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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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10 मोटिवेशनल किताबें जो आपको ज़रूर पढ़नी चाहिएं

एक उत्तम निबंध कैसे लिखें.

Last Updated: May 9, 2017 By Gopal Mishra 11 Comments

निबंध कैसे लिखें?

How to write an essay in hindi.

निबंध लिखने का तरीका समझने से पहले यह जानना आवश्यक है कि “निबंध क्या है?” और उसके तत्त्व कौन से हैं व सफल निबन्ध की कसौटी क्या है? तत्पश्चात ही उच्च गुणवत्ता का निबन्ध लेखन किया जा सकता है।

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निबंध क्या है?

हिंदी के प्रमुख साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबन्ध को परिभाषित करते हुए कहा है-

निबन्ध लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है।

उपरोक्त परिभाषा से दो तथ्य तो स्पष्ट हो जाते हैं कि निबन्ध लेखक के मन की प्रवृत्ति के अनुरूप  ही होना चाहिए और निबन्ध का लेखन स्वच्छन्द गति पर आधारित हो अर्थात निबन्ध लेखक के व्यक्तित्त्व को, उसके मानसिक चिन्तन को शत-प्रतिशत उजागर करता हो। यानी निबंध ऐसा लिखना चाहिए कि लेखक का चिंतन, वैचारिक स्तर, विषय पर उसकी स्वयं की विचारधारा स्पष्ट हो जानी चाहिए।

यानि हम कह सकते हैं कि-

Rummy Perfect

निबंध, लेखक के व्यक्तित्व को प्रकाशित करने वाली ललित गद्य-रचना है।

इसके अतिरिक्त लेखक को नदी की धारा सम स्वच्छन्दता से बहना चाहिए, किसी अन्य के मत से प्रभावित हुए बिना। लेखक का व्यक्तिगत परिचय या स्वार्थ विषय-वस्तु को प्रभावित न करे- यह अत्यन्त आवश्यक है। ज़रूरी नहीं कि आप जो भी लिखें वो सभी को स्वीकार्य हो, ज़रूरी ये है कि आप निष्पक्ष हो कर लिखें क्योंकि निष्पक्षता ही किसी निबंध की प्रथम और अंतिम कसौटी है।

कुछ अन्य बातों की ओर भी निबन्ध लेखक का ध्यान हो, जैसे-

  • पाठक को निबन्ध पढ़ते हुए सहभागिता का अनुभव हो
  • लेखक के विचार पाठक को सरलता से समझ आने चाहियें
  • जहाँ तक संभव हो लेखक के अनुभव पाठक को आप-बीते अनुभव हों

वस्तुतः किसी भी निबन्ध की सफलता इसी तथ्य पर निर्भर करती है कि पाठक उससे कितनी आत्मीयता अनुभव करते हैं।

निबन्ध कैसे लिखें?

मूलतः हमारा विषय यह था कि “ निबन्ध कैसे लिखें “। एक आप-बीती बताती हूँ -शिक्षण जगत में प्रवेश किया ही था कि एक निराश कर देने वाला अनुभव हुआ। परीक्षा के पश्चात एक विद्यार्थी से परीक्षा संबंधित वार्तालाप करते हुए कहा,” निबन्ध छोड़ आया क्योंकि याद किया हुआ नहीं आया।” मैं अचंभित होते हुए उससे पूछ बैठी,” निबन्ध को भी याद करना होता है क्या?” उसने कोई उत्तर नही दिया।

काफी विचार-मंथन के पश्चात मुझे सम्पूर्ण शिक्षण-प्रक्रिया में यह खामी नज़र आयी कि हम शायद यह समझ ही नहीं पाए थे कि पाठ्यक्रम में निबन्ध-लेखन क्यों जोड़ा गया है। कक्षा में छात्रों का वाद-विवाद होने पर प्रायः यह कहा करती थी कि अगर अपने विचारों को स्पष्ट नहीं कर पा रहे और विवाद का हल हिंसा में खोजते हो तो सारी शिक्षण – व्यवस्था ही  असफल है।विचारों को उचित तरीके से स्पष्ट कर पाने की कला को सीखना  ही निबन्ध-लेखन का मूल मंतव्य है।

मित्रों, निबंध कैसे लिखें  समझने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि-

पाठ्यक्रम में निबन्ध – लेखन को क्यों समाहित किया गया :

1.  विद्यार्थी अपने विचारों को एकत्र करना सीख पाए। 2. विचारों को संतुलित तरीके से व्यक्त कर पाएं। 3. भाषा को उपयुक्त रूप से प्रयोग करना सीख पाएं। 4. किसी भी विषय पर छात्रों के स्वयं के विचार हों। 5. उनका वैचारिक स्तर निश्चित हो सके। 6. संवेदनात्मक व वैचारिक स्तर पर परिपक्व हो सके। 7. वे अपने विचारों को सकारात्मक दिशा दे पाए। 8.  अपने विचारों को दृढ़ता से रखना सीख सके। 9. आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सके। 10.रटन्तू तोता न बन विचारशील प्राणी बन सके।

अब प्रश्न यह उठता है कि निबन्ध किस प्रकार लिखे जाने चाहियें।

निबन्ध लिखते हुए छात्रों को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए-

1) निबंध के विषय पर अधिक से अधिक जानकारी एकत्र करें, इसके लिए आप इन्टरनेट और पुस्कालयों की मदद ले सकते हैं। आप अपने शिक्षक से भी विषय सम्बंधित किताबों या लेखों के बारे में जानकारी ले सकते हैं। यदि आप किसी परिभाषा या वक्तव्य को प्रयोग करना चाहते हैं तो उसे लिख लें और उसका स्रोत भी नोट कर लें। विशेषकर आपकी सोच को बल देती महापुरुषों की उक्तियाँ अवश्य लिख  कर याद कर लें।

ध्यान रहे कि अध्यन करने के पीछे का उद्देश्य चीजों को रटना नहीं बल्कि अपने ज्ञान को बढ़ाना और अपनी एक सोच विकसित करना है।

2) पहले से लिखे उत्कृष्ट निबंधों का अध्यन करें। ऐसा करते हुए आपको एक अच्छे निबन्ध के प्रारूप को समझना है। यहाँ यह भी ज़रूरी नहीं कि आप उसी विषय पर निबंध पढ़ें जिसपर आपको खुद लिखना है, आप किसी भी विषय पर लिखा अच्छा निबंध पढ़कर अपना लेखन सुधार सकते हैं।

3) अपने विषय को लेकर आपने जो विचार बनाए हैं उसकी अपने मित्रों या परिवारजनों से चर्चा करें। चर्चा से निकले प्रमुख बिन्दुओं को नोट कर लें और सही हो तो उनका निबंध में प्रयोग करें।

4) निबन्ध लिखने से पहले उसकी एक रूपरेखा बना लें: आरम्भ, मध्य व अंत मे क्या-क्या लिखना है सोच लें और किसी अन्य पेज पर बुलेट पॉइंट्स में लिख लें।

5) निबंध की भाषा सरल व स्पष्ट हो।

6) लेखन शुद्ध , त्रुटि रहित हो।

7) रटा-रटाया न होकर मौलिक विषय-वस्तु हो।

8) अपने अनुभवों पर आधारित हो।

9) हर तथ्य क्रम में हो मसलन समस्या का अर्थ, कारण, दूर करने के उपाय ओर अंत मे उपसंहार-सभी बातें उचित क्रम में हों।

10) अनावश्यक विस्तार से बचें।

11) तथ्यों की पुनरावृत्ति न करें .

12) शीर्षक व उपशीर्षक को रेखांकित करें।

13) विषय से संबंधित किसी प्रसिद्ध कवि या महा-पुरुष की कोई उक्ति स्मृति में हो तो उसे अवश्य लिखें।

14) अंत मे दोबारा पढ़ कर उसमें आवश्यक सुधार करें और वर्तनी पर विशेष ध्यान दें।

इन तथ्यों को ध्यान में रखकर विद्यार्थी निबन्ध-लेखन में शत-प्रतिशत अंक ला सकता है। निबन्ध- लेखन सागर के समान गहरा अवश्य है पर उसमे उतरेंगे तो सफलता रूपी मोती अवश्य ही पाएंगे।

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लेखिका हिंदी प्रवक्ता

निबंध लेखन की कला सिखाते इस लेख के लिए हम  नीरू ‘शिवम’ जी के आभारी हैं। धन्यवाद!

AchhiKhabar.Com पर प्रकाशित निबंधों की सूची यहाँ देखें 

Did you like article on “ निबंध कैसे लिखें? /  How to write an essay in Hindi ?” यदि निबंध लेखन को लेकर आपके कुछ विचार हों तो कृपया कमेन्ट के माध्यम से हमसे शेयर करें.

यदि आपके पास Hindi में कोई article, business idea, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: [email protected] .पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!

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  • हर एक शिक्षक को नमन हर एक शिष्य को आभार

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November 27, 2022 at 8:30 pm

Didi thank you so much 😘

August 3, 2021 at 4:51 pm

दीदी आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपके लेख को पढ़कर काफी प्रेरणा मिली कल मेरा शिक्षाशास्त्र परास्नातक द्वितीय वर्ष पंचम प्रश्नपत्र है आशीर्वाद दीजिएगा

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November 14, 2018 at 11:50 pm

Kya nibandh mE subject related diagram (chitra) banaya ja sakta h

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November 15, 2018 at 8:49 am

नहीं. लेकिन आप इन्फोग्रफिक या टेबल जैसा कुछ बना सकते हैं जिसमे निबंध से सम्बंधित बातें शोर्ट में बतायी गयी हों.

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March 8, 2018 at 10:36 pm

Aapne jo bhi baatein kahin hai wo hum jarur dhayan me rakhenge and thanks for your tips ma’am.

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February 25, 2018 at 12:00 am

Thanks for the tips ma’am…but I request to you ki hum log 3rd class k bacchho ko nibandh dikhana kaise sikhaye samay ki kami k Karan unless pass school books k bad time nahi hota…. please help

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December 28, 2017 at 7:49 pm

Very very thankful sir….

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May 18, 2017 at 10:06 pm

बहुत बढ़िया आर्टिकल स्टूडेंट के लिए बहुत ही फायदेमंद, निबंध से परीक्षा में अच्छे मार्क्स पाने का अवसर होता हैं.

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May 11, 2017 at 3:10 pm

Thanks for this Post sir….

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May 10, 2017 at 6:29 pm

Nice article… Sahi kaha aapne apne vicharon ko sahi tarah se spasht karne ki kala ko sikhna hi nibandh hai. Is article se sabhi students ko nibandh likhne me zarur laabh milega.

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May 10, 2017 at 2:46 am

परीक्षा में अच्छे अंक पाने में निबंध का अहम योगदान होता है और इसके लिए सभी students मेहनत भी करते है लेकिन फिर भी सबका रिजल्ट भिन्न होता है । नीरू जी आपके द्वारा बताएं गए टिप्स से यकीनन Students को बहुत मदद मिलेगी ।

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निबंध (Hindi Essay)

आजकल के समय में निबंध लिखना एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है, खासतौर से छात्रों के लिए। ऐसे कई अवसर आते हैं, जब आपको विभिन्न विषयों पर निबंधों की आवश्यकता होती है। निबंधों के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए हमने इन निबंधों को तैयार किया है। हमारे द्वारा तैयार किये गये निबंध बहुत ही क्रमबद्ध तथा सरल हैं और हमारे वेबसाइट पर छोटे तथा बड़े दोनो प्रकार की शब्द सीमाओं के निबंध उपलब्ध हैं।

निबंध क्या है?

कई बार लोगो द्वारा यह प्रश्न पूछा जाता है कि आखिर निबंध क्या है? और निबंध की परिभाषा क्या है? वास्तव में निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है। जिसे क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया हो। एक अच्छा निबंध लिखने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए जैसे कि – हमारे द्वारा लिखित निबंध की भाषा सरल हो, इसमें विचारों की पुनरावृत्ति न हो, निबंध के विभिन्न हिस्सों को शीर्षकों में बांटा गया हो आदि।

यदि आप इन बातों का ध्यान रखगें तो एक अच्छा निबंध(Hindi Nibandh) अवश्य लिख पायेंगे। अपने निबंधों के लेखन के पश्चात उसे एक बार अवश्य पढ़े क्योंकि ऐसा करने पर आप अपनी त्रुटियों को ठीक करके अपने निबंधों को और भी अच्छा बना पायेंगे।

हम अपने वेबसाइट पर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रकार के निबंध(Essay in Hindi) उपलब्ध करा रहे हैं| इस प्रकार के निबंध आपके बच्चों और विद्यार्थियों की अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों जैसे: निबंध लेखन, वाद-विवाद प्रतियोगिता और विचार-विमर्श में बहुत सहायक हो साबित होंगे।

ये सारे ‎हिन्दी निबंध (Hindi Essay) बहुत आसान शब्दों का प्रयोग करके बहुत ही सरल और आसान भाषा में लिखे गए हैं। इन निबंधों को कोई भी व्यक्ति बहुत ही आसानी से समझ सकता है। हमारे वेबसाइट पर स्कूलों में दिये जाने वाले निबंधों के साथ ही अन्य कई प्रकार के निबंध उपलब्ध है। जो आपके परीक्षाओं तथा अन्य कार्यों के लिए काफी सहायक सिद्ध होंगे, इन दिये गये निबंधों का आप अपनी आवश्यकता अनुसार उपयोग कर सकते हैं। ऐसे ही अन्य सामग्रियों के लिए भी आप हमारी वेबसाइट का प्रयोग कर सकते हैं।

Essay in Hindi

 
 
 
 
 
 
 
 
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

500+ विषयों पर हिंदी निबंध

विद्यार्थी जीवन में निबंध लेखन (Hindi Essay Writing) एक अहम हिस्सा है। विद्यार्थी के जीवन में हर बार ऐसे अवसर आते हैं, जहाँ पर निबन्ध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध लेखन का कार्य हर तरह की परीक्षा में भी विशेष रूप से पूछा जाता है।

Hindi Essay Writing

यहां पर हमने अलग-अलग विषयों पर क्रमबद्ध हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखे है। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।

यहां पर वर्तमान विषयों पर हिंदी में निबंध (current essay topics in hindi) उपलब्ध किये है।

हिंदी निबंध (Essay Writing in Hindi)

भारत देश से जुड़े निबन्ध

पर्यावरण और पर्यावरण मुद्दों से जुड़े निबंध

महान हस्तियों पर निबन्ध

सामाजिक मुद्दों पर निबन्ध

नैतिक मूल्य पर निबंध

तकनीकी से जुड़े निबंध

शिक्षा से जुड़े निबन्ध.

पशु पक्षियों पर निबंध

त्योहारों पर निबंध

विभिन्न उत्सवों पर निबंध

स्वास्थ्य से जुड़े निबंध

प्रकृति पर निबंध

खेल पर निबंध

महत्त्व वाले निबन्ध

शहरों और राज्यों पर निबन्ध

संरक्षण पर निबन्ध.

नारी शक्ति पर निबंध

रिश्तों पर निबंध

फल और सब्जियों पर निबंध

फूलों, पौधों और पेड़ों पर निबन्ध

प्रदूषण पर निबंध, लोकोक्ति पर निबन्ध.

धरोहर पर निबन्ध

निबंध क्या है.

निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है, जिसमें किसी विशेष विषय के बारे में विस्तार से वर्णन किया जाता है। निबंध के जरिये निबंध लिखने वाला व्यक्ति या लेखक अपने भावों और विचारों को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करने की कोशिश करता है।

निबंध लिखने वाले व्यक्ति को उस विषय के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी होने के साथ ही उसकी उस भाषा पर अच्छी पकड़ भी होना बहुत जरूरी है। सभी व्यक्तियों की अपनी अलग-अलग अभिव्यक्ति होती है। इस कारण ही हमें एक विषय पर बहुत से तरीकों में लिखे निबंध मिल जायेंगे।

निबंध की परिभाषा को आसान से शब्दों में बताये तो “किसी विशेष विषय पर भावों और विचारों को क्रमबद्ध तरीके से सुगठित, सुंदर और सुबोध भाषा में लिखी रचना को निबंध कहते हैं।”

निबन्ध लिखते समय इन बातों का रखे विशेष ध्यान

  • लिखा गया निबंध बहुत ही आसान शब्दों में लिखा हो, जिससे कि पढ़ने वाले को कोई मुश्किल नहीं हो।
  • निबंध में भाव और विचार की पुनरावृत्ति नहीं करें।
  • निबंध लिखते समय उसे विभिन भागों में बाँट देना चाहिए, जिससे पढ़ने आसानी हो जाये।
  • वर्तनी शुद्ध रखे और विराम चिन्हों को सही से प्रयोग करें।
  • जिस विषय पर निबंध लिखा जा रहा है, उस विषय के बारे में विस्तार से चर्चा लिखे।

इन बातों को ध्यान में रखकर आप एक बहुत ही सुंदर और अच्छा निबंध लिख सकते हैं। जब आप निबंध पूरी तरह से लिख ले तो उसके बाद आप पुनः एक बार पूरे निबंध को जरूर पढ़ लें और त्रुटी की जांच कर लें, जिससे निबंध और भी अच्छा हो जाएगा।

निबंध के अंग

निबन्ध को विशेष रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है:

भूमिका/प्रस्तावना

उपसंहार/निष्कर्ष.

यह निबंध का सबसे पहला भाग होता है। इससे ही निबंध की शुरुआत होती है। इसमें जिस विषय पर निबन्ध लिख रहे हैं उसके बारे में सामान्य और संक्षिप्त जानकारी दी जाती है।

इसे लिखते समय यह विशेष ध्यान रखें कि यह बहुत छोटा होने के साथ ही सारगर्भित भी हो, जिससे पाठक को पढ़ते समय आनंद की अनुभूति हो और उस निबंध को पूरा पढ़े।

यह निबंध का अगला भाग है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से चर्चा की जाती है। इस भाग को लिखते समय आपके पास जितनी भी जानकारी उपलब्ध है, उसे क्रमबद्ध करके अलग-अलग अनुच्छेद में प्रस्तुत करना होता है।

इसमें आपका क्रम पूरी तरह से व्यवस्थित होना चाहिए। हर दूसरा अनुच्छेद पहले अनुच्छेद से सम्बंधित होना चाहिए।

यह निबंध का सबसे अंतिम भाग होता है। इस भाग तक पहुँचने से पहले पूरी चर्चा पहले के अनुच्छेदों में कर ली जाती है। यहां पर पूरी चर्चा का सारांश छोटे से रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

हमने यहां पर हिंदी निबंध संग्रह (essay writing in hindi) शेयर किया है। यहां पर सभी महत्वपूर्ण हिंदी के प्रसिद्ध निबंध उपलब्ध किये है। यहां पर हमने लगभग सभी hindi essay topics कवर करने की कोशिश की है।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह hindi essay का संग्रह पसंद आएगा, इसे आगे शेयर जरुर करें। यदि इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

500+ प्रेरणादायक लोगों की जीवनियाँ

सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण

संस्‍कृत निबंध संग्रहण

1000+ हिंदी मुहावरे (अर्थ और वाक्य प्रयोग सहित)

Rahul Singh Tanwar

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हिंदी में निबंध (Essay in Hindi/ Hindi me Nibandh) - परिभाषा, प्रकार, टॉपिक्स और निबंध लिखने का तरीका जानें

Updated On: June 13, 2024 02:48 pm IST

निबंध किसे कहते हैं? (What is Essay?)

निबंध की परिभाषा (definition of essay in hindi).

  • निबंध के कितने अंग होते हैं 
  • निबंध कितने प्रकार का होता है (Types of Essay in …

हिंदी में निबंध (Essay in Hindi/ Hindi me Nibandh)

निबंध के कितने अंग होते हैं

निबंध कितने प्रकार का होता है (types of essay in hindi ), हिंदी में निबंध (essay in hindi) लिखते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-.

  • निबंध लिखना शुरू करने से पहले संबंधित विषय के बारे में जानकारी इकठ्ठा कर लें।
  • कोशीश करें कि विचार क्रमबद्ध रूप से लिखे जाएं और उनमे सभी महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हों।
  • निबंध को सरल भाषा में लिखने का प्रयास करें और रोचक बनाएं।
  • निबंध में उपयोग किए गए शब्द छोटे और प्रभावशाली होने चाहिए।

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Moreover you for your knowledge for getting into ICT be ready …

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निबंध लेखन: प्रारूप और उदाहरण (Essay Writing in Hindi: Format and Examples)

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हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण विषयों में से एक निबंध लेखन है। निबंध लेखन न केवल शैक्षिक आवश्यकता का हिस्सा है, बल्कि छात्रों को अपनी विचारधारा और भावनाओं को लिखित रूप में व्यक्त करने की कला भी सिखाता है। इस लेख में हम निबंध लेखन की संपूर्ण विधि, उसके विभिन्न पहलुओं और उदाहरणों पर विस्तृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करेंगे।

Table of Contents

निबंध लेखन का महत्व

निबंध लेखन का महत्व कई दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। यह बच्चों और छात्रों के मानसिक विकास, भाषा-संवर्द्धन और आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायता करता है। इसके अतिरिक्त, यह विचारों को व्यवस्थित करने और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने की क्षमता को भी सुधारता है।

मूलभूत उद्देश्य

  • विचारों की स्पष्ट अभिव्यक्ति
  • भाषा का विस्तार
  • तर्क और विश्लेषण की क्षमता का विकास
  • रचनात्मकता और कल्पनाशीलता को बढ़ावा देना

निबंध लेखन की संरचना

किसी भी निबंध की सफलता उसकी संरचना पर निर्भर करती है। एक अच्छे निबंध की संरचना तीन प्रमुख हिस्सों में बंटी होती है:

  • परिचय (Introduction): इस हिस्से में विषय का संक्षिप्त परिचय दिया जाता है जिससे पाठकों का ध्यान आकर्षित हो सके।
  • मुख्य भाग (Body): यह निबंध का सबसे विस्तृत हिस्सा होता है जिसमें विषय पर गहन चर्चा की जाती है।
  • निष्कर्ष (Conclusion): निष्कर्ष में मुख्य बिंदुओं का पुन: सारांश दिया जाता है और विषय की समाप्ति की जाती है।

निबंध लेखन के प्रकार

विभिन्न विधाओं के आधार पर निबंध को कई प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:

वर्णनात्मक निबंध (Descriptive Essay)

वर्णनात्मक निबंध में किसी विशेष घटना, स्थान, व्यक्ति या वस्तु का वर्णन किया जाता है।

वर्षा ऋतु पर निबंध

विश्लेषणात्मक निबंध (Analytical Essay)

विश्लेषणात्मक निबंध में किसी विषय या समस्या का विश्लेषण किया जाता है और उसके विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जाता है।

इंटरनेट का प्रभाव पर निबंध

तथ्यात्मक निबंध (Expository Essay)

तथ्यात्मक निबंध में विषय को तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

निबंध लेखन की विधि

अच्छे निबंध लेखन के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है:

विषय का चयन

सही विषय का चयन निबंध लेखन का पहला और महत्वपूर्ण चरण है। विषय ऐसा हो जो आपके ज्ञान और रुचि के क्षेत्र में हो।

अनुसंधान और तैयारी

विषय पर गहन अध्ययन करें और आवश्यक जानकारी संग्रहित करें। तथ्यों और आंकड़ों का संग्रह निबंध की गुणवत्ता में सुधार लाता है।

निबंध के लिए प्रारूप तैयार करें जिसमें मुख्य बिंदुओं और उप-बिंदुओं का संगठन हो। यह आपको अपनी विचारधारा को क्रमबद्ध और संगठित करने में सहायता करेगा।

अब प्रारूप और संग्रहित जानकारी के आधार पर निबंध लिखें। यह सुनिश्चित करें कि परिचय, मुख्य भाग, और निष्कर्ष सभी अनुक्रमिक और संगठित हों।

संपादन और सुधार

लेखन के बाद निबंध को ध्यानपूर्वक पढ़ें और आवश्यक सुधार करें। व्याकरण और वर्तनी की गलतियों को ठीक करें और वाक्य संरचना को सुधारें।

उदाहरण निबंध

विषय: प्रदूषण और इसके प्रभाव.

प्रदूषण आज की दुनिया की एक महत्वपूर्ण समस्या है। यह न केवल मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि हमारे पर्यावरण और सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को भी गंभीर नुकसान पहुंचाता है।

  • वायु प्रदूषण: वाहनों का धुआं, फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाली गैसें और कलेक्टर पावर प्लांट्स वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं। यह अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और अन्य श्वसन समस्याएं पैदा करता है।
  • जल प्रदूषण: घरेलू और औद्योगिक कचरे का नदियों, झीलों और महासागरों में गिरना जल प्रदूषण का कारण है। यह प्रदूषित जल मछलियों, वन्य जीवों और मनुष्यों के लिए हानिकारक होता है।
  • ध्वनि प्रदूषण: वाहनों के हॉर्न, फैक्ट्रियों की मशीनें और रात में विवाह समारोहों में बजाई जाने वाली तेज़ संगीत ध्वनि प्रदूषण में शामिल हैं। यह कानों की समस्याओं और मानसिक तनाव का कारण बनता है।

प्रदूषण की समस्या का समाधान करना हमारे सभी के लिए महत्वपूर्ण है। हमें स्वच्छता की बढ़ावा देना चाहिए, पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को अपनाना चाहिए और नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना चाहिए जिससे प्रदूषण कम हो और हमारा पर्यावरण सुरक्षित बना रहे।

निबंध लेखन में आम गलतियाँ

अक्सर लोग निबंध लिखते समय कुछ सामान्य गलतियाँ करते हैं जिन्हें सुधारकर वे अपने निबंध को और भी बेहतर बना सकते हैं:

  • व्याकरण और वर्तनी की गलतियाँ
  • विषय से भटकना
  • असंगठित विचारधारा
  • अपर्याप्त अनुसंधान
  • अत्यधिक जटिल शब्दों का प्रयोग

निबंध लेखन एक महत्वपूर्ण कला है जो अभिव्यक्ति के साथ-साथ सृजनात्मकता, तर्क और विश्लेषणात्मक क्षमता का विकास करती है। इस लेख में निबंध लिखने की पूरी प्रक्रिया, उसके प्रकार, संरचना, और उदाहरणों के माध्यम से निबंध लेखन को विस्तार से समझाया गया है। उम्मीद है कि यह मार्गदर्शिका आपको निबंध लेखन में सहायक सिद्ध होगी और आपकी लेखन कौशल को और भी निखारने में मदद करेगी।

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निबंध लेखन का तरीका | Essay Writing In Hindi

नमस्कार दोस्तों निबंध लेखन का तरीका Essay Writing In Hindi आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि निबंध क्या हैं. निबंध कैसे लिखा जाता हैं एस्से राइटिंग का सबसे सरल तरीका क्या हैं.

निबंध की रुपरेखा Class 3, Class 4, Class 5, Class 6, Class 7, Class 8, Class 9, Class 10, Class 11, Class 12 के लिए आसान भाषा में निबंध रचना का तरीका बताया गया हैं.

निबंध लेखन का तरीका Essay Writing In Hindi

निबंध लेखन का तरीका | Essay Writing In Hindi

साहित्य को दो विधा में लिखा जाता हैं, गद्धय और पद्धय. पध्य में छंद, लय, अलंकार, रसविधान इत्यादि का ध्यान रखना पड़ता हैं. जबकि गद्धय साहित्य का वह रूप हैं जिनमे इन नियमों कि लेखन में कोई बाध्यता या सीमा नही होती हैं.

निबंध लेखन में तथ्यों एवं विचारों को बोलचाल कि भाषा में प्रस्तुत किया जाता हैं. निबंध इसी गद्य साहित्य कि एक विद्या हैं. लेखन कि अन्य विधाओं में कहानी, नाटक, उपन्यास, संस्मरण, रिपोर्ट और आत्मकथा आती हैं.

इन सभी विधाओं में कथावस्तु प्रधान होती हैं. दूसरी तरफ निबंध लेखन में कथावस्तु के साथ विषय वस्तु कि प्रधानता भी होती हैं.

Definition of essay In Hindi (निबंध की परिभाषा )

निबंध शब्द नि और बंध दो शब्दों से मिलकर बना हैं, जिसका अर्थ होता हैं नियमों से बंधी हुई रचना या लेख. हिंदी भाषा के शब्द निबंध को अंग्रेजी में Essay का समानार्थी माना जाता हैं. अंग्रेजी शब्द Essay का शाब्दिक अर्थ होता हैं- विषय विशेष पर छोटा लेख.

लेकिन इसका मतलब यह नही की किसी विषय पर लिखा निबंध छोटा हो, निबन्ध विस्तृत भी हो सकता है. मगर यदि ऐसी गद्य रचना जो सारगर्भित ना हो, क्रमबद्ध रूप से विचारों को प्रकट ना किया गया हो, जो निबंध कि बॉडी में विषय से भटक जाए, उसे निबन्ध नही कहा जा सकता हैं.

एक साधारण हिंदी निबंध में शब्दों की संख्या 500 से लेकर 1000 तक हो सकती हैं. यदि यही शब्द संख्या 1000-3000 के मध्य हैं तो उसे दीर्घ निबंध कहा जाएगा. कुछ पंडितो द्वारा दी गईं निबंध कि परिभाषा इस प्रकार हैं- सभी प्रकार के बन्धो से मुक्त रचना निबंध हैं.

मगर यह परिभाषा सभी परिस्थतियो के लिए लागू नही हो पाती है. विचारों कि स्वतंत्रता तक तो ठीक हैं, मगर यदि विचारों कि प्रस्तुती क्रमबद्ध और प्रभावशाली तरीके से नही कि गईं हैं तो वह पाठक पर अपना प्रभाव नही छोड़ पाता हैं. इस प्रकार सार्थक और क्रमबद्ध ढंग से विचारों कि प्रस्तुती को निबन्ध कहा जा सकता हैं.

इस तरह किसी एक विशेष विषय पर लिखी गईं रचना जिनमे चयनित विषय के अनुसार क्रमबद्ध रूप पाठक के सामने प्रस्तुत की जाती हैं जिनमे विषयवस्तु कि सारगर्भित और विस्तृत जानकारी प्रदान की गई हैं उसे निबन्ध कहा जाता हैं.

हिन्दी निबंध लेखन महत्व (Importance of Hindi essay writing)

कोई भी व्यक्ति अपने विचारों की अभिव्यक्ति के लिए लिखित या मौखिक भाषा का उपयोग करता हैं. अपने विचारों को बोलकर अभिव्यक्त करने को मौखिक अभिव्यक्ति कौशल कहा जाता हैं.

जबकि विचारों को लिखकर व्यक्त करने को लेखन कौशल कहा जाता हैं. इन्ही कौशल के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व कि पहचान होती हैं. कोई जरुरी नही कि व्यक्ति मौखिक अभिव्यक्ति कोशल में माहिर हो, जैसे कि एक वक्ता. वह किसी लेखक कि तरह लेखन-कौशल में भी माहिर हो.

दूसरी तरफ एक लेखक अच्छा वक्ता भी हो यह कोई जरुरी नही हैं. मगर सामान्य तौर पर एक व्यक्ति से यही अपेक्षा की जाती हैं कि वो भले ही एक अच्छा वक्ता या लेखक ना हो.

पर मौखिक ही नही, लिखित रूप से भी अपने विचारों को अभिव्यक्त कर सकेगा. किसी भी व्यक्ति के लेखन कौशल की जांच के लिए सामान्यत पत्र लेखन अथवा निबंध लेखन का ही सहारा लिया जाता हैं. मगर पत्र लेखन में किसी विषय पर व्यक्ति की सोच की जांच संभव नही हैं.

जबकि निबंध लेखन द्वारा न केवल व्यक्ति के ज्ञान, अनुभव, सोच और भावना का पता लगाया जा सकता हैं. बल्कि साथ-साथ उनके लेखन कौशल के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो जाती हैं.

इस प्रकार काफी हद तक निबन्ध लेखन से उस व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता लगाया जा सकता हैं. इसलिए निबन्ध को व्यक्ति की सोच और व्यक्तित्व का दर्पण भी कहा जाता हैं.

इनके अतिरिक्त प्रतियोगिताओ और अकादमिक परीक्षाओं में परिक्षार्थियो के मूल्याकंन के लिए निबंध काफी अहम हैं. इसके नियमित उपयोग से व्यक्ति में अपने विचारों को क्रमबद्ध करने कि क्षमता का विकास होता हैं.

निबंध के अंग (Part of the essay)

मुख्यत किसी भी हिंदी निबन्ध के तीन भाग होते हैं.

  • परिचय इस भाग में निबन्ध की विषयवस्तु का परिचय दिया जाता हैं. जिससे उसके पाठकों को अगले भाग को समझने में मदद मिलती हैं.
  • मध्य भाग  यह निबंध का शरीर अथवा मुख्य भाग होता हैं. इसमे विषय वस्तु का विस्तृत वर्णन होता हैं इसे विषय प्रसार के नाम से भी जाना जाता हैं. तथा यह मध्य भाग प्रत्येक निबन्ध का सबसे बड़ा भाग भी होता हैं.
  • उपसंहार  किसी भी हिंदी-निबंध के अन्तिम प्रेरोग्राफ को उपसंहार कहा जाता हैं, जिसमे पुरे लेख का सक्षिप्त सार दिया हुआ होता हैं.

निबंध के प्रकार (Types of essay)

  • वर्णनात्मक निबन्ध इसमे विषयवस्तु का सामान्य वर्णन होता हैं, इस प्रकार के निबन्ध लेखन कि द्रष्टि से सरल भी होते है. पर्व त्यौहार, स्थान, व्यक्ति विशेष, ऋतू विशेष आदि श्रेणियों के निबन्ध इस केटेगरी में आते हैं.
  • विश्लेषणात्मक निबंध  इस प्रकार के निबन्ध लेखन में विश्लेषणात्मक वर्णन होता हैं इन्हे दुसरे शब्दों में विवरणात्मक निबन्ध भी कहा जाता हैं. इनमे तथ्यों के आधार पर विश्लेषण के माध्यम से ज्ञानवर्धन पर जोर दिया जाता हैं. अर्थव्यवस्था और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध जैसे विषयों पर आधारित निबन्ध इस श्रेणी में आते हैं.
  • विचारात्मक निबन्ध इस प्रकार के लेख की विषयवस्तु में पक्ष-विपक्ष, लाभ-हानि, सकारात्मक-नकारात्मक आदि का विस्तृत वर्णन होता हैं. इस प्रकार के लेख विषय नक्सलवाद, आतंकवाद, गरीबी एवं अन्य विवादास्पद विषयों पर आधारित लेख विचारात्मक श्रेणी में आते हैं. मगर इस बात का ध्यान देना जरुरी हैं, किसी रचना की समीक्षा कों समीक्षात्मक निबन्ध नही कहा जा सकता हैं.
  • भावनात्मक निबन्ध किसी विचार या कथन की विषयवस्तु पर लिखा लेख भावनात्मक निबन्ध कहलाता हैं. उदहारण के तौर पर’ ”पर उपदेश बहु तेरे ” ”परहित सरसि धरम नही भाई” अथवा इस प्रकार की अन्य कहावतों पर लिखे गये निबन्ध इस श्रेणी में आते हैं. दुसरे शब्दों में इन्हे चिन्तन निबन्ध भी कहा जाता हैं. क्युकि किसी विचार पर लेखक अपने सोच और ज्ञान को क्रमबद्ध ढंग से निबन्ध का रूप देता हैं. यदि मै सरपंच होता तो यह करता, यदि मै राष्ट्रपति होता तो, प्रधानमन्त्री होता तो. जैसे मौलिक कल्पना पर आधारित लेख भावनात्मक निबन्ध की श्रेणी में आते हैं.
  • ललित निबंध  भाषा सौदर्य के आधार पर पाठकों में विशेष प्रभाव पैदा करने वाले लेख जिसमे वाक्य की रचना, लोकोक्ति, मुहावरे, अलंकार आदि का भी समुचित उपयोग किया जाता हैं. इस प्रकार के लेख को ललित निबन्ध कहा जाता हैं. वर्णनात्मक, विश्लेषणात्मक, विचारात्मक और भावनात्मक तथा सभी श्रेणी के निबन्ध को ललित निबंध के रूप में लिखा जा सकता हैं यह तभी संभव हो पाता हैं जब लेखक का भाषा और रचनात्मक लेखन पर पूर्ण अधिकार हो.

निबंध कैसे लिखें? How to write an essay in Hindi

हिंदी निबंध लिखना एक कला हैं किसी अन्य कला में जिस तरह सफल होने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती हैं,

उसी प्रकार किसी भी विषय पर अपने विचारों को लिखित रूप से अभिव्यक्त के लिए निरंतर अभ्यास की जरुरत रहती हैं. निरंतर अभ्यास के द्वारा ही एक अच्छा निबंधकार बन सकता हैं.

निबंध की विशेषता (Essence of essay)

किसी भी लेख को तब तक सुसंगठित लेख नही कहा जा सकता, जब तक वह अपने प्रभाव और सार्थकता की सभी शर्तो को पूरा ना करता हो. इस दृष्टि से एक अच्छे निबंध की निम्न विशेषताएं होनी चाहिए.

  • व्याकरण शुद्ध और स्पष्ट भाषा  एक अच्छे हिंदी निबन्ध की भाषा व्यकरण सम्मत और पूर्ण स्पष्ट वाक्य रचना के साथ-साथ सरल और शुद्ध भाषा में होना चाहिए.
  • विषयानुकुल भाषा  किसी भी लेख की भाषा यदि व्याकरण के नियमो के अनुसार और स्पष्ट हो मगर विषय वस्तु आधारित न होने की स्थति में उस लेख को अच्छे निबन्ध की संज्ञा नही दी जा सकती हैं.
  • विचारों की क्रमबदता  एक अच्छे लेख में विचारों की अच्छी क्रमबद्धता होती हैं, यही उसमे एक अच्छा पाठक प्रभाव पैदा कर पाती हैं.
  • विचारों की सम्बद्धता  प्रत्येक लेख में विचारों की क्रमबद्धता के साथ साथ उनकी सम्बद्धता बहुत मायने रखती हैं. यदि किसी लेख में विचारों का पूर्ण बिखराव हो तो उन्हें अच्छे निबन्ध की संज्ञा नही दी जा सकती हैं.
  • विषय केन्द्रित  यदि कोई देख विषय केन्द्रित नही हैं, अर्थात बिच-बिच में वो विषयवस्तु से भटक जाता हैं, तो उसे किसी भी परिस्थति में निबन्ध नही कहा जाता हैं. विषय से भटकाव किसी भी लेख का सबसे बड़ा दोष समझा जाता हैं.
  • सारगर्भित  पाठक पर अच्छा प्रभाव डालने के लिए निबंध का सारगर्भित होना अत्यावश्यक हैं. इसके लिए जरुरी हैं, आवश्यक सामग्री और जानकारी से अधिक विस्तृत लेख बनाने की कोशिश उस लेख को अधिक बोझिल और जटिल बना देती हैं. जिससे पाठक पर बुरा असर पड़ता हैं.

अच्छा निबंध कैसे लिखे (how to write good essays)

हमे सोचे कि निबंध लेखन आसान हैं या कठिन तो पहला उत्तर यही होगा कि यह न तो कठिन हैं न बहुत सरल. यदि हम थोडा सा अभ्यास करे तो इसमे कुशलता प्राप्त कर सकते हैं.

यदि आप अपने विचारों को लिखित रूप में अभिव्यक्त करना चाहते हैं, तो कोई भी इन साधारण बातो को ध्यान में रखते हुए एक लेख की रचना करे तो वह एक अच्छा निबंधकार हो सकता हैं.

चाहे कोई भी निबंध विषय हो उस पर लिखने से पूर्व अपने ज्ञान और अनुभव से उस विषय के बारे में सोचे त्त्श्चात उस [पर लिखना आरम्भ करे . साथ ही उस लेख को लिखते समय दिमाग में आने वाले विचारों को सही क्रमबद्धता दे.

  • किसी भी लेख की शुरुआत उसके विषय परिचय से करे.
  • विषय परिचय के बाद उसके मध्य भाग को लिखे तथा अधिक विस्तृत करने के उद्देश्य से उसमे विषयवस्तु से अनावश्यक सामग्री को नही जोड़े.
  • किसी भी लेख की समाप्ति उसके उपसंहार अर्थात सार से होनी चाहिए अन्यथा उसे अधुरा ही समझा जाता हैं.

निबंध लेखक बनने के सूत्र (essay writing format in hindi)

लेखन ये एक ऐसी कला हैं, जिसमे निरंतर अभ्यास के द्वारा कुशलता प्राप्त की जा सकती हैं. मगर इसमे कुछ ऐसी प्रक्रियाएँ और ट्रिक्स होती हैं,

उसका उपयोग करते हुए लेखन को आसान और सुगम बनाया जा सकता हैं. साथ ही यह सूत्र उस लेख की सार्थकता और प्रभाव को भी बढ़ा देता हैं.

  • किसी लेख में रोचकता बढाने के लिए उसमे व्यग्य का एक सीमा तक समावेश किया जा सकता हैं.
  • लेखन शैली में अलंकार और मुहावरे युक्त भाषा से इसे सरल और आकर्षक बना सकते हैं.
  • लेखन और अभिव्यक्ति को सजीव बनाने के लिए स्थान-स्थान पर लोक्क्ति और मुहावरों का उपयोग करे.
  • किसी भी लेख की रचना करने से पूर्व सम्बन्धित पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए.
  • लेख को आरम्भ करने से पूर्व उसके परिचय को याद रखना चाहिए, जो पाठक की रूचि बढाने के लिए विषय केन्द्रित और आकर्षक भी होना चाहिए. संभव हो तो पाठक की उत्सुकता बढाने के लिए लेख की शुरुआत सूक्ति, मुहावरे या काव्य रचना से की जा सकती हैं.
  • लेख की रोचकता को बढाने के लिए विभिन्न स्थानों पर कवियों, लेखको, महापुरुषों व् अन्य प्रसिद्ध व्यक्तियों के उद्द्र्ण (कथनों) को शामिल किया जाना चाहिए.
  • निबंध की परिभाषा जिसमे गद्य रूप में लिखे गये लेख को क्रमबद्ध रूप से लिखा गया हो तथा सारगर्भित जानकारी दी गईं हो , इस परिभाषा को ध्यान में रखते हुए निबंध रचना की जानी चाहिए.

निबंध लिखते समय रखें ये सावधानी (hindi essays in hindi language)

  • जिस विषय पर जानकारी हो आर्टिकल उसी पर लिखना चाहिए.
  • किसी भी लेख की शुरुआत उसके परिचय से करनी चाहिए. और अंत में उपसंहार लिखना ना भूले.
  • शब्दों के उच्चारण का लिहाज रखते हुए सरल शब्दों का प्रयोग करे, अनावश्यक शब्दों से बचे.
  • विराम चिह्नों और पूर्ण विराम का सही उपयोग करे.
  • व्याकरण सम्मत भाषा का ही उपयोग करे.
  • लेख की शैली सीधी सरल और सुबोध होने के साथ-साथ विषय के उपर्युक्त होनी चाहिए.
  • निबन्ध का आकार न अधिक छोटा और न ही अधिक बड़ा होना चाहिए.
  • विषयवस्तु की विस्तृत जानकारी लेख के मध्य भाग में ही देनी चाहिए.
  • विचारों और वाक्यों में उचित लय और क्रमबद्धता होनी चाहिए.
  • यदि किसी महापुरुष पर निबंध लिखा जा रहा हैं, तो उसके जन्म से लेकर मृत्यु और सभी कार्यो का क्रम के साथ घटना सहित ब्यौरा देना चाहिए.
  • लेख विषय से नही हटना चाहिए, जिसके केंद्र में हमेशा विषयवस्तु होनी चाहिए.
  • अनाव्शयक विस्तार से बचते हुए सारगर्भित जानकारी देने का अधिकतम प्रयत्न करे.

हिंदी निबंध के विषय (hindi essay topics)

निबन्ध की विषय सूची में समसामयिक, राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, विज्ञान प्रोधोगिकी, पर्यावरण तथा पारिस्थतिकी, साहित्यिक, महान व्यक्तित्व, विविध त्यौहार और पर्व तथा सूक्ति आधारित हो सकते हैं. यहाँ आपको उदाहरण सहित समझाने की कोशिश कर रहे हैं.

  • समसामयिक  इसमे वर्तमान में सभी घटनाओं पर आधारित, महिला विश्वकप 2017, नोटबन्दी, जीएसटी, 2017 में बाढ़, आतंकवादी घटनाएं, वैश्विक सम्मेलन, विधानसभा चुनाव आदि.
  • राजनितिक  भारत में अपराधीकरण, पंचायती राज, प्रजातंत्र, धर्म और राजनीति, क्षेत्रवाद की समस्या, आम चुनाव, दलबदल की राजनीती, सयुक्त राष्ट्र संघ, भारत अमेरिका सम्बन्ध, भारत पाक सम्बन्ध आदि.
  • सामाजिक  इस विषय सूची में मानवाधिकार, कन्या भ्रूण हत्या, जातिप्रथा, बाल विवाह, फैशन की दुनिया, भारत में भ्रष्टाचार,प्रतिभा पलायन जैसे विषय शामिल हो सकते हैं.
  • आर्थिक और शैक्षिक इनमे काला धन, सतत विकास, बेरोजगारी, विशेष आर्थिक जोन, व्यवसायिक शिक्षा, छात्र असंतोष, स्त्री शिक्षा, भारत में उच्च शिक्षा आदि.
  • विज्ञान प्रोद्योगिकी, पर्यावरण परिस्थितिकी  इस विषय श्रेणी में पर्यावरण प्रदूषण, विज्ञान, उर्जा संकट, इमेल, परमाणु उर्जा, अन्तरिक्ष में मानव आदि विषय आ सकते हैं.
  • साहित्यिकी  इसमे हिग्लिश का प्रचलन, राष्ट्रभाषा हिंदी, हिंदी का विकास, भक्ति काल, साहित्य समाज का दर्पण, मेरी प्रिय पुस्तक रामचरितमानस.
  • महान व्यक्तित्व  इसमे महात्मा गांधी, अब्राहम लिंकन, नरेंद्र मोदी, सचिन तेंदुलकर, लता मगेशंकर, मुकेश अम्बानी, जे आर डी टाटा, राजिव गांधी, कपिल देव आदि.
  • विविध  इसमे दुर्गापूजा, दीपावली, होली, रक्षाबन्धन, 15 अगस्त, 26 जनवरी, शीत ऋतू, राष्ट्रिय खेल हॉकी, मेरे प्रिय शिक्षक, पर्यटन, भारत की विरासत, मानवता जैसे अनेकों निबन्ध आ सकते हैं.
  • सूक्ति आधारित  इस श्रेणी में सांच बराबर तप नही झूट बराबर पाप, दैव दैव आलसी पुकारा, परहित सरसि धर्म नही भाई, जहां सुमति वहां सम्पति नाना जैसे हिंदी लेख आ सकते हैं.

One comment

बहुत बढ़िया आर्टिकल स्टूडेंट के लिए बहुत ही फायदेमंद, निबंध से परीक्षा में अच्छे मार्क्स पाने का अवसर होता हैं.

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ESSAY KI DUNIYA

HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay in Hindi Language – निबंध

December 12, 2017 by essaykiduniya

Essay in Hindi –   These Hindi essays are for Nursery Class, Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12. We provide various types of essay in Hindi such as education, speech, science and technology, India, festival, national day, environmental issues, social issues, social awareness, ethical values, nature and health etc in 100, 200, 300, 400, 500, 600, 700, 800, 900, 1000, 1100, 1200, 1300, 1400, 1500 and 1600 words.

ये हिंदी निबंध नर्सरी कक्षा से कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के लिए हैं। हम शिक्षा, भाषण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, एनीमा, भारत, त्योहार, राष्ट्रीय दिवस, पर्यावरण मुद्दों, सामाजिक मुद्दे, सामाजिक जागरूकता, नैतिक मूल्यों, प्रकृति और स्वास्थ्य आदि जैसे विभिन्न प्रकार के निबंधों को हिंदी में प्रदान करते हैं।

हर कोई इन निबंध को आसानी से समझ सकता है क्योंकि हमने  इनमें बहुत सरल और आसान शब्दों का इस्तेमाल किया है। । ये किसी छात्र द्वारा आसानी से समझे जा सकते है| ऐसे निबंध छात्रों को भारतीय संस्कृति, विरासत, स्मारकों, प्रसिद्ध स्थानों, शिक्षकों, माताओं, पशुओं, पारंपरिक त्योहारों, घटनाओं, अवसरों, प्रसिद्ध व्यक्तित्वों, किंवदंतियों, सामाजिक मुद्दों और इतने सारे अन्य विषयों के बारे में जानने में मदद और प्रेरित कर सकते हैं। हमने बहुत विशिष्ट और सामान्य विषय निबंध प्रदान किए हैं। 

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निबंध (Nibandh) या हिंदी निबंध हिंदी गद्य का एक अहम और पुराना भाग है। हम लोग पिछले कई वर्षों से हिंदी में निबंध (Hindi Me Nibandh) पढ़ते और लिखते हुए आ रहे हैं। हिंदी निबंध पढ़ने और लिखने की शुरुआत स्कूल से ही हो जाती है। स्कूल और कॉलेज में आज भी विद्यार्थियों को वर्तमान विषयों पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए दिया जाता है, जिसमें वह निबंध लेखन के विषय को याद करके अपनी समझ से लिखते हैं। लेकिन कुछ विद्यार्थी ऐसे होते हैं जिन्हें निबंध लिखने में कठिनाई होती है और वह एक अच्छा निबंध हिंदी में नहीं लिख पाते हैं।

निबंध क्या है?

निबंध हिंदी गद्य लेखन की ही एक विधा या एक प्रकार की गद्य रचना है। निबंध में किसी भी विषय, व्यक्ति या वस्तु के बारे क्रमबद्ध तरीके से लिखा जाता है और उसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। दूसरे शब्दों में अगर हम समझें, तो किसी विषय पर विस्तारपूर्वक अपने विचार प्रकट करना निबंध कहलाता है।

निबंध का अर्थ

निबंध शब्द दो शब्दों के मेल नि+बंध से बना हुआ एक शब्द है, जिसका सीधा सा अर्थ है अच्छी तरह से बँधा हुआ या जुड़ा हुआ। निबंध को अंग्रेजी में एस्से (Essay) कहा जाता है। अगर हम देखें तो हमारे सामने निबंध के कई अर्थ निकल कर आते हैं, जैसे निबंध का संबंध लेख, अभिलेख, रचना आदि सभी से है, जिसमें अपने विचारों को सरल और रोचक भाषा में एक साथ पिरौकर पाठक के समकक्ष रखा जाता है।

निबंध की परिभाषा

किसी विषय को क्रमबद्ध, सविस्तार और विवरणात्मक तरीके से अपनी भाषा शैली में तथ्यों और विचारों के साथ जोड़ने की क्रिया को निबंध कहते हैं। हिंदी साहित्य जगत के विद्वानों ने निबंध की परिभाषा को अपने-अपने अनुसार लिखा है, जो इस प्रकार है-

बाबू गुलाबराय के अनुसार- ‘‘निबंध उस गद्य-रचना को कहते हैं, जिसमें एक सीमित आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छंदता, सौष्ठव और सजीवता तथा आवश्यक संगति और सम्बद्धता के साथ किया गया हो।’’

आचार्य शुक्ल लिखते हैं- ’’यदि गद्य कवियों को कसौटी है, तो निबंध गद्य की।’’

पंडित श्यामसुंदर दास कहते हैं- ’’निबंध वह लेख है जिसमें किसी गहन विषय पर विस्तारपूर्वक और पाण्डित्यपूर्व ढंग से विचार किया गया हो।’

डाॅ. भगीरथ मिश्र ने लिखा है- ’’निबंध वह गद्य रचना है, जिसमें लेखक किसी भी विषय पर स्वच्छन्दतापूर्वक परन्तु एक विशेष सौष्ठव, संहिति, सजीवता और वैयक्तिकता के साथ अपने भावों, विचारों और अनुभवों को व्यक्त करता है।’’

निबंध के प्रकार

निबंध के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं- 1. वर्णनात्मक निबंध, 2. विचारात्मक निबंध, 3. भावात्मक निबंध, 4. साहित्यिक या आलोचनात्मक निबंध।

  • वर्णनात्मक निबंध- वर्णनात्मक निबंध में किसी घटना, वस्तु या स्थान का वर्णन होता है जैसे- होली, दीपावली, ताजमहल, यात्रा, खेल आदि।
  • विचारात्मक निबंध- विचारात्मक निबंध में अपने विचारों के माध्यम से किसी विचारात्मक विषय जैसे- अहिंसा, बाल मजदूरी, विधवा-विवाह आदि पर निबंध लिखना होता है, जो काफी कठिन होता है।
  • भावात्मक निबंध- भावनात्मक निबंध का संबंध हमारे मन के भावों से जुड़ा हुआ होता है। भावनात्मक निबंध में वास्तविक और कल्पनात्मक दोनों विषय आते हैं, जैसे- बरसात का पहला दिन वास्तविक विषय है जबकि यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता एक काल्पनिक विषय है।
  • साहित्यिक या आलोचनात्मक निबंध- साहित्यिक या आलोचनात्मक निबंध किसी मशहूर साहित्यकार, साहित्यिक विधा या साहित्यिक कृति पर लिखा जाता है, जैसे- मुंशी प्रेमचंद, आधुनिक हिन्दी कविता आदि।

निबंध के मुख्य अंग

निबंध के मुख्य रूप से चार अंग निर्धारित हैं, जो किसी भी निबंध के लिए काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं। निबंध के मुख्य चार अंगों के नाम इस प्रकार हैं-

  • शीर्षक- निबंध का सबसे पहला अंग होता है शीर्षक यानी कि जिस विषय पर आप निबंध लिख रहे हैं उसका नाम। आपका शीर्षक जितना आकर्षक होगा उतना ही लोगों में आपके निबंध को पढ़ने की उत्सुकता बढ़ेगी।
  • प्रस्तावना या भूमिका- प्रस्तावना या भूमिका निबंध का दूसरा अंग होती है, जिसे निबंध की नींव भी कहा जाता है। प्रस्तावना से पता चलता है कि आपके निबंध की भाषा शैली कैसी है। प्रस्तावना हमेशा रोचक, आकर्षक और छोटी होनी चाहिए ताकि जो भी आपके निबंध को पढ़ रहा है उसे पूरा पढ़ने का मन करे। प्रस्तावना इस प्रकार की हो जो यह स्पष्ट कर सके कि आपके निबंध की विषयवस्तु क्या है।
  • विस्तार- विस्तार निबंध का तीसरा व सबसे प्रमुख अंग होता है। विस्तार में लेखक निबंध के विषय के बारे में विस्तारपूर्वक लिखता। वह निबंध के विषय से संबंधित जानकारी को इकट्ठा करके अपनी भाषा व अपने शब्दों में लिखता है। इसके अलावा वह विस्तार में अपने विचारों को भी रखता है और निबंध को संतुलित बनाने का प्रयास करता है। विस्तार में ही निबंधकार के दृष्टिकोण का पता चलता है।
  • उपसंहार या निष्कर्ष- उपसंहार या निष्कर्ष निबंध का चौथा व आखिरी अंग होता है, जिसमें निबंध को समापन की ओर ले जाना होता है। निबंध को समाप्त करने के लिए लेखक अपना दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करता है और किसी विशेष व्यक्ति के उपदेश, विचार या कविता का भी प्रयोग करता है।

हिंदी निबंध लेखन (Hindi Essay Writing) हिंदी गद्य लेखन की एक खास कला है। वर्तमान में विभिन्न विषयों पर हिंदी में निबंध लिखे जा रहे हैं। हिंदी निबंध लेखन मुख्य रूप से स्कूल और कॉलेज में अधिक होता है। यहाँ पर विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में निबंध लेखन होता है और परीक्षाओं में भी विद्यार्थियों को अलग-अलग विषय पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है। इसके अलावा स्कूल और कॉलेज में हिंदी दिवस जैसे खास अवसर पर हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें छात्र बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। विद्यार्थियों के अलावा अन्य लोगों की भी निबंध लेखन के प्रति रुचि बढ़ रही है, लेकिन हिंदी निबंध लेखन के संबंध में लोगों का एक सवाल हमेशा रहता है कि हिंदी में निबंध कैसे लिखें?, जिसकी चर्चा आगे की गई है।

निबंध कैसे लिखें?

निबंध लिखना कोई कठिन कार्य नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि निबंध लिखना बहुत आसान है, लेकिन लिखने से पहले ज़रूरी है पढ़ना। आप जितना ज़्यादा पढ़ेंगे उताना ज़्यादा ही अच्छा लिख पाएंगे, क्योंकि पढ़ना भरना है और लिखना झलकना। पढ़ने से आपका बौद्धिक विकास होगा, आपको नए शब्द सीखने को मिलेंगे, आपको दूसरों के विचारों के बारे में पता चलेगा, आप जिस विषय पर निबंध लिखना चाहते हैं उस विषय की जानकारी आपके पास होगी और तब आप एक अच्छा निबंध लिख पाएंगे।

निबंध लिखने के 10 आसान टिप्स

निबंध लिखने के 10 ज़रूरी टिप्स इस प्रकार हैं-

  • निबंध लिखने की शुरुआत करने से पहले उस निबंध से जुड़े विषय के अन्य निबंधों को पढ़ें।
  • निबंध को अपने शब्दों में लिखने का प्रयास करें।
  • निबंध को सरल, सहज और स्पष्ट भाषा में लिखें।
  • निबंध को उसके मुख्य अंगों शीर्षक, प्रस्तावना, विस्तार और निष्कर्ष के साथ ही लिखें।
  • निबंध लिखते समय छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करें।
  • निबंध को क्रमबद्ध तरीके से लिखें।
  • निबंध में एक बार कही गई बात को दोबारा दोहराने से बचें।
  • निबंध में अपने विचार अवश्य जोड़ें।
  • निबंध पूरा होने के बाद उसे कम से कम दो से तीन बार ज़रूर पढ़ें।
  • निबंध में गलतियां मिलने पर उन्हें सुधारें।

अच्छे निबंध की विशेषताएं

एक अच्छे निबंध की विशेषताएं या अच्छे निबंध के गुण इस प्रकार हैं-

  • संक्षिप्तता
  • प्रभावोत्पादकता
  • स्वच्छन्दता
  • गद्यात्मकता

निबंध लेखन के विषय

नीचे हमने हिंदी में निबंध के लिए विषय दिए हुए हैं। आप हमारे द्वारा दिए गए Essay Topic In Hindi में अलग-अलग हिंदी के प्रसिद्ध निबंध पढ़ सकते हैं और निबंध लेखन की शैली को समझ सकते हैं।

 
 
 
 

निबंध से सम्बंधित FAQs

प्रश्न- हिंदी में निबंध कैसे लिखें?

उत्तरः हिंदी में निबंध आसान और स्पष्ट भाषा में लिखें।

प्रश्न- निबंध क्या है in Hindi?

उत्तरः निबंध हिंदी गद्य की एक विधा है।

प्रश्न- निबंध के कुल कितने अंग है?

उत्तरः निबंध के कुल चार अंग हैं, 1. शीर्षक, 2. प्रस्तावना, 3. विस्तार, 4. निष्कर्ष।

प्रश्न- निबंध में प्रस्तावना में क्या लिखते हैं?

उत्तरः निबंध में प्रस्तावना में पूरे निबंध की विषयवस्तु के बारे में लिखा जाता है।

प्रश्न- निबंध की तीन विशेषताएं क्या हैं?

उत्तरः नवीनता, रोचकता और मौलिकता।

प्रश्न- निबंध के मुख्य दो प्रकार कौन से हैं ?

उत्तरः वर्णनात्मक और विचारात्मक।

प्रश्न- निबंध के अंत में हमें क्या लिखना चाहिए?

उत्तरः निबंध के अंत में हमें उपसंहार लिखना चाहिए।

प्रश्न- लेख और निबंध में क्या अंतर है?

उत्तरः लेख छोटे और कम शब्दों के होते हैं जबकि निबंध बड़े और ज़्यादा शब्दों के होते हैं।

1 thought on “100+विषयों पर निबंध (Essay In Hindi) | Nibandh”

शुक्रिया सर, आपने बहुत ही बेहतरीन तरीके से “निबंध लिखने के नियम” को प्रस्तुत किया है? इसकी सहायता से आज मै दुसरे साइटो के लिये निबंध लिखकर पैसे कमा पा रहा हू। धन्यवाद

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Nibandh Lekhan – Essay Writing in Hindi for Class 9 and 10 on Current National and International Topics. Essay in Hindi for Competitive Exams like UPSC, Bank PO, and other Government Exams.

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स्टार्टअप इंडिया पर निबंध, Essay on Start-Up India in Hindi

Essay on Start-Up India (स्टार्टअप इंडिया) in Hindi स्टार्टअप इंडिया क्या है? स्टार्टअप इंडिया की विशेषताएं, अर्थव्यवस्था में स्टार्टअप की भूमिका, चुनौतियां ईत्यादि के बारे में जानेगे |

फिट इंडिया पर निबंध, Essay on Fit India in Hindi

Essay on Fit India (फिट इंडिया) in Hindi. फीट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत , विशेषताएं , फिट इंडिया अभियान की आवश्यकता के बारे में जानेगे |

द्रौपदी मुर्मू पर निबंध | Essay on Draupadi Murmu in Hindi

Essay on Draupadi Murmu in Hindi (द्रौपदी मुर्मू पर निबंध). द्रौपदी मुर्मू की व्यक्तिगत जीवन, राजनैतिक जीवन, उपलब्धियां के बारे में जानेगे |

क्रिकेट पर निबंध, Essay on Cricket in Hindi

Essay on Cricket (क्रिकेट) in Hindi. क्रिकेट का इतिहास, भारत में क्रिकेट का इतिहास, क्रिकेट का विकास ईत्यादि के बारे में जानेगे |

क्रिप्टो करेंसी पर निबंध, Essay on Cryptocurrency in Hindi

Essay on Cryptocurrency (क्रिप्टो करेंसी) in Hindi. क्रिप्टो करेंसी क्या है? भारत में क्रिप्टो करेंसी का इतिहास, क्रिप्टो करेंसी के प्रकार, लाभ, हानि के बारे में जानेगे |

सौर ऊर्जा पर निबंध | Essay on Solar Energy in Hindi

Hindi Essay on Solar Energy (सौर ऊर्जा पर निबंध). सौर ऊर्जा क्या है ? सौर ऊर्जा के लाभ तथा हानि, सौर ऊर्जा के प्रयोग के प्रोत्साहन के लिए भारत सरकार के द्वारा उठाए गए कदम के बारे में जानेगे |

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध, Essay on Population Growth in Hindi

Essay on Population Growth (जनसंख्या वृद्धि) in Hindi. जनसंख्या वृद्धि का अर्थ क्या है? जनसंख्या वृद्धि के कारण, दुष्प्रभाव, जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय के बारे में जानेगे |

भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध for UPSC Students

Hindi Essay on Corruption in India (भारत में भ्रष्टाचार) for UPSC Students. भ्रष्टाचार होता क्या है, कारण, उपाय, भारत सरकार की नीतियां के बारे में जानेगे |

शहरों में बढ़ते अपराध पर निबंध, Essay in Hindi on Rising Crimes

Hindi Essay on Rising Crime in Cities (शहरों में बढ़ते अपराध). अपराध क्या है? अपराध के प्रकार, कारण, कानून व्यवस्था, अपराध रोकने के उपाय आदि के बारे में जानेगे |

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi

Essay on Environment in Hindi (पर्यावरण पर निबंध). पर्यावरण से तात्पर्य , प्रकार, असंतुलन, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण आदि के बारे में जानेगे |

भारतीय संविधान पर निबंध, Essay on Constitution of India in Hindi

Essay on Constitution of India in Hindi (भारतीय संविधान पर निबंध). भारतीय संविधान की विशेषता, वर्णित मौलिक अधिकार, नीति निदेशक तत्व तथा मौलिक कर्तव्य के बारे में जानेगे |

भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध | Essay on Major Festivals of India

Essay on Major Festivals of India in Hindi (भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध). त्योहार कितने प्रकार के होते हैं? भारत का सबसे लोकप्रिय त्यौहार कौन सा है के बारे में जानेगे |

  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

Hindi Essay on Unemployment Problem in India. भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध), कारण, उपाय, भारत सरकार की नीतियां|

टेलीविजन पर निबंध | Essay on Television in Hindi

Essay on Television in Hindi (टेलीविजन पर निबंध). टेलीविजन का अर्थ. टेलीविजन का इतिहास, भारत में टेलीविजन और टेलीविजन के लाभ तथा हानि के बारे में जानेगे |

परिश्रम का महत्व पर निबंध | Hard Work Essay in Hindi

Essay on Hardwork in Hindi (परिश्रम का महत्व पर निबंध). परिश्रम के आवश्यक तत्व, परिश्रम और भाग्य में अंतर, परिश्रम और स्मार्ट वर्क में अंतर, परिश्रमी व्यक्ति के गुण के बारे में जानेगे |

गणतंत्र दिवस पर निबंध | Republic Day Essay in Hindi

Essay on Republic Day in Hindi (गणतंत्र दिवस पर निबंध). गणतंत्र क्या हैं, गणतंत्र दिवस की शुरुआत, गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में क्या मनाया जाता है के बारे में जानेगे |

  • विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर निबंध

Essay on Is Science a boon or a curse in Hind विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर निबंध| विज्ञान क्या है, इसके बढ़ते कदम, विज्ञान से लाभ तथा हानि के बारे में जानेगे

टीचर्स डे पर निबंध | Teacher’s Day Essay in Hindi

Essay on Teacher’s Day in Hindi. टीचर्स डे का इतिहास, भारत में टीचर्स डे क्यों मनाया जाता है, समाज और एक बच्चे के जीवन में गुरु का महत्व के बारे में जानेगे |

वैश्वीकरण पर निबंध | Globalization Essay in Hindi

Essay on Globalization in Hindi (वैश्वीकरण पर निबंध). वैश्वीकरण क्या है, इसकी विशेषतायें, भारत में वैश्वीकरण का प्रभाव,लाभ तथा हानि|

जलवायु परिवर्तन पर निबंध | Climatic Changes Essay in Hindi

Essay on Climatic Changes in Hindi (जलवायु परिवर्तन पर निबंध). जलवायु परिवर्तन, को प्रभावित करने वाले कारक, इसके प्रभाव और निपटने हेतु वैश्विक प्रयास के बारे में जानेगे |

मंकी पॉक्स वायरस पर निबंध | Monkeypox Virus Essay in Hindi

Essay on Monkeypox Virus in Hindi (मंकी पॉक्स वायरस पर निबंध). इस लेख में मंकी पॉक्स वायरस क्या हैं, मंकी पॉक्स कैसे फैलता है, लक्षण, उपचार के बारे में जानेगे |

मेक इन इंडिया पर निबंध | Make in India Essay in Hindi

Essay on Make in India in Hindi (मेक इन इंडिया पर निबंध). मेक इन इंडिया योजना का प्रारंभ, मुख्य बिंदु, महत्त्व और लाभ के बारे में जानेगे |

भारत में सांप्रदायिकता पर निबंध | Communalism in India Essay in Hindi

Essay on Communalism in India in Hindi (भारत में सांप्रदायिकता पर निबंध). इस लेख में हम सांप्रदायिकता क्या हैं, भारत में सांप्रदायिकता का इतिहास, सांप्रदायिकता के प्रकार, भारत में सांप्रदायिकता का कारणके बारे में जानेगे |

वेस्ट नील वायरस पर निबंध | West Nile Virus Essay in Hindi

Essay on West Nile Virus in Hindi (वेस्ट नील वायरस पर निबंध). इस लेख में वेस्ट नील वायरस क्या हैं, वायरस के प्रकार, वायरस की उत्पत्ति, वायरस के लक्षण, वायरस से बचाव या उपचार के उपाय के बारे में जानेगे |

पीएसयू का निजीकरण पर निबंध, Privatisation of PSUs Essay in Hindi

Essay on Privatisation of PSUs and Its Impact on India in Hindi (पीएसयू का निजीकरण और भारत पर इसका प्रभाव पर निबंध). इस लेख में पीएसयू क्या हैं, भारत में पीएसयू की भूमिका, निजीकरण करने के कारण, निजीकरण से लाभ तथा हानि के बारे में जानेगे |

भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का प्रभाव पर निबंध | Impact of Increasing Crude Oil Prices on Indian Economy Essay in Hindi

Essay on New Education Policy 2020 in Hindi (भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का प्रभाव पर निबंध). इस लेख में हम क्रूड ऑयल क्या है, क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ने के कारण, क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का भारत पर प्रभाव के बारे में जानेगे |

नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध | New Education Policy 2020 Essay in Hindi

Essay on New Education Policy 2020 in Hindi (नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध). इस लेख में हम नई शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण तथ्य, नई शिक्षा नीति के नकारात्मक तथा सकारात्मक परिणाम के बारे में जानेगे |

आधुनिक संचार क्रांति पर निबंध | Modern Communication Revolution Essay in Hindi

Essay on Modern Communication Revolution in Hindi (आधुनिक संचार क्रांति पर निबंध). इस लेख में हम आधुनिक संचार का अर्थ, आधुनिक संचार के प्रकार, आधुनिक संचार क्रांति के लाभ और हानि के बारे में जानेगे |

सोशल मीडिया की लत पर निबंध | Essay on Social Media Addiction in Hindi

Essay on Social Media Addiction in Hindi (सोशल मीडिया की लत पर निबंध). इस लेख में हम सोशल मीडिया का महत्त्व, सोशल मीडिया की लत से समस्या और उसके निवारण के बारे में जानेगे |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निबंध | Essay on Shri Narendra Modi in Hindi

Essay on Shree Narendra Modi in Hindi (श्री नरेंद्र मोदी पर निबंध). श्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत जीवन, राजनैतिक जीवन का प्रारंभ, पुरस्कार और सम्मान के बारे में जानेगे |

महिला सशक्तिकरण (नारी शक्ति) पर निबंध – Essay on Women Empowerment in Hindi

Hindi writing Skills -Women empowerment essay in Hindi, महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Get all details on Women empowerment in Hindi, Meaning, Advantages, Laws, and Role of Government for Implementation.

प्रदूषण पर निबंध – Pollution Essay in Hindi

Hindi writing Skills – Pollution Essay in Hindi – प्रदूषण पर निबंध. इस लेख में हम प्रदूषण के प्रमुख कारण, प्रभाव, रोकने के उपाय पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे.

भूमि प्रदूषण पर निबंध – Soil Pollution Essay in Hindi

Hindi writing Skills – Soil Pollution Essay in Hindi – भूमि प्रदूषण पर निबंध. इस लेख में हम भूमि प्रदूषण के प्रमुख कारण, प्रभाव, रोकने के उपाय पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।.

वायु प्रदूषण पर निबंध – Vayu Pradushan Essay in Hindi

Hindi writing Skills – Vayu Pradushan Essay in Hindi – वायु प्रदूषण पर निबंध. इस लेख में हम वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव, वृद्धि के प्रमुख कारण, रोकने के उपाय पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।.

Essay on Cow in Hindi – गाय पर निबंध

Hindi writing Skills – Essay on Cow in Hindi – गाय पर निबंध. इस लेख में हम गाय के विषय पर – गौपालन का इतिहास, गाय का खान-पान, गाय का उपयोग आदि पर विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे।.

Essay on Forest, Conservation, Deforestation in Hindi – वन/वन संरक्षण पर निबंध

Hindi writing Skills – Essay on Forest conservation, save trees, plant trees, deforestation in Hindi – वन/वन संरक्षण पर निबंध: इस लेख में हम वनों के संरक्षण का महत्व और किस प्रकार वन ग्रह पर एक स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है इस बारे में बताने का प्रयास किया है।

Essay on Chandrayaan in Hindi – चंद्रयान पर निबंध

Hindi writing Skills – Essay on global warming in Hindi – भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्‍लोबल वॉर्मिंग पर निबंध: इस लेख में हम भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्‍लोबल वॉर्मिंग के विषय पर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों को साँझा कर रहे हैं

Essay on global warming in Hindi – भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्‍लोबल वॉर्मिंग पर निबंध

Essay on discipline in hindi – अनुशासन पर निबंध.

Hindi writing Skills – Essay On Essay on Discipline in Hindi – अनुशासन पर निबंध. सभी को ज्ञात है कि अनुशासन ही सफलता की कुंजी है।.

Essay on Taj Mahal in Hindi – ताजमहल पर निबंध

Hindi writing Skills – Essay on Taj Mahal in Hindi – ताजमहल पर निबंध. ‘ताजमहल’ नाम सुनते ही शाहजहाँ और मुमताज की याद आ जाती है। ताजमहल भारत में सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक स्मारक है।

Essay on Child Labour in Hindi – बाल श्रम या बाल मज़दूरी पर निबंध

Hindi writing Skills – Essay on Child Labour in Hindi – बाल श्रम या बाल मज़दूरी पर निबंध. हमारे लिए यह बहुत ही विडंबना का विषय है कि आज की सदी के भारत में भी हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं।

Essay on the Internet in Hindi – इंटरनेट पर निबंध

Hindi writing Skills – Essay on the Internet in Hindi – इंटरनेट पर निबंध. इस लेख में हम आपको इंटरनेट के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास करेंगे।

Essay on Raksha Bandhan in Hindi – रक्षाबंधन पर निबंध

Hindi writing Skills – Essay On Raksha Bandhan In Hindi – रक्षाबंधन पर निबंध.रक्षाबंधन बहन-भाई के आपसी प्रेम का प्रतीक और भाई का बहन के प्रति रक्षा का वचन है।”

Essay on My school in Hindi – मेरा विद्यालय पर निबंध

My school Essay in Hindi – This is an essay on My school in Hindi . this article we have talked about the school. How does school and education matter in our lives.

Essay on Corruption in Hindi – भ्रष्टाचार पर निबंध

Corruption Essay in Hindi – This is an essay on Corruption in Hindi . Corruption is not only a curse for our personal life but it is also a hindrance in the development of the nation.

Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi – बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध

Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi – This is an essay on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi . Beti Bachao Beti Padhao is an important project launched by Indian Government – Beti Bachao Beti Padhao (BBBP). Aim of Beti Bachao Beti Padhao scheme, Historical significance of the project, what schemes have been launched under BBBP have been included in this article.

Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi – स्वच्छ भारत अभियान निबंध

Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi – In this article, we will talk about a topic that has significance for our society and the country, as well as our personal life. We will discuss Swachh Bharat Abhiyan today. The article is not only important for examinations but also for our health. We hope that this essay will give you all the important information related to Swachh Bharat Abhiyan, which will have a positive effect on your health as well as your health.

Essay on Republic Day in Hindi – गणतंत्र दिवस पर निबंध

In this Essay on Republic Day in Hindi , we will discuss in detail one of the important festivals of India, Republic Day. Republic Day is one of the three important national festivals of India, so everyone should have complete knowledge about this subject. Hope that this article of ours will help you in getting additional information about this subject.

Essay on Independence day in Hindi – स्वतंत्रता दिवस पर निबंध

Essay on Independence day in Hindi – In this article we will discuss an essay on Independence Day in Hindi in detail. Independence day is one of our three national festivals (Republic Day, Independence Day and Gandhi Jayanti), so we should all be fully aware of Independence Day. With the help of this article on Independence Day, a student can answer any question related to the occasion. This article on Independence Day of India which falls on 15th August has been written in Hindi. The information given by us in this article will be helpful for students to prepare the topic well.

Essay on Diwali in Hindi – दीपावली का त्यौहार

Essay on Diwali – Find here Essay on Diwali in Hindi, Essay on Diwali for kids, Meaning of Deepawali, Diwali History, Preparations for celebrating the festival, Importance of Deepawali, Benefits and disadvantages of Diwali festival, Suggestions to celebrate Diwali differently, Diwali festival in abroad.

Essay on Holi in Hindi – होली के त्यौहार

Essay on Holi – Find here Essay on Holi in Hindi , Essay on Holi for kids, Meaning of Holi, Holi History, Preparations for celebrating the festival, Importance of Holi, Benefits and disadvantages of Holi festival, Suggestions to celebrate Holi differently, Holi festival in abroad.

Essay on Demonetization in Hindi – नोट-बंदी या विमुद्रीकरण पर निबंध

Essay on Demonetization in Hindi – In this Hindi essay on demonetization, we have given a detailed discussion on the topic of note bandi. Note-capturing or demonetization – need, aim, how many times has the note-ban or demonetisation been done in India till date are some of the topics covered in this article on note ban. The advantages and disadvantages of demonetisation, the results of vimudrikaran have been explained in detail in Hindi language.

Essay Writing in Hindi निबंध लेखन, Examples, Definition, Tips

Essay Writing ( निबंध लेखन ) – Here are a few tips to write a good essay in Hindi. Students can take the help of these tips to prepare an essay in Hindi language.

Hindi Essays

  • असंतुलित लिंगानुपात पर निबंध
  • परहित सरिस धर्म नहीं भाई पर निबंध
  • चंद्रयान 3 पर निबंध
  • मुद्रास्फीति पर निबंध
  • युवाओं  पर निबंध
  • अक्षय ऊर्जा: संभावनाएं और नीतियां पर निबंध
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का महत्व पर निबंध
  • सच्चे धर्म पर निबंध
  • बैंकिंग संस्थाएं और उनका महत्व पर निबंध
  • नई शिक्षा नीति के प्रमुख लाभ पर निबंध
  • भारतीय संस्कृति के प्रमुख आधार पर निबंध
  • समय के महत्व पर निबंध
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध
  • सामाजिक न्याय के महत्व पर निबंध
  • छात्र जीवन पर निबंध
  • स्वयंसेवी कार्यों पर निबंध
  • जल संरक्षण पर निबंध
  • आधुनिक विज्ञान और मानव जीवन पर निबंध
  • भारत में “नए युग की नारी” की परिपूर्णता एक मिथक है
  • दूरस्थ शिक्षा पर निबंध
  • प्रधानमंत्री पर निबंध
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता
  • हमारे राष्ट्रीय चिन्ह पर निबंध
  • नक्सलवाद पर निबंध
  • आतंकवाद पर निबंध
  • भारत के पड़ोसी देश पर निबंध
  • पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी पर निबंध
  • किसान आंदोलन पर निबंध
  • ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध
  • डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध
  • मदर टेरेसा पर निबंध
  • दुर्गा पूजा पर निबंध
  • बसंत ऋतु पर निबंध
  • भारत में साइबर सुरक्षा पर निबंध
  • भारत में चुनावी प्रक्रिया पर निबंध
  • योग पर निबंध
  • स्टार्टअप इंडिया पर निबंध
  • फिट इंडिया पर निबंध
  • द्रौपदी मुर्मू पर निबंध
  • क्रिप्टो करेंसी पर निबंध
  • सौर ऊर्जा पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध
  • शहरों में बढ़ते अपराध पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • भारतीय संविधान पर निबंध
  • भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध
  • टेलीविजन पर निबंध
  • परिश्रम का महत्व पर निबंध
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध
  • टीचर्स डे पर निबंध
  • वैश्वीकरण पर निबंध
  • जलवायु परिवर्तन पर निबंध
  • मंकी पॉक्स वायरस पर निबंध
  • मेक इन इंडिया पर निबंध
  • भारत में सांप्रदायिकता पर निबंध
  • वेस्ट नील वायरस पर निबंध
  • पीएसयू का निजीकरण पर निबंध
  • भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का प्रभाव पर निबंध
  • नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध
  • आधुनिक संचार क्रांति पर निबंध
  • सोशल मीडिया की लत पर निबंध
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निबंध
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध
  • प्रदूषण पर निबंध
  • मृदा प्रदूषण पर निबंध
  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • गाय पर हिंदी में निबंध
  • वन/वन संरक्षण पर निबंध
  • हिंदी में ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध
  • चंद्रयान पर निबंध
  • हिंदी में इंटरनेट पर निबंध
  • बाल श्रम या बाल मज़दूरी पर निबंध
  • ताजमहल पर निबंध
  • हिंदी में अनुशासन पर निबंध
  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • मेरा विद्यालय पर निबंध हिंदी में
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध
  • गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध
  • हिंदी में दिवाली पर निबंध
  • होली पर निबंध
  • नोट-बंदी या विमुद्रीकरण पर निबंध
  • निबंध लेखन, हिंदी में निबंध

Hindi Writing Skills

  • Formal Letter Hindi
  • Informal Letter Hindi
  • ई-मेल लेखन | Email Lekhan in Hindi Format
  • Vigyapan Lekhan in Hindi
  • Suchna lekhan
  • Anuched Lekhan
  • Anuchchhed lekhan
  • Samvad Lekhan
  • Chitra Varnan
  • Laghu Katha Lekhan
  • Sandesh Lekhan

HINDI GRAMMAR

  • 312 हिंदी मुहावरे अर्थ और उदाहरण वाक्य
  • Verbs Hindi
  • One Word Substitution Hindi
  • Paryayvaachi Shabd Class 10 Hindi
  • Anekarthi Shabd Hindi
  • Homophones Class 10 Hindi
  • Anusvaar (अनुस्वार) Definition, Use, Rules, 
  • Anunasik, अनुनासिक Examples
  • Arth vichaar in Hindi (अर्थ विचार), 
  • Adverb in Hindi – क्रिया विशेषण हिंदी में, 
  • Adjectives in Hindi विशेषण, Visheshan Examples, Types, Definition
  • Bhasha, Lipiaur Vyakaran – भाषा, लिपिऔरव्याकरण
  • Compound words in Hindi, Samaas Examples, Types and Definition
  • Clauses in Hindi, Upvakya Examples, Types 
  • Case in Hindi, Kaarak Examples, Types and Definition
  • Deshaj, Videshaj and Sankar Shabd Examples, Types and Definition
  • Gender in Hindi, Ling Examples, Types and Definition
  • Homophones in Hindi युग्म–शब्द Definition, Meaning, Examples
  • Indeclinable words in Hindi, Avyay Examples, Types and Definition
  • Idioms in Hindi, Muhavare Examples, Types and Definition
  • Joining / combining sentences in Hindi, Vaakya Sansleshan Examples, Types and Definition
  • संधि परिभाषा, संधि के भेद और उदाहरण, Sandhi Kise Kehte Hain?
  • Noun in Hindi (संज्ञा की परिभाषा), Definition, Meaning, Types, Examples
  • Vilom shabd in Hindi, Opposite Words Examples, Types and Definition
  • Punctuation marks in Hindi, Viraam Chinh Examples, Types and Definition
  • Proverbs in Hindi, Definition, Format, मुहावरे और लोकोक्तियाँ
  • Pronoun in Hindi सर्वनाम, Sarvnaam Examples, Types, Definition
  • Prefixes in Hindi, Upsarg Examples, types and Definition
  • Pad Parichay Examples, Definition
  • Rachna ke aadhar par Vakya Roopantar (रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण) – Types , Example
  • Suffixes in Hindi, Pratyay Examples, Types and Definition
  • Singular and Plural in Hindi (वचन) – List, Definition, Types, Example
  • Shabdo ki Ashudhiya (शब्दों की अशुद्धियाँ) Definition, Types and Examples
  • Shabdaur Pad, शब्द और पद Examples, Definition, difference in Shabd and Pad
  • Shabd Vichar, शब्द विचार की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Hindi Vyakaran Shabad Vichar for Class 9 and 10
  • Tenses in Hindi (काल), Hindi Grammar Tense, Definition, Types, Examples
  • Types of sentences in Hindi, VakyaVishleshan Examples, Types and Definition
  • Voice in Hindi, Vachya Examples, Types and Definition
  • Verbs in Hindi, Kirya Examples, types and Definition
  • Varn Vichhed, वर्ण विच्छेद Examples, Definition
  • Varn Vichar, वर्ण विचार परिभाषा, भेद और उदाहरण
  • Vaakya Ashudhhi Shodhan, वाक्य अशुद्धिशोधन Examples, Definition, Types
  • List of Idioms in Hindi, Meaning, Definition, Types, Example

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Guide to Writing a Hindi Essay

Guide to Writing a Hindi Essay

Do you need help understanding the basics of writing a great essay in Hindi? It can be difficult to know where to begin, but this guide is here to help! In it, we’ll discuss all the steps necessary for creating an effective essay in Hindi. From researching your topic and developing an outline to crafting compelling sentences with accurate grammar and vocabulary – we’ve got you covered. So read on – let’s get started on that winning essay!

1. Introduction to Hindi Essay Writing

Essay Writing in Hindi Hindi is one of the most widely spoken languages on Earth and it has been used for centuries to communicate. It is also a popular language amongst essay writers, as they can express their ideas fluently with its distinctive dialects. Writing essays in Hindi may seem daunting but by following some simple steps you can become an expert at constructing effective essays.

The first step to writing a great essay in Hindi is understanding how to essay writing in Hindi correctly. This involves having an awareness of sentence structure, grammar rules, punctuation usage and appropriate vocabulary. You should pay close attention to the words you use so that your sentences are clear and concise without any errors or omissions. Additionally, when selecting topics for your essay consider relevant current events taking place around India which will be interesting for readers from all walks of life.

To ensure your final piece reads well incorporate various approaches into each component of the article such as description, narration and argumentation; this will help engage readers more actively with the content presented within it . Furthermore , how to write clearly using persuasive techniques needs practice ; take advantage of opportunities like testing out exercises online or joining clubs where members help each other during workshops dedicated towards learning about proper formatting rules . Lastly , try reading successful papers written by professionals who know how to effectively compose pieces focused on topics connected with different areas relating  to hindi literature – these resources provide insightful knowledge on how best utilize words creatively throughout entire articles while keeping syntax organized logically together so that audiences can understand points being conveyed accurately concerning issues discussed .

2. Research – Methods and Tools for Gathering Information

Primary Research Gathering of primary research is the foundation for all successful projects. Primary research can be conducted through direct observation and interviews, both on-site and online. Properly formulated interview questions should be used to elicit engaging responses from participants while efficiently obtaining the necessary information. Additionally, surveys are a great tool for collecting data that specifically answer certain defined parameters in an efficient manner.

Secondary Research Effective projects often include secondary sources such as books, academic articles, journal entries, websites, blogs etc., which provide valuable insight into context or background needed to support conclusions found via primary research methods. For example when researching how to essay writing in Hindi , one might use previous published works from past students who have tried their own attempts at it as guides towards completing its challenge more successfully with each iteration. Furthermore by reading up on existing work before beginning ones own project concerning this topic regardless of language concerned will give any researcher a better understanding regarding what has been done previously so they do not unintentionally repeat something already covered exhaustively.

Also critical analysis needs to be applied during the process of gathering data from these varied sources since much may have changed over time due to technological advancements alone; meaning new approaches besides old must also be taken into consideration when conducting valid research related t o how to essay writing in Hindi. .

3. Structuring Your Hindi Essay

Writing an essay in Hindi is a rewarding experience, but it can be challenging for students who are not familiar with the language. To tackle this challenge, there are certain steps that must be taken when structuring your essay.

  • Decide on your topic: Before you start writing, decide on the main idea or theme of your essay and make sure it ties into what you already know about Hindi.
  • Organize Your Ideas: After deciding the focus of your essay, come up with several points that relate to each other. Make sure they flow logically from one point to another so readers understand how each point relates back to the main concept.

Once these basic components have been established, you’re ready to get down to business! Find resources such as books and online articles related to “how-to” topics like grammar rules and sentence structure tips specific for writing an excellent Hindu Essay. When putting together all required elements (introduction body conclusion etc..) think about how these fit within expected conventions used in essays written by native speakers of hindi as outlined through various sources discussing “How To Write An Excellent Hindu Essay”. Additionally if needed consult reference material like dictionaries or grammar guides specifically designed for use while constructing complete sentences meaningfully expressing intended thoughts both audibly and visually.

4. Captivating the Reader with Engaging Content

Making Content Engaging Creating content that sparks interest and engages readers is essential for any writer. In order to captivate the reader, a few tips should be considered:

  • Write with purpose – ensure each sentence has a clear objective and moves your message forward.
  • Keep it concise – get to the point quickly without using unnecessary words or clauses.

Once these two elements are established, there are many techniques writers can use to keep their readers interested in reading further. In particular, Hindi essay writing provides several useful methods which writers of all backgrounds can apply – such as providing context before introducing one’s main topic or argument. Additionally, incorporating helpful visuals such as graphs and tables into posts can help convey complex ideas more easily while keeping readers engaged.

5. Crafting a Convincing Argument

A convincing argument should be based on facts, rationale, and logic. To craft a convincing argument it is important to consider the audience you are writing for as this can influence what points you should make and how strong they need to be. In addition, one must ensure that all statements made are accurate and supported by evidence.

  • Understand Your Audience:

It is important to understand who your audience will likely be when crafting an argument in order to tailor your message accordingly. Consider their background knowledge level of the subject at hand; if they have little understanding then further explanation may need to occur while those knowledgeable about the topic won’t require much elaboration. Additionally, take into account any potential bias or preconceived notions which could negatively affect reception of presented information.

  • Gather Supporting Evidence:

6. Review, Edit & Submit: Polishing Your Work of Art

Before submitting your work, it is essential to review, edit and proof read your essay. A great way of polishing your writing work of art is by following these steps:

  • Reread Your Work. Read out loud what you have written to pick up on any errors or clumsy phrasing that stands out when heard.
  • Check for Grammar & Spelling Errors. Utilize online resources like spell checkers and grammar tools if needed. For an extra set of eyes, get someone else to go over the paper with a fine-toothed comb.

.For those learning how to write essays in Hindi language specifically, utilize similar techniques such as reading aloud three times (पाठ की बारी तीन बा Results will vary greatly depending on the type of project being completed but reviewing each aspect carefully can save time later down the road%.

When edits are done, reread entire piece again thoroughly before submission – this final check ensures nothing has been missed or overlooked previously during editing process% Reviewing content also helps build confidence in author’s own ability/work which could help lead them closer towards success%. After completing all review steps mentioned above ensure that no further changes need be made then submit finished product knowing that special care was taken throughout entire process accordingly!

7 Lasting Impression: Making an Impact Through Your Writing

Writing is an essential tool for making a lasting impression. Whether it be in the form of creative writing, business communication or academic essays, effective and quality writing is key to having your work remembered. When undertaking this task it is important to keep these seven focus points in mind;

  • Audience: Clearly identify who you are writing for – tailoring language and information specific to their needs.
  • Structure: Plan out the content accordingly – use headings/subheadings along with bullet points where necessary as they help the reader understand your message quickly and easily.
  • Clarity & flow: Ensure that there are no grammar and spelling errors present. Make sure each sentence reads well flows from one idea to another without any abrupt changes in topic or style.

Building on those steps, here’s how you can make a lasting impact through your own writing;

Begin by researching extensively so that your facts are accurate enough to write confidently about them. Keep the audience in mind as every piece of written work should have purpose beyond just passing time — ask yourself whether what you’re saying dovetails into some larger goal? Break down complex ideas into smaller chunks so that readers don’t get lost while reading — adding visual elements such as graphs, charts etc can go a long way too! Finally end strong on whatever note serves best for its purpose but also ensure clarity with regards to call-to-action (if applicable). By following these simple practices you will be able create something which has potential timelessness associated with it ! We hope this guide has been of help to you as you start your journey into writing Hindi essays. After all, it is through our own language and expression that we get to express ourselves the best! So pick up a pen and paper, let those ideas flow in Hindi and watch them turn into something beautiful. Happy Writing!

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हिंदी निबंध का संग्रह (List Of Hindi Essays)

अगर आपको निचे दिए निबंध के लिस्ट में आपका मनचाहा निबंध नहीं मिले, तो आप हमारे वेबसाइट के search फीचर का इस्तेमाल करके निबंध ढूंढ सकते है।

हिंदी निबंध (Hindi Essays) | List Of 300+ Essays Topics In Hindi

निबंध के अंग और संरचना

भावात्मक निबंध

इसमे बुद्धि तत्व की अपेक्षा भाव पक्ष का महत्व अधिक होता है। क्योंकि इसका सम्बन्ध भावना अर्थात हमारे ह्रदय से होता है। इसमे तीन प्रकार कि शैलियों का उपयोग किया जाता है।धारा शैली, तरंग शैली, विशेष शैली।

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हमारे विशाल संग्रह में विज्ञान, साहित्य, समाजशास्त्र, इतिहास, धर्म, भाषा, भूगोल, संस्कृति, और कई अन्य रुचिकर विषयों पर लेखे गए निबंध शामिल हैं। हमारे निबंध उन सभी विषयों पर आधारित हैं जो आपके विद्यालयी और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयुक्त होंगे, साथ ही आपकी रुचियों और अध्ययन क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए लिखे गए हैं।

हमारे साइट पर सभी निबंध शुद्ध भाषा में लिखे गए हैं और विभिन्न स्रोतों के आधार पर तैयार किए गए हैं, जो उन्हें विश्वसनीय और सटीक बनाता है। हमारे निबंध संग्रह में आपको प्रतियोगिताओं के लिए उपयोगी अनुभवों, उदाहरणों और तथ्यों से भरपूर लेख मिलेंगे, जो आपके अंकों को निश्चित रूप से बढ़ाने में सहायक साबित होंगे।

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हिन्दी निबंध संग्रह – विभिन्न विषयों पर निबंध

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निबंध (Nibandh) किसी भी विषय के मुख्य विचार और नजरिये का एक सुव्यवस्थित रूप है। निबंध किसी एक विशेष विषय पर आधारित होता है। विषय का एक उचित शीर्षक और उप शीर्षक भी होने चाहिए। इस प्रकार निबंध जानकारी, विचार या भावनाओं के संचार का एक प्रबल माध्यम है। निबंध के द्वारा व्यक्ति अपने विचार नजरिया का संचार करने में समर्थ हो सकता है। निबंध लेखन आपको एक ऐसा सुअवसर प्रदान करता है जिससे आप अपने ज्ञान को दूसरों के सम्मुख प्रकट करते हैं।

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500+ विषयों पर हिंदी निबंध – Essays in Hindi Topics & Ideas

निबंध लिखते समय, कई कॉलेज और हाई स्कूल के छात्रों को लेखक के ब्लॉक का सामना करना पड़ता है और एक निबंध के लिए विषयों और विचारों के बारे में सोचने का कठिन समय होता है। इस लेख में, हम विभिन्न श्रेणियों जैसे तर्कपूर्ण निबंध, प्रौद्योगिकी पर निबंध, 5 वीं, 6 वीं, 7 वीं, 8 वीं कक्षा के छात्रों के लिए पर्यावरण निबंध जैसे कई अच्छे निबंध विषयों को सूचीबद्ध करेंगे। निबंध विषयों की सूची सभी के लिए है – बच्चों से लेकर कॉलेज के छात्रों तक। हमारे पास निबंधों का सबसे बड़ा संग्रह है। एक निबंध और कुछ नहीं बल्कि एक सामग्री है जो लेखक या लेखक की धारणा से लिखी गई है। निबंध एक कहानी, पैम्फलेट, थीसिस, आदि के समान हैं। निबंध के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि आप किसी भी प्रकार की भाषा का उपयोग कर सकते हैं – औपचारिक या अनौपचारिक। यह जीवनी, किसी की आत्मकथा है। निम्नलिखित 100 निबंध विषयों की एक महान सूची है। हम जल्द ही 400 और जोड़ेंगे!

Essays in Hindi Topics & Ideas

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  • शिष्टाचार पर निबंध – Essay on Good Manner in Hindi
  • एकता में बल है पर निबंध – Essay on Unity is Strength in Hindi
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टेक्नोलॉजी पर निबंध

  • प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) पर निबंध
  • कंप्यूटर पर निबंध
  • विज्ञान का आश्चर्य पर निबंध
  • मोबाइल फोन पर निबंध
  • इंटरनेट पर निबंध
  • अखबार पर निबंध
  • विज्ञान पर निबंध

घटनाओं पर त्योहारों पर निबंध

  • दिवाली पर निबंध
  • स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर निबंध
  • होली पर निबंध
  • शिक्षक दिवस पर निबंध
  • गर्मी की छुट्टियां पर निबंध
  • क्रिसमस पर निबंध
  • बाल दिवस पर निबंध
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध
  • दुर्गा पूजा पर निबंध
  • Janmashtami पर निबंध
  • शिक्षा पर निबंध
  • शिक्षा का महत्त्व पर निबंध
  • शिक्षा मुफ्त होनी चाहिए पर निबंध
  • शिक्षा में प्रौद्योगिकी का योगदान पर निबंध

प्रसिद्ध नेताओं पर निबंध

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  • जवाहर लाल नेहरू पर निबंध
  • नेतृत्व पर निबंध
  • स्वामी विवेकानंद पर निबंध
  • मदर टेरेसा पर निबंध
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  • Sardar Vallabhbhai Patel पर निबंध
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पशु और पक्षियों पर निबंध

  • कुत्ता पर निबंध
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निबंध विषय अपने बारे में

  • मेरा परिवार पर निबंध
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  • मेरा शौक पर निबंध
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  • मेरे पसंदीदा शिक्षक पर निबंध
  • जीवन में मेरा उद्देश्य पर निबंध
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  • मेरा पसंदीदा खेल बैडमिंटन पर निबंध
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  • मेरा बगीचा पर निबंध
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  • मेरा स्कूल पर निबंध
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पर्यावरण और प्रकृति पर आधारित निबंध विषय

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  • वातावरण पर निबंध
  • पृथ्वी को बचाओ पर निबंध
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  • बारिश का मौसम पर निबंध
  • जलवायु परिवर्तन पर निबंध
  • प्रकृति पर निबंध
  • पेड़ पर निबंध
  • वृक्षों का महत्व पर निबंध
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  • वनों की कटाई पर निबंध
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  • बाढ़ पर निबंध
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध
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नीतिवचन पर आधारित निबंध विषय

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  • समय में एक सिलाई नौ बचाता है पर निबंध
  • एक सेब एक दिन डॉक्टर को दूर रखता है पर निबंध
  • जहां इच्छा है, वहां रास्ता है पर निबंध
  • समय और ज्वार किसी का इंतजार नहीं करते पर निबंध

6 वीं, 7 वीं, 8 वीं कक्षा के छात्रों के लिए निबंध विषय

  • ध्वनि प्रदूषण पर निबंध
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  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध
  • संगीत पर निबंध
  • समय और ज्वार कोई नहीं के लिए प्रतीक्षा करें पर निबंध
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  • भारतीय संस्कृति और परंपरा पर निबंध
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  • चूहों और पुरुषों की पर निबंध
  • अंग दान पर निबंध
  • एक बड़े शहर में जीवन पर निबंध
  • आचार विचार पर निबंध पर निबंध
  • भारत में लोकतंत्र पर निबंध
  • सूखा पर निबंध
  • व्यवसाय पर निबंध
  • कचरा प्रबंधन पर निबंध
  • जैव विविधता पर निबंध
  • वनीकरण पर निबंध
  • आर्यभट्ट पर निबंध
  • कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध
  • जंक फूड के हानिकारक प्रभाव पर निबंध
  • बारिश के पानी का संग्रहण पर निबंध
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  • सोशल मीडिया पर निबंध
  • सामाजिक नेटवर्किंग साइट पर निबंध
  • अखंडता पर निबंध
  • टालमटोल पर निबंध
  • एक भारतीय गांव में जीवन पर निबंध
  • बड़ा शहर में जीवन पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • कैंसर पर निबंध
  • विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध
  • ग्रीनहाउस प्रभाव पर निबंध
  • एकता की मूर्ति पर निबंध
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  • Beti Bachao Beti Padhao पर निबंध
  • अच्छे शिष्टाचार का महत्व पर निबंध
  • अच्छी आदतें पर निबंध
  • लाल किला पर निबंध
  • एकता पर निबंध
  • साइबर सुरक्षा पर निबंध
  • हरित क्रांति पर निबंध
  • स्वास्थ्य और तंदुस्र्स्ती पर निबंध
  • भारत पर निबंध
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  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध
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  • निष्पक्ष पर निबंध
  • अस्पृश्यता पर निबंध
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  • आतंक पर निबंध
  • वैश्विक आतंकवाद पर निबंध
  • जैव विविधता का संरक्षण पर निबंध
  • अम्ल वर्षा पर निबंध
  • समाचार पत्र और इसके उपयोग पर निबंध
  • विश्व स्वास्थ्य दिवस पर निबंध
  • प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण पर निबंध
  • परिवार के साथ एक पिकनिक पर निबंध
  • भारतीय विरासत पर निबंध
  • भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध
  • बाल मन का पिता है पर निबंध
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  • प्लास्टिक का थैला पर निबंध
  • भारत में आतंकवाद पर निबंध
  • लाइब्रेरी और इसके उपयोग पर निबंध
  • मंगल पर जीवन पर निबंध
  • शहरीकरण पर निबंध
  • दिवाली के कारण प्रदूषण पर निबंध
  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध
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  • वृक्षारोपण का महत्व पर निबंध
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  • ग्रीष्म शिविर पर निबंध
  • वाहन का प्रदूषण पर निबंध
  • भारत में महिला शिक्षा पर निबंध
  • भारत में मौसम पर निबंध
  • प्रेस की आज़ादी पर निबंध
  • रिश्वत पर निबंध
  • यातायात में सड़क पर चालकों द्वारा हिंसक रोष व्यक्त करना पर निबंध
  • जाति व्यवस्था पर निबंध
  • पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर निबंध
  • पर्वतारोहण पर निबंध
  • प्राकृतिक संसाधनों की कमी पर निबंध
  • ईश्वर चंद्र विद्यासागर पर निबंध
  • स्वास्थ्य शिक्षा पर निबंध
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  • चुनाव और लोकतंत्र पर निबंध
  • ग्लोबल वार्मिंग की रोकथाम पर निबंध
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  • सुभास चंद्र बोस पर निबंध
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  • भारत बनाने में विज्ञान की भूमिका पर निबंध
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  • ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम पर निबंध
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  • वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन पर निबंध

Essays - निबंध

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Class Notes NCERT Solutions for CBSE Students

Essays in Hindi and English for Students

Essays in Hindi and English for Students

Essay is a prose composition in which we describe any topic. Essay is made up of two words which means to describe well bound. Through essay, the writer tries to express his thoughts and feelings about any topic very effectively. Essay writing and reading is an important topic for everyone. A good essay writer should have good knowledge of the subject, should have a good hold on his language. Each person has his own expression. That’s why we get essays written in different ways on the same topic. That is why keeping this importance of essays in mind, we have prepared a collection of these essays.

Here you can read and learn essay on various topics which are asked by schools and college students. Here you can read and learn Essay, Essay writing, Essay in English, Nibandh in English, Essay Writing in English, English Nibandh, English Essay Writing on various subjects/topics which is useful for all students, teachers and common citizens. I have systematically prepared a largest collection of essay topics and ideas of essay on this website. The essay given here is useful for all. Here we provided english essay topics for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 and graduate students and teacher. Here you can read essays on all types of topics and also learn to write essays.

English Essay Topics – Topics for Essay Writing in English – Essay in English for Exams – Essay in English on any Topic – Nibandh topics in English – English Nibandh Topics for all classes – Essay Writing Topics with Answers – Current Essay Topics.

Writing an essay is an art. But it’s not difficult to master the art provided you have right guidance. Listed essays will help you learn the nuances of writing. The subjects are on every day topics. Listed are some of the popular essays in Hindi as well as in English language.

Tips on writing an effective scholarship or school essays.

Essays in Hindi and English for Students: Learning how to write an essay is crucial to admissions and scholarship decisions.

Writing an essay often seems to be a dreaded task among students. Whether the essay is for a scholarship, a class, or maybe even a contest, many students often find the task overwhelming. While an essay is a large project, there are many steps a student can take that will help break down the task into manageable parts. Following this process is the easiest way to draft a successful essay, whatever its purpose might be.

There are 7 steps to writing a successful essay:

  • Pick a topic
  • Prepare an outline or diagram of your ideas
  • Write your thesis statement
  • Write the body
  • Write the introduction
  • Write the conclusion
  • Add the finishing touches

English Essay For Primary Class

English essay for primary class [set 1] (10 essays).

  • Keeping Fit
  • A Visit To A Circus
  • A Visit To A Fair
  • A Visit To A Zoo
  • A Visit To A Hill Station
  • A Visit To A Temple

English Essay For Primary Class [Set 2] (10 Essays)

  • Myself (A Boy)
  • Myself (A Girl)

English Essay For Primary Class [Set 3] (10 Essays)

  • My Grandmother
  • My Birthday Party
  • My Best Friend
  • My Grandfather

English Essay For Primary Class [Set 4] (10 Essays)

  • My Daily Life
  • My Aim In Life
  • Helping My Mother
  • My Class Teacher
  • Our School Library
  • My favourite Teacher
  • My Class Room

English Essay For Primary Class [Set 5] (10 Essays)

  • My School Peon
  • The Recess Period
  • My School Canteen
  • My Favourite Game
  • My First Day At School
  • Computers – My Favourite School Subject
  • A School Holiday
  • A School Picnic
  • A Railway Porter

Essays in English

  • A Visit to an Indian Bazaar
  • A Visit to a Historical Building (Taj Mahal)
  • A Visit To A Village
  • Ashoka The Great
  • A Train Journey
  • Autobiography Of A Cloud
  • A Cricket Match
  • A Visit To a Circus Show
  • Autobiography Of Book
  • A Birthday Party
  • A Visit to a Zoo
  • A Visit To An Exhibition
  • Bal Gangadhar Tilak
  • Chhath Puja
  • Children’s Day Celebrations
  • CNG (Compressed Natural Gas)
  • Compulsory Military Training
  • Delhi Metro
  • Dowry System
  • Drug Abuse [ 5 Essays ]
  • Easter Sunday
  • Eid ul-Adha / Bakrid  [ 2 Essays ]
  • Environment
  • Fashion In Dress
  • Flag Hoisting
  • Guru Gobind Singh
  • Guru Nanak Dev
  • Good Manners
  • Gujarat Earthquake
  • GSLV (Geostationery, Satellite, Launch vehicle)
  • Hindi Diwas
  • Importance of Games and Sports [ 3 Essays ]
  • Independence Day
  • Indian Farmer
  • Indian Juggler
  • Indira Gandhi
  • Jawaharlal Nehru
  • Jayaprakash Narayan
  • Kalpana Chawla
  • Kargil Vijay Diwas
  • Mahatma Gandhi
  • Mahashivratri
  • Dr. Manmohan Singh
  • Morning Walk
  • Mother Teresa
  • Mother’s Day
  • My Aim in Life
  • My Father My Hero [ 5 Essays ]
  • My Favourite Book
  • My Favourite Leader
  • My First Day at School
  • My Favorite Festival
  • My Favourite Teacher
  • My School Library
  • My Favourite Festival – Holi
  • My Neighbours
  • Our Capital
  • Our School Canteen
  • Our National Flag
  • Population Explosion
  • Pratibha Patil
  • Rajendra Prasad
  • Rajiv Gandhi
  • Rabindranath Tagore
  • Rickshaw Puller
  • Swami Vivekananda
  • Subhas Chandra Bose
  • Sardar Vallabhbhai Patel
  • Scene At A Railway Platform
  • School Peon
  • Science And Human Happiness / Science – Blessing Or Curse
  • Street Beggar
  • Street Fellow
  • Street Hawker
  • Thanksgiving Day
  • Television Advantages And Disadvantages
  • The Game I Like Most
  • The Republic Day
  • The Postman
  • Television: A Modern Marvel
  • The School Annual Day
  • Teacher’s Day
  • Veer Vinayak Damodar Savarkar
  • Visit to a Museum
  • Visit to a Historical Place
  • Value of Sports

Essays in Hindi

हम आपके बच्चों और कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रकार के निबंध उपलब्ध करा रहे हैं| इस प्रकार के निबंध आपके बच्चों और विद्यार्थियों की अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों जैसे: निबंध लेखन, बहस और विचार-विमर्श में बहुत सहायक हो सकती है|

यह निबंध बहुत आसान शब्दों का प्रयोग करके बहुत ही सरल और आसान भाषा में लिखे गए हैं। इसे कोई भी छात्र बहुत आसानी से समझ सकता है। हमने स्कूल में दिए जाने वाले निबंधों के विषय और अन्य सामान्य विषयों पर बहुत ही अनोखे निबंध प्रदान किये हैं|

  • Adult Education / प्रौढ़ शिक्षा
  • AIDS / एड्‌स की बीमारी
  • All Day Not Equal / सबै दिन जात न एक समान
  • A. P. J. Abdul Kalam / डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
  • Autobiography of a tree / वृक्ष की आत्मकथा
  • Baisakhi / वैशाखी
  • Basant Panchami / बसन्त पंचमी
  • Beggary / भिक्षावृत्ति
  • Bonded Labor Problem / बन्धुआ मजदूर समस्या
  • Camel / ऊँट
  • Cat / बिल्ली
  • Chhath Puja / छठ पूजा पर्व
  • Children’s day / बाल दिवस
  • Child Labour Issues / बाल-मजदूर समस्या
  • Christmas Festival / बड़ा दिन
  • Cinema / चलचित्र (सिनेमा)
  • Co-Education System / सहशिक्षा
  • Communalism Problems in India / भारत और साम्प्रदायिकता की समस्या
  • Continuous Progress / चरैवैति चरैवैति
  • Computer / कम्प्यूटर
  • Corruption / भ्रष्टाचार के बढ़ते कदम – भ्रष्टाचार तेरे रूप अनेक
  • Cricket / क्रिकेट
  • Democracy in India / भारत में लोकतंत्र की सफलता और सार्थकता
  • Democracy vs Dictatorship / प्रजातंत्र बनाम तानाशाही
  • Democracy & Elections in India / भारत में लोकतंत्र और चुनाव
  • Democracy System – Pros and Cons / जनतंत्र शासन-प्रणाली: गुण और दोष
  • Dhanteras / धनतेरस
  • Disability / विकलांगों के प्रति हमारी दृष्टि और कर्त्तव्य
  • Disarmament / निःशस्त्रीकरण
  • Diwali / दिवाली
  • Diwali / ज्योति-पर्व दिवाली
  • Doctor / डॉक्टर
  • Dog / कुत्ता
  • Domestic Animals / हमारे पशुमित्र
  • Doordarshan (Profit and Loss of Television) / दूरदर्शन (टेलीविजन) लाभ-हानि पर निबंध
  • Durga Puja / दुर्गा पूजा
  • Dussehra / विजयदशमी
  • Easter / ईस्टर
  • Education Medium / शिक्षा का माध्यम
  • Education and profession / शिक्षा और व्यवसाय
  • Elephant / हाथी
  • Engineer / इंजीनियर
  • Environment / पर्यावरण
  • Environmental Protection or Pollution Problem / पर्यावरण संरक्षण या प्रदूषण की समस्या
  • Exercise / व्यायाम
  • Fathers Day / पिता दिवस
  • Friendship / मित्रता
  • Future of Democracy in India / भारत में प्रजातंत्र का भविष्य
  • Gandhi Jayanti / गांधी जयंती
  • Ganesh Chaturthi / गणेश चतुर्थी
  • Gift of Science / विज्ञान के वरदान
  • Good Company / सत्संगति
  • Good Manners / शिष्टाचार
  • Gudi Padwa / गुड़ी पड़वा
  • Guru Gobind Singh / गुरु गोविंद सिंह
  • Guru Nanak Dev / गुरु नानक देव
  • Halloween / हैलोवीन
  • Health is wealth / स्वास्थ्य ही सम्पत्ति है अथवा अच्छा स्वास्थ्य: महा वरदान
  • Hindi Diwas / हिंदी दिवस
  • Hindi Language / हमारी राष्ट्र भाषा: हिन्दी
  • Hindi As National Language / राष्ट्रभाषा हिन्दी: दशा और दिशा
  • Holi – Festival of colors / रंगो का त्योहार होली
  • Horse / घोड़ा
  • Ideal Student / आदर्श विद्यार्थी
  • If I become Prime Minister / यदि मैं प्रधानमंत्री बनूँ
  • If I was a doctor / यदि मैं डॉक्टर होता
  • Importance of Education / शिक्षा का महत्व
  • Importance of Fruits / फलों की उपयोगिता
  • Independence Day / स्वतंत्रता दिवस (2 Essays)
  • India Arab Israel Relations / भारत-अरब देश और इजराइल सम्बन्ध
  • Indian Farmer / भारतीय किसान
  • Indian Foreign Policy / भारत की विदेश नीति
  • India America Relations / भारत अमेरिका सम्बन्ध
  • India Bangladesh Relations / भारत बांग्लादेश सम्बन्ध
  • India Nuclear Policy / अणु बम की भयावहता एवं भारत की परमाणु नीति
  • India Pakistan Relations / भारत पाकिस्तान सम्बन्ध
  • India Russia Relations / भारत रूस सम्बन्ध
  • Indian Army / भारतीय सेना
  • Inter religion hatred / मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना
  • International Women’s Day / अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
  • Janmashtami / जन्माष्टमी (2 Essays)
  • Jawaharlal Nehru / जवाहर लाल नेहरू
  • Jhansi Ki Rani Laxmibai / झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई
  • Kabaddi / कबड्डी (मेरा प्रिय खेल कबड्डी)
  • Kabir / संत कबीर दास
  • Kargil War / कारगिल युद्ध (ऑपरेशन विजय)
  • Kashmir Issue / कश्मीर समस्या
  • Kissa Kursi Ka / किस्सा कुर्सी का
  • Labour Day / मजदूर दिवस
  • Lal Bahadur Shastri / लाल बहादुर शास्त्री
  • Laziness / आलस्य: सबसे बड़ा शत्रु
  • Lion / जंगल का राजा: शेर
  • Lohri / लोहड़ी
  • Maharana Pratap / महाराणा प्रताप
  • Mahatma Gandhi / महात्मा गाँधी
  • Maha Shivratri / महाशिवरात्रि
  • Makar Sankranti / मकर संक्रांति
  • Man is the one who dies for a man / मनुष्य है वही कि जो मनुष्य के लिए मरे – राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त
  • Milk / दूध पर निबंध
  • Modern Indian Woman / आधुनिक भारतीय नारी
  • Moral Conduct, Virtue, Good Behavior / सदाचार
  • Morning Walk / सुबह की सैर
  • Mother / माँ
  • Mother Teresa / मदर टेरेसा
  • My Best Friend / मेरा प्रिय मित्र
  • My Birthday / मेरा जन्म दिन
  • My Class Teacher / मेरी कक्षा अध्यापिका
  • My Country India / मेरा देश भारत
  • My Delhi / मेरी दिल्ली
  • My Desire / मेरी अभिलाषा
  • My Family / मेरा परिवार
  • My Favorite Game: Cricket / मेरा प्रिया खेल: क्रिकेट
  • Muharram / मुहर्रम
  • Munshi Premchand / मुंशी प्रेमचंद: मेरा प्रिय लेखक
  • Nar ho na nirash karo man ko / नर हो न निराश करो मन को
  • National Bird Peacock / हमारा राष्ट्रीय पक्षी: मोर
  • Nation Building / राष्ट्र-निर्माण में विद्यार्थी का योगदान
  • National Flag / हमारा राष्ट्रीय ध्वज
  • National Integration / राष्ट्रीय एकता (7 Essays)
  • National Language / भारत में राजभाषा समस्या
  • National Unity / राष्ट्रीय एकता: महत्व और आवश्यकता
  • Newspaper / समाचार पत्र
  • New Year / नव वर्ष
  • Ocean / Sea / समुद्र / महासागर
  • Opposition Parties in Indian Democracy / लोकतंत्र में विरोधी दलों का महत्त्व तथा भूमिका: भारतीय सन्दर्भ
  • Politicians – Before & After Elections / नेताजी चुनाव से पूर्व और चुनाव के बाद
  • Pollution / प्रदूषण
  • Population Problem in India / भारत की बढती जनसंख्या / बढती आबादी: देश की बरबादी
  • Rabindranath Tagore / रबीन्द्रनाथ टैगोर
  • Radio / रेडियो
  • Rain Day / बरसात का एक दिन
  • Rainy Season / वर्षा ऋतु
  • Rajendra Prasad / डॉ० राजेंद्र प्रसाद
  • Raksha Bandhan / रक्षाबंधन
  • Raksha Bandhan / भाई-बहन को स्नेह-सूत्रों में बाँधने वाला रक्षाबन्धन
  • Ramayana / रामायण के प्रभाव
  • Rama Navami / रामनवमी
  • Ram Navami / राम नवमी
  • Republic day / गणतंत्र दिवस: 26 जनवरी
  • Rights and Responsibilities of Citizens in Democracy / जनतंत्र में नागरिकों के अधिकार तथा कर्त्तव्य
  • Chhatrapati Shivaji Maharaj / छत्रपति शिवाजी महाराज
  • Sarojini Naidu / सरोजिनी नायडू
  • Subhash Chandra Bose / नेताजी सुभाष चन्द्र बोस (7 Essays)
  • Success failure method / हानी-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि हाथ
  • Swami Vivekananda / स्वामी विवेकानंद
  • Teachers Day / शिक्षक दिवस
  • Time Utilization / समय का सदुपयोग
  • Tree Plantation / वृक्षारोपण
  • Unemployment Problems / बेरोजगारी की समस्या
  • United Nations Organisation / संयुक्त राष्ट्र संघ
  • Veer Savarkar / स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर
  • Visit to Zoo / चिड़ियाघर की सैर
  • War: Curse or Boon / युद्ध: अभिशाप या वरदान
  • War and Peace / युद्ध और शान्ति
  • Wedding Scene / विवाह का दृश्य
  • Working Woman / नारी और नौकरी अथवा कामकाजी महिलाओं की समस्याएँ
  • World Human Rights Day / विश्व मानवाधिकार दिवस
  • World Peace and India / विश्व शान्ति और भारत पर हिंदी निबंध
  • Woman and Fashion / नारी और फैशन
  • Women Better Than Men / एक नहीं दो दो मात्राएँ, नर से बढ़कर नारी
  • Women’s Jewelery is Not Beauty But Mild Quality / नारी का आभूषण सौन्दर्य नहीं, सौम्य गुण है
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Hindi Essays for Class 10: Top 20 Class Ten Hindi Essays

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List of Popular Essays for Class 10 students written in Hindi Language !

Hindi Essay Content:

1. डा. प्रतिक्षा पाटिल पर निबन्ध | Essay on Dr. Prativa Patil in Hindi

2. डा. मनमोहन सिंह पर निबन्ध | Essay on Dr. Manmohan Singh in Hindi

3. सी.एन.जी. पर निबन्ध | Essay on Compressed Natural Gas (C.N.G.) in Hindi

4. दिल्ली मेट्रो रेल पर निबन्ध | Essay on Delhi Metro Rail in Hindi

5. कम्प्यूटर: आधुनिक युग की माँग पर निबन्ध | Essay on Computer : Demand of the Modern Age in Hindi

6. इन्टरनेट: एक प्रभावशाली सूचवा माध्यम पर निबन्ध | Essay on Internet : An Influential Method of Communication in Hindi

7. कल्पना चावला पर निबन्ध | Essay on Kalpana Chawla in Hindi

8. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi : Father of the Nation in Hindi

ADVERTISEMENTS:

9. पं. जवाहारलाल नेहरू पर निबन्ध | Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

10. युगपुरुष-लाल बहादुर शास्त्री पर निबन्ध | Essay on Lal Bahadur Sastri : An Icon of the Age in Hindi

11. भारत रत्न श्रीमती इन्दिरा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Bharat Ratna : Srimati Indira Gandhi in Hindi

12. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर निबन्ध | Essay on Netaji Subash Chandra Bose in Hindi

13. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद पर निबन्ध | Essay on Dr. Rajendra Prasad : India’s First President in Hindi

14. शहीद भगतसिंह पर निबन्ध | Essay on Bhagat Singh the Martyr in Hindi

15. डा. भीमराव अम्बेडकर पर निबन्ध | Essay on Dr. Bhimrao Ambedkar in Hindi

16. कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्ध | Essay on Great Poet Rabindranath Tagore in Hindi

17. स्वामी विवेकानन्द पर निबन्ध | Essay on Swami Vivekananda in Hindi

18. गुरू नानक देव पर निबन्ध | Essay on Guru Nanak Dev in Hindi

19. महावीर स्वामी पर निबन्ध | Essay on Mahavir Swami in Hindi

20. नोबेल पुरस्कार विजेता: अमतर्य सेन पर निबन्ध |Essay on Amartya Sen : The Nobel Laureate in Hindi

Hindi Nibandh (Essay) # 1

डा. प्रतिक्षा पाटिल पर निबन्ध | Essay on Dr. Prativa Patil in Hindi

प्रस्तावना:

भारतवर्ष की भूमि महापुरुषों की भूमि है, परन्तु यहाँ की स्त्रियाँ भी किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है । भारत की पहली महिला प्रधानमन्त्री का गौरव यदि श्रीमती इन्दिरा गाँधी को प्राप्त हुआ, तो पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को प्राप्त हुआ है ।

जन्म-परिचय एवं शिक्षा:

श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल का जन्म 19 दिसम्बर,1934 को महाराष्ट्र के ‘नन्दगाँव’ नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिता का नाम श्री नारायण राव था । आपकी प्रारम्भिक शिक्षा जलगाँव (महाराष्ट्र) के आर.आर. स्कूल में हुई ।

मूलजी सेठ (छ:) कालेज जलगाँव से स्नातकोत्तर की उपाधि लेने के पश्चात् आपने गवर्नमेन्ट ली कालेज, मुम्बई से कानून की उपाधि प्राप्त की । श्रीमती प्रतिभा देवी की प्रारम्भ से ही खेलकूद में रुचि थी और आपने अपने समय में कालेज प्रतियोगिताओं में कई पदक तथा सम्मान प्राप्त किए ।

शिक्षा प्राप्ति के पश्चात् आपने जलगाँव कोर्ट में बतौर अधिवक्ता व्यवसायिक जीवन व्यतीत करना प्रारम्भ किया तथा साथ-साथ जनकल्याणकारी कार्यों में भी रुचि लेने लगी । सामाजिक कार्यों में भी आपका ध्यान विशेष रूप से महिलाओं की बहुमुखी समस्याओं तथा उनके समाधानों के प्रति रहा ।

वैवाहिक जीवन:

श्रीमती पाटिल का परिणय डी. देवीसिंह, रामसिंह शेखावत से साथ हुआ था । उन्होंने मुम्बई हॉफकीन इंस्टीट्‌यूट से रसायन विज्ञान से पी.एच.डी. की । शेखावत जी अमरावती निगम के ‘मेयर’ रहे हैं तथा उसी क्षेत्र के विधायक भी रहे हैं । श्रीमती पाटिल के दो सन्ताने हैं- पुत्री ज्योति राठौर एवं पुत्र रामेन्द्र सिंह ।

राजनीतिक जीवन:

श्रीमती पाटिल का राजनीतिक जीवन सत्ताईस वर्ष की आयु में ही प्रारम्भ हो गया था । सर्वप्रथम आप जलगाँव विधानसभा क्षेत्र से चुनी गयी । तत्पश्चात इलाहाबाद (मुकताई नगर) का बतौर बिधायक चार बार प्रतिनिधित्व किया । 1985 से 1990 तक आप राज्यसभा से सांसद रही ।

1991 में दसवीं लोकसभा के लिए अमरावती संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन आप पराजित हो गई । श्रीमती पाटिल ने अपना अधिकांश जीवन महाराष्ट्र के लिए ही समर्पित किया । आप लोकस्वास्थ्य विभाग, मधनिषेध मन्त्री, पर्यटन मन्त्री, संसदीय एवं आवास मन्त्री भी रह चुकी हैं । आपका यह कार्यकाल 1967-1972 तक रहा ।

श्रीमती पाटिल ने अनेक विभागों में केबिनेट मन्त्री का पद भी सम्भाला जैसे- 1972 में महाराष्ट्र सरकार में समाज कल्याण विभाग, 1974-1975 तक समाज कल्याण तथा लोकस्वास्थ्य विभाग, 1975-76 तक मधनिषेध, पुर्नवास, सांस्कृतिक कार्य विभाग, 1977 में शिक्षा मन्त्री, 1982-85 में असैनिक आपूर्ति एवं समाज कल्याण विभाग ।

1979 से फरवरी 1980 तक आप प्रदेश सरकार में विपक्ष की नेता भी रहीं । आप डी. वेंकटरमन के कार्यकाल में राज्यसभा की अध्यक्ष रह चुरकी हैं एवं 1988 में राज्यसभा के दौरान व्यवसायिक सलाहकार समिति की सदस्य बनी ।

सामाजिक कार्यक्षेत्र:

श्रीमती पाटिल लोक कल्याण के कार्यों से सदैव जुड़ी रही तथा अनेक संस्थानों के उत्थान हेतु कार्य किए । आप महाराष्ट्र प्रांत में जलप्राधिकरण की अध्यक्ष रहीं । 1982-85 तक महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं, अर्बन सहकारी बैंक एवं क्रेडिट सोसायटी, संघीय समिति के निदेशक पद पर कार्यरत रही । आप सदा ही सामाजिक कल्याण के कार्यों में भी रुचि लेती रही हैं ।

इस सम्बन्ध में आपकी धारणा विश्व-बन्धुत्व पर आधारित है इसीलिए आपने देश विदेश में आयोजित होने वाले सामाजिक कल्याण के सम्मेलनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है । 1985 में बुल्गारिया में आयोजित सभा को बतौर प्रतिनिधि सम्बोधित किया । 1985 में लन्दन की कमेटी ऑफ आफिसर्स कांफ्रेंस में भारत का प्रतिनिधित्व किया ।

सितम्बर 1995 में चीन में ‘वर्ल्ड वोमेन्स कोऑपरेटिव’ नामक सेमिनार की प्रतिनिधि रही । आपने पिछड़ी जाति के बच्चों के विकास के लिए विशेष योगदान दिया । ग्रामीण युवाओं के लिए जलगाँव में इंजिनियरिंग कॉलेज खुलवाया, रोजगार दिलाने के लिए जिलेवार पुणे संस्थान खुलवाए ।

अमरावती और महाराष्ट्र में अनुवांशिक संस्था , संगीत कॉलेज , फैशन डिजाइनिंग , ब्यूटिशियन कोर्स तथा व्यवसायिक कोर्स से सम्बन्धित संस्थाओं की स्थापना करवाई । 1962 में आपने महाराष्ट्र के महिला कोषांग की स्थापना करवाई ।

राष्ट्रपति के रूप में :

राजनीतिक गलियारों में जब राष्ट्रपति ए.पी.जे. कलाम के उत्तराधिकारी की चर्चा हो रही थी तथा राजनीतिक दलों के बीच विवाद गहरा रहा था तभी नए राष्ट्रपति के रूप में श्रीमति पाटिल के नाम का प्रस्ताव सभी विवादों को शान्त कर गया । United progressive Alliance के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी की ओर से श्रीमती प्रतिभा पाटिल के नाम की उद्‌घोषणा की गई ।

आपने अपने प्रतिद्वन्द्वी श्री भैरोसिंह शेखावत जी को 3,06,810 मतों से पराजित कर राष्ट्रपति पद का गौरव अपने नाम कर लिया । 25 जुलाई, 2007 को श्रीमती पाटिल को राष्ट्रपति पद की गरिमा एवं गोपनीयता की शपथ सर्वोच्च न्यायाधीश आर.जी. बालकृष्ण द्वारा दिलाई गई ।

श्रीमती पाटिल के शपथ ग्रहण करते ही केन्द्रीय कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा । इस अवसर पर उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई । इस समारोह में प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह, यू.पी.ए. की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी कई देशों के राजदूत, विपक्ष सहित तमाम दलों के वरिष्ठ नेता, कई राज्यों के गवर्नर तथा मुख्यमन्त्रियों सहित तीनों सेनाओं के सेनापति व कई गढ़मान्य व्यक्ति शामिल थे ।

राष्ट्रपति पद सम्भालने के बाद अपने प्रथम भाषण में श्रीमती पाटिल ने बच्चों तथा स्त्रियों के अधिकारों के प्रति प्रतिबद्वता व्यक्त करते हुए आधुनिक शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक बनाने की आवश्यकता जताई ।

आपने सामाजिक कुरीतियों, कुपोषण, बाल मृत्यु एवं कन्या भूण हत्या के अपराधों को जड से समाप्त करने की अपील की । पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम अपने कार्यकाल में भारतीय सविधान के ‘रबर स्टाम्प’ को पच्छिक प्रापर्टी के रूप में बहुत लोकप्रिय बना चुके हैं ।

उनकी उसी छवि को ऊँचाईयों तक पहुँचाना निःसन्देह बख्य मुस्किल कार्य है । परन्तु श्रीमती पाटिल भी गम्भीर, धैर्यवान, सुशिक्षित तथा समझदार महिला के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं । श्रीमती पाटिल ने कृषि तथा किसानों की समस्याओं पर भी विशेष जोर दिया है । उनका बस एक ही सपना है कि भारत बहुमुखी विकास करें तथा पूरे विश्व में प्रथम स्थान पा सके ।

इसके लिए महामहिम राष्ट्रपति अपनी कानूनी जिम्मेदारियों की सीमा में रहते हुए भारत सरकार को प्रोत्साहित करती रहती हैं । वे चाहती हैं कि हमारा देश सशक्त राष्ट्र बने, आर्थिक दृष्टि से मजबूत हो तथा सांस्कृतिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक दृष्टि से पूर्णतया आत्मनिर्भर हो ।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि श्रीमती पाटिल ने सदा ही अपने पद की गरिमा को बनाए रखा है । वे अपनी सभी जिम्मेदारियाँ बहुत सूझ-बूझ से निभा रही हैं और बहुत कम समय में भारतीय जनता के दिलो में घर बना चुकी है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 2

डा. मनमोहन सिंह पर निबन्ध | Essay on Dr. Manmohan Singh in Hindi

विशाल गणराज्य भारत देश बहुत महान तथा विशाल है । जहाँ एक ओर ऋषियों, मुनियों तथा तपस्वियों ने अनेक साधनाएँ की हैं वही दूसरी ओर अनेक वैज्ञानिकों ने भारत को उन्नति के शिखर पर पहुँचाया । हमारे देश में प्रजातन्त्रीय प्रणाली के अनुसार संसद का चुनाव होता है तथा चुनाव के उपरान्त देश को प्रधानमन्त्री की भी आवश्यकता होती है ।

स्वतन्त्र भारत में अब तक संसद को प्रधानमन्त्री के रूप में पं. जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इन्दिरा गाँधी, मोरारजी देसाई, चौ. चरण सिंह, राजीव गाँधी, वी.पी. सिंह, चन्द्र शेखर, पी.वी. नरसिम्हाराव, एच.डी. देवगौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल और अटल बिहारी वाजपेयी मिले ।

इसी बीच संसद में दो बार तेरह-तेरह दिन के लिए गुलजारी लाल नन्दा को कार्यकारी प्रधानमन्त्री नियुक्त किया जा चुका है । चौदहवीं लोकसभा में डा.मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री बने हैं पंद्रहवीं लोकसभा में पुन: डा. मनमोहन सिंह को ही प्रधानमंत्री बनने का सुअवसर प्राप्त हुआ हैं आपने 22 मई, 2009 को सायं 5.30 बजे माननीय राष्ट्रपति तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की ।

जन्म परिचय एवं शिक्षा:

डा. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर, 1932 को पंजाब (पाकिस्तान) में ‘गाह’ नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिता का नाम सरदार गुरुमुख सिंह तथा माता को नाम अमरूत कौर था । आपकी केवल तीन बहने हैं । मनमोहन सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा एक स्थानिय तथा निकटवर्ति क्षेत्रीय स्कूल में हुई थी ।

सन् 1952 में आपने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की । 1954 में आपने पंजाब विश्वविद्यालय से ही अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की । सेंट जोंस कॉलेज कैम्बिज ने 1957 में पढ़ाई में अच्छे प्रदर्शन के लिए आपको पुरस्कृत किया ।

तत्पश्चात् आपने 1957 में पी.एच.डी. का शोध कार्य ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से किया ।  डा. मनमोहन सिंह को अनेक यूनिवर्सिटीयों ने डी.लिट् की उपाधियाँ प्रदान की । पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़; गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर; दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली; चौधरी चरणसिंह, हरियाणा; एग्रीकल्वर यूनिवर्सिटी, हिसार; श्री वैंकटेश्वर यूनिवर्सिटी, तिरुपति, यूनिवर्सिटी ऑफ बोहोगा, इटली आदि इनमें प्रमुख हैं ।

डा. मनमोहन सिंह ने लेक्चरर तथा रीडर के रूप में 1957 से 1965 तक पंजाब विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य किया । 1969 में डी. सिंह दिल्ली स्कूल ऑफ इकनोमिक्स में नियुक्त हो गए । आपने सन् 1971 तक वहाँ सेवा कीं । आपने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी अपनी अवैतनिक सेवाएँ दी । डा. मनमोहन सिंह का विवाह 14 दिसम्बर, 1958 को गुरुशरन कौर से हुआ था; जिनसे इनकी तीन पुत्रियाँ हुई ।

व्यक्तित्व की बिशेषताएँ:

डा. मनमोहन सिंह उच्च कोटि के शिक्षित व्यक्ति हैं । उन्होंने अर्थशास्त्र में अनेक पुस्तकें लिखी हैं, जो देशवासियों का मार्गदर्शन करती हैं । आपने वित्तीय सलाहकार, प्रमुख अर्थशास्त्र सलाहकार, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर तथा अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विदेश नीति सलाहकार के रूप में राष्ट्र की सेवाएँ की हैं ।

आपने भारतीय आणविक ऊर्जा आयोग, योजना आयोग, अन्तरिक्ष आयोग, ऐशियन बैंक विकास क्षेत्रों में भी कार्य किया है । आपने वित्त (कैबिनेट) मन्त्री के रूप में भी देश की अनूठी सेवा की है । आप राज्य सभा के लिए भी निर्वाचित हो चुके हैं ।

हमारे सुयोग्य प्रधानमन्त्री अत्यन्त साधारण, सहयोगी तथा सुशिक्षित है । इन सभी गुणों के उपरान्त भी आपमें लेशमात्र भी घमंड या अहंकार नहीं है । डा. मनमोहन सिंह को अनेक डिग्रियाँ तथा पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं ।

आपकी गम्भीरता तथा कठोर परिश्रमी स्वभाव को देखते हुए आपके पिता गुरमुख सिंह जी ने एक बार अपने आशीर्वाद के रूप में कहा था, ”मोहन, तू एक दिन भारत का प्रधानमन्त्री अवश्य बनेगा ।”  इस आशीर्वाद को फलीभूत होने में भले ही तीस वर्ष का समय लग गया, परन्तु उनका यह आशीर्वाद उस समय पूर्ण हुआ जब 21 मई, 2004 को टी.टी.जी.पी. की अध्यक्षा सोनिया गाँधी जी ने प्रधानमन्त्री पद को अस्वीकार करते हुए डा. मनमोहन सिंह के नाम की सिफारिश की ।

डा. मनमोहन सिंह ने शनिवार 22 मई, 2004 को भारत के प्रधानमन्त्री के रूप में शपथ ग्रहण की । आपके साथ मन्त्रीमंडल में 67 मन्त्रियों को भी शपथ दिलाई गई ।

डा. मनमोहन सिंह को उनकी अनगिनत सेवाओं के लिए भारत सरकार की ओर से सन् 1987 में देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘पदम बिक्या’ प्रदान किया गया । 1993 में आपको यूरोमनी अवार्ड फाइनेंस ‘मिनिस्टर ऑफ द ईयर’ से सम्मानित किया गया ।

निःसन्देह डा. मनमोहन सिंह एक नेक, विनीत तथा ईमानदार व्यक्ति हैं । राष्ट्र ने उनसे जो भी आशाएँ रखी थी, उन कसौटियों पर वे खरे उतरे हैं । अभी जनवरी 2009 में डा. मनमोहन सिंह को दिल की सर्जरी करानी पड़ी, जिसके कारण वे ‘अखिल भारतीय अनुसंधान आयोग’ में दाखिल रहे । ऐसे कठिन समय में सभी देशवासियों ने उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थनाएँ की । हमारी तो ईश्वर से बस यही कामना है कि वह उन्हें लम्बी आयु दें ।

Hindi Nibandh (Essay) # 3

सी.एन.जी. पर निबन्ध | essay on compressed natural gas (c.n.g.) in hindi, प्रस्ताबना:.

सड़कों पर वाहनों की बढ़ती हुई संख्या के परिणामस्वरूप ध्वनि प्रदूषण तथा वायुप्रदूषण उत्पन्न होते हैं । वाहनों के धुएँ को हम सभी प्रत्यक्ष रूप से अन्तःश्वसन करते हैं, जिससे अनेक घातक बीमारियाँ पैदा होती है ।

दिल्ली को अत्यन्त प्रदूषणकारी महानगर मानते हुए उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश दिया था कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बसों में 31 मार्च, 2001 तक ईंधन के रूप में डीजल तथा पेट्रोल के स्थान पर कम प्रदूषणकारी कँम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सी.एन.जी.) का प्रयोग किया जाना चाहिए ।

सी.एन.जी. तथा यू.एल.एस.डी:

टाटा ऊर्जा अनुसन्धान संस्थान ने अच्छा लो सल्फर डीजल (यू.एल.एस.डी.) को भी सी.एन.जी. के ही समान कम प्रदूषणकारी बताकर उसे सी.एन.जी. के विकल्प की घोषणा की । कई विशेषज्ञ सी.एन.जी. को डीजल की अपेक्षा प्रत्येक दृष्टि से उत्तम मानते हैं ।

हालाँकि दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में दो-तिहाई ईंधन के रूप में डीजल का ही उपयोग होता है परन्तु विश्वभर के ईंधनों का सर्वेक्षण करने पर डीजल को ही सबसे खतरनाक माना गया है । दिल्ली में 65 प्रतिशत ख्स कण केवल डीजल से ही उत्सर्जित होते हैं, जिनसे कैंसर होता है । डीजल की सर्वोत्तम तकनीक भी सी.एन.जी, से दस गुनी खतरनाक होती है । अल्ट्रा लो सहर डीजल में भी सामान्य डीजल से केवल 15 प्रतिशत कम प्रदूषण होता है जब कि सी.एन.जी. में 90 प्रतिशत तक प्रदूषण कम हो जाता है ।

सी.एन.जी. की रचना:

सी.एन.जी. पृथ्वी की धरातल के भीतर पाये जाने वाले हाइड्रोजन कार्बन का मिश्रण है और इसमें 80 से 90 प्रतिशत मात्रा मेलथेक गैस की होती है तथा यह गैस पेट्रोल एवं डीजल की अपेक्षा कार्बन मोनो ऑक्साइड 70 प्रतिशत, नाइट्रोजन ऑक्साइड 87 प्रतिशत तथा जैविक गैस लगभग 89 प्रतिशत कम उत्सर्जित करती है ।

सी.एन.जी. गैस रंगहीन, गन्धहीन, हवा से हल्की तथा पर्यावरण की दृष्टि से सबसे कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाली है । इसको जलाने के लिए एल.पी.जी. की अपेक्षा ऊँचे तापमान की आवश्यकता पड़ती है इसलिए आग पकड़ने का खतरा भी कम होता है । इन सब विशेषताओं के कारण ही वर्तमान समय में भारत में प्रतिदिन लगभग 650 करोड़ घनमीटर सी.एन.जी. का उत्पादन हो रहा है जबकि इसकी माँग 1100 करोड़ घनमीटर है ।

आज सी.एन.जी. का प्रयोग बिजली:

धरो, उर्वरक कारखानों, इस्पात कारखानों, घरेलू ईंधन तथा वाहनों में ईंधन के रूप में हो रहा है ।

सी.एन.जी. :

एक सर्वोत्तम ईंधन-आरम्भ में सी.एन.जी. बसों में पैसा अधिक अवश्य लगता है परन्तु उनका परिचालक व्यय कम होता है । इसके विपरीत सामान्य डीजल को अस्ट्रा लो सल्कर डीजल में परिवर्तित करने पर रिफाइनडरियो के व्यय बहुत अधिक हो जाएँगे । डीजल की तुलना में सी.एन.जी. में कार्बन-डाई-ऑक्साइड में उत्सर्जन की मात्रा कम है इसलिए यह डीजल से कम जहरीली है । विशेषज्ञों ने भी इसे सबसे साफ सुथरा ईंधन माना है जो शीघ्रता से प्रदूषण को समाप्त करता है ।

विस्वभर में सी.एन.जी. का प्रयोग:

इस समय विश्वभर में लगभग 20 लाख वाहन सीएनजी चालित हैं । जापान की राजधानी टोक्यो में पिछले य वर्षों से सभी टैक्सियाँ सी.एन.जी. चालित हैं । दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में यह प्रयोग पिछले 25 वर्षों से जारी है ।

इसके अतिरिक्त नेपाल, बैंकॉक, ताइवान तथा आस्ट्रेलिया में भी अधिकतर वाहन सी.एन.जी, चालित है । वाहनों में प्राकृतिक गैस का प्रयोग 1930 से प्रारम्भ हुआ था । तभी से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इटली, थाईलैंड, न्यूजीलैंड तथा ईरान जैसे देशों में सी.एन.जी. का प्रयोग होने लगा है ।

सी.एन.जी. की हानियाँ:

सी.एन.जी. बसे जल्दी गर्म हो जाती है या रूक जाती हैं । डेनमार्क तथा अमरीकी विशेषज्ञों ने अपने निजी अनुभव के आधार पर यह घोषणा की है कि परिवर्तित वाहन पूर्णरूपेण सफल नहीं है क्योंकि वे सुरक्षा को खतरा पहुँचा सकते हैं ।

इसके अतिरिक्त इसमें ठोस परिवर्तन तकनीक की आवश्यकता है जो भारत में प्रारम्भिक चरण में है । सी.एन.जी. पैट्रोल तथा डीजल की तुलना में गतिक ऊर्जा है, इसी कारण ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों में यह विफल है । आज सी.एन.जी. किट बड़ी मात्रा मैं उपलब्ध नहीं है और उनकी रिफलिंग में भी समय लगता है । हमारे देश में पर्याप्त भरोसेमन्द सिलेंडर भी नहीं हैं और जो है भी उनकी कोई गुणवता नहीं है ।

विश्व के किसी भी बड़े शहूर में सार्वजनिक यातायात पूरी तरह से सीएनजी चालित नहीं है, वरन् उनके साथ सक्कर डीजल तथा अन्य तरह के ईधन पर आधारित वाहन भी चल रहे हैं । परन्तु सी.एन.जी. के आने से ध्वनि प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण की समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है ।

डीजल प्रयोग के कारण ही आज हम अस्थमा, मधुमेह, हृदयरोग, श्वाँसरोग, बहरापन आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं । ऐसी आशा की जाती है कि भविष्य में सीएनजी किट आसानी से उपलब्ध हो सकेगे तथा हम प्रदूषण की समस्या से मुक्ति पा सकेंगे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 4

दिल्ली मेट्रो रेल पर निबन्ध | Essay on Delhi Metro Rail in Hindi

‘मेट्रो’ शब्द का प्रयोग दुनिया भर में भूमिगत रेलवे के लिए किया जाता है । छोटी एवं लम्बी दूरी तय करने का यह एकदम प्रदूषण रहित माध्यम है ।

विश्व में अब तक जापान, कोरिया, सिंगापुर, हांगकांग, जर्मनी तथा फ्रांस में मेट्रो रेल परिचालित हैं ।  मेट्रो रेलवे की सेवाओं को प्रयोग करने वाले भारतीय शहरों में कोलकाता शिखर पर है तथा राजधानी दिल्ली में मेट्रो रेल सेवा आरम्भ हो चुकी है ।

दिल्ली मेट्रो के आगमन का कारण:

दिल्ली भारत के सर्वाधिक आबादी वाले नगरों में से एक है । वर्तमान समय में राजधानी की सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों की संख्या चालीस लाख के करीब है ।

वाहनों की यह संख्या देश के तीन महानगरों:

कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई के कुल वाहनों से कही अधिक है । इनमें से नब्बे प्रतिशत निजी वाहन है । राजधानी में सड़कों की कुल लम्बाई बारह सौ चालीस किलोमीटर हैं । इस प्रकार दिल्ली महानगर के लगभग बीस प्रतिशत हिस्से पर सड़के फैली हैं ।

इसके बावजूद भी राजधानी की मुख्य सड़कों पर वाहनों की औसत गति पन्द्रह किलोमीटर प्रति घण्टा है । इस रफ्तार को बढ़ाने तथा यातायात की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली में ‘मेट्रो रेलवे परियोजना’ लागू की गई है ।

दिल्ली मेट्रो का शुभारंभ एवं विकास कार्य:

दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन ने राजधानी से विभिन्न चरणों के आधार पर मेट्रो रेल शुरू करने की योजना बनाई है । इसके पहले चरण में शाहदरा तीस हजारी खण्ड सेवा शुरू की गई । इसका उद्‌घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने 24 दिसम्बर, 2002 को किया । मेट्रो रेल के दूसरे चरण के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय से केन्द्रीय सचिवालय तक सेवा शुरू की गई ।

तीसरे चरण में राजीव चौक से द्वारिका तक तथा चौथे चरण में दिल्ली विश्वविद्यालय से न्यू आजादपुर, संजय गाँधी ट्रांसपोर्ट नगर (8.6 कि.मी.) वाराखम्बा रोड से इन्द्रप्रस्थ नोएडा (1.5 कि.मी.), कीर्ति नगर से द्वारिका (16 कि.मी.) तक का कार्य पूरा हो चुका है ।

शीध्र ही मेट्रो रेल अक्षरधाम मंदिर, लक्ष्मी नगर, आनंदविहार (बस अड्‌डा) तथा गाजियाबाद तक भी पहुँच जाएगी । आज कई स्थानों पर भूमिगत मेट्रो भी चल रही है । ऐसा माना जा रहा है कि 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों के समय तक पूरी दिल्ली की सड़कों पर मेट्रो रेल चलने लगेगी ।

दिल्ली मेट्रो रेल की विशेषताएँ:

मेट्रो रेल अत्याधुनिक संचार व नियन्त्रण प्रणाली से सुसज्जित है । कोच एकदम आधुनिक तकनीक पर आधारित तथा वातानुकूलित हैं । यहीं पर टिकट वितरण प्रणाली भी स्वचालित है । यहाँ पर रेल की क्षमता के आधार पर ही टिकट वितरित किए जाते हैं । यदि रेल में जगह नहीं होती तो मशीन टिकट देना स्वयं बन्द कर देती है । स्टेशन में प्रवेश एवं निकासी की सुविधा भी अत्याधुनिक है ।

यात्रियों की सुविधा के लिए मेट्रो स्टेशन परिसर पर एस्केलेटर स्थापित किए गए हैं । इसमें विकलांगों के लिए विशेष सुविधा हैं । मेट्रो यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मेट्रो स्टेशनों को बस रूट से जोड़ा गया है, जिसके लिए मेट्रो स्टेशन से मुख्य सड़क या बस स्टैण्ड तक फीडर बसे भी चलाई जा रही हैं ताकि अधिक-से-अधिक लोग इस सेवा का लाभ उठा सके ।

इसके लिए किराया दर भी अन्य परिवहन साधनों की अपेक्षा कम रखा गया है । मेट्रो रेल में यात्रा करने से समय तथा पैसे दोनों की ही बचत होती है । भीड़-भाड़ भरी सड़कों, धुएँ व धूल मिट्टी से बचकर वातानुकूलित रेल में यात्रा करने का आनन्द ही कुछ और है ।

मेट्रो रेल के दरवाजे भी स्वचालित हैं । इसमें आगमन प्रस्थान तथा आगे वाले स्टेशनों के विषय में पूरी जानकारी रेल में सवार यात्रियों को सूचना प्रदर्शन पटल तथा सम्बोधन प्रणाली के आधार पर उपलब्ध करायी जाती है । इसमें यात्री चाहे तो मासिक पास भी बनवा सकते है । मेट्रो रेल में कोई भी यात्री अधिकतम पन्द्रह किलोग्राम वजन ले जा सकता है ।

मेट्रो रेल के तकनीकी कर्मचारी तकनीकी रूप से सक्षम होने के साथ-साथ विदेशी प्रशिक्षण प्राप्त है । दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा एक प्रशिक्षण स्कूल भी स्थापित क्रिया गया है, जिससे ड्राइवरों तथा परिचालकों को समय-समय पर आवश्यक जानकारी दी जाती है ।

मेट्रो रेल को प्रारम्भ करने का सबसे अधिक श्रेय हमारी दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित को जाता है । उनके द्वारा उठाया गया यह कदम बहुत सराहनीय है क्योंकि मेट्रो रेल के चलने से यात्रियों को तो लाभ हुआ ही है, साथ ही प्रदूषण की मात्रा में भी काफी गिरावट आई है । अब यह हमारा नैतिक कर्त्तव्य है कि हम इस रेल की सफाई की ओर पूरा ध्यान दे तथा मेट्रो रेल का पूरा लाभ उठाएँ ।

Hindi Nibandh (Essay) # 5

कम्प्यूटर: आधुनिक युग की माँग पर निबन्ध | essay on computer : demand of the modern age in hindi.

आज का युग विज्ञान का युग है । जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान के आविष्कारों ने क्रान्ति ला दी है । यह बात हम सभी जानते हैं । विज्ञान की ही महान देन ‘कम्प्यूटर’ आधुनिक युग की एक, महत्वपूर्ण आवश्यकता है । इसने हमारे जीवन को सरल व सुखद बना दिया है । यद्यपि कम्प्यूटर मानव-मस्तिष्क की ही उपज है, किन्तु कार्यक्षेत्र में यह मानव की सोच से भी परे है ।

कम्प्यूटर का अस्तित्व:

कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है, जिसमें अनेक ऐसे मस्तिष्कों का रुपात्मक एवं समन्वयात्मक योग तथा गुणात्मक घनत्व होता है, जो अति तीव्र गति से बहुत कम समय में एकदम सही गणना करता है ।

वैज्ञानिकों ने गणितीय गणनाओं के लिए अनेक यन्त्रों जैसे ‘अवेकस’ तथा ‘कैलकुलेटर’ आदि का आविष्कार किया है, किन्तु कम्प्यूटर की बराबरी कोई भी मशीन नहीं कर सकती ।

कम्प्यूटर मुख्यतया जोड़, घटा, गुणा तथा भाग जैसी गणितीय क्रियाएँ बड़ी सरलता तथा शीघ्रता के साथ कर सकता है । कम्प्यूटर निर्देशों का क्रमबद्ध संकलन भी करता है, इसके लिए यह सर्वप्रथम निर्देशों को पढ़कर अपनी स्मृति में बिठा लेता है तथा पुन: निर्देशों के अनुरूप कार्य करता है ।

कम्प्यूटर की सफलता का यही रहस्य है कि यह साधारण निर्देशों को एक उचित क्रम देने पर बड़ी से बड़ी जटिल गणना को भी बड़ी सरलता से त्रुटिहीन रूप से सम्पन्न करता है ।

कम्प्यूटर का आविष्कार:

आज से लगभग 25 हजार वर्ष पूर्व मनुष्य ने अंकों का अन्वेषण किया था । धीरे-धीरे ये अंक विकसित होते गए तथा विभिन्न लिपियों में प्रयुक्त होने लगे । मनुष्य के विकास के साथ-साथ लिपियाँ भी विकसित होती गयी । प्रारम्भ में मनुष्य कंकडों, उँगलियों की लाइनों या दीवार आदि पर लाइन खींचकर गिनने का कार्य करता था ।

फिर मशीनी युग के साथ ही अंकों तथा लिपि को टंकण के माध्यम से प्रेस तथा टाइप मशीनों में अंकित किया गया । सन् 1642 ई. में फ्रांस के कुशल वैज्ञानिक ब्लेज पास्कल ने विश्व का पहला कम्प्यूटर बनाया, जिसकी विधि बहुत सरल थी ।

तब से तरह-तरह की तकनीके खोजी जाने लगी तथा नए-नए कम्प्यूटर बनाए गए । सन् 1833 ई. में इंग्लैंड के ‘चार्ल्स बाबेज’ ने एक मशीन का आविष्कार किया तथा वह उस मशीन को कम्प्यूटर का रूप देने का प्रयास करता रहा, परन्तु असफल रहा ।

सही अर्थों में आधुनिक कम्प्यूटर बनाने का श्रेय वियुत अभियन्ता पी. इकरैट, भौतिक शास्त्री जोहन, डक्यू मैकली तथा गणितज्ञ जी.वी. न्यूमैन को जाता है । इन सभी के पारस्परिक सहयोग के बल पर सन् 1944 ई. में एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया गया, जिसको ‘इलैक्ट्रानिक एण्ड कम्प्यूटर’ नाम दिया गया । कम्प्यूटर का सुधरा हुआ रूप सन् 1952 ई. में बाजार में आया ।

भारतवर्ष में सबसे पहला कम्प्यूटर सन् 1961 ई. में आया था । तब से आज तक भारत अनेक उन्नत देशों जैसे अमेरिका, रुस, जर्मनी आदि से कम्प्यूटर आयात कर चुका है । इन देशों से प्राप्त जानकारी हमारे लिए काफी लाभकारी सिद्ध हो रही है ।

अमेरिका, स्वीडन, फ्रांस, हालैण्ड, ब्रिटेन, जर्मनी आदि देशों में तो इसे ‘मानव मस्तिष्क’ की संज्ञा दे दी गई है । आज भारत में भी कम्प्यूटर विज्ञान का तीव्रगामी विकास हो रहा है । कम्प्यूटर की स्मरण-शक्ति असीमित तथा अद्वितीय है । जो काम बहुत कुशाग्र बुद्धि का मानव भी नहीं कर पाता, कम्प्यूटर वह कार्य बड़ी सरलता से कर दिखाता है । आधुनिक युग में मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वह पेपर पैन लेकर सारे हिसाब-किताब रख सके, क्योंकि आज का मानव बहुत व्यस्त जीवन जी रहा है ।

ऐसे में कम्प्यूटर उसका सच्चा साथी बनकर सभी कार्य तीव्र गति से बड़ी कुशलतापूर्वक कर देता है । नाम, तिथि, स्थल आदि बड़ी सरलतापूर्वक याद किए जा सकते हैं । आज सरकारी तथा गैर-सरकारी प्रत्येक क्षेत्र में बड़े व्यापक स्तर पर कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है ।

वेतन बिल, बिजली, पानी, टेलीफोन के बिल बनाने, टिकट वितरण करने, बैंक, एल. आई.सी. के दफ्तरों आदि सभी में सारा कार्य कच्छसे की मदद से ही हो रहा है । इनके अतिरिक्त सभी शिक्षण संस्थाओं, बड़े-बड़े स्टोरों आदि में भी ये सहायक सिद्ध हो रहे हैं ।

डाक छाँटने, रेल मार्ग का संचालन करने, परिवहन व्यवस्था, मौसम की जानकारी, चिकित्सा, व्यापार, आदि अनगिनत क्षेत्रों में आज कम्प्यूटर का ही बोलबाला है । परीक्षा बोर्डों में बैठने वाले अनेक विद्यार्थियों की अंकतालिका जाँचने, रोल नम्बर तैयार करने के कार्य भी कम्प्यूटर द्वारा आसानी से हो रहा है ।

इसके अतिरिक्त प्रकाशन के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर मील का पत्थर साबित हुआ है । किक कार्यों के करने की गति तथा इलेक्ट्रानिक्स की प्रगति में कम्प्यूटर प्रणाली का सर्वाधिक योगदान है । निःसन्देह जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं रह गया है जहाँ कम्प्यूटर ने अपनी उपयोगिता साबित न की हो । आज के बच्चे भी कम्प्यूटर का प्रयोग करने से ही बहुत तेज दिमाग वाले हो रहे हैं ।

कम्प्यूटर के जितने भी लाभ गिनाए जाए वे सभी कम हैं । आज कम्प्यूटर ने मनुष्य के जीवन में रोटी, कपड़ा तथा मकान जैसा महत्त्वपूर्ण स्थान ले लिया है । इसीलिए आज के युग में कम्प्यूटर के महत्त्व को समझते हुए प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थियों को कम्प्यूटर शिक्षा दी जा रही है ।

कभी-कभी हमारी लापरवाही से ही कम्प्यूटर बड़ी-बड़ी गलतियाँ भी कर देता है तथा बच्चे भी इसका अधिक प्रयोग करने के कारण अनेक बीमारियों से जूझ रहे हैं, परन्तु ये सभी दुष्प्रभाव हमारे पैदा किए हुए हैं । हमें कम्प्यूटर के साथ-साथ अपने मस्तिष्क का भी प्रयोग करना चाहिए वरना हम पंगु ही बन जाएँगे ।

निष्कर्ष रूप में यदि हम यह कहें कि कम्प्यूटर के लाभों के साथ उसकी हानियाँ नगण्य हैं तो कोई अतिशयोक्ति न होगी । कम्प्यूटर आज के युग की माँग है और हम आशा करते हैं कि भविष्य में इसकी लोकप्रियता और अधिक बढ़ेगी क्योंकि आज कम्प्यूटर हमारा शगुल नहीं बल्कि आवश्यकता बन चुका है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 6

इन्टरनेट: एक प्रभावशाली सूचवा माध्यम पर निबन्ध | Essay on Internet : An Influential Method of Communication in Hindi

आज मनुष्य प्रगति के पथ पर निरन्तर अग्रसर है । जीवन के हर क्षेत्र में हमें जीवन की सभी सुविधाएँ तथा आराम प्राप्त हो रहे हैं । विज्ञान का एक आधुनिकतम एवं क्रान्तिकारी आविष्कार इन्टरनेट है, जो एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण, बलशाली एवं गतिशील सूचना माध्यम है ।

इन्टरनेट प्रणाली का अर्थ:

इन्टरनेट एक अत्यन्त महत्वपूर्ण, गतिशील तथा बलशाली सूचना का माध्यम है । यह अनेक कम्प्यूटरों का एक जाल होता है जो उपग्रहों, केवल तन्तु प्रणालियों, लैन एवं वैन प्रणालियों एवं दूरभाषों द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं ।

आज सूचना प्रसारण के इस तेज गति के दौर में इन्टरनेट की उपयोगिता चरम सीमा पर है । आज का कोई भी व्यक्ति, देश अथवा वर्ग ‘इन्टरनेट’ प्रणाली से अकह नहीं है । सभी इसके महत्त्व के कायल हो चुके हैं ।

इन्टरनेट की बर्तमान स्थिति:

इन्टरनेट का शुभारम्भ सन् 1969 में ‘एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्रस एजेंसिस’ द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किग करके की गई थी । इसका विकास मुख्यतया शिक्षा, प्राप्त संस्थाओं के लिए किया गया था । इसके पश्चात् कुछ पुस्तकालय तथा कुछ निजी संस्थान भी इससे जुड़े गए ।

इन्टरनेट का जाल फैलाने में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान ‘बैल लैब्स’ (Bell labs) का है और उसमें इससे सम्बन्धी अनुसन्धान अभी तक जारी है । वर्तमान समय में भारत में लगभग 1,50,000 इन्टरनेट कनैक्शन है तथा लगभग 21.59 मिलियन टेलीफोन लाइने कार्यरत हैं ।

एक टेलीफोन को लगभग 10 व्यक्ति प्रयुक्त करते हैं । 2.159 मिलियन लोगों को इन्टरनेट कनैक्शन लगवाने की उम्मीद है ।

इन्टरनैट के प्रमुख भाग:

इन्टरनेट के कुछ प्रमुख भाग इस प्रकार है – मुख्य सूचना कम्प्यूटंर (server), मोडम (modem), टेलीफोन, क्षेत्रीय नैटवर्क (LAN) अथवा वृहत नैटवर्क (WAN) उपग्रह संचार एवं केवल नैटवर्क । आज ज्यादातर मुख्य सूचना कम्प्यूटर (server) अमरीका में स्थापित है तथा पूरे संसार के उपग्रहों के माध्यम से जुड़े हैं ।

इन्टरनेट को देखने अथवा सूचना इकट्‌ठा करने के कार्य को ‘सर्फिग’ कहते हैं । इन्टरनेट पर ‘सर्फिग’ कार्य कोई मुश्किल काम नहीं है किन्तु सूचनाएं इन्टरनेट पर डालने के लिए सॉफ्टवेयर बनाने का कार्य बेहद जटिल है ।

इन्टरनेट के लाभ:

इन्टरनेट द्वारा वैब संरचना (Web Designing), इलेक्ट्रानिक मेल (E-mail) तथा इलेक्ट्रोनिक कॉमर्स (E-com) जैसे कार्य किए जाते हैं । आज इन्टरनेटों के कार्यक्रमों की बेहद माँग है तथा अनेक भारतीय युवा विदेशों में इन्टरनेट की कम्पनियों के लिए सॉफ्टवेयर एवं अन्य उपयोगी कार्यक्रम बनाने में संलग्न हैं ।

आज इन्टरनेट द्वारा बिजली, पानी, राशन, LIC सभी के बिल जमा किए जा रहे हैं । इन्टरनेट से विज्ञान, शिक्षा एवं व्यवसाय के क्षेत्र में सभी कार्य होने लगे हैं जिससे काफी हद तक युवाओं के बीच बेकारी की समस्या का समाधान हो रहा है ।

आज इन्टरनेट की मदद से ही कई लोग घर बैठे अच्छा पैसा कमा रहे हैं । आज यूरोप तथा अमेरिका में SOHO (Small office home office) की तकनीक प्रयोग की जा रही है तथा राशन तक का सामन खरीदने के लिए भी इन्टरनेट प्रयोग किया जा रहा है । भारत में भी यह तकनीक जल्द ही पूर्णतया विकसित हो जाएगी ।

इन्टरनेट सेवाओं का मूल्यांकन:

इन्टरनेट व्यवस्था प्रदान करने वाली व्यवस्था को ‘इन्टरनेट सर्विसेज प्रोवाईडर’ (ISP) कहते हैं । भारतवर्ष में बी.एस.एन.एन. नामक आई.एस.पी. को अप्रैल 1986 में प्रारम्भ किया गया था । आज सत्यम्, आई.एस.पी., मुन्ना ऑन लाइन आदि भी ग्राहकों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं ।

महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) भी सस्ते दामों पर इन्टरनेट सेवाएँ प्रदान कर रहा है । इसके अतिरिक्त देश के दूसरे जिलों व प्रान्तों में भी इन्टरनेट गेटवे खुल रहे हैं । इन्टरनेट के दुष्परिणाम-हर वस्तु की भाँति इन्टरनेट के लाभों के साथ हानियाँ भी जुड़ी हैं ।

सर्वप्रथम अधिक देर तक नैट पर सर्फिंग करने से आँखों की रोशनी धीमी पड़सकती है । इन्टरनेट में 1 जनवरी 2000 से जीवाणु (Virus) क्रियाशील हो चुके हैं जो अधिक ‘नैट’ प्रयोग में लाने से कम्प्यूटर सिस्टम को भी खराब कर सकते हैं ।

दूसरी तरफ आज का युवा वर्ग बैटर पर ज्ञानवर्धक जानकारियाँ हासिल करने के स्थान पर अश्तील बातें ज्यादा देख रहा है, जिससे उनका नैतिक पतन हो रहा है । इन्टरनेट द्वारा व्यवसाय करना अभी जोखिम भरा कार्य है क्योंकि जरा सी रू होने पर काफी नुकसान हो सकता है ।

निःसन्देह आज का युग विज्ञान के नवीन चमत्कारों का युग हे । आज अनेक समाचार-यत्र व. पत्रिकाएँ भी ‘इन्टरनेट’ पर आ चुके हैं । अब तो सरकारें भी इस क्षेत्र में आगे आ रही है तथा भारत सरकार के अतिरिक्त कई राज्य सरकारें एवं विदेशी सरकारों की चेबसाइट इन्टरनेट पर प्राप्त की जा सकती है ।

आज नैट ‘कार्यकुशलता, सूचना एवं व्यवसाय का पर्याय बन चुका है । यदि इन्टरनेट का प्रयोग सीमित तथा संयमित रूप में किया जाए तो इसके लाभ ही लाभ हैं हानियाँ तो हमारी स्वयं की पैदा की हुई है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 7

कल्पना चावला पर निबन्ध | essay on kalpana chawla in hindi.

“मैं किसी भी देश या क्षेत्र विशेष से बाधित नहीं हूँ । इन सबसे हटकर मैं तो मानव जाति का गौरव बनना चाहती हूँ ।” यह कथन भारतीय मूल की प्रथम महिला अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला का था । उनकी लगन, प्रतिभा तथा उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा ।

इस महान विभूति का जन्म हरियाणा राज्य के करनाल जिले में 8 जुलाई, 1961 को एक व्यापारी परिवार में हुआ था । उन्होंने टेगोर बाल विद्यालय से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण की । अपने शैशवकाल से ही वह एक होनहार छात्रा थी ।

उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में वैमानिकी (ऐअरोनॉटिक्स) में प्रवेश लिया । उस समय इस क्षेत्र में कोई दूसरी छात्रा नहीं थी । विज्ञान में कल्पना की तीन रूचि थी, जिसकी प्रशंसा उनके अध्यापक भी करते थे । उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वह विदेश भी गई । आपने 1984 में अमेरिका में स्थित Texas विश्वविद्यालय से वायु-आकाश (Aero-Space) इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की । तत्पश्चात् कल्पना ने कोलोराडो से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की ।

तत्पश्चात् कल्पना ने अमेरिका के एक्स में फ्यूड डायानामिक का कार्य सीनियर प्रारम्भ किया । वहाँ पर सफलता प्राप्त करने के पश्चात् कल्पना ने 1993 में केलिफोर्निया के ओवरसैट मैथडस इन कारपोरेशन में उपाध्यक्ष तथा रिसर्च वैज्ञानिक के रूप में कार्य प्रारम्भ किया ।

1994 में नासा ने कल्पना को अंतरिक्ष मिशन के लिए चयनित कर लिया । लगभग एक बर्ष के प्रशिक्षण के पश्चात् कल्पना कों रोबोटिक्स अंतरिक्ष में विचरण से जुड़े तकनीकी विषयों पर काम करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी । एस.टी.एस. 87 अमेरिकी की मास्कोग्रेबिवई पेलोड पाइलट थी, जिसका उद्देश्य भारहीनता का अध्ययन करना था । अन्तरिक्ष में जाना कल्पना की इच्छा भी थी । चन्द्रमा पर पर्दापण करने की उनकी तीव्र डच्छा थी ।

लगभग पांच वर्षो के अन्तराल के पश्चात् 16 जनवरी, 2003 को कल्पना चावला को अन्तरिक्ष में जाने का पुन: अवसर प्राप्त ह्मा । यह शोध मानव अंगों, शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास एवं बिभिन्न कीटाणुओं की स्थिति के अध्ययन व्हे किए गए थे ।

उस यान में कल्पना के साथ उनके सात साथी थे । कल्पना ने अन्तरिक्ष का कार्यबीरता से पूर्ण किया और वह पृथ्वी पर लौट रही थी । दुर्भाग्यवश, 2 लाख फुट की ऊँचाई पर कोलम्बिया नामक उनका अन्तरिक्ष शटल बिस्फोट हो गया ।

देखते ही देखते कल्पना अतीत बन गई । उनकी मृत्यु के ददय विदारक संदेश से उनके अध्यापक, स्कूली साथी, परिवारजन, विशेषकर उनके नासा के स्टॉफ मेंबर स्तब्ध रह गए । पूरा विश्व जेसे शोक के गहरे सागर में ख गया । कल्पना उन अनगिनत महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत थी, जो अन्तरिक्ष में जाना चाहती हैं ।

Hindi Nibandh (Essay) # 8

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi : Father of the Nation in Hindi

समय-समय पर भारत माता की गोद में अनेक महान विभूतियों ने आकर अपने अद्‌भुत प्रभाव से सशूर्ण विश्व को आलोकित किया है । राम , कृष्णन, महावीर, नानक, दयानन्द, विवेकानन्द आदि ऐसी ही महान बिभूतियीं हैं जिनमे से महात्मा गाँधी का नाम सर्वोपरि आता है ।

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के कर्णधार तथा सच्चे अर्थों में स्वतन्त्रता सेनानी थे । युद्ध एवं क्रान्ति के इस युग में भारतवर्ष ने दुनिया के रास्ते से अलग रहकर गाँधी जी के नेतृत्व में सत्य एवं अहिंसा रुपी अस्त्रों के साथ स्वतन्त्रता की लड़ाई लड़ी तथा ब्रिटिश शासन को भारत से समूलोच्छेद कर दिया ।

इन चारित्रिक विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक भारतवासी उन्हें प्यार से ‘बापू’ कहता है । विश्व-विख्यात वैज्ञानिक आइस्टीन के शब्दों में ”आने वाली पीढियों को आश्चर्य होगा कि ऐसा विलक्षण व्यक्ति देह रूप में कभी इस पृथ्वी पर रंल्ला था ।” राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी ने उन्हें ‘युगस्रष्टा’ तथा ‘युग्धष्टा’ कहा है ।

जन्म परिचय व शिक्षा-दीक्षा:

महात्मा गाँधी का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचन्द गाँधी’ था । गाँधी जी का जन्म 2 अक्तुबर, सन् 1869 ई. को गुजरात राज्य के ‘पोरबन्दर’ नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिता श्री करमचन्द गाँधी किसी समय पोरबन्दर के दीवान थे फिर वे राजकोट के दीवान भी बने । आपकी माता श्रीमति पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी । गाँधी जी के चरित्र निर्माण में उनकी धर्म परायण माता का विशेष योगदान है ।

गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई थी । विद्यालय में गाँधी जी एक साधारण छात्र थे तथा लजीले स्वभाव वाले थे । हाई न्क्र में अध्ययन करते समय ही लगभग तेरह वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से हो गया ।

सन् 1885 में उनके पिता का देहान्त हो गया । सन् 1887 में हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के पश्चात् आप उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए ‘भावनगर’ गए । वहाँ से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् कानूनी शिक्षा प्राप्त करने गाँधी जी इंग्लैण्ड गए ।

सन् 1891 में आप बैरिस्ट्री पास करके भारत लौट आए । उनकी अनुपस्थिति में उनकी माता जी का भी देहावसान हो गया ।

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी के कार्य:

स्वदेश लौटकर गाँधी जी ने मुम्बई में वकालत शुरू कर दी । पोरबन्दर की एक व्यापारिक संस्था ‘अब्दुल्ला एण्ड कम्पनी’ के मुकदमे की पैरवी करने गाँधी जी को दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा । वहाँ उन्होंने देखा कि गोरे अंग्रेज भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार करते थे और उनको अपना गुलाम मानते थे ।

यह सब देखकर गाँधी जी का मन क्षुब्ध हो उठा । वहाँ पर गाँधी जी को भी अनेक अपमान सहने पड़े । एक बार उन्हें रेलगाड़ी के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से नीचे उतार दिया गया, जबकि उनके पास प्रथम श्रेणी का टिकट था । अदालत में जब वे केस की पैरवी करने गए तो जज ने उनसे पगड़ी उतारने के लिए कहा किन्तु गाँधी जी जैसा आत्मसम्मानी व्यक्ति बिना पगड़ी उतारे बाहर चले गए ।

गाँधी जी का राजनीति में प्रवेश:

दक्षिण अफ्रीका से लौटकर गाँधी जई ने राजनीति में भाग लेना आरम्भ कर दिया । सन् 1914 के प्रथम युद्ध में गाँधी जी ने अंग्रेजों का साथ इसलिए दिया क्योंकि अंग्रेजों ने गाँधी से वादा किया था कि यदि वे युद्ध जीत गए तो भारत को आजाद कर देंगे, मरन्तु अंग्रेज अपनी जुबान से मुकर गए ।

युद्ध में बिजयी होने पर अंग्रेजों ने स्वतन्त्रता के स्थान पर भारतीयों को ‘रोलट एक्ट’ तथा ‘जलियांवाला बाग काण्ड’ जैसी विध्वंसकारी घटनाएँ पुरस्कारस्वरूप प्रदान की । सन् 1919 तथा 1920 में गाँधी जी ने आन्दोलन आरम्भ किया ।

सन् 1930 में गाँधी जी ने ‘नमक कानून का विरोध किया । उन्होंने 24 दिन पैदल यात्रा करके दाण्डी पहुँचकर स्वयं अपने हाथों से नमक बनाया । गाँधी जी के स्वतन्त्रता संग्राम में देश के प्रत्येक कोने से देशभक्तों ने जन्म भूमि भारत की गुलामी की बेडियो को तोड़ने के लिए कमर कस ली ।

बालगंगाधर तिलक , गोखले, लाला लाजपतराय, सुभाषचन्द्र बोस आदि ने गाँधी जी का पूरा साथ दिया । सन् 1931 ई. में वायरसराय ने लंदन में आपको गोलमेज कांफ्रेन्स में आमन्त्रित किया । वहाँ आपने बड़ी विद्धता से भारतीय पक्ष का समर्थन किया ।

गाँधी जी ने पूर्ण स्वतन्त्रता के लिए सत्याग्रह की बात प्रारम्भ की । सन् 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन शुरू हुआ तथा गाँधी जी सहित सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया । सन् 1944 में इन्हें जेल से रिहा कर दिया गया । समस्त वातावरण केवल आजादी की ध्वनि से गूँजने लगा । अंग्रेज सरकार के पाँव उखड़ने लगे । अंग्रेज सरकार ने जब अपने शासन को समाप्त होते देखा तो अंतत: 15 अगस्त, 1947 ई. को भारत को पूर्ण स्वतन्त्रता सौंप दी ।

गाँधीवादी सिद्धान्त:

गाँधी जी सत्य तथा अहिंसा जैसे सिद्धान्तों के पुजारी थे । ये गुण उनमें बचपन से ही विद्यमान थे । गाँधी जी ने स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर भी जोर दिया था । बे चरखा कातकर स्वयं अपने लिए वस्त्र तैयार करते थे । गाँधी जी ने मानव को मानव से प्रेम करना सिखाया ! उन्होंने इसीलिए विदेशी वस्तुओं की होली जलाई थी ।

इसके अतिरिक्त दलित तथा निम्न वर्गीय लोगों के लिए भी गाँधी जी के मन में विशेष प्रेम था । उन्होंने छूआछुत का कड़ा विरोध किया था तथा अनूसूचित जातियों के लिए मन्दिरों तथा दूसरे पवित्र स्थानों में प्रवेश पर रोक को समाप्त करने पर विशेष बल दिया था । इस प्रकार गाँधी जी सच्चे अर्थों में एक परोपकारी व्यक्ति थे ।

उनके सम्बन्ध में किसी कवि की पंक्तियों द्रष्टव्य हैं:

”चल पड़े जिधर दो पग डग में, चल पड़े कोटि पग उसी ओर पड गई जिधर भी एक दृष्टि, पड़ गए कोटिदृग उसी ओर ।”

मृत्यु-30 जनवरी, 1948 ई. को संध्या के समय प्रार्थना-सभा में नाधूराम गोडसे ने उन पर गोलियाँ चला दी । तीन बार ‘राम, राम, राम’ कहने के बाद गाँधी जी ने इस नश्वर शरीर का परित्याग कर दिया । इस दुखःद अवसर पर नेहरू जी ने कहा था, ”हमारे जीवन से प्रकाश का अन्त हो चुका है । हमारा प्यास बापू, हमारा राष्ट्रपिता अब हमारे बीच नहीं है ।

हमारे ‘बापू’ मानवता की सच्ची मूर्ति थे ऐसे विरले इंसान सदियों में एक बार पैदा होते हैं । गाँधी जी ने तो मानवता की सेवा की थी । वे नरम दल के नेता थे । हरिजनों के उद्धार के लिए उन्होंने ‘हरिजन संद्य की स्थापना की थी ।

मद्य-निषेध, हिन्दी-प्रसार, शिक्षा-सुधार के अतिरिक्त अनगिनत रचनात्मक कार्य किए थे । महात्मा गाँधी, नश्वर शरीर से नहीं, अपितु यशस्वी शरीर से अपने अहिंसावादी सिद्धान्तों, मानवतावादी दृष्टिकोणों तथा समतावादी विचारों से आज भी हमारा सही मार्गदर्शन कर रहे हैं ।

गाँधी जी के अद्‌भुत व्यक्तित्व का चित्रांकन कविवर सुमित्रानन्दन पन्त ने इस प्रकार किया है:

”तुम मांसहीन, तुम रक्तहीन, हे अस्थिशेष । तुम अस्थिहीन, तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केबल हे चिर पुराण । तुम चिर नबीन ।”

Hindi Nibandh (Essay) # 9

पं. जवाहारलाल नेहरू पर निबन्ध | Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

शान्ति के अग्रदूत, अहिंसा के संवाहक, आधुनिक भारतवर्ष निर्माता एवंस्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू आधुनिक युग की एक महान विभूति है ।

वे सच्चे कर्मयोगी एवं मानवता के प्रबल समर्थक थे । राजसी परिवार में जन्म लेकर एवं सभी सुख-सुविधाओं पूर्ण वातावरण में बड़े होकर भी आपने राष्ट्रीय स्वतन्त्रता एवं देश की आन-बान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया ।

जन्म परिचय एवं शिक्षा-विश्व-बत्सुत्व की भावना के प्रबल समर्थक पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 ई. को प्रयाग (इलाहाबाद) के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था । आपके पिताश्री पं. मोतीलाल नेहरू भारतवर्ष के एक सम्मानित बैरिस्टर थे । आपकी माता जी श्रीमती स्वरूप रानी एक धार्मिक प्रवृत्ति वाली महिला थीं । अपने माता-पिता का इकलौता लाडला पुत्र होने के कारण आपका लालन-पालन बड़े लाड़-प्यार में हुआ था ।

आपकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर हुई थी । 15 वर्ष की आयु में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आप इंग्लैण्ड चले गए । आपने ‘हैरी विश्वविद्यालय’ तथा ‘कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ से उच्च शिक्षा प्राप्त की । अपने पिता की इच्छानुसार आप सन् 1912 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर बनकर भारत लौटे ।

भारत आकर आप अपने पिता के साथ ही प्रयाग में वकालत करने लगे । आप ‘मेरेडिथ’ के राजनीति चिन्तन से बहुत प्रभावित थे 1 सन् 1915 ई. में ‘रोलट एक्ट’ के विरुद्ध होने वाली मुम्बई कांफ्रेन्स में नेहरू जी ने भी हिस्सा लिया और यहीं से आपके राजनीतिक जीवन की प्रारम्भिक अवस्था आरम्भ हुई थी ।

पारिवारिक जीवन:

जवाहर लाल नेहरू का शुभ विवाह सन् 1916 ई. में श्रीमती कमला नेहरू के साथ हुआ । सन् 1917 में 9 नवम्बर को आपके यहाँ इन्दिरा ‘प्रियदर्शिनी’ नामक सुन्दर सी पुत्री ने जन्म लिया । सरोजिनी नायडू इन्दिरा को ‘क्रान्ति की सन्तान’ कहती थी । आगे चलकर इन्दिरा गाँधी ने भारतवर्ष की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री बनने का गौरव प्राप्त किया ।

सन् 1931 ई. में नेहरूजी के पिता जी श्री माती लाल नेहरू और सन् 1936 ई. में उनकी धर्म पली कमला नेहरू का भी स्वर्गवास हो गया । राजनीतिक जीवन-महात्मा गाँधी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर नेहरू जी ने उनके राजनैतिक आदर्शों को अपनाने का निश्चय किया । नेहरू जी ने राजसी वेशभूषा को छोड़कर खादी का कुर्ता धारण कर लिया एवं एक सच्चे सत्याग्रही की भाँति प्रकट हुए ।

सन् 1919 के किसान आन्दोलन एवं 1921 ई. के असहयोग आन्दोलन में हिस्सा लेने के कारण पं. नेहरू को जेल जाना पड़ा । आपकी अनवरत सेवाओं के लिए सन् 1923 में ‘आल इंडिया कांग्रेस’ ने आपको जनरल सेक्रेटरी चुन लिया तथा इसके बाद आप इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे ।

उन्हीं की अध्यक्षता में 1929 में कांग्रेस ने पूर्ण स्वतन्त्रता के लक्ष्य सम्बन्धी प्रस्ताव को पारित किया । इसके पश्चात् भी आप अनेक आन्दोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे । कई बार आप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए ।

सन् 1930 ई. में शान्तिमय शासनावज्ञा के कारण आपको कारावास जाना पड़ा । सन् 1927 ई. में रूस सरकार के निमन्त्रण पर आप रूस गए और वहाँ की साम्यवादी विचारधारा का आप पर विशेष प्रभाव पड़ा । देश को स्वतन्त्र कराने के लिए आपने अथक प्रयास किए ।

31 दिसम्बर सन् 1930 ई. में पं. नेहरू ने अपने कांग्रेस अध्यक्षीय भाषण में पंजाब की रावी नदी के तट पर यह घोषणा की थी कि हम पूर्ण रूप से स्वाधीन होकर ही रहेंगे । इस घोषणा से स्वाधीनता संग्राम का संघर्ष तीब्रतर हो गया । तत्पश्चात् ‘नमक-सत्याग्रह’ में भी आपने अपना अपार योगदान दिया ।

सन् 1942 ई. के गाँधी जी के ‘भारत छीड़ा आन्दोलन’ में भी आपने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई । अनेक महापुरुषों के अथक प्रयासों से आखिरकार 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश स्वतन्त्र हो गया । प्रथम प्रधानमन्त्री के रूप में-स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् सर्वसम्मति से आप स्वाधीन भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री निर्वाचित हुए तथा मृत्युपर्यन्त इसी पद पर आसीन रहे ।

इस काल में आपने अनेक प्रशंसनीय कार्य किए । स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् देश का विभाजन होने पर हमारे समक्ष अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई थी । शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या, साम्प्रदायिक दंगों की समस्या, काश्मीर पर पाकिस्तान का आक्रमण तथा राज्यों के पुनर्गठन आदि समस्याओं का नेहरू जी ने अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ के आधार पर उचित हल निकाला ।

आपके नेतृत्व में सगर्व देश के लिए अनेक बहुमुखी योजनाएँ बनाई गई । जल ब विधुत शक्ति के लिए बाँध बनाए गए, देश में बड़े-बड़े उद्योग स्थापित किए गए तथा कृषि के क्षेत्र में भी देश ने अद्‌भुत प्रगति की । ट्राम्बे (मुम्बई) में अगुचालित रीऐक्टर संस्थान आपके सुनियोजित प्रयासों का ही परिणाम है ।

नेहरू जी की सैद्धान्तिक विशेषताएँ:

नेहरू जी ने विश्व को शान्तिपूर्ण सह अस्तित्व एवं गुट निरपेक्षता के महत्त्वपूर्ण विचार दिए । उन्होंने उपनिवेशवाद, नवउपनिबेशवाद साम्राज्यवाद, रंगभेद एवं किसी भी प्रकार के अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज बुलन्द की और एशिया, अफ्रीका एवं लेटिन अमेरिका के लगभग य देशों को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराया ।

एक महान चिन्तक के रूप में नेहरू जी का मानब में अटूट बिश्वास था और उनकी प्रतिभा, प्रकृति तथा चरित्र का सबसे मस्लपूर्ण पक्ष उनका वैज्ञानिक मानवतावाद था । उन्होंने आत्मा, परमात्मा एवं रहस्यवाद को महत्त्व न देते हुए मानवता व सामाजिक सेवा को ही अपना धर्म बनाया ।

सभा महान विभूतियां की भाँति नेहरू जी भी सत्य के खोजी थे । किन्तु वे सत्य के प्रति विशुद्ध सैद्धान्तिक पहुँच में विश्वास नहीं रखते थे । महात्मा गाँधीजी की भांति उन्होंने सत्य को ईश्वर का पर्याय न समझकर सत्य की खोज विज्ञान, ज्ञान एवं अनुभव द्वारा अनुप्राश्रित की ।

जहाँ तक साध्य एवं साधन के मध्य सम्बन्ध का प्रश्न है; नेहरू जी गाँधी जी के विचारों वाले थे । जैसा साधन होगा, साध्य भी वैसा ही होगा । साधन की तुलना बीज से एवं साध्य की तुलना वृक्ष से की जा सकती है ।

नेहरू जी लोकतन्त्र के कट्टर समर्थक थे । उनके लिए लोकतन्त्र स्थिर बस्तु न खेकर एक गतिशील एबै विकासशील वस्तु थी । उनके अनुसार सच्चा लोकतन्त्र बंही है जहाँ लोगों के कल्याण एवं सुख का ध्यान रखा जाए । वे लोकतन्त्र को जनता की स्वतन्त्रता, जनता की समानता, जनता का भ्रातृत्व एवं जनता की सर्वोच्चता मानते थे ।

अन्तिम समय:

अपने जीवन के अन्तिम क्षणों में भी नेहरू जी ने देश-सेवा के अपने व्रत को नहीं त्यागा और कठिन परिश्रम करते रहें । एक ओर कश्मीर समस्या थी तो दूसरी ओर चीन का खतरा । परन्तु सभी समस्याओं का आपने साहसपूर्वक सामना किया ।

27 मई, 1964 ई. को आप काल का ग्रास बन गए तथा सम्पूर्ण विश्व शान्ति के इस अग्रदूत की अन्तिम विदाई पर बिलख उठा । आधुनिक भारत का प्रत्येक नागरिक सदा आपका ऋणी रहेगा । शायद आपकी कमी को कोई भी पूर्ण न कर सके । मृत्यु के पश्चात् आपकी वसीयत के अनुसार आपकी भस्म भारत के खेतों में बिखेर दी गई क्योंकि आपको भारत की मिट्टी से अटूट प्यार था ।

नेहरू जी ने अपने जीवनकाल में जाति भेद को दूर करने, स्त्री जाति की उन्नति करने तथा शिक्षा प्रसार करने जैसे अनेक सराहनीय कार्य किए । युद्ध की कगार पर खड़े विश्व को आपने शान्ति का मार्ग दिखाया । नेहरूजी उच्चकोटि के चिन्तक, विचारक एवं लेखक थें ।

उनकी लिखित मेसई क्खनी’, ‘भारत की कहानी’, ‘विश्व इतिहास की झलक’, ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ आदि जन-प्रसिद्ध हैं । बच्चे उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहकर पुकारते हैं क्योंकि नेहरूजी को ‘बच्चों’ से एवं गुलाक से बहुत प्यार था । हर वर्ष 14 नबम्बर को उनका जनमदिन ‘बाल दिबस’ के रूप में मनाया जाता है ।

मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण यह अनूठा व्यक्तित्व भारत के लोगों का ही नहीं, अपितु पूरी दुनिया के लोगों का प्यार एवं सम्मान पा सका । भारत सरकार ने उन्हें राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित किया था । निःसन्देह उनका नाम चिरकाल तक इतिहास में अमर रहेगा ।

Hindi Nibandh (Essay) # 10

युगपुरुष-लाल बहादुर शास्त्री पर निबन्ध | Essay on Lal Bahadur Sastri : An Icon of the Age in Hindi

कभीकभी साधारण परिवार व साधारण परिस्थितियों में पला बड़ा इन्सान भी अपने असाधारण कृत्यों से सभी को आस्वर्यचफ्रइत कर देने की क्षमता रखता है । ऐसे ही चमत्कारिक व्यक्ति थे । युग पुरुष श्री लाल बहादुर शास्त्री ।

29 मई, 1964 को पं. जवाहरलाल नेहरू जी के आकस्मिक निधन के उपरान्त 2 जून, 1964 को कांग्रेस के संसदीय दल द्वारा सर्वसम्मति से लाल बहार शास्त्री को देश का प्रधानमन्त्री चुना गया । 9 जून, 1964 ई. को आपने प्रधानमन्त्री पद की शपथ ग्रहण की तथा केवल 18 माह तक प्रधानमन्त्री के रूप में कार्य कर सबका हृदय जीत लिया ।

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अकबर, 1904 ई. में वाराणसी के भुगलसराय नामक ग्राम में हुआ था । आपके पिता श्री शारदा प्रसाद एक शिक्षक थे । जब लालबहादुर मात्र डेढ़, वर्ष के थे, तभी उनके पिता का देहावसाज हो गया ।

आपकी माता श्रीमति रामदुलारी देवी जी ने आपका लालन पालन किया । आपकी प्रारम्भिक शिक्षा वाराणसी के ही एक क्ख में हुई । लाल बहष्र का बचपन बहुत निर्धनता तथा तंगी में व्यतीत हुआ तभी तो उन्हें विद्यालय जाने के लिए गंगा नदी को पार करना पड़ता था । नाव वाले को देने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे ।

यद्यपि लाल बहादुर जी के पिता जी उन्हें अपनी स्नेह-छाया में पाल-पोसकर बड़ा नहीं कर पाए थे तथापि वे उन्हें ऐसी दिव्य प्रेरणाओं की विभूति प्रदान कर गए जिसके सहारे शास्त्री जी एक सेनानी की भाँति जीवन के समस्त कष्टों को अपने चरित्रम्बल से पदन्दलित करते चलते गए ।

एक बार सन् 1921 में महात्मा गाँधी अपने ‘असहयोग आन्दोलग के सिलसिले में वाराणसी आए हुए थे तो एक सभा को सम्बोधित करते हुए गाँधी जी ने कहा था,

”भारत माता दासता लई कड़ी बेडियों में जकड़ी हुई है । आज हमें जरूरत है उन नौजवानों की जो इन बेडियों को काट देने के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर देने को तैयार ह्मे । ”

तभी एक सोलह-सत्रह वर्ष का नौजवान भीड़ में से आगे आया, जिसके माथे पर तेज तथा हृदय में देशप्रेम था । यह लड़का लाल बहादुर ही था । स्कूली शिक्षा छोड़कर लाल बहादुर स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े । साम्राज्यवादी सरकार ने उन्हें जेल में डलवा दिया तथा शास्त्री जी को ढाई वर्षों तक कारावास में रहना पड़ा ।

जेल की सजा काटने के बाद शास्त्री जी ने काशी विद्यापीठ में प्रवेश ले लिया तथा पढ़ाई आरम्म कर दी । सौभाग्य से लाल बहादुर को काशी विद्यापीठ में महान ब योग्य शिक्षकों, जैसे-डी. भगवानदास, आचार्य जे.बी. कृपलानी, सक्तर्घनन्द तथा श्री प्रकाश आदि से शिक्षा ग्रहण करने का अवसर प्राप्त हुआ ।

यहीं से उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि प्राप्त हुई एवं तभी से वे ‘लाल बहादुर शास्त्री’ कहलाने लगे । यहाँ पर चार वर्ष तक लगातार शास्त्री जी ने फैख्व तथा ‘दर्शन’ का अध्ययन किया । शिक्षा समाप्ति के पश्चात् शास्त्री जी का विवाह क्षलिता देवी के साथ हुआ, जो शास्त्री जी के ही समान सरल व सीधे स्वभाव की जागरुक नारी थी ।

देश-सेवा के कार्य व राजनीति में प्रवेश:

शास्त्री जी का समुर्ण जीवन कड़े-संघषों की लम्बी कहानी है । शास्त्री जी के हृदय में निर्धनों, दलितों तथा हरिजनों के लिए बहुत दया ब करुणा भाव थे तथा वे इन पिछड़े तथा उपेक्षित वर्ग को सदा ऊपर उठाना चाहते थे । हरिजनोद्वार में शास्त्री जी का अभूतपूर्व योगदान रहा हे । उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए शास्त्री जी को लोक सेवा संघ का सदस्य बनाया गया और उन्होंने इलाहाबाद को अपनी कार्यवाहियों का केन्द्र बनाया ।

शास्त्री जी सात सालों तक इलाहाबाद म्यूनिसिपल बोर्ड के सदस्य रहे तथा चार वर्ष तक इलाहाबाद इखूबमेंट ट्रस्ट के महासचिव तथा सन् 1930 से 1936 तक अध्यक्ष रहे । सन् 1937 ई. में शास्त्री जी उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य निवाचित किए गए ।

शास्त्री जी ने सन् 1942 में भारतछफ्रौ आन्दोलन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा कारावास का दण्ड भोगा । सन् 1937 में सात प्रान्तों में कांग्रेस की अन्तरिम सरकार बनी । इस समय उत्तर प्रदेश में पंडित गोविन्द बल्लभपंत ने इन्हें अपना सभा सचिव नियुक्त किया तथा अगले ही वर्ष शास्त्री जी को उत्तर प्रदेश का गृहमन्त्री नियुक्त किया गया ।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् सन् 1952 ई. में जब आम चुनाब हुए तो पं. जवाहर लाल नेहरू ने इन्हें चुनाव तैयारियों के लिए दिल्ली बुलवा लिया तथा चुनाव के पश्चात् इन्हें स्वतन्त्र भारत का प्रथम रेलमन्त्री नियुक्त किया, किन्तु दुर्भाग्यवश इनके कार्यकाल में एक रेल दुर्घटना हो गई जिसका नैतिक दायित्व वहन करते हुए इन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया ।

तत्पश्चात् सन् 1956-57 में वे देश के संचार व परिवहन मन्त्री बने तथा इसके बाद वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्री भी बने । सन् 1961 के अप्रैल मास में उन्हें स्वराष्ट्र मन्त्रालय का कार्यभार सौंपा गया । शास्त्री जी ने सभी पदों का कार्य भार बड़ी कुशलता तथा निष्ठा से सम्माला ।

धनी व्यक्तित्व के स्वामी-लाल बहादुर शास्त्री जी एकदम सरल एवं सादे स्वभाव के व्यक्ति थे । इसी कारण जब उन्होंने प्रधानमन्त्री का पदभार ग्रहण किया तो लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि शास्त्री जी प्रधानमन्त्री पद की जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभा सकेंगे ।

किन्तु केवल 18 माह के कार्यकाल ने शास्त्री जी को भारतीय इतिहास की महान विभूतियों में से एक के रूप में पहचान दिलवाई । शास्त्री जी का स्वभाव शान्त, गम्भीर, मृदु व संकोच किस्म का था, इसी कारण वे जनता के दिलों में राज्य कर सके थे । उनकी अद्वितीय योग्यता तथा महान नेतृत्व का परिचय हमें 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय देखने को मिला ।

पाकिस्तानी आक्रमण के समय सभी भारतीय अत्यन्त चिन्तित थे, किन्तु शास्त्री जी ने बड़ी बहादुरी से इस परिस्थिति का आकलन किया तथा देश का नेतृत्व किया । उन्होंने इस युद्ध में भारत को जीत दिलाई तथा पाकिस्तानियों को मुँह की खानी पड़ी ।

उन्होंने अपने ओजस्वी भाषणों से वीर सैनिकों तथा देश की आम जनता का मनोबल बढ़ाया । एक बार जब भारत में आने वाले अनाज के जहाजों को रोक दिया गया, तब इन्होंने देश के सामने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया ।

उन्होंने सप्ताह में एक दिन का अन्न छोड़ दिया तथा देश की जनता को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया । इसके अतिरिक्त शास्त्री जी ने असम भाषा समस्या, नेपाल के साथ सम्बन्ध सुधार व स्वरत बल से चोरी की समस्या आदि समस्याओं का कुशलतापूर्वक समाधान किया ।

भारत-पाक युद्ध के बाद सोवियत संघ के ताशकन्द में 11 जनवरी, सन् 1966 ई. में समझौते के दौरान शास्त्री जी का निधन हो गया । श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की संगठनात्मक शक्ति और लगन ने भारत को सर्वोच्च गौरव प्रदान किया ।

आज शास्त्री जी तन से हमारे साथ न होते हुए भी हमारे मन व हृदय में निवास करते हें । निःसन्देह वे एक ऐसे युग पुरुष थे जिन्होंने साधारण परिवार में जन्म लेकर असाधारण कार्य किए तथा प्रत्येक क्षेत्र में अपने चातुर्थ तथा कुशलता के प्रमाण प्रस्तुत किए ।

Hindi Nibandh (Essay) # 11

भारत रत्न श्रीमती इन्दिरा गाँधी पर निबन्ध | essay on bharat ratna : srimati indira gandhi in hindi.

हमारी भारत भूमि पर सदा ही श्रेष्ठ महापुरुषों एवं महान स्त्रियों ने जन्म लिया है जिन्होंने अपने गौरवपूर्ण व महान् कार्यों से न केवल भारतवर्ष को, अपितु पूरे विश्व को अचंभित किया है ।

ऐसी ही एक वीरांगना, महान तथा श्रेष्ठ नारी थी श्रीमति इन्दिरा गाँधी । इन्दिरा गाँधी का वास्तविक नाम ‘इन्दिरा प्रियदर्शिनी’ थी । वह अपार दूरदर्शिनी तथा साहसी नारी थी । वे भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री थी, जिन्होंने हर विपरीत परिस्थिति का डटकर सामना किया तथा देश के विकास के लिए नई दिशाओं को खोज निकाला ।

जीवन-परिचय एवं शिक्षा:

भारतवर्ष की तृतीय प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी जी का जन्म 19 नवम्बर, 1917 को इलाहाबाद के ‘आनन्द भबन’ में हुआ था । पिता पं. जवाहरलाल नेहरू तथा माता कमला नेहरू के अतिरिक्त दादा मोतीलाल नेहरू तथा दादी स्वरूप रानी भी ‘इन्दिरा’ के जन्म पर बहुत प्रसन्न हुए ।

सभी प्यार से उन्हें ‘इन्दु’ पुकारते थे । इन्दिरा जी के व्यक्तित्व में अपने दादाजी जैसी दृढ़ता, पिताजी जैसा धैर्य तथा माता जी जैसी संवेदनशीलता थी । इन्दिरा जी की प्रारम्भिक शिक्षा स्विट्‌जरलैण्ड में हुई । इसके पश्चात् वे अपने अध्ययन के लिए भारत लौट आई तथा ‘शान्ति निकेतन’ में ही पढ़ने लगी । इसके पश्चात् वह ऑक्सफोर्ड के समशवइले कॉलेज गई तथा वही पर शिक्षा प्राप्त की ।

पं. नेहरू अपनी बेटी की सुख सुविधाओं का पूरा ध्यान रखते थे वही विस्तृत ज्ञानवर्धन भी उनको परम अभीष्ट था । पं नेहरू जी ने कारावास से ही अपनी प्यारी इनु’ को अनेक पत्र लिखे । बाद में ये पत्र ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ से प्रकाशित भी हुए ।

दस वर्ष की आयु में ही इन्दिरा जी ने ‘बानर सेना’ का गठन किया था जो कांग्रेस के असहयोग आन्दोलन में सहायता पहुँचाया करती थी । सन् 1937 में आपकी माता जी का देहावसान हो गया ।

इन्दिरा जी का सामाजिक जीवन:

ऑक्सफोर्ड के समरविले कॉलेज में अध्ययन करते समय ही आपने ब्रिटिश मजदूर दल के आन्दोलन में भाग लिया । सन् 1938 ई. में आप भारतीय कांग्रेस में सम्मिलित हो गई । सन् 1942 ई. में इन्दिरा जी का विवाह एक सुयोग्य पत्रकार एवं विद्वान लेखक फिरोज गाँधी से हुआ। पति-पत्नी दोनों ही स्वतन्त्रता-संक्रम में सक्रियता से हिस्सा लेने लगे । सन् 1942 में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ में भाग लेने के कारण दोनों को करीब 15 मास कारावास में गुजारने पड़े । इन्दिरा जी ने दो पुत्रों राजीव व संजय को जन्म दिया ।

जब 15 अगस्त सन् 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ तो पं. जवाहरलाल नेहरू को स्वतन्त्र भारत का प्रथम प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया । तभी से इन्दिरा जी का अधिकतर समय अपने पिता के साथ बीतता था ।

उनके साथ रहते-रहते इन्दिरा जी को राजनीति की वास्तविक जानकारी प्राप्त हुई । उन्होंने पिता के साथ देश-विदेश का भ्रमण किया तथा विश्व राजनीति के बारे में भी जानकारी हासिल की ।

इन्दिरा जी सन् 1955 ई. में कांग्रेस की कार्य समिति की सदस्या बनी तथा सन् 1959 में अखिल भारतीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गई । कांग्रेस अध्यक्ष बनकर आपने सारे देश का दौरा किया तथा कुछ ऐसे सराहनीय कार्य किए, जिन्हें देखकर वामपन्धी कांग्रेसी कृष्णा मेनन आदि भी अचम्भित रह गए । सन् 1960 में इन्दिरा गाँधी के पति फिरोज गाँधी का देहान्त हो गया तो इन्दिरा जैसे टूट सी गई ।

प्रधानमन्त्री के रूप में कार्य:

27 मई, सन् 1964 ई. को पं. जवाहरलाल नेहरू के निधन पर तो जैसे इन्दिरा जी एकदम टूट कर ढेर सी हो गई थी । ऐसे समय में लाल बहादुर शास्त्री को देश का प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया तो उन्होंने इन्दिरा जी को अपने मन्त्रिमण्डल में सूचना एवं प्रसारण मन्त्री के रूप में चयनित कर लिया, जिसे उन्होंने बड़ी कुशलता से निभाया ।

सन् 1966 में लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु हुई तब इन्दिरा जी देश की तीसरी तथा प्रथम महिलारप्रधानमन्त्री बनी । मारग्रेट थैचर (इंग्लैण्ड की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री) के बाद इन्दिरा जी ऐसी महिला हैं जो किसी लोकतान्त्रिक देश की प्रधानमन्त्री बनी हैं ।

तत्कालीन राष्ट्रपति डी. शंकरदयाल शर्मा ने जब इन्दिरा जी को प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलाई तो भारत की प्रत्येक नारी का सिर गर्व से ऊँचा हो गया । इसके बाद पूरे देश में सन् 1967 को आम चुनाव हुए तथा अपने असाधारण व्यक्तित्व, लगन तथा निष्ठा के बल पर आप दूसरी बार सर्वसम्मति से देश की प्रधानमन्त्री नियुक्त की गई ।

अपने प्रधानमन्त्री काल में आपने अनेक प्रकार के सुधार तथा विकास कार्य किए हैं । जिस समय इन्दिरा जी प्रधानमन्त्री बनी थी, उस समय देश में गरीबी एक प्रमुख समस्या थी क्योंकि औद्योगिकरण एवं वैज्ञानिक प्रगति अपने आरम्भिक दौर में थी ।

इन्दिरा जी ने गरीबी को दूर करने के लिए सन् 1969 में एक सशक्त नीति की घोषणा की, जिसमें निजी आय, निजी आमदनी तथा लाभों पर सीमा से ऊपर आय होने पर सरकार सम्पत्ति एवं आय का अधिग्रहण कर लेती थी । आपने कई सरकारी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया तथा गाँवों में कई बेंकों की शाखाएँ भी खोली ।

इसके अतिरिक्त बांग्लादेश के पुन: निर्माण के लिए आपने अपने देश से विशेष सहायता प्रदान की । 25 जून, 1975 की आधी रात को आपने देशभर में आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी । ‘आसुका’ (आन्तरिक सुरक्षा कानून) तथा डी.आई.आर. कानूनों के अन्तर्गत देश के बड़े-बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया ।

इसके कारण ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस आदि देशों ने इन्दिरा सरकार की घोर निन्दा की । सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध में आपने ऐसे साहस व धैर्य का परिचय दिया कि विरोधियों ने आपको दुर्गा माँ का अवतार कहना प्रारम्भ कर दिया । 24 मार्च सन् 1977 ई. तक आप प्रधानमन्त्री बनी रही ।

सन् 1977 के आम चुनावों में आपको भारी पराजय का सामना करना पड़ा जनता सरकार ने सत्ता में आने पर आपको जेल में भेजा । सन् 1980 में पुन: लोकसभा चुनाव हुए तथा आपने फिर विजयश्री प्राप्त की तथा आपके नेतृत्व में कांग्रेस पुन: सत्ता में आ गई ।

वे पुन: प्रधानमन्त्री बन बैठी । विश्व-इतिहास में यह पहली घटना थी कि चुनाव हारने के ढाई वर्ष पश्चात् ही कोई राजनीतिज्ञ पुन: भारी बहुमत से देश की बागडोर सम्भाल पाया था ।

इन्दिरा जी विलक्षण प्रतिभा की धनी महिला थी, जिनमें अदम्य साहस तथा दूरदृष्टिता छूट-कूट कर भरे थे । 23 जून, 1980 में अपने प्रिय पुत्र संजय गाँधी की आकस्मिक मृत्यु ने आपको बुरी तरह से तोड़ दिया, फिर भी आपने हिम्मत नहीं हारी । आप अपने जीवन की आखिरी सांस तक निर्धनता, रंग-भेद तथा जाति-भेद के विरुद्ध संघर्षशील रही ।

जिस समय आप भारत राष्ट्र को उन्नति की पराकाष्ठा पर ले जानी जाने वाली थी, उसी समय 31 अक्तूबर सन् 1984 को प्रात: 9 बजे आपके दो अंगरक्षकों सतवंत सिंह तथा बेअंत सिंह ने आपको गोलियों से भून डाला । पूरा विश्व जैसे ठगा सा रह गया ।

भारत राष्ट्र अनाथ हो गया तथा दुनिया के राजनीतिक मंच का एक मुखर स्वर शान्त हो गया । आज आप अपनी समाधि ‘शक्ति स्थल’ में आराम से विश्राम कर रही हैं और पूरा विश्व आपके सराहनीय कार्यों को याद कर आपको श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 12

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर निबन्ध | Essay on Netaji Subash Chandra Bose in Hindi

शैशवकाल से ही जिसके कोमल मून में विद्रोह की ज्वाला प्रज्वलित हो उठी थी, किशोरावस्था में ही जिसका उर्वर मस्तिष्क विप्लव के झंझावात से दुखी समुद्र की भांति अशान्त हो उठा था, युवावस्था में ही जिसने समस्त भोग-विलासों एवं नश्वर ऐश्वर्य को त्याग दिया था, ऐसे विद्रोही, विप्लवी एवं त्यागी सुभाषचंद्र बोस का सम्पूर्ण जीवन विद्रोह तथा वैराग्य का आग्नेयगिरि बना रहा, तो इसमें आश्चर्य की कौन सी बात हो सकती है ।

‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा’ – ऐसी गर्जना करने वाले भारत माता के वीर सपूत सुभाष चन्द्र बोस भारतीय राजनीति के क्षितिज पर ध्रुव तारे ही भाँति निश्चल, काल की भांति निर्भीक एवं हिमालय की भांति अटल रहे । भारत माता के इस महान सपूत ने सहस्रों भारतीयों को स्वाधीनता की दीपशिखा पर परवानों की भांति जलना सिखाया ।

सुभाषचन्द्रबोस का जन्म उड़ीसा राज्य के ‘कटक’ शहर में 23 जनवरी सन् 1897 ई. को हुआ था । आपके पिताजी श्री रायबहादुर जानकी नाथ बोस कटक खुनिसिपैलिटी तथा जिला बोर्ड के प्रधान थे तथा नगर के एक सुप्रसिद्ध वकील थे ।

आपके भाई श्री शरतचन्द्र बोस एक महान देशभक्त तथा स्वतन्त्रता-संग्राम सेनानी थे । सुभाष चन्द्रकी आरम्भिक शिक्षा एकयूरोपियन स्कूल से हुई थी । सन् 1913 में आपने मैट्रिक की परीक्षा में कलकत्ता विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान प्राप्त किया था ।

इसके पश्चात् उच्च शिक्षा के लिए आपने ‘प्रेजीडेंसी कॉलेज कलकत्ता में प्रवेश ले लिया । वहाँ ‘ओटेन’ नाम का अंग्रेज प्रोफेसर सदैव भारतीयों की निन्दा करता था, जो सुभाषचन्द्र से जरा भी सहन नहीं होता था इसीलिए उन्होंने उस अध्यापक की पिटाई कर दी ।

उस दिन से उसने भारतीयों का अपमान करना तो बन्द कर दिया, परन्तु सुभाष को भी कॉलेज से निलम्बित कर दिया गया । फिर आपने ‘स्कॉटिश चर्च’ कॉलेज में दाखिला लिया तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीए, आनर्स किया ।

सन् 1919 में इंग्लैण्ड से आईसीएस. की परीक्षा पास करके भारत लौट आए । परन्तु आई.सी.एस. की परीक्षा पास करके भी उन्होंने उसे त्याग दिया क्योंकि वे अंग्रेजों के अधीन रहकर सेवा करना अपने देश का अपमान समझते थे । देशबत्र चितरंजनदास का प्रभाव-सुभाष चन्द्र बोस के जीबन पर देशबमृ चितरंजन दास का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा ।

वे उनके द्वारा स्थापित की गई ‘स्वराज पार्टी’ में काम करने लगे तथा उनके द्वारा निकाले गए ‘अग्रगामी पत्र’ का सम्पादन भार ले लिया । प्रिन्स ऑफ बेल्ट के आगमन पर उन्होंने बंगाल में उनके बहिष्कार आन्दोलन का नेतृत्व किया, जिसके कारण अंग्रेज सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर वर्मा के मांडले जेल भेज दिया, किन्तु स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें 17 मार्च, 1927 को रिहा कर दिया गया ।

राजनीतिक जीबन:

सुभाष चन्द्र बोस भारतीय नेताओं के औपनिवेशिक साम्राज्य की माँग से पूर्णतया सहमत नहीं थे वे तो पूर्ण स्वतन्त्रता के अभिलाषी थे । अग्रिम वर्ष के कांग्रेस अधिवेशन में यही प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया । कांग्रेस में गरम ब नरम दो दल थे । सुभाष चन्द्र बोस गरम दल के नेता थे तथा महात्मा गाँधी नरम दल के ।

बे गाँधी जी के विचारों से सहमत नहीं थे । उनका मानना था कि केबल सत्य तथा अहिंसा के रास्ते पर चलकर स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं की जा सकती है वरन् हमें अंग्रेजों से अपने अधिकार पाने के लिए लड़ना पड़ेगा और यदि इसके लिए खून की नदियाँ भी बहानी पड़े, तो कोई गलत कार्य नहीं होगा ।

परन्तु बिचारों में मतभेद होते हुए भी वे गाँधी जी का पूर्ण सम्मान करते थे तथा उनके साथ मिलकर काम करते थे । सन् 1929 ई. के ‘नमक कानून तोड़ो आन्दोलन’ का नेतृत्व सुभाष जी ने ही किया था । सन् 1938 तथा 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गए ।

बाद में नेताजी ने विचार न मिलने के कारण कांग्रेस दल से इस्तीफा दे दिया तथा ‘फॉरबर्ड ल्लॉक’ की स्थापना की, जिसका लक्ष्य ‘पूर्ण स्वराज्य’ तथा हिनू-मुस्तिम एक्ता था । आजाद हिन्द फौज का गठन तथा मृत्यु-सन् 1940 में ब्रिटिश सरकार ने नेताजी को भारत रक्षा कानून के अन्तर्गत गिरफ्तार कर लिया, किन्तु जेल में नेता जी ने आमरण अनशन की घोषणा कर दी ।

तब सरकार ने उन्हें जेल से मुक्त कर घर में ही नजरबन्द कर दिया । एक रात सबकी आँखों में धूल झोंककर एक मौलवी के वेष में आप घर से बाहर निकल आए । वहाँ से वे पहले कलकत्ता तथा फिर पेशावर पहुँच कर । पेशावर में सुभाषचन्द्र, उत्तमचन्द्र नामक व्यक्ति की मदद से एक गूँगे मुसलमान का वेष धारण कर काबुल पहुँच गए और फिर वहाँ से जर्मनी गए ।

जर्मनी में ही आपने ‘आजाद हिन्द फौज’ की नींव रखी । नेता जी का विचार था कि अहिंसक आन्दोलनों से ब्रिटिश सरकार भारत नहीं छोड़ेगी, अपितु हमें तो उन्हें मारकर भगाना होगा । इसी उद्‌देश्य से उन्होंने ‘आजाद हिन्द फौज’ बनाई थी ।

उन्होंने नवयुवकों को देश भक्तिके लिए लड़ना सिखाया । परिणामस्वरूप सैकड़ों नवयुवक ने अपने खून से हस्ताक्षर कर एक पत्र नेताजी को दिया । विश्व के 19 राष्ट्रो ने ‘आजाद हिन्द फौज’ को स्वीकार कर लिया । ‘जय हिन्द’ तथा ‘दिल्ली चलो’ नारी से ‘इम्फाल’ तथा ‘अरामान’ की पहाड़ियों गूँज उठी ।

आजाद हिन्द फौज ने जापान की मदद से मलाया तथा वर्मा के अंग्रेजों को मार गिराया तथा पूर्वोत्तर में भारतभूमि पर तिसौ लहरा दिया, किन्तु द्वितीय विश्बयुद्ध में जापान की हार के कारण आपकी सारी योजनाओं पर पानी फिर गया ।

23 अगस्त, 1945 को टोक्यो रेडियो से यह शोक समाचार प्रकाशित हुआ कि नेता जी एक विमान दुर्धटना में मारे गए । किसी को भी नेता जी का शव नहीं प्राप्त हुआ इसलिए किसी ने भी इस बात पर विश्वास नहीं किया । परिणामत: नेता जी की मृउ आज भी एक रहस्य बनी हुई है ।

सम्पूर्ण विश्व में एकमात्र विश्वास तथा सम्मान के साथ ‘नेताजी’ की उपाधि प्राप्त करने बाले सुभाष चन्द्र बोस की देशभक्ति आज भी हम भारतीयों के लिए प्रेरणा-स्रोत है । आज भी उनके गाए गीत ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’ हमारे कानो में गूँज रहे हैं । बे तो अद्‌भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे तभी तो सभी उनकी वाणी के आकर्षण में फँस जाते थे तथा उन्हें अपना आदर्श मानते थे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 13

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद पर निबन्ध | Essay on Dr. Rajendra Prasad : India’s First President in Hindi

स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति का गौरव प्राप्त करने वाले डी. राजेन्द्र प्रसाद सादगी, सत्यनिष्ठा, पवित्रता, योग्यता तथा विद्वता की पूर्ति थे । आपने ही भारतीय ऋषि परम्परा को पुनर्जीवित किया तथा सादगी तथा सरलता के कारण किसान जैसा व्यक्तित्व पाकर भी पहले राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त किया ।

राजेन्द्र बाबू जैसे महान व्यक्ति का जन्म 3 दिसम्बर सन् 1884 ई. को बिहार राज्य के सरना जिले के एक सुप्रतिष्ठित एवं संभ्रान्त कायस्थ परिवार में हुआ था । आपके पूर्वज तत्कालीन हधुआ राज्य के दीवान रह चुके थे ।

आरम्भिक शिक्षा ‘उर्दू’ भाषा में प्राप्त करने के पश्चात् उच्च शिक्षा के लिए आप कोलकाता आ गए । प्रारम्म से अन्त तक आपने प्रत्येक परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । इसके बाद आप वकालत करने लगे तथा कुछ ही दिनों में आपकी गणना उच्च श्रेणी के उच्चतम वकीलों में की जाने लगी ।

देश प्रेम की भावना-रोलट एक्त से आहत होकर आपका स्वाभिमानी मन देश की स्वतन्त्रता के लिए बेचैन हो उठा तथा गाँधी जी द्वारा चलाए गए ‘असहयोग आन्दोलन’ में भाग लेकर आप देश सेवा में जुट गए । प्रारम्भ में आप राष्ट्रीय नेता गोपाल कृष्ण गोखले से बहुत प्रभावित थे तथा उसके बाद महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व की सादगी ने तो जैसे आपको पूर्णरूपेण अपने वश में कर लिया था ।

आपको महान बनाने में इन दोनों महापुरुषों का विशेष योगदान रहा है । सन् 1905 ई. पूना में स्थापित सर्वेण्ट्स ऑफ इण्डिया सोसायटी की ओर आकर्षित होते हुए भी राजेन्द्र बाबू अपनी अन्तः प्रेरणा से गाँधी जी द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के प्रति समर्पित हो गए तथा आजीवन गाँधी जी द्वारा बताए पथ पर ही चलते रहे ।

राजेन्द्र प्रसाद न केबल बिनम्र तथा विद्वान ही थे, वरन् अपूर्व सूझ-बूझ एवं संगठन शक्ति से सम्पन्न व्यक्ति थे । अपनी लगन एवं दृढ़ इच्छाशक्ति से शीघ्र ही आप गाँधीजी के प्रिय पात्रों के साथ-साथ शीर्षस्थ राजनेताओं में भी महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर चुके थे ।

प्रारम्भ में आपका कार्यक्षेत्र बिहार राज्य रहा । आपने सदैव बिहार के किसानों को उनके उचित अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया । सन् 1934 में बिहार राज्य में आने वाले भूकम्प के कारण उत्पन्न विनाशलीला के मौके पर आपने पूरी लगन तथा कुशलता से पीड़ित जनता को राहत पहुँचाई जिससे पूरा बिहार राज्य आपका अनुयायी बन गया ।

डी. राजेन्द्र प्रसाद अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन के साथ आजीवन जुड़े रहें । उन्होंने सदा ही गाँधी जी का समर्थन किया । एक निष्ठावान कार्यकर्ता एवं उच्चकोटि के राजनेता होने के कारण आप दो बार अखिल भारतीय कांग्रेस दल के सर्वोच्च पद अध्यक्ष पक पर भी निर्वाचित किए गए ।

कांग्रेस के समर्थकों का मत है कि जैसा सौहार्दपूर्ण वातावरण कांग्रेस दल में राजेन्द्र बाबू के समय में था, उससे पहले या बाद में आज तक कभी भी नहीं रहा । आप छोटे बड़े सभी कार्यकर्त्ताओं की समस्या ध्यानपूर्वक सुनते थे तथा उसका समाधान भी निकाल लेते थे ।

राष्ट्रपति पद पर सुशोभित:

लगातार अनगिनत संघर्षों के परिणामस्वरूप सन् 1947 ई. को जब भारतवर्ष स्वतन्त्र हुआ, तब देश का संविधान तैयार करने वाले दल का अध्यक्ष डी. राजेन्द्र प्रसाद को ही चुना गया । भारत का सविधान बन जाने के पश्चात् 26 जनवरी, सन् 1950 को जब उसे लागू और घोषित किया गया, तब उसकी माँग के अनुसार स्वतन्त्र गणतन्त्र का प्रथम राष्ट्रपति बनने का गौरव डी. राजेन्द्र प्रसाद को भी प्राप्त हुआ ।

निःसन्देह आप ही इस पद के लिए सर्वाधिक सक्षम एवं उचित अधिकारी थे । सन् 1957 में पुन: आपने राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया ।

राष्ट्रपति भवन के वैभवपूर्ण वातावरण में रहकर भी आपने अपनी सादगी तथा पवित्रता को कभी भी नहीं छोड़ा । यद्यपि हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करने जैसे कुछ विषयों पर आपका तत्कालीन प्रधानमन्त्री से कुछ मतभेद भी अवश्य हुआ परन्तु आपने अपने पद की गरिमा को सदैव बनाए रखा ।

दूसरी बार का राष्ट्रपति काल समाप्त कर आप बिहार के ‘सदाकत’ आश्रम में जाकर रहने लगे । सन् 1962 में उत्तर-पूर्वी सीमांचल पर चीनी आक्रमण का सामना करने का उद्‌घोष करने के पश्चात् आप अस्वस्थ रहने लगे तथा आपका देहावसान हो गया । मरणोपरान्त आपको ‘भारत रल’ से विभूषित किया गया । हम भारतीय सदा आपके समक्ष नतमस्तक रहेंगे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 14

शहीद भगतसिंह पर निबन्ध | Essay on Bhagat Singh the Martyr in Hindi

भारत माता के स्वतन्त्रता के इतिहास को जिन शहीदों ने अपने रक्त से लिखा है, जिन शूरवीरों के बलिदानों ने भारतीय जनमानस को सर्वाधिक उद्धिग्न किया है, जिन्होंने अपनी रणनीति से साम्राज्यवादियों को लोहे के चने चबवा दिए, जिन्होंने परतन्त्रता की बेड़ियों को चकनाचूर कर स्वतन्त्रता का मार्ग प्रशस्त किया है तथा जिन देश भक्तों पर मातृभूमि को गर्व है, उनमें भगतसिंह का नाम सर्वोपरि है ।

भगतसिंह का जन्म 27 सितम्बर, 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गाँव (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था । आपके पिता सरदार किशनसिंह एवं उनके दो चाचा स्वर्णसिंह तथा अजीत सिंह अंग्रेजों के विरोधी होने के कारण जेल में बन्द थे ।

संयोगवश, जिस दिन भगतसिंह पैदा हुए थे, उसी दिन उनके चाचा जेल से रिहा हो गए थे । इस शुभ घड़ी के मौके पर भगतसिंह के घर में दोहरी खुशी मनाई गई । उसी समय उनकी दादी ने उनका नाम भगत (अच्छे भाग्यवाला) रख दिया था । बाद में अऊाप ‘भगतसिंह’ कहलाने लगे ।

स्कूल के तंग कमरों में बैठना आपको अच्छा नहीं लगता था । आप कक्षा छोड्‌कर खुले मैदानों में घूमने निकल पड़ते थे तथा आजादी चाहते थे । प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त करने के पश्चात् भगतसिंह को 1916 में लाहौर के डी.ए.वी. स्कूल में भरती करा दिया गया । वहाँ आप लाला लाजपतराय तथा सूफी अम्बा प्रसाद जैसे देशभक्तों के सम्पर्क में आए ।

देशभक्ति की भावना:

एक देशभक्त परिवार में जन्म लेने के कारण भगतसिंह को देशभक्ति तथा स्वतन्त्रता का पाठ विरासत में मिला था । 3 अप्रैल 1919 में ‘रोलट एक्ट’ के विरोध में सम्पूर्ण भारत में प्रदर्शन हो रहे थे तथा इन्हीं दिनों जलियाँबाला बाग काण्ड भी हुआ ।

इनका समाचार सुन भगतसिंह लाहौर से अमृतसर पहुंचे । वहाँ उन्होंने शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की तथा रक्त से भीगी मिट्टी को एक बोतल में रख लिया जिससे सदा यह बात स्मरण रहे कि उन्हें अपने देश तथा देशवासियों के अपमान का बदला लेना है ।

1920 के ‘असहयोग आन्दोलन’ से प्रभावित होकर 1921 में आपने ष्फ छोड़ दिया । उसी समय लाला लाजपतराय ने लाहौर में ‘नेशनल कॉलेज’ की स्थापना की थी । भगतसिंह ने भी इसी कॉलेज में प्रवेश ले लिया । वहाँ आप यशपाल, सुखदेव, तीर्थराम आदि क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आए ।

सन् 1928 को ‘साईमन कमीशन’ का विरोध करने के लिए लाला लाजपतराय के नेतृत्व में एक जुलूस कमीशन का विरोध शान्तिपूर्वक कर रहा था । किन्तु यह विरोध अंग्रेजों से सहन नहीं हुआ और उन्होंने लाठी चार्ज करवा दिया ।

इस लाठी चार्ज में लालपतराय घायल हो गए तथा 17 नवम्बर, 1928 को लालाजी चल बसे । यह सब देखकर भगतसिंह के मन में विद्रोह की ज्वाला और भी तीब्र हो गई । लालाजी की हत्या का बदला लेने के लिए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपत्विकन एसोसिएशन ने भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, जय गोपाल तथा आजाद को यह कार्य सौंपा । इन क्रान्तिकारियों ने साठडर्स को मारकर लालाजी की मौत का बदला लिया तथा इस घटना से भगतसिंह और भी अधिक लोकप्रिय हो गए ।

हिन्दुस्तान समाजवादी गणतन्त्र संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी की सभा में पन्तिक ‘सेफ्टी बिल’ तथा ‘डिज्ब बिल’ पर चर्चा हुई । इसका विरोध करने के लिए भगतसिंह ने केन्द्रीय असेम्बली में बम फेंकने का प्रस्ताव रखा । इस कार्य को करने के लिए भगतसिंह अड गए कि यह कार्य वह स्वयं करेंगे, हालांकि आजाद इसके विरुद्ध थे ।

इस कार्य में ‘बटुकेश्वर दत्त’ ने भगतसिंह का साथ दिया । 12 जून, 1929 को सेशन जज ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 307 के अन्तर्गत उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई । इन दोनों देशभक्तों ने सेशन जज के निर्णय के विरुद्ध लाहौर हाईकोर्ट में भी अपील की । यहाँ भगतसिंह ने भाषण दिया, परन्तु हाईकोर्ट के सेशन जज ने भी उनकी सजा को मान्यता दी ।

आजाद ने भगतसिंह को छाने की पूरी कोशिश की । तीन महीनों तक अदालत की कार्यवाही चलती रही । अदालत ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 129 के अन्तर्गत उन्हें अपराधी घोषित करते हुए 7 अक्तूबर सन् 1930 को 68 पृष्ठीय निर्णय दिया, जिसमें भगतसिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को फाँसी की सजा सुनाई गई ।

इस निर्णय के विरुद्ध नवम्बर 1930 में प्रिवी परिषद् में अपील भी की गई, परन्तु यह अपील 10 जनवरी, 1931 को रह कर दी गई । फाँसी की सजा-फाँसी का समय प्रातः काल 24 मार्च, 1931 को निश्चित हुआ था पर सरकार ने प्रातःकाल के स्थान पर संध्या समय तीनों देशभक्त क्रान्तिकारियों को एक साथ फाँसी देने का निर्णय लिया ।

फाँसी लगाने से पूर्व जेल अधीक्षक ने भगत सिंह से कहा, ”सरदार जी । फाँसी का समय हो गया है , आप तैयार हो जाइए ।” उस समय भगतसिंह लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे । वे बोले, “ठहरो । एच्छ क्रान्तिकारी दूसरे क्रान्तिकारी से मिल रहा है” और वे जेल अधीक्षक के साथ चल पड़े ।

जब सुखदेव तथा राजगुरु को भी फाँसी स्थल पर लाया गया तो तीनों ने अपनी आएँ एक दूसरे के साथ बाँध दी । तीनों एक साथ गुनगुनाए-

”दिल से निकलेगी, नमस्कार भी वतनकी उलफत, मेरी मिट्टी से भी खुशबू-एवतन आएगी ।”

Hindi Nibandh (Essay) # 15

डा. भीमराव अम्बेडकर पर निबन्ध | Essay on Dr. Bhimrao Ambedkar in Hindi

समाज के नियम कानून सभी कुछ परिवर्तनशील होता है । इन परिवर्तनों में कुछ परिवर्तन ऐसे भी होते हैं, जो इतिहास के पन्नों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित हो जाते हैं । समाज में ये परिवर्तन हमारे महापुरुष ही ला पाते हैं । इस प्रकार की महान विभूतियों में डी. भीमराव अम्बेडकर का नाम सर्वोपरि है ।

तभी तो उन्हें अपनी योग्यता तथा सक्रिय कार्यशक्ति के आधार पर उनकी जन्म शताब्दी पर सन् 1990 में ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया गया था । डी. भीमराव अम्बेडकर आधुनिक भारतवर्ष के प्रमुख विधिवेता राष्ट्रीय नेता तथा महान समाज-सुधारक थे । वे मानब-जाति की सेवा करना ही अपना परम लक्ष्य मानते थे क्योंकि दलितों, शोषितों तथा पीडितों की दर्दनाक आवाज उन्हें बेचैन कर देती थी ।

डी. भीमराव अम्बेडकर का जन्म महाराष्ट्र के महूं छावनी में 14 अप्रैल सन् 1891 ई. को अनुसूचित जाति के एक निर्धन परिवार में हुआ था । आपका बचपन का नाम ‘भीम सकपाल’ था तथा आप अपने माता-पिता की चौदहवीं सन्तान थे । आपके पिता श्री राम जी मौलाजी सैनिक स्कूल में प्रधानाध्यपक थे ।

उन्हें गणित, अंग्रेजी तथा मराठी आदि का अच्छा ज्ञान प्राप्त था । आपके घर का वातावरण धार्मिक था । आपकी माताजी का नाम श्रीमती भीमाबाई था । बचपन में भीमराव बहुत ही तार्किक तथा शरारती स्वभाव वाले बालक थे, किन्तु पढ़ाई में भी आप बहुत मेधावी थे ।

आपने 1907 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और उसी वर्ष आपका विवाह ‘रामबाई’ के साथ हो गया । सन् 1912 ई. में आपने स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की उसके पश्चात् जब आपको बड़ौदा नरेश से आर्थिक सहायता मिलने लगी तो सन् 1913 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने न्यूयार्क चले गए ।

इसके पश्चात् लन्दन, अमेरिका, जर्मनी आदि में रहकर भी आपने अध्ययन किया । सन् 1923 ई. तक आप एमए, पी.एच.डी. तथा बैरिस्टर बार एट ली बन चुके थे । इसके अतिरिक्त आपने अर्थशास्त्र, कानून तथा राजनीति शास्त्र का गहन अध्ययन किया था ।

सामाजिक कार्य :

डी भीमराव अम्बेडकर ने बचपन से ही जातिगत असमानता तथा ख्याछूत को अपनी आँखों से देखा था, इसलिए उनके मन में एक विद्रोह भावना ने जन्म ले लिया था । 1923 से 1931 तक का समय डी. भीमराव के लिए संघर्ष एवं सामाजिक अभुदय का समय था । वे तो दलित वर्गका उद्धार करने वाले प्रथम नेता थे । दलितों में अपना विश्वास पैदा करने के लिए आपने ‘मूक’ नामक पत्रिका का प्रकाशन किया, जिससे दलितों का बिश्वास डी. अम्बेडकर के प्रति जागने लगा ।

आपने ‘गोलमेज’ सम्मेलन लन्दन में भाग लेकर पिछड़ी जातियों के लिए अलग चुनाव पद्धति तथा कुछ विशेष माँगे अंग्रेजी शासकों से स्वीकार करवायी । आप तो सदा ही दलितों से यह अनुरोध करते थे- ”शिक्षित बनकर संघर्ष करो तथा संगठित होकर कार्य कसे ।”

यह सब वे इसलिए कहते थे क्योंकि वे सदा सोचते थे कि जब उन जैसे पड़े लिखे लोगों को भी दलित जाति के नाम पर इतना अपमान सहना पड़ता है तो फिर अनपढ़ लोगों को क्या-क्या नहीं सहना पड़ेगा । 27 मई, 1935 ई. में आपकी धर्मपली रामबाई का स्वर्गवास हो गया, जिसने आपको अन्दर तक झकझोर दिया ।

बिधिवेता तथा संविधान निर्माता-स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू की मुलाकात डी. भीमराव अम्बेडकर से हुई । उन्होंने 3 अगस्त, 1947 को उन्हें स्वतन्त्र भारत के प्रथम मन्त्रिमंडल में विधिमन्त्री के रूप में नियुक्त कर लिया तथा 21 अगस्त, 1947 को भारत की संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष चयनित किया गया ।

डी. अम्बेडकर की अध्यक्षता में ही भारत के लोकतान्त्रिक, धर्म निरपेक्ष एवं समाजवादी संविधान की रचना हुई थी, जिसमें प्रत्येक मनुष्य के मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों की सुरक्षा की गई 126 जनवरी, 1950 को भारत का वह संविधान राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया ।

बौद्ध धर्म एवं डा. अम्बेडकर:

3 अकतुबर, सन् 1935 को डी. भीमराव ने अपने धर्मान्तरण की घोषणा की तथा बौद्ध धर्म अपना लिया । उन्होंने दलितों तथा श्रमिकों में नवीन चेतना जाग्रत करने तथा उन्हें सुसंगठित करने के लिए अगस्त, 1936 में स्वतन्त्र मजदूर दल की स्थापना की थी ।

वे प्रत्येक दलित को शिक्षित एवं जागरुक बनाना चाहते थे क्योंकि वे जानते थे कि शिक्षित किए बिना उनमें जाति लाना असम्भव है । 20 जून, 1946 को आपने सिद्धार्थ महाविद्यालय की स्थापना की । दिसम्बर, 1954 में डी अम्बेडकर विश्व बौद्ध परिषद में हिस्सा लेने ‘रंगून’ गए तथा बौद्ध धर्म के नेता के रूप में ‘नेपाल भी गए । 14 अक्तुबर, सन् 1956 को डी. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली । आपने भगवान बुद्ध तथा उनका धर्थ नामक ग्रन्ध की भी रचना की जिसका समापन दिसम्बर, 1956 में हुआ ।

तत्कालीन समाज:

डा. अम्बेडकर का जन्म उस वर्ग में हुआ था जिसे अइन्धविस्वार्सी के कारण हिन्दू समाज में निम्न वर्गीय माना जाता था । इसके लिए हरिजनों को पग-पग पर अपमानित किया जाता था । दलित वर्ग का व्यक्ति चाहे शिक्षित हो या अनपढ़, उसे अछूत ही समझा जाता था ।

उसे कोई छू ले तो वह तुरन्त स्नान करता था । धार्मिक स्थानों पर उनका आना-जाना वर्जित था । परन्तु डा. अम्बेडकर जैसा जागरुक व्यक्ति इस सामाजिक भेदभाव, विषमता तथा निन्दा से भी झुका नहीं । उन्होंने तो स्वयं को इतना शिक्षित बनाया कि वे किसी भी व्यक्ति का सामना निडर होकर कर सके ।

डा. भीमराव अम्बेडकर जैसा दलितों का मसीहा 6 दिसम्बर, 1956 को इस संसार से चला गया । सन् 1990 में देश के प्रत्येक कोने में उनकी जन्म शताब्दी पर अनेक समारोह किए गए तथा उन्हें मरणोपरांत ‘भारत-रत्न’ से विभूषित किया गया ।

युग को परिवर्तित कर देने वाले ऐसे महापुरुष यदा-कदा ही जन्म लेते हैं जो मरकर भी लोगों के हृदयों में जीवित रहते हैं । हम सब भारतीयों का यह कर्त्तव्य है कि हम डी. भीमराव अम्बेडकर के बताए पथ पर चले तथा छुआछूत, जाति-प्रथा आदि के भेदभाव को भूलकर मैत्रीभाव अपनाएँ ।

Hindi Nibandh (Essay) # 16

कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्ध | Essay on Great Poet Rabindranath Tagore in Hindi

कवीन्द्र रवीन्द्रनाथ टैगोर भारत माता की गोद में जन्म लेने वाले उन महान व्यक्तियों में गिने जाते हैं, जिन्हें अपनी साहित्यिक सेवाओं के लिए विश्व का सर्वाधिक चर्चित ‘नोबेल पुरस्कार’ प्राप्त हुआ था ।

रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म भारत में अवश्य हुआ था, परन्तु उन्होंने स्वयं को किसी एक देश की सीमा में नहीं बँधने दिया । वे तो विश्वैव सुश्वकर के सिद्धान्त के अनुयायी थे । वे प्रत्येक जीक में उसी परमात्मा के अंश को विद्यमान देखते थे, जो उनमें है ।

उनके लिए न कोई मित्र था, न शत्रु, न कोई अपना था, न पराया । वे तो अच्छाई से प्यार करते थे और सभी को समान दृष्टि से देखते थे । तभी तो लोग उन्हें श्रद्धावश ‘गुरुदेव’ कहकर पुकारते थे । जन्मन्दरिचय एवं शिक्षा-इस महान आत्मा का प्रादुर्भाव 7 मई, 1861 को कलकत्ता में देवेन्द्रनाथ ठाकुर के यहाँ हुआ था ।

इनके पिताश्री बेहद धार्मिक एवं समाजसेवी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे । इनके दादा जी द्वारिकानाथ राजा के उपाधिकारी थे । जब आप मात्र 14 वर्ष के थे, तभी आपकी माता जी का निधन हो गया था । रवीन्द्रनाथ बँधी-बँधाई शिक्षा पद्धति के विरुद्धे थे ।

यही कारण था कि जब बाल्यावस्था में उन्हें स्कूल भेजा गया तो हर बार श्व में मन न लगने के कारण स्कूल छोड़कर आ गए । घरवाले यह सोचकर निराश रहने लगे कि शायद यह बालक अनपढ़ ही रह जाएगा । परन्तु नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था कि जो बालक स्कूली शिक्षा में मन न लगा सका, वह उच्चकोटि का अध्ययनशील हो ।

वे ज्ञानप्राप्ति के लिए खूब स्वाध्याय करते थे । उन्हें अखाड़े में पहलवानी करना तथा बंग्ला, संस्कृत, इतिहास, भूगोल, विज्ञान की पुस्तकों का स्वयं अध्ययन करना तथा संगीत एवं चित्रकला में विशेष रुचि थी । उन्होंने अंग्रेजी का विशेष अध्ययन किया । स्वाध्याय के लिए वे 11 बार विदेश गए ।

पहली बार 17 वर्ष की आयु में इंग्लैण्ड गए तथा वहाँ रहकर उन्होंने कुछ समय तक यूनीवर्सिटी कॉलेज लन्दन में ‘हेनरी मार्ले’ से अंग्रेजी साहित्य का ज्ञान अर्जित किया । उन्होंने अपने अनुभव के सम्बन्ध में जो पत्र लिखे, उन्हें उन्होंने यूरोप प्रवासेर पत्र के नाम से प्रकाशित किया ।

एक बार वे अपने पिता के साथ हिमालय की यात्रा पर भी गए जहाँ उन्होंने अपने पिता जी से संस्कृत, ज्योतिष, अंग्रेजी तथा गणित का ज्ञान प्राप्त किया । संगीत की शिक्षा उन्होंने अपने भाई ज्योतिन्द्रनाथ’ से प्राप्त की थी ।

वैवाहिक जीवन-सन् 1883 ई. में जब रवीन्द्रनाथ जी 22 वर्ष के थे, तो उनका विवाह एक शिक्षित महिला मृणालिनी के साथ हुआ । मृणालिनी सदैव उनके कार्यों में सहयोग देती थी । उनके पाँच बच्चे-हुए, परन्तु दुर्भागयवश 1902 में उनकी पत्नी का देहान्त हो गया ।

1903 और 1907 के मध्य उनकी बेटी शम्मी तथा पिता भी उन्हें छोड्‌कर चल बसे । इस दुख ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर को अन्दर तक झकझोर दिया । उनका सबसे छोटा स्मैं समीन्द्रनाथ की भी अल्पायु में मृत्यु हो गई थी । सन् 1910 में अमेरिका से लौटने पर वे स्वयं को एकदम अकेला महसूस कर रहे थे, तभी उन्होंने प्रतिमा देवी नामक एक प्रौढ़ महिला से विवाह कर लिया ।

पूरे परिवार में पहली बार किसी ने सामाजिक परम्पराओं को तोड़कर एक विधवा नारी से विवाह करने का साहस्र किया था । तभी से रवीन्द्रनाथ सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के कार्यों में जुट गए ।

महत्त्वपूर्ण रचनाएँ:

ठाकुर साहब का साहित्य सृजन तो बाल्यकाल से ही आरम्भ हो गया था । उनकी सर्वप्रथम कविता सन् 1874 में तत्त्वभूमि पत्रिका में प्रकाशित हुई थी । वे नाटकों में अभिनय भी किया करते थे । उनकी प्रमुख रचनाएँ ये हैं:

1 . कहानी संग्रह:

‘गल्प समूह’ (सात भागों मे), ‘गल्प गुच्छ’ (तीन भागों में) । इसके अतिरिक्त काबुलीवाला, दृष्टिदान, पोस्ट मास्टर, अन्धेरी कहाँ, छात्र परीक्षा, अनोखी चाह, डाक्टरी, पत्नी का पत्र आदि भी कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ हैं ।

2. नाटक साहित्य:

‘चित्रांगदा, वाल्मीकि प्रतिभा, विसर्जन मायेरखेला, श्यामा, पूजा, रक्तखी, अचलायतन, फाल्गुनी, राजाओं रानी, शारदोत्सव, राजा आदि कुछ प्रसिद्ध नाटक हैं ।

3. काव्य संग्रह:

कडिओ कोमल प्रभात संगीत, संध्या संगीत, मानसी, चित्रा नैवेध, बनफूल कविकाहिनी, छवि ओगान, गीतांजलि इत्यादि ।

4. उपन्यास साहित्य:

नौका डूबी, करुणा (चार अध्याय), गोरा, चोखेर वाली (आँख की किरकिरी) ।

‘ सर’ की उपाधि से उलंकृत :

रवीन्द्रनाथ टैगोर की साहित्यिक प्रतिभा से कोई भी अनजान नहीं । उनकी इसी प्रतिभा को ध्यान में रखकर ‘बंगीय साहित्य परिषद’ ने उनका अभिनन्दन किया था । इसी बीच टैगोर ने अपनी प्रमुख कृति गतिघ्रलि का भी अंग्रेजी में अनुवाद कर दिया ताकि यह महान रचना अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान पा सके ।

‘गीतांजलि’ के अंग्रेजी में अनुवाद होने पर अंग्रेजी साहित्य मण्डल में एक सनसनी फैल गई । स्वीडिश अकादमी ने सर 1913 में ‘गीतांजली’ को ‘नोबल पुरस्कार’ के लिए चयनित किया । रवीन्द्रनाथ टैगोर की ख्याति ब्रिटिश सम्राट पंचम जार्ज तक पहुँच चुकी थी इसीलिए सम्राट ने टैगोर साहब को सर की उपाधि से सम्मानित किया ।

इसके कुछ समय पश्चात् अंग्रेजों की कूरता का प्रमाण जलियाबाला बाग हत्याकांड के रूप में सामने आया । रवीन्द्रनाथ जैसा संवेदनशील तथा साहित्यिक व्यक्तित्व वाला व्यक्ति भला इस दुखद घटना से अछूता कैसे रह पाता इसलिए बहुत दुखी मन से रवीन्द्रनाथ ने अंग्रेजों की दी हुई ‘सर’ की उपाधि उन्हें वापिस कर दी ।

दुर्भाग्यवश 7 अगस्त 1941 को यह साहित्यिक आत्मा हमें सदा के लिए छोड़कर चली गई । हर भारतीय को बहुत क्षति हुई । निःसन्देह रवीन्द्रनाथ टैगोर अपने समय के साहित्य के जनक थे । वे सदैव भारतवासियों को अपनी उच्चकोटि की रचनाओं द्वारा प्रेरित करते रहेंगे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 17

स्वामी विवेकानन्द पर निबन्ध | Essay on Swami Vivekananda in Hindi

भारतभूमि योगियों, ऋषियों, मुनियों तथा त्यागियों की भूमि है, तभी तो हमारे देश की धरती का गौरव सर्वत्र हैं । महापुरुषों का उदय अपने देश को ही गौरान्वित नहीं करता, अपितु पूरे विश्व को अपने प्रकाश से प्रकाशवान कर देता है । देश को प्रतिष्ठा के शिखर पर पहुँचाने वाले महापुरुषों में स्वामी विवेकानन्द का नाम बड़े आदर से लिया जाता है ।

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 फरवरी सन् 1863 ई. को कलकत्ता में हुआ था । आपके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था । आपके पिता श्री विश्वनाथ दत्त, पाश्चात्य सभ्यता तथा संस्कृति के पुजारी थे । आपकी माता श्रीमती भुवनेश्वरी देवी संस्कारवान महिला थी, जिनका प्रभाव किशोर नरेन्द्रनाथ दत्त पर पड़ा था ।

स्वामी विवेकानन्द बचपन से ही प्रतिभाशाली तथा विबेकी थे । आपको पाँच वर्ष की आयु में अध्ययनार्थ मेट्रोपोलिटन इप्सीट्‌यूट विद्यालय भेजा गया, लेकिन पढ़ाई में अधिक रुचि न होने के कारण बालक नरेन्द्रनाथ का अधिकतर समय खेलने-कूदने में ही बीतता था ।

सन् 1879 में आपने ‘जनरल असेम्बली कॉलेज’ में प्रवेश लिया । व्यक्तित्व की विशेषताएँ-स्वामी जी पर अपने पिता के पश्चिमी संस्काद्यें का प्रभाव न पड़कर अपनी माता के धार्मिक आचार-विचारों का प्रभाव पड़ा था । यही कारण था कि स्वामी जी अपने आरम्भिक जीवन से ही धार्मिक प्रवृत्ति में ढलते गए तथा धर्म के प्रति आश्वस्त होते रहे । उनका जिज्ञासु मन सदैव ही ईश्वरीय ज्ञान की खोज में लगा रहता था ।

जब उनकी जिज्ञासा का प्रवाह अति तीव्र हो गया, तो वे अपने अशांत मन की शान्ति के लिए तत्कालीन सन्त रामकृष्ण परमहंस की छत्रछाया में चले गये । परमहंस जी पहली दृष्टि में ही विवेकानन्द की योग्यता और कार्यक्षमता को पहचान गए तथा उनसे बोले , ”तू कोई साधारण मानव नहीं है । ईश्वर ने तुझे समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए ही इस धरती पर भेजा है । ”

नरेन्द्रनाथ भी स्वामी परमहंस जी के उत्साहवर्द्धक भाषण से बहुत प्रभावित हुए तथा उनकी आज्ञा का पालन करना अपना परम कर्त्तव्य समझने लगे ।

पिताजी की मृत्यु के पश्चात् विवेकानन्द घर:

गृहस्थी को छोड़कर संन्यास लेना चाहते थे, किन्तु स्वामी परमहंस ने उन्हें समझाते हुए कहा, ”नरेन्द्र तू भी स्वार्थी मनुष्यों की भांति केवल अपनी मुक्ति की कामना करते हुए संन्यास चाहता है । संसार तो दुखी इन्सानों से भरा पड़ा है ।

उनका दुख दूर करने यदि तेरे जैसा व्यक्ति नहीं जाएगा, तो और कौन जाएगा । इसलिए निराशा से बाहर निकलकर मानव-जाति के कल्याण के बारे में सोचना तेरा कर्त्तव्य है ।” इन उपदेशों का नरेन्द्र के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा तथा उन्होंने मानव-जाति को यह उपदेश दिया- ”संन्यास का वास्तविक अर्थ मुक्त होकर लोक सेवा करना है । अपने ही मोक्ष की चिन्ता करने वाला संन्यासी स्वार्थी होता हे । साधारण संन्यासियों की भांति एकान्त में केवल चिन्तन करते रहना जीवन नष्ट करना है । ईस्वर के साक्षात दर्शन तो मानव सेवा द्वारा ही हो सकते हैं । ”

नरेन्द्रनाथ ने स्वामी परमहंस जी की मृत्यु के उपरान्त शास्त्रों का विधिवत् गहन अध्ययन किया तथा ज्ञानोपदेश तथा ज्ञान प्रचारार्थ अमेरिका, ब्रिटेन आदि अनेक देशों का भ्रमण भी किया । सन् 1881 में नरेन्द्रनाथ संन्यास ग्रहण करके स्वामी विवेकानन्द बन गए ।

31 मई सन् 1883 में अमेरिका के शिकागो शहर में हुए सर्वधर्म सम्मेलन में आपने भी भाग लिया तथा अपनी अद्‌भुत विवेक क्षमता से सबको चकित कर दिया । 11 सितम्बर सन् 1883 को आरम्भ हुए इस सम्मेलन में जब आपने सभी धर्माचार्यो को भाइयों तथा बहनों कह कर सम्बोधित किया तो वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से आपका जोरदार स्वागत किया ।

वहाँ पर स्वामी जी ने कहा- “पूरे विश्व का एक ही धर्म है-मानव धर्म । इसके प्रतिनिधि विश्व में समय-समय पर परमहंस, रहीम, राम, क्राइस्ट आदि नामों से जाने जाते रहे हैं । जब ये ईश्वरीय ह मानव धर्म के संदेशवाहक बनकर धरती पर अवतरित है ? तो आज पूरा संसार अलग-अलग धर्मो में विभक्त कयों है ? धर्म का उद्‌गम तो प्राणी मात्र की शान्ति के लिए हुआ है, परशु आज चारों ओर अशान्ति के बादल मँडरा रहे हैं । अत: आज विश्व शान्ति के लिए सभी को मिलकर मानव-धर्म स्थापना कर उसे सुदृढ़ करने का प्रयत्न करना चाहिए ।”

स्वामी जी के इन व्याख्यानों से पूरा पश्चिमी विश्व अचम्भित भी हुआ तथा प्रभावित भी हुआ । इसके पश्चात् अमेरिकी धर्म संस्थानों ने स्वामी जी को कई बार अपने यहाँ आमन्त्रित किया । परिणामस्वरूप वहाँ अनेक स्थानों पर वेदान्त प्रचारार्थ संस्थान भी खुलते गए ।

आज इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, जापान आदि अनेक शहरों में वेदान्त प्रचारार्थ संस्थान निर्मित हैं । स्वामी विवेकानन्द ने अनेक आध्यात्मिक तथा धार्मिक ग्रन्धों की रचना की है, जो आठ भागों में संकलित है । जीवन के अन्तिम क्षणों में आप ‘बेलूर मठ’ में रहने लगे थे । आपका देहावसान 5 जुलाई, 1908 को रात 9 बजे हुआ था ।

आज भी स्वामी जी के दिए उपदेश हर किसी को याद हैं- ”भारत का जीवन उनकी आध्यात्मिकता में अन्तर्निहित है । बाकी समस्त प्रश्न इसी के साथ जुड़े हैं । भारत की मुक्ति सेवा तथा त्याग द्वारा ही सम्भव है । दरीदों की उपेक्षा करना राष्ट्रीय पाप है तथा यही पतन का कारण है । ईश्वर तो इन दलितों में ही बसता है इसलिए ईश्वर के बदले इन्हीं की सेवा करना हमास राष्ट्रीय धर्म है ।”

स्वामी विवेकानन्द इस देश की वह ज्योति है जो अनन्तकाल तक भारतीयों को प्रकाशवान करती रहेगी । स्वामी जी कहे ये शब्द- ‘उठो, जागो और अपने लस्थ प्राप्ति से पहले मत रुको ‘, आज भी अकर्मण्य मानव को पुरुषार्थी बनाने में सक्षम है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 18

गुरू नानक देव पर निबन्ध | Essay on Guru Nanak Dev in Hindi

संसार भर में समय-समय पर अनेक साहसी, वीर तथा मानवता की उखड़ती हुई जड़ों को पुर्नस्थापित करने वाले महापुरुषों ने जन्म लिया है । ऐसे विरले महापुरुषों में गुरु नानक देव का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है । गुरु नानक जी का मत था कि न मैं हिन्दू हूँ और न ही मुसलमान । मैं तो पाँच तत्त्वों के मेल से बना मनुष्य मात्र हूँ और मेरा नाम नानक है ।

जन्म तथा वंश परिचय:

चमत्कारी महापुरुषों एवं महान् धर्म प्रवर्त्तकों में अपना प्रमुख स्थान रखने वाले सिख धर्म के प्रवर्त्तक गुरुनानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिया संवत् 1526 को लाहौर जिले के ‘तलवंडी’ नामक ग्राम में हुआ था, जो आजकल ‘ननकाना साहब’ के नाम से जाना जाता है ।

यह स्थान पाकिस्तान में लाहौर से लगभग ख मील दूर स्थित है । आपके पिता श्री कालूचन्द वेदी तलबंदी के पटवारी थे । आपकी माता श्रीमती तृप्ता एक बेहद साध्वी, दयातु, शान्त तथा कर्त्तव्यपराण प्रकृति की महिला थी । माता-पिता ने उन्हें शिक्षा-दीक्षा के लिए गोपाल पण्डित की पाठशाला में भेजा ।

बचपन से ही आप अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि बालक थे । आप एकान्त प्रिय तथा मननशील बालक थे । यही कारण था कि आपका मन शिक्षा या खेलकूद से कही अधिक आध्यात्मिक विषयों की ओर लगता था । तभी तो वे पण्डित गोपाल जी से मिलने पर पूछ बैठे, ”आप मुझे क्या पढ़ायेगें?” पण्डित जी ने कहा, ”गणित या हिन्दी” । इस पर गुरुनानक ने कहा, ”गुरु जी, मुझे तो करतार का नाम पढ़ाइने , इनमें मेरी रुख नहीं है ।” इस प्रकार ये बड़े ही तेजस्वी तथा असांसारिक व्यक्ति के रूप में सामने आए लेकिन उनकी इस वैराग्य भावना से उनके माता-पिता चिन्तित रहते थे ।

सच्चा सौदा-एक बार उनके पिता जी ने धन लेकर कार्य व्यापार करने के लिए उन्हें शहर भेजा, परन्तु गुरु नानक ने वह सारा धन साधुओं की एक टोली के भोजन-पानी पर खर्च कर दिया और पिताजी के पूछने पर घर आकर कह दिया कि वह ‘सच्चा सौदा’ कर आए हैं । उनके पिता ने इस बात पर बहुत क्रोध किया परन्तु गुरुनानक की दृष्टि में तो दूसरों की सेवा ही सच्चा व्यापार था ।

इसके पश्चात् उनके पिता ने उन्हें बहन नानक के पास नौकरी करने भेज दिया । वहीं पर उनके जीजा ने नानक को नवाव दौलत खाँ के गोदाम में नौकरी दिलवा दी । वहाँ पर भी नानक ने गोदाम में रखा सारा अनाज दीन-दुखियों तथा साधुओं में वितरित करवा दिया ।

गृहस्थ जीवन एवं धर्म-प्रचार:

जब नानक के माता-पिता उनकी आदतों से परेशान रहने लगे तो उन्होंने नानक को घर गृहस्थी के जाल में बाँधने के लिए उनका विवाह करवा दिया । उनके दो पुत्र श्री चन्द्र तथा लक्ष्मी चन्द्र हुए परन्तु पली तथा पुत्रों का मोह भी उन्हें अपने जाल में नहीं फँसा पाया ।

एक दिन आप घर छोड़कर जंगल की ओर चले गए तथा लापता हो गए । वहाँ पर लौटने पर लोगों ने देखा कि नानक के मुँह के चारों ओर प्रकाश चमक रहा है । ऐसा मत है की इसी दिन गुरुनानक का ईश्वर से साक्षात्कार हुआ था । आगे जाकर उन्होंने ‘बाला’ व ‘मरदाना’ नामक शिष्यों के साथ सारे भारत का भ्रमण किया ।

जगह-जगह पर साधु सन्तों से ज्ञान की बातें की तथा जन साधारण को अमृतवाणी का सन्देश दिया । भ्रमण करते समय आपने जगह-जगह धर्मशालाएं बनवाई । आज भी प्रयाग, बनारस, रामेश्वरम् आदि में निर्मित धर्मशालाएँ इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं । गुरुनानक देव के अमृत उपदेश ‘गुरु ग्रन्य साहब’ में संकलित हैं ।

उपदेश एवं यात्राएँ:

सर्वप्रथम गुरुनानक ने पंजाब का भ्रमण किया । वे उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम चारों दिशाओं में घूमते रहे । वे इन यात्राओं के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे तथा लोगों को सुधारना भी चाहते थे । एक बार वे हरिद्वार की यात्रा पर गए जहाँ के अन्धविश्वासों का उन्होंने बलपूर्वक खण्डन किया ।

उत्तर भारत के सभी नगरों का भ्रमण कर वे रामेश्वरम् तथा सिंहल द्वीप तक पहुँचे, जिसे आज लंका कहते हैं । दक्षिण भारत से लौटकर आपने हिमालय प्रदेश का भी भ्रमण किया । टेहरी, गढ़वाल, हेमकूट, सिक्किम, भूटान तथा तिब्बत तक की यात्राएं भी आपने धर्म प्रचार के लिए की । यात्राएँ करते-करते एक बार वे मुसलमानों के तीर्थ स्थान ‘मक्का-मदीना’ तक पहुंच गए । इस बीच उनकी ख्याति सब ओर फैलने लगी तथा उनके शिष्यों की संख्या भी बढ़ने लगी ।

जीवन भर भ्रमण करते हुए तथा विभिन्न धर्मावलम्बियों के संसर्ग में रहते हुए आपने यह जान लिया था कि बाहर से चाहें सभी धर्मों का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो, अलग-अलग नामों वाले देवी-देवता हो, परन्तु सभी धर्मों का सार एक ही है । सभी धर्म सेवा, त्याग, सच्चरित्रता तथा ईश्वर की अपार भक्ति की शिक्षा देते हैं ।

कोई भी धर्म हमें मिथ्याचार, आडम्बर या संकीर्णता नहीं सिखाता । ये तो मानव मात्र की पैदा की गई कुरीतियाँ हैं, जिन्हें हम अपने-अपने धर्म के साथ जोड़कर दूसरे धर्म के लोगों को नुकसान पहुँचाते हैं । गुरुनानक का कहना था कि पाखण्ड को छोड़कर, आडम्बर से दूर भाग कर तथा भगवान से सच्ची लगन लगाकर ही शान्ति प्राप्त हो सकती है ।

भारतवासी उन्हें ‘हिन्द का पीर’ कहते थे । भ्रमण करते हुए जब नानक बगदाद से अपने देश पहुँचे तो उन्होंने पंजाब में ‘करतारपुर’ गाँव बसाया । सन् 1538 ई. में 70 वर्ष की आयु में गुरुनानक देव की मृत्यु हो गई । यूँ तो गुरु नानक देव की शिक्षा विविध प्रकार की है, फिर भी उनकी मुख्य शिक्षा यह थी हमें प्रत्येक परिस्थिति में ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए ।

अहंकार को पालने से ही सांसारिकता पैदा होती है तथा मानव मोह-माया के जाल में फँसता है । परिश्रम करके रोटी कमाना तथा दूसरों की सच्ची निस्वार्थ सेवा करना ही असली तप है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 19

महावीर स्वामी पर निबन्ध | Essay on Mahavir Swami in Hindi

धर्म प्रधान वसुधा भारत पर अनेकानेक धर्म-प्रवर्तकों तथा महापुरुषों ने जन्म लिया है । योगी राज श्रीकृष्ण, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, धर्मपरायण युधिष्ठिर, महात्मा गौतम बुद्ध, गुरु नानक देव आदि ने भारत माता को ही सुशोभित किया है ।

ऐसे ही महान अवतारों में क्षमामूर्ति, अहिंसा के पुजारी भगवान महावीर स्वामी का नाम सर्वोपरि हैं । जन्म-परिचय तथा बंश-जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व बिहार राज्य के वैशाली नगर के कुण्ड ग्राम में लिच्छवी वंश में हुआ था ।

आपकी माता का नाम त्रिशलादेवी तथा पिता का नाम श्री सिद्धार्थ था । महावीर स्वामी का जन्म उस समय हुआ था जब यज्ञों का महत्त्व बढ़ने के कारण केवल ब्राह्मणों की ही समाज में प्रतिष्ठा होती थी । पशुओं की बलि देने से यज्ञ विधान महँगे हो रहे थे इससे हर तरफ ब्राह्मणों का ही वर्चस्व बढ़ रहा था तथा वे अन्य जातियों को हीन तथा मलिन समझने लगे थे ।

इसी समय वृक्षोंने कृपा से महावीर स्वामी धर्म के सच्चे स्वरूप को समझाने के लिए तथा परस्पर भेदभाव की खाई को भरने के लिए सत्यस्वरूप में इस पावन धरती पर अवतरित हुए थे । शैशवकाल में आपका नाम वर्धमान रखा गया । युवावस्था में एक भयंकर नाग तथा एक मस्त हाथी को वश में कर लेने के कारण सभी आपको ‘महावीर’ कहने लगे ।

युवावस्था में आपका विवाह यशोधरा नामक एक सुन्दर व सुशील कन्या से हुआ । फिर भी आप अपनी पली के प्रेमाकर्षण में नहीं बँध सके, अपितु आपका मन सांसारिक सुख-सुविधाओं से और अधिक दूर होता चला गया । आपका मन संसार से और भी अधिक तब उचट गया, जब आपके पिताजी का निधन हो गया ।

मायावी संसार को त्यागने के विचार आपने अपने ज्येष्ठ भ्राता नन्दिवर्धन के समक्ष रखे । सभी प्रकार का सुख-वैभव होने पर भी आपका मन संसार में नहीं लग रहा था । आप घंटों एकान्त में बैठकर सांसारिक पदार्थों की नश्वरता के विषय में सोचते रहते थे ।

आप तो संसार से संन्यास लेने ही बाले थे, परन्तु अपने बड़े भाई के आग्रह पर दो वर्ष ग्रहस्थ जीवन के और काट दिए । इन दो वर्षों के अन्दर आपने दिल खोलकर दान-पुण्य किया तथा अपने द्वार से किसी को भी खाली हाथ नहीं लौटने दिया ।

वैराग्य एवं साधना:

30 वर्ष की आयु में महावीर स्वामी सभी राज-पाट, सुख-वैभव तथा पली तथा सन्तान का मोह छोड़कर घर से निकल पड़े तथा वनों में जाकर तपस्या करने लगे । अपने इस पथ के लिए आपने गुरुवर पार्श्वनाथ का अनुयायी बनकर लगभग बारह वर्षों तक अनवरत कठोर तप-साधना की थी ।

इस विकट तपस्या के फलस्वरूप आपको सच्चा ज्ञान प्राप्त हुआ । अब आप जंगलों की साधना को छोड़कर शहर में अपने साधनारत कर्मों का विस्तार करने लगे । लगभग 40 वर्ष तक आपने बिहार प्रान्त के उत्तर तथा दक्षिण भागों में अपने मत का प्रचार-प्रसार किया । आपका सबसे पहला प्रवचन राजगृह नगरी के समीप विपुलांचल पर्वत पर हुआ था ।

धीरे-धीरे आपके अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई तथा दूर-दूर से लोग आपके प्रवचन सुनने आने लगे । आपने लोगों को अच्छा आचरण खान-पान में पवित्रता तथा प्राणीमात्र पर दया करने की शिक्षा दी । आपने अपने प्रवचनों में सत्य, अहिंसा तथा प्रेम पर विशेष बल दिया ।

जैन धर्म के सिद्धान्त:

महावीर स्वामी जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर के रूप में आज भी सश्रद्धा तथा ससम्मान पूज्य एवं आराध्य हैं । जैन धर्म को मानने वाले ‘जैनी’ कहलाते हैं । जैन धर्म की दो शाखाएँ हैं-दिगम्बर तथा श्वेताम्बर । जो लोग निर्वस्त्र रहने लगे तथा जिन्होंने सब कुछ त्याग दिया, वे ‘दिगम्बर जैन’ कहलाए तथा जिन्होंने वस्त्र नहीं त्यागे वे ‘श्वेताम्बर जैन’ कहलाने लगे । जैन धर्म का मुख्य सार इन पाँच सिद्धान्तों में निहित हैं- सत्य , अहिंसा चोरी न करना, आवश्यता से अधिक कुछ भी संग्हित न करना तथा शुद्धाचरण ।

आज जैन धर्म के मानने वालों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही हैं । आज हर जगह जैन धर्म के मन्दिर, धर्मशालाएं, पुस्तकालय, औषधालय विद्यालय आदि निशुल्क मानव सेवा कर रहे हैं ।

महाबीर स्वामी की शिक्षाएँ:

महावीर स्वामी ने लोगों से सत्य, अहिंसा तथा प्रेम से रहने को कहा । इसके अतिरिक्त सम्यकज्ञान, समयकदमन तथा सम्यक चरित्र ये तीनों मुक्ति के मार्ग बताए हैं । इन मार्गो पर चलकर ही मानव सांसारिक बन्धनों से मुक्ति पा सकता है ।

कभी भी अपनी आवशकता से अधिक धन संचय मत करो । ऐसा करना पाप है क्योंकि एक के पास अधिक धन दूसरे को निर्धन बनाता है । इस प्रकार समाज में असन्तुलन बढ़ता है । महावीर स्वामी ने जाति प्रथा को भी समाप्त करने पर बल दिया ।

उनका मत था कि ऊँची जाति में जन्म लेकर ही कोई व्यक्ति महान नहीं बन जाता, वरन् कर्म करने से ही मनुष्य समाज में उच्च स्थान तथा सम्मान पाता है । सबसे महत्त्वपूर्ण बात जिओ और जीने दो, अर्थात् इस दुनिया में सभी को जीवित रहने का अधिकार है । इसलिए मानव को एक छोटे से पतंगे का भी वध नहीं करना चाहिए ।

ईश्वर ही जन्मदाता तथा गुत्युदाता है, इसलिए इन्सान को किसी को भी मारने का अधिकार नहीं है । जो व्यवहार तुम अपने लिए चाहते हो, वैसा ही व्यवहार तुम्हें दूसरों के साथ भी करना चाहिए । यही जीवन का सार है तथा यही मोक्ष का रास्ता है ।

निर्वाण प्राप्ति:

कार्तिक मास की अमावस्या को बिहार प्रान्त के पावापुरी में भगवान महावीर स्वामी ने 72 वर्ष की आयु में अपने नाशवान शरीर को छोड्‌कर निर्वाण प्राप्त कर लिया तथा जन्म, जरा, आधि तथा व्याधि के बन्धनों से मुक्त होकर अमर हो गए ।

क्षमा, त्याग, प्रेम, दया, करुणा की मूर्ति भगवान महावीर की अभूतपूर्व शिक्षाएँ आज भी मानव-जाति का पथ-प्रदर्शन कर रही हैं । सच्चे अर्थों में मानव तथा फिर भगवान स्वरूप में आकर महावीर भगवान ने पूरी जन-जाति का उद्धार किया है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 20

नोबेल पुरस्कार विजेता: अमतर्य सेन पर निबन्ध |Essay on Amartya Sen : The Nobel Laureate in Hindi

दुनिया भर में योग्यताओंको प्रोत्साहितकरनेकेलिए अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग पुरस्कार दिए जाते हैं । ‘नोबेल पुरस्कार’ विश्व का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है । यह विश्व की सर्वोत्तम रचना अथवा सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को दिया जाता है ।

यह पुरस्कार हर वर्ष दिया जाता है । इस दृष्टि से हमारा देश बहुत महत्त्वपूर्ण है । हमारे देश की महान विभूतियोंनुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, हरगोबिन्द खुराना, सीबीरमन, सुबस्रणयम् चन्द्रशेखर, मदर टेरेसा आदि को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है ।

वर्ष 1998 का नोबेल पुरस्कार अर्थशास्त्र के क्षेत्र में प्रो. अमर्त्य सेन को प्रदान किया गया है । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रो.अमर्त्य सेन प्रथम भारतीय ही नहीं, अपितु पूरे एशिया के प्रथम व्यक्ति हैं ।

जीबन परिचय एवं शिक्षा:

प्रो. अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवम्बर, 1933 को शान्ति निकेतन (पश्चिमी बंगाल) में हुआ था । ‘शान्ति निकेतन’ नामक संस्था की स्थापना रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी । अमर्त्य सेन ने स्नातक की परीक्षा कोलकत्ता के ‘प्रेसिडेन्सी कॉलेज’ से सन् 1953 ई. में पास की थी ।

इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए आप यूरोप चले गए । वहाँ ‘कैम्ब्रिज विश्बबिद्यालय’ से उच्च शिक्षा प्राप्त की । वहाँ से लौटकर सन् 1956-58 ई. में जटिवपुर विश्वविद्यालय में अध्ययन शुरू कर दिया । यहीं पर आपको डी-लिट की उपाधि से विभूषित किया गया ।

कुछ समय के पश्चात् आपने सन् 1963-1968 तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकनोमिक्स विभाग में अध्यापन कार्य किया । इसके पश्चात् ऑक्सफोर्ड , हारवर्ड तथा कैम्ब्रिज आदि विश्वविद्यालयों में कई उच्च पदों पर आसीन रहे ।

प्रो. अमर्त्य सेन बहुत बड़े लेखक हैं । उन्होंने लगभग डेढ़ दर्जन पुस्तकें लिखी हैं । उन्होंने 200 से भी अधिक अध्ययन-पत्र लिखे हैं । प्रो. अमर्त्य सेन के कार्य अत्यंत महान एवं सराहनीय हैं । उन्हें स्टॉकहोम के एक समारोह में 10 दिसम्बर, 1998 को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।

इसके लिए उन्हें एक पदक तथा 76 लाख स्वीडिश क्रोनर (लगभग 4 करोड़) रुपए प्रदान किए गए । यह पुरस्कार उनके द्वारा कल्याणकारी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अनूठे योगदान के लिए दिया गया है । वास्तव में प्रो. सेन ने सामाजिक सिद्धान्त के चयन कल्याण तथा गरीबी की परिभाषा तथा अकाल के अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है ।

प्रो. अमर्त्य सेन को जब यह नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया तब उनसे किसी पत्रकार ने पूछा:

”नोबेल पुरस्कार प्राप्त करके आप कैसा महसूस कर रहे हैं । निःसन्देह यह आपके लिए अति हर्ष का क्षण है ।”

इसके जवाब में प्रो. सेन ने कहा, ”मैं वास्तव में बेहद खुश हूँ, क्योंकि जिस विषय पर मैं और बिश्व के अनेक अर्थशास्त्री कार्य कर रहे थे तथा अभी भी कर रहे है उस बिषय को आज मान्यता मिली है । यह बिषय केवल उन लोगों के लिए ही प्रासंगिक नहीं , जो सुखी तथा सम्पन्न जीवन जीना चाहते हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिन्हें न तो भर पेट भोजन उपलब्ध है और न खई तन ढकने का कपड़ा तथा जीबन की न्यूनतम सुविधाएँ जैसे पीने का खन्स पानी , सिर के ऊपर छत व चिकित्सा सम्बन्धी सुविधाएं भी उपलब्ध नही हैं ।”

प्रो. अमर्त्य सेन की उपलब्धियाँ:

वे सही अर्थों में गरीबों के मसीहा है । उन्होंने निर्धनता को दूर करने तथा निर्धनता के कारणों जैसे अकाल के बारे में बहुत गहन अध्ययन किया है । उन्होंने उन सिद्धान्तों का खंडन किया है जो अन्न की कमी को ही ‘अकाल’ का कारण बताते हैं ।

इसके विरोध में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है, ”अकाल ऐसे समय में हुए, जब अन्न की आपूर्ति पिछले अकाल रहित वर्षो से ज्यादा कम नहीं थी । यह सब प्रशासनिक व्यवस्था की असफलता के कारण ही हुआ था । उन्होंने आगे इसे इस प्रकार स्पष्ट है कि सन् 1944 ई. के बंगाल अकाल में 30 लाख से अधिक लोग अन्न के अभाव में नहीं मरे थे , अपितु सरकारी तन्त्र की अयोग्यता के कारण काल का ग्रास बने थे । ”

वास्तव में प्रो. अमर्त्य सेन हमारे देश की महान विभूति हैं । उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर हम सभी भारतीयों का सिर गर्व से ऊँचा हो गया है ।

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