए तो बस रोपाई कर के बैठ जाओ और फिर सीधे कटाई करने जाओ, ये फसल कुछ ऐसी ही है। वहीं कटाई भी 5 साल तक हर साल 5-6 बार करते रहो।

कैसे निकाला जाता है इससे तेल?

कैसे निकाला जाता है इससे तेल?

लेमनग्रास के तेल निकालने के लिए उसे एक बड़े कंटेनर में भरा जाता है, जिसमें नीचे पानी भरा होता है। इसे नीचे से गर्म किया जाता है। जब पानी गर्म होता है तो भाप बनकर ऊपर जाता है और पत्तियों में से तेल भी अपने साथ लेता हुआ जाता है। इस भाप को बाद में ठंडा कर लिया जाता है। तेल हल्का होता है, जो ऊपर जमा हो जाता है और पानी नीचे जमा हो जाता है। इसके बाद आप तेल को बाजार में बेच सकते हैं।

कई फायदे होते हैं लेमनग्रास से

कई फायदे होते हैं लेमनग्रास से

लेमनग्रास से एक नहीं बल्कि कई फायदे होते हैं। इसका सबसे अधिक इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स बनाने में होता है। वहीं सुंगधित एरोमा आदि में भी ये तेल खूब इस्तेमाल होता है। कुछ कंपनियां अपने साबुन और डिटरजेंट में इसे इस्तेमाल करती हैं। दवाओं के व्यापारी भी लेमनग्रास की अच्छी कीमत देकर उसे खरीदते हैं। देखा जाए तो आपको इसके खरीदार ढूंढने नहीं पड़ते। बल्कि अगर किसी को पता चल जाए कि आप लेमनग्रास की खेती कर रहे हैं तो वह खुद आपके पास तेल लेने पहुंच जाएगा।

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Lemon grass business idea: परंपरागत खेती की जगह आपको औषधीय पौधे से अच्छी कमाई हो सकती है। इसे कम पानी पर भी उगाया जा सकता है।.

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Updated Aug 25, 2023, 12:37 IST

lemon grass farming

किसान औषधीय और हर्बल पौधों की खेती भी करने लगे हैं।

कैसी होनी चाहिए मिट्टी और जलवायु

लेमन ग्रास के फायदे, लेटेस्ट न्यूज.

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लेमन ग्रास की खेती कैसे करें? यहां जानें | lemon grass farming in hindi

इन दिनों लेमन ग्रास की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। लेमन ग्रास को नींबू घास, चायना ग्रास और मालाबार घास आदि कई नामों से जाना जाता है।.

नींबू घास की खेती से लाखों का मुनाफा! यहां जानें, लेमन ग्रास की खेती का तरीका

lemon grass farming in hindi: इन दिनों लेमन ग्रास की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। लेमन ग्रास को नींबू घास , चायना ग्रास और मालाबार घास आदि कई नामों से जाना जाता है। इसकी पत्तियों से नींबू की तरह सुगंध आती है। कई औषधीय गुणों से भरपूर लेमन ग्रास की पत्तियों का उपयोग चाय बनाने में भी किया जाता है।

आपको बता दें, लेमन ग्रास के पौधे से सिट्रल (citral) नामक तेल प्राप्त किया जाता है। इससे औषधियों के निर्माण के साथ इत्र, साबुन और कई तरह के सौंदर्य प्रसाधन तैयार किए जाते हैं। 

आपको बता दें, भारत सरकार एरोमा मिशन (aroma mission) के तहत नींबू घास की खेती (lemon grass farming) को बढ़ावा दे रही है। कम लागत के लिए आप इस मिशन का लाभ ले सकते हैं। पौधों की तेजी से वृद्धि होने के कारण एवं अधिक मूल्य पर बिक्री होने के कारण लेमन ग्रास की खेती (lemon grass farming) किसानों के लिए बहुत लाभदायक है। नींबू घास की खास बात है कि इसे सूखाग्रस्त इलाकों में भी लगाया जा सकता है। 

तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में जानें- लेमन ग्रास (नींबू घास) की खेती कैसे करें?

लेमन ग्रास की खेती (nimbu ghas ki kheti) पर एक नज़र

  • लेमन ग्रास के पत्ते लंबे और हरे रंग के होते हैं।
  • हमारे देश में प्रतिवर्ष लगभग 1000 मेट्रिक टन लेमन ग्रास का उत्पादन होता है।
  • एक एकड़ की खेती से लेमनग्रास के पौधे से तकरीबन 5 टन तक पत्तियां निकलती हैं।
  • लेमन ग्रास में विटामिन और मिनरल होने के कारण यह इम्यून सिस्टम को भी बढ़ाता है।
  • इसकी पत्तियों से नींबू जैसे सुगंध आती है इसलिए इसका नाम लेमन ग्रास (नींबू घास) रखा गया है।
  • एक बार पौधा लगाने के बाद किसान को लगभग 5-6 साल तक इससे उत्पादन ले सकते हैं। 

लेमन ग्रास की उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

लेमन ग्रास (नींबू घास) की खेती लगभग सभी तरह की उपजाऊ मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। परन्तु पौधों के विकास के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है। जल भराव वाली भूमि में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इसकी खेती कर के बेहतर पैदावार प्राप्त किया जा सकता है।

नींबू घास की खेती (nimbu ghas ki kheti) के लिए उष्ण एवं समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। पौधों को धूप की आवश्यकता अधिक होती है। इससे पौधों में तेल की मात्रा बढ़ती है। लेमन ग्रास के पौधे न्यूनतम 15 डिग्री सेंटीग्रेड एवं अधिकतम 40 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान सहन कर सकते हैं।

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नींबू घास की खेती का उन्नत तरीका

लेमन ग्रास की खेती (nimbu ghas ki kheti) के लिए फरवरी से जुलाई तक का समय उपयुक्त है। लेमन ग्रास की खेती बीज और कलम की रोपाई के द्वारा की जाती है। इसके अलावा स्लिप विधि से भी इसकी खेती की जाती है। इस विधि में पुराने पौधों की जड़ों की रोपाई कर के पौधे तैयार किए जाते हैं।

लेमन ग्रास की खेती का सही तरीका

नींबू घास की खेती (nimbu ghas ki kheti) बीज के साथ पौधों के कलम की रोपाई के द्वारा भी की जा सकती है। बीज के द्वारा खेती करने के लिए सबसे पहले नर्सरी तैयार करनी होती है। नर्सरी तैयार करने में 2 से 3 महीने का समय लगता है।

नर्सरी में तैयार किए गए पौधों में कम से कम 10 पत्ते होने के बाद पौधों की रोपाई की जा सकती है। यदि पौधों के कलम से रोपाई करनी है तो कलम की रोपाई सीधा मुख्य खेत में कर सकते हैं।

खेत की तैयारी

  • सबसे पहले एक बार गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो जायेंगे।
  • इसके बाद 2 से 3 बार हल्की जुताई करके मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें।
  • पौधों एवं कलम की रोपाई के लिए खेत में क्यारियां तैयार करें।
  • सभी कार्यों के बीच 20 सेंटीमीटर की दूरी रखें।

सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण

  • लेमनग्रास के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
  • नर्सरी में तैयार किए गए पौधे या कलम की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
  • वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
  • गर्मी के दिनों में 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
  • ठंड के मौसम में 12 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
  • खरपतवार पर नियंत्रण के लिए प्रतिवर्ष 2 से 3 बार निराई गुड़ाई करें।

फसल की कटाई

  • एक बार लेमन ग्रास (नींबू घास) की खेती करके करीब 5-7 वर्षों तक फसल प्राप्त किया जा सकता है।
  • पौधों की रोपाई के 90 दिनों बाद फसल पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
  • प्रत्येक वर्ष 4 से 5 बार फसल की कटाई की जा सकती है।
  • पौधों की कटाई भूमि की सतह से 10 से 15 सेंटीमीटर की ऊंचाई से करें।

नींबू घास की प्रमुख किस्में

भारत में लेमन ग्रास (नींबू घास) की कई किस्मों की खेती की जाती हैं। जिनमें प्रगती, प्रामण, ओडी 19, ओडी 408, एसडी 68, आरआरएल 16, आरआरएल 39, सीकेपी 25, कृष्णा, कावेरी शामिल हैं।

ये तो थी, नींबू घास की खेती (nimbu ghas ki kheti) की बात। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेख जरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें। 

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लेमन ग्रास की खेती का बिजनेस कैसे करें? | How to start Lemon Grass farming business In Hindi?

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लेमन ग्रास की खेती का बिजनेस कैसे करें? लेमन ग्रास की खेती के लिए मिट्टी लेमन ग्रास की खेती के लिए जलबायु ? लेमन ग्रास की खेती की कामाई | How to start Lemon Grass farming business In Hindi?

“लेमन ग्रास की खेती का बिजनेस कैसे करें ?”  आज का इस आर्तिक्ले में हाम लेमन ग्रास की खेती का बिज़नेस बारे में चर्चा करेंगे| लेमन ग्रास एक लाभदायक खेती है| लेमन ग्रास से जो तेल निकलता है| उस तेल कॉस्मेटिक्स, साबुन और तेल और दवा बनाने में लागता है| इस कारण से कॉस्मेटिक्स, साबुन और तेल और दवा बनाने बाले कंपनी के पास इस तेल का बहुत जादा मांग रहेता है| और इस कारण से लेमन ग्रास के फार्मिंग दिन के दिन बाड़ रहा है|

लेमन ग्रास की खेती का बिजनेस संभाबना कितना है? ( How Potential of Lemon Grass Farming in Hindi?)

आप अगर क्रिशिकाज में  खुद का एक बिज़नस करना चाहाते है  और आप परम्परा खेती का बिज़नस से तोरा हटके खेती करना चहाते है तो आप लेमन ग्रास को खेती का बिज़नस का रूप में चयन कर सकते है| किउ की  लेमन ग्रास की खेती कोई भी इलाका में हो सकता और इसका बिमारी को प्रोकोप बहुत कम है और उसके साथ साल भर में 5-6 बार फसल ले सकते है| और भारत का और बिदेश का बाजार में इसका बहुत जादा मांग है| आप लेमन ग्रास की खेती का  बिज़नेस  करना चाहते है आप एक सफल ब्यापारी हो सकते है |

लेमन ग्रास भारत से कितना निर्यात होता है? ( How much Lemon Grass export from India in Hindi)

भारत से लेमन ग्रास तेल  का निर्यात 75 से अधिक देशों से किया जाता है। वर्ष 2020-2021 में, भारत से आमेरिका को लगभग 3.45 मिलियन डालर के लेमन ग्रास तेल का निर्यात किया है। यह लेमन ग्रास ऑयल के कुल निर्यात का लगभग 48 है। भारत के लिए लेमन ग्रास का तेल उत्पादन एक लाभदायक बिज़नस है|

लेमन ग्रास की खेती का बिजनेस कैसे करें? (How to start Lemon Grass farming business In Hindi?)

लेमन ग्रास की खेती एक बहुत लाभदायक खेती है | लेमन ग्रास की खेती सही से करने के लिय आपको इस लेमन ग्रास के बारे में सही से जानना चाहिए , लेमन ग्रास की खेती की जलबायु , मिट्टी सारे बिसय में सही जानकारी लेना बहुत जरुरी है | आप इस सारे बिसय को सही जन लेंगे तो आपको इस लेमन ग्रास की खेती का बिज़नस सही से कर पायेंगे |

लेमन ग्रास की खेती का सुबिधा  ( Benefit of Lemon Grass Farming in Hindi)

  • लेमन ग्रास का खेती बहुत इ का खर्चा में हो जाता है|
  • एक लेमन ग्रास के पौदा लगभग 50-75 पैसा के अन्दर मिल जाता है |
  • बाकी फसल की तुलना में  इसमें बीमारी बहुत इ कम आते है|
  • लेमन ग्रास में कीड़े मकोड़े भी बहुत कम आते है| किउकी इसका टेस्ट बहुत कड़बी होता है|  इस कारण से फार्मर को कीटनाशक का खर्चा कम हो जाता है|
  • इसका टेस्ट के बाजे से कोई भी चिड़िया और  जानोयर इसको खाते नही है|
  • और लेमन ग्रास का खेती को देखबाल करने के लिए जादा नजर भी नही देना पड़ता है|
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लेमन ग्रास की खेती के लिए जलबायु ?( Climate of Lemon Grass Farming)

लेमन ग्रास की खेती कोई भी मौसम  और स्थानों में आछे होते है |  लेमन ग्रास  बहुत शुखा स्तानो में भी खेती कर सकते है| लेमन ग्रास  की खेती के लिए जादा सिचाई का भी जरुरत नही पड़ता|  भारत के लघभग सारे राज्य में इस लेमन ग्रास  का खेती हो सकते है| 20-40 डिग्री सन्त्रिग्रेड तापमान में इसका खेती बहुत इ आछे  से होता है |

कोनसा मौसम में लेमन ग्रास  की खेती के लिए आछा है ?( Season and Time of Lemon Grass Farming in Hindi)

लेमन ग्रास का खेती पुरी साल कर सकते है , लेकिन बारिस के शुरू के समय लेमन ग्रास का बिज का बुयाई करना चाहिए|

लेमन ग्रास की खेती के लिए मिट्टी कोनसा आछा है?( Soil of Lemon Grass Farming in Hindi)

लेमन ग्रास की खेती किसी भी प्रकार का मिट्टी में हो सकता है| लेकिन दोमोट मिट्टी में लेमन ग्रास   का खेती सबसे आछी है| लेमन ग्रास का खेती में जल निष्कासन आछा बोंदोबस्त होना चाहिए | अगर मिट्टी में जल जम जाता है  लेमन ग्रास नस्ट हो सकता है|  आछी फलन के लिए मिट्टी का PH  परिख्सा करना जरूरी होता है | PH  5-7 होने से भी इसका कोई  समस्या नही होता|

लेमन ग्रास  की खेती में खाद की प्रयोग ( Pesticides of  Lemon Grass Farming in Hindi)

लेमन ग्रास  एक लम्बी समय का फसल है  एक बारे बुयाई करने के बाद बार बार इसका फसल ले सकते है| लेमन ग्रास की खेती के लिए खाद की जादा डरकर नही पड़ता| लेमन ग्रास के खेती में जादा गोबोर और कम्पोस्ट खाद का उपयोग होता है| एक हेक्टर में 200-250 कुइंताल का गोबोर का खाद देना चाहिए|

बीज का प्रबंध ( Seeds of Lemon Grass Farming in Hindi)

एक हेक्टर लेमन ग्रास की खेती के लिए 10 केगी बिज का जरुरत होता है| लेमन ग्रास के केहिती के लिए नर्सरी का जरुरत पड़ता है| लेमन ग्रास की नर्सारी अप्रैल –में महीना के अन्दर कर सकते है| 50-60 दिन का अन्दर लेमन ग्रास रोपाई के लिए तैयार हो जाता है| जुलाई का माहिना में इसे साधारण रुपमे रुपाई किया जाता है|

लेमन ग्रास की खेती के लिए जमीन तयारी (Lemon Grass Farming Land Preparation in Hindi)

लेमन ग्रास की खेती के लिए जमीन को आछे से जुताई करना पड़ता है , अदरक का खेती के लिए जमीन को  2-3 बार जुताई करना पड़ता है| जिसे मिट्टी का बहुत भुरभुरा टाइप का हो जाए | इसी समयगोबोर का खाद भी जमीन में मिक्स कर दी जिए गा| अगर मिट्टी बहुत सक्त है तो हल्का सिचाई कर सकते है|

लेमन ग्रास की खेती में रोपाई कैसे करे ? ( Planting of Lemon Grass Farming in Hindi)

लेमन ग्रास की खेती के लिए जमीन तैयार होने के बाद रोपाई किया जाता है | पौधा को 1ft दुरी में रौपिया किया जाता है | रुपाई के समय देखना चाहिए मिट्टी में नामी होना चाहिए| अगर नमी नही है हो आप एक सिचाई कर सकते है|

लेमन ग्रास की खेती की सिचाई (Irrigation of Lemon Grass Farming)

लेमन ग्रास की खेती आधिक बारिश होने बाले खेत्र से मद्धम बारिस और कम बारिश होने बाले खेत्र में आछा  होता है|  रोपाई के बाद 35-45 दिन के अन्दर में सिचाई करना जरुरी है| बारिस के समय छोरके के आप ड्रिप सिचाई का साहारा ले सकते है | लेकिन लेमन ग्रास का खेती में सिचाई का बहुत इ कम जरुरत पड़ता है|

लेमन ग्रास की खेती की निराई गुड़ाई (Weeding hoeing of Lemon Grass in hindi)

लेमन ग्रास की खेती में बाकी पौधा के जैसा खर्पद्बार की समस्या होती है| साल में 3-4 बार निराई गुड़ाई करने से खरपतबार का समस्या नही होती|

लेमन ग्रास की खेती काटाई ( Harvest of Lemon Grass Farming)

लेमन ग्रास की खेती में पौधा लगाने के 6 महीना के बाद ग्रास काटने के लिय तैयार हो जाते है| उसके बाद हर 70-80 दिन के बाद फेर उसे काट सकते है|  साल भर में 5-6 बार इसका फसल ले सकते है|

लेमन ग्रास से तेल निकालने की प्रक्रिया (Oil Extraction Process from Lemon Grass in hindi)

लेमन ग्रास से तै निकाल ने के लिए एक बिशेस प्रकार की टैंक लेना पड़ता है| उस टैंक में निचे जल रहेता है उसके ऊपर एक पिंजरा दिया जाते है , उसके बाद लेमन ग्रास को भर दिया जाती है| और उसके ऊपर और एक पिंजरा दिया जाती है|उसके बाद टैंक को बहुत आछे से बंध किया जाती है| इहापे एक बिशेस नाहर देना पड़ता है जो टैंक का अन्दर जादा खाली स्पेस ना रहे जाए| आभी टैंक का  निचे लकड़ी जाला कर जल को गरम किया जाते है और जल का भाप लेमन ग्रास को पास करे आते है और बहार में एक छोटे टैंक में स्टोर होते है | और इस भाप ने लेमन ग्रास का सारे तेल को निकालके ले के आ जाता है| इस पक्रिया को  3  घंटा लागातार चलता है| उसके बाद स्टोर हुआ लिक़ुइएद को ठंडा करने से तेल और जल आलग हो जाता है |और इसे अलग से और ड्रम में स्टोर किया जाता है|

लेमन ग्रास से तेल निकालने समय जादा ध्यान दे (Pay extra attention while extracting oil from Lemon Grass in hindi )

  • लेमन ग्रास से तेल निकालने का समय सब से जादा नजर राखना पड़ेगा |
  • फसल काताई के 10 दिन पहेले से खेत में पानी/जल  देना बांध करना चाहिए|
  • धुप होने का समय फसल काटना चाहिए , नही तो तेल कम हो जाएगा |
  • लेमन ग्रास  की पत्ते अगर जादा शुख गया तो तेल नही निकले गा|
  • तेल निकलने का समय टैंक को आछे से बंध हो ना चाहिए |
  • अगर लिकेगे रहेगा तो भाप के साथ साथ तेल भी निकल जाएगा |  

लेमन ग्रास की मार्केटिंग (Lemon Grass Marketing)

लेमन ग्रास की तेल की भारत में बहुत जादा मांग है , और देश हर जगा में इसका ग्राहक को मिल जाए गा| हैं। डिटर्जें , साबुन, कॉस्मेटिक्स और दवाओं के व्यापारी अपने प्रोडक्ट के लिय इसे खरीद करता है|

धनिया की खेती की बिजनेस कैसे करे?

लेमन ग्रास की खेती की कामाई (Profit of Lemon Grass Farming in Hindi)

एक हेक्टर की लेमन ग्रास की खेती करने के लिए 30000-40000 रुपिया का खर्चा लागता है| और एक  हेक्टर से 5-6 बार कटाई ले सकते है | और इसे 100-150 केजी का तेल मिलता है | बाजार में लेमन ग्रास का कीमत 1500  रुपिया के आस पास रहेता है| इसलिए एक हेक्टर कहित से 1लाख से 1.5लाख तक लाभ उठा सकते है|

Conclusion – आज इस आर्टिकल में हामने कोसिस किया  लेमन ग्रास की खेती का बिजनेस के  बारे में सारे जानकारी देने के लिए| अगर आपको और भी कुछ जानकारी की जरुरत होते है तो निचे कमेंट्स कर सकते है| भारत सरकार  लेमन ग्रास की खेती का बिज़नेस के लिए उत्साह दे रहा | अगर आपको और भी कुछ जानना चाहाते है तो नीची कमेंट्स कर  सकते है |

Q. क्या लेमन ग्रास लाभदायक है?

Q. भारत में लेमनग्रास कहाँ उगाया जाता है, q. क्या लेमनग्रास को धूप या छांव की जरूरत है, q. क्या लेमनग्रास को बहुत सारे पानी की आवश्यकता होती है, q. मुझे लेमनग्रास की कटाई कब करनी चाहिए, q. क्या लेमनग्रास कटाई के बाद वापस उगता है.

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लेमन ग्रास की खेती से महिला किसानों की बदली किस्मत! आप भी ऐसा कर कमा सकते हो लाखों रुपये, जानिए खेती से जुड़ी सभी बातें

Lemongrass farming-लेमन ग्रास की खेती कम उपजाऊ भूमि या बंजर भूमि पर भी आसानी से की जा सकती है. एक बार पौधा लगाने के बाद पांच साल तक इसकी पत्तियों को साल में चार से पांच बार काटकर बेचकर मुनाफा कमाया जा सकता है..

लेमन ग्रास की खेती से महिला किसानों की बदली किस्मत! आप भी ऐसा कर कमा सकते हो लाखों रुपये, जानिए खेती से जुड़ी सभी बातें

Lemongrass Cultivation- झारखंज में लेमनग्रास की खेती के लिए बेहतर संभावनाएं हैं क्योंकि यहां पर अधिकाश उपरी जमीन है जिसके कारण यहां पर लेमनग्रास की खेती काफी अच्छी हो सकती है. इसके अनेक फायदे भी है क्योंकि इसमें कम पानी  की जरूरत होती है. राज्य में किसानों को लेमनग्रास की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार समेत कई संस्थाएं कार्य कर रही है.  बोकारो जिले के दामोदर नदी के किनारे स्थित पटेरवार ब्लॉक के अंतर्गत विभिन्न गांवों में रहने वाली कई महिलाओं के जीवन को बदल कर रख दिया है. यहां की 28 एकड़ बंजर जमीन पर करीब 140 महिला किसान लेमनग्रास की खेती करती हैं. उन्होंने लेमनग्रास की खेती से करीब 3.5 लाख रुपये की कमाई कर एक मिसाल कायम की है.

दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी रही महिलाएं

लेमनग्रास की खेती से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव आ रहा है.  महीने पहले जो महिलाएं गरीबी में जी रही  थी लेमनग्रास की खेती करके आज दूसरी महिलाएं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गयी है. एक महिला किसान लाल मुनि देवी ने कहा कि हमने झारखंड अपॉर्चुनिटीज फॉर हार्नेसिंग रूरल ग्रोथ (जोहर) परियोजना के तहत वर्ष 2020 में खरीफ सीजन में पहली बार चार उत्पादक समूहों में लेमन ग्रास की खेती शुरू की है. उसने बताया कि “जब हमने पहली बार खेती शुरू की थी, तब हम पैसे (निवेश) खोने के बारे में चिंतित थे, लेकिन हम डटे रहे. लेमन ग्रास उगाने वाली किसान समूह की एक अन्य महिला मुनिया ने कहा, आज हमारी बढ़ती फसल हमारी उपलब्धियों का जीवंत प्रमाण है.

सामूहिक खेती का मिल रहा लाभ

किसान समूह की एक अन्य महिला ने कहा कि जब हम उत्पादक समूह में शामिल हुए, तो हमने सीखा कि सामूहिक खेती और सामूहिक बिक्री करके अपने लाभ को कैसे बढ़ाया जाए. हम उत्पादकों के समूह के सदस्यों के बीच व्यापक चर्चा और प्रशिक्षण के बाद ही लेमनग्रास उगाने का विचार लेकर आए. उन्होंने कहा कि  खेती की इस पद्धति का मुख्य लाभ यह है कि रोपण के पांच साल बाद, फसल को दोबारा लगाने की आवश्यकता नहीं होती है, और इससे अधिक मुनाफा भी होगा है.

आय बढ़ाने के कारगर साबित होगा

जोहार परियोजना ग्रामीण आजीविका हस्तक्षेपों का एक समग्र पैकेज है जो झारखंड के 17 जिलों के 68 ब्लॉकों में लक्षित ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने और विविधता लाने के लिए मिलकर काम करती है. यह एक सामूहिक दृष्टिकोण का उपयोग करता है और निर्माता समूहों और निर्माता संगठनों के गठन के लिए एक अन्य सरकार-विश्व बैंक पहल, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा स्थापित सामुदायिक संस्थानों के मंच पर बनाता है. जोहार इस मंच का उपयोग ग्रामीण उत्पादक परिवारों को मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किए गए हस्तक्षेप पैकेज देने के लिए करता है.

आसान होती है लेमनग्रास की खेती

लेमन ग्रास की खेती कम उपजाऊ भूमि या बंजर भूमि पर भी आसानी से की जा सकती है. एक बार पौधा लगाने के बाद पांच साल तक इसकी पत्तियों को साल में चार से पांच बार काटकर बेचकर मुनाफा कमाया जा सकता है. पिछले साल खेती कर रहे चार उत्पादक समूहों द्वारा इस बार लेमन ग्रास के पौधे 10 उत्पादक समूहों को बेचे गए हैं. अधिकारी ने कहा कि महिला किसानों (जो खेती करती हैं) ने लगभग 3.50 लाख रुपये की आय अर्जित की है.

खेती के लिए ग्रामीण स्तर पर मिलता है प्रशिक्षण

लेमन ग्रास अपने सुगंधित पत्तों के कारण महत्वपूर्ण है. भाप आसवन का उपयोग पत्तियों से तेल निकालने के लिए किया जाता है, जिसका व्यापक रूप से सौंदर्य प्रसाधन, साबुन, कीटनाशकों और दवाओं में उपयोग किया जाता है. अधिकारी ने कहा कि लेमन ग्रास का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी किया जाता है. जोहार परियोजना के तहत अब तक जिले की 340 महिला किसानों को लेमन ग्रास की खेती से जोड़ा जा चुका है. उन्होंने कहा कि वनोपज मित्र को उन किसानों को तकनीकी सहायता और सुझाव देने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, जो इन किसानों को ग्रामीण स्तर पर लगातार प्रशिक्षण और अन्य सलाह देते हैं.

अच्छा मुनाफा कमा रही ग्रामीण महिलाएं

द पायोनियर के मुताबिक उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग के तहत झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसायटी द्वारा जिले में जौहर परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. जौहर के माध्यम से उत्पादक समूहों के सहयोग से ग्रामीण महिलाओं को उन्नत खेती से जोड़ा जा रहा है.लोग परंपरागत खेती से हटकर वनोपज के मूल्यवर्धन की ओर बढ़ रहे हैं और अपनी आय बढ़ा रहे हैं। भूमि होने के बावजूद जो महिला किसान जो खेती करने में असमर्थ थीं, वे अब तकनीकी प्रशिक्षण और सहयोग लेकर लेमन ग्रास, सहजन, तुलसी जैसे पौधे उगाकर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं.

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Business idea : मॉडर्न लाइफ स्टाइल में बढ़ रही लेमनग्रास की डिमांड, बनी कमाई वाली खेती, घास और तेल दोनों कीमती.

लेमनग्रास की बिक्री ऊंचे दामों में होती है.

मॉडर्न लाइफस्टाइल में लेमनग्रास की डिमांड काफ़ी ज्यादा है. इसके सेवन के कई फायदे हैं इसलिए लेमनग्रास की बिक्री भी ऊंचे द ...अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : July 10, 2023, 20:19 IST
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नई दिल्ली. अगर आप खेती किसानी से जुड़े हुए हैं और ज्यादा कमाई के लिए कोई इनोवेशन करना चाहते हैं तो हम आपके लिए एक शानदार आईडिया लेकर आए हैं. दरअसल, मार्केट में ऐसी कई चीजों की भारी डिमांड रहती है, जिनका उत्पादन बहुत कम होता है. ऐसी ही एक फसल है- लेमनग्रास. अगर आप किसी नई फसल की खेती करना चाहते हैं तो यह आपके लिए एक शानदार ऑप्शन साबित हो सकता है.

मॉडर्न लाइफ स्टाइल की वजह से लेमनग्रास की डिमांड काफ़ी बढ़ने लगी है. इसके सेवन के कई फायदे हैं इसलिए लेमनग्रास की बिक्री भी ऊंचे दामों में होती है. आइए जानते हैं कि आप इसकी खेती कैसे शुरू कर सकते हैं.

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कैसे करें खेती की शुरुआत? अगर आप लेमनग्रास की खेती शुरू करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले खेत की मेड़ों को तैयार करना होगा. इसके बाद तैयार की गई मेड़ों में इस घास के बीजों को रोपा जाता है. इसकी अच्छी पैदावार के लिए 15 दिनों के अंदर इसे पानी दिया जाता है. घास में 30 दिनों तक पानी डाला जाता है जिससे इसकी पैदावार अच्छी होती है. इसके बाद आप इसकी कई बार कटाई कर सकते हैं. एक फसल से आप साल में तीन से चार बार तक कटाई कर घास ले सकते हैं.

लेमनग्रास का क्या उपयोग होता है? लेमनग्रास में कई तरह के गुण पाए जाते हैं इसलिए इसकी डिमांड और कीमत दोनों ज्यादा होती हैं. इस घास से एक या दो नहीं बल्कि कई तरह के बिज़नेस किए जा सकते हैं. आप इस घास को सीधे तौर पर भी बाज़ार में बेच कर पैसा कमा सकते हैं. वहीं इसका उपयोग सुखाकर चाय पत्ती में मिलाने के लिए भी किया जाता है. इसके अलावा लेमनग्रास का तेल बनाकर बेच सकते हैं.

कितनी होगी कमाई? अगर आप लेमनग्रास की खेती करते हैं तो इससे आप एक साल में लाखों रुपये तक पैदावार कर सकते हैं. इसकी खेती एक साल में 3 बार तक की जा सकती है. बता दें कि मार्केट में लेमन ग्रास के तेल की कीमत 1500 रुपये प्रति लीटर तक होती है. अगर आप चाहें तो इस घास से चाय बना कर भी बेच सकते हैं. इस तरह आप हर साल लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं.

Tags: Business ideas , Money Making Tips , New Business Idea

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Lemongrass Farming: लेमन ग्रास की खेती से लाखों का मुनाफा! एक बार फसल लगाने के बाद 6-7 साल तक छुटकारा

लेमनग्रास (lemongrass) के पौधे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल परफ्यूम, साबुन, निरमा, डिटर्जेंट, तेल, हेयर ऑयल, मच्छर लोशन, सिरदर्द की दवा व कास्मेटिक बनाने में भी प्रयोग किया जाता है. आइए जानते हैं लेमनग्रास की खेती से जुड़ी खास बातें.

Lemon grass planting and harvesting (फाइल फोटो)

  • 17 जून 2021,
  • (अपडेटेड 23 जून 2021, 1:44 PM IST)

lemongrass business plan in hindi

  • भारत सरकार एरोमा मिशन के तहत इसकी खेती को दे रही बढ़ावा
  • हर वर्ष करीब 700 टन नींबू घास के तेल का उत्पादन

भारत में अधिकतर किसान वही सालों से चली आ रही फसलों और पुरानी तकनीक के सहारे ही खेती करते हैं. ऐसे में उन्हें कोई खास मुनाफा भी नहीं होता और साथ ही जमीन की उर्वरक शक्ति भी धीरे-धीरे घटत जाती है. हालांकि,  कुछ भारतीय किसान पूरी तरह से जागरूक हो गए हैं. किसान अब स्ट्रॉबेरी, मशरूम और मेंथा की फसलों पर अपना हाथ आजमा रहे हैं. इन्हीं में से एक प्रयोग है लेमनग्रास (Lemon Grass) की खेती. इसकी सबसे खास बात ये है कि इसे सूखाग्रस्त इलाकों में भी लगाया जा सकता है. लेमनग्रास लगाने में लागत भी ज्यादा नहीं है. साथ ही भारत सरकार एरोमा मिशन के तहत इसकी खेती को बढ़ावा दे रही है.

बनते हैं कई तरह के प्रोडक्ट

लेमनग्रास के पौधे के सबसे ज्यादा इस्तेमाल परफ्यूम, साबुन, निरमा, डिटर्जेंट, तेल, हेयर आयल, मच्छर लोशन, सिरदर्द की दवा व कास्मेटिक बनाने में भी प्रयोग किया जाता है. इन प्रोडक्ट्स में से जो महक आती है वह इस पौधे से निकलने वाले तेल की होती है. हालांकि, ज्यादातर लोग इस पौधे को लेमन टी की वजह से जानते हैं. इसकी खेती आजकल किसानों के लिए वरदान बनती जा रही है. भारत हर वर्ष करीब 700 टन नींबू घास के तेल का उत्पादन करता है. इसे बाहर विदेशों में भी भेजा जाता है. ऐसे में कई विदेशी कंपनियां में भी तेल की उच्च गुणवत्ता की वजह से काफी मांग है. जिसका सीधा असर किसानों के आमदनी के इजाफे के रूप में होगा.

बारहमासी मुनाफा देता है ये पौधा

लेमनग्रास पौधे इसकी खेती साल में किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन अगर सबसे मुफीद महीने की बात करें तो जुलाई के शुरुआत में इसे लगाना ज्यादा सही है. सबसे पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है, फिर बाद में इसकी रोपाई की जाती है. इस पौधे की घास काफी घनी होती है, ऐसे में इसका विकास बेहतर हो इसके लिए दो-दो फीट की दूरी पर बोने की सलाह दी जाती है.

गोबर की खाद और लकड़ी की राख और 8-9 सिंचाई में ये पौधा तैयार होकर लहलहाने लगती है. इस फसल की जो सबसे खास ये है कि एक तो इसकी खेती में ज्यादा लागत नहीं लगती. दूसरा इसे लगाने के बाद 7-8 साल तक इसकी दोबारा रोपाई से छुटकारा पा जाएंगे और हर साल 5 से 6 कटाई संभव है. इस हिसाब से जितना जितना बड़े स्तर इसकी खेती की जाएगी, उतना ही मुनाफा होगा.

हर जगह बाजार उपलब्ध

अक्सर नए फसलों की खेती करने वाले किसानों को उसके बाजार की चिंता रहती. लेकिन इस फसल को लेकर ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. आजकल इस पौधे के तेल से तमाम तरह के प्रोडक्ट बनते हैं, उन्हें बनाने वाली कंपनियां इसे हाथोंहाथ लेती हैं. ऐसे में अगर आपके पास तेल की पेराई की सुविधा भी ना हो तो भी कंपनियां इसका भार उठाने को तैयार रहती हैें.

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Lemon grass (नींबू घास)

Medium Transplant Machine & Manual Medium Low 5 - 8.5 10 - 33 °C nitrogen @24 kg, phosphorus @20 kg and potassium @14 kg/acre in form of Urea@52 kg, SSP@125 kg and M
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Lemon Grass (नींबू घास)

kisan

लेमन घास  या  नींबू घास  (Lemon Grass) एक सुगन्धित औषधीय पौधा है। जिसकी औसतन ऊंचाई 1-3 मीटर लंबा होता है। पत्ते 125 सैं.मी. लंबे और 1.7 सैं.मी. चौड़े होते हैं। इसका उपयोग मेडिसिन, कॉस्मेटिक और डिटरजेंट में किया जाता है। लेमन ग्रास से निकलने वाले तेल की बाजार में बहुत मांग है। लेमन ग्रास से निकलने वाला तेल कॉस्मेटिक्स, साबुन और तेल और दवा बनाने वाली कंपनियां उपयोग करती हैं, इस वजह से इसकी अच्छी कीमत मिलती है। इसे भारत, अफ्रीका, अमरीका और एशिया के उष्ण कटिबंधीय और उपउष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है। भारत में इसे मुख्यत पंजाब, केरला, आसाम, महांराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में उगाया जाता है।

Seed Specification

बुवाई का समय लेमन घास की नर्सरी बेड तैयार करने का सबसे अच्छा समय मार्च-अप्रैल का महीना है। दुरी कतार से कतार की दुरी 50x75 से.मी. तथा पौधों से पोधों की दुरी 30x 40 से.मी. रखे। बीज की गहराई 2-3  सैं.मी. की गहराई में बोयें। बुवाई का तरीका लेमन घास के बीज को नर्सरी बनाकर बोया जाता है। पौधों के कुछ बड़े होने पर इन्हें पौधशाला से उखाड़ कर अन्य जगह या खेत में रोपाई करते हैं। पौधे 2 महीने के बाद लगाने लायक हो जाते हैं। बीज की मात्रा एक हेक्टेयर के लिए 4 किलो बीज की जरूरत होती है। बीज का उपचार फसल को कांगियारी से बचाने के लिए नर्सरी में बुवाई से पहले बीजों को सीरेसन 0.2 % या एमीसान 1 ग्राम से प्रति किलो बीजों का उपचार करें। रासायनिक उपचार के बाद बुवाई के लिए बीजों का प्रयोग करें।

Land Preparation & Soil Health

अनुकूल जलवायु लेमन घास की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त है। उच्च ताप तथा धूप की उपस्थिति से पौधे में तेल की मात्रा बढ़ती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। भूमि का चयन लेमन घास की खेती लगभग सभी प्रकार की भूमि की जा सकती है। दोमट उपजाऊ मिट्टी अधिक अच्छी होती है, लेकिन लेमन घास को बालू युक्त चिकनी मिट्टी, लेटेराईट एवं बारानी क्षेत्रों में भी उपजाई जा सकती है। इस फसल की वृद्धि के लिए मिट्टी का पी एच 5.0 - 8.5 होनी चाहिए। खेत की तैयारी लेमन घास की बुवाई से पहले खेत की 2-3 बार अच्छी तरह जुताई कर लें। अंतिम जुताई के समय पाटा लगाकर खेत को समतल और भुरभुरा बना लें। जुताई के बाद उचित दुरी पर क्यारियाँ (मेड) बनाना चाहिए।

Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक फसल के अच्छे विकास के लिए जैविक विधि में रसायनिक खाद के बदले में केंचुआँ खाद/नादेप कम्पोस्ट, एजोटोबैक्टर, पी.एस.बी., करंज खल्ली दिया जाता है। तथा अजैविक विधि में खेत की तैयारी के समय कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद 20-25 टन प्रति हेक्टेयर देकर अच्छी तरह मिला दें। साथ ही नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश भी 150:40:40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर दें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा रोपाई समय एवं शेष मात्रा दो किस्तों में 2-2 माह बाद दें।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए। सिंचाई लेमन घास के लिए जल की अधिक मात्रा की आवश्यकता नहीं होती है। बरसात में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। रोपाई के पश्चात भूमि में नमी होना जरूरी है। गर्मियों में 10 दिनों के अंतराल पर एवं सर्दियों में 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।

Harvesting & Storage

फसल की कटाई लेमन घास लगाने के 3 से 5 महीने बाद इसकी पहली कटाई की जाती है। प्रति वर्ष 4-5 कटाई की जा सकती है। लेमन घास तैयार हुआ है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए इसे तोड़कर सूंघें, सूंघने पर नींबू की तेज खुशबू आए तो समझ जाएं कि ये तैयार हो गया है। जमीन से 5 से 8 इंच ऊपर इसकी कटाई करें। कटाई के बाद   लेमन घास की कटाई के बाद तेल निकालने की प्रक्रिया की जाती है। तेल निकालने से पहले लैमन घास को सोडियम क्लोराइड के घोल में 24 घंटे के लिए रखें इससे फसल में खट्टेपन की मात्रा बढ़ती है। उसके बाद घास को छांव में रखे और बैग में पैक करके स्थानीय बाजारों में भेज दें। पकी हुई लैमन घास से कई तरह के उत्पाद जैसे लैमन घास तेल और लैमन घास लोशन बनाए जाते हैं। उत्पादन हरी घास का उपयोग तेल निकालने में होता है। पत्ती तना व पुष्प क्रम में तेल पाया जाता है। अत: पूरा ऊपरी भाग आसवन के लिए उपयोगी होता है। लगभग 10 से 25 टन/हे. हरीघास पैदा होती है। जिससे 60 से 80 कि.ग्राम तेल/हे. मिलता है। घास के ताजा वजन के आधार पर 0.35 प्रतिशत तेल उपलब्ध होता है।

Lemon Grass (नींबू घास) Crop Types

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Ultimate Guide to Lemon Grass Farming: Beginner Tips for Lemon Grass Cultivation

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Economic Viability and Market Opportunities

Sustainable and organic farming practices.

Lemongrass, scientifically known as Cymbopogon citratus, is a perennial species of oil grass belonging to the family Poaceae. This aromatic herb is not just your regular grass; it packs a punch when it comes to flavor and health benefits. Its high demand in the market makes it a lucrative option for those entering the agricultural industry.

Ultimate Guide to Lemon Grass Farming

Lemon Grass cultivation offers a multitude of benefits that make it a rewarding venture for farmers. Aside from being a versatile herb used in culinary dishes and teas, Lemon Grass is also known for its medicinal properties. Rich in essential oils like citronella, it has natural insect-repelling qualities which can be beneficial in pest management on the farm.

Cultivating Lemon Grass not only provides a sustainable source of income but also contributes to the production of essential oils used in various industries. Additionally, cultivating Lemon Grass can provide additional income streams through value-added products such as essential oils, soaps, candles, and herbal remedies.

The most common type is the East Indian Lemon Grass, known for its strong citrus flavor and aroma. Another popular variety is West Indian Lemon Grass, which is milder in taste but still packs a fragrant punch. African Lemon Grass, on the other hand, is valued for its high citral content and intense flavor profile.

Citronella grass is often used for its insect-repellent properties and has a slightly different scent compared to other varieties. Other lesser-known Lemon Grass varieties include Australian native lemon myrtle and Thai or culinary Lemon Grass, each offering unique characteristics that cater to various preferences and uses in cooking or essential oil production.

Lemon Grass thrives in warm climates with plenty of sunlight, ideally in tropical or subtropical regions. The plant requires temperatures between 20-30°C to grow optimally. In terms of soil, Lemon Grass prefers well-draining soil rich in organic matter. Sandy loam or loamy soils are important for its cultivation as they allow for proper root development and prevent waterlogging issues.

Ensure that the soil pH level is around 6 to 7 for optimal growth. Avoid planting Lemon Grass in clayey or compacted soils, as these can hinder root growth and lead to water stagnation problems. Additionally, make sure the site chosen for cultivation has good air circulation to control fungal diseases.

Remember, the soil is well-drained and rich in organic matter. Lemongrass thrives in fertile soil with good drainage. Before planting, clear the land of any weeds or debris that could hinder growth. This will ensure that your Lemon Grass has plenty of room to spread roots and grow healthily.

Consider incorporating compost or organic fertilizer into the soil to provide essential nutrients for your lemongrass plants. This will help boost their growth and overall health. It’s also important to space out your lemongrass plants properly when planting them in rows. Good spacing allows each plant to receive enough sunlight and air circulation for optimal growth.

Planting Lemon Grass: Seeds, Cuttings, and Transplants

Planting lemongrass from seeds can be a rewarding experience. To start, soak the Lemon Grass seeds in hot water for 24 hours to encourage germination. Select a well-draining potting mix and fill a shallow container with it. Once your seeds have soaked, plant them about 1/4 inch deep in the soil. Water gently to keep the soil moist but not soggy. Locate the pot in a sunny spot where it can receive plenty of sunlight.

Be patient, as lemongrass seeds can take some time to sprout, usually around 10-21 days. Keep an eye on moisture levels and continue watering when needed. As your seedlings grow, thin them out to allow room for healthy growth. Once they have developed strong roots, transplant them into larger containers or your garden.

To start, select a healthy lemongrass plant and use sharp shears to cut a stalk close to the base. Remove lower leaves from the cutting and trim the top leaves to reduce water loss. Place the cutting in a glass of water; at least one node is submerged.

Change the water every few days to prevent rotting, and place the glass in a sunny spot. In about two weeks, roots should start forming. Once roots are established, transplant the cutting into well-draining soil with good sunlight exposure. Keep the soil moist but not waterlogged as your new lemongrass plant grows.

Begin by selecting healthy lemongrass transplants from a reputable nursery or garden center. Choose plants that have strong green shoots and well-developed roots. Prepare the planting area by ensuring it has well-draining soil and receives plenty of sunlight. Make a hole larger compared to the root ball of your lemongrass transplant. Carefully remove the Lemon Grass plant from its container, and make sure not to damage the roots.

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Fresh Lemongrass

Place the transplant in the hole at ground level and backfill it with soil, pressing gently to secure it in place. Water carefully after planting to help settle the soil around the plant roots and provide moisture for growth. Continue to water regularly, keeping the soil moist but not waterlogged.

Lemongrass thrives in moist soil but does not like waterlogged conditions. Regular watering is crucial during the growing season, especially in dry periods. However, be mindful not to drown the roots, as this can lead to root rot. The best practice is to water deeply but infrequently. Consider applying drip irrigation or soaker hoses to deliver water to the plant base, minimizing evaporation and ensuring efficient use of water resources. It’s also beneficial to monitor rainfall levels and adjust your watering schedule accordingly. By maintaining proper hydration levels for your Lemon Grass crop, you can support healthy growth and maximize yields.

Organic matter can be beneficial for enriching the soil with essential nutrients. Additionally, incorporating a balanced fertilizer specific to citrus plants can help meet the Lemon Grass’s nutrient requirements. Regularly testing the soil pH levels and adjusting them accordingly can promote better nutrient uptake by the plant.

It’s important to monitor the plant’s growth closely to assess if any additional nutrients are needed throughout its growing cycle. Avoid over-fertilizing the Lemon Grass as it can lead to nutrient imbalances and potentially harm the plant. Following a proper fertilization schedule based on the stage of growth is key to promoting healthy development in your Lemon Grass crop.

Some common pests that can affect Lemon Grass include aphids, mites, and caterpillars. These pesky critters can damage the leaves and hinder growth if not managed properly. In addition to pests, diseases like leaf blight and rust can also pose a threat to your Lemon Grass crop. It’s important to inspect your plants for any infection signs so you can take timely action.

To effectively control pests and diseases in your Lemon Grass farm, consider using natural remedies like neem oil or introducing beneficial insects that prey on harmful pests. Maintaining proper hygiene practices in the farm area can also help prevent outbreaks. By staying proactive and vigilant in monitoring the health of your Lemon Grass plants, you can ensure a thriving crop free from harmful pest infestations and disease outbreaks.

Knowing the right timing and techniques can significantly improve the quantity of your yield. When it comes to harvesting Lemon Grass, timing is crucial. The best time to harvest Lemon Grass is when the stalks are about half an inch thick and reach a height of around three feet. This ensures that the plant has developed enough essential oils for maximum flavor.

To harvest, simply cut the stalks at ground level using sharp shears or a knife. It’s important to be gentle to avoid damaging the plant. After harvesting, remove any damaged leaves before further processing. The technique commonly used for harvesting Lemon Grass is cutting it into smaller pieces for easier handling during post-harvest procedures like drying or extraction of essential oil.

After harvesting your lemongrass, the next crucial step is post-harvest handling and storage. Proper handling ensures the quality and shelf life of your produce. Begin by removing any damaged or diseased stalks before washing them thoroughly to remove dirt and debris. Once cleaned, allow the lemongrass to air dry completely before bundling them together in small batches for storage.

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Lemongrass

Choose a well-ventilated region with low humidity levels to prevent mold growth. Hanging the bundles upside down can also help maintain their freshness. For longer-term storage, consider drying your lemongrass either naturally or using a dehydrator. Dried lemongrass can be stored in airtight containers away from direct sunlight for months without losing its flavor.

Firstly, make sure to space out your plants properly. Overcrowding can affect competition for nutrients and sunlight, ultimately affecting the growth of your Lemon Grass. Regularly check the soil pH level and adjust it accordingly. Lemon Grass thrives in slightly acidic soil. Consider incorporating organic fertilizers into your farming practices to ensure nutrient uptake by the plants. This will promote healthy growth and increase overall yield.

Prune regularly to remove diseased leaves and any weeds that may be competing with your lemongrass for resources. Monitor water levels closely and ensure consistent watering schedules to prevent under- or overwatering, which can negatively impact the yield of your Lemon Grass crop.

Value-Added Products from Lemon Gras s

Lemon Grass is not just a versatile herb used in cooking and teas; it also offers a range of value-added products that can benefit both personal use and commercial ventures. The demand for Lemon Grass products, such as tea, oil, and culinary ingredients, continues to rise globally, making it a lucrative venture for farmers. Additionally, Lemon Grass cultivation promotes environmental sustainability by enhancing soil health and biodiversity on farms.

Essential oil is a popular product derived from Lemongrass, which is known for its various therapeutic benefits. Dried lemongrass is another valuable product that can be used as an herbal tea ingredient. Lemongrass-infused soaps and skin care products are gaining popularity due to their natural fragrance and skin-nourishing properties.

For those with a sweet tooth, Lemon Grass can even be incorporated into desserts like cakes, cookies, and ice cream to add a unique citrusy flavor. Exploring the diverse range of value-added products from Lemon Grass opens up creative opportunities for incorporating this fragrant herb into various aspects of daily life.

The demand for Lemon Grass has been steadily increasing due to its versatile uses in culinary, medicinal, and cosmetic industries. By understanding market trends and consumer preferences, farmers can strategically position their Lemon Grass products to meet the needs of various markets. This includes targeting health-conscious consumers looking for organic and natural products.

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Lemongrass

Diversifying product offerings, such as dried Lemongrass and essential oils or value-added products like teas and soaps, can help farmers reach different market segments. Building relationships with local retailers, wholesalers, restaurants, and online platforms can also open up new distribution channels. Additionally, monitoring export opportunities can further expand the reach of Lemongrass products internationally. Collaborating with other farmers or cooperatives to market and sell their products collectively can also increase profitability.

Sustainable and organic farming plays a crucial role in Lemon Grass cultivation. By adopting these methods, farmers can reduce their environmental impact and promote healthier ecosystems. The key practice is the use of natural fertilizers and compost to improve the soil and enhance plant growth without relying on harmful chemicals. Crop rotation is another effective method to maintain soil fertility and prevent pest infestations.

Additionally, implementing water conservation techniques such as drip irrigation helps minimize water wastage while ensuring that plants receive adequate hydration. Integrating beneficial insects for pest control is a sustainable way to manage pests without resorting to chemical pesticides, preserving the natural balance of the ecosystem. 

Implementing natural pest control techniques such as introducing beneficial insects or using neem oil can help minimize the use of harmful chemicals on your crops. Choosing organic fertilizers like compost or manure instead of synthetic ones not only enriches the soil but also reduces chemical runoff into water sources. By following the simple steps, you can successfully grow your lemongrass plant and enjoy its fresh citrus aroma and flavor in various culinary dishes.

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22 COMMENTS

I have fertile land of about 50 acres in Dar es Salaam Tanzania, East Africa and woud like to do Lemongrass Farming. Looking for any interested party who can join hands in any stage starting from farming, Harvesting, Oil extracting, marketing etc

do u have poly house so i can help u out with this

Yes, but which country you want to do farming.Ican join at any satage but what is terms and conditions.

Yes I am interested about it.

Can lemon grass farming is suitable in Rajasthan?

If you have well-drained sandy loam soil, Lemon grass can be grown without any issue.

What’s the yield per Acer and cost per kg

Hello, I am interested in the Lemongrass farming with contract base for buying.

Hi, I am interested in lemongrass farming with a contract base for buying.

How much rate you buy of one litre of lemon grass oil? And tell me your details means address.

How much cost of lemongrass oil per Kg, If you purchase.

Can we grow in Red soil, what is the yield per acer and what will be the crop duration

Yes, soil should be nutrient rich in order to get food oil content.

HM Herbals is big player in Lemograss. I met them at international expo in gujarat . they even make variety of products using Lemongrass. they do contrat farming as well

Where can i get Lemon Grass seeds in AP/telangana? Any reliable Online shops/Nurseries that sells the seeds ?Thanks

I would like to know lemon grass (Raw material) price details pls Thanks in advance

Where to sell the lemon grass after harvesting ?

I like this, when can I start planting the lemongrass in South Africa?

I want to know how to multiply leman grass plants

I want to cultivate lemongrass in Hooghly district, west bengal. Is there any contract farming company to help me?

I want to cultivate lemon grass in ujjain district Madhya Pradesh please guide me for that or contact me through email as soon as possible

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Home > लेमनग्रास का पौधा कैसे लगाएं, लेमनग्रास के फायदे | Lemon grass

लेमनग्रास का पौधा कैसे लगाएं, लेमनग्रास के फायदे | Lemon grass

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लेमनग्रास कैसे उगाए, लेमनग्रास का उपयोग और स्वास्थ्यवर्धक फायदे की जानकारी – इस पौधे की पत्तियों से नींबू जैसी सुगंध आती है, इसीलिए यह लेमनग्रास या नींबूघास कही जाती है। दुनिया में सबसे ज्यादा लेमनग्रास की खेती भारत में ही होती है।

Table of Contents

लेमनग्रास की पहचान और लेमनग्रास के उपयोग | Lemongrass plant

लेमनग्रास पतली-लंबी घास वाला पौधा है जोकि मूलतः भारत से ही दुनिया में फैला है। लेमन ग्रास का वैज्ञानिक नाम Cymbopogon है। लेमनग्रास का पौधा 2-5 फुट की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। लेमनग्रास की पत्तियों, तने के आसवन (distillation) से सुगंधित तेल निकाला जाता है। इस तेल की खुशबू नींबू के जैसी होती है। लेमनग्रास की पहचान यह है कि इसकी पत्तियों को लेकर हाथ में मसलने पर नींबू जैसी महक (Citrus flavor) आएगी। इस पौधे पर फूल नहीं निकलते हैं।

लेमनग्रास की ताजी पत्ती या सूखी पत्ती से मिलने वाले लेमनग्रास पाउडर से लेमनग्रास टी, हर्बल चाय बनती है और सूप आदि डिश में भी डाला जाता है। लेमनग्रास टी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। लेमनग्रास के नर्म तने का भी कई डिश बनाने में उपयोग होता है और भारत के नॉर्थ-ईस्ट प्रदेशों के भोजन में उपयोग होता है। लेमनग्रास आयल का उपयोग अगरबत्ती, साबुन, परफ्यूम, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट, अरोमा ऑयल बनाने में किया जाता है।

आजकल लेमनग्रास की खेती का प्रचलन भारत में काफी बढ़ रहा है क्योंकि लेमनग्रास की खेती में बहुत देखभाल की जरूरत नहीं होती और लेमनग्रास आयल की अच्छी कीमत मिलती है। भारत में क्वालिटी के अनुसार लेमनग्रास ऑयल का प्राइस 1000-4000 रुपये प्रति लीटर हो सकता है। 

lemongrass plant in hindi

लेमनग्रास के फायदे और औषधीय गुण | Lemongrass benefits

1) लेमनग्रास का सेवन पाचन सुधारने में मदद करता है। इससे पेट की सूजन, पेट फूलना, पेट में ऐंठन, अपच, कब्ज, दस्त, उल्टी और ऐंठन जैसी पाचन संबंधी समस्याओं में आराम मिलता है। 

2) नींबूघास की चाय पीने से मेटाबोलिज़्म तेज होता है जिससे Fat Burn होता है और मोटापा कम करने में मदद मिलती है। 

3) लेमनग्रास में एंटी-अमीबिक, एंटी-बैक्टिरियल, एंटी-डायरियल, एंटी-फंगल, एंटी-फाइलेरियल, एंटी-इंफलेमेटोरी गुण होते हैं।

4) अरोमाथेरेपी यानि खुशबू से उपचार विधि में लेमनग्रास एसेंशियल आयल के उपयोग से मसल्स (मांसपेशी) के दर्द, स्ट्रेस, बेचैनी, डिप्रेशन, से राहत मिलती है।

5) लेमनग्रास में विटामिन A, विटामिन C होता है । Lemongrass Tea पीने से स्वस्थ बाल, सुंदर स्किन का फायदा मिलता है और ये दिमाग के लिए भी फायदेमंद है। 

6) लेमनग्रास की पत्तियों की चाय पीने से इम्यूनिटी मजबूत होती है जिससे सर्दी-खांसी, जुकाम, बलगम, फीवर, स्ट्रेस (तनाव) में आराम मिलता है। इस चाय में तुलसी, इलायची, अदरक मिलाने से ये और भी फायदेमंद बन जाती है। 

7) इस लेमनग्रास टी पीने से हाई ब्लड प्रेशर घटता है, कोलेस्टेरॉल कम होता है और शरीर के टॉक्सिन तत्व दूर होते हैं। 

8) एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर यह चाय पीने से शरीर में जमे टॉक्सिन (जहरीले तत्व) बाहर निकलते हैं। यह चाय पीने से  पाचन तंत्र (Digestive system) भी सही रहता है। लंच/डिनर खाने के बाद लेमनग्रास टी पी सकते हैं। 

9) लेमनग्रास से किड्नी , लिवर , ब्लैडर की सफाई हो जाती है।

10 ) Lemongrass चाय लड़कियों, स्त्रियों को पीरियड के दर्द, पेट में ऐंठन की समस्या में आराम दिलाता है और ऐक्ने-पिम्पल ठीक करने में मदद करता है।

11) नींबूघास या लेमनग्रास में एंटी-कैंसर होते हैं जिससे यह कैंसर रोग की संभावना कम करता है।

12) नींबूघास की चाय ब्लड शुगर लेवल कम करती है, इसलिए डायबिटीज के रोगी को डॉक्टर की सलाह से पीना चाहिए। इसी तरह प्रेगनेन्ट औरत या दूध पिलाने वाली माँओं को भी यह चाय नहीं पीना चाहिए। 

लेमनग्रास टी कैसे बनाए | How to Make Lemon grass tea

लेमनग्रास टी बनाने के 2 प्रचलित तरीके हैं, आप अपनी पसंद के अनुसार कोई भी तरीका अपना सकते हैं। लेमनग्रास टी बनाने के लिए लेमनग्रास की ताजी पत्तियाँ चाहिए, ताजी न मिले तो सूखी पत्तियाँ भी डाल सकते हैं लेकिन ताजी पत्तियों की चाय का फ्लेवर तेज और अधिक खुशबूदार होता है। ताजी पत्तियों को छोटे टुकड़े में तोड़कर डालें। 

1) देसी भारतीय चाय में लेमनग्रास डालें – आप जैसे दूध और चायपत्ती डालकर अपने घर में चाय बनाते हैं वैसे ही बनायें लेकिन सबसे पहले पानी में लेमनग्रास की पत्ती डालकर उबालें। 5-7 मिनट बाद चायपत्ती, चीनी, दूध डालकर चाय बना लें।

2) लेमनग्रास, पुदीना, गुड़ या शहद डालें – सबसे पहले पानी में लेमनग्रास पत्तियाँ और कुछ पुदीने की पत्ती डालकर ढककर उबालें। जब पानी उबलने लगे तो गैस धीमी कर दें और 5-7 मिनट धीमी आंच पर उबलने दें। इसके बाद चाय के बर्तन को गैस से उतार कर रख लें। चाय छानकर पीने के लिए तैयार है। अगर आप इस चाय में कुछ मीठापन चाहते हैं तो उबालते समय आप थोड़ा सा गुड़ स्वाद के लिए डाल सकते हैं या चाय छानने के बाद कप में 1-2 चम्मच शहद डालकर मिला सकते है।

आप चाहें गैस से बर्तन उतारने के बाद इसमें थोड़ी सी चायपत्ती डाल सकते हैं लेकिन यह जरूरी नहीं है। अगर चायपत्ती डाली है तो 2-3 मिनट रुकें जिससे चाय का स्वाद आ जाए, फिर इसे छानकर पी सकते हैं। ध्यान रखें शहद को उबलते पानी में नहीं डालना है। बाजार में लेमनग्रास टीबैग, लेमनग्रास पाउडर, सूखी लेमनग्रास पत्तियाँ मिलती हैं जिसका आप यह चाय बनाने में उपयोग कर सकते हैं। अगर आप इसे ऑनलाइन खरीदना चाहें तो यह लिंक देख सकते हैं >

लेमनग्रास कैसे लगाएं | Grow Lemongrass plant

भारत में लेमनग्रास की 2 प्रजातियाँ Cymbopogon flexuosus और Cymbopogon citratus होते हैं, जिसमें Cymbopogon flexuosus का तेल ज्यादा अच्छा होता है और व्यवसायिक खेती के लिए सही होता है। वैसे तो यह पौधा साल भर उगाया जा सकता है लेकिन इसे लगाने का बेस्ट समय फरवरी-मार्च और जुलाई-अगस्त है।

यह पौधा लगाने के 4-6 महीने में पूरी तरह से बढ़ जाता है। एक बार लगाने के बाद करीब 5 साल तक इसकी कटाई करके पत्तियाँ उपयोग की जा सकती है। लेमनग्रास की पत्तियों को काटने के बाद उसके तने से फिर से नई पत्तियाँ निकलने लगती हैं। जमीन से कम से कम 10-15 सेंटीमीटर तना छोड़कर पत्तियाँ काटी जा सकती हैं।

नींबूघास या लेमनग्रास लगाने के 3 तरीके हैं –

  • लेमनग्रास के पुराने पौधे से 1 (Bulb) कंदयुक्त तना लेकर लगाएं
  • लेमनग्रास के बीज बोए
  • बाजार से लेमनग्रास का तना लाकर लगाएं

 lemongrass kaise lagaye

1) लेमनग्रास के पुराने पौधे से 1 कंदयुक्त तना लेकर लगाएं –

जब लेमनग्रास का पौधा पुराना हो जाता है तो मुख्य तने के आस-पास कई नए तने तैयार हो जाते हैं और पौधे का फैलाव बढ़ जाता है। लेमनग्रास के पुराने पौधे की जड़ में कई छोटे-छोटे बल्ब (कंद) होते हैं। ये सारे कंद जुड़े हुए होते हैं और हर कंद के ऊपर से 1-2 तने निकले होते हैं। यह कंद आसानी से अलग हो जाते हैं और हर कंद से जड़ें भी निकली होती हैं।

इसमें 5-6 जुड़ी हुई कंद वाले भाग को अलग करके लगाने पर नया पौधा बन जाता है। आप चाहें तो इसमें से किसी एक कंद को अलग करके लगाने से भी लेमनग्रास का नया पौधा तैयार हो जाता है। कंद को सावधानीपूर्वक अलग करें जिससे कि जड़ें न टूटें।

2) लेमनग्रास के बीज बोए –

लेमनग्रास के बीज को गमले में पानी छिड़ककर, छोटा गड्ढा (करीब 1 सेंटीमीटर गहरा) करके लगा दें। अब मिट्टी से ढककर गमले में पानी छिड़ककर किसी छाया वाली जगह पर रख दें, जो बहुत ठंडी जगह न हो। हल्का पानी रोज छिड़क दें जिससे मिट्टी की नमी बनी रहे, ज्यादा पानी नहीं देना है। लगभग 7-10 दिन में बीज से अंकुर निकलने लगेंगे। जब अंकुर से पौधा बनने लगे तो गमला किसी धूप वाली जगह रख दें जिससे कि पौधे तेजी से बढ़ सके। जब करीब 6 इंच के पौधे बन जाएं तो हर पौधे को अलग-अलग गमले या जमीन में लगा दें।

अगर आप लेमनग्रास के बीज ऑनलाइन खरीदना चाहते हैं तो ये लिंक देख सकते हैं

3) बाजार से लेमनग्रास का तना लाकर लगाएं –

आजकल सब्जी मंडियों में लेमनग्रास का तना मिलने लगा है जोकि कई फूड आइटम बनाने में उपयोग होता है। ऐसा तना चुने जिसके नीचे कंद (Rhizome) वाला भाग भी हो। ऊपर की पत्तियाँ 5-6 सेंटीमीटर तोड़ दें जो सूखी लगें। ऐसा तना लाकर किसी कांच के गिलास में 2-3 इंच पानी भरकर डाल दें और हर रोज पानी बदलते रहें। इसे किसी रोशनी वाली जगह रखें या खिड़की पर जहाँ कुछ घंटे धूप आए। इस उपाय से करीब 10-14 दिन में पौधे से करीब 2-3 इंच लंबी जड़ें निकल आयेंगी। इसके बाद आप इस तने को किसी गमले में लगा सकते हैं।

लेमनग्रास की केयर कैसे करें | Lemongrass plant Care  – 

रोग – इसमें जल्दी कोई रोग या कीट नहीं लगते। अगर लेमनग्रास की पत्ती पीली या भूरी दिखे तो यह पानी की कमी या गमले से फालतू पानी न निकलने की वजह से होता है।

धूप – लेमनग्रास या नींबूघास के पौधे खुली धूप में अच्छे से बढ़ते हैं। छाया में लगे हुए इस लेमनग्रास के पौधे का सही विकास नहीं होता और रोग लगने की संभावना होती है।

पानी – इस पौधे को बढ़ते समय खूब पानी की जरूरत होती है (हफ्ते में 3-4 बार) जिससे कि खूब तने और पत्तियाँ बन सके। पूरा बढ़ जाने के बाद पानी कम देना होता है (हफ्ते में 1 बार या जब मिट्टी सूखी लगे)।

खाद – गमले में लेमनग्रास बोते समय डाली गई जैविक खाद से इसका काम चल जाता है। इसके अलावा बैलेन्स्ड NPK खाद या सीवीड खाद डालने से अधिक विकास देखने मिलता है।

छँटाई – लेमनग्रास का पौधा लगाने पर धीरे-धीरे फैलता जाता है और कई सारे तने तैयार हो जाते हैं। इसलिए समय-समय पर पौधे की छँटाई कर दें, छँटाई से पौधे को नुकसान नहीं होता और कुछ समय बाद फिर से पत्तियाँ बढ़ जाती है।

नोट – लेमनग्रास के जैसी ही दिखने वाली एक घास Citronella होती है जोकि लेमनग्रास से अलग है। कई बार Citronella को भी Lemongrass कह दिया जाता है क्योंकि सिट्रोनेला में भी नींबू सी महक (lemony scent) आती है। सिट्रोनेला के तने में लाल सा शेड होता है जबकि लेमनग्रास का तना पूरा हरा होता है। 

अब आप जान गए होंगे कि लेमनग्रास का पौधा कैसे लगाए और लेमनग्रास के फायदे क्या हैं। लेमनग्रास के बारे में जानकारी अपने मित्र, परिचितों के साथ व्हाट्सप्प शेयर, फॉरवर्ड करें जिससे कि अन्य लोग भी इस बेहतरीन घास के उपयोग का लाभ उठा सके।

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source :  https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3217679/

7 thoughts on “लेमनग्रास का पौधा कैसे लगाएं, लेमनग्रास के फायदे | Lemon grass”

बहुत उपयोगी जानकारियों के साथ महत्वपूर्ण लेख।

Muje pori jankari chahiye Me apne khet me plantation please sir

सर लेमग्ग्राश के बिज कहा मिलते हे इसे किसको बेच सकते हे इसकी pdf भेजना धन्यवाद

बीज ऑनलाइन इंटरनेट से खरीद सकते हैं। पौधे की कलम किसी बड़ी नर्सरी या नजदीकी सरकारी कृषि संस्थान से संपर्क करें

लेमन ग्रास के फूल निकलते हैं तब बीज निकलते हैं।इसके फूल बांस के फूलों की तरह होती हैं।आकवन विधि से तेल निकाला जाता है।

बहुत सुंदर जानकारी पूर्ण आलेख

Nice information

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Kheti Ki Jankari

लेमन ग्रास की खेती कैसे करते हैं | Lemon Grass Farming in Hindi | जराकुश (निम्बू घास) के फायदें

Table of Contents

लेमन ग्रास की खेती (Lemon Grass Farming) से सम्बंधित जानकारी

लेमन ग्रास की खेती औषधीय पौधे के रूप में की जाती है | भारत में इसे व्यापारिक तोर पर उगाया जाता है | इसे चायना घास, नींबू घास, मालाबार घास, भारतीय नींबू घास और को चीन घास के नाम से भी जानते है | इसकी पत्तियों में 75 प्रतिशत सिट्रल मौजूद होता है, जिस वजस से इसमें नींबू जैसी खुशबु पायी जाती है | इसकी पत्तियों को चाय बनाने के लिए भी इस्तेमाल में लाते है | इसकी पत्तियों से प्राप्त होने वाले तेल से सौन्दर्य प्रसाधन की चीज़े जैसे उच्च कोटि का इत्र, साबुन और पेय प्रदार्थो को बनाने के लिए इस्तेमाल में लाते है, तथा बाकि बचे भाग से कागज और हरी खाद का निर्माण किया जाता है |

lemongrass business plan in hindi

भारत में लेमन ग्रास की खेती उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र, कर्नाटक और राजस्थान में की जाती है | किसान भाई लेमन ग्रास की खेती कर अच्छी कमाई भी कर सकते है | इस लेख में आपको लेमन ग्रास की खेती कैसे करते हैं (Lemon Grass Farming in Hindi) तथा इसे हिंदी में जराकुश भी कहते है, इसके अलावा आपको निम्बू घास के फायदें के बारे में जानकारी बताया गया है |

नींबू की खेती कैसे करते है

लेमन ग्रास के पोषक तत्व ( Lemon Grass Nutrients)

लेमन ग्रास में अनेक प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते है, जो मानव शरीर के लिए काफी लाभकारी होते है | इसमें प्रोटीन, राइबोफ्लेविन, नियासिन पैंटोथैनिक एसिड, विटामिन ए, विटामिन सी और थायमिन की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है | इसके अलावा इसमें सेलेनियम, सोडियम, आयरन, मैंगनीज, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, फास्फोरस और जिंक जैसे अनेक प्रकार के खनिज पदार्थ भी मौजूद होते है, जिस वजह से यह एक बहुत ही लाभकारी ओषधि भी है |

लेमन ग्रास का उपयोग ( Lemon Grass Uses)

  • लेमन ग्रास का उपयोग चिकन बनाने के साथ भी कर सकते है |
  • चाय बनाते समय भी लेमन ग्रास का इस्तेमाल कर सकते है |
  • इसका उपयोग सब्जियों में स्वाद बढ़ाने के लिए भी किया जाता है |
  • सूप के साथ भी लेमन ग्रास का इस्तेमाल कर सकते है |
  • लेमन ग्रास में नींबू की भांति ही खट्टापन पाया जाता है, जिस वजह से इसे नींबू के स्थान पर इस्तेमाल कर सकते है |

जराकुश (निम्बू घास) के फायदें (Lemon Grass Benefits)

  • लेमन ग्रास का सेवन करने से पेट से जुड़ी अनेक प्रकार की समस्याओं में लाभ प्राप्त होता है | यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, तथा पाचन शक्ति को भी मजबूत करता है | इसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते है, जो स्ट्रेस को दूर करने में सहायक होते है |
  • यह एक औषधीय पौधा है, जिसमे एंटी फंगल व् एंटी कैंसर के गुण पाए जाते है | यह कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है | आप चाय के रूप में लेमन ग्रास का सेवन कर सकते है |
  • लेमन ग्रास शरीर में मौजूद बुरे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकता है, तथा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम भी करता है | इसके लिए आप लेमन ग्रास का इस्तेमाल खाने के साथ कर कोलेस्ट्रॉल स्तर को सामान्य कर सकते है |
  • लेमन ग्रास के तेल में कुछ विशेष औषधीय गुण पाए जाते है, जो अनिद्रा की समस्या को दूर करने में लाभकारी साबित होते है |
  • वजन घटाने में भी लेमन ग्रास कुछ हद तक लाभकारी साबित होता है | यह शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थो को मूत्र के माध्यम से बहार निकलने का कार्य करता है |
  • यदि आपकी इम्युनिटी कमजोर है, तो आप भोजन के साथ लेमन ग्रास का सेवन कर अपनी इम्युनिटी को स्ट्रांग कर सकते है |

लेमन ग्रास के नुकसान ( Lemon Grass Disadvantages)

  • लेमन ग्रास का अधिक मात्रा में सेवन करने से चक्कर आने जैसी समस्या देखने को मिल सकती है |
  • यदि आप इसका सेवन अधिक कर लेते है, तो आपको कमजोरी भी महसूस हो सकती है |
  • इसके अतिरिक्त कुछ लोगो में अधिक भूख लगने की समस्या भी देखने को मिली है |
  • यदि आप भोजन के साथ लेमन ग्रास का सेवन अधिक करते है, तो आपको बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है |
  • लेमन ग्रास के अधिक उपयोग से मुँह में सूखापन देखने को मिल सकता है |

लेमन ग्रास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी , जलवायु और तापमान (Lemon Grass Cultivation Soil, Climate and Temperature)

इसकी खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है | लेमान ग्रास की खेती को जलभराव वाली भूमि में नहीं करना चाहिए | इसकी खेती सामान्य P.H. मान वाली भूमि में की जाती है |

इसकी खेती में उष्ण और समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है | इसके पौधों को अधिक धूप की जरूरत होती है | यदि सर्दियों के मौसम में इसके पौधों को पर्याप्त मात्रा में धूप मिल जाती है, तो पैदावार अच्छी प्राप्त होती है | किन्तु सर्दियों में गिरने वाला पाला इसके पौधों को अधिक हानि पहुँचाता है | बारिश के मौसम में इसके पौधों को केवल 200 से 250 CM वर्षा की आवश्यकता होती है |

लेमन ग्रास के पौधे 20 से 25 डिग्री तापमान पर अच्छे से विकास करते है | इसके पौधे अधिकतम 40 डिग्री तथा न्यूनतम 15 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है |

कृष्णा फल (पैशन फ्रूट) की खेती

लेमन ग्रास की उन्नत किस्में ( Lemon Grass Improved Varieties)

lemongrass business plan in hindi

सिम्बोपोगान फ्लेक्सुओसस

लेमन ग्रास की इस प्रजाति में पौधों की पत्तियों का आकार सीधा होता है | जिसमे ट्यूब और पत्तियों का मुख्य शिरा बादामी रंग का होता है | इस प्रजाति में कृष्णा, प्रगति, नीमा और कावेरी जैसी उन्नत किस्में शामिल है, जिन्हे अधिक उत्पादन के लिए उगाया जाता है | यह किस्म मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और राजस्थान में उगाई जाती है |

सिम्बोपोगान पेन्डूलस

इस प्रजाति की किस्मों में पत्तियों का रंग गहरा हरा होता है, जिसके अंदर ट्यूब का रंग हल्का बादामी होता है | इस प्रजाति में चिरहरित और प्रमाण किस्मों को मुख्य रूप से उगाया जाता है, जो अधिक पैदावार देने के लिए जानी जाती है |

सिम्बोपोगान क्रास प्रजाति

यह लेमन ग्रास की एक संकर प्रजाति है, जिसे अन्य प्रजातियों के साथ संकरण कर तैयार किया गया है | इस प्रजाति में सी. के. पी. – 25 किस्म शामिल है, जिसमे निकलने वाली पत्तिया पतली, छोटी और कम चौड़ी होती है| यह पत्तिया देखने में पूरी हरी होती है |

इसके अतिरिक्त ओ. डी. 19 ओडाक्कली भी लेमन ग्रास की एक किस्म है, जिसे एर्नाकुलम केरल द्वारा तैयार किया | यह किस्म अधिक उत्पादन देने में सक्षम होती है, जिससे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 80 से 220 KG तेल का उत्पादन प्राप्त हो जाता है |

लेमन ग्रास के खेत की तैयारी और उवर्रक ( Lemon Grass Field Preparation and Fertilizer)

लेमन ग्रास की खेती के लिए भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है | इसलिए मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई कर दी जाती है | खेत की पहली जुताई के बाद उसमे 10 से 12 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को डालना होता है | इसके बाद खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कर दी जाती है, इससे खेत की मिट्टी में गोबर की खाद ठीक तरह से मिल जाती है | इसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है, पलेव के पश्चात् मिट्टी के सूख जाने पर एक बार फिर से जुताई कर दी जाती है, इससे खेत में मौजूद मिट्टी के ढेले टूट जाते है, और खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है | इसके बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है | समतल खेत में पौधों की रोपाई के लिए उचित दूरी पर क्यारियों को तैयार कर लिया जाता है | लेमन ग्रास के खेत में यदि आप रासायनिक खाद का इस्तेमाल करना चाहते है, तो उसके लिए आपको प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दो बोरे एन.पी.के. की मात्रा का छिड़काव खेत की आखरी जुताई के समय करना होता है | इसके अतिरिक्त पौध कटाई के पश्चात् तक़रीबन 20 से 25 KG नाइट्रोजन की मात्रा को प्रति एकड़ के हिसाब से दे | इससे पौधों पर कम समय में ही नई शाखाओ का निर्माण होता है, जिससे पौधों की अधिक पैदावार प्राप्त होती है |

लेमन ग्रास के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका ( Lemon Grass Plants Preparation)

लेमन ग्रास के पौधों की रोपाई कलम और बीज दोनों ही तरीके से की जाती है | यदि आप बीज के माध्यम से रोपाई करना चाहते है, तो उसके लिए आपको एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 2 से 3 KG बीजो की आवश्यकता होती है, तथा पौध के रूप में रोपाई के लिए कलम को खेत में तैयार क्यारियों में लगाया जाता है| इन क्यारियों को पंक्तियों में तैयार कर लिया जाता है, जिसमे प्रत्येक पंक्ति के मध्य एक से डेढ़ फ़ीट की दूरी रखी जाती है | इसके बाद पंक्ति में की गयी पौध रोपाई एक से डेढ़ फ़ीट की दूरी पर की जाती है, तथा पौधों को 3 से 4 CM की गहराई में लगाना होता है |

इसके अलावा पौधों की रोपाई पुरानी जड़ो के रूप में भी कर सकते है | यह विधि स्लिप विधि कहलाती है | इसमें कलम को तैयार करने के लिए लगाए गए पुराने पौधों को जड़ से 8 से 10 CM की ऊंचाई से काटा जाता है | इसके बाद उन जड़ों को उखाड़कर उनसे स्लिप (छोटी जड़े) अलग कर ली जाती है | इन अलग की हुई जड़ों को 3 से 4 CM की गहराई में खेत में लगाते है | यह विधि सबसे अच्छी मानी जाती है |

लेमन ग्रास के पौधों की रोपाई के लिए बारिश का मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है | इस दौरान पौधों को प्रारंभिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है | इसके साथ ही पौध विकास भी अच्छे से होता है | इसके अलावा इसके पौधों को मार्च के महीने में भी लगा सकते है |

लेमन ग्रास के पौधों की सिंचाई ( Lemon Grass Irrigation)

इसके पौधों की रोपाई बारिश के मौसम में की जाती है, इसलिए इसके पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है | किन्तु अधिक मात्रा में पैदावार प्राप्त करने के लिए पौधों की सिंचाई करते रहना होता है | इसके पौधों की पहली सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है, तथा पौध अंकुरण तक खेत में नमी बनाये रखने के लिए दो से तीन दिन के अंतराल में पानी अवश्य दे | गर्मियों के मौसम में इसके पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है, पौध अंकुरण के पश्चात् सप्ताह में एक बार तथा सर्दियों के मौसम में 20 दिन में पानी जरूर दे | इसके पौधे तीन माह पश्चात् पहली कटाई के लिए तैयार हो जाते है, तथा प्रत्येक कटाई के पश्चात् पौधों को पानी अवश्य दे |

लेमन ग्रास के पौधों पर खरपतवार नियंत्रण ( Lemon Grass Plants Weed Control)

लेमन ग्रास के पौधों को आरम्भ के दो महीने तक खरपतवार से बचाना बहुत जरूरी होता है | खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधि निराई – गुड़ाई का इस्तेमाल किया जाता है | इसकी पहली गुड़ाई को पौध रोपाई के 10 से 12 दिन बाद करना होता है, तथा उसके बाद की गुड़ाई 10 से 15 दिन के अंतराल में की जाती है | पौध कटाई के तुरंत बाद फसल की गुड़ाई अवश्य करे | इसके अलावा यदि आप रासायनिक विधि द्वारा खरपतवार पर नियंत्रण पाना चाहते है, तो उसके लिए आपको खेत में डायूरान और आक्सीफ्लोरफेन का छिड़काव करना होता है |

लेमन ग्रास के पौधों में लगने वाले रोग एवं उपचार ( Lemon Grass Plants Diseases and Treatment)

इस किस्म का रोग लेमन ग्रास के पौधों पर किसी भी अवस्था में देखने को मिल सकता है | किन्तु पौध अंकुरण के समय यह अधिक अक्रामक होता है | दीमकरोग से प्रभावित पौधा मुरझाकर पीला हो जाता है, तथा कुछ समय पश्चात् ही सम्पूर्ण पौधा सूखकर गिर जाता है | इस रोग से बचाव के लिए क्लोरोपाइरीफॉस  की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों की जड़ों पर करे |

सफ़ेद मक्खी

सफ़ेद मक्खी का रोग नींबू घास के पौधों पर कीट के रूप में आक्रमण करता है, जिससे पैदावार अधिक प्रभावित होती है | इस रोग का कीट पत्तियों की निचली सतह पर रहकर उसका पूरा रस चूस लेते है, जिससे पौधा पीला पड़ने लगता है, और कुछ समय बाद ही पत्तिया सूखकर गिरने लगती है | इस रोग से बचाव के लिए मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव पौधों पर किया जाता है |

चूहों का प्रकोप

इसके पौधे खुशबूदार होते है, जिसकी पत्तियों से नींबू की तरह ही खुसबू उत्पन्न होती है | यह खुशबु चूहों को अपनी और आकर्षित करती है, जिस वजह से चूहे खेत में ही बिल बनाकर रहने लगते है | यह चूहे पत्तियों को काटकर खा जाते है, जिससे पैदावार प्रभावित होती है | लेमन ग्रास के पौधों को चूहों के प्रकोप से बचाने के लिए जिंक फास्फाइड या बेरियम क्लोराइड की उचित मात्रा का छिड़काव खेत में किया जाता है |

लेमन ग्रास के पौधों की कटाई , पैदावार और लाभ (Lemon Grass Plants Harvesting, Yield and Benefits)

लेमन ग्रास के पौधों को कटाई के लिए तैयार होने में 60 से 90 दिन का समय लग जाता है | इसके पौधे एक बार तैयार हो जाने पर 5 वर्ष तक पैदावार दे देते है| इसकी पहली कटाई पौध रोपाई के तीन माह बाद की जाती है, तथा हर कटाई के पश्चात् पैदावार में बढ़ोतरी देखने को मिलती है | पौध कटाई के समय एक बात का विशेष ध्यान रखना होता है, कि पौधों को 10 से 12 CM ऊपर से काटे, इससे नए पौधों का विकास अच्छे से होता है |

इसके एक हेक्टेयर के खेत से तकरीबन 100 टन हरी घास प्राप्त हो जाती है, जिसे सूखाकर एक वर्ष में आसवन विधि द्वारा 500 KG तेल प्राप्त हो जाता है | इस तेल का बाज़ारी भाव 1200 रूपए प्रति किलो होता है, जिससे किसान भाई इसकी एक वर्ष कि पैदावार से प्राप्त तेल को बेचकर 3 से 4 लाख की कमाई कर अधिक मुनाफा कमा सकते है |

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Lemon Grass Benefits in Hindi : लेमन ग्रास के 8 फायदे जान लो

Lemon Grass Benefits in Hindi

Lemon Grass Benefits in Hindi

लेमनग्रास, जिसे हिंदी में नींबू घास के नाम से जाना जाता है, एक विशेष प्रकार का पौधा है जो अपने लंबे, पतले और हरे पत्तों के लिए प्रसिद्ध है। इसकी पत्तियों में एक अद्वितीय सुगंध होती है, जो नींबू जैसी खुशबू प्रदान करती है, इसलिए इसे लेमनग्रास कहा जाता है।

लेमनग्रास का उपयोग प्राकृतिक मसाले के रूप में किया जाता है। इसके ताजगी भरे स्वाद और सुगंध के कारण यह विभिन्न व्यंजनों में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में शामिल किया जाता है। विशेष रूप से, इसे एशियाई खाना पकाने में प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि थाई और वियतनामी व्यंजन। इसके अलावा, इसका उपयोग सूप, स्टू, और करी में भी किया जाता है।

औषधीय गुणों के लिए भी लेमनग्रास प्रसिद्ध है। आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में इसे विभिन्न रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसका सेवन करने से पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है और यह एंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर होता है। इसके पत्तों और डंठल को उबालकर बनाई जाने वाली चाय स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी मानी जाती है। यह चाय न केवल ताजगी प्रदान करती है, बल्कि यह शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में भी मदद करती है।

लेमनग्रास क्या है? | What is Lemon Grass

लेमनग्रास, जिसे हिंदी में नींबू घास के नाम से भी जाना जाता है, एक बहुवर्षीय पौधा है। यह मुख्यतः उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है, जैसे कि भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, और मलेशिया। लेमनग्रास का वैज्ञानिक नाम “साइम्बोपोगोन” (Cymbopogon) है और इसके कई प्रकार होते हैं।

इस पौधे के पत्ते लंबे, पतले और हरे रंग के होते हैं, जिनमें तीव्र नींबू जैसी खुशबू होती है। यह सुगंध इसके आवश्यक तेलों के कारण होती है, जो इसमें प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। लेमनग्रास के पत्ते और डंठल कई व्यंजनों में स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाते हैं, विशेषकर एशियाई और थाई व्यंजनों में। इसके ताजगी भरे स्वाद और महक के कारण यह सूप, स्टू, करी, और चाय में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में शामिल होता है।

लेमनग्रास का सबसे प्रमुख उपयोग इसकी चाय बनाने में होता है। इसके पत्तों और डंठल को उबालकर चाय तैयार की जाती है, जो न केवल स्वादिष्ट होती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी मानी जाती है। आयुर्वेद में लेमनग्रास की चाय को कई बीमारियों के इलाज के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। इसका सेवन पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है, शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है और इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण भी होते हैं, जो शरीर को विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से बचाते हैं।

लेमनग्रास की चाय को तनाव कम करने, नींद में सुधार, और सिरदर्द में राहत प्रदान करने के लिए भी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, यह एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है, जो इसे त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद बनाते हैं।

इस प्रकार, लेमनग्रास न केवल एक मसाले और स्वाद के रूप में महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके औषधीय गुण इसे एक महत्वपूर्ण हर्बल उपचार भी बनाते हैं। इसका नियमित सेवन शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होता है और यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद करता है।

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विभिन्न भाषाओं में लेमन ग्रास के अलग-अलग नाम | Different names of lemon grass in different languages ​​

  • Hindi : नीबू घास (Lemongrass)
  • Bengali : লেমনগ্রাস (Lemongrass)
  • Tamil : லெமன்கிராஸ் (Lemongrass)
  • Telugu : నిమ్మకురా (Nimmakura)
  • Marathi : लेमनग्रास (Lemongrass)
  • Gujarati : લેમનગ્રાસ (Lemongrass)
  • Malayalam : ഇഞ്ചിപ്പുല്ല് (Inchipullu)
  • Kannada : ನಿಂಬಿಹುಲ್ಲು (Nimbihullu)
  • Urdu : لیمن گراس (Lemongrass)
  • Punjabi : ਲੈਮਨਗ੍ਰਾਸ (Lemongrass)
  • French : Citronnelle (Lemongrass)
  • Spanish : Hierba de limón (Lemon herb)

लेमनग्रास के फायदे | Lemon Grass Benefits in Hindi

1. लीवर के लिए अच्छा है लेमनग्रास | lemongrass is good for the liver.

लेमनग्रास लीवर की सेहत के लिए अत्यंत फायदेमंद है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और अन्य पोषक तत्व लीवर की गतिविधि को सुधारते हैं और उसे स्वस्थ बनाए रखते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स लीवर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं, जिससे लीवर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित होने में मदद मिलती है।

विभिन्न शोधों से यह साबित हुआ है कि लेमनग्रास लीवर की समस्याओं को दूर करने में कारगर है। यह लीवर एंजाइमों के संतुलन को बनाए रखने में सहायता करता है और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज करता है। इसके अलावा, लेमनग्रास में डिटॉक्सिफाइंग गुण भी होते हैं, जो लीवर को शुद्ध करने और उसकी कार्यक्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

यदि आप किसी लीवर विकार से गुजर रहे हैं, तो लेमनग्रास का सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।

2. डिटॉक्स ड्रिंक है लेमनग्रास | Lemongrass is a detox drink.

लेमनग्रास चाय वास्तव में एक श्रेष्ठ डिटॉक्स ड्रिंक है जो शरीर को स्वच्छ और स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन C और अन्य पोषक तत्व शरीर के विषाक्त पदार्थों को हटाने और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं।

लेमनग्रास की चाय का नियमित सेवन पेशाब की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ और विषाक्तताएँ निकलती हैं। यह शरीर के विषाक्त पदार्थों को निकालकर उसकी क्षमता को सुधारता है और स्वस्थ विवरण प्रणाली को बनाए रखता है।

इस डिटॉक्स ड्रिंक का नियमित सेवन न केवल शरीर को स्वच्छ और संतुलित बनाता है, बल्कि यह त्वचा को भी चमकदार और युवान बनाने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, इसे गर्मियों में ठंडा पिया जा सकता है जो उसके पोषक गुणों को बनाए रखता है और शरीर की सुरक्षा प्रणाली को सुधारता है।

इस प्रकार, लेमनग्रास चाय एक बेहतरीन तरीके से डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है।

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3. पेट के लिए फायदेमंद है लेमनग्रास | Lemongrass is beneficial for the stomach.

लेमनग्रास पेट की समस्याओं को दूर करने में बहुत सहायक है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पेट की विभिन्न समस्याओं जैसे डायरिया, गैस्ट्रिक अल्सर, और अपच से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

डायरिया के दौरान लेमनग्रास का सेवन संक्रमण को नियंत्रित करने और पेट की सामान्य गतिविधियों को बहाल करने में सहायता करता है। इसके एंटीमाइक्रोबियल गुण हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करते हैं, जिससे संक्रमण जल्दी ठीक होता है।

गैस्ट्रिक अल्सर के मामले में, लेमनग्रास पेट की परत की रक्षा करता है और उसे क्षतिग्रस्त होने से बचाता है। इसके एंटीइंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करते हैं और अल्सर के कारण होने वाले दर्द और जलन में राहत प्रदान करते हैं। लेमनग्रास की चाय पेट की परत को सुरक्षित रखते हुए हीलिंग प्रोसेस को तेज करती है।

अपच की समस्या में, लेमनग्रास का सेवन पाचन को सुधारने में मदद करता है। यह पेट में गैस के निर्माण को कम करता है और पाचन तंत्र को नियमित रखता है। इसके अलावा, लेमनग्रास का सेवन भूख को बढ़ाता है और पेट की ऐंठन को कम करता है।

लेमनग्रास चाय का नियमित सेवन पेट को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पेट की सामान्य गतिविधियों को बनाए रखने में मदद करता है और पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है। इसलिए, अगर आप पेट से संबंधित किसी भी समस्या से जूझ रहे हैं, तो लेमनग्रास का सेवन आपके लिए लाभकारी हो सकता है।

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4. वजन घटाने में मदद करता है लेमनग्रास | Lemongrass helps in weight loss

लेमनग्रास चाय वजन घटाने में भी बहुत मददगार है। इसमें मौजूद सक्रिय यौगिक चयापचय (मेटाबोलिज्म) को बढ़ावा देते हैं, जिससे शरीर की वसा तेजी से जलती है। लेमनग्रास में कैफीन और पॉलीफेनोल यौगिक होते हैं, जो वजन घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कैफीन एक प्राकृतिक स्टिमुलेंट है जो ऊर्जा स्तर को बढ़ाता है और मेटाबोलिज्म को तेज करता है। इससे कैलोरी बर्न की दर बढ़ती है, जिससे वजन घटाने में सहायता मिलती है। पॉलीफेनोल एंटीऑक्सिडेंट गुणों से भरपूर होते हैं, जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं और स्वस्थ पाचन में योगदान करते हैं।

लेमनग्रास चाय का नियमित सेवन शरीर को डिटॉक्स करता है, यानि यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। डिटॉक्सिफिकेशन से शरीर के अंगों की कार्यक्षमता में सुधार होता है और वजन कम करने की प्रक्रिया को आसान बनाता है।

इसके अलावा, लेमनग्रास चाय में मूत्रवर्धक (diuretic) गुण होते हैं, जो अतिरिक्त पानी और नमक को शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं। इससे सूजन कम होती है और वजन घटाने में सहायता मिलती है।

लेमनग्रास चाय भूख को नियंत्रित करने में भी सहायक होती है। यह पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराती है, जिससे बार-बार खाने की इच्छा कम होती है। इस प्रकार, लेमनग्रास चाय का सेवन वजन घटाने के लिए एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है। इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करने से न केवल वजन घटाने में मदद मिलती है, बल्कि यह संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।

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5. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है लेमनग्रास | Lemongrass controls blood pressure.

लेमनग्रास ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में प्रभावी है। इसमें पोटेशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो शरीर में यूरिन आउटपुट को बढ़ाती है। पोटेशियम एक महत्वपूर्ण खनिज है जो इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। पोटेशियम की उच्च मात्रा से सोडियम के प्रभाव को संतुलित किया जाता है, जिससे रक्तचाप कम होता है।

लेमनग्रास का सेवन करने से मूत्रवर्धक (diuretic) प्रभाव उत्पन्न होता है, जो अतिरिक्त पानी और नमक को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। इससे रक्त परिसंचरण बेहतर होता है और रक्त वाहिकाओं पर दबाव कम होता है, जिससे रक्तचाप को नियंत्रित रखा जा सकता है।

विभिन्न शोधों से यह साबित हुआ है कि लेमनग्रास रक्तचाप को कम करने में मददगार है। इसमें मौजूद फ्लेवोनोइड्स और एंटीऑक्सिडेंट्स रक्त वाहिकाओं को आराम देते हैं और सूजन को कम करते हैं, जिससे रक्त प्रवाह में सुधार होता है और रक्तचाप कम होता है।

कुछ स्थितियों में, लेमनग्रास ग्रीन टी से भी अधिक प्रभावी होती है। जबकि ग्रीन टी में भी एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, लेमनग्रास में पाए जाने वाले विशेष यौगिक रक्तचाप को नियंत्रित करने में अधिक प्रभावी हो सकते हैं।

लेमनग्रास का नियमित सेवन उच्च रक्तचाप के जोखिम को कम करने में सहायक होता है और यह हृदय स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है। हालांकि, यदि आप उच्च रक्तचाप की दवाएं ले रहे हैं या किसी विशेष चिकित्सा स्थिति में हैं, तो लेमनग्रास का सेवन शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।

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6. चेहरे की चमक बढ़ाता है लेमनग्रास | Lemongrass increases facial glow

लेमनग्रास का उपयोग त्वचा की देखभाल में भी अत्यंत लाभकारी है। इसमें साइट्रिक एसिड और अन्य महत्वपूर्ण यौगिक होते हैं, जो त्वचा की सफाई और पोषण में मदद करते हैं। लेमनग्रास का उपयोग त्वचा के पोर्स को अंदर से साफ करता है, जिससे त्वचा पर जमा धूल, गंदगी और तेल हट जाते हैं। यह त्वचा को गहराई से साफ करके उसे ताजगी और चमक प्रदान करता है।

साइट्रिक एसिड त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद करता है, जिससे त्वचा की नई और स्वस्थ कोशिकाओं का निर्माण होता है। इससे त्वचा की सतह चिकनी और चमकदार बनती है। इसके अतिरिक्त, लेमनग्रास में एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो त्वचा के संक्रमण और मुंहासों को कम करने में सहायता करते हैं।

लेमनग्रास त्वचा के सीबम प्रोडक्शन को नियंत्रित करता है, जिससे त्वचा पर अतिरिक्त तेल नहीं जमता और त्वचा का प्राकृतिक संतुलन बना रहता है। यह विशेष रूप से तैलीय त्वचा के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह तेल की अधिकता को नियंत्रित करके चेहरे को मैट फिनिश देता है।

लेमनग्रास का नियमित उपयोग त्वचा को साफ, स्वस्थ और चमकदार बनाता है। इसे चेहरे पर लगाने के लिए लेमनग्रास के तेल को किसी कैरियर ऑयल (जैसे नारियल या जैतून के तेल) में मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है, या लेमनग्रास की पत्तियों को पानी में उबालकर उससे फेस स्टीमिंग की जा सकती है।

इस प्रकार, लेमनग्रास न केवल स्वास्थ्य के लिए, बल्कि त्वचा की देखभाल के लिए भी एक बहुमूल्य हर्बल उपचार है। इसका नियमित उपयोग त्वचा की चमक बढ़ाने के साथ-साथ उसे स्वस्थ और साफ रखने में भी मदद करता है।

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7. कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है लेमनग्रास | Lemongrass controls cholesterol.

लेमनग्रास का नियमित सेवन कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में बहुत ही प्रभावी होता है। यह चाय बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL या बुरा कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को कम करने में मदद करता है, जिससे हृदय संबंधी रोगों का खतरा कम होता है। लेमनग्रास में मौजूद अल्डहैड्रोक्सीसिट्रिक एसिड (Citral) नामक यौगिक का अध्ययन दिखाता है कि यह कोलेस्ट्रॉल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।

अन्य शोधों में भी पाया गया है कि लेमनग्रास का सेवन कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। इसके अंतर्गत, यह तेजी से वसा के अतिरिक्त इकट्ठा होने से रोकता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि आपका हृदय स्वस्थ रहता है।

लेमनग्रास में मौजूद अन्य पोषक तत्व भी हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित होते हैं। इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स और फ्लेवोनॉइड्स जैसे यौगिक होते हैं जो आपके शरीर को हानिकारक रेडिकल्स से बचाने में मदद करते हैं और हृदय संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं।

इसलिए, लेमनग्रास का नियमित सेवन आपके कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है और आपको हृदय स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक हो सकता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर से पीड़ित हैं और हृदय संबंधी समस्याओं से बचना चाहते हैं।

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8. इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है लेमनग्रास | Lemongrass strengthens the immune system.

लेमनग्रास इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में वास्तव में मददगार होता है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण शरीर को संक्रमणों और विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाने में सक्षम होते हैं। यह गुण विशेषकर लेमनग्रास में पाए जाने वाले एंटीमाइक्रोबियल यौगिकों से प्राप्त होते हैं, जो शरीर को रोगाणुओं से लड़ने में मदद करते हैं।

लेमनग्रास का नियमित सेवन इम्यून सिस्टम की क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर के रोग प्रतिरोधक प्रणाली को सुधारकर शारीरिक स्वास्थ्य को स्थिर और बेहतर बनाता है। इसके अतिरिक्त, लेमनग्रास में मौजूद अंटीऑक्सिडेंट्स भी होते हैं जो विषाणुओं और रेडिकल्स के खिलाफ लड़ने में मदद करते हैं, जिससे शरीर की सामान्य रोग प्रतिरोधक प्रणाली को और भी सक्रिय बनाए रखा जा सकता है।

लेमनग्रास का इस्तेमाल विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे ताजगी वाली चाय, सूप, या अन्य पकवानों में इसका प्रयोग करके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

लेमनग्रास का उपयोग कैसे करें?

लेमनग्रास को विभिन्न तरीकों से उपयोग किया जा सकता है, जो न केवल खाद्य को स्वादिष्ट बनाते हैं, बल्कि स्वास्थ्य को भी लाभान्वित करते हैं। यहां कुछ तरीके हैं जिनमें लेमनग्रास का उपयोग किया जा सकता है:

  • सूप में: लेमनग्रास को सूप में डालकर उसका स्वाद और पोषण में वृद्धि की जा सकती है। यह सूपों को एक अनूठा और रिफ्रेशिंग फ्लेवर देता है और उसे और भी पोषक बनाता है।
  • चाय: लेमनग्रास की चाय बनाना एक अच्छा तरीका है इसके लाभ लेने का। इसके तनों को काटकर उसमें उबालते हुए चाय बना सकते हैं, जो ताजगी और उर्जा प्रदान करती है।
  • खाने में: लेमनग्रास की पत्तियां भी खाद्य में समाहित की जा सकती हैं। इसे चावल, नूडल्स, ग्रेवी, या सलाद में मिला कर खाया जा सकता है ताकि उसमें उसका स्वाद और गुण मिल सकें।
  • आइस टी: लेमनग्रास को आइस टी में डालकर उसे ठंडा और रिफ्रेशिंग बना सकते हैं। यह गर्मियों में ठंडा और स्वादिष्ट पेय प्रदान करता है और उसमें पोषक तत्वों का लाभ देता है।

लेमनग्रास के इन विभिन्न उपयोगों से आप इसके पोषण और स्वाद का आनंद ले सकते हैं, साथ ही इसके स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं। यह एक सर्दियों और गर्मियों दोनों में आनंद उठाने योग्य और उपयुक्त उपयोगी है।

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Thursday, 12 September 2024

Vyapar Setu

Vyapar Setu

Information | Knowledge | Facts

  • Information

लेमन ग्रास क्या है? जानिये इसके फायदे और औषधीय गुण | Lemon Grass in Hindi

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लेमन ग्रास क्या है? | What is Lemon Grass?

लेमन ग्रास Lemon Grass एक औषधीय पौधा है| इसका वैज्ञानिक नाम “Cymbopogon” है।  और लेमनग्रास को हिंदी में “गंदना” या “भूतकेशी” के नाम से भी जाना जाता है। यह एक लंबी हरी घास की तरह दिखता है। और नींबू के समान मधुर सुगंध वाले पत्तियों के रूप में जाना जाता है। चुकी इसमें लगभग 75% सिट्रल पाया जाता है जिसकी वजह से यह नींबू की तरह महकता है। लेमनग्रास को ज्यादातर पेय पदार्थ के रूप में किया जाता है तथा इसका उपयोग सौंदर्य उत्पादन के लिए भी किया जाता है।

लेमन ग्रास का उपयोग क्या हैं? | What are the Uses of Lemon Grass?

लेमन ग्रास की हरी पत्तियों का उपयोग चाय बनाने के लिए किया जाता है तथा सुखी पत्तियों से मिलने वाले लेमनग्रास के पाउडर से लेमनग्रास टी हर्बल चाय बनाई जाती है और इसका उपयोग सूप बनाने के लिए भी किया जाता है। लेमनग्रास की पत्तियों का उपयोग चाय में अधिक किया जाता है क्योंकि lemon grass सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है तथा साथ ही इसका उपयोग भारत में कई जगहों पर भोजन में भी किया जाता है। lemon Grass ऑयल का उपयोग परफ्यूम में, साबुन में ,अगरबत्ती बनाने में, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में तथा इत्यादि जगहों पर किया जाता है।

लेमनग्रास ऑयल की कीमत | Price of Lemon Grass Oil

वैसे तो लेमनग्रास क्वालिटी के अनुसार बेची जाती है लेकिन सामान्य तो अगर बात करें तो लेमनग्रास ऑयल की कीमत बाजारों में ₹1000 से ₹4000 प्रति लीटर मिलती है। और इसकी चाय भी थोड़ी महंगी मिलती है।

लेमनग्रास में पाए जाने वाले तत्व | Elements found in Lemon Grass

लेमनग्रास में विटामिन C, विटामिन A, विटामिन B6, विटामिन B1, विटामिन B2, फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटैशियम, जिंक, फाइबर, प्रोटीन, आदि जैसे आंशिक तत्व पाए जाते हैं। ये तत्व सेहत के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और शक्ति प्रदान करने, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, त्वचा को स्वस्थ रखने, मस्तिष्क स्वास्थ्य को सुधारने, पाचन को सुधारने, आदि में मदद कर सकते हैं।

लेमन ग्रास के औषधीय गुण व फायदे | Medicinal Properties and Benefits of Lemon Grass

लेमनग्रास, जिसे चायपत्ती का सुगंधित घास भी कहा जाता है, एक पौष्टिक और उपयोगी जड़ी बूटी है जिसके विभिन्न आयुर्वेदिक औषधीय गुण होते हैं।लेमनग्रास के कुछ मुख्य फायदे और औषधीय गुणों को हमने नीचे बताया है-

पाचन सुधार (Digestion Improvement)- लेमनग्रास में प्राकृतिक पाचनशक्ति होती है जो पाचन प्रक्रिया को सुधारती है और अपच की समस्याओं को कम करती है।

सूजन के नियंत्रण में मदद (Help Control Inflammation)- इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव से लेमनग्रास सूजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो रक्त संचरण को बढ़ाकर आपके शरीर के विभिन्न हिस्सों में घावों की मात्रा को कम करता है।

तनाव कम करना (Edge Off)- लेमनग्रास में मौजूद दोषहर प्रभाव शरीर के तनाव को कम करने में मदद कर सकता है और मनोविज्ञानिक रूप से स्थिरता और शांति को बढ़ा सकता है।

स्किन की देखभाल (Skin Care)- लेमनग्रास त्वचा के लिए उपयोगी होता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण से यह त्वचा संक्रमणों को कम करने में मदद करता है और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखता है।

शरीर की संतुलितता को बनाए रखना (Maintain Body Balance)- लेमनग्रास प्राकृतिक तरीके से शरीर के अवानति को बढ़ाकर शरीर की संतुलितता को बनाए रखने में मदद कर सकता है। इससे शरीर की प्रक्रियाओं को सही ढंग से कार्यान्वित करने में मदद मिलती है।

पाचनतंत्र की सुरक्षा (Protection of the Digestive System)- लेमनग्रास अपच, एसिडिटी, गैस, उदररोग और पेट में आंतों की समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है। यह पाचनतंत्र को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।

श्वसन नली के लिए मददगार (Helpful for Respiratory Tract)- लेमनग्रास श्वसन नली के लिए उपयोगी हो सकता है और सांस लेने में सुधार कर सकता है। यह कफ, सर्दी, ब्रोंशाइटिस और अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।

लेमनग्रास का उपयोग कई रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि चाय, तेल, बाथ सामग्री और मसालों में मसाला। हालांकि, आयुर्वेदिक उपचार के लिए इसे पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करना सुरक्षित होगा।

तो दोस्तों हमें आशा है कि हमारे इस लेख में लेमनग्रास से संबंधित सभी जानकारी आपको मिली है जिन्हें आप जानना चाहते थे| ऐसे ही और जानकारियों को पढ़ने के लिए हमारे दूसरे लेखों को आप पढ़ सकते हैं।

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lemongrass business plan in hindi

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Project Report Bank

Lemongrass Oil Manufacturing sample Project Report Format

Lemongrass Oil Project Report

₹ 500

Description

Additional information.

You can immediate download the Lemongrass Oil Manufacturing sample project report format template, in MS excel or word / pdf format.

In this business plan, we provide great information about Lemongrass oil business plan. Lemongrass is an aromatic plant that grows in many tropical and subtropical regions of southeast Asia and Africa. Many species called an East Indian lemongrass or Malabar or Cochin Grass, because of its origin in Indo-Burma region and its native to India, Sri Lanka, Burma and Thailand in India, commercial cultivation of this plant in different states like the Western Ghats (Maharashtra and Kerala), Karnataka, UP, Tamil Nadu, UP and foothills of Arunachal Pradesh and Sikkim.

Leaves and flowering tops of lemongrass are used to produce Lemongrass oil using the distilled method.  This oil has a pungent lemon-like odour produce due to high citral content of around 75-90% which is used as a basic raw material for synthesis of β-ionones which is used for the formation number of useful aromatic compounds and Vitamin-A. Lemongrass oil is the main substitute for ‘Çod Liver Oil’. The important quality checking measure is citral content and its solubility in alcohol. This is also an important ingredient in toiletry products like soaps, bath salts, detergents, cosmetics, room fresheners etc. Here in this business plan, we try to explain how to start a small scale lemongrass oil manufacturing business.

This oil is reddish-yellow to reddish-brown colour with a strong lemon odour and highly used in pharmaceutical preparations, like pain balm, disinfectants, and mosquito repellent creams.

How to Download Lemongrass Oil Manufacturing Sample Project Report 

  • Table of Contents
  • 1 How to Download Lemongrass Oil Manufacturing Sample Project Report 
  • 2 Lemongrass oil Market Potential and Export
  • 3 Lemongrass Oil Business Registration
  • 4 Lemongrass Oil Manufacturing Plant Setup & Machinery
  • 5 Lemongrass Oil Manufacturing Process & Raw Material
  • 6 Further, Process
  • 7 Raw Materials
  • 8 Storage and Packing of Oil
  • 9 Lemongrass Oil usage
  • 10 lemongrass oil
  • 11 Key Points Cover in Sample Project Report  
  • 12 Sample Project Report Format
  • 13 For whom are these formats useful?

Gone are the days waiting at the door of the expert , as a result, get you Cello Tape Manufacturing     sample report in hand, now you can instantly download report in excel or word format.

First Step            –   Click add to basket  >>  Check Out  >>  Payment

Second Step       –  Immediately after successful payment, you will get a link to download the report. You can download the report immediately from this link.

Lemongrass oil Market Potential and Export

In the early fifties, India produced around 1800MT per annum of lemongrass oil and a big monopoly in production and world trade but the situation is changing now as other countries like China, Mexico, and Bangladesh start cultivation of lemongrass over large areas. Currently, world production of lemongrass oil is 1300MT per annum. Litsea Cubeba, faster growing and rich in citral is the substitute for lemongrass which is produced by China to produced 600MT citral and limits the scope of lemongrass oil. This is an important essential oil and the demand for aromatic cosmetics increasing day by day, therefore demand for this oil is also increasing. As well as awareness about the advantages of essential oils is also increasing in the Indian population. Moreover, mass consumers are also conscious these days of the harmful effects of chemical cosmetics and personal care products.

But globally India is the major producer of this oil. Some other major importers are Western Europe and North America. Due to the higher demand for this oil, cultivation area is also increasing and farmers showing more interest in producing lemongrass. In this situation, starting a lemongrass oil manufacturing business is a financially fruitful project for a business man in India.

Lemongrass Oil Business Registration

In the initiative of making lemongrass oil, your first step is registering your business with the company’s register with ROC or alternative you can create proprietorship, partnership, LLP or One Person Company.

You have to get a trade license from Local Municipal Authority and Udyam Registration on online portal of Ministry of Micro, Small, Medium Enterprises.

In addition to above, apply for GST Registration.

Also, you must be apply for FSSAI license , if you want to use this oil for flavouring the food.

Lemongrass Oil Manufacturing Plant Setup & Machinery

This is very important to start your production house nearby lemongrass plantation field so that you can easily procure raw material. Although, check the utilities like electricity supply and water availability and transportation facilities for good work, for small scale industry, 1000sq Ft area is sufficient later you can increase the area for storage purpose. 

Machinery List

  • Evaporator Vessel
  • Florentine flask
  • Steam boiler
  • Pump( condensate)
  • Pump( cooling water)
  • Cooling tower

Lemongrass Oil Manufacturing Process & Raw Material

Drying and distillation method used in which grass is wilt for24hours to reduce its moisture content by 30% and oil yield improves. For oil extracting, steam distillation is preferred for production. The Main factors that influence oil production during distillation are 

  • Storage of the harvested herb
  • Treatment of the material
  • Method of distillation 

Now process start by introducing steam in a boiler and then steam pass into the vessel which contains leaves and water. Now place the leaves on a grid that is kept at some distance above water that fills the bottom of the vessel. Here the vaporization process start and water indirectly vaporized with the help of steam flowing in a pipe coil submerged in the water. The essential oil present in the oil glands, oil sacks and glandular hairs of the plant therefore, it is necessary to cut leaves into small pieces to expose as many oil glands as is possible.

Immediate oil distillation is required to avoid oil loss and for this water vapour and distilled oil coming from the evaporator vessel is recovered in a separate water cooled condenser. Now separate the mixture coming out of the condenser by decantation in a Florentine flask. This process takes around 3 to 4 hours. To increase the citral content, it is advisable to dip the chopped lemongrass in a solution of sodium chloride of concentration 1-2% for 24 hours before distillation. The recovery rate of oil from the lemongrass is 0.5-0.8 percent.

Further, Process

Now the oil floats at the top from where it can separate easily. Although, water still contains some soluble parts of oil and it is sent back to the evaporator to take out more oil.

Using a simple filtration method, the insoluble particles present in the oil are removed by mixing with anhydrous sodium sulphate and keep it overnight for 4-5 hours and if found due to rusting colour changes then it is clean using steam rectification process.

Raw Materials

The mainly raw material used for lemongrass oil is lemongrass and this plant grows well in soils, which is not suitable for richer production plants. Sandy and dry soil yield more oil and oil of higher citral content than the plants which grow in fertile soil.

Lemongrass plant life cycle is 6 to 8 years and mainly oil yield reaches its maximum during the fourth or fifth year and annual average value between 15 and 20 kg/ha with three crops per year. The ratio of oil to leaves is 0.348% and about 288kg lemongrass leaves are required to produce 1 kg of essential lemongrass oil.

Storage and Packing of Oil

Using glass bottles or stainless steel or aluminium or galvanized iron, depending on oil quantity you can store oil. Whatever container is used but it is kept in mind that oil-filled up to the brim and containers kept away from direct heat and sunlight and always stored in cool or shaded places.

Lemongrass Oil usage

  • This is a source of citral and used in different products like deodorants, waxes, polishes, detergents and insecticides etc.
  • Lemongrass oil is used in the preparation of perfumes for soaps, hair oils, scents, and medicines.
  • This oil has antibacterial properties.
  • For the preparation of Vitamin A, basic raw material Ionone is used in this which is prepared from the citral present in lemongrass oil. Ionone is also used in different types of confectionery and liquor. Ionone can be prepared directly from the lemongrass oil or citral obtained from the lemongrass oil.
  • The lemongrass oil and leaves are use for the preparation of medicines. Also considered an important plant for Ayurveda medicine practice.
  • Lemongrass is use for kill germs and act as a mild astringent. It is used for high blood pressure, pain, cough, fever, common cold and exhaustion.

lemongrass oil

It is easy to enter this market and sell your product, as a market for this oil is already high. But to increase your sales and for future business, follow market techniques to defeat your competitors and start advertising your product with the brand name to remember your product. Brand name creativity increases productivity.

Also active on social media like Facebook, Whatsapp, Instagram for your product promotion and try to sell product through online websites or apps like flipkart, amazon as these are in demand. Advertise through local newspapers, magazines and electronic media platforms. Install billboards in different locations. Usage of fix banners wherever it is necessary to increase your customers. 

Conclusion for the lemongrass oil business to make good money

The manufacturing of oil from lemongrass is a good business opportunity and highly profitable if one does not compromise with quality. The above benefits and harms explain how to start this lemongrass oil extraction business to make huge money. 

Q1. What is the basic cost to start a lemongrass oil extraction business for making huge money?

Ans: The cost may vary from small scale business to large scale but starting investment for this business is 21 lakhs to 25 lakhs and following investments required:

  • Premises Rs 2,00,000 to Rs 2,50,000
  • Registration and licence cost Rs 1,50,000 to Rs 2,00,000
  • Machinery cost Rs 5,00,000 to Rs 5,50,000
  • Water and electricity cost Rs 90,000 to Rs1,00,000
  • Marketing and advertisement charges Rs 2, 00,000 to Rs 3, 00,000
  • Manpower Rs 2,00,000 to Rs 3,00,000Other expenses Rs 1,00,000 to Rs 1,50,000

Q2. What is the starting cost of lemongrass oil?

Ans: The minimum cost for 15ml lemongrass oil is Rs 300 to Rs 350 and vary in different brands. This oil is available online and in stores.

Q3. How to use lemongrass oil?

Ans: Before applying this oil, one must do a skin patch test on a small area of skin and wait for 24 hours to see the reaction on your body. Always use this oil in diluted form only. Never go for undiluted oil.

Q4. What are the side effects of lemongrass oil?

Ans: Lemongrass oil causes allergic reactions if not used in proper form. These are the tips to follow:

  • These oils are not use near eyes and mucous membranes.
  • Away from children and pets.
  • Do not ingest essential oil.
  • Wash the hands properly after using it. 

Key Points Cover in Sample Project Report  

  • Project at a Glance
  • Introduction
  • Promoters and Management
  • Market Demand Potential
  • Location of the Project
  • Projected Balance Sheet
  • Projected Profitability Statement
  • Debt Service Coverage Ratio
  • Break Even Analysis
  • Depreciation Chart
  • Plant & Machinery
  • Term Loan Repayment Schedule
  • Ratio Analysis & Assumptions
  • Expenses Detail
  • Conclusion & Recommendations

Apart from this, all the information is being provided. To help in preparing project reports.

Sample Project Report Format

In our project report format, we cover technology details, its diagrams, flow chart etc. as and when required or deemed fit to include. Also, prepare in-depth financial calculations which is necessary for the Investor/bank.

You will get the  report data Lemongrass Oil Manufacturing  in PDF or MS word. Which you can use easily. You can also modify the information according to your need. You will be able to access the data easily according to the your requirement. Additionally you can easily convert the data to PDF format .

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For whom are these formats useful?

  • CA Chartered Accountants
  • Tax Consultants
  • Small Business Owners

In addition to those who want to prepare project reports themselves.

Lemongrass Oil Manufacturing business plan

A clear Lemongrass Oil Manufacturing Project Report  is crucial for your success as an entrepreneur. Therefore, you also wish to contemplate some important, like your initial costs, your target market, and how long it’ll see you interrupt even. Also, draft a proper Lemongrass Oil Manufacturing Project Report that describes your expected income, product and repair lines, expansion plans, and other details of your business.  Because, a well-drafted project report will facilitate you in applying for any bank loan. Therefore, you can get a well-draft project report from our website www.projectreportbank.com.

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किरयाणे की दुकान कैसे खोलें? – Grocery Store Business Plan In Hindi

जाने इस पोस्ट में क्या क्या है

Kiryana Ki Dukan Kaise Khole: आज के समय में बिजनेस की मांग काफी ज्‍यादा बढ़ गई है। क्‍योंकि पिछले कुछ समय के अंदर लगातार देखा गया है कि देश में नौकरियां घटती जा रही हैं। ऐेसे में काफी सारे लोग बिजनेस में रूचि ले रहे हैं।

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इसलिए अगर आप समझना चाहते हैं कि किरयाणे की दुकान कैसे खोलें (Kiryana Ki Dukan) तो हमारे इस लेख को अंत तक पढि़ए। अपने इस लेख में हम आपको किरायाणा की दुकान खोलने से जुड़ी सारी जानकारी देंगे। जिसके बाद आप आसानी से किरयाणा की दुकान खोल सकते हैं।

किरयाणे की दुकान क्‍या होती है ?

किरयाणे की दुकान कैसे खोलें इसके बारे में हम आपको जानकारी दें उससे पहले आइए एक बार हम आपको जानकारी दें कि किरयाणा स्‍टोर (Kiryana Ki Dukan) क्‍या होती है। ताक‍ि आप समझ सकें कि आप कैसे अपना किरयाणा स्‍टोर खोल सकते हैं।

तो हम आपको बता दें कि किरयाणा स्‍टोर उसे कहा जाता है जहां पर आपको खाने पीने की सारी चीजें मिलती हैं। साथ ही वहां पर आपको घर में प्रयोग होने वाली दूध, दही और अन्‍य चीजें मिलती हैं। जो कि हमारे घरों में रोजाना प्रयोग में लाई जाती है।

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किरयाणे की दुकान में कितनी कमाई होती है ?

काफी सारे लोग जानना चाहते हैं कि अगर वो भविष्‍य में किरयाणा स्‍टोर खोलते हैं तो इस काम से उनकी कितनी कमाई हो सकती है तो हम आपको बता दें कि इस काम से आपकी काफी कमाई हो सकती है। लेकिन यह बात इस बात पर निर्भर करती है कि आप कि दुकान कितनी चलती है।

साथ ही आपकी दुकान से कौन सा सामान ज्‍यादा बिकता है। क्‍योंकि काफी सारी कंपनी ऐसी होती हैं जो दुकानदारों को ज्‍यादा कमीशन देने का काम करती हैं। साथ ही कुछ कंपनी ऐसी होती हैं जो कि दुकानदारों को बहुत कम कमीशन देने का काम करती हैं।

किरयाणे की दुकान खोलने के लिए जरूरी चीजें ?

किरयाणे की दुकान खोलने के लिए कुछ जरूरी चीजें होती हैं जो कि आपके पास अवश्‍य रूप से होनी चाहिए। इसलिए आइए एक बार हम आपको उन चीजों की जानकारी दे देते हैं। जो कि आपको चाहिए होती हैं। ताकि आपको अंदाजा हो सके कि आपका कितना खर्चा आएगा।

इसमें सबसे पहले आपके पास एक कांउटर होना चाहिए, इसके अलावा आपके पास सामान रखने के लिए कुछ आलमारी और अगर आप फ्रिज वाला सामान बेचने का काम करते हैं तो आपके पास फ्रिज का होना भी बेहद जरूरी है। इसके अलावा आपके पास एक दुकान होनी चाहिए जहां पर आप सामान रख सकें।

बिजनेस के लिए सबसे जरूरी चीजें ?

ऐसा नहीं है कि कोई भी इंसान केवल इस पोस्‍ट को पढ़ेगा और अपना बिजनेस शुरू कर देगा। इसके लिए कुछ चीजें आपके अंदर पहले से होनी चाहिए। ताकि आप आसानी से अपना बिजनेस कर सकें।

किरयाणे की दुकान कैसे खोलें में सबसे पहले आपके पास पैसा होना चाहिए। क्‍योकि आप कितना भी अच्‍छा क्‍यों ना सोच लें। लेकिन अगर आपके पास पैसा नहीं होगा तो आप कभी भी उन चीजों को हकीकत का रूप नहीं दे पाएंगे।

इसलिए सबसे पहले जरूरी है कि आपके पास कुछ पैसा हो जो कि आप शुरूआत में लगा सकें। साथ ही एक बात और है कि बिजनेस में कई बार नुकसान भी हो जाता है। अगर आपके पास पैसा है तो आप उसे झेल सकते हैं।

इसके बाद किरयाणे की दुकान कैसे खोलें में जरूरी है कि आपके पास कहीं पर जगह हो। अगर आपके पास जगह नहीं है तो आप कहीं पर दुकान किराए पर ले सकते हो। क्‍योंकि आज के समय में बाजार में काफी सारी दुकानें किराए पर ही चल रही हैं।

इसलिए इस बात से बिल्‍कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है कि आपके पास अपनी जमीन नहीं है। लेकिन एक बात जरूर है कि अगर आप जमीन को किराए पर लेते हैं तो इस बात का भी ध्‍यान रखिए कि उसमें आपको हर महीने किराया देना होगा। इसलिए हमेशा इस बात को सोच समझकर ही किरयाणे की दुकान शुरू करें।

बाजार से लिंक

किरयाणे की दुकान (Kiryana Ki Dukan) खोलने के लिए जरूरी है कि आपके बाजार से अच्‍छे लिंक हों। ताकि जैसे ही सामान की जरूतर पड़े तो आप तुरंत मंगवा लें। साथ ही सामान ना बिकने पर उसे वापिस भी कर दें। इसलिए दुकान खोलने के साथ ही कोशिश करें कि आप बाजार से लोगों से लिंक बनाने लगिए।

किरयाणे की दुकान खोलने के फायदे ?

अगर आप ये बात समझ जाते हैं कि किरयाणे की दुकान कैसे खोलें । तो इसके कई सारे फायदे हैं। इसलिए आइए अब हम आपको उन फायदों की जानकारी देते हैं।

  • किरयाणे की दुकान (Kiryana Ki Dukan) आज के समय में आप देश के किसी भी हिस्‍से में जहां आबादी रहती है खोल सकते हैं।
  • यह एक ऐसा काम है जो कि हर सीजन में चलता है। इसलिए यह एक अच्‍छा बिजनेस है।
  • किरयाणे के काम को शुरू करने के लिए आपको किसी तरह के अनुभव की जरूरत नहीं होती है। क्‍योंकि यह काम हर कोई जानता है।
  • किरयाणे की दुकान (Kiryana Ki Dukan) की शुरूआत कम लागत से भी की जा सकती है। इसलिए इसे गरीब लोग भी कर सकते हैं।
  • इस बिजनेस के अंदर नुकसान होने की कम ही संभावना रहती है। क्‍योंकि किरयाणे का सारा सामान प्रयोग होने वाला होता है।
  • किरयाणे की दुकान खोलने के लिए जरूरी नहीं है कि आप बाजार में ही जाएं। इसे आप छोटी मोटी जगह भी खोल सकते हैं।

किरयाणे की दुकान कैसे खोलें ?

चलिए अब हम आपको जानकारी देते हैं कि किरयाणे की दुकान कैसे खोलें । इसमें हम आपको स्‍टेप बाए स्‍टेप जानकारी देंगे कि आप कैसे इस काम को शुरू कर सकते हैं। जिससे आपको फायदा ही फायदा हो।

बजट का आकलन करें

किरयाणे की दुकान कैसे खोलें में हम आपको सबसे पहला सुझाव ये देंगे कि आप सबसे पहले अपने बजट का आकलन करें। क्‍योंकि बिना पैसे के आप चाहते हुए भी कुछ नहीं कर सकते हैं। इसलिए आप ये देखें कि आपके पास इस समय कितना बजट है।

इसमें ध्‍यान इस बात का रखें कि आप कुछ पैसा अलग से निकाल लें। इससे अगर आपकी इस बिजनस में आमदनी नहीं होती है तो भी आपको किसी तरह की समस्‍या ना आए। इसलिए हमेशा दो तरह का बजट बनाएं।

किरयाणे की दुकान कैसे खोलें

जगह का चुनाव करें

बजट का आकलन करने के बाद आपको चाहिए कि आप जगह का चुनाव करें। इसमें आप इस बात का ध्‍यान रखें कि आपको हमेशा ऐसी जगह का चुनाव करना है जो कि काफी अच्‍छी हो। वहां पर लोगों का आवगमन खूब हो। साथ ही आसापास किरयाणे की दुकान भी ना हो।

क्‍योंकि कई बार हम किसी ऐसी गलत जगह का चुनाव कर लेते हैं जहां पर लोगों को आवागमन ही नहीं होता है या आपकी दुकान दिखाई ही नहीं देती है। तो लोग आपकी दुकान पर आते ही नहीं हैं। जिससे आपकी दुकान की कमाई पर फर्क पड़ता है।

जमीन या दुकान किराए पर लें

अब अगर आपने जगह का चुनाव कर लिया है। पर वहां पर आपकी कोई जगह नहीं है तो आपको चाहिए कि आप वहाँ पर जमीन या दुकान किराए पर ले लें। जिसके अंदर आप अपनी दुकान चला सकें। इसमें ध्‍यान इस बात का रखें कि जमीन ज्‍यादा बड़ी ना हो।

क्‍योंकि किरयाणे की दुकान छोटी सी जगह पर आसानी से आ जाती है। इसलिए ज्‍यादा बड़ी बड़ी जगह लेकर अपना पैसा खराब ना करें। साथ ही किरयाणे की दुकान पर आप कुछ सामान बाहर भी आसानी से रख सकते हैं।

किरयाणे की दुकान कैसे खोलें

दुकान के लिए माल खरीदें

इन सब चीजों के तय करने के बाद आपको चाहिए कि सबसे पहले जरूरी सामान खरीदें। क्‍योकि आपको पता होगा कि किरयाणे की दुकान घर में प्रयोग होने वाली छोटी छोटी चीजें बड़ी आसानी से मिल जाती हैं। इसलिए उन सामानों की एक लिस्‍ट बना लें।

इसके बाद आपके शहर में जहां पर भी सबसे सस्‍ता सामान मिल रहा हो वहां पर चले जाएं और उन सभी सामानों को खरीद लाएं। शुरूआत में आप ध्‍यान इस बात का रखें कि आप उस तरह का ज्‍यादा सामान ना लाएं जो कि समय के साथ खराब होने का डर रहता है।

काम करने वाले लोग रखें

अगर आपको लगता है कि आपको काम करने वाले लोग भी रखने होंगे तो हम कहेंगे कि आप शुरूआत में अपने साथ एक आदमी रख लीजिए। बस ध्‍यान इस बात का रखिए कि वो आदमी ऐसा हो जो काम भी करे और ईमानदार भी हो।

क्‍योंकि किरयाणे की दुकान में काफी सारा ऐसा सामान होता है जो चाहे तो घर ले जा सकते हैं। या वहीं पर खा सकते हैं। इसलिए हमेशा अपनी दुकान पर एक जिम्‍मेदार आदमी को रखें। हालांकि अगर आपके घर में कोई इंसान बेरोजगार हो तो आप उसे भी रख सकते हैं।

किरयाणे की दुकान कैसे खोलें

दुकान की शुरूआत करें

इन सब चीजों के तय होने के बाद आपको चाहिए कि आप दुकान की शुरूआत करें। क्‍यों‍कि जब तक आप दुकान की शुरूआत नहीं करेंगे तब तक लोगों को उसके बारे में पता नहीं चलेगा। इसलिए हमेशा गाजे बाजे के साथ दुकान की शुरूआत करें।

इसमें आप एक दिन अपने दुकान का प्रसार अपनी पूरी गली में बंटवा दें। जिससे लोगों को पता चल जाए। साथ ही दुकान पर कुछ लाइटें और बोर्ड वगैरह लगवा दीजिए। इससे भी लोगों को काफी फायदा हो जाएगा। साथ ही लोगों को लुभाने के लिए कुछ और तरीके भी अपना लीजिए।

दुकान का प्रमोशन करें

आज के समय में  किरयाणे की दुकान कैसे खोलें के बारे में जान लेने से भर से आप इस काम को नहीं कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आपको पता हो कि आप कैसे दूसरों को पीछे छोड़ सकते हैं। क्‍योंकि आज के सयम में हर गली में दुकान है।

इसलिए आप अखबारों में विज्ञापन दें। साथ ही लोगों को शुरूआत में छूट दें। इसके अलावा आप लोगों से अच्‍छे संबध बनाएं। बस ध्‍यान इस बात का रखें कि आप लोगों को ज्‍यादा सामान उधार में ना दें। इससे आपको आने वाले समय में नुकसान हो सकता है।

किरयाणे की दुकान कैसे खोलें

ग्राहकों की जरूरत को समझें

जब आप हमारी ये पोस्‍ट पढ़कर समझ जाएंगे कि किरयाणे की दुकान कैसे खोलें तो उसके थोड़े दिन बाद आपकी दुकान पर ग्राहक भी आने शुरू हो जाएंगे। इसलिए आप हमेशा इस बात का ध्‍यान दें कि ग्राहक क्‍या मांग रहा है। साथ ही कौन सी वो चीजें हैं जो ग्राहक को नहीं चाहिए।

आप इसे एक कॉपी में लिखते जाइए। इसके बाद आप आगे उसी तरह का सामान मंगवाइए। क्‍योंकि अगर आपके पास सामान नहीं होगा तो लोग आपके पास से वापिस जाने लगेंगे। जिसके बाद आगे से वो अपकी दुकान पर आने से कटने लगेंगे। इसलिए खाली किसी भी इंसान को ना जाने दें।

कमाई का आकलन करें

क्‍योंकि अब आप एक बिजनेस में उतर चुके हैं इसलिए जरूरी हो जाता है कि आप समय समय पर अपनी कमाई का आकलन भी करते रहें। क्‍योंकि अगर आप कमाई का आकलन नहीं करेंगे तो आप कभी फायदे में नहीं आएंगे। इसलिए आप हर तीन महीने बाद कमाई का आकलन करें।

इसमें ये देखें कि आपका कब फायदा हुआ और कब नुकसान हुआ। साथ ही नुकसान क्‍यों हुआ। क्‍योंकि अगर आप नुकसान को नहीं समझ पाएंगे तो आप कभी भी उससे बाहर नहीं आ पाएंगे। क्‍योंकि नुकसान को केवल समझकर ही कम किया जा सकता है।

कुछ जरूरी सावधानी

किरयाणे की दुकान (Kiryana Ki Dukan) खोलने के लिए आपको कई चीजों का ध्‍यान रखना होता है। ताकि आपको आगे चलकर किसी भी तरह की समस्‍या ना हो।

  • हमेशा ग्राहकों को हर चीज सही दाम पर दें। चाहे उस ग्राहक को उसका रेट पता हो या नहीं।
  • कभी भी ग्राहकों को अपने फायदे के लिए ऐसा सामान ना दें जो कि एक्‍सपायर हो चुका हो।
  • दुकानदारी में हमेशा उधार करने से बचें। केवल बहुत जरूरी होने पर ही उधार करें।
  • रोजाना का हिसाब किताब आप एक रजिस्‍टर के अंदर लिखकर रखें। ताकि आपको हर चीज का पता रहे।
  • चाहे आपका छोटा ग्राहक हो या बड़ा ग्राहक हो हमेशा सबका पूरा सम्‍मान करें। क्‍योंकि है तो आपका ही ग्राहक।
  • हमेशा दुकान में आगे वो चीजें रखें जिससे बच्‍चे पसंद करते हों। इससे आपकी दुकान में ग्राहक बढ़ेंगे।

किरयाणे की दुकान से कितनी कमाई होती है?

किरयाणे की दुकान से आपको महीने की 20 से 30 हजार रूपए आसानी से कमाई हो सकती है। बस आपको उसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

किरयाणे की दुकान से कितने महीने बाद इनकम शुरू होती है?

किरयाणे की दुकान से आपकी इनकम 2 महीने बाद ही शुरू हो सकती है। क्‍योंकि किरयाणे का सामान ऐसा होता है जो हर घर में चाहिए होता है।

किरयाणे की दुकान शुरू करने में लागत इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितना सारा सामान शुरू में रखते हैं। फिर भी आमतौर पर ये लागत 2 से 3 लाख जरूर आती है।

किरयाणे की दुकान शुरू करने में कितनी लागत आती है?

किरयाणे की दुकान में कितना जोखिम है.

किरयाणे की दुकान करने में केवल नाममात्र का जोखिम है। इसलिए इसे कोई भी आसानी से कर सकता है।

आशा है कि आप समझ गए होंगे कि किरयाणे की दुकान कैसे खोलें । इसे जानने के बाद आप आसानी से Grocery Store का बिजनेस शुरू कर सकते हैं। बस ध्‍यान इस बात का रखिए कि आप कभी भी अपने काम के प्रति लापरवाही ना दिखाएं। क्‍योंकि लापरवाही ही हमेशा इंसान को नुकसान में लेकर जाती है। साथ ही ग्राहकों के साथ कभी भी किसी तरह का धोखा ना करें।

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